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हस्तशिल्पकार

सूची हस्तशिल्पकार

काम करता हुआ हस्तशिल्पकार '''हस्तशिल्पकार''' या हस्तशिल्पी या दस्तकार (artisan) ऐसे व्यक्तियों को कहते हैं जो अपने हाँथों के कौशल से सजावट की चीजें या अन्य चीजें बनाते हैं। हस्तशिल्पी अन्य चीजों सहित लकड़ी की वस्तुएं, वस्त्र, आभूषण, खिलौने, घरेलू सामान, एवं औजार आदि बनाते हैं। .

5 संबंधों: भारत में इस्लाम, सामाजिक वर्ग, हस्तशिल्प, वेतन, खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग

भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

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सामाजिक वर्ग

सामाजिक वर्ग समाज में आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्थाओं का समूह है। समाजशास्त्रियों के लिये विश्लेषण, राजनीतिक वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों, मानवविज्ञानियों और सामाजिक इतिहासकारों आदि के लिये वर्ग एक आवश्यक वस्तु है। सामाजिक विज्ञान में, सामाजिक वर्ग की अक्सर 'सामाजिक स्तरीकरण' के संदर्भ में चर्चा की जाती है। आधुनिक पश्चिमी संदर्भ में, स्तरीकरण आमतौर पर तीन परतों: उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग से बना है। प्रत्येक वर्ग और आगे छोटे वर्गों (जैसे वृत्तिक) में उपविभाजित हो सकता है। शक्तिशाली और शक्तिहीन के बीच ही सबसे बुनियादी वर्ग भेद है। महान शक्तियों वाले सामाजिक वर्गों को अक्सर अपने समाजों के अंदर ही कुलीन वर्ग के रूप में देखा जाता है। विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक सिद्धांतों का कहना है कि भारी शक्तियों वाला सामाजिक वर्ग कुल मिलाकर समाज को नुकसान पहुंचाने के लिये अपने स्वयं के स्थान को अनुक्रम में निम्न वर्गों के ऊपर मज़बूत बनाने का प्रयास करता है। इसके विपरीत, परंपरावादियों और संरचनात्मक व्यावहारिकतावादियों ने वर्ग भेद को किसी भी समाज की संरचना के लिए स्वाभाविक तथा उस हद तक अनुन्मूलनीय रूप में प्रस्तुत किया है। मार्क्सवाधी सिद्धांत में, दो मूलभूत वर्ग विभाजन कार्य और संपत्ति की बुनियादी आर्थिक संरचना की देन हैं: बुर्जुआ और सर्वहारा.

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हस्तशिल्प

हस्तशिल्प भारत के दिल्ली में हस्तकला की एक दुकान बांस से हस्तनिर्मित सोफा सेट (कोलकाता) हस्तकला (Handicraft) ऐसे कलात्मक कार्य को कहते हैं जो उपयोगी होने के साथ-साथ सजाने के काम आता है तथा जिसे मुख्यत: हाथ से या सरल औजारों की सहायता से ही बनाया जाता है। ऐसी कलाओं का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व होता है। इसके विपरीत ऐसी चीजें हस्तशिल्प की श्रेणी में नहीं आती जो मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर बनाये जाते हैं। .

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वेतन

वेतन किसी नियोक्ता से किसी कर्मचारी को मिलने वाले आवधिक भुगतान का एक स्वरूप है जो एक नियोजन संबंधी अनुबंध में निर्देशित किया गया हो सकता है। यह टुकड़ों में मिलने वाली मजदूरी के विपरीत है जहाँ आवधिक आधार पर भुगतान किये जाने की बजाय प्रत्येक काम, घंटे या अन्य इकाई का अलग-अलग भुगतान किया जाता है। एक कारोबार के दृष्टिकोण से वेतन को अपनी गतिविधियाँ संचालित करने के लिए मानव संसाधनों की प्राप्ति की लागत के रूप में भी देखा जा सकता है और उसके बाद इसे कार्मिक खर्च या वेतन खर्च का नाम दिया जा सकता है। लेखांकन में वेतनों को भुगतान संबंधी (पेरोल) खातों में दर्ज किया जाता है। .

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खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी)(Khadi and Village Industries Commission), संसद के 'खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम 1956' के तहत भारत सरकार द्वारा निर्मित एक वैधानिक निकाय है। यह भारत में खादी और ग्रामोद्योग से संबंधित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार) के अन्दर आने वाली एक शीर्ष संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य है - "ग्रामीण इलाकों में खादी एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना और विकास करने के लिए योजना बनाना, प्रचार करना, सुविधाएं और सहायता प्रदान करना है, जिसमें वह आवश्यकतानुसार ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्यरत अन्य एजेंसियों की सहायता भी ले सकती है।".

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