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सारथी

सूची सारथी

रथ को चलाने वाला व्यक्ती। .

5 संबंधों: चीनी मार्शल आर्ट, महाभारत, वाट अरुण, अम्बा, अरुण

चीनी मार्शल आर्ट

चीनी मार्शल आर्ट, कभी-कभी मैंडरिन चीनी भाषा में वुशु कहलाता है, लेकिन '''कुंग फू''' (पिनयिन गोंगफू) के नाम से लोकप्रिय है, कई तरह की लड़ाई की शैलियां हैं, जिन्हें आज जो चीन कहलाता है, वहा पे सदियों से विकसित किया गया है। लड़ाई की ये शैलियां आमतौर पर सामान्य लक्षण के अनुसार वर्गीकृत किया जाते हैं, इनकी पहचान "परिवार" (家, जिया), "संप्रदायों" (派, पै) अथवा "स्कूलों" (門, मे) के मार्शल आर्ट के रूप में की जाती है। ऐसे लक्षणों के उदाहरणों में पशुओं का अनुकरण करते हुए शारीरिक व्यायाम करना, अथवा चीनी दर्शन, धर्म और किंवदंतियों से प्रेरित प्रशिक्षण तरीके शामिल हैं। शैलियां जो ची में हेरफेर पर केंद्रित है, कभी-कभी इन्हें आंतरिक (内家拳, नीजियाक्वान-nèijiāquán) लेबल का कहा जाता है, जबकि अन्य जो मांसपेशियों को उन्नत बनाने और हृदयवाहिका संबंधी फिटनेस पर केंद्रित होती है, वाह्य (外家拳, वैजियाक्वान-wàijiāquán) लेबल की बतायी जाती हैं। भौगोलिक स्थिति जैसे कि उत्तरी (北拳, बीक्वान-běiquán) और दक्षिणी (南拳, नैनक्वान -nánquán) भी वर्गीकरण का एक अन्य लोकप्रिय तरीका है। .

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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वाट अरुण

वाट अरुण (วัดอรุณราชวราราม ราชวรมหาวิหาร), बैंकाक स्थित एक बौद्ध मंदिर (वाट) है। इस मंदिर का नाम हिन्दू देवता अरुण के नाम पर है, जो सूर्य के सारथी हैं।publisher.

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अम्बा

अम्बा महाभारत में काशीराज की पुत्री बताई गयी हैं। अम्बा की दो और बहने थीं अम्बिका और अम्बालिका। अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का स्वयंवर होने वाला था। उनके स्वयंवर में जाकर अकेले ही भीष्म ने वहाँ आये समस्त राजाओं को परास्त कर दिया और तीनों कन्याओं का हरण करके हस्तिनापुर ले आये जहाँ उन्होंने तीनों बहनों को सत्यवती के सामने प्रस्तुत किया ताकि उनका विवाह हस्तिनापुर के राजा और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य के साथ सम्पन्न हो जाये। जब अम्बा ने यह बताया कि उसने राज शाल्व को मन से अपना पति मान लिया है तो विचित्रवीर्य ने उससे विवाह करने से इन्कार कर दिया। भीष्म ने उसे राजा शाल्व के पास भिजवा दिया। राजा शाल्व ने अम्बा को ग्रहण नहीं किया अतः वह हस्तिनापुर लौट कर आ गई और भीष्म से बोली, "हे आर्य! आप मुझे हर कर लाये हैं अतएव आप मुझसे विवाह करें।" किन्तु भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के कारण उसके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। अम्बा रुष्ट हो गई और यह कह कर की वही भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी वह परशुराम के पास गई और उनसे अपनी व्यथा सुना कर सहायता माँगी। परशुराम ने अम्बा से कहा, "हे देवि! आप चिन्ता न करें, मैं आपका विवाह भीष्म के साथ करवाऊँगा।" परशुराम ने भीष्म को बुलावा भेजा किन्तु भीष्म उनके पास नहीं गये। इस पर क्रोधित होकर परशुराम भीष्म के पास पहुँचे और दोनों वीरों में भयानक युद्ध छिड़ गया। दोनों ही अभूतपूर्व योद्धा थे इसलिये हार-जीत का फैसला नहीं हो सका। आखिर देवताओं ने हस्तक्षेप कर के इस युद्ध को बन्द करवा दिया। अम्बा निराश हो कर वन में तपस्या करने चली गई जहाँ उसने महादेव की घोर तपस्या की। महादेव उसकी तपस्या से प्रसन्न हुये और उसके समक्ष प्रकट होकर उसे यह वर दिया कि वह अगले जन्म में भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी। यह वर पाकर अम्बा ने आत्म दाह कर लिया और अगले जन्म में राजा द्रुपद के घर में शिखण्डी के रूप में जन्म लिया। शिखण्डी कुरुक्षेत्र के युद्ध में भीष्म के मृत्यु का कारण बने क्योंकि कृष्ण ने उस दिन शिखण्डी को अर्जुन का सारथी बनाया और क्योंकि भीष्म को शिखण्डी के पूर्व जन्म का ज्ञात था, अतएव उन्होंने एक महिला के विरुद्ध शस्त्र उठाने से इन्कार कर दिया और इसी बीच अर्जुन ने मौका पाकर भीष्म पर बाणों की वर्षा कर दी जिसके कारण भीष्म आहत होकर धरती पर गिर गये। .

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अरुण

अरुण प्रजापति कश्यप और विनता के पुत्र हैं। इनके ज्येष्ठ भ्राता गरुड़ हैं, जो कि पक्षियों के राजा हैं। अरुण को भगवान सूर्य देव का सारथी माना जाता है। रामायण में प्रसिद्ध सम्पाती और जटायु इन्हीं के पुत्र थे। .

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