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साड़ी

सूची साड़ी

साड़ी एक सबसे सुंदर पारंपरिक पोशाक है भारतीय। दैनिक दिनचर्या साड़ी में भारत के उत्तर से एक घरेलू भारतीय महिला, अच्छी तरह से बाँधी एवं पहनी हुई बाएँ साड़ी (कुछ इलाकों में सारी कहा जाता है) भारतीय स्त्री का मुख्य परिधान है। यह शायद विश्व की सबसे लंबी और पुराने परिधानों में से गिना जाता है। यह लगभग 5 से 6 गज लम्बी बिना सिली हुए कपड़े का टुकड़ा होता है जो ब्लाउज या चोली और साया के ऊपर लपेटकर पहना जाता है। .

28 संबंधों: दुपट्टा, धोती, नाभि, पटौला साड़ी, पद्मनाभस्वामी मंदिर, पजामा, पगड़ी, पूजा शर्मा, बनारसी साड़ी, भारत में महिलाएँ, भारत की संस्कृति, भारतीय पोशाक, भारतीय वस्त्र, मुण्डा, मैसूर की संस्कृति, लखनऊ, लखनऊ की संस्कृति, शेरवानी, सावित्री बाई खानोलकर, हाजीपुर, हैदराबाद, गीतरामायणम्, कर्नाटक, कर्नाटक/आलेख, कुर्ता, कुर्ती, कोलकाता, कोलकाता की संस्कृति

दुपट्टा

अंगूठाकार दुपट्टा भारतीय परिधान सलवार कुरता का एक अभिन्न अंग है। सलवार कुर्ते के तीसरे वस्त्र को दुपट्टा कहा जाता है। दुपट्टा 'चुन्नी', 'ओढ़नी', 'शाल' एवं अन्य नामों से जाना जाता है। दुपट्टे का प्रयोग प्राचीन काल से घाघरे, साड़ी अथवा सलवार सूट के साथ किया जाता रहा है। ग्रामीण भारतीय महिलाएं दुपट्टे को सर पर इस तरह से ढकती हैं ताकि उनके सर व चेहरे का अधिकतर भाग दुपट्टे से ढका रहे। यह प्रथा भारत के उत्तरी हिस्सों में खास तौर पर देखने को मिलती है। नए ज़माने में दुपट्टे ने अलग रूप ले लिया है और बहुत से फैशन डिज़ाइनर दुपट्टे को परिवर्तित करके अंतर्राष्ट्रीय फैशन में इसे वरीयता दिला चुके हैं। दुपट्टा भारतीय एवं पाकिस्तानी फैशन में स्त्री एवं पुरुष दोनों के बीच लोकप्रिय है। हिन्दू और मुस्लिम विवाह में जहाँ एक और दुल्हन दुपट्टे से अपना सर ढकती है वहीँ दूसरी ओर दूल्हा दुपट्टे का प्रयोग शेरवानी के साथ करता है। .

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धोती

दिल्ली में धोती पहने दो व्यक्ति धोती पारंपरिक भारतीय परिधान है जो अब गांवों में तथा शादी-विवाह तथा अन्य अनुष्ठानों में ही दिखता है। यह सम्पूर्ण हिन्दू समुदाय में अपने विभिन्न नामों तथा पहनने के ढंग के कारण काफी व्यापक है। उदाहरणार्थ तमिलनाडु और बिहार के पहनने की शैली भिन्न है। हिन्दी तथा कुछ अन्य उत्तर भारतीय भाषाओं में इसे धोती के अलावा बांग्ला में धुती (ধুতী), तमिल में वेष्टी (வேஷ்டீ), मलयालम में मुण्डु (മുണ്ഡു) तथा तेलगु में पंचा (పంచా) और कन्नड़ में पंचे (ಪಂಚೇ) भी कहते हैं (बांग्ला छोडकर अन्य अहिन्दी भाषाओं की वर्तनी अशुद्ध हो सकती है।) प्रथम शताब्दी में बने एक भित्ति चित्र में धोती पहने लोग कोलकाता विश्वविद्यालय में अन्य वैज्ञानिकों के साथ जगदीश चन्द्र बसु; सभी '''धोती''' और कुरता पहने हुए .

