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सोयाबीन

सूची सोयाबीन

सोयाबीन की पकी हुई फली सोयाबीन से निर्मित बायोडीजल सोयाबीन एक फसल है। यह दलहन के बजाय तिलहन की फसल मानी जाती है। सोयाबीन मानव पोषण एवं स्वास्थ्य के लिए एक बहुउपयोगी खाद्य पदार्थ है। सोयाबीन एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत है। इसके मुख्य घटक प्रोटीन, कार्बोहाइडेंट और वसा होते है। सोयाबीन में 33 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत वसा, 21 प्रतिशत कार्बोहाइडेंट, 12 प्रतिशत नमी तथा 5 प्रतिशत भस्म होती है। सोयाप्रोटीन के एमीगेमिनो अम्ल की संरचना पशु प्रोटीन के समकक्ष होती हैं। अतः मनुष्य के पोषण के लिए सोयाबीन उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत हैं। कार्बोहाइडेंट के रूप में आहार रेशा, शर्करा, रैफीनोस एवं स्टाकियोज होता है जो कि पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए लाभप्रद होता हैं। सोयाबीन तेल में लिनोलिक अम्ल एवं लिनालेनिक अम्ल प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये अम्ल शरीर के लिए आवश्यक वसा अम्ल होते हैं। इसके अलावा सोयाबीन में आइसोफ्लावोन, लेसिथिन और फाइटोस्टेरॉल रूप में कुछ अन्य स्वास्थवर्धक उपयोगी घटक होते हैं। सोयाबीन न केवल प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्त्रौत है बल्कि कई शारीरिक क्रियाओं को भी प्रभावित करता है। विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा सोया प्रोटीन का प्लाज्मा लिपिड एवं कोलेस्टेरॉल की मात्रा पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया है और यह पाया गया है कि सोया प्रोटीन मानव रक्त में कोलेस्टेरॉल की मात्रा कम करने में सहायक होता है। निर्दिष्ट स्वास्थ्य उपयोग के लिए सोया प्रोटीन संभवतः पहला सोयाबीन घटक है।;सोयाबीन घटकों के निर्दिष्ट स्वास्थ्य कार्य .

34 संबंधों: डोगर सलैया, दाल, प्रतापगढ़, राजस्थान, प्रोटीन, पोषण, फ़बासिए, फ़अ, फोर्ड मस्टैंग, बुआई, मनोहरथाना, महिदपुर, मार्जरीन, मिज़ूरी, मैग्नीसियम, मेघालय, मोनोसोडियम ग्लूटामेट, शिंगवे, जावा (द्वीप), वसा, वानस्पतिक नाम, वृक्क अश्मरी, वोदका, गुइलिन, आष्टा,मध्यप्रदेश, आहार और आहारविद्या, आहारीय लौह, आहारीय कैल्शियम, क्यूशू, कृषि, कृषि जिंसों के सबसे बड़े उत्पादक देशों की सूची, केन्सास, केसीन, कोरिया का इतिहास, छोटी सादड़ी

डोगर सलैया

डोगर सलैया मध्य प्रदेश में स्थित एक गाँव है जो सागर जिले की देवरी तहसील में आता है। इस गाँव का मुख्य व्यवसाय कृषि है जिसमे मुख्य फ़सले गेहूं, सोयाबीन, चना, प्याज आदि है। .

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दाल

भारत में कई प्रकार की दालें प्रयोग की जाती हैं। दालें अनाज में आतीं हैं। इन्हें पैदा करने वाली फसल को दलहन कहा जाता है। दालें हमारे भोजन का सबसे महत्वपूर्ण भाग होती हैं। दुर्भाग्यवश आज आधुनिकता की दौड़ में फास्ट फूड के प्रचलन से हमारे भोजन में दालों का प्रयोग कम होता जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव लोगों, विशेषकर बच्चों एवं युवा वर्ग के स्वास्थ्य पर पड़रहा है। दालों की सर्व प्रमुख विशेषता यह होती है कि आँच पर पकने के बाद भी उनके पौष्टिक तत्व सुरक्षित रहते हैं। इनमें प्रोटीन और विटामिन बहुतायत में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दालें हैं.

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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प्रोटीन

रुधिरवर्णिका(हीमोग्लोबिन) की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा १०,००० से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे.

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पोषण

1.

