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सुन्नी इस्लाम

सूची सुन्नी इस्लाम

सुन्नी मुस्लिम इस्लाम के सबसे बड़े सम्प्रदाय सुन्नी इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हैं। सुन्नी इस्लाम को अहले सुन्नत व'ल जमाअत (अरबी: أهل السنة والجماعة‎ "(मुहम्म्द के) आदर्श लोग और समुदाय") या संक्षिप्त में अहल अस- सुन्नाह (अरबी: أهل السنة‎) भी कहते हैं। सुन्नी शब्द अरबी के सुन्नाह (अरबी: سنة) से आया है, जिसका अर्थ (पैगम्बर मोहम्मद) की बातें और कर्म या उनके आदर्श है। सामान्य अर्थों में सुन्नी -पवित्र ईशसन्देश्टा मुहम्मद स० के निधन के पश्चात जिन लोगों ने मुहम्मद स० द्वारा बताये गये नियमों का पालन किया सुन्नी कहलाऐ। सुन्नी दुनिया में 80% हैं ये आंकड़ा 5 गिरोह को मिलाकर बनता हैं।.

158 संबंधों: तालिबान आन्दोलन, ताजिक लोग, ताइफ़, तुर्कमेन लोग, तुर्की, त्रिपोली (लेबनान), तैमूरी राजवंश, दारा शूकोह, दिल्ली सल्तनत, दुर्रानी साम्राज्य, देवबन्दी, नबतीये​ प्रान्त, निकाह हलाला, नजम सेठी, नजरान प्रान्त, नीनवा प्रान्त, पाकिस्तान, पुनियाल, पूर्वी प्रान्त, सउदी अरब, बदख़्शान, बहादुर शाह प्रथम, बाबर, बायज़ीद द्वितीय, बग़दाद प्रान्त, बंगश, बुसरा अल शाम, बेथलहम, बेयरूत, बेयरूत प्रान्त, बेल्जियम, बेक़आ प्रान्त, बेक़आ वादी, भारत में धर्म, भारत में इस्लाम, मस्जिद ए कबीर मध्य जावा, महमद तृतीय, महमूद ग़ज़नवी, महान अल-नूरी मस्जिद, मार्मड्यूक पिकथल, मालदीव, माह चुचक बेगम, मिनंगकाबाऊ लोग, मुराद चतुर्थ, मुराद तृतीय, मुस्तफ़ा प्रथम, मुस्तफा इशक-बौशकी, मुहम्मद मुर्सी, मुहम्मद अल-बुख़ारी, मोइनुद्दीन चिश्ती, मीलाद उन-नबी, ..., यूसुफ़ज़ई, राशिदून ख़लीफ़ा, लेबनान, लेग़ारी, शम्स तबरेज़ी, शरीयत, शाह फैसल, शिया इस्लाम, शिया-सुन्नी विवाद, शआबान, सफ़्फ़ारी राजवंश, सम्प्रदाय, सलजूक़ साम्राज्य, सलीम द्वितीय, सहाबा, सहीह मुस्लिम, सहीह अल-बुख़ारी, सामानी साम्राज्य, सामंजस्य बौशकी, सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान, सिबि ज़िला, सिर्री सक़्ती, सउदी अरब, सुन्दा लोग, सूरी साम्राज्य, सीरिया में इस्लाम, हनफ़ी पन्थ, हमीदा बानो बेगम, हलब, हसरत मोहानी, हाफिज़ मुहम्मद सईद, हज़रत निज़ामुद्दीन, हज्जाज बिन युसुफ़, हैरी पॉटर श्रृंखला पर धार्मिक बहस, जलालुद्दीन रूमी, ज़ंस्कार, जामा मस्जिद सफीलपुर, जंगी साम्राज्य, ईरान-इजराइल सम्बन्ध, वारिस अली शाह, वास्को द गामा, विश्व में इस्लाम धर्म, विश्व इस्लामी मिशन, ख़लीफ़ा, ख़ज़र लोग, ख़्वाजा बंदे नवाज़, खालिदा ज़िया, गयासुद्दीन तुग़लक़, ग़िज़र ज़िला, ग़ज़नवी साम्राज्य, ग़ुलाम वंश, ग़ोरी राजवंश, गाम्बिया, गाज़ा पट्टी, गोरीकोट वादी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, औरंगज़ेब, आईएसआईएस, इस्लाम, इस्लाम में तलाक़, इस्लाम के पांच मूल स्तंभ, इस्लाम के सम्प्रदाय एवं शाखाएँ, इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ईराक़, इस्लामी स्वर्ण युग, कल्होड़ा राजवंश, क़ाराक़ालपाक़ लोग, क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी, कज़ाख़ लोग, कुर्रम वादी, कृष्ण, कोमोरोस, कोर्डोबा खिलाफत, कोर्डोबा अमीरात, अदमा बैरो, अनबार प्रान्त, अफ़शारी राजवंश, अफ़्पाक, अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म, अबु बक्र, अबु अय्यूब अल-मसरी, अब्दुर्रहमान बिस्वास, अब्दुल रहमान मस्जिद, अय्यूबी साम्राज्य, अल ग़ज़ाली, अल अशरफ मूसा, अल-क़ायदा, अल-अजहर विश्वविद्यालय, अलाउद्दीन खिलजी, अल्प तिगिन, अली हसन अल-मजीद, अली इब्न अबी तालिब, असमा अल-अशद, अहमद तृतीय, अहमद प्रथम, अहमद कथ्रादा, अहल अल-हदीस, अहले सुन्नत वल जमात, अज़रबैजान में मस्जिदों की सूची, उत्तर प्रान्त (लेबनान), उरवा इब्न जुबैर, उस्मान द्वितीय, उस्मानी साम्राज्य, उज़बेक लोग, उज़्बेकिस्तान, २ मार्च, २००४, २०१०, 2017 कतर राजनयिक संकट सूचकांक विस्तार (108 अधिक) »

तालिबान आन्दोलन

तालिबान आंदोलन (طالبان) जिसे तालिबान या तालेबान के नाम से भी जाना जाता है, एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है जिसकी शुरूआत 1994 में दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में हुई थी। तालिबान पश्तो भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञानार्थी (छात्र)। ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा पर यकीन करते हैं। तालिबान इस्लामिक कट्टपंथी राजनीतिक आंदोलन हैं। इसकी सदस्यता पाकिस्तान तथा अफ़ग़ानिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलती है। 1996 से लेकर 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के दौरान मुल्ला उमर देश का सर्वोच्च धार्मिक नेता था। उसने खुद को हेड ऑफ सुप्रीम काउंसिल घोषित कर रखा था। तालेबान आन्दोलन को सिर्फ पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने ही मान्यता दे रखी थी। अफगानिस्तान को पाषाणयुग में पहुँचाने के लिए तालिबान को जिम्मेदार माना जाता है। .

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ताजिक लोग

अफ़्ग़ान सांसद नीलोफ़र इब्राहिमी एक ताजिक हैं ताजिकिस्तान का एक परिवार ईद-उल-फ़ित्र की ख़ुशियाँ मनाते हुए ताजिक (ताजिक: Тоҷик, फ़ारसी:, तॉजिक) मध्य एशिया (विशेषकर ताजिकिस्तान, अफ़्ग़ानिस्तान, उज़बेकिस्तान और पश्चिमी चीन) में रहने वाले फ़ारसी-भाषियों के समुदायों को कहा जाता है। बहुत से अफ़्ग़ानिस्तान से आये ताजिक शरणार्थी ईरान और पाकिस्तान में भी रहते हैं। अपनी संस्कृति और भाषा के मामले में ताजिक लोगों का ईरान के लोगों से गहरा सम्बन्ध रहा है।, Olivier Roy, I.B.Tauris, 2000, ISBN 978-1-86064-278-4 चीन के ताजिक लोग अन्य ताजिक लोगों से ज़रा भिन्न होते हैं क्योंकि वे पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलते हैं जबकि अन्य ताजिक फ़ारसी बोलते हैं।, New World Press, 1989, ISBN 978-7-80005-078-7,...

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ताइफ़

सरवात पहाड़ियों में ताइफ़ जाती सड़क ताइफ़ (अरबी:, अंग्रेज़ी: Ta'if) सउदी अरब के मक्का प्रान्त में स्थित एक शहर है। यह मक्का से १०० किमी दक्षिणपूर्व में सरवात पहाड़ियों में १,८७९ मीटर (६,१६५ फ़ुट) की ऊँचाई पर बसा हुआ है और अपने लुभावने वातावरण के लिए जाना जाता है। इस शहर के मध्य में खुले क्षेत्रों में अंगूर और गुलाब उगाए जाते हैं और शहद भी बनाया जाता है। .

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तुर्कमेन लोग

तुर्कमेन मध्य एशिया में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। तुर्कमेन लोग मुख्य रूप से तुर्कमेनिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, पूर्वोत्तरी ईरान, सीरिया, इराक़ और उत्तरी कॉकस क्षेत्र में रूस के स्ताव्रोपोल क्राय में रहते हैं। यह तुर्कमेन भाषा बोलते हैं जो तुर्की भाषा-परिवार की ओग़ुज़ शाखा की एक बोली है। कुछ तुर्कमेन लोग तुर्की, अज़ेरी, क़शक़ाई और गागाउज़ भाषाएँ भी बोलते हैं। .

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तुर्की

तुर्की (तुर्क भाषा: Türkiye उच्चारण: तुर्किया) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये दुनिया का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है। ये एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसके एशियाई हिस्से को अनातोलिया और यूरोपीय हिस्से को थ्रेस कहते हैं। स्थिति: 39 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 36 डिग्री पूर्वी देशान्तर। इसका कुछ भाग यूरोप में तथा अधिकांश भाग एशिया में पड़ता है अत: इसे यूरोप एवं एशिया के बीच का 'पुल' कहा जाता है। इजीयन सागर (Aegean sea) के पतले जलखंड के बीच में आ जाने से इस पुल के दो भाग हो जाते हैं, जिन्हें साधारणतया यूरोपीय टर्की तथा एशियाई टर्की कहते हैं। टर्की के ये दोनों भाग बॉसपोरस के जलडमरूमध्य, मारमारा सागर तथा डारडनेल्ज द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं। टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बुल्गारिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं। यूरोपीय टर्की - त्रिभुजाकर प्रायद्वीपी प्रदेश है जिसका शीर्षक पूर्व में बॉसपोरस के मुहाने पर है। उसके उत्तर तथा दक्षिण दोनों ओर पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई हैं। मध्य में निचला मैदान मिलता है जिसमें होकर मारीत्सा और इरजिन नदियाँ बहती हैं। इसी भाग से होकर इस्तैस्म्यूल का संबंध पश्चिमी देशों से है। एशियाई टर्की - इसको हम तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं: 1.

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त्रिपोली (लेबनान)

त्रिपोली शहर के कुछ नज़ारे त्रिपोली या तराबुलुस (अरबी:, अंग्रेज़ी: Tripoli) उत्तरी लेबनान का सबसे बड़ा शहर और (बेयरूत के बाद) उस पूरे देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। बेयरूत से ८५ किमी उत्तर में स्थित यह शहर लेबनान के उत्तर प्रान्त की राजधानी भी है। यह नगर भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित है और इसके नज़दीक समुद्र में चार द्वीपों का एक समूह भी है। त्रिपोली शहर अल-मीना की बंदरगाह से जुड़ा हुआ है।, Anthony Ham, pp.

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तैमूरी राजवंश

अपने चरम पर तैमूरी साम्राज्य तैमूरी राजवंश (फ़ारसी:, तैमूरियान), जो स्वयं को 'गुरकानी राजवंश' कहते थे, मध्य एशिया और उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप के विस्तृत इलाक़ों पर राज करने वाला तुर्की-मंगोल नस्ल का एक सुन्नी मुस्लिम वंश था। अपने चरम पर इसके साम्राज्य में समस्त ईरान, अफ़्ग़ानिस्तान और उज़बेकिस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान, उत्तर भारत, आनातोलिया, कॉकस और मेसोपोटामिया के बड़े भूभाग शामिल थे। इस राजवंश की नीव १४वीं शताब्दी ईसवी में तैमूरलंग नामक आक्रामक और विजेता ने रखी थी।, Maria Subtelny, BRILL, 2007, ISBN 978-90-04-16031-6 १६वीं सदी में उज़बेकिस्तान की फ़रग़ना वादी से भारत पर आक्रमण करके मुग़ल सलतनत की स्थापना करने वाला बाबर भी इसी तैमूरी राजवंश का हिस्सा था। क्योंकि तैमूरलंग को अक्सर 'अमीर तैमूर' कहा जाता था इसलिए इस राजघराने के वंशज अपने नामों में अक्सर 'मिर्ज़ा' जोड़ लिया करते थे जो 'अमीरज़ादा' (यानि 'अमीर का पुत्र') का संक्षिप्त रूप है।, Mansura Haidar, Mukhtar Ahmad Ansari, Department of History, Jamia Millia Islamia (India), Aakar Books, 2003, ISBN 978-81-87879-11-4,...

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दारा शूकोह

दारा शूकोह (जन्म 20 मार्च 1615 - हत्या 10 सितंबर 1659) मुमताज़ महल के गर्भ से उत्पन्न मुग़ल सम्राट शाहजहाँ का ज्येष्ठ पुत्र तथा औरंगज़ेब का बड़ा भाई। .

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दिल्ली सल्तनत

सन् 1210 से 1526 तक भारत पर शासन करने वाले पाँच वंश के सुल्तानों के शासनकाल को दिल्ली सल्तनत (دلی سلطنت) या सल्तनत-ए-हिन्द/सल्तनत-ए-दिल्ली कहा जाता है। ये पाँच वंश ये थे- गुलाम वंश (1206 - 1290), ख़िलजी वंश (1290- 1320), तुग़लक़ वंश (1320 - 1414), सैयद वंश (1414 - 1451), तथा लोधी वंश (1451 - 1526)। इनमें से चार वंश मूलतः तुर्क थे जबकि अंतिम वंश अफगान था। मोहम्मद ग़ौरी का गुलाम कुतुब-उद-दीन ऐबक, गुलाम वंश का पहला सुल्तान था। ऐबक का साम्राज्य पूरे उत्तर भारत तक फैला था। इसके बाद ख़िलजी वंश ने मध्य भारत पर कब्ज़ा किया परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप को संगठित करने में असफल रहा। इस सल्तनत ने न केवल बहुत से दक्षिण एशिया के मंदिरों का विनाश किया साथ ही अपवित्र भी किया,रिचर्ड ईटन (2000),, Journal of Islamic Studies, 11(3), pp 283-319 पर इसने भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली सल्तनत मुस्लिम इतिहास के कुछ कालखंडों में है जहां किसी महिला ने सत्ता संभाली। १५२६ में मुगल सल्तनत द्वारा इस इस साम्राज्य का अंत हुआ। .

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दुर्रानी साम्राज्य

दुर्रानी साम्राज्य (पश्तो:, द दुर्रानियानो वाकमन​ई) एक पश्तून साम्राज्य था जो अफ़्ग़ानिस्तान पर केन्द्रित था और पूर्वोत्तरी ईरान, पाकिस्तान और पश्चिमोत्तरी भारत पर विस्तृत था। इस १७४७ में कंदहार में अहमद शाह दुर्रानी (जिसे अहमद शाह अब्दाली भी कहा जाता है) ने स्थापित किया था जो अब्दाली कबीले का सरदार था और ईरान के नादिर शाह की फ़ौज में एक सिपहसलार था। १७७३ में अहमद शाह की मृत्यु के बाद राज्य उसके पुत्रों और फिर पुत्रों ने चलाया जिन्होने राजधानी को काबुल स्थानांतरित किया और पेशावर को अपनी शीतकालीन राजधानी बनाया। अहमद शाह दुर्रानी ने अपना साम्राज्य पश्चिम में ईरान के मशाद शहर से पूर्व में दिल्ली तक और उत्तर में आमू दरिया से दक्षिण में अरब सागर तक फैला दिया और उसे कभी-कभी आधुनिक अफ़्ग़ानिस्तान का राष्ट्रपिता माना जाता है।, Library of Congress Country Studies on Afghanistan, 1997, Accessed 2010-08-25 .

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देवबन्दी

देवबन्दी (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Deobandi) सुन्नी इस्लाम के हनफ़ी पन्थ की एक प्रमुख विचारधारा है जिसमें कुरआन व शरियत का कड़ाई से पालन करने पर ज़ोर है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित दारुल उलूम देवबन्द से प्रचारित हुई है जो विश्व में इस्लामी शिक्षा का दूसरा बड़ा केन्द्र है। इसके अनुयायी इसे एक विशुद्ध इस्लामी विचारधारा मानते हैं जो कर्मकांड-हीन है। ये इस्लाम के उस तरीके पर अमल करते हैं, जो अल्लाह के नबी हजरत मुहम्मद स० ले कर आये थे, तथा जिसे ख़ुलफ़ा-ए-राशिदीन (अबु बकर अस-सिद्दीक़​, उमर इब्न अल-ख़त्ताब​, उस्मान इब्न अफ़्फ़ान​ और अली इब्न अबू तालिब​), सहाबा-ए-कराम, ताबेईन ने अपनाया तथा प्रचार-प्रसार किया। .

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नबतीये​ प्रान्त

नबतीये​ प्रान्त (अरबी:, अंग्रेज़ी: Nabatieh) लेबनान का एक प्रान्त है।, Paul Doyle, Bradt Travel Guides, 2012, ISBN 978-1-84162-370-2 .

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निकाह हलाला

निकाह हलाला यह एक इस्लामी विवाह (निकाह) है जो मुख्य रूप से सुन्नी मुसलमानों के कुछ संप्रदायों द्वारा किया जाता है, जिसमें एक तलाकशुदा महिला किसी और से शादी कर लेती है, उस पुरुष के साथ विवाह की संसिद्धि करती है और तलाक लेती है ताकि उसे अपने पहले पति से पुनर्विवाह करना उचित हो सके। अप्रैल २०१७ में बीबीसी के एक समाचार लेख ने खुलासा किया कि संयुक्त राजशाही (यूनाइटेड किंगडम) मे निकाह हलाला के नाम पर कई ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध हैं जो महिलाओंका सामाजिक और यौन शोषण करते हैं। ये सेवाएं किसी महिला को पैसे के बदले में एक आदमी प्रदान करते हैं जो उससे निकाह करे, शारीरिक संबंध बनए और तलाक दे दे। .

