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सुमात्रा

सूची सुमात्रा

सुमात्रा इंडोनिशया देश का एक द्वीप है। मलय द्वीप समूहों में यह सबसे बड़ा है और मलाया जलसंधि (मेलक्का) के ठीक पश्चिम में स्थित है। यह उन द्वीपों में सबसे बड़ा है जिस पर इंडोनेशिया का संपूर्ण राजनैतिक शासन है। इसके अतिरिक्त यह दुनिया का ६ठा सबसे बड़ा द्वीप है। अंदमान तथा जावा द्वीपों के बीच स्थित इन द्वीपों का आकार लंबाई में खिंचा हुआ और उत्तरपश्चिम से दक्षिणपूर्व की ओर है। पश्चिमी तट के निकट बरिसान पहाड़याँ हैं जिनमे कुछ ज्वालामुखी भी हैं। साल २००४ में यहाँ सुनामी की वजह से बहुत तबाही हुई थी। श्रेणी:हिन्द महासागर के द्वीप श्रेणी:बृहत्तर सुन्दा द्वीपसमूह * श्रेणी:इण्डोनेशिया के द्वीप.

98 संबंधों: चामी भाषाएँ, चोल राजवंश, चीड़, एनी बेसेन्ट, एशिया की संकटापन्न भाषाओं की सूची, एशियाई हाथी, डार्टर, डिएगो गार्सिया, तमिल नाडु, ताड़ का तेल, तोबा झील, दही (योगहर्ट या योगर्ट), दक्षिण सुमात्रा, दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म, दॉंग येन चाओ शिलालेख, नरभक्षण, निगम (श्रेणी), निकोबार द्वीपसमूह, नेगेरी सेमबिलान, पदांग व्यंजन, पश्चिम सुमात्रा, पिनांग, प्रायद्वीपीय मलेशिया, प्राकृतिक आपदा, बटक तोबा भाषा, बतक लोग (फ़िलिपीन्ज़), बाताम, बान्दा आचेह, बायोम, बालि यात्रा, बांतेन, बांका-बेलितुंग द्वीपसमूह, बंदर मेलाका, बंगाल की खाड़ी, बुगिनी भाषा, बृहत्तर सुन्दा द्वीपसमूह, बेंकुलू, बोर्नियो, भारत में यूरोपीय आगमन, भारतीय नौसेनिक वायु स्टेशन बाज़, भूमध्य रेखा, मध्यकालीन भारत, मलय द्वीपसमूह, मानवेन्द्रनाथ राय, मिनंगकाबाऊ लोग, मूँगा (जीव), मेदान, मेलाका, यूटीसी+०७:००, रियाउ, ..., रियाउ द्वीपसमूह प्रांत, रैफ्लेशिया, लाम्पुंग, लार गिबन, सफ़ेद बाघ, सफेद पुट्ठे वाली मुनिया, साम्भर (हिरण), सिनाबंग पर्वत, सियामंग, सुन्दा चाप, सुन्दा ताक, सुन्दा जलसन्धि, सुन्दा गर्त, सुनीति कुमार चटर्जी, सुलावेसी, सुंदा द्वीप समूह, सेरी मेनांती, हाथी, जम्बी, जहाजरानी का इतिहास, जावा (द्वीप), जीवित जड़ सेतु, वनोन्मूलन, वरदा चक्रवात, विकीर्णन (डायसपोरा), खारे पानी के मगरमच्छ, गिबन, आचेह, आचेही भाषा, आम्बोन, मालुकू, आग, इत्सिंग, इंडोनेशिया में समय, इंडोनेशिया के प्रांत, कठपुतली, कपूर, कबाबचीनी, कराटे, कार भाषा, कारीमाता जलसन्धि, क्राकाटोआ, कैम्पबॅल बे, अचाइनीज भाषा, अगस्त्य, अंडमान सागर, उत्तर सुमात्रा, २००९, २०१० सूचकांक विस्तार (48 अधिक) »

चामी भाषाएँ

चामी भाषाएँ (Chamic languages) या आचेह-चामी भाषाएँ (Aceh–Chamic) दक्षिणपूर्वी एशिया के आचेह (जो इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप से सुदूर पश्चिम में स्थित एक राज्य है), कम्बोडिया, वियतनाम और हाइनान (चीन के दक्षिणपूर्व में स्थित एक द्वीप) में बोली जाने वाली कुछ भाषाओं का एक भाषा-परिवार है। इसका नाम चाम भाषा पर पड़ा है जो इस परिवार की सदस्य है। चामी भाषाएँ ऑस्ट्रोनीशियाई भाषा-परिवार की मलय-पोलेनीशियाई शाखा की एक उपशाखा है। .

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चोल राजवंश

चोल (तमिल - சோழர்) प्राचीन भारत का एक राजवंश था। दक्षिण भारत में और पास के अन्य देशों में तमिल चोल शासकों ने 9 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी के बीच एक अत्यंत शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया। 'चोल' शब्द की व्युत्पत्ति विभिन्न प्रकार से की जाती रही है। कर्नल जेरिनो ने चोल शब्द को संस्कृत "काल" एवं "कोल" से संबद्ध करते हुए इसे दक्षिण भारत के कृष्णवर्ण आर्य समुदाय का सूचक माना है। चोल शब्द को संस्कृत "चोर" तथा तमिल "चोलम्" से भी संबद्ध किया गया है किंतु इनमें से कोई मत ठीक नहीं है। आरंभिक काल से ही चोल शब्द का प्रयोग इसी नाम के राजवंश द्वारा शासित प्रजा और भूभाग के लिए व्यवहृत होता रहा है। संगमयुगीन मणिमेक्लै में चोलों को सूर्यवंशी कहा है। चोलों के अनेक प्रचलित नामों में शेंबियन् भी है। शेंबियन् के आधार पर उन्हें शिबि से उद्भूत सिद्ध करते हैं। 12वीं सदी के अनेक स्थानीय राजवंश अपने को करिकाल से उद्भत कश्यप गोत्रीय बताते हैं। चोलों के उल्लेख अत्यंत प्राचीन काल से ही प्राप्त होने लगते हैं। कात्यायन ने चोडों का उल्लेख किया है। अशोक के अभिलेखों में भी इसका उल्लेख उपलब्ध है। किंतु इन्होंने संगमयुग में ही दक्षिण भारतीय इतिहास को संभवत: प्रथम बार प्रभावित किया। संगमकाल के अनेक महत्वपूर्ण चोल सम्राटों में करिकाल अत्यधिक प्रसिद्ध हुए संगमयुग के पश्चात् का चोल इतिहास अज्ञात है। फिर भी चोल-वंश-परंपरा एकदम समाप्त नहीं हुई थी क्योंकि रेनंडु (जिला कुडाया) प्रदेश में चोल पल्लवों, चालुक्यों तथा राष्ट्रकूटों के अधीन शासन करते रहे। .

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चीड़

चीड़ (अंग्रेजी:Pine), एक सपुष्पक किन्तु अनावृतबीजी पौधा है। यह पौधा सीधा पृथ्वी पर खड़ा रहता है। इसमें शाखाएँ तथा प्रशाखाएँ निकलकर शंक्वाकार शरीर की रचना करती हैं। इसकी ११५ प्रजातियाँ हैं। ये ३ से ८० मीटर तक लम्बे हो सकते हैं। चीड़ के वृक्ष पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में पाए जाते हैं। इनकी 90 जातियाँ उत्तर में वृक्ष रेखा से लेकर दक्षिण में शीतोष्ण कटिबंध तथा उष्ण कटिबंध के ठंडे पहाड़ों पर फैली हुई हैं। इनके विस्तार के मुख्य स्थान उत्तरी यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका के शीतोष्ण भाग तथा एशिया में भारत, बर्मा, जावा, सुमात्रा, बोर्नियो और फिलीपींस द्वीपसमूह हैं। .

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एनी बेसेन्ट

डॉ एनी बेसेन्ट (१ अक्टूबर १८४७ - २० सितम्बर १९३३) अग्रणी आध्यात्मिक, थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला थीं। सन १९१७ में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा भी बनीं। .

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एशिया की संकटापन्न भाषाओं की सूची

संकटापन्न भाषा वह भाषा है जिसपर प्रयोगबाह्य होने का खतरा मँडरा रहा हो। इसका कारण प्रायः यह होता है कि इसके जीवित भाषियों की संख्या बहुत कम रह गयी हो। यदि किसी भाषा के सभी भाषी समाप्त हो चुके हों तो यह विलुप्त भाषा कहलाती है।.

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एशियाई हाथी

एशियाई हाथी ऍलिफ़स प्रजाति की एकमात्र जीवित जाति है जो पश्चिम में भारत से लेकर पूर्व में बोर्नियो द्वीप तक पाया जाता है। इसकी तीन उपजातियाँ पहचानी जाती हैं —ऍलिफ़स मॅक्सिमस मॅक्सिमस श्रीलंका में, भारतीय हाथी (ऍलिफ़स मॅक्सिमस इन्डिकस) एशियाई मुख्यभूमि में, तथा ऍलिफ़स मॅक्सिमस सुमात्रेनस इंडोनीशिया के सुमात्रा द्वीप में। एशिया में यह ज़मीन का सबसे बड़ा जीवित प्राणी है। सन् १९८६ ई. से आइ.यू.सी.ऍन. ने इसे विलुप्तप्राय जाति की सूचि में डाला है क्योंकि पिछली तीन पीढ़ियों (क़रीब ६० से ७५ वर्ष) से इसकी आबादी में ५० प्रतिशत की गिरावट पायी गई है। यह जाति वस्तुतः आवासीय क्षेत्र की कमी, अधःपतन तथा विखण्डन का शिकार हुई है।सन् २००३ ई. में इसकी जंगली आबादी ४१,४१० तथा ५२,३४५ के बीच आंकी गई थी। एशियाई हाथी दीर्घायु होते हैं; सबसे लम्बी आयु ८६ वर्ष की दर्ज की गई है। सदियों से इस जानवर को दक्षिणी तथा दक्षिण पूर्वी एशिया में पालतू बनाया गया है तथा इसका विभिन्न प्रकार से उपयोग किया गया है। प्राचीन भारत में इसको घोड़ों की तरह सेना में प्रयोग किया जाता था। इसको धार्मिक जुलूसों में भी इसतेमाल किया जाता है। आधुनिक काल में इसे जंगल से पेड़ों के लट्ठे ढोने के काम में लाया जाता है। इसको पर्यटकों को, तथा राष्ट्रीय उद्यानों में सवारी कराने में भी इस्तेमाल किया जाता है।जंगली हाथियों को देखने के लिए विदेशी पर्यटक उन जगहों में आते हैं जहाँ उनके दिखने की सबसे ज़्यादा संभावना होती है;इससे राज्य को आमदनी भी होती है, लेकिन ऐसी जगहें ख़तरनाक होती हैं क्योंकि जंगली हाथी क़ाफ़ी आक्रामक होते हैं और मनुष्य की उपस्थिति में भगदड़ मचाते हैं जिससे खेती को क़ाफ़ी नुकसान होता है और ऐसी अवस्था में हाथी गाँवों में घुसकर जान-माल को नुकसान पहुँचाते हैं। .

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डार्टर

डार्टर या स्नेकबर्ड, एनहिंगिडे परिवार के मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय जलपक्षी हैं। इसकी चार जीवित प्रजातियां हैं जिनमें से तीन बहुत ही आम हैं और दूर-दूर तक फ़ैली हुई हैं जबकि चौथी प्रजाति अपेक्षाकृत दुर्लभ है और आईयूसीएन (IUCN) द्वारा इसे लगभग-विलुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। "स्नेकबर्ड" शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर किसी संयोजन के बिना किसी भी एक क्षेत्र में पायी जाने वाली पूरी तरह से एलोपैट्रिक प्रजातियों के बारे में बताने करने के लिए किया जाता है। इसका संदर्भ उनकी लंबी पतली गर्दन से है जिसका स्वरूप उस समय सांप-की तरह हो जाता है जब वे अपने शरीर को पानी में डुबाकर तैरती हैं या जब साथी जोड़े अपनी अनुनय प्रदर्शन के दौरान इसे मोड़ते हैं। "डार्टर" का प्रयोग किसी विशेष प्रजाति के बारे में बताने के क्रम में एक भौगोलिक शब्दावली के साथ किया जाता है। इससे भोजन प्राप्त करने के उनके तरीके का संकेत मिलता है क्योंकि वे मछलियों को अपने पतली, नुकीली चोंच में फंसा लेती हैं। अमेरिकन डार्टर (ए. एन्हिंगा) को एन्हिंगा के रूप में भी जाना जाता है। एक स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष कारण से दक्षिणी अमेरिका में इसे वाटर टर्की कहा जाता है; हालांकि अमेरिकन डार्टर जंगली टर्की से काफी हद तक असंबद्ध होता है, ये बड़ी और काले रंग की होती हैं जिनके पास लंबी पूंछ होती है जिससे कभी-कभी भोजन के लिए शिकार किया जाता है। Answers.com, बीएलआई (BLI) (2009), मायर्स आदि.

