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सूक्ष्मतरंग

सूची सूक्ष्मतरंग

माइक्रोवेव टॉवर सूक्ष्मतरंगें (माइक्रोवेव) वो विद्युतचुम्बकीय तरंगें हैं जिनकी तरंगदैर्घ्य १ मीटर से लेकर १ मिलीमीटर के बीच हो। दूसरे शब्दों में, इनकी आवृति 300 MHz (मेगाहर्ट्ज) से लेकर 300 GHz बीच होती है। यह परिभाषा व्यापक रूप से दोनों परा उच्च आवृति (UHF) और अत्यधिक उच्च आवृति (EHF) (मिलीमीटर तरंग) को शामिल करती है। भिन्न-भिन्न स्रोत, विभिन्न सीमाओं का उपयोग करते हैं। .

13 संबंधों: पृथक्कारक (माइक्रोवेव), मैग्नेट्रॉन, मेसर, रडार, शुक्र, सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक, सूक्ष्मतरंग चूल्हा, जल (अणु), विल्किनसन सूक्ष्मतरंग शोधयान, खाद्य प्रसंस्करण, खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण, इलेक्ट्रॉन साइक्लोट्रॉन अनुनाद, इलेक्ट्रॉनिक अवयव

पृथक्कारक (माइक्रोवेव)

एक प्रकार का माइक्रोवेव पृथकारक माइक्रोवेव के सन्दर्भ में, पृथक्कारक (आइसोलेटर) एक द्वि-प्रद्वार (two port) युक्ति है जो माइक्रोवेव या रेडियो आवृत्ति की शक्ति को एक ही दिशा में गमन करने देता है, दूसरी दिशा में नहीं। श्रेणी:माइक्रोवेव.

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मैग्नेट्रॉन

सूक्ष्मतरंग भट्ठी (माइक्रोवेव ओवेन) में लगने वाला मैग्नेट्रॉन; इसमें हीटसिंक एवं असेम्ब्ली के अन्य साधन भी जुड़े हुए हैं। मैग्नेट्रॉन का कटा हुआ चित्र; इसमें चुम्बक को नहीं दिखाया गया है (निकाल दिया गया है)। मैग्नेट्रॉन अधिक शक्ति की सूक्ष्मतरंगें पैदा करने वाली एक निर्वात नलिका (वैक्युम ट्यूब) है। इसमें एलेक्ट्रॉनों की धारा (स्ट्रीम) पर चुम्बकीय क्षेत्र की संक्रिया से सूक्ष्मतरंगें उत्पन्न की जातीं हैं। आजकल इनका उपयोग माइक्रोवेव ओवेन, एवं रडार के विभिन्न रूपों में प्रयुक्त होती है। .

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मेसर

एक हाइड्रोजन रेडियो आवृति निरावेशन, हाइड्रोजन मेसर में प्रथम तन्तु (विवरण के लिए नीचे देखें) मेसर एक ऐसा यन्त्र है जो उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रवर्धन के माध्यम से सम्बंद्ध् विद्युतचुम्बकीय तरंगे उत्पन्न करता है। ऐतिहासिक रूप से यह परिवर्णी (संक्षिप्त) नाम मेसर (MESAR) से व्युत्पन्न होता है जिसका अर्थ विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा सूक्ष्मतरंग प्रवर्धन (Microwave Amplification by Stimulated Emission of Radiation) है। .

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रडार

रडार तंत्र के विभिन्न भाग रडार (Radar) वस्तुओं का पता लगाने वाली एक प्रणाली है जो सूक्ष्मतरंगों का उपयोग करती है। इसकी सहायता से गतिमान वस्तुओं जैसे वायुयान, जलयान, मोटरगाड़ियों आदि की दूरी (परास), ऊंचाई, दिशा, चाल आदि का दूर से ही पता चल जाता है। इसके अलावा मौसम में तेजी से आ रहे परिवर्तनों (weather formations) का भी पता चल जाता है। 'रडार' (RADAR) शब्द मूलतः एक संक्षिप्त रूप है जिसका प्रयोग अमेरिका की नौसेना ने १९४० में 'रेडियो डिटेक्शन ऐण्ड रेंजिंग' (radio detection and ranging) के लिये प्रयोग किया था। बाद में यह संक्षिप्त रूप इतना प्रचलित हो गया कि अंग्रेजी शब्दावली में आ गया और अब इसके लिये बड़े अक्षरों (कैपिटल) का इस्तेमाल नहीं किया जाता। .