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नजम सेठी

नजम सेठी(उर्दू: نجم سیٹھی जन्म:1948), एक वरिष्ठ एवं मशहूर पाकिस्तानी पत्रकार हैं। वे २७ मार्च २०१३ से ७ जून २०१३ तक पाकिस्तान के प्रान्त पंजाब के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री भी थे। वे एक काफी मशहूर एवं पुरस्कृत पत्रकार होने के साथ ही विवादास्पद हस्ती भी हैं। वे एक पत्रकार, संपादक, समीक्षक तथा एक पत्रकारी व्यक्तित्व भी हैं। वे लाहौर-आधारित राजनीतिक साप्ताहिक, द फ्राइडे टाइम्स के मुख्या संपादक है, एवं पूवतः डेली टाइम्स और डेली आजकल जैसे अखबारों के संपादक भी रह चुके हैं। वे पाकिस्तान के समाचार चैनल जीओ टीवी पर आपस की बात नामक एक साधारण ज्ञान एवं राजनीतिक टिप्पणिकारी कार्यक्रम चलते हैं। साथ ही, वे वैनगार्ड बुक्स नामक एक प्रकाशन एवं पुस्तक वेक्रेता चेन के मालिक भी हैं। उन्हें पाकिस्तानी राजनीति पर अपने बेबांक बोल और सम्बंधित आलोचनाओं और पत्रिकारिता के लिए जाना जाता है। वर्ष १९९९ में, उन्हें, पाकिस्तान की आईएसआई द्वारा, ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कॉर्पोरेशन को दिया गए सरकारी भ्रष्टाचार सम्बंधित अपने एक इंटरव्यू(साक्षात्कार) के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था, और करीब एक महीने तक हिरासत में रखा गया था। १९९९ में उन्हें इंटरनेशनल प्रेस फ्रीडम अवार्ड (अनृर्राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता पुरस्कार) से भी नवाज़ गया था, और २००९ में उनको वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ़ न्यूस्पपेर्स द्वारा गोल्डन पेन ऑफ़ फ़्रीडम से पुरस्कृत किया गया था। २६ मार्च २०१३ को उन्हें शासक एवं विपक्षी दलों की स्वीकृति से पंजाब के अंतरिम कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पद के लिए नामांकित किया गया था। उन्होंने २७ मार्च को शपथ दिलाई गयी, और वे इस पद पर ७ जून २०१३ तक थे। .

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नजरान प्रान्त

नजरान प्रान्त, जिसे औपचारिक अरबी में मिन्तक़ाह​ नजरान कहते हैं, सउदी अरब के दक्षिण में यमन की सरहद के साथ स्थित एक प्रान्त है। यहाँ 'याम' नामक एक शक्तिशाली क़बीला सदियों से बसा हुआ है और प्रांतीय आबादी के २ से ४ लाख के बीच लोग इस्माइली शिया इस्लाम के अनुयायी हैं।, Economist Newspaper Limited, 2006,...

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नीनवा प्रान्त

नीनवा प्रान्त, जिसे अरबी में मुहाफ़ज़ात​ नीनवा कहते हैं, इराक़ का एक प्रान्त है। इस प्रान्त की राजधानी मोसुल शहर है। प्राचीन अश्शूर (असीरिया) संस्कृति का नीनवा शहर (Nineveh) इसी प्रान्त में स्थित है और मोसूल से दजला नदी (टिगरिस) के पार इसके खँडहर आज भी मिलते हैं। सन् १९७६ से पहले इस प्रान्त को 'मोसूल प्रान्त' कहा जाता था और आधुनिक दोहूक प्रान्त भी इसमें सम्मिलित था। .

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पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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पुनियाल

पुनियाल या पूनयाल (Punial या Punyal) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के ग़िज़र ज़िले की एक घाटी है। प्रशासनिक दृष्टि से यह ग़िज़र ज़िले की एक तहसील है। इसका प्रशासनिक मुख्यालय गाहकूच है, जो ग़िज़र ज़िले की राजधानी भी है। पुनियाल वादी की ऊँचाई ५,००० से ९,००० फ़ुट के बीच में है और यह कई पर्यटकों को आकर्षित करती है। पहले ज़माने में यह एक रियासत हुआ करती थी इसलिए इसे कभी-कभी आज भी 'पुनियाल रियासत' या 'पुनियाल जागीर' बुला दिया जाता है। .

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पूर्वी प्रान्त, सउदी अरब

गर्मी के मौसम में हफ़र अल-बातिन शहर में रेत का तूफ़ान पूर्वी प्रान्त, जिसे औपचारिक अरबी में मिन्तक़ाह​ अश​-शर्क़ीयाह कहते हैं, सउदी अरब का सबसे बड़ा प्रान्त है। सउदी अरब का अधिकतर खनिज तेल इसी प्रान्त में निकाला जाता है। इस प्रान्त में सउदी राजवंश के खिलाफ़ सक्रीय भावनाएँ रहीं हैं और कुछ उपद्रव हुए हैं। इस प्रान्त में भारी शिया आबादी है जो अक्सर सउदी अरब की सख़्त वहाबी सुन्नी विचारधारा से असंतुष्ट रही है।, Pepe Escobar, 6 अप्रैल 2012, Asia Times Online, Accessed 6 अप्रैल 2012 यहाँ के कुछ क्षेत्रों में तो शियाओं की भारी बहुसंख्या है, मसलन क़तीफ़ शहर में, जहाँ ७५% लोग शिया हैं।, Mai Yamani, Contemporary Arab Affairs, Volume 2, Issue 1, 2009, Page 90-105, Accessed 11 अप्रैल 2012,...

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बदख़्शान

ताजिकिस्तान का कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त अफ़ग़ानिस्तान का बदख़्शान प्रान्त अफ़ग़ानिस्तान में बदख़्शानी बच्चे बदख़्शान (फ़ारसी:, ताजिक: Бадахшон, अंग्रेजी: Badakhshan) पामीर पर्वतों के इलाक़े में स्थित मध्य एशिया का एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जो आधुनिक अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वोत्तरी और आधुनिक ताजिकिस्तान के दक्षिणपूर्वी भागों पर विस्तृत था। अफ़ग़ानिस्तान के सुदूर उत्तरपूर्वी बदख़्शान प्रान्त (जिसमें प्रसिद्ध वाख़ान गलियारा भी आता है) और ताजिकिस्तान के दक्षिणपूर्वी कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त का नाम इसी पुराने नाम पर पड़ा है।, Svat Soucek, pp.

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बहादुर शाह प्रथम

बहादुर शाह प्रथम का जन्म 14 अक्तूबर, सन् 1643 ई. में बुरहानपुर, भारत में हुआ था। बहादुर शाह प्रथम दिल्ली का सातवाँ मुग़ल बादशाह (1707-1712 ई.) था। 'शहज़ादा मुअज्ज़म' कहलाने वाले बहादुरशाह, बादशाह औरंगज़ेब का दूसरा पुत्र था। अपने पिता के भाई और प्रतिद्वंद्वी शाहशुजा के साथ बड़े भाई के मिल जाने के बाद शहज़ादा मुअज्ज़म ही औरंगज़ेब के संभावी उत्तराधिकारी बना। बहादुर शाह प्रथम को 'शाहआलम प्रथम' या 'आलमशाह प्रथम' के नाम से भी जाना जाता है। .

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बाबर

ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर (14 फ़रवरी 1483 - 26 दिसम्बर 1530) जो बाबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, एक मुगल शासक था, जिनका मूल मध्य एशिया था। वह भारत में मुगल वंश के संस्थापक था। वो तैमूर लंग के परपोते था, और विश्वास रखते था कि चंगेज़ ख़ान उनके वंश के पूर्वज था। मुबईयान नामक पद्य शैली का जन्मदाता बाबर को ही माना जाता है! .

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बायज़ीद द्वितीय

बायज़ीद द्वितीय (3 दिसम्बर 1447 – 26 मई 1512) (उस्मानी तुर्कीयाई: بايزيد ثانى बायज़ीद-इ सानी, तुर्कीयाई: II. Bayezid या II. Beyazıt) महमद द्वितीय के ज्येष्ठ पुत्र तथा उनके उत्तराधिकारी थे। वे 1481 से 1512 तक उस्मानिया के सुल्तान रहे। इनके शासनकाल के दौरान, बायज़ीद द्वितीय ने साम्राज्य को संयुक्त व सशक्त बनाया और साथ-ही-साथ उन्होंने सफ़वी राजवंश की तरफ़ से एक विद्रोह को ख़त्म कर दिया था। जब यूरोप के कैथोलिक राजाओं ने संपूर्ण यूरोप और ख़ास करके स्पेन से सभी सेपहार्दी यहूदियों को निकालने की घोषणा, अलहम्बरा फ़रमान, जारी किया, बायज़ीद द्वितीय ने इन यहूदियों को सहायता दिया और उन्होंने उस्मानिया साम्राज्य के इलाक़ों में इनके घर पुनः बसाने की योजना बनाई। अतः बायज़ीद द्वितीय यूरोपीय यहूदियों को बचाने के लिए उल्लेखनीय हैं। .

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बग़दाद प्रान्त

बग़दाद प्रान्त, जिसे अरबी में मुहाफ़ज़ात​ बग़दाद कहते हैं इराक़ का एक प्रान्त है, जो इराक़ की राजधानी भी है। यह इराक़ के १८ प्रान्तों में क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे छोटा है, लेकिन इसकी आबादी सभी अन्य प्रान्तों से अधिक है। यह इराक़ का सबसे विकसित प्रान्त है। दजला नदी (टिगरिस नदी) इस प्रान्त से गुज़रती है और उसपर कम-से-कम १२ पुल हैं। .

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बंगश

भारत के पद्म भूषण-सम्मानित मशहूर सरोद वादक अमजद अली ख़ान एक बंगश पश्तून हैं बंगश (पश्तो:, अंग्रेज़ी: Bangash) एक प्रमुख पश्तून क़बीले का नाम है। बंगश लोग पाकिस्तान के संघ-शासित क़बाईली क्षेत्र की कुर्रम एजेंसी और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के हन्गू, कोहाट और पेशावर इलाक़ों में पाए जाते हैं। भारत में कुछ बंगश लोग उत्तर प्रदेश के फ़र्रूख़ाबाद ज़िले में भी बसे हुए हैं। फ़र्रूख़ाबाद के नवाबों ने वहाँ एक अलग अफ़्ग़ान मोहल्ला भी स्थापित किया हुआ था।, D. H. A. Kolff, Om Prakash, Brill, 2003, ISBN 978-90-04-13155-2,...

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बुसरा अल शाम

वुसरा अल शामः अंग्रेजी Bosra Al-Sham, अरबी‎ﺑﺼﺮﻯ ﺍﻟﺸﺎﻡ‎‎‏ ‏यह सीरिया का एक प्राचीन नगर है सीरिया के दक्षिणी भाग में वसे इस नगर की जनसंख्या सीरिया की वर्ष 2004 की जनगणना के अनुसार कूल जनसंख्या 19,683 है.

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बेथलहम

बेथलहम (بَيْتِ لَحْمٍ,, प्रकाशित “हाउस ऑफ मीट (House of Meat)"; בֵּית לֶחֶם, बीट लेहम (Beit Lehem), प्रकाशित "हाउस ऑफ ब्रेड (House of Bread);" बेथलीम (Bethleém)) मध्य वेस्ट-बैंक में, येरुशलम से लगभग दक्षिण में स्थित एक फिलिस्तीनी शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग 30,000 है।अमरा, 1999,.

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बेयरूत

बेयरूत (अरबी:, अंग्रेज़ी: Beirut) लेबनान की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। हालाँकि यहाँ हाल में कोई भी जनगणना नहीं हुई है। इसकी सन् २००७ की आबादी का अनुमान १० और २० लाख के बीच लगाया जाता है। यह लेबनान के भूमध्य सागर के साथ लगे तट के लगभग मध्य में एक छोटे से प्रायद्वीप पर बसा हुआ है और लेबनान की प्रमुख बंदरगाह भी है। राष्ट्र की राजधानी होने के साथ-साथ यह लेबनान का सांस्कृतिक, राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक केंद्र भी है। यह शहर लम्बे अरसे से अपनी सांस्कृतिक ज़िन्दादिली के लिए जाना जाता था लेकिन १९७५-१९९० काल में १५ साल तक चलने वाले लेबनानी गृह युद्ध में इसे बहुत हानि पहुँची। गृह युद्ध समाप्त होने के बाद यहाँ पुनर्निर्माण हुआ है और अब यहाँ सैलानी फिर से बड़ी मात्रा में आने लगे हैं।, Paul Doyle, Bradt Travel Guides, 2012, ISBN 978-1-84162-370-2 .

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बेयरूत प्रान्त

बेयरूत प्रान्त (अरबी:, अंग्रेज़ी: Beirut) लेबनान का एक प्रान्त है।, Paul Doyle, Bradt Travel Guides, 2012, ISBN 978-1-84162-370-2 इस प्रान्त में केवल एक ही ज़िला आता है, जो कि राष्ट्रीय राजधानी बेयरूत है। हालांकि यह प्रान्त बहुत नन्हा है, यह पूरे देश का सामजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक केंद्र भी है। परम्परानुसार इस शहर का महापौर हमेशा सुन्नी मुस्लिम होता है जबकि इसका प्रांतीय राज्यपाल हमेशा यूनानी पारम्परिक ईसाई सम्प्रदाय का होता है। इस शहर के लगभग ५०% लोग ईसाई (पूर्व और उत्तर के मोहल्ले), २५% शिया (दक्षिण के मोहल्ले) और २५% सुन्नी (मध्य और पश्चिम के मोहल्ले) हैं। .

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बेल्जियम

किंगडम ऑफ़ बेल्जियम उत्तर-पश्चिमी यूरोप में एक देश है। यह यूरोपीय संघ का संस्थापक सदस्य है और उसके मुख्यालय का मेज़बान है, साथ ही, अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों का, जिसमें NATO भी शामिल है। 10.7 मीलियन की जनसंख्या वाले बेल्जियम का क्षेत्रफल है। जर्मनिक और लैटिन यूरोप के मध्य अपनी सांस्कृतिक सीमा को विस्तृत किये हुए बेल्जियम, दो मुख्य भाषाई समूहों, फ्लेमिश और फ्रेंच-भाषी, मुख्यतः वलून्स सहित जर्मन भाषियों के एक छोटे समूह का आवास है। बेल्जियम के दो सबसे बड़े क्षेत्र हैं, उत्तर में 59% जनसंख्या सहित फ्लेंडर्स का डच भाषी क्षेत्र और वालोनिया का फ्रेंच भाषी दक्षिणी क्षेत्र, जहाँ 31% लोग बसे हैं। ब्रुसेल्स-राजधानी क्षेत्र, जो आधिकारिक तौर पर द्विभाषी है, मुख्यतः फ्लेमिश क्षेत्र के अंतर्गत एक फ्रेंच भाषी एन्क्लेव है और यहाँ 10% जनसंख्या बसी है। * * * * पूर्वी वालोनिया में एक छोटा जर्मन भाषी समुदाय मौजूद है। मूल (पहले ही) 71,500 निवासियों के बजाय 73,000 का उल्लेख करता है। बेल्जियम की भाषाई विविधता और संबंधित राजनीतिक तथा सांस्कृतिक संघर्ष, राजनीतिक इतिहास और एक जटिल शासन प्रणाली में प्रतिबिंबित होता है। बेल्जियम नाम, गॉल के उत्तरी भाग में एक रोमन प्रान्त, गैलिया बेल्जिका से लिया गया है, जो केल्टिक और जर्मन लोगों के एक मिश्रण बेल्जी का निवास स्थान था। ऐतिहासिक रूप से, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्ज़मबर्ग, निचले देश के रूप में जाने जाते थे, जो राज्यों के मौजूदा बेनेलक्स समूह की तुलना में अपेक्षाकृत कुछ बड़े क्षेत्र को आवृत किया करते थे। मध्य युग की समाप्ति से लेकर 17 वीं सदी तक, यह वाणिज्य और संस्कृति का एक समृद्ध केन्द्र था। 16वीं शताब्दी से लेकर 1830 में बेल्जियम की क्रांति तक, यूरोपीय शक्तियों के बीच बेल्जियम के क्षेत्र में कई लड़ाइयाँ लड़ी गईं, जिससे इसे यूरोप के युद्ध मैदान का तमगा मिला - एक छवि जिसे दोनों विश्व युद्ध ने और पुष्ट किया। अपनी स्वतंत्रता पर, बेल्जियम ने उत्सुकता के साथ औद्योगिक क्रांति में भाग लिया और उन्नीसवीं सदी के अंत में, अफ्रीका में कई उपनिवेशों पर अधिकार जमाया। 20वीं सदी के उत्तरार्ध को फ्लेमिंग्स और फ्रैंकोफ़ोन के बीच साँप्रदायिक संघर्ष की वृद्धि के लिए जाना जाता है, जिसे एक तरफ तो सांस्कृतिक मतभेद ने भड़काया, तो दूसरी तरफ फ्लेनडर्स और वालोनिया के विषम आर्थिक विकास ने. अब भी सक्रिय इन संघर्षों ने पूर्व में एक एकात्मक राज्य बेल्जियम को संघीय राज्य बनाने के दूरगामी सुधारों को प्रेरित किया। .

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बेक़आ प्रान्त

बेक़आ प्रान्त (अरबी:, अंग्रेज़ी: Beqaa) लेबनान का एक प्रान्त है।, Paul Doyle, Bradt Travel Guides, 2012, ISBN 978-1-84162-370-2 .

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बेक़आ वादी

बेक़आ वादी में क़राऊन​ झील ज़हले शहर, जो बेक़आ प्रान्त की राजधानी और बेक़आ वादी का सबसे बड़ा नगर है रोमन काल में बना बालबेक में बाकस का मंदिर बेक़आ वादी (अरबी:, वादी अल-बिक़आ; अंग्रेज़ी: Beqaa Valley) पूर्वी लेबनान में स्थित एक उपजाऊ घाटी है। रोमन काल में यह एक महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र था और आधुनिक लेबनान का भी सबसे अहम कृषि इलाक़ा है।, Laura S. Etheredge, pp.

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भारत में धर्म

तवांग में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा. बैंगलोर में शिव की एक प्रतिमा. कर्नाटक में जैन ईश्वरदूत (या जिन) बाहुबली की एक प्रतिमा. 2 में स्थित, भारत, दिल्ली में एक लोकप्रिय पूजा के बहाई हॉउस. भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म.

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भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

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मस्जिद ए कबीर मध्य जावा

महान मस्जिद मध्य जावा : (इंडोनेशिया: मस्जिद अगुंग जावा टेंगाह) इन्डोनेशिया के मध्य जावा के शहर सेमरांग की एक मस्जिद है। .

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महमद तृतीय

महमद तृतीय (महमद-इ सालिस; III.; 26 मई 1566–21 दिसम्बर 1603) 1595 से अपनी मौत तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान थे। वे अपने पिता मुराद तृतीय की जगह सुल्तानी तख़्त पर आसीन हुए। .