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फ़बासिए

फ़बासिए कुल का एक पौधा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (fixing) करनेवाले जीवाणु विद्यमान रहते हैं। फ़बासिए (Fabaceae), लेग्युमिनोसी (Leguminosae) या पापील्योनेसी (Papilionaceae) एक महत्त्वपूर्ण पादप कुल है जिसका बहुत अधिक आर्थिक महत्त्व है। इस कुल में लगभग ४०० वंश तथा १२५० जातियाँ मिलती हैं जिनमें से भारत में करीब ९०० जातियाँ पाई जाती हैं। इसके पौधे उष्ण प्रदेशों में मिलते हैं। शीशम, काला शीशम, कसयानी, सनाई, चना, अकेरी, अगस्त, मसूर, खेसारी, मटर, उरद, मूँग, सेम, अरहर, मेथी, मूँगफली, ढाक, इण्डियन टेलीग्राफ प्लाण्ट, सोयाबीन एवं रत्ती इस कुल के प्रमुख पौधे हैं। लेग्युमिनोसी द्विबीजपत्री पौधों का विशाल कुल है, जिसके लगभग ६३० वंशों (genera) तथा १८,८६० जातियों का वर्णन मिलता है। इस कुल के पौधे प्रत्येक प्रकार की जलवायु में पाए जाते हैं, परंतु प्राय: शीतोष्ण एवं उष्ण कटिबंधों में इनका बाहुल्य है। इस कुल के अंतर्गत शाक (herbs), क्षुप (shrubs) तथा विशाल पादप आते हैं। कभी कभी इस कुल के सदस्य आरोही, जलीय (aquatic), मरुद्भिदी (xerophytic) तथा समोद्भिदी (mescphytic) होते हैं। इस कुल के पौधों में एक मोटी जड़ होती है, जो आगे चलकर मूलिकाओं (rootlets) एवं उपमूलिकाओं में विभक्त हो जाती है। अनेक स्पीशीज़ की जड़ों में ग्रंथिकाएँ (nodules) होती हैं, जिनमें हवा के नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (fixing) करनेवाले जीवाणु विद्यमान रहते हैं। ये जीवाणु नाइट्रोजन का स्थायीकरण कर, खेतों को उर्वर बनाने में पर्याप्त योग देते हैं। अत: ये अधिक आर्थिक महत्व के हैं। इसी वर्ग के पौधे अरहर, मटर, ऐल्फेल्फा (alfalfa) आदि हैं। लेग्युमिनोसी कुल के पौधों के तने साधारण अथवा शाखायुक्त तथा अधिकतर सीधे, या लिपटे हुए होते है। पत्तियाँ साधारणतया अनुपर्णी (stipulate), अथवा संयुक्त (compound), होती हैं। अनुपर्णी पत्तियाँ कभी कभी पत्रमय (leafy), जैसे मटर में, अथवा शूलमय (spiny), जैसे बबूल में, होती हैं। आस्ट्रेलिया के बबूल की पत्तियाँ, जो डंठल सदृश दिखलाई पड़ती हैं, पर्णाभवृंत सदृश (phyllode-like) होती है। पुष्पक्रम (inflorescence) कई फूलों का गुच्छा होता है। फूल या तो एकाकी (solitary) होता है या पुष्पक्रम में लगा रहता है। पुष्पक्रम असीमाक्षी (racemose) अथवा ससीमाक्षी (cymose) होता है। पुष्प प्राय: एकव्याससममित (zygomorphic), द्विलिंगी (bisexual), जायांगाधर (hypogynous), या परिजायांगी (perigynous) होते हैं। बाह्यदलपुंज (calyx) पाँच दलवाला तथा स्वतंत्र, या कभी-कभी थोड़ा जुड़ा, रहता है। पुमंग (androecium) में १० या अधिक पुंकेसर (stamens) होते हैं। जायांग (gynaeceum) एक कोशिकीय तथा असमबाहु (inequilateral) होता है। एकलभित्तीय (parietal) बीजांडासन (placenta) अभ्यक्ष (ventral) होता है, पर अपाक्षीय (dorsally) घूम जाता है। बीजांड (ovules) एक, या अनेक होते हैं। फल या फली गूदेदार तथा बीज अऐल्बूमिनी (exalbuminous) होते हैं। .

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फ़अ

मुर्ग़ी का फ़अ शोरबा (वियतनामी: Phở) वियतनाम के खाने में एक पतला शोरबा होता है जिसमें नूडल डलें हों। यह नूडल अक्सर चावल के बने होते हैं और उनके साथ शोरबे में एशियाई तुलसी, पोदीना, नीम्बू और मूंग के अंकुर डाले जाते हैं। इसमें अक्सर कोई-न-कोई मांस भी डला होता है हालांकि सोयाबीन से बना टोफ़ू भी डाला जाता है। इस पकवान का वियतनाम की राजधानी हानोई से ख़ास सम्बन्ध है जहाँ दुनिया का सबसे पहला फ़अ परोसने वाला रेस्तरां १९२० के दशक में खुला था।, Arthur Asa Berger, Psychology Press, 2005, ISBN 978-0-7890-2571-5,...

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फोर्ड मस्टैंग

2010 के फोर्ड मस्टैंग (Ford Mustang) का मॉडल बैज फोर्ड मस्टैंग (Ford Mustang) फोर्ड मोटर कंपनी (Ford Motor Company) द्वारा निर्मित एक ऑटोमोबाइल कार है। शुरू में यह उत्तर अमेरिकी फोर्ड फाल्कन (Ford Falcon) की दूसरी पीढ़ी पर आधारित एक कॉम्पैक्ट कार थी। 17 अप्रैल 1964 के आरम्भ में प्रस्तावित 1965 का मस्टैंग (Mustang), मॉडल ए (Model A) के बाद से ऑटोमेकर (मोटर-कार-निर्माता) का सबसे सफल शुभारम्भ है। मस्टैंग (Mustang) की वजह से ही अमेरिकी ऑटोमोबाइल के "टट्टू कार (पोनी कार)" श्रेणी का निर्माण हुआ जो स्पोर्ट्स कार जैसे कूपे (बग्घियां) थे जिनका हूड (कार की छतरी) लम्बा और पिछला डेक (कार की छत) छोटा होता था और इसी मस्टैंग की वजह से जीएम (GM) की शेवरले कैमेरो (Chevrolet Camaro), एएमसी (AMC) की जैवलिन (Javelin), और क्रिसलर (Chrysler) की पुनर्निर्मित प्लाईमाउथ बैराकुडा (Plymouth Barracuda) जैसी इसकी प्रतिद्वंद्वी कारों का उत्थान हुआ। इसने अमेरिका निर्यात की जाने वाली टोयोटा सेलिका (Toyota Celica) और फोर्ड कैप्री (Ford Capri) जैसी बग्घियों को भी प्रेरित किया। .

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बुआई

बीज को भूमि में रोपना बुआई या 'वपन' या 'बोना' कहलाती है। .

