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हलवा

सूची हलवा

पिस्ता के साथ बाल्कन शैली में ताहिनी आधारित हलवा हलवा (या हलावा, हलेवेह, हेलवा, हलवाह, हालवा, हेलावा, हेलवा, हलवा, अलुवा, चालवा, चलवा) कई प्रकार की घनी, मीठी मिठाई को संदर्भित करता है, जिसे पूरे मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका, अफ्रीका का सींग, बाल्कन, पूर्वी यूरोप, माल्टा और यहूदी जगत में खाने के लिए पेश किया जाता है। शब्द हलवा (अरबी हलवा حلوى से) का प्रयोग दो प्रकार की मिठाई के वर्णन के लिए किया जाता है.

5 संबंधों: तहीनी, पूड़ी, सोहन हलवा, हलवाई, आवत डालनी

तहीनी

तहीनी तहीनेः (طحينة‎) एक अरब, उत्तर अफ़्रीकी और भूमध्य सागरीय चटनी है जो तिल से बनी होती है। इसका प्रयोग हुम्मुस बनाने में होता है, हलवे के साथ भी बहुत प्रयुक्त होता है। स्वाद में थोड़ा नमकीन, चिकना (तैलीय) और कड़वा होता है। .

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पूड़ी

पूरी या वास्तविक नाम पूड़ी (बहुवचन: पूड़ियाँ) एक एशियाई अखमीरी रोटी है जिसे भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत दक्षिण एशिया के कई देशों में नाश्ते या हल्के भोजन के रूप में खाया जाता है। पुड़ी को सबसे अधिक नाश्ते में परोसा जाता है, इसके अतिरिक्त यह विशेष या औपचारिक समारोहों में परोसी जाती है। कभी कभी प्रसाद के रूप में भी पूड़ियाँ बाँटी जाती हैं। जॉर्जियाई भाषा में रोटी को पूड़ी कहा जाता है। .

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सोहन हलवा

सोहन हलवा एक मिठाई है जो भारत, पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान में बहुत लोकप्रिय है। यह एक प्रकार का पकवान है जो मैदा, घी तथा चीनी से बनाया जाता है। .

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हलवाई

काका हलवाई की मिठाई की दुकान हलवाई भारत में मिष्ठान बनाने वाले को कहते हैं।हलवाई भारत और पकिस्तान में एक जाति हैं, जिनका मिठाईयों का पारंपरिक व्यवसाय होता हैं। अरबी शब्द हलवा, जिसका अर्थ मिठाई होता हैं, से हलवाई शब्द की उत्पत्ति मानी जाती हैं। हलवाई शब्द प्रसिद्द भारतीय मिष्ठान हलवा से लिया गया हैं। हलवाई हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म में पाया जाता हैं। मोदनवाल, कांदु, आदि हलवाई समुदाय द्वारा प्रयोग किया जाने वाला उपनाम हैं। .

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आवत डालनी

आवत डालनी, (आवत पाओनी) किसानो व खेत मजदूरों के ऐसे समूह को कहा जाता है जो समलित रूप में फ़सल की कटाई करते हैं। Alop ho riha Punjabi virsa, Harkesh Singh Kehal, Unistar Book PVT Ltd., ISBN 81-7142-869-X यह परंपरा अधिकतर वैसाखी के मौके़ अपनाई जाती है। आवत का अभिप्राय है "कहीं आना यां खिन बुलाए जाना"। पंजाब में खेती के मशीनीकरन से पहले बड़े ज़मींदार रिश्तेदारों या दोस्तों की मदद से फ़सल की कटाई करते। इसे ही आवत डालनी खा जाता था इस में खेत मजदूर भी शामिल होते थे इनकी महिमानो की तरह सेवा की जाती थी और घी- शक्कर, हलवा और सेवीआं आदि के पकवान प्रोसे जाते थे।इस समय सिर्फ फसल की कटाई काम ही नहीं क्या जाता था बल्कि हर्षो उलास से मनोरजन भी क्या जाता था -ढोल बजता था,लोकगीत और बोलीयां डाली जाती थी। आवत आम तौर पर उन किसानो की तरफ से डलवाई जाती थी जिन की ज्यादा जमीन होती थी या खेती किरण वाले मर्द या पशू किसे बीमारी आदि करण मर जाते थे। .

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