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सिख

सूची सिख

भारतीय सेना के सिख रेजिमेन्ट के सैनिक सिख धर्म के अनुयायियों को सिख कहते हैं। इसे कभी-कभी सिक्ख भी लिखा जाता है। इनके पहले गुरू गुरु नानक जी हैं। गुरु ग्रंथ साहिब सिखों का पवित्र ग्रन्थ है। इनके प्रार्थना स्थल को गुरुद्वारा कहते हैं। हिन्दू धर्म की रक्षा में तथा भारत की आजादी की लड़ाई में और भारत की आर्थिक प्रगति में सिखों का बहुत बड़ा योगदान है। .

259 संबंधों: चण्डीगढ़, चन्दौली, चम्फाई ज़िला, चार साहिबज़ादे, चार साहिबज़ादे (फ़िल्म), चार्मी कौर, चार्ल्स मैटकाफ, टोबा टेक सिंह (कहानी), एझावा, एडिनबर्ग, एयर इंडिया फ़्लाइट 182, तमिल नाडु, तम्बाकू धूम्रपान, तारकनाथ दास, तिलोकपुर, तखत श्री पटना साहिब, तंजानिया में भारतीय लोग, तेलंगाना, दलित, दिबियापुर, द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध, दोस्त मुहम्मद ख़ान, दीपावली, दीपावली मेला, धर्म और गर्भपात, धौथड़, ननकाना साहिब, नानकमत्ता, निरंकारी, निशान साहिब, नव वर्ष, नवयान, नवजोत सिंह सिद्धू, नौशेरा, पटना, परजान दस्तूर, पहिया, पाकिस्तान मुर्दाबाद, पाकिस्तान में हिन्दू धर्म, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति, पिनांग, पंजाब (भारत), पंजाबी भाषा, पंजाबी समुदाय, प्रतापगढ़ (राजस्थान) की संस्कृति, प्रतापगढ़, राजस्थान, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध, प्रद्युम्न रंधावा, प्राण सुख यादव, ..., प्रकाश सिंह बादल, प्रीति सिंह, पॉण्टी चड्ढा, फ़िरोज़पुर ज़िला, फौजा सिंह, बन्दा सिंह बहादुर, बन्दी छोड़ दिवस, बपतिस्मा, बब्बर खालसा, बलदेव सिंह (रक्षामंत्री), बहुसंस्कृतिवाद, बाबा गुरमुख सिंह, बाल ठाकरे, बिहार की संस्कृति, बैसाखी, बेलिंघम दंगे, बेअंत सिंह (मुख्यमंत्री), भारत, भारत में महिलाएँ, भारत में आतंकवाद, भारत का प्रधानमन्त्री, भारत का विभाजन, भारत का इतिहास, भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची, भारत के राजनीतिक दलों की सूची, भारत के लोग, भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन, भारतीय इतिहास की समयरेखा, भाई दया सिंह, भाई धरम सिंह, भाई मतिदास, भाई मोहकम सिंह, भाई साहिब सिंह, भाई हिम्मत सिंह, भंडारा, भूपिन्दर सिंह (पटियाला), भूपेन्द्र सिंह, मनप्रीत सिंह बादल, ममित ज़िला, महाराष्ट्र की संस्कृति, महाराजा रणजीत सिंह, महाअमेरिका, माता साहिब कौर, मास्टर तारा सिंह, मित्तर प्यारे नूँ, मिलखा सिंह, मिल्वौकी, विस्कॉन्सिन, मुम्बई, मुर्शिदाबाद, मुग़ल साम्राज्य, मुंबई की जनसांख्यिकी, मौलाना आजाद राष्ट्रीय छात्रवृति योजना, मेनका गांधी, मेघालय, मोहिन्दर सिंह पज्जी, यादव, योद्धा जातियाँ, रब्बी शेरगिल, रहरास साहिब, राम सिंह, राय बहादुर, राष्ट्रीय सिख संगत, राजपूत रेजिमेंट, राजिन्दर सिंह, राव गोपाल सिंह खरवा, रवि बोपारा, रुड़की, लखनऊ, लखनऊ समझौता, लंगर (सिख धर्म), लुंगलेई, लुंगलेई ज़िला, लॉङ्गतलाई, लॉङ्गतलाई ज़िला, शामली, शाहमुखी लिपि, सतनाम सिंह भमरा, सत्गुरु, सन्त सिपाही, सन्त अतर सिंह, समान नागरिक संहिता, सरदार, सरदार चुटकुले, सरदार हरि सिंह नलवा, सरदार हुकम सिंह, सरबत्त खालसा, सांप्रदायिक अधिनिर्णय, सिन्धी लोग, सिमोन सिंह, सियाल, सिख, सिख धर्म, सिंह (पशु), सिक्खों की मिसलें, संत मत, सइहा, सइहा ज़िला, सुखविंदर सिंह, स्वतन्त्रता के बाद भारत का संक्षिप्त इतिहास, स्‍वतंत्रता दिवस (भारत), सैन होज़े, कैलिफोर्निया, सैनी, सूरज पंचोली, सेरछिप, सेरछिप ज़िला, हरभजन सिंह, हरसिमरत कौर बादल, हरिता कौर देओल, हरिमन्दिर साहिब, हरजीत सिंह सज्जन, हार्डी संधु, हिन्दुओं का उत्पीड़न, हिन्दू विधि, हिन्दू कौन है?, हिमाचल प्रदेश, हिसार, हिंदु-जर्मन षडयंत्र, हजूर साहिब, होला मोहल्ला, जनमसाखी, जम्मू, जम्मू एवं काश्मीर का इतिहास, जम्मू का युद्ध, जरनैल सिंह भिंडरांवाले, जलियाँवाला बाग हत्याकांड, जसपाल भट्टी, जसपुर, उत्तराखण्ड, जस्सा सिंह अहलुवालिया, जिन्द कौर, जिब्राल्टर हिन्दू मंदिर, जिमी शेरगिल, जगदीश सिंह खेहर, जैन समुदाय, जीवन मृत्यु (1970 फ़िल्म), विश्व हिंदू परिषद, विश्व के धर्म, विकीर्णन (डायसपोरा), वैयक्तिक विधि, वैरेंगते, वेद, वेशभूषा संहिता, ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान, ख़ालिस्तान आंदोलन, ख़ंजर, खंडा (सिख चिन्ह), गटका, गढ़वाल मण्डल, गढ़वाल में धर्म, ग़दर राज्य-क्रांति, गगन मै थाल, गुड़ी पड़वा, गुरदीप कोहली, गुरबानी, गुरु तेग़ बहादुर, गुरु पर्व, गुरु राम दास, गुरु हर राय, गुरु हर किशन, गुरु हरगोबिन्द, गुरु गोबिन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, गुरु अर्जुन देव, गुरु अंगद देव, गुर्जर, ग्वालियर, गोरखपुर, गोविन्द सागर, गीता बाली, आपसी सहायता, आपातकाल (भारत), इन्दौर, इलाहाबाद, इज़्ज़त, कडपा, करन सिंह ग्रोवर, कर्नूल, करीना कपूर, कश्मीर, कश्मीर की संस्कृति, कहार, कानपुर, कामागाटामारू कांड, कौर, कूका, केश (सिख धर्म), कोच्चि, कोलासिब ज़िला, कोलकाता, अपरा, पंजाब, अरुणाचल की जनजातियाँ, अरेश कुमार, अरोड़ा, अहलुवालिया, अग्निदाह, अग्रहरि सिख, अंग्रेज-सिख युद्ध, अइज़ोल, अइज़ोल ज़िला, अकबर, अकोई साहिब, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड के लोग, उदासी सम्प्रदाय, उधम सिंह, उप्पल गोत्र, १५ जुलाई, १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, १९८४, ६ अक्टूबर, 11 सितम्बर 2001 के हमले सूचकांक विस्तार (209 अधिक) »

चण्डीगढ़

चण्डीगढ़, (पंजाबी: ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ), भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो दो भारतीय राज्यों, पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। इसके नाम का अर्थ है चण्डी का किला। यह हिन्दू देवी दुर्गा के एक रूप चण्डिका या चण्डी के एक मंदिर के कारण पड़ा है। यह मंदिर आज भी शहर में स्थित है। इसे सिटी ब्यूटीफुल भी कहा जाता है। चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र में मोहाली, पंचकुला और ज़ीरकपुर आते हैं, जिनकी २००१ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या ११६५१११ (१ करोड़ १६ लाख) है। भारत की लोकसभा में प्रतिनिधित्व हेतु चण्डीगढ़ के लिए एक सीट आवण्टित है। वर्तमान सोलहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी की श्रीमति किरण खेर यहाँ से साँसद हैं। इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप ‘चंडिका’ के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। नवोदय टाइम्स इस शहर के निर्माण में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी निजी रुचि रही है, जिन्होंने नए राष्ट्र के आधुनिक प्रगतिशील दृष्टिकोण के रूप में चंडीगढ़ को देखते हुए इसे राष्ट्र के भविष्य में विश्वास का प्रतीक बताया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शहरी योजनाबद्धता और वास्तु-स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध यह शहर आधुनिक भारत का प्रथम योजनाबद्ध शहर है।, चंडीगढ़ के मुख्य वास्तुकार फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर हैं, लेकिन शहर में पियरे जिएन्नरेट, मैथ्यु नोविकी एवं अल्बर्ट मेयर के बहुत से अद्भुत वास्तु नमूने देखे जा सकते हैं। शहर का भारत के समृद्ध राज्यों और संघ शसित प्रदेशों की सूची में अग्रणी नाम आता है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय ९९,२६२ रु (वर्तमान मूल्य अनुसार) एवं स्थिर मूल्य अनुसार ७०,३६१ (२००६-०७) रु है। .

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चन्दौली

चंदौली भारत के उत्तर प्रदेश का एक शहर और एक नगर पंचायत है। यह चंदौली जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। .

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चम्फाई ज़िला

चम्फाई ज़िला भारतीय राज्य मिज़ोरम के आठ ज़िलों में से एक है। यह ज़िला उत्तर में मणिपुर राज्य के चुराचांदपुर ज़िला, पश्चिम में अइज़ोल तथा सेरछिप ज़िला पूर्व तथा दक्षिण में म्यांमार देश से घिरा है। ज़िले का क्षेत्रफल 3185.83 किमी² है। इस ज़िले का मुख्यालय चम्फाई है। .

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चार साहिबज़ादे

चार साहिबज़ादे शब्द का प्रयोग सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार सुपुत्रों - साहिबज़ादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, ज़ोरावर सिंह, व फतेह सिंह को सामूहिक रूप से संबोधित करने हेतु किया जाता है। छोटे साहिबजादे “निक्कियां जिंदां, वड्डा साका”....

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चार साहिबज़ादे (फ़िल्म)

चार साहिबज़ादे 2014 में हैरी बावेजा द्वारा निर्देशित एक पंजाबी 3डी एनिमेटिड फिल्म है। यह सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार सुपुत्रों - साहिबज़ादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, ज़ोरावर सिंह, व फतेह सिंह के बलिदान पर आधारित है। फिल्म का निर्माण बावेजा मूवीज़ के बैनर तले पम्मी बावेजा द्वारा किया गया। ओम पुरी ने इस फिल्म में सूत्रधार के रूप में आवाज़ दी है। अन्य पात्रों को आवाज़ देने वाले कलाकारों का नाम गुप्त रखा गया है। .

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चार्मी कौर

चार्मी कौर (जन्म:17 मई 1987) भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री है जो मुख्यत तेलुगू सिनेमा में काम करती है। चार्मी का जन्म एक सिख परिवार में मुम्बई में हुआ था। 13 साल की उम्र में उन्होनें नी तोडू कावली नाम की तेलुगू फ़िल्म से अपना फ़िल्मी करियर शुरु किया था। उनकी पहली सफल फ़िल्म कट्टूचेमबकम् नाम की मलयालम फ़िल्म थी। तभी से वो कई सफल दक्षिण भारतीय फ़िल्मों में काम कर चुकी है। उनकी पहली हिन्दी फ़िल्म बुड्ढा होगा तेरा बाप थी, उसके बाद वो ज़िला गाज़ियाबाद में दिखी। चार्मी ने आर राजकुमार में कैमियो भी किया था। उन्होनें कई अभिनेत्रीयों की तेलुगू डबिंग भी करी है जैसे-काजल अग्रवाल। .

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चार्ल्स मैटकाफ

सर चार्ल्स मैटकाफ (१७८५-१८४६) भारत के गवर्नर जनरल रहे थे। इनका जन्म कलकत्ते में सेना के एक मेजर के घर सन् १७८५ ईसवीं में हुआ। प्रारंभ से ही इनका अनेक भाषाओं की ओर रुझान रहा। १५ वर्ष की उम्र में कंपनी की नौकरी में एक क्लर्क के रूप में प्रविष्ट हुए। शीघ्र ही गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली की, जिसे योग्य व्यक्तियों को पहचानने की अपूर्व क्षमता थी, निगाह इनके ऊपर पड़ी और आपने महाज सिंधिया के दरबार में स्थित रेजीडेंट के सहायक के पद से अपना कार्य प्रारंभ कर, अनेक पदों पर कार्य किया। सन् १८०८ में इन्होने अंग्रेजी राजदूत की हैसियत से सिक्ख महाराजा रणजीत सिंह को अपनी विस्तार नीति को सीमित करने पर बाध्य कर दिया तथा सन् १८०९ ई० की अमृतसर की मैत्रीपूर्ण संधि का महाराज रणजीत सिंह ने यावज्जीवन पालन किया। गर्वनर जनरल लार्ड हेंसटिंग्ज ने इनके माध्यम से ही विद्रोही खूखाँर पठान सरदार अमीर खान तथा अंग्रेजों के बीच संधि कराई। भरतपुर के सुदृढ़ किले को भी नष्ट करने में आपका योगदान था। सन् १८२७ में इन्हे नाइट पदवी से विभूषित किया गया। जब आगरे का नया प्रांत बना तो आपको ही उसका प्रथम गवर्नर मनोनीत किया गया। थोड़े ही दिनों में इनको अस्थायी गवर्नर जनरल बनाया गया। इस कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण कार्य भारतीय प्रेस को स्वतंत्र बनाना था। सन् १८३८ ईसवीं में ये स्वदेश लौट गए। तदुपरांत इन्होने जमायका के गवर्नर का तथा कनाडा के गर्वनर-जनरल का पदभार संभाला। अंत में १८४६ में कैंसर के भीषण रोग से इनकी मृत्यु हो गई। श्रेणी:भारत के गवर्नर जनरल.

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टोबा टेक सिंह (कहानी)

टोबा टेक सिंह (उर्दू) सादत हसन मंटो द्वारा लिखी गई और १९५५ में प्रकाशित हुई एक प्रसिद्ध लघु कथा है। यह भारत के विभाजन के समय लाहौर के एक पागलख़ाने के पागलों पर आधारित है और समीक्षकों ने इस कथा को पिछले ५० सालों से सराहते हुए भारत-पाकिस्तान सम्बन्धों पर एक "शक्तिशाली तंज़" बताया है। .

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एझावा

ईळवा (ഈഴവര്‍) केरल के हिन्दू समुदायों के बीच में सबसे बड़ा समूह है। उन्हें प्राचीन तमिल चेर राजवंश के विलावर संस्थापकों का वंशज माना जाता है, जिनका कभी दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों पर शासन हुआ करता था। मालाबार में उन्हें थिय्या कहा जाता है, जबकि तुलु नाडू में वे बिल्लवा नाम से जाने जाते हैं। उन्हें पहले 'ईलवर' नाम से जाना जाता था। वे आयुर्वेद के वैद्य, योद्धा, कलारी प्रशिक्षणकर्ता, सैनिक, किसान, खेत मजदूर, सिद्ध चिकित्सक और व्यापारी हुआ करते थे। कुछ लोग कपड़ा बनाने, शराब के व्यापार और ताड़ी निकालने के कामों में भी शामिल थे। इझाथु मन्नानर जैसे एझावा (थिय्या) राजवंशों का भी केरल में अस्तित्व है। इस समुदाय के अंतर्गत का योद्धा वर्गए.

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एडिनबर्ग

एडिनबर्ग या एडिनबर (Edinburgh,अंग्रेजी उच्चारण: / ए॑डिन्बर / Dùn Èideann डुन एडिऽन्न), स्कॉटलैंड की राजधानी, एवं ग्लासगो के बाद, स्कॉटलैंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह स्काॅटलैन्ड के लोथियन क्षेत्र में फ़ाॅर्थ के नदमुख के दक्षिणी तट पर स्थित है। वर्ष 2013 के हिसाब से,इस शहर की आबादी 5,00,000 के करीब है। 15वीं सदी से ही यह ऐतिहासिक शहर स्कॉटलैंड की राजधानी है। शुरुआत से ही स्काॅटियाई राजशाही के सारे महत्वपूर्ण प्रशासनिक भवन इसी शहर में ही स्थित हुआ करते थे, परंतू 1603 और 1707 के बीच, इंग्लैंड से विलय के पश्चात इस शहर की काफ़ी राजनैतिक ताकत लंदन चली गई। 1999 में स्कॉटिश संसद को स्वायत्त रूप से शाही धोषणा द्वारा स्थापित किया गया तब से यह शहर स्काॅटलैंड की संसद व स्काॅटलैंड में राजगद्दी का आसन है। स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय संग्रहालय, स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय पुस्तकालय और स्कॉटलैंड की अन्य महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थाओं के मुख्यालय व नेशनल गैलरी यहीं एडिनबर्ग में स्थित हैं। आर्थिक रूप से, यह यूके में लंदन के बाहर का सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र है। एडिनबर्ग का इतिहास काफ़ी लम्बा है, एवं यहां कई ऐतिहासिक इमारतों को भी अच्छी तरह से संरक्षित देखे जा सकते हैं। एडिनबर्ग कासल, हाॅलीरूड पैलेस, सेंट जाइल्स कैथेड्रल और कई अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतें यहां स्थित हैं। एडिनबर्ग का ओल्ड टाउन और न्यू टाउन, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। 2004 में, एडिनबर्ग विश्व साहित्य में पहला शहर बन गया। साथी यह ऐतिहासिक रूप से शिक्षा का भी एक विकसित केन्द्र रहा है, यहाँ स्थित, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है, एवं यह अब भी दुनिया के शीर्ष सिक्षा संस्थानों में शामिल है। इसके अलावा एडिनबर्ग अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और यहां आयोजित किये गए अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी विश्वविख्यात समारोहों में से एक है। लंडन के बाद ब्रिटेन में, एडिनबर्ग दूसरा सबसे बड़ा पर्यटन केन्द्र है। .

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एयर इंडिया फ़्लाइट 182

250px एयर इंडिया फ़्लाइट 182 मॉन्ट्रियल-लंदन-दिल्ली-मुंबई मार्ग के बीच परिचालित होने वाली एयर इंडिया की उड़ान थी। 23 जून 1985 को मार्ग पर परिचालित होने वाला एक हवाई जहाज़, बोइंग 747-237B (c/n 21473/330, reg VT-EFO) जिसका नाम सम्राट कनिष्क के नाम पर रखा गया था, आयरिश हवाई क्षेत्र में उड़ते समय, की ऊंचाई पर, बम से उड़ा दिया गया और वह अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। 329 लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें अधिकांश भारत में जन्मे या भारतीय मूल के 280 कनाडाई नागरिक और 22 भारतीय शामिल थे। यह घटना आधुनिक कनाडा के इतिहास में सबसे बड़ी सामूहिक हत्या थी। विस्फोट और वाहन का गिरना, संबंधित नारिटा हवाई अड्डे की बमबारी के एक घंटे के भीतर घटित हुआ। जांच और अभियोजन में लगभग 20 वर्ष लगे और यह कनाडा के इतिहास में, लगभग CAD $130 मिलियन की लागत के साथ, सबसे महंगा परीक्षण था। एक विशेष आयोग ने प्रतिवादियों को दोषी नहीं पाया और उन्हें छोड़ दिया गया। 2003 में मानव-हत्या की अपराध स्वीकृति के बाद, केवल एक व्यक्ति को बम विस्फोट में लिप्त होने का दोषी पाया गया। परिषद के गवर्नर जनरल ने 2006 में भूतपूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जॉन मेजर को जांच आयोग के संचालन के लिए नियुक्त किया और उनकी रिपोर्ट 17 जून 2010 को पूरी हुई और जारी की गई। यह पाया गया कि कनाडा सरकार, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस और कैनेडियन सेक्युरिटी इंटलिजेन्स सर्विस द्वारा "त्रुटियों की क्रमिक श्रृंखला" की वजह से आतंकवादी हमले को मौक़ा मिला। .

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तमिल नाडु

तमिल नाडु (तमिल:, तमिऴ् नाडु) भारत का एक दक्षिणी राज्य है। तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई (चेऩ्ऩै) है। तमिल नाडु के अन्य महत्त्वपूर्ण नगर मदुरै, त्रिचि (तिरुच्चि), कोयम्बतूर (कोऽयम्बुत्तूर), सेलम (सेऽलम), तिरूनेलवेली (तिरुनेल्वेऽली) हैं। इसके पड़ोसी राज्य आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल हैं। तमिल नाडु में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा तमिल है। तमिल नाडु के वर्तमान मुख्यमन्त्री एडाप्पडी  पलानिस्वामी  और राज्यपाल विद्यासागर राव हैं। .

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तम्बाकू धूम्रपान

तम्बाकू धूम्रपान एक ऐसा अभ्यास है जिसमें तम्बाकू को जलाया जाता है और उसका धुआं या तो चखा जाता है या फिर उसे सांस में खींचा जाता है। इसका चलन 5000-3000 ई.पू.के प्रारम्भिक काल में शुरू हुआ। कई सभ्यताओं में धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान इसे सुगंध के तौर पर जलाया गया, जिसे बाद में आनंद प्राप्त करने के लिए या फिर एक सामाजिक उपकरण के रूप में अपनाया गया। पुरानी दुनिया में तम्बाकू 1500 के दशक के अंतिम दौर में प्रचलित हुआ जहां इसने साझा व्यापारिक मार्ग का अनुसरण किया। हालांकि यह पदार्थ अक्सर आलोचना का शिकार बनता रहा है, लेकिन इसके बावज़ूद वह लोकप्रिय हो गया। जर्मन वैज्ञानिकों ने औपचारिक रूप से देर से 1920 के दशक के अन्त में धूम्रपान और फेफड़े के कैंसर के बीच के संबंधों की पहचान की जिससे आधुनिक इतिहास में पहले धूम्रपान विरोधी अभियान की शुरुआत हुई। आंदोलन तथापि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुश्मनों की सीमा में पहुंचने में नाकाम रहा और उसके बाद जल्द ही अलोकप्रिय हो गया। 1950 में स्वास्थ्य अधिकारियों ने फिर से धूम्रपान और कैंसर के बीच के सम्बंध पर चर्चा शुरू की। वैज्ञानिक प्रमाण 1980 के दशक में प्राप्त हुए, जिसने इस अभ्यास के खिलाफ राजनीतिक कार्रवाई पर जोर दिया। 1965 से विकसित देशों में खपत या तो क्षीण हुई या फिर उसमें गिरावट आयी। हालांकि, विकासशील दुनिया में बढ़त जारी है। तम्बाकू के सेवन का सबसे आम तरीका धूम्रपान है और तम्बाकू धूम्रपान किया जाने वाला सबसे आम पदार्थ है। कृषि उत्पाद को अक्सर दूसरे योगज के साथ मिलाया जाता है और फिर सुलगाया जाता है। परिणामस्वरूप भाप को सांस के जरिये अंदर खींचा जाता है फिर सक्रिय पदार्थ को फेफड़ों के माध्यम से कोशिकाओं से अवशोषित कर लिया जाता है। सक्रिय पदार्थ तंत्रिका अंत में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को शुरू करती है जिससे हृदय गति, स्मृति और सतर्कता और प्रतिक्रिया की अवधि बढ़ जाती है। डोपामाइन (Dopamine) और बाद में एंडोर्फिन(endorphin) का रिसाव होता है जो अक्सर आनंद से जुड़े हुए हैं। 2000 में धूम्रपान का सेवन कुछ 1.22 बिलियन लोग करते थे। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती हैं तथापि छोटे आयु वर्ग में इस लैंगिक अंतर में गिरावट आती है। गरीबों में अमीरों की तुलना में और विकसित देशों के लोगों में अमीर देशों की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती है। धूम्रपान करने वाले कई किशोरावस्था में या आरम्भिक युवावस्था के दौरान शुरू करते हैं। आम तौर पर प्रारंभिक अवस्था में धूम्रपान सुखद अनुभूतियां प्रदान करता है, सकारात्मक सुदृढीकरण के एक स्रोत के रूप में कार्य करता है। एक व्यक्ति में कई वर्षों के धूम्रपान के बाद परिहार के लक्षण और नकारात्मक सुदृढीकरण उसे जारी रखने का प्रमुख उत्प्रेरक बन जाता है। .

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तारकनाथ दास

तारकनाथ दास या तारक नाथ दास (बंगला: তারকানাথ দাস, 15 जून 1884 - 22 दिसम्बर 1958), एक ब्रिटिश-विरोधी भारतीय बंगाली क्रांतिकारी और अंतर्राष्ट्रवादी विद्वान थे। वे उत्तरी अमेरिका के पश्चमी तट में एक अग्रणी आप्रवासी थे और टॉल्स्टॉय के साथ अपनी योजनाओं के बारे में चर्चा किया करते थे, जबकि वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पक्ष में एशियाई भारतीय आप्रवासियों को सुनियोजित कर रहे थे। वे कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर थे और साथ ही कई अन्य विश्वविद्यालयों में अतिथि प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत थे। .

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तिलोकपुर

तिलोकपुर (अंग्रेजी:Tilokpur) भारतवर्ष के राज्य उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहाँपुर का एक बहुत ही पुराना गाँव है। यह शाहजहाँपुर जिले के भौगोलिक क्षेत्र से बहने वाली शारदा नहर के किनारे बसा हुआ है। यह नहर मीरानपुर कटरा से तिलोकपुर और काँट होते हुए कुर्रिया कलाँ तक जाती है। काकोरी काण्ड के अभियुक्तों में से एक बनवारी लाल जो मुकदमें के दौरान वायदा माफ गवाह (अंगेजी में अप्रूवर) बन गया था, इसी गाँव का रहने वाला था। बाद में उसने ब्राह्मणों से जान का खतरा होने के कारण यह गाँव छोड़ दिया और पास के ही दूसरे गाँव केशवपुर में रहने लगा जहाँ उसकी कायस्थ बिरादरी के लोग रहते थे। मध्यम आकार के इस गाँव में कुल 167 घर हैं। इन घरों के परिवारों में 1036 लोग रहते हैं जिनमें स्त्री, पुरुष व बच्चे सभी शामिल हैं। .

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तखत श्री पटना साहिब

तखत श्री पटना साहिब या श्री हरमंदिर जी, पटना साहिब (ਤਖ਼ਤ ਸ੍ਰੀ ਪਟਨਾ ਸਾਹਿਬ.) पटना शहर में स्थित सिख आस्था से जुड़ा यह एक ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है। यहाँ सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह का जन्म स्थल है। गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1666 शनिवार को 1.20 पर माता गुजरी के गर्भ से हुआ था। उनका बचपन का नाम गोविन्द राय था। यहाँ महाराजा रंजीत सिंह द्वारा बनवाया गया गुरुद्वारा है जो स्थापत्य कला का सुन्दर नमूना है। .

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तंजानिया में भारतीय लोग

वर्तमान समय में तंजानिया में ५० हजार से अधिक भारतीय मूल के लोग रहते हैं। उनमें से बहुत से लोग व्यवसायी हैं जिनके हाथों में तंजानिया की अर्थव्यवस्था का एक अच्छा-खासा हिसा है। तंजानिया में भारतीयों के आने का इतिहास १९वीं शताब्दी से शुरू होता है जब गुजराती व्यवसायी वहाँ पहुँचे थे। धीरे-धीरे जंजीबार का सारा व्यापार उनके हाथ में आ गया। उस काल में निर्मित अनेकों भवन आज भी स्टोन टाउन में बचे हुए हैं जो इस द्वीप का व्यापार का केन्द्र था। .

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तेलंगाना

तेलंगाना (తెలంగాణ, तेलंगाणा), भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य से अलग होकर बना भारत का २९वाँ राज्य है। हैदराबाद को दस साल के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी बनाया जाएगा। यह परतन्त्र भारत के हैदराबाद नामक राजवाडे के तेलुगूभाषी क्षेत्रों से मिलकर बना है। 'तेलंगाना' शब्द का अर्थ है - 'तेलुगूभाषियों की भूमि'। 5 दिसम्बर 2013 को मंत्रिसमूह द्वारा बनाये गए ड्राफ्ट बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। 18 फ़रवरी 2014 को तेलंगाना बिल लोक सभा से पास हो गया तथा दो दिन पश्चात इसे राज्य सभा से भी मंजूरी मिल गयी। राष्ट्रपति के दस्तखत के साथ तेलंगाना औपचारिक तौर पर भारत का 29वां राज्य बन गया है। हालाँकि लोक सभा से इस विधेयक को पारित कराते समय आशंकित हंगामे के चलते लोकसभा-टेलिविज़न का प्रसारण रोकना पड़ा था। .

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दलित

दलित का मतलब पहले पिडीत, शोषित, दबा हुआ, खिन्न, उदास, टुकडा, खंडित, तोडना, कुचलना, दला हुआ, पीसा हुआ, मसला हुआ, रौंदाहुआ, विनष्ट हुआ करता था, लेकिन अब अनुसूचित जाति को दलित बताया जाता है, अब दलित शब्द पूर्णता जाति विशेष को बोला जाने लगा हजारों वर्षों तक अस्‍पृश्‍य या अछूत समझी जाने वाली उन तमाम शोषित जातियों के लिए सामूहिक रूप से प्रयुक्‍त होता है जो हिंदू धर्म शास्त्रों द्वारा हिंदू समाज व्‍यवस्‍था में सबसे निचले (चौथे) पायदान पर स्थित है। और बौद्ध ग्रन्थ में पाँचवे पायदान पर (चांडाल) है संवैधानिक भाषा में इन्‍हें ही अनुसूचित जाति कहां गया है। भारतीय जनगनणा 2011 के अनुसार भारत की जनसंख्‍या में लगभग 16.6 प्रतिशत या 20.14 करोड़ आबादी दलितों की है।http://m.timesofindia.com/india/Half-of-Indias-dalit-population-lives-in-4-states/articleshow/19827757.cms आज अधिकांश हिंदू दलित बौद्ध धर्म के तरफ आकर्षित हुए हैं और हो रहे हैं, क्योंकी बौद्ध बनने से हिंदू दलितों का विकास हुआ हैं।http://www.bbc.com/hindi/india/2016/04/160414_dalit_vote_politician_rd "दलित" शब्द की व्याखा, अर्थ तुलनात्मक दृष्टी से देखे तो इसका विरुद्ध विषलेशण इस प्रकार है। "दलित" -: पिडीत, शोषित, दबा हुआ, खिन्न, उदास, टुकडा, खंडित, तोडना, कुचलना, दला हुआ, पीसा हुआ, मसला हुआ, रौंदाहुआ, विनष्ट "फलित" -: पिडामुक्त, उच्च, प्रसन्न, खुशहाल, अखंड, अखंडित, जोडना, समानता, एकरुप, पूर्णरूप, संपूर्ण .

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दिबियापुर

दिबियापुर भारत में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में औरैया ज़िले का एक नगर और एक नगर पंचायत है। यह नगर राज्य राजमार्ग 21 पर स्थित है। यह हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन के कानपुर-दिल्ली खण्ड पर फफूँद रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है जो उत्तर मध्य रेलवे द्वारा संचालित है। नगर का प्रशासनिक मुख्यालय औरैया है। .

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द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध

द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध पंजाब के सिख प्रशासित क्षेत्रों वाले राज्य तथा अंग्रेजों के ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1848-49 के बीच लड़ा गया था। इसके परिणाम स्वरूप सिख राज्य का संपूर्ण हिस्सा अंग्रेजी राज का अंग बन गया। .

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दोस्त मुहम्मद ख़ान

दोस्त मोहम्मद खान (पश्तो: दोस्त मोहम्मद खान, 23 दिसंबर 1793 - 1863) 9 जून प्रथम आंग्ल-अफगान दौरान बारक़ज़ई वंश का संस्थापक और अफगानिस्तान के प्रमुख शासकों में से एक था।826-1839 अफगानिस्तान के अमीर बन गया और दुर्रानी वंश के पतन के साथ, वह 1845 से 1863 तक अफ़ग़ानिस्तान पर शासन किया। वह सरदार पाइंदा खान (बरक़ज़ई जनजाति के प्रमुख) का 11 वां बेटा था जो जमान शाह दुर्रानी से 1799 में मारा गया था। दोस्त मोहम्मद के दादा हाजी जमाल खान था। अफ़ग़ानों और अंग्रेजों की पहली लड़ाई के बाद उसे कलकत्ता निर्वासित कर दिया गया था लेकिन शाह शुजा की हत्या के बाद, 1842 में ब्रिटिश उसे अफ़ग़ानिस्तान का अमीर बना गए। उसने पंजाब के रणजीत सिंह से भी लोहा लिया। .

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दीपावली

दीपावली या दीवाली अर्थात "रोशनी का त्योहार" शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्योहार है।The New Oxford Dictionary of English (1998) ISBN 0-19-861263-X – p.540 "Diwali /dɪwɑːli/ (also Divali) noun a Hindu festival with lights...". दीवाली भारत के सबसे बड़े और प्रतिभाशाली त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।Jean Mead, How and why Do Hindus Celebrate Divali?, ISBN 978-0-237-534-127 भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है। माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अयोध्यावासियों का ह्रदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। यह पर्व अधिकतर ग्रिगेरियन कैलन्डर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। दीपावली दीपों का त्योहार है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो माऽ सद्गमय, तमसो माऽ ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ़ सुथरा कर सजाते हैं। बाज़ारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाज़ार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं। दीवाली नेपाल, भारत, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर एक सरकारी अवकाश है। .

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दीपावली मेला

नानकमत्ता साहिब ऐतिहासिक महत्व का सिक्खों का सुविख्यात धार्मिक स्थान होने के साथ-साथ यहाँ लगने वाला दीपावली का मेला भी इस क्षेत्र का विशालतम मेला माना जाता है। इसमे 5 से 10 लाख लोगों की भीड़ जमा होती है। गुरूद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब उत्तराखण्ड के ऊधमसिंहनगर जिले में स्थित है। यह दिल्ली से 275 किमी दूर है तथा मुरादाबाद से 130 किमी दूर है। अन्तिम रेलवे स्टेशन रुद्रपुर-सिटी और छोटी लाइन का स्टेशन खटीमा या किच्छा है। यह रुद्रपुर-सिटी से 58 किमी, खटीमा से 16 किमी तथा किच्छा से 38 किमी है। दस दिनों तक चलने वाले मेले का दीपावली से दो दिन पूर्व शुभारम्भ हो जाता है। तीन दिनों तक तो सिख-पन्थ से लोगों के द्वारा बड़े-बड़े दीवान आयोजित किये जाते हैं। जिनमें उच्च कोटि के धार्मिक व्याख्यानकर्ता तथा रागी अपने भजन-कीर्तन तथा व्याख्यान देते हैं। इसके बाद आदिवासी रानाथारू जनजाति के लोगों के साथ-साथ इस क्षेत्र के सभी धर्मों के लोग और दूर-दराज से आने वाले दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता है। नानकमत्ता साहिब में आधुनिक सुविधाओं से युक्त 200 कमरों की एक सराय भी है। वह इस समय बिल्कुल भरी रहती है। इसके साथ ही मेलार्थियों के लिए अलग से टेण्ट लगाकर भी रहने की व्यवस्था गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी, नानकमत्ता द्वारा की जाती है। गुरू महाराज के दरबार साहिब में बारहों मास तीन स्थानों पर अनवरतरूप से लंगर चलता रहता है। इसलिए इस मेले में खाने का कोई होटल नहीं होता है। हाँ, चाट-मिष्ठान आदि की बहुत सी दुकाने होती हैं। सुबह से शाम और रात तक चलने वाले लंगर में लाखों लोग प्रतिदिन प्रसाद के रूप मे लंगर छकते हैं। मेले की व्यवस्था सुचारूरूप से चलाने के लिए मेला-अवधि में यहाँ 24 घण्टे बाकायदा एक पुलिस कोतवाली अपना काम करती रहती है। आज की तेजी से भागती हुई जिन्दगी में भी इस मेले में 3-4 अस्थायी टेण्ट टाकीज, 2-3 नाटक कम्पनियाँ, सरकस, 10-15 झूले, मौत का कुआँ और इन्द्र-जाल, काला-जादू आदि अनेकों मनोरंजन के साधन यहाँ पर होते हैं। वस्त्रों, खिलौनों और घरेलू सामानों की तो इस मेले में हजारों दूकानें होती हैं। इसके साथ ही यहाँ पर तलवारों, कृपाणों, भाला, बरछी और लाठी-डण्डों की भी सैकड़ों दूकानें सजी होतीं हैं। .