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महमूद ग़ज़नवी

महमूद ग़ज़नवी (971-1030) मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था जो पूर्वी ईरान भूमि में साम्राज्य विस्तार के लिए जाना जाता है। वह तुर्क मूल का था और अपने समकालीन (और बाद के) सल्जूक़ तुर्कों की तरह पूर्व में एक सुन्नी इस्लामी साम्राज्य बनाने में सफल हुआ। उसके द्वारा जीते गए प्रदेशों में आज का पूर्वी ईरान, अफगानिस्तान और संलग्न मध्य-एशिया (सम्मिलिलित रूप से ख़ोरासान), पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत शामिल थे। उनके युद्धों में फ़ातिमी सुल्तानों (शिया), काबुल शाहिया राजाओं (हिन्दू) और कश्मीर का नाम प्रमुखता से आता है। भारत में इस्लामी शासन लाने और आक्रमण के दौरान लूटपाट मचाने के कारण भारतीय हिन्दू समाज में उनको एक आक्रामक शासक के रूप में जाना जाता है। वह पिता के वंश से तुर्क था पर उसने फ़ारसी भाषा के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाँलांकि उसके दरबारी कवि फ़िरदौसी ने शाहनामे की रचना की पर वो हमेशा कवि का समर्थक नहीं रहा था। ग़ज़नी, जो मध्य अफ़गानिस्तान में स्थित एक छोटा शहर था, को उन्होंने साम्राज्य के धनी और प्रांतीय शहर के रूप में बदल गया। बग़दाद के इस्लामी (अब्बासी) ख़लीफ़ा ने उनको सुल्तान की पदवी दी। .

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महान अल-नूरी मस्जिद

महान अल-नूरी मस्जिद (अरबी: جامع النوري जामी अल-नूरी) मोसुल, इराक में एक मस्जिद थी। इसकी प्रसिद्धि इसकी झुकी हुई मीनार से थी, जिसने शहर को इसका उपनाम "कुबड़ा" (الحدباء अल-हब्दा) दिया था। माना जाता है कि इस मस्जिद को पहले पहल 12वीं शताब्दी के अंत में बनाया गया था, हालांकि इसके बाद इसका कई बार पुनर्निर्माण किया गया। अपने 850 वर्षों के इतिहास में इस मस्जिद ने शत्रु सेनाओं के बहुत सारे आक्रमण झेले लेकिन अंतत: 21 जून 2017 को इराक और लेवांत के इस्लामिक राष्ट्र (आईएसआईएल) ने मोसुल की लड़ाई के दौरान इसे नष्ट कर दिया। इराकी सैनिकों ने आईएसआईएस को इस मस्जिद के विनाश के लिए जिम्मेदार ठहराया है, क्योंकि उसने इसे अपने हाथ से जाने देने के बजाय बर्बाद करने का काम किया। इस मस्जिद का आईएसआईएस और उसके नेता अबू बक्र अल-बगदादी के लिए एक प्रतीकात्मक महत्त्व था, क्योंकि 2014 में आतंकवादियों ने इसका इस्तेमाल अपने "खलीफा" को घोषित करने के लिए किया था। जून 2014 में आतंकियों के इराक और सीरिया में आगे बढ़ने और एक विशाल इलाके को अपने कब्ज़े में लेने के बाद से आईएसआईएस का काला ध्वज इस मस्जिद की 45 मीटर मीनार ऊंची से फहरा रहा था, और उन्होंने दावा किया था कि अब उनका ध्वज कभी भी नीचे नहीं उतरेगा। आधिकारिक दस्तावेजों और स्थानीय मुस्लिम चश्मदीदों के विपरीत, आईएसआईएस ने इसे नष्ट करने का आरोप लगाया संयुक्त राज्य अमेरिका पर लगाया है, हालांकि आईएसआईएस का यह दावा साबित नहीं हुआ। इराकी प्रधान मंत्री हैदर अल-अबादी ने कहा कि आईएसआईएस द्वारा मस्जिद का विनाश किया जाना उनकी "हार की घोषणा" है, और "अल-हब्दा मीनार और अल-नूरी मस्जिद को विस्फोट से उड़ाना आईएसआईएस द्वारा हार की आधिकारिक स्वीकारोक्ति है।" .

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मार्मड्यूक पिकथल

मुहम्मद मार्माड्यूक पिकथल (जन्म मार्मड्यूक विलियम पिकथॉल, 7 अप्रैल 1875 - 19 मई 1936) पश्चिमी इस्लामी विद्वान कुरान के अंग्रेजी अनुवाद (1930) के लिए प्रसिद्ध थे । ईसाई धर्म से धर्मपरिवर्तन करने वाले पिकथल एक उपन्यासकार थे, जो डीएच लॉरेंस, एचजी वेल्स और ईएम फोस्टर द्वारा सम्मानित, साथ ही एक पत्रकार, हेडमास्टर और राजनीतिक और धार्मिक नेता थे। उन्होंने 29 नवंबर 1917 को मुस्लिम साहित्य सोसाइटी इन नॉटिंग हिल, वेस्ट लंदन में 'इस्लाम और प्रगति' पर एक संवाद देने के बाद नोटिंग हिल में नाटकीय तरीक़े से इस्लाम को अपना धर्म घोषित कर दिया। .

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मालदीव

मालदीव या (Dhivehi: ދ ި ވ ެ ހ ި ރ ާ އ ް ޖ ެ Dhivehi Raa'je) या मालदीव द्वीप समूह, आधिकारिक तौर पर मालदीव गणराज्य, हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप देश है, जो मिनिकॉय आईलेंड और चागोस अर्किपेलेगो के बीच 26 प्रवाल द्वीपों की एक दोहरी चेन, जिसका फेलाव भारत के लक्षद्वीप टापू की उत्तर-दक्षिण दिशा में है, से बना है। यह लक्षद्वीप सागर में स्थित है, श्री लंका की दक्षिण-पश्चिमी दिशा से करीब सात सौ किलोमीटर (435 mi) पर.

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माह चुचक बेगम

माह चुचक बेगम (ماہ چوچک بیگم 1564 में मृत्यु हो गई, थी अंग्रेजी में इसका मतलब "Moon Flower"होता है ये मुग़ल बादशाह हुमायूं की दूसरी पत्नी थी और में मुग़ल साम्राज्य की महारानी थी ' इन्होंने नायब सूबेदार को बाहर फेंक दिया और एक बार बेगम ने सेना प्रमुख और जलालाबाद में मुनीम खान को हराया था तथा काबुल पर शासन करने वाली एक महत्वाकांक्षी महिला थी' .

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मिनंगकाबाऊ लोग

मिनंगकाबाऊ (अंग्रेज़ी: Minangkabau, मिनंगकाबाऊ: Urang Minang, जावी: مينڠكاباو) या केवल मिनंग दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के सुमात्रा द्वीप के पश्चिमी भाग में स्थित मिनंगकाबाऊ उच्चभूमि के मूल निवासी हैं। .

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मुराद चतुर्थ

मुराद चतुर्थ (مراد رابع, मुराद-ए राबीʿ; 26/27 जुलाई 1612 – 8 फ़रवरी 1640) 1623 से 1640 तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। उन्होंने राज्य पर सुल्तान के शासन की पुनःस्थापना की थी और उन्हें अपने गतिविधियों की क्रूरता के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म क़ुस्तुंतुनिया में हुआ था। वे सुल्तान अहमद प्रथम (दौर: 1603–17) और यूनानी मूल की कौसम सुल्तान के पुत्र थे। उनके चाचा मुस्तफ़ा प्रथम (दौर: 1617–18, 1622–23) को सुल्तान के पद से निकालने की साज़िश कामयाब होने के बाद मुराद चतुर्थ तख़्त पर आसीन हुए। उस वक़्त उनकी उम्र सिर्फ़ 11 साल की थी। उनके दौर में उस्मानी-सफ़वी युद्ध (1623–39) हुआ, जिसके नतीजे में संपूर्ण क़फ़क़ाज़ क्षेत्र दोनों साम्राज्यों के दरमियान विभाजित हुआ। इस विभजन ने लगभग वर्तमान तुर्की-ईरान-इराक़ देशों की सरहदों की नींव रखी। .

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मुराद तृतीय

मुराद तृतीय (उस्मानी तुर्कीयाई: مراد ثالث मुराद-इ सालिस, तुर्कीयाई: III.Murat) (4 जुलाई 1546 – 15/16 जनवरी 1595) 1574 से 1595 में अपनी मौत तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। मुराद तृतीय एक कमज़ोर और ऐश-परस्त शासक थे जो हरम से बहुत ग्रस्त थे जहाँ पहले उनकी माँ नूरबानो सुल्तान और फिर उनकी पसंदीदा बीवी सफ़िया सुल्तान का ज़ोर चलता था। उनके दौर में साम्राज्य संभालने के ज़िम्मे मुख्य रूप से वज़ीरेआज़म महमद सौकुली पाशा के हाथों में था जो अक्तूबर 1579 में अपने क़तल तक पदाधिकारी रहे और सुल्तान की कमज़ोरी का असर साम्राज्य पर न पड़ने दिया। मुराद तृतीय के दौर में ईरान और ऑस्ट्रिया के साथ कई जंगें लड़ी गईं। उनके दौर में उसमानी अर्थव्यवस्था और अन्य संस्थाओं के पतन का आग़ाज़ हुआ था। .

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मुस्तफ़ा प्रथम

मुस्तफ़ा प्रथम (24 जून 1591 – 20 जनवरी 1639), पुण्य मुस्तफ़ा (Veli Mustafa) या पागल मुस्तफ़ा (Deli Mustafa) के नामों से भी पहचाने जाते हैं, महमद तृतीय एवं हलीमा सुल्तान के पुत्र और 1617 से 1618 तक और फिर 1622 से 1623 तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। .

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मुस्तफा इशक-बौशकी

प्रोफेसर मुस्तफा इशक-बौशकी एक अल्जीरियाई खगोल जो समझ के महान योगदान ब्रह्मांडीय त्वरण और गुरुत्वाकर्षक लेंस हैैं। Ishak-Boushaki भी वैज्ञानिक अनुसंधान के एक प्रमोटर है। .

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मुहम्मद मुर्सी

मुहम्मद मुर्सी मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड दल के प्रमुख राजनितिज्ञ हैं। वे मिश्र में हुए हाल के चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए हैं। मिश्र के निर्वाचन आयोग ने लंबी मतगणना के बाद २४ जून २0१२ को की गई अपनी घोषणा में मिश्र में पहली बार हुए राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें ५१.७३% मत पाकर निर्वाचित घोषित किया। .

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मुहम्मद अल-बुख़ारी

विअस् अबू अब्द अल्लाह मुहम्मद इब्न इस्माइल इब्न इब्राहिम इब्न अल-मुघिर्रा इब्न बर्डिज्बा अल-ज्यूफि अल-बुखारी (अरबी: أبو عبد الله محمد بن اسماعيل بن ابراهيم بن المغيرة بن بردزبه الجعفي البخاري; 1 9 जुलाई 810 - 1 सितंबर 870), या बुखारी (फ़ारसी: بخاری), जिसे सामान्यतः इमाम अल बुखारी या इमाम बुखारी कहा जाता है, एक फ़ारसी इस्लामिक विद्वान था जो बुखारा (राजधानी में पैदा हुआ था उजबेकिस्तान के बुखारा क्षेत्र (विलायत) का)। उन्होंने हदीस संग्रह को लिखा है जो कि सहीह अल-बुख़ारी के रूप में जाना जाता है, सुन्नी मुसलमानों द्वारा सबसे प्रामाणिक (सहिह) हदीस संग्रहों में से एक माना जाता है। उन्होंने अन्य पुस्तकों को भी लिखा, जैसे अल-अदब अल-मुफ़्रड़। .

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मोइनुद्दीन चिश्ती

ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिष्ती: भारत के सूफी संत हैं। जिन की मज़ार अजमेर शहर में है। यह माना जाता है कि मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म ५३६ हिज़री संवत् अर्थात ११४१ ई॰ पूर्व पर्षिया के सीस्तान क्षेत्र में हुआ। अन्य खाते के अनुसार उनका जन्म ईरान के इस्फ़हान नगर में हुआ। इन को हज़्रत ख्वाजा गरीब नवाज़ के नाम से भी पुकारा जाता है। ग़रीब नवाज़ इन को लोगों से दिया गया लक़ब है। .

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मीलाद उन-नबी

मीलाद उन-नबी इस्लाम धर्म के मानने वालों के कई वर्गों में एक प्रमुख त्यौहार है। इस शब्द का मूल मौलिद (Mawlid) है जिसका अर्थ अरबी में "जन्म" है। अरबी भाषा में 'मौलिद-उन-नबी' (مَولِد النَّبِي) का मतलब है हज़रत मुहम्मद का जन्म दिन है। यह त्यौहार 12 रबी अल-अव्वल को मनाया जाता है मीलाद उन नबी संसार का सबसे बड़ा जशन माना जाता है। 1588 में उस्मानिया साम्राज्य में यह त्यौहार का प्रचलन जन मानस में सर्वाधिल प्रचलित हुआ। .

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यूसुफ़ज़ई

यूसुफ़ज़ई पश्तून लोग का एक क़बीला है। यह लोग आम तौर पर पाकिस्तान के सूबे ख़ैबर पख़्तूनख़्वा और अफ़्ग़ानिस्तान के पूर्वी इलाक़ों में आबाद हैं, लेकिन इसके अतिरिक्त यह लोग भारत के ऐतिहासिक क्षेत्र रोहिलखंड और दक्कन में भी आबाद हैं। श्रेणी:पश्तून लोग.

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राशिदून ख़लीफ़ा

खलीफ़ा राशिदून: (خلیفۃ راشدون) - रुष्द व हिदायत पाये खलीफ़ा। सुन्नी मुसलमानों के लिए पैगम्बर मुहम्मद की मृत्यु के बाद, सन् ६३२ से लकर सन् ६६१ के मध्य के खलीफ़ा (प्रधानों) को राशिदून या अल खलीफ़ उर्र-राशिदून (सही दिशा में चलते हुए) कहते हैं। कार्यकाल के अनुसार ये चार खलीफ़ा हैं। (इब्न माजा, अबी दाऊद).

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लेबनान

लेबनॉन, आधिकारिक रूप से लुबनॉन गणराज्य, पश्चिमी एशिया में भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित एक देश है। इसके उत्तर और पूर्व में सीरिया और दक्षिण में इसराइल स्थित है। भूमध्य बेसिन और अरब के भीतरी भाग के बीच में सेतु बने इस देश का इतिहास समृद्ध और मिश्रित है। यह भूमि फ़ीनिसियनों की अति-प्राचीन (2500 ईसापूर्व - 539 ईसापूर्व) संस्कृति का स्थल थी जहाँ से लेखन कला के विकास की कड़ी जुड़ी है। इसके बाद फ़ारसी, यूनानी, रोमन, अरब और उस्मानी तुर्कों के कब्जे में रहने के बाद यह फ्रांस के शासन में भी रहा। इसी ऐतिहासिक वजह से देश की धार्मिक और जातीय विविधता इसकी अनूठी सांस्कृतिक पहचान बनाती है। यहाँ 60 प्रतिशत लोग मुस्लिम हैं जिनमें शिया और सुन्नी का लगभग समान हिस्सा है और लगभग 38 प्रतिशत ईसाई। 1943 में फ्रांस से स्वतंत्रता मिलने के बाद यहाँ एक गृहयुद्ध चला था और 2006 में इसराइल के साथ एक युद्ध। यहाँ एक विशेष प्राकर की गणतांत्रिक सरकार का शासन है जिसमें राष्ट्रपति एक ईसाई होता है, प्रधान मंत्री एक सुन्नी मुस्लिम, निव्राचित प्रतिनिधियों की सभा का अध्यक्ष एक शिया मुस्लिम और उप प्रधान मंत्री एक ग्रीक परंपरावादी धर्म का होता है। अरबी यहाँ की सबसे बोले जाने वाली और सांवैधानिक भाषा है। .

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लेग़ारी

लेग़ारी या लग़ारी (बलोच व सिन्धी) एक बलोच समुदाय है जो पकिस्तान के बलोचिस्तान, सिन्ध और पंजाब प्रान्तो में बसा हुआ है। वे बलोच, सिन्धी और सराईकी भाषाएँ बोलते हैं और सुन्नी मुस्लिम हैं। .

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शम्स तबरेज़ी

शम्स तबरेज़ी (फ़ारसी: محمد بن علی بن ملک‌داد تبریزی شمس‌الدین, मुहँमद बिन अली बिन मलिक-दाद तबरेज़ी शम्सुद्दीन, 1185-1248) (582 - 645 हिजरी) एक फ़ारसी भाषाविद, दार्शनिक और फ़कीर थे। वे अज़रबैजान के तबरेज़ शहर के वासी थे और वे बड़े सम्मानित सूफ़ी बज़ुर्ग थे। शम्स तबरेज़ी की जीवनी पर बहुत कम भरोसेमंद स्रोत उपलब्ध हैं, यह रूमी की भी स्थिति है। कुछ लोग के ख़्याल हैं कि वे किसी जाने माने सूफ़ी नहीं थे, बल्कि एक घुमंतू क़लन्दर थे। एक और स्रोत में यह भी उल्लेख मिलता है कि शम्स किसी दादा हशीशिन सम्प्रदाय के नेता हसन बिन सब्बाह के नायब थे। बाद में शम्स के वालिद ने सुन्नी इस्लाम क़ुबूल कर लिया। लेकिन यह बात शक्की होते हुए भी दिलचस्प इस अर्थ में है कि हशीशिन, इस्माइली सम्प्रदाय की एक टूटी हुई शाख़ थी। और इस्माइली ही थे जिन्होंने सबसे पहला क़ुरआन के ज़ाहिरा (manifest) को नकारकर अव्यक्त अथात् छिपे हुए अर्थों पर ज़ोर दिया, और रूमी को ज़ाहिरा दुनिया को नकारकर रूह की अन्तरयात्रा की प्रेरणा देने वाले शम्स तबरेज़ी ही थे। .

