49 संबंधों: चोरौट प्रखण्ड (सीतामढी), डुमरा प्रखण्ड (सीतामढी), तिरहुत प्रमंडल, दरभंगा, धनुषा जिला, ननपुर प्रखण्ड (सीतामढी), नरंगा, बिहार, परिहर प्रखण्ड (सीतामढी), परिकल्पना सम्मान, पुपरी प्रखण्ड (सीतामढी), पुरनहिया प्रखण्ड (सीतामढी), पूर्वी चंपारण, बथनाहा प्रखण्ड (सीतामढी), बागमती, बिहार में यातायात, बिहार सरकार, बिहार के प्रमंडल, बिहार के महत्वपूर्ण स्थलों की सूची, बिहार के जिले, बजपट्टी प्रखण्ड (सीतामढी), बैरगनिया प्रखण्ड (सीतामढी), बेलसन्द प्रखण्ड (सीतामढी), बोखरा प्रखण्ड (सीतामढी), भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची, भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार, महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, माधव कुमार नेपाल, मिथिला, मजोरगंज प्रखण्ड (सीतामढी), मखाना, मुजफ्फरपुर जिला, मैथिली भाषा, मैथिली साहित्य, रामफल मंडल, रिगा प्रखण्ड (सीतामढी), रवीन्द्र प्रभात, लखनदेई नदी, श्याम रुद्र पाठक, श्रीसीतारामकेलिकौमुदी, सुरसन्द प्रखण्ड (सीतामढी), सोनबरसा प्रखण्ड (सीतामढी), सीता कुंड, जनकपुर, वाराणसी के पर्यटन स्थल, गौरव शर्मा (लेखक), इंदिरा शाह, अच्छा राई रसिक, अथरी, अहिल्या स्थान।
चोरौट प्रखण्ड (सीतामढी)
सीतामढी, बिहार का एक प्रखण्ड। श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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डुमरा प्रखण्ड (सीतामढी)
सीतामढी, बिहार का एक प्रखण्ड। श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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तिरहुत प्रमंडल
तिरहुत प्रमंडल का नक्शा बिहार में गंगा के उत्तरी भाग को तिरहुत क्षेत्र कहा जाता था। इसे तुर्क-अफगान काल में स्वतंत्र प्रशासनिक इकाई बनाया गया। किसी समय में यह क्षेत्र बंगाल राज्य के अंतर्गत था। सन् १८७५ में यह बंगाल से अलग होकर मुजफ्फरपुर और दरभंगा नामक दो जिलों में बँट गया। ये दोनों जिले अब बिहार राज्य के अन्तर्गत है। वैसे अब तिरहुत नाम का कोई स्थान नहीं है, लेकिन मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिलों को ही कभी कभी तिरहुत नाम से व्यक्त किया जाता है। ब्रिटिस भारत में सन १९०८ में जारी एक आदेश के तहत तिरहुत को पटना से अलग कर प्रमंडल बनाया गया। तिरहुत बिहार राज्य के ९ प्रमंडलों में सवसे बड़ा है। इसके अन्तर्गत ६ जिले आते हैं.
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दरभंगा
भारत प्रान्त के उत्तरी बिहार में बागमती नदी के किनारे बसा दरभंगा एक जिला एवं प्रमंडलीय मुख्यालय है। दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत तीन जिले दरभंगा, मधुबनी, एवं समस्तीपुर आते हैं। दरभंगा के उत्तर में मधुबनी, दक्षिण में समस्तीपुर, पूर्व में सहरसा एवं पश्चिम में मुजफ्फरपुर तथा सीतामढ़ी जिला है। दरभंगा शहर के बहुविध एवं आधुनिक स्वरुप का विकास सोलहवीं सदी में मुग़ल व्यापारियों तथा ओईनवार शासकों द्वारा विकसित किया गया। दरभंगा 16वीं सदी में स्थापित दरभंगा राज की राजधानी था। अपनी प्राचीन संस्कृति और बौद्धिक परंपरा के लिये यह शहर विख्यात रहा है। इसके अलावा यह जिला आम और मखाना के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। .
