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सांचोर

सूची सांचोर

सांचोर राजस्थान राज्य का एक एतिहसिक कस्बा है। यह कस्बा प्राचीनकाल मे 'सत्यपुर' के नाम से जाना जाता था। .

6 संबंधों: ढब्बावाली माता मंदिर, खासरवी, भारत के शहरों की सूची, भीनमाल, मल्लीनाथ पशु मेला, तिलवाड़ा, राजस्थान के पशु मेले, वेङिया

ढब्बावाली माता मंदिर, खासरवी

ढब्बावाली माता मंदिर (English: Dhabbawali Mata Temple) एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है जो राजस्थान के जालौर जिले में स्थित है। इसमें देवी ढब्बावाली माता की मूर्ति स्थापित है। यह साँचोर से ३५ किलोमीटर उत्तर-पश्चिम दिशा में खासरवी में स्थित है। राजस्थान की पूज्य भूमि पर एक देवी पीठ जो जिला जालोर तहसील सांचोर के ग्राम खासरवी की पावन भूमि पर विराजमान हैं।  यह सिद्ध देवी पीठ माँ भगवती ढब्बावाली के नाम से संसार भर में विख्यात हैं।  इस महाशक्ति के दरबार में राजस्थान से लेकर नेपाल तक कामरू से लेकर कश्मीर तक व कश्मीर से कन्याकुमारी तक अनगिनत भक्त और साधक आते हैं। माता ढब्बावाली की प्राचीन मुर्ति काष्ठ की है। "भटवा " वर्तमान भटवास के संस्थापक राव हिराजी माताजी के अन्नय भक्त थे। उनके ही सैनिक ढब्बाजी कोली ने माताजी के शक्तिपीठ के लिए उन्नत धोरे का चयन किया। ढब्बाजी मा के परम भक्त थे। राव हिराजी के वंशज आज भी भटवास मे निवास करते है। वे मुनैला प्रतिहार शासनिक राव सरदार है। .

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भीनमाल

भीनमाल (English:Bhinmal) राजस्थान राज्य के जालौर जिलान्तर्गत भारत का एक ऐतिहसिक शहर है। यहाँ से आशापुरी माताजी तीर्थ स्थल मोदरान स्टेशन भीनमाल के पास स्थित है जिसकी यहां से दूरी 28 किलोमीटर है। शहर प्राचीनकाल में 'श्रीमाल' नगर के नाम से जाना जाता था। "श्रीमाल पुराण" व हिंदू मान्यताओ के अनुसार विष्णु भार्या महालक्ष्मी द्वारा इस नगर को बसाया गया था। इस प्रचलित जनश्रुति के कारण इसे 'श्री' का नगर अर्थात 'श्रीमाल' नगर कहा गया। प्राचीनकाल में गुजरात राज्य की राजधानी रहा भीनमाल संस्कृत साहित्य के प्रकाण्ड विद्वान महाकवि माघ एवँ खगोलविज्ञानी व गणीतज्ञ ब्रह्मगुप्त की जन्मभूमि है। यह शहर जैन धर्म का विख्यात तीर्थ है। .

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मल्लीनाथ पशु मेला, तिलवाड़ा

200px यह पशु मेला भारतीय राज्य राजस्थान के बाड़मेर ज़िले में आयोजित होता है। यह मेला वीर योद्धा रावल मल्लीनाथ की स्मृति में आयोजित होता है। विक्रम संवत १४३१ में मलीनाथ के गद्दी पर आसीन होने के शुभ अवसर पर एक विशाल समारोह का आयोजन किया गया था जिसमें दूर-दूर से हजारों लोग शामिल हुए। आयोजन की समाप्ति पर लौटने के पहले इन लोगों ने अपनी सवारी के लिए ऊंट, घोड़ा और रथों के सुडौल बैलों का आपस में आदान-प्रदान किया तथा यहीं से इस मेले का उद्भव हुआ। इस मेले का संचालन पशुपालन विभाग ने सन १९५८ में संभाला। यह मेला प्रतिवर्ष चैत्र बुदी ग्यारस से चैत्र सुदी ग्यारस तक बाड़मेर जिले के पचपदरा तहसील के के तिलवाड़ा गांव में लूनी नदी पर लगता है इस पशु मेले में सांचोर की नस्ल के बैलों के अलावा बड़ी संख्या में मालानी नस्ल के घोड़े और ऊंठ की भी बिक्री होती है। .

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राजस्थान के पशु मेले

भारतीय राज्य राजस्थान में सभी जिलों और ग्रामीण स्तर पर लगभग 250 से अधिक पशु मेला का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है। कला, संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेले अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। देश विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इसके माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होते हैं। राज्य स्तरीय पशु मेलों के आयोजनों में नगरपालिका और ग्राम पंचायतों की ओर से पशुपालकों को पानी, बिजली पशु चिकित्सा व टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की ओर से इन मेलों में समय-समय पर प्रदर्शनी और अन्य ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। राजस्थान राज्य स्तरीय पशु मेला में अधिकांश मेले लोक देवी देवताओं एवं महान पुरुषों के नाम से जुड़े हुए हैं पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले राज्य स्तरीय पशु मेले कुछ इस प्रकार है। .

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वेङिया

वेङिया गाँव जालोर जिले की चितलवाना तहसील में स्थित हैं।वेङिया तहसील मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है। यहाँ की ग्राम पंचायत भीमगुङा हैं। वेङिया गाँव चितलवाना तहसील का महत्वपूर्ण गाँव हैं। यहाँ से सीमा सङक संगठन की सङक गुजरती हैं जो राष्ट्रीय राजमार्ग 15 से जुङी हुई हैं। इस गाँव की आबादी तकरीबन 2000-2500 के बीच हैं। इस गाँव की महिला नेनू देवी भीमगुङा ग्राम पंचायत की पहली महिला सरपंच रह चुकी हैं। शिक्षा के क्षेत्र में यहाँ चार विद्यालय हैं, जिनमें से 3 निजी तथा एक सरकारी विद्यालय हैं। गाँव के ज्यादातर बच्चे जसनाथ पब्लिक उच्च माध्यमिक विद्यालय में जाते हैं। गाँव के लोग ज्यादातर किसान हैं। .

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