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सवाई माधोपुर

सूची सवाई माधोपुर

सवाई माधोपुर भारत के राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह जिला रणथम्‍भौर राष्‍ट्रीय उद्यान के लिए जाना जाता है, जो बाघों के लिए प्रसिद्ध है। सवाई माधोपुर जिले में निम्‍न तहसीलें हैं- गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर, चौथ का बरवाड़ा, बौंली, मलारना डूंगर, वजीरपुर, बामनवास और खण्डार.

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चकेरी सवाई माधोपुर

चकेरी राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले का एक छोटा सा किन्तु महत्वपूर्ण गाँव है। चकेरी, सवाई माधोपुर जिले मे दिल्ली मुंबई रेलवे ट्रैक पर स्थित्त एक गावं हैं जो राजस्थान के पूर्व क्षेत्र की सांस्कृतिक,राजनीतिक, सामाजिक और खेल कूद की गतिविधियों का केंद्र है और क्षेत्रीय सहयोग, एकता, सद्भाव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया हैं। गांव में कई जातियों के लोग रहते हैं,कहावत हैं की सातो जातिया रहती हैं। मीणा जाति के लोग बहुसंख्यक हैं। दूसरी जातियों में नाथ, ब्राम्हण, जैन, बैरवा, धोबी, गवारिया, नाई, चमार, रैगर, हरिजन, कोळी, गुर्जर, खटीक, राव व राजपूत आदि शामिल हैं। सभी लोग हिन्दू धर्म को मानने वाले हैं। अल्प मात्रा में लोग मुस्लिम धर्म को भी मानते हैं। सभी लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं और एक दूसरे के सुख -दुःख में शरीक होते हैं। भारत की 2011 की जनगडना के अनुसार इस गाव की आबादी 3441 थी, कुल घरो की संख्या 695 थी। .

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चौथ माता

, चौथ का बरवाड़ा राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आने वाला एक छोटा सा शहर है, माता जी का भव्य मंदिर इसी छोटे से शहर के शक्तिगिरी पर्वत पर बना हुआ है। चौथ माता हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती है जो स्वयं माता पार्वती का ही एक रूप है। भारत का सबसे प्राचीन व सबसे सुप्रसिद्ध चौथ माता का मंदिर चौथ का बरवाड़ा शहर में स्थापित है जहाँ पर हर महीने की चतुर्थी पर लाखों दर्शनार्थी माता जी के दर्शन हेतु आते हैं। चौथ का बरवाड़ा शहर में हर चतुर्थी को स्त्रियाँ माता जी के मंदिर में माँ के दर्शन करने के बाद व्रत खोलती है एवं सदा सुहागन रहने आशीष प्राप्त करती है। करवा चौथ एवं माही चौथ पर माता जी के दरबार में लाखों की तादाद में दर्शनार्थी पहुँचते है जिससे छोटा सा चौथ का बरवाड़ा शहर माता जी के जयकारों से गुंजायमान रहता है। चौथ माता के स्त्रियों की भीड़ पुरुषों की अपेक्षा अधिक रहती है क्योंकि सुहाग के लिए सबसे उपयुक्त जगह माँ का दरबार जो जन जन की आस्था का केंद्र है। .

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चौथ का बरवाड़ा

चौथ का बरवाड़ा राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर जिले का एक छोटा सा शहर है और इसी नाम से तहसील मुख्यालय है। यह शहर राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र खण्डार लगता है। यहाँ का चौथ माता का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! चौथ का बरवाड़ा शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ मीणा व गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है ! बरवाड़ा के नाम से मशहूर यह छोटा सा शहर संवत 1451 में चौथ माता के नाम पर चौथ का बरवाड़ा के नाम से प्रसिद्ध हो गया जो वर्तमान तक बना हुआ है ! चौथ माता मंदिर के अलावा इस शहर में मीन भगवान का भव्य मंदिर है ! वहीं चौथ माता ट्रस्ट धर्मशाला सभी धर्मावलंबियों के लिए ठहरने का महत्वपूर्ण स्थान है ! चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले बड़े गाँव इस प्रकार है:- चौथ का बरवाड़ा भगवतगढ़ शिवाड़ झोंपड़ा ईसरदा सारसोपआदि.

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चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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त्रिनेत्र गणेश, रणथम्भौर

यह मंदिर भारत के राजस्थान प्रांत में सवाई माधोपुर जिले में स्थित है, जो कि विश्व धरोहर में शामिल रणथंभोर दुर्ग के भीतर बना हुआ है। अरावली और विन्ध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित रणथम्भौर दुर्ग में विराजे रणतभंवर के लाड़ले त्रिनेत्र गणेश के मेले की बात ही कुछ निराली है। यह मंदिर प्रकृति व आस्था का अनूठा संगम है। भारत के कोने-कोने से लाखों की तादाद में दर्शनार्थी यहाँ पर भगवान त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु आते हैं और कई मनौतियां माँगते हैं, जिन्हें भगवान त्रिनेत्र गणेश पूरी करते हैं। इस गणेश मंदिर का निर्माण महाराजा हम्मीरदेव चौहान ने करवाया था लेकिन मंदिर के अंदर भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है। इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान है जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। पूरी दुनिया में यह एक ही मंदिर है जहाँ भगवान गणेश जी अपने पूर्ण परिवार, दो पत्नी- रिद्दि और सिद्दि एवं दो पुत्र- शुभ और लाभ, के साथ विराजमान है। भारत में चार स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते है, जिनमें रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम है। इस मंदिर के अलावा सिद्दपुर गणेश मंदिर गुजरात, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन एवं सिद्दपुर सिहोर मंदिर मध्यप्रदेश में स्थित है। कहाँ जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य जिन्होंने विक्रम संवत् की गणना शुरू की प्रत्येक बुधवार उज्जैन से चलकर रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु नियमित जाते थे, उन्होंने ही उन्हें स्वप्न दर्शन दे सिद्दपुर सीहोर के गणेश जी की स्थापना करवायी थी। .