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धनुषा जिला
जनकपुर में स्वयंबर के दौरान भगवान राम के द्वारा शिव धनुष तोड़ने से संबंधित रवी वर्मा की पेंटिंग यह नेपाल के जनकपुर प्रान्त का एक जिला है। यह हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ स्थल है। .
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ननपुर प्रखण्ड (सीतामढी)
श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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नरंगा, बिहार
नरंगा भारत के बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल के सीतामढ़ी जिले के परिहार प्रखंड का एक गाँव है। .
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परिहर प्रखण्ड (सीतामढी)
श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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परिकल्पना सम्मान
परिकल्पना सम्मान हिन्दी ब्लॉगिंग का एक ऐसा वृहद सम्मान है, जिसे बहुचर्चित तकनीकी ब्लॉगर रवि रतलामी ने हिन्दी ब्लॉगिंग का ऑस्कर कहा है। यह सम्मान प्रत्येक वर्ष आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन में देशविदेश से आए हिन्दी के चिरपरिचित ब्लॉगर्स की उपस्थिति में प्रदान किया जाता है। .
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पुपरी प्रखण्ड (सीतामढी)
श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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पुरनहिया प्रखण्ड (सीतामढी)
श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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पूर्वी चंपारण
पूर्वी चंपारण बिहार के तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है। चंपारण को विभाजित कर 1971 में बनाए गए पूर्वी चंपारण का मुख्यालय मोतिहारी है। चंपारण का नाम चंपा + अरण्य से बना है जिसका अर्थ होता है- चम्पा के पेड़ों से आच्छादित जंगल। पूर्वी चम्पारण के उत्तर में एक ओर जहाँ नेपाल तथा दक्षिण में मुजफ्फरपुर स्थित है, वहीं दूसरी ओर इसके पूर्व में शिवहर और सीतामढ़ी तथा पश्चिम में पश्चिमी चम्पारण जिला है। .
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बथनाहा प्रखण्ड (सीतामढी)
सीतामढी, बिहार का एक प्रखण्ड। श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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बागमती
बागमती (नेपाल भाषा:बागमती खुसी, बागमती नदी) नेपाल और भारत की एक बहुत महत्त्वपूर्ण नदी है। इस नदी के तट पर काठमांडू अवस्थित है। नेपाल का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल पशुपतिनाथ मंदिर भी इसी नदी के तट पर अवस्थित है। इस नदी का उद्गम स्थान बागद्वार है। काटमाण्डौ के टेकु दोभान मैं विष्णुमति नदी इसमें समाहित होती है। नेपाली सभ्यता में इस नदी का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस नदी के किनारे में अवस्थित आर्य घाटौं पर राजा से लेकर रंक तक सभी का अन्तिम संस्कार किया जाता है। .
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बिहार में यातायात
यह लेख बिहार राज्य की सार्वजनिक और निजी परिवहन प्रणाली के बारे में है। .
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बिहार सरकार
प्रशासनिक सुविधा के लिए बिहार राज्य को 9 प्रमंडल तथा 38 मंडल (जिला) में बाँटा गया है। जिलों को क्रमश: 101 अनुमंडलों, 534 प्रखंडों, 8,471 पंचायतों, 45,103 गाँवों में बाँटा गया है। राज्य का मुख्य सचिव नौकरशाही का प्रमुख होता है जिसे श्रेणीक्रम में आयुक्त, जिलाधिकारी, अनुमंडलाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी या अंचलाधिकारी तथा इनके साथ जुड़े अन्य अधिकारी एवं कर्मचारीगण रिपोर्ट करते हैं। पंचायत तथा गाँवों का कामकाज़ सीधेतौर पर चुनाव कराकर मुखिया, सरपंच तथा वार्ड सदस्यों के अधीन संचालित किया जाता है। पटना, तिरहुत, सारण, दरभंगा, कोशी, पूर्णिया, भागलपुर, मुंगेर तथा मगध प्रमंडल के अन्तर्गत आनेवाले जिले इस प्रकार हैं.
