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हाइड्रोकार्बन

सूची हाइड्रोकार्बन

मिथेन एक प्रमुख हाइड्रोकार्बन है। इसके अणु का त्रि-बिमीय 'बाल ऐण्ड स्टिक मॉडल' हाइड्रोकार्बन कार्बनिक यौगिक होते हैं जो हाइड्रोजन और कार्बन के परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं। इनका मुख्य स्रोत भूतैल है। प्राकृतिक गैस में भी केवल हाइड्रोकार्बन पाए जाते हैं। हाइड्रोकार्बन संतृप्त तथा असंतृप्त दो प्रकार के होते हैं। .

51 संबंधों: टैंकर (जहाज), एथिलबेंजीन, एथिलीन, एल्कीन, एसिटिलीन, ऐलिफ़ैटिक यौगिक, डीज़ल, तिमोर सागर, तैल शेल, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड, तेल रिसाव, दहन, द्रवित पेट्रोलियम गैस, नाइट्रो यौगिक, नैफ्थलीन, पुंगा सागर, प्रशीतक, प्राकृतिक गैस, प्रकार्यात्मक समूह, प्रोपेन, प्रोपीन, पैराफिन, पेट्रोल, पेट्रोलियम जेली, पेन्टेन, फ्रिडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया, ब्यूटेन, बृहस्पति (ग्रह), बेंजीन, भूविज्ञान, मिथेन, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, मोम, यूरोपीय उत्सर्जन मानक, रेज़िन, लाइजीया सागर, शिलारस, हेप्टेन, हेक्सेन, वायु प्रदूषण, गारामुखी, ग्लाइकोल, ऑक्टेन, इथेन, कहरुवा, कार्बनिक रसायन, कार्ब्युरेटर, क्रैकन सागर, अभिकर्मकों की सूची, अल्केन, ..., असंतृप्त हाइड्रोकार्बन सूचकांक विस्तार (1 अधिक) »

टैंकर (जहाज)

वाणिज्यिक कच्चे तेल सुपरटैंकर अबकैक. एक टैंकर (या टैंक शिप या टैंकशिप) एक जहाज होता है जो विशाल मात्रा में तरल पदार्थों के परिवहन करने की दृष्टि से बनया जाता है। टैंक शिप के प्रमुख प्रकारों के अंतर्गत तेल के टैंकर, रसायन टैंकर और द्रवित प्राकृतिक गैस संवाहक आते हैं। .

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एथिलबेंजीन

एथिलबेंजीन (Ethylbenzene) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र C6H5CH2CH3 है। यह अत्यन्त ज्वलनशील, रंगहीन द्रव है जिसकी गन्ध पेट्रोल जैसी होती है। यह मोनोसाइक्लिक, एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन है। शैल-रसायन उद्योग के लिये यह बहुत उपयोगी है और स्टाइरीन तथा पॉलीस्टरीन के निर्माण में काम आता है। सन २०१२ में उत्पादित ९९ प्रतिशत एथिलबेंजीन स्टाइरीन के उत्पादन में प्रयुक्त हुआ। एथिलबेंजीन का उपयोग अन्य रसायनों के निर्माण में, ईंधन में, और विलायक के रूप में (स्याही, रबर गोंद, वार्निश, पेंट आदि के लिये) होता है। .

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एथिलीन

एथिलीन (Ethylene; (IUPAC नाम: एथीन/ethene) एक हाइड्रोकार्बन है जिसका अणुसूत्र or H2C.

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एल्कीन

सरलतम एल्कीन इथाइलीन का एक त्रिआयामी निदर्श कार्बनिक रसायन में, एक एल्कीन, ओलेफिन, या ओलेफाइन एक असंतृप्त रासायनिक यौगिक होता है जिसमे कम से कम एक कार्बन-से-कार्बन का द्वि-बन्ध होता है। सरलतम अचक्रीय एल्कीन वह होते हैं जिसमे सिर्फ एक द्वि-बन्ध होता है तथा अन्य कोई क्रियाशील समूह नहीं होता, यह मिलकर एक समरूप हाइड्रोकार्बन श्रृंखला की रचना करते हैं जिसका साधारण सूत्र (फार्मूला) CnH2n होता है। सरलतम एल्कीन, इथाइलीन (C2H4) है जिसका (IUPAC: शुद्ध और अनुप्रयोगिक रसायन का अंतरराष्ट्रीय संघ) नाम इथीन (ethane) है। एल्कीनों को ओलेफिन भी कहा जाता है, (यह इसका एक पुराना पर्याय जो पैट्रोरसायन उद्योग में व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है)। एरोमैटिक (सुरभित) यौगिकों को अक्सर चक्रीय एल्कीन का रूप माना जाता है, लेकिन उनकी संरचना और गुण इससे भिन्न होते हैं और वे एल्कीन नहीं होते। .

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एसिटिलीन

एसिटिलीन (Acetylene; सिस्टेमैटिक नाम: एथीन (ethyne)) एक रासायनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र C2H2 है। यह एक हाइड्रोकार्बन है तथा सबसे सरल एल्कीन है। .

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ऐलिफ़ैटिक यौगिक

कार्बनिक रसायन में ऐलिफ़ैटिक यौगिक (aliphatic compound) हाइड्रोकार्बन यौगिकों की दो श्रेणियों में से एक है। दूसरी श्रेणी एरोमैटिक यौगिक (aromatic compound) होते हैं। इन दोनों श्रेणियों में अंतर यह है कि एरोमैटिक यौगिकों (जैसे कि बेंज़ीन) में परमाणुओं की किसी शृंखला का एक स्थाई चक्र सम्मिलित होता है, जबकि ऐलिफ़ैटिक यौगिकों में या तो ऐसा कोई चक्र होता नहीं या वह उस यौगिक के मुख्य भाग का स्थाई हिस्सा नहीं होता। ब्यूटेन ऐलिफ़ैटिक यौगिकों का एक उदाहरण है क्योंकि इसमें बिना किसी चक्र वाली कार्बन परमाणुओं की शृंखला है। .