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धर्म और गर्भपात

विभिन्न धर्मों में गर्भपात के बारे में भिन्न-भिन्न विचार हैं नीचे इसका कुछ संक्षिप्त विवरण है। .

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धौथड़

धौथड़ एक जाट क़बीला है, जो गोजरानवाला जिला, पाकिस्तान में पाया जाता है। इस जाती का सिख शाखा भारत के विभाजन के समय भारत पंजाब और हरियाणा चली गई थी। पाकिस्तान में धौथड़ सियालकोट, गुजरात, हाफ़िज़ आबाद, मंडी बहाउालदीन और साहीवाल के जिलों में पाए जाते हैं। जबकि भारत में धौथड़ करनाल और कपरखला के जिलों में आबाद हैं। .

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ननकाना साहिब

ननकाना साहिब गुरुद्वारा ननकाना साहिब, पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित एक शहर है। इसका वर्तमान नाम सिखों के पहले गुरू गुरू नानक देव जी के नाम पर पड़ा है। इसका पुराना नाम 'राय-भोई-दी-तलवंडी' था। यह लाहौर से ८० किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। इसकी जनसंख्या ६०,००० है। चूंकि यह स्थान गुरू नानक देव का जन्मस्थान है, यह सिखों का पवित्र ऐतिहासिक स्थान (तीर्थ) है। यह विश्व भर के सिखों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यहाँ का गुरुद्वारा साहिब बहुत प्रसिद्ध है। महाराजा रणजीत सिंह ने गुरु नानकदेव के जन्म स्थान पर गुरुद्वारा का निर्माण कराया था। .

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नानकमत्ता

नानकमत्ता उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखण्ड उत्तरी भारत में स्थित एक शहर है। यह शहर अपने ऐतिहासिक सिख मंदिर गुरुद्वारा नानकमत्ता व बाउली साहिब के लिये प्रसिद्ध है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के तीर्थ श्रेणी:ऊधम सिंह नगर के दर्शनीय स्थल.

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निरंकारी

निरंकारी सम्प्रदाय सिखों का एक सम्प्रदाय है। इस सम्प्रदाय का आरम्भ अविभाजित भारत के रावलपिण्डी में महाराजा रणजीत सिंह के समय में हुआ था। श्रेणी:सम्प्रदाय श्रेणी:सिख सम्प्रदाय de:Nirankari.

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निशान साहिब

निशान साहिब या निशान साहब सिखों का पवित्र त्रिकोणीय ध्वज है। यह पर्चम कपास या रेशम के कपड़े का बना होता है, इसके सिरे पर एक रेशम की लटकन होती है। इसे हर गुरुद्वारे के बाहर, एक ऊंचे ध्वजडंड पर फ़ैहराया जाता है। परंपरानुसार निशान साहब को फ़ैहरा रहे डंड में ध्वजकलश(ध्वजडंड का शिखर) के रूप में एक दोधारी खंडा (तलवार) होता है, एवं स्वयं ही डंड को पूरी तरह कपड़े से लिपेटा जाता है। झंडे के केंद्र में एक खंडा चिह्न (☬) होता है। निशान साहिब खालसा पंथ का पारंपरागक प्रतीक है। काफ़ी ऊंचाई पर फ़ैहराए जाने के कारण निशान साहिब को दूर से ही देखा जा सकता है। किसी भी जगह पर इसके फहरने का दृष्य, उस मौहल्ले में खालसा पंथ की मौजूदगी का प्रतीक माना जाता है। हर बैसाखी पर इसे नीचे उतार लिया जाता है और एक नए पर्चम से बदल दिया जाता है। .

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नव वर्ष

भारतीय नववर्ष की विशेषता   - ग्रंथो में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र शुदी १ रविवार था। हमारे लिए आने वाला संवत्सर २०७५ बहुत ही भाग्यशाली होगा, क़्योंकि इस वर्ष भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रविवार है,   शुदी एवम  ‘शुक्ल पक्ष एक ही  है। चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था।हमारा नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है| इस दिन ग्रह और नक्षत्र मे परिवर्तन होता है | हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है | पेड़-पोधों मे फूल,मंजर,कली इसी समय आना शुरू होते है,  वातावरण मे एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है | जीवो में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है | इसी दिन ब्रह्मा जी  ने सृष्टि का निर्माण किया था | भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था | नवरात्र की शुरुअात इसी दिन से होती है | जिसमे हमलोग उपवास एवं पवित्र रह कर नव वर्ष की शुरूआत करते है | परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है। इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है। वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है। चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया। न शीत न ग्रीष्म। पूरा पावन काल। ऎसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं श्रीराम रूप धारण कर उतर आए,  श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि  के ठीक नवे दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था | आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी | यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है | संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है हमारा अपना नया साल *  *विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है। कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कुत्सित कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता। पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा और किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत मेे ही काल गणना की शुरूआत मानी होगी। चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास। मधु मास अर्थात आनंद बांटती वसंत का मास। यह वसंत आ तो जाता है फाल्गुन में ही, पर पूरी तरह से व्यक्त होता है चैत्र में। सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है,  पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में। चारों ओर पकी फसल का दर्शन,  आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है। खेतों में हलचल, फसलों की कटाई, हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती आवाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के आभा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या आया मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई। नई फसल घर मे आने का समय भी यही है | इस समय प्रकृति मे उष्णता बढ्ने लगती है, जिससे पेड़ -पौधे, जीव-जन्तु मे नव जीवन आ जाता है | लोग इतने मदमस्त हो जाते है कि आनंद में मंगलमय  गीत गुनगुनाने लगते है | गौर और गणेश कि पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान मे कि जाती है | चैत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है,  मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि मे होता है | नये साल के अवसर पर फ़्लोरिडा में आतिशबाज़ी का एक दृश्य। नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है। विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है। .

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नवयान

नवयान भारत का बौद्ध धर्म का सम्प्रदाय हैं। नवयान का अर्थ है– नव .

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नवजोत सिंह सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू (अंग्रेजी: Navjot Singh Sidhu, पंजाबी: ਨਵਜੋਤ ਸਿੰਘ ਸਿੱਧੂ, जन्म: 20 अक्टूबर 1963, पटियाला) भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी (बल्लेबाज) एवं अमृतसर लोक सभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद हैं। खेल से संन्यास लेने के बाद पहले उन्होंने दूरदर्शन पर क्रिकेट के लिये कमेंट्री करना आरम्भ किया उसके बाद राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। राजनीति के अलावा उन्होंने टेलीविजन के छोटे पर्दे पर टी.वी.

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नौशेरा

नौशेरा का युद्ध सन १८२३ ई में महाराजा रणजीत सिंह और पश्तून जनजातियों के बीच हुआ था। इस युद्ध में सिखों की निर्णायक विजय हुई थी और पेशावर घाटी पर उन्होने अधिकार कर लिया। श्रेणी:भारत के प्रमुख युद्ध श्रेणी:भारतीय इतिहास.

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पटना

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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परजान दस्तूर

परजान दस्तूर एक भारतीय अभिनेता हैं। उन्होंने बाल कलाकार के रूप में भी कार्य किया था। .

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पहिया

पहिया (wheel) किसी भौतिक वस्तु में लगा हुआ एक गोल आकार का ऐसा अंश होता है जो अपने बीच में स्थित के खुले स्थान में किसी धुरी (ऐक्सल) पर टिका हुआ हो और घूम सके। मानव-कृत पहिये अक्सर वाहनों में नीचे लगे होते हैं जहाँ वह भार ढोने के साथ-साथ धरती पर लुड़क कर वाहन को चलाने का काम भी करते हैं। आधुनिक वाहनों में हवा से भरे रबर के पहिये होते हैं जो टायर कहलाते हैं। क्योंकि पहिये गति और समय की चाल का प्रतीक हैं इसलिये हिन्दू, बौद्ध, सिख व जैन धर्मों में इन्हें चिन्हों के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। .

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पाकिस्तान मुर्दाबाद

मुस्लम लीग के लीडर मोहम्मद अली जिन्नाह और पंजाब संघवादी पार्टी के लीडर मलिक ख़िज़र हयात टिवाणा। पाकिस्तान मुर्दाबाद (लातिनी लिपि: Pakistan Murdabad, नस्तालीक़) हिन्दुस्तानी भाषा और एक हद तक पंजाबी भाषा में भारत के बंटवारे और ख़ास कर पंजाब बंटवारे के समय के दौरान लगाया गया एक राजनैतिक नारा है। इसका मतलब है: "पाकिस्तान की मौत हो" या और ज़्यादा उचित "पाकिस्तान का विनाश हो" और इसकी शब्द निरुक्ति फ़ारसी भाषा से है। Quote: Glossary: "Pakistan Murdabad (death to Pakistan), a phrase used by Master Tara Singh and his followers." यह स्लोगन भारत बंटवारे से पहले पाकिस्तान लहर यानि दक्षिण एशिया में एक नये इस्लामी मुल्क की स्थापना करने के लिए आंदोलन के दौरान पहली बार सिक्खों के लीडर मास्टर तारा सिंह द्वारा उच्चारित किया गया था क्योंकि पंजाब क्षेत्र के सिक्ख मुसलमानों की प्रसावित हकूमत के ज़ोरदार ख़िलाफ़ थे। यह मुहम्मद अली जिन्ना के स्लोगन "पाकिस्तान ज़िन्दाबाद" के उलट में लगाया गया था। पिछले कुछ सालों में यह स्लोगन का वर्णन दक्षिण एशियायी साहित्य में मिला जा रहा है, सआदत हसन मंटो, बापसी सिद्धवा और खुशवंत सिंह जैसे हरमन प्यारे लेखक की रचनायों में इस स्लोगन उल्लिखित है। भारत बंटवारे से कुछ ही समय बाद नये मुल्क पाकिस्तान में रैफ़्यूजी कैंपों में फंसे गए लोगों ने नयी पाकिस्तानी हकूमत की नाक़ाबलियत के विरुद्ध अपने ग़ुस्से व्यक्त करने के लिए यह स्लोगन उच्चारित किया था। .

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पाकिस्तान में हिन्दू धर्म

पाकिस्तान में हिंदु धर्म का अनुसरण करने वाले कुल जनसंख्या के लगभग 2% है। पूर्वतन जनगणना के समय पाकिस्तानी हिंदुओं को जाति (1.6%) और अनुसूचित जाति (0.25%) में विभाजित किया गया।  पाकिस्तान को ब्रिटेन से स्वतन्त्रता 14 अगस्त, 1947 मिली उसके बाद 44 लाख हिंदुओं और सिखों ने आज के भारत की ओर स्थानान्तरण किया, जबकि भारत से 4.1 करोड़ मुसलमानों ने पाकिस्तान में रहने के लिये स्थानातरण किया।Boyle, Paul; Halfacre, Keith H.; Robinson, Vaughan (2014).

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पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति

पाकिस्तान में मुसलमानों के अलावा हिन्दू, सिख, ईसाई तथा अन्य जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक रहते हैं किन्तु पश्चिम के धार्मिक स्वतन्त्रता समूहों एवं मानवाधिकार समूहों का कहना है कि वहाँ धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ बहुत भेदभाव बरता जाता है। .

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पिनांग

पिनांग मलेशिया का एक राज्य है जो मलक्का के जलडमरुमध्य के साथ प्रायद्वीपीय मलेशिया के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। क्षेत्र के हिसाब से पिनांग पेर्लिस के बाद मलेशिया का दूसरा सबसे छोटा और आठवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। पिनांग के निवासी को बोलचाल की भाषा में पेननगाइट के रूप में जाना जाता है। .

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पंजाब (भारत)

पंजाब (पंजाबी: ਪੰਜਾਬ) उत्तर-पश्चिम भारत का एक राज्य है जो वृहद्तर पंजाब क्षेत्र का एक भाग है। इसका दूसरा भाग पाकिस्तान में है। पंजाब क्षेत्र के अन्य भाग (भारत के) हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्यों में हैं। इसके पश्चिम में पाकिस्तानी पंजाब, उत्तर में जम्मू और कश्मीर, उत्तर-पूर्व में हिमाचल प्रदेश, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में हरियाणा, दक्षिण-पूर्व में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान राज्य हैं। राज्य की कुल जनसंख्या २,४२,८९,२९६ है एंव कुल क्षेत्रफल ५०,३६२ वर्ग किलोमीटर है। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है जोकि हरियाणा राज्य की भी राजधानी है। पंजाब के प्रमुख नगरों में अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, पटियाला और बठिंडा हैं। 1947 भारत का विभाजन के बाद बर्तानवी भारत के पंजाब सूबे को भारत और पाकिस्तान दरमियान विभाजन दिया गया था। 1966 में भारतीय पंजाब का विभाजन फिर से हो गया और नतीजे के तौर पर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश वजूद में आए और पंजाब का मौजूदा राज बना। यह भारत का अकेला सूबा है जहाँ सिख बहुमत में हैं। युनानी लोग पंजाब को पैंटापोटाम्या नाम के साथ जानते थे जो कि पाँच इकठ्ठा होते दरियाओं का अंदरूनी डेल्टा है। पारसियों के पवित्र ग्रंथ अवैस्टा में पंजाब क्षेत्र को पुरातन हपता हेंदू या सप्त-सिंधु (सात दरियाओं की धरती) के साथ जोड़ा जाता है। बर्तानवी लोग इस को "हमारा प्रशिया" कह कर बुलाते थे। ऐतिहासिक तौर पर पंजाब युनानियों, मध्य एशियाईओं, अफ़ग़ानियों और ईरानियों के लिए भारतीय उपमहाद्वीप का प्रवेश-द्वार रहा है। कृषि पंजाब का सब से बड़ा उद्योग है; यह भारत का सब से बड़ा गेहूँ उत्पादक है। यहाँ के प्रमुख उद्योग हैं: वैज्ञानिक साज़ों सामान, कृषि, खेल और बिजली सम्बन्धित माल, सिलाई मशीनें, मशीन यंत्रों, स्टार्च, साइकिलों, खादों आदि का निर्माण, वित्तीय रोज़गार, सैर-सपाटा और देवदार के तेल और खंड का उत्पादन। पंजाब में भारत में से सब से अधिक इस्पात के लुढ़का हुआ मीलों के कारख़ाने हैं जो कि फ़तहगढ़ साहब की इस्पात नगरी मंडी गोबिन्दगढ़ में हैं। .

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पंजाबी भाषा

पंजाबी (गुरमुखी: ਪੰਜਾਬੀ; शाहमुखी: پنجابی) एक हिंद-आर्यन भाषा है और ऐतिहासिक पंजाब क्षेत्र (अब भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित) के निवासियों तथा प्रवासियों द्वारा बोली जाती है। इसके बोलने वालों में सिख, मुसलमान और हिंदू सभी शामिल हैं। पाकिस्तान की १९९८ की जनगणना और २००१ की भारत की जनगणना के अनुसार, भारत और पाकिस्तान में भाषा के कुल वक्ताओं की संख्या लगभग ९-१३ करोड़ है, जिसके अनुसार यह विश्व की ११वीं सबसे व्यापक भाषा है। कम से कम पिछले ३०० वर्षों से लिखित पंजाबी भाषा का मानक रूप, माझी बोली पर आधारित है, जो ऐतिहासिक माझा क्षेत्र की भाषा है। .

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पंजाबी समुदाय

पंजाबी समुदाय में मुख्यतः पंजाबी भाषा बोलने वाले लोग, पंजाब प्रांत में रहने वाले या पलायन करने वाले लोग आते हैं। श्रेणी:पंजाबी लोग.

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प्रतापगढ़ (राजस्थान) की संस्कृति

सीतामाता मंदिर के सामने एक मीणा आदिवासी: छाया: हे. शे. हालाँकि प्रतापगढ़ में सभी धर्मों, मतों, विश्वासों और जातियों के लोग सद्भावनापूर्वक निवास करते हैं, पर यहाँ की जनसँख्या का मुख्य घटक- लगभग ६० प्रतिशत, मीना आदिवासी हैं, जो राज्य में 'अनुसूचित जनजाति' के रूप में वर्गीकृत हैं। पीपल खूंट उपखंड में तो ८० फीसदी से ज्यादा आबादी मीणा जनजाति की ही है। जीवन-यापन के लिए ये मीना-परिवार मूलतः कृषि, मजदूरी, पशुपालन और वन-उपज पर आश्रित हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट-संस्कृति, बोली और वेशभूषा रही है। अन्य जातियां गूजर, भील, बलाई, भांटी, ढोली, राजपूत, ब्राह्मण, महाजन, सुनार, लुहार, चमार, नाई, तेली, तम्बोली, लखेरा, रंगरेज, रैबारी, गवारिया, धोबी, कुम्हार, धाकड, कुलमी, आंजना, पाटीदार और डांगी आदि हैं। सिख-सरदार इस तरफ़ ढूँढने से भी नज़र नहीं आते.

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश

प्रतापगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है, इसे लोग बेल्हा भी कहते हैं, क्योंकि यहां बेल्हा देवी मंदिर है जो कि सई नदी के किनारे बना है। इस जिले को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जाता है। यहां के विधानसभा क्षेत्र पट्टी से ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं॰ जवाहर लाल नेहरू ने पदयात्रा के माध्यम से अपना राजनैतिक करियर शुरू किया था। इस धरती को रीतिकाल के श्रेष्ठ कवि आचार्य भिखारीदास और राष्ट्रीय कवि हरिवंश राय बच्चन की जन्मस्थली के नाम से भी जाना जाता है। यह जिला धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी कि जन्मभूमि और महात्मा बुद्ध की तपोस्थली है। .

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प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध

प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध पंजाब के सिख राज्य तथा अंग्रेजों के बीच 1845-46 के बीच लड़ा गया था। इसके परिणाम स्वरूप सिख राज्य का कुछ हिस्सा अंग्रेजी राज का हिस्सा बन गया।.

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प्रद्युम्न रंधावा

प्रद्युम्न रंधावा (अंग्रेजी: Parduman Randhawa) एक भारतीय अभिनेता है, वे प्रसिध्द पहलवान व अभिनेता दारा सिंह के ज्येष्ठ पुत्र हैं। .

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प्राण सुख यादव

प्राण सुख यादव (1802–1888) एक सेना नायक, 1857 की क्रांति में भागीदार क्रांतिकारी तथा सिख कमांडर हरी सिंह नलवा के मित्र थे। अपने पूर्व के समय में वह सिख खालसा सेना व फ्रेंच आर्म्स की तरफ से लड़ते थे। महाराजा रणजीत सिंह के निधन के बाद उन्होने प्रथम व द्वितीय ब्रिटिश-सिख संघर्ष में भागीदारी निभाई।.

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प्रकाश सिंह बादल

प्रकाश सिंह बादल भारत के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री हैं एवं शिरोमणी अकाली दल (बादल) के प्रमुख हैं। .

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प्रीति सिंह

प्रीति सिंह (जन्म: २६ अक्टूबर १९७१) चंडीगढ़ में स्थित एक लेखिका, उपन्यासकार हैं। प्रीति पिछले १५ सालो से एक पेशेवर लेखक के रूप में काम कर रही है। २०१२ में महावीर पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित इनका पहला उपन्यास "फ्लर्टिंग विथ फेट" बेस्ट सेलिंग उपन्यास रहा और वे अपनी दूसरी किताब "क्रॉसरोड्स" के साथ एक अवॉर्ड विजेता लेखिका बन चुकी हैं। १७ दिसंबर, २०१५ साहित्यकार प्रीति सिंह को अनुपमा फाउंडेशन द्वारा स्वयंसिद्धा सम्मान से पुरस्कृत किया गया। साल २०१६ में इनकी तीसरी पुस्तक वॉच्ड, जो एक क्राइम थ्रिलर उपन्यास हैं, का प्रकाशन ओमजी पब्लिशिंग हाउस द्वारा किया गया। .

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पॉण्टी चड्ढा

पॉण्टी चड्ढा जिसका असली नाम था गुरदीप सिंह चड्ढा (१९५७ - 17 नवम्बर २०१२) उत्तर प्रदेश, भारत से शराब व्यापारी था। चड्ढा ने लोकप्रियता हासिल की और करीब ६००० करोड़ रुपए (१.०९ अरब डॉलर) के अपने शराब के कारोबार का उत्तर भारत के ३ राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब और नई दिल्ली में विस्तार किया। वह कंपनी वेव इंक का सह-स्वामित्व भी था। वह नई दिल्ली में छतरपुर क्षेत्र में अपने स्वयं के खेत पर एक हिंसक शूट आउट में २०१२ में मारा गया। .

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फ़िरोज़पुर ज़िला

फिरोजपुर जिला (पंजाबी: ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ) भारत गणराज्य के उत्तर-पश्चिम में स्थित पंजाब राज्य के बीस जिलों में से एक है। फिरोजपुर जिला ५,३०५किलोमीटर(२,०४८ वर्ग मील) के एक क्षेत्र शामिल हैं। फाजिल्का जिले के अलावा फिरोजपुर जिले के विभाजन से पहले, यह ११,१४२ किलोमीटर के एक क्षेत्र शामिल थे। फिरोजपुर जिले की राजधानी फ़िरोजपुर शहर है। यह दस दरवाजो के अंदर स्थित है - अमृतसरी गेट, वंसी गेट, मखु गेट, ज़ीरा गेट, बागडी गेट, मोरी गेट, दिल्ली गेट, मागणी गेट, मुलतानी गेट और कसूरी गेट। .

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फौजा सिंह

फ़ौजा सिंह (जन्म: १ अप्रैल, १९११) भारतीय मूल के वृद्ध सिख खिलाड़ी हैं। वे ब्रिटिश नागरिक हैं। २००३ में उन्होंने टोरंटो मैराथन में ९२ वर्ष की आयु में दौड़ कर एक विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया। इतनी वृद्धावस्था में मैराथन में भाग लेने के कारण मीडिया ने इन्हें कई नाम भी दिये हैं। जिसमें पगड़ी वाला तूफ़ान, दौड़ने वाला बाबा, सुपर मैंन सिक्ख आदि नाम हैं। खेलों से संबंधित कई अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड्स ने भी उन्हें प्रचार हेतु अनुबंधित किया है। २००४ में खेलविन्यास के निर्माता एडिडास के प्रचार में वे विश्व विख्यात खिलाड़ी डेविड बेखम व मुहम्मद अली के समकक्ष खड़े दिखाई दिए। फौजा सिंह के नाम अपने आयु वर्ग (९०+) में यूनाइटेड किंगडम के २०० मी०, ४०० मी०, ८०० मी०, मील तथा ३००० मी० के रिकॉर्ड दर्ज हैं। गौरतलब है कि ये तमाम रिकॉर्ड उन्होंने ९४ मिनट के अंतराल में एक साथ बनाए। .

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बन्दा सिंह बहादुर

बन्दा सिंह बहादुर बैरागी एक सिख सेनानायक थे। उन्हें बन्दा बहादुर, लक्ष्मन दास और माधो दास भी कहते हैं। वे पहले ऐसे सिख सेनापति हुए, जिन्होंने मुग़लों के अजेय होने के भ्रम को तोड़ा; छोटे साहबज़ादों की शहादत का बदला लिया और गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा संकल्पित प्रभुसत्तासम्पन्न लोक राज्य की राजधानी लोहगढ़ में ख़ालसा राज की नींव रखी। यही नहीं, उन्होंने गुरु नानक देव और गुरू गोबिन्द सिंह के नाम से सिक्का और मोहरे जारी करके, निम्न वर्ग के लोगों की उच्च पद दिलाया और हल वाहक किसान-मज़दूरों को ज़मीन का मालिक बनाया। .

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बन्दी छोड़ दिवस

बन्दी छोड़ दिवस सिख त्योहार है जो कि दीपावली के दिन पड़ता है। दीपावली त्यौहार सिख समुदाय द्वारा ऐतिहासिक रूप से मनाया जाता है। गुरु अमर दास ने इसे सिख उत्सव माना है। 20वीं सदी से सिख धार्मिक नेताओं द्वारा दिवाली को बन्दी छोड़ दिवस कहा जाने लगा। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा इसे मान लिया गया। इस नाम का सम्बद्ध गुरु हरगोबिन्द की रिहाई से है जिन्हें जहाँगीर द्वारा स्वतंत्र किया गया था। बन्दी छोड़ दिवस को दिवाली के समान ही मनाया जाता है, जिसमें घरों और गुरुद्वारों को रोशन किया जाता है, उपहार देना और परिवार के साथ समय बिताना होता है। .

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बपतिस्मा

ईसाईयत में, बपतिस्मा (ग्रीक शब्द βαπτίζω baptizo से: "डुबोना", "प्रक्षालन करना", अर्थात् "धार्मिक स्नान") जल के प्रयोग के साथ किया जाने वाला एक धार्मिक कृत्य है, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को चर्च की सदस्यता प्रदान की जाती है। स्वयं ईसा मसीह का बपतिस्मा किया गया था। प्रारंभिक ईसाईयों में उम्मीदवार (अथवा "बपतिस्माधारी (Baptizand)") को पूरी तरह या आंशिक रूप से डुबोना बपतिस्मा का सामान्य रूप था। हालांकि बपतिस्मा-दाता जॉन (John the Baptist) द्वारा अपने बपतिस्मा के लिये एक गहरी नदी का प्रयोग निमज्जन का सुझाव दिया गया है, लेकिन ईसाई बपतिस्मा के संबंध में तीसरी शताब्दी और उसके बाद के चित्रात्मक तथा पुरातात्विक प्रमाण यह सूचित करते हैं कि सामान्य रूप से उम्मीदवार को पानी में खड़ा रखा जाता था और उसके शरीर के ऊपरी भाग पर जल छिड़का जाता था। बपतिस्मा के अब प्रयोग किये जाने वाले अन्य सामान्य रूपों में माथे पर तीन बार जल छिड़कना शामिल है। सोलहवीं सदी में हल्द्रिच ज़्विंगली (Huldrych Zwingli) द्वारा इसकी आवश्यकता को नकारे जाने तक बपतिस्मा को मोक्ष-प्राप्ति के लिये कुछ हद तक आवश्यक समझा जाता था। चर्च के प्रारंभिक इतिहास में शहादत को "खून से बपतिस्मा" के रूप में पहचाना जाता था, ताकि जिन शहीदों का बपतिस्मा जल के द्वारा न किया गया हो, उन्हें बचाया जा सके.

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बब्बर खालसा

बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई, पंजाबी:ਬੱਬਰ ਖ਼ਾਲਸਾ अंग्रेज़ी:Babbar Khalsa International), जिसे बब्बर खालसा भी कहा जाता है, भारत में स्थित एक खालिस्तान आतंकवादी संगठन है। भारतीय और ब्रिटिश सरकार सिख स्वतंत्र राज्य का निर्माण के कारण बब्बर खालसा को एक आतंकवादी समूह मानता है, जबकि इसके समर्थकों को यह प्रतिरोध आंदोलन माना जाता है। और इसने पंजाब विद्रोह में एक प्रमुख भूमिका निभाई। बब्बर खालसा इंटरनेशनल 1978 में बनाया गया था। कई सिख निहारकर संप्रदाय के साथ संघर्ष में मारे जाने के बाद। यह 1980 के दशक के पंजाब विद्रोह में सक्रिय था। लेकिन 1990 के दशक में कई वरिष्ठ सदस्यों को पुलिस के साथ 'मुठभेड़ों' में मारे जाने के बाद इसका प्रभाव घट गया था। बब्बर खालसा इंटरनेशनल को कनाडा, जर्मनी, भारत और यूनाइटेड किंगडम सहित कई देशों में एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है। .

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बलदेव सिंह (रक्षामंत्री)

बलदेव सिंह (11 जुलाई, 1902 -- 29 जून, 1961) भारत के स्वतन्त्रता सेनानी एवं सिख नेता थे। वे भारत के प्रथम रक्षामन्त्री बने। सरदार बलदेव सिंह का जन्म 11 जुलाई, 1902 को जाट-सिख परिवार में हुआ था। बलदेव सिंह ने अपनी शिक्षा अम्बाला में पूरी करके अमृतसर में अपने पिताजी के साथ उनके काम में हाथ बंटाना शुरू किया। औद्यौगिक प्रतिष्ठान थे। 1930 में सरदार बलदेव सिंह ने राजनीति में प्रवेश किया। उनके पिता इंदर सिंह उस समय देश में स्टील किंग के तौर पर जाने जाते थे और उनका रुतबा अमीर पंजाबियों में शुमार था। उनके जमशेदपुर (अब झारखंड) और पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) में बलदेव सिंह भारत की राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे और लंदन सम्मेलन सहित अंग्रेजों के साथ सभी महत्वपूर्ण वार्ता में उन्होंने सिखों का प्रतिनिधित्व किया। वह जून 1942 से सितंबर 1946 तक आजादी से पहले संयुक्त पंजाब सरकार में विकास मंत्री थे। रक्षामंत्री के रूप में उन्होंने देश के विभाजन के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाई साथ ही अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं भारत और पाकिस्तान के बीच सशस्त्र बलों के विभाजन व कश्मीरी घुसपैठ को रोकने में भी भूमिका निभाई थी। उस समय सबसे बड़ा मुद्दा था बटवारे के बाद उजड़कर आए लोगों को बसाना। होशियारपुर शहर के जोधामल रोड के साथ साथ वर्तमान राम कालोनी कैंप में शरणार्थी शिविर बनाए गए थे। बलदेव सिंह बतौर लोकसभा सदस्य रहते लोकसभा में शरणार्थियों की समस्याएं जोर-शोर से उठाते थे। श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता सेनानी.

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बहुसंस्कृतिवाद

बहुसंस्कृतिवाद, बहु जातीय संस्कृति की स्वीकृति देना या बढ़ावा देना होता है, एक विशिष्ट स्थान के जनसांख्यिकीय बनावट पर यह लागू होती है, आमतौर पर यह स्कूलों, व्यापारों, पड़ोस, शहरों या राष्ट्रों जैसे संगठनात्मक स्तर पर होते हैं। इस संदर्भ में, बहुसंस्कृतिवादी, केन्द्र के रूप में कोई विशेष जातीय, धार्मिक समूह और/ या सांस्कृतिक समुदाय को बढ़ावा देने के बिना विशिष्ट जातीय और धार्मिक समूहों के लिए विस्तारित न्यायसम्मत मूल्य स्थिति की वकालत करते हैं। बहुसंस्कृतिवाद की नीति अक्सर आत्मसातकरण और सामाजिक एकीकरण अवधारणाओं के साथ विपरीत होती है। .

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बाबा गुरमुख सिंह

बाबा गुरमुख सिंह (1888 – 13 मार्च, 1977) एक ग़दर क्रांतिकारी और एक सिख नेता थे.

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बाल ठाकरे

बालासाहेब केशव ठाकरे (२३ जनवरी १९२६ - १७ नवम्बर २०१२) भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के प्रसिद्ध राजनेता थे जिन्होने शिव सेना के नाम से एक प्रखर हिन्दू राष्ट्रवादी दल का गठन किया था। उन्हें लोग प्यार से बालासाहेब भी कहते थे। वे मराठी में सामना नामक अखबार निकालते थे। इस अखबार में उन्होंने अपनी मृत्यु से कुछ दिन पूर्व अपने सम्पादकीय में लिखा था-"आजकल मेरी हालत चिन्ताजनक है किन्तु मेरे देश की हालत मुझसे अधिक चिन्ताजनक है; ऐसे में भला मैं चुप कैसे बैठ सकता हूँ?" उनके अनुयायी उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहते थे। ठाकरे ने अपने जीवन का सफर एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया था। पहले वे अंग्रेजी अखबारों के लिये कार्टून बनाते थे। बाद में उन्होंने सन १९६० में मार्मिक के नाम से अपना एक स्वतन्त्र साप्ताहिक अखबार निकाला और अपने पिता केशव सीताराम ठाकरे के राजनीतिक दर्शन को महाराष्ट्र में प्रचारित व प्रसारित किया। सन् १९६६ में उन्होंने शिव सेना की स्थापना की। मराठी भाषा में सामना के अतिरिक्त उन्होंने हिन्दी भाषा में दोपहर का सामना नामक अखबार भी निकाला। इस प्रकार महाराष्ट्र में हिन्दी व मराठी में दो-दो प्रमुख अखबारों के संस्थापक बाला साहब ही थे। खरी-खरी बात कहने और विवादास्पद बयानों के कारण वे मृत्यु पर्यन्त अखबार की सुर्खियों में बने रहे। १७ नवम्बर २०१२ को मुम्बई में अपने मातोश्री आवास पर दोपहर बाद ३ बजकर ३३ मिनट पर उन्होंने अन्तिम साँस ली। .

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बिहार की संस्कृति

बिहार की संस्कृति भोजपुरी, मैथिली, मगही, तिरहुत तथा अंग संस्कृतियों का मिश्रण है। नगरों तथा गाँवों की संस्कृति में अधिक फर्क नहीं है। नगरों में भी लोग पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते है तथा उनकी मान्यताएँ रुढिवादी है। बिहारी समाज पुरूष प्रधान है और लड़कियों को कड़े नियंत्रण में रखा जाता है। हिंदू और मुस्लिम यद्यपि आपसी सहिष्णुता का परिचय देते हैं लेकिन कई अवसरों पर यह तनाव का रूप ले लेता है। दोनों समुदायों में विवाह को छोड़कर सामाजिक एवं पारिवारिक मूल्य लगभग समान है। जैन एवं बौद्ध धर्म की जन्मस्थली होने के बावजूद यहाँ दोनों धर्मों के अनुयाईयों की संख्या कम है। पटना सहित अन्य शहरों में सिक्ख धर्मावलंबी अच्छी संख्या में हैं।.

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बैसाखी

बैसाखी नाम वैशाख से बना है। पंजाब और हरियाणा के किसान सर्दियों की फसल काट लेने के बाद नए साल की खुशियाँ मनाते हैं। इसीलिए बैसाखी पंजाब और आसपास के प्रदेशों का सबसे बड़ा त्योहार है। यह रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। इसी दिन, 13 अप्रैल 1699 को दसवें गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिख इस त्योहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। .