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नाभि

नाभि (चिकित्सकीय भाषा में अम्बिलीकस के रूप में ज्ञात और बेली बटन के नाम से भी जानी जाती है) पेट पर एक गहरा निशान होती है, जो नवजात शिशु से गर्भनाल को अलग करने के कारण बनती है। सभी अपरा संबंधी स्तनपाइयों में नाभि होती है। यह मानव में काफी स्पष्ट होती है। मनुष्यों में यह निशान एक गड्ढे के समान दिख सकता है (अंग्रेज़ी में आम बोलचाल की भाषा में इसे अक्सर इन्नी कह कर संदर्भित किया जाता है) या एक उभार के रूप में दिख सकता है (आउटी).

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पटौला साड़ी

पटौला साड़ी, हथकरघे से बनी एक प्रकार की साड़ी है। इसे दोनों तरफ से बनाया जाता है। यह काफी महीन काम है। पूरी तरह सिल्क से बनी इस साड़ी को वेजिटेबल डाई या फिर कलर डाई किया जाता है। यह काम करीब सात सौ साल पुराना है। हथकरघे से बनी इस साड़ी को बनाने में करीब एक साल लग जाता है। यह साड़ी मार्केट में भी नहीं मिलती। पटोला साड़ियां बनाने के लिए रेशम के धागों पर डिजाइन के मुताबिक वेजीटेबल और केमिकल कलर से रंगाई की जाती है। फिर हैंडलूम पर बुनाई का काम होता है। पूरी साड़ी की बुनाई में एक धागा डिजाइन के अनुसार विभिन्न रंगों के रूप में पिरोया जाता है। यही कला क्रास धागे में भी अपनाई जाती है। इस कार्य में ज्यादा मेहनत की जरूरत होती है। अलग-अलग रेज की साड़ियों को दो बुनकर कम से कम 15 से 20 दिन और अधिकतम एक वर्ष में पूरा कर पाते है। इन साड़ियों की कीमत भी बुनकरों के परिश्रम व माल की लागत के हिसाब से पांच हजार रुपये से लेकर दो लाख रुपये तक होती है। सस्ती साड़ियों में केवल एक साइड के बाने में बुनाई की जाती है, जबकि महंगी साड़ी के ताने-बाने में दोनों तरफ के धागों पर डिजाइन कर बुनाई की जाती है। दोनों साइड वाली महंगी साड़ियां 80 हजार रुपये से दो लाख रुपये तक की लागत में तैयार हो पाती है। डबल इकत पटौला साड़ी के रूप में जानी जाने वाली यह बुनकरी कला अब लुप्त होने के कगार पर है। मुगल काल के समय गुजरात में इस कला को लगभग 250 परिवारों ने अपनाया था। लागत के हिसाब से बाजार में कीमत न मिल पाना इस कला के सिमटने का प्रमुख कारण है। श्रेणी:वस्त्र.

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पद्मनाभस्वामी मंदिर

पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण आराधना-स्थली है। मंदिर की संरचना में सुधार कार्य किए गए जाते रहे हैं। उदाहरणार्थ 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने करवाया था। पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुडी है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं। तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल संस्कृति एवं साहित्य का अनूठा संगम है। इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट है और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य, इन सभी अमूल्य प्राकृतिक निधियों के मध्य स्थित- है पद्मनाभ स्वामी मंदिर। इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है। .

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पजामा

पायजामा पायजामा या पैजामा या पाजामा कमर में बांधकर पैरों में पहना जाने वाला वस्त्र है जो थोडा ढ़ीला-ढ़ाला होता है। .