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शरीयत

शरीयत (अरबी: شريعة‎), जिसे शरीया क़ानून और इस्लामी क़ानून भी कहा जाता है, इस्लाम में धार्मिक क़ानून का नाम है। इस क़ानून की परिभाषा दो स्रोतों से होती है। पहली इस्लाम का धर्मग्रन्थ क़ुरआन है और दूसरा इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद द्वारा दी गई मिसालें हैं (जिन्हें सुन्नाह कहा जाता है)। इस्लामी क़ानून को बनाने के लिए इन दो स्रोतों को ध्यान से देखकर नियम बनाए जाते हैं। इस क़ानून बनाने की प्रक्रिया को 'फ़िक़्ह' (fiqh) कहा जाता है। शरीयत में बहुत से विषयों पर मत है, जैसे कि स्वास्थ्य, खानपान, पूजा विधि, व्रत विधि, विवाह, जुर्म, राजनीति, अर्थव्यवस्था इत्यादि।। स्टॅण्डके कॉरिना। GRIN Verlag, २००८, ISBN 978-3-640-14967-4 मुसलमान यह तो मानते हैं कि शरीयत परमात्मा का क़ानून है लेकिन उनमें इस बात को लेकर बहुत अंतर है कि यह क़ानून कैसे परिभाषित और लागू होना चाहिए। सुन्नी समुदाय में चार भिन्न फ़िक़्ह के नज़रिए हैं और शिया समुदाय में दो। अलग देशों, समुदायों और संस्कृतियों में भी शरीयत को अलग-अलग ढंगों से समझा जाता है। शरीयत के अनुसार न्याय करने वाले पारम्परिक न्यायाधीशों को 'क़ाज़ी' कहा जाता है। कुछ स्थानों पर 'इमाम' भी न्यायाधीशों का काम करते हैं लेकिन अन्य जगहों पर उनका काम केवल अध्ययन करना-कराना और धार्मिक नेता होना है।|Lulu.com| ISBN 978-2-9527158-4-3,...

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शाह फैसल

शाह फैसल  (जन्म 17 मई 1983)  जम्मू कश्मीर राज्य से एक सिविल सर्वेंट हैं। 2009 में वे भारतीय सिविल सेवा परीक्षा टॉप करने वाले पहले कश्मीरी थे और खुले मेधा के द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित पहले कश्मीरी थे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी उन्हें उनकी सफलता पर उन्हें बधाई दी। वह जम्मू और कश्मीर राज्य में यूथ आइकॉन की तरह उभरे हैं। .

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शिया इस्लाम

अरबी लिपि में लिखा शब्द-युग्म "मुहम्मद अली" इस शिया विश्वास को दिखाता है कि मुहम्मद और अली में निष्ठा दिखाना एक समान ही है। इसको उलटा घुमा देने पर यह "अली मुहम्मद" बन जाता है। शिया एक मुसलमान सम्प्रदाय है। सुन्नी सम्प्रदाय के बाद यह इस्लाम का दूसरा सबसे बड़ा सम्प्रदाय है जो पूरी मुस्लिम आबादी का केवल १५% है। सन् ६३२ में हजरत मुहम्मद की मृत्यु के पश्चात जिन लोगों ने अपनी भावना से हज़रत अली को अपना इमाम (धर्मगुरु) और ख़लीफा (नेता) चुना वो लोग शियाने अली (अली की टोली वाले) कहलाए जो आज शिया कहलाते हैं। लेकिन बहोत से सुन्नी इन्हें "शिया" या "शियाने अली" नहीं बल्कि "राफज़ी" (अस्वीकृत लोग) नाम से बुलाते हैं ! इस धार्मिक विचारधारा के अनुसार हज़रत अली, जो मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद दोनों थे, ही हजरत मुहम्मद साहब के असली उत्तराधिकारी थे और उन्हें ही पहला ख़लीफ़ा (राजनैतिक प्रमुख) बनना चाहिए था। यद्यपि ऐसा हुआ नहीं और उनको तीन और लोगों के बाद ख़लीफ़ा, यानि प्रधान नेता, बनाया गया। अली और उनके बाद उनके वंशजों को इस्लाम का प्रमुख बनना चाहिए था, ऐसा विशवास रखने वाले शिया हैं। सुन्नी मुसलमान मानते हैं कि हज़रत अली सहित पहले चार खलीफ़ा (अबु बक़र, उमर, उस्मान तथा हज़रत अली) सतपथी (राशिदुन) थे जबकि शिया मुसलमानों का मानना है कि पहले तीन खलीफ़ा इस्लाम के गैर-वाजिब प्रधान थे और वे हज़रत अली से ही इमामों की गिनती आरंभ करते हैं और इस गिनती में ख़लीफ़ा शब्द का प्रयोग नहीं करते। सुन्नी मुस्लिम अली को (चौथा) ख़लीफ़ा भी मानते है और उनके पुत्र हुसैन को मरवाने वाले ख़लीफ़ा याजिद को कई जगहों पर पथभ्रष्ट मुस्लिम कहते हैं। इस सम्प्रदाय के अनुयायियों का बहुमत मुख्य रूप से इरान,इराक़,बहरीन और अज़रबैजान में रहते हैं। इसके अलावा सीरिया, कुवैत, तुर्की, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, ओमान, यमन तथा भारत में भी शिया आबादी एक प्रमुख अल्पसंख्यक के रूप में है। शिया इस्लाम के विश्वास के तीन उपखंड हैं - बारहवारी, इस्माइली और ज़ैदी। एक मशहूर हदीस मन्कुनतो मौला फ़ हा जा अली उन मौला, जो मुहम्मद साहब ने गदीर नामक जगह पर अपने आखरी हज पर खुत्बा दिया था, में स्पष्ट कह दिया था कि मुसलमान समुदाय को समुदाय अली के कहे का अनुसरण करना है। .

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शिया-सुन्नी विवाद

शिया-सुन्नी विवाद इस्लाम के सबसे पुरानी और घातक लड़ाइयों में से एक है। इसकी शुरुआत इस्लामी पैग़म्बर मुहम्मद की मृत्यु के बाद, सन ६३२ में, इस्लाम के उत्तराधिकारी पद की लड़ाई को लेकर हुई। कुछ लोगों का कहना था कि मुहम्मद साहब ने अपने चचेरे भाई और दामाद अली को इस्लाम का वारिस बनाया है (शिया) जबकि अन्य लोगों ने माना कि मुहम्मद साहब ने सिर्फ़ हज़रत अली का ध्यान रखने को कहा है और असली वारिस अबू बकर को होना चाहिए (सुन्नी)। जो लोग अली के उत्तराधिकार के समर्थक थे उन्हें शिया कहा गया जबकि अबू बकर के नेता बनाने के समर्थकों को सुन्नी कहा गया। ध्यान दें कि वास्तव में अबु बकर को ख़लीफ़ा बनाया गय़ा और इसके दो ख़लीफ़ाओं के बाद ही अली को ख़लीफ़ा बनाया गया। इससे दोनों पक्षों में लड़ाई जारी रही। दूसरे, तीसरे और चौथे ख़लीफ़ाओं की हत्या कर दी गई थी - इन खलीफ़ाओं के नाम हैं उमर, उस्मान और अली। शिया, अली से अपने नेताओं की गिनती करते हैं और अपने नेता को खलीफ़ा के बदले इमाम कहते हैं। मुहम्मद के नेतृत्व में पूरा अरबी प्रायद्वीप एक मत और साम्राज्य के अधीन पहली बार आया था। इतने बड़े साम्राज्य के अधिकारी बनने की होड़ से इस मतभेद का जन्म हुआ। हज़रत अली, जो मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद दोनों थे, ही हजरत मुहम्मद साहब के असली उत्तराधिकारी थे और उन्हें ही पहला ख़लीफ़ा बनना चाहिए था। यद्यपि ऐसा हुआ नहीं और उनको तीन और लोगों के बाद ख़लीफ़ा, यानि प्रधान नेता, बनाया गया। अली और उनके बाद उनके वंशजों को इस्लाम का प्रमुख बनना चाहिए था, ऐसा विशवास रखने वाले शिया हैं। सुन्नी मुसलमान मानते हैं कि हज़रत अली सहित पहले चार खलीफ़ा (अबु बक़र, उमर, उस्मान तथा हज़रत अली) सतपथी (राशिदुन) थे जबकि शिया मुसलमानों का मानना है कि पहले तीन खलीफ़ा इस्लाम के गैर-वाजिब प्रधान थे और वे हज़रत अली से ही इमामों की गिनती आरंभ करते हैं और इस गिनती में ख़लीफ़ा शब्द का प्रयोग नहीं करते। सुन्नी अली को (चौथा) ख़लीफ़ा मानते है और उनके पुत्र हुसैन को मरवाने वाले ख़लीफ़ा याजिद को कई जगहों पर पथभ्रष्ट मुस्लिम कहते हैं। हाँलांकि ये सिर्फ उत्तराधिकार का मामला था और हजरत अली भी कई वर्षों के बाद ख़लीफ़ा बने पर इससे मुस्लिम समुदाय में विभेद आ गया जो सदियों तक चला। आज दुनिया में, सुन्नी बहुमत में हैं पर शिया विश्वास ईरान, इराक़ समेत कई देशों में प्रधान है। .

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शआबान

शआबान या शाबान इस्लामी कैलेंडर का आठवाँ मास है। यह रज्जब के बाद आता है। .

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सफ़्फ़ारी राजवंश

सफ़्फ़ारी राजवंश (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Saffarids) सीस्तान क्षेत्र से उत्पन्न एक मध्यकालीन राजवंश था जिसने पूर्वी ईरान, ख़ुरासान, अफ़ग़ानिस्तान व बलोचिस्तान पर ८६१ ईसवी से १००२ ईसवी तक राज किया। इस राजवंश की नीव याक़ूब बिन लैथ़ अस-सफ़्फ़ार ने रखी जो एक स्थानीय अय्यार (लड़ाका) था। उसके पिता लैथ़ ताम्बे का काम करते था जिसे व्यवसाय को फ़ारसी भाषा में 'सफ़्फ़ार' कहते हैं, लेकिन उसने यह पारिवारिक पेशा छोड़कर अय्यारी शुरू कर दी। उसने इस्लाम के नाम पर पहले सीस्तान क्षेत्र और फिर अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया। .

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सम्प्रदाय

एक ही धर्म की अलग अलग परम्परा या विचारधारा मानने वालें वर्गों को सम्प्रदाय कहते है। सम्प्रदाय हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, इस्लाम आदी धर्मों में मौजूद है। सम्प्रदाय के अन्तर्गत गुरु-शिष्य परम्परा चलती है जो गुरु द्वारा प्रतिपादित परम्परा को पुष्ट करती है। .

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सलजूक़ साम्राज्य

'बुर्ज तोग़रोल​' ईरान की राजधानी तेहरान के पास तुग़रिल बेग़​ के लिए १२वीं सदी में बना एक स्मारक बुर्ज है सलजूक़​ साम्राज्य या सेल्जूक साम्राज्य(तुर्की: Büyük Selçuklu Devleti; फ़ारसी:, दौलत-ए-सलजूक़ियान​; अंग्रेज़ी: Seljuq Empire) एक मध्यकालीन तुर्की साम्राज्य था जो सन् १०३७ से ११९४ ईसवी तक चला। यह एक बहुत बड़े क्षेत्र पर विस्तृत था जो पूर्व में हिन्दू कुश पर्वतों से पश्चिम में अनातोलिया तक और उत्तर में मध्य एशिया से दक्षिण में फ़ारस की खाड़ी तक फैला हुआ था। सलजूक़ लोग मध्य एशिया के स्तेपी क्षेत्र के तुर्की-भाषी लोगों की ओग़ुज़​ शाखा की क़िनिक़​ उपशाखा से उत्पन्न हुए थे। इनकी मूल मातृभूमि अरल सागर के पास थी जहाँ से इन्होनें पहले ख़ोरासान​, फिर ईरान और फिर अनातोलिया पर क़ब्ज़ा किया। सलजूक़ साम्राज्य की वजह से ईरान, उत्तरी अफ़्ग़ानिस्तान​, कॉकस और अन्य इलाक़ों में तुर्की संस्कृति का प्रभाव बना और एक मिश्रित ईरानी-तुर्की सांस्कृतिक परम्परा जन्मी।, Jamie Stokes, Anthony Gorman, pp.

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सलीम द्वितीय

सलीम द्वितीय (उस्मानी तुर्कीयाई: سليم ثانى सेलिम-इ सानी, तुर्कीयाई: II.Selim; 28 मई 1524 – 12/15 दिसम्बर 1574), सार्होश सेलिम, मेश्त सेलिम (Sarhoş Selim; Mest Selim - शराबी सलीम) या सारे सेलिम (Sarı Selim - सुनहरे बालों का सलीम) के नामों से भी मशहूर हैं, 1566 से 1574 में उनकी मौत तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। वे शानदार सुलेमान और ख़ासकी ख़ुर्रम सुल्तान के पुत्र थे। सलीम उस्मानी तख़्त के लिए उम्मीदवार नहीं थे। जब उनके भाई शहज़ादे महमद की मौत चेचक की वजह से हुई, उनके सौतेले भाई शहज़ादे मुस्तफ़ा को उनके पिता के हुकम पर गला घोंटने से मार दिया गया और उनके भाई शहज़ादे बायज़ीद को उनके और उनके पिता द्वारा रचित साज़िश में मार दिया गया था; तब उनके पिता के गुज़रने के बाद वे साम्राज्य के आख़री जीवित वारिस थे। 1566 में शानदार सुलेमान के देहांत के बाद उनकी मौत की ख़बर 50 रोज़ तक जनता से छुपाई गई जिसके बाद सलीम द्वितीय क़ुस्तुंतुनिया में तख़्त नशीन हुआ। उस वक़्त उनकी उम्र 42 साल थी। उस्मानिया साम्राज्य उस वक़्त अपना चरम उत्कर्ष पर पहुँच चुका था। .

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सहाबा

अल्लाह के नबी जो कि मोहम्मद घोषित है इस्लाम की मूल आस्था के एनिमेटेड अरबी रूप है। सहाबा या अस-सहाबा (अरबी:, अंग्रेज़ी: As Sahabah) इस्लाम की सर्वोच्च धार्मिक हस्ती पैग़म्बर मुहम्मद के साथियों, शिष्यों, लेखकों और परिवारजनों का नाम है जिन्होनें उनके जीवनकाल में उनका साथ दिया। अरबी भाषा में 'साहब' का अर्थ 'साथी' या 'सहयोगी' होता है और इसका बहुवचन शब्द 'सहाबा' है। .

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सहीह मुस्लिम

सहीह मुस्लिम (अरबी: صحيح مسلم, Ṣaḥīḥ मुस्लिम; पूर्ण शीर्षक: अल-मुसनद अल-सहीहु बी नक़लिल अदली) सुन्नी इस्लाम में * Category:सुन्नी हदीसों का संग्रह Category:9th-century Arabic books.

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सहीह अल-बुख़ारी

सहीह अल-बुख़ारी (अरबी: صحيح البخاري), जिसे बुखारी शरीफ़ (अरबी: بخاري شريف) भी कहा जाता है। सुन्नी इस्लाम के कुतुब अल-सित्ताह (छह प्रमुख हदीस संग्रह) में से एक है। इन पैग़म्बर की परंपराओं, या हदीसों को मुस्लिम विद्वान मुहम्मद अल-बुख़ारी ने एकत्र किया। इस हदीस का संग्रह 846/232 हिजरी के आसपास पूरा हो गया था। सुन्नी मुसलमान सही बुख़ारी और सही मुस्लिम को दो सबसे भरोसेमंद संग्रह मानते हैं। ज़ैदी शिया मुसलमानों द्वारा भी एक प्रामाणिक हदीस संग्रह के रूप में माना और इसका उपयोग भी किया जाता है। कुछ समूहों में, इसे कुरान के बाद सबसे प्रामाणिक पुस्तक माना जाता है। Muqaddimah Ibn al-Salah, pg.

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सामानी साम्राज्य

सामानी साम्राज्य मध्य एशिया तथा ख़ोरासान का एक मध्यकालीन (819-999) साम्राज्य था जिसकी राजधानी बुखारा एक समय इस्लाम की राजधानी बग़दाद की बराबरी करता था। इसके शासक सुन्नी मुसलमान थे जो जरदोश्त के धर्म से परिवर्तित होकर मुस्लिम बने थे। यह फ़ारस के केन्द्रीय सासानी साम्राज्य के अरबों द्वारा फ़तह के बाद एक प्रमुख राज्य था जो इस्लाम का दूसरा केन्द्र भी माना जाता था। ध्यातव्य है कि बुखारा, यानि सुन्नी सामानी और अरब दुनिया (सुन्नी) के मध्य केन्द्रीय ईरान के लोग शिया हैं (और थे)। सामानी काल का एक कलात्मक कटोरा।Bowl with white slip, incised design, colored, and glazed. Excavated at ''Sabz Pushan'', Neishapur, Iran. 9th-early 10th century. New York Metropolitan Museum of Art. .

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सामंजस्य बौशकी

प्रोफेसर सामंजस्य बौशकी (Amazigh: ⵟoⵓⴼⵉⴽ Boⵓⵙⵀⴰⴽⵉ) एक अल्जीरियाई खगोल जो समझ के महान योगदान ऑक्सी ईंधन दहन प्रक्रिया हैैं। Boushaki भी वैज्ञानिक अनुसंधान के एक प्रमोटर है।.

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सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान

सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Sipah-e-Sahaba Pakistan), जिसे कभी-कभी सिर्फ़ ऍस-ऍस-पी (SSP) भी कहते हैं, पाकिस्तान का एक सुन्नी देवबन्दी संगठन है जो पहले एक राजनैतिक पार्टी भी रहा है। इसकी स्थापना हक़ नवाज़ झंगवी ने १९८० के दशक में पाकिस्तानी पंजाब के झंग शहर में की थी। यह एक शिया-विरोधी संगठन है और इसने अपना ध्येय पाकिस्तान में १९७९ में हुई ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद शियाओं के प्रभाव को कम करना बताया था। ईरान एक शिया-प्रमुख देश है। २००२ में भूतपूर्व पाकिस्तानी तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ़ ने इसपर पाबंदी लगा दी थी और इसे एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था। इसके बाद इस संगठन ने अपना नाम बदलकर 'अह्ल-ए-सुन्नत वल जमात' रख लिया हालांकि इसे अभी भी अधिकतर 'सिपाह-ए-सहाबा' ही बुलाया जाता है। मार्च २०१२ में पाकिस्तानी सरकार ने अह्ल-ए-सुन्नत वल जमात पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया। कुछ विद्वानों के अनुसार पाकिस्तान के एक और भूतपूर्व तानाशाह ज़िया-उल-हक़ ने ही शुरू में इस संगठन को प्रोत्साहित किया था।, Andrew Tian Huat Tan, pp.

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सिबि ज़िला

सिबि (उर्दू व बलोच: سبی, अंग्रेज़ी: Sibi) पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त का एक ज़िला है। .