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मनोहरथाना

मनोहरथाना राजस्थान के दक्षिण पूर्व में स्थित झालावाड जिले का एक कस्बा है। यह राजस्थान-मध्यप्रदेश सीमा से कुछ ही दुरी पर स्थित है और कस्बे से मध्यप्रदेश सीमा करीब १२ किलोमीटर है। मनोहर थाना ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिती है, तहसील मनोहर थाना लगती है। यह ग्राम तीन और से नदियों से घिरा हुआ है। दो तरफ़ से इसे मध्य प्रदेश से आने वाली घोडापछाड नदी (यहाँ इसे कालीखाड नदी भी कहते हैं) घेरती है एवं एक और से परवन नदी। गांव के बाहर ही कालीखाड परवन नदी में मिलती है, जिसे संगम स्थल कहा जाता है। गांव के चारों तरफ़ परकोटा है जिसे प्राचीन काल में मनोहर भील नामक राजा ने बनवाया था। किले में आज भी राजाओं के समय के खण्डर हुए कक्ष, स्नानागार आदि देखे जा सकते हैं। कुछ वर्ष पहले तक आसपास घने वन भी हुआ करते थे लेकिन अब सब काटे जा चुके हैं। यह कस्बा आस पास के करीब ५० गाँवों के लिये व्यापार का केन्द्र है। कृषि उपज मंडी भी है जहाँ काश्तकार अपनी फसल बेचने आते हैं। .

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महिदपुर

महिदपुर उज्जैन जिले की एक नगरपालिका है। महिदपुर भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन जिल्ले में एक नगर और नगरपालिका हैं। आधुनिक शहर महिदापुर शिपा नदी के किनारे में स्थित हैं। यह मालवा स्केत्र में स्थित हैं। वर्तमान मे, शहर जिला उज्जैन का तहसील स्थान है। महिदपुर और महिदपुर रोड कृषि उत्पाद के लिये प्रसिद्ध है- घी, मावा(मोटा दूध) और नमकीन। यह मार्ग सड़क पर उज्जैन (जोरा के माध्यम से), नागदा और अगार शहर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जिस पर मार्ग पर अक्सर बसें चलती है। इस शहर में कई कोलकोलिथिक अवशेष खोदा गया है। इस शहर में मराठों और अग्रेंजों के बीच महिदपुर की लड़ाई लड़ा गई थी। नतीजा यह था कि मंडेशर की संधि और मालवा की शांति। १८ वीं शाताब्दी में यहाँ आयोजित हुए गायक का आयोजन उज्जैन में एक लाइलाज डिलीज फैल गया था। .

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मार्जरीन

एक टब में मार्जरीन मार्जरीन (या), सामान्य शब्द के रूप में, विस्तृत मक्खन स्थानापन्न पदार्थों में किसी भी एक को सूचित करता है। दुनिया के कई भागों में, मार्जरीन और स्प्रेड का बाज़ार अंश मक्खन से आगे निकल गया है। मार्जरीन कई खाद्य पदार्थों और व्यंजनों की तैयारी का एक घटक है, तथा बोलचाल की भाषा में इस कभी-कभी ओलियो कहा जाता है। मार्जरीन स्वाभाविक रूप से सफेद या लगभग सफेद दिखाई देता है: कृत्रिम रंजन कारकों को मिलाने की मनाही द्वारा, विधायकों ने कुछ क्षेत्राधिकारों में पाया है कि मार्जरीन के उपभोग को हतोत्साहित करते हुए वे अपने डेयरी उद्योग की रक्षा कर सकते हैं। अमेरिका, ऑस्ट्रलेशिया और कनाडा में रंग मिलाने पर रोक आम बात हो गई; और कुछ मामलों में, ये प्रतिबंध लगभग 100 साल तक बने रहे। उदाहरण के लिए, 1960 तक, ऑस्ट्रेलिया में रंगीन मार्जरीन की बिक्री वैध नहीं थी। .

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मिज़ूरी

अमेरिका के मानचित्र पर मिज़ूरी (Missouri) आयोवा, इलिनॉय, केन्टकी, टेनेसी, अर्कन्सास, ओक्लाहोमा, केन्सास और नेब्रास्का से घिरा संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य-पश्चिम क्षेत्र का एक राज्य है। मिसौरी सबसे अधिक जनसंख्या वाला 18वां राज्य है जिसकी 2009 में अनुमानित जनसंख्या 5,987,580 थी। यह 114 प्रान्तों और एक स्वतंत्र शहर से मिलकर बना है। मिसौरी की राजधानी जेफ़रसन शहर है। तीन सबसे बड़े शहरी क्षेत्र सेंट लुई, कन्सास शहर और स्प्रिंगफील्ड हैं। मिसौरी को मूल रूप से लुइसियाना खरीद के भाग के रूप में फ्रांस से अधिग्रहण किया गया था। मिसौरी राज्य क्षेत्र के भाग को 10 अगस्त 1821 में 24वें राज्य के रूप में संघ में शामिल कर लिया गया। मिसौरी में राष्ट्र के जनसांख्यिकीय, आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्र में शहरी और ग्रामीण संस्कृति का मिश्रण देखने को मिलता है। इसे लंबे समय से एक राजनीतिक कसौटी राज्य माना जाता रहा है। 1956 और 2008 को छोड़कर, मिसौरी के U.S. राष्ट्रपति के पद के चुनाव के परिणाम ने 1904 से प्रत्येक चुनाव में संयुक्त राज्य अमेरिका के अगले राष्ट्रपति की सही-सही भविष्यवाणी की है। यह मध्य पश्चिमी और दक्षिणी दोनों संस्कृतियों से प्रभावित है और अपने इतिहास में एक सीमा राज्य के रूप में प्रदर्शित है। यह पूर्वी और पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक अवस्थांतर भी है क्योंकि सेंट लुई को अक्सर "सुदूर-पश्चिमी पूर्वी शहर" और कन्सास शहर को "सुदूर-पूर्वी पश्चिमी शहर" कहते हैं। मिसौरी के भूगोल में अत्यधिक विविधता है। राज्य का उत्तरी भाग विच्छेदित गोल मैदानों में पड़ता है जबकि दक्षिणी भाग ओज़ार्क पर्वतों (विच्छेदित पठार) में पड़ता है जिसे मिसोरी नदी दो भागों में बांटती है। मिसिसिपी और मिसौरी नदियों का संगम सेंट लुई के पास स्थित है। .