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पगड़ी

पगड़ी पहने हे एक सिख पगड़ी सिर पर बांधा जाने वाला परिधान या पहनावा है। पगड़ी धारण करना सिख लोगों के पाँच चिह्नों में से है। पगड़ी विश्व के अनेक समाजों में प्रचलित थी। भारत में भी पगड़ी का बहुत प्रचलन था और सभी वर्गों के लोग इसे धारण करते थे। अंग्रेजों के आगमन के बाद इसमें धीरे-धीरे कमी आयी। .

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पूजा शर्मा

पूजा शर्मा (जन्म १९८९, नई दिल्ली एक भारतीय मॉडल और अभिनेत्री है।उन्हें सबसे ज्यादा पौराणिक धारावाहिक महाभारत में अपनी द्रौपदी की भुमिका के लिए जाना जाता है। .

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बनारसी साड़ी

बनारसी साड़ी का आंचल और बॉर्डर बनारसी साड़ी एक विशेष प्रकार की साड़ी है जिसे विवाह आदि शुभ अवसरों पर हिन्दू स्त्रियाँ धारण करती हैं। उत्तर प्रदेश के चंदौली, बनारस, जौनपुर, आजमगढ़, मिर्जापुर और संत रविदासनगर जिले में बनारसी साड़ियाँ बनाई जाती हैं। इसका कच्चा माल बनारस से आता है। पहले बनारस की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्तंभ बनारसी साड़ी का काम था पर अब यह चिंताजनक स्थिति में है। रेशम की साड़ियों पर बनारस में बुनाई के संग ज़री के डिजाइन मिलाकर बुनने से तैयार होने वाली सुंदर रेशमी साड़ी को बनारसी रेशमी साड़ी कहते हैं। ये पारंपरिक काम सदियों से चला आ रहा है और विश्वप्रसिद्ध है। कभी इसमें शुद्ध सोने की ज़री का प्रयोग होता था, किंतु बढ़ती कीमत को देखते हुए नकली चमकदार ज़री का काम भी जोरों पर चालू है। इनमें अनेक प्रकार के नमूने बनाये जाते हैं। इन्हें 'मोटिफ' कहते हैं। बहुत तरह के मोटिफों का प्रचलन चल पड़ा है, परन्तु कुछ प्रमुख परम्परागत मोटिफ जो आज भी अपनी बनारसी पहचान बनाए हुए हैं, जैसे बूटी, बूटा, कोनिया, बेल, जाल और जंगला, झालर आदि। .

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भारत में महिलाएँ

ताज परिसर में भारतीय महिलाएँऐश्वर्या राय बच्चन की अक्सर उनकी सुंदरता के लिए मीडिया द्वारा प्रशंसा की जाती है।"विश्व की सर्वाधिक सुंदर महिला?"cbsnews.com. अभिगमन तिथि २७ अक्टूबर २००७01 भारत में महिलाओं की स्थिति ने पिछली कुछ सदियों में कई बड़े बदलावों का सामना किया है। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारकों द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिए जाने तक, भारत में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता आदि जैसे शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं। .

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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भारतीय पोशाक

* धोती.

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भारतीय वस्त्र

भारत में जातीयता, भूगोल, जलवायु और क्षेत्र की सांस्कृतिक परंपराओं के आधार पर भिन्न-भिन्न प्रकार के वस्त्र धारण किये जाते हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से, पुरुष और महिला कपड़े सरल लंगोट से विकसित किया गया है, और लॉइन्क्लॉथ विस्तृत परिधान के लिए शरीर को कवर करने के लिए न केवल लेकिन यह भी उत्सव के मौकों के साथ ही अनुष्ठान और नृत्य प्रदर्शन पर दैनिक पहनने में इस्तेमाल किया। शहरी क्षेत्रों में, पश्चिमी कपड़े आम और समान रूप से सभी सामाजिक स्तर के लोगों द्वारा पहना जाता है। भारत के एक महान विविधता वीव, फाइबर, रंग और कपड़े की सामग्री के संदर्भ में भी है। रंग कोड के धर्म और रस्म संबंध पर आधारित कपड़ों में पीछा कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, हिंदू देवियों शोक, पारसी और ईसाई शादियों के लिए सफेद पहनते हैं, जबकि इंगित करने के लिए सफेद कपड़े पहनते हैं। भारत में कपड़े भी भारतीय कढ़ाई की विस्तृत विविधता शामिल हैं। .