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डीज़ल

डीज़ल एक प्रकार का उदप्रांगार ईंधन है जो पेट्रोलियम को कई चरणों में ठंडा करने से एक चरण (२००-३५० C) में बनता है। इसका उपयोग वाहनों, मशीनों, संयत्रों आदि को चलाने के लिए ईंधन के रूप मे किया जाता है। इसका प्रयोग भारी वाहनों तथा तापज्वलित यानि संपीडित वायु में उड़ेलने से हुए स्वतः दहन इंजनों में इस्तेमाल होता है। प्रति लीटर इसमें पेट्रोल के बराबर रासायनिक ऊर्जा होती है। इसके द्वारा चालित इंजनों में नाट्रोजन आक्साईड तथा कालिख के कण अधिक होते हैं, जिसकी वजह से प्रदूषण को नियंत्रित करना मुश्किल होता है। इसलिए इसके स्थान पर जैविक पदार्थों से बने तेल, जिन्हें जैव डीज़ल कहा जाता है, का इस्तेमाल शुरु हुआ है। डीज़ल शब्द का इस्तेमाल इस विस्थापित तेल के लिए भी होता है। भारत में इस पर पेट्रोल के मुकाबले कम कर लिया जाता है जिसकी वजह से ये पेट्रोल से सस्ता होता है। इसके विपरीत कई देशों में इसके इस्तेमाल को कम करने के उद्देश्य से अधिक कर लगाया जाता है। .

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तिमोर सागर

तिमोर सागर, एक अपेक्षाकृत उथला समुद्र है जो उत्तर में तिमोर द्वीप, पूर्व में अराफुरा सागर, दक्षिण में ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम में हिंद महासागर से घिरा है। यह सागर समुद्री चट्टानों और निर्जन द्वीपों से भरा पड़ा है, साथ ही इसमें हाइड्रोकार्बन के बड़े भंडार भी उपस्थित हैं। इन भंडारों की खोज के बाद बहुत से अंतरराष्ट्रीय विवाद उभर आये जिनकी परिणति तिमोर सागर संधि पर हस्ताक्षर के रूप में हुई। 2009 में तिमोर सागर के एक बड़े हिस्से में तेल फैल गया था। संभव है कि ऑस्ट्रेलिया के पहले निवासी पिछले हिमयुग के दौरान जब समुद्र का जल स्तर कम था तब इंडोनेशिया से तिमोर सागर पार कर ऑस्ट्रेलिया पहुँचे थे। श्रेणी:हिन्द महासागर के सागर.

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तैल शेल

उत्तरी एस्टोनिया में तैल शेल तैल-शेल या तेलमय शेल (Oil shale या kerogen shale) एक प्रकार की अवसादी शैल है जिससे शेल तैल नामक द्रव हाइड्रोकार्बन निकाली जाती है। तैल शेल जैव तत्त्वों से भरपूर, महीन दाने वाली अवसादी शैलें होतीं हैं। ध्यातव्य है कि शेल तैल परम्परागत क्रूड तेल (पेट्रोलियम) का विकल्प है। किन्तु इसका उत्पादन अभी भी अपेक्षाकृत बहुत महंगा पड़ता है। तैल शेल विश्व के विभिन्न भागों में पाये जाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में इसके भारी भण्डार हैं। श्रेणी:अवसादी शैल.

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तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड

ONGC platform at Bombay High in the Arabian Sea ऑयल अैण्ड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) 23 जून 1993 से प्रारंभ हुई एक भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी है। इसे फॉर्च्यून ग्लोबल 500 द्वारा 335 वें स्थान पर रखा गया है। यह भारत मे कच्चे तेल के कुल उत्पादन मे 77% और गैस के उत्पादन मे 81% का योगदान करती है। यह सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे अधिक लाभ अर्जित करने वाली कंपनी है। इसे 14 अगस्त 1956 को एक आयोग के रूप में स्थापित किया गया था। इस कंपनी में भारत सरकार की कुल इक्विटी हिस्सेदारी 74.14% है। ओएनजीसी कच्चे तेल के अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों में संलिप्त है। इसकी हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों भारत के 26 तलछटी बेसिनों में चल रही हैं। यह भारत के कच्चे तेल की कुल आवश्यकता का लगभग 30% उत्पादन करती है। इसके स्वामित्व मे एक 11000 किलोमीटर लम्बी पाइपलाइन है जिसका परिचालन यह स्वंय करती है। मार्च 2007 तक यह मार्केट कैप के संदर्भ में यह भारत की सबसे बड़ी कंपनी थी।. .

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तेल रिसाव

तेल रिसाव के बाद एक समुद्र तट तिमोर सागर में मोंटारा तेल रिसाव से ऑइल स्लिक, सितंबर, 2009. तेल रिसाव मानवीय गतिविधियों के कारण तरल पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन का पर्यावरण में मुक्त होना है तथा यह एक प्रकार का प्रदूषण है। इस शब्द का उपयोग अक्सर समुद्री तेल रिसाव के लिए किया जाता है, जहां तेल समुद्र में अथवा तटीय जल में मुक्त होता है। तेल रिसाव में कच्चे तेल का टैंकर से, अपतटीय प्लेटफार्म से, खुदाई उपकरणों से तथा कुओं से रिसाव, इसके साथ ही परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों (जैसे गैलोलिन, डीजल) तथा उनके उप-उत्पादों का रिसाव और बड़े जहाजों में प्रयुक्त होने वाले भारी ईंधन जैसे बंकर ईंधन का रिसाव या किसी तैलीय अवशिष्ट का या अपशिष्ट तेल का रिसाव शामिल है। रिसाव को साफ करने में महीनों या सालों लग सकते हैं। प्राकृतिक तेल रिसाव से भी तेल समुद्री पर्यावरण में प्रवेश करता है। सार्वजनिक ध्यान और विनियमन की वजह से गहरे समुद्र में तेल टैंकरों की ओर तेजी से ध्यान केंद्रित हो रहा है। .

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दहन

आक्सीजन की उपस्थिति में लकड़ी का दहन किसी जलने वाले पदार्थ के वायु या आक्सीकारक द्वारा जल जाने की क्रिया को दहन या जलना (Combustion) कहते हैं। दहन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (exothermic reaction) है। इस क्रिया में आँखों से ज्वाला दिख भी सकती है और नहीं भी। इस प्रक्रिया में ऊष्मा तथा अन्य विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे प्रकाश) भी उत्पन्न होते हैं। आम दहन के उत्पाद गैसों के द्वारा प्रदूषण भी फैलता है। विज्ञान के इतिहास में अग्नि वा ज्वाला सबंधी सिद्धांतों का विशेष महत्व रहा है। उदाहरण के लिए किसी हाइड्रोकार्बन के दहन का सामान्य रासायनिक समीकरण निम्नलिखित है- मिथेन के लिए इस समीकरण का स्वरूप निम्नवत हो जाएगा- .