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शुक्र

शुक्र (Venus), सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है। ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है। इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक पहुँच जाता है और यह छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्जवलता है। चूँकि शुक्र एक अवर ग्रह है इसलिए पृथ्वी से देखने पर यह कभी सूर्य से दूर नज़र नहीं आता है: इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है। शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में संदर्भित किया गया है। शुक्र एक स्थलीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत है और समान आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना के कारण कभी कभी उसे पृथ्वी का "बहन ग्रह" कहा गया है। शुक्र आकार और दूरी दोनों मे पृथ्वी के निकटतम है। हालांकि अन्य मामलों में यह पृथ्वी से एकदम अलग नज़र आता है। शुक्र सल्फ्यूरिक एसिड युक्त अत्यधिक परावर्तक बादलों की एक अपारदर्शी परत से ढँका हुआ है। जिसने इसकी सतह को दृश्य प्रकाश में अंतरिक्ष से निहारने से बचा रखा है। इसका वायुमंडल चार स्थलीय ग्रहों मे सघनतम है और अधिकाँशतः कार्बन डाईऑक्साइड से बना है। ग्रह की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी की तुलना मे 92 गुना है। 735° K (462°C,863°F) के औसत सतही तापमान के साथ शुक्र सौर मंडल मे अब तक का सबसे तप्त ग्रह है। कार्बन को चट्टानों और सतही भूआकृतियों में वापस जकड़ने के लिए यहाँ कोई कार्बन चक्र मौजूद नही है और ना ही ज़ीवद्रव्य को इसमे अवशोषित करने के लिए कोई कार्बनिक जीवन यहाँ नज़र आता है। शुक्र पर अतीत में महासागर हो सकते हैलेकिन अनवरत ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान के साथ वह वाष्पीकृत होते गये होंगे |B.M. Jakosky, "Atmospheres of the Terrestrial Planets", in Beatty, Petersen and Chaikin (eds), The New Solar System, 4th edition 1999, Sky Publishing Company (Boston) and Cambridge University Press (Cambridge), pp.

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सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक

सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक (active galactic nucleus) या स॰गै॰ना॰ (AGN) किसी गैलेक्सी के केन्द्र में ऐसा एक संकुचित क्षेत्र होता है जिसमें असाधारण तेजस्विता हो। यह विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के पूर्ण या ऐसे भाग में हो सकता है जिस से स्पष्ट हो जाए कि इस तेजस्विता का स्रोत केवल तारे नहीं हो सकते। इस प्रकार का विकिरण रेडियो, सूक्ष्मतरंग (माइक्रोवेव), अवरक्त (इन्फ़्रारेड), प्रत्यक्ष (ओप्टीकल), पराबैंगनी (अल्ट्रावायोलेट), ऍक्स किरण और गामा किरण के तरंगदैर्घ्य में पाया गया है। सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक रखने वाली गैलेक्सी को सक्रीय गैलेक्सी (active galaxy) कहा जाता है। खगोलशास्त्रियों का मानना है कि सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक से उत्पन्न होने वाला विकिरण ऐसी गैलेक्सियों के केन्द्र में उपस्थित विशालकाय ब्लैक होल के इर्द-गिर्द एकत्रित होने वाले पदार्थ से पैदा होता है। अक्सर ऐसे सक्रीय गैलेक्सीय नाभिकों से मलबे के विशालकाय खगोलभौतिक फौवारे निकलते हुए दिखते हैं, मसलन ऍम87 नामक सक्रीय गैलेक्सी के नाभिक से एक 5000 प्रकाशवर्ष लम्बा फौवारा निकलता हुआ देखा जा सकता है। बहुत ही भयंकर तेजस्विता रखने वाले सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक को क्वेसार (quasar) कहते हैं। .

