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हरिप्रसाद चौरसिया

सूची हरिप्रसाद चौरसिया

thumb हरिप्रसाद चौरसिया (१९८८ में) हरिप्रसाद चौरसिया या पंडित हरिप्रसाद चौरसिया (जन्म: १ जुलाई १९३८इलाहाबाद) प्रसिद्ध बांसुरी वादक हैं। उन्हे भारत सरकार ने १९९२ में पद्म भूषण तथा सन २००० में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। .

19 संबंधों: चाँदनी (1989 फ़िल्म), एम. बालामुरलीकृष्ण, पटना, पटना में दशहरा, पद्म विभूषण धारकों की सूची, बृजभूषण काबरा, यक्ष (कला उत्सव), लम्हे, शिव-हरि, शिवकुमार शर्मा, सिलसिला (1981 फ़िल्म), वाराणसी, वाराणसी/आलेख, इलाहाबाद, कॉल ऑफ द वैली, अन्नपूर्णा देवी, १ जुलाई, १९३८, १९९२ में पद्म भूषण धारक

चाँदनी (1989 फ़िल्म)

चाँदनी 1989 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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एम. बालामुरलीकृष्ण

मंगलमपल्ली बालामुरली कृष्णा (మంగళంపల్లి బాలమురళీకృష్ణ) (6 जुलाई 1930 को जन्मे 2016 22 november) एक कर्नाटक गायक, बहुवाद्ययंत्र-वादक और एक पार्श्वगायक हैं। एक कवि, संगीतकार के रूप में उनकी प्रशंसा की जाती है और कर्नाटक संगीत के ज्ञान के लिए उन्हें सम्मान दिया जाता है। .

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पटना

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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पटना में दशहरा

पटना में दशहरा में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की लम्बी पर क्षीण होती परम्परा है। .

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पद्म विभूषण धारकों की सूची

यह भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से अलंकृत किए गए लोगों की सूची है: .

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बृजभूषण काबरा

पंडित बृजभूषण काबरा(जन्म:१९३७) भारतीय संगीतज्ञ (गिटारिस्ट) हैं। ये जोधपुर के एक प्रख्यात संगीतज्ञ परिवार में जन्में थे। इनके पिता ने प्रसिद्ध सितारवादक अली अकबर खां के पिता मास्टर इनायत खां से सितार सीखा था। शास्त्रीय संगीत में बाल्यकाल में रुचि ना होने पर भी इन्हें अपने पिता और भ्राता से संगीत का सान्निध्य मिला। इनके भ्राता अली अकबर खां के शिष्य थे, जिनके सथ पंडित जी कई बार उनके कार्यक्रम देखने गये थे। इन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में हवाइयन गिटार का प्रयोग आरंभ किया। .

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यक्ष (कला उत्सव)

यक्ष एक वार्षिक कला उत्सव है जिसे, ईशा फाउंडेशन, ईशा योग केंद्र, कोयंबतूर में आयोजित करता है। जनवरी २०१० में शुरू किया गया यक्ष, भारत के विख्यात कलाकारों द्वारा संगीत और नृत्य का प्रदर्शन करता है। यक्ष, भारत के पारंपरिक संगीत और नृत्य को प्रचलित करने के उद्देश्य से आरम्ब किया गया था। इस उत्सव का नाम की प्रेरणा भारत के पौराणिक कथाएं में यक्ष नाम के परालौकिक प्राणियों से ली गयी है। .

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लम्हे

लम्हे 1991 में बनी हिन्दी भाषा की नाटकीय प्रेमकहानी फ़िल्म है। फिल्म की प्रमुख भूमिकाओं में अनिल कपूर और श्रीदेवी है जबकि वहीदा रहमान, अनुपम खेर और मनोहर सिंह सहायक भूमिका निभाते हैं। हालांकि फिल्म वित्तीय सफलता नहीं थी लेकिन इसे आलोचनात्मक प्रशंसा प्राप्त हुई थी। इसे एक राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सहित पाँच फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुए थे। .

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शिव-हरि

शिव-हरि नाम से दो संगीतकारों की जोड़ी प्रसिद्ध है.