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नमो नारायण मीणा

नमो नारायण मीणा को भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में वित्त राज्यमंत्री में मंत्री बनाया गया है। श्रेणी:भारत सरकार के मंत्री श्रेणी:1943 में जन्मे लोग श्रेणी:जीवित लोग श्रेणी:राजस्थान से राजनीतिज्ञ.

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निवाई, टोंक

निवाई भारतीय राज्य राजस्थान के टोंक जिले का एक नगरपालिका क्षेत्र और नगर है। इसके उत्तर में जयपुर, पूर्व में सवाई माधोपुर, दक्षिण में बूंदी और भीलवाड़ा जिले तथा पश्चिम में अजमेर जिले हैं। .

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पिलोदा

पिलोदा अथवा पिलौदा भारतीय राज्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की गंगापुर सिटी तहसिल का एक गाँव है। यह गाँव जिले एक बड़े गाँवों में से एक है। गाँव की कुल जनसंख्या  6,038 से अधिक है जिसमें अधिकतर जनजातियाँ हैं। गाँव में  2,000 से अधिक घर हैं। लहकोड़ देवी यह गाँव भी राजस्थान के अन्य आदिवासी गाँवों के समान है। यह गाँव सड़क मार्ग एवं रेलमार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस गाँव का ब्रोडगेज रेलवे स्टेशन श्री महावीरजी और गंगापुर रेलवे स्टेशन के मध्य स्थित है। गाँव श्री लहकोड़ देवी के तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इसके पास का पवित्र तालाब, मुख्यतः अप्रैल माह में दुर्गाष्टमी और श्री राम नवमी के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ के साथ देखा जा सकता है। इस दिन यहाँ स्थानीय मेला लगता है जिसका आयोजन अन्तर-ग्रामीण रेस्लिंग, कुश्ती, ऊँट दौड़, घुड़ दौड़, बैल दौड़, तैराकी और साइकलिंग के रूप में किया जाता है। .

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पैलेस ऑन व्हील्स

पैलेस ऑन व्हील्स भारत की एक विलासदायी रेलगाड़ी है। इसको भारतीय रेल द्वारा राजस्थान राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाया गया था। इस रेल सेवा को अगस्त २००९ में नवीनीकृत कर पुनः लॉन्च किया गया था, जिसमें पहले से अलग नयी सजावट, यात्रा कार्यक्रम एवं भोजन सूची थी। वर्ष २०१० में इसे विश्व की सबसे विलासदायी रेलगाड़ियों की सूची में चौथा स्थान दिया गया था। .

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बनास नदी

thumb कोटा के निकट बनास नदी का दृष्य बनास एक मात्र ऐसी नदी है जो संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। बन + आस अर्थात बनास अर्थात (वन की आशा) के रूप में जानी जाने वाली यह नदी राजसमंद जिले के अरावली पर्वत श्रेणियों में कुंभलगढ़ के पास 'वीरों का मठ' से निकलती है। यह नाथद्वारा, कंकरोली, राजसमंद और भीलवाड़ा जिले में बहती हुई टौंक, सवाई माधोपुर के पश्चात रामेश्वरम (त्रिवेणी) के नजदीक सवाई माधोपुर चंबल में गिर जाती है। इसकी लंबाई लगभग 512 किलोमीटर है। इसकी सहायक नदियों में बेडच, कोठरी, मांसी, खारी, मुरेल व धुन्ध है। बेडच नदी १९० किलोमीटर लंबी है तथा गोगु्न्दा पहाड़ियों (उदयपुर) से निकलती है। कोठारी नदी उत्तरी राजसमंद जिले के दिवेर पहाड़ियों से निकलती है। यह १४५ किलोमीटर लंबी है तथा यह उदयपुर, भीलवाड़ा में बहती हुई बनास में मिल जाती है। .

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बामनवास

बामनवास नामक छोटा सा कस्बा सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आता है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। बामनवास राजस्थान राज्य का विधानसभा क्षेत्र पड़ता है वही टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है। .

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बावड़ी

बावड़ी श्रेणी:सिंचाई श्रेणी:भारतीय वास्तुशास्त्र श्रेणी:भारत में जल प्रबंधन श्रेणी:भारतीय स्थापत्य कला श्रेणी:बावड़ी.

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बिच्छीदौना

यह गाँव सवाई माधोपुर जिले की मलारना डूंगर तहसील के अंतर्गत आने वाला छोटा सा गांव है। इस गाँव की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 1934 है और गांव में कुल घरों की संख्या 357 है। इस गाँव की सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय से दूरी 48 व तहसील मुख्यालय मलारना डूंगर से 10 किमी है। इस गाँव में अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आने वाली सबसे बड़ी जाति मीणा अर्थात मीना निवास करती है, जिनका गोत्र धणावत है। श्रेणी:सवाई माधोपुर जिले के गाँव.

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बौंली

बौंली कस्बा (Bonli Town) राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत पड़ता है, यह कस्बा सवाई माधोपुर जिले के बामनवास विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। बौंली कस्बे में तहसील मुख्यालय एवं पंचायत समिति मुख्यालय भी कार्यरत है। .