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सूक्ष्मतरंग चूल्हा

एक सूक्ष्मतरंग चूल्हा मैग्नेट्रॉन का विद्युत परिपथ: इसके लिये उच्च वोल्टता (४०००-५००० वोल्ट) की आवश्यकता होती है।) सूक्ष्मतरंग चूल्हा, या माइक्रोवेव चूल्हा एक रसोईघर उपकरण है जो कि खाना पकाने और खाने को गर्म करने के काम आता है। इस कार्य के लिये यह चूल्हा द्विविद्युतीय (dielectric) उष्मा का प्रयोग करता है। यह खाने के भीतर उपस्थित पानी और अन्य ध्रुवीय अणुओं को सूक्ष्मतरंग विकिरण का उपयोग करके गर्म करता है। यह गर्मी पूरे भोजन मे काफी हद तक समान रूप से फैलती है (मोटी वस्तुओं को छोड़कर)। यह सुविधा किसी भी अन्य उष्मीय तकनीक में उपलब्ध नहीं होती है। मैग्नेट्रॉन इसका मुख्य अवयव है जो सूक्ष्मतरंगे पैदा करता है। सूक्ष्मतरंग चूल्हा खाने को जल्दी, कुशलतापूर्वक और सुरक्षित रूप से गर्म करता है, लेकिन एक पारंपरिक तंदूर की तरह भोजन को भूनता या सेंकता नहीं है इस कारण यह कुछ खाद्य पदार्थों को पकाने या कुछ प्रभावों को प्राप्त करने के लिए अनुपयुक्त माना जाता है। सूक्ष्मतरंग चूल्हे मे खाना पकाना कई सुरक्षा मुद्दों से जुडा़ है, जैसे चूल्हे के बाहर सूक्ष्मतरंग विकिरण का रिसाव और आग का खतरा क्योंकि यह उच्च तापमान का प्रयोग करता है। एक प्रमुख दृष्टिकोण है कि यह भोजन, की गुणवत्ता को घटाता है शायद इसका कारण इसके साथ जुडा़ शब्द विकिरण है लेकिन वास्तव मे इसमे पका खाना उतना ही सुरक्षित होता है जितना किसी अन्य स्रोत से पका खाना। सूक्ष्मतरंग चूल्हे ने भोजन तैयार करने मे क्रान्तिकारी परिवर्तन किया है और आज यह हर घर की आवश्यकता बन गये हैं। .

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जल (अणु)

जल पृथ्वी की सतह पर सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला अणु है, जो इस ग्रह की सतह के 70% का गठन करता है। प्रकृति में यह तरल, ठोस और गैसीय अवस्था में मौजूद है। मानक दबावों और तापमान पर यह तरल और गैस अवस्थाओं के बीच गतिशील संतुलन में रहता है। घरेलू तापमान पर, यह तरल रूप में हल्की नीली छटा वाला बेरंग, बेस्वाद और बिना गंध का होता है। कई पदार्थ, जल में घुल जाते हैं और इसे सामान्यतः सार्वभौमिक विलायक के रूप में सन्दर्भित किया जाता है। इस वजह से, प्रकृति में मौजूद जल और प्रयोग में आने वाला जल शायद ही कभी शुद्ध होता है और उसके कुछ गुण, शुद्ध पदार्थ से थोड़ा भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, ऐसे कई यौगिक हैं जो कि अनिवार्य रूप से, अगर पूरी तरह नहीं, जल में अघुलनशील है। जल ही ऐसी एकमात्र चीज़ है जो पदार्थ की सामान्य तीन अवस्थाओं में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है - अन्य चीज़ों के लिए रासायनिक गुण देखें. पृथ्वी पर जीवन के लिए जल आवश्यक है। जल आम तौर पर, मानव शरीर के 55% से लेकर 78% तक का निर्माण करता है। .

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विल्किनसन सूक्ष्मतरंग शोधयान

विल्किनसन शोधयान का चित्र विल्किनसन सूक्ष्मतरंग शोधयान (अंग्रेज़ी: Wilkinson Microwave Anisotropy Probe, विल्किनसन माइक्रोवेव आइनाइसोट्रोपी प्रोब), जिसे WMAP भी कहा जाता है, एक अंतरिक्ष शोध यान है जो अंतरिक्ष में जगह-जगह झाँककर बिग बैंग धमाके से उत्पन्न हुए सूक्ष्मतरंगी विकिरण (माइक्रोवेव रेडियेशन) को मापता है। .

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खाद्य प्रसंस्करण

खाद्य प्रसंस्करण घर या खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में मानव या पशुओं के उपभोग के लिए कच्चे संघटकों को खाद्य पदार्थ में बदलने या खाद्य पदार्थों को अन्य रूपों में बदलने के लिए प्रयुक्त विधियों और तकनीकों का सेट है। आम तौर पर खाद्य प्रसंस्करण में साफ़ फसल या कसाई द्वारा काटे गए पशु उत्पादों को लिया जाता है और इनका उपयोग आकर्षक, विपणन योग्य और अक्सर दीर्घ शेल्फ़-जीवन वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन के लिए किया जाता है। पशु चारे के उत्पादन के लिए भी इसी तरह की प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण के चरम उदाहरणों में शामिल हैं शून्य गुरुत्वाकर्षण के तहत खपत के लिए घातक फुगु मछली का बढ़िया व्यंजन या आकाशीय आहार तैयार करना। .

