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साक्ष्य

सूची साक्ष्य

मोटे तौर पर साक्ष्य (Evidence) में वे सभी चीजें सम्मिलित हैं जो किसी कथन की सत्यता सिद्ध करने के लिये प्रयोग की जाती हैं। साक्ष्य देना वह प्रक्रिया है जिसमें वे चीजें प्रस्तुत की जाती हैं जो -.

19 संबंधों: तर्कशास्त्र, न्यायधीश, न्यायालयिक भाषाविज्ञान, नेटवर्क फोरेंसिक, प्रमाणभार, प्रासंगिकता, पूनिया हत्याकांड, फिसलने का निशान, फोरेंसिक ऑडियो, भौतिक साक्ष्य, मृत्युकालिक कथन, राम प्रसाद 'बिस्मिल', रोशन सिंह, साक्ष्य आधारित चिकित्सा, स्व-प्रमाणित दस्तावेज़, सूर्य देवता, कम्प्यूटेशनल फोरेंसिक, कार्योत्तर विधि, अंतिम तथ्य

तर्कशास्त्र

तर्कशास्त्र शब्द अंग्रेजी 'लॉजिक' का अनुवाद है। प्राचीन भारतीय दर्शन में इस प्रकार के नामवाला कोई शास्त्र प्रसिद्ध नहीं है। भारतीय दर्शन में तर्कशास्त्र का जन्म स्वतंत्र शास्त्र के रूप में नहीं हुआ। अक्षपाद! गौतम या गौतम (३०० ई०) का न्यायसूत्र पहला ग्रंथ है, जिसमें तथाकथित तर्कशास्त्र की समस्याओं पर व्यवस्थित ढंग से विचार किया गया है। उक्त सूत्रों का एक बड़ा भाग इन समस्याओं पर विचार करता है, फिर भी उक्त ग्रंथ में यह विषय दर्शनपद्धति के अंग के रूप में निरूपित हुआ है। न्यायदर्शन में सोलह परीक्षणीय पदार्थों का उल्लेख है। इनमें सर्वप्रथम प्रमाण नाम का विषय या पदार्थ है। वस्तुतः भारतीय दर्शन में आज के तर्कशास्त्र का स्थानापन्न 'प्रमाणशास्त्र' कहा जा सकता है। किंतु प्रमाणशास्त्र की विषयवस्तु तर्कशास्त्र की अपेक्षा अधिक विस्तृत है। .

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न्यायधीश

न्यायधीश (Judge) उस व्यक्ति को कहते हैं जो अकेले या अन्य लोगों के साथ सम्मिलित रूप से किसी न्यायालय की कार्यवाही की अध्यक्षता करे। उसका कार्य गवाहों के वक्तव्य सुनना, प्रस्तुत किये गये गये साक्ष्यों की परख करना, दोनो पक्षों की दलीलें सुनना और अन्त में निर्णय देना होता है। न्यायधीश का धर्म है कि वह निष्पक्ष होकर निर्णय करे और न्यायालय की कार्यवाई को खुला बनाये रखे। .

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न्यायालयिक भाषाविज्ञान

न्यायालयिक भाषाविज्ञान या न्याय-भाषाविज्ञान (फोरेंसिक भाषाविज्ञान), अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान की एक शाखा है जो भाषावैज्ञानिक ज्ञान, विधियों तथा अन्तर्दृष्टि का उपयोग करके न्यालयों में अपराध-अन्वेषण में सहायक होता है। न्यायालयों में काम करने वाले भाषावैज्ञानिक निम्नलिखित तीन क्षेत्रों में इसका उपयोग करते हैं-;.

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नेटवर्क फोरेंसिक

नेटवर्क फोरेंसिक निगरानी और जानकारी जुटाने, कानूनी साक्ष्य, या घुसपैठ का पता लगाने के प्रयोजनों के लिए कंप्यूटर नेटवर्क यातायात का विश्लेषण करने के लिए संबंधित डिजिटल फोरेंसिक की एक उप शाखा है। डिजिटल फोरेंसिक के अन्य क्षेत्रों के विपरीत नेटवर्क जांच अस्थिर और गतिशील जानकारी के साथ सौदा करता है। नेटवर्क यातायात फैलता है और फिर खो जाता है, इसलिए नेटवर्क फोरेंसिक अक्सर एक सक्रिय जांच है। नेटवर्क फोरेंसिक आम तौर पर दो ही उपयोग है।.

