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स्वामी विवेकानंद अंतर्राज्यीय बस अड्डा

सूची स्वामी विवेकानंद अंतर्राज्यीय बस अड्डा

स्वामी विवेकानंद अन्तर्राज्यीय बस अड्डा, जिसे आनंद विहार आईएसबीटी भी कहा जाता है, दिल्ली में स्थित तीन अन्तर्राज्यीय बस अड्डों में से एक है। स्वामी विवेकानंद अन्तर्राज्यीय बस अड्डे का निर्माण १९९३ में शुरू हुआ, और मार्च १९९६ से यह पूरी तरह कार्यात्मक हो गया था। बस अड्डा लगभग २५ एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के लिए बस सेवाएं आनंद विहार से ही संचालित की जाती हैं। .

9 संबंधों: दूनागिरी, नीती माणा, पौराणिक बृद्धकेदार, मुनस्‍यारी, मॉंसी, वीर हकीकत राय अन्तर्राज्यीय बस अड्डा, दिल्ली, गैरसैंण, कटारमल सूर्य मन्दिर, काला चौना

दूनागिरी

दूनागिरी भूमंडल में दक्षिण एशिया स्थित भारतवर्ष के उत्तराखण्ड प्रदेश के अन्तर्गत कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में एक पौराणिक पर्वत शिखर का नाम है। द्रोण, द्रोणगिरी, द्रोण-पर्वत, द्रोणागिरी, द्रोणांचल, तथा द्रोणांचल-पर्वत इसी पर्वत के पर्यायवाची शब्द हैं। कालान्तर के उपरांत द्रोण का अपभ्रंश होते-होते वर्तमान में इस पर्वत को कुमांऊँनी बोली के समरूप अथवा अनुसार दूनागिरी नाम से पुकारा जाने लगा है। यथार्थत: यह पौराणिक उल्लिखित द्रोण है। .

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नीती माणा

नीती तथा माणा भारतवर्ष के उत्तर में सीमान्त गॉंवों के नाम हैं। ये दोनों गॉंव उत्तराखण्ड प्रदेश के चमोली नामक जिले के उत्तरी क्षेत्र में स्थित हैं। भारत के अन्तिम गॉंव तथा देवभूमि की रमणीक हिमालयी प्राकृतिक विरासत के लिये प्रसिद्ध हैं। .

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पौराणिक बृद्धकेदार

पौराणिक बृद्धकेदार भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जिले के अन्तर्गत पाली पछांऊॅं इलाके में रामगंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसे बृद्धकेदार अथवा बूढ़ाकेदार भी कहा जाता है। स्थानीय अनुभववेत्ताओं के मतानुसार इस वैदिक काल के शिवालय को पहला नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मन्दिर का अंश समझा जाता है तो दूसरी ओर केदारनाथ मन्दिर की शाखा। परन्तु यह सत्य है, विनोद नदी व रामगंगा नदी के संगम से शुरू हुई पर्वत माला के ऊत्तरी छोर पर केदारनाथ मन्दिर विराजमान है। भारतवर्ष में शायद यही एक शिवालय है जहॉं पर महाशिव का धड़ स्थापित है। इसकी स्थापना का अनुमान पन्द्रहवीं व सोलहवीं शताब्दी के मध्य का माना जाता रहा है। .

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मुनस्‍यारी

मुनस्‍यारी एक खूबसूरत पर्वतिय स्थल है। यह उत्‍तराखण्‍ड में जिला पिथौरागढ़ का सीमांत क्षेत्र है जो एक तरफ तिब्‍बत सीमा और दूसरी ओर नेपाल सीमा से लगा हुआ है। मुनस्‍यारी चारो ओर से पर्वतो से घिरा हुआ है। मुनस्‍यारी के सामने विशाल हिमालय पर्वत श्रंखला का विश्‍व प्रसिद्ध पंचचूली पर्वत (हिमालय की पांच चोटियां) जिसे किवदंतियो के अनुसार पांडवों के स्‍वर्गारोहण का प्रतीक माना जाता है, बाई तरफ नन्‍दा देवी और त्रिशूल पर्वत, दाई तरफ डानाधार जो एक खूबसूरत पिकनिक स्‍पॉट भी है और पीछे की ओर खलिया टॉप है। काठगोदाम, हल्‍द्वानी रेलवे स्‍टेशन से मुनस्‍यारी की दूरी लगभग 295 किलोमीटर है और नैनीताल से 265 किलोमीटर है। काठगोदाम से मुनस्‍यारी की यात्रा बस अथवा टैक्‍सी के माध्‍यम से की जा सकती है और रास्‍ते में कई खूबसूरत स्‍थल आते हैं। काठगोदाम से चलने पर भीमताल, जो कि नैनीताल से मात्र 10 किलोमीटर है, पड़ता है उसके बाद वर्ष भर ताजे फलों के लिए प्रसिद्ध भवाली है, अल्‍मोड़ा शहर और चितई मंदिर भी रास्‍ते में ही है। अल्‍मोड़ा से आगे प्रस्‍थान करने पर धौलछीना, सेराघाट, गणाई, बेरीनाग और चौकोड़ी है। बेरीनाग और चौकोड़ी अपनी खूबसूरती के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां से आगे चलने पर थल, नाचनी, टिमटिया, क्‍वीटी, डोर, गिरगॉव, रातापानी और कालामुनि आते हैं। कालामुनि पार करने के बाद आता है मुनस्‍यारी, जिसकी खूबसूरती अपने आप में निराली है। मुनस्‍यारी में ठहरने के लिए काफी होटल, लॉज और गेस्‍ट हाउस है। गर्मी के सीजन में यहां के होटल खचाखच भरे रहते है इसलिए इस मौसम में वहां जाने से पहले ठहरने के लिए कमरे की बुकिंग जरूर करा लेना चाहिए क्‍योंकि इस समय में यहां पर देसी और विदेशी पर्यटकों की भीड़ बहुत अधिक बढ़ जाती है। विदेशी पर्यटक यहां खासकर ट्रैकिंग और माउंटेनियरिंग के लिए आते हैं। लोग पहाड़ी (स्‍थानीय बोली) बोलते है और हिन्‍दी भाषा का प्रयोग भी करते हैं। यहां के अधिकतर लोग कृषि कार्य में लगे हुए है। .

