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स्वच्छमण्डल

सूची स्वच्छमण्डल

स्वच्छमण्डल या कनीनिया (अंग्रेज़ी:कॉर्निया) आंखों का वह पारदर्शी भाग होता है जिस पर बाहर का प्रकाश पड़ता है और उसका प्रत्यावर्तन होता है। यह आंख का लगभग दो-तिहाई भाग होता है, जिसमें बाहरी आंख का रंगीन भाग, पुतली और लेंस का प्रकाश देने वाला हिस्सा होते हैं। कॉर्निया में कोई रक्त वाहिका नहीं होती बल्कि इसमें तंत्रिकाओं का एक जाल होता है। इसको पोषण देने वाले द्रव्य वही होते हैं, जो आंसू और आंख के अन्य पारदर्शी द्रव का निर्माण करते हैं।|हिन्दुस्तान लाइव। ८ जून २०१० प्रायः कॉर्निया की तुलना लेंस से की जाती है, किन्तु इनमें लेंस से काफी अंतर होता है। एक लेंस केवल प्रकाश को अपने पर गिरने के बाद फैलाने या सिकोड़ने का काम करता है जबकि कॉर्निया का कार्य इससे कहीं व्यापक होता है। कॉर्निया वास्तव में प्रकाश को नेत्रगोलक (आंख की पुतली) में प्रवेश देता है। इसका उत्तल भाग इस प्रकाश को आगे पुतली और लेंस में भेजता है। इस तरह यह दृष्टि में अत्यंत सहायक होता है। कॉर्निया का गुंबदाकार रूप ही यह तय करता है कि किसी व्यक्ति की आंख में दूरदृष्टि दोष है या निकट दृष्टि दोष। देखने के समय बाहरी लेंसों का प्रयोग बिंब को आंख के लेंस पर केन्द्रित करना होता है। इससे कॉर्निया में बदलाव आ सकता है। ऐसे में कॉर्निया के पास एक कृत्रिम कांटेक्ट लेंस स्थापित कर इसकी मोटाई को बढ़ाकर एक नया केंद्र बिंदु (फोकल प्वाइंट) बना दिया जाता है। कुछ आधुनिक कांटेक्ट लेंस कॉर्निया को दोबारा इसके वास्तविक आकार में लाने के लिए दबाव का प्रयोग करते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक अस्पष्टता नहीं जाती। .

12 संबंधों: नेत्रविज्ञान, मोतियाबिंद शल्यक्रिया, यूवाइटिस (आंखों की सूजन), लेसर विज्ञान, लेंस, शरीर का रूपांतरण, स्टेम कोशिका, स्टेम कोशिका उपचार, स्कूबा डाइविंग, वैश्विक स्वास्थ्य, आँख, कोलेजन

नेत्रविज्ञान

नेत्र परीक्षण नेत्रविज्ञान (Ophthalmology), चिकित्साविज्ञान का वह अंग है जो आँख की रचना, कार्यप्रणाली, उसकी बीमारियों तथा चिकित्सा से संबधित है। नेत्रचिकित्सा, चिकित्सा व्यवसाय का एक प्रधान महत्वपूर्ण अंग समझा जाना चाहिए। नेत्र जीवन के लिए अनिवार्य तो नहीं, किंतु इसके बिना मानव शरीर के अस्तित्व का मूल्य कुछ नहीं रहता। ऐसे अंग की जीवन पर्यंत रक्षा का प्रबंध रखना रोगी, उसके परिचायक एवं चिकित्सक का पुनीत कर्तव्य होना चाहिए। यह बहुत ही पुराना विज्ञान है, जिसका वर्णन अथर्ववेद में भी मिलता है। सुश्रुतसंहिता, संस्कृत भाषा की अनुपम कृति है, जिसमें आँख की बीमारियों तथा उनी चिकित्सा का सबसे प्रारंभिक विवरण मिलता है। सुश्रुत, आयुर्वेद शास्त्र के प्रथम शल्यचिकित्सक थे, जिन्होंने विवरणपूर्वक और पूर्णत: आँख की उत्पत्ति, रचना, कार्यप्रणाली, बीमारियों तथा उनकी चिकित्सा के विषय में लिखा है, यह नेत्रविज्ञान के लेख "सुश्रुतसंहिता" के "उत्तरातांत्रा" के 1-19 तक अध्याय में सम्मिलित है। इसमें पलकें कजंक्टाइवा, स्वलेरा, कॉर्निया लेंस और कालापानी इत्यादि का विवरण मिलता है। मोतियाबिंद का सबसे पहले आपरेशन करने का श्रेय शल्य चिकित्सक सुश्रुत को प्राप्त है। .