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द्रवित पेट्रोलियम गैस

एलपीजी के सिलिण्डर द्रवित पेट्रोलियम गैस (Liquefied petroleum gas / LPG) को रसोई गैस के रूप में अधिक जाना जाता है। यह वस्तुतः कई हाइड्रोकार्बन गैसों का मिश्रण है। यह घरों में खाना पकाने, गरम करने वाले उपकरणों एवं कुछ वाहनों में इंधन के रूप में प्रयुक्त होती है। आजकल यह एक शीतलक (रेफ्रिजिरेन्ट) के रूप में क्लोरोफ्लोरो कार्बन के स्थान पर क्रमशः अधिकाधिक प्रयुक्त होने लगी है क्योंकि इसके प्रयोग से ओजोन परत को कोई नुकसान नहीं होता। .

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नाइट्रो यौगिक

नाइत्रो समूह की संरचना हाइड्रोकार्बनों का एक, या एक से अधिक, हाइड्रोजन जब नाइट्रो (- NO2) समूह या समूहों से विस्थापित होता है तब ऐसे यौगिकों को नाइट्रो यौगिक (नाइट्रो कम्पाउण्ड) कहते हैं। नाइट्रो यौगिकों में नाइट्रोजन परमाणु, कार्बन परमाणु से सीधे संबद्ध रहता है। एक दूसरे प्रकार के यौगिक नाइट्रस अम्ल एस्टर होते हैं। इनमें भी नाइट्रो समूह रहते हैं पर इनमें नाट्रोजन परमाणु, ऑक्सीजन परमाणु द्वारा कार्बन परमाणु से संबद्ध रहता है। रसायनज्ञों ने नाइट्रो यौगिक बौर दूसरे को ऐरोमैटिक नाइट्रो यौगिक कहते हैं। सर्वप्रथम नाइट्रो पैराफिन विक्टरमेयर और ओटो स्टुबर द्वारा १८७२ ई. में तैयार हुआ था। हाइड्रोकार्बन आयोडाइड पर सिल्वर नाइट्राइट की क्रिया से नाइट्रोपैराफिन प्राप्त होते हैं। सीधे नाइट्रिक अम्ल की क्रिया से नाइट्रो पैराफिन साधारणतया नहीं बनते। १९४० ई. में उच्च ताप ३०० डिग्री - ५०० डिग्री सेल्सियस पर नाइट्रिक अम्ल और हाइड्रोकार्बनों के वाष्पों की क्रिया से कुछ नाइट्रोपैराफिन प्राप्त हुए थे। नाइट्रोपैराफिन के निम्नतर सदस्य वर्णहीन द्रव होते हैं। इनमें मंद गंध होती है। ये विषाक्त और जल में अल्पविलेय होते हैं। विलायक के रूप में इनका व्यवहार व्यापक रूप से होता है। अपचयन से नाइट्रो समूह, ऐमिनो समूह में परिणत हो जाता है। क्लोरीन से यह क्लोरोनाइट्रो यौगिक बनाता है। ऐसा एक यौगिक, क्लोरोपिक्रिन, कृमिनाशक के रूप में व्यवहृत होता है। बेंजीन वलयवाले ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बनों को नाइट्रिक अम्ल से उपचारित करने से ऐरोमेटिक नाइट्रोयौगिक प्राप्त होता है। सर्वप्रथम मिटशरले ने १८३४ ई. में नाइट्रोबेंजीन प्राप्त किया था। सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में नाइट्रेटीकरण शीघ्रता से होता है और नाइट्रो यौगिकों की उपलब्धि अच्छी होती है। यह क्रिया ढलवे लोहे के बड़े-बड़े पात्रों में संपन्न होती है और बहुत बड़ी मात्रा में नाइट्रोबेंज़ीन, नाइट्रोटॉलूईन, नाइट्रोनैपथलीन इत्यादि, नाइट्रो यौगिक इस प्रकार तैयार होते हैं। इनका उपयोग अनेक रंजकों, विस्फोटकों, ओषधियों और सुगंधित द्रव्यों के निर्माण में होता है। विलायक के रूप में भी इनका उपयोग व्यापक रूप से होता है। फोटो और रबर रसायनक भी इनसे बनते हैं। नाइट्रो यौगिकों के अपचयन से अनेक यौगिक बनते हैं, जिनमें ऐमिनो यौगिक बहुत महत्व के हैं। ऐनिलीन ऐसा ही ऐमिनो यौगिक है, जिससे अनेक ऐनिलीन रंजक तैयार हुए हैं। श्रेणी:नाइट्रो यौगिक.

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नैफ्थलीन

नैप्थलीन (Naphthalene) एक हाइड्रोकार्बन है जिसका अणुसूत्र C10H8। यह सफेद चमकदार रवेदार ठोस है। इसमें एक विशिष्ठ गंध होती है। यह बहुचक्रीय एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन है जो दो बेंजीन छल्लों से मिलकर बना होता है। .

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पुंगा सागर

पुंगा सागर (Punga Mare) सौर मंडल के शनि ग्रह के सबसे बड़े चन्द्रमा टाइटन के उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित एक झील है। यह टाइटन पर तीसरी सबसे बड़ी ज्ञात झील है (पहला स्थान क्रैकन सागर और दूसरा स्थान लाइजीया सागर का है)। टाइटन की अन्य झीलों की तरह इसमें भी पानी की जगह मीथेन जैसे हाइड्रोकार्बन द्रवावस्था में भरे हैं।, Patrick Moore, pp.

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प्रशीतक

उस पदार्थ को प्रशीतक (refrigerant) कहते हैं जो ऊष्मा पम्प तथा प्रशीतन चक्र में प्रयुक्त होता है। प्रशीतक प्रायः तरल (द्रव या गैस) होता है। अधिकांश ऊष्मा चक्रों में प्रशीतक की भौतिक अवस्था बदली जाती है (द्रव से गैस तथा पुनः गैस से द्रव)। इस कार्य के लिये बहुत से पदार्थ उपयोग में लाये जाते रहे हैंम। २०वीं शताब्दी में फ्लोरोकार्बन (मुख्यतः क्लोरोफ्लोरोकार्बन) इस काम के लिये बहुत उपयोग में लाये गये। किन्तु अब इनका उपयोग क्रमशः कम किया जा रहा है क्योंकि इनके कारण ओजोन परत को नुकसान पहुँचता है। आम उपयोग के अन्य प्रशीतक ये हैं- अमोनिया, सल्फर डाई आक्साइड, तथा प्रोपेन आदि अहैलोजनीकृत हाइड्रोकार्बन। .