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बेलिंघम दंगे

आधुनिक काल में बेलिंघम का एक दृश्य बेलिंघम दंगे (Bellingham riots) संयुक्त राज्य अमेरिका के वॉशिन्गटन​ राज्य में बेलिंघम शहर के पास ४ सितम्बर १९०७ को हुए दंगों का नाम है। इसमें ४००-५०० श्वेतवर्णी आदिमयों की भीड़ ने भारतीय-मूल के घरों पर हमला बोल दिया। हमलावरों का ध्येय भारतीयों को स्थानीय लकड़ी मिलों में काम करने से रोकने का था। यह भारतीय अधिकतर सिख थे, हालांकि अमेरिकी अख़बारों में उन्हें 'हिन्दू' कहा गया था। उनपर हमला करने वालों में से बहुत से 'एशिऐटिक ऍक्सक्लूझ़न लीग​' के सदस्य थे, जिनका मक़सद एशियाई लोगों को अमेरिका में न बसने देना था।, Seattle Civil Rights and Labor History Project भीड़ ने भारतीयों को घरों से निकालकर सड़कों पर फेंका, उन्हें पीटा और उनकी मूल्यवान संपत्तियाँ छीन ली। पुलिस ने पीड़ितों की सहायता करने की बजाए भारतीयों को घेरकर ज़बरदस्ती नगरपालिका गृह में यह कहकर बंद कर दिया कि यह उनकी अपनी सुरक्षा के लिए है। ६ भारतीयों का अस्पताल में उपचार हुआ और ४१० को बेलिंघम जेल में बंद कर दिया गया। दलील फिर यही थी कि यह उनकी अपनी सुरक्षा के लिए है। हमला करने वालों में से किसी को भी नहीं पकड़ा गया। दंगे-पीड़ितों में से कुछ बेलिंघम छोड़कर वॉशिन्गटन​ राज्य के ही ऍवरेट​ (Everett) इलाक़े चले गए, लेकिन दो महीने बाद वहाँ भी उनके विरुद्ध हमले हुए। कैलिफ़ोर्निया राज्य में और कनाडा के वैनकूवर क्षेत्र में भी उस काल में ऐसे दंगे हुए। .

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बेअंत सिंह (मुख्यमंत्री)

सरदार बेअंत सिंह (19 फ़रवरी 1922 - 31 अगस्त 1995) कांग्रेस के नेता और पंजाब के 1992 से 1995 तक मुख्यमंत्री थे। खालिस्तानी अलगाववादिओं ने कार को बम से उड़ा कर उन की हत्या कर दी थी।भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शब्दों में पंजाब के मुख्‍यमंत्री के रूप में सरदार बेअंत सिंह ने राज्‍य में सामान्‍य स्थिति बहाली के लिए कङे संघर्ष किए। 18 दिसम्बर 2013 को डाक विभाग ने सरदार बेअंत सिंह जी के सम्‍मान में एक डाक टिकट जारी किया है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में महिलाएँ

ताज परिसर में भारतीय महिलाएँऐश्वर्या राय बच्चन की अक्सर उनकी सुंदरता के लिए मीडिया द्वारा प्रशंसा की जाती है।"विश्व की सर्वाधिक सुंदर महिला?"cbsnews.com. अभिगमन तिथि २७ अक्टूबर २००७01 भारत में महिलाओं की स्थिति ने पिछली कुछ सदियों में कई बड़े बदलावों का सामना किया है। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारकों द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिए जाने तक, भारत में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता आदि जैसे शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं। .

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भारत में आतंकवाद

भारत बहुत समय से आतंकवाद का शिकार हो रहा है। भारत के काश्मीर, नागालैंड, पंजाब, असम, बिहार आदि विशेषरूप से आतंक से प्रभावित रहे हैं। यहाँ कई प्रकार के आतंकवादी जैसे पाकिस्तानी, इस्लामी, माओवादी, नक्सली, सिख, ईसाई आदि हैं। जो क्षेत्र आज आतंकवादी गतिविधियों से लम्बे समय से जुड़े हुए हैं उनमें जम्मू-कश्मीर, मुंबई, मध्य भारत (नक्सलवाद) और सात बहन राज्य (उत्तर पूर्व के सात राज्य) (स्वतंत्रता और स्वायत्तता के मामले में) शामिल हैं। अतीत में पंजाब में पनपे उग्रवाद में आंतकवादी गतिविधियां शामिल हो गयीं जो भारत देश के पंजाब राज्य और देश की राजधानी दिल्ली तक फैली हुई थीं। 2006 में देश के 608 जिलों में से कम से कम 232 जिले विभिन्न तीव्रता स्तर के विभिन्न विद्रोही और आतंकवादी गतिविधियों से पीड़ित थे। अगस्त 2008 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के.

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भारत का प्रधानमन्त्री

भारत गणराज्य के प्रधानमन्त्री (सामान्य वर्तनी:प्रधानमंत्री) का पद भारतीय संघ के शासन प्रमुख का पद है। भारतीय संविधान के अनुसार, प्रधानमन्त्री केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद् का प्रमुख और राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का प्रमुख होता है और सरकार के कार्यों के प्रति संसद को जवाबदेह होता है। भारत की संसदीय राजनैतिक प्रणाली में राष्ट्रप्रमुख और शासनप्रमुख के पद को पूर्णतः विभक्त रखा गया है। सैद्धांतिकरूप में संविधान भारत के राष्ट्रपति को देश का राष्ट्रप्रमुख घोषित करता है और सैद्धांतिकरूप में, शासनतंत्र की सारी शक्तियों को राष्ट्रपति पर निहित करता है। तथा संविधान यह भी निर्दिष्ट करता है कि राष्ट्रपति इन अधिकारों का प्रयोग अपने अधीनस्थ अधकारियों की सलाह पर करेगा। संविधान द्वारा राष्ट्रपति के सारे कार्यकारी अधिकारों को प्रयोग करने की शक्ति, लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित, प्रधानमन्त्री को दी गयी है। संविधान अपने भाग ५ के विभिन्न अनुच्छेदों में प्रधानमन्त्रीपद के संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद ७४ में स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानमन्त्री की उपस्थिति को आवश्यक माना गया है। उसकी मृत्यु या पदत्याग की दशा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है। वह स्वेच्छा से ही मंत्रीपरिषद का गठन करता है। राष्ट्रपति मंत्रिगण की नियुक्ति उसकी सलाह से ही करते हैं। मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है। कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है। देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है तथा सभी नीतिगत निर्णय भी वही लेता है। राष्ट्रपति तथा मंत्रीपरिषद के मध्य संपर्कसूत्र भी वही हैं। मंत्रिपरिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है। वह सत्तापक्ष के नाम से लड़ी जाने वाली संसदीय बहसों का नेतृत्व करता है। संसद मे मंत्रिपरिषद के पक्ष मे लड़ी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है। मन्त्रीगण के मध्य समन्वय भी वही करता है। वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना आवश्यकतानुसार मंगवा सकता है। प्रधानमन्त्री, लोकसभा में बहुमत-धारी दल का नेता होता है, और उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने पर होती है। इस पद पर किसी प्रकार की समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है परंतु एक व्यक्ति इस पद पर केवल तब तक रह सकता है जबतक लोकसभा में बहुमत उसके पक्ष में हो। संविधान, विशेष रूप से, प्रधानमन्त्री को केंद्रीय मंत्रिमण्डल पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है। इस पद के पदाधिकारी को सरकारी तंत्र पर दी गयी अत्यधिक नियंत्रणात्मक शक्ति, प्रधानमन्त्री को भारतीय गणराज्य का सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति बनाती है। विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या, सबसे बड़े लोकतंत्र और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य बलों समेत एक परमाणु-शस्त्र राज्य के नेता होने के कारण भारतीय प्रधानमन्त्री को विश्व के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्तियों में गिना जाता है। वर्ष २०१० में फ़ोर्ब्स पत्रिका ने अपनी, विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगों की, सूची में तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह को १८वीं स्थान पर रखा था तथा २०१२ और २०१३ में उन्हें क्रमशः १९वें और २८वें स्थान पर रखा था। उनके उत्तराधिकारी, नरेंद्र मोदी को वर्ष २०१४ में १५वें स्थान पर तथा वर्ष २०१५ में विश्व का ९वाँ सबसे शक्तिशाली व्यक्ति नामित किया था। इस पद की स्थापना, वर्त्तमान कर्तव्यों और शक्तियों के साथ, २६ जनवरी १९४७ में, संविधान के परवर्तन के साथ हुई थी। उस समय से वर्त्तमान समय तक, इस पद पर कुल १५ पदाधिकारियों ने अपनी सेवा दी है। इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले पदाधिकारी जवाहरलाल नेहरू थे जबकि भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्हें 26 मई 2014 को इस पद पर नियुक्त किया गया था। .

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भारत का विभाजन

माउण्टबैटन योजना * पाकिस्तान का विभाजन * कश्मीर समस्या .

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भारत का इतिहास

भारत का इतिहास कई हजार साल पुराना माना जाता है। मेहरगढ़ पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ नवपाषाण युग (७००० ईसा-पूर्व से २५०० ईसा-पूर्व) के बहुत से अवशेष मिले हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता, जिसका आरंभ काल लगभग ३३०० ईसापूर्व से माना जाता है, प्राचीन मिस्र और सुमेर सभ्यता के साथ विश्व की प्राचीनतम सभ्यता में से एक हैं। इस सभ्यता की लिपि अब तक सफलता पूर्वक पढ़ी नहीं जा सकी है। सिंधु घाटी सभ्यता वर्तमान पाकिस्तान और उससे सटे भारतीय प्रदेशों में फैली थी। पुरातत्त्व प्रमाणों के आधार पर १९०० ईसापूर्व के आसपास इस सभ्यता का अक्स्मात पतन हो गया। १९वी शताब्दी के पाश्चात्य विद्वानों के प्रचलित दृष्टिकोणों के अनुसार आर्यों का एक वर्ग भारतीय उप महाद्वीप की सीमाओं पर २००० ईसा पूर्व के आसपास पहुंचा और पहले पंजाब में बस गया और यहीं ऋग्वेद की ऋचाओं की रचना की गई। आर्यों द्वारा उत्तर तथा मध्य भारत में एक विकसित सभ्यता का निर्माण किया गया, जिसे वैदिक सभ्यता भी कहते हैं। प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारंभिक सभ्यता है जिसका संबंध आर्यों के आगमन से है। इसका नामकरण आर्यों के प्रारम्भिक साहित्य वेदों के नाम पर किया गया है। आर्यों की भाषा संस्कृत थी और धर्म "वैदिक धर्म" या "सनातन धर्म" के नाम से प्रसिद्ध था, बाद में विदेशी आक्रांताओं द्वारा इस धर्म का नाम हिन्दू पड़ा। वैदिक सभ्यता सरस्वती नदी के तटीय क्षेत्र जिसमें आधुनिक भारत के पंजाब (भारत) और हरियाणा राज्य आते हैं, में विकसित हुई। आम तौर पर अधिकतर विद्वान वैदिक सभ्यता का काल २००० ईसा पूर्व से ६०० ईसा पूर्व के बीच में मानते है, परन्तु नए पुरातत्त्व उत्खननों से मिले अवशेषों में वैदिक सभ्यता से संबंधित कई अवशेष मिले है जिससे कुछ आधुनिक विद्वान यह मानने लगे हैं कि वैदिक सभ्यता भारत में ही शुरु हुई थी, आर्य भारतीय मूल के ही थे और ऋग्वेद का रचना काल ३००० ईसा पूर्व रहा होगा, क्योंकि आर्यो के भारत में आने का न तो कोई पुरातत्त्व उत्खननों पर अधारित प्रमाण मिला है और न ही डी एन ए अनुसन्धानों से कोई प्रमाण मिला है। हाल ही में भारतीय पुरातत्व परिषद् द्वारा की गयी सरस्वती नदी की खोज से वैदिक सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता और आर्यों के बारे में एक नया दृष्टिकोण सामने आया है। हड़प्पा सभ्यता को सिन्धु-सरस्वती सभ्यता नाम दिया है, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता की २६०० बस्तियों में से वर्तमान पाकिस्तान में सिन्धु तट पर मात्र २६५ बस्तियां थीं, जबकि शेष अधिकांश बस्तियां सरस्वती नदी के तट पर मिलती हैं, सरस्वती एक विशाल नदी थी। पहाड़ों को तोड़ती हुई निकलती थी और मैदानों से होती हुई समुद्र में जाकर विलीन हो जाती थी। इसका वर्णन ऋग्वेद में बार-बार आता है, यह आज से ४००० साल पूर्व भूगर्भी बदलाव की वजह से सूख गयी थी। ईसा पूर्व ७ वीं और शुरूआती ६ वीं शताब्दि सदी में जैन और बौद्ध धर्म सम्प्रदाय लोकप्रिय हुए। अशोक (ईसापूर्व २६५-२४१) इस काल का एक महत्वपूर्ण राजा था जिसका साम्राज्य अफगानिस्तान से मणिपुर तक और तक्षशिला से कर्नाटक तक फैल गया था। पर वो सम्पूर्ण दक्षिण तक नहीं जा सका। दक्षिण में चोल सबसे शक्तिशाली निकले। संगम साहित्य की शुरुआत भी दक्षिण में इसी समय हुई। भगवान गौतम बुद्ध के जीवनकाल में, ईसा पूर्व ७ वीं और शुरूआती ६ वीं शताब्दि के दौरान सोलह बड़ी शक्तियां (महाजनपद) विद्यमान थे। अति महत्‍वपूर्ण गणराज्‍यों में कपिलवस्‍तु के शाक्‍य और वैशाली के लिच्‍छवी गणराज्‍य थे। गणराज्‍यों के अलावा राजतंत्रीय राज्‍य भी थे, जिनमें से कौशाम्‍बी (वत्‍स), मगध, कोशल, कुरु, पान्चाल, चेदि और अवन्ति महत्‍वपूर्ण थे। इन राज्‍यों का शासन ऐसे शक्तिशाली व्‍यक्तियों के पास था, जिन्‍होंने राज्‍य विस्‍तार और पड़ोसी राज्‍यों को अपने में मिलाने की नीति अपना रखी थी। तथापि गणराज्‍यात्‍मक राज्‍यों के तब भी स्‍पष्‍ट संकेत थे जब राजाओं के अधीन राज्‍यों का विस्‍तार हो रहा था। इसके बाद भारत छोटे-छोटे साम्राज्यों में बंट गया। आठवीं सदी में सिन्ध पर अरबी अधिकार हो गाय। यह इस्लाम का प्रवेश माना जाता है। बारहवीं सदी के अन्त तक दिल्ली की गद्दी पर तुर्क दासों का शासन आ गया जिन्होंने अगले कई सालों तक राज किया। दक्षिण में हिन्दू विजयनगर और गोलकुंडा के राज्य थे। १५५६ में विजय नगर का पतन हो गया। सन् १५२६ में मध्य एशिया से निर्वासित राजकुमार बाबर ने काबुल में पनाह ली और भारत पर आक्रमण किया। उसने मुग़ल वंश की स्थापना की जो अगले ३०० सालों तक चला। इसी समय दक्षिण-पूर्वी तट से पुर्तगाल का समुद्री व्यापार शुरु हो गया था। बाबर का पोता अकबर धार्मिक सहिष्णुता के लिए विख्यात हुआ। उसने हिन्दुओं पर से जज़िया कर हटा लिया। १६५९ में औरंग़ज़ेब ने इसे फ़िर से लागू कर दिया। औरंग़ज़ेब ने कश्मीर में तथा अन्य स्थानों पर हिन्दुओं को बलात मुसलमान बनवाया। उसी समय केन्द्रीय और दक्षिण भारत में शिवाजी के नेतृत्व में मराठे शक्तिशाली हो रहे थे। औरंगज़ेब ने दक्षिण की ओर ध्यान लगाया तो उत्तर में सिखों का उदय हो गया। औरंग़ज़ेब के मरते ही (१७०७) मुगल साम्राज्य बिखर गया। अंग्रेज़ों ने डचों, पुर्तगालियों तथा फ्रांसिसियों को भगाकर भारत पर व्यापार का अधिकार सुनिश्चित किया और १८५७ के एक विद्रोह को कुचलने के बाद सत्ता पर काबिज़ हो गए। भारत को आज़ादी १९४७ में मिली जिसमें महात्मा गाँधी के अहिंसा आधारित आंदोलन का योगदान महत्वपूर्ण था। १९४७ के बाद से भारत में गणतांत्रिक शासन लागू है। आज़ादी के समय ही भारत का विभाजन हुआ जिससे पाकिस्तान का जन्म हुआ और दोनों देशों में कश्मीर सहित अन्य मुद्दों पर तनाव बना हुआ है। .

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भारत के प्रधान मंत्रियों की सूची

भारत के प्रधानमंत्री भारत गणराज्य की सरकार के मुखिया हैं। भारत के प्रधानमंत्री, का पद, भारत के शासनप्रमुख (शासनाध्यक्ष) का पद है। संविधान के अनुसार, वह भारत सरकार के मुखिया, भारत के राष्ट्रपति, का मुख्य सलाहकार, मंत्रिपरिषद का मुखिया, तथा लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का नेतृत्व करता है। भारत की राजनैतिक प्रणाली में, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल में का वरिष्ठ सदस्य होता है। .

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भारत के राजनीतिक दलों की सूची

भारत में बहुदलीय प्रणाली बहु-दलीय पार्टी व्यवस्था है जिसमें छोटे क्षेत्रीय दल अधिक प्रबल हैं। राष्ट्रीय पार्टियां वे हैं जो चार या अधिक राज्यों में मान्यता प्राप्त हैं। उन्हें यह अधिकार भारत के चुनाव आयोग द्वारा दिया जाता है, जो विभिन्न राज्यों में समय समय पर चुनाव परिणामों की समीक्षा करता है। इस मान्यता की सहायता से राजनीतिक दल कुछ पहचानों पर अपनी स्थिति की अगली समीक्षा तक विशिष्ट स्वामित्व का दावा कर सकते हैं जैसे की पार्टी चिन्ह.

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भारत के लोग

भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बडी जनसंख्या वाला देश है। भारत की विभिन्नताओं से भरी जनता में भाषा, जाति और धर्म, सामाजिक और राजनीतिक संगठन के मुख्य शत्रु हैं। मुम्बई (पहले बॉम्बे), दिल्ली, कोलकाता (पहले कलकत्ता) और चेन्नई (पहले मद्रास), भारत के सबसे बङे महानगर हैं। भारत में ६४.८ प्रतिशत साक्षरता है जिसमे से ७५.३ % पुरुष और ५३.७% स्त्रियाँ साक्षर है। लिंग अनुपात की दृष्टि से भारत में प्रत्येक १००० पुरुषों के पीछे मात्र ९३३ महिलायें है। कार्य भागीदारी दर (कुल जनसंख्या मे कार्य करने वालों का भाग) ३९.१% है। पुरुषों के लिये यह दर ५१.७% और स्त्रियों के लिये २५.६% है। भारत की १००० जनसंख्या में २२.३२ जन्मों के साथ बढती जनसंख्या के आधे लोग २२.६६ वर्ष से कम आयु के हैं। यद्यपि भारत की ८०.५ प्रतिशत जनसंख्या हिन्दू है, १३.४ प्रतिशत जनसंख्या के साथ भारत विश्व में मुसलमानों की संख्या में भी इंडोनेशिया और पाकिस्तान के बाद तीसरे स्थान पर है। अन्य धर्मावलम्बियों में ईसाई (२.३३ %), सिख (१.८४ %), बौद्ध (०.७६ %), जैन (०.४० %), अय्यावलि (०.१२ %), यहूदी, पारसी, अहमदी और बहाई आदि सम्मिलित हैं। भारत चार मुख्य भाषा सूत्रों, इनदो-यूरोपीयन, द्रविङियन्, सिनो-टिबेटन और औसटरो-एजियाटिक का भी स्रोत है। भारत का संविधान कुल २३ भाषाओं को मान्यता देता है। हिन्दी और अंग्रेजी केन्द्रीय सरकार द्वारा सरकारी कामकाज के लिये उपयोग की जाती है। संस्कृत, तमिल, कन्नड़ और तेलुगु जैसी अति प्राचीन भाषाऐं भारत में ही जन्मी हैं। कुल मिलाकर भारत में १६५२ से भी अधिक भाषाऐं एवं बोलियां बोली जातीं हैं।.

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भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन

* भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आह्वानों, उत्तेजनाओं एवं प्रयत्नों से प्रेरित, भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका एक समान उद्देश्य, अंग्रेजी शासन को भारतीय उपमहाद्वीप से जड़ से उखाड़ फेंकना था। इस आन्दोलन की शुरुआत १८५७ में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की बलि दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने १९३० कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी। .

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भारतीय इतिहास की समयरेखा

पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं भारत एक साझा इतिहास के भागीदार हैं इसलिए भारतीय इतिहास की इस समय रेखा में सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास की झलक है। .

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भाई दया सिंह

भाई दया सिंह (१६६१–१७०८) १७वीं सदी के भारत में ख़ालसा पंथ की शुरूआत करने वाले प्रथम पाँच सिखों पंज प्यारे में से एक थे। बचित्र नाटक में, गुरू गोविन्द सिंह ने दयाराम की बहादुरी की भगानी के युद्ध में प्रशंसा की है और महाभारत के द्रोणाचार्य से तुलना की है। उनके नाम का महत्व जीवों के प्रति दया भाव रखना भी है। .

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भाई धरम सिंह

भाई धरम सिंह अथवा भाई धर्म सिंह (१६६६–१७०८) १७वीं सदी के भारत में ख़ालसा पंथ की शुरूआत करने वाले प्रथम पाँच सिखों पंज प्यारे में से एक थे। उनके नाम का महत्व धर्म के प्रति आस्थावान होने से है। .

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भाई मतिदास

भाई मतिदास सिख इतिहास के सर्वश्रेष्ठ शहीदों में गिने जाते हैं। वह ब्राह्मण जाति के थे |भाई मतिदास तथा उनके छोटे भाई सती दास और भाई दयाल दास नवें गुरु तेगबहादुर के साथ शहीद हुए थे। उनको औरंगजेब के आदेश से दिल्ली के चांदनी चौक में 09 नवम्बर 1675 को आरे से चीर दिया गया था। उन्हें मृत्यु स्वीकार थी, परंतु धर्म परिवर्तन नहीं। भाई मतिदास गुरु तेगबहादुर के प्रधानमंत्री थे। ‘भाई’ का सम्मान स्वयं गुरु गोबिंद सिंह ने इस परिवार को दिया था। .

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भाई मोहकम सिंह

भाई हिम्मत सिंह (१६६३–१७०८; जन्म - मोहकम चन्द) १७वीं सदी के भारत में ख़ालसा पंथ की शुरूआत करने वाले प्रथम पाँच सिखों पंज प्यारे में से एक थे। वो अम्बाला के नीलगर तिरथ चन्द के पुत्र थे। उनके नाम का महत्व किसी वस्तु से मोह नहीं रखना है। .

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भाई साहिब सिंह

भाई साहिब सिंह १७वीं सदी के भारत में ख़ालसा पंथ की शुरूआत करने वाले प्रथम पाँच सिखों पंज प्यारे में से एक थे। उनके नाम का महत्व अन्य चार पंज प्यारों के नाम से निकलने वाले चारों अर्थ रखने वाले से है जिसमें दया, धर्म, रक्षा और निर्मोह भाव हों वो ही साहिब है। .

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भाई हिम्मत सिंह

भाई हिम्मत सिंह (१६६१–१७०८) १७वीं सदी के भारत में ख़ालसा पंथ की शुरूआत करने वाले प्रथम पाँच सिखों पंज प्यारे में से एक थे। उनका जन्म १६६१ में पटियाला के एक झिंझवाड़ा/मेहरा परिवार में हुआ। उनके नाम का महत्व असहाय लोगों की रक्षा करने का साहस रखना है। .

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भंडारा

भंडारा भारत के महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है। यह प्रदेश के भंडारा जिले का मुख्यालय भी है। श्रेणी:महाराष्ट्र के शहर.

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भूपिन्दर सिंह (पटियाला)

भूपिन्दर सिंह पंजाब के पटियाला के महाराजा थे | वे भारतीय क्रिकेट के खिलाड़ी थे | .

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भूपेन्द्र सिंह

भूपेन्द्र सिंह (अंग्रेजी: Bhupinder Singh (musician), जन्म: 8 अप्रैल 1939 पटियाला) हिन्दी फ़िल्मों के पार्श्वगायक एवं संगीतकार हैं। भारत में जन्मे भूपेन्द्र सिंह बहुत अच्छा गिटार भी बजाते हैं। उनकी पत्नी मिताली सिंह भी एक गायिका हैं। दोनों पति-पत्नी ने मिलकर संगीत के क्षेत्र में विशेष रूप से गज़ल-गायिकी में पर्याप्त ख्याति अर्जित की है। .

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मनप्रीत सिंह बादल

मनप्रीत सिंह बादल (जन्म 26 जुलाई 1962) एक भारतीय नेता और पंजाब पीपुल्स पार्टी के नेता है। वह 1995 से 2012 तक पंजाब विधान सभा के सदस्य रहे और उन्होंने 2007 से 2010 तक प्रकाश सिंह बादल की सरकार में वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया है। .

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ममित ज़िला

ममित ज़िला भारतीय राज्य मिज़ोरम के आठ ज़िलों में से एक ज़िला है, जिसकी सीमा भारत के त्रिपुरा व असम राज्यों तथा बांग्लादेश से लगती है। .

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महाराष्ट्र की संस्कृति

महाराष्ट्र भारत देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य हैं। स्कन्दपुराणके अनुसार यह क्षेत्र पंच द्रविडमे से एक हैं| विन्ध्याचल से उत्तर और दक्षिण को मुख्य क्षेत्र माननेवाले ब्राह्मणों की दश सम्प्रदाय में से एक समुह महाराष्ट्र हैं| वह संतों, शिक्षाविदों और क्रांतिकारियों की भूमि मानी जाती हैं, जिनमें महादेव गोविंद रानाडे, विनायक दामोदर सावरकर, सावित्रीबाई फुले, बाल गंगाधर तिलक, आदि प्रसिद्ध हैं। वारकरी धार्मिक आन्दोलन के मराठी संतों का लम्बा इतिहास हैं जिनमें ज्ञानेश्वर, नामदेव, चोखामेला, एकनाथ और तुकाराम जैसे संत शामिल हैं, जो महाराष्ट्र या मराठी संस्कृति की संस्कृति के आधार को एक बनाता हैं। महाराष्ट्र अपने पुरोगामी संस्कृति (सुधारवादी संस्कृति) के लिए भी जाना जाता हैं, जो शुरू पूर्व संतों द्वारा किया गया और महात्मा फुले, शाहू महाराज, डॉ० भीमराव अम्बेडकर ने आधुनिक समय में इसका नेतृत्व में किया। १७ वी सदी के मराठा साम्राज्य के राजा शिवाजी और उनकी हिंदवी स्वराज्य की अवधारणा (लोगों का स्व-शासन) के कारण महाराष्ट्र का पूरी दुनिया में बड़ा प्रभाव हैं। महाराष्ट्र राज्य में कई संस्कृतियों का फैलाव हैं, जिनमें वैदिक हिंदू, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई आदि से संबंधित संस्कृतियाँ शामिल हैं। भगवान गणेश और भगवान विट्ठल महाराष्ट्र के हिंदुओं द्वारा पूजित पारंपरिक देवता हैं। महाराष्ट्र विभिन्न क्षेत्रों में बाँटा गया हैं - मराठवाडा, विदर्भ, खानदेश, कोंकण, आदि तथा प्रत्येक क्षेत्र की लोक गीत, भोजन, जातीयता, मराठी भाषा के विभिन्न बोलियों के रूप में अपनी खुद की सांस्कृतिक पहचान हैं। .

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महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह (पंजाबी: ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ) (१७८०-१८३९) सिख साम्राज्य के राजा थे। वे शेर-ए पंजाब के नाम से प्रसिद्ध हैं। जाट सिक्ख महाराजा रणजीत एक ऐसी व्यक्ति थे, जिन्होंने न केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा, बल्कि अपने जीते-जी अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के पास भी नहीं भटकने दिया। रणजीत सिंह का जन्म सन 1780 में गुजरांवाला (अब पाकिस्तान) जाट सिक्ख महाराजा महां सिंह के घर हुआ था। उन दिनों पंजाब पर सिखों और अफगानों का राज चलता था जिन्होंने पूरे इलाके को कई मिसलों में बांट रखा था। रणजीत के पिता महा सिंह सुकरचकिया मिसल के कमांडर थे। पश्चिमी पंजाब में स्थित इस इलाके का मुख्यालय गुजरांवाला में था। छोटी सी उम्र में चेचक की वजह से महाराजा रणजीत सिंह की एक आंख की रोशनी जाती रही। महज 12 वर्ष के थे जब पिता चल बसे और राजपाट का सारा बोझ इन्हीं के कंधों पर आ गया। 12 अप्रैल 1801 को रणजीत ने महाराजा की उपाधि ग्रहण की। गुरु नानक के एक वंशज ने उनकी ताजपोशी संपन्न कराई। उन्होंने लाहौर को अपनी राजधानी बनाया और सन 1802 में अमृतसर की ओर रूख किया। महाराजा रणजीत ने अफगानों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं और उन्हें पश्चिमी पंजाब की ओर खदेड़ दिया। अब पेशावर समेत पश्तून क्षेत्र पर उन्हीं का अधिकार हो गया। यह पहला मौका था जब पश्तूनों पर किसी गैर मुस्लिम ने राज किया। उसके बाद उन्होंने पेशावर, जम्मू कश्मीर और आनंदपुर पर भी अधिकार कर लिया। पहली आधुनिक भारतीय सेना - "सिख खालसा सेना" गठित करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। उनकी सरपरस्ती में पंजाब अब बहुत शक्तिशाली सूबा था। इसी ताकतवर सेना ने लंबे अर्से तक ब्रिटेन को पंजाब हड़पने से रोके रखा। एक ऐसा मौका भी आया जब पंजाब ही एकमात्र ऐसा सूबा था, जिस पर अंग्रेजों का कब्जा नहीं था। ब्रिटिश इतिहासकार जे टी व्हीलर के मुताबिक, अगर वह एक पीढ़ी पुराने होते, तो पूरे हिंदूस्तान को ही फतह कर लेते। महाराजा रणजीत खुद अनपढ़ थे, लेकिन उन्होंने अपने राज्य में शिक्षा और कला को बहुत प्रोत्साहन दिया। उन्होंने पंजाब में कानून एवं व्यवस्था कायम की और कभी भी किसी को मृत्युदण्ड नहीं दी। उनका सूबा धर्मनिरपेक्ष था उन्होंने हिंदुओं और सिखों से वसूले जाने वाले जजिया पर भी रोक लगाई। कभी भी किसी को सिख धर्म अपनाने के लिए विवश नहीं किया। उन्होंने अमृतसर के हरिमन्दिर साहिब गुरूद्वारे में संगमरमर लगवाया और सोना मढ़वाया, तभी से उसे स्वर्ण मंदिर कहा जाने लगा। बेशकीमती हीरा कोहिनूर महाराजा रणजीत सिंह के खजाने की रौनक था। सन 1839 में महाराजा रणजीत का निधन हो गया। उनकी समाधि लाहौर में बनवाई गई, जो आज भी वहां कायम है। उनकी मौत के साथ ही अंग्रेजों का पंजाब पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। अंग्रेज-सिख युद्ध के बाद 30 मार्च 1849 में पंजाब ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना लिया गया और कोहिनूर महारानी विक्टोरिया के हुजूर में पेश कर दिया गया। .

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महाअमेरिका

महाअमेरिका या अमेरिका उत्तर और दक्षिण अमेरिका संयुक रूप से कहा जाता है। महाअमेरिका में पृथ्वी के कुल भूभाग का २८.४ % (या कुल सतह का ८.३%) आता है और कुल जनसंख्या का १३.५% (या लगभग ९० करोड़)। अमेरिका को नई दुनिया के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि १५ वीं सदी में ही इन महाद्वीपों की खोज यूरोपियनों द्वारा की गई थी। हालांकि इससे पहले यह क्षेत्र वाइकिंग और इनूइट लोगों और स्थानिय लोगों को ज्ञात था। "अमेरिका" शब्द को हिन्दी और अन्य बहुत सी भाषाओं में अधिकांशतः संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो तकनीकी रूप से सही नहीं है क्योंकि अमेरिका शब्द यूरोप के लोगों द्वारा इस पूरी नई दुनिया के लिए प्रयुक्त किया गया था नाकि वर्तमान संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए। .

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माता साहिब कौर

माता साहिब कौर, सिखों के दशम गुरु गोविन्द सिह जी की पत्नी थीं।। उनका विवाह से पहले नाम 'जीतो' था। उनके सुन्दर रूप के कारण उनको सभी 'सुन्दरी' बुलाने लगे। उनके विवाह के बाद दोनों नामों से सभी बुलाते रहे। खालसा साजना पर गुरु जी ने सह परिवार अमृतपान किया (मतलब गुरु दीक्षा ली) तो माता जीतो / सुँदरी जी का नाम साहेब कौर रखा गया। श्रेणी:सिख धर्म.

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मास्टर तारा सिंह

मास्टर तारा सिंह (जन्म 24 जून 1885, रावलपिंडी, पंजाब में - मौत 22 नवंबर 1967, चंडीगढ़ में) शुरूआती तथा मध्य 20वीं सदी के एक प्रमुख सिक्ख राजनीतिक और धार्मिक नेता थे। उन्होंने अंग्रेज़ सरकार के दौरान सिक्ख धर्म को बृहत् हिन्दू धर्म से पृथक् करने में योग दिया। सरकार को प्रसन्न करने के लिए सेना में अधिकाधिक सिक्खों को भर्ती होने के लिए प्रेरित किया। उनके कारण ही सिक्खों को भी मुसलमानों की भाँति इंडिया ऐक्ट 1919 में पृथक् सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद मास्टर ने सिक्ख राजनीति को कांग्रेस के साथ संबद्ध किया और सिक्ख गुरुद्वारों और धार्मिक स्थलों का प्रबंध हिंदू मठाधीशों और हिंदू पुजारियों के हाथ से छीनकर उनपर अधिकार कर लिया। इससे अकाली दल की शक्ति में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। मास्टर तारा सिंह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रथम महामंत्री चुने गए। ग्रंथियों की नियुक्ति उनके हाथ में आ गई। इनकी सहायता से अकालियों का आंतकपूर्ण प्रभाव संपूर्ण पंजाब में छा गया। मास्टर तारा सिंह बाद में कई बार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष चुने गए। .

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मित्तर प्यारे नूँ

मित्तर प्यारे नूँ (हिंदी अनुवाद: मित्र प्यारे को) एक अतिप्रसिद्ध पंजाबी शबद है जो सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा रचित है। माना जाता है कि इसकी रचना उन्होंने माछीवाड़ा के वनवास के समय की थी। .

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मिलखा सिंह

मिलखा सिंह का जन्म (लायलपुर ८ अक्टूबर १९३५) को हुआ था। वे एक सिख धावक थे जिन्होंने रोम के १९६० ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के १९६४ ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उनको "उड़न सिख" का उपनाम दिया गया था। वे भारत के बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक हैं। .

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मिल्वौकी, विस्कॉन्सिन

मिल्वौकी अमेरिकी राज्य विस्कॉन्सिन का सबसे बड़ा शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका का 26वां सबसे अधिक आबादी वाला शहर और अमेरिका का 39वां सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र है। यह मिल्वौकी काउंटी की काउंटी सीट है और यह मिशिगन झील के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित है। इसकी 2009 की अनुमानित जनसंख्या थी.

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मुम्बई

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .

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मुर्शिदाबाद

मुर्शिदाबाद भारत के पश्चिम बंगाल का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। .

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मुग़ल साम्राज्य

मुग़ल साम्राज्य (फ़ारसी:, मुग़ल सलतनत-ए-हिंद; तुर्की: बाबर इम्परातोरलुग़ु), एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया। 1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊँचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया - इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था। उस समय 40 लाख किमी² (15 लाख मील²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था। 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई। उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया। 1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला। इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था। मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं। .

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मुंबई की जनसांख्यिकी

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मौलाना आजाद राष्ट्रीय छात्रवृति योजना

मौलाना आजाद राष्ट्रीय छात्रवृति योजना शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गो विशेषत अल्पसंख्यकों में और सामान्यत कमजोर वर्गों के लाभ के लिए शैक्षिक योजनाओं को तैयार व कार्यान्वित करना है 'जिसके तहत उन मेधावी छात्राओं की पहचान करना बढावा तथा सहायता देना जो वित्तीय सहायता के बिना अपनी शिक्षा जारी नहीं रख सकती है' .