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डिएगो गार्सिया

डिएगो गार्सिया एक उष्णकटिबंधीय, पदचिह्न-आकार का मूंगे का प्रवालद्वीप (एटोल) है जो भूमध्य रेखा के दक्षिण में मध्य हिंद महासागर में सात डिग्री, छब्बीस मिनट दक्षिण अक्षांश (भूमध्य रेखा के दक्षिण में) पर स्थित है। यह ब्रिटिश हिंद महासागरीय क्षेत्र का हिस्सा है और इसकी अवस्थिति 72°23' पूर्व देशांतर में है। यह एटोल अफ्रीकी तट के लगभग पूर्व में और भारत के दक्षिण सिरे से दक्षिण में है (चित्र 2.3).

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तमिल नाडु

तमिल नाडु (तमिल:, तमिऴ् नाडु) भारत का एक दक्षिणी राज्य है। तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई (चेऩ्ऩै) है। तमिल नाडु के अन्य महत्त्वपूर्ण नगर मदुरै, त्रिचि (तिरुच्चि), कोयम्बतूर (कोऽयम्बुत्तूर), सेलम (सेऽलम), तिरूनेलवेली (तिरुनेल्वेऽली) हैं। इसके पड़ोसी राज्य आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल हैं। तमिल नाडु में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा तमिल है। तमिल नाडु के वर्तमान मुख्यमन्त्री एडाप्पडी  पलानिस्वामी  और राज्यपाल विद्यासागर राव हैं। .

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ताड़ का तेल

उबाल के परिणाम स्वरूप ताड़ के तेल का ब्लॉक हल्के रंग दिखा रहा है। ताड़ का तेल, नारियल तेल और ताड़ की गरी का तेल ताड़ के पेड़ों के फल से निकाले गये खाने योग्य वनस्पति तेल हैं। ताड़ का तेल आयल पाम एलएईस गुइनीन्सिस के फल की लुगदी से निकाला जाता है; ताड़ की गरी का तेल आयल पाम के फल की गरी (बीज) से निकाला जाता है और नारियल का तेल नारियल (कोकोस नुसिफेरा) की गरी से प्राप्त किया जाता है। ताड़ के तेल का रंग स्वाभाविक रूप से लाल होता है, क्योंकि इसमें बीटा कैरोटीन का एक उच्च परिमाण शामिल रहता है। ताड़ का तेल, ताड़ की गरी का तेल और नारियल तेल कुछ अत्यधिक संतृप्त वनस्पति वसाओं में से तीन हैं। ताड़ का तेल कमरे के तापमान पर अर्ध ठोस रहता है। ताड़ के तेल में कई संतृप्त और असंतृप्त वसाएं ग्लिसरिल ल्यूरेट (0.1%, संतृप्त), मिरिस्टेट (1%, संतृप्त), पामिटेट (44%, संतृप्त), स्टीयरेट (5%, संतृप्त), ओलेट (39%, एकलअसंतृप्त) लीनोलियेट (10%, बहुलअसंतृप्त और लिनोलेनेट (0.3%, बहुलअसंतृप्त) के रूप में शामिल हैं। ताड़ की गरी का तेल और नारियल तेल, ताड़ के तेल से अधिक उच्च संतृप्त तेल हैं। सभी वनस्पति तेलों की तरह ताड़ के तेल में कोलेस्ट्रॉल (अपरिष्कृत पशु वसा में पाया जाने वाला) नहीं होता, हालांकि संतृप्त वसा के सेवन से एलडीएल और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल दोनों बढ़ जाते हैं। ताड़ का तेल अफ्रीका, दक्षिणपूर्व एशिया और ब्राजील के कुछ भागों की उष्णकटिबंधीय पट्टी में खाना पकाने का एक आम उपादान है। इसकी कम लागत और तलने में उपयोग के समय परिष्कृत उत्पाद की उच्च जारणकारी स्थिरता (संतृप्ति) दुनिया के अन्य भागों में व्यावसायिक भोजन उद्योग में इसके बढ़ते उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है। .

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तोबा झील

अंतरिक्ष से ली गई तोबा झील और उसमे स्थित समोसिर नामक द्वीप की फ़ोटो तोबा झील इण्डोनेशिया के द्वीप सुमात्रा के उत्तर-मध्य में स्थित एक झील और एक महाज्वालामुखी है। यह झील १०० कि॰मी॰ लम्बी और ३० कि॰मी॰ चौड़ी है और इसकी अधिकतम गहराई ५०० मीटर है। तोबा झील इण्डोनेशिया की सबसे बड़ी झील है और विश्व की सबसे बड़ी ज्वालामुखीय झील भी है। ज्वालामुखीय झीलें वह झीलें होती हैं जो किसी जीवित या मृत ज्वालामुखी के मुंह में पानी भर जाने से बन जाती हैं। यह माना जाता है कि आज से क़रीब ६९,००० से लेकर ७७,००० साल पहले इस ज्वालामुखी में विश्व का सबसे बड़ा ज्वालामुखीय विस्फोट हुआ। यह अनुमान लगाया जाता है के इस विस्फोट के कारण विश्व में उस समय मौजूद अधिकतर मनुष्य मारे गए थे और मनुष्यजाति हमेशा के लिए नष्ट होने के बहुत क़रीब आ पहुंची थी। हिंद उपमहाद्वीप के पूरे क्षेत्र को इस विस्फोट से अत्यंत हानि हुई जिसमे इस क्षेत्र के सारे जंगल नष्ट हो गये। इस पूरे इलाक़े पर राख की मोटी परत फैल गयी जो आज भी सारे भारत और पाकिस्तान में ज़मीन के नीचे पायी जाती है। तोबा झील के किनारे बताक लोग रहते हैं जो मलय लोगों से नृजातीय रूप से अलग हैं। यहाँ तक पहुँचने के लिये मेदान सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है और सियांतर सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन। .

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दही (योगहर्ट या योगर्ट)

तुर्की दही एक तुर्की ठंडा भूख बढ़ाने वाला दही का किस्म दही (Yoghurt) एक दुग्ध-उत्पाद है जिसे दूध के जीवाण्विक किण्वन के द्वारा बनाया जाता है। लैक्टोज के किण्वन से लैक्टिक अम्ल बनता है, जो दूध के प्रोटीन पर कार्य करके इसे दही की बनावट और दही की लाक्षणिक खटास देता है। सोय दही, दही का एक गैर-डेयरी विकल्प है जिसे सोय दूध से बनाया जाता है। लोग कम से कम 4,500 साल से दही-बना रहे हैं-और खा रहे हैं। आज यह दुनिया भर में भोजन का एक आम घटक है। यह एक पोषक खाद्य है जो स्वास्थ्य के लिए अद्वितीय रूप से लाभकारी है। यह पोषण की दृष्टि से प्रोटीन, कैल्सियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन B6 और विटामिन B12 में समृद्ध है। .

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दक्षिण सुमात्रा

दक्षिण सुमात्रा दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के सुमात्रा द्वीप पर स्थित एक प्रान्त है। यह द्वीप के दक्षिणी भाग में स्थित है। .

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दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म

दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म का प्रसार हुआ तथा इसने मध्य वियतनाम के दक्षिणी भागों में चम्पा सभ्यता को जन्म दिया, कम्बोडिया में फुनान, हिन्दचीन में ख्मेर, मलय प्रायद्वीप में लंगकासुक राज्य, गंगा नगर, तथा पुराना केदा को जन्म दिया। इसी प्रकार सुमात्रा में श्रीविजयन राज्य, जावा, बाली और फिलिपीन में सिंगोसरी राज्य, और मजापहित साम्राज्य को जन्म दिया। इतना ही नहीं, भारत की सभ्यता ने इन क्षेत्रों की भाषा, लिपि, पंचांग, तथा कला और जीवन शैली को भी प्रभावित किया। दक्षिण-पूर्व एशिया में हिन्दू धर्म का प्रसार .

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दॉंग येन चाओ शिलालेख

दोंग येन चाओ, चाम काल का एक शिलालेख है जो दक्षिण-पूर्वी एशिया के इतिहास का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है। यह मध्य वियतनाम में १९३६ में खोजा गया और ये पुरानी मलाया भाषा में लिखा है। इसमें कोई तिथि अंकित तो नहीं है पर इसे ११वीं सदी का माना जा रहा है, जो मलय भाषा के आज के मुख्य प्रदेशों - सुमात्रा और मलेशिया - के प्रचीनतम पुरालेखों से भी ३०० साल पुराना है। श्रेणी: मलेशिया का इतिहास.

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नरभक्षण

हैंस स्टैडेन द्वारा कहा गया 1557 में नरभक्षण. लियोंहार्ड कर्ण द्वारा नरभक्षण, 1650 नरभक्षण (नरभक्षण) (नरभक्षण की आदत के लिए विख्यात वेस्ट इंडीज जनजाति कैरीब लोगों के लिए स्पेनिश नाम कैनिबलिस से) एक ऐसा कृत्य या अभ्यास है, जिसमें एक मनुष्य दूसरे मनुष्य का मांस खाया करता है। इसे आदमखोरी (anthropophagy) भी कहा जाता है। हालांकि "कैनिबलिज्म" (नरभक्षण) अभिव्यक्ति के मूल में मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य के खाने का कृत्य है, लेकिन प्राणीशास्त्र में इसका विस्तार करते हुए किसी भी प्राणी द्वारा अपने वर्ग या प्रकार के सदस्यों के भक्षण के कृत्य को भी शामिल कर लिया गया है। इसमें अपने जोड़े का भक्षण भी शामिल है। एक संबंधित शब्द, "कैनिबलाइजेशन" (अंगोपयोग) के अनेक अर्थ हैं, जो लाक्षणिक रूप से कैनिबलिज्म से व्युत्पन्न हैं। विपणन में, एक उत्पाद के कारण उसी कंपनी के अन्य उत्पाद के बाजार के शेयर के नुकसान के सिलसिले में इसका उल्लेख किया जा सकता है। प्रकाशन में, इसका मतलब अन्य स्रोत से सामग्री लेना हो सकता है। विनिर्माण में, बचाए हुए माल के भागों के पुनःप्रयोग पर इसका उल्लेख हो सकता है। खासकर लाइबेरिया और कांगो में, अनेक युद्धों में हाल ही में नरभक्षण के अभ्यास और उसकी तीव्र निंदा दोनों ही देखी गयी। अतीत में दुनिया भर के मनुष्यों के बीच व्यापक रूप से नरभक्षण का प्रचलन रहा था, जो 19वीं शताब्दी तक कुछ अलग-थलग दक्षिण प्रशांत महासागरीय देशों की संस्कृति में जारी रहा; और, कुछ मामलों में द्वीपीय मेलेनेशिया में, जहां मूलरूप से मांस-बाजारों का अस्तित्व था। फिजी को कभी 'नरभक्षी द्वीप' ('Cannibal Isles') के नाम से जाना जाता था। माना जाता है कि निएंडरथल नरभक्षण किया करते थे, और हो सकता है कि आधुनिक मनुष्यों द्वारा उन्हें ही कैनिबलाइज्ड अर्थात् विलुप्त कर दिया गया हो। अकाल से पीड़ित लोगों के लिए कभी-कभी नरभक्षण अंतिम उपाय रहा है, जैसा कि अनुमान लगाया गया है कि ऐसा औपनिवेशिक रौनोक द्वीप में हुआ था। कभी-कभी यह आधुनिक समय में भी हुआ है। एक प्रसिद्ध उदाहरण है उरुग्वेयन एयर फ़ोर्स फ्लाइट 571 की दुर्घटना, जिसके बाद कुछ बचे हुए यात्रियों ने मृतकों को खाया.

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निगम (श्रेणी)

धर्मशास्त्र में व्यापारियों के संघ के लिए प्राय: 'नैगम' शब्द प्रयुक्त हुआ है। निगम शब्द नगर का द्योतक था, किंतु कुछ स्थलों पर यह स्पष्ट है कि निगम एक विशेष प्रकार का नगर था जिसका संबंध व्यापारियों से था। वृहत्कल्पसूत्र भाष्य में निगम लेनदेन का काम करनेवाले व्यापारियों की बस्ती के अर्थ में आता है- सांग्रहिक निगम केवल यही कार्य करते थे और असांग्रहिक निगम इसके अतिरिक्त दूसरे कार्य भी करते थे। निगम का उपयोग व्यापारियों के समूह और संघ के लिए भी हुआ है। वैशाली से प्राप्त चौथी शताब्दी के अंत की ओर की कुछ मुद्राएँ श्रेष्ठि, सार्थवाह और कुलिकों के निगम की हैं। ऐसी मुद्राएँ भीटा से भी प्राप्त हुई हैं। अमरावती के 'धंंकाटकस निगमस' लेख में भी निगम का उपयोग नगर के लिए नहीं अपितु व्यापारियों के संघ के रूप में हुआ है। निगम शब्द का यह उपयोग ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी की एक मुद्रा में भी मिलता है जिसमें 'शाहिजितिये निगमश' लेख उत्कीर्ण है। .