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प्राकृतिक गैस

प्राकृतिक गैस का विश्व के विभिन्न देशों में उत्पादन प्राकृतिक गैस (Natural gas) कई गैसों का मिश्रण है जिसमें मुख्यतः मिथेन होती है तथा ०-२०% तक अन्य उच्च हाइड्रोकार्बन (जैसे इथेन) गैसें होती हैं। प्राकृतिक गैस ईंधन का प्रमुख स्रोत है। यह अन्य जीवाश्म ईंधनों के साथ पायी जाती है। यह करोडों वर्ष पुर्व धरती के अन्दर जमें हुये मरे हुये जीवो के सडे गले पदार्थ से बनती है। यह गैसिय अवस्था मे पाइ जाती है। सामान्यत यह मेथेन, एथेन, प्रोपेन, ब्युटेन, पेन्टेन का मिष्रण है, जिसमे मिथेन ८० से ९० % तक पायि जाति है। इसके अतिरिक्त कुच असुध्धिया भी पायी जाती है, जैसे सल्फर, जल वास्प, आदि होते है। .

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प्रकार्यात्मक समूह

बेंजिल एसिटेट में इस्टर प्रकार्यात्मक समूह (केसरिया घेरे में) उपस्थित है। कार्बनिक रसायन में, किसी अणु में उपस्थित परमाणुओं या बन्धों का वह विशिष्ट समूह जो उस कार्बनिक यौगिक के रासायनिक गुणों का निर्धारण करता है, प्रकार्यात्मक समूह (फंक्शनल ग्रुप) कहलाता है। विभिन्न अणुओं में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह एक ही या समान रासायनिक अभिक्रिया प्रदर्शित करेगा, चाहे अणु का आकार छोटा हो या बड़ा। .

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प्रोपेन

प्रोपेन प्रोपेन प्रोपेन एक हाइड्रोकार्बन है। यह एक अल्केन है। प्रोपेन आणविक फार्मूला C3H8, आम तौर पर एक गैस है, लेकिन एक परिवहनीय तरल करने के लिए सिकुड़ाया के साथ एक तीन कार्बन alkane है। प्राकृतिक गैस प्रसंस्करण और पेट्रोलियम शोधन के उत्पाद द्वारा, यह आमतौर पर इंजन, ऑक्सी - गैस जलाकर, बारबेक्यू की अनुमति, पोर्टेबल स्टोव और आवासीय केंद्रीय हीटिंग के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। प्रोपेन और ब्यूटेन का एक मिश्रण, वाहन ईंधन के रूप में मुख्य रूप से इस्तेमाल किया, आमतौर पर द्रवीभूत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी या एल.पी. गैस) के रूप में जाना जाता है। यह भी propylene और / या butylene की छोटी मात्रा में शामिल कर सकते हैं। Thiophene ethanethiol या जैसे एक odorant, इतना है कि लोगों को आसानी से एक दरार के मामले में गैस की गंध कर सकते हैं जोड़ा है। .

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प्रोपीन

प्रोपीन (Propene) एक असंतृप्त कार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र C3H6 है। यह एल्कीन श्रेणी के हाइड्रोकार्बनों में दूसरा सबसे सरल यौगिक है। इसे 'प्रोपिलीन' (propylene) या 'मेथिल एथिलीन' भी कहते हैं। .

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पैराफिन

पैराफिन में रखा हुआ सोडियम रसायन विज्ञान में, पैराफिन शब्द का प्रयोग एल्केन के पर्याय के रूप में कर सकते हैं। वस्तुत: ये CnH2n+2 सामान्य सूत्र वाले हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण है। पैराफिन मोम से मतलब एल्केनों के ऐसे मिश्रण से है जिसमें 20 ≤ n ≤ 40 होता है तथा ये कमरे के ताप पर ठोस अवस्था में होते हैं किन्तु लगभग 37 °C के उपर जाने पर द्रवित होने लगते हैं। .

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पेट्रोल

जार में गैसोलीन गैसोलीन या पेट्रोल एक पेट्रोलियम से प्राप्त/व्युत्पन्न तरल-मिश्रण है। इसे प्राथमिकता से अन्तर्दहन इंजन में ईंधन के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसे एसीटोन की तरह एक शक्तिशाली घुलनशील द्रव्य की तरह भी प्रयोग किया जाता है। इसमें कई एलिफैटिक हाइड्रोकार्बन होते हैं, जिसके संग आइसो-आक्टेन या एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसे टॉलुईन और बेन्ज़ीन भी मिलाये जाते हैं, जिससे इसकी ऑक्टेन क्षमता (ऊर्जा) बढ़ जाये। इसका वाष्पदहन तापमान शून्य से 62 डिग्री (सेल्सियस) कम होता है, यानि सामान्य तापमान पर इसका वाष्प दहनशील होता है। इसी वजह से इसे अत्यंत दहनशील पदार्थों की श्रेणी में रखा जाता है। भारत में इसपर डीज़ल के मुकाबले अधिक कर लगाया जाता है जिससे यह थोड़ा महंगा होता है। कई ठंडे देशों में इसको प्राथमिकता से प्रयोग में लाया जाता है क्योंकि बहुत कम तापमान में इसकी ज्वलनशीलता बाक़ी ईंधनों के मुकाबले अधिक होती है। .

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पेट्रोलियम जेली

पेट्रोलियम जेली पेट्रोलियम जेली (Petroleum jelly) हाइड्रोकार्बनों का एक अर्ध-ठोस मिश्रण है जो अपने घाव ठीक करने के गुण के कारण मरहम के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इसे सफेद पेट्रोलियम, कोमल पैराफिन, बहु-हाइड्रोकार्बन भी कहते हैं। इसका CAS नम्बर 8009-03-8 है। इसमें मौजूद हाइड्रोकार्बनों में प्रायः कार्बन संख्या २५ से अधिक होती है। .

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पेन्टेन

पेन्टेन की आकृति पेन्टेन पेन्टेन एक हाइड्रोकार्बन है। यह एक अल्केन है। श्रेणी:अल्केन.

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फ्रिडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया

फ्रिडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रियाएँ ('Friedel-Crafts reactions) कार्बनिक अभिक्रियाओं का एक समूह है जिसका आविष्कार चार्ल्स फ्रिडेल (Charles Friedel) और जेम्स क्राफ्ट्स (James Crafts) ने सन् १८७७ में किया था। वस्तुत: ये अभिक्रियाएँ ब्रेज़ीन वलय में एक या एक से अधिक हाइड्रोजन परमाणुओं को ऐल्किल (alkyl) या ऐसिल (acyl) समूहों द्वारा प्रतिस्थापित करने की विधियाँ हैं। इन अभिक्रियाएं मुख्य रूप से दो प्रकार की हैं - एल्काइलीकरण अभिक्रियाएं (alkylation reactions) तथा एसीलीकरण (.

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ब्यूटेन

ब्यूटेन की आकृति ब्यूटेन ब्यूटेन एक हाइड्रोकार्बन है। यह एक अल्केन है। श्रेणी:अल्केन.

