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सराइकी

सूची सराइकी

पंजाबी की उपभाषाएँ सराइकी (अरबी-फारसी: سرائیکی, गुरुमुखी: ਸਰਾਇਕੀ) भारतीय-आर्य परिवार की एक भाषा है। यह पाकिस्तान के पंजाब के दक्षिणि भागों, उसके सीमावर्ती सिंध में, पंजाब के उत्तरी-पश्चिमी भाग आदि में बोली जाती है। भारत में राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर व श्री गंगानगर जिलो में भी पांच लाख के करीब लोग सराइकी बोलते हैं। इसके बोलने वालों की संख्या लगभग डेढ़ करोड़ है। .

17 संबंधों: टांक ज़िला, पंजाब (पाकिस्तान), बलूचिस्तान (पाकिस्तान), लहन्दा भाषाएँ, लेग़ारी, सरैकिस्तान आन्दोलन, सिन्धी भाषा, सिबि ज़िला, सौवीर, हिन्द-आर्य भाषाएँ, हिन्दको भाषा, आठवीं अनुसूची, आबिदा परवीन, कराची, अरोड़ा, उच, उपभाषा सतति

टांक ज़िला

ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत में टांक ज़िला (गाढ़े नारंगी रंग में) टांक (उर्दू:, टांक; पश्तो:, टक; सराइकी:, टंक; अंग्रेज़ी: Tank) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत का एक ज़िला है। यह पहले डेरा इस्माइल ख़ान ज़िले का हिस्सा हुआ करता था। .

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पंजाब (पाकिस्तान)

पंजाब पंजाब पाकिस्तान का एक प्रान्त है। इसमें ३६ जिले हैं। पंजाब आबादी के अनुपात से पाकिस्तान का सब से बड़ा राज्य है। पंजाब में रहने वाले लोग पंजाबी कहलाते हैं। पंजाब की दक्षिण की तरफ़ सिंध, पश्चिम की तरफ़ ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा और बलोचिस्तान,‎‎‎ उत्तर की तरफ़ कश्मीर और इस्लामाबाद और पूर्व में हिन्दुस्तानी पंजाब और राजस्थान से मिलता है। पंजाब में बोली जाने वाली भाषा भी पंजाबी कहलाती है। पंजाबी के अलावा वहां उर्दु और सराइकी भी बोली जाती है। पंजाब की (राजधानी) लाहौर है। पंजाब फ़ारसी भाषा के दो शब्दों - 'पंज' यानि 'पांच' (५) और 'आब' यानि 'पानी' से मिल कर बना है। इन पांच दरियाओं के नाम हैं.

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बलूचिस्तान (पाकिस्तान)

बलूचिस्तान (उर्दू: بلوچستان) पाकिस्तान का पश्चिमी प्रांत है। बलूचिस्तान नाम का क्षेत्र बड़ा है और यह ईरान (सिस्तान व बलूचिस्तान प्रांत) तथा अफ़ग़ानिस्तान के सटे हुए क्षेत्रों में बँटा हुआ है। यहां की राजधानी क्वेटा है। यहाँ के लोगों की प्रमुख भाषा बलूच या बलूची के नाम से जानी जाती है। १९४४ में बलूचिस्तान के स्वतंत्रता का विचार जनरल मनी के विचार में आया था पर १९४७ में ब्रिटिश इशारे पर इसे पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। १९७० के दशक में एक बलूच राष्ट्रवाद का उदय हुआ जिसमें बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र करने की मांग उठी। यह प्रदेश पाकिस्तान के सबसे कम आबाद इलाकों में से एक है। .

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लहन्दा भाषाएँ

लहन्दा (ਲਹੰਦਾ) या लाहन्दा (ਲਾਹੰਦਾ) पंजाबी भाषा की पश्चिमी उपभाषाओं के समूह को कहा जाता है। पंजाबी में 'लहन्दा' शब्द का मतलब 'पश्चिम' होता है, जिस से इन भाषाओं का यह नाम पड़ा है - तुलना के लिए हिन्दी की पूर्वी उपभाषाओं को पारम्परिक रूप से अक्सर 'पूरबिया' कहा जाता है।, Andrew John Jukes (Missionary of the Church Missionary Society, Dera Ghazi Khan), pp.