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मेनका गांधी

मेनका गांधी (२६ अगस्त १९५६ --) भारत की प्रसिद्ध राजनेत्री एवं पशु-अधिकारवादी हैं। पूर्व में वे पत्रकार भी रह चुकी हैं। किन्तु भारत की महिला प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी के छोटे पुत्र स्व॰ संजय गांधी की पत्नी के रूप में वे अधिक विख्यात हैं। उन्होने अनेकों पुस्तकों की रचना की है तथा उनके लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रायः आते रहते हैं। वे वर्तमान में भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं। .

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मेघालय

मेघालय पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसका अर्थ है बादलों का घर। २०१६ के अनुसार यहां की जनसंख्या ३२,११,४७४ है। मेघालय का विस्तार २२,४३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है, जिसका लम्बाई से चौडाई अनुपात लगभग ३:१ का है। IBEF, India (2013) राज्य का दक्षिणी छोर मयमनसिंह एवं सिलहट बांग्लादेशी विभागों से लगता है, पश्चिमी ओर रंगपुर बांग्लादेशी भाग तथा उत्तर एवं पूर्वी ओर भारतीय राज्य असम से घिरा हुआ है। राज्य की राजधानी शिलांग है। भारत में ब्रिटिश राज के समय तत्कालीन ब्रिटिश शाही अधिकारियों द्वारा इसे "पूर्व का स्काटलैण्ड" की संज्ञा दी थी।Arnold P. Kaminsky and Roger D. Long (2011), India Today: An Encyclopedia of Life in the Republic,, pp.

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मोहिन्दर सिंह पज्जी

स्क्वाड्रन लीडर मोहिन्दर सिंह पज्जी (अँग्रेजी: Mohinder Singh Pujji, 14 अगस्त 1918 – 18 सितंबर 2010), ब्रिटेन की प्रतिष्ठित रॉयल एयर फोर्स के लड़ाकू पायलट और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रितानी वायु सेना के पहले भारतीय सिख पायलटों में से एक थे। उनकी स्मृति में 8 फुट ऊँची कांस्य की प्रतिमा का अनावरण ग्रेट ब्रिटेन के सेंट स्थित संत एड्रिक गार्डेन में किया गया है। उन्होने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हाॅकर हरिकेन उड़ाया था। .

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यादव

यादव (अर्थ- महाराज यदु के वंशज)) प्राचीन भारत के वह लोग जो पौराणिक नरेश यदु के वंशज होने का दावा करते रहे हैं। यादव वंश प्रमुख रूप से आभीर (वर्तमान अहीर), अंधक, व्रष्णि तथा सत्वत नामक समुदायों से मिलकर बना था, जो कि भगवान कृष्ण के उपासक थे। यह लोग प्राचीन भारतीय साहित्य मे यदुवंश के प्रमुख अंगों के रूप मे वर्णित है।Thapar, Romila (1978, reprint 1996). Ancient Indian Social History: Some Interpretations, नई दिल्ली: Orient Longman, ISBN 978-81-250-0808-8, p.223 प्राचीन, मध्यकालीन व आधुनिक भारत की कई जातियाँ तथा राज वंश स्वयं को यदु का वंशज बताते है और यादव नाम से जाने जाते है। .

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योद्धा जातियाँ

योद्धा जातियाँ, 1857 की क्रांति के बाद, ब्रिटिश कालीन भारत के सैन्य अधिकारियों बनाई गयी उपाधि थी। उन्होने समस्त जतियों को "योद्धा" व "गैर-योद्धा" जतियों के रूप मे वर्गीकृत किया था। उनके अनुसार, सुगठित शरीर व बहादुर "योदधा वर्ण" लड़ाई के लिए अधिक उपयुक्त था, जबकि आराम पसंद जीवन शैली वाले "गैर-लड़ाकू वर्ण" के लोगों को ब्रिटिश सरकार लड़ाई हेतु अनुपयुक्त समझती थी। एक वैकल्पिक परिकल्पना यह भी है कि 1857 की क्रांति मे अधिकतर ब्रिटिश प्रशिक्षित भारतीय सैनिक ही थे जिसके फलस्वरूप सैनिक भर्ती प्रक्रिया उन लोगों की पक्षधर थी जो ब्रिटिश हुकूमत के बफादार रहे थे अतः बंगाल आर्मी में खाड़ी क्षेत्र से होने वाली भर्ती या तो कम कर दी गयी या रोक दी गयी थी। उक्त धारणा भारत के वैदिक हिन्दू समाज की चतुर्वर्णीय व्यवस्था मे "क्षत्रिय वर्ण" के रूप मे पहले से ही विद्यमान थी जिसका शाब्दिक अर्थ "योद्धा जाति" है। .

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रब्बी शेरगिल

रब्बी शेरगिल (जन्म का नाम गुरप्रीत सिंह शेरगिल, 1973) एक भारतीय संगीतकार हैं जो अपनी प्रथम एल्बम रब्बी और 2005 के सर्वश्रेष्ठ गीत "बुल्ला की जाना" के लिए जाने जाते हैं। उनके संगीत का वर्णन विभिन्न प्रकार के रॉक, बानी शैली की पंजाबी और सुमित भट्टाचार्य द्वारा, Rediff.com विशेष सूफियाना, तथा अर्ध-सूफी अर्ध-लोकगीत जैसा संगीत जिसमे पाश्चत्य साजों की अधिकता होस्वागता सेन द्वारा, द टेलीग्राफ, 21 नवम्बर 2004.

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रहरास साहिब

रहरास साहिब (अथवा रहिरास, रेहरास) सिखों द्वारा शाम के समय की जाने वाली प्रार्थना है। इस प्रार्थना को पाँच गुरुओं गुरु नानक देव जी, गुरु अमरदास जी, गुरु रामदास जी, गुरु अर्जन देव जी और गुरु गोविंद सिंह जी ने बनाया है। मूल प्रार्थना जिसे सिखों के पहले गुरु, नानक देव जी ने लिखा व बोला था में अन्य गुरुओं ने अपनी पंक्तियाँ जोडी। हर पंक्ति ईश्वर के विभिन्न विचारों व पहलुओं पर प्रकाश डालती है, व सर्वशक्तिमान की आराधना करती है। रहिरास दिन के अंत में गायी जाति है। इसका उद्देश्य दिन के कार्य खत्म करने के बाद गायक में एक नई उर्ज़ा भरने के लिए होती है। इसका उद्देश्य ईश्वर की प्रार्थना कर के शारीरिक कमजोरी, थकान, गरीबी, जमीन-जायदाद, निराशा, असफलता जैसे विचारों से छुटकारा पाकर स्वयँ में एक नई उर्जा का संचार करना होता है। कहते हैं कि इसमें बैयन्टी चौपाई गुरु गोविन्द सिंह जी द्वारा गायी हुई उनकी व्यक्तिगत प्रार्थना है जो प्रकृति के जल तत्व से संबंधित है। .

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राम सिंह

राम सिंह (3 फरवरी, 1816 - 29 नवम्बर, 1885) भारत के एक धार्मिक नेता, समाजसुधारक तथा स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पहले नेता थे जिन्होने असहयोग और ब्रितानी वस्तुओं तथा सेवाओं के बहिष्कार को अंग्रेजों के विरुद्ध एक राजनैतिक हथियार के रूप में प्रयोग किया। राम सिंह नामधारी (कूका) सिख थे। उन्होने १२ अप्रैल १८५७ को सफेद रंग का स्वतन्त्रता का ध्वज फहराकर अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का शंखनाद कर दिया था। राम सिंह का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के भैणी राईआं गाँव में हुआ था। श्रेणी:भारत के स्वतंत्रता सेनानी.

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राय बहादुर

राय बहादुर सर गंगाराम राय बहादुर या राव बहादुर या रॉय बहादुर भारत में ब्रिटिश शासन काल में प्रदान किया जाने वाला एक सम्मान था। राव का अर्थ हैं - राजा और बहादुर का अर्थ अधिक सम्माननीय। राय बहादुर की उपाधि हिन्दू और ईसाईयों को दी जाती थी। मुस्लिम को खान बहादुर और सिख को सरदार बहादुर की उपाधि दी जाती थी। .

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राष्ट्रीय सिख संगत

राष्ट्रीय सिख संगत एक सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था है जो गुरू ग्रन्थ साहब के सन्देशों को पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रसारित करने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है। संगत का मानना है कि गुरू ग्रन्थ साहब केवल सिखों का ही नहीं वरन सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप का पवित्र धर्मग्रन्थ है। राष्ट्रीय सिख संगत पूरी तरह सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच है, न कि पांथिक। इसका मुख्य उद्देश्य है सामाजिक समरसता पैदा करना और सिख परम्परा, सिख इतिहास को जन-जन तक पहुंचाना। उल्लेखनीय है कि सिखों का बड़ा तेजस्वी इतिहास रहा है। देश और धर्म के लिए मर मिटने की परम्परा इनकी रही है। बड़े तो बड़े, बच्चे भी देश-पंथ के लिए शहीद हुए हैं। गुरु गोविन्द सिंह जी के दो पुत्रों जोरावर सिंह (9) तथा फतेह सिंह (7) को मुगलों ने दीवार में चुनवा दिया था। अपने अन्य दो पुत्रों-अजीत सिंह और जुझार सिंह को गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने हाथों से युद्ध के लिए सजाया था और मुगलों की भारी-भरकम सेना के खिलाफ उन्हें मैदान में उतारा था। वे दोनों साहिबजादे भी बड़े वीर थे। युद्ध के मैदान में वीरता दिखाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। सच कहा जाए जो ऐसे ही वीरों और शहीदों के कारण मुगलों के अत्याचारों से उत्तर भारत में हिन्दुओं की रक्षा हो पाई। नहीं तो क्या होता, इसको अलकाधर खान योगी ने कहा है- सिखों के इसी इतिहास को घर-घर तक पहुंचाने का कार्य राष्ट्रीय सिख संगत पिछले 25 साल से कर रही है। इस निमित्त पूरे देश में संगोष्ठियां एवं अन्य कार्यक्रम होते रहते हैं। .

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राजपूत रेजिमेंट

राजपूत रेजीमेंट भारतीय सेना का एक सैन्य-दल है। यह प्राथमिक रूप से भारतीय राजपूत, गुर्जर, ब्राह्मण, बंगाली, मुस्लिम, जाट, अहीर, सिख और डोगरा जतियों से बनी है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय तक इसमे 50% राजपूत व 50% मुस्लिमों की भागीदारी थी। .

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राजिन्दर सिंह

राजिन्दर सिंह, पंजाब के पटियाला के महाराजा थे | .

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राव गोपाल सिंह खरवा

राव गोपालसिंह खरवा (1872–1939), राजपुताना की खरवा रियासत के शासक थे। अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के आरोप में उन्हें टोडगढ़ दुर्ग में ४ वर्ष का कारावास दिया गया था। .

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रवि बोपारा

रविंदर सिंह ("रवि") बोपारा (जन्म 4 मई 1985, फौरेस्ट गेट,न्यूहैम, लन्दन) एक अंग्रेजी क्रिकेटर हैं जो एस्सेक्स और इंग्लैंड के लिए खेलते हैं। वह मोंटी पनेसर के बाद, इंग्लैंड के लिए क्रिकेट खेलने वाले दूसरे सिख हैं। सर्वप्रथम उन्हें इंग्लैण्ड की एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय टीम में खेलने के लिए 2007 में बुलाया गया था, उसके बाद 2008 में श्रीलंका में एक जटिल टैस्ट मैच में एक साथ तीन बार शून्य पर आउट होने के बाद उन्हें टेस्ट मैच से बाहर कर दिया गया। टैस्ट मैच में उन्हें अपनी जगह 2008-09 की सर्दियों में वेस्ट इंडीज के खिलाफ खेले गए एक टैस्ट मैच में बनाई, हालांकि, इस मैच में उन्होंने तीसरे स्थान पर बल्लेबाजी कर शतक बनाया.

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रुड़की

रुड़की, भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर और नगरपालिका परिषद है। इसे रुड़की छावनी के नाम से भी जाना जाता है और यह देश की सबसे पुरानी छावनियों में से एक है और १८५३ से बंगाल अभियांत्रिकी समूह (बंगाल सैप्पर्स) का मुख्यालय है। यह नगर गंग नहर के तट पर राष्ट्रीय राजमार्ग ५८ पर देहरादून और दिल्ली के मध्य स्थित है। .

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लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

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लखनऊ समझौता

लखनऊ समझौता (لکھنؤ کا معاہده —) दिसंबर 1916 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा किया गया समझौता है, जो 29 दिसम्बर 1916 को लखनऊ अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस द्वारा और 31 दिसम्बर 1916 को अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा पारित किया गया। .

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लंगर (सिख धर्म)

लंगर का दृष्य लंगर (पंजाबी: ਲੰਗਰ) सिखों के गुरुद्वारों में प्रदान किए जाने वाले नि:शुल्क, शाकाहारी भोजन को कहते हैं। लंगर, सभी लोगों के लिये खुला होता है चाहे वे सिख हो या नहीं। लंगर शब्द सिख धर्म में दो दृष्टिकोणों से इस्तेमाल होता है। सिखों के धर्म ग्रंथ में "लंगर" शब्द को निराकारी दृष्टिकोण से लिया गया है, पर आम तौर पर "रसोई" को लंगर कहा जाता है जहाँ कोई भी आदमी किसी भी जाति का, किसी भी धर्म का, किसी भी पद का हो इकट्ठे बैठ कर अपने शरीर की भूख अथवा पानी की प्यास मिटा सकता है। इसी शब्द को निराकारी दृष्टिकोण में लिया जाता है, जिसके अनुसार कोई भी जीव आत्मा या मनुष्य अपनी आत्मा की ज्ञान की भूख, अपनी आत्मा को समझने और हुकम को बूझने की भूख गुरु घर में आकर किसी गुरमुख से गुरमत की विचारधारा को सुनकर/समझकर मिटा सकता है। सिखों के धर्म ग्रंथ में लंगर शब्द श्री सत्ता डूम जी और श्री बलवंड राइ जी ने अपनी वाणी में इस्तेमाल किया है। सिख धर्म की एक प्रमुख सिखावन है- "वंड छको" (हिंदी अनुवाद- मिल बांट कर खाओ)। लंगर की प्रथा इसी का व्यवहारिक स्वरूप है। .

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लुंगलेई

लुंगलेई भारतीय राज्य मिज़ोरम के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित एक कस्बा है, जो कि लुंगलेई ज़िले का मुख्यालय है। यह राजधानी अइज़ोल के बाद मिज़ोरम का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला कस्बा है, जो कि अइज़ोल से १६५ किमी दक्षिण में है। .

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लुंगलेई ज़िला

लुंगलेई ज़िला भारतीय राज्य मिज़ोरम के आठ ज़िलों में से एक है। भारत की जनगणना २०११ के अनुसार यह मिज़ोरम का अइज़ोल ज़िले के बाद दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला ज़िला है। .

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लॉङ्गतलाई

लॉङ्गतलाई भारतीय राज्य मिज़ोरम के लॉङ्गतलाई ज़िले का मुख्यालय है। यह लाई स्वायत्त ज़िला परिषद का भी मुख्यालय है। .

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लॉङ्गतलाई ज़िला

लॉङ्गतलाई ज़िला भारतीय राज्य मिज़ोरम के आठ ज़िलों में से एक है। ज़िला उत्तर में लुंगलेई ज़िले, पश्चिम में बांग्लादेश, दक्षिण में म्यांमार तथा पूर्व में सइहा ज़िले से घिरा है। ज़िले का क्षेत्रफल २५५७.१० वर्ग किमी है तथा लॉङ्गतलाई कस्बा ज़िले का मुख्यालय है। .

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शामली

शामली उत्तर प्रदेश का एक शहर है और यह नए बनाए गए जिले का मुख्यालय है। यह जाट, गुर्जर संस्कृति का केन्द्र हैं। शामली को सितम्बर २०११ में जिले का दर्जा मिला। यह दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग पर स्थित हैं। यह दिल्ली से ९८ कि.

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शाहमुखी लिपि

शाहमुखी लिपि (गुरुमुखी: ਸ਼ਾਹਮੁਖੀ; शाहमुखी में: شاہ مکھی) एक फारसी-अरबी लिपि है जो पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मुसलमानों द्वारा पंजाबी भाषा लिखने के लिये उपयोग में लायी जाती है। भारतीय पंजाब के हिन्दू और सिख पंजाबी लिखने के लिये गुरुमुखी लिपि का उपयोग करते हैं। शाहमुखी, दायें से बायें लिखी जाती है और नस्तालिक शैली में लिखी जाती है। भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य की पोतोहारी बोली लिखने के लिये भी शाहमुखी का उपयोग किया जाता है। .

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सतनाम सिंह भमरा

सिंह २०१३ में भारतीय राष्ट्रीय टीम के साथ। सतनाम सिंह भमरा भारतीय मूल के पेशेवर बासकटबाल खिलाडी हैं जिनका अम्रीका की "राष्ट्रीय बासकटबाल असोसिएशन"(NBA) में 25 जून 2015 को चयन हुआ है। वह इस प्रतिष्ठ टीम में चुने जाने वाले पहले भारती खिलाडी हैं। उनका जन्म 10 दिसंबर 1995 को भारत के पंजाब राज्य के जिला बरनाला के बल्लो के गाँव में हुआ। श्री भमरा की उचाई 7 फुट 2 इंच है। उन्होंने 2010 में वो अम्रीका चले गए थे। 2014-15 में आई.एम्.जी.

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सत्गुरु

सत्गुरु या सद्गुरु का अर्थ है सच्चा गुरु.

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सन्त सिपाही

सिख दर्शन में सन्त सिपाही उस व्यक्ति के लिये प्रयुक्त होता है जो मूलतः सन्त हो और धर्म एवं न्याय की रक्षा के लिये 'सिपाही' (सैनिक) भी बन जाये। गुरू गोबिन्द सिंह एवं बन्दा सिंह बहादुर को सन्त सिपाही कहा जाता है।.

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सन्त अतर सिंह

संत अतरसिंह (मार्च, 1867 - 21 जनवरी 1927) एक सिख सन्त एवं शिक्षाविद थे। .

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समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता अथवा समान आचार संहिता का अर्थ एक धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून होता है जो सभी धर्म के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में, अलग-अलग धर्मों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही 'समान नागरिक संहिता' का मूल भावना है। समान नागरिक कानून से अभिप्राय कानूनों के वैसे समूह से है जो देश के समस्त नागरिकों (चाहे वह किसी धर्म या क्षेत्र से संबंधित हों) पर लागू होता है। यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है। विश्व के अधिकतर आधुनिक देशों में ऐसे कानून लागू हैं। समान नागरिकता कानून के अंतर्गत.

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सरदार

सरदार भारतीय-ईरानी क्षेत्र में कई अलग संदर्भों में मुखिया को कहते हैं। भारतीय परिदृश्य में आजकल सिख अपने नाम के आगे सरदार शब्द का इस्तेमाल करते हैं, हालाँकि मध्यकालीन मराठा सेना के प्रमुख और शेरपा पर्वतारोही दल के मुखिया कुछ ऐसे उदाहरण हैं जहाँ इनका इस्तेमाल उल्लेखनीय है। स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री वल्लभ भाई पटेल के नाम में भी सरदार प्रयुक्त है - हालाँकि न तो वे सिक्ख थे और न ही पंजाब से। श्रेणी:भारतीय उपनाम.

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सरदार चुटकुले

सरदार चुटकुले अथवा सरदारजी चुटकुले सिखों (सरदारों) पर आधारित जातीय व्यंग्य होते हैं जिनमें अक्सर सरदारों को अल्पबुद्धि, अंग्रेज़ी न जानने वाले या शब्दों के ग़लत मतलब समझने वाले बताया जाता है। भारत और पाकिस्तान में ये चुटकुले बहुत लोकप्रिय हैं। .

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सरदार हरि सिंह नलवा

सरदार हरि सिंह (1791 - 1837), सिक्ख महाराजा रणजीत सिंह के सेनाध्यक्ष थे जिन्होने पठानों से साथ कई युद्धों का नेतृत्व किया। रणनीति और रणकौशल की दृष्टि से हरि सिंह नलवा की तुलना भारत के श्रेष्ठ सेनानायकों से की जा सकती है। हरि सिंह नलवा ने कश्मीर पर विजय प्राप्त कर अपना लोहा मनवाया। यही नहीं, काबुल पर भी सेना चढ़ाकर जीत दर्ज की। खैबर दर्रे से होने वाले अफगान आक्रमणों से देश को मुक्त किया। इतिहास में पहली बार हुआ था कि पेशावरी पश्तून, पंजाबियों द्वारा शासित थे। महाराजा रणजीत सिंह के निर्देश के अनुसार हरि सिंह नलवा ने सिख साम्राज्य की भौगोलिक सीमाओं को पंजाब से लेकर काबुल बादशाहत के बीचोंबीच तक विस्तार किया था। महाराजा रणजीत सिंह के सिख शासन के दौरान 1807 ई. से लेकर 1837 ई. तक हरि सिंह नलवा लगातार अफगानों के खिलाफ लड़े। अफगानों के खिलाफ जटिल लड़ाई जीतकर नलवा ने कसूर, मुल्तान, कश्मीर और पेशावर में सिख शासन की व्यवस्था की थी। सर हेनरी ग्रिफिन ने हरि सिंह को "खालसाजी का चैंपियन" कहा है। ब्रिटिश शासकों ने हरि सिंह नलवा की तुलना नेपोलियन से भी की है। .

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सरदार हुकम सिंह

सरदार हुकम सिंह (अगस्त 30, 1895-मई 27, 1983) एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा 1962 से 1967 के बीच लोक सभा के स्पीकर थे। वे 1967 से 1972 के बीच राजस्थान के राज्यपाल भी रहे थे। .

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सरबत्त खालसा

सरबत खालसा १८वीं शताब्दी में अमृतसर में होने वाला एक द्विवार्षिक सिख समागम था। .

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सांप्रदायिक अधिनिर्णय

16 अगस्त 1932 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री रामसे मैकडोनाल्ड द्वारा भारत में उच्च वर्ग, निम्न वर्ग, मुस्लिम, बौद्ध, सिख, भारतीय ईसाई, एंग्लो-इंडियन, पारसी और अछूत (दलित) आदि के लिए अलग-अलग चुनावक्षेत्र के लिए ये अवार्ड दिया। गांधीजी ने इसका विरोध किया था। इस 'पुरस्कार' के परिचय के पीछे कारण यह था कि रामसे मैकडोनाल्ड ने खुद को 'भारतीयों का दोस्त' माना था और इस तरह वे भारत के मुद्दों को हल करना चाहते थे। तीन गोलमेज सम्मेलन (भारत) के द्वितीय की विफलता के बाद 'सांप्रदायिक पुरस्कार' की घोषणा की थी। गांधी द्वारा विरोध किया गया, जो येरवाड़ा जेल में था और इसके विरोध में उपवास किया। गांधी को डर था कि यह हिंदू समाज बिखर जाएगा। हालांकि, अल्पसंख्यक समुदायों में से कई ने सांप्रदायिक पुरस्कार का समर्थन किया था, खासकर दलितों के नेता डॉ.

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सिन्धी लोग

सिन्धी हिन्दुओं के एक समूह का फोटो सिन्ध के मूल निवासियों को सिन्धी (सिन्धी भाषा: سنڌي‎) कहते हैं। यह एक हिन्द-आर्य प्रजाति है। १९४७ में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद सिन्ध के अधिकांश हिन्दू और सिख वहाँ से भारत या अन्य देशों में जाकर बस गये। १९९८ की जनगणना के अनुसार सिन्ध में ६.५% हिन्दू हैं। सिन्धी संस्कृति पर सूफी सिद्धान्तों का गहरा प्रभाव है। सिन्ध के लोकप्रिय सांस्कृतिक पहचान वाले कुछ लोग ये हैं- राजा दाहिर, शाह अब्दुल लतीफ, लाल शाहबाज कलन्दर, झूलेलाल, सचल सरमस्त, और शंबूमल तुलसियानी। .

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सिमोन सिंह

फिल्म एवं टेलीविजन अभिनेत्री सिमोन सिंह, (जन्म 10 नवंबर, जमशेदपुर) के एक सिख पिता एवं बंगाली माता के परिवार में। सिमोन ने अपने कैरियर की शुरुआत टेलीविजन सीरियल स्वाभिमान, से सन 1995 में की। इसके बाद इन्होंने एक अन्य मशहूर सीरियल हिना, में मुख्य किरदार निभाया। इसके तुरंत बाद इन्होंने भारतीय सिनेमा की दुनिया में एक रिश्ता: द बॉन्ड ऑफ लव से 2001 में कदम रखा। सिमोन ने और कई फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएँ निभाई हैं और इनके अभिनय की तारीफ बोमन ईरानी सैफ अली खान एवं डिंपल कपाड़िया के साथ की गयी फिल्म बीईंग सायरस में खूब की गयी। .

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सियाल

सियाल (Sial) पंजाब, सिंध और कुछ हद तक बलोचिस्तान में बसने वाली एक जाति है। सियाल मुस्लिम, सिख और हिन्दू तीनों धार्मिक समुदायों में मिलते हैं। भिन्न सियाल परिवार स्वयं को जाट, राजपूत या खत्री श्रेणियों में डालते हैं।, B.S. Nijjar, Atlantic Publishers & Dist, 2007, ISBN 978-81-269-0908-7,...

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सिख

भारतीय सेना के सिख रेजिमेन्ट के सैनिक सिख धर्म के अनुयायियों को सिख कहते हैं। इसे कभी-कभी सिक्ख भी लिखा जाता है। इनके पहले गुरू गुरु नानक जी हैं। गुरु ग्रंथ साहिब सिखों का पवित्र ग्रन्थ है। इनके प्रार्थना स्थल को गुरुद्वारा कहते हैं। हिन्दू धर्म की रक्षा में तथा भारत की आजादी की लड़ाई में और भारत की आर्थिक प्रगति में सिखों का बहुत बड़ा योगदान है। .

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सिख धर्म

सिख धर्म (सिखमत और सिखी भी कहा जाता है; पंजाबी: ਸਿੱਖੀ) एक एकेश्वरवादी धर्म है। इस धर्म के अनुयायी को सिख कहा जाता है। सिखों का धार्मिक ग्रन्थ श्री आदि ग्रंथ या ज्ञान गुरु ग्रंथ साहिब है। आमतौर पर सिखों के 10 सतगुर माने जाते हैं, लेकिन सिखों के धार्मिक ग्रंथ में 6 गुरुओं सहित 30 भगतों की बानी है, जिन की सामान सिख्याओं को सिख मार्ग पर चलने के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता ह। सिखों के धार्मिक स्थान को गुरुद्वारा कहते हैं। 1469 ईस्वी में पंजाब में जन्मे नानक देव ने गुरमत को खोजा और गुरमत की सिख्याओं को देश देशांतर में खुद जा जा कर फैलाया था। सिख उन्हें अपना पहला गुरु मानते हैं। गुरमत का परचार बाकि 9 गुरुओं ने किया। 10वे गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ये परचार खालसा को सोंपा और ज्ञान गुरु ग्रंथ साहिब की सिख्याओं पर अम्ल करने का उपदेश दिया। संत कबीर, धना, साधना, रामानंद, परमानंद, नामदेव इतियादी, जिन की बानी आदि ग्रंथ में दर्ज है, उन भगतों को भी सिख सत्गुरुओं के सामान मानते हैं और उन कि सिख्याओं पर अमल करने कि कोशिश करते हैं। सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे एक-ओंकार कहते हैं। उनका मानना है कि ईश्वर अकाल और निरंकार है। .

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सिंह (पशु)

सिंह (पेन्थेरा लियो) पेन्थेरा वंश की चार बड़ी बिल्लियों में से एक है और फेलिडे परिवार का सदस्य है। यह बाघ के बाद दूसरी सबसे बड़ी सजीव बिल्ली है, जिसके कुछ नरों का वजन २५० किलोग्राम से अधिक होता है। जंगली सिंह वर्तमान में उप सहारा अफ्रीका और एशिया में पाए जाते हैं। इसकी तेजी से विलुप्त होती बची खुची जनसंख्या उत्तर पश्चिमी भारत में पाई जाती है, ये ऐतिहासिक समय में उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और पश्चिमी एशिया से गायब हो गए थे। प्लेइस्तोसेन के अंतिम समय तक, जो लगभग १०,००० वर्ष् पहले था, सिंह मानव के बाद सबसे अधिक व्यापक रूप से फैला हुआ बड़ा स्तनधारी, भूमि पर रहने वाला जानवर था। वे अफ्रीका के अधिकांश भाग में, पश्चिमी यूरोप से भारत तक अधिकांश यूरेशिया में और युकोन से पेरू तक अमेरिका में पाए जाते थे। सिंह जंगल में १०-१४ वर्ष तक रहते हैं, जबकि वे कैद मे २० वर्ष से भी अधिक जीवित रह सकते हैं। जंगल में, नर कभी-कभी ही दस वर्ष से अधिक जीवित रह पाते हैं, क्योंकि प्रतिद्वंद्वियों के साथ झगड़े में अक्सर उन्हें चोट पहुंचती है। वे आम तौर पर सवाना और चारागाह में रहते हैं, हालांकि वे झाड़ी या जंगल में भी रह सकते हैं। अन्य बिल्लियों की तुलना में सिंह आम तौर पर सामाजिक नहीं होते हैं। सिंहों के एक समूह जिसे अंग्रेजी मे प्राइड कहॉ जाता में सम्बन्धी मादाएं, बच्चे और छोटी संख्या में नर होते हैं। मादा सिंहों का समूह प्रारूपिक रूप से एक साथ शिकार करता है, जो अधिकांशतया बड़े अनग्युलेट पर शिकार करते हैं। सिंह शीर्ष का और कीस्टोन शिकारी है, हालांकि वे अवसर लगने पर मृतजीवी की तरह भी भोजन प्राप्त कर सकते हैं। सिंह आमतौर पर चयनात्मक रूप से मानव का शिकार नहीं करते हैं, फिर भी कुछ सिंहों को नर-भक्षी बनते हुए देखा गया है, जो मानव शिकार का भक्षण करना चाहते हैं। सिंह एक संवेदनशील प्रजाति है, इसकी अफ्रीकी रेंज में पिछले दो दशकों में इसकी आबादी में संभवतः ३० से ५० प्रतिशत की अपरिवर्तनीय गिरावट देखी गयी है। ^ डाटाबेस प्रवेश में एस बात का एक लंबा औचित्य सम्मिलित है कि यह प्रजाति संवेदनशील क्यों है। क्यों इस प्रजाति की दुर्दशा का एक भी सम्मिलित है सिंहों की संख्या नामित सरंक्षित क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों के बहार अस्थिर है। हालांकि इस गिरावट का कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है, आवास की क्षति और मानव के साथ संघर्ष इसके सबसे बड़े कारण हैं। सिंहों को रोमन युग से पिंजरे में रखा जाता रहा है, यह एक मुख्य प्रजाति रही है जिसे अठारहवीं शताब्दी के अंत से पूरी दुनिया में चिडिया घर में प्रदर्शन के लिए रखा जाता रहा है। खतरे में आ गयी एशियाई उप प्रजातियों के लिए पूरी दुनिया के चिड़ियाघर प्रजनन कार्यक्रमों में सहयोग कर रहे हैं। दृश्य रूप से, एक नर सिंह अति विशिष्ट होता है और सरलता से अपने अयाल (गले पर बाल) द्वारा पहचाना जा सकता है। सिंह, विशेष रूप से नर सिंह का चेहरा, मानव संस्कृति में सबसे व्यापक ज्ञात जंतु प्रतीकों में से एक है। उच्च पाषाण काल की अवधि से ही इसके वर्णन मिलते हैं, जिनमें लॉसकाक्स और चौवेत गुफाओं की व नक्काशियां और चित्रकारियां सम्मिलित हैं, सभी प्राचीन और मध्य युगीन संस्कृतियों में इनके प्रमाण मिलते हैं, जहां ये ऐतिहासिक रूप से पाए गए। राष्ट्रीय ध्वजों पर, समकालीन फिल्मों और साहित्य में चित्रकला में, मूर्तिकला में और साहित्य में इसका व्यापक वर्णन पाया जाता है। .