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मॉंसी

मॉंसी एक गाँव है जो रामगंगा नदी के पूर्वी किनारे पर चौखुटिया (गनांई) तहसील के तल्ला गेवाड़ पट्टी में भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह मूलत: मासीवाल नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दुओं का पुश्तैनी गाँव है। यह अपनी ऐतिहासिक व सॉस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली तथा समतल उपजाऊ भूमि के लिए पहचाना जाता है। .

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वीर हकीकत राय अन्तर्राज्यीय बस अड्डा, दिल्ली

वीर हकीकत राय अन्तर्राज्यीय बस अड्डा, जिसे सराय काले खां आईएसबीटी भी कहा जाता है, दिल्ली में स्थित तीन अन्तर्राज्यीय बस अड्डों में से एक है। हरियाणा और राजस्थान राज्यों के कुछ हिस्सों के लिए बस सेवाएं सराय काले खां से संचालित की जाती हैं। कश्मीरी गेट आईएसबीटी में अव्यवस्था को कम करने के लिए ८० करोड़ रुपये की लागत से मार्च १९९६ में बस अड्डा परिसर का निर्माण शुरू हुआ था। जनवरी २००५ में यात्रियों की संख्या में हुई वृद्धि को देखते हुए स्टेशन का पुनर्विकास किया गया। भविष्य में इसे दिल्ली मेट्रो के प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन और निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से सीधे जोड़ा जाना भी प्रस्तावित है। यह स्टेशन हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के निकट स्थित है। सराय काले खान टर्मिनस से प्रमुखतः दिल्ली से दक्षिण की ओर जाने वाली बस सेवाएं चलती हैं। यह डीटीसी का बस डिपो भी है, और यहां से डीटीसी की मुद्रिका सेवा (रिंग रोड बस सेवा) और कई अन्य बसें विभिन्न मार्गों पर चलती हैं। बस अड्डे के निकट ही बारापुला एलिवेटेड सड़क है, जो कि सराय काले खान को लोधी मार्ग पर जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से जोड़ता है। इसे निर्माण के द्वितीय चरण के तहत सराय काले खान की ओर से मयूर विहार तक और जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम की ओर से आई एन ए कालोनी तक बढ़ाया जाना प्रस्तावित है। .

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गैरसैंण

गैरसैंण भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक शहर है। यह समूचे उत्तराखण्ड राज्य के मध्य में होने के कारण उत्तराखण्ड राज्य की पूर्व-निर्धारित व प्रस्तावित स्थाई राजधानी के नाम से बहुविदित है। .

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कटारमल सूर्य मन्दिर

कटारमल सूर्य मन्दिर भारतवर्ष का प्राचीनतम सूर्य मन्दिर है। यह पूर्वाभिमुखी है तथा उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जिले के अधेली सुनार नामक गॉंव में स्थित है। इसका निर्माण कत्यूरी राजवंश के तत्कालीन शासक कटारमल के द्वारा छठीं से नवीं शताब्दी में हुआ था। यह कुमांऊॅं के विशालतम ऊँचे मन्दिरों में से एक व उत्तर भारत में विलक्षण स्थापत्य एवम् शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है तथा समुद्र सतह से लगभग 2116 मीटर की ऊँचाई पर पर्वत पर स्थित है। .

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काला चौना

काला चौना एक गॉंव है। यह रामगंगा नदी के पूर्वी किनारे पर चौखुटिया तहसील के तल्ला गेवाड़ नामक पट्टी में, भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह गॉंव मूलरूप से कनौंणियॉं नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दू राजपूतों का प्राचीन और पुश्तैनी चार गाँवों में से एक है। दक्षिणी हिमालय की तलहटी में बसा यह काला चौना अपनी ऐतिहासिक व सॉंस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली, प्रकृति संरक्षण, अलौकिक प्राकृतिक छटा तथा समतल-उपजाऊ भूमि के लिए पहचाना जाता है। .

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