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सिद्धिदात्री

सूची सिद्धिदात्री

माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है। .

5 संबंधों: नवदुर्गा, नवरात्रि, शिला माता मन्दिर, सिद्धि, सिद्धिदात्री

नवदुर्गा

नवदुर्गा हिन्दू धर्म में माता दुर्गा अथवा पार्वती के नौ रूपों को एक साथ कहा जाता है। इन नवों दुर्गा को पापों के विनाशिनी कहा जाता है, हर देवी के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र शस्त्र हैं परंतु यह सब एक हैं। दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ के अंतर्गत देवी कवच स्तोत्र में निम्नांकित श्लोक में नवदुर्गा के नाम क्रमश: दिये गए हैं-- प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति.

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नवरात्रि

नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र,आषाढ,अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवाली होता है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है। नौ देवियाँ है:-.

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शिला माता मन्दिर

शिला देवी मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर नगर में आमेर महल में स्थित एक मंदिर है। इसकी स्थापना यहां सवाई मानसिंह द्वितीय द्वारा की गयी थी। स्थानीय लोगों से मिली सूचनानुसार शिला देवी जयपुर के कछवाहा राजपूत राजाओं की कुल देवी रही हैं। इस मंदिर में लक्खी मेला लगता है जो काफ़ी प्रसिद्ध है। इस मेले में नवरात्र में यहां भक्तों की भारी भीड़ माता के दर्शनों के लिए आती है। शिला देवी की मूर्ति के पास में भगवान गणेश और मीणाओं की कुलदेवी हिंगला की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। कहते हैं कि यहां पहले मीणाओं का राज हुआ करता था। नवरात्रों में यहाँ दो मेले लगते हैं एवं देवी को प्रसन्न करने के लिए पशु बलि दी जाती है। आमेर दुर्ग के महल में जलेब चौक है जिसके दक्षिणी भाग में शिला माता का ऐतिहासिक मंदिर स्थित है। ये शिला माता राजपरिवार की कुल देवी भी मानी जाती हैं। यह मंदिर जलेब चौक से दूसरे उच्च स्तर पर मौजूद है अतः यहां से कुछ सीढ़ियाँ चढ़ कर मंदिर तक पहुंचना होता है। ये शिला देवी मूलतः अम्बा माता का ही रूप हैं एवं कहा जाता है कि आमेर या आंबेर का नाम इन्हीं अम्बा माता के नाम पर ही अम्बेर पड़ा था जो कालान्तर में आम्बेर या आमेर हो गया। माता की प्रतिमा एक शिला पर उत्कीर्ण होने के कारण इसे शिला देवी कहा जाता है। .

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सिद्धि

'सिद्धि' का शाब्दिक अर्थ है - 'पूर्णता', 'प्राप्ति', 'सफलता' आदि। यह शब्द महाभारत में मिलता है। पंचतंत्र में कोई असामान्य कौशल या क्षमता अर्जित करने को 'सिद्धि' कहा गया है। मनुस्मृति में इसका प्रयोग 'ऋण चुकता करने' के अर्थ में हुआ है। सांख्यकारिका तथा तत्व समास में, अर्थात तांत्रिक बौद्ध सम्प्रदाय में इसका विशिष्ट अर्थ है - चमत्कारिक साधनों द्वारा 'अलौकिक शक्तियों का अर्जन'; जैसे - दिव्यदृष्टि, उड़ना, एक ही समय में दो स्थानों पर उपस्थित होना, अपना आकार परमाणु की तरह छोटा कर लेना, पूर्व जन्म के घटनाओं की स्मृति प्राप्त कर लेना, आदि। माध्वाचार्य के सर्वदर्शनसंग्रह में भी 'सिद्धि' इसी अर्थ में प्रयुक्त हुई है। पतंजलि के योगसूत्र में कहा गया है- (अर्थात जन्म से, औषधि द्वारा, मंत्र से, तप से और समाधि से सिद्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं।) .

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सिद्धिदात्री

माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है। .

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