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भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची - प्रदेश अनुसार

भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का संजाल भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची भारतीय राजमार्ग के क्षेत्र में एक व्यापक सूची देता है, द्वारा अनुरक्षित सड़कों के एक वर्ग भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण। ये लंबे मुख्य में दूरी roadways हैं भारत और के अत्यधिक उपयोग का मतलब है एक परिवहन भारत में। वे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा भारतीय अर्थव्यवस्था। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 laned (प्रत्येक दिशा में एक), के बारे में 65,000 किमी की एक कुल, जिनमें से 5,840 किमी बदल सकता है गठन में "स्वर्ण Chathuspatha" या स्वर्णिम चतुर्भुज, एक प्रतिष्ठित परियोजना राजग सरकार द्वारा शुरू की श्री अटल बिहारी वाजपेयी.

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भारत के राष्ट्रीय उद्यान

नीचे दी गयी सूची भारत के राष्ट्रीय उद्यानों की है। 1936 में भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान था- हेली नेशनल पार्क, जिसे अब जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। १९७० तक भारत में केवल ५ राष्ट्रीय उद्यान थे। १९८० के दशक में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अलावा वन्य जीवों की सुरक्षार्थ कई अन्य वैधानिक प्रावधान लागू हुए.

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भगवतगढ़

यह शहर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले से 25 किलोमीटर दूर स्थित है, जो कि खण्डार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। चौथ का बरवाड़ा के बाद खण्डार विधानसभा क्षेत्र का द्वितीय सबसे बड़ा कस्बा भगवतगढ़ है। यहाँ के अरणेश्वर महादेव के सप्त कुंड पिकनिक मनाने के लिए बहुत खूबसूरत जगह है, यहाँ पर श्री केशवराय जी भगवान का भी प्रसिद्ध मंदिर है। भगवतगढ़ कसबे के चारो कोनो पर चार बावड़ियां व् चार ही बालाजी के मंदिर स्थित हैं, जो कि अपने आप में अनूठा है। भगवतगढ़ शहर सवाई माधोपुर जिले का प्राचीन काल से सैठाना क्षेत्र रहा है, यहाँ पर भगवतगढ़ का किला है, जिसके कारण ही इस शहर का नाम भगवतगढ़ पड़ा है। यह कस्बा टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। भगवतगढ़ शहर सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा पंचायत समिति व तहसील का दूसरा सबसे बड़ा शहर तो है ही साथ में सबसे प्राचीन शहर भी यही है। भगवतगढ़ क्षेत्र के आसपास के गाँवों में झोंपड़ा, लोरवाड़ा, बंधा, जटवाड़ा, जौंला आदि मुख्य गाँव है। भगवतगढ़ शहर से सबसे अधिक जरूरते पूरी करने वाले गाँवों में झोंपड़ा गाँव मुख्य है, झोंपड़ा गाँव के अलावा सिरोही, बंधा, लोरवाड़ा, जटवाड़ा, जौंला, क्यावड़, आदलवाड़ा, गिरधरपुरा, त्रिलोकपुरा, सहरावता, राठौद, कराड़ी, दोबड़ा आदि गाँव आते हैं। .

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भैडोला

यह गांव राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में आने वाला छोटा सा गांव है। इस गांव से चौथ का बरवाड़ा शहर महज ३ किलोमीटर के करीब है।.

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मलारना डूंगर

मलारना डूंगर नामक कस्बा राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की प्रमुख तहसील है, यह मलारना स्टेशन कस्बे से 11 किमी दुरी पर स्थित है, यह कस्बा टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र व राजस्थान के सवाई माधोपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। .

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माधो सिंह प्रथम

जयपुर राज्य के महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम प्रमुख महाराजा थे। राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर की स्थापना जयपुर के पूर्व महाराजा सवाई माधोसिंह ने 1765 ईस्वी के लगभग की थीं। सवाई माधोसिंह प्रथम की वजह से सवाई माधोपुर शहर 17वीं व 18वीं शताब्दी के आसपास एक ख्याति प्राप्त शहर माना जाने लगा था। राजस्थान सरकार ने 15 मई 1949 में सवाई माधोपुर शहर को सवाई माधोसिंह के नाम पर जिला बनाकर उनके द्वारा स्थापित शहर का सम्मान बढ़ा दिया। तब से लेकर आज तक जिले का नाम सवाई माधोपुर के रूप में भारत स्तर पर जाना जाता है। श्रेणी:जयपुर के लोग श्रेणी:सवाई माधोपुर जिला श्रेणी:जयपुर के महाराजा.

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मांगरोल, बौंली

गांव राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आने वाला मांगरोल गांव एक छोटा सा गांव है। गांव की तहसील बौंली लगती है वही ग्राम पंचायत व पोस्ट मुख्यालय पीपलवाड़ा लगता है। मांगरोल गांव में सबसे अधिक आबादी मीणा जनजाति की है जो कि महर गौत्र से संबंधित है। मीणा जनजाति का महर गौत्र मीणा समाज का महत्व पूर्ण गौत्र है। इसी गौत्र के मीणाओं ने राजस्थान के लोकदेवता वीर तेजाजी महाराज को बुरी तरह से घायल कर दिया था लेकिन तेजाजी महाराज ने महर गौत्र के मीणों पर विजय पाई थी। .