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बृहस्पति (ग्रह)

बृहस्पति सूर्य से पांचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक गैस दानव है जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है तथा यह अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था। इसे जब पृथ्वी से देखा गया, बृहस्पति -2.94 के सापेक्ष कांतिमान तक पहुंच सकता है, छाया डालने लायक पर्याप्त उज्जवल, जो इसे चन्द्रमा और शुक्र के बाद आसमान की औसत तृतीय सर्वाधिक चमकीली वस्तु बनाता है। (मंगल ग्रह अपनी कक्षा के कुछ बिंदुओं पर बृहस्पति की चमक से मेल खाता है)। बृहस्पति एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है और इसका भारी तत्वों से युक्त एक चट्टानी कोर हो सकता है।अपने तेज घूर्णन के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल (भूमध्य रेखा के पास चारों ओर एक मामूली लेकिन ध्यान देने योग्य उभार लिए हुए) है। इसके बाहरी वातावरण में विभिन्न अक्षांशों पर कई पृथक दृश्य पट्टियां नजर आती है जो अपनी सीमाओं के साथ भिन्न भिन्न वातावरण के परिणामस्वरूप बनती है। बृहस्पति के विश्मयकारी 'महान लाल धब्बा' (Great Red Spot), जो कि एक विशाल तूफ़ान है, के अस्तित्व को १७ वीं सदी के बाद तब से ही जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। यह ग्रह एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहीय वलय प्रणाली से घिरा हुआ है। बृहस्पति के कम से कम ६४ चन्द्रमा है। इनमें वो चार सबसे बड़े चन्द्रमा भी शामिल है जिसे गेलीलियन चन्द्रमा कहा जाता है जिसे सन् १६१० में पहली बार गैलीलियो गैलिली द्वारा खोजा गया था। गैनिमीड सबसे बड़ा चन्द्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है। यहाँ चन्द्रमा का तात्पर्य उपग्रह से है। बृहस्पति का अनेक अवसरों पर रोबोटिक अंतरिक्ष यान द्वारा, विशेष रूप से पहले पायोनियर और वॉयजर मिशन के दौरान और बाद में गैलिलियो यान के द्वारा, अन्वेषण किया जाता रहा है। फरवरी २००७ में न्यू होराएज़न्ज़ प्लूटो सहित बृहस्पति की यात्रा करने वाला अंतिम अंतरिक्ष यान था। इस यान की गति बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल कर बढाई गई थी। इस बाहरी ग्रहीय प्रणाली के भविष्य के अन्वेषण के लिए संभवतः अगला लक्ष्य यूरोपा चंद्रमा पर बर्फ से ढके हुए तरल सागर शामिल हैं। .

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बेंजीन

बेंजीन के विभिन्न प्रकार के निरूपण बेंज़ीन या धूपेन्य एक हाइड्रोकार्बन है जिसका अणुसूत्र C6H6 है। बेंजीन का अणु ६ कार्बन परमाणुओं से बना होता है जो एक छल्ले की तरह जुड़े होते हैं तथा प्रत्येक कार्बन परमाणु से एक हाइड्रोजन परमाणु जुड़ा होता है। बेंजीन, पेट्रोलियम (क्रूड ऑयल) में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। कोयले के शुष्क आसवन से अलकतरा तथा अलकतरे के प्रभाजी आसवन (fractional distillation) से बेंजीन बड़ी मात्रा में तैयार होता है। प्रदीपन गैस से प्राप्त तेल से फैराडे ने 1825 ई. में सर्वप्रथम इसे प्राप्त किया था। मिटशरले ने 1834 ई. में बेंज़ोइक अम्ल से इसे प्राप्त किया और इसका नाम बेंजीन रखा। अलकतरे में इसकी उपस्थिति का पता पहले पहल 1845 ई. में हॉफमैन (Hoffmann) ने लगाया था। जर्मनी में बेंजीन को 'बेंज़ोल' कहते हैं। बेंजीन रंगहीन, मीठी गन्थ वाला, अत्यन्त ज्वलनशील द्रव है। इसका उपयोग एथिलबेंजीन्न और क्यूमीन (cumene) आदि भारी मात्रा में उत्पादित रसायनों के निर्माण में होता है। चूँकि बेंजीन का ऑक्टेन संख्या अधिक होती है, इसलिये पेट्रोल में कुछ प्रतिशत तक यह मिलाया गया होता है। यह कैंसरजन है जिसके कारण इसका गैर-औद्योगिक उपयोग कम ही होता है। .

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भूविज्ञान

पृथ्वी के भूवैज्ञनिक क्षेत्र पृथ्वी से सम्बंधित ज्ञान ही भूविज्ञान कहलाता है।भूविज्ञान या भौमिकी (Geology) वह विज्ञान है जिसमें ठोस पृथ्वी का निर्माण करने वाली शैलों तथा उन प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिनसे शैलों, भूपर्पटी और स्थलरूपों का विकास होता है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी अनेकानेक विषय आ जाते हैं जैसे, खनिज शास्त्र, तलछट विज्ञान, भूमापन और खनन इंजीनियरी इत्यादि। इसके अध्ययन बिषयों में से एक मुख्य प्रकरण उन क्रियाओं की विवेचना है जो चिरंतन काल से भूगर्भ में होती चली आ रही हैं एवं जिनके फलस्वरूप भूपृष्ठ का रूप निरंतर परिवर्तित होता रहता है, यद्यपि उसकी गति साधारणतया बहुत ही मंद होती है। अन्य प्रकरणों में पृथ्वी की आयु, भूगर्भ, ज्वालामुखी क्रिया, भूसंचलन, भूकंप और पर्वतनिर्माण, महादेशीय विस्थापन, भौमिकीय काल में जलवायु परिवर्तन तथा हिम युग विशेष उल्लेखनीय हैं। भूविज्ञान में पृथ्वी की उत्पत्ति, उसकी संरचना तथा उसके संघटन एवं शैलों द्वारा व्यक्त उसके इतिहास की विवेचना की जाती है। यह विज्ञान उन प्रक्रमों पर भी प्रकाश डालता है जिनसे शैलों में परिवर्तन आते रहते हैं। इसमें अभिनव जीवों के साथ प्रागैतिहासिक जीवों का संबंध तथा उनकी उत्पत्ति और उनके विकास का अध्ययन भी सम्मिलित है। इसके अंतर्गत पृथ्वी के संघटक पदार्थों, उन पर क्रियाशील शक्तियों तथा उनसे उत्पन्न संरचनाओं, भूपटल की शैलों के वितरण, पृथ्वी के इतिहास (भूवैज्ञानिक कालों) आदि के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है। .