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सिर्री सक़्ती

शेख सिर्री सक़्ती (अरबी:سری سقطی; मृत्यु: ८६७ ई) बिन अल मुफ़्लिस बगदाद के सुन्नी संप्रदाय के एक सूफ़ी थे। जुनैद बग़्दाादी के चाचा होते थे। नूरी, खरज़ि तथा खैर नस्साज से दीक्षित थे। अपने समय के महान् सूफ़ी, सृष्टि के पथप्रदर्शक और बड़े आलिम (धर्मपंडित) समझे जाते थे। आध्यात्मिक सिद्धांतों में अल मुहास्वी के अनुयायी थे। उनके कथनानुसार ईश्वर और मानव प्रेमसूत्र में संबद्ध हैं, और सच्चे प्रेमी को शारीरिक संताप सहन नहीं करना पड़ता। मर्द (पुरुष) वह है जो बाजार में भी ईश्वर के गुणगान में संलग्न रहे। महाबली तथा मल्ल वह है जो अपनी दुरभिलाषाओं को अपने वश में कर ले। उन्होंने यह भी कहा कि जब हृदय में और कोई वस्तु होती है तो यह पाँच बातें वहाँ नहीं होतीं - ईश्वरभय, आशा, प्रेम, लज्जा तथा अनुकंपा। पुरुष वह है जिससे सृष्टि को किसी प्रकार का कष्ट न पहुँचे। जुनैद बग़्दाादी के कथानुसार सरी सक़्ती चिंतन तथा ईश्वर-गुणगान में अद्वितीय थे। ९८ वर्षों तक कभी धरती पर नहीं बैठे। इब्ने हबल ने उनके इस मत का खंडन किया है कि कुरान के अक्षर मनुष्य द्वारा रचित हैं। व्यापार करते थे। ९८ वर्ष की आयु में २८ रमज़ान २५० (८७० ई.) अथवा २५३ (८६७ ई.) को स्वर्गवास हुआ। समाधि बगदाद में है। श्रेणी:सूफी सन्त.

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सउदी अरब

सउदी अरब मध्यपूर्व में स्थित एक सुन्नी मुस्लिम देश है। यह एक इस्लामी राजतंत्र है जिसकी स्थापना १७५० के आसपास सउद द्वारा की गई थी। यहाँ की धरती रेतीली है तथा जलवायु उष्णकटिबंधीय मरुस्थल। यह विश्व के अग्रणी तेल निर्यातक देशों में गिना जाता है। सउदी अरब के पश्चिम की ओर लाल सागर है और उसके पार मिस्र। दक्षिण की ओर ओमान और यमन हैं और उनके दक्षिण में हिन्द महासागर। उत्तर में इराक और ज़ॉर्डन की सीमा लगती है जबकि पूरब में फारस की खाड़ी और कुवैत तथा संयुक्त अरब अमीरात। इसरायल-फ़िलिस्तीन का क्षेत्र इसके उत्तर की दिशा में है और अरबों ने इसके इतिहास को बहुत प्रभावित किया है। यहाँ इस्लाम के प्रवर्तक मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था और यहाँ इस्लाम के दो सबसे पवित्र स्थल मक्का और मदीना अवस्थित हैं। इस्लाम में हज का स्थान मक्का बताया गया है और दुनिया के सारे मुसलमान मक्का की ओर ही नमाज अदा करते हैं। यहाँ के मुसलमान मुख्यतः सुन्नी हैं और इस्लाम की राजनैतिक राजधानी के इस देश से बाहर रहने के बावजूद इस देश के लोगों ने इस्लाम धर्म पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। .

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सुन्दा लोग

सुन्दा (सुन्दा: Urang Sunda, उरंग सुन्डा) के जावा द्वीप के पश्चिमी भाग में बसने वाला एक समुदाय है। यह संख्या में ४ करोड़ के पास हैं और इण्डोनेशिया के सबसे बड़े समुदायों में से एक हैं। इनकी अपनी अलग सुन्दा भाषा है। यह अधिकतर इस्लाम के अनुयायी हैं हालांकि इनमें अपने पूर्वजों के हिन्दू-बौद्ध धर्म के बहुत से तत्व भी मिलते हैं। .

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सूरी साम्राज्य

शेर शाह सूरी द्वारा ज़र्ब किया गया सिक्का, (बाई तरफ़) अरबी-फ़ारसी लिपि और देवनागरी के एक रूप में लिखा है 'सुलतान शेर शाह' दिल्ली के पुराने क़िले के आगे स्थित 'लाल दरवाज़ा' जिसे 'सूरी गेट' भी कहते हैं सूरी साम्राज्य (पश्तो:, द सूरियानो टोलवाकमन​ई) भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में स्थित पश्तून नस्ल के शेर शाह सूरी द्वारा स्थापित एक साम्राज्य था जो सन् १५४० से लेकर १५५७ तक चला। इस दौरान सूरी परिवार ने बाबर द्वारा स्थापित मुग़ल सल्तनत को भारत से बेदख़ल कर दिया और ईरान में शरण मांगने पर मजबूर कर दिया। शेर शाह ने दुसरे मुग़ल सम्राट हुमायूँ को २६ जून १५३९ में (पटना के क़रीब) चौसा के युद्ध में और फिर १७ मई १५४० में बिलग्राम के युद्ध में परास्त किया। सूरी साम्राज्य पश्चिमोत्तर में ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा से पूर्व में बंगाल तक विस्तृत था। .

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सीरिया में इस्लाम

सीरिया में इस्लाम; Islam in Syria:सीरिया की 90 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है और। सुन्नी मुस्लिम कुल जनसंख्या के 74 प्रतिशत हैं जबकि शिया क़रीब 13 प्रतिशत जिसमें 10 प्रतिशत जनसंख्या ईसाइयो की। और कुछ यहूदी भी रहते हैं। जाति के रूप में सीरिया में कुर्द लोग तुर्कमेन लोग भी निवास करते है। .

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हनफ़ी पन्थ

हनफ़ी (अरबी الحنفي) सुन्नी इस्लाम के चार पन्थों में से सबसे पुराना और सबसे ज़्यादा अनुयायियों वाला पन्थ है। अबु खलीफ़ा, तुर्क साम्राज्य और मुगल साम्राज्य के शासक हनाफी पन्थ के अनुयायी थे। आज हनाफी स्कूल लिवैन्ट, इराक, अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भारत, चीन, मारीशस, तुर्की, अल्बानिया, मैसेडोनिया में बाल्कन में प्रमुख है। .

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हमीदा बानो बेगम

हमीदा बानो (१५२७-१६०४) प्रसिद्ध मुगल सम्राट हुमायुं की बेगम और तीसरे मुगल सम्राट अकबर की मां थी। हिदांल के गुरु की बेटी थी वो शिया थी किंतु उसका पति सुन्नी था। .

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हलब

हलब (अलेप्पो) (अरबी:, अंग्रेज़ी: Aleppo) सीरिया के उत्तर-पश्चिम में भूमध्य सागर के तट से थोड़ी दूरी पर बसा एक नगर है जो प्राचीन काल से एशिया और यूरोप के मध्य व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। जनसंख्या के हिसाब (२००४ में २१ लाख) से यह सीरिया का सबसे बड़ा नगर है। लगभग ८० प्रतिशत सुन्नी मुस्लिम जनवास के अलावे यहाँ ईसाई (मुख्यतः अर्मेनियाई) और यहूदी भी रहते हैं। यह शहर हलब प्रान्त की राजधानी भी है। .

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हसरत मोहानी

मौलाना हसरत मोहानी (1 जनवरी 1875 - 1 मई 1951) साहित्यकार, शायर, पत्रकार, इस्लामी विद्वान, समाजसेवक और "इंक़लाब ज़िन्दाबाद" का नारा देने वाले आज़ादी के सिपाही थे। .

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हाफिज़ मुहम्मद सईद

हाफिज मुहम्मद सईद (जन्म: 10 मार्च 1950) आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक और वर्तमान में जमात-उद-दावा से सम्बंधित है। यह भारत की सर्वाधिक वांछित अपराधियों की सूची में शामिल है। मुंबई के 26/11 हमले में उसका हाथ होने की बात सामने आई थी जिसमें छह अमेरिकी नागरिक समेत 166 लोग मारे गए थे। उस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से उसे सौंपने को कहा था। अमेरिकी सरकार की ‘रिवाडर्स फॉर जस्टिस’ कार्यक्रम की वेबसाइट पर बताया गया कि हाफिज़ सईद प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा का प्रमुख और चरमपंथी गुट लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक है। अमेरिका द्वारा जारी, दुनिया में 'आंतकवाद के लिए जिम्मेदार' लोगों की सूची में हाफिज सईद का भी नाम है। 2012 से इसके ऊपर अमेरिका ने एक हजार करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है। - दैनिक जागरण - 31 अगस्त 2015 .

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हज़रत निज़ामुद्दीन

हजरत निज़ामुद्दीन (حضرت خواجة نظام الدّین اولیا) (1325-1236) चिश्ती घराने के चौथे संत थे। इस सूफी संत ने वैराग्य और सहनशीलता की मिसाल पेश की, कहा जाता है कि 1303 में इनके कहने पर मुगल सेना ने हमला रोक दिया था, इस प्रकार ये सभी धर्मों के लोगों में लोकप्रिय बन गए। हजरत साहब ने 92 वर्ष की आयु में प्राण त्यागे और उसी वर्ष उनके मकबरे का निर्माण आरंभ हो गया, किंतु इसका नवीनीकरण 1562 तक होता रहा। दक्षिणी दिल्ली में स्थित हजरत निज़ामुद्दीन औलिया का मकबरा सूफी काल की एक पवित्र दरगाह है। .

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हज्जाज बिन युसुफ़

अल-हज्जाज बिन युसुफ़ (अरबी:, अंग्रेज़ी: Hajjaj bin Yusuf) इस्लाम के शुरूआती काल में उमय्यद ख़िलाफ़त का एक अरब प्रशासक, रक्षामंत्री और राजनीतिज्ञ था जो इतिहास में बहुत विवादित रहा है। वह एक चतुर और सख़्त​ शासक था, हालांकि अब कुछ इतिहासकारों का मत है कि उमय्यद ख़िलाफ़त के बाद आने वाले अब्बासी ख़िलाफ़त के इतिहासकार उमय्यादों से नफ़रत करते थे और हो सकता है उन्होंने अपनी लिखाईयों में अल-हज्जाज का नाम बिगाड़ा हो।, Edmund Ghareeb, Beth Dougherty, pp.

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हैरी पॉटर श्रृंखला पर धार्मिक बहस

जे॰ के॰ रोलिंग की हैरी पॉटर श्रृंखला की किताबों पर धार्मिक बहस इन दावों पर आधारित हैं कि उपन्यासों में ऑकल्ट या शैतानी उप-भाग हैं। कई प्रोटेस्टैंट, कैथोलिक और परम्परानिष्ट ईसाईयों ने श्रृंखला के खिलाफ तर्क दिया है, जैसा कि कुछ शिया और सुन्नी मुसलमानों ने भी दिया हैं। सीरीज़ के समर्थकों ने कहा है कि हैरी पॉटर में जादू की ऑकल्टवाद से ज़रा सी समानता है। .

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जलालुद्दीन रूमी

मौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी (३० सितम्बर, १२०७) फारसी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक थे जिन्होंने मसनवी में महत्वपूर्ण योगदान किया। इन्होंने सूफ़ी परंपरा में नर्तक साधुओ (गिर्दानी दरवेशों) की परंपरा का संवर्धन किया। रूमी अफ़ग़ानिस्तान के मूल निवासी थे पर मध्य तुर्की के सल्जूक दरबार में इन्होंने अपना जीवन बिताया और कई महत्वपूर्ण रचनाएँ रचीं। कोन्या (मध्य तुर्की) में ही इनका देहांत हुआ जिसके बाद आपकी कब्र एक मज़ार का रूप लेती गई जहाँ आपकी याद में सालाना आयोजन सैकड़ों सालों से होते आते रहे हैं। रूमी के जीवन में शम्स तबरीज़ी का महत्वपूर्ण स्थान है जिनसे मिलने के बाद इनकी शायरी में मस्ताना रंग भर आया था। इनकी रचनाओं के एक संग्रह (दीवान) को दीवान-ए-शम्स कहते हैं। .

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ज़ंस्कार

ज़ंस्कार (लद्दाख़ी व तिब्बती: ཟངས་དཀར་) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के पूर्वी भाग में कर्गिल ज़िले में स्थित एक भौगोलिक व सांस्कृतिक क्षेत्र है। प्रशासनिक दृष्टि से यह एक तहसील का दर्जा रखता है और पदुम इसकी राजधानी है। यह क्षेत्र ज़ंस्कार नदी की दो शाखाओं के साथ-साथ बसा हुआ है। ज़ंस्कार क्षेत्र समीप के लद्दाख़ क्षेत्र से ज़ंस्कार पर्वतमाला द्वारा विभाजित है। यह पर्वतमाला ६००० मीटर (१९,७०० फ़ुट) की औसत ऊँचाई रखती है और इसका पूर्वी भाग एक पठार के लक्षणों वाला इलाका है जो कि रुपशु कहलाता है। ज़ंस्कार पर्वतमाला हिमाचल प्रदेश में भी जारी रहती है जहाँ यह किन्नौर क्षेत्र को स्पीति घाटी से अलग करती है। .

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जामा मस्जिद सफीलपुर

जामा मस्जिद सफीलपुर उत्तर प्रदेश, मुरादाबाद के सफीलपुर गांव में स्थित है। जो बिलारी तहसील का एक गांव है। यह मस्जिद सुन्नी मुस्लमानो की है। यह सफिलपुर की एक मात्र मस्जिद है। यह मस्जिद पहले बहुत छोटी थी, परन्तु अब इस मस्जिद को दौबारा तामीर बड़ा किया गया है। मस्जिद के निकट एक सुन्नी इस्लामिक मदरसा भी है, जिसमें सुन्नी मुस्लिम छात्र इस्लामिक शिक्षा प्राप्त करते हैं। .

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जंगी साम्राज्य

जंगी साम्राज्य; Zengid Empire (1127-1250 ईस्वी) मध्य पुर्व एशिया का एक शक्तिसाली साम्राज्य था जंगी राजवंश ओगुज़ तुर्क मूल का एक मुस्लिम वंश था, जिसने सेल्जुक साम्राज्य की ओर से लेवेंट और ऊपरी मेसोपोटामिया के कुछ हिस्सों पर शासन किया था। .

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ईरान-इजराइल सम्बन्ध

ईरान - इजराइल सम्बन्ध प्राचीन काल से ही एक मधुर सम्बन्ध रहे लेकिन ईरान एक मुस्लिम बहुत राष्ट्र है तो इजराइल एक यहुदी राष्ट्र है ईरान इजराइल सम्बन्ध की दरार ईरान की इस्लामी क्रांति का होना और ईरान में राजशाही शासन का पतन होना मूल कारण था ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान इजराइल सम्बन्ध और वर्तमान समय में एक दुश्मन के रूप में है। .

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वारिस अली शाह

वारिस अली शाह; Waris Ali Shah: (حاجی وارث علی شاہ), हाजी वारिस अली शाह या सरकार वारिस पाक 1819-1905 ईस्वी के मध्य में एक सूफी संत थे, और बाराबंकी, भारत, में सूफीवाद के वारसी आदेश के संस्थापक थे। इन्होंने व्यापक रूप से पश्चिमी यात्रा की और लोगों को अपनी आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण कराई और लोगों ने इनकी शिक्षाओं को स्वीकार किया.

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वास्को द गामा

डॉम वास्को द गामा (पुर्तगाली: Vasco da Gama) (लगभग १४६० या १४६९ - २४ दिसंबर, १५२४) एक पुर्तगाली अन्वेषक, यूरोपीय खोज युग के सबसे सफल खोजकर्ताओं में से एक और यूरोप से भारत सीधी यात्रा करने वाले जहाज़ों का कमांडर था, जो केप ऑफ गुड होप, अफ्रीका के दक्षिणी कोने से होते हुए भारत पहुँचा। वह जहाज़ द्वारा तीन बार भारत आया। उसकी जन्म की सही तिथि तो अज्ञात है लेकिन यह कहा जाता है कि वह १४९० के दशक में साइन, पुर्तगाल में एक योद्धा था। वास्को को भारत का (समुद्री रास्तों द्वारा) अन्वेषक के अलावे अरब सागर का महत्वपूर्ण नौसेनानी और ईसाई धर्म के रक्षक के रूप में भी जाना जाता है। उसकी प्रथम और बाद की यात्राओं के दौरान लिखे गए घटना क्रम को सोलहवीं सदी के अफ्रीका और केरल के जनजीवन का महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। .

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विश्व में इस्लाम धर्म

इस्लाम; दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है। 2010 के एक अध्ययन के अनुसार जनवरी 2011 में जारी किया गया था, इस्लाम के पास 1.6 अरब अनुयायी हैं, जो विश्व की आबादी का 23% हिस्सा बनाता हैं। 2015 में एक और अध्ययन के अनुसार इस्लाम में 1.7 बिलियन अनुयायी हैं। अधिकांश मुस्लिम दो संप्रदायों में हैं: सुन्नी (80-90%, करीब 1.5 अरब लोग) या शिया (20-30%, लगभग 340-510 मिलियन लोग)। मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, अफ्रीका का हॉर्न, सहारा, मध्य एशिया और एशिया के कुछ अन्य हिस्सों में इस्लाम प्रमुख धर्म है। मुस्लिमों के बड़े समुदाय भी चीन, बाल्कन, भारत और रूस में पाए जाते हैं। दुनिया के अन्य बड़े हिस्सो में मुस्लिम आप्रवासी समुदायों की मेजबानी करते हैं; पश्चिमी यूरोप में, उदाहरण के लिए, ईसाई धर्म के बाद इस्लाम धर्म दूसरा सबसे बड़ा धर्म है, जहां यह कुल आबादी का 6% या 24 मिलियन लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। .

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विश्व इस्लामी मिशन

विश्व इस्लामी मिशन (वर्ल्ड इस्लामिक मिशन) सूफ़ीवाद से प्रेरित सुन्नी मुसलमानों का अन्तराष्ट्रीय संगठन है। इसकी स्थापना 1972 में शाह अहमद नूरानी सिद्दीकी, सैयद माहरूफ हुसैन शाह, शाह आरिफ़ कादरी नौशाही और अल्लामा अर्शादुल कादरी द्वारा इस्लामी पवित्र शहर मक्का में हुई थी। वर्ल्ड इस्लामिक मिशन का विकास विश्व के कई देशों के मुसलमानों को इस्लामी शिक्षा प्रदान करने के लिए हुआ है। संगठन का कार्यालय इंग्लैंड के मैनचेस्टर शहर में है तथा यह विश्व के कम से कम 24 देशों में सक्रिय है। .

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ख़लीफ़ा

ख़लीफ़ा (अरबी:, अंग्रेज़ी: Caliph या Khalifa) अरबी भाषा में ऐसे शासक को कहते हैं जो किसी इस्लामी राज्य या अन्य शरिया (इस्लामी क़ानून) से चलने वाली राजकीय व्यवस्था का शासक हो। पैग़म्बर मुहम्मद की ६३२ ईसवी में मृत्यु के बाद वाले ख़लीफ़ा पूरे मुस्लिम क्षेत्र के राजनैतिक नेता माने जाते थे। ख़लीफ़ाओं का सिलसिला अंत में जाकर उस्मानी साम्राज्य के पतन पर १९२५ में ही ख़त्म हुआ।, David Nicolle, pp.