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बिहार के प्रमंडल
Bihar बिहार में (२००५ की सूचना के अनुसार) ९ प्रमंडल (कमिशनरी),३८ जिले (मंडल), 101 अनुमंडल,534 प्रखंड, 8,471 पंचायत और 45,103 गांव है हैं। .
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बिहार के महत्वपूर्ण स्थलों की सूची
बिहार के महत्वपूर्ण स्थलों की सूची में महत्वपूर्ण स्थलों का नाम अकारादि क्रम से उनके संक्षिप्त परिचय के साथ शामिल किया गया है। यह अभी अपूर्ण सूची है।.
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बिहार के जिले
बिहार में कुल 38 जिले हैं जो 9 प्रमण्डलों में बँटे हैं। जिले इस प्रकार है.
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बजपट्टी प्रखण्ड (सीतामढी)
सीतामढी, बिहार का एक प्रखण्ड। श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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बैरगनिया प्रखण्ड (सीतामढी)
श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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बेलसन्द प्रखण्ड (सीतामढी)
श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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बोखरा प्रखण्ड (सीतामढी)
श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची
शिकोहाबाद तहसील के ग्राम नगला भाट में श्री मुकुट सिंह यादव जो ग्राम पंचायत रूपसपुर से प्रधान भी रहे हैं उनके तीन पुत्र हैं गजेंद्र यादव नगेन्द्र यादव पुष्पेंद्र यादव प्रधान जी का जन्म सन १९५० में हुआ था उन्होंने अपना सारा जीवन ग़रीबों के लिए क़ुर्बान कर दिया था और वो ५ भाईओ में सबसे छोटे थे और अपने परिवार को बाँधे रखा ११ मार्च २०१५ को उनका देहावसान हो गया ! वो आज भी हमारे दिलों में ज़िंदा हैं इस लेख में भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची है। भारत में रेलवे स्टेशनों की कुल संख्या 7,000 और 8,500 के बीच अनुमानित है। भारतीय रेलवे एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार देने के साथ दुनिया में चौथा सबसे बड़ा नियोक्ता है। सूची तस्वीर गैलरी निम्नानुसार है। .
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भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - संख्या अनुसार
भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची (संख्या के क्रम में) भारत के राजमार्गो की एक सूची है। .
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महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय
महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय भारत का एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है जो बिहार के मोतिहारी में स्थित है। मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यायल की स्थापना होने से सिर्फ चंपारण बल्कि आसपास के जिलों का शैक्षणिक विकास होगा। मोतिहारी सहित गोपालगंज, बेतिया, शिवहर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी आदि जिलों के युवा उच्च शिक्षा के लिए दूसरे प्रदेश का रूख करते थे। .
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माधव कुमार नेपाल
'''माधव कुमार नेपाल''' माधव कुमार नेपाल (जन्म १२ मार्च १९५३) नेपाल के एक राजनेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री हैं। इसके पहले वे १५ वर्ष तक नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के महासचिव रह चुके हैं। .
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मिथिला
'''मिथिला''' मिथिला प्राचीन भारत में एक राज्य था। माना जाता है कि यह वर्तमान उत्तरी बिहार और नेपाल की तराई का इलाका है जिसे मिथिला के नाम से जाना जाता था। मिथिला की लोकश्रुति कई सदियों से चली आ रही है जो अपनी बौद्धिक परम्परा के लिये भारत और भारत के बाहर जानी जाती रही है। इस क्षेत्र की प्रमुख भाषा मैथिली है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में सबसे पहले इसका संकेत शतपथ ब्राह्मण में तथा स्पष्ट उल्लेख वाल्मीकीय रामायण में मिलता है। मिथिला का उल्लेख महाभारत, रामायण, पुराण तथा जैन एवं बौद्ध ग्रन्थों में हुआ है। .