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शिवकुमार शर्मा

पंडित शिवकुमार शर्मा (जन्म १३ जनवरी, १९३८, जम्मू, भारत) प्रख्यात भारतीय संतूर वादक हैं। संतूर एक कश्मीरी लोक वाद्य होता है। इनका जन्म जम्मू में गायक पंडित उमा दत्त शर्मा के घर हुआ था। १९९९ में रीडिफ.कॉम को दिये एक साक्षातकार में उन्होंने बताया कि इनके पिता ने इन्हें तबला और गायन की शिक्षा तब से आरंभ कर दी थी, जब ये मात्र पाँच वर्ष के थे। इनके पिता ने संतूर वाद्य पर अत्यधिक शोध किया और यह दृढ़ निश्चय किया कि शिवकुमार प्रथम भारतीय बनें जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजायें। तब इन्होंने १३ वर्ष की आयु से ही संतूर बजाना आरंभ किया और आगे चलकर इनके पिता का स्वप्न पूरा हुआ। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में १९५५ में किया था। १९८८ में वादन करते हुए शिवकुमार शर्मा संतूर के महारथी होने के साथ साथ एक अच्छे गायक भी हैं। एकमात्र इन्हें संतूर को लोकप्रिय शास्त्रीय वाद्य बनाने में पूरा श्रेय जाता है। इन्होंने संगीत साधना आरंभ करते समय कभी संतूर के विषय में सोचा भी नहीं था, इनके पिता ने ही निश्चय किया कि ये संतूर बजाया करें। इनका प्रथम एकल एल्बम १९६० में आया। १९६५ में इन्होंने निर्देशक वी शांताराम की नृत्य-संगीत के लिए प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म झनक झनक पायल बाजे का संगीत दिया। १९६७ में इन्होंने प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित बृजभूषण काबरा की संगत से एल्बम कॉल ऑफ द वैली बनाया, जो शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचे स्थान पर गिना जाता है। इन्होंने पं.

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सिलसिला (1981 फ़िल्म)

सिलसिला 1981 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। .

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वाराणसी

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .

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वाराणसी/आलेख

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī), जिसे बनारस) और काशी) भी कहते हैं, गंगा नदी के तट पर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में बसा शहर है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इसका नाम वाराणसीं वरुणा ओर असि नदियों के नाम के मिलाने से बना है !जो प्राचीन समय में यहा बहती थी !इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र शहर माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। ये संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रन्थ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः मंदिरों का शहर, भारत की धार्मिक राजधानी, भगवान शिव की नगरी, दीपों का शहर, ज्ञान नगरी आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, दंतकथाओं (लीजेन्ड्स) से भीप्राचीन है और जब इन सबकों एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से दोगुना प्राचीन है।" .

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इलाहाबाद

इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .

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कॉल ऑफ द वैली

कॉल ऑफ द वैली पंडित शिवकुमार शर्मा का एक संगीत एल्बम है। यह ९ सितंबर, १९९५ में रिलीज़ हुआ था। १९६७ में तैयार यह एल्बम प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित बृजभूषण काबरा की संगत से बनाया गया, जो शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचे स्थान पर गिना जाता है। .

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अन्नपूर्णा देवी

---- अन्नपूर्णा देवी (जन्म: २३ अप्रैल, १९२७) भारत की एक प्रमुख संगीतकार हैं। वे अलाउद्दीन खान की बेटी और शिष्या हैं। उनको को सन १९७७ में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये उत्तर प्रदेश से हैं। १९४१ से १९६२ तक उनका विवाह पण्डित रवि शंकर से हुआ था जो स्वयं उनके पिता के शिष्य थे। विवाह-विच्छेद के पश्चात उन्होने सार्वजनिक रूप से कभी भी अपने संगीत का प्रदर्शन नहीं किया, मुम्बई आकर वे वहाँ शिक्षण कार्य करने लगीं। उनके प्रमुख शिष्य हैं-हरिप्रसाद चौरसिया, निखिल बनर्जी, अमित भट्टाचार्य, प्रदीप बरोत, सरस्वती शाह (सितार)। .

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१ जुलाई

१ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १८२वॉ (लीप वर्ष में १८३ वॉ) दिन है। साल में अभी और १८३ दिन बाकी है। .

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१९३८

1938 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९९२ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, हरि प्रसाद चौरसिया

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