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प्रमाणभार

'प्रमाणभार' (Burden of prof) के दो अर्थ हैं.

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प्रासंगिकता

प्रासंगिकता (Relevance) का अर्थ यह है कि कोई सूचना, क्रिया या चीज किसी मामले या मुद्दे से कितना सम्बद्ध है। उदाहरण के लिये मुकद्दमों में बहस के दौरान या साक्ष्य के लिये प्रासंगिकता को बहुत महत्व दिया जाता है और जो चींजे मुद्दे से हटकर या असम्बद्ध लगती हैं उनके बारे में कह दिया जाता है कि वे प्रासंगिक नहीं हैं। .

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पूनिया हत्याकांड

पूनिया हत्याकान्ड (या रेलू राम पूनिया हत्या का मुकदमा) भारतीय राजनेता रेलू राम पूनिया और उनके परिवार के सात सदस्यों की सामूहिक हत्या का मामला है। संपत्ति के विवाद के चलते २३ अगस्त २००१ की रात को रेलू राम की बेटी सोनिया ने अपने पति संजीव कुमार के साथ इनकी हत्या कर दी थी। यह मामला न्यायालय में दायर किया गया था और सोनिया, संजीव और उनके परिवार के विभिन्न सदस्यों पर चलाया गया था। दंपति को हत्या के आरोपों से दोषी ठहराया गया था और जिला न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई थी। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस सजा को कम कर आजीवन कारावास दिया था लेकिन उच्चतम न्यायालय ने फिर से मौत की सजा बहाल की थी। भारत के संविधान के खंड ७२ (१) के तहत, इस दलील के दौरान दंपति ने राष्ट्रपति को दया याचिका उठाई थी। यह याचिका राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के कार्यकाल के दौरान अनुत्तरित रही लेकिन उनके उत्तराधिकारी प्रणब मुखर्जी ने इसे खारिज कर दि थी। हालांकि, एक नागरिक अधिकार समूह "पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स" (पीयूडीआर) ने दया याचिका के निपटान में देरी का कारण देकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी २०१४ में स्वीकार किया और दंपति की मौत की सजा वापस लौटा दी गई थी। .

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फिसलने का निशान

फिसलने के निशान या स्किड निशान वह निशान है जब कोई ठोस वस्तु जो दूसरे के खिलाफ चालें। जैसे की कोई गाड़ी। स्किड सड़कों पर टायर की वजह से निशान होते हैं जब एक वाहन पहिया रोलिंग बंद हो जाता है और स्लाइड या सड़क की सतह पर घूमती है। स्किड अंक अधिकतम और न्यूनतम वाहन की गति एक प्रभाव या घटना से पहले पता लगाने के लिए विश्लेषण किया जा सकता है। फिसलना काले बर्फ या सड़क पर डीजल जमा पर भी हो सकता है और निशान भी नहीं आते है। .

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फोरेंसिक ऑडियो

ऑडियो फॉरेंसिक क्षेत्र हैन्यायालयिक विज्ञान का ही जो संबंधित है अधिग्रहण, विश्लेषण, और ध्वनि रिकॉर्डिंग के मूल्यांकन का जो कानूनी कारवाई की एक अदालत में स्वीकार्य साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। ऑडियो फॉरेंसिक में वो सबूत आते हैं जो ध्वनी से जुड़े हुए हैं। जेसे मोबाइल फ़ोन की रिकॉर्डिंग, लोगो की दी गये हुए गवाही, किसी अपराधिक स्थान पर मिले सबूत आदि। ऑडियो फॉरेंसिक कई प्रयोगशाला मैं अलग से विभाग है और कई प्रयोगशाला मैं फॉरेंसिक भौतिक विज्ञान के विभाग मैं आता है। इनका मुख्य काम है.