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मजोरगंज प्रखण्ड (सीतामढी)
श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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मखाना
तालाब, झील, दलदली क्षेत्र के शांत पानी में उगने वाला मखाना पोषक तत्वों से भरपुर एक जलीय उत्पाद है। मखाने के बीज को भूनकर इसका उपयोग मिठाई, नमकीन, खीर आदि बनाने में होता है। मखाने में 9.7% आसानी से पचनेवाला प्रोटीन, 76% कार्बोहाईड्रेट, 12.8% नमी, 0.1% वसा, 0.5% खनिज लवण, 0.9% फॉस्फोरस एवं प्रति १०० ग्राम 1.4 मिलीग्राम लौह पदार्थ मौजूद होता है। इसमें औषधीय गुण भी होता है।; उत्पादन: बिहार के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में मखाना का सार्वाधिक उत्पादन होता है। मखाना के कुल उत्पादन का ८८% बिहार में होता है।;अनुसंधान: 28 फ़रवरी 2002 को दरभंगा के निकट बासुदेवपुर में राष्ट्रीय मखाना शोध केंद्र की स्थापना की गयी। दरभंगा में स्थित यह अनुसंधान केंद्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कार्य करता है। दलदली क्षेत्र में उगनेवाला यह पोषक भोज्य उत्पाद के विकाश एवं अनुसंधान की प्रबल संभावनाएँ है। .
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मुजफ्फरपुर जिला
मुजफ्फरपुर जिला, बिहार के ३८ जिलों में से एक है। इसका प्रशासकीय मुख्यालय मुजफ्फरपुर है। यह जिला उत्तर में पूर्वी चंपारण और सीतामढ़ी, दक्षिण में वैशाली और सारण, पूर्व में समस्तीपुर और दरभंगा तथा पश्चिम में गोपालगंज से घिरा है। हिंदी और मैथिली यहाँ की प्रमुख भाषाएँ हैं, जबकि बज्जिका यहाँ की स्थानीय बोली .
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मैथिली भाषा
मैथिली भारत के उत्तरी बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। यह हिन्द आर्य परिवार की सदस्य है। इसका प्रमुख स्रोत संस्कृत भाषा है जिसके शब्द "तत्सम" वा "तद्भव" रूप में मैथिली में प्रयुक्त होते हैं। यह भाषा बोलने और सुनने में बहुत ही मोहक लगता है। मैथिली भारत में मुख्य रूप से दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, शिवहर, भागलपुर, मधेपुरा, अररिया, सुपौल, वैशाली, सहरसा, रांची, बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर जिलों में बोली जाती है| नेपाल के आठ जिलों धनुषा,सिरहा,सुनसरी, सरलाही, सप्तरी, मोहतरी,मोरंग और रौतहट में भी यह बोली जाती है। बँगला, असमिया और ओड़िया के साथ साथ इसकी उत्पत्ति मागधी प्राकृत से हुई है। कुछ अंशों में ये बंगला और कुछ अंशों में हिंदी से मिलती जुलती है। वर्ष २००३ में मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की ८वीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया। सन २००७ में नेपाल के अन्तरिम संविधान में इसे एक क्षेत्रीय भाषा के रूप में स्थान दिया गया है। .
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मैथिली साहित्य
मैथिली मुख्यतः भारत के उत्तर-पूर्व बिहार एवम् नेपाल के तराई क्षेत्र की भाषा है।Yadava, Y. P. (2013).