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मंडरायल

'मंडरायल' (Mandrayal) राजस्थान (भारत) राज्य के करौली जिले का एक क़स्बा है। यहाँ की जनसँख्या 74600 है। मंडरायल के पास के शहरों में सबलगढ़, ग्वालियर, करौली मुख्य रूप से हैं। यहाँ हिन्दी भाषा बोली जाती है। इन्हें भी देखे----- करौली .

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मेवाड़ एक्सप्रेस

मेवाड़ एक्सप्रेस (The Mewar Express) (१२९६३/१२९६४) एक रेल है जो निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन,दिल्ली से उदयपुर के बीच चलती है। यह रेल दिल्ली से उदयपुर की दूरी लगभग ७४४ किलोमीटर १२ घण्टे और २० मिनटों में तय करती है। यह उदयपुर में काफी लोकप्रिय है इसलिए इसका नाम मेवाड़ एक्सप्रेस रखा गया है। यह रेल हज़रत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन,बल्लबगढ़,मथुरा,भरतपुर,बयाना,हिण्डौन,श्री महाबीरजी,गंगापुर सिटी रेलवे स्टेशन,सवाई माधोपुर,कोटा,बूंदी,मांडलगढ़,चंदेरिया,चित्तौड़गढ़,कपासन,मावली,राणा प्रताप नगर और उदयपुर स्टेशनों पर रुकती है। .

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मीन भगवान का मन्दिर, राजस्थान

भारत के राजस्थान प्रांत में भगवान मीनेष अर्थात मत्स्यावतार को समर्पित यह मंदिर सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा कस्बें में स्थित है। चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणा समाज के सहयोग से बना यह भव्य मंदिर साधारण नहीं बल्कि तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस है। भगवान मीनेष के इस मंदिर का 108 फीट ऊँचा गुम्बद लोगों का मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आम-तौर पर सरसों की तूड़ी को अनुपयोगी समझकर जला दिया जाता है, लेकिन सवाई माधोपुर जिले में चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणा समाज ने इस सरसों की तूड़ी को बेचकर इसका उपयोग मंदिर निर्माण कार्य में किया।  मीन भगवान मन्दिर सवाई माधोपुर  प्रथम बार इस क्षेत्र के मीणा समाज के लोगों ने सरसों की तूड़ी बेचकर 7 करोड़ रुपये इकट्ठे किये और मीणा समाज के ग्रामीणों की मुहिम रंग लाई और मंदिर का निर्माण शुरू हो गया। चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र के मीणों ने धीरे धीरे मंदिर को बनाना शुरू किया और आज यह मंदिर इतना आलीशान बन गया कि मंदिर को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। यह मंदिर पूरी तरह से कम्प्यूटराइज्ड तो है ही साथ ही साथ सीसीटीवी कैमरों से लैस ये मंदिर लोगों का प्रमुख आस्था केन्द्र भी बन गया है। यह मंदिर मीणा जनजाति का राजस्थान में सबसे सुंदर, सबसे बड़ा एवं आधुनिक सुविधाओं से लैस भगवान मीनेष का प्रमुख मंदिर है, जो अब तक का सबसे विशाल मीन मंदिर माना जाता है, चौथ का बरवाड़ा में स्थित ये मंदिर मीणा जनजाति की एकता व अखंडता का जीता-जागता उदाहरण है। सवाई माधोपुर जिले में मीणा महापंचायतों की रूपरेखा इसी मंदिर से तय की जाती है। .

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रणथम्भोर दुर्ग

रणथंभोर दुर्ग दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग के सवाई माधोपुर रेल्वे स्टेशन से १३ कि॰मी॰ दूर रन और थंभ नाम की पहाडियों के बीच समुद्रतल से ४८१ मीटर ऊंचाई पर १२ कि॰मी॰ की परिधि में बना एक दुर्ग है। दुर्ग के तीनो और पहाडों में प्राकृतिक खाई बनी है जो इस किले की सुरक्षा को मजबूत कर अजेय बनाती है। यूनेस्को की विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 36वीं बैठक में 21 जून 2013 को रणथंभोर को विश्व धरोहर घोषित किया गया। यह राजस्थान का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। .

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रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान

रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान उत्तर भारत के बड़े उद्यानों में से एक है। यह जयपुर से १३० किलोमीटर दक्षिण और कोटा से ११० किलोमीटर उत्तर-पूर्व में राजस्थान के दक्षिणी जिले सवाई माधोपुर में स्थित है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन और कस्बा सवाई माधोपुर यहाँ से ११ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। .

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रामेश्वर त्रिवेणी संगम

राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित तीन नदियों के संगम पर बना भगवान शिव का पवित्र स्थल राजस्थान का त्रिवेणी संगम नाम से प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। .

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राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य

चंबल वन्य जीव अभयारण्य भारत देश में राजस्थान प्रान्त में सवाई माधोपुर, कोटा, बूँदी, धौलपुर एवं करौली जिलों के अंतर्गत आता है। इसका क्षेत्रफल २८० वर्ग किमी है। इसे राजस्थान राज्य सरकार ने 1983 ईस्वी में वन्य जीव अभयारण्य घोषित किया था। यह घड़ियालों के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है। इसका वानिक मुख्यालय रणथम्भौर से संचालित होता है। इसकी प्रसाशन व्यवस्था तीन राज्य उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के हाथों में है। १९७९ में स्थापित इस अभयारण्य के कोर क्षेत्र में ४०० किमी लंबी चंबल नदी आती है। .

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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राजस्थान के दुर्गों की सूची

राजस्थान एक प्राचीन धरोहर है यहाँ अनेक राजाओं ने लंबे समय तक शासन किया। इस दौरान अपने शासन काल में उन्होंने अपनी तथा अपनी प्रजा की सुरक्षा हेतु दुर्गों अर्थात् किलों का निर्माण करवाया। .