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निकोबार द्वीपसमूह

निकोबार द्वीपसमूह एशिया में निकोबार द्वीपसमूह का नक्शा निकोबार द्वीपसमूह है द्वीपसमूह भारत में। ये हिन्द महासागर में है और 150 किलोमीटर की दूरी आचेह, सुमात्रा से। अंडमान सागर है निकोबार द्वीपसमूह और थाईलैंड के बीच। ये 1,300 किलोमीटर की दूरी के बारे में स्थित भारत मुख्यभूमि से। राजनीतिक रूप से ये द्वीपसमूह अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह का हिस्सा है। यूनेस्को ने बड़ा निकोबार को घोषित किया एक बायोस्फियर भंडार के विश्व नेटवर्क। , The International Coordinating Council of UNESCO’s Man and the Biosphere Programme (MAB), added the following new sites to the World Network of Biosphere Reserves (WNBR) http://www.unesco.org/new/en/media-services/multimedia/photos/mab-2013/india/.

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नेगेरी सेमबिलान

नेगेरी सेमबिलान मलेशिया का एक राज्य है। यह प्रायद्वीपीय मलेशिया के पश्चिमी तट पर स्थित है। मलय भाषा में "सेमबिलान" का मतलब "नौ" और नेगेरी का अर्थ "नगरी" या "राज्य" (यह शब्द संस्कृत से आया है) होता है, यानि "नेगेरी सेमबिलान" का अर्थ "नौ ग्राम" है। यह उस समय पड़ा जब सुमात्रा द्वीप के पश्चिमी भाग से मिनंगकाबाऊ समुदाय के लोगों ने यहाँ आकर नौ गाँव बसाये। नेगेरी सेमबिलान के लोगों के चहरों में आज भी मिनंगकाबाऊ नैन-नक्श झलकते हैं। .

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पदांग व्यंजन

पदांग खाना इंडोनेशिया के सुमात्रा मूल का है जो दक्षिण-पूर्व एशिया में बहुत मिलता है। इनमें नारियल के दूध, मसालों तथा करी का प्रयोग बहुत होता है। इसका नाम पश्चिमी सुमात्रा की राजधानी पदांंग के नाम पर पड़ा है। सुमात्रा मूल के मिनांगकबाऊ लोगों का यह व्यंजन उनके द्वारा पूरे इंडोनेशिया में ले जाया गया। श्रेणी: आग्नेय एशिया के व्यंजन.

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पश्चिम सुमात्रा

पश्चिम सुमात्रा दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के सुमात्रा द्वीप पर स्थित एक प्रान्त है। यह द्वीप के मध्य-पश्चिम भाग में स्थित है। पश्चिमी तट से हिन्द महासागर में कुछ दूरी पर स्थित मेंतावाई द्वीपसमूह भी इसी प्रान्त का भाग हैं। पश्चिम सुमात्रा मिनंगकाबाऊ लोगों की ऐतिहासिक मातृभूमि है जो मलेशिया और इण्डोनेशिया की संस्कृति पर बहुत प्रभावशाली रहे हैं। .

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पिनांग

पिनांग मलेशिया का एक राज्य है जो मलक्का के जलडमरुमध्य के साथ प्रायद्वीपीय मलेशिया के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। क्षेत्र के हिसाब से पिनांग पेर्लिस के बाद मलेशिया का दूसरा सबसे छोटा और आठवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। पिनांग के निवासी को बोलचाल की भाषा में पेननगाइट के रूप में जाना जाता है। .

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प्रायद्वीपीय मलेशिया

प्रायद्वीपीय मलेशिया या पश्चिमी मलेशिया दक्षिणपूर्व एशिया के मलेशिया देश का वह हिस्सा है जो मलय प्रायद्वीप के दक्षिणी भाग और उसके समीप के कुछ द्वीपों पर स्थित है। इसकी सीमाएँ उत्तर में थाईलैण्ड से मिलती हैं और दक्षिण में सिंगापुर का द्वीप देश इसके पास है। दक्षिणपूर्व में मलक्का जलसन्धि के पार इण्डोनेशिया का सुमात्रा द्वीप है। मलेशिया का एक दूसरा भाग, जो पूर्व मलेशिया कहलाता है, प्रायद्वीपीय मलेशिया से पूर्व में दक्षिण चीन सागर के पार बोर्नियो द्वीप पर स्थित है। मलेशिया की लगभग ८०% आबादी व अर्थव्यवस्था प्रायद्वीपीय मलेशिया में है। मलेशिया के १३ राज्यों व ३ संघीय क्षेत्रों में से ११ राज्य और २ संघीय क्षेत्र प्रायद्वीपीय मलेशिया मे स्थित हैं। .

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प्राकृतिक आपदा

एक प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम (natural hazard) का परिणाम है (जैसे की ज्वालामुखी विस्फोट (volcanic eruption), भूकंप, या भूस्खलन (landslide) जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है। मानव दुर्बलताओं को उचित योजना और आपातकालीन प्रबंधन (emergency management) का आभाव और बढ़ा देता है, जिसकी वजह से आर्थिक, मानवीय और पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। परिणाम स्वरुप होने वाली हानि निर्भर करती है जनसँख्या की आपदा को बढ़ावा देने या विरोध करने की क्षमता पर, अर्थात उनके लचीलेपन पर। ये समझ केंद्रित है इस विचार में: "जब जोखिम और दुर्बलता (vulnerability) का मिलन होता है तब दुर्घटनाएं घटती हैं". जिन इलाकों में दुर्बलताएं निहित न हों वहां पर एक प्राकृतिक जोखिम कभी भी एक प्राकृतिक आपदा में तब्दील नहीं हो सकता है, उदहारण स्वरुप, निर्जन प्रदेश में एक प्रबल भूकंप का आना.बिना मानव की भागीदारी के घटनाएँ अपने आप जोखिम या आपदा नहीं बनती हैं, इसके फलस्वरूप प्राकृतिक शब्द को विवादित बताया गया है। .

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बटक तोबा भाषा

यह विश्व की एक प्रमुख भाषा है | .

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बतक लोग (फ़िलिपीन्ज़)

बतक (Batak) एक नेग्रिटो मानव जाति है जो दक्षिणपूर्वी एशिया के फ़िलिपीन्ज़ देश के पलावन द्वीप के पूर्वोत्तरी भाग में रहती है। इनकी जनसंख्या केवल ५०० के आसपास बची है। इनका लूज़ोन के आएता लोगों से करीबी सम्बन्ध माना जाता है। इनका कद छोटा, रंग गाढ़ा और बाल घुंघराले होते हैं। ध्यान दें कि यह बतक जनजाति इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर मिलने वाली बतक जाति से बिलकुल भिन्न है। .

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बाताम

बाताम (अंग्रेज़ी: Batam, जावी: باتام) दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश का एक द्वीप है। यह सुमात्रा द्वीप के पास रियाउ द्वीपसमूह प्रांत के क्षेत्र में स्थित है। यह इण्डोनेशिया-सिंगापुर-मलेशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र का भाग होने के कारण विकसित और धनवान हो गया है। बाताम अपने पड़ोसी बिंतान द्वीप से पश्चिम में अवस्थित है। बाताम रिआउ द्वीपसमूह का सबसे बड़ा शहर भी है और मेदान और पालेमबांग के बाद सुमात्रा में तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। बाताम के महानगरीय विस्तार में कई बिखरे द्वीप और टापू आते हैं। यह पड़ोस के गालांग और रेम्पांग द्वीपों से पुल द्वारा जुड़ा हुआ है लेकिन इन द्वीपों पर बाताम के विपरीत ग्रामीण वातावरण व अर्थव्यवस्था है। .

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बान्दा आचेह

बांदा आचेह इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के उत्तरतम भाग पर स्थित आचेह प्रान्त का सबसे बड़ा शहर व राजधानी है। यह १५वीं शताब्दी में स्थापित आचेह सलतनत की राजधानी भी थी। इसके नाम का प्रथम शब्द "बांदा" वास्तव में "बंदरगाह" का परिवर्तित रूप है। .

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बायोम

दुनिया के मुख्य प्रकार के बायोम बायोम (biome) या जीवोम धरती या समुद्र के किसी ऐसे बड़े क्षेत्र को बोलते हैं जिसके सभी भागों में मौसम, भूगोल और निवासी जीवों (विशेषकर पौधों और प्राणी) की समानता हो।, David Sadava, H. Craig Heller, David M. Hillis, May Berenbaum, Macmillan, 2009, ISBN 978-1-4292-1962-4,...

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बालि यात्रा

बालियात्रा मेले का प्रवेशद्वार बालियात्रा (ओडिया: ବୋଇତ ବନ୍ଦାଣ/बोइत बन्दाण) ओडिशा में मनाया जाने वाला एक प्रमुख उत्सव है। यह उत्सव कटक नगर में महानदी के किनारे गडगडिया घाट पर मनाया जाता है। यह उत्सव उस दिन की स्मृति में मनाया जाता है जब प्राचीन काल में ओडिशा के नाविक बाली, जावा, सुमात्रा, बोर्नियो और श्री लंका आदि सुदूर प्रदेशों की यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। 'बालियात्रा' का शाब्दिक अर्थ है 'बालि की यात्रा'। इन यात्राओं का उद्देश्य व्यापार तथा सांस्कृतिक प्रसार होता था। जिन नावों से वे यात्रा करते थे वे आकार में विशाल होतीं थी और उन्हें 'बोइत' कहते थे। यह यात्रा कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होती है। बालियात्रा उत्कल के नौवाणिज्य का स्वर्णिम स्मारक है। .

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बांतेन

बांतेन दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के जावा द्वीप पर स्थित एक प्रान्त है। यह जावा के पश्चिमतम भाग में स्थित है और यहाँ से पश्चिम में जलसन्धि के पार सुमात्रा द्वीप स्थित है। ऐतिहासिक रूप से बांतेन को "सुमात्रा का द्वार" माना जाता था। यहाँ की संस्कृति की अपनी एक विशेष पहचान है। .

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बांका-बेलितुंग द्वीपसमूह

बांका-बेलितुंग इंडोनेशिया का एक प्रान्त है जो सुमात्रा द्वीप से पूर्व में स्थित है। इसमें दो मुख्य द्वीप - बांका और बेलितुंग - और कई सारे अन्य छोटे द्वीप सम्मिलित हैं। इन द्वीपों और सुमात्रा के बीच में बांका जलसन्धि है और इनके और बोर्नियो के बीच कारीमाता जलसन्धि है। बांका-बेलितुंग द्वीपों के उत्तर में दक्षिण चीन सागर और दक्षिण में जावा सागर है।, retrieved 17 January 2011 .

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बंदर मेलाका

बंदर मेलाका या मेलाका शहर या मलक्का शहर मलेशिया के मेलाका राज्य की राजधानी है और मलक्का जलसन्धि पर स्थित एक बंदरगाह है। इसकी स्थापना १४वीं शताब्दी में सिंगापुर के अंतिम राजा, परमेश्वर, ने की थी जिनके पूर्व राज्य सिंगापुर पर मजापहित साम्राज्य ने सन् १३९८ में आक्रमण किया था। इसके बाद राजा परमेश्वर ने मलय प्रायद्वीप पर आकर सन् १४०२ में एक नए शहर व राज्य की स्थापना करी जो आज का बंदर मेलाका है। द्वितीय विश्वयुद्ध में इसपर जापानियों का अधिकार बन गया और १९५१ में यह नये स्वतंत्र हुए मलय गण्तंत्र का भाग बन गया। प्राचीन काल से ही भारत तथा चीन से इसका व्यापारिक संबंध है पर इसकी अत्यधिक वृद्धि अंग्रेजों के आने के बाद ही हुई। नवीन बंदर मेलाका में अब भी पुर्तगाली और हॉलैंड वासियों के प्राचीन भवनों के ध्वंसावशेष मिलते हैं। यह पूर्वी एशिया का सबसे महत्वूपर्ण तथा बड़ा औद्योगिक केंद्र है। इसके पृष्ठप्रदेश में भूमध्यरेखीय सघन सदाबहार वन पाए जाते हैं। तटीय भागों में पश्चिम की ओर मैंग्रोव जाति के वृक्ष अधिक पाए जाते हैं। यहाँ का मुख्य उद्यम कृषि है। यहाँ के निवासी, रबर, धान, नारियल, अनन्नास तथा गरम मसालों की खेती करते हैं। इस बंदरगाह से रबर, नारियल, चावल तथा गरम मसालों का निर्यात होता है। .