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मिथेन

मिथेन अल्केन श्रेणी का प्रथम सदस्य है। यह सबसे साधारण हाइड्रोकार्बन है। .

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मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल

सितम्बर 2006 के रूप में सबसे बड़ा अंटार्कटिक ओज़ोन होल दर्ज मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, ओज़ोन परत को क्षीण करने वाले पदार्थों के बारे में (ओज़ोन परत के संरक्षण के लिए वियना सम्मलेन में पारित प्रोटोकॉल) अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो ओज़ोन परत को संरक्षित करने के लिए, चरणबद्ध तरीके से उन पदार्थों का उत्सर्जन रोकने के लिए बनाई गई है, जिन्हें ओज़ोन परत को क्षीण करने के लिए उत्तरदायी माना जाता है। इस संधि को हस्ताक्षर के लिए 16 सितंबर 1987 को खोला गया था और यह 1 जनवरी 1989 में प्रभावी हुई, जिसके बाद इसकी पहली बैठक मई, 1989 में हेलसिंकी में हुई.

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मोम

मोमबत्तीमोम या सिक्थ, हाइड्रोकार्बनों का एक वर्ग है जो सामान्य तापमान पर सुघट्य (आघातवर्ध्य) होता है। मोम 45 °C (113 °F) से ऊपर के तापमान पर पिघल कर एक निम्न श्यानता के द्रव में का निर्माण करते हैं। मोम जल में अघुलनशील लेकिन पेट्रोलियम आधारित विलायक में घुलनशील होते हैं। मोम कई पौधों और जीवों द्वारा भी स्रावित किये जाते हैं, जैसे मधुमक्खी का मोम और कार्नौबा मोम (पादप मोम)। अधिकांश औद्योगिक मोम जीवाश्म ईंधनों के घटक होते हैं या फिर पेट्रोलियम यौगिकों के संश्लेषण से व्युत्पन्न होते हैं, जैसे पैराफिन। कान का मैल या मोम, मानव कान में पाया जाने वाला एक तैलीय पदार्थ है। कई पदार्थ जैसे कि सिलिकॉन मोम के गुण मोम के समान होते हैं इसलिए इन्हें मोम की श्रेणी में ही रखा जाता है। .

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यूरोपीय उत्सर्जन मानक

उत्सर्जित गैसें, घोर हानिकारक होने के बावजूद बहुत वर्षों पूर्व जितनी विषैली थीं, उससे कहीम कम आज विषैली हैं। डीजल कारों के लिये यूरोपीय उत्सर्जन मानक की प्रगति दर्शाती सरलीकृत सारणी पेट्रोल कारों के लिये यूरोपीय उत्सर्जन मानक की प्रगति दर्शाती सरलीकृत सारणी। ध्यान दें कि यूरो-५ से पूर्व कोई पी.एम. सीमाएं नहीं थीं। यूरोपीय उत्सर्जन मानक (अंग्रेज़ी:यूरोपियन एमिशन स्टेंडर्ड) प्रदूषण संबंधी नियामक हैं जो यूरोप में सभी वाहनों पर लागू किए जाते हैं। यूरोपियन एमिशन स्टेंडर्डस सभी यूरोपियन देशों में एक समान लागू हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। ११ जनवरी २००९ वर्तमान समय में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सभी हाइड्रोकार्बन, गैर-मीथेन हाइड्रोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर संबंधी उत्सर्जन पर कारों, ट्रेनों, ट्रैक्टरों, लॉरियों और इनसे संबंधित मशीनरी पर यह कड़े नियामक लागू होते हैं। इनके विपरीत, समुद्री जहाजों और हवाई जहाजों को इन नियामकों से अलग रखा गया है। प्रत्येक वाहन पर नियामक उसके आकार के अनुसार ही तय किए जाते हैं, अतएव मानकों पर खरे न उतरने वाले वाहनों की बिक्री पर कड़ा निषेध लगा है। नए वाहन वाले मॉडलों को कड़ाई से वर्तमान नियामकों पर खरा उतरना आवश्यक होता है। किन्तु पुराने इंजन वाले और पिछले उत्सर्जन संबंधी नियामकों पर उतारे गए वाहनों में साधारण से सुधारों के बाद उनकी बिक्री पर छूट है। यूरोपीय संघ में कुल कार्बन उत्सर्जन का २० प्रतिशत सड़क यातायात से निकलता है। क्योटो प्रोटोकॉल के अंतर्गत उद्योग जगत के सभी हलकों से ८ प्रतिशत उत्सर्जन की कमी का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन हाल के कुछ वर्षो में यातायात से उत्सर्जन की मात्र में काफी तेज वृद्धि हुई है। अब हाल ये है कि यूरोपीय संघ से पूरे विश्व में यातायात संबंधी कार्बन उत्सर्जन ३.५ प्रतिशत होता है। यूरोपीय उत्सर्जन मानक का यूरो-ककक १ जनवरी, २००६ को लागू किया गया था। भारत सरकार ने भी हाल में की गई एक घोषणा में कहा था कि वह वाहन संबंधित नए नियामक शीघ्र लागू करेगी। फिल्हाल भारत में भारतीय मानक लागू हैं, जिनमेम भारत स्टैन्डर्ड- १,२ व ३ हैं। .

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रेज़िन

रेज़िन, जिसमें एक कीड़ा फँसा हुआ है राल या रेज़िन (अंग्रेज़ी: resin) गोंद जैसा हाइड्रोकार्बन द्रव्य होता है जो वृक्षों की छाल और लकड़ी से निकलता है। अन्य पेड़ों की तुलना में चीड़ जैसे कोणधारी (कॉनिफ़ॅरस) पेड़ों से रेज़िन अधिक मात्रा में निकलता है। रेज़िन का प्रयोग गोंद, लकड़ी की रोग़न (वार्निश), सुगंध और अगरबत्तियाँ बनाने के लिए सदियों से होता आया है। कभी-कभी रेज़िन जमकर पत्थरा जाता है और बड़े डलों का रूप ले लेता है जो समय के साथ ज़मीन में दफ़्न हो जाते हैं। लाखों साल बाद यह कहरुवे (ऐम्बर) के नाम से बहुमूल्य पत्थरों की तरह निकाले जाते हैं और आभूषणों में इस्तेमाल होते हैं।, श्यामसुंदर दास, बालकृष्ण भट्ट, नागरीप्रचारिणी सभा,...