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रामफल मंडल
अमर शहीद रामफल मंडल (6 अगस्त 1924 - 11 मार्च 1944) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थें। दिनांक 23 अगस्त 1943 को इन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा फाँसी दे दिया गया। इन पर 24 अगस्त 1942 को बाज़पट्टी चौक पर अंग्रेज सरकार के तत्कालीन सीतामढ़ी अनुमंडल अधिकारी हरदीप नारायण सिंह, पुलिस इंस्पेक्टर राममूर्ति झा, हवलदार श्यामलाल सिंह और चपरासी दरबेशी सिंह को गड़ासा से काटकर हत्या करने का आरोप था। .
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रिगा प्रखण्ड (सीतामढी)
श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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रवीन्द्र प्रभात
रवीन्द्र प्रभात (जन्म: ५ अप्रैल १९६९) भारत के हिन्दी कवि, कथाकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, स्तंभकार, सम्पादक और ब्लॉग विश्लेषक हैं। उन्होंने लगभग सभी साहित्यिक विधाओं में लेखन किया है परंतु व्यंग्य और गज़ल में उनकी प्रमुख उपलब्धियाँ हैं। १९९१ में प्रकाशित अपने पहले गज़ल संग्रह "हमसफर" से पहली बार वे चर्चा में आये। लखनऊ से प्रकाशित हिन्दी दैनिक 'जनसंदेश टाईम्स' और 'डेली न्यूज एक्टिविस्ट' के वे नियमित स्तंभकार रह चुके हैं। .
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लखनदेई नदी
लखनदेई दक्षिणी नेपाल और भारत के बिहार राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह बागमती की एक सहायक नदी है।http://nidm.gov.in/idmc/Proceedings/Flood/B2-%2023.pdf नेपाल में इस नदी की मुख्य धारा 'सर्लाही जिल्ला' तथा इसका स्रोत 'शिवालिक हिल्स' है। यह नदी नेपाल के बाद भारत में बिहार के सीतामढ़ी जिले में प्रवेश करती है और सीतामढ़ी शहर से होते हुये मुजफ्फरपुर जिले के कटरा में बागमती नदी में विलय हो जाती है। यह नदी बाढ़ की विभीषिका के लिए जानी जाती है। वर्तमान में इस नदी का जो भाग सीतामढ़ी नगर से होकर प्रवाहित होता है, वह नदी का पुराना एवं मृत धार हो गया है। भारत-नेपाल सीमा के 8 किलोमीटर उतर नेपाल भू-भाग से ही नदी तल सिल्टेड है, जिसके कारण नदी अपनी पूर्व की दिशा बदलते हुए अधवारा समूह की जमुरा नदी में मिल गई है। .
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श्याम रुद्र पाठक
'''श्याम रूद्र पाठक''' श्याम रुद्र पाठक भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ता हैं। वे 'न्याय एवं विकास अभियान' नामक अभियान के संयोजक है। .
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श्रीसीतारामकेलिकौमुदी
श्रीसीतारामकेलिकौमुदी (२००८), शब्दार्थ: सीता और राम की (बाल) लीलाओं की चन्द्रिका, हिन्दी साहित्य की रीतिकाव्य परम्परा में ब्रजभाषा (कुछ पद मैथिली में भी) में रचित एक मुक्तक काव्य है। इसकी रचना जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००७ एवं २००८ में की गई थी।रामभद्राचार्य २००८, पृष्ठ "क"–"ड़"काव्यकृति वाल्मीकि रामायण एवं तुलसीदास की श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड की पृष्ठभूमि पर आधारित है और सीता तथा राम के बाल्यकाल की मधुर केलिओं (लीलाओं) एवं मुख्य प्रसंगों का वर्णन करने वाले मुक्तक पदों से युक्त है। श्रीसीतारामकेलिकौमुदी में ३२४ पद हैं, जो १०८ पदों वाले तीन भागों में विभक्त हैं। पदों की रचना अमात्रिका, कवित्त, गीत, घनाक्षरी, चौपैया, द्रुमिल एवं मत्तगयन्द नामक सात प्राकृत छन्दों में हुई है। ग्रन्थ की एक प्रति हिन्दी टीका के साथ जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन ३० अक्टूबर २००८ को किया गया था। .