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बंगाल की खाड़ी

बंगाल की खाड़ी विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी है और हिंद महासागर का पूर्वोत्तर भाग है। यह मोटे रूप में त्रिभुजाकार खाड़ी है जो पश्चिमी ओर से अधिकांशतः भारत एवं शेष श्रीलंका, उत्तर से बांग्लादेश एवं पूर्वी ओर से बर्मा (म्यांमार) तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह से घिरी है। बंगाल की खाड़ी का क्षेत्रफल 2,172,000 किमी² है। प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों के अन्सुआर इसे महोदधि कहा जाता था। बंगाल की खाड़ी 2,172,000 किमी² के क्षेत्रफ़ल में विस्तृत है, जिसमें सबसे बड़ी नदी गंगा तथा उसकी सहायक पद्मा एवं हुगली, ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदी जमुना एवं मेघना के अलावा अन्य नदियाँ जैसे इरावती, गोदावरी, महानदी, कृष्णा, कावेरी आदि नदियां सागर से संगम करती हैं। इसमें स्थित मुख्य बंदरगाहों में चेन्नई, चटगाँव, कोलकाता, मोंगला, पारादीप, तूतीकोरिन, विशाखापट्टनम एवं यानगॉन हैं। .

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बुगिनी भाषा

बुगिनी भाषा इंडोनेशिया के दक्षिणी प्रांत सुलावेसी के दक्षिणी भाग में बोली जाती है। यह ऑस्ट्रोनेशियाई भाषाओं की मलय-पोलीनेशिया शाखा की "सुलावेशियाई" शाखा से संबंधित है। इस भाषा को बोलने वालो की संख्या ३५ से ४० लाख है। इस शाखा के अंदर भी, बुगिनी भाषा कांपालागियाई के साथ एक समूह में है, जो सुमात्रा, रिआउ, कालिमांटन, सबह, मलय प्रायद्वीप इत्यादि में बोली जाती है। .

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बृहत्तर सुन्दा द्वीपसमूह

बड़ा सुन्दा द्वीप समूह, मलय द्वीपसमूह के अंतर्गत आने वाले सुंदा द्वीप समूह का एक भाग है, जिसके अंतर्गत समूह के बड़े द्वीप आते हैं। छोटा सुन्दा द्वीप समूह के साथ मिलकर यह सुंदा द्वीप समूह की रचना करते हैं। .

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बेंकुलू

बेंकुलू दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के सुमात्रा द्वीप पर स्थित एक प्रान्त है। यह सुमात्रा के दक्षिणपश्चिमी तट पर स्थित है। प्रांत में तट से कुछ दूरी पर बेंकुलू पर्वतमाला चलती है जिसमें मृत और सक्रीय ज्वालामुखी हैं। हिन्द महासागर में कुछ दूरी पर स्थित मेगा द्वीप और एंग्गानो द्वीप भी प्रांत का हिस्सा हैं। .

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बोर्नियो

बोर्नियो (इण्डोनेशियाई: कालिमंतान, मलय: बोर्नियो, अंग्रेज़ी: Borneo) विश्व का तीसरा सबसे बड़ा और एशिया का सबसे बड़ा द्वीप है। भौगोलिक रूप से यह जावा से उत्तर में, सुलावेसी से पश्चिम में और सुमात्रा से पूर्व में स्थित है। यह इंडोनेशिया, मलेशिया एवं ब्रुनेई देशों में बंटा हुआ है। बोर्नियो का लगभग ७३% क्षेत्रफल इंडोनेशिया में आता है। द्वीप के उत्तर में पूर्वी मलेशिया के साबाह और सारावाक राज्य पूरे द्वीपीय क्षेत्रफल के २६% हैं जबकि नन्हा ब्रुनेई देश इसका केवल १% ही है। बोर्नियो का एक बड़ा भूभाग जंगलों से ढका हुआ है और यह पृथ्वी से सबसे प्राचीन जंगलों में से हैं। .

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भारत में यूरोपीय आगमन

१५०१ से १७३९ के बीच भारत में यूरोपीय बस्तियाँ भारत के सामुद्रिक रास्तों की खोज 15वीं सदी के अन्त में हुई जिसके बाद यूरोपीयों का भारत आना आरंभ हुआ। यद्यपि यूरोपीय लोग भारत के अलावा भी बहुत स्थानों पर अपने उपनिवेश बनाने में सफल हुए पर इनमें से कइयों का मुख्य आकर्षण भारत ही था। सत्रहवीं शताब्दी के अंत तक यूरोपीय कई एशियाई स्थानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके थे और अठारहवीं सदी के उत्तरार्ध में वे कई जगहों पर अधिकार भी कर लिए थे। किन्तु उन्नासवीं सदी में जाकर ही अंग्रेजों का भारत पर एकाधिकार हो पाया था। भारत की समृद्धि को देखकर पश्चिमी देशों में भारत के साथ व्यापार करने की इच्छा पहले से थी। यूरोपीय नाविकों द्वारा सामुद्रिक मार्गों का पता लगाना इन्हीं लालसाओं का परिणाम था। तेरहवीं सदी के आसपास मुसलमानों का अधिपत्य भूमध्य सागर और उसके पूरब के क्षेत्रों पर हो गया था और इस कारण यूरोपी देशों को भारतीय माल की आपूर्ति ठप्प पड़ गई। उस पर भी इटली के वेनिस नगर में चुंगी देना उनको रास नहीं आता था। कोलंबस भारत का पता लगाने अमरीका पहुँच गया और सन् 1487-88 में पेडरा द कोविल्हम नाम का एक पुर्तगाली नाविक पहली बार भारत के तट पर मालाबार पहुँचा। भारत पहुचने वालों में पुर्तगाली सबसे पहले थे इसके बाद डच आए और डचों ने पुर्तगालियों से कई लड़ाईयाँ लड़ीं। भारत के अलावा श्रीलंका में भी डचों ने पुर्तगालियों को खडेड़ दिया। पर डचों का मुख्य आकर्षण भारत न होकर दक्षिण पूर्व एशिया के देश थे। अतः उन्हें अंग्रेजों ने पराजित किया जो मुख्यतः भारत से अधिकार करना चाहते थे। आरंभ में तो इन यूरोपीय देशों का मुख्य काम व्यापार ही था पर भारत की राजनैतिक स्थिति को देखकर उन्होंने यहाँ साम्राज्यवादी और औपनिवेशिक नीतियाँ अपनानी आरंभ की। .

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भारतीय नौसेनिक वायु स्टेशन बाज़

भारतीय नौसेनिक वायु स्टेशन बाज़ या आईएनएस बाज़ (INS Baaz) भारत का पहला नौसेनिक वायु केंद्र (Naval Air Station) है, जिसे अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह में ग्रेट निकोबार द्वीप के कैंपबेल खाड़ी पर स्थापित किया गया है। यह स्टेशन अण्डमान और निकोबार कमान और भारतीय सैन्य बल की एक संयुक्त सेवा है। आईएनएस बाज़ भारतीय सैन्य बल का सर्वाधिक दक्षिणी वायु स्टेशन है। इस केंद्र की सहायता से मलक्का जलसंधि को सुरक्षित किया जा सकेगा। इसी स्टेशन द्वारा छः डिग्री चैनल, ग्रेट निकोबार और सुमात्रा के इण्डोनेशियाई द्वीप के बीच, की निगरानी का कार्य भी किया जा सकेगा। .

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भूमध्य रेखा

विश्व के मानचित्र पर भूमध्य रेखा लाल रंग में गोलक का महानतम चक्र (घेरा) उसे ऊपरी और निचले गोलार्धों में बांटाता है। भूमध्य रेखा पृथ्वी की सतह पर उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव से सामान दूरी पर स्थित एक काल्पनिक रेखा है। यह पृथ्वी को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में विभाजित करती है। दूसरे शब्दों में पृथ्वी के केंद्र से सर्वाधिक दूरस्थ भूमध्यरेखीय उभार पर स्थित बिन्दुओं को मिलाते हुए ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई कल्पनिक रेखा को भूमध्य या विषुवत रेखा कहते हैं। इस पर वर्ष भर दिन-रात बराबर होतें हैं, इसलिए इसे विषुवत रेखा भी कहते हैं। अन्य ग्रहों की विषुवत रेखा को भी सामान रूप से परिभाषित किया गया है। इस रेखा के उत्तरी ओर २३½° में कर्क रेखा है व दक्षिणी ओर २३½° में मकर रेखा है। .

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मध्यकालीन भारत

मध्ययुगीन भारत, "प्राचीन भारत" और "आधुनिक भारत" के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास की लंबी अवधि को दर्शाता है। अवधि की परिभाषाओं में व्यापक रूप से भिन्नता है, और आंशिक रूप से इस कारण से, कई इतिहासकार अब इस शब्द को प्रयोग करने से बचते है। अधिकतर प्रयोग होने वाले पहली परिभाषा में यूरोपीय मध्य युग कि तरह इस काल को छठी शताब्दी से लेकर सोलहवीं शताब्दी तक माना जाता है। इसे दो अवधियों में विभाजित किया जा सकता है: 'प्रारंभिक मध्ययुगीन काल' 6वीं से लेकर 13वीं शताब्दी तक और 'गत मध्यकालीन काल' जो 13वीं से 16वीं शताब्दी तक चली, और 1526 में मुगल साम्राज्य की शुरुआत के साथ समाप्त हो गई। 16वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक चले मुगल काल को अक्सर "प्रारंभिक आधुनिक काल" के रूप में जाना जाता है, लेकिन कभी-कभी इसे "गत मध्ययुगीन" काल में भी शामिल कर लिया जाता है। एक वैकल्पिक परिभाषा में, जिसे हाल के लेखकों के प्रयोग में देखा जा सकता है, मध्यकालीन काल की शुरुआत को आगे बढ़ा कर 10वीं या 12वीं सदी बताया जाता है। और इस काल के अंत को 18वीं शताब्दी तक धकेल दिया गया है, अत: इस अवधि को प्रभावी रूप से मुस्लिम वर्चस्व (उत्तर भारत) से ब्रिटिश भारत की शुरुआत के बीच का माना जा सकता है। अत: 8वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी के अवधि को "प्रारंभिक मध्ययुगीन काल" कहा जायेगा। .

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मलय द्वीपसमूह

मलय द्वीपसमूह (Malay Archipelago) दक्षिणपूर्वी एशिया की मुख्यभूमि और ऑस्ट्रेलिया के बीच में विस्तृत एक द्वीपसमूह है। हिन्द महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक फैले हुए इस द्वीपसमूह में २५,००० द्वीप हैं। क्षेत्रफल के आधार पर यह दुनिया का सबसे बड़ा और द्वीप-संख्या के आधार पर विश्व का चौथा सबसे बड़ा द्वीपसमूह है। ब्रुनेई, पूर्वी मलेशिया, इण्डोनेशिया, पूर्वी तिमोर, सिंगापुर और फ़िलिपीन्स इसमें आते हैं। पापुआ न्यू गिनी इसमें सम्मिलित नहीं किया जाता हालांकि कुछ परिभाषाओं में नया गिनी द्वीप का पश्चिमी भाग (जो इण्डोनेशिया का हिस्सा है) मलय द्वीपसमूह में गिना जाता है। .

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मानवेन्द्रनाथ राय

मानवेंद्रनाथ राय मानवेंद्रनाथ राय (1887–1954) भारत के स्वतंत्रता-संग्राम के राष्ट्रवादी क्रान्तिकारी तथा विश्वप्रसिद्ध राजनीतिक सिद्धान्तकार थे। उनका मूल नाम 'नरेन्द्रनाथ भट्टाचार्य' था। वे मेक्सिको और भारत दोनों के ही कम्युनिस्ट पार्टियों के संस्थापक थे। वे कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की कांग्रेस के प्रतिनिधिमण्डल में भी सम्मिलित थे। .

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मिनंगकाबाऊ लोग

मिनंगकाबाऊ (अंग्रेज़ी: Minangkabau, मिनंगकाबाऊ: Urang Minang, जावी: مينڠكاباو) या केवल मिनंग दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के सुमात्रा द्वीप के पश्चिमी भाग में स्थित मिनंगकाबाऊ उच्चभूमि के मूल निवासी हैं। .