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लाइजीया सागर

लाइजीया सागर (Ligeia Mare) सौर मंडल के शनि ग्रह के सबसे बड़े चन्द्रमा टाइटन के उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित एक झील है। क्रैकन​ सागर के बाद यह टाइटन पर दूसरी सबसे बड़ी ज्ञात झील है। कैसिनी-होयगेन्स अंतरिक्ष यान ने इसका अकार पूरी तरह मापा था - इसकी चौड़ाई ३५० किमी और लम्बाई ४२० किमी है। इसका सतही क्षेत्रफल १,२६,००० किमी२ है (यानी भारत के बिहार राज्य से लगभग सवा गुना) और इसका इर्द-गिर्द का तट २,००० किमी लम्बा है। टाइटन की अन्य झीलों की तरह इसमें भी पानी की जगह मीथेन जैसे हाइड्रोकार्बन द्रवावस्था में भरे हैं। .

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शिलारस

बिना साफ़ किया शिलारस (कच्चा शिलारस) शिलारस (पेट्रोलियम) एक अत्यधिक उपयोगी पदार्थ हैं, जिसका उपयोग देनिक जीवन में बहुत अधिक होता हैं। शिलारस वास्तव में उदप्रांगारों का मिश्रण होता है। इसका निर्माण भी कोयले की तरह वनस्पतियों के पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालांतर में उनके ऊपर उच्च दाब तथा ताप के आपतन के कारण हुआ। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले शिलारस को अपरिष्कृत तेल (Crude Oil) कहते हैं जो काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है। इसके प्रभाजी आसवन (फ्रैक्शनल डिस्टिलेशन) से केरोसिन, पेट्रोल, डीज़ल, प्राकृतिक गैस, वेसलीन,तारकोल ल्यूब्रिकेंट तेल इत्यादि प्राप्त होते हैं। दरअसल जब तेल के भंडार पृथ्वी पर कहीं ढूंढे जाते हैं, तब यह गाढ़े काले रंग का होता है। जिसे क्रूड ऑयल कहा जाता है और इसमें उदप्रांगारों की बहुलता होती है। उदप्रांगारों की खासियत यह होती है कि इनमें मौजूद हाइड्रोजन और प्रांगार के अणु एक दूसरे से विभिन्न श्रृंखलाओं में बंधे होते हैं। ये श्रृंखलाएं तरह-तरह की होती हैं। यही श्रृंखलाएं विभिन्न प्रकार के तेल उत्पादों का स्रोत होती हैं। इनकी सबसे छोटी श्रृंखला मिथेन नामक प्रोडक्ट का आधार बनती है। इनमें लंबी श्रृंखलाओं वाले उदप्रांगारों ठोस जैसे कि मोम या टार नामक उत्पाद का निर्माण करते हैं। सछिद्र चट्टान (4) में शिलारस स्थित है। जब पृथ्वी से तेल खोद कर निकाला जाता है उस वक्त अपरिष्कृत तेल (क्रूड ऑयल) ठोस रूप में होता है। इससे तेल के विभिन्न रूप पाने के लिए अपरिष्कृत तेल में मौजूद उदप्रांगार के विभिन्न चेन को अलग करना पड़ता है। उदप्रांगार के विभिन्न चेनों को अलग करने की प्रक्रिया रासायनिक क्रांस जोड़ने उदप्रांगार कहलाती है। जिसे हम शोधन प्रक्रिया के नाम से जानते हैं। यह शोधन प्रक्रिया शोधन कारखानें (रिफाइनरीज) में होती है। एक तरह से यह शोधन बेहद आसान भी होता है और मुश्किल भी। यह सरल तब होता है जब क्रूड ऑयल में पाए जाने वाले उदप्रांगारों के बारे में पता हो और मुश्किल तब जब इसकी जानकारी नहीं होती है। दरअसल हर प्रकार के उदप्रांगारों का क्वथनांक के, अलग-अलग होता है इस तरह आसवन की प्रक्रिया से उन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है। तेल शोधक कारखाना की पूरी प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है। दरअसल अपरिष्कृत तेल को अलग-अलग तापमान पर गर्म करके वाष्प एकत्रित करके तथा उसे दोबारा संघनित करके उदप्रांगार की अलग-अलग चेन निकाल ली जाती हैं। तेल शोधक कारखाना (ऑयल रिफाइनरी) में शोधन का यह सबसे सामान्य और पुराना तरीका है। उबलते तापमान का उपयोग करने वाली इस विधि को प्रभाजी आसवन कहते हैं। आसवन का एक तरीका यह भी होता है कि उदप्रांगार की एक लंबी चेन को जैसे का तैसा निकाल लेने के बजाए उसे छोटी-छोटी चेन्स में तोड़कर निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया को रासायनिक प्रसंस्करण कहते हैं। तो बच्चे अब आप समझ गए होंगे कि पेट्रोल और कैरोसिन के अलावा दूसरे ईंधन कैसे बनते हैं। इस सारी प्रक्रिया में तेल शोधक कारखाना की अहम भूमिका हो .

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हेप्टेन

हेप्टेन की आकृति हेप्टेन हेप्टेन एक हाइड्रोकार्बन है। यह एक अल्केन है। श्रेणी:अल्केन.

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हेक्सेन

हेक्सेन एक हाइड्रोकार्बन है। यह एक अल्केन है। .

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वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ, या जैविक पदार्थ के वातावरण में, मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। वायु प्रदूषण के कारण मौतें और श्वास रोग.

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गारामुखी

अज़रबैजान के गोबुस्तान क्षेत्र में गारामुखियों की एक शृंखला गारामुखी (mud volcano, मड वॉल्केनो) या पंकमुखी या पंक ज्वालामुखी एक ऐसी प्राकृतिक रचना को कहते हैं जिसमें ज़मीन के नीचे से उभरते हुए गरम द्रवों और गैसों से एक टीला बन जाए जिसके ऊपर स्थित मुख से गीली मिट्टी और मलबा (यानि 'गारा') उगलता हो। एक तरह से यह ज्वालामुखी की तरह ही होता है हालांकि गारामुखी से लावा नहीं निकलता और इनका तापमान ज्वालामुखियों से बहुत कम होता है। पूरे विश्व में लगभग ७०० गारामुखी ज्ञात हैं और सबसे बड़ा वाला ७०० मीटर ऊँचा है और १० किमी का व्यास (डायामीटर) रखता है। गारामुखियों से निकलने वाली गैस का लगभग ८५% मीथेन होता है और इसके अतिरिक्त इसमें कार्बन डायोक्साइड और नाइट्रोजन भी होती हैं। इनमें से निकलने वाला द्रव अधिकतर गरम पानी होता है जिसमें महीन धुल और पत्तर के कण मिले होते हैं, हालांकि कुछ मात्रा हाइड्रोकार्बन द्रवों की भी होती है। अक्सर यह द्रव (लिक्विड) अम्लीय (एसिडिक) और नमकीन होता है। कुछ खगोलशास्त्रियों को मंगल ग्रह पर भी गारामुखियों के मौजूद होने का शक है।, BBC, Accessed 2009-03-27 .