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भौतिक साक्ष्य

भौतिक साक्ष्य कोई भी पदार्थ अतवा वस्तु जो की महत्व भूमिका निभाता हो किसी भी मुकदमेबाजी में या फिर कोई भी अपराध साबित करने में या फर किसी भी अपराधी को अपराधित घटना स्थल से संभंधित करने में मदद करते हैं उन पदार्थो को भौतिक साक्ष्य खा जाता है! न्यायायिक विज्ञानं में भौतिक साक्ष्य सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते है क्यूंकि किसी भी जांच अधिकारी के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है घटना स्थल से भौतिक साक्ष्य एकत्रित करना और उन्हें अपराध के साथ संबंधित करना! जांच अधिकारी के लिए यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि घटना स्थल एवम घटना से संबंधित अनेक प्राकर्तिक एवम कृत्रिम वस्तुए या पदार्थ भौतिक साक्ष्य है या नही! भौतिक साक्ष्य का पता लगाने के बाद जांच अधिकारी के लिए गुनाह साबित करना बहूत आसान हो जाता है! परन्तु इनका परिक्षण एवम विश्लेषण न केवल भुत ही जटिल कार्य होता है, बल्कि कभी कभी अनावश्यक और अनुपयोगी भी होता है! अत: न्यायालयिक विज्ञानं में वे भौतिक साक्ष्य बहुत महतवपूर्ण सिद्ध होते है जिनका न्यायिक विश्लेषण करने के बाद हम न्यायाल्यिक विज्ञानं के ज्ञान की पृष्ठभूमि, अपराधो के प्रकार, क्रिया, उद्देश्य एवम परिस्तिथि का अनुभव कराते है! .

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मृत्युकालिक कथन

साक्ष्य विधि (law of evidence) के सन्दर्भ में, मृत्यु के पहले किसी व्यक्ति द्वारा कहे गये अन्तिम बातों को मृत्युकालिक कथन (dying declaration) कहते हैं। मृत्युकालिक कथन वह शब्दप्रमाण (साक्ष्य) है जो कुछ प्रकार के मामलों में साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, जबकि किसी अन्य समय कहे गये ऐसे ही शब्दों को 'सुनी-सुनाई बात' कह कर साक्ष्य के रूप में अस्वीकार कर दिया जाता है। श्रेणी:विधि.

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राम प्रसाद 'बिस्मिल'

राम प्रसाद 'बिस्मिल' (११ जून १८९७-१९ दिसम्बर १९२७) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे। राम प्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। बिस्मिल उनका उर्दू तखल्लुस (उपनाम) था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है आत्मिक रूप से आहत। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी (निर्जला एकादशी) विक्रमी संवत् १९५४, शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद ३० वर्ष की आयु में पौष कृष्ण एकादशी (सफला एकादशी), सोमवार, विक्रमी संवत् १९८४ को शहीद हुए। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रखा था। ११ वर्ष के क्रान्तिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया। उन पुस्तकों को बेचकर जो पैसा मिला उससे उन्होंने हथियार खरीदे और उन हथियारों का उपयोग ब्रिटिश राज का विरोध करने के लिये किया। ११ पुस्तकें उनके जीवन काल में प्रकाशित हुईं, जिनमें से अधिकतर सरकार द्वारा ज़ब्त कर ली गयीं। --> बिस्मिल को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध की लखनऊ सेण्ट्रल जेल की ११ नम्बर बैरक--> में रखा गया था। इसी जेल में उनके दल के अन्य साथियोँ को एक साथ रखकर उन सभी पर ब्रिटिश राज के विरुद्ध साजिश रचने का ऐतिहासिक मुकदमा चलाया गया था। --> .

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रोशन सिंह

रोशन सिंह (जन्म:१८९२-मृत्यु:१९२७) ठाकुर रोशन सिंह (१८९२ - १९२७) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के एक क्रान्तिकारी थे। असहयोग आन्दोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में हुए गोली-काण्ड में सजा काटकर जैसे ही शान्तिपूर्ण जीवन बिताने घर वापस आये कि हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन में शामिल हो गये। यद्यपि ठाकुर साहब ने काकोरी काण्ड में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया था फिर भी आपके आकर्षक व रौबीले व्यक्तित्व को देखकर काकोरी काण्ड के सूत्रधार पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व उनके सहकारी अशफाक उल्ला खाँ के साथ १९ दिसम्बर १९२७ को फाँसी दे दी गयी। ये तीनों ही क्रान्तिकारी उत्तर प्रदेश के शहीदगढ़ कहे जाने वाले जनपद शाहजहाँपुर के रहने वाले थे। इनमें ठाकुर साहब आयु के लिहाज से सबसे बडे, अनुभवी, दक्ष व अचूक निशानेबाज थे। .