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खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण

बिग बैंग के धमाके का सबूत माना जाता है खगोलशास्त्र में खगोलीय पार्श्व सूक्ष्मतरंगी विकिरण (ख॰पा॰सू॰वि॰, अंग्रेज़ी: cosmic microwave background radiation, कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड रेडियेशन) उस विकिरण (रेडियेशन) को बोलते हैं जो पृथ्वी से देखे जा सकने वाले ब्रह्माण्ड में बराबर स्तर से हर और फैली हुई है। आम प्रकाश देखने वाली दूरबीन से आकाश में कुछ जगह वस्तुएँ (जैसे ग्रह, गैलेक्सियाँ, वग़ैराह) दिखाई देती हैं और अन्य जगहों पर अँधेरा। लेकिन सूक्ष्मतरंग (माइक्रोवेव) माप सकने वाले रेडिओ दूरबीन (रेडीओ टेलिस्कोप) से देखा जाए तो हर दिशा में एक हलकी सूक्ष्म्तरंगी लालिमा फैली हुई है। वैज्ञानिक मानते हैं के यह ख॰पा॰सू॰वि॰ बिग बैंग सिद्धांत का सबूत देता है। अरबों साल पहले, जब ब्रह्माण्ड पैदा हुआ था उसके फ़ौरन बाद उसका अकार आज के मुक़ाबले में बहुत छोटा था और उसमें खौलती हुई हाइड्रोजन की प्लाज़्मा गैस फैली हुई थी। उस गैस की उर्जा से जो फ़ोटोन (प्रकाश या सूक्ष्मतरंग के कण) पैदा हुए थे वे तब से ब्रह्माण्ड में इधर-उधर घूम रहे हैं और वही हम आज ख॰पा॰सू॰वि॰ के रूप में देखते हैं। .

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इलेक्ट्रॉन साइक्लोट्रॉन अनुनाद

इलेक्ट्रॉन साइक्लोट्रॉन अनुनाद (Electron cyclotron resonance या ECR) नामक परिघटना (phenomenon) प्लाज्मा भौतिकी, संघनित पदार्थ भौतिकी (condensed matter physics) तथा त्वरक भौतिकी देखने को मिलती है। इसमें नियत चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान इलेक्ट्रॉनों द्वारा विद्युतचुम्बकीय तरंगों का अनुनादी अवशोषण होता है। इस नाम में 'साइक्लोट्रॉन' आया है जिसका कारण यह है कि यहाँ इलेक्ट्रान की आवृत्ति का सूत्र वही है जो साइक्लोट्रॉन में होती है। प्लाज्मा में इलेक्ट्रॉन साइक्लोट्रॉन अनुनाद का उपयोग करके इलेक्ट्रानों की गतिज ऊर्जा में वृद्धि की जाती है जिससे प्लाज्मा की ऊर्जा में वृद्धि होती है और प्लाज्मा का ताप बढ़ जाता है। मुक्त इलेक्ट्रानों का साइक्लोट्रान अनुनाद ही गाइरोट्रॉन (gyrotron) के कार्य करने का आधार है। यही सिद्धान्त मैग्नेट्रॉन (magnetron) के कार्य का भी आधार है। गाइरोट्रॉन और मैग्नेट्रॉन दोनो ही शक्तिशाली माइक्रोवेव जनित्र हैं। इसके अलावा आवेशित कणों के साइक्लोट्रॉन अनुनाद के अनेकों उपयोग हैं। .

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इलेक्ट्रॉनिक अवयव

कुछ प्रमुख '''इलेक्ट्रॉनिक अवयव''' जिन विभिन्न अवयवों का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक परिपथ (जैसे- आसिलेटर, प्रवर्धक, पॉवर सप्लाई आदि) बनाये जाते हैं उन्हें इलेक्ट्रॉनिक अवयव (electronic component) कहते हैं इलेक्ट्रॉनिक अवयव दो सिरे वाले, तीन सिरों वाले या इससे अधिक सिरों वाले होते हैं जिन्हें सोल्डर करके या किसी अन्य विधि से (जैसे स्क्रू से कसकर) परिपथ में जोड़ा जाता है। प्रतिरोधक, प्रेरकत्व, संधारित्र, डायोड, ट्रांजिस्टर (या बीजेटी), मॉसफेट, आईजीबीटी, एससीआर, प्रकाश उत्सर्जक डायोड, आपरेशनल एम्प्लिफायर एवं अन्य एकीकृत परिपथ आदि प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक अवयव हैं। प्रमुख एलेक्ट्रॉनिक अवयवों के प्रतीक .

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