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सिक्खों की मिसलें

मिसलें (1716-1799) छोटे राजनीतिक सिख्ख क्षेत्र थे। मुगल बादशाह बहादुशाह (1707-1712) की 10 दिसम्बर 1710 को प्रसारित एक राजाज्ञा से बड़े पैमाने पर सिक्खों का उत्पीड़न आरंभ हुआ। फर्रुखसियर ने भी इस आदेश को दोहरा दिया। लाहौर के गवर्नर अब्दुस्समद खाँ और उसके पुत्र तथा उत्तराधिकारी जकरिया खाँ (1726-45) ने भी सिक्खों को पीड़ित करने के लिये अनेक उपाय किए। अतएव सिक्खों ने अपने को दो दलों में संगठित किया- (1) बुड्ढा दल और (2) तरुण दल। बुड्ढा दल का नेतृत्व कपूर सिंह और तरुणदल का नेतृत्व दीपसिंह के हाथों में था। ये दोनों दल जब तब अपने छिपने के स्थानों से निकलकर स्थानीय अधिकारियों को परेशान करते थे। इन्होंने अपनी बिखरी हुई शक्ति को संगठित किया। तरुण दल पाँच जत्थों में विभाजित किया गया जिनके निम्नलिखित नेता थे- (1) दीपसिंह शहीद (2) करमसिंह और धरमसिंह, अमृतसर (3) खानसिंह और विनोद सिंह, गोइंदवाल (4) दसौंधा सिंह, कोट बुड्ढा (5) बीरू सिंह और जीवनसिंह। जब अफगानिस्तान से अहमदशाह दुर्रानी के पंजाब पर आक्रमण हुए तो सिक्खों को अपने को दृढ़तर आधार पर संगठित करने का अच्छा अवसर मिल गया। उन्होंने सरहिंद (जनवरी 14, 1764) और लाहौर (अप्रैल 16,1765) पर अधिकार कर लिया। 1748 और 1765 के बीच बुड्ढा और तरुण दलों के पाँचों जत्थों ने द्रुत गति से अपना प्रसार किया और अनेक राज्यसंघ बने जो मिसलें कहलाई। निम्नलिखित 12 मिसलें मुख्य थीं: (1) भंगी- इसे छज्जासिंह ने स्थापित किया, बाद में भन्नासिंह और हरिसिंह ने भंगी मिसल का नेतृत्व किया। इसके केन्द्र अमृतसर, रावलपिंडी और मुलतान आदि स्थानों में थे। (2) अहलूवालिया- जस्सासिहं अहलूवालिया के नेतृत्व में स्थापित हुई। इसका प्रधान केंद्र कपूरथला था। (3) रामगढ़िया- इस समुदाय को नंदसिंह संघानिया ने स्थापित किया। बाद में इसका नेतृत्व जस्सासिंह रामगढ़िया ने किया इसके क्षेत्र बटाला, दीनानगर तथा जालंधर दोआब के कुछ गाँव थे। (4) नकई- लाहौर के दक्षिण-पश्चिम में नक्का के हरिसिंह द्वारा स्थापित। (5) कन्हैया- कान्ह कच्छ के जयसिंह के नेतृत्व में गठित इस मिसलश् के क्षेत्र गुरदासपुर, बटाला, दीनानगर थे। यह रामगढ़िया मिसल में मिला जुला था। (6) उल्लेवालिया- गुलाबसिंह और तारासिंह गैवा के नेतृत्व में यह मिसल थी। राहों तथा सतलुज के उत्तर-दक्षिण के इलाके इसके मुख्य क्षेत्र थे। (7) निशानवालिया- इसके मुखिया संगतसिंह और मोहरसिंह थे। इसके मुख्य क्षेत्र अंबाला तथा सतलुज के दक्षिण और दक्षिण पूर्व के इलाके थे। (8) फ़ैजुल्लापुरिया (सिंहपुरिया)- नवाब कपूर सिंह द्वारा स्थापित, जालंधर और अमृतसर जिले इसके क्षेत्र थे। (9) करोड़सिंहिया- 'पंज गाई' के करोड़ सिंह द्वारा स्थापित। बाद में बघेलसिंह इसके मुखिया हुए। कलसिया के निकट यमुना के पश्चिम और होशियारपुर जिले में इस मिसल के क्षेत्र थे। (10) शहीद- दीपसिंह इस मिसल के अगुआ थे। बाद में गुरुबख्शसिंह ने उत्तराधिकार ग्रहण किया। दमदमा साहब और तलवंडी साबो इस मिसल के मुख्य केन्द्र थे। (11) फूलकियाँ- पटियाला, नाभा और जींद के सरदारों के पूर्वज फूल के नाम पर स्थापित। ये सरदार इसके तीन गुटों के मुखिया थे। (12) सुक्करचक्किया- चढ़तसिंह ने अपने पूर्वजों के निवास ग्राम सुक्करचक के नाम पर स्थापित किया। महत्व में चढ़तसिंह का स्थान नवाब कपूरसिंह और जस्सासिंह अहलूवालिया के स्थानों के बाद आता था। उसका मुख्य क्षेत्र गुजराँवाला और आसपास के इलाके थे। चढ़तसिंह के पुत्र महासिंह ने अपने पिता का उत्तराधिकार संभाला और उसके बाद उसके पुत्र शेरेपंजाब रणजीतसिंह ने। मिसलों का संविधान बिल्कुल सरल था। मिसल के सरदार के नीचे पट्टीदार होते थे जो अपने अनुयायियों के भरण-पोषण के लिये सरदार के साथ गाँवों और भूमि का प्रबंध करते थे। घुड़सवारी और अस्त्रशस्त्रों के प्रयोग में दक्षता सरदारों, पट्टीदारों और उनके सहायकों की मुख्य योग्ताएँ मानी जाती थीं। मिसलों का रूप गणतंत्रवादी था। जीत और लूट की सामग्री का दशम भाग सरदार के लिये नियत रहता था। शेष उसी अनुपात में छोटे सरदारों और उनके अनुयायियों में बाँटा जाता था। एक सरदार से प्राप्त गाँव और भूमि छोड़कर अन्य मिसल में सम्मिलित होना संभव था। सरदार से भूमि प्राप्त करनेवाले जागीरदारों को जागीर की सुरक्षा के लिये एक निश्चित संख्या में घोड़े और सिपाही उपलब्ध थे। छोटे सरदारों या जागीरदारों की मिसल विरुद्ध गतिविधियों पर उनकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार सरदार को होता था। सरदारों के निजी नौकर तावेदार कहे जाते थे और अवज्ञा या विद्रोह करने पर उनकी भूमि जब्त हो सकती थी। सभी मिसलों का समूह दल 'खालसा' कहलाता था। वे गुरु के नाम पर युद्ध करते थे और सरबत्त खालसा के नाम पर संधियाँ करते थे। मिसलों की व्यापक समस्याओं पर पंथ की साधारण सभा द्वारा विचार किया जाता था। यह अमृतसर में वर्ष भर में दो बार वैशाखी और दीवाली के अवसरों पर बैठती थी। गुरु ग्रंथ साहब की उपस्थिति में बहुमत से प्रस्ताव (गुरुमत) पारित करके निर्णय लिया जाता था। न्याय बहुत जल्दी होता था। कानून और व्यवस्था कायम रखने का उत्तरदायित्व छोटे सरदारों पर था और न्याय की व्यवस्था पंचायतों के माध्यम से होती थी। पंचायतों के विरुद्ध निर्णय सुनने का अधिकार सरदार को था और अंत में, पर प्राय: बहुत कम, पंथ या साधारण सभा में अपील की जाती थी। उनके यहाँ मृत्युदंड का विधान नहीं था। चोरियों के मामलों में पदचिह्‌नान्वेषक जिस गाँव में चोरों के पदचिह्‌नों को खोज लेते थे, उस गाँव के मुखिया को या तो वे पदचिह्‌न गाँव के बाहर की ओर जाते हुए दिखाने पड़ते थे या हानि के बराबर द्रव्य देना पड़ता था। .

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संत मत

लगभग 13 वीं सदी के बाद से भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में “संत मत” एक ढीले ढंग से जुड़ा गुरुओं का एक सहयोगी समूह था जिसे बहुत प्रसिद्धि मिली। धर्म ब्रह्म विज्ञान के तौर पर उनकी शिक्षाओं की विशेषता यह है कि वे अंतर्मुखी और प्रेम भक्ति के एक दैवीय सिद्धांत से जुड़े हैं और सामाजिक रूप से वे एक समतावादी गुणों वाले सिद्धांत से जुड़े हैं जो हिंदु धर्म की जाति प्रथा के विरुद्ध है और हिंदू - मुस्लिम के अंतर के भी विरुद्ध है।वुडहेड, लिंडा और फ्लेचर, पॉल.

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सइहा

सइहा या सियाहा (मारा स्वायत्त ज़िला परिषद द्वारा प्रदत्त आधिकारिक नाम) भारतीय राज्य मिज़ोरम के सइहा ज़िले का मुख्यालय है। यह मिज़ोरम के तीन स्वायत्त ज़िला परिषद में एक मारा स्वायत्त ज़िला परिषद का मुख्यालय भी है। .

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सइहा ज़िला

सइहा ज़िला भारतीय राज्य मिज़ोरम के आठ ज़िलों में से एक है। सइहा कस्बा इस ज़िले का मुख्यालय है। भारत की जनगणना २०११ के अनुसार यह मिज़ोरम का सबसे कम जनसंख्या वाला ज़िला है। .

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सुखविंदर सिंह

सुखविंदर सिंह एक पार्श्वगायक हैं जिन्हें मुख्यतः बॉलीवुड में पार्श्वगायन के लिए जाना जाता है। उन्हें छैया छैया गाने से प्रसिद्धि मिली जिसके लिए उन्होंने 1999 फिल्मफेयर पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक का पुरस्कार जीता है। सिंह मूल रूप से अमृतसर, पंजाब से आता है। वह भगवान शिव के एक समर्पित भक्त हैं सिंह ने पहली बार 8 साल की उम्र में मंच पर प्रदर्शन किया, 1 9 70 की फिल्म अभिनवत्री से किशोर कुमार और लता मंगेशकर के नंबर "सा रे गे मा पा पा, पे, दे, गा मा री, गा रे मैल गाँव साजना" का गायन करते हुए। उन्होंने एक पंजाबी एल्बम को भी जारी किया, जिसमें मुंडा साउथहॉल दा के साथ टी। सिंह लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल मंडली में शामिल हुए और काम की तलाश के लिए भारत के दक्षिण की ओर जाने से पहले जल्दी से एक संगीत संयोजक बन गए। इस समय उन्होंने रक्षकुडू नामक फिल्म बनाई। सिंह को फिल्म कर्म में अपना ब्रेक मिला, जिसमें उन्होंने कुछ लाइनें गाईं; फिर उन्होंने माधुरी दीक्षित फिल्म को खालाफ नाम दिया, जिसमें उन्होंने हिट गीत "आगा जाम" गाया। लेकिन गायक को एहसास हुआ कि उनकी आवाज़ में कुछ गायब हो गया था, एक विश्रामदिन और छोड़ दिया मुंबई को इंग्लैंड और अमेरिका के दौरे के लिए देखने, सुनना और संगीत के विभिन्न रूपों को समझना। अपने संगीत क्षितिज के विस्तार के बाद, वह अपने संगीत कैरियर को किक करने के लिए मुंबई लौट आए। हिंदी फिल्मों में उनका पहला प्रयास, आजा सनम, काफी हद तक अनौपचारिक रहा, हालांकि संगीत ने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के नामों को अपनाया। फिर दिल से...

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स्वतन्त्रता के बाद भारत का संक्षिप्त इतिहास

कोई विवरण नहीं।

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स्‍वतंत्रता दिवस (भारत)

भारत का स्वतंत्रता दिवस (अंग्रेज़ी: Independence Day of India, हिंदी:इंडिपेंडेंस डे ऑफ़ इंडिया) हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है। सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है। प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया। स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ। विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं। विभाजन के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ। यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी। 1951 की विस्थापित जनगणना के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए। इस दिन को झंडा फहराने के समारोह, परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, सामान, घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ देशभक्ति फिल्में देखते हैं, देशभक्ति के गीत सुनते हैं। - archive.india.gov.in .

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सैन होज़े, कैलिफोर्निया

सैन होज़े (जिसका स्पेनिश में अर्थ है - सेंट जोसफ) कैलिफोर्निया का तीसरा सबसे बड़ा शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका का दसवां सबसे बड़ा शहर और सांता क्लारा काउंटी का काउंटी सीट है। यह देश के 31वें सबसे बड़े महानगरीय क्षेत्र का एक ऐंकर है जो सैन फ्रांसिस्को खाड़ी के दक्षिणी छोर पर स्थित है। सैन होज़े कभी एक छोटा सा कृषि शहर था जहां 1950 के दशक से अब तक बड़ी तेज़ी से विकास हुआ है। जनसंख्या, भूमि क्षेत्र, एवं औद्योगिक विकास की दृष्टि से सैन होज़े खाड़ी क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है। 1 जनवरी 2010 तक इसकी अनुमानित जनसंख्या 1,023,083 थी। सैन होज़े की नींव 29 नवम्बर 1777 को नुएवा कैलिफोर्निया के स्पेनिश कॉलोनी के पहले कस्बे, एल पुएब्लो डी सैन होज़े डी ग्वाडालूप (El पुएब्लो de San José de Guadalupe), के रूप में रखी गई, जो बाद में अल्टा कैलिफोर्निया बना.

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सैनी

सैनी भारत की "जडेजा, सैनी, भाटी, जडोंन," अविभाजित भारत के मार्शल दौड़, 189 पी, विद्या प्रकाश त्यागी, दिल्ली कल्पज़ पब्लिकेशन्स, 2009.

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सूरज पंचोली

सूरज पंचोली (अंग्रेजी:Sooraj Pancholi) (जन्म: 05 जुलाई 1990) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता है। इनके पिता का नाम आदित्य पंचोली जो एक अभिनेता है तथा माता का नाम ज़रीना वहाब है और इनकी बहिन का नाम सना पंचोली है। सूरज पंचोली अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरूआत हीरो (2015 फ़िल्म) के साथ करेंगे इस फ़िल्म में सूरज के साथ सुनील शेट्टी की बेटी अथिया शेट्टी नज़र आयेंगी। .

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सेरछिप

सेरछिप भारतीय राज्य मिज़ोरम के सेरछिप ज़िले तथा सेरछिप सदर तहसील का मुख्यालय है। यह कस्बा राजधानी अइज़ोल से ११२ किमी दूर है। .

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सेरछिप ज़िला

सेरछिप ज़िला भारतीय राज्य मिज़ोरम के आठ ज़िलों में से एक ज़िला है। इस ज़िले का क्षेत्रफल १४२१.६० वर्ग किमी है। सेरछिप कस्बा इस ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह ज़िला १५ सितम्बर १९८८ को अइज़ोल ज़िले की पूर्व लुंगदार तथा थिंगसुलथलैयाह तहसीलों से अलग होकर बना। भारत की जनगणना २०११ के अनुसार यह भारत का सर्वाधिक साक्षर तथा मिज़ोरम का दूसरा सबसे कम जनसंख्या वाला ज़िला है। .

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हरभजन सिंह

हरभजन सिंह प्लाहा (जन्म: ०३ जुलाई १९८०, जालन्धर, पंजाब) भारत के अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाडी हैं। वे इंडियन प्रिमियर लीग के चेन्नई सुपर किंग्स तथा पंजाब राज्य क्रिकेट टीम (2012-13) के भूतपूर्व कप्तान भी हैं। वे स्पिन गेंदबाजी में निपुण हैं और टेस्ट मैचों में ऑफ-स्पिनर द्वारा सर्वाधिक विकेट लेने वाले दूसरे स्पिनर हैं। साथ ही ये इंडियन प्रीमियर लीग में सबसे ज्यादा जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे है। .

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हरसिमरत कौर बादल

हरसिमरत कौर बादल (जन्म: २५ जुलाई १९६६) भारत की एक राजनीतिज्ञ हैं और वर्तमान में भारत सरकार के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं। वे भटिंडा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष २००९ से लगातार १५ वीं और १६वीं लोकसभा की सांसद हैं। वे शिरोमणि अकाली दल की सदस्य और पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हैं।"Constituency Wise Detailed Results (2009)." Electoral Commission of India, 2009.

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हरिता कौर देओल

हरिता कौर देओल (१९७२ से २५ दिसम्बर १९९६) एक महिला पायलट थी जो कि भारतीय वायु सेना में कार्यरत थीं।,साथ ही ये भारत की पहली महिला पायलट थीं। इनका जन्म पंजाब के चंडीगढ़ में एक सिक्ख परिवार में हुआ था। .

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हरिमन्दिर साहिब

यहाँ तीर्थयात्री पवित्र सरोवर में डुबकी लगाते हैं श्री हरिमन्दिर साहिब (पंजाबी भाषा: ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ; हरिमंदर साहिब, हरमंदिर साहिब), जिसे दरबार साहिब या स्वर्ण मन्दिर भी कहा जाता है सिख धर्मावलंबियों का पावनतम धार्मिक स्थल या सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है। यह भारत के राज्य पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है और यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण है। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। अमृतसर का नाम वास्तव में उस सरोवर के नाम पर रखा गया है जिसका निर्माण गुरु राम दास ने स्वय़ं अपने हाथों से किया था। यह गुरुद्वारा इसी सरोवर के बीचोबीच स्थित है। इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है, इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर अथवा गोल्डन टेंपल के नाम से भी जाना जाता है। श्री हरिमंदिर साहिब को दरबार साहिब के नाम से भी ख्याति हासिल है। यूँ तो यह सिखों का गुरुद्वारा है, लेकिन इसके नाम में मंदिर शब्द का जुड़ना यह स्पष्ट करता है कि भारत में सभी धर्मों को एक समान माना जाता है। इतना ही नहीं, श्री हरमंदिर साहिब की नींव भी एक मुसलमान ने ही रखी थी। इतिहास के मुताबिक सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने लाहौर के एक सूफी संत साईं मियां मीर जी से दिसंबर, 1588 में गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी। सिक्खों के लिए स्वर्ण मंदिर बहुत ही महत्वपूर्ण है। सिक्खों के अलावा भी बहुत से श्रद्धालु यहाँ आते हैं, जिनकी स्वर्ण मंदिर और सिक्ख धर्म में अटूट आस्था है। .

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हरजीत सिंह सज्जन

हरजीत सिंह सज्जन PC OMM MSM CD सांसद (जन्म 1970 या 1971) एक कनाडियाई लिबरल (उदारवादी) राजनीतिज्ञ, वर्तमान रक्षा मंत्री व दक्षिण वैंकुवर निर्वाचन क्षेत्र से हाउस ऑफ़ कॉमन्स, कनाडा के सांसद हैं। सज्जन संसद में पहली बार 2015 के संघीय चुनावों में चुने गये हैं। उन्होंने इस क्षेत्र से निवर्तमान सांसद कनाडा की कंज़र्वेटिव पार्टी के वेई यंग को हराया और ४ नवंबर २०१५ को जस्टिन ट्रूडो के मंत्रिमंडल में कनाडा के रक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया। राजनीति में आने से पहले सज्जन वैंकुवर पुलिस विभाग में गैंग अपराध शाखा में जाँच अधिकारी (डिटेक्टिव) के पद पर कार्यरत थे। उन्हें अफगानिस्तान में स्थापित कनाडा के सैन्य बलों के लिये दी गई अपनी सेवा के लिये रेज़ीमेंटल कमांडर की पदवी भी मिली थी। सज्जन पहले सिख थे जिन्होंने कनाडा की किसी सैन्य रेज़ीमेंट की कमान संभाली थी। .

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हार्डी संधु

हार्डी संधू (जन्म:६ सितम्बर १९८६) एक भारतीय सिक्ख गायक और पंजाबी अभिनेता है।इनका जन्म पटियाला, पंजाब में हुआ था।उनको अपने हिट गीत सोच से प्रसिद्धि मिली।उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म यारां दा कैचअप के लिए भी काफ़ी प्रशंसा प्राप्त की। .

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हिन्दुओं का उत्पीड़न

हिन्दुओं का उत्पीडन हिन्दुओं के शोषण, जबरन धर्मपरिवर्तन, सामूहिक नरसहांर, गुलाम बनाने तथा उनके धर्मस्थलो, शिक्षणस्थलों के विनाश के सन्दर्भ में है। मुख्यतः भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा मलेशिया आदि देशों में हिन्दुओं को उत्पीडन से गुजरना पड़ा था। आज भी भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ हिस्सो में ये स्थिति देखने में आ रही है। .

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हिन्दू विधि

हिन्दू विधि (Hindu Law) जिन व्यक्तियो पर लागू होती है, उन्हे हम तीन मुख्य प्रवर्गो मे बाट सकते है:-.

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हिन्दू कौन है?

हिन्दू कौन है? (Who is a Hindu?):en:Koenraad Elst द्वारा लिखित एक पुस्तक है जो कि:en:Voice of India द्वारा २००१ में प्रकाशित की गयी। पुस्तक के पहले भाग में, Elst "हिन्दू" शब्द की परिभाषा देने की कोशिश करते हैं, यद्यपि वह लिखते हैं कि, "there is no simple solution for the complex question, “Who is a Hindu?”"। वह हिन्दुत्व की तुलन monotheistic creeds से भी करते हैं। इसके पश्चात पुस्तक में चर्चा की गयी है कि क्या हिन्दू सुधारवादियों, बौद्धों, जैनों या सिक्खों को हिन्दू माना जा सकता है। पुस्तक में अन्य विषयों में जाति प्रथा तथा हिन्दुत्व आदि शामिल हैं। .

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हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश (अंग्रेज़ी: Himachal Pradesh, उच्चारण) उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। यह 21,629 मील² (56019 किमी²) से अधिक क्षेत्र में फ़ैला है तथा उत्तर में जम्मू कश्मीर, पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में पंजाब (भारत), दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखण्ड तथा पूर्व में तिब्बत से घिरा हुआ है। हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ "बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत" है। हिमाचल प्रदेश को "देव भूमि" भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में आर्यों का प्रभाव ऋग्वेद से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के हाथ में आ गया। सन 1857 तक यह महाराजा रणजीत सिंह के शासन के अधीन पंजाब राज्य (पंजाब हिल्स के सीबा राज्य को छोड़कर) का हिस्सा था। सन 1950 मे इसे केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन 1971 मे इसे, हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971 के अन्तर्गत इसे 25 january 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बनाया गया। हिमाचल प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय भारत के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में अधिक है । बारहमासी नदियों की बहुतायत के कारण, हिमाचल अन्य राज्यों को पनबिजली बेचता है जिनमे प्रमुख हैं दिल्ली, पंजाब (भारत) और राजस्थान। राज्य की अर्थव्यवस्था तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर करती है जो हैं, पनबिजली, पर्यटन और कृषि। हिंदु राज्य की जनसंख्या का 95% हैं और प्रमुख समुदायों मे ब्राह्मण, राजपूत, घिर्थ (चौधरी), गद्दी, कन्नेत, राठी और कोली शामिल हैं। ट्रान्सपरेन्सी इंटरनैशनल के 2005 के सर्वेक्षण के अनुसार, हिमाचल प्रदेश देश में केरल के बाद दूसरी सबसे कम भ्रष्ट राज्य है। .

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हिसार

हिसार भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित हरियाणा प्रान्त के हिसार जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह भारत की राजधानी नई दिल्ली के १६४ किमी पश्चिम में राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक १० एवं राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक ६५ पर पड़ता है। यह भारत का सबसे बड़ा जस्ती लोहा उत्पादक है। इसीलिए इसे इस्पात का शहर के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिमी यमुना नहर पर स्थित हिसार राजकीय पशु फार्म के लिए विशेष विख्यात है। अनिश्चित रूप से जल आपूर्ति करनेवाली घाघर एकमात्र नदी है। यमुना नहर हिसार जिला से होकर जाती है। जलवायु शुष्क है। कपास पर आधारित उद्योग हैं। भिवानी, हिसार, हाँसी तथा सिरसा मुख्य व्यापारिक केंद्र है। अच्छी नस्ल के साँड़ों के लिए हिसार विख्यात है। हिसार की स्थापना सन १३५४ ई. में तुगलक वंश के शासक फ़िरोज़ शाह तुग़लक ने की थी। घग्गर एवं दृषद्वती नदियां एक समय हिसार से गुजरती थी। हिसार में महाद्वीपीय जलवायु देखने को मिलती है जिसमें ग्रीष्म ऋतु में बहुत गर्मी होती है तथा शीत ऋतु में बहुत ठंड होती है। यहाँ हिन्दी एवं अंग्रेज़ी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाएँ हैं। यहाँ की औसत साक्षरता दर ८१.०४ प्रतिशत है। १९६० के दशक में हिसार की प्रति व्यक्ति आय भारत में सर्वाधिक थी। .

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हिंदु-जर्मन षडयंत्र

हिन्दु जर्मन षडयन्त्र(नाम), १९१४ से १९१७ के (प्रथम विश्व युद्ध) दौरान ब्रिटिश राज के विरुद्ध एक अखिल भारतीय विद्रोह का प्रारम्भ करने के लिये बनाई योजनायो से सम्बद्ध है। इस षडयन्त्र मे भारतीय राष्ट्वादी सन्गठन के भारत, अमेरिका और जर्मनी के सदस्य शामिल थे। Irish Republicans और जर्मन विदेश विभाग ने इस षड्यन्त्र में भारतीयो का सहयोग किया था। यह षडयन्त्र अमेरिका मे स्थित गदर पार्टी, जर्मनी मे स्थित बर्लिन कमिटी, भारत मे स्थित Indian revolutionary Underground और सान फ़्रांसिसको स्थित दूतावास के द्वारा जर्मन विदेश विभाग ने साथ मिलकर रचा था। सबसे महत्वपूर्ण योजना पंजाब से लेकर सिंगापुर तक सम्पूर्ण भारत में ब्रिटिश भारतीय सेना के अन्दर बगावत फैलाकर विद्रोह का प्रयास करने की थी। यह योजना फरवरी १९१५ मे क्रियान्वित करके, हिन्दुस्तान से ब्रिटिश साम्राज्य को नेस्तनाबूत करने का उद्देश्य लेकर बनाई गयी थी। अन्ततः यह योजना ब्रिटिश गुप्तचर सेवा ने, गदर आन्दोलन मे सेंध लगाकर और कुछ महत्वपूर्ण लोगो को गिरफ्तार करके विफल कर दी थी। उसी तरह भारत की छोटी इकाइयों मे और बटालियनो मे भी विद्रोह को दबा दिया गया था। युगांतर जर्मन साजिश, अन्य संबंधित घटनाओं 1915 सिंगापुर विद्रोह, एनी लार्सन हथियार साजिश एनी लार्सन चक्कर शामिल हैंकाबुल, के विद्रोह.

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हजूर साहिब

हजूर साहिब, सिखों के ५ तखतों में से एक है। यह नान्देड नगर में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। इसमें स्थित गुरुद्वारा 'सच खण्ड' कहलाता है। .

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होला मोहल्ला

होला मोहल्ला सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान श्री आनन्दपुर साहिब मे होली के अगले दिन से लगने वाले मेले को होला मोहल्ला कहते है। सिखों के लिये यह धर्मस्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहाँ पर होली पौरुष के प्रतीक पर्व के रूप में मनाई जाती है। इसीलिए दशम गुरू गोविंद सिंह जी ने होली के लिए पुल्लिंग शब्द होला मोहल्ला का प्रयोग किया। गुरु जी इसके माध्यम से समाज के दुर्बल और शोषित वर्ग की प्रगति चाहते थे। होला महल्ला का उत्सव आनंदपुर साहिब में छ: दिन तक चलता है। इस अवसर पर, भांग की तरंग में मस्त घोड़ों पर सवार निहंग, हाथ में निशान साहब उठाए तलवारों के करतब दिखा कर साहस, पौरुष और उल्लास का प्रदर्शन करते हैं। जुलूस तीन काले बकरों की बलि से प्रारंभ होता है। एक ही झटके से बकरे की गर्दन धड़ से अलग करके उसके मांस से 'महा प्रसाद' पका कर वितरित किया जाता है। पंज पियारे जुलूस का नेतृत्व करते हुए रंगों की बरसात करते हैं और जुलूस में निहंगों के अखाड़े नंगी तलवारों के करतब दिखते हुए बोले सो निहाल के नारे बुलंद करते हैं। आनन्दपुर साहिब की सजावट की जाती है और विशाल लंगर का आयोजन किया जाता है। कहते है गुरु गोबिन्द सिंह (सिक्खों के दसवें गुरु) ने स्वयं इस मेले की शुरुआत की थी। यह जुलूस हिमाचल प्रदेश की सीमा पर बहती एक छोटी नदी चरण गंगा के तट पर समाप्त होता है। .

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जनमसाखी

जनमसाखी (संस्कृत: जन्मसाक्षी) उन रचनाओं को कहते हैं जो सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक का जीवनचरित हैं। पंजाबी साहित्य में जनमसाखियों का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। गुरु नानक के देहान्त के बाद समय-समय पर ऐसी रचनाएँ होती रहीं हैं।Nikky-Guninder Kaur Singh (2011), Sikhism: An Introduction, IB Tauris, ISBN 978-1848853218, pages 1-8 .

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जम्मू

जम्मू (جموں, पंजाबी: ਜੰਮੂ), भारत के उत्तरतम राज्य जम्मू एवं कश्मीर में तीन में से एक प्रशासनिक खण्ड है। यह क्षेत्र अपने आप में एक राज्य नहीं वरन जम्मू एवं कश्मीर राज्य का एक भाग है। क्षेत्र के प्रमुख जिलों में डोडा, कठुआ, उधमपुर, राजौरी, रामबन, रियासी, सांबा, किश्तवार एवं पुंछ आते हैं। क्षेत्र की अधिकांश भूमि पहाड़ी या पथरीली है। इसमें ही पीर पंजाल रेंज भी आता है जो कश्मीर घाटी को वृहत हिमालय से पूर्वी जिलों डोडा और किश्तवार में पृथक करता है। यहाम की प्रधान नदी चेनाब (चंद्रभागा) है। जम्मू शहर, जिसे आधिकारिक रूप से जम्मू-तवी भी कहते हैं, इस प्रभाग का सबसे बड़ा नगर है और जम्मू एवं कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी भी है। नगर के बीच से तवी नदी निकलती है, जिसके कारण इस नगर को यह आधिकारिक नाम मिला है। जम्मू नगर को "मन्दिरों का शहर" भी कहा जाता है, क्योंकि यहां ढेरों मन्दिर एवं तीर्थ हैं जिनके चमकते शिखर एवं दमकते कलश नगर की क्षितिजरेखा पर सुवर्ण बिन्दुओं जैसे दिखाई देते हैं और एक पवित्र एवं शांतिपूर्ण हिन्दू नगर का वातावरण प्रस्तुत करते हैं। यहां कुछ प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ भी हैं, जैसे वैष्णो देवी, आदि जिनके कारण जम्मू हिन्दू तीर्थ नगरों में गिना जाता है। यहाम की अधिकांश जनसंख्या हिन्दू ही है। हालांकि दूसरे स्थान पर यहां सिख धर्म ही आता है। वृहत अवसंरचना के कारण जम्मू इस राज्य का प्रमुख आर्थिक केन्द्र बनकर उभरा है। .

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जम्मू एवं काश्मीर का इतिहास

सन १८४५ की अंग्रेजो और सिखों के बीच हुई लडाई में सिख हार गए ! इसलिए राजा गुलाब सिंह की उपस्थिथि मैं अंग्रेजो व सिखों के बीच संधि मार्च ९, १८४६ को लाहोर में हुई ! फलस्वरूप अंग्रेजो ने जम्मू और कश्मीर राजा गुलाब सिंह को ७५ लाख नानकशाही रूपये में दे दिया ! इसके बाद ही जम्मू और कश्मीर एक अलग राज्य के रूप में स्थापित हो पाया ! महाराजा गुलाब सिंह -> महाराजा रणबीर सिंह ->महाराजा प्रताप सिंह -->महाराजा हरी सिंह श्रेणी:इतिहास.

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जम्मू का युद्ध

  परसुर में, बन्दा सिंह बहादुर की हार की बाद मुग़ल सामान्य मुहम्मद अमिन खान ने सिखों को जम्मू तक पीछा किया। जम्मू में, सिखों के लिया भरी हार मिली। .

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जरनैल सिंह भिंडरांवाले

जरनैल सिंह भिंडरांवाले (ਜਰਨੈਲ ਸਿੰਘ ਭਿੰਡਰਾਂਵਾਲੇ, जन्म का नाम जरनैल सिंह बराड़ (ਜਰਨੈਲ ਸਿੰਘ ਬਰਾੜ, 12 फ़रवरी 1947 - 6 जून 1984) भारतीय पंजाब में सिखों के धार्मिक समूह दमदमी टकसाल का प्रमुख लीडर था। इसने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव का समर्थन किया। इसने सिखो को कट्टरपंथी बनने के लिए मजबूर किया । इसने सिख नौजवानों को केश काटने की निषिद्धता की। इस भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 की सख़्त हिंसक स्वरूप मे विरोध किया और सिख आतंकवाद की शुुुरु की गई । जिसके अनुसार सिक्ख पंथ के अनुयायी को कम संख्या कहा गया और हिन्दू धर्म का एक हिस्सा कहा गया। अगस्त 1982 में भिंडरांवाले और अकाली दल ने 'धर्म युद्ध मोर्चा' शुरू किया। इसका उद्देश्य आनंदपुर प्रसाव में व्यक्त किए गए उद्देश्यों को पाना था। .

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जलियाँवाला बाग हत्याकांड

जालियाँवाला बाग स्मारक जालियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में १३ अप्रैल १९१९ (बैसाखी के दिन) हुआ था। रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें १००० से अधिक व्यक्ति मरे और २००० से अधिक घायल हुए। अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए। यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था। माना जाता है कि यह घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी। १९९७ में महारानी एलिज़ाबेथ ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। २०१३ में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंनें लिखा कि "ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी।" .

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जसपाल भट्टी

जसपाल भट्टी (3 मार्च 1955 – 25 अक्टूबर 2012) हिन्दी टेलिविज़न और सिनेमा के एक जाने-माने हास्य अभिनेता, फ़िल्म निर्माता एवं निर्देशक थे।उन्होंने पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज से विद्युत अभियांत्रिकी की डिग्री ली, लेकिन बाद में वे नुक्कड़ थिएटर आर्टिस्ट बन गए.

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जसपुर, उत्तराखण्ड

जसपुर, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के ऊधमसिंहनगर जिले में स्थित एक नगर और नगरपालिका बोर्ड है। .

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जस्सा सिंह अहलुवालिया

सुल्तान उल क़्यूम नवाब जस्सा सिंह अहलुवालिया (3 मई 1718 – 1783) सिख संघ काल में प्रमुख सिख नेता थे। वो अहलुवालिया मिसल के सन्त थे। .

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जिन्द कौर

महारानी जिन्द कौर (1817 – 1 अगस्त 1863) 1843 से 1846 तक सिख साम्राज्य की संरक्षिका थीं। वे महाराजा रणजीत सिंह के सबसे छोटी महारानी थीं। अन्तिम महाराजा दिलीप सिंह उनके ही पुत्र थे। वे अपने सौन्दर्य, ऊर्जा तथा उद्देश्य के प्रति समर्पण के लिये प्रसिद्ध थीं। इसलिये उन्हें 'रानी जिन्दा' भी कहते थे। किन्तु उनकी प्रसिद्धि का मुख्य कारण अंग्रेजों का उनसे डरना है। अंग्रेज उनको पंजाब का मेस्सालिना (Messalina) कहा करते थे जिनके विद्रोह को दबाना अत्यन्त कठिन था। महारानी जिन्द कौर पिंड चॉढ (सियालकोट, तसील जफरवाल) निवासी सरदार मन्ना सिंह औलख जाट की पुत्री थीं। 1843 ई. में जब दलीप सिंह गद्दी पर बैठा तो वह नाबालिग था, अतः जिन्दा रानी उसकी संरक्षिका बनीं। परन्तु वह इस पद भार को सम्भाल नहीं सकीं और 1845 ई. में प्रथम सिखयुद्ध छिड़ गया। जब 1846 ई. में लाहौर की संधि के द्वारा युद्ध समाप्त हुआ तो ज़िन्दाँ रानी दलीप सिंह की संरक्षिका बनी रहीं। परन्तु उनकी गतिविधियों के कारण ब्रिटिश सरकार उसे संदेह की दृष्टि से देखने लगी और 1848 ई. में षड्यंत्र रचने के अभियोग में उसे लाहौर से हटा दिया गया। द्वितीय सिखयुद्ध (1849 ई.) जिन कारणों से छिड़ा, उनमें एक कारण यह भी था। इस युद्ध में भी सिखों की हार हुई। युद्ध की समाप्ति पर दलीप सिंह को गद्दी से उतार दिया गया। लाहौर का राजप्रबंध अंग्रेज़ी सरकार के हाथ आने पर अंग्रेजों ने उन्हें लाहौर ले जाकर पहले शेखूपुरा में नज़रबंद रखा, फिर 19 अगस्त 1849 को चुनार (उत्तर प्रदेश, जिला मिर्जापुर) के खुंटे में कैद किया। यहाँ से यह फ़कीरी वेश में कैद से निकल कर नेपाल चली गई और वहाँ सम्मान सहित रही। 1861 में महारानी जिन्दकौर अपने बेटों के दर्शन के लिए इंग्लैंड गयीं थीं। वहाँ 1 अगस्त 1863 को लंदन में इनका देहान्त हुआ था, तब वे 46 वर्ष की थीं। इनकी शव का दाह नासिकमें किया गया था। .

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जिब्राल्टर हिन्दू मंदिर

जिब्राल्टर हिन्दू मंदिर ब्रिटिश प्रवासी शासित प्रदेश जिब्राल्टर में स्थित हिन्दू मंदिर है। वर्ष 2000 में निर्मित हुआ जिब्राल्टर हिन्दू मंदिर इंजीनियर्स लेन पर स्थित है। यह जिब्राल्टर में मौजूद एकमात्र हिन्दू मंदिर है तथा क्षेत्र की हिन्दू आबादी के लिए आध्यात्म का केंद्र है। जिब्राल्टेरियन हिन्दू जिब्राल्टर की आबादी का लगभग 1.8 प्रतिशत हैं। इनमें से ज्यादातर लोग वर्तमान पाकिस्तान के सिंध राज्य से आए व्यापारीयो के वंशज हैं। मंदिर एक धर्मार्थ संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य जिब्राल्टर में हिन्दू सभ्यता और संस्कृति का संरक्षण करना है। मंदिर में प्रमुख आराध्य राम हैं, जो अपनी धर्मपत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और परम भगत हनुमान के साथ मंदिर की प्रमुख वेदी में विराजमान हैं। इनके आलावा मंदिर में कई अन्य हिन्दू देवी-देवताओ की प्रतिमाएँ हैं। मंदिर में रोजाना शाम के 7:30 बजे आरती होती है तथा हर महीने की पूर्णिमा को सत्यनारायण कथा भी आयोजित की जाती है। मंदिर हिन्दू धर्म से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की धार्मिक कक्षाओं का भी आयोजन करता है। .

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जिमी शेरगिल

जिमी शेरगिल एक हिन्दी फिल्म अभिनेता हैं। .

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जगदीश सिंह खेहर

जस्टिस जगदीश सिंह खेहर (जन्म:28 अगस्त 1952) वर्तमान में 44वें भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं। 04 जनवरी 2017 को प्रधान न्यायाधीश के पद की शपथ ग्रहण की। वे सिख समुदाय से उच्चतम न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश हैं। .