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मुण्डा

मुंडा एक भारतीय आदिवासी समुदाय है, जो मुख्य रूप से झारखण्ड के छोटा नागपुर क्षेत्र में निवास करता है| झारखण्ड के अलावा ये बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा आदि भारतीय राज्यों में भी रहते हैं| इनकी भाषा मुंडारी आस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार की एक प्रमुख भाषा है| उनका भोजन मुख्य रूप से धान, मड़ूआ, मक्का, जंगल के फल-फूल और कंध-मूल हैं | वे सूत्ती वस्त्र पहनते हैं | महिलाओं के लिए विशेष प्रकार की साड़ी होती है, जिसे बारह हथिया (बारकी लिजा) कहते हैं | पुरुष साधारण-सा धोती का प्रयोग करते हैं, जिसे तोलोंग कहते हैं | मुण्डा, भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं | २० वीं सदी के अनुसार उनकी संख्या लगभग ९,०००,००० थी |Munda http://global.britannica.com/EBchecked/topic/397427/Munda .

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मैसूर की संस्कृति

मैसूर, भारत के कर्नाटक राज्य का एक शहर है। इसे कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। मैसूर वोडेयार राजाओं की राजधानी थी जिन्होंने मैसूर पर कई शताब्दियों तक शासन किया। वोडेयार राजा कला और संगीत के महान संरक्षक थे और उन्होंने मैसूर को एक सांस्कृतिक केंद्र बनाने में काफी योगदान दिया है। मैसूर अपने महलों, संग्रहालयों और कला दीर्घाओं के लिए प्रसिद्ध है और दशहरा के त्योहार के दौरान यहां दुनिया भर से पर्यटक आते है। मैसूर ने मैसूर मसाला डोसा और मैसूर पाक जैसे लोकप्रिय व्यंजनों को भी अपना नाम भी दिया है। मैसूर एक लोकप्रिय रेशम साड़ी की उत्पत्ति स्थल हैं जिसे मैसूर की रेशम साड़ी के नाम से जाना जाता है एवं यहाँ की चित्रकारी शैली मैसूर पेंटिंग के रूप में प्रसिद्ध हैं। .

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लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

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लखनऊ की संस्कृति

लखनऊ अपनी विरासत में मिली संस्कृति को आधुनिक जीवनशैली के संग बड़ी सुंदरता के साथ संजोये हुए है। भारत के उत्कृष्टतम शहरों में गिने जाने वाले लखनऊ की संस्कृति में भावनाओं की गर्माहट के साथ उच्च श्रेणी का सौजन्य एवं प्रेम भी है। लखनऊ के समाज में नवाबों के समय से ही पहले आप वाली शैली समायी हुई है। हालांकि स्वार्थी आधुनिक शैली की पदचाप सुनायी देती है, किंतु फिर भी शहर की जनसंख्या का एक भाग इस तहजीब को संभाले हुए है। यह तहजीब यहां दो विशाल धर्मों के लोगों को एक समान संस्कृति से बांधती है। ये संस्कृति यहां के नवाबों के समय से चली आ रही है। .

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शेरवानी

कोई विवरण नहीं।

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सावित्री बाई खानोलकर

सावित्री बाई खानोलकर या खानोलंकार (जन्म के समय का नाम इवा योन्ने लिण्डा माडे-डे-मारोज़) भारतीय इतिहास के ऐसे व्यक्तियों में से हैं जिनका जन्म तो पश्चिम में हुआ किंतु उन्होंने अपनी इच्छा से भारतीय संस्कृति को अपनाया और भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया। सावित्री बाई खानोलकर को सर्वोच्च भारतीय सैनिक अलंकरण परमवीर चक्र के रूपांकन का गौरव प्राप्त है। सावित्री बाई खानोलकर .

