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सावन को आने दो (1979 फ़िल्म)

सूची सावन को आने दो (1979 फ़िल्म)

सावन को आने दो 1979 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

8 संबंधों: ताराचंद बड़जात्या, पिंचू कपूर, युनुस परवेज़, रूपेश कुमार, रीटा भादुड़ी, लीला मिश्रा, ज़रीना वहाब, अमरीश पुरी

ताराचंद बड़जात्या

ताराचंद बड़जात्या (10 मई 1914 - 21 सितम्बर 1992) भारत के प्रसिद्ध फिल्म-निर्माता थे। उन्होने सन १९६० के दशक से आरम्भ करके १९८० के दशक तक अनेकों हिन्दी फिल्में बनायी। वे राजश्री प्रोडक्शन्स के संस्थापक थे। वे मानवीय मूल्यों पर आधारित पारिवारिक फिल्में बनाने में सिद्धहस्त थे। .

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पिंचू कपूर

पिंचू कपूर हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

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युनुस परवेज़

युनुस परवेज़ (जन्म: 1931; निधन: 11 फरवरी, 2007) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। .

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रूपेश कुमार

रूपेश कुमार हिन्दी फ़िल्मों के एक चरित्र अभिनेता थे, जो खलनायक की भूमिका के लिए प्रसिध्द थे। अपनी फ़िल्मी यात्रा के दौरान उन्होने 100 से अधिक फ़िल्मो मे काम किया। वे अभिनेत्री मुमताज़ के चचेरे भाई थे। .

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रीटा भादुड़ी

रीटा भादुड़ी हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। रीता भादुरी धारावाहिक निमकी मुखिया में दादी की भूमिका निभाती हैं। .

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लीला मिश्रा

लीला मिश्रा हिन्दी सिनेमा की अभिनेत्रियों में से एक हैं। .

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ज़रीना वहाब

ज़रीना वहाब हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। .

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अमरीश पुरी

अमरीश पुरी (जन्म:२२ जून १९३२ -मृत्यु:१२ जनवरी २००५) चरित्र अभिनेता मदन पुरी के छोटे भाई अमरीश पुरी हिन्दी फिल्मों की दुनिया का एक प्रमुख स्तंभ रहे हैं। अभिनेता के रूप निशांत, मंथन और भूमिका जैसी फ़िल्मों से अपनी पहचान बनाने वाले श्री पुरी ने बाद में खलनायक के रूप में काफी प्रसिद्धी पायी। उन्होंने १९८४ मे बनी स्टीवेन स्पीलबर्ग की फ़िल्म "इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ़ डूम" (अंग्रेज़ी- Indiana Jones and the Temple of Doom) में मोलाराम की भूमिका निभाई जो काफ़ी चर्चित रही। इस भूमिका का ऐसा असर हुआ कि उन्होंने हमेशा अपना सिर मुँडा कर रहने का फ़ैसला किया। इस कारण खलनायक की भूमिका भी उन्हें काफ़ी मिली। व्यवसायिक फिल्मों में प्रमुखता से काम करने के बावज़ूद समांतर या अलग हट कर बनने वाली फ़िल्मों के प्रति उनका प्रेम बना रहा और वे इस तरह की फ़िल्मों से भी जुड़े रहे। फिर आया खलनायक की भूमिकाओं से हटकर चरित्र अभिनेता की भूमिकाओं वाले अमरीश पुरी का दौर। और इस दौर में भी उन्होंने अपनी अभिनय कला का जादू कम नहीं होने दिया .

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