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जैन समुदाय

भारतीय जैन श्रमण परम्परा के अंतिम प्रत्यक्ष प्रतिनिधि हैं। जैन जैन धर्म के अनुयायी हैं जो धार्मिक निष्ठा के उन चौबीस प्रवर्तकों द्वारा बताया गया जिन्हें तीर्थंकर कहा जाता है। .

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जीवन मृत्यु (1970 फ़िल्म)

जीवन मृत्यु सन् 1970 में प्रदर्शित जुर्म पर आधारित एक रोमांचक हिन्दी फ़िल्म है। जिसमें धर्मेन्द्र, राखी, अजीत तथा राजेन्द्रनाथ मुख्य भुमिका मे है। फ़िल्म का निर्माण राजश्री प्रोडक्शन्स तथा निर्देशन सत्येन बोस ने किया है। यह राखी की पहली हिन्दी फ़िल्म थी। .

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विश्व हिंदू परिषद

विश्व हिंदू परिषद एक हिंदू संगठन है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी "आरएसएस"(अमेरिका की खुपिया एजेंसी सी आई ए द्वारा जारी वर्ल्ड फैक्ट बुक की रिपोर्ट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को "राष्ट्रवादी संगठन"की श्रेणी में शामिल किया गया है) की एक अनुषांगिक शाखा है। इसे वीएचपी और विहिप के नाम से भी जाना जाता है। विहिप का चिन्ह बरगद का पेड़ है और इसका नारा, "धर्मो रक्षति रक्षित:" यानी जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल को धार्मिक उग्रवादी संगठन बताया है,जिसका कि सम्पूर्ण देश में तीव्र विरोध चल रहा है.

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विश्व के धर्म

चार प्रमुख विश्व के धर्म: हिन्दू, बौध, जैन तथा सिख की उत्पत्ति भारत में हुई |.

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विकीर्णन (डायसपोरा)

विकीर्णन या डायस्पोरा (diaspora) से आशय है -किसी भौगोलिक क्षेत्र के मूल वासियों का किसी अन्य बहुगोलिक क्षेत्र में प्रवास करना (विकीर्ण होना)। किन्तु डायसपोरा का विशेष अर्थ ऐतिहासिक अनैच्छिक प्रकृति के बड़े पैमाने वाले विकीर्ण, जैसे जुडा से यहूदियों का निष्कासन। .

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वैयक्तिक विधि

विधि या कानून को वैयक्तिक विधि (Personal law) और प्रादेशिक विधि - इन दो प्रवर्गों में विभक्त किया जा सकता है। वैयक्तिक विधि से तात्पर्य उस विधि से है जो केवल किसी व्यक्तिविशेष अथवा व्यक्तियों के वर्ग पर लागू हो चाहे वे व्यक्ति कहीं पर भी रहते हों। यह विधि प्रादेशिक विधि से भिन्न है जो केवल एक निश्चित प्रदेश के भीतर सब व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होती है। वैयक्तिक विधि की वह प्रणाली भारत में वारेन हेस्टिग्ज ने प्रारंभ की थी। उन्होंने कुछ तरह के दीवानी मामलों में हिंदुओं के लिए हिंदू विधि तथा मुसलमानों के लिए मुस्लिम विधि विहित की थी। यह व्यवस्था आज भी विद्यमान है और हिंदू विधि विवाह, दत्तकग्रहण, संयुक्त परिवार, ऋण, बँटवारा, दाय तथा उत्तराधिकार, स्त्रीधन, पोषण और धार्मिक धर्मस्वों के मामलों में हिंदुओं पर लागू है। .

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वैरेंगते

वैरेंगते भारत के मिज़ोरम राज्य के कोलासिब जिले में स्थित एक कस्बा है। यह मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल से १३० किमी की दूरी पर स्थित है। .

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वेद

वेद प्राचीन भारत के पवितत्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं, जो ईश्वर की वाणी है। ये विश्व के उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में हैं जिनके पवित्र मन्त्र आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से पढ़े और सुने जाते हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् शब्द से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है। इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है -.

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वेशभूषा संहिता

पुरुषों के लिए पश्चिमी वेशभूषा संहिता अलीम खान का सुसज्जित लबादा एक सामाजिक संदेश देता है मनुष्य की भौतिक उपस्थिति के पहलू के रूप में वेशभूषा संहिता वस्त्र धारण करने का लिखित नियम है (जो विभिन्न समाज में अलग हो सकता है हालांकि पश्चिमी शैली को सामान्यतः मान्य माना जाता है).

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ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान

ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान (1890 - 20 जनवरी 1988) सीमाप्रांत और बलूचिस्तान के एक महान राजनेता थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और अपने कार्य और निष्ठा के कारण "सरहदी गांधी" (सीमान्त गांधी), "बच्चा खाँ" तथा "बादशाह खान" के नाम से पुकारे जाने लगे। वे भारतीय उपमहाद्वीप में अंग्रेज शासन के विरुद्ध अहिंसा के प्रयोग के लिए जाने जाते है। एक समय उनका लक्ष्य संयुक्त, स्वतन्त्र और धर्मनिरपेक्ष भारत था। इसके लिये उन्होने 1920 में खुदाई खिदमतगार नाम के संग्ठन की स्थापना की। यह संगठन "सुर्ख पोश" के नाम से भी जाने जाता है। .

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ख़ालिस्तान आंदोलन

24 जनवरी 1993 से 4 अगस्त 1993 तक अप्रतिनिधित राष्ट्र और जन संगठन द्वारा स्वीकृत ख़ालिस्तान के लिए एक प्रस्तावित झंडा ख़ालिस्तान (पंजाबी: ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ) सिख राष्ट्र का प्रस्तावित अलग देश का नाम है। सिख अधिकतर भारतीय पंजाब में आबाद हैं और अमृतसर में उनके मत्वपूर्ण राजनैतिक और धार्मिक अकाल तख़्त स्थित है। 1980 के दशक में ख़ालिस्तान की प्राप्ति के आंदोलन ज़ोरों पर थी जिसे विदेशों में रहने वाले सिखों का वित्तीय और नैतिक समर्थन हासिल था। भारत सरकार ने अमृतसर पर सैन्य कार्रवाई करके इस आंदोलन को कुचल डाला। कनाडा में रहते सिखों पर यह आरोप भी लगा कि उन्होंने भारतीय यात्री विमान का अपहरण करके उसे नष्ट कर दिया। आतंकवाद पर युद्ध शुरू होने के बाद यह विमान घटना कनाडा और पश्चिमी मीडिया में ख़ूब उछाला गया। .

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ख़ंजर

एक वाइकिंग ख़ंजर ख़ंजर या कटार (अंग्रेज़ी: dagger) एक लड़ने के लिए प्रयोग होने वाला चाकू होता है जिस से भोंककर या काटकर चोट पहुँचाई जाती है। ख़ंजरों का प्रयोग मानव इतिहास में बहुत पुराना है और उन्हें आज तक नज़दीकी लड़ाईयों में इस्तेमाल किया जाता है। बहुत सी संस्कृतियों में ख़ंजर रीति-रिवाज और वेशभूषा में शामिल हो गए हैं, मसलन भारतीय उपमहाद्वीप में सिख लोग हमेशा कृपाण रखते हैं और यमन की पारम्परिक वेशभूषा में पुरुष 'जन्बीया' नामक ख़ंजर पहनते हैं। ख़ंजर पाषाण युग से प्रयोग होते आये हैं और दुनिया के हर भाग में मिलते हैं।, pp.

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खंडा (सिख चिन्ह)

खंडा चिन्ह(ਖੰਡਾ) एक सिख धार्मिक, सांस्कृतिक, एवं ऐतिहासिक चिन्ह है जो कई सिख, धर्म एव वष्वदर्षण, सिद्धांतों को ज़ाहिर रूप से दर्शाता है। यह "देगो-तेगो-फ़तेह" के सिद्धान्त का प्रतीक है एवं इसे चिन्हात्मक रूप में पेश करता है। यह सिखों का फ़ौजी निशान भी है, विशिष्ट रूप से, इसे निशान साहब(सिखों का धार्मिक ध्वज) के केंद्र में देखा जा सकता है। इसमें चार शस्त्र अंकित होते हैं: एक खंडा, दो किर्पन और एक चक्र। खंडा की एक वेशेष पहचान यह भी है कि वह धार्मिक सिद्धांतों के साथ-साथ शक्ती एवं सैन्य-ताक़त का भी प्रतीक है। इसी लिये इसे खाल्सा, सिख मिस्लें एवं सिख साम्राज्य के सैन्यध्वजों में भी इसे प्रदर्षित किया जाता था। एक दोधारी खंडे(तलवार) को निशान साहब ध्वज में ध्वजडंड के कलश(ध्वजकलश) की तरह भी इस्तमाल किया जाता है। .

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गटका

गतका एक सिक्खों की पारंपरिक युद्धक कला है। वर्तमान में भी सिक्खों के धार्मिक उत्सवों में इस कला का शस्त्र संचालन प्रदर्शन किया जाता है। .

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गढ़वाल मण्डल

यह लेख गढ़वाल मण्डल पर है। अन्य गढ़वाल लेखों के लिए देखें गढ़वाल। उत्तराखण्ड के मण्डल गढ़वाल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख क्षेत्र है। यहाँ की मुख्य भाषा गढ़वाली तथा हिन्दी है। गढ़वाल का साहित्य तथा संस्कृति बहुत समृद्ध हैं। लोक संस्कृत भी अत्यंत प्राचीन और विकसित है। गढ़वाली लोकनृत्यों के २५ से अधिक प्रकार पाए जाते हैं इनमें प्रमुख हैं- १. मांगल या मांगलिक गीत, २. जागर गीत, ३. पंवाडा, ४. तंत्र-मंत्रात्मक गीत, ५. थड्या गीत, ६. चौंफुला गीत, ७. झुमैलौ, ८. खुदैड़, ९. वासंती गीत, १०.

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गढ़वाल में धर्म

गढ़वाल में निवास करने वाले व्यक्तियों में से अधिकांश हिन्दू हैं। यहाँ निवास करने वाले अन्य व्यक्तियों में मुस्लिम, सिख, ईसाई एवं बौद्ध धर्म के लोग सम्मिलित हैं। गढ़वाल का अधिकांश भाग पवित्र भू-दृश्यों एवं प्रतिवेशों से परिपूर्ण है। उनकी पवित्रता देवताओं/पौराणिक व्यक्ति तत्वों, साधुओं एवं पौराणिक एतिहासिक घटनाओं से सम्बद्ध है। गढ़वाल के वातावरण एवं प्राकृतिक परिवेश का धर्म पर अत्याधिक प्रभाव पडा है। विष्णु एवं शिव के विभिन्न स्वरुपों की पूजा सम्पूर्ण क्षेत्र में किये जाने के साथ-2 इस पर्वतीय क्षेत्र में स्थानीय देवी एवं देवताओं की भी बहुत अधिक पूजा-अर्चना की जाती है। कठिन भू-भाग एवं जलवायु स्थितयों के कारण पहाडों पर जीवन कठिनाइयों एवं आपदाओं से परिपूर्ण है। भय को दूर करने के लिए यहाँ स्थानीय देवी देवताओं की पूजा लोकप्रिय है। यहां सभी हिन्दू मत हैं: वैष्णव, शैव एवं शाक्त। गढ़वाल में निवास करने वाले व्यक्तियों में से अधिकांश हिन्दू हैं। यहाँ निवास करने वाले अन्य व्यक्तियों में मुस्लिम, सिख, ईसाई एवं बौद्ध धर्म के लोग सम्मिलित हैं। धर्म के आधार पर गढ़वाल के निवासियों की जनसंख्या विभाजन निम्न है।.

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ग़दर राज्य-क्रांति

गदर राज्य-क्रान्ति फरवरी १९१५ में ब्रितानी भारतीय सेना में हुई एक अखिल भारतीय क्रान्ति थी जिसकी योजना गदर पार्टी ने बनायी थी। यह क्रान्ति भारत से ब्रिटिश राज को समाप्त करने के उद्देश्य से १९१४ से १९१७ के बीच हुए अखिल भारतीय विद्रोहों (जिन्हें हिन्दू-जर्मन षडयन्त्र कहते हैं।) में से सबसे बड़ी थी। इसे प्रथम लाहौर षडयन्त्र भी कहते हैं। .

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गगन मै थाल

गगन मैं थाल, रव चंद दीपक बने।..

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गुड़ी पड़वा

गुड़ी पड़वा (मराठी-पाडवा) के दिन हिन्दू नव संवत्सरारम्भ माना जाता है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है। इस दिन हिन्दु नववर्ष का आरम्भ होता है। 'गुड़ी' का अर्थ 'विजय पताका' होता है। कहते हैं शालिवाहन नामक एक कुम्हार-पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं का पराभव किया। इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है। ‘युग‘ और ‘आदि‘ शब्दों की संधि से बना है ‘युगादि‘। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ‘उगादि‘ और महाराष्ट्र में यह पर्व 'ग़ुड़ी पड़वा' के रूप में मनाया जाता है।इसी दिन चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है। .

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गुरदीप कोहली

गुरदीप कोहली (जनम: 30 जनवरी 1980) एक भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री है जो स्टार प्लस के धारावाहिक "संजीवनी" में डॉ जूही और ज़ी टीवी पर धारावाहिक "सिंदूर तेरे नाम का" में वेदिका के रूप से जानी जाती है। हाल ही वे सोनी टीवी के धारावाहिक दिल की बातें दिल ही जाने में नजर आने वाली है। .

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गुरबानी

गुरबानी शब्द गुरुवाणी का पंजाबी स्वरूप है। सिक्ख धर्म में पाँचवे गुरू अर्जुन देव ने बाबा गुरु नानक, बाबा फरीद,रविदास तथा कबीर की वाणी को आदि ग्रंथ में संकलित किया। इनको गुरबानी कहा जाता है। .

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गुरु तेग़ बहादुर

गुरू तेग़ बहादुर (1 अप्रैल, 1621 – 24 नवम्बर, 1675) सिखों के नवें गुरु थे जिन्होने प्रथम गुरु नानक द्वारा बताए गये मार्ग का अनुसरण करते रहे। उनके द्वारा रचित ११५ पद्य गुरु ग्रन्थ साहिब में सम्मिलित हैं। उन्होने काश्मीरी पण्डितों तथा अन्य हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का विरोध किया। इस्लाम स्वीकार न करने के कारण 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हे इस्लाम कबूल करने को कहा कि पर गुरु साहब ने कहा सीस कटा सकते है केश नहीं। फिर उसने गुरुजी का सबके सामने उनका सिर कटवा दिया। गुरुद्वारा शीश गंज साहिब तथा गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब उन स्थानों का स्मरण दिलाते हैं जहाँ गुरुजी की हत्या की गयी तथा जहाँ उनका अन्तिम संस्कार किया गया। विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग़ बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है। अंगूठाकार गुरुद्वारा शीशगंज साहिब के अन्दर का दृष्य इस महावाक्य अनुसार गुरुजी का बलिदान न केवल धर्म पालन के लिए नहीं अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर बलिदान था। धर्म उनके लिए सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन विधान का नाम था। इसलिए धर्म के सत्य शाश्वत मूल्यों के लिए उनका बलि चढ़ जाना वस्तुतः सांस्कृतिक विरासत और इच्छित जीवन विधान के पक्ष में एक परम साहसिक अभियान था। आततायी शासक की धर्म विरोधी और वैचारिक स्वतंत्रता का दमन करने वाली नीतियों के विरुद्ध गुरु तेग़ बहादुरजी का बलिदान एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक घटना थी। यह गुरुजी के निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदाहरण था। गुरुजी मानवीय धर्म एवं वैचारिक स्वतंत्रता के लिए अपनी महान शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे। 11 नवंबर, 1675 ई को दिल्ली के चांदनी चौक में काज़ी ने फ़तवा पढ़ा और जल्लाद जलालदीन ने तलवार करके गुरू साहिब का शीश धड़ से अलग कर दिया। किन्तु गुरु तेग़ बहादुर ने अपने मुंह से सी तक नहीं कहा। आपके अद्वितीय बलिदान के बारे में गुरु गोविन्द सिंह जी ने ‘बिचित्र नाटक में लिखा है- .

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गुरु पर्व

नानक देव या गुरू नानक देव सिखों के प्रथम गुरू थे। गुरु नानक देवजी का प्रकाश (जन्म) १५ अप्रैल, १४६९ ई. (वैशाख सुदी 3, संवत्‌ 1526 विक्रमी) में तलवंडी रायभोय नामक स्थान पर हुआ। सुविधा की दृष्टि से गुरु नानक का प्रकाश उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। तलवंडी अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। इस दिन को सिख धर्म के अनुयायी गुरु पर्व के रूप में मनाते हैं। .

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गुरु राम दास

राम दास या गुरू राम दास (ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮ ਦਾਸ ਜੀ.), सिखों के गुरु थे और उन्हें गुरु की उपाधि 30 अगस्त 1574 को दी गयी थी। उन दिनों जब विदेशी आक्रमणकारी एक शहर के बाद दूसरा शहर तबाह कर रहे थे, तब 'पंचम् नानक' गुरू राम दास जी महाराज ने एक पवित्र शहर रामसर, जो कि अब अमृतसर के नाम से जाना जाता है, का निर्माण किया। .

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गुरु हर राय

right हर राय या गुरू हर राय(ਗੁਰੂ ਹਰਿਰਾਇ) सिखों के सातवें गुरु थे। गुरू हरराय जी एक महान आध्यात्मिक व राष्ट्रवादी महापुरुष एवं एक योद्धा भी थे। उनका जन्म सन् १६३० ई० में कीरतपुर रोपड़ में हुआ था। गुरू हरगोविन्द साहिब जी ने मृत्यू से पहले, अपने पोते हरराय जी को १४ वर्ष की छोटी आयु में ३ मार्च १६४४ को 'सप्तम्‌ नानक' के रूप में घोशित किया था। गुरू हरराय साहिब जी, बाबा गुरदित्ता जी एवं माता निहाल कौर जी के पुत्र थे। गुरू हरराय साहिब जी का विवाह माता किशन कौर जी, जो कि अनूप शहर (बुलन्दशहर), उत्तर प्रदेश के श्री दया राम जी की पुत्री थी, हर सूदी ३, सम्वत १६९७ को हुआ। गुरू हरराय साहिब जी के दो पुत्र थे श्री रामराय जी और श्री हरकिशन साहिब जी (गुरू) थे। गुरू हरराय साहिब जी का शांत व्यक्तित्व लोगों को प्रभावित करता था। गुरु हरराय साहिब जी ने अपने दादा गुरू हरगोविन्द साहिब जी के सिख योद्धाओं के दल को पुनर्गठित किया। उन्होंने सिख योद्धाओं में नवीन प्राण संचारित किए। वे एक आध्यात्मिक पुरुष होने के साथ-साथ एक राजनीतिज्ञ भी थे। अपने राष्ट्र केन्द्रित विचारों के कारण मुगल औरंगजेब को परेशानी हो रही थी। औरंगजेब का आरोप था कि गुरू हरराय साहिब जी ने दारा शिकोह (शाहजहां के सबसे बड़े पुत्र) की सहायता की है। दारा शिकोह संस्कृत भाषा के विद्वान थे। और भारतीय जीवन दर्शन उन्हें प्रभावित करने लगा था। एक बार गुरू हरराय साहिब जी मालवा और दोआबा क्षेत्र से प्रवास करके लौट रहे थे, तो मोहम्मद यारबेग खान ने उनके काफिले पर अपने एक हजार सशस्त्र सैनिकों के साथ हमला बोल दिया। इस अचानक हुए आक्रमण का गुरू हरराय साहिब जी ने सिख योद्धाओं के साथ मिलकर बहुत ही दिलेरी एवं बहादुरी के साथ प्रत्योत्तर दिया। दुश्मन को जान व माल की भारी हानि हुई एवं वे युद्ध के मैदान से भाग निकले। आत्म सुरक्षा के लिए सशस्त्र आवश्यक थे, भले ही व्यक्तिगत जीवन में वे अहिंसा परमो धर्म के सिद्धान्त को अहम मानते हों। गुरू हरराय साहिब जी प्रायः सिख योद्धाओं को बहादुरी के पुरस्कारों से नवाजा करते थे। अनसुधान केन्द्र की स्थापना भी की। एक बार दारा शिकोह किसी अनजानी बीमारी से ग्रस्त हुआ। हर प्रकार के सबसे बेहतर हकीमों से सलाह ली गयी। परन्तु किसी प्रकार कोई भी सुधार न आया। अन्त में गुरू साहिब की कृपा से उसका ईलाज हुआ। इस प्रकार दारा शिकोह को मौत के मुंह से बचा लिया गया। गुरू हरराय साहिब ने लाहौर, सियालकोट, पठानकोट, साम्बा, रामगढ एवं जम्मू एवं कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों का प्रवास भी किया। उन्होने ३६० मंजियों की स्थापना की। उन्होने भ्रष्ट ÷मसन्द पद्धति' सुधारने हेतु सुथरेशाह, साहिबा, संगतिये, मिंया साहिब, भगत भगवान, भगत मल एवं जीत मल भगत जैसे पवित्र एवं आध्यात्मिक लोगों को मंजियों का प्रमुख नियुक्त किया। गुरू हरराय साहिब ने अपने गुरूपद काल के दौरान बहुत सी कठिनाइयों का सामना किया। भ्रष्ट मसंद, धीरमल एवं मिनहास जैसों ने सिख पंथ के प्रसार में बाधाएं उत्पन्न की। शाहजहां की मृत्यु के बाद गैर मुस्लिमों के प्रति शासक औरंगजेब का रूख और कड़ा हो गया। मुगल शासक औरंगजेब ने सत्ता संघर्ष की स्थितियों में, गुरू हरराय साहिब जी द्वारा की गई दारा शिकोह की मदद को राजनैतिक बहाना बनाया। उसने गुरू साहिब पर बेबुनियाद आरोप लगाये। उन्हें दिल्ली में पेश होने का हुक्म दिया गया। गुरू हरराय साहिब जी के बदले रामराय जी दिल्ली गये। उन्होंने धीरमल एवं मिनहास द्वारा सिख धर्म एवं गुरू घर के प्रति फैलायी गयी भ्रांतियों को स्पष्ट करने का प्रयास किया। रामराय जी ने मुगल दरबार में गुरबाणी की त्रुटिपूर्ण व्याख्या की। उस समय की राजनैतिक परिस्थितियों एवं गुरु मर्यादा की दृष्टि से यह सब निन्दनीय था। जब गुरू हरराय साहिब जी को इस घटना के बारे में बताया गया तो उन्होने राम राय जी को तुरंत सिख पंथ से निष्कासित किया। राष्ट्र के स्वाभिमान व गुरुघर की परम्पराओं के विरुद्ध कार्य करने के कारण रामराय जी को यह कड़ा दण्ड दिया गया। इस घटना ने सिखों में देश के प्रति क्या कर्तव्य होने चाहिए, ऐसे भावों का संचार हुआ। सिख इस घटना के बाद गुरु घर की परम्पराओं के प्रति अुनशासित हो गए। इस प्रकार गुरू साहिब ने सिख धर्म के वास्तविक गुणों, जो कि गुरू ग्रन्थ साहिब जी में दर्ज हैं, गुरू नानक देव जी द्वारा बनाये गये किसी भी प्रकार के नियमों में फेरबदल करने वालों के लिए एक कड़ा कानून बना दिया। अपने अन्तिम समय को नजदीक देखते हुए उन्होने अपने सबसे छोटे पुत्र गुरू हरकिशन जी को ÷अष्टम्‌ नानक' के रूप में स्थापित किया। कार्तिक वदी ९ (पांचवीं कार्तिक), बिक्रम सम्वत १७१८, (६ अक्टूबर १६६१) में कीरतपुर साहिब में ज्योति जोत समा गये। .

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गुरु हर किशन

गुरू हर किशन जी सिखों के आठवें गुरू थे। .

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गुरु हरगोबिन्द

गुरू हरगोबिन्द सिखों के छठें गुरू थे। साहिब की सिक्ख इतिहास में गुरु अर्जुन देव जी के सुपुत्र गुरु हरगोबिन्द साहिब की दल-भंजन योद्धा कहकर प्रशंसा की गई है। गुरु हरगोबिन्द साहिब की शिक्षा दीक्षा महान विद्वान् भाई गुरदास की देख-रेख में हुई। गुरु जी को बराबर बाबा बुड्डाजी का भी आशीर्वाद प्राप्त रहा। छठे गुरु ने सिक्ख धर्म, संस्कृति एवं इसकी आचार-संहिता में अनेक ऐसे परिवर्तनों को अपनी आंखों से देखा जिनके कारण सिक्खी का महान बूटा अपनी जडे मजबूत कर रहा था। विरासत के इस महान पौधे को गुरु हरगोबिन्द साहिब ने अपनी दिव्य-दृष्टि से सुरक्षा प्रदान की तथा उसे फलने-फूलने का अवसर भी दिया। अपने पिता श्री गुरु अर्जुन देव की शहीदी के आदर्श को उन्होंने न केवल अपने जीवन का उद्देश्य माना, बल्कि उनके द्वारा जो महान कार्य प्रारम्भ किए गए थे, उन्हें सफलता पूर्वक सम्पूर्ण करने के लिए आजीवन अपनी प्रतिबद्धता भी दिखलाई। बदलते हुए हालातों के मुताबिक गुरु हरगोबिन्दसाहिब ने शस्त्र एवं शास्त्र की शिक्षा भी ग्रहण की। वह महान योद्धा भी थे। विभिन्न प्रकार के शस्त्र चलाने का उन्हें अद्भुत अभ्यास था। गुरु हरगोबिन्दसाहिब का चिन्तन भी क्रान्तिकारी था। वह चाहते थे कि सिख कौम शान्ति, भक्ति एवं धर्म के साथ-साथ अत्याचार एवं जुल्म का मुकाबला करने के लिए भी सशक्त बने। वह अध्यात्म चिन्तन को दर्शन की नई भंगिमाओं से जोडना चाहते थे। गुरु- गद्दी संभालते ही उन्होंने मीरी एवं पीरी की दो तलवारें ग्रहण की। मीरी और पीरी की दोनों तलवारें उन्हें बाबा बुड्डाजीने पहनाई। यहीं से सिख इतिहास एक नया मोड लेता है। गुरु हरगोबिन्दसाहिब मीरी-पीरी के संकल्प के साथ सिख-दर्शन की चेतना को नए अध्यात्म दर्शन के साथ जोड देते हैं। इस प्रक्रिया में राजनीति और धर्म एक दूसरे के पूरक बने। गुरु जी की प्रेरणा से श्री अकाल तख्त साहिब का भी भव्य अस्तित्व निर्मित हुआ। देश के विभिन्न भागों की संगत ने गुरु जी को भेंट स्वरूप शस्त्र एवं घोडे देने प्रारम्भ किए। अकाल तख्त पर कवि और ढाडियोंने गुरु-यश व वीर योद्धाओं की गाथाएं गानी प्रारम्भ की। लोगों में मुगल सल्तनत के प्रति विद्रोह जागृत होने लगा। गुरु हरगोबिन्दसाहिब नानक राज स्थापित करने में सफलता की ओर बढने लगे। जहांगीर ने गुरु हरगोबिन्दसाहिब को ग्वालियर के किले में बन्दी बना लिया। इस किले में और भी कई राजा, जो मुगल सल्तनत के विरोधी थे, पहले से ही कारावास भोग रहे थे। गुरु हरगोबिन्दसाहिब लगभग तीन वर्ष ग्वालियर के किले में बन्दी रहे। महान सूफी फकीर मीयांमीर गुरु घर के श्रद्धालु थे। जहांगीर की पत्‍‌नी नूरजहांमीयांमीर की सेविका थी। इन लोगों ने भी जहांगीर को गुरु जी की महानता और प्रतिभा से परिचित करवाया। बाबा बुड्डाव भाई गुरदास ने भी गुरु साहिब को बन्दी बनाने का विरोध किया। जहांगीर ने केवल गुरु जी को ही ग्वालियर के किले से आजाद नहीं किया, बल्कि उन्हें यह स्वतन्त्रता भी दी कि वे 52राजाओं को भी अपने साथ लेकर जा सकते हैं। इसीलिए सिख इतिहास में गुरु जी को बन्दी छोड़ दाता कहा जाता है। ग्वालियर में इस घटना का साक्षी गुरुद्वारा बन्दी छोड़ है। अपने जीवन मूल्यों पर दृढ रहते गुरु जी ने शाहजहां के साथ चार बार टक्कर ली। वे युद्ध के दौरान सदैव शान्त, अभय एवं अडोल रहते थे। उनके पास इतनी बडी सैन्य शक्ति थी कि मुगल सिपाही प्राय: भयभीत रहते थे। गुरु जी ने मुगल सेना को कई बार कड़ी पराजय दी। गुरु हरगोबिन्दसाहिब ने अपने व्यक्तित्व और कृत्तित्वसे एक ऐसी अदम्य लहर पैदा की, जिसने आगे चलकर सिख संगत में भक्ति और शक्ति की नई चेतना पैदा की। गुरु जी ने अपनी सूझ-बूझ से गुरु घर के श्रद्धालुओं को सुगठित भी किया और सिख-समाज को नई दिशा भी प्रदान की। अकाल तख्त साहिब सिख समाज के लिए ऐसी सर्वोच्च संस्था के रूप में उभरा, जिसने भविष्य में सिख शक्ति को केन्द्रित किया तथा उसे अलग सामाजिक और ऐतिहासिक पहचान प्रदान की। इसका श्रेय गुरु हरगोबिन्दसाहिब को ही जाता है। गुरु हरगोबिन्दसाहिब जी बहुत परोपकारी योद्धा थे। उनका जीवन दर्शन जन-साधारण के कल्याण से जुडा हुआ था। यही कारण है कि उनके समय में गुरमतिदर्शन राष्ट्र के कोने-कोने तक पहुंचा। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के महान संदेश ने गुरु-परम्परा के उन कार्यो को भी प्रकाशमान बनाया जिसके कारण भविष्य में मानवता का महा कल्याण होने जा रहा था। गुरु जी के इन अथक प्रयत्‍‌नों के कारण सिख परम्परा नया रूप भी ले रही थी तथा अपनी विरासत की गरिमा को पुन:नए सन्दर्भो में परिभाषित भी कर रही थी। गुरु हरगोबिन्दसाहिब की चिन्तन की दिशा को नए व्यावहारिक अर्थ दे रहे थे। वास्तव में यह उनकी आभा और शक्ति का प्रभाव था। गुरु जी के व्यक्तित्व और कृत्तित्वका गहरा प्रभाव पूरे परिवेश पर भी पडने लगा था। गुरु हरगोबिन्दसाहिब जी ने अपनी सारी शक्ति हरमन्दिरसाहिब व अकाल तख्त साहिब के आदर्श स्थापित करने में लगाई। गुरु हरगोबिन्दसाहिब प्राय: पंजाब से बाहर भी सिख धर्म के प्रचार हेतु अपने शिष्यों को भेजा करते थे। गुरु हरगोबिन्दसाहिब ने सिक्ख जीवन दर्शन को सम-सामयिक समस्याओं से केवल जोडा ही नहीं, बल्कि एक ऐसी जीवन दृष्टि का निर्माण भी किया जो गौरव पूर्ण समाधानों की संभावना को भी उजागर करता था। सिख लहर को प्रभावशाली बनाने में गुरु जी का अद्वितीय योगदान रहा। गुरु जी कीरतपुर साहिब में ज्योति-जोत समाए। गुरुद्वारा पातालपुरीगुरु जी की याद में आज भी हजारों व्यक्तियों को शान्ति का संदेश देता है। भाई गुरुदास ने गुरु हरगोबिन्दसाहिब की गौरव गाथा का इन शब्दों में उल्लेख किया है: पंज पिआलेपंजपीर छटम्पीर बैठा गुर भारी, अर्जुन काया पलट के मूरत हरगोबिन्दसवारी, चली पीढीसोढियांरूप दिखावनवारो-वारी, दल भंजन गुर सूरमा वडयोद्धा बहु-परउपकारी॥ सिखों के दस गुरू हैं। .

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गुरु गोबिन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय

गुरु गोबिंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (अनौपचारिक रूप से, इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय अथवा आई.पी.) दिल्ली में एक सार्वजानिक, वृतिक विश्वविद्यालय है। १९९८ में यह संस्थापित की गयी थी, जो की अब १२० से भी अधिक महाविद्यालयों को संबद्ध करती है जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक फैले हुए है। विश्वविद्यालय के कैम्पस में १५ शिक्षालय और एक संघटक महाविद्यालय - इंदिरा गाँधी प्रौद्योगिकी संसथान है। गुरु गोबिंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय को देश के शिक्षा के क्षेत्र में प्रवर्तकों में गिना जाता है। यह पहली और एकमात्र भारतीय और एशिआइ विश्वविद्यालय है जिसको "प्लाटिनम टेकनोलौजी अवार्ड फॉर क्वालिटी एंड एक्सीलेंस", जीनीवा, स्वीजरलैंड में शिक्षा के क्षेत्र में मिला है। यह पुरस्कार "अदरवेज मैनेजमेंट एंड कनसलटिंग", पैरिस द्वारा दिया गया है। विश्वविद्यालय, राष्ट्रमंडल विश्वविद्यालय संघ, भारतीय विश्वविद्यालय संघ, भारतीय चिकित्सा परिषद, दूरशिक्षा परिषद का एक सदस्य है। .

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गुरु अर्जुन देव

गुरु अर्जन देव के ५वे गुरु बनने की घोषणा अर्जुन देव या गुरू अर्जुन देव (15 अप्रेल 1563 – 30 मई 1606) सिखों के ५वे गुरु थे। गुरु अर्जुन देव जी शहीदों के सरताज एवं शान्तिपुंज हैं। आध्यात्मिक जगत में गुरु जी को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उन्हें ब्रह्मज्ञानी भी कहा जाता है। गुरुग्रंथ साहिब में तीस रागों में गुरु जी की वाणी संकलित है। गणना की दृष्टि से श्री गुरुग्रंथ साहिब में सर्वाधिक वाणी पंचम गुरु की ही है। ग्रंथ साहिब का संपादन गुरु अर्जुन देव जी ने भाई गुरदास की सहायता से 1604में किया। ग्रंथ साहिब की संपादन कला अद्वितीय है, जिसमें गुरु जी की विद्वत्ता झलकती है। उन्होंने रागों के आधार पर ग्रंथ साहिब में संकलित वाणियों का जो वर्गीकरण किया है, उसकी मिसाल मध्यकालीन धार्मिक ग्रंथों में दुर्लभ है। यह उनकी सूझबूझ का ही प्रमाण है कि ग्रंथ साहिब में 36महान वाणीकारोंकी वाणियां बिना किसी भेदभाव के संकलित हुई। .

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गुरु अंगद देव

अंगद देव या गुरू अंगद देव सिखो के एक गुरू थे। गुरू अंगद देव महाराज जी का सृजनात्मक व्यक्तित्व था। उनमें ऐसी अध्यात्मिक क्रियाशीलता थी जिससे पहले वे एक सच्चे सिख बनें और फिर एक महान गुरु। गुरू अंगद साहिब जी (भाई लहना जी) का जन्म हरीके नामक गांव में, जो कि फिरोजपुर, पंजाब में आता है, वैसाख वदी १, (पंचम्‌ वैसाख) सम्वत १५६१ (३१ मार्च १५०४) को हुआ था। गुरुजी एक व्यापारी श्री फेरू जी के पुत्र थे। उनकी माता जी का नाम माता रामो जी था। बाबा नारायण दास त्रेहन उनके दादा जी थे, जिनका पैतृक निवास मत्ते-दी-सराय, जो मुख्तसर के समीप है, में था। फेरू जी बाद में इसी स्थान पर आकर निवास करने लगे। .