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हाजीपुर

हाजीपुर (Hajipur) भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त के वैशाली जिला का मुख्यालय है। हाजीपुर भारत की संसदीय व्यवस्था के अन्तर्गत एक लोकसभा क्षेत्र भी है। 12 अक्टुबर 1972 को मुजफ्फरपुर से अलग होकर वैशाली के स्वतंत्र जिला बनने के बाद हाजीपुर इसका मुख्यालय बना। ऐतिहासिक महत्त्व के होने के अलावा आज यह शहर भारतीय रेल के पूर्व-मध्य रेलवे मुख्यालय है, इसकी स्थापना 8 सितम्बर 1996 को हुई थी।, राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। .

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हैदराबाद

हैदराबाद (तेलुगु: హైదరాబాదు,उर्दू: حیدر آباد) भारत के राज्य तेलंगाना तथा आन्ध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी है, जो दक्कन के पठार पर मूसी नदी के किनारे स्थित है। प्राचीन काल के दस्तावेजों के अनुसार इसे भाग्यनगर के नाम से जाना जाता था। आज भी यह प्राचीन नाम अत्यन्त ही लोकप्रिय है। कहा जाता है कि किसी समय में इस ख़ूबसूरत शहर को क़ुतुबशाही परम्परा के पाँचवें शासक मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने अपनी प्रेमिका भागमती को उपहार स्वरूप भेंट किया था, उस समय यह शहर भागनगर के नाम से जाना जाता था। भागनगर समय के साथ हैदराबाद के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसे 'निज़ामों का शहर' तथा 'मोतियों का शहर' भी कहा जाता है। यह भारत के सर्वाधिक विकसित नगरों में से एक है और भारत में सूचना प्रौधोगिकी एवं जैव प्रौद्यौगिकी का केन्द्र बनता जा रहा है। हुसैन सागर से विभाजित, हैदराबाद और सिकंदराबाद जुड़वां शहर हैं। हुसैन सागर का निर्माण सन १५६२ में इब्राहीम कुतुब शाह के शासन काल में हुआ था और यह एक मानव निर्मित झील है। चारमीनार, इस क्षेत्र में प्लेग महामारी के अंत की यादगार के तौर पर मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने १५९१ में, शहर के बीचों बीच बनवाया था। गोलकुंडा के क़ुतुबशाही सुल्तानों द्वारा बसाया गया यह शहर ख़ूबसूरत इमारतों, निज़ामी शानो-शौक़त और लजीज खाने के कारण मशहूर है और भारत के मानचित्र पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में अपनी अलग अहमियत रखता है। निज़ामों के इस शहर में आज भी हिन्दू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द्र से एक-दूसरे के साथ रहकर उनकी खुशियों में शरीक होते हैं। अपने उन्नत इतिहास, संस्कृति, उत्तर तथा दक्षिण भारत के स्थापत्य के मौलिक संगम, तथा अपनी बहुभाषी संस्कृति के लिये भौगोलिक तथा सांस्कृतिक दोनों रूपों में जाना जाता है। यह वह स्थान रहा है जहां हिन्दू और मुसलमान शांतिपूर्वक शताब्दियों से साथ साथ रह रहे हैं। निजामी ठाठ-बाट के इस शहर का मुख्य आकर्षण चारमीनार, हुसैन सागर झील, बिड़ला मंदिर, सालारजंग संग्रहालय आदि है, जो देश-विदेश इस शहर को एक अलग पहचान देते हैं। यह भारतीय महानगर बंगलौर से 574 किलोमीटर दक्षिण में, मुंबई से 750 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में तथा चेन्नई से 700 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। किसी समय नवाबी परम्परा के इस शहर में शाही हवेलियाँ और निज़ामों की संस्कृति के बीच हीरे जवाहरात का रंग उभर कर सामने आया तो कभी स्वादिष्ट नवाबी भोजन का स्वाद। इस शहर के ऐतिहासिक गोलकुंडा दुर्ग की प्रसिद्धि पार-द्वार तक पहुँची और इसे उत्तर भारत और दक्षिणांचल के बीच संवाद का अवसर सालाजार संग्रहालय तथा चारमीनार ने प्रदान किया है। वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार इस महानगर की जनसंख्या ६८ लाख से अधिक है। .