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ख़ज़र लोग

सन् ६५० और ८५० के बीच ख़ज़र ख़ागानत ख़ज़र (रूसी:Хазары, ख़ाज़ारी; अंग्रेज़ी: Khazar) मध्यकालीन यूरेशिया की एक तुर्की जाति थी जिनका विशाल साम्राज्य आधुनिक रूस के यूरोपीय हिस्से, पश्चिमी कज़ाख़स्तान, पूर्वी युक्रेन, अज़रबेजान, उत्तरी कॉकस (चरकस्सिया, दाग़िस्तान), जोर्जिया, क्राइमिया और उत्तरपूर्वी तुर्की पर विस्तृत था। इनकी राजधानी वोल्गा नदी के किनारे बसा आतील शहर था। ख़ज़र लोगों की ख़ागानत सन् ४४८ से १०४८ तक चली। इसमें कई धर्मों के लोग और, तुर्की जातियों के अलावा, यूराली, स्लावी और अन्य जातियाँ भी रहती थीं। ख़ज़र ख़ागानत रेशम मार्ग पर एक महत्वपूर्ण पड़ाव था और दक्षिण-पश्चिमी एशिया को उत्तरी यूरोप से जोड़ने वाली एक मुख्य कड़ी थी।, David Christian, Wiley-Blackwell, 1998, ISBN 978-0-631-20814-3,...

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ख़्वाजा बंदे नवाज़

सय्यद वल शरीफ़ कमालुद्दीन बिन मुहम्मद बिन यूसुफ़ अल हुसैनी: जिन्हें आम तौर पर ख्वाजा बन्दा नवाज़ गेसू दराज़ कहते हैं। (7 अगस्त 1321, दिल्ली -10 नवंबर 1422, गुलबर्गा) बंदा नवाज़ या गेसू दराज़ के नाम से जाना जाता है, चिश्ती तरीक़े के भारत से एक प्रसिद्ध सूफी संत थे, जिन्होंने समझ, सहिष्णुता की वकालत की, विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच सद्भावना पैदा की। गेसू दराज़ दिल्ली के प्रसिद्ध सूफ़ी संत हज़रत नसीरुद्दीन चिराग़ देहलवी के एक मुरीद या शिष्य थे। चिराग देहलावी की मृत्यु के बाद, गेसू दराज़ ने उत्तराधिकारी (ख़लीफ़ा) के तौर पर गद्दा नशीन हुवे। जब वह दिल्ली पर तैमूर लंग के हमले के कारण 1400 के आस-पास दौलाबाद में चले गए, तो उन्होंने चिश्ती तरीके को दक्षिण भारत में परिचय किया और स्थापित भी। अंत में वह बहामनी सुल्तान, ताज उद-दीन फिरोज शाह के निमंत्रण पर गुलबर्गा में बस गए। .

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खालिदा ज़िया

खालेदा जिय़ा बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री हैं। इनका कार्यकाल 1991 से 1996 तक तथा 2001 से 2006 तक रहा। श्रेणी:बांग्लादेश के प्रधानमन्त्री.

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गयासुद्दीन तुग़लक़

गयासुद्दीन तुग़लक़ दिल्ली सल्तनत में तुग़लक़ वंश का शासक था। ग़ाज़ी मलिक या तुग़लक़ ग़ाज़ी, ग़यासुद्दीन तुग़लक़ (1320-1325 ई॰) के नाम से 8 सितम्बर 1320 को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। इसे तुग़लक़ वंश का संस्थापक भी माना जाता है। इसने कुल 29 बार मंगोल आक्रमण को विफल किया। सुल्तान बनने से पहले वह क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी के शासन काल में उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रान्त का शक्तिशाली गर्वनर नियुक्त हुआ था। वह दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था, जिसने अपने नाम के साथ 'ग़ाज़ी' शब्द जोड़ा था। गयासुद्दीन का पिता करौना तुर्क ग़ुलाम था व उसकी माता हिन्दू थी। .

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ग़िज़र ज़िला

ग़िज़र ज़िले का नक़्शा जिसमें गाँव-बस्तियाँ दिखाएँ गए हैं ग़िज़र​ पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र का पश्चिमतम ज़िला है। इसकी राजधानी गाहकूच शहर है। यहाँ कई जातियाँ रहती हैं और तीन मुख्य भाषाएँ बोली जाती हैं - खोवार, शीना और बुरूशसकी। इनके अलावा इस ज़िले के इश्कोमन क्षेत्र में कुछ वाख़ी और ताजिक बोलने वाले भी यहाँ रहते हैं। कुछ गुज्जर लोग भी इस जिले में बसे हुए हैं। .

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ग़ज़नवी साम्राज्य

ग़ज़नवी राजवंश (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Ghaznavids) एक तुर्क मुस्लिम राजवंश था जिसने ९७५ ईसवी से ११८६ ईसवी काल में अधिकाँश ईरान, आमू पार क्षेत्रों और उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप पर राज किया। इसकी स्थापना सबुक तिगिन ने तब की थी जब उसे अपने ससुर अल्प तिगिन की मृत्यु पर ग़ज़ना (आधुनिक ग़ज़नी प्रांत) का राज मिला था। अल्प तिगिन स्वयं कभी ख़ुरासान के सामानी साम्राज्य का सिपहसालार हुआ करता था जिसने अपनी अलग रियासत कायम कर ली थी।, Martijn Theodoor Houtsma, pp.

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ग़ुलाम वंश

गुलाम वंश (سلسله غلامان) मध्यकालीन भारत का एक राजवंश था। इस वंश का पहला शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था जिसे मोहम्मद ग़ौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद नियुक्त किया था। इस वंश ने दिल्ली की सत्ता पर 1206-1290 ईस्वी तक राज किया। इस वंश के शासक या संस्थापक ग़ुलाम (दास) थे न कि राजा। इस लिए इसे राजवंश की बजाय सिर्फ़ वंश कहा जाता है। .

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ग़ोरी राजवंश

ग़ोरी राजवंश या ग़ोरी सिलसिला (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Ghurids), जो अपने-आप को शनसबानी राजवंश (Shansabānī) बुलाया करते थे, एक मध्यकालीन राजवंश था जिसने ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, पश्चिमोत्तर भारत (दिल्ली तक), ख़ुरासान और आधुनिक पश्चिमी चीन के शिनजियांग क्षेत्र के कई भागों पर ११४८-१२१५ ईसवी काल में राज किया। यह राजवंश ग़ज़नवी राजवंश के पतन के बाद उठा था। यह राजवंश अफ़ग़ानिस्तान के ग़ोर प्रान्त में केन्द्रित था और इतिहासकारों का मानना है कि इसका राजपरिवार ताजिक मूल का था। ग़ोरी राजवंश की सर्वप्रथम राजधानी ग़ोर प्रान्त का फ़िरोज़कोह शहर था लेकिन बाद में हेरात बन गया। इसके अलावा ग़ज़नी और लाहौर को भी राजधानियों की तरह इस्तेमाल किया जाता था, विशेषकर सर्दियों में। दिल्ली का प्रसिद्द क़ुतुब मीनार इसी वंश के क़ुतुब-उद-दीन ऐबक का बनवाया हुआ है, जिसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना भी की।, Nicholas Ostler, pp.

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गाम्बिया

गाम्बिया (आधिकारिक रूप से इस्लामी गणराज्य गाम्बिया), पश्चिमी अफ्रीका में स्थित एक देश है। गाम्बिया अफ्रीकी मुख्य भूमि पर स्थित सबसे छोटा देश है, इसकी उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी सीमा सेनेगल से मिलती है, पश्चिम में अन्ध महासागर से लगा छोटा सा तटीय क्षेत्र है। देश का नाम गाम्बिया नदी पर से पड़ा है, जिसके प्रवाह के रास्ते इसकी सीमा लगी हुई है। नदी देश के मध्य से होते हुए अन्ध महासागर में जाकर मिल जाती है। लगभग १०,५०० वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले इस देश की अनुमानित जनसंख्या १७,००,००० है। १८ फरवरी, १९६५ को गाम्बिया ब्रिटेन से स्वतन्त्र हुआ और राष्ट्रमण्डल में सम्मिलित हो गया। बांजुल गाम्बिया की राजधानी है, लेकिन सबसे बड़ा महानगर सेरीकुंदा है। गाम्बिया अन्य पश्चिम अफ़्रीकी देशों के साथ एतिहासिक दास व्यापार का एक भाग था, जो गाम्बिया नदी पर उपनिवेश स्थापित करने का एक प्रमुख कारण था, प्रथम पुर्तगालियों द्वारा और बाद में अंग्रेज़ों द्वारा। १९६५ में स्वतन्त्रता प्राप्त करने के बाद, गाम्बिया अपेक्षाकृत स्थिर देश रहा है, केवल १९९४ में सैन्य शासन की एक संक्षिप्त अवधि के अपवाद को छोड़कर। यह एक कृषि सम्पन्न देश है और देश की अर्थव्यस्था में खेती-बाड़ी, मत्स्य-ग्रहण और पर्यटन-उद्योग की प्रमुख भूमिका है। लगभग एक तिहाई जनसंख्या अन्तर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा की सीमा १.२५ डॉलर प्रतिदिन से नीचे रहती है। .

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गाज़ा पट्टी

ग़ज़ा पट्टी इस्रायल के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक 6-10 किंमी.

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गोरीकोट वादी

गोरीकोट (Gorikot), जिसे स्थानीय लोग गुए (Gué) भी बुलाते हैं, पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के अस्तोर ज़िले की सबसे बड़ी घाटी है और उस ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यह नंगा परबत जाने वाले मार्ग और प्रसिद्द देओसाई मैदान जाने वाले मार्ग के चौराहे पर स्थित है। .

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ऑस्ट्रिया-हंगरी

ऑस्ट्रिया-हंगरी (अथवा द्विराजतंत्र) मध्य यूरोप का एक देश होता था। यह देश 1867 से 1918 तक अस्तित्व था। 1867 ऑस्ट्रो-हंगेरियन समझौता से स्थापित हुआ था, और पहले विश्व युद्ध को हारने के बाद ढह गया। .

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औरंगज़ेब

अबुल मुज़फ़्फ़र मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर (3 नवम्बर १६१८ – ३ मार्च १७०७) जिसे आमतौर पर औरंगज़ेब या आलमगीर (प्रजा द्वारा दिया हुआ शाही नाम जिसका अर्थ होता है विश्व विजेता) के नाम से जाना जाता था भारत पर राज्य करने वाला छठा मुग़ल शासक था। उसका शासन १६५८ से लेकर १७०७ में उसकी मृत्यु होने तक चला। औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक राज्य किया। वो अकबर के बाद सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाला मुग़ल शासक था। अपने जीवनकाल में उसने दक्षिणी भारत में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार करने का भरसक प्रयास किया पर उसकी मृत्यु के पश्चात मुग़ल साम्राज्य सिकुड़ने लगा। औरंगज़ेब के शासन में मुग़ल साम्राज्य अपने विस्तार के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। वो अपने समय का शायद सबसे धनी और शातिशाली व्यक्ति था जिसने अपने जीवनकाल में दक्षिण भारत में प्राप्त विजयों के जरिये मुग़ल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैलाया और १५ करोड़ लोगों पर शासन किया जो की दुनिया की आबादी का १/४ था। औरंगज़ेब ने पूरे साम्राज्य पर फ़तवा-ए-आलमगीरी (शरियत या इस्लामी क़ानून पर आधारित) लागू किया और कुछ समय के लिए ग़ैर-मुस्लिमों पर अतिरिक्त कर भी लगाया। ग़ैर-मुसलमान जनता पर शरियत लागू करने वाला वो पहला मुसलमान शासक था। मुग़ल शासनकाल में उनके शासन काल में उसके दरबारियों में सबसे ज्यादा हिन्दु थे। और सिखों के गुरु तेग़ बहादुर को दाराशिकोह के साथ मिलकर बग़ावत के जुर्म में मृत्युदंड दिया गया था। .

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आईएसआईएस

'''इस्लामिक राज्य''' का ध्वज इस्लामी राज्य (अरबी: ﺍﻟﺪﻭﻟﺔ ﺍﻹﺳﻼﻣﻴﺔ al-Dawlah al-Islāmīyah) जून २०१४ में निर्मित एक अमान्य राज्य तथा इराक एवं सीरिया में सक्रिय जिहादी सुन्नी सैन्य समूह है। अरबी भाषा में इस संगठन का नाम है 'अल दौलतुल इस्लामिया फिल इराक वल शाम'। इसका हिन्दी अर्थ है- 'इराक एवं शाम का इस्लामी राज्य'। शाम सीरिया का प्राचीन नाम है। इस संगठन के कई पूर्व नाम हैं जैसे आईएसआईएस अर्थात् 'इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया', आईएसआईएल्, दाइश आदि। आईएसआईएस नाम से इस संगठन का गठन अप्रैल 2013 में हुआ। इब्राहिम अव्वद अल-बद्री उर्फ अबु बक्र अल-बगदादी इसका मुखिया है। शुरू में अल कायदा ने इसका हर तरह से समर्थन किया किन्तु बाद में अल कायदा इस संगठन से अलग हो गया। अब यह अल कायदा से भी अधिक मजबूत और क्रूर संगठन के तौर पर जाना जाता हैं। यह दुनिया का सबसे अमीर आतंकी संगठन है जिसका बजट 2 अरब डॉलर का है। २९ जून २०१४ को इसने अपने मुखिया को विश्व के सभी मुसलमानों का खलीफा घोषित किया है। विश्व के अधिकांश मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों को सीधे अपने राजनीतिक नियंत्रण में लेना इसका घोषित लक्ष्य है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये इसने सबसे पहले लेवेन्त क्षेत्र को अपने अधिकार में लेने का अभियान चलाया है जिसके अन्तर्गत जॉर्डन, इजरायल, फिलिस्तीन, लेबनान, कुवैत, साइप्रस तथा दक्षिणीतुर्की का कुछ भाग आता हैं। आईएसआईएस के सदस्यो की संख्या करीब 10,000 हैं। .

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इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

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इस्लाम में तलाक़

इस्लाम धर्म में,विवाह, जिसे निकाह कहा जाता हैं एक पुरूष और एक स्त्री की अपनी आज़ाद मर्ज़ी से एक दूसरें के साथ पति और पत्नी के रूप में रहने का फ़ैसला हैं। इसकी तीन शर्ते हैं: पहली यह कि पुरूष वैवाहिक जीवन की ज़िम्मेदारियों को उठाने की शपथ ले, एक निश्चित रकम जो आपसी बातचीत से तय हो, मेहर के रूप में औरत को दे और इस नये सम्बन्ध की समाज में घोषणा हो जाये। इसके बिना किसी मर्द और औरत का साथ रहना और यौन सम्बन्ध स्थापित करना गलत, बल्कि एक बड़ा अपराध हैं। .

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इस्लाम के पांच मूल स्तंभ

इस्लाम के पांच मूल स्तंभ (أركان الإسلام; also أركان الدين "pillars of the religion") मूल रूप से मुसलमानों के विशवास के अनुसार इस्लाम धर्म के पाँच मूल स्तंभ या फ़र्ज माना जाता है, जो हर मुस्लमान को अपनी ज़िंदगी का मूल विचार माना जाता है। यह बाते मशहूर हदीस "हदीस ए जिब्रील" में बताया गया है। .

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इस्लाम के सम्प्रदाय एवं शाखाएँ

मोहम्मद साहब की मृत्यु के बाद इस्लाम में परम्परा, विधिशास्त्र तथा विचारों के आधार पर मतभेद होते रहे और अलग-अलग सम्प्रदाय बनते गये। वर्तमान समय में इस्लाम में बहुत से सम्प्रदाय और शाखाएँ हैं। इस्लामी न्यायशास्त्र फ़िक़ह के आधार पर मुस्लिम समुदाय तीन समूहों में बता हवा है। तीनों अपनी जगह दुरुस्त हैं। वह हैं,.

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इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ईराक़

इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ईराक़ एक तकफिरी इस्लामी संगठन था। इसका उद्देश्य इराक के सुन्नी बहुमत क्षेत्रों में एक इस्लामी राज्य की स्थापना करना था। इसकी स्थापना १५ अक्टूबर २००६ को इराक के कुछ विद्रोही संगठनों के विलयन से हुई थी। ft.com, 15 October 2006.

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इस्लामी स्वर्ण युग

इबन रशुद जिसने दर्शनशास्त्र में इबनरशुवाद को जन्म दिया। अब्बासियों के राज में इस्लाम का स्वर्ण युग शुरु हुआ। अब्बासी खलीफा ज्ञान को बहुत महत्त्व देते थे। मुस्लिम दुनिया बहुत तेज़ी से विशव का बौद्धिक केन्द्र बनने लगी। कई विद्वानों ने प्राचीन युनान, भारत, चीन और फ़ारसी सभय्ताओं की साहित्य, दर्शनशास्र, विज्ञान, गणित इत्यादी से संबंधित पुस्तकों का अध्ययन किया और उनका अरबी में अनुवाद किया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस के कारण बहुत बड़ा ज्ञानकोश इतिहास के पन्नों में खोने से रह गया। मुस्लिम विद्वानों ने सिर्फ अनुवाद ही नहीं किया। उन्होंने इन सभी विषयों में अपनी छाप भी छोड़ी। चिकित्सा विज्ञान में शरीर रचना और रोगों से संबंधित कई नई खोजें हूईं जैसे कि खसरा और चेचक के बीच में जो फर्क है उसे समझा गया। इब्ने सीना (९८०-१०३७) ने चिकित्सा विज्ञान से संबंधित कई पुस्तकें लिखीं जो कि आगे जा कर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का आधार बनीं। इस लिये इब्ने सीना को आधुनिक चिकित्सा का पिता भी कहा जाता है। इसी तरह से अल हैथाम को प्रकाशिकी विज्ञान का पिता और अबु मूसा जबीर को रसायन शास्त्र का पिता भी कहा जाता है।R.

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कल्होड़ा राजवंश

कल्होड़ा राजवंश (सिन्धी:, कल्होड़ा राज; या, सिलसिला कल्होड़ा) सिन्ध और आधुनिक पाकिस्तान के कुछ अन्य हिस्सों पर लगभग एक शताब्दी तक शासन करने वाला एक राजवंश था। .