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गुर्जर

सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति:भारत उपवन, अक्षरधाम मन्दिर, नई दिल्ली गुर्जर समाज, प्राचीन एवं प्रतिष्ठित समाज में से एक है। यह समुदाय गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, गूर्जर और वीर गुर्जर नाम से भी जाना जाता है। गुर्जर मुख्यत: उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान में बसे हैं। इस जाति का नाम अफ़्ग़ानिस्तान के राष्ट्रगान में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं, जैसे कि भारत का गुजरात राज्य, पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात ज़िला और गुजराँवाला ज़िला और रावलपिंडी ज़िले का गूजर ख़ान शहर।; आधुनिक स्थिति प्राचीन काल में युद्ध कला में निपुण रहे गुर्जर मुख्य रूप से खेती और पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। गुर्जर अच्छे योद्धा माने जाते थे और इसीलिए भारतीय सेना में अभी भी इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है| गुर्जर महाराष्ट्र (जलगाँव जिला), दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में फैले हुए हैं। राजस्थान में सारे गुर्जर हिंदू हैं। सामान्यत: गुर्जर हिन्दू, सिख, मुस्लिम आदि सभी धर्मो में देखे जा सकते हैं। मुस्लिम तथा सिख गुर्जर, हिन्दू गुर्जरो से ही परिवर्तित हुए थे। पाकिस्तान में गुजरावालां, फैसलाबाद और लाहौर के आसपास इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है। .

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ग्वालियर

ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक प्रमुख शहर है। भौगोलिक दृष्टि से ग्वालियर म.प्र.

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गोरखपुर

300px गोरखपुर उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग में नेपाल के साथ सीमा के पास स्थित भारत का एक प्रसिद्ध शहर है। यह गोरखपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यह एक धार्मिक केन्द्र के रूप में मशहूर है जो बौद्ध, हिन्दू, मुस्लिम, जैन और सिख सन्तों की साधनास्थली रहा। किन्तु मध्ययुगीन सर्वमान्य सन्त गोरखनाथ के बाद उनके ही नाम पर इसका वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया। यहाँ का प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर अभी भी नाथ सम्प्रदाय की पीठ है। यह महान सन्त परमहंस योगानन्द का जन्म स्थान भी है। इस शहर में और भी कई ऐतिहासिक स्थल हैं जैसे, बौद्धों के घर, इमामबाड़ा, 18वीं सदी की दरगाह और हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों का प्रमुख प्रकाशन संस्थान गीता प्रेस। 20वीं सदी में, गोरखपुर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक केन्द्र बिन्दु था और आज यह शहर एक प्रमुख व्यापार केन्द्र बन चुका है। पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय, जो ब्रिटिश काल में 'बंगाल नागपुर रेलवे' के रूप में जाना जाता था, यहीं स्थित है। अब इसे एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिये गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा/GIDA) की स्थापना पुराने शहर से 15 किमी दूर की गयी है। .

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गोविन्द सागर

गोविन्द सागर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित मानव-निर्मित झील है। इसका नाम सिखों के दशम गुरु गोविन्द सिंह के नाम पर रखा गया है। यह झील सतलज नदी पर भाखड़ा बांध के निर्माण के कारण बनी थी। श्रेणी:भारत के जलाशय.

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गीता बाली

गीता बाली गीता बाली हिन्दी फिल्मों की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। गीता बाली का जन्म विभाजन के पूर्व के पंजाब में हरकिर्तन कौर के रूप में हुआ था। वह सिख थीं और उनके फ़िल्मों में आने से पहले उनका परिवार काफी गरीबी में रहता था। १९५० के दशक में वह काफी विख्यात अदाकारा थीं। .

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आपसी सहायता

आपसी सहायता के अन्तर्गत वह व्यवहार आते हैं जो एक दूसरे के जीने में योगदान देते हैं। परन्तु ऐसे व्यवहार जो दूसरों के जीने में सहायक हैं, और प्राणी के अपने जीने की क्षमता कम करते हैं, डार्विन के उद्विकास के सिद्धांत को चुनौती देने वाले माने गए। विल्सन और विल्सन के अनुसार, वैज्ञानिक पिछले ५० वर्षों से खोज रहे हैं कि आपसी सहायता, जिसमें पर्यायवाद, सहयोग, सहोपकारिता, आदि भी आते हैं, का प्राणियों में कैसे विकास हुआ। जीव वैज्ञानिक विल्सन ने १९७५ में एक नयी शाखा समाजजीवविज्ञान शुरू की, जिसमें आपसी सहायता एक महत्वपूर्ण समस्या के रूप में उभरी। किन्तु विल्सन ने भी आनुवंशिक इकाई या जीन की प्रकृति को स्वार्थी माना, और कहा की जीन अपनी अधिक से अधिक प्रतिलिपियाँ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। सहायता देने वाले और लेने वाले को होने वाले लाभ या हानि को क्रमशः जीन में बढ़ोतरी या कमी से आँका गया। जिसके लिए अर्थशास्त्र से खेल सिद्धान्त को आयत किया गया। मनोवैज्ञानिक फेल्ड्मान सहायता को मानव प्रकृति का उजला पक्ष बताते हैं। उन्होंने १९८० के दशक के लेटाने और अन्य लोगों के प्रयोगों का वर्णन करते हुए लिखा कि मदद देने वाला इस व्यवहार पर होने वाले लाभ और हानि का जाएज़ा लेकर ही इस कार्य में अग्रसर होता है। फेल्ड्मान का मानना है कि हालाँकि परोपकार या पर्यायवाद भी सहायता का ही एक छोर है, किन्तु इसमें आत्मोत्सर्ग पर जोर है, जैसे, किसी व्यक्ति का एक आग से जलते घर में किसी अजनवी के बच्चे को बचाने के लिए कूदना। इस बारे में हाल्डेन का तर्क है कि किसी व्यक्ति को इस तरह का कार्य करना तभी लाभदायक रहेगा, यदि वह अपने सगे सम्बन्धी को बचा सके। हाल्डेन का तर्क नीचे दिए गए आपसी सहायता के पांच वैकल्पिक रास्तों का प्राक्कथन है। इस लेख में एक कोशिका प्राणी अमीबा के भुखमरी में बहुकोशिका समूह में परिवर्तन से लेकर मनुष्य में पराप्राकृतिक विश्वास से जुड़ने वाले विशाल जन समूह तक, आपसी सहायता के कुछ प्रारूप हैं, जिन्हें प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक चयन के वैकल्पिक रास्तों से समझने का प्रयास हो रहा है। .

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आपातकाल (भारत)

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जिन्होंने भारत के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करवाई। 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया। जयप्रकाश नारायण ने इसे 'भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि' कहा था। .

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इन्दौर

इन्दौर (अंग्रेजी:Indore) जनसंख्या की दृष्टि से भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा शहर है। यह इन्दौर ज़िला और इंदौर संभाग दोनों के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। इंदौर मध्य प्रदेश राज्य की वाणिज्यिक राजधानी भी है। यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है। इंदौर भारत का एकमात्र शहर है, जहाँ भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM इंदौर) व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT इंदौर) दोनों स्थापित हैं। मालवा पठार के दक्षिणी छोर पर स्थित इंदौर शहर, राज्य की राजधानी से १९० किमी पश्चिम में स्थित है। भारत की जनगणना,२०११ के अनुसार २१६७४४७ की आबादी सिर्फ ५३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में वितरित है। यह मध्यप्रदेश में सबसे अधिक घनी आबादी वाले प्रमुख शहर है। यह भारत में के तहत आता है। इंदौर मेट्रोपोलिटन एरिया (शहर व आसपास के इलाके) की आबादी राज्य में २१ लाख लोगों के साथ सबसे बड़ी है। इंदौर अपने स्थापना के इतिहास में १६वीं सदी क डेक्कन (दक्षिण) और दिल्ली के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में अपने निशान पाता है। मराठा पेशवा बाजीराव प्रथम के मालवा पर पूर्ण नियंत्रण ग्रहण करने के पश्चात, १८ मई १७२४ को इंदौर मराठा साम्राज्य में सम्मिलित हो गया था। और मल्हारराव होलकर को वहाँ का सुबेदार बनाया गया। जो आगे चल कर होलकर राजवंश की स्थापना की। ब्रिटिश राज के दिनों में, इन्दौर रियासत एक १९ गन सेल्यूट (स्थानीय स्तर पर २१) रियासत था जो की उस समय (एक दुर्लभ उच्च रैंक) थी। अंग्रेजी काल के दौरान में भी यह होलकर राजवंश द्वारा शासित रहा। भारत के स्वतंत्र होने के कुछ समय बाद यह भारत अधिराज्य में विलय कर दिया गया। इंदौर के रूप में सेवा की राजधानी मध्य भारत १९५० से १९५६ तक। इंदौर एक वित्तीय जिले के समान, मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में कार्य करता है। और भारत का तीसरा सबसे पुराने शेयर बाजार, मध्यप्रदेश स्टॉक एक्सचेंज इंदौर में स्थित है। यहाँ का अचल संपत्ति (रीयल एस्टेट) बज़ार, मध्य भारत में सबसे महंगा है। यह एक औद्योगिक शहर है। यहाँ लगभग ५,००० से अधिक छोटे-बडे उद्योग हैं। यह सारे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वित्त पैदा करता है। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में ४०० से अधिक उद्योग हैं और इनमे १०० से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्योग हैं। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग व्यावसायिक वाहन बनाने वाले व उनसे सम्बन्धित उद्योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश की प्रमुख वितरण केन्द्र और व्यापार मंडीयाँ है। यहाँ मालवा क्षेत्र के किसान अपने उत्पादन को बेचने और औद्योगिक वर्ग से मिलने आते है। यहाँ के आस पास की ज़मीन कृषि-उत्पादन के लिये उत्तम है और इंदौर मध्य-भारत का गेहूँ, मूंगफली और सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है। यह शहर, आस-पास के शहरों के लिए प्रमुख खरीददारी का केन्द्र भी है। इन्दौर अपने नमकीनों व खान-पान के लिये भी जाना जाता है। प्र.म. नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटी मिशन में १०० भारतीय शहरों को चयनित किया गया है जिनमें से इंदौर भी एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी मिशन के पहले चरण के अंतर्गत बीस शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा और इंदौर भी इस प्रथम चरण का हिस्सा है। 'स्वच्छ सर्वेक्षण २०१७' के परिणामों के अनुसार इन्दौर भारत का सबसे स्वच्छ नगर है। .

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इलाहाबाद

इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .

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इज़्ज़त

इज़्ज़त उत्तर भारत और पाकिस्तान की संस्कृति में मान, सम्मान और प्रतिष्ठा की मिश्रित संकल्पना (अर्थात कॅान्सेप्ट) है। यह उस क्षेत्र में रहने वाले सारे धर्मों (हिन्दू, मुस्लिम, सिख) और समुदायों पर लागू है। अपनी और अपने परिवार की (विशेषतः परिवार की स्त्रियों की) मान-प्रतिष्ठा बनाए रखना और अपनी इज्ज़त का उल्लंघन करने वालों से अनिवार्य रूप से बदला लेना इज्ज़त रखने के अभिन्न अंग माने जाते हैं। इज्ज़त की संकल्पना को कभी-कभी स्त्री-स्वतंत्रता के लिए सामाजिक अवरोधक बुलाया गया है, लेकिन हर सामाजिक वर्ग में इज्ज़त की एक ही परिभाषा होने से इसे समाज में समानता लाने का भी एक मूल समझा जाता है जिसमे "(दोस्ती की स्थिति में) लेन-देन की बराबरी भी है और (दुश्मनी की स्थिति में) बदला लेने की भी।" किसी भी रिश्ते में दोनों ओर से बराबर की दोस्ती या दुश्मनी जतलाने की परंपरा इज्ज़त की रिवायत से जुड़ी हुई है। अगर किसी ने पहले किसी परिस्थिति में सहायता की हो तो भविष्य में ज़रुरत पड़ने पर उसकी सहायता करना इस क्षेत्र के समाज में अपनी इज्ज़त रखने के लिए अनिवार्य माना जाता है। .

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कडपा

कडपा भारत के आंध्रप्रदेश राज्य के दक्षिण-मध्य में स्थित एक शहर है। यह कडपा जिला का जिला मुख्यालय भी है। कड़पा शब्द की उत्पत्ति तेलुगु शब्द गडपा से हुई है जिसका अर्थ द्वार होता है। पहले ये कड़प्पा नाम से जाना जाता था बाद में कड़पा हो गया। मध्यकाल कड़पा अनेक महापुरूषों के लिए जाना जाता था। वेमना, पोतुलूरी वीराब्रह्मम, अन्नमाचार्य, पेम्मसानी तिम्मा नायुडु जैसे महापुरूष यहीं पैदा हुए। कड़पा आंध्रप्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र का मशहूर शहर है। यह आंध्रप्रदेश के दक्षिण मध्य में स्थित है। यह पेन्ना नदी से आठ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह शहर तीन ओर से नल्लमला और पालकोंडा पहाड़ियों से घिरा है। इस शहर को द्वार भी कहा जाता है। दरअसल यह उत्तर से तिरूपती स्थित भगवान श्री वेंकटेश्वर की पवित्र पहाड़ी पगोडा आने वाले लोगों के लिए द्वार जैसा है। रामायण के सात कांडों में एक किष्किंधकांड, कडपा के वोंटिमिट्टा में हुई घटना माना जाता है। वोंतमित्ता कड़पा शहर से बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां का आंजनेय स्वामी गांडी भी रामायण का हिस्सा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम ने अपने बाण से गांडी पर आंजनेय स्वामी विग्रहम बनाया था, जो श्री सीता की खोज में आंजनेय हनुमान से सहायता मांगने का प्रतीक है। कडपा अपने इतिहास में विभिन्न शासकों के अधीन रहा है, जिनमें निजाम और चोला, विजयनगर साम्राज्य और मैसूर साम्राज्य शामिल हैं। यह अपने मसालेदार व्यंजन के लिए भी जाना जाता है। .

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करन सिंह ग्रोवर

करन सिंह ग्रोवर (जन्म 23 फ़रवरी 1982) भारत के एक लोकप्रिय टेलीविजन अभिनेता और मॉडल है। उन्होंने अपने टेलीविजन करियर की शुरुआत एमटीवी इंडिया (MTV India) पर एकता कपूर के 'कितनी मस्त है ज़िंदगी' से की '। उनको सबसे ज्यादा पहचान स्टार वन पर ''दिल मिल गऎ सीजन 1'' में डा अरमान मल्लिक की भूमिका से मिली। .

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कर्नूल

कर्नूल, आंध्रप्रदेश राज्य के बड़े शहरों में से एक है। यह तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा है। आंध्र प्रदेश के अवरतण के पूर्व कर्नूल नवंबर १, १९५६ तक आंध्र राष्ट्र का राजधानी रहा। कर्नूल भारत आंध्र प्रदेश के करनूल जिले का मुख्यालय है। शहर को अक्सर रायलसीमा के गेटवे के रूप में जाना जाता है। यह 1 अक्टूबर 1953 से 31 अक्टूबर 1956 तक आंध्र राज्य की राजधानी था। 2011 जनगणना के अनुसार, यह 460,184 की आबादी वाला राज्य का पांचवां सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। http://ourkmc.com/Circulars/files/50__Binder1.pdf .

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करीना कपूर

करीना कपूर (जन्म: २१ सितम्बर १९८०) बॉलीवुड फिल्मों में काम करने वाली एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। कपूर फ़िल्म परिवार में जन्मी करीना ने अभिनय की शुरुआत साल २००० में रिलीज़ हुई फ़िल्म रिफ्युज़ी के साथ की। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल डेब्यू यानि उस साल अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाली अभिनेत्रियों में से सर्वश्रेष्ठ अभिनत्री का पुरस्कार भी मिला। साल २००१ में, अपनी दूसरी फ़िल्म मुझे कुछ कहना है रिलीज़ होने के साथ ही, कपूर को अपनी पहली व्यावसायिक सफलता मिली। इसके बाद इसी साल आई करन जौहर की नाटक से भरपूर फ़िल्म कभी खुशी कभी ग़म में भी करीना नज़र आयीं। ये फ़िल्म उस साल विदेशों में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली भारतीय फ़िल्म बन गई और साथ ही करीना के लिए ये तब तक की सबसे बड़ी व्यावसायिक सफलता थी। २००२ और २००३ में लगातार कई फिल्मों की असफलता और एक जैसी भूमिकाएं करने की वजह से करीना को समीक्षालों से काफ़ी नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं, उसके बाद करीना ने एक जैसी भूमिकाओं या टाईपकास्ट (typecast) से बचने के लिए ज्यादा मेहनत वाली और कठिन भूमिकाएं लेना शुरू कर दिया। फ़िल्म चमेली (Chameli) में देह व्यापार करने वाली एक लड़की की भूमिका ने उनके करियर की दिशा बदल दी। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर स्पेशल परफोर्मेंस अवार्ड या फ़िल्मफेयर विशिष्ट प्रदर्शन पुरस्कार (Filmfare Special Performance Award) भी मिला। इसके बाद, फ़िल्म समीक्षकों द्वारा बहुप्रशंसित फिल्मों देव और ओंकारा में अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर समारोह में आलोचकों की दृष्टि से दो सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार (Critics Awards for Best Actress) भी मिले। २००४ और २००६ के बीच अभिनय के क्षेत्र में इतनी अलग-अलग तरह की भूमिकाएं करने के बाद उन्हें बहुमुखी प्रतिभा की धनी अभिनेत्री के रूप में जाना जाने लगा। वर्ष २००७ में, कपूर ने व्यावसायिक दृष्टि से बेहद सफल रही कॉमेडी-रोमांस फ़िल्म जब वी मेट में अपने प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार जीता.बॉक्स ऑफिस पर कमाई करने के मामले में भले ही उनकी फिल्मों का प्रदर्शन काफी अलग अलग रहा हो लेकिन करीना ख़ुद को हिन्दी फ़िल्म उद्योग में आज कल की अग्रणी फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में स्थापित करने में सफल रही हैं। .

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कश्मीर

ये लेख कश्मीर की वादी के बारे में है। इस राज्य का लेख देखने के लिये यहाँ जायें: जम्मू और कश्मीर। एडवर्ड मॉलीनक्स द्वारा बनाया श्रीनगर का दृश्य कश्मीर (कश्मीरी: (नस्तालीक़), कॅशीर) भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे उत्तरी भौगोलिक क्षेत्र है। कश्मीर एक मुस्लिमबहुल प्रदेश है। आज ये आतंकवाद से जूझ रहा है। इसकी मुख्य भाषा कश्मीरी है। जम्मू और कश्मीर के बाक़ी दो खण्ड हैं जम्मू और लद्दाख़। .

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कश्मीर की संस्कृति

जम्मू और कश्मीर उत्तर भारत में स्थित राज्य है। कश्मीर के सीमांत क्षेत्र पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सिंक्यांग तथा तिब्बत हैं। कश्मीर प्रदेश को 'दुनिया का स्वर्ग' भी कहा जाता है। अधिकांश राज्य पर्वत, नदियों और झीलों से ढका हुआ है। कश्मीर की संस्कृति कई संस्कृतियों का एक विविध मिश्रण है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ साथ, कश्मीर में अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, यह हिंदू, सिख, बौद्ध और इस्लामिक ज्ञान विद्या को जोड़ती है| कश्मीर की संस्कृति का अर्थ कश्मीर की संस्कृति एवं परम्पराओं से हैं.

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कहार

कहार (अंग्रेजी: Kahar) भारतवर्ष में हिन्दू धर्म को मानने वाली एक जाति है। यह जाति यहाँ हिन्दुओं के अतिरिक्त मुस्लिम व सिक्ख सम्प्रदाय में भी होती है। हिन्दू कहार जाति का इतिहास बहुत पुराना है जबकि मुस्लिम सिक्ख कहार बाद में बने। इस समुदाय के लोग बिहार, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही पाये जाते हैं! कहार स्वयं को कश्यप नाम के एक अति प्राचीन हिन्दू ऋषि के गोत्र से उत्पन्न हुआ बतलाते हैं। इस कारण वे अपने नाम के आगे जातिसूचक शब्द कश्यप लगाने में गर्व अनुभव करते हैं।बैसे महाभारत के भिष्म पितामह की दुसरी माता सत्यवती एक धीवर(निषाद)पुत्री थी,मगध साम्राट बहुबली जरासंध महराज भी चंद्रवंशी क्षत्रिय ही थे!बिहार,झारखंड,पं.बंगाल,आसाम में इस समाज को चंद्रवंशी क्षत्रिय समाज कहते है!रवानी या रमानी चंद्रवंसी समाज या कहार जाति की उपजाति या शाखा है। यह भारत के विभिन्न प्रांतों में विभिन्न नामों से पायी जाती है। श्रेणी:जाति"कहर" शब्द को खंडित कर कहार शब्द बना है।,कहर का एक इतिहास रहा है।महाभारत काल मे जब भारत का क्षेत्र फल अखण्ड आर्यबर्त में हुआ करता था,उस समय डाकूओ का प्रचलन जोरो पर था,आज भी हमलोग देख सकते है,पर नाम बदलकर डाकू के जगह फ्रोड, जालसाज, घोटाले,छिनतई ने ले रखी है।,खैर उस समय डाकुओ द्वरा दुल्हन की डोली के साथ जेवरात लूटना एक आम बात थी,लोग भयभीत थे,अइसे में कहर टीम का गठन किया गया था,डोली लुटेरों के रक्षा हेतुं, दुल्हन की डोली के साथ कहर टीम जाती थी और उनकी रक्षा करते हुवे मंजिल तक पहुँचते थे, आप सब ध्यान दे तो शादी की कार्ड पर डोली के आगे और पीछे तलवार लिए कुछ लोग की चित्रांकन देखने को मिलेगा, समय बीतता गया और शब्दों में परिवर्तन होता गया,कहर से कहार बन गया, कहर टीम को जब डोली के साथ जाना ही था,रोजगार और आर्थिक जरुरतो के पूर्ण के लिए कुछ लोग डोली भी खुद ही उठाने का निर्णय लिए थे यही इतिहास रहा है। कहार को संस्कृत में 'स्कंधहार ' कहते हैं....जिसका तात्पर्य होता है,जो अपने कंधे पर भार ढोता है...अब आप 'डोली' (पालकी) उठाना भी कह सकते हो...जोकि ज्यातर हमारे पुर्वज राजघराने की बहु-बेटी को डोली पे बिठाकर एक स्थान से दुसरे स्थान सुरक्षा के साथ वीहर-जंगलो व डाकुओ व राजाघरानें के दुश्मनों से बचाकर ले जाते थे...कर्म संबोधन कहार जाति कमजोर नहीं है...ये लोग अपनी बाहु-बल पे नाज करता है...और खुद को बिहार,झारखंड,प.बंगाल,आसाम में चंद्रवंशी क्षत्रिय कहलाना पसंद करते है...ये समाज जरासंध के वंसज़ है...

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कानपुर

कानपुर भारतवर्ष के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। यह नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ८० किलोमीटर पश्चिम स्थित यहाँ नगर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए चर्चित ब्रह्मावर्त (बिठूर) के उत्तर मध्य में स्थित ध्रुवटीला त्याग और तपस्या का संदेश दे रहा है। यहाँ की आबादी लगभग २७ लाख है। .

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कामागाटामारू कांड

वेंकूवर बुरार्ड के प्रवेशद्वार पर कामागाटामारू (१९१४) कामागातामारू (Komagata Maru) भापशक्ति से चलने वाला एक जापानी समुद्री जहाज था, जिसे हॉन्ग कॉन्ग में रहने वाले बाबा गुरदित्त सिंह ने खरीदा था। जहाज में पंजाब के 376 लोगों को बैठाकर बाबा 4 मार्च 1914 को वेंकूवर (ब्रिटिश कोलम्बिया, कनाडा) के लिए रवाना हुए। 23 मई को वहां पहुंचे लेकिन, अंग्रेजों ने सिर्फ 24 को उतारा और बाकी को जबरदस्ती वापस भेज दिया। इस जहाज में ३४० सिख, २४ मुसलमान और १२ हिन्दू थे। जहाज कोलकाता के बजबज घाट पर पहुंचा तो 27 सितंबर 1914 को अंग्रेजों ने फायरिंग कर दी। इसमें 19 लोगों की मौके पर मौत हो गई। इस घटना ने आजादी की लहर को और तेज कर दिया था। यह घटना उन अनेकों घटनाओं में से एक थी जिनमें २०वीं शताब्दी के आर्म्भिक दिनों में एशिया के प्रवासियों को कनादा और यूएस में प्रवेश की अनुमति नहीं थी (exclusion laws)। २०१४ में भारत सरकार ने इस घटना की याद में 100 रूपये का एक सिक्का जारी किया। .

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कौर

कौर (पंजाबी: ਕੌਰ; मतलब: शहज़ादी/राजकुमारी या शेरनी) एक सिख उपनाम है। इसका प्रयोग पंजाबी महिलाओं के नाम में देखने को मिलता है। .

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कूका

कूका एक सिख संप्रदाय है जिसे नामधारी भी कहते हैं। इस सप्रंदाय की स्थापना रामसिंह नामक एक लुहार ने की थी जिसका जन्म 1824 ई. में लुधियाना जिले के भेणी नामक ग्राम में हुआ था। उन दिनों सिख धर्म का जो प्रचलित रूप था वह रामसिंह को मान्य न था। गुरु नानक के समय जो धर्म का स्वरूप था उसे पुन: प्रतिष्ठित करने के निमित्त वे लोकप्रचलित सामाजिक एवं धार्मिक आचार विचार की कटु आलोचना करने लगे। धीरे-धीरे उनके विचारों से सहमत होनेवाले लोगों का एक सप्रंदाय बन गया। इस धार्मिक संप्रदाय ने आगे चलकर एक क्रांतिकारी राष्ट्रीय दल का रूप धारण कर लिया। महाराष्ट्र के संत रामदास ने महाराष्ट्र में स्वतंत्रता के मंत्र फूँके थे, कुछ उसी तरह का कार्य रामसिंह ने भी किया और 1864 ई. में उन्होंने अपने अनुयायियों को ब्रिटिश सरकार से असहयोग करने का आदेश दिया। इस आदेश के फलस्वरूप इस संप्रदाय ने पंजाब में स्वतंत्र शासन स्थापित करने का प्रयास किया। तब सरकार ने इस पर कठोर प्रतिबंध लगा दिया। रामसिंह और उनके अनुयायियों ने गुप्त रूप से कार्य करना आरंभ किया। गुप्त रूप से शास्त्रास्त्र एकत्र करना और सैनिकों को ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध उभारने का काम किया जाने लगा। इस प्रकार वे लोग पाँच वर्ष तक गुप्त रूप से कार्य करते रहे। 1872 ई. में एक जगह मुसलमानों ने गोवध करना चाहा। कूकापंथियों ने उसका विरोध किया। दोनों दलों के बीच गहरा संघर्ष हुआ। ब्रिटिश सरकार ने रामसिंह को गिरफ्तार कर ब्रह्मदेश (म्यानमार) भेज दिया जहाँ 1885 ई. में उनका निधन हुआ। इसके बाद कूकापंथ का विद्रोहात्मक रूप समाप्त हो गया किंतु धार्मिक संप्रदाय के रूप में पंजाब में आज भी लोहार, जाट आदि अनेक लोगों के बीच इसका महत्व बना हुआ है। .

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केश (सिख धर्म)

एक सिख पुरुष, अपने केशों पर दस्तार (पगड़ी) बाँधे हुए एक सिख बालक सिर पर रुमाल बाँधे हुएl केश (अथवा केस) सिख मजहब की एक प्रथा/व्यवहार है यह अवैज्ञानिक है क्योकी इससे लाल रक्त कण की कमी हो सकती है जिससे शरीर ठकावत महसूस करता है जिसेे हीमोग्लोबिन की कमी भी कहते है लेकिन सिख समुदाय इसे शरीर के लिए लाभदायक मानताा है । यह प्रथा पाँच ककार में से एक है, जो सिख वेश हेतु गुरु गोबिन्द सिंह जी ने आवश्यक घोषित किए थे। केशों को दिन में दो बार कंघे (ये भी पाँच क में सम्मिलित) से संवारा जाता है, और इसकी साधारण गाँठ बाँध दी जाती है जिसे जूड़ा या ऋषि केश कहा जाता है। सामान्यतः जूड़े को कंघे की सहायता से स्थिर रखा जाता है और पगड़ी (पंजाबी में: दस्तार) से ढका जाता है। .

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कोच्चि

कोच्चि, जिसे कोचीन भी कहा जाता था, लक्षद्वीप सागर के दक्षिण-पश्चिम तटरेखा पर स्थित एक बड़ा बंदरगाह शहर है, जो भारतीय राज्य केरल के एर्नाकुलम जिले का एक भाग है। कोच्चि को काफ़ी समय से प्रायः एर्नाकुलम भी कहा जाता है, जिसका अर्थ नगर का मुख्यभूमि भाग इंगित करता है। कोच्चि नगर निगम के अधीनस्थ (जनसंख्या ६,०१,५७४) ये राज्य का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला शहर है। ये कोच्चि महानगरीय क्षेत्र के विस्तार सहित (जनसंख्या २१ लाख) केरल राज्य का सबसे बड़ा शहरी आबादी क्षेत्र है। कोच्चि नगर ग्रेटर कोच्चि क्षेत्र का ही एक भाग है, और इसे भारत सरकार द्वारा द्वितीय दर्जे वाला शहर वर्गीकृत किया गया है। नगर की देख-रेख व अनुरक्षण दायित्त्व १९६७ में स्थापित हुआ कोच्चि नगर निगम देखता है। इसके अलावा पूरे क्षेत्र के सर्वांगीण विकास का भार ग्रेटर कोचीन डवलपमेंट अथॉरिटी (GCDA) एवं गोश्री आईलैण्ड डवलपमेंट अथॉरिटी (GIDA) पर है। कोच्चि १४वीं शताब्दी से ही भारत की पश्चिमी तटरेखा का मसालों का व्यापार केन्द्र रहा है और इसे अरब सागर की रानी के नाम से जाना जाता था। १५०३ में यहां पुर्तगालियों का आधिपत्य हुआ और यह उपनिवेशीय भारत की प्रथम यूरोपीय कालोनी बना और १५३० में गोवा के चुने जाने तक ये पुर्तगालियों का यहां का प्रधान शक्ति केन्द्र रहा था।क्कालांतर में कोच्चि राज्य के रजवाड़े में परिवर्तित होने के क्साथ ही ये डच एवं ब्रिटिश के नियन्त्रण में आ गया। आज केरल में कुल अन्तर्देशीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन संख्या में प्रथम स्थान बनाये हुए है। नीलसन कम्पनी के आउटलुक ट्रैवलर पत्रिका के लिये किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार कोच्चि आज भी भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक आकर्षणों में छठवें स्थान पर बना हुआ है। मैकिन्से ग्लोबल संस्थान द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार, कोच्चि २०२५ तक के विश्व के सकल घरेलु उत्पाद में ५०% योगदान देने वाले ४४० उभरते हुए शहरों में से एक था। भारतीय नौसेना के दक्षिणी नौसैनिक कमान का केन्द्र तथा भारतीय तटरक्षक का राज्य मुख्यालय भी इसी शहर में स्थित है, जिसमें एयर स्क्वैड्रन ७४७ नाम की एक वायु टुकड़ी भी जुड़ी है। नगर के वाणिज्यिक सागरीय गतिविधियों से सम्बन्धित सुविधाओं में कोच्चि बंदरगाह, अन्तर्राष्ट्रीय कण्टेनर ट्रांस्शिपमेण्ट टर्मिनल, कोचीन शिपयार्ड, कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ का अपतटीय (ऑफ़शोर) सिंगल बॉय मूरिंग (एस.पी.एम), एवं कोच्चि मैरीना भी हैं। कोच्चि में ही कोचीन विनिमय एक्स्चेंज, इंटरनेशनल पॅपर एक्स्चेंज भी स्थित हैं, तथा हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (एच.एम.टी), सायबर सिटी, एवं किन्फ़्रा हाई-टेक पाक एवं बड़ी रासायनिक निर्माणियां जैसे फ़र्टिलाइज़र्स एण्ड कैमिकल्स त्रावणकौर (फ़ैक्ट), त्रावणकौर कोचीन कैमिकल्स (टीसीसी), इण्डियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (आई.आर.ई.एल), हिन्दुस्तान ऑर्गैनिक कैमिकल्स लिमिटेड (एच.ओ.सी.एल) कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ के साथ साथ ही कई विद्युत कंपनियां जैसे टी.ई.एल.के एवं औद्योगिक पार्क भी बने हैं जिनमें कोचीन एपेशल इकॉनोमिक ज़ोन एवं इन्फ़ोपार्क कोच्चि प्रमुख हैं। कोच्चि में ही प्रमुख राज्य न्यायपीठ केरल एवं लक्षद्वीप उच्च न्यायालय एवं कोचीन युनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी भी स्थापित हैं। इसी नगर में केरल का नेशनल लॉ स्कूल, नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ़ एडवांस्ड लीगल स्टडीज़ को भी स्थान मिला है। .

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कोलासिब ज़िला

कोलासिब जिला भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मिज़ोरम के आठ जिलों में से एक है। .

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कोलकाता

बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .

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अपरा, पंजाब

अपरा (ਅੱਪਰਾ, Apra) भारत में पंजाब राज्य के जालंधर जिले में एक जनगणना शहर है। यह, शहर सोने और बड़ी मात्रा में धान की फसल के उत्पादन के लिए जाना जाता है। यह, जालंधर से 46 किमी, फिल्लौर से 12 किमी और चंडीगढ़ से 110 किलोमीटर दूर स्थित है। आसपास के अन्य गांवों की तुलना में अपरा सबसे बड़ा शहर है और यहीं पर मुख्य बाजार स्थित है। अपरा गोल्डन सिटी अपरा के रूप में भी जाना जाता है। निकटतम रेलवे स्टेशन 15.4 किमी दूर गोराया में है, निकटतम घरेलू हवाई अड्डा लुधियाना और निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के 142.5 किमी दूर अमृतसर में है। .

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अरुणाचल की जनजातियाँ

2001 की भारतीय जनगणना के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न धर्मों के अनुसार जनसंख्या की सूची इस प्रकार है.

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अरेश कुमार

अरेश कुमार (जन्म 3 मार्च 1973) पाकिस्तान से एक हिंदू नेता है। वह एनए-339 गैर मुस्लिम सातवीं निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है और भगवान जगन्नाथ का पुत्र है - पाकिस्तान विधान विकास और पारदर्शिता के संस्थान| वह सिख अधिकारों के लिए एक वकील है Daily Times of Pakistan - April 11, 2009.

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अरोड़ा

अरोड़ा (पंजाबी: ਅਰੋੜਾ) या अरोरा पंजाब मूल का समुदाय/जाति है। अधिकांश अरोड़ा हिन्दू है और खत्री के साथ वह पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तानी पंजाब) के मुख्य हिन्दू समूह है। इनका मुख्य पेशा व्यापार हुआ करता था और दक्षिणी-पश्चिम पंजाब के सराइकी भाषी समाज में इनका काफी प्रभाव था। चेनाब के आसपास बसे अरोड़ा की जीविका कृषि पर आधारित थी। हालांकि अरोड़ा एक उच्च जाति है लेकिन उसे खत्री से नीचा माना जाता है। दोनों समुदाय एक दूसरे के काफी निकट हैं और दोनों समुदायों के बीच शादियां भी अब होती हैं। अरोड़ा का भाटिया और सूद से भी करीब का रिश्ता है। 1947 में भारत के विभाजन तथा इसकी आज़ादी से पहले अरोड़ा समुदाय मुख्य रूप से पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) में सिन्धु नदी तथा इसकी सहायक नदियों के तटों; उत्तर-पश्चिम के सीमावर्ती राज्यों (एनडब्ल्यूएफपी) सहित भारतीय पंजाब के मालवा क्षेत्र; सिंध क्षेत्र में (मुख्य रूप से सिन्धी अरोड़ा पर पंजाबी तथा मुल्तानी बोलने वाले अरोड़ा समुदाय भी हैं); राजस्थान में (जोधपुरी तथा नागौरी अरोड़ा/खत्रियों के रूप में); तथा गुजरात में बसा हुआ था। पंजाब के उत्तरी पोटोहर तथा माझा क्षेत्रों में खत्रियों की संख्या अधिक थी। भारत में आजादी तथा विभाजन के बाद, अरोड़ा मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, जम्मू, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गुजरात तथा देश के अन्य भागों में रहते हैं। विभाजन के बाद, अरोड़ा भारत और पाकिस्तान के कई हिस्सों के साथ पूरी दुनिया में चले गए। .