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सुरसन्द प्रखण्ड (सीतामढी)
श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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सोनबरसा प्रखण्ड (सीतामढी)
श्रेणी:बिहार के प्रखण्ड श्रेणी:बिहार.
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सीता कुंड
पूनौरा धाम मंदिर स्थित सीता कुंड सीता-कुंड सीतामढ़ी के पुनौरा ग्राम स्थित एक हिन्दू तीर्थ स्थल है। यहाँ एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है। सीतामढ़ी से ५ किलोमीटर दूर यह स्थल पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। पुनौरा और जानकी कुंड:यह स्थान पौराणिक काल में पुंडरिक ऋषि के आश्रम के रूप में विख्यात था। सीतामढी से ५ किलोमीटर पश्चिम स्थित पुनौरा में हीं देवी सीता का जन्म हुआ था। मिथिला नरेश जनक ने इंद्र देव को खुश करने के लिए अपने हाथों से यहाँ हल चलाया था। इसी दौरान एक मृदापात्र में देवी सीता बालिका रूप में उन्हें मिली। मंदिर के अलावे यहाँ पवित्र कुंड है। .
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जनकपुर
जनकपुर नेपाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है ये नगर प्राचीन काल में मिथिला की राजधानी माना जाता है। यहाँ पर प्रसिद्ध राजा जनक थे। जो सीता माता के पिता थे। यह शहर भगवान राम की ससुराल के रूप में विख्यात है। यथा: जनकपुरादक्षिणान्शे सप्तकोश-व्यतिक्रमें। महाग्रामे गहश्च जनकस्य वै।। जनकपुर की ख्याति कैसे बढ़ी और उसे राजा जनक की राजधानी लोग कैसे समझने लगे, इसके संवन्ध में एक अनुश्रुति प्रचलित है। कहा जाता है कि पवित्र जनक वंश का कराल जनक के समय में नैतिक अद्य:पतन हो गया। कौटिल्य ने प्रसंगवश अपनेअर्थशास्त्र में लिखा है कि कराल जनक ने कामान्ध होकर ब्राह्मण कन्या का अभिगमन किया। इसी कारण वह वनधु-बंधवों के साथ मारा गया। अश्वघोष ने भी अपने ग्रंथ बुद्ध चरित्र में इसकी पुष्टि की है। कराल जनक के बढ़ के पश्चात जनक वंश में जो लोग बच गए, वे निकटवारती तराई के जंगलों में जा छुपे। जहां वे लोग छिपे थे, वह स्थान जनक के वंशजों के रहने के कारण जनकपुर कहलाने लगा। .