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राजस्थान के पहाड़ी दुर्ग

राजस्थान के छह पहाड़ी दुर्ग यूनेस्को के विश्व धरोहर में शामिल है। वे दुर्ग है.

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राजस्थान के शहर

* अजमेर,.

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राजस्थान के जिले

राजस्थान के ७ मंडलों में ३३ जिले हैं जो इस प्रकार हैं।- श्रेणी:राजस्थान से सम्बन्धित सूचियाँ.

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राजस्थान के वन्य-जीव अभयारण्य

देश का सबसे अधिक दुर्लभ पक्षी गोडावण है जो राजस्थान के बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर जिले में अधिक संख्या में मिलता है राजस्थान में तीन राष्ट्रीय उद्यान, २५ वन्य जीव अभ्यारण्य एवं ३३ आखेट निषेद क्षेत्र घोषित किए जा चुके हैं। भारतीय वन्यजीव कानून १९७२ देश के सभी राज्यों में लागू है। राज्य में वन्य प्राणियों के प्राकृतिक आवास को जानने के लिए भू-संरचना के अनुसार प्रदेश को चार मुख्य भागों में बांटा जा सकता है- १ मरुस्थलीय क्षेत्र, २ पर्वतीय क्षेत्र, ३ पूर्वी तथा मैदानी क्षेत्र और ४ दक्षिणी क्षेत्र। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जो कि भरतपुर में स्थित है यह एक राष्ट्रीय उद्यान है अर्थात एक अंतर्राष्ट्रीय पार्क जिसे पक्षियों का स्वर्ग भी कहा जाता है। धार्मिक स्थलों के साथ जुड़े ओरण सदैव ही पशुओं के शरणस्थल रहे हैं केंद्र सरकार द्वारा स्थापित पशु-पक्षियों का स्थल राष्ट्रीय उद्यान व राज्य सरकार द्वारा स्थापित स्थल अभ्यारण्य कहलाता है। .

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राजस्थान की मिट्टियाँ

साधारणतया जिसे हम मिट्टी कहते हैं, वह चट्टानों का चूरा होता है। ये चट्टानें मुख्यतया तीन प्रकार की होती हैं - स्तरीकृत, आग्नेय और परिवर्तित। क्षरण या नमीकरण के अभिकर्त्ता तापमान,वर्षा,हवा,हिमानी,बर्फ व नदियों द्वाया ये चट्टाने टुकड़ों में विभाजित होती हैं जो अंत में हमें के रूप में दिखाई देती हैं। .

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राजस्थान की जलवायु

उत्तर-पश्चिमी भारत में राजस्थान का जलवायु आम तौर पर शुष्क या अर्ध-शुष्क है और वर्ष भर में काफी गर्म तापमान पेश करता है, साथ ही गर्मी और सर्दियों दोनों में चरम तापमान होते हैं। भारत का यह राज्य राजस्थान उत्तरी अक्षांश एवं पूर्वी देशांतर पर स्थित है। उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाने वाली रेखाएं देशांतर रेखाएं तथा देशांतर रेखाओं के अक्षीय कोण अथवा पृथ्वी के मानचित्र में पश्चिम से पूर्व अथवा भूमध्य रेखा के समानांतर रेखाएं खींची जाती हैं उन्हें अक्षांश रेखाएं कहा जाता है। राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार २३°३ उत्तरी अक्षांश से ३०°१२ उत्तरी अक्षांश तक है तथा देशांतरीय विस्तार ६०°३० पूर्वी देशांतर से ७८°१७ पूर्वी देशांतर तक है। कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिण अर्थात बांसवाड़ा जिले के मध्य (कुशलगढ़) से होकर गुजरती है इसलिए हर साल २१ जून को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले पर सूर्य सीधा चमकता है। राज्य का सबसे गर्म जिला चुरु जबकि राज्य का सबसे गर्म स्थल जोधपुर जिले में स्थित फलोदी है। इसी प्रकार राज्य में गर्मियों में सबसे ठंडा स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है इसलिए माउंट आबू को राजस्थान का शिमला कहा जाता है। पृथ्वी के धरातल से क्षोभ मंडल में जैसे-जैसे ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं तापमान कम होता है तथा प्रति १६५ मीटर की ऊंचाई पर तापमान १ डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है। राजस्थान का गर्मियों में सर्वाधिक दैनिक तापांतर वाला जिला जैसलमेर है जबकि राज्य में गर्मियों में सबसे ज्यादा धूल भरी आंधियां श्रीगंगानगर जिले में चलती है राज्य में विशेषकर पश्चिमी रेगिस्तान में चलने वाली गर्म हवाओं को लू कहा जाता है। राजस्थान में गर्मियों में स्थानीय चक्रवात के कारण जो धूल भरे बवंडर बनते हैं उन्हें भभुल्या कहा जाता है गर्मियों में राज्य के दक्षिण पश्चिम तथा दक्षिणी भागों में अरब सागर में चक्रवात के कारण तेज हवाओं के साथ चक्रवाती वर्षा भी होती है राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तान में गर्मियों में निम्न वायुदाब की स्थिति उत्पन्न होती है फलस्वरूप महासागरीय उच्च वायुदाब की मानसूनी पवने आकर्षित होती है तथा भारतीय उपमहाद्वीप के ऋतु चक्र को नियमित करने में योगदान देती है। राजस्थान में मानसून की सर्वप्रथम दक्षिण पश्चिम शाखा का प्रवेश करती है अरावली पर्वतमाला के मानसून की समानांतर होने के कारण राजस्थान में कम तथा अनियमित वर्षा होती है। राज्य का सबसे आर्द्र जिला झालावाड़ है जबकि राज्य का सबसे आर्द्र स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है जबकि सबसे शुष्क जिला जैसलमेर है। राज्य का दक्षिण पश्चिम दक्षिण तथा दक्षिणी पूर्वी भाग सामान्यतया आर्द्र कहलाता है। जबकि पूर्वी भाग सामान्यतया उप आर्द्र कहलाता है जबकि पश्चिमी भाग शुष्क प्रदेश में आता है इसके अलावा राजस्थान का उत्तर तथा उत्तर पूर्वी भाग सामान्यतया अर्ध अर्ध शुष्क प्रदेश में आता है। .

