4 संबंधों: ध्रोल राज्य, नवानगर रियासत, नवानगर के जाम साहब, भूचर मोरी।
ध्रोल राज्य
ध्रोल रियासत, ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी की काठियावाड़ एजेंसी और बाद में, भारत गणराज्य के काठियावाड़ और सौराष्ट्र एजेंसी का एक शाही राज्य था। ध्रोल, ब्रिटिशकालीन भारत के उन ५६२ शाही रियासतों में से एक था, जिनके शाशकों को क्षेत्रीय स्वायत्तता प्राप्त थी। ध्रोल रियासत को ब्रिटिश ताज द्वारा ९-तोपी सलामी रियासत होने का सम्मान प्राप्त था। इस रियासत की राजधानी था काठियावाड़ के ऐतिहासिक हालार क्षेत्र में अवस्थित ध्रोल नगर। .
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नवानगर रियासत
नवानगर, सौराष्ट्र के ऐतिहासिक हालार क्षेत्र में अवस्थित एक देसी राज्य था। यह कच्छ की खाड़ी के दक्षिणी तट पर स्थित था जिसके केन्द्र में वर्त्तमान जामनगर था। इसकी स्थापना सन १५४० ईस्वी में हुई थी, और यह राज्य भारत के स्वतन्त्र होने तक विद्यमान था। वर्ष १९४८ में, आधिकारिक रूप से भारतीय संघ में अधिग्रहित कर लिया गया। इसकी राजधानी नवानगर थी, जिसे वर्तमान समय में जामनगर के नाम से जाना जाता है। नवानगर रियासत के कुल भूभाग का क्षेत्रफल था और १९०१ की जनगणना के अनुसार इसकी कुल जनसंख्या ३,३६,७७९ थी। नवानगर राज्य पर, जडेजा गोत्र के हिन्दू राजपूत वंश का राज था, जिन्हें "जाम साहब" की उपाधि से संबोधित किया जाता था। नवानगर और कच्छ राज्य के राजकुटुंब एक ही वंश के थे। ब्रिटिश संरक्षणाधीन काल में नवानगर के जाम साहब को १५ तोपों की सलामी का सम्मान प्राप्त था। ब्रिटिश राज में नवानगर, बॉम्बे प्रेसिडेंसी के काठियावाड़ एजेंसी का हिस्सा था। नवानगर में एक मुक्ता मात्स्यकालय (मोती समुपयोजनागार) थी, जो नवानगर की धन का सबसे बड़ा स्रोत था। इसके अलावा, नवानगर राज्य ने भारत में क्रिकेट को प्रसिद्ध करने में अहन भूमिका थी, जिसका श्रेय जाम साहब रणजीतसिंहजी जडेजा को जाता है, जो स्वयं भी एक प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी थे। रणजीतसिंहजी नवानगर के तमाम जाम साहबों में सबसे प्रसिद्ध थे, उन्हें विशेष तौर पर, भारत में क्रिकेट के विकास में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। .
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नवानगर के जाम साहब
नवानगर रियासत का शाही कुलंक, जिसपर "''श्रीजामीजयति''"(''जाम की जय हो!'') का ध्येय प्रदर्शित है। नवानगर के महाराज जाम साहब, काठियावाड़, वर्त्तमान गुजरात राज्य में स्थित नवानगर रियासत के एकराटिय शाशक का पद था, जिन्हें जाम साहब के नाम से संबोधित किया जाता था। .
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भूचर मोरी
भूचर मोरी, गुजरात के ध्रोल नगर से २ किमी दूर स्थित एक ऐतिहासिक पठार है। यह राजकोट से लगभग ५० किमी दूर स्थित है। यह स्थान भूचर मोरी की लड़ाई और उस लड़ाई को समर्पित स्मारक के लिए जाना जाता है, जो सौराष्ट्र में लड़ी गयी सबसे बड़ी लड़ाई थी। भूचर मोरी की लड़ाई, मुग़ल साम्राज्य और काठियावाड़ी रियासतों की संयुक्त सेना के बीच इसी पठार पर लड़ा गया था। उसमें मुग़ल साम्राज्य की जीत हुई थी। यहाँ आज भी हर साल भूचर मोरी की लड़ाई की याद में जुलाई-अगस्त के दौरान आयोजन होते हैं, और मेले भी आयोजित होते हैं। .
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