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मूँगा (जीव)

मूँगा (कोरल) शब्द के कई अर्थ हैं - अन्य अर्थों के लिए मूँगा का लेख देखें मूँगे के शरीर के अन्दर का दृश्य मूँगा, जिसे कोरल और मिरजान भी कहते हैं, एक प्रकार का नन्हा समुद्री जीव है जो लाखों-करोड़ों की संख्या में एक समूह में रहते हैं। मूँगे की बहुत सी क़िस्मों में, यह जीव अपने इर्द-गिर्द एक बहुत ही सख़्त शंख बना लेते है, जिसके अन्दर वह रहता है। जब ऐसे हजारों-लाखों नन्हे और बेहद सख़्त शंख एक दुसरे से चिपक कर समूह में बनते हैं, तो उस समूह की सख़्ती और स्पर्श लगभग पत्थर जैसा होता है। समुद्र में कई स्थानों पर मूंगे की बड़े क्षेत्र पर फैली हुई शृंखलाएं बन जाती हैं, जिन्हें रीफ़ कहा जाता है। किसी भी मूंगे के समूह में हर एक मूंगे और उसके शंख को वैज्ञानिक भाषा में "पॉलिप" कहते हैं। मूँगा गरम समुद्रों में ही उगता है और अलग-अलग रंगों में मिलता है। लाल और गुलाबी रंगों के मूँगे के क़ीमती पत्थर को पत्थर की ही तरह तराश और चमका कर ज़ेवरों में इस्तेमाल किया जाता है। इनके सब से लोकप्रिय रंग को भी मूँगा (रंग) कहा जाता है। मूँगे समुद्रतल में रहने वाले एक प्रकार के कृमि हैं जो खोलड़ी की तरह का घर बनाकर एक दूसरे से लगे हुए जमते चले जाते हैं। ये कृमि अचर (न चलने वाले) जीवों में हैं। ज्यों ज्यों इनकी वंशवृद्धि होती जाती है, त्यों त्यों इनका समूहपिंड थूहर के पेड़ के आकार में बढ़ता चला जाता है। सुमात्रा और जावा के आसपास प्रशांत महासागर में समुद्र के तल में ऐसे समूहपिंड हजारों मील तक खड़े मिलते हैं। इनकी वृद्धि बहुत जल्दी जल्दी होती है। इनके समूह एक दूसरे के ऊपर पटते चले जाते हैं जिससे समुद्र की सतह पर एक खासा टापू निकल आता है। ऐसे टापू प्रशांत महासागर में बहुत से हैं जो 'प्रवालद्वीप' कहलाते हैं। मूँगे की केवल गुरिया ही नहीं बनती; छड़ी, कुरसी आदि चीजें भी बनती हैं। आभूषण के रूप में मूँगे का व्यवहार भी मोती के समान बहुत दिनों से है। मोती और मूँगे का नाम प्रायः साथ साथ लिया जाता है। रत्नपरीक्षा की पुस्तकों में मूँगे का भी वर्णन रहता है। साधारणतः मूँगे का दाना जितना ही बड़ा होता है, उतना अधिक उसका मूल्य भी होता है। कवि लोग बहुत पुराने समय से ओठों की उपमा मूँगे से देते आए हैं। .

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मेदान

मेदान सुमात्रा, इंडोनेशिया के सबसे बड़ा शहर है। यहाँ की आबादी कोई २५ लाख है और यह सुमात्रा के पूर्वी तट के उत्तर स्थित है। स्थानीय मलय मूल के अलावे यहाँ चीनी और तमिळ मूल के लोग भी रहते हैं। श्रेणी: इंडोनेशिया के शहर श्रेणी: आग्नेय एशिया.

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मेलाका

मलाका या मलक्का मलेशिया का एक राज्य है। यह मलय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर पर मलक्का जलसन्धि के तट पर स्थित है, जिसके पार इण्डोनेशिया का सुमात्रा द्वीप है। मेलाका मलय इतिहास का सबसे पुराना सल्तनत था, लेकिन सन् १५११ में इसपर पुर्तगालियों ने कब्ज़ा कर लिया और सल्तनत को समाप्त कर दिया। आधुनिक काल में यहाँ अब "यांग दि-पेरतुआ नेगेरी" (अर्थ: नगराध्यक्ष) नामक अधिकारी राज्यपाल का पद धारण करता है। यह मलाया प्रायद्वीप के पश्चिमी समुद्रतट पर १६६४ वर्ग किमी में फैले हुए मलाका प्रदेश की राजधानी तथा बंदरगाह है। यह एक अति प्राचीन यूरोपीय बस्ती है। कहा जाता है, मलाया के राजा ने सन् १४०३ में इस नगर की स्थापना की थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय यह जापानियों के अधीन रहा एवं १९५१ ईo में स्वतंत्र हुआ और मलाया गणतंत्र का एक भाग हो गया। प्राचीन काल से ही भारत तथा चीन से इसका व्यापारिक संबंध है पर इसकी अत्यधिक वृद्धि अंग्रेजों के आने के बाद ही हुई। नवीन मलाका में अब भी पुर्तगाली और हॉलैंड वासियों के प्राचीन भवनों के ध्वंसावशेष मिलते हैं। यह पूर्वी एशिया का सबसे महत्वूपर्ण तथा बड़ा औद्योगिक केंद्र है। इसके पृष्ठप्रदेश में भूमध्यरेखीय सघन सदाबहार वन पाए जाते हैं। तटीय भागों में पश्चिम की ओर मैंग्रोव जाति के वृक्ष अधिक पाए जाते हैं। यहाँ का मुख्य उद्यम कृषि है। यहाँ के निवासी, रबर, धान, नारियल, अनन्नास तथा गरम मसालों की खेती करते हैं। इस बंदरगाह से रबर, नारियल, चावल तथा गरम मसालों का निर्यात होता है। मलाका जलडमरूमध्य, सुमात्रा तथा मलाया प्रायद्वीप को एक दूसरे से अलग करनेवाला एक जलडमरूमध्य है जो दक्षिणी चीन सागर तथा हिन्द महासागर को आपस में मिलाता है। इस जलसंधि की लंबाई ५०० मील तथा चौड़ाई २५ मील से १०० मील तक है। इसके दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित एक छोटे द्वीप पर सिंगापुर स्थित है। इस जलसंधि के द्वारा संसार का सबसे अधिक माल आता जाता है। .

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यूटीसी+०७:००

यूटीसी+07 (UTC+07:00) यूटीसी से ७ घम्टे आगे का एक समय मंडल है जो ग्रीनविच मानक समय में ७ घंटे जोडने पर आता है। आईएसओ ८६०१ के अनुसार इसे यूं लिखते हैं.

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रियाउ

रियाउ दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के सुमात्रा द्वीप पर स्थित एक प्रान्त है। यह सुमात्रा के मध्य-पूर्वी तट पर स्थित है। रियाउ पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, रबड़ और अन्य सम्पदाओं से भरपूर होने के कारण देश के सबसे समृद्ध प्रान्तों में से एक है। .

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रियाउ द्वीपसमूह प्रांत

रियाउ द्वीपसमूह प्रांत दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश का एक प्रान्त है। इसमें सुमात्रा द्वीप के समीप स्थित रियाउ द्वीपसमूह का प्रमुख भाग और कुछ अन्य छोटे द्वीपसमूह संगठित हैं। इस प्रान्त के अधिकतर लोग बाताम द्वीप पर बसे हुए हैं। .

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रैफ्लेशिया

रेफ्लीसिया रेफ्लीसिया मुख्यतः मलेशिया एंव इंडोनेशिया में पाया जाने वाला, एक आश्चर्यजनक परजीवी पौधा है, जिसका फूल वनस्पति जगत के सभी पौंधों के फूलों से बड़ा लगभग १ मीटर व्यास का होता और इसका वजन १० किलोग्राम तक हो सकता है। इसकी सबसे छोटी प्रजाति २० सेमी व्यास की पाई गई है। सभी प्रजातियों में फूल की त्वचा छूने में मांस की तरह प्रतीत होती है और इसके फूल से सड़े मांस की बदबू आती है जिससे कुछ विशेष कीट पतंग इसकी ओर आकृष्ट होते हैं। इस की खोज सबसे पहले इंडोनेशिया के वर्षा वनों में हुई थी, जब सर्वप्रथम डाक्टर जोसेफ अर्नाल्ड के एक स्थानीय गाइड ने इसे देखा। इसका नामकरण उसी खोजी दल के नेता सर थॉमस स्टैमफोर्ड रेफ्लस के नाम पर हुआ। अब तक इसकी २६ प्रजातियां खोजी जा चुकी है। जिनमें से ४ का नामकरण स्पष्ट रूप से नहीं हुआ है। इंडोनेशिया और मलेशिया के अतिरिक्त यह पौधा सुमात्रा और फ़िलीपीन्स में भी पाया जाता है। इसका जन्म किसी संक्रमित पेड़ की जड़ से होता है। पहले एक गाँठ सी बनती है और जब यह बड़ी होकर एक बंदगोभी के आकार की हो जाती है तब चार दिनों के अंदर इसकी पंखुड़ियाँ खुल जाती हैं और पूरा फूल आकार ले लेता है। इस पौधे में केवल फूल ही एक ऐसा भाग है जो जमीन के ऊपर रहता है शेष सब भाग कवक जाल की भांति पतले-पतले होते हैं और जमीन के अन्दर ही धागों के रूप में फैले रहते हैं। यह दूसरे पौधे की जड़ों से भोजन चूसते हैं। .

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लाम्पुंग

लाम्पुंग दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के सुमात्रा द्वीप के दक्षिणतम में स्थित एक प्रान्त है। यहाँ प्रसिद्ध क्राकाटोआ ज्वालामुखी स्थित है जिसके १८८३ के भयंकर विस्फोट से स्थानीय प्रकोप और विश्वव्यापी असर हुये थे। लाम्पुंग प्रान्त में भूकम्प आते रहते हैं और कई सक्रीय ज्वालामुखी हैं। .

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लार गिबन

लार गिबन (Lar gibbon), जो श्वेत-हस्त गिबन (white-handed gibbon) भी कहलाता है, गिबन के हायलोबेटीस वंश की एक जाति है। यह अन्य गिबनों से अधिक जाना जाता है और अक्सर विश्व के चिड़ियाघरों में मिलता है। इसका निवास स्थान युन्नान, पूर्वी बर्मा, थाईलैण्ड, मलय प्रायद्वीप और पश्चिमी सुमात्रा द्वीप है। इनका शरीर काला या भूरा होता है लेकिन हाथ-पाँव सफ़ेद होते हैं और मुखों पर अक्सर श्वेत रंग के बालों का एक चक्र होता है। .

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सफ़ेद बाघ

सफ़ेद बाघ (व्हाइट टाइगर/white tiger) एक ऐसा बाघ है जिसका प्रतिसारी पित्रैक (रिसेसिव पित्रैक) इसे हल्का रंग प्रदान करता है। एक अन्य आनुवंशिक अभिलक्षण बाघ की धारियों को बहुत हल्का रंग प्रदान करता है; इस प्रकार के सफ़ेद बाघ को बर्फ-सा सफ़ेद या "शुद्ध सफे़द" कहते हैं। सफ़ेद बाघ विवर्ण नहीं होते हैं और इनकी कोई अलग उप-प्रजाति नहीं है और इनका संयोग नारंगी रंग के बाघों के साथ हो सकता है, हालांकि (लगभग) इस संयोग के परिणामस्वरूप जन्म ग्रहण करने वाले शावकों में से आधे शावक प्रतिसारी सफ़ेद पित्रैक की वजह से विषमयुग्मजी हो सकते हैं और इनके रोएं नारंगी रंग के हो सकते हैं। इसमें एकमात्र अपवाद तभी संभव है जब खुद नारंगी रंग वाले माता/पिता पहले से ही एक विषमयुग्मजी बाघ हो, जिससे प्रत्येक शावक को या तो दोहरा प्रतिसारी सफ़ेद या विषमयुग्मजी नारंगी रंग के होने का 50 प्रतिशत अवसर मिलेगा.

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सफेद पुट्ठे वाली मुनिया

सफ़ेद पुट्ठे वाली मुनिया या सफ़ेद पुट्ठे वाली मैन्निकिन (लोन्चुरा स्ट्रिआटा), जिसे एविकल्चर (पक्षियों को रखने और पालने का कार्य) में कभी-कभी स्ट्रिएटेड फिंच भी कहते हैं, एक छोटी पासेराइन पक्षी है जो वैक्सबिल "फिन्चेस" (एस्ट्रिलडीडे) परिवार से है। यह वास्तविक फिन्चेस (फ्रिन्जिल्लिडे) और वास्तविक गौरेया (पासेरिडे) के नजदीकी रिश्तेदार हैं। यह उष्णकटिबंधीय एशिया और इसके कुछ आसपास के द्वीपों की मूलवासी है और जापान के स्पोम भागों में इसे अनुकूलित किया गया है। इसके घरेलू संकर वंशज, सोसाइटी फिंच या बेंगालीज़ फिंच, विश्व भर में एक घरेलू पक्षी और जैविक आदर्श जीवधारी के रूप में पाए जाते हैं। .

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साम्भर (हिरण)

साम्भर (Rusa unicolor) दक्षिण तथा दक्षिण पूर्वी एशिया में पाया जाने वाला एक बड़ा हिरन है। .

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सिनाबंग पर्वत

सिनाबंग इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के उत्तरी हिस्से में कारू पठार पर स्थित एक ज्वालामुखी पर्वत है। यह प्लीस्टोसीन-होलोसीन युग में निर्मित एक स्तरित ज्वालामुखी है। इसका पिछला उद्भेदन 1600 ई के आसपास हुआ माना जाता है जिसके बाद लगभग 400 वर्षों तक शांत रहने के बाद सन् 2010 में अचानक सक्रिय हो उठा और अब सक्रिय ज्वालामुखियों में गिना जाने लगा है। इसमें हालिया विस्फोट 26 जून 2015 को हुआ था जिसकी वजह से कम से कम 10,000 लोगों को अपना घर ख़ाली कर के सुरक्षित स्थानों की ओर जाना पड़ा। .

