10 संबंधों: शब्दर आकाश, साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी, साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत, साहित्य अकादमी पुरस्कार गुजराती, साहित्य अकादमी पुरस्कार ओड़िया, साहित्य अकादमी पुरस्कार उर्दू, साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप, सीताकांत महापात्र, ज्ञानपीठ पुरस्कार, २००३ में पद्म भूषण धारक।
शब्दर आकाश
शब्दर आकाश ओड़िया भाषा के विख्यात साहित्यकार सीताकांत महापात्र द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1974 में ओड़िया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
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साहित्य अकादमी पुरस्कार डोगरी
साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और डोगरी भाषा इन में से एक भाषा हैं। अकादमी ने १९७० से इस भाषा के लिए पुरस्कारों को पेश किया। .
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साहित्य अकादमी पुरस्कार संस्कृत
साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और संस्कृत भाषा इन में से एक भाषा हैं। .
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साहित्य अकादमी पुरस्कार गुजराती
साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और गुजराती भाषा इन में से एक भाषा हैं। .
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साहित्य अकादमी पुरस्कार ओड़िया
साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और ओड़िया भाषा इन में से एक भाषा हैं। .
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साहित्य अकादमी पुरस्कार उर्दू
साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और उर्दू भाषा इन में से एक भाषा हैं। .
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साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप
साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप भारत की साहित्य अकादमी द्वारा प्रदान किया जानेवाला सर्वोच्च सम्मान है। .
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सीताकांत महापात्र
ओड़िया के प्रसिद्ध कवि सीताकान्त महापात्र सीताकांत महापात्र (जन्म: १७ सितम्बर १९३७) उड़िया साहित्यकार हैं। इन्हें 1993 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें सन २००३ में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। सीताकान्त की कविता का काव्य संसार यथार्थ और अनुभूति के सोलेन सम्मिश्रम से निर्मित हुआ है। उनकी कविताओं का सांस्कृतिक धरातल उनके अनुभव की उपज है। अतीत के जिस झरोखे से वे गांव की पगडंडी, तालाब, नदी, घर मन्दिर, सूर्योदय, ढलती शाम व मानवीय संबंधों इत्यादि का अवलोकन करते हुए सहजता से अपनी कविता में अभिव्यक्ति करते हैं, वह अनायास ही पाठकों को अपने में बांध लेती हैं। .
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ज्ञानपीठ पुरस्कार
पुरस्कार-प्रतीकः वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई २२ भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है। १९६५ में १ लाख रुपये की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को २००५ में ७ लाख रुपए कर दिया गया जो वर्तमान में ग्यारह लाख रुपये हो चुका है। २००५ के लिए चुने गये हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थे जिन्हें ७ लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार १९६५ में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था। उस समय पुरस्कार की धनराशि १ लाख रुपए थी। १९८२ तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक सात बार यह पुरस्कार पा चुके हैं। यह पुरस्कार बांग्ला को ५ बार, मलयालम को ४ बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को तीन-तीन बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को दो-दो बार मिल चुका है। .
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२००३ में पद्म भूषण धारक
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