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साक्ष्य आधारित चिकित्सा

साक्ष्य आधारित चिकित्सा (Evidence-based medicine (EBM)), चिकित्सा कार्य की वह पद्धति है जो अच्छी तरह से डिजाइन किये गये और अच्छी तरह से सम्पन्न किये गये अनुसंधानों से प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर निर्णय लेती है। श्रेणी:चिकित्सा श्रेणी:साक्ष्य श्रेणी:चिकित्सा अनुसंधान.

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स्व-प्रमाणित दस्तावेज़

संयुक्त राज्य अमेरिका में एक स्वयं प्रमाणित दस्तावेज, सबूत के कानून के तहत, एक मुकदमे में साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। दस्तावेज़ की कई श्रेणियों को स्व-प्रमाणित दस्तावेज कहा जा सकता है जैसे की.

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सूर्य देवता

कोई विवरण नहीं।

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कम्प्यूटेशनल फोरेंसिक

कम्प्यूटेशनल फोरेंसिक एक मात्रात्मक दृष्टिकोण है न्यायालयिक विज्ञान की पद्धति को। इसमे शामिल है साडी कंप्यूटर की तकनीके जैसे कि कंप्यूटर आधारित मॉडलिंग, कंप्यूटर सिमुलेशन, विश्लेषण, और मान्यता का अध्ययन करने और समस्याओं को सुलझाने में विभिन्न विषयों में फोरेंसिक समक्ष रखी। कम्प्यूटेशनल फोरेंसिक बना है कम्प्यूटेशनल विज्ञान और फोरेंसिक विज्ञान के एकीकृता से। एक व्यापक रेंज, वस्तु, पदार्थों और प्रक्रियाओं की जाँच करना है, जो मुख्य रूप मे पैटर्न साक्ष्य के आधार पर कर रहे हैं वो है हथियार के निशान, उंगलियों के निशान, जूतों के निशान, दस्तावेज आदि। कम्प्यूटेशनल विधिया कई जहग फॉरेंसिक विज्ञान मे इस्तेमाल होती है: जैसे की.

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कार्योत्तर विधि

कार्योत्तर विधि (ex post facto law) उस प्रकार की विधि को कहते हैं जो किसी आपराधिक कार्य के होने के बाद उस कार्य के विधिक परिणाम को बदल दे। दण्ड विधि के सन्दर्भ में बात करें तो कोई कार्योत्तर विधि उस कार्य को दण्डनीय बना सकती है जो कार्य उस समय (कानून के लागू होने के पहले) वैध (आपराधिक नहीं) था। कार्योत्तर विधि किसी अपराध के लिए निर्धारित दण्ड को कम या अधिक कर सकती है। इसी प्रकार, कार्योत्तर विधि साक्ष्य के नियमों को भी बदल सकती है ताकि अपराधों में दण्द मिलना अधिक सम्भावित हो जाय। इसके विपरीत कार्योत्तर विधि का एक प्रकार सर्वक्षमा विधि (अमनेस्टी लॉ) है जो कुछ कृत्यों को वैध या अनपराधिक घोषित कर देती है। श्रेणी:विधि.

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अंतिम तथ्य

कानून में, अंतिम तथ्य यह है कि तथ्यात्मक विवेचना के बाद एक जूरी द्वारा किए गए साक्ष्य के समापन। एक आम परिभाषा है, "एक परीक्षण में, इस तथ्य का एक निष्कर्ष है जो तार्किक सबूत से परिणाम निकालना जाता है"। यह "निष्कर्ष बारीक तथ्यों के आधार पर सुनवाई के दौरान पहुंचे। एक उदाहरण निष्कर्ष क्योंकि वह उड़ गए एक डबल लाइन पर चले गए थे, फिसल और उसकी गाड़ी का नियंत्रण खो दिया है कि किसी ने लापरवाही के लिए जिम्मेदार होता था। जूरी अंतिम तथ्य यह बाहर कर सकते हैं, जब एक आदमी अपने अपार्टमेंट में प्रवेश करती है, एक औरत के अंदर से चिल्लाती है, और पुलिस उसके हाथ में उसकी बंदूक के साथ अपार्टमेंट उसकी मृत पत्नी पर खड़े आदमी के अंदर मिल जाए, कि वह उसकी हत्या कर दी। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

परिस्थितिजन्य साक्ष्य, प्रत्यक्ष साक्ष्य

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