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मोतियाबिंद शल्यक्रिया

मानव आंख में मोतियाबिंद- एक स्लिट लैंप के साथ परीक्षण में देखा गया परिवर्द्धित दृश्य मोतियाबिंद शल्यक्रिया आंख के प्राकृतिक लेन्स (मणिभ लेन्स भी कहा जाता है) जिसमें अपारदर्शन विकसित हो गया है तथा जो मोतियाबिंद कहलाता है, उसे शल्यक्रिया द्वारा हटाने की क्रिया है। समय के साथ मणिभ लेन्स तंतुओं के चयापचयी परिवर्तनों के कारण मोतियाबिंद का विकास होता है और पारदर्शिता चली जाती है, जिसके कारण दृष्टि कम या नष्ट हो जाती है। कई मरीजों के प्रथम लक्षण हैं रात में प्रकाश तथा छोटे प्रकाश स्रोतों से तीव्र चमक, प्रकाश के कम स्तर पर गतिविधियों में कमी.

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यूवाइटिस (आंखों की सूजन)

यूवाइटिस, विशेष रूप से "यूविया" नाम से जानी जाने वाली आंख के बीच की परत की सूजन को संदर्भित करता है, लेकिन साधारण उपयोग में यह आंख के भीतर की किसी भी सूजन को संदर्भित कर सकता है। एक अनुमान के अनुसार यूवाइटिस, संयुक्त राज्य अमेरिका में दृष्टिहीनता के लगभग 10% के लिए जिम्मेदार है। यूवाइटिस के लिए एक नेत्र विशेषज्ञ या नेत्ररोग विशेषज्ञ द्वारा तत्काल गहन परीक्षण तथा सूजन नियंत्रण हेतु तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। .

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लेसर विज्ञान

लेसर विज्ञान U.S. Air Force)). लेजर (विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रकाश प्रवर्धन) एक ऐसा यंत्र है जो प्रेरित उत्‍सर्जन (stimulated emission) एक प्रक्रिया के माध्‍यम से प्रकाश (light) (चुंबकीय विकिरण) उत्‍सर्जित करता है। लेजर शब्द प्रकाश प्रवर्धन का प्रेरित उत्सर्जन के द्वारा विकीरण का संक्षिप्‍त (acronym) शब्‍द है। लेजर प्रकाश आमतौर पर आकाशिक रूप से सशक्त (coherent), होते हैं, जिसका अर्थ है कि प्रकाश या तो एक संकरे, निम्‍न प्रवाहित किरण (low-divergence beam) के रूप में निकलेगी, या उसे देखने वाले यंत्रों जैसे लैंस (lens) लैंसों की मदद से एक कर दिया जाएगा। आमतौर पर, लेजर का अर्थ संकरे तरंगदैर्ध्य (wavelength) प्रकाशपुंज से निकलने वाले प्रकाश (मोनोक्रोमेटिक प्रकाश) से लगाया जाता है। यह अर्थ सभी लेजरों के लिए सही नहीं है, हालांकि कुछ लेजर व्‍यापक प्रकाशपुंज की तरह प्रकाश उत्‍सर्जित करते हैं, जबकि कुछ कई प्रकार के विशिष्‍ट तरंगदैर्घ्य पर साथ साथ प्रकाश उत्‍सर्जित करते हैं। पारंपिरक लेसर के उत्‍सर्जन में विशिष्‍ट सामन्‍जस्‍य होता है। प्रकाश के अधिकतर अन्‍य स्रोत असंगत प्रकाश उत्‍सर्जित करते हैं जिनमें विभिन्‍न चरण (phase) होते हैं और जो समय और स्‍थान के साथ निरंतर बदलता रहता है। .

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लेंस

ताल का चित्र ताल का उपयोग प्रकाश को फोकस करने के लिये किया जा सकता है ताल (लेंस) एक प्रकाशीय युक्ति है जो प्रकाश के अपवर्तन के सिद्धान्त पर काम करता है। ताल गोलीय, बेलनाकार आदि जैसे नियमित, ज्यामिती रूप की दो सतहों से घिरा हुआ पारदर्शक माध्यम, जिससे अपवर्तन के पश्चात् किसी वस्तु का वास्तविक अथवा काल्पनिक प्रतिबिंब बनता है, ताल कहलाता है। उत्तल (convex) ताल मसूर की आकृति का होता है। ताल की सतह प्राय: गोलीय (spherical) होती है, परंतु आवश्यकतानुसार बेलनाकर, या अगोली ताल भी प्रयुक्त होते हैं। आँख के क्रिस्टलीय ताल ही एकमात्र प्राकृतिक ताल है। हजारों वर्ष पहले भी लोग ताल के विषय में जानते थे और माइसनर (Meissner) के अनुसार प्राचीन काल में भी चश्मे से लाभ उठाया जाता था। चश्में के अलावा प्रकाशविज्ञान में ताल का उपयोग दूरदर्शी, सूक्ष्मदर्शी, प्रकाशस्तंभ, द्विनेत्री (बाइनॉक्युलर) इत्यादि में होता है। .