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सिरोही गाँव

सिरोही गाँव भारतीय राज्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में झोपड़ा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाला एक छोटा सा गाँव है, जो गलवा नदी के पास में बसा हुआ है। .

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सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन व जंक्शन

राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले का सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन भारत का पहला हेरिटेज रेलवे स्टेशन है। इस रेलवे स्टेशन को रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान की विशेष झलक पाने हेतु "डब्ल्यू डब्ल्यू एफ" और "भारतीय रेल मंत्रालय" के सहयोग बाघ बचाओं, जंगल बचाओं एवं जल बचाओ के के उपक्रम में बनाया गया है। जो कि वास्तव में रेलवे की महत्वपूर्ण योजना थी। पर्यटन को बढ़ावा देने और आमजन को वन्य जीवों के प्रति जागरूक करने के लिए सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन को वन्यजीवों और पेड़-पौधों सहित प्राकृतिक छटाओं की खूबसूरत चित्रकारी से सजाया गया, जिसके चलते सवाई माधोपुर देश का पहला हेरिटेज रेलवे स्टेशन बन चुका है। यह काम भारतीय रेल मंत्रालय और विश्व प्रकृति निधि भारत एवं डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के संयुक्त प्रयास से रेलवे स्टेशन की दीवारों पर वन्य जीवों सहित प्राकृतिक छटाओं की चित्रकारी करने का काम किया गया। अब सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से निकलने वाले यात्रियों को रणथंभोर राष्ट्रीय उद्यान की झलक रेलवे स्टेशन पर ही देखने को मिल जाती है, जो लोगों को बरबस ही अपनी और आकर्षित करती है। .

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सवाई माधोपुर जिला

सवाई माधोपुर भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। जिले का मुख्यालय सवाई माधोपुर है। इस जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में महत्वपूर्ण है:-.

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सवाई मानसिंह अभयारण्य

सवाई मानसिंह अभयारण्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित एक प्रमुख अभयारण्य है। यह अभयारण्य सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत लगभग 113 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है। राजस्थान सरकार ने इस अभयारण्य को 1984 ईस्वी में वन्य जीव अभयारण्य घोषित किया। सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से सटा हुआ यह वन्य जीव अभयारण्य मुख्य रूप से बघेरा, जंगली खरगोश, जंगली रीछ व भालू, जंगली सुअर, चिंकारा, सांभर, चीतल आदि वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है। .

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सुदर्शनाचार्य

जगद्गुरु सुदर्शनाचार्य (जन्म: 27 मई 1937, मृत्यु: 22 मई 2007) श्री रामानुजाचार्य द्वारा स्थापित वैष्णव सम्प्रदाय के एक प्रख्यात हिन्दू सन्त थे जिन्हें तपोबल से असंख्य सिद्धियाँ प्राप्त थीं। राजस्थान प्रान्त में सवाई माधोपुर जिले के पाड़ला ग्राम में एक ब्राह्मण जाति के कृषक परिवार में शिवदयाल शर्मा के नाम से जन्मे इस बालक को मात्र साढ़े तीन वर्ष की आयु में ही धर्म के साथ कर्तव्य का वोध हो गया था। बचपन से ही धार्मिक रुचि जागृत होने के कारण उन्होंने सात वर्ष की आयु में ही मानव सेवा का सर्वोत्कृष्ट धर्म अपना लिया था। वेद, पुराण व दर्शनशास्त्र का गम्भीर अध्ययन करने के उपरान्त उन्होंने बारह वर्ष तक लगातार तपस्या की और भूत, भविष्य व वर्तमान को ध्यान योग के माध्यम से जानने की अतीन्द्रिय शक्ति प्राप्त की। उन्होंने फरीदाबाद के निकट बढकल सूरजकुण्ड रोड पर 1990 में सिद्धदाता आश्रम की स्थापना की जो आजकल एक विख्यात सिद्धपीठ का रूप धारण कर चुका है। 1998 में हरिद्वार के महाकुम्भ में सभी सन्त महात्मा एकत्र हुए और सभी ने एकमत होकर उन्हें जगद्गुरु की उपाधि प्रदान की। आश्रम में उनके द्वारा स्थापित धूना आज भी उनकी तपश्चर्या के प्रभाव से अनवरत उसी प्रकार सुलगता रहता है जैसा उनके जीवित रहते सुलगता था। सुदर्शनाचार्य तो अब ब्रह्मलीन (दिवंगत) हो गये परन्तु भक्तों के दर्शनार्थ उनकी चरणपादुकायें (खड़ाऊँ) उनकी समाधि के समीप स्थापित कर दी गयी हैं। सिद्धदाता आश्रम में आज भी उनके भक्तों का मेला लगा रहता है। यहाँ आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या सम्प्रदाय का हो, बिना किसी भेदभाव के प्रवेश की अनुमति है। वर्तमान में स्वामी पुरुषोत्तम आचार्य यहाँ आने वाले श्रद्धालु भक्तों की समस्या सुनते हैं और सिद्धपीठ की आज्ञानुसार उसका समाधान सुझाते हैं। यह आश्रम आजकल देश विदेश से आने वाले लाखों लोगों के लिये एक तीर्थस्थल बन चुका है। .