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वाराणसी के पर्यटन स्थल
भारत की सबसे बड़ी नदी गंगा करीब 2525 किलोमीटर की दूरी तय कर गोमुख से गंगासागर तक जाती है। इस पूरे रास्ते में गंगा उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है। केवल वाराणसी में ही गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में बहती है। यहां लगभग 84 घाट हैं। ये घाट लगभग 4 मील लम्बे तट पर बने हुए हैं। इन 84 घाटों में पांच घाट बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन्हें सामूहिक रूप से 'पंचतीर्थी' कहा जाता है। ये हैं अस्सीघाट, दश्वमेद्यघाट, आदिकेशवघाट, पंचगंगाघाट तथा मणिकर्णिकघाट। अस्सीघाट सबसे दक्षिण में स्थित है जबकि आदिकेशवघाट सबसे उत्तर में स्थित हैं। हर घाट की अपनी अलग-अलग कहानी है। तुलसीघाट प्रसिद्ध कवि तुलसीदास से संबंधित है। तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी। कहा जाता है कि तुलसीदास ने अपना आखिरी समय यहीं व्यतीत किया था। इसी के समीप बच्चाराजा घाट है। यहीं पर जैनों के सातवें तीर्थंकर सुपर्श्वनाथ का जन्म हुआ था। अब यह जैनघाट के नाम से जाना जाता है। चेत सिंह घाट एक किला की तरह लगता है। चेत सिंह बनारस के एक साहसी राजा थे जिन्होंने 1781 ई. में वॉरेन हेस्टिंगस की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। महानिर्वाणी घाट में महात्मा बुद्ध ने स्नान किया था। हरिश्चंद्र घाट का संबंध राजा हरिश्चंद्र से है। मणिकर्णिघाट पर स्थित भवनों का निर्माण पेशवा बाजीराव तथा अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। 'दूध का कर्ज' मंदिर को जरुर देखना चाहिए। लोक कथाओं के अनुसार एक अमीर घमण्डी पुत्र ने इस मंदिर को बनवाया और इसे अपनी मां को समर्पित कर दिया। उसने अपनी मां से कहा मैंने तेरे लिए मंदिर बनवाकर तेरा कर्ज चुका दिया। तब उसकी मां ने कहा कि दूध का कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता। तभी से इस मंदिर का नाम दूध का कर्ज मंदिर पड़ गया। पंचगंगा घाट भी काशी के ऐतिहासिक गंगा घाटों में एक है। ये विष्णु काशी क्षेत्र में आता है। यहां कार्तिक माह में स्नान का बड़ा पुण्य माना गया है। कार्तिक में आकाशी द्वीप जलाने की सदियों पुरानी परम्परा है। यहीं पर ऐतिहासिक विन्दु माधव भगवान का मंदिर, रामानंदाचार्य पीठ के नाम से विख्यात श्रीमठ और तैलंग स्वामी का समाधी स्थल भी है। पंचगंगा घाट की सीढियों पर हीं कभी कबीर दास को स्वामी रामानंद ने तारक राममंत्र की दीक्षा दी थी और उन्हें अपना शिष्य बनाया था। देव दीपावली के दिन यहां मेला सजता है। श्रीमठ के पास हीं रानी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित हजारा द्वीप स्तम्भ भी दर्शनीय है। गांगा घाटों की सैर करने वाले हजारो तीर्थयात्री प्रतिदिन वहां रूके वगैर आगे नहीं बढ़ते.
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गौरव शर्मा (लेखक)
गौरव शर्मा (अंग्रेज़ी: Gaurav Sharma) (जन्म: 4 मार्च 1992) एक भारतीय लेखक हैं जो अपनी अर्ध आत्मकथा उपन्यास गॉन आर द डेज के लिए जाने जाते हैं। इस उपन्यास से पहले गौरव पत्रकारिता और जनसंचार के विषयो पर तीन पाठ्यपुस्तके लिख चुके हैं। .
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इंदिरा शाह
नेपाल की चर्चित युवा कवियित्रि। .
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अच्छा राई रसिक
अछा राय रसिक (1928-1952) नेपाली में हास्य-व्यंग्य से भरपूर कहानियों के लिए लोकप्रिय कथाकार। इनका उपन्यास लग्न और दो भान तथा कहानी संग्रह सप्तकोशी प्रकाशित है। .
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अथरी
अथरी एक गाँव है। यह बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल के सीतामढी जिले के रुन्नीसैदपुर प्रखंड में अवस्थित है। यह सीतामढ़ी के चुनिन्दा गाँवों में से एक है। यह लखनदेई नदी के किनारे एवं रुन्नीसैदपुर-बेलसंड पथ पर स्थित है। .