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सियामंग

सियामंग (Nomascus) गिबन के चार जीववैज्ञानिक वंशों में से एक है जो मलेशिया, थाईलैण्ड और सुमात्रा में पाया जाता है। काले रंग का यह वृक्ष विचरणी प्राणी अन्य सभी गिबनों से बड़े आकार का होता है और १ मीटर लम्बा तथा १४ किलोग्राम तक के भार वाला होता है। .

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सुन्दा चाप

सुन्दा चाप (Sunda Arc) दक्षिणपूर्व एशिया में स्थित एक ज्वालामुखीय चाप (volcanic arc) है जिसने सुमात्रा, जावा, सुन्दा जलसन्धि और लघुतर सुन्दा द्वीपसमूह के द्वीपों का निर्माण किया। इस पूरे चाप में ज्वालामुखियों की एक शृंखला रीढ़ की भांति खड़ी है। .

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सुन्दा ताक

सुन्दा ताक (Sunda Shelf) दक्षिणपूर्वी एशिया की महाद्वीपीय ताक (कॉन्टीनेन्टल शेल्फ़) का दक्षिणपूर्वी विस्तार है। सुन्दा ताक पर मलय प्रायद्वीप, सुमात्रा, जावा, बोर्नियो, मादूरा, बाली और हज़ारों छोटे द्वीप स्थित हैं। १८.५ करोड़ वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले इस समुद्री इलाक़े की गहराई लगभग सभी जगह ५० मीटर से कम है और कुछ जगहों पर केवल २० मीटर ही है। फ़िलीपीन्स, सुलावेसी और लघुतर सुन्दा द्वीपसमूह इस ताक से कुछ गहरी समुद्री खाईयों द्वारा विभाजित हैं। .

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सुन्दा जलसन्धि

सुन्दा जलसन्धि इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप और जावा द्वीप के बीच की जलसन्धि है। यह जावा सागर को हिन्द महासागर से जोड़ती है। इसका नाम पश्चिम जावा द्वीप के सुन्दा समुदाय पर पड़ा है। यह अपने न्यूनतम चौड़ाई पर केवल २४ किमी है और इसमें कई छोटे टापू व द्वीप स्थित हैं। यह अपने पश्चिमी छोर पर बहुत गहरी है लेकिन इसके पूर्वी अंत पर गहराई केवल २० मीटर तक आ जाती है। इस कम गहराई और समुद्र सतह से नीचे कई रेतीले टीलों की उपस्थिति से यह बड़ी नौकाओं के लिए बहुत ख़तरनाक माना जाता है। इस कारण से समुद्री जहाज़ इस जलसन्धि की बजाय मलक्का जलसन्धि का मार्ग अपनाते हैं। .

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सुन्दा गर्त

सुन्दा गर्त (Sunda Trench), जो पहले जावा गर्त (Java Trench) कहलाता था, पूर्वोत्तरी हिन्द महासागर में स्थित एक ३,२०० किमी तक चलने वाला एक महासागरीय गर्त है। इस गर्त की सर्वाधिक गहराई ७,७२५ मीटर (२५,३४४ फ़ुट) है जो 10°19' दक्षिण, 109°58' पूर्व के निर्देशांक पर इण्डोनेशिया के योग्यकार्ता क्षेत्र से लगभग ३२० किमी दक्षिण में स्थित है और हिन्द महासागर का सबसे गहरा स्थान है। यह गर्त जावा से आगे लघुतर सुन्दा द्वीपसमूह से शुरु होकर सुमात्रा के दक्षिणी तट से नीचे से निकलकर अण्डमान द्वीपों तक चलता है। भूवैज्ञानिक रूप से यह हिन्द-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट और यूरेशियाई प्लेट (विशेषकर सुन्दा प्लेट) के बीच की सीमा है। यह गर्त प्रशांत अग्नि वृत्त का हिस्सा है। .

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सुनीति कुमार चटर्जी

सुनीति कुमार चटर्जी (बांग्ला: সুনীতি কুমার চ্যাটার্জী) (26 अक्टूबर, 1890 - 29 मई, 1977) भारत के जानेमाने भाषाविद्, साहित्यकार तथा भारतविद् के रूप में विश्वविख्यात व्यक्तित्व थे। वे एक लोकप्रिय कला-प्रेमी भी थे। .

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सुलावेसी

सुलावेसी (Sulawesi) इंडोनेशिया के बड़े सुन्दा द्वीप समूह के चार द्वीपों में से एक है और, बोर्नियो और मालूकू द्वीप के बीच स्थित है। इंडोनेशिया में केवल सुमात्रा, बोर्नियो और पापुआ ही क्षेत्र में इससे बड़े हैं और केवल जावा और सुमात्रा की आबादी ही इससे अधिक है। इसे पहले सेलिबिज़ (पुर्तगाली: Celebes) के नाम से जाना जाता था। .

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सुंदा द्वीप समूह

हिन्द महासागर में स्थित सुन्दा द्वीप समूह, मलय द्वीपसमूह का एक हिस्सा है। इन द्वीपों का पुन:विभाजन बड़ा सुन्दा द्वीप समूह और छोटा सुन्दा द्वीप समूह में रूप में किया जाता हैं। .

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सेरी मेनांती

सेरी मेनांती (Seri Menanti) दक्षिणपूर्व एशिया के मलेशिया देश के नेगेरी सेमबिलान नामक राज्य में स्थित एक शहर है। यह उस राज्य के पारम्परिक राजघराने की राजधानी भी है, हालांकि नेगेरी सेमबिलान की वास्तविक प्रशासनिक राजधानी सेरेम्बन है, जो एक भिन्न शहर है। मलेशिया के अधिकतर राज्यों में "सुल्तान" राज्य का औपचारिक (बिना प्रशासनिक शक्तियों वाला) संवैधानिक राजाध्यक्ष होता है, लेकिन नेगेरी सेमबिलान में सुल्तान की बजाए यामतुआन बेसर नामक राजाध्यक्ष है। नेगेरी सेमबिलान के यामतुआन बेसर का महल सेरी मेनांती में ही है और इसे "इस्ताना बेसर" कहा जाता है ("इस्ताना" या "अस्ताना" मलय भाषा में संस्कृत के "स्थान" शब्द का रूप है)। .

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हाथी

अफ़्रीकी हाथी का कंकाल हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है। यह जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी है। यह एलिफैन्टिडी कुल और प्रोबोसीडिया गण का प्राणी है। आज एलिफैन्टिडी कुल में केवल दो प्रजातियाँ जीवित हैं: ऍलिफ़स तथा लॉक्सोडॉण्टा। तीसरी प्रजाति मैमथ विलुप्त हो चुकी है।जीवित दो प्रजातियों की तीन जातियाँ पहचानी जाती हैं:- ''लॉक्सोडॉण्टा'' प्रजाति की दो जातियाँ - अफ़्रीकी खुले मैदानों का हाथी (अन्य नाम: बुश या सवाना हाथी) तथा (अफ़्रीकी जंगलों का हाथी) - और ऍलिफ़स जाति का भारतीय या एशियाई हाथी।हालाँकि कुछ शोधकर्ता दोनों अफ़्रीकी जातियों को एक ही मानते हैं,अन्य मानते हैं कि पश्चिमी अफ़्रीका का हाथी चौथी जाति है।ऍलिफ़ॅन्टिडी की बाकी सारी जातियाँ और प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं। अधिकतम तो पिछले हिमयुग में ही विलुप्त हो गई थीं, हालाँकि मैमथ का बौना स्वरूप सन् २००० ई.पू.

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जम्बी

जम्बी दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के सुमात्रा द्वीप क मध्य भाग में स्थित एक प्रान्त है। .

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जहाजरानी का इतिहास

नदियों और समुद्रों में नावों और जहाजों से यात्रा तथा व्यापार का प्रारंभ लिखित इतिहास से पूर्व हो गया था। प्राय: साधारण जहाज ऐसे बनाए जाते थे कि आवश्यकता पड़ने पर उनसे युद्ध का काम भी लिया जा सके, क्योंकि जलदस्युओं का भय बराबर बना रहता था और इनसे जहाज की रक्षा की क्षमता आवश्यक थी। ये जहाज डाँड़ों या पालों अथवा दोनों से चलाए जाते थे और वांछित दिशा में ले जाने के लिये इनमें किसी न किसी प्रकार के पतवार की भी व्यवस्था होती थी। स्थलमार्ग से जलमार्ग सरल और सस्ता होता है, इसलिये बहुत बड़ी या भारी वस्तुओं को बहुत दूर के स्थानों में पहुँचाने के लिये आज भी नावों अथवा जहाजों का उपयोग होता है। प्राचीन काल में सभ्यता का उद्भव नौगम्य नदियों या समुद्रतटों पर ही विशेष रूप से हुआ और ये ही वे स्थान थे जहाँ विविध संस्कृतियों की, जातियों के सम्मिलन से, परवर्ती प्रगति का बीजारोपण हुआ। .

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जावा (द्वीप)

मेरबाबु पर्वत ज्वालामुखी जावा द्वीप इंडोनेशिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला द्वीप है। प्राचीन काल में इसका नाम यव द्वीप था और इसका वर्णन भारत के ग्रन्थों में बहुत आता है। यहां लगभग २००० वर्ष तक हिन्दू सभ्यता का प्रभुत्व रहा। अब भी यहां हिन्दुओं की बस्तियां कई स्थानों पर पाई जाती हैं। विशेषकर पूर्व जावा में मजापहित साम्राज्य के वंशज टेंगर लोग रहते हैं जो अब भी हिन्दू हैं। सुमेरू पर्वत और ब्रोमो पर्वत पूर्व जावा में यहां की और पूरे इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता (संस्कृत: जयकर्त) है। बोरोबुदुर और प्रमबनन मन्दिर यहां स्थित हैं। .

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जीवित जड़ सेतु

जीवित जड सेतु भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय के दक्षिणी भाग स्थित स्थानीय जनजाति के लोगों द्वारा जीवित वृक्षों की जडों से बनाये गये पुल हैं। जीवित वृक्षों की जड़ो को अनुवर्धित कर इन्हें जलधारा के आर पार एक सुदृण पुल में परिवर्तित कर देते हैं। समय के साथ साथ ये और भी मजबूत होते जाते हैं। ये पुल मेघालय के चेरापूँजी, नोन ग्रेट,लात्संयू आदि स्थानों पर देखे जा सकते हैं। मेघालय के जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग वहां उगने वाले बृक्षों की जड़ों और शाखाओं को एक दूसरे से सम्बद्ध कर पुल का रूप दे देते हैं। इस प्रकार के पुल ही जीवित जड़ पुल कहलाते हैं। इनको बनाने में रबर फ़िग (फ़ाइकस इलास्टिका) वृक्ष की हवाई जडों का प्रयोग किया जाता है और इनका निर्माण खासी एवं जयन्तिया जनजाति के लोग ही किया करते हैं। ऐसे सेतु नागालैण्ड में भी मिलते हैं। भारत के अलावा इंडोनेशिया में जेम्बाटन अकार द्वीप पर सुमात्रा, और जावा के बन्तेन प्रान्त में बादुय लोगों द्वारा भी ऐसे सेतु बनाये जाते हैं। .

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वनोन्मूलन

वनोन्मूलन का अर्थ है वनों के क्षेत्रों में पेडों को जलाना या काटना ऐसा करने के लिए कई कारण हैं; पेडों और उनसे व्युत्पन्न चारकोल को एक वस्तु के रूप में बेचा जा सकता है और मनुष्य के द्वारा उपयोग में लिया जा सकता है जबकि साफ़ की गयी भूमि को चरागाह (pasture) या मानव आवास के रूप में काम में लिया जा सकता है। पेडों को इस प्रकार से काटने और उन्हें पुनः न लगाने के परिणाम स्वरुप आवास (habitat) को क्षति पहुंची है, जैव विविधता (biodiversity) को नुकसान पहुंचा है और वातावरण में शुष्कता (aridity) बढ़ गयी है। साथ ही अक्सर जिन क्षेत्रों से पेडों को हटा दिया जाता है वे बंजर भूमि में बदल जाते हैं। आंतरिक मूल्यों के लिए जागरूकता का अभाव या उनकी उपेक्षा, उत्तरदायी मूल्यों की कमी, ढीला वन प्रबन्धन और पर्यावरण के कानून, इतने बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन की अनुमति देते हैं। कई देशों में वनोन्मूलन निरंतर की जाती है जिसके परिणामस्वरूप विलोपन (extinction), जलवायु में परिवर्तन, मरुस्थलीकरण (desertification) और स्वदेशी लोगों के विस्थापन जैसी प्रक्रियाएं देखने में आती हैं। .