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क़ाराक़ालपाक़ लोग

क़ाराक़ालपाक़ (क़ाराक़ालपाक़ भाषा: Qaraqalpaqlar, रूसी: Каракалпаки) उज़बेकिस्तान में बसने वाली एक तुर्की जाति है। यह समुदाय अमु दरिया के अंतिम भाग में और अरल सागर के दक्षिणी किनारे पर रहता है। विश्व भर में इनकी जनसँख्या लगभग ६.५ लाख अनुमानित की जाती है, जिनमें से ५ लाख उज़बेकिस्तान के क़ाराक़ालपाक़स्तान स्वशासित प्रान्त में रहते हैं। इस जाति का नाम तुर्की भाषा के दो शब्दों को जोड़कर बना है: 'क़ारा' (यानि 'काला') और 'क़ालपाक़' यानि (टोपी)। हालांकि इन लोगों का इलाक़ा उज़बेकिस्तान में आता है, इनकी संस्कृति वास्तव में काज़ाख़ समुदाय से ज़्यादा मिलती है। क़ाराक़ालपाक़ लोग अधिकतर सुन्नी इस्लाम की हनफ़ी शाखा के अनुयायी होते हैं।, Timothy L. Gall, Jeneen Hobby, Gale, 2009, ISBN 978-1-4144-4891-6,...

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क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी

कुतब उल अक्ताब हजरत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद बख्तियार अल्हुस्सैनी क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी चिश्ती (जन्म ११७३-मृत्यु १२३५) चिश्ती आदेश के एक मुस्लिम सूफी संत और विद्वान थे| वह ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के अध्यात्मिक उत्तराधिकारी और शिष्य थे, जिन्होंने भारत उपमहाद्वीप में चिश्ती तरीके की नीव रखी थी| उनसे पूर्व भारत में चिश्ती तरीका अजमेर और नागौर तक ही सीमित था, उन्होंने दिल्ली में आदेश को स्थापित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। मेहरौली में जफर महल के नजदीक स्थित उनकी दरगाह दिल्ली की सबसे प्राचीन दरगाहों में से एक हैं। इनका उर्स (परिवाण दिवस) दरगाह पर मनाया जाता है। यह रबी-उल-अव्वल की चोहदवी तारीख को (हिजरी अनुसार) वार्षिक मनाया जाता है। उर्स को दिल्ली के कई शासकों ने उच्च स्तर पर आयोजित किया था, जिनमे कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश जिन्होंने उनके लिए गंधक की बाओली का निर्माण किया, शेर शाह सूरी, जिन्होंने एक भव्य प्रवेश द्वार बनवाया, बहादुर शाह प्रथम, जिन्होंने मोती मस्जिद का निर्माण कराया और फररुखसियार,जिन्होंने एक संगमरमर स्क्रीन और एक मस्जिद जोड़ा, शामिल है.

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कज़ाख़ लोग

चीन के शिनजियांग प्रांत में एक कज़ाख़ परिवार कज़ाख़ मध्य एशिया के उत्तरी भाग में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। कज़ाख़स्तान की अधिकाँश आबादी इसी नस्ल की है, हालाँकि कज़ाख़ समुदाय बहुत से अन्य देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि उज़बेकिस्तान, मंगोलिया, रूस और चीन के शिनजियांग प्रान्त में। विश्व भर में १.३ से लेकर १.५ करोड़ कज़ाख़ लोग हैं और इनमें से अधिकतर की मातृभाषा कज़ाख़ भाषा है। कज़ाख़ लोग बहुत से प्राचीन तुर्की जातियों के वंशज हैं, जैसे कि अरग़िन, ख़ज़र, कारलुक, किपचक और कुमन। माना जाता है कि इनमें कुछ हद तक मध्य एशिया की कुछ ईरानी भाषाएँ बोलने वाली जातियाँ (जैसे कि शक, स्किथाई और सरमती) भी शामिल हो गई। कज़ाख़ लोग साइबेरिया से लेकर कृष्ण सागर तक फैले हुए थे और जब इस क्षेत्र में तुर्की-मंगोल लोगों का राज चला तब भी वे मध्य एशिया में ही बसे रहे। .

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कुर्रम वादी

अफ़्ग़ानिस्तान के पकतिया प्रान्त से दक्षिण की तरफ़ सरहद पार स्थित कुर्रम वादी का नज़ारा कुर्रम (पश्तो:, द कुर्रमा; अंग्रेज़ी: Kurram) पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर में अफ़्ग़ानिस्तान से लगी हुई एक सुन्दर वादी है। प्राचीनकाल में इसे वैदिक संस्कृत में ऋग्वेद में क्रुमू कहते थे।, George Erdösy, Walter de Gruyter, 1995, ISBN 978-3-11-014447-5,...

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कृष्ण

बाल कृष्ण का लड्डू गोपाल रूप, जिनकी घर घर में पूजा सदियों से की जाती रही है। कृष्ण भारत में अवतरित हुये भगवान विष्णु के ८वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर हैं। कन्हैया, श्याम, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की ८वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। १२५ वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद ही कलियुग का आरंभ माना जाता है। .

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कोमोरोस

thumb कोमोरोस हिन्द महासागर में अफ़्रीका के पूर्वी छोर पर उत्तरी मैडागास्कर और उत्तर-पूर्व मोज़ाम्बिक के बीच स्थित एक द्वीपीय देश है। यह अफ़्रीका महाद्वीप में क्षेत्रफल की दृष्टि तीसरा सबसे छोटा और जनसंख्या की दृष्टि से छठा सबसे छोटा देश है लेकिन यहाँ जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है। अरब जगत से सम्बन्ध रखने वाले कोमोरोस देश का नाम अरबी भाषा के शब्द क्वामार (चान्द) से निकला है। चार बड़े और अन्य छोटे द्वीपों वाला यह देश पर्यावरण की विविधता के कारण दुनिया में अलग ही स्थान रखता है। .

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कोर्डोबा खिलाफत

कोर्डोबा खिलाफत; Caliphate of Córdoba (خلافة قرطبة; खिलाफत कोरडोबा) उमय्यद वंश द्वारा शासित उत्तरी अफ्रीका के एक भाग के साथ इबेरिया प्रायद्वीप में एक इस्लामी राज्य था। कोर्डोबा में राजधानी के साथ राज्य 929 से 1031 ईस्वी आस्तिव में रहा जो क्षेत्र पूर्व में उमय्यद खिलाफत की शाखा कोर्डोबा अमीरात (756-929) का वर्चास्व था। यह अवधि व्यापार और संस्कृति के विस्तार से हुई और अल- अन्डालुस में वास्तुकला की उत्कृष्ठ कृतियो का निर्माण देखा गया। .

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कोर्डोबा अमीरात

कोर्डोबा अमीरात; Emirate of Córdoba (अरबी‎‏: إمارة قرطبة, ‏इमारह कोरडोबा), इबेरिया प्रायद्वीप में एक स्वतंत्र इस्लामी राज्य था और राजधानी कोर्डोबा के साथ 756 और 929 के बीच अमीरात था। 711-718 ईस्वी में मुस्लिम उमय्यदो की हिस्पानिया विजय बाद इबेरिया प्रायद्वीप, उमय्यद खिलाफत के तहत एक प्रांत के रूप में स्थापित किया गया था। .

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अदमा बैरो

अदमा बैरो (Adama Barrow)पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया के राष्ट्रपति हैं। बैरो ने २१ जनवरी २०१७ को गाम्बिया के तीसरे राष्ट्रपति की शपथ ग्रहण की।इसके पूर्व राष्ट्रपति याह्या जम्मेह ने २२ वर्षों तक गाम्बिया राष्ट्र की सत्ता की बागडोर अपने हाथों में रखी। बैरो के चुनाव जीतने पर भी जम्मेह सत्ता से हटना नहीं चाहते थे अतः पडोसी देश सेनेगल में बैरो ने राष्ट्रपति कार्यालय का ऊद्घाटन कर दिया। 21जनवरी 2017 को सेना ने नए राष्ट्रपति के प्रति निष्ठा व्यक्त करने पर जम्मेह ने सत्ता छोड़ने का संकेत दिया। .

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अनबार प्रान्त

अनबार प्रान्त के ७ ज़िले अनबार प्रान्त, जिसे अरबी में मुहाफ़ज़ात​ अल-अनबार कहते हैं इराक़ का एक प्रान्त है। सन् १९७६ से पहले इस प्रान्त का नाम 'रमादी प्रान्त' था और १९६२ से पहले 'दुलैम प्रान्त' था। .

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अफ़शारी राजवंश

अफ़शारी राजवंश (سلسله افشاریان, सिलसिला अफ़शारियान) १८वीं सदी ईसवी में तुर्क-मूल का ईरान में केन्द्रित राजवंश था। इसके शासक मध्य एशिया के ऐतिहासिक ख़ोरासान क्षेत्र से आये अफ़शार तुर्की क़बीले के सदस्य थे। अफ़शारी राजवंश की स्थापना सन् १७३६ ई में युद्ध में निपुण नादिर शाह ने करी जिसनें उस समय राज कर रहे सफ़वी राजवंश से सत्ता छीन ली और स्वयं को शहनशाह-ए-ईरान घोषित कर लिया हालांकि वह ईरानी मूल का नहीं था। उसके राज में ईरान सासानी साम्राज्य के बाद के अपने सबसे बड़े विस्तार पर पहुँचा। उसका राज उत्तर भारत से लेकर जॉर्जिया तक फैला हुआ था। .

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अफ़्पाक

अफ़्पाक शब्द अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान की लगी सीमा से लगे सरहद के आरपार दोनों देशों के क्षेत्रों के लिए प्रयुक्त होता है। यह शब्द अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की विदेश नीति के तहत 2009 फ़रवरी में इस क्षेत्र के लिए नियुक्त विशेष दूत के कार्यक्षेत्र के नामांकरण के बाद हुआ। इस क्षेत्र में सशस्त्र सुन्नी इस्लामिक गुट तालेबान का प्रभाव बढ़ गया है। इसी समस्या के निदान हेतु रिचर्ड हॉलब्रुक की नियुक्ति की गई थी। .

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अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म

एक मुखी लिंग (शिव लिंग के साथ एक मुख), अफगानिस्तान काबुल संग्रहालय मूर्ति अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म  का अनुसरण करने वाले बहुत कम लोग हैं। इनकी संख्या कोई 1,000 अनुमानित है। ये लोग अधिकतर काबुल एवं अफगानिस्तान के अन्य प्रमुख नगरों में रहते हैं।, by Tony Cross.

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अबु बक्र

अबू बक्र का असली नाम अब्दुल्लाह इब्न अबू क़ुहाफ़ा (Abdullah ibn Abi Quhaafah अरबी عبد الله بن أبي قحافة), c. 573 ई – 23 अगस्त 634 ई, इनका मशहूर नाम अबू बक्र (أبو بكر) है।, from islam4theworld अबू बक्र पैगंबर मुहम्मद के ससुर और उनके प्रमुख साथियों में से थे। वह मुहम्मद साहब के बाद मुसल्मानों के पहले खलीफा चुने गये। सुन्नी मुसलमान इनको चार प्रमुख पवित्र खलीफाओं में अग्रणी मानतें हैं। ये पैगंबर मुहम्मद के प्रारंभिक अनुयायियों में से थे और इनकी पुत्री आयशा पैगंबर की चहेती पत्नी थी। .

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अबु अय्यूब अल-मसरी

अबु अय्यूब अल-मसरी (أبو أيّوب المصري,; (जन्म:१९६८-मृत्यु २०१०) एक अलकायदा का सक्रिय लड़ाकू था,तथा अलकायदा का वरिष्ठ लड़ाकू भी था। (in Arabic), US Department of State. इनकी मौत २०१० में हुई थीं।, US Department of State.. .

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अब्दुर्रहमान बिस्वास

अबुर्रहमान विश्वास (1926-2017) बांग्लादेश के राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १० अक्टूबर १९९१ से ९ अक्टूबर १९९६ तक रहा।.

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अब्दुल रहमान मस्जिद

अब्दुल रहमान मस्जिद; Abdul Rahman Mosque (फारसी: مسجد عبدالرحمان; د عبدالرحمان جومات), जिसे काबुल की ग्रैंड मस्जिद भी कहा जाता है, अफगानिस्तान में सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। यह काबुल के वाणिज्यिक इलाके में में स्थित है, जिसे देह अफगानिस्तान कहा जाता है। इमारत तीन मंजिला ऊंची है, जो 3.5 एकड़ जमीन पर बनाई गई है। भवन की एक मंजिल केवल महिलाओं को समर्पित है। मस्जिद का नाम हाजी अब्दुल रहमान नामक एक प्रभावशाली अफगान व्यापारी के नाम पर है, मस्जिद के निर्माण के दौरान म्रत्यु हो गयी थी, लेकिन उनके बेटों ने इस परियोजना को जारी रखा। मस्जिद का निर्माण हाजी अब्दुर रहमान ने 2001 में शुरू किया था लेकिन लाल टेल के कारण कई वर्षों के लिए देरी हुई थी। मस्जिद में एक समय में 10,000 लोगों की प्रार्थना व करने की क्षमता है। मस्जिद के भीतर एक मदरसा भी है और 150,000 किताबों वाली एक पुस्तकालय है।.

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अय्यूबी साम्राज्य

अय्यूबी साम्राज्य या अय्यूबी राजवंश (1171-1290 तक) एक कूर्द साम्राज्य था जिसने १२वीं और १३वीं शताब्दी में मध्य पूर्व एशिया तथा उत्तरी अफ्रिका के बड़े भाग पर शासन किया। .

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अल ग़ज़ाली

अबू हामिद मुहम्मद इब्न मुहम्मद अल-गज़ाली (ابو حامد محمد ابن محمد غزالی; c. 1058–1111), पश्चिम में अल-ग़ज़ाली या अलगाज़ेल के नाम से मशहूर, एक मुस्लिम तत्वग्नानी, सूफ़ी जो पर्शिया से थे। इस्लामी दुनिया में हज़रत मुहम्मद के बाद अगर कोई मुस्लिम समूह को आकर्शित किया या असर रुसूक़ किया तो वो अल-ग़ज़ाली' हैं। इस्लामी समूह में अल-ग़ज़ाली' को मुजद्दिद या पुनर्व्यवस्थीकरण करने वाला माना जाता है। इस्लामी समूह में माना जाता है कि हर शताब्द में एक मुजद्दिद जन्म लेते है, मुस्लिम समूह को धर्ममार्ग पर प्रेरेपित और उत्तेजित करते हैं। इन के कार्य और रचनाएं इतनी प्रबावशाली हैं कि लोग इन को "हुज्जतुल इस्लाम" (इस्लाम का सबूत) कहा करते हैं। .

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अल अशरफ मूसा

श्रेणी:सुल्तान श्रेणी:राजा श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अल-क़ायदा

विभिन्न अल-क़ायदा गुटबंदियों द्वारा इस्तेमाल किया गया परचम अल-क़ायदा (अरबी: القاعدة‎, अर्थ: 'बुनियाद', 'आधार') एक बहुराष्ट्रीय उग्रवादी सुन्नी इस्लामवादी संगठन है जिसका स्थापना ओसामा बिन लादेन, अब्दुल्लाह आज़म और 1980 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान पर सोवियतों के आक्रमण के विरोध करने वाले कुछ अन्य अरब स्वयंसेवकों द्वारा 1988 में किया गया था। यह इस्लामी कट्टरपंथी सलाफ़ी जिहादवादियों का जालतंत्र है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमरीका, संयुक्त बादशाही,भारत, रूस और कई अन्य देशों द्वारा यह संगठन एक आतंकवादी समूह क़रार दिया गया है। .

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अल-अजहर विश्वविद्यालय

अल-अजहर विश्वविद्यालय इस्लामी काहिरा में स्थित मिस्र का सबसे पुराना डिग्री देने वाला विश्वविद्यालय है और इसे "सुन्नी इस्लाम का सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय" के रूप में जाना जाता है।".

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अलाउद्दीन खिलजी

अलाउद्दीन खिलजी (वास्तविक नाम अली गुरशास्प 1296-1316) दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक था। उसका साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर उत्तर-मध्य भारत तक फैला था। इसके बाद इतना बड़ा भारतीय साम्राज्य अगले तीन सौ सालों तक कोई भी शासक स्थापित नहीं कर पाया था। मेवाड़ चित्तौड़ का युद्धक अभियान इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। ऐसा माना जाता है कि वो चित्तौड़ की रानी पद्मिनी की सुन्दरता पर मोहित था। इसका वर्णन मलिक मुहम्मद जायसी ने अपनी रचना पद्मावत में किया है। उसके समय में उत्तर पूर्व से मंगोल आक्रमण भी हुए। उसने उसका भी डटकर सामना किया। अलाउद्दीन ख़िलजी के बचपन का नाम अली 'गुरशास्प' था। जलालुद्दीन खिलजी के तख्त पर बैठने के बाद उसे 'अमीर-ए-तुजुक' का पद मिला। मलिक छज्जू के विद्रोह को दबाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण जलालुद्दीन ने उसे कड़ा-मनिकपुर की सूबेदारी सौंप दी। भिलसा, चंदेरी एवं देवगिरि के सफल अभियानों से प्राप्त अपार धन ने उसकी स्थिति और मज़बूत कर दी। इस प्रकार उत्कर्ष पर पहुँचे अलाउद्दीन खिलजी ने अपने चाचा जलालुद्दीन की हत्या धोखे से 22 अक्टूबर 1296 को खुद से गले मिलते समय अपने दो सैनिकों (मुहम्मद सलीम तथा इख़्तियारुद्दीन हूद) द्वारा करवा दी। इस प्रकार उसने अपने सगे चाचा जो उसे अपने औलाद की भांति प्रेम करता था के साथ विश्वासघात कर खुद को सुल्तान घोषित कर दिया और दिल्ली में स्थित बलबन के लालमहल में अपना राज्याभिषेक 22 अक्टूबर 1296 को सम्पन्न करवाया। .

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अल्प तिगिन

अल्प तिगिन या अल्प तेगिन (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Alp Tigin) ९६१ ईसवी से ९६३ ईसवी तक आधुनिक अफ़ग़ानिस्तान के ग़ज़नी क्षेत्र का राजा था। तुर्क जाति का यह राजा पहले बुख़ारा और ख़ुरासान के सामानी साम्राज्य का एक सिपहसालार हुआ करता था जिसने उनसे अलग होकर ग़ज़नी की स्थानीय लवीक (Lawik) नामक शासक को हटाकर स्वयं सत्ता ले ली। इस से उसने ग़ज़नवी साम्राज्य की स्थापना करी जो आगे चलकर उसके वंशजों द्वारा आमू दरिया से लेकर सिन्धु नदी क्षेत्र तक और दक्षिण में अरब सागर तक विस्तृत हुआ। .