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लेग़ारी

लेग़ारी या लग़ारी (बलोच व सिन्धी) एक बलोच समुदाय है जो पकिस्तान के बलोचिस्तान, सिन्ध और पंजाब प्रान्तो में बसा हुआ है। वे बलोच, सिन्धी और सराईकी भाषाएँ बोलते हैं और सुन्नी मुस्लिम हैं। .

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सरैकिस्तान आन्दोलन

सरैकिस्तान सरैकिस्तान का ध्वज सरैकिस्तान आन्दोलन पाकिस्तान के राजनीतिक दलों एवं राजनीतिज्ञों का एक मंच है जो सरैकी लोगों के लिये सरैकिस्तान नामक एक अलग प्रान्त के लिये संघर्ष कर रहा है। सरैकिस्तान के अन्तर्गत पाकिस्तान के पंजाब का दक्षिणी-पश्चिमी भाग तथा खैबर पख्तूनख्वा का दक्षिणी भाग आता है। .

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सिन्धी भाषा

सिंधी भारत के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका संबंध भाषाई परिवार के स्तर पर आर्य भाषा परिवार से है जिसमें संस्कृत समेत हिन्दी, पंजाबी और गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं। सिंधी भाषा सिंध प्रदेश की आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा जिसका संबंध पैशाची नाम की प्राकृत और व्राचड नाम की अपभ्रंश से जोड़ा जाता है। इन दोनों नामों से विदित होता है कि सिंधी के मूल में अनार्य तत्व पहले से विद्यमान थे, भले ही वे आर्य प्रभावों के कारण गौण हो गए हों। सिंधी के पश्चिम में बलोची, उत्तर में लहँदी, पूर्व में मारवाड़ी और दक्षिण में गुजराती का क्षेत्र है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस्लामी शासनकाल में सिंध और मुलतान (लहँदीभाषी) एक प्रांत रहा है और 1843 से 1936 ई. तक सिन्ध, बम्बई प्रांत का एक भाग होने के नाते गुजराती के विशेष संपर्क में रहा है। पाकिस्तान में सिंधी भाषा नस्तालिक (यानि अरबी लिपि) में लिखी जाती है जबकि भारत में इसके लिये देवनागरी और नस्तालिक दोनो प्रयोग किये जाते हैं। .

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सिबि ज़िला

सिबि (उर्दू व बलोच: سبی, अंग्रेज़ी: Sibi) पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रान्त का एक ज़िला है। .

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सौवीर

सौवीर प्राचीन भारत का एक राज्य था जिसका उल्लेख महाभारत में हुआ है। महाभारत आदि पर्व के अनुसार यह सिंधु अथवा सिंधु नदी के आसपास लगे प्रदेश का नाम था, जहाँ का राजा विपुल, अर्जुन द्वारा मारा गया था। जयद्रथ को सिन्धुदेश, सौवीर और शिवि का राजा बताया गया है। महाभारत के अश्वमेघिक पूर्व में वर्णन है कि श्रीकृष्ण हस्तिनापुर से जब द्वारका जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में बालू, धूल व काँटों वाला मरुस्थल (मरुभूमि) का रेगिस्तान पड़ा था। महाभारत के वन पूर्व में इस भू-भाग को सिंधु-सौवीर कहकर सम्बोधित किया गया है। महाभारत के समापर्व के अध्याय ३२ में वर्णित है कि पाण्डु पुत्र नकुल ने अपने पश्चिम दिग्विजय में मरुभूमि, सरस्वती की घाटी, सिंध आदि प्रांत को विजित कर लिया था। मरुभूमि आधुनिक माखाड़ का ही विस्तृत क्षेत्र है। सराइकी शब्द सम्भवतः 'सौवीर' से ही व्युत्पन्न है। .

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हिन्द-आर्य भाषाएँ

हिन्द-आर्य भाषाएँ हिन्द-यूरोपीय भाषाओं की हिन्द-ईरानी शाखा की एक उपशाखा हैं, जिसे 'भारतीय उपशाखा' भी कहा जाता है। इनमें से अधिकतर भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं। हिन्द-आर्य भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के 'घ', 'ध' और 'फ' जैसे व्यंजन परिरक्षित हैं, जो अन्य शाखाओं में लुप्त हो गये हैं। इस समूह में यह भाषाएँ आती हैं: संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, रोमानी, असमिया, गुजराती, मराठी, इत्यादि। .