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वरदा चक्रवात

वरदा चक्रवात बंगाल की खाड़ी में उठा एक चक्रवाती तूफान है। 12 दिसम्बर 2016 को यह तूफान आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तट से टकरा गया। पाकिस्तान द्वारा इसे 'वरदा' नाम दिया गया, इसका मतलब लाल गुलाब है। .

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विकीर्णन (डायसपोरा)

विकीर्णन या डायस्पोरा (diaspora) से आशय है -किसी भौगोलिक क्षेत्र के मूल वासियों का किसी अन्य बहुगोलिक क्षेत्र में प्रवास करना (विकीर्ण होना)। किन्तु डायसपोरा का विशेष अर्थ ऐतिहासिक अनैच्छिक प्रकृति के बड़े पैमाने वाले विकीर्ण, जैसे जुडा से यहूदियों का निष्कासन। .

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खारे पानी के मगरमच्छ

कायर्न्स, क्वींसलैंड के बाहर खारे पानी के मगरमच्छ खारे पानी का मगरमच्छ या एस्टूएराइन क्रोकोडाइल (estuarine crocodile) (क्रोकोडिलस पोरोसस) सबसे बड़े आकार का जीवित सरीसृप है। यह उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, भारत के पूर्वी तट और दक्षिण-पूर्वी एशिया के उपयुक्त आवास स्थानों में पाया जाता है। .

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गिबन

गिबन (Gibbon) लंबी बाहोंवाला, पेड़ों पर दौड़नेवाला एक कपि का जीववैज्ञानिक कुल है जो उत्तरपूर्वी भारत, पूर्वी बंग्लादेश और दक्षिणपूर्वी चीन से लेकर इण्डोनेशिया के कई द्वीपों (सुमात्रा, जावा और बोर्नियो समेत) में पाया जाता है। गिबन कुल के चार जीववैज्ञानिक वंश और १७ जीववैज्ञानिक जातियाँ अस्तित्व में हैं। इनका रंग काला, भूरा और श्वेत का मिश्रण होता है। पूरे श्वेत रंग के गिबन बहुत् कम ही दिखते हैं। गिबन जातियों में सियामंग, श्वेत-हस्त या लार गिबन और हूलोक गिबन शामिल हैं। यह मानव, चिम्पैन्ज़ी, ओरंग उतान, गोरिला और बोनोबो जैसे महाकपियों की तुलना में आकार में छोटे होते हैं और उनसे अधिक बंदर-जैसे दिखते हैं लेकिन सभी कपियों की भाँति इनकी भी पूँछ नहीं होती और यह अक्सर अपने पिछले पाँवों पर चलते हैं। इन्हें अक्सर हीनकपि (smaller apes) कहा जाता है। ये पृथ्वी पर खड़े होकर तो चल सकते ही हैं, पेड़ों पर भी हाथ के सहारे से खड़े होकर चलते हैं। यह वृक्षों में डाल-से-डाल लटककर बहुत तेज़ी से एक स्थान से दूसरे स्थान जाने में सक्षम होते हैं। इन्हें एक डाल से ५० फ़ुट (१५ मीटर) दूर की डाल तक कूदते हुए और ५५ किमी प्रति घंटे (३४ मील प्रति घंटे) की गति से पेड़ों में घूमते हुए मापा गया है। उड़ सकने वाले स्तनधारियों को छोड़कर, यह विश्व के सबसे गतिशील वृक्ष विचरणी स्तनधारी हैं। गिबन आजीवन एक ही जीवनसाथी चुनकर उसके साथ रहने के लिये जाने जाते हैं हालांकि कुछ जीववैज्ञानिक इसपर विवाद करते हैं और उनके अनुसार गिबनों में कभी-कभी तलाक जैसी प्रक्रिया भी देखी जा सकती है। .

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आचेह

आचेह दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के सुमात्रा द्वीप पर स्थित एक प्रान्त है। यह सुमात्रा के उत्तरतम भाग में स्थित है और इसका उत्तरी छोर भारत के अण्डमान व निकोबार द्वीपसमूह के दक्षिणी छोर से अंडमान सागर के पार केवल १५० किमी दूर है। आचेह में दस स्थानीय समुदाय रहते हैं, जिनमें आचेही लोग सबसे विशाल गुट है और स्थानीय जनसंख्या का ८०% से अधिक है। समझा जाता है कि इण्डोनेशिया में इस्लाम सबसे पहले आचेह में आया और यह एक रूढ़िवादी इलाक़ा है जहाँ इस्लामी शरिया क़ानून लगाने के प्रयास होते रहे हैं। आचेह में अलगाववाद के आंदोलन भी अग्रसर रहे हैं। दिसंबर 2004 में आये महाभूकम्प का उपरिकेंद्र आचेह के पास ही था और उससे उत्पन्न सूनामी लहरों की विनाश लीला में सबसे अधिक इसी प्रांत के लोग प्रभावित हुये और विश्व के मीडिया का ध्यान यहाँ सबसे ज्यादा केन्द्रित हुआ। .

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आचेही भाषा

आचेही भाषा (आचेही: बाहसा आचेह, Bahsa Acèh, بهسا اچيه) इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप से सुदूर पश्चिम आचेह क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। यह ऑस्ट्रोनीशियाई भाषा-परिवार की मलय-पोलेनीशियाई शाखा की चामी भाषा उपशाखा की एक भाषा है। .

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आम्बोन, मालुकू

आम्बोन (Ambon), जिसे इण्डोनेशियाई भाषा में कोटा आम्बोन (Kota Ambon) इण्डोनेशिया के मालुकू द्वीपसमूह के का मुख्य शहर और बंदरगाह है। यह शहर मालुकू प्रान्त की राजधानी भी है। आम्बोन एक बहुजातीय और बहुधर्मी शहर है, जिसमें स्थानीय मालुकू समुदायों का और जावा, सुमात्रा और अन्य इण्डोनेशियाई द्वीपों से आये समुदाय रहते हैं। धार्मिक दृष्टि से यहाँ ईसाईयों व मुस्लिमों की संख्या लगभग बराबर है, और इन दोनों समुदायों में कभी-कभी झड़पे हो चुकी हैं। .

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आग

जंगल की आग आग दहनशील पदार्थों का तीव्र ऑक्सीकरण है, जिससे उष्मा, प्रकाश और अन्य अनेक रासायनिक प्रतिकारक उत्पाद जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और जल.

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इत्सिंग

इत्सिंग का यात्रा-पथ इत्सिंग एक चीनी यात्री एवं बौद्ध भिक्षु था, जो ६७१-६९५ ई. में भारत आया था। वह ६७५ ई में सुमात्रा के रास्ते समुद्री मार्ग से भारत आया था और 10 वर्षों तक 'नालन्दा विश्वविद्यालय' में रहा था। उसने वहाँ के प्रसिद्ध आचार्यों से संस्कृत तथा बौद्ध धर्म के ग्रन्थों को पढ़ा। 691 ई. में इत्सिंग ने अपना प्रसिद्ध ग्रन्थ 'भारत तथा मलय द्वीपपुंज में प्रचलित बौद्ध धर्म का विवरण' लिखा। उसने 'नालन्दा' एवं 'विक्रमशिला विश्वविद्यालय' तथा उस समय के भारत पर प्रकाश डाला है। इस ग्रन्थ से हमें उस काल के भारत के राजनीतिक इतिहास के बारे में तो अधिक जानकारी नहीं मिलती, परन्तु यह ग्रन्थ बौद्ध धर्म और 'संस्कृत साहित्य' के इतिहास का अमूल्य स्रोत माना जाता है।.

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इंडोनेशिया में समय

इंडोनेशियाई द्वीपसमूह चार समय मंडलों ऐकेह में यूटीसी+०६:०० से पश्चिमी पापुआ में यूटीसी+०९:०० तक फैला हुआ है। हालांकि यहाम्ं की सरकार आधिकारिक रूप से सिर्फ़ तीन समय मंडलों को मानती है: पश्चिमी इंडोनेशियाई समय—जो कि ग्रीनविच मानक समय से सात घंटे आगे (यूटीसी+०७:००) पड़ता है। मध्य इंडोनेशियाई समय— जो कि जीएमटी से आठ घंटे आगे (यूटीसी+०८:००) पर पड़ता है और पूर्वी इंडोनेशियाई समय—जो कि जीएमटी से नौ घंटे आगे (यूटीसी+०९:००) पर पड़ता है। पश्चिमी और मध्य समय मंडल के बीच की रेखा जावा और बाली के उत्तर से होते हुए कालीमन्तन के मध्य से होकर गुजरती है। मध्य और पूर्वी समय मंडलों को बाँटने वाली रेखा तिमोर के पूर्वी छोर से लेकर सुलावेसी के पूर्वी छोर तक जाती है। .

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इंडोनेशिया के प्रांत

इंडोनेशिया देश ३४ प्रांतों में विभक्त है, जिन्हें इण्डोनेशियाई भाषा में प्रोविन्सी (provinsi) कहा जाता है। इनको सात विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में रखा जाता है - सुमात्रा, बाली और जावा द्वीप इनमें प्रमुख हैं। राष्ट्रीय राजधानी जकार्ता जावा में स्थित है। .

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कठपुतली

कठपुतली विश्व के प्राचीनतम रंगमंच पर खेला जानेवाले मनोरंजक कार्यक्रम में से एक है कठपुतलियों को विभिन्न प्रकार की गुड्डे गुड़ियों, जोकर आदि पात्रों के रूप में बनाया जाता है इसका नाम कठपुतली इस कारण पड़ा क्योंकि पूर्व में भी लकड़ी अर्थात काष्ठ से से बनाया जाता था इस प्रकार काष्ठ से बनी पुतली का नाम कठपुतली पड़ा।प्रत्येक वर्ष २१ मार्च को विश्व कठपुतली दिवस भी मनाया जाता है। धागों से संचालित कठपुतली .

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कपूर

कपूर (संस्कृत: कर्पूर) उड़नशील वानस्पतिक द्रव्य है। यह सफेद रंग का मोम की तरह का पदार्थ है। इसमे एक तीखी गंध होती है। कपूर को संस्कृत में कर्पूर, फारसी में काफ़ूर और अंग्रेजी में कैंफ़र कहते हैं। कपूर उत्तम वातहर, दीपक और पूतिहर होता है। त्वचा और फुफ्फुस के द्वारा उत्सर्जित होने के कारण यह स्वेदजनक और कफघ्न होता है। न्यूनाधिक मात्रा में इसकी क्रिया भिन्न-भिन्न होती है। साधारण औषधीय मात्रा में इससे प्रारंभ में सर्वाधिक उत्तेजन, विशेषत: हृदय, श्वसन तथा मस्तिष्क, में होता है। पीछे उसके अवसादन, वेदनास्थापन और संकोच-विकास-प्रतिबंधक गुण देखने में आते हैं। अधिक मात्रा में यह दाहजनक और मादक विष हो जाता है। .

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कबाबचीनी

कबाबचीनी का पौधा 300px कबाबचीनी नाम से काली मिर्च सदृश सवृंत फल बाजार में मिलते हैं। इनका स्वाद कटु-तिक्त होता है, किंतु चबाने से मनोरम तीक्ष्ण गंध आती है और जीभ शीतल मालूम होती है। इसे कंकोल (ल्ल), सुगंधमरिच, शीतलचीनी और क्यूबेब (Cubeba) भी कहते हैं। यह पाइपरेसिई (Piperaceae) कुल की पाइपर क्यूबेबा (Piper Cubeba) नामक लता का फल है जो जावा, सुमात्रा तथा बोर्नियो में स्वत: पैदा होती है। लंका तथा दक्षिण भारत के कुछ भागों में भी इसे उगाया जाता है। कबाबचीनी की लता आरोही एवं वर्षानुवर्षी, कांड स्पष्ट तथा मोटी संधियों से युक्त और पत्र चिकने, लंबाग्र, सवृंत और स्पष्ट शिराओंवाले तथा अधिकतर आयताकार होते हैं। पुष्प अवृंत, द्विक्षयक (dioecious) और शूकी (स्पाइक, spike) मंजरी से निकलते हैं। व्यवहार के लिए अपक्व परंतु पूर्ण विकसित फलों को ही तोड़कर सुखाया जाता है। ये गोलाकार, सूखने पर गाढ़े भूरे रंग के किंतु धूलिधूसरित, व्यास के लगभग चार मिलीमीटर और एक बीजवाले होते हैं। फलत्वक्‌ के ऊपर सिलवटों का जाल बना होता है। फल के शीर्ष भाग पर त्रिरश्म्याकार (ट्राइरेडिएट, triradiate) वर्तिकाग्र (स्टिग्मा, stigma) और आधार पर लगभग चार मिलीमीटर लंबी वृंत सदृश बाह्यवृद्धि उपस्थित रहती है। आयुर्वेदीय चिकित्सा में इसका उपयोग बहुत कम हाता है, परंतु नव्य चिकित्सा पद्धति में इसका बहुत महत्व है। इसे कटु तिक्त, दीपक-पाचक, वृश्य तथा कफ, वात, तृषा एवं मुख की जड़ता और दुर्गंध दूर करनेवाली कहा गया है। श्लेष्मल कलाओं, विशेषत: मूत्र मार्ग, गुदा एवं श्वासमार्ग की श्लेष्मल कलाओं पर इसकी उत्तेजक क्रिया होती है। पुराने सुजाक (पूयमेह), अर्श तथा पुराने कफरोग में उत्तेजक, मूत्रजनक, पूतिहर, वातनाशक, दीपक और कफघ्न गुणों के कारण इसका प्रचुर उपयोग होता है। कबाबचीनी में 5-20 प्रतिशत उड़नेवाला तैल होता है, जिसमें टरपीन (Terpene), सेस्क्वि-टरपीन (Sesqui-Terpene) तथा केडिनीनी (Cadinene) आदि श्रेणी के कई द्रव्यों का मिश्रण होता है। .