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मैग्नीसियम

मैग्नेशियम एक रासायनिक तत्त्व है, जिसका चिह्न है Mg, परमाणु संख्या १२ एवं सामान्य ऑक्सीडेशन संख्या +२ है। है। यह कैल्शियम और बेरियम की तरह एक एल्केलाइन अर्थ धातु है एवं पृथ्वी पर आठवाँ बहुल उपलब्ध तत्त्व है तथा भार के अनुपात में २% है, और पूरे ब्रह्माण्ड में नौंवा बहुल तत्त्व है। इसके बाहुल्य का संबंध ये तथ्य है, कि ये सुपरनोवा तारों में तीन हीलियम नाभिकों के कार्बन में शृंखलागत तरीके से जुड़ने पर मैग्नेशियम का निर्माण होता है। मैग्नेशियम आयन की जल में उच्च घुलनशीलता इसे सागर के जल में तीसरा बहुल घुला तत्त्व बनाती है। मैग्नीशियम सभी जीव जंतुओं के साथ मनुष्य के लिए भी उपयोगी तत्त्व है। यह प्रकाश का स्नोत है और जलने पर श्वेत प्रकाश उत्सर्जित करता है। यह मानव शरीर में पाए जाने वाले पांच प्रमुख रासायनिक तत्वों में से एक है। मानव शरीर में उपस्थित ५०% मैग्नीशियम अस्थियों और हड्डियों में होता है जबकि शेष भाग शरीर में हाने वाली जैविक कियाओं में सहयोगी रहता है। left एक स्वस्थ आहार में इसकी पर्याप्त मात्रा होनी चाहिये। इसकी अधिकता से अतिसार और न्यूनता से न्यूरोमस्कुलर समस्याएं हो सकती है। मैग्नीशियम हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है।|हिन्दुस्तान लाईव। २४ मई २०१० इसकी खोज सर हंफ्री डेवी ने १८०८ में की थी। असल में डेवी ने वास्तव में धातु के एक ऑक्साइड को खोजा था, जो बाद में एक तत्व निकला। एक अन्य मान्यता अनुसार कि मैग्नीशियम की खोज १८वीं शताब्दी के मध्य में हुई थी। वैसे इसके एक यौगिक एप्सम लवण की खोज १७वीं शताब्दी में हो चुकी थी और वह आज भी प्रयोग में आता है। इसका एक अन्य यौगिक मिल्क ऑफ मैग्नीशिया कहलाता है। मैग्नीशियम अन्य तत्वों के साथ सरलता से अभिक्रिया कर यौगिक बना लेता है, जिस कारण यह प्रकृति में सदा यौगिकों के रूप में उपस्थित होता है। सागर का जल मैग्नीशियम का एक बड़ा स्रोत है, अतः कई धातु-शोधक कंपनियां इसे सागर से शोधित कर इसका औद्योगिक प्रयोग करती हैं। विलयन पर यह चांदी जैसा सफेद और भार में अपेक्षाकृत हल्का हो जाता है। धातु रूप में यह विषैला (टॉक्सिक) नहीं होता, किन्तु जलाने पर यह विषैला प्रभाव छोड़ता है। इसीलिए गर्म मैग्नीशियम का प्रयोग करते समय नाक को सावधानी से बचाकर काम करना चाहिए। मैग्नीशियम हल्का तत्व होने पर भी काफी मजबूत होता है। इस कारण ही इसे मिश्र धातुओं और अंतरिक्ष उद्योग के लिए उपयोगी माना जाता है। कुछ उच्च क्षमता वाले स्वचालित यंत्रों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। .

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मेघालय

मेघालय पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसका अर्थ है बादलों का घर। २०१६ के अनुसार यहां की जनसंख्या ३२,११,४७४ है। मेघालय का विस्तार २२,४३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है, जिसका लम्बाई से चौडाई अनुपात लगभग ३:१ का है। IBEF, India (2013) राज्य का दक्षिणी छोर मयमनसिंह एवं सिलहट बांग्लादेशी विभागों से लगता है, पश्चिमी ओर रंगपुर बांग्लादेशी भाग तथा उत्तर एवं पूर्वी ओर भारतीय राज्य असम से घिरा हुआ है। राज्य की राजधानी शिलांग है। भारत में ब्रिटिश राज के समय तत्कालीन ब्रिटिश शाही अधिकारियों द्वारा इसे "पूर्व का स्काटलैण्ड" की संज्ञा दी थी।Arnold P. Kaminsky and Roger D. Long (2011), India Today: An Encyclopedia of Life in the Republic,, pp.