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हिन्दको भाषा

हिन्दको (Hindko) पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के हिन्दकोवी लोगों और अफ़ग़ानिस्तान के कुछ भागों में हिन्दकी लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक हिंद-आर्य भाषा है। कुछ भाषावैज्ञानिकों के अनुसार यह पंजाबी की एक पश्चिमी उपभाषा है हालांकि इसपर कुछ विवाद भी रहा है। कुछ पश्तून लोग भी हिन्दको बोलते हैं। पंजाबी के मातृभाषी बहुत हद तक हिन्दको समझ-बोल सकते हैं।, Aydin Yücesan Durgunoğlu, Ludo Th Verhoeven, pp.

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आठवीं अनुसूची

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की भाषाओं से संबंधित है। इस अनुसूची में २२ भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है। इनमें से १४ भाषाओं को संविधान में शामिल किया गया था। सन १९६७ में, सिन्धी भाषा को अनुसूची में जोड़ा गया। इसके बाद, कोंकणी भाषा, मणिपुरी भाषा, और नेपाली भाषा को १९९२ में जोड़ा गया। हाल में २००४ में बोड़ो भाषा, डोगरी भाषा, मैथिली भाषा, और संथाली भाषा शामिल किए गए। .

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आबिदा परवीन

आबिदा परवीन (जन्म 20 फ़रवरी 1954), पाकिस्तान से दुनिया के सबसे बड़े सूफी गायकों में से एक, संगीतकार, चित्रकार और उद्यमी है। उसे अक्सर 'सूफी संगीत की रानी' कहा जाता है। सार्क द्वारा उन्हें 'शांति राजदूत' बनाया जा रहा है। वह लार्काणा में एक सिंधी सूफी परिवार में पैदा हुई और पली। उनके पिता गुलाम हैदर, एक प्रसिद्ध गायक और संगीत शिक्षक थे। उन्होंने उसे प्रशिक्षित किया। वह पंप आर्गन, कीबोर्ड और सितार बजाती है।1970 के दशक के शुरूआत में परवीन ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और 1990 के दशक में वैश्विक प्रमुखता में आई। 1993 से, परवीन ने विश्व स्तर पर दौरे करना शुरू किया, जब उसने कैलिफ़ोर्निया के ब्यूना पार्क में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय संगीत कार्यक्रम किया। परवीन पाकिस्तान के लोकप्रिय संगीत शो कोक स्टूडियो में भी आती हैं और वह दक्षिण एशिया प्रतियोगिता में सुर क्षेत्र पर एक जज रही हैं, जिसमें रूणा लैला और आशा भोसले के साथ आयशा टाकिया द्वारा होस्ट किया गया है। इसमें आतिफ असलम और हिमेश रेशमिया भी शामिल हैं। वह कई भारतीय और पाकिस्तानी संगीत रियलिटी शो में प्रकाशित हुई थी जिसमें पाकिस्तान आइडोल, छोटे उस्ताद और स्टार वॉयस ऑफ इंडिया शामिल हैं। सूफी सनसनी होने के कारण वह दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों में से एक है। अपने दर्शकों में हिस्टीरिया को प्रेरित करने की शक्ति के साथ परवीन एक "ग्लोबल मिस्टिक सूफी एंबेसडर" है। परवीन को दुनिया के सबसे महान रहस्यवादी गायकों में से एक के रूप में जाना जाता है। वह, मुख्य रूप से गजल, ठुमरी, ख़याल, कव्वाली, राग, सूफी रॉक, शास्त्रीय, अर्द्ध-शास्त्रीय संगीत ख़याल गाती है और एक एकल शैली के साथ तबला और हारमोनियम का उपयोग कर सूफी कवियों की शाइरी को लेकर काफ़ी गायन उस की ख़ास ख़ास ताकत है। परवीन उर्दू, सिंधी, सरायकी, पंजाबी, अरबी और फारसी में गाती है। नेपाल में काठमांडू में एक संगीत कार्यक्रम जिसमें गोविंदा ने भाग लिया था, में नेपाली गायक तारा देवी के नेपाली भाषा में एक प्रसिद्ध गीत "उकली ओरारी हारुमा" को भी उसने गाया था। परवीन को अपने गीतों  एल्बम राक-ए-बिस्मिल से यार को हमने, बुलेह शाह की कविता तेरे इश्क नाचाया  का गायन बेहद ज़ोर की आवाज से करने के लिए सबसे बिहतर जाना जाता है।  पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार हिलाल-ए-इम्तियाज़ उसको 2012 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया। .