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शरीर का रूपांतरण

शरीर का रूपांतरण (या शरीर में परिवर्तन) सौंदर्य बोधक या गैर-चिकित्सात्मक उद्देश्य जैसे कि यौन वृद्धि, संबद्धता, विश्वास एवं वफादारी को सूचित करने वाले परस्पर विश्वास विनिमय संबंधी संस्कार, धार्मिक कारणों, मूल्यों के आघात एवं आत्म-अभिव्यक्ति के लिए मानव शरीर में जान-बूझ कर किया गया परिवर्तन है। यह सामाजिक रूप से स्वीकार्य अलंकरण (जैसे कि कई समाजों में छेदे हुए कान) से लेकर धार्मिक रूप से अधिदेशित (जैसे कि कई संस्कृतियों में ख़तना) एवं इसके बीच में हर जगह तक हो सकता है। शरीर कला आध्यात्मिक, धार्मिक, कलात्मक या सौन्दर्य संबंधी उद्देश्यों के लिए मानव शरीर के किसी भी हिस्से का रूपांतरण (संशोधन) है। .

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स्टेम कोशिका

'''मानव भ्रूण कोशिकाएं''' ए: अभी तक विभेदित नहीं हुई कोशिका समूह बी: तंत्रिका कोशिका स्टेम कोशिका या मूल कोशिका (अंग्रेज़ी:Stem Cell) ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जिनमें शरीर के किसी भी अंग को कोशिका के रूप में विकसित करने की क्षमता मिलती है। इसके साथ ही ये अन्य किसी भी प्रकार की कोशिकाओं में बदल सकती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ६ जनवरी २०१० वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं को शरीर की किसी भी कोशिका की मरम्मत के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इस प्रकार यदि हृदय की कोशिकाएं खराब हो गईं, तो इनकी मरम्मत स्टेम कोशिका द्वारा की जा सकती है। इसी प्रकार यदि आंख की कॉर्निया की कोशिकाएं खराब हो जायें, तो उन्हें भी स्टेम कोशिकाओं द्वारा विकसित कर प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इसी प्रकार मानव के लिए अत्यावश्यक तत्व विटामिन सी को बीमारियों के इलाज के उददेश्य से स्टेम कोशिका पैदा करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।हिन्दुस्तान लाइव। २५ दिसम्बर २००९। लंदन-एजेंसी अपने मूल सरल रूप में स्टेम कोशिका ऐसे अविकसित कोशिका हैं जिनमें विकसित कोशिका के रूप में विशिष्टता अर्जित करने की क्षमता होती है। क्लोनन के साथ जैव प्रौद्योगिकी ने एक और क्षेत्र को जन्म दिया है, जिसका नाम है कोशिका चिकित्सा। इसके अंतर्गत ऐसी कोशिकाओं का अध्ययन किया जाता है, जिसमें वृद्धि, विभाजन और विभेदन कर नए ऊतक बनाने की क्षमता हो। सर्वप्रथम रक्त बनाने वाले ऊतकों से इस चिकित्सा का विचार व प्रयोग शुरु हुआ था। अस्थि-मज्जा से प्राप्त ये कोशिकाएं, आजीवन शरीर में रक्त का उत्पादन करतीं हैं और कैंसर आदि रोगों में इनका प्रत्यारोपण कर पूरी रक्त प्रणाली को, पुनर्संचित किया जा सकता है। ऐसी कोशिकाओं को ही स्टेम कोशिका कहते हैं। इन कोशिकाओं का स्वस्थ कोशिकाओं को विकसित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। १९६० में कनाडा के वैज्ञानिकों अर्नस्ट.ए.मुकलॉक और जेम्स.ई.टिल की खोज के बाद स्टेम कोशिका के प्रयोग को बढ़ावा मिला। स्टेम कोशिका को वैज्ञानिक प्रयोग के लिए स्नोत के आधार पर भ्रूणीय, वयस्क तथा कॉर्डब्लड में बांटा जाता है। वयस्क स्टेम कोशिकाओं का मनुष्य में सुरक्षित प्रयोग लगभग ३० वर्षो के लिए किया जा सकता है। अधिकांशत: स्टेम सेल कोशिकाएं भ्रूण से प्राप्त होती है। ये जन्म के समय ही सुरक्षित रखनी होती हैं। हालांकि बाद में हुए किसी छोटे भाई या बहन के जन्म के समय सुरक्षित रखीं कोशिकाएं भी सहायक सिद्ध हो सकती हैं। .