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मोनोसोडियम ग्लूटामेट

मोनोसोडियम ग्लूटामेट, जिसे सोडियम ग्लूटामेट या एमएसजी भी कहा जाता है, एक सोडियम लवण है,ग्लूटामिक अम्ल का सोडियम लवण। यह अम्ल कुदरती रूप से मिलनेवाला सबसे सुलभ गैर-ज़रूरी अमीनो अम्ल है। अमरीका के खाद्य और दवा प्रशासन ने एमएसजी को सामान्यतः सुरक्षित समझे जानेवाले (जीआरएएस) के रूप में और यूरोपीय संघ ने भोजन योज्य के रूप में वर्गीकृत किया है। एमएसजी का एचएस कोड 29224220 और ई संख्या ई621 है। एमएसजी का ग्लूटामेट भोजन में ग्लूटामेट का ही उमामी स्वाद लाता है। रासायनिक दृष्टि से ये दोनों अभिन्न हैं। औद्योगिक आहार निर्माता एमएसजी को स्वाद बढ़ानेवाले के रूप में बेचते और उपयोग करते हैं, क्योंकि यह अन्य स्वादों को संतुलित करता है, मिलाता है और उनके संपूर्ण एहसास को पूर्णता प्रदान करता है। मोनोसोडियम ग्लूटामेट के व्यापार नामों में शामिल हैं अजि-नो-मोटो®, वेटसिन और एसेन्ट। .

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शिंगवे

शिंगवे भारतीय राज्य महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला के राहाता तहसील में स्थित गांव है। यह राहाता तहसील के क्षेत्रफल से बड़े गांवों में से एक है। .

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जावा (द्वीप)

मेरबाबु पर्वत ज्वालामुखी जावा द्वीप इंडोनेशिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला द्वीप है। प्राचीन काल में इसका नाम यव द्वीप था और इसका वर्णन भारत के ग्रन्थों में बहुत आता है। यहां लगभग २००० वर्ष तक हिन्दू सभ्यता का प्रभुत्व रहा। अब भी यहां हिन्दुओं की बस्तियां कई स्थानों पर पाई जाती हैं। विशेषकर पूर्व जावा में मजापहित साम्राज्य के वंशज टेंगर लोग रहते हैं जो अब भी हिन्दू हैं। सुमेरू पर्वत और ब्रोमो पर्वत पूर्व जावा में यहां की और पूरे इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता (संस्कृत: जयकर्त) है। बोरोबुदुर और प्रमबनन मन्दिर यहां स्थित हैं। .

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वसा

lipid एक ट्राईग्लीसराइड अणु वसा अर्थात चिकनाई शरीर को क्रियाशील बनाए रखने में सहयोग करती है। वसा शरीर के लिए उपयोगी है, किंतु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकती है। यह मांस तथा वनस्पति समूह दोनों प्रकार से प्राप्त होती है। इससे शरीर को दैनिक कार्यों के लिए शक्ति प्राप्त होती है। इसको शक्तिदायक ईंधन भी कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए १०० ग्राम चिकनाई का प्रयोग करना आवश्यक है। इसको पचाने में शरीर को काफ़ी समय लगता है। यह शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता को कम करने के लिए आवश्यक होती है। वसा का शरीर में अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाना उचित नहीं होता। यह संतुलित आहार द्वारा आवश्यक मात्रा में ही शरीर को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अधिक मात्रा जानलेवा भी हो सकती है, यह ध्यान योग्य है। यह आमाशय की गतिशीलता में कमी ला देती है तथा भूख कम कर देती है। इससे आमाशय की वृद्धि होती है। चिकनाई कम हो जाने से रोगों का मुकाबला करने की शक्ति कम हो जाती है। अत्यधिक वसा सीधे स्रोत से हानिकारक है। इसकी संतुलित मात्रा लेना ही लाभदायक है। .

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वानस्पतिक नाम

वानस्पतिक नाम (botanical names) वानस्पतिक नामकरण के लिए अन्तरराष्ट्रीय कोड (International Code of Botanical Nomenclature (ICBN)) का पालन करते हुए पेड़-पौधों के वैज्ञानिक नाम को कहते हैं। इस प्रकार के नामकरण का उद्देश्य यह है कि पौधों के लिए एक ऐसा नाम हो जो विश्व भर में उस पौधे के संदर्भ में प्रयुक्त हो। .

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वृक्क अश्मरी

विविध प्रकार की पथरियाँ, जिनमें से कुछ कैल्सियम आक्जेलेट से बनी हैं और कुछ यूरिक एसिड की किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी (वृक्कीय कैल्कली,रीनल कॅल्क्युली, नेफरोलिथियासिस) (अंग्रेजी:Kidney stones) गुर्दे एवं मूत्रनलिका की बीमारी है जिसमें, वृक्क (गुर्दे) के अन्दर छोटे-छोटे या बड़े पत्थर का निर्माण होता है। गुर्दें में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्यत: ये पथरियाँ अगर छोटी हो तो बिना किसी तकलीफ मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं, किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं (२-३ मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो एवं कमर और पेट के आसपास असहनीय पीड़ा होती है जिसे रीनल कोलिक कहा जाता है । यह स्थिति आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि वयस्को में अधिकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है। आज भारत के प्रत्येक सौ परिवारों में से दस परिवार इस पीड़ादायक स्थिति से पीड़ित है, लेकिन सबसे दु:खद बात यह है कि इनमें से कुछ प्रतिशत रोगी ही इसका इलाज करवाते हैं और लोग इस असहनीय पीड़ा से गुज़रते है। एवम् अश्मरी से पीड़ित रोगी को काफ़ी मात्रा में पानी पीना चाहिए। जिन मरीजों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें गुर्दे की बीमारी होने की काफी संभावनाएं रहती हैं। अगर किसी मरीज को रक्तचाप की बीमारी है तो उसे नियमित दवा से रक्तचाप को नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब हो सकते हैं। .