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कराची

कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा नगर है और सिन्ध प्रान्त की राजधानी है। यह अरब सागर के तट पर बसा है और पाकिस्तान का सबसे बड़ा बन्दरगाह भी है। इसके उपनगरों को मिलाकर यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह 3527 वर्ग किलोमीटर में फैला है और करीब 1.45 करोड़ लोगों का घर है। यहाँ के निवासी इस शहर की ज़िन्दादिली की वजह से इसे रौशनियों का शहर और क़ैद-ए-आज़म जिन्ना का निवास स्थान होने की वजह से इसे शहर-ए-क़ैद कह कर बुलाते हैं। जिन्‍नाह की जन्‍मस्‍थली के लिए प्रसिद्ध कराची पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत की राजधानी है। यह पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर है। अरब सागर के तट पर बसा कराची पाकिस्‍तान की सांस्‍कृतिक, आर्थिक और शैक्षणिक राजधानी मानी जाती है। यह पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा बंदरगाह शहर भी है। यह शहर पाकिस्‍तान आने वाले पर्यटकों के बीच भी खासा लोकप्रिय है। पर्यटक यहां बीच, म्‍यूजियम और मस्जिद आदि देख सकते हैं। आज के पाकिस्तानी भूभाग का मानवीय इतिहास कम से कम 5000 साल पुराना है, यद्यपि इतिहास पाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ। आज का पाकिस्तानी भूभाग कई संस्कृतियों का गवाह रहा है। ईसापूर्व 3300-1800 के बीच यहाँ सिन्धुघाटी सभ्यता का विकास हुआ। यह विश्व की चार प्राचीन ताम्र-कांस्यकालीन सभ्यताओं में से एक थी। इसका क्षेत्र सिन्धु नदी के किनारे अवस्थित था पर गुजरात (भारत) और राजस्थान में भी इस सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। मोहेन्जो-दारो, हड़प्पा इत्यादि स्थल पाकिस्तान में इस सभ्यता के प्रमुख अवशेष-स्थल हैं। इस सभ्यता के लोग कौन थे इसके बारे में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। कुछ इसे आर्यों की पूर्ववर्ती शाखा कहते हैं तो कुछ इसे द्रविड़। कुछ इसे बलोची भी ठहराते हैं। इस मतभेद का एक कारण सिन्धु-घाटी सभ्यता की लिपि का नहीं पढ़ा जाना भी है। ऐसा माना जाता है कि 1500 ईसापूर्व के आसपास आर्यों का आगमन पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों के मार्फ़त भारत में हुआ। आर्यों का निवास स्थान कैस्पियन सागर के पूर्वी तथा उत्तरी हिस्सों में माना जाता है जहाँ से वे इसी समय के करीब ईरान, यूरोप और भारत की ओर चले गए थे। सन् 543 ईसापूर्व में पाकिस्तान का अधिकांश इलाका ईरान (फारस) के हख़ामनी साम्राज्य के अधीन आ गया। लेकिन उस समय इस्लाम का उदय नहीं हुआ था; ईरान के लोग ज़रदोश्त के अनुयायी थे और देवताओं की पूजा करते थे। सन् 330 ईसापूर्व में मकदूनिया (यूनान) के विजेता सिकन्दर ने दारा तृतीय को तीन बार हराकर हखामनी वंश का अन्त कर दिया। इसके कारण मिस्र से पाकिस्तान तक फैले हखामनी साम्राज्य का पतन हो गया और सिकन्दर पंजाब तक आ गया। ग्रीक स्रोतों के मुताबिक उसने सिन्धु नदी के तट पर भारतीय राजा पुरु (ग्रीक - पोरस) को हरा दिया। पर उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और वह भारत में प्रवेश किये बिना वापस लौट गया। इसके बाद उत्तरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में यूनानी-बैक्ट्रियन सभ्यता का विकास हुआ। सिकन्दर के साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। सेल्युकस नेक्टर सिकन्दर के सबसे शक्तिशाली उत्तराधिकारियों में से एक था। मौर्यों ने 300 ईसापूर्व के आसपास पाकिस्तान को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया। इसके बाद पुनः यह ग्रीको-बैक्ट्रियन शासन में चला गया। इन शासकों में सबसे प्रमुख मिनांदर ने बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया। पार्थियनों के पतन के बाद यह फारसी प्रभाव से मुक्त हुआ। सिन्ध के राय राजवंश (सन् 489-632) ने इसपर शासन किया। इसके बाद यह उत्तर भारत के गुप्त और फारस के सासानी साम्राज्य के बीच बँटा रहा। सन् 712 में फारस के सेनापति मुहम्मद बिन क़ासिम ने सिन्ध के राजा को हरा दिया। यह फारसी विजय न होकर इस्लाम की विजय थी। बिन कासिम एक अरब था और पूर्वी ईरान में अरबों की आबादी और नियंत्रण बढ़ता जा रहा था। हालांकि इसी समय केन्द्रीय ईरान में अरबों के प्रति घृणा और द्वेष बढ़ता जा रहा था पर इस क्षेत्र में अरबों की प्रभुसत्ता स्थापित हो गई थी। इसके बाद पाकिस्तान का क्षेत्र इस्लाम से प्रभावित होता चला गया। पाकिस्तानी सरकार के अनुसार इसी समय 'पाकिस्तान की नींव' डाली गई थी। इसके 1192 में दिल्ली के सुल्तान पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद ही दिल्ली की सत्ता पर फारस से आए तुर्कों, अरबों और फारसियों का नियंत्रण हो गया। पाकिस्तान दिल्ली सल्तनत का अंग बन गया। सोलहवीं सदी में मध्य-एशिया से भाग कर आए हुए बाबर ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया और पाकिस्तान मुगल साम्राज्य का अंग बन गया। मुगलों ने काबुल तक के क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। अठारहवीं सदी के अन्त तक विदेशियों (खासकर अंग्रेजों) का प्रभुत्व भारतीय उपमहाद्वीप पर बढ़ता गया.