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ग्लाइकोल

द्वि-हाइड्राक्सि ऐलकोहलों को ग्लाइकोल (Glycol) के नाम से संबोधित किया जाता है। इनकी उत्पत्ति किसी हाइड्रोकार्बन के दो हाइड्रोजन परमाणुओं को दो हाइड्राक्सिल समूहों से प्रतिस्थापित करके हो सकती है, पर दोनों हाइड्राक्सिल समूह भिन्न भिन्न कार्बनों से संयुक्त होने चाहिए। हाइड्राक्सिल समूहों के पारस्परिक स्थानों के विचार से इन्हें ऐल्फा-, बीटा-, गामा-, अथवा डेल्टा-ग्लाइकोलों में श्रेणीबद्ध किया जाता है। इस वर्ग का सबसे सरल यौगिक एथिलीन ग्लाइकोल है, जिसे केवल ग्लाइकोल भी कहते हैं। इसका रासायनिक सूत्र HO-CH2-CH2-OH है। इनके उच्च सजातीय, ऐल्फा प्रोपिलीन ग्लाइकोल CH3.

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ऑक्टेन

ऑक्टेन की आकृति ऑक्टेन ऑक्टेन एक हाइड्रोकार्बन है। यह एक अल्केन है। ऑक्टेन पैराफिन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन। इस सूत्र के अट्ठारह समावयवी संभव हैं। पेट्रोलियम से प्राप्य क्व.

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इथेन

इथेन इथेन इथेन इथेन एक हाइड्रोकार्बन है। यह एक अल्केन है। श्रेणी:अल्केन.

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कहरुवा

मालाओं में लगे कहरुवे कहरुवा या तृणमणि (जर्मन: Bernstein, फ्रेंच: ambre, स्पेनिश: ámbar, अंग्रेज़ी: amber, ऐम्बर) वृक्ष की ऐसी गोंद (सम्ख़ या रेज़िन) को कहते हैं जो समय के साथ सख़्त होकर पत्थर बन गई हो। दूसरे शब्दों में, यह जीवाश्म रेजिन है। यह देखने में एक कीमती पत्थर की तरह लगता है और प्राचीनकाल से इसका प्रयोग आभूषणों में किया जाता रहा है। इसका इस्तेमाल सुगन्धित धूपबत्तियों और दवाइयों में भी होता है। क्योंकि यह आरम्भ में एक पेड़ से निकला गोंदनुमा सम्ख़ होता है, इसलिए इसमें अक्सर छोटे से कीट या पत्ते-टहनियों के अंश भी रह जाते हैं। जब कहरुवे ज़मीन से निकाले जाते हैं जो वह हलके पत्थर के डले से लगते हैं। फिर इनको तराशकर इनकी मालिश की जाती है जिस से इनका रंग और चमक उभर आती है और इनके अन्दर झाँककर देखा जा सकता है। क्योंकि कहरुवे किसी भी सम्ख़ की तरह हाइड्रोकार्बन के बने होते हैं, इन्हें जलाया जा सकता है।, Faya Causey, Getty Publications, 2012, ISBN 978-1-60606-082-7,...

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कार्बनिक रसायन

कार्बनिक रसायन रसायन विज्ञान की एक प्रमुख शाखा है, दूसरी प्रमुख शाखा है - अकार्बनिक रसायन। कार्बनिक रसायन का सम्बन्ध मुख्यतः कार्बन और हाइड्रोजन के अणुओं वाले रासायनिक यौगिकों के संरचना, गुणधर्म, रासायनिक अभिक्रियाओं एवं उनके निर्माण (संश्लेषण या सिन्थेसिस एवं अन्य प्रक्रिया द्वारा) आदि के वैज्ञानिक अध्ययन से है। कार्बनिक यौगिकों में कार्बन और हाइड्रोजन के अतिरिक्त अन्य अणु भी हो सकते हैं, जैसे- नाइट्रोजन (नत्रजन), ऑक्सीजन, हैलोजन, फॉस्फोरस, सिलिकॉन, गंधक (सल्फर) आदि।.

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कार्ब्युरेटर

बेन्डिक्स-टेक्निको का १-बैरेल वाला डाउनड्राफ्ट कार्ब्युरेटर मॉडल BXUV-3 कार्ब्युरेटर (अंग्रेज़ी:carburetor या carburettor) एक ऐसी यांत्रिक युक्ति है जो आन्तरिक दहन इंजन के लिये हवा और द्रव ईंधन को मिश्रित करती है। इसका आविष्कार कार्ल बेन्ज़ ने सन 1885 के पहले किया था। बाद में 1886 में इसे पेटेंट भी कराया गया। कार्ल बेन्ज़ मर्सिडीज़ बेन्ज़ के संस्थापक हैं। इसका अधिक विकास हंगरी के अभियांत्रिक जैनोर सोएन्स्का और डोनैट बैन्की ने 1893 में किया था।.

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क्रैकन सागर

क्रैकन सागर (Kraken Mare) सौर मंडल के शनि ग्रह के सबसे बड़े चन्द्रमा टाइटन के उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित एक झील है। यह टाइटन पर सबसे बड़ी ज्ञात झील है (दूसरा स्थान लाइजीया सागर का है)। सन् २००७ में कैसिनी-होयगेन्स अंतरिक्ष यान ने इसे खोज निकला था और इसका नाम २००८ में एक काल्पनिक समुद्री दानव (क्रैकन) पर रखा गया। इसका आकार पृथ्वी के कैस्पियन सागर के आसपास अनुमानित किया जाता है। टाइटन की अन्य झीलों की तरह इसमें भी पानी की जगह मीथेन जैसे हाइड्रोकार्बन द्रवावस्था में भरे हैं।, pp.

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अभिकर्मकों की सूची

यहाँ रसायन विज्ञान में प्रायः उपयोग में आने वाले अकार्बनिक एवं कार्बनिक अभिकर्मकों की सूची दी गयी है। .

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अल्केन

सबसे सरल अल्केन मिथेन की संरचना अल्केन संतृप्त हाइड्रोकार्बन होते हैं। इनमें केवल कार्बन-कार्बन एक बन्ध पाया जाता हैं। मिथेन, इथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन आदि कार्बनिक यौगिक अल्केन हैं। अल्केन का सामान्य अणु सूत्र CnH2n+2 है, यहाँ n अल्केन के 1 अणु में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या है। यदि किसी अल्केन के एक अणु में 1 कार्बन परमाणु है तो n.

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असंतृप्त हाइड्रोकार्बन

# 1.

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