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स्टेम कोशिका उपचार

स्टेम कोशिका उपचार एक प्रकार की हस्तक्षेप इलाज पद्धति है, जिसके तहत चोट अथवा विकार के उपचार हेतु क्षतिग्रस्त ऊतकों में नयी कोशिकायें प्रवेशित की जाती हैं। कई चिकित्सीय शोधकर्ताओं का मानना है कि स्टेम कोशिका द्वारा उपचार में मानव विकारों का कायाकल्प कर पीड़ा हरने की क्षमता है। स्टेम कोशिकाओं में, स्वंय पुनर्निर्मित होकर अलग-अलग स्तरों में आगामी नस्लों की योग्यताओं में आंशिक बदलाव के साथ निर्माण करने की क्षमता के चलते, ऊतकों को बनाने की महत्वपूर्ण खूबी तथा शरीर के विकार युक्त एवं क्षतिग्रस्त हिस्सों को अस्वीकरण होने के जोखिम एवं दुष्प्रभावों के बगैर बदलने की क्षमता है। विभिन्न किस्मों की स्टेम कोशिका चिकित्सा पद्धतियां मौजूद है, किंतु अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के उल्लेखनीय अपवाद को छोड़ अधिकांश प्रायोगात्मक चरणों में ही हैं और महंगी भी हैं। चिकित्सीय शोधकर्ताओं को आशा है कि वयस्क और भ्रूण स्टेम कोशिका शीघ्र ही कैंसर, डायबिटीज प्रकार 1, पर्किन्सन रोग, हंटिंग्टन रोग, सेलियाक रोग, हृदय रोग, मांसपेशियों के विकार, स्नायविक विकार और अन्य कई रोगों का उपचार करने में सफल होगी.

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स्कूबा डाइविंग

स्कूबा डाइविंग पानी के नीचे डाइविंग की एक विधा है जिसमें स्कूबा गोताखोर एक सेल्फ कोंतैनेड अंडरवाटर ब्रेथिंग अप्परेटस (स्कूबा) का प्रयोग करता हैं। जो पानी के नीचे साँस लेने के लिए सतह की आपूर्ति से पूरी तरह से स्वतंत्र होता हैं। स्कूबा डाइवर्स जो सशस्त्र बलों के साथ गुप्त ऑपरेशन में लगे रहते हैं उन्हें फ्रोग् मैन, लड़ाकू गोताखोरों या हमले करने वाले तैराकों के रूप में जाना जाता है। .

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वैश्विक स्वास्थ्य

वैश्विक स्वास्थ्य वैश्विक संदर्भ में लोगों का स्वास्थ्य से संबंधित मामला है और यह किसी व्यक्ति के राष्ट्र की चिंताओं और दृष्टिकोण से परे मामला है। स्वास्थ्य समस्याएं, जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर जाती हैं या जिनका वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव पड़ता है, पर हमेशा जोर दिया जाता है। इसे कुछ इस तरह से परिभाषित किया गया है, 'यह अध्ययन, शोध और अभ्यास का वह क्षेत्र है जिसमें दुनिया के लोगों के स्वास्थ्य सुधार और स्वास्थ्य में समानता प्राप्त करने को प्राथमिकता दी जाती है'.

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आँख

मानव आँख का पास से लिया गया चित्र मानव नेत्र का योजनात्मक आरेख आँख या नेत्र जीवधारियों का वह अंग है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील है। यह प्रकाश को संसूचित करके उसे तंत्रिका कोशिकाओ द्वारा विद्युत-रासायनिक संवेदों में बदल देता है। उच्चस्तरीय जन्तुओं की आँखें एक जटिल प्रकाशीय तंत्र की तरह होती हैं जो आसपास के वातावरण से प्रकाश एकत्र करता है; मध्यपट के द्वारा आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की तीव्रता का नियंत्रण करता है; इस प्रकाश को लेंसों की सहायता से सही स्थान पर केंद्रित करता है (जिससे प्रतिबिम्ब बनता है); इस प्रतिबिम्ब को विद्युत संकेतों में बदलता है; इन संकेतों को तंत्रिका कोशिकाओ के माध्यम से मस्तिष्क के पास भेजता है। .

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कोलेजन

ट्रोपोकोलेजन ट्रिपल हेलिक्स. कोलेजन एक स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले प्रोटीन का समूह है। प्रकृति में, यह जानवरों में विशेष रूप से पाया जाता है। यह संयोजी ऊतक का मुख्य प्रोटीन है। यह स्तनपायियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो समग्र-शरीर की प्रोटीन सामग्री का लगभग 25% से 35% अंश बनता है। मांसपेशी ऊतक में यह एंडोमिशियम के एक प्रमुख घटक के रूप में कार्य करता है। मांसपेशी ऊतक का 1% से 2% कोलेजन से बना है और मज़बूत, कंडरीय मांसपेशियों के वज़न का 6% इससे गठित है। जिलेटिन, जिसका खाद्य और उद्योग में प्रयोग किया जाता है, कोलेजन से व्युत्पन्न है। .

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