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वोदका

रूस के मंद्रोगी का वोडका संग्रहालय वोडका (रूसी शब्द водка, вода + ка से) http://www.britannica.com/EBchecked/topic/631781/vodka, एक साफ़ द्रव है जिसका अधिकांश भाग जल और इथेनॉल है जिसे अनाज (आम तौर पर राई या गेहूं), आलू या मीठे चुकंदर के शीरे जैसे किसी किण्वित पदार्थ से आसवन की प्रक्रिया — प्रायः एकाधिक आसवन की प्रक्रिया — द्वारा शुद्ध किया जाता है। इसमें अन्य प्रकार के पदार्थ जैसे अनचाही अशुद्धता या स्वाद की मामूली मात्रा भी शामिल रह सकती है। आमतौर पर वोडका में अल्कोहोल की मात्रा 35% से 50% आयतन के अनुपात में रहती है। क्लासिक रूसी, लिथुआनिया और पोलिश वोडका में 40% (80 प्रूफ) है। वोडका का उत्पादन अलेक्जेंडर III द्वारा 1894 में शुरू किया गया था जिसके लिए रूसी मानकों को श्रेय दिया जा सकता है।मास्को में वोडका संग्रहालय के अनुसार, रूसी रसायनज्ञ दमित्री मेनडिलिव (आवर्त सारणी (periodic table) के विकास में अपने कार्य के लिए अधिक प्रसिद्ध) ने सही प्रतिशत 38% बताया था। हालांकि, उस समय अल्कोहोल की उग्रता शक्ति के आधार पर कर (टैक्स) लगता था परन्तु कर की सरल गणना करने के लिए इस प्रतिशत को पूर्णांक बनाते हुए 40 कर दिया गया। कुछ सरकारों ने अल्कोहोल के लिए मद्यसार की एक न्यूनतम सीमा तय की जिसे 'वोडका' कहा जाने लगा.

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गुइलिन

गुइलिन का एक नज़ारा चीन के गुआंगशी प्रान्त में गुइलिन (पीले रंग वाला विभाग) गुइलिन (桂林, Guilin) जनवादी गणराज्य चीन के दक्षिण में स्थित गुआंगशी प्रांत के पूर्वोत्तरी भाग में ली नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित एक विभाग का दर्जा रखने वाले शहर का नाम है। चीनी भाषा में इस शहर के नाम का मतलब 'सिलंग के वन' है क्योंकि इस नगर में बहुत से सिलंग के बेहद ख़ुशबूदार फूलों वाले वृक्ष पाए जाते हैं। .

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आष्टा,मध्यप्रदेश

आष्टा,भारत में मध्य प्रदेश राज्य के सीहोर जिले में स्थित एक शहर और एक नगर पालिका है। .

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आहार और आहारविद्या

आहार जीवन का आधार है। प्रत्येक प्राणी के जीवन के लिए आहार आवश्यक है। अत्यंत सूक्ष्म जीवाणु से लेकर बृहत्काय जंतुओं, मनुष्यों, वृक्षों तथा अन्य वनस्पतियों को आहार ग्रहण करना पड़ता है। वनस्पतियाँ अपना आहार पृथ्वी और वायु से क्रमश: अकार्बनिक लवण और कार्बन डाईआक्साइड के रूप में ग्रहण करती हैं। सूर्य के प्रकाश में पौधे इन्हीं से अपने भीतर उपयुक्त कार्बोहाइड्रेड, वसा और अन्य पदार्थ तैयार कर लेते हैं। मनुष्य तथा जंतु अपना आहार वनस्पतियों तथा जांतव शरीरों से प्राप्त करते हैं। इस प्रकार उनको बना बनाया आहार मिल जाता है, जिसके अवयव उन्हीं अकार्बनिक मौलिक तत्वों से बने होते हें जिनको वनस्पतियाँ पृथ्वी तथा वायु से ग्रहण करती हैं। अतएव जांतव वर्ग के लिए वृक्ष ही भोजन तैयार करते हैं। कुछ वनस्पतियों का औषधियों के रूप में भी प्रयोग होता है। आहार या भोजन के तीन उद्देश्य हैं: (1) शरीर को अथवा उसके प्रत्येक अंग को क्रिया करने की शक्ति देना, (2) दैनिक क्रियाओं में ऊतकों के टूटने फूटने से नष्ट होनेवाली कोशिकाओं का पुनर्निर्माण और (3) शरीर को रोगों से अपनी रक्षा करने की शक्ति देना। अतएव स्वास्थ्य के लिए वही आहार उपयुक्त है जो इन तीनों उद्देश्यों को पूरा करे। .

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आहारीय लौह

आहारीय लौह की आवश्यकता लाल रक्त कोशिकाओं का हिमोग्लोबिन बनाने के लिए होती है। फ़ेफ़डों से शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाने के लियें भी यही सहायक होती है। शरीर का कुछ लौह तत्त्व यकृत में भंडार हो जाता है। विटामिन बी के चयापचय के लिए भी लौह आवश्यक होता है। लिंग और शरीर की क्रियात्मक स्थिति के अनुसार दैनिक आहार में केवल २-४ मि.ग्रा.