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अली हसन अल-मजीद

अली हसन अब्द अल-मजीद अल तिकृती: 'Ali Hassan Abd al-Majid al-Tikriti'; (1941? – 25 जनवरी 2010) एक बाथिस्ट इराकी रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, सैन्य कमांडर और इराकी खुफिया सेवा के प्रमुख थे। वह फारसी खाड़ी युद्ध के दौरान कुवैत के अबैध गवर्नर भी थे। पूर्व बाथिस्ट इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के पहले चचेरे भाई थे, वह 1980 और 1990 के दशक में आंतरिक विपक्षी सेनाओं, अर्थात् उत्तर के जातीय कुर्द विद्रोहियों, और दक्षिण के शिया विद्रोहियों के खिलाफ इराकी सरकार के अभियानों में सैन्य भूमिका के लिए कुख्यात हो गए। प्रतिक्रियात्मक उपायों में निर्वासन और सामूहिक हत्याएं शामिल थीं; अल-मजीद को कुर्दो के खिलाफ हमलों में रासायनिक हथियारों के उपयोग के लिए इराकियों द्वारा "केमिकल अली" (علي الكيماوي, अली अल-किमावियाई) कहा जाता था।.

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अली इब्न अबी तालिब

अली इब्ने अबी तालिब (अरबी: علی ابن ابی طالب) का जन्‍म 17 मार्च 600 (13 रजब 24 हिजरी पूर्व) मुसलमानों के तीर्थ स्थल काबा के अन्दर हुआ था। वे पैगम्बर मुहम्मद (स.) के चचाजाद भाई और दामाद थे और उनका चर्चित नाम हज़रत अली है। वे मुसलमानों के खलीफा के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने 656 से 661 तक राशिदून ख़िलाफ़त के चौथे ख़लीफ़ा के रूप में शासन किया, और शिया इस्लाम के अनुसार वे632 to 661 तक पहले इमाम थे। इसके अतिरिक्‍त उन्‍हें पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है। उन्‍होंने वैज्ञानिक जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से आम आदमी तक पहुँचाया था। .

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असमा अल-अशद

असमा अल-अशद; Asma al-Assad (‎أسماء الأسد‎) सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल अशद की पत्नी और वर्तमान सीरिया की प्रथम महिला असमा अल-असद का जन्म 11 अगस्त 1 9 75 को लंदन में क्रॉमवेल अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट फवाज़ अख़्र्स और उनकी पत्नी सहार अख्तर से हुआ था, जो एक सेवानिवृत्त राजनयिक थे जो लंदन में सीरियाई दूतावास में प्रथम सचिव के रूप में कार्य करते थे। असमा के माता-पिता सुन्नी मुसलमान और सीरियाई मूल के हैं, जिनका होम्स शहर से सम्बन्ध हैं। वह एक्टन, लंदन में बड़ी हुई, जहां वह ट्वाफोर्ड चर्च ऑफ इंग्लैंड हाई स्कूल और बाद में एक निजी लड़कियों का स्कूल, क्वीन कॉलेज, लंदन गई। उन्होंने 1996 में किंग्स कॉलेज लंदन से कंप्यूटर साइंस में प्रथम श्रेणी के बैचलर ऑफ साइंस डिग्री और फ्रांसीसी साहित्य में डिप्लोमा के साथ स्नातक किया। वह अंग्रेजी भाषा अंग्रेजी, अरबी, फ्रेंच और स्पेनिश बोलती है। .

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अहमद तृतीय

अहमद तृतीय (उस्मानी तुर्कीयाई: احمد ثالث, अहमद-इ सालिस, 30/31 दिसंबर 16731 जुलाई 1736) उस्मानी साम्राज्य के सुल्तान रहे थे। वे महमद चतुर्थ (शासनकाल. 1648–87) के बेटे थे। उनकी माँ अमतुल्लाह राबिया गुलनुश सुल्तान थीं, जिनका मूल नाम एवमानिया वोरिया था, उनकी नस्ल यूनानी थी। उनका जन्म हाजीओलु पाज़ारजक, दोब्रुजा में हुआ था। वे 1703 में तख़्तनशीन हो गए, जब उनके भाई मुस्तफ़ा द्वितीय (1695–1703) ने तख़्त को त्याग दिया था। वज़ीर-ए-आज़म नौशहरी दामाद इब्राहीम पाशा और सुल्तान की बेटी फ़ातिमा सुल्तान (जो नौशहरी की बीवी भी थी) ने 1718 से 1730 तक असल हकूमत संभाली, यह दौर ट्यूलिप युग कहा जाता है। .

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अहमद प्रथम

अहमद प्रथम (احمد اول; I.; 18 अप्रैल 1590 – 22 नवम्बर 1617) 1603 से 1617 उनकी मौत तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। अहमद के दौर में "भ्रातृवध" की शाही उस्मानी परंपरा समाप्त हुई थी, इसके बाद किसी उस्मानी शासक ने तख़्त आसीन होने पर इनके सभी भाइयों का वध नहीं किया। वे नीली मस्जिद, तुर्की की सबसे जानी पहचानी मस्जिदों में से एक, के निर्माण करने हेतु प्रसिद्ध हैं। .

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अहमद कथ्रादा

अहमद मोहम्मद कथ्रादा (जन्म: 21 अगस्त 1929 - मौत: 28 मार्च 2017) भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी पूर्व राजकीय क़ैदी, राजनेता और रंगभेद-विरोधी सेनानी थे। वे नेल्सन मंडेला के साथ रिवोनिया ट्राइल में, ट्रैलिस्ट के तौर पर शामिल थे और इसके उपरांत वे रॉबर्न आइलैण्ड पर क़ैदी थे। उनकी रिहाई और रंगभेद सरकार के बाद वे 1994 से 1999 तक दक्षिण अफ़्रीक़ी पारलिमान के सदस्य चुने गए। 28 मार्च 2017 को उनकी मौत हो गई। .

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अहल अल-हदीस

अहले हदीस (फ़ारसी:اهل حدیث‎‎, उर्दू: اہل حدیث‎, ) एशिया में सुन्नी इस्लाम मानते हैं। इन्हें सलफ़ी भी कहा जा है।सल्फ़ी, या अहले हदीस सुन्नियों में एक समूह ऐसा भी है जो किसी एक ख़ास इमाम के अनुसरण की बात नहीं मानता और उसका कहना है कि शरीयत को समझने और उसके सही ढंग से पालन के लिए सीधे क़ुरान और हदीस (पैग़म्बर मोहम्मद के कहे हुए शब्द) का अध्ययन करना चाहिए। इसी समुदाय को सल्फ़ी और अहले-हदीस और वहाबी आदि के नाम से जाना जाता है। यह संप्रदाय चारों इमामों के ज्ञान, उनके शोध अध्ययन और उनके साहित्य की क़द्र करता है। लेकिन उसका कहना है कि इन इमामों में से किसी एक का अनुसरण अनिवार्य नहीं है। उनकी जो बातें क़ुरान और हदीस के अनुसार हैं उस पर अमल तो सही है लेकिन किसी भी विवादास्पद चीज़ में अंतिम फ़ैसला क़ुरान और हदीस का मानना चाहिए। सल्फ़ी समूह का कहना है कि वह ऐसे इस्लाम का प्रचार चाहता है जो पैग़म्बर मोहम्मद के समय में था। इस सोच को परवान चढ़ाने का सेहरा इब्ने तैमिया(1263-1328) और मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब(1703-1792) के सिर पर बांधा जाता है और अब्दुल वहाब के नाम पर ही यह समुदाय वहाबी नाम से भी जाना जाता है। मध्य पूर्व के अधिकांश इस्लामिक विद्वान उनकी विचारधारा से ज़्यादा प्रभावित हैं। इस समूह के बारे में एक बात बड़ी मशहूर है कि ये धार्मिक सिद्धान्तों में पक्के हैं। सऊदी अरब, क़तर के मौजूदा शासक इसी विचारधारा को मानते हैं। अमेरिका में भी ज़्यादातर सुन्नी मुसलमान सलाफी समुदाय से हैं .

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अहले सुन्नत वल जमात

अहले सुन्नत या सुन्नी उन्हें कहा जाता हैं जो क़ुरान और पैगम्बर मुहम्मद साहब के तरीके (सुन्नत)को ज़िन्दगी गुजरने का तरीका मानते हैं ये नाम शिया उर्फ राफ़ज़ीयो से अपने को अलग पएहचन बताने के लिए भी किया जाता हैं दक्षिण एशिया में आधिकारिक तौर पर अहले सुन्नत में बड़े तौर पर तीन गिरोह आते हैं बरेलवी,देवबंदी,अहले हदीस या सलफ़ी। बरेलवी मुहीम दक्षिण एशिया में सूफी आंदोलन के अंतर्गत एक उप-आंदोलन को कहा जाता है यह अहले सुन्नत वल जमात से निकली एक मुहिम हैं जिसे उन्नीसवीं एवं बीसवीं सदी के भारत में रोहेलखंड स्थित बरेली से सुन्नी विद्वान अहमद रजा खान कादरी ने प्रारंभ किया था,। बरेलवी सुन्‍नी हनफी बरेलवी मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा है जो अब बडी संख्या में भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान दक्षिण अफ्रीका एवं ब्रिटेन में संघनित हैं। आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा कादरी ने अपनी प्रसिद्ध फतवा रजविया के माध्यम से भारत में पारंपरिक और रूढ़िवादी इस्लाम का बचाव करते हुए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। देवबंदी मुहीम को वास्तव में एक सूफी मुहिम जिसे इस्माइल देहलवी देवबंदियों के बड़े आलिमो क़ासिम नानोतवी,अशरफ अली थानवी,खलील अम्बेठवी ने सऊदी अरब की वहाबियत को तक़लीद का जामा पहना कर इसे दक्षिण एशियाई मुसलमानों के सामने प्रस्तुत किया। दक्षिण एशिया के ज़्यादातर सुन्नी बरेलवी होते हैं। देओबंदी सुन्नी भी खासी तादाद में है। अहले हदीस वह सुन्नी हैं जो सूफिज्म में विश्वास नहीं करते इन्हें सलफ़ी भी कहा जाता हैं क्यों की ये इस्लाम को उस तरह समझने और मानाने का दावा करते हैं हैं जिस तरह सलफ(पहले ३०० साल के मुस्लमान) ने क़ुरान और सुन्नत को समझा, सलफ़ी सुन्नी उर्फ़ अहले हदीस ज़यादातर सऊदी अरब और क़तर में हैं। ये किसी इमाम की तक़लीद नहीं करते। ऐसा कहा जाता हैं कि पूरे विश्व के मुसलमानों में कट्टरपंथ फ़ैलाने का काम देओबंदी और वहाबी विचारधारा ने किया है हालांकि कश्मीर और चेचन्या में उग्रवाद की शुरुआत सूफी पंथ के मानने वालों ने ही कि थी। 1925 में अरब पर आले सऊद द्वारा तीसरे और निर्णायक क़ब्ज़े के बाद नाम बदलकर सऊदी अरब रख दिया और धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व की विरासतों को मूर्तिपूजा(शिर्क) की संज्ञा देकर ढहा दिया गया जिसमे सैय्यदा फातिमा की मज़ार और उस्मान गनी की मज़ार शामिल है। फतेहपुर सीकरी, उत्तर प्रदेश में सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के मकबरे बरेलवी एक नाम दिया गया है सुन्नी मुसलमान के गिरोह को जो सूफिज्म में विश्वास रखते हैं और सैकड़ों बरसों से इस्लाम सुनियत के मानने वाले हैं। बरेलवियो को आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान के लगाव की वजह से लोग बरेलवी बोलते हैं! इन्हें रजॉखानी भी कहा जाता हैं अहले सुन्नत वाल जमात को वहाबी देओबंदी विचारधारा द्वारा बरेलवी बोलने के अनेक कारण हैं जिसमे खुद को सुन्नी बताना भी लक्ष्यहो सकता है ! सुन्नी जमाअत में सबसे पहले अहमद रज़ा ने देओबंदी आलिमों की गुस्ताखाना किताबों पर फतावे लगाये और आम मुसलमानों को इनके गलत अकीदे के बारे में अवगत कराया! हसंमुल हरामेंन लिखकर अपने साफ़ किया की दारुल उलूम देओबंद हकीक़त में गलत विचारधारा को मानने वाला स्कूल है। भारत में इस्लाम के प्रचार व प्रसार में सूफियों (इस्लामी मनीषियों) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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अज़रबैजान में मस्जिदों की सूची

श्रेणी:अज़रबैजान में मस्जिदें श्रेणी:देशानुसार एशिया में मस्जिदों की सूची श्रेणी:इस्लामी इमारतों की सूची श्रेणी:देशानुसार मस्जिदें.

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उत्तर प्रान्त (लेबनान)

उत्तर प्रान्त (अरबी:, अश-शमाल; अंग्रेज़ी: North) लेबनान का एक प्रान्त है।, Paul Doyle, Bradt Travel Guides, 2012, ISBN 978-1-84162-370-2 लेबनान पर्वतमाला इस प्रान्त से गुज़रती है। प्रान्त के ५३.०४% लोग सुन्नी मुस्लिम हैं, ४४.६८% ईसाई हैं, २.२७% शिया हैं और ०.०१% द्रूज़ हैं। .

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उरवा इब्न जुबैर

उरवा इब्न जुबैर इब्न अल-आलम अल-असदी (मृत्यु:713 ईस्वी) सात फिक़ह (न्यायवादी) में से एक जिन्होंने ताबीन के समय मदीना के फिकह को तैयार किया था और मुस्लिम इतिहासकारों में से एक थे। .

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उस्मान द्वितीय

उस्मान द्वितीय (عثمان ثانى ‘ओसमान-इ सआनी; 3 नवम्बर 1604 – 20 मई 1622), जो तुर्की में गेंच ओस्मान (Genç Osman, जवान उस्मान) के नाम से भी पहचाने जाते हैं, 1618 से 20 मई 1622, अपनी हत्या तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। .

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उस्मानी साम्राज्य

उस्मानी सलतनत (१२९९ - १९२३) (या उस्मानी साम्राज्य या तुर्क साम्राज्य, उर्दू में सल्तनत-ए-उस्मानिया, उस्मानी तुर्कीयाई:دَوْلَتِ عَلِيّهٔ عُثمَانِیّه देव्लेत-इ-आलीय्ये-इ-ऑस्मानिय्ये) १२९९ में पश्चिमोत्तर अनातोलिया में स्थापित एक तुर्क राज्य था। महमद द्वितीय द्वारा १४९३ में क़ुस्तुंतुनिया जीतने के बाद यह एक साम्राज्य में बदल गया। प्रथम विश्वयुद्ध में १९१९ में पराजित होने पर इसका विभाजन करके इस पर अधिकार कर लिया गया। स्वतंत्रता के लिये संघर्ष के बाद २९ अक्तुबर सन् १९२३ में तुर्की गणराज्य की स्थापना पर इसे समाप्त माना जाता है। उस्मानी साम्राज्य सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी में अपने चरम शक्ति पर था। अपनी शक्ति के चरमोत्कर्ष के समय यह एशिया, यूरोप तथा उत्तरी अफ़्रीका के हिस्सों में फैला हुआ था। यह साम्राज्य पश्चिमी तथा पूर्वी सभ्यताओं के लिए विचारों के आदान प्रदान के लिए एक सेतु की तरह था। इसने १४५३ में क़ुस्तुन्तुनिया (आधुनिक इस्ताम्बुल) को जीतकर बीज़ान्टिन साम्राज्य का अन्त कर दिया। इस्ताम्बुल बाद में इनकी राजधानी बनी रही। इस्ताम्बुल पर इसकी जीत ने यूरोप में पुनर्जागरण को प्रोत्साहित किया था। .

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उज़बेक लोग

दो उज़बेक बच्चे उज़बेक मध्य एशिया में बसने वाली एक तुर्की-भाषी जाति का नाम है। उज़बेकिस्तान की अधिकाँश आबादी इसी नसल की है, हालाँकि उज़बेक समुदाय बहुत से अन्य देशों में भी मिलते हैं, जैसे कि अफ़्ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिज़स्तान, तुर्कमेनिस्तान, काज़ाख़स्तान, रूस, पाकिस्तान, मंगोलिया और चीन के शिनजियांग प्रान्त में। विश्व भर में लगभग २.३ करोड़ उज़बेक लोग हैं और यह पूरे विश्व की मनुष्य आबादी का लगभग ०.३% हैं। भारत में मुग़ल सलतनत की स्थापना करने वाला बाबर भी नसल से उज़बेक जाति का ही था।, Suryakant Nijanand Bal, Lancer Publishers, 2004, ISBN 978-81-7062-273-4,...

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उज़्बेकिस्तान

एशिया के केन्द्रीय भाग में स्थित एक देश है जो चारो ओर से जमीन से घिरा है। इतना ही नहीं, इसके चहुँदिश के देश की खुद भी समुद्र तक कोई पहुँच नहीं है। इसके उत्तर में कज़ाख़िस्तान, पूरब में ताज़िकिस्तान दक्षिण में तुर्कमेनिस्तान और अफ़गानिस्तान स्थित है। यह 1991 तक सोवियत संघ का एक घटक था। उज़्बेकिस्तान के प्रमुख शहरों में राजधानी ताशकंत के अलावा समरकंद तथा बुख़ारा का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। यहाँ के मूल निवासी मुख्यतः उज़्बेक नस्ल के हैं, जो बोलचाल में उज्बेक भाषा का प्रयोग करते हैं। .

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२ मार्च

2 मार्च ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 61वॉ (लीप वर्ष में 62 वॉ) दिन है। साल में अभी और 304 दिन बाकी है। .

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२००४

2004 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२०१०

वर्ष २०१० वर्तमान वर्ष है। यह शुक्रवार को प्रारम्भ हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष २०१० को अंतराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इन्हें भी देखें 2010 भारत 2010 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2010 साहित्य संगीत कला 2010 खेल जगत 2010 .

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2017 कतर राजनयिक संकट

अरब प्रायद्वीप जून 2017 में, कई देशों ने सऊदी अरब के नेतृत्व में कतर से अपने राजनयिक संबंध समाप्त कर दिये हैं। इन देशों ने संकट को समाप्त करने के लिए कतर से राजनयिक संबंध समाप्त किए, क्योंकि कतर आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने, आंतरिक मामलों में दखल देने, और ईरान का समर्थन करने के कारण किया गया है। अन्य देशों ने भी इसके साथ संबंधों में कटौती की है, जिसमें बहरीन, मिस्र, यमन (हादी के नेतृत्व वाली सरकार), संयुक्त अरब अमीरात, लीबिया (हाउस के प्रतिनिधियों और सरकार के राष्ट्रीय एकॉर्ड), और मालदीव शामिल हैं। खाड़ी सहयोग परिषद के दो सदस्यों, कुवैत और ओमान ने कतर के खिलाफ सऊदी अरब के नेतृत्व वाले सदस्यों का साथ नहीं दिया। कुवैत चाहता था कि कोई वार्ता कर के कोई मध्य का मार्ग निकल जाये और दोनों के मध्य तनाव कम हो जाये। ईरान ने भी तनाव कम करने हेतु वार्ता हो, इसका प्रयास किया था। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

सुन्नी, सुन्नी मुस्लिम, सुन्नी संप्रदाय

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