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गीतरामायणम्

गीतरामायणम् (२०११), शब्दार्थ: गीतों में रामायण, जगद्गुरु रामभद्राचार्य (१९५०-) द्वारा २००९ और २०१० ई में रचित गीतकाव्य शैली का एक संस्कृत महाकाव्य है। इसमें संस्कृत के १००८ गीत हैं जो कि सात कांडों में विभाजित हैं - प्रत्येक कांड एक अथवा अधिक सर्गों में पुनः विभाजित है। कुल मिलाकर काव्य में २८ सर्ग हैं और प्रत्येक सर्ग में ३६-३६ गीत हैं। इस महाकाव्य के गीत भारतीय लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत के विभिन्न गीतों की ढाल, लय, धुन अथवा राग पर आधारित हैं। प्रत्येक गीत रामायण के एक या एकाधिक पात्र अथवा कवि द्वारा गाया गया है। गीत एकालाप और संवादों के माध्यम से क्रमानुसार रामायण की कथा सुनाते हैं। गीतों के बीच में कुछ संस्कृत छंद हैं, जो कथा को आगे ले जाते हैं। काव्य की एक प्रतिलिपि कवि की हिन्दी टीका के साथ जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रकाशित की गई थी। पुस्तक का विमोचन संस्कृत कवि अभिराज राजेंद्र मिश्र द्वारा जनवरी १४, २०११ को मकर संक्रांति के दिन किया गया था। .

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कर्नाटक/आलेख

कर्नाटक (उच्चारण), जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का सृजन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्संगठन अधिनियम के अधीन किया गया था। मूलतः यह मैसूर राज्य कहलाता था और १९७३ में इसे पुनर्नामकरण कर कर्नाटक नाम मिला था। कर्नाटक की सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। राज्य का कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है और इसमें २९ जिले हैं। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। हालांकि कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई सन्दर्भ हैं, फिर भी उनमें से सर्वाधिक स्वीकार्य तथ्य है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्खन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द प्रयोग किया गया है, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयोग किया गया है और कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन याज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कुर्ता

220px कुर्ता या कुरता एक पारंपरिक भारतीय पोशाक है, यह एक लम्बी कमीज की तरह होता है जो घुटनों तक लंबा होता है और पजामा के साथ पहना जाता है जो या तो कुर्ते के रँग से मिलता जुलता होता है या सफेद होता है। कुरते को आम प्रयोग और खास मौकों दोनो के लिये इस्तेमाल किया जाता है हलाकि खास मौकों पर पहने जाने वाला कुर्ता आम तौर से ज्यादा फैशनेबल होते हैं। कुर्ते सूती, ऊनी और रेशमी सभी तरह के सामग्रियों में मिलते हैं। भारत और पड़ोसी देशों बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी कुर्ते की परंपरा रही है। कुर्ते के कई परिवर्धित रूप हैं जिनमें शेरवानी, पठानी सूट इत्यादि प्रमुख। औरतें भी कुर्तों का इस्तेमाल करती हैं किन्तु इन्हें आमतौर पर कुर्ती और अन्य नामों से पुकारा जाता है। .

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कुर्ती

कुर्ती .

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कोलकाता

बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .

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कोलकाता की संस्कृति

श्रेणी:कोलकाता.

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