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अहलुवालिया

अहलुवालिया सिख मिसल जस्सा सिंह अहलुवालिया के नाम पर किया गया। नाम अहलुवालिया उनके पैतृक गाँव अहलु पर पड़ा। इस गोत्र के लोग मुख्यतः पंजाब और हरियाणा में निवास करते हैं। .

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अग्निदाह

दाह-संस्कार या अग्निदाह किसी प्राणी (विषेशकर मानव) के मृत-शरीर को आग द्वारा जलाकर समाप्त कर देने की विधि को कहते हैं। हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन व कुछ अन्य धार्मिक समुदायों में इसी प्रक्रिया को परम्परागत रूप से करा जाता है। यूरोप व उत्तर अमेरिका के ईसाई मान्यता वाले लोगों में भी अग्निदाह प्रचलित है, हालांकि उनमें दफ़नाने की ऐतिहासिक परम्परा भी है। प्राचीन यूरोप में रोम व यूनान में अग्निदाह ही अधिक प्रचलित मृत्यु-परम्परा थी, और उस समय की कथायें व वर्णन इसकी पुष्टि करते हैं। रासायनिक रूप से अग्निदाह में शरीर भस्म होकर राख, गैसें, धुआँ और कुछ हड्डीनुमा अस्तियाँ छोड़ जाता है। .

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अग्रहरि सिख

अग्रहरि सिख उत्तर पूर्वी भारत का एक पिछड़ा सिख समुदाय हैं, जो मुख्यतः बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल में पाए जाते हैं। इन्हें बिहारी सिख भी कहा जाता हैं, क्योंकि सदियों से अग्रहरि सिख का बिहार में बसेरा रहा है। यह समुदाय सिख के नौवे गुरु तेग बहादुर सिंह के समय में उनके आसाम यात्रा के दौरान सिख धर्म में परिवर्तित हुआ था। .

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अंग्रेज-सिख युद्ध

सिखों ने अंग्रेजों के विरुद्ध दो प्रमुख युद्ध लड़े।.

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अइज़ोल

अइज़ोल (Aizawl) भारत के मिज़ोरम प्रान्त की राजधानी है। यहाँ की जनसंख्या २९३,४१६ है, जिसके कारण यह मिज़ोरम का सबसे बड़ा नगर है। यहाँ पर राज्य के सभी प्रशासनिक भवन जैसे महत्वपूर्ण सरकारी भवन, विधानसभा तथा सचिवालय स्थित है। .

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अइज़ोल ज़िला

अइज़ोल ज़िला भारतीत राज्य मिज़ोरम के आठ ज़िलों में से एक है। इस ज़िले के उत्तर में कोलासिब ज़िला, पश्चिम में ममित ज़िला, दक्षिण में सेरछिप ज़िला और पूर्व में चम्फाई ज़िला अवस्थित है। ज़िले का क्षेत्रफल है। इस ज़िले का मुख्यालय अइज़ोल है जो कि मिज़ोरम की राजधानी भी है। भारत की जनगणना २०११ के अनुसार यह ज़िला मिज़ोरम का सबसे अधिक जनसंख्या वाला ज़िला है। .

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अकबर

जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर (१५ अक्तूबर, १५४२-२७ अक्तूबर, १६०५) तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। अंतरण करने वाले के अनुसार बादशाह अकबर की जन्म तिथि हुमायुंनामा के अनुसार, रज्जब के चौथे दिन, ९४९ हिज़री, तदनुसार १४ अक्टूबर १५४२ को थी। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। बाबर का वंश तैमूर और मंगोल नेता चंगेज खां से संबंधित था अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था। अकबर के शासन के अंत तक १६०५ में मुगल साम्राज्य में उत्तरी और मध्य भारत के अधिकाश भाग सम्मिलित थे और उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था। उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम दोनों उसके प्रशंसक बने। अकबर मात्र तेरह वर्ष की आयु में अपने पिता नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायुं की मृत्यु उपरांत दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा था। अपने शासन काल में उसने शक्तिशाली पश्तून वंशज शेरशाह सूरी के आक्रमण बिल्कुल बंद करवा दिये थे, साथ ही पानीपत के द्वितीय युद्ध में नवघोषित हिन्दू राजा हेमू को पराजित किया था। अपने साम्राज्य के गठन करने और उत्तरी और मध्य भारत के सभी क्षेत्रों को एकछत्र अधिकार में लाने में अकबर को दो दशक लग गये थे। उसका प्रभाव लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर था और इस क्षेत्र के एक बड़े भूभाग पर सम्राट के रूप में उसने शासन किया। सम्राट के रूप में अकबर ने शक्तिशाली और बहुल हिन्दू राजपूत राजाओं से राजनयिक संबंध बनाये और उनके यहाँ विवाह भी किये। अकबर के शासन का प्रभाव देश की कला एवं संस्कृति पर भी पड़ा। उसने चित्रकारी आदि ललित कलाओं में काफ़ी रुचि दिखाई और उसके प्रासाद की भित्तियाँ सुंदर चित्रों व नमूनों से भरी पड़ी थीं। मुगल चित्रकारी का विकास करने के साथ साथ ही उसने यूरोपीय शैली का भी स्वागत किया। उसे साहित्य में भी रुचि थी और उसने अनेक संस्कृत पाण्डुलिपियों व ग्रन्थों का फारसी में तथा फारसी ग्रन्थों का संस्कृत व हिन्दी में अनुवाद भी करवाया था। अनेक फारसी संस्कृति से जुड़े चित्रों को अपने दरबार की दीवारों पर भी बनवाया। अपने आरंभिक शासन काल में अकबर की हिन्दुओं के प्रति सहिष्णुता नहीं थी, किन्तु समय के साथ-साथ उसने अपने आप को बदला और हिन्दुओं सहित अन्य धर्मों में बहुत रुचि दिखायी। उसने हिन्दू राजपूत राजकुमारियों से वैवाहिक संबंध भी बनाये। अकबर के दरबार में अनेक हिन्दू दरबारी, सैन्य अधिकारी व सामंत थे। उसने धार्मिक चर्चाओं व वाद-विवाद कार्यक्रमों की अनोखी शृंखला आरंभ की थी, जिसमें मुस्लिम आलिम लोगों की जैन, सिख, हिन्दु, चार्वाक, नास्तिक, यहूदी, पुर्तगाली एवं कैथोलिक ईसाई धर्मशस्त्रियों से चर्चाएं हुआ करती थीं। उसके मन में इन धार्मिक नेताओं के प्रति आदर भाव था, जिसपर उसकी निजि धार्मिक भावनाओं का किंचित भी प्रभाव नहीं पड़ता था। उसने आगे चलकर एक नये धर्म दीन-ए-इलाही की भी स्थापना की, जिसमें विश्व के सभी प्रधान धर्मों की नीतियों व शिक्षाओं का समावेश था। दुर्भाग्यवश ये धर्म अकबर की मृत्यु के साथ ही समाप्त होता चला गया। इतने बड़े सम्राट की मृत्यु होने पर उसकी अंत्येष्टि बिना किसी संस्कार के जल्दी ही कर दी गयी। परम्परानुसार दुर्ग में दीवार तोड़कर एक मार्ग बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकंदरा के मकबरे में दफना दिया गया। .

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अकोई साहिब

अकोई साहिब मलेरकोट्ला-संगरूर मार्ग पर स्थित पंजाब का एक गाँव है, जो संगरूर से पाँच किलोमीटर की दूरी पर है। इस गाँव में सिक्खों के तीन गुरू - गुरु नानक देव, गुरु हरगोविन्द सिंह और गुरु तेग बहादुर। .

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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उत्तराखण्ड के लोग

उत्तराखण्ड के लोग उत्तराखण्ड के मूल निवासियों को कहते हैं। उत्तराखण्ड के मूल निवासियों को कुमाऊँनी या गढ़वाली कहा जाता है जो प्रदेश के दो मण्डलों कुमाऊँ और गढ़वाल में रहते हैं। एक अन्य श्रेणी हैं गुज्जर, जो एक प्रकार के चरवाहे हैं और दक्षिणपश्चिमी तराई क्षेत्र में रहते हैं। मध्य पहाड़ी की दो बोलियाँ कुमाऊँनी और गढ़वाली, क्रमशः कुमाऊँ और गढ़वाल में बोली जाती हैं। जौनसारी और भोटिया दो अन्य बोलियाँ, जनजाति समुदायों द्वारा क्रमशः पश्चिम और उत्तर में बोली जाती हैं। लेकिन हिन्दी पूरे प्रदेश में बोली और समझी जाती है और नगरीय जनसंख्या अधिकतर हिन्दी ही बोलती है। शेष भारत के समान ही उत्तराखण्ड में हिन्दू बहुमत में हैं और कुल जनसंख्या का ८५% हैं, इसके बाद मुसलमान १२%, सिख २.५% और अन्य धर्मावलम्बी ०.५% हैं। .

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उदासी सम्प्रदाय

उदासी संप्रदाय सिख-साधुओं का एक सम्प्रदाय है जिसकी कुछ शिक्षाएँ सिख पंथ से लीं गयीं हैं। इसके संस्थापक गुरु नानक के पुत्र श्री चन्द (1494–1643) थे। ये लोग सनातन धर्म को मानते हैं तथा पंच-प्रकृति (जल, अग्नि, पृथ्वी, वायु, आकाश) की पूजा करते हैं। उदासी सम्प्रदाय के साधु सांसारिक बातों की ओर से विशेष रूप से तटस्थ रहते आए हैं और इनकी भोली भाली एवं सादी अहिंसात्मक प्रवृत्ति के कारण इन्हें सिख गुरु अमरदास तथा गुरु गोविन्द सिंह ने जैन धर्म द्वारा प्रभावित और अकर्मण्य तक मान लिया था। परंतु गुरु हरगोविंद के पुत्र बाबा गुराँदित्ता ने संप्रदाय के संगठन एवं विकास में सहयोग दिया और तब से इसका अधिक प्रचार भी हुआ। .

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उधम सिंह

अंगूठाकार सरदार उधम सिंह (26 दिसम्बर 1899 से 31 जुलाई 1940) का नाम भारत की आज़ादी की लड़ाई में पंजाब के क्रान्तिकारी के रूप में दर्ज है। उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ' ड्वायर (en:Sir Michael Francis O'Dwyer) को लन्दन में जाकर गोली मारी। कई इतिहासकारों का मानना है कि यह हत्याकाण्ड ओ' ड्वायर व अन्य ब्रिटिश अधिकारियों का एक सुनियोजित षड्यंत्र था, जो पंजाब पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए पंजाबियों को डराने के उद्देश्य से किया गया था। यही नहीं, ओ' ड्वायर बाद में भी जनरल डायर के समर्थन से पीछे नहीं हटा था। मिलते जुलते नाम के कारण यह एक आम धारणा है कि उधम सिंह ने जालियाँवाला बाग हत्याकांड के उत्तरदायी जनरल डायर (पूरा नाम - रेजिनाल्ड एडवार्ड हैरी डायर, Reginald Edward Harry Dyer) को मारा था, लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि प्रशासक ओ' ड्वायर जहां उधम सिंह की गोली से मरा (सन् १९४०), वहीं गोलीबारी को अंजाम देने वाला जनरल डायर १९२७ में पक्षाघात तथा कई तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर मरा। उत्तर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के एक ज़िले का नाम भी इनके नाम पर उधम सिंह नगर रखा गया है। .

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उप्पल गोत्र

उप्पल एक जाट गोत्र है जो भारत एवं पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में पाया जाती है। उप्पलों के रिती-रिवाज अन्य जाटों के समान ही होते हैं और मुख्यतः पंजाबी भाषा बोलते हैं।। पिलानिया गोत्र भी इसी से निकला है। पिलाना गांव बसाने से वे पिलानिया बन गए। .

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१५ जुलाई

१५ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९वॉ (लीप वर्ष मे १९७वॉ) दिन है। साल मे अभी और १६९ दिन बाकी है। .

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१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

१८५७ के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को समर्पित भारत का डाकटिकट। १८५७ का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति की शुरूआत '10 मई 1857' की संध्या को मेरठ मे हुई थी और इसको समस्त भारतवासी 10 मई को प्रत्येक वर्ष ”क्रान्ति दिवस“ के रूप में मनाते हैं, क्रान्ति की शुरूआत करने का श्रेय अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर को जाता है 10 मई 1857 को मेरठ में विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों के विरूद्ध साझा मोर्चा गठित कर क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया।1 सैनिकों के विद्रोह की खबर फैलते ही मेरठ की शहरी जनता और आस-पास के गांव विशेषकर पांचली, घाट, नंगला, गगोल इत्यादि के हजारों ग्रामीण मेरठ की सदर कोतवाली क्षेत्र में जमा हो गए। इसी कोतवाली में धन सिंह कोतवाल (प्रभारी) के पद पर कार्यरत थे।2 मेरठ की पुलिस बागी हो चुकी थी। धन सिंह कोतवाल क्रान्तिकारी भीड़ (सैनिक, मेरठ के शहरी, पुलिस और किसान) में एक प्राकृतिक नेता के रूप में उभरे। उनका आकर्षक व्यक्तित्व, उनका स्थानीय होना, (वह मेरठ के निकट स्थित गांव पांचली के रहने वाले थे), पुलिस में उच्च पद पर होना और स्थानीय क्रान्तिकारियों का उनको विश्वास प्राप्त होना कुछ ऐसे कारक थे जिन्होंने धन सिंह को 10 मई 1857 के दिन मेरठ की क्रान्तिकारी जनता के नेता के रूप में उभरने में मदद की। उन्होंने क्रान्तिकारी भीड़ का नेतृत्व किया और रात दो बजे मेरठ जेल पर हमला कर दिया। जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ा लिया और जेल में आग लगा दी।3 जेल से छुड़ाए कैदी भी क्रान्ति में शामिल हो गए। उससे पहले पुलिस फोर्स के नेतृत्व में क्रान्तिकारी भीड़ ने पूरे सदर बाजार और कैंट क्षेत्र में क्रान्तिकारी घटनाओं को अंजाम दिया। रात में ही विद्रोही सैनिक दिल्ली कूच कर गए और विद्रोह मेरठ के देहात में फैल गया। मंगल पाण्डे 8 अप्रैल, 1857 को बैरकपुर, बंगाल में शहीद हो गए थे। मंगल पाण्डे ने चर्बी वाले कारतूसों के विरोध में अपने एक अफसर को 29 मार्च, 1857 को बैरकपुर छावनी, बंगाल में गोली से उड़ा दिया था। जिसके पश्चात उन्हें गिरफ्तार कर बैरकपुर (बंगाल) में 8 अप्रैल को फासी दे दी गई थी। 10 मई, 1857 को मेरठ में हुए जनक्रान्ति के विस्फोट से उनका कोई सम्बन्ध नहीं है। क्रान्ति के दमन के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने 10 मई, 1857 को मेरठ मे हुई क्रान्तिकारी घटनाओं में पुलिस की भूमिका की जांच के लिए मेजर विलियम्स की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई।4 मेजर विलियम्स ने उस दिन की घटनाओं का भिन्न-भिन्न गवाहियों के आधार पर गहन विवेचन किया तथा इस सम्बन्ध में एक स्मरण-पत्र तैयार किया, जिसके अनुसार उन्होंने मेरठ में जनता की क्रान्तिकारी गतिविधियों के विस्फोट के लिए धन सिंह कोतवाल को मुख्य रूप से दोषी ठहराया, उसका मानना था कि यदि धन सिंह कोतवाल ने अपने कर्तव्य का निर्वाह ठीक प्रकार से किया होता तो संभवतः मेरठ में जनता को भड़कने से रोका जा सकता था।5 धन सिंह कोतवाल को पुलिस नियंत्रण के छिन्न-भिन्न हो जाने के लिए दोषी पाया गया। क्रान्तिकारी घटनाओं से दमित लोगों ने अपनी गवाहियों में सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि धन सिंह कोतवाल क्योंकि स्वयं गूजर है इसलिए उसने क्रान्तिकारियों, जिनमें गूजर बहुसंख्या में थे, को नहीं रोका। उन्होंने धन सिंह पर क्रान्तिकारियों को खुला संरक्षण देने का आरोप भी लगाया।6 एक गवाही के अनुसार क्रान्तिकरियों ने कहा कि धन सिंह कोतवाल ने उन्हें स्वयं आस-पास के गांव से बुलाया है 7 यदि मेजर विलियम्स द्वारा ली गई गवाहियों का स्वयं विवेचन किया जाये तो पता चलता है कि 10 मई, 1857 को मेरठ में क्रांति का विस्फोट काई स्वतः विस्फोट नहीं वरन् एक पूर्व योजना के तहत एक निश्चित कार्यवाही थी, जो परिस्थितिवश समय पूर्व ही घटित हो गई। नवम्बर 1858 में मेरठ के कमिश्नर एफ0 विलियम द्वारा इसी सिलसिले से एक रिपोर्ट नोर्थ - वैस्टर्न प्रान्त (आधुनिक उत्तर प्रदेश) सरकार के सचिव को भेजी गई। रिपोर्ट के अनुसार मेरठ की सैनिक छावनी में ”चर्बी वाले कारतूस और हड्डियों के चूर्ण वाले आटे की बात“ बड़ी सावधानी पूर्वक फैलाई गई थी। रिपोर्ट में अयोध्या से आये एक साधु की संदिग्ध भूमिका की ओर भी इशारा किया गया था।8 विद्रोही सैनिक, मेरठ शहर की पुलिस, तथा जनता और आस-पास के गांव के ग्रामीण इस साधु के सम्पर्क में थे। मेरठ के आर्य समाजी, इतिहासज्ञ एवं स्वतन्त्रता सेनानी आचार्य दीपांकर के अनुसार यह साधु स्वयं दयानन्द जी थे और वही मेरठ में 10 मई, 1857 की घटनाओं के सूत्रधार थे। मेजर विलियम्स को दो गयी गवाही के अनुसार कोतवाल स्वयं इस साधु से उसके सूरजकुण्ड स्थित ठिकाने पर मिले थे।9 हो सकता है ऊपरी तौर पर यह कोतवाल की सरकारी भेंट हो, परन्तु दोनों के आपस में सम्पर्क होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता। वास्तव में कोतवाल सहित पूरी पुलिस फोर्स इस योजना में साधु (सम्भवतः स्वामी दयानन्द) के साथ देशव्यापी क्रान्तिकारी योजना में शामिल हो चुकी थी। 10 मई को जैसा कि इस रिपोर्ट में बताया गया कि सभी सैनिकों ने एक साथ मेरठ में सभी स्थानों पर विद्रोह कर दिया। ठीक उसी समय सदर बाजार की भीड़, जो पहले से ही हथियारों से लैस होकर इस घटना के लिए तैयार थी, ने भी अपनी क्रान्तिकारी गतिविधियां शुरू कर दीं। धन सिंह कोतवाल ने योजना के अनुसार बड़ी चतुराई से ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादार पुलिस कर्मियों को कोतवाली के भीतर चले जाने और वहीं रहने का आदेश दिया।10 आदेश का पालन करते हुए अंग्रेजों के वफादार पिट्ठू पुलिसकर्मी क्रान्ति के दौरान कोतवाली में ही बैठे रहे। इस प्रकार अंग्रेजों के वफादारों की तरफ से क्रान्तिकारियों को रोकने का प्रयास नहीं हो सका, दूसरी तरफ उसने क्रान्तिकारी योजना से सहमत सिपाहियों को क्रान्ति में अग्रणी भूमिका निभाने का गुप्त आदेश दिया, फलस्वरूप उस दिन कई जगह पुलिस वालों को क्रान्तिकारियों की भीड़ का नेतृत्व करते देखा गया।11 धन सिंह कोतवाल अपने गांव पांचली और आस-पास के क्रान्तिकारी गूजर बाहुल्य गांव घाट, नंगला, गगोल आदि की जनता के सम्पर्क में थे, धन सिंह कोतवाल का संदेश मिलते ही हजारों की संख्या में गूजर क्रान्तिकारी रात में मेरठ पहुंच गये। मेरठ के आस-पास के गांवों में प्रचलित किवंदन्ती के अनुसार इस क्रान्तिकारी भीड़ ने धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में देर रात दो बजे जेल तोड़कर 836 कैदियों को छुड़ा लिया12 और जेल को आग लगा दी। मेरठ शहर और कैंट में जो कुछ भी अंग्रेजों से सम्बन्धित था उसे यह क्रान्तिकारियों की भीड़ पहले ही नष्ट कर चुकी थी। उपरोक्त वर्णन और विवेचना के आधार पर हम निःसन्देह कह सकते हैं कि धन सिंह कोतवाल ने 10 मई, 1857 के दिन मेरठ में मुख्य भूमिका का निर्वाह करते हुए क्रान्तिकारियों को नेतृत्व प्रदान किया था।1857 की क्रान्ति की औपनिवेशिक व्याख्या, (ब्रिटिश साम्राज्यवादी इतिहासकारों की व्याख्या), के अनुसार 1857 का गदर मात्र एक सैनिक विद्रोह था जिसका कारण मात्र सैनिक असंतोष था। इन इतिहासकारों का मानना है कि सैनिक विद्रोहियों को कहीं भी जनप्रिय समर्थन प्राप्त नहीं था। ऐसा कहकर वह यह जताना चाहते हैं कि ब्रिटिश शासन निर्दोष था और आम जनता उससे सन्तुष्ट थी। अंग्रेज इतिहासकारों, जिनमें जौन लोरेंस और सीले प्रमुख हैं ने भी 1857 के गदर को मात्र एक सैनिक विद्रोह माना है, इनका निष्कर्ष है कि 1857 के विद्रोह को कही भी जनप्रिय समर्थन प्राप्त नहीं था, इसलिए इसे स्वतन्त्रता संग्राम नहीं कहा जा सकता। राष्ट्रवादी इतिहासकार वी0 डी0 सावरकर और सब-आल्टरन इतिहासकार रंजीत गुहा ने 1857 की क्रान्ति की साम्राज्यवादी व्याख्या का खंडन करते हुए उन क्रान्तिकारी घटनाओं का वर्णन किया है, जिनमें कि जनता ने क्रान्ति में व्यापक स्तर पर भाग लिया था, इन घटनाओं का वर्णन मेरठ में जनता की सहभागिता से ही शुरू हो जाता है। समस्त पश्चिम उत्तर प्रदेश के बन्जारो, रांघड़ों और गूजर किसानों ने 1857 की क्रान्ति में व्यापक स्तर पर भाग लिया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में ताल्लुकदारों ने अग्रणी भूमिका निभाई। बुनकरों और कारीगरों ने अनेक स्थानों पर क्रान्ति में भाग लिया। 1857 की क्रान्ति के व्यापक आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक कारण थे और विद्रोही जनता के हर वर्ग से आये थे, ऐसा अब आधुनिक इतिहासकार सिद्ध कर चुके हैं। अतः 1857 का गदर मात्र एक सैनिक विद्रोह नहीं वरन् जनसहभागिता से पूर्ण एक राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम था। परन्तु 1857 में जनसहभागिता की शुरूआत कहाँ और किसके नेतृत्व में हुई ? इस जनसहभागिता की शुरूआत के स्थान और इसमें सहभागिता प्रदर्शित वाले लोगों को ही 1857 की क्रान्ति का जनक कहा जा सकता है। क्योंकि 1857 की क्रान्ति में जनता की सहभागिता की शुरूआत धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में मेरठ की जनता ने की थी। अतः ये ही 1857 की क्रान्ति के जनक कहे जाते हैं। 10, मई 1857 को मेरठ में जो महत्वपूर्ण भूमिका धन सिंह और उनके अपने ग्राम पांचली के भाई बन्धुओं ने निभाई उसकी पृष्ठभूमि में अंग्रेजों के जुल्म की दास्तान छुपी हुई है। ब्रिटिश साम्राज्य की औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था की कृषि नीति का मुख्य उद्देश्य सिर्फ अधिक से अधिक लगान वसूलना था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अंग्रेजों ने महलवाड़ी व्यवस्था लागू की थी, जिसके तहत समस्त ग्राम से इकट्ठा लगान तय किया जाता था और मुखिया अथवा लम्बरदार लगान वसूलकर सरकार को देता था। लगान की दरें बहुत ऊंची थी, और उसे बड़ी कठोरता से वसूला जाता था। कर न दे पाने पर किसानों को तरह-तरह से बेइज्जत करना, कोड़े मारना और उन्हें जमीनों से बेदखल करना एक आम बात थी, किसानों की हालत बद से बदतर हो गई थी। धन सिंह कोतवाल भी एक किसान परिवार से सम्बन्धित थे। किसानों के इन हालातों से वे बहुत दुखी थे। धन सिंह के पिता पांचली ग्राम के मुखिया थे, अतः अंग्रेज पांचली के उन ग्रामीणों को जो किसी कारणवश लगान नहीं दे पाते थे, उन्हें धन सिंह के अहाते में कठोर सजा दिया करते थे, बचपन से ही इन घटनाओं को देखकर धन सिंह के मन में आक्रोष जन्म लेने लगा।13 ग्रामीणों के दिलो दिमाग में ब्रिटिष विरोध लावे की तरह धधक रहा था। 1857 की क्रान्ति में धन सिंह और उनके ग्राम पांचली की भूमिका का विवेचन करते हुए हम यह नहीं भूल सकते कि धन सिंह गूजर जाति में जन्में थे, उनका गांव गूजर बहुल था। 1707 ई0 में औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात गूजरों ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी राजनैतिक ताकत काफी बढ़ा ली थी।14 लढ़ौरा, मुण्डलाना, टिमली, परीक्षितगढ़, दादरी, समथर-लौहा गढ़, कुंजा बहादुरपुर इत्यादि रियासतें कायम कर वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक गूजर राज्य बनाने के सपने देखने लगे थे।15 1803 में अंग्रेजों द्वारा दोआबा पर अधिकार करने के वाद गूजरों की शक्ति क्षीण हो गई थी, गूजर मन ही मन अपनी राजनैतिक शक्ति को पुनः पाने के लिये आतुर थे, इस दषा में प्रयास करते हुए गूजरों ने सर्वप्रथम 1824 में कुंजा बहादुरपुर के ताल्लुकदार विजय सिंह और कल्याण सिंह उर्फ कलवा गूजर के नेतृत्व में सहारनपुर में जोरदार विद्रोह किये।16 पश्चिमी उत्तर प्रदेष के गूजरों ने इस विद्रोह में प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया परन्तु यह प्रयास सफल नहीं हो सका। 1857 के सैनिक विद्रोह ने उन्हें एक और अवसर प्रदान कर दिया। समस्त पश्चिमी उत्तर प्रदेष में देहरादून से लेकिन दिल्ली तक, मुरादाबाद, बिजनौर, आगरा, झांसी तक। पंजाब, राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक के गूजर इस स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। हजारों की संख्या में गूजर शहीद हुए और लाखों गूजरों को ब्रिटेन के दूसरे उपनिवेषों में कृषि मजदूर के रूप में निर्वासित कर दिया। इस प्रकार धन सिंह और पांचली, घाट, नंगला और गगोल ग्रामों के गूजरों का संघर्ष गूजरों के देशव्यापी ब्रिटिष विरोध का हिस्सा था। यह तो बस एक शुरूआत थी। 1857 की क्रान्ति के कुछ समय पूर्व की एक घटना ने भी धन सिंह और ग्रामवासियों को अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित किया। पांचली और उसके निकट के ग्रामों में प्रचलित किंवदन्ती के अनुसार घटना इस प्रकार है, ”अप्रैल का महीना था। किसान अपनी फसलों को उठाने में लगे हुए थे। एक दिन करीब 10 11 बजे के आस-पास बजे दो अंग्रेज तथा एक मेम पांचली खुर्द के आमों के बाग में थोड़ा आराम करने के लिए रूके। इसी बाग के समीप पांचली गांव के तीन किसान जिनके नाम मंगत सिंह, नरपत सिंह और झज्जड़ सिंह (अथवा भज्जड़ सिंह) थे, कृषि कार्यो में लगे थे। अंग्रेजों ने इन किसानों से पानी पिलाने का आग्रह किया। अज्ञात कारणों से इन किसानों और अंग्रेजों में संघर्ष हो गया। इन किसानों ने अंग्रेजों का वीरतापूर्वक सामना कर एक अंग्रेज और मेम को पकड़ दिया। एक अंग्रेज भागने में सफल रहा। पकड़े गए अंग्रेज सिपाही को इन्होंने हाथ-पैर बांधकर गर्म रेत में डाल दिया और मेम से बलपूर्वक दायं हंकवाई। दो घंटे बाद भागा हुआ सिपाही एक अंग्रेज अधिकारी और 25-30 सिपाहियों के साथ वापस लौटा। तब तक किसान अंग्रेज सैनिकों से छीने हुए हथियारों, जिनमें एक सोने की मूठ वाली तलवार भी थी, को लेकर भाग चुके थे। अंग्रेजों की दण्ड नीति बहुत कठोर थी, इस घटना की जांच करने और दोषियों को गिरफ्तार कर अंग्रेजों को सौंपने की जिम्मेदारी धन सिंह के पिता, जो कि गांव के मुखिया थे, को सौंपी गई। ऐलान किया गया कि यदि मुखिया ने तीनों बागियों को पकड़कर अंग्रेजों को नहीं सौपा तो सजा गांव वालों और मुखिया को भुगतनी पड़ेगी। बहुत से ग्रामवासी भयवश गाँव से पलायन कर गए। अन्ततः नरपत सिंह और झज्जड़ सिंह ने तो समर्पण कर दिया किन्तु मंगत सिंह फरार ही रहे। दोनों किसानों को 30-30 कोड़े और जमीन से बेदखली की सजा दी गई। फरार मंगत सिंह के परिवार के तीन सदस्यों के गांव के समीप ही फांसी पर लटका दिया गया। धन सिंह के पिता को मंगत सिंह को न ढूंढ पाने के कारण छः माह के कठोर कारावास की सजा दी गई। इस घटना ने धन सिंह सहित पांचली के बच्चे-बच्चे को विद्रोही बना दिया।17 जैसे ही 10 मई को मेरठ में सैनिक बगावत हुई धन सिंह और ने क्रान्ति में सहभागिता की शुरूआत कर इतिहास रच दिया। क्रान्ति मे अग्रणी भूमिका निभाने की सजा पांचली व अन्य ग्रामों के किसानों को मिली। मेरठ गजेटियर के वर्णन के अनुसार 4 जुलाई, 1857 को प्रातः चार बजे पांचली पर एक अंग्रेज रिसाले ने तोपों से हमला किया। रिसाले में 56 घुड़सवार, 38 पैदल सिपाही और 10 तोपची थे। पूरे ग्राम को तोप से उड़ा दिया गया। सैकड़ों किसान मारे गए, जो बच गए उनमें से 46 लोग कैद कर लिए गए और इनमें से 40 को बाद में फांसी की सजा दे दी गई।18 आचार्य दीपांकर द्वारा रचित पुस्तक स्वाधीनता आन्दोलन और मेरठ के अनुसार पांचली के 80 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी। पूरे गांव को लगभग नष्ट ही कर दिया गया। ग्राम गगोल के भी 9 लोगों को दशहरे के दिन फाँसी की सजा दी गई और पूरे ग्राम को नष्ट कर दिया। आज भी इस ग्राम में दश्हरा नहीं मनाया जाता। संदर्भ एवं टिप्पणी 1.

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१९८४

१९८४ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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६ अक्टूबर

6 अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 279वॉ (लीप वर्ष में 280 वॉ) दिन है। साल में अभी और 86 दिन बाकी है। .

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11 सितम्बर 2001 के हमले

11 सितंबर के हमले (जिन्हें अक्सर सितम्बर 11 या 9/11 कहा जाता है) 11 सितम्बर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर अल-क़ायदा द्वारा समन्वित आत्मघाती हमलों की एक श्रंखला थी। उस दिन सबेरे, 19 अल कायदा आतंकवादियों ने चार वाणिज्यिक यात्री जेट वायुयानों का अपहरण कर लिया। अपहरणकर्ताओं ने जानबूझकर उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग तथा भवनों के अंदर काम करने वाले अन्य अनेक लोग भी मारे गए। दोनों भवन दो घंटे के अंदर ढह गए, पास की इमारतें नष्ट हो गईं और अन्य क्षतिग्रस्त हुईं। अपहरणकर्ताओं ने तीसरे विमान को बस वाशिंगटन डी॰सी॰ के बाहर, आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन में टकरा दिया। अपहरणकर्ताओं द्वारा वाशिंगटन डी॰सी॰ की ओर पुनर्निर्देशित किए गए चौथे विमान के कुछ यात्रियों एवं उड़ान चालक दल द्वारा विमान का नियंत्रण फिर से लेने के प्रयास के बाद, विमान ग्रामीण पेंसिल्वेनिया में शैंक्सविले के पास एक खेत में जा टकराया। किसी भी उड़ान से कोई भी जीवित नहीं बचा। इन हमलों में लगभग 3,000 शिकार तथा 19 अपहरणकर्ता मारे गए। न्यूयॉर्क राज्य स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जून, 2009 तक अग्निशामकों एवं पुलिस कर्मियों सहित, 836 आपातसेवक मारे जा चुके हैं। वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पर हुए हमले में मारे गए 2,752 पीड़ितों में से न्यूयॉर्क शहर तथा पोर्ट अथॉरिटी के 343 अग्निशामक और 60 पुलिस अधिकारी थे। पेंटागन पर हुए हमले में 184 लोग मारे गए थे। हताहतों में 70 देशों के नागरिकों सहित नागरिकों की भारी संख्या थी। इसके अलावा, वहां कम से कम एक द्वित्तीयक मृत्यु हुई थी- चिकित्सा परीक्षक के अनुसार वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ढहने से धूल में प्रकटन के कारण हुए फेफड़ों के रोग की वजह से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका ने आतंक के विरुद्ध युद्ध शुरू करके हमले की प्रतिक्रिया व्यक्त की है: आतंकवाद को आश्रय देने वाले तालिबान को पदच्युत करने के लिए इसने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूएसए (USA) पैट्रियट एक्ट कानून भी बनाया। कई अन्य देशों ने भी अपने आतंकवाद विरोधी कानूनों को मजबूत बनाया तथा कानून प्रवर्तक क्षमताओं का विस्तार किया। कुछ अमेरिकी शेयर बाजार हमले के बाद सप्ताह के शेष दिनों में बंद रहे तथा फिर से खुलने पर भारी घाटा, खासकर एयरलाइन और बीमा उद्योग में, दर्ज किया। अरबों डॉलर के कार्यालय स्थान के नष्ट होने से लोअर मैनहटन की अर्थव्यवस्था को गंभीर हानि का सामना करना पड़ा। पेंटागन को हुए नुकसान के एक वर्ष के अंदर साफ कर दिया गया और मरम्मत कर दी गई तथा भवन के बगल में पेंटागन स्मारक का निर्माण किया गया। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर स्थल पर पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 2006 में, एक नया कार्यालय टॉवर 7 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के स्थल पर पूर्ण हो गया। वर्तमान में नया 1 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर स्थल पर निर्माणाधीन है और 2013 में पूर्ण होने पर 1,776 फुट (541मी) ऊंचाई वाली यह उत्तरी अमेरिका में सबसे ऊंची इमारत हो जाएगी। मूल रूप से तीन और टावर 2007 और 2012 के बीच उस स्थल पर बनाए जाने की उम्मीद की गई थी। 8 नवम्बर 2009 को फ्लाइट 93 नेशनल मेमोरियल की परियोजना प्रारंभ का गई थी और प्रथम चरण का निर्माण 11 सितम्बर 2011 को हमलों की दसवीं सालगिरह के लिए तैयार हो जाने का आशा है। .

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