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सूचकाक्षर

सूची सूचकाक्षर

बोलने तथा लिखने में सुविधा और समय तथा श्रम की बचत करने के उद्देश्य से कभी-कभी किसी बड़े अथवा क्लिष्ट शब्द के स्थान पर उस शब्द के किसी ऐसे सरल, सुबोध एवं संक्षिप्त रूप का प्रयोग किया जाता है जिससे श्रोताओं और पाठकों को पूरे शब्द (या मूल शब्द) का बोध सरलता से हो जाए। शब्दों के ऐसे संक्षिप्त रूप को सूचकाक्षर (याने ऐब्रिविएशन, Abbreviationing) कहते हैं। बड़े अथवा क्लिष्ट शब्दों को संक्षिप्त या सरल बनाने की इस क्रिया में प्राय: मूल शब्द के प्रथम दो, तीन या अधिक अक्षर और यदि मूल शब्द (नाम) कई शब्दों के मेल से बना हो तो उन शब्दों के प्रथम अक्षर लेकर उन्हें अलग-अलग अक्षरों या एक स्वतंत्र शब्द के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इस प्रकार बनाए गए सूचकाक्षरों का प्रयोग कभी-कभी इतना अधिक होने लगता है कि मूल शब्द का प्रयोग प्राय: बिल्कुल ही बंद हो जाता है और सूचकाक्षर लिखित भाषा का अंग बनकर उस मूल शब्द का रूप ले लेता है। इसका एक सरल उदाहरण "यूनेस्को" है जो वस्तुत: "यूनाइटेड नेशंस एज्युकेशनल, साइंटिफिक ऐंड कल्चरल आर्गेनिजेशन" इस लंबे नाम में प्रयुक्त पाँच मुख्य शब्दों के प्रथम अक्षरों के मेल से बना है। इसी प्रकार अंग्रेजी में एक बहुप्रचलित शब्द "मिस्टर" (Mister) है, जिसे शायद ही कभी पूरे रूप में लिखा जाता हो। जब कभी किसी भी प्रसंग में उक्त शब्द लिखना होता है तो पूरा शब्द न लिखकर केवल उसके सूचकाक्षर Mr.

1 संबंध: भारतीय विदेश सेवा

भारतीय विदेश सेवा

भारतीय विदेश मन्त्रालय के कार्य को चलाने के लिए एक विशेष सेवा वर्ग का निर्माण किया गया है जिसे भारतीय विदेश सेवा (Indian Foreign Service I.F.S.) कहते हैं। यह भारत के पेशेवर राजनयिकों का एक निकाय है। यह सेवा भारत सरकार की केंद्रीय सेवाओं का हिस्सा है। भारत के विदेश सचिव भारतीय विदेश सेवा के प्रशासनिक प्रमुख होते हैं। भारतीय राजनय अब संभ्रान्त परिवारों, राजा-रजवाड़ों, सैनिक अफसरों आदि तक ही सीमित न रहकर सभी के लिए खुल गया है। सामान्य नागरिक अपनी योग्यता और शिक्षा के आधार पर इस सेवा का सदस्य बन सकता है। सन 1947-1948 की विशेष संकटकालीन भरती के अलावा विदेश सेवा के लिये चुनाव एक विशेष परीक्षा व साक्षात्कार द्वारा किया जाता है। चुनाव हो जाने के पश्चात् इन्हें एक विशेष प्रशिक्षण के लिये भेजा जाता है, जो कई भागों में पूरा होता है। इसमें शैक्षणिक विषयों का ज्ञान, विदेश भाषा की शिक्षा, एक माह के लिये विदेश दूतावास में व्यापार की शिक्षा और राष्टंमण्डल के विदेश सेवा अधिकारी प्रशिक्षण केन्द्र में डेढ़ माह का प्रशिक्षण दिया जाता है। तत्पश्चात् ही इनकी किसी विदेश दूतावास में नियुक्ति होती है। इस प्रकार प्रशिक्षित व्यावसायिक राजदूतों के अलावा सरकार समय-समय पर गैर-व्यावसायिक राजनीतिज्ञों सैनिकों, खिलाड़ियों आदि को भी राजदूत नियुक्त करती है। दूतावास में अताशों की भी नियुक्ति की जाती है। प्रधानमन्त्री कभी-कभी विशेष परिस्थितियों में अपने व्यक्तिगत प्रतिनिधि विशेष दूत अथवा घूमने वाले राजदूत (Roving Ambassador) को भी भेज सकता है। विदेश सेवा बोर्ड राजनयिक, व्यापारी एवं वाणिज्य ओर दूतावासों में अधिकारियों की नियुक्ति, उनका स्थानान्तरण और पदोन्नति के कार्य करता है। .

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