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आहारीय कैल्शियम

कैल्शियम एक भौतिक तत्त्व है। यह जीवित प्राणियों के लिए अत्यावश्यक होता है। भोजन में इसकी समुचित मात्र होनी चाहिए। खाने योग्य कैल्शियम दूध सहित कई खाद्य पदार्थो में मिलती है। खान-पान के साथ-साथ कैल्शियम के कई औद्योगिक इस्तेमाल भी हैं जहां इसका शुद्ध रूप और इसके कई यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है। आवर्त सारिणी में कैल्शियम का अणु क्रमांक 20 है और इसे अंग्रेजी शब्दों ‘सीए’ से इंगित किया गया है। 1808 में सर हम्फ्री डैवी ने इसे खोजा था। उन्होंने इसे कैल्शियम क्लोराइड से अलग किया था। कैल्शियम का नाम लातिन भाषा के शब्द ‘काल्क्स’ पर रखा गया है जिसका मतलब है चूना पत्थर जिसमें बड़ी मात्र में कैल्शियम पाया जाता है। पौधों में भी कैल्शियम पाया जाता है। हडिडयों और दांतों के बनाने और रख-रखाव के लिए, मांसपेशियों के सामान्य संकुचन के लिए हृदय की गति को नियमित करने के लिए और रक्त की क्लॉटिंग करने के लिए यह आवश्यक होता है। कैल्शियम जीवन-शक्ति और सहनशीलता बढाता है, कोलेस्ट्रांल स्तरों का नियमन करता है, स्नायुओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है अरुअ रजोधर्म विषयक दर्दों के लिए ठीक है। एन्जाइम की गतिविधि के लिए कैल्शियम की आवश्यकता है। हृदय-संवहनी के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम मैग्नेशियम के साथ काम करता है। रक्त के जमाव के द्वारा यह घावों को शीघ्र भरता है। कुछ कैसर के विरुद्ध भी यह सहायक होती है। गर्भवती महिलाओं, 60 से अधिक उम्र के पुरुषों, 45 से अधिक उम्र की स्त्रियों, धूम्रपान करने वालों और अधिक मदिरापान वालों को कैल्शियम का खतरा रहता है। बच्चों में सूखा रोग कैल्शियम की कमी का लक्षण है। विविटामिन 'डी' ‘डी’ की विशेष रूप से आवश्यकता कैल्शियम के समावेशन के लिए होती है। विटामिन ‘सी’ भी कैल्शियम के समावेशन में सुधार लाता है। सम्पूरक के रूप में कैल्शियम कार्बोनेट भोजन के साथ अधिक अच्छे ढंग से समावेशित होता है। .

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क्यूशू

जापान का क्यूशू द्वीप (लाल रंग में, जिसके अन्दर प्रान्त दिखाए गए हैं) बॅप्पु के गरम पानी के चश्मों से उठती हुई भाप क्यूशू का नक़्शा क्यूशू (जापानी: 九州, "नौ प्रान्त") जापान के चारों मुख्य द्वीपों में से तीसरा सब से बड़ा और सब से दक्षिणपश्चिमी द्वीप है। कुल मिलकर क्यूशू का क्षेत्रफल ३५,६४० वर्ग किमी है और इसकी जनसँख्या सन् २००६ में १,३२,३१,९९५ थी। यह होन्शू और शिकोकू द्वीपों के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। प्राचीनकाल में क्यूशू को कुछ अन्य नामों से भी बुलाया जाता था, जैसे के क्यूकोकु (九国, "नौ राज्य"), चिनज़इ (鎮西, "अधिकृत क्षेत्र से पश्चिम") और त्सुकुशी-नो-शीमा (筑紫島,"त्सुकुशी का द्वीप")। क्यूशू और इसके इर्द-गिर्द के छोटे द्वीपों को इतिहास में साऍकाऍदो (西海道, "पश्चिमी समुद्री घेरा") भी बुलाया जाता था। .

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कृषि

कॉफी की खेती कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से संबंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कृषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है तथा इसी से संबंधित विषय बागवानी का अध्ययन बागवानी (हॉर्टिकल्चर) में किया जाता है। तकनीकों और विशेषताओं की बहुत सी किस्में कृषि के अन्तर्गत आती है, इसमें वे तरीके शामिल हैं जिनसे पौधे उगाने के लिए उपयुक्त भूमि का विस्तार किया जाता है, इसके लिए पानी के चैनल खोदे जाते हैं और सिंचाई के अन्य रूपों का उपयोग किया जाता है। कृषि योग्य भूमि पर फसलों को उगाना और चारागाहों और रेंजलैंड पर पशुधन को गड़रियों के द्वारा चराया जाना, मुख्यतः कृषि से सम्बंधित रहा है। कृषि के भिन्न रूपों की पहचान करना व उनकी मात्रात्मक वृद्धि, पिछली शताब्दी में विचार के मुख्य मुद्दे बन गए। विकसित दुनिया में यह क्षेत्र जैविक खेती (उदाहरण पर्माकल्चर या कार्बनिक कृषि) से लेकर गहन कृषि (उदाहरण औद्योगिक कृषि) तक फैली है। आधुनिक एग्रोनोमी, पौधों में संकरण, कीटनाशकों और उर्वरकों और तकनीकी सुधारों ने फसलों से होने वाले उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है और साथ ही यह व्यापक रूप से पारिस्थितिक क्षति का कारण भी बना है और इसने मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। चयनात्मक प्रजनन और पशुपालन की आधुनिक प्रथाओं जैसे गहन सूअर खेती (और इसी प्रकार के अभ्यासों को मुर्गी पर भी लागू किया जाता है) ने मांस के उत्पादन में वृद्धि की है, लेकिन इससे पशु क्रूरता, प्रतिजैविक (एंटीबायोटिक) दवाओं के स्वास्थ्य प्रभाव, वृद्धि हॉर्मोन और मांस के औद्योगिक उत्पादन में सामान्य रूप से काम में लिए जाने वाले रसायनों के बारे में मुद्दे सामने आये हैं। प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर भोजन, रेशा, ईंधन, कच्चा माल, फार्मास्यूटिकल्स और उद्दीपकों में समूहित किया जा सकता है। साथ ही सजावटी या विदेशी उत्पादों की भी एक श्रेणी है। वर्ष 2000 से पौधों का उपयोग जैविक ईंधन, जैवफार्मास्यूटिकल्स, जैवप्लास्टिक, और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जा रहा है। विशेष खाद्यों में शामिल हैं अनाज, सब्जियां, फल और मांस। रेशे में कपास, ऊन, सन, रेशम और सन (फ्लैक्स) शामिल हैं। कच्चे माल में लकड़ी और बाँस शामिल हैं। उद्दीपकों में तम्बाकू, शराब, अफ़ीम, कोकीन और डिजिटेलिस शामिल हैं। पौधों से अन्य उपयोगी पदार्थ भी उत्पन्न होते हैं, जैसे रेजिन। जैव ईंधनों में शामिल हैं मिथेन, जैवभार (बायोमास), इथेनॉल और बायोडीजल। कटे हुए फूल, नर्सरी के पौधे, उष्णकटिबंधीय मछलियाँ और व्यापार के लिए पालतू पक्षी, कुछ सजावटी उत्पाद हैं। 2007 में, दुनिया के लगभग एक तिहाई श्रमिक कृषि क्षेत्र में कार्यरत थे। हालांकि, औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद से कृषि से सम्बंधित महत्त्व कम हो गया है और 2003 में-इतिहास में पहली बार-सेवा क्षेत्र ने एक आर्थिक क्षेत्र के रूप में कृषि को पछाड़ दिया क्योंकि इसने दुनिया भर में अधिकतम लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। इस तथ्य के बावजूद कि कृषि दुनिया के आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों की रोजगार उपलब्ध कराती है, कृषि उत्पादन, सकल विश्व उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद का एक समुच्चय) का पांच प्रतिशत से भी कम हिस्सा बनता है। .