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अहिल्या स्थान
दरभंगा जिले सदर अनुमंडल के अंतर्गत अहियारी गाँव है, जो अहिल्या स्थान के नाम से विख्यात है। कमतौल रेलवे स्टेशन से उतरकर यहाँ पहुंचा जाता है। यह स्थान सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी से 40 कि॰मी॰ पूर्व में स्थित है। कहा जाता है कि ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा से इसी स्थान पर राम ने अहिल्या का उद्धार किया था। डॉ राम प्रकाश शर्मा के अनुसार "इसमें कोई संदेह नहीं है कि अहिल्या-नगरी अथवा गौतम आश्रम मिथिला में ही था। भोजपुर में राम ने ताड़का -बध किया था। वहाँ सानुज राम ने ऋषि विश्वामित्र की यज्ञ की रक्षा उत्पाती राक्षसों का अपनी शक्ति से दमन कर की थी। मिथिला राज्य में प्रवेश कर पहले राम ने अहिल्या का उद्धार किया, और तत्पश्चात वहाँ से प्राग उत्तर दिशा (ईशान कोण) में चलकर वे ऋषि विश्वामित्र के साथ विदेह नागरी जनकपुर पहुंचे। अहिल्या का उद्धार, चित्र: रवि वर्मा रामायण में वर्णित कथा के अनुसार राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिलापुरी के वन उपवन आदि देखने के लिये निकले तो उन्होंने एक उपवन में एक निर्जन स्थान देखा। राम बोले, "भगवन्! यह स्थान देखने में तो आश्रम जैसा दिखाई देता है किन्तु क्या कारण है कि यहाँ कोई ऋषि या मुनि दिखाई नहीं देते?" विश्वामित्र जी ने बताया, यह स्थान कभी महर्षि गौतम का आश्रम था। वे अपनी पत्नी के साथ यहाँ रह कर तपस्या करते थे। एक दिन जब गौतम ऋषि आश्रम के बाहर गये हुये थे तो उनकी अनुपस्थिति में इन्द्र ने गौतम ऋषि के वेश में आकर अहिल्या से प्रणय याचना की। यद्यपि अहिल्या ने इन्द्र को पहचान लिया था तो भी यह विचार करके कि मैं इतनी सुन्दर हूँ कि देवराज इन्द्र स्वयं मुझ से प्रणय याचना कर रहे हैं, अपनी स्वीकृति दे दी। जब इन्द्र अपने लोक लौट रहे थे तभी अपने आश्रम को वापस आते हुये गौतम ऋषि की दृष्टि इन्द्र पर पड़ी जो उन्हीं का वेश धारण किये हुये था। वे सब कुछ समझ गये और उन्होंने इन्द्र को शाप दे दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी को शाप दिया कि रे दुराचारिणी! तू हजारों वर्षों तक केवल हवा पीकर कष्ट उठाती हुई यहाँ राख में पड़ी रहे। जब राम इस वन में प्रवेश करेंगे तभी उनकी कृपा से तेरा उद्धार होगा। तभी तू अपना पूर्व शरीर धारण करके मेरे पास आ सकेगी। यह कह कर गौतम ऋषि इस आश्रम को छोड़कर हिमालय पर जाकर तपस्या करने लगे। इसलिये विश्वामित्र जी ने कहा "हे राम! अब तुम आश्रम के अन्दर जाकर अहिल्या का उद्धार करो।" विश्वामित्र जी की बात सुनकर वे दोनों भाई आश्रम के भीतर प्रविष्ट हुये। वहाँ तपस्या में निरत अहिल्या कहीं दिखाई नहीं दे रही थी, केवल उसका तेज सम्पूर्ण वातावरण में व्याप्त हो रहा था। जब अहिल्या की दृष्टि राम पर पड़ी तो उनके पवित्र दर्शन पाकर एक बार फिर सुन्दर नारी के रूप में दिखाई देने लगी। नारी रूप में अहिल्या को सम्मुख पाकर राम और लक्ष्मण ने श्रद्धापूर्वक उनके चरण स्पर्श किये।उससे उचित आदर सत्कार ग्रहण कर वे मुनिराज के साथ पुनः मिथिला पुरी को लौट आये। .
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