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हम्मीर चौहान

हम्मीर देव चौहान, पृथ्वीराज चौहान के वंशज थे। उन्होने रणथंभोर पर १२८२ से १३०१ तक राज्य किया। वे रणथम्भौर के सबसे महान शासकों में सम्मिलित हैं। हम्मीर देव का कालजयी शासन चौहान काल का अमर वीरगाथा इतिहास माना जाता है। हम्मीर देव चौहान को चौहान काल का 'कर्ण' भी कहा जाता है। पृथ्वीराज चौहान के बाद इनका ही नाम भारतीय इतिहास में अपने हठ के कारण अत्यंत महत्व रखता है। राजस्थान के रणथम्भौर साम्राज्य का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं प्रतिभा सम्पन शासक हम्मीर देव को ही माना जाता है। इस शासक को चौहान वंश का उदित नक्षत्र कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। डॉ॰ हरविलास शारदा के अनुसार हम्मीर देव जैत्रसिंह का प्रथम पुत्र था और इनके दो भाई थे जिनके नाम सूरताना देव व बीरमा देव थे। डॉक्टर दशरथ शर्मा के अनुसार हम्मीर देव जैत्रसिंह का तीसरा पुत्र था वहीं गोपीनाथ शर्मा के अनुसार सभी पुत्रों में योग्यतम होने के कारण जैत्रसिंह को हम्मीर देव अत्यंत प्रिय था। हम्मीर देव के पिता का नाम जैत्रसिंह चौहान एवं माता का नाम हीरा देवी था। यह महाराजा जैत्रसिंह चौहान के लाडले एवं वीर बेटे थे। .

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जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन

जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन (कूट: JP) जयपुर का प्रधान रेलवे स्टेशन है। यह २००२ से उत्तर पश्चिम रेलवे का मुख्यालय भी है। इस रेलवे का जयपुर मण्डल का कार्यालय भी जयपुर में ही है। .

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जितेन्द्र कुमार गोठवाल

जितेन्द्र कुमार गोठवाल एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान राजस्थान विधानसभा में खण्डार से विधायक हैं | वे भारतीय जनता पार्टी के राजनेता हैं | .

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जौंला, सवाई माधोपुर

जौंला गांव सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत चौथ का बरवाड़ा तहसील के अंतर्गत आने वाला प्रमुख गांव है। गांव का विधानसभा क्षेत्र खंडार लगता है वही लोकसभा क्षेत्र टोंक-सवाई माधोपुर पड़ता है। यह गांव सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय से १४ किमी व तहसील मुख्यालय चौथ का बरवाड़ा से १५ किमी की दूरी पर स्थित है।.

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घुश्मेश्वर मन्दिर, राजस्थान

घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िले के शिवर गांव में स्थित है। .

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वज़ीरपुर

यह कस्बा राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत पड़ने वाला प्रमुख कस्बा है। वजीरपुर वर्तमान में सवाई माधोपुर जिले की एक तहसील बन चुका है जो कि राजस्थान के गंगापुर सिटी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इस कस्बे का लोकसभा क्षेत्र टोंक-सवाई माधोपुर लगता है। श्रेणी:सवाई माधोपुर जिला.

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खण्डार

खंडार कस्बा सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आता है, यह राजस्थान का एक विधानसभा क्षेत्र है वही टोंक सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है। यह कस्बा सवाई माधोपुर जिले से 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है एव यहां से 18 किलोमीटर की दूरी पर रामेश्वर धाम नामक धार्मिक स्थल स्थित है रामेश्वर धाम में तीन नदियो का संगम होता है इस क्षेत्र की प्रमुख नदियों में चंबल नदी एव बनास नदी है क्षेत्र में एक अत्यंत प्राचीन दुर्ग तारागढ़ स्थित है इस कस्बे को छोटे वृंदावन के नाम से भी जाना जाता है .

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खण्डार का अजय दुर्ग

राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित यह दुर्ग 'अजय दुर्ग' या 'तारागढ़' के नाम से जाना जाता है। यह दुर्ग खण्डार कस्बे में स्थित है, सवाई माधोपुर से इस दुर्ग की दूरी करीब ४० किलोमीटर है। राजस्थान में इस किले का अपना अलग ही महत्व है। एक खड़ी पहाड़ी पर स्थित किले के प्रवेश द्वार पर तीन बड़े दरवाजे है। खतरनाक स्थान पर स्थित होने के कारण किले पर हमलावरों की सेनाओं द्वारा आसानी से विजय प्राप्त करना बेहद कठिन था। कहा जाता है कि खण्डार किले के सतारूड़ राजाओं में से एक राजा जिसने जो भी लड़ाई लड़ी उसमें कभी हार नहीं हुई, इसी कारण इस दुर्ग का नाम पड़ा अजय दुर्ग.

