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सात्विक गुण

सूची सात्विक गुण

सात्विक गुण, प्रकृति के तीन गुणों में एक है। यह गुण हल्का या लघु और प्रकाश करने वाला है। प्रकृति से पुरुष का संबंध इसी गुण से होता है। बुद्धिगत सत्य में पुरुष अपना बिम्ब देखकर अपने को कर्ता मानने लगता है। सत्वगत मलिनता आदि का अपने में आरोप करने लगता है। सत्व की मलिनता या शुद्धता के अनुसार व्यक्ति की बुद्धि मलिन या शुद्ध होती है। अत: योग और सांख्य दर्शनों में सत्व शुद्धि पर जोर दिया गया है। जिन वस्तुओं से बुद्धि निर्मल होती है उन्हें सात्विक कहते हैं-- आहार, व्यवहार, विचार आदि पवित्र हों तो सत्व गुण की अभिवृद्धि होती है जिससे बुद्धि निर्मल होती है। अत्यंत निर्मल बुद्धि में पड़े प्रतिबिंब से पुरुष को अपने असली केवल, निरंजन रूप का ज्ञान हो जाता है और वह मुक्त हो जाता है। श्रेणी:भारतीय दर्शन.

2 संबंधों: सत्त्व, जैन भोजन

सत्त्व

हिन्दू दर्शन में, सत्त्व (शाब्दिक अर्थ: "अस्तित्व, वास्तविकता"; विशेषण: सात्विक) सांख्य दर्शन में वर्णित तीन गुणों में से एक है। अन्य दो गुण हैं - रजस् और तमस्। सत्वगुण का अर्थ 'पवित्रता' है। .

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जैन भोजन

जैन भोजन की समाविष्टि जैन धर्म के अंतर्गत हुई हैं, जो सात्विकता से परिपूर्ण, अहिंसक शाकाहारी भोजन हैं। जैन भोजन न केवल मांसाहार का त्याग करता हैं, बल्कि आम शाकाहार से वृहत्, वह कंदमूल (जमीकंद) को भी अभक्ष्य मानता हैं। .

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