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कृषि जिंसों के सबसे बड़े उत्पादक देशों की सूची

प्रमुख कृषि उत्पादों को मोटे तौर पर खाद्य पदार्थ, फाइबर, ईंधन और कच्चे माल में बांटा जा सकता है। .

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केन्सास

अमेरिका में स्थिति केन्सास मध्य-पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित राज्य है। कान्सास का नाम मूल अमरीकी जनजाति कंसा के नाम पर रखा गया है जो कि इस क्षेत्र में निवास करते थे। पहले यूरोपीय अमेरिकी लोग 1812 में आकर केन्सास में बसे। जब 1854 में अमेरिकी सरकार द्वारा इसे आधिकारिक रूप से औपनिवेशीकरण के लिये खोला गया, तो लोग न्यू इंग्लैंड और पड़ोसी मिसौरी से तेजी से बसना शुरू हुए। 29 जनवरी 1861 को कान्सास ने राज्य के रूप में संघ में प्रवेश किया। गृहयुद्ध के बाद, कैनसस की आबादी तेजी से बढ़ी जब प्रवासियों की लहरों ने प्रेरियों को खेत में बदल दिया। 2015 तक, कैनसस सबसे अधिक उत्पादकता वाले कृषि राज्यों में से एक था, जो कि गेहूँ मक्का, ज्वार और सोयाबीन की उच्च पैदावार पैदा करता है। केन्सास क्षेत्र के अनुसार 15वां सबसे बड़ा राज्य है और 29,11,641 की आबादी के साथ 34वां सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। अंग्रेजी अधिकारिक भाषा है जो कि लगभग 91% जनता द्वारा मातृभाषा के रूप में बोली जाती है। ईसाई धर्म के प्रोटेस्टैंट सम्प्रदाय को सबसे ज्यादा माना जाता है। .

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केसीन

गरम करने के बाद दूध से केसीन का विकृतीकरण (Denaturation) एवं अवक्षेपण केसीन स्तनधारी प्राणियों के दूध में पाया जानेवाली फ़ास्फोप्रोटीन है जो कैल्सियम कै सीनेट के रूप में रहता है। इसके अलावा सोयाबीन में भी केसीन पर्याप्त मात्रा में होता है। इसमें लगभग १५ ऐमीनो अम्ल पाए जाते हैं। इसका रंग सफेद से लेकर पीला तक होता है। केसीन, तनु क्षारों और सांद्र अम्लों में विलेय और जल में अविलेय है। अम्ल से अवक्षेपित केसीन कागज पर विलेपन करने, सरेसों (फाइबर्स), पेटों, आसंजकों (Adhedives), वस्त्रोद्योग और खाद्य पदार्थों में काम आता है। श्रेणी:दूध.

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कोरिया का इतिहास

बुलगुक्सा मंदिर यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किया गया है। कोरिया, पूर्वी एशिया में मुख्य स्थल से संलग्न एक छोटा सा प्रायद्वीप जो पूर्व में जापान सागर तथा दक्षिण-पश्चिम में पीतसागर से घिरा है (स्थिति: ३४० ४३ उ. अ. से १२४० १३१ पू. दे.)। उसके उत्तरपश्चिम में मंचूरिया तथा उत्तर में रूस की सीमाएँ हैं। यह प्रायद्वीप दो खंडों में बँटा हुआ है। उत्तरी कोरिया का क्षेत्रफल १,२१,००० वर्ग किलोमीटर है। इसकी राजधनी पियांगयांग है। दक्षिणी कोरिया का क्षेत्रफल ९८,००० वर्ग किलोमीटर है। यहाँ पर ई. पू.

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छोटी सादड़ी

छोटी सादड़ी भौगोलिक स्थिति: 24 डिग्री 23 मिनट उत्तर अक्षांश एवं 72 डिग्री 43 मिनट पूर्वी देशान्तर। राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले का एक नगर और सन २००८ से उपखंड मुख्यालय है। भूतपूर्व उदयपुर रियासत के दौरान छोटी सादड़ी जिले का प्रधान क़स्बा था। यह प्राचीन क़स्बा उदयपुर से 66 मील दूर पूर्व-दक्षिण-पूर्व में स्थित है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी ४५ किलोमीटर है। उपजाऊ काली मिट्टी का यह क्षेत्र अफीम, सोयाबीन और कपास के लिए प्रसिद्ध है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

सोय, सोयावीन

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