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गंगापुर सिटी

गंगापुर सिटी (अंग्रेजी:Gangapur City), राजस्‍थान के सवाई माधोपुर जिले की सबसे बडी तहसील व उपकेन्‍द्र है। यह दिल्‍ली-मुंबई रेलमार्ग पर स्थित है। यहां राजस्‍थान की बडी अनाज मंडी है। शिक्षा का अच्‍छा माहौल है। यह एक स्‍वतंत्र विधानसभा क्षेत्र है तथा सवाई माधोपुर-टोंक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जनसंख्या के मामले में, यह राजस्थान में 18वा सबसे बड़ा शहर है। श्रेणी:सवाई माधोपुर जिले के शहर श्रेणी:सवाई माधोपुर जिले की तहसीलें.

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ग्राम पंचायत झोंपड़ा, सवाई माधोपुर

झोंपड़ा गाँव राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में आने वाली प्रमुख ग्राम पंचायत है ! ग्राम पंचायत का सबसे बड़ा गाँव झोंपड़ा है जिसमें मीणा जनजाति का नारेड़ा गोत्र मुख्य रूप से निवास करता हैं। ग्राम पंचायत में झोंपड़ा, बगीना, सिरोही, नाहीखुर्द एवं झड़कुंड गाँव शामिल है। झोंपड़ा ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 5184 है और ग्राम पंचायत में कुल घरों की संख्या 1080 है। ग्राम पंचायत की सबसे बड़ी नदी बनास नदी है वहीं पंचायत की सबसे लम्बी घाटी चढ़ाई बगीना गाँव में बनास नदी पर पड़ती है। ग्राम पंचायत का सबसे विशाल एवं प्राचीन वृक्ष धंड की पीपली है जो झोंपड़ा, बगीना एवं जगमोंदा गाँवों से लगभग बराबर दूरी पर पड़ती है। .

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आदलवाड़ा कलाँ

आदलवाड़ा कलां भारतीय राज्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील का एक गाँव है। .

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कँवालजी आखेट निषिद्द क्षेत्र

कँवालजी आखेट निषिद्द क्षेत्र भारत के राजस्थान प्रान्त में सवाई माधोपुर के सवाई मानसिंह अभयारण्य से सटा हुआ है, यहाँ पर शिकार करना प्रतिबंधित है। इस क्षेत्र के अंतर्गत भगवान शिव का पवित्र मंदिर स्थित है जो कि 'कमलेश्वर' या कँवालजी के नाम से जाना जाता है। कँवालजी आखेट निषिद्ध क्षेत्र का वानिक मुख्यालय सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भौर नेशनल पार्क से संचालित होता है। .

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कन्हैया गीत

कन्हैया गीत राजस्थान के पूर्वी भाग में विशेषकर मीणा समुदाय में प्रचलित सामूहिक गायन हैं जिसे 'नौबत' और 'घेरा' नामक वाद्य यंत्रो की मदद से गाया जाता हैं। पूर्वी भाग में ये लोगो के बीच आपसी भाईचारे और बंधुत्व को बढ़ाने में एक अनुकरणीय योगदान दे रहे हैं। .

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करवा चौथ

करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान का पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब ४ बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है। ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षार्थ इस व्रत का सतत पालन करें। भारत देश में वैसे तो चौथ माता जी के कही मंदिर स्थित है, लेकिन सबसे प्राचीन एवं सबसे अधिक ख्याति प्राप्त मंदिर राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गाँव में स्थित है। चौथ माता के नाम पर इस गाँव का नाम बरवाड़ा से चौथ का बरवाड़ा पड़ गया। चौथ माता मंदिर की स्थापना महाराजा भीमसिंह चौहान ने की थी। .

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करौली जिला

कोई विवरण नहीं।

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काला-गौरा भैरव मंदिर

काला-गौरा भैरव मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के पूर्वी भाग में आकाश को छूता हुआ सा प्रतीत होता है। यह मंदिर बहु मंजिला रूद्र भैरव का तांत्रिक मंदिर है, जो कि प्राचीन काल से विद्यमान है। इस मंदिर के लिए कहाँ जाता है कि प्राचीन काल में यह मंदिर राजस्थान में जादू-टौनो, तंत्र-मंत्र एवं वशीकरण के लिए विख्यात था। मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो हाथी सुंड उठाकर खड़े हुए बने हुए हैं। यहाँ दो भैरव मंदिर है जिन्हें काला-गौरा भैरव के नाम से जाना जाता है, दोनों ही मंदिरों पर सुंड उठाये गजराज चित्रित है। इन मंदिरों को तामसी व राजसी शैली में निरूपित किया गया है। यह मंदिर प्राचीन सवाई माधोपुर शहर के मुख्य द्वार पर बने हुए हैं। .

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कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य

कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य भारत देश में राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर एवं करौली जिले के अंतर्गत ३७६ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में स्थित है। इसे ईस्वी सन १९८३ में वन्य जीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया था। इसमें मुख्य रूप से बघेरा,गोश, रीछ, सुअर, चिंकारा, सांभर, चीतल एवं लोमड़ी आदि वन्य जीव पाये जाते हैं। अभयारण्य राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा को जोड़ता है। अभयारण्य के पश्चिमी किनारे पर बनास नदी और दक्षिण-पूर्व दिशा में चम्बल नदी का प्रवाह है। कैला देवी वन्यजीव अभयारण्य का नाम कैला देवी मंदिर के नाम से पड़ा है। श्रेणी:भारत के अभयारण्य.

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अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड

अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड सवाई माधोपुर जिले के भगवतगढ़ शहर में स्थित है। यहाँ पर भगवान शिव का अरणेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। सवाई माधोपुर जिले का अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड पिकनिक का बेहतरीन स्थल है। यह स्थान भगवतगढ़ शहर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। श्रेणी:सवाई माधोपुर जिला श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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