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कराटे

() यूक्यू द्वीप समूह में विकसित एक युद्धकला है जो अब ओकिनावा, जापान में है। इसका विकास देशी युद्ध पद्धति से हुआ था जिसे चीनी केम्पो कहते हैंओकिनवान कराटे का इतिहास कराटे एक प्रहार कला है जिसमें मुक्केबाजी, पाद प्रहार और घुटना प्रहार और मुक्त-हस्त प्रौद्योगिकी जैसे नाइफ-हैंड्स (कराटे चोप) के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। कुछ शैलियो में ग्रेपलिंग, लॉक्स, अटकाव, थ्रो और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रहार करना सिखाया जाता है अध्याय 9 में मोटोबु-यू और बुजेइकन, दो टी शैली के साथ ग्रेपलिंग और महत्वपूर्ण बिंदुओं में प्रहार तकनीक को बताया गया है। पृष्ठ 165, सेइटोकु हिगा: "एक प्रहार को निष्प्रभाव करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दबाव, कलाई पर पकड़, ग्रेपलिंग, प्रहार और पाद प्रहार का प्रयोग एक सौम्य तरीका है।" एक कराटे अभ्यस्त कर्मी को कहा जाता है। 19 वीं शताब्दी में जापान द्वारा यूक्यु साम्राज्य को मिलाने से पहले यहां कराटे को विकसित किया गया था। जापानी और यूक्यूवांश के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के समय के दौरान 20वीं शताब्दी की प्रारम्भ में इसे जापान की मुख्य भूमि में शामिल किया गया था। 1922 में जापान के शिक्षा मंत्रालय ने गिचिन फुनाकोशी को कराटे के प्रदर्शन के लिए टोक्यो आमंत्रित किया था। 1924 में केइयो विश्वविद्यालय ने पहला विश्वविद्यालय कराटे क्लब की स्थापना की और 1932 तक प्रमुख जापानी विश्वविद्यालयों में कराटे क्लब खुल चुके थे। जापानी सैन्यवाद के इस बढ़ते युग में, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ओकिनावा संयुक्त राज्य सैन्य का एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया और वहां तैनात सैनिकों के बीच कराटे लोकप्रिय बन गया। 1960 और 1970 के दशक की फिल्मों के चलते मार्शल आर्ट की लोकप्रियता में काफी इजाफा हुआ और कराटे शब्द का प्रयोग सभी प्रहार-आधारित ओरिएंटल मार्शल आर्ट का उल्लेख करने के लिए एक सामान्य तरीके की शुरूआत की गई। उसके बाद दुनिया भर में कराटे स्कूल खुलने लगे थे और कम रूचि के साथ-साथ जो आर्ट का गहन अध्ययन करना चाहते थे, दोनों की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर स्कूलों को खोला गया। शोटोकोन डोजो के मुख्य प्रशिक्षक शिगेरु एगामी ने कहा कि "विदेशी देशों में कराटे के अनुयायी कराटे का अनुसरण केवल लड़ाई के तकनीक के लिए करते हैं।..फिल्म और टेलीविजन...कराटे को एक रहस्यमयी युद्ध शैली के रूप में दर्शाया गया है जिसमें बताया गया है कि उसमें एक घूंसा भी चोट या मौत का कारण बनने में सक्षम होता है।..

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कार भाषा

कार (Car) भारत के निकोबार द्वीपसमूह में बोली जाने वाली एक भाषा है जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं की निकोबारी शाखा की सदस्य है। यह सबसे अधिक बोली जाने वाली निकोबारी भाषा है और कार निकोबार द्वीप पर केन्द्रित है। कार भाषा में अभिश्लेषण देखा जाता है। यह वियतनामी भाषा और खमेर भाषा से सम्बन्धित है लेकिन इसकी सबसे निकटतम ग़ैर-निकोबारी भाषा पास में स्थित इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के पश्चिमोत्तरी आचेह क्षेत्र में बोली जाने वाली आचेही भाषा है। .

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कारीमाता जलसन्धि

कारीमाता जलसन्धि दक्षिणपूर्व एशिया में जावा सागर को दक्षिण चीन सागर से जोड़ने वाली एक जलसन्धि है। यह इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप को बोर्नियो द्वीप (कालिमंतान) से अलग करती है। दोनों द्वीपों में इण्डोनेशिया की सम्प्रभुता वाले क्षेत्र ही इस जलसन्धि पर तटवर्ती हैं। .

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क्राकाटोआ

यह एक प्रमुख ज्वालामुखी हैं। .

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कैम्पबॅल बे

कैम्पबॅल बे भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के निकोबार द्वीप समूह के सबसे बड़े द्वीप ग्रेट निकोबार में स्थित है। यह इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप से लगभग १९० कि॰मी॰ उत्तर में स्थित है। श्रेणी:हिन्द महासागर की खाड़ियाँ.

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अचाइनीज भाषा

यह विश्व की एक प्रमुख भाषा है | .

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अगस्त्य

अगस्त्य (तमिल:அகத்தியர், अगतियार) एक वैदिक ॠषि थे। ये वशिष्ठ मुनि के बड़े भाई थे। इनका जन्म श्रावण शुक्ल पंचमी (तदनुसार ३००० ई.पू.) को काशी में हुआ था। वर्तमान में वह स्थान अगस्त्यकुंड के नाम से प्रसिद्ध है। इनकी पत्नी लोपामुद्रा विदर्भ देश की राजकुमारी थी। इन्हें सप्तर्षियों में से एक माना जाता है। देवताओं के अनुरोध पर इन्होंने काशी छोड़कर दक्षिण की यात्रा की और बाद में वहीं बस गये थे। वैज्ञानिक ऋषियों के क्रम में महर्षि अगस्त्य भी एक वैदिक ऋषि थे। निश्चित ही आधुनिक युग में बिजली का आविष्कार माइकल फैराडे ने किया था। बल्ब के अविष्कारक थॉमस एडिसन अपनी एक किताब में लिखते हैं कि एक रात मैं संस्कृत का एक वाक्य पढ़ते-पढ़ते सो गया। उस रात मुझे स्वप्न में संस्कृत के उस वचन का अर्थ और रहस्य समझ में आया जिससे मुझे बल्ब बनाने में मदद मिली। महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। इनकी गणना सप्तर्षियों में की जाती है। महर्षि अगस्त्य को मं‍त्रदृष्टा ऋषि कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने तपस्या काल में उन मंत्रों की शक्ति को देखा था। ऋग्वेद के अनेक मंत्र इनके द्वारा दृष्ट हैं। महर्षि अगस्त्य ने ही ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 165 सूक्त से 191 तक के सूक्तों को बताया था। साथ ही इनके पुत्र दृढ़च्युत तथा दृढ़च्युत के पुत्र इध्मवाह भी नवम मंडल के 25वें तथा 26वें सूक्त के द्रष्टा ऋषि हैं। महर्षि अगस्त्य को पुलस्त्य ऋषि का पुत्र माना जाता है। उनके भाई का नाम विश्रवा था जो रावण के पिता थे। पुलस्त्य ऋषि ब्रह्मा के पुत्र थे। महर्षि अगस्त्य ने विदर्भ-नरेश की पुत्री लोपामुद्रा से विवाह किया, जो विद्वान और वेदज्ञ थीं। दक्षिण भारत में इसे मलयध्वज नाम के पांड्य राजा की पुत्री बताया जाता है। वहां इसका नाम कृष्णेक्षणा है। इनका इध्मवाहन नाम का पुत्र था। अगस्त्य के बारे में कहा जाता है कि एक बार इन्होंने अपनी मंत्र शक्ति से समुद्र का समूचा जल पी लिया था, विंध्याचल पर्वत को झुका दिया था और मणिमती नगरी के इल्वल तथा वातापी नामक दुष्ट दैत्यों की शक्ति को नष्ट कर दिया था। अगस्त्य ऋषि के काल में राजा श्रुतर्वा, बृहदस्थ और त्रसदस्यु थे। इन्होंने अगस्त्य के साथ मिलकर दैत्यराज इल्वल को झुकाकर उससे अपने राज्य के लिए धन-संपत्ति मांग ली थी। 'सत्रे ह जाताविषिता नमोभि: कुंभे रेत: सिषिचतु: समानम्। ततो ह मान उदियाय मध्यात् ततो ज्ञातमृषिमाहुर्वसिष्ठम्॥ इस ऋचा के भाष्य में आचार्य सायण ने लिखा है- 'ततो वासतीवरात् कुंभात् मध्यात् अगस्त्यो शमीप्रमाण उदियाप प्रादुर्बभूव। तत एव कुंभाद्वसिष्ठमप्यृषिं जातमाहु:॥ दक्षिण भारत में अगस्त्य तमिल भाषा के आद्य वैय्याकरण हैं। यह कवि शूद्र जाति में उत्पन्न हुए थे इसलिए यह 'शूद्र वैयाकरण' के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह ऋषि अगस्त्य के ही अवतार माने जाते हैं। ग्रंथकार के नाम परुनका यह व्याकरण 'अगस्त्य व्याकरण' के नाम से प्रख्यात है। तमिल विद्वानों का कहना है कि यह ग्रंथ पाणिनि की अष्टाध्यायी के समान ही मान्य, प्राचीन तथा स्वतंत्र कृति है जिससे ग्रंथकार की शास्त्रीय विद्वता का पूर्ण परिचय उपलब्ध होता है। भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उनके विशिष्ट योगदान के लिए जावा, सुमात्रा आदि में इनकी पूजा की जाती है। महर्षि अगस्त्य वेदों में वर्णित मंत्र-द्रष्टा मुनि हैं। इन्होंने आवश्यकता पड़ने पर कभी ऋषियों को उदरस्थ कर लिया था तो कभी समुद्र भी पी गये थे। इन मूर्तियों में से बायीं वाली अगस्त्य ऋषि की है। ये इंडोनेशिया में प्रंबनम संग्रहालय, जावा में रखी हैं और ९वीं शताब्दी की हैं। .

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अंडमान सागर

अंडमान सागर को नीले रंग से दर्शाया गया है अंडमान सागर बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्व, म्यान्मार के दक्षिण, थाईलैंड के पश्चिम और अंडमान द्वीप समुह के पूर्व मे स्थित एक जल संग्रह है। यह हिन्द महासागर का एक भाग है। ये उत्तर से दक्षिण तक लगभग १,२०० किमी और पूर्व से पश्चिम तक लगभग ६५० किमी में फैला हुआ है और इसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफल ७,९७,००० वर्ग किमी है। इसकी औसत गहराई ८७० मीटर है और अधिकतम गहराई ३,७७७ मीटर है। अपने दक्षिण पश्चिमी कोने पर अंडमान सागर संकरा होता जाता है और मलाक्का की खाड़ी का निर्माण करता है, जो मलेशिया के मलय प्रायद्वीप और इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप को अलग करता है। श्रेणी:भारत श्रेणी:म्यान्मार श्रेणी:बंगाल की खाड़ी श्रेणी:हिन्द महासागर के सागर * श्रेणी:एशिया के सागर.

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उत्तर सुमात्रा

उत्तर सुमात्रा दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के सुमात्रा द्वीप पर स्थित एक प्रान्त है। यह आचेह प्रान्त से दक्षिणपूर्व में स्थित है और जावा द्वीप से बाहर देश का सर्वाधिक आबादी वाला प्रान्त है। प्रान्त के लगभग ४०% लोग बतक समुदाय से हैं। .

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२००९

२००९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। वर्ष २००९ बृहस्पतिवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को एवं आइएयू ने १६०९ में गैलीलियो गैलिली द्वारा खगोलीय प्रेक्षण आरंभ करने की घटना की ४००वीं जयंती के उपलक्ष्य में इसे अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष घोषित किया है। .

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२०१०

वर्ष २०१० वर्तमान वर्ष है। यह शुक्रवार को प्रारम्भ हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष २०१० को अंतराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इन्हें भी देखें 2010 भारत 2010 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2010 साहित्य संगीत कला 2010 खेल जगत 2010 .

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