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अरोड़ा

अरोड़ा (पंजाबी: ਅਰੋੜਾ) या अरोरा पंजाब मूल का समुदाय/जाति है। अधिकांश अरोड़ा हिन्दू है और खत्री के साथ वह पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तानी पंजाब) के मुख्य हिन्दू समूह है। इनका मुख्य पेशा व्यापार हुआ करता था और दक्षिणी-पश्चिम पंजाब के सराइकी भाषी समाज में इनका काफी प्रभाव था। चेनाब के आसपास बसे अरोड़ा की जीविका कृषि पर आधारित थी। हालांकि अरोड़ा एक उच्च जाति है लेकिन उसे खत्री से नीचा माना जाता है। दोनों समुदाय एक दूसरे के काफी निकट हैं और दोनों समुदायों के बीच शादियां भी अब होती हैं। अरोड़ा का भाटिया और सूद से भी करीब का रिश्ता है। 1947 में भारत के विभाजन तथा इसकी आज़ादी से पहले अरोड़ा समुदाय मुख्य रूप से पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) में सिन्धु नदी तथा इसकी सहायक नदियों के तटों; उत्तर-पश्चिम के सीमावर्ती राज्यों (एनडब्ल्यूएफपी) सहित भारतीय पंजाब के मालवा क्षेत्र; सिंध क्षेत्र में (मुख्य रूप से सिन्धी अरोड़ा पर पंजाबी तथा मुल्तानी बोलने वाले अरोड़ा समुदाय भी हैं); राजस्थान में (जोधपुरी तथा नागौरी अरोड़ा/खत्रियों के रूप में); तथा गुजरात में बसा हुआ था। पंजाब के उत्तरी पोटोहर तथा माझा क्षेत्रों में खत्रियों की संख्या अधिक थी। भारत में आजादी तथा विभाजन के बाद, अरोड़ा मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, जम्मू, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गुजरात तथा देश के अन्य भागों में रहते हैं। विभाजन के बाद, अरोड़ा भारत और पाकिस्तान के कई हिस्सों के साथ पूरी दुनिया में चले गए। .

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उच

ऊच में सय्यद मख़दूम जहानियाँ 'जहानगश्त' बुख़ारी का मक़बरा उच या उच शरीफ़ (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Uch Sharif) पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के दक्षिण में बहावलपुर ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। .

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उपभाषा सतति

उपभाषा सतति (dialect continuum) किसी भौगोलिक क्षेत्र में विस्तृत उपभाषाओं की ऐसी शृंखला को कहते हैं जिसमें किसी स्थान की उपभाषा पड़ोस में स्थित स्थान से बहुत कम भिन्नता रखती है। बोलने वालों को वह दोनों उपभाषाएँ लगभग एक जैसी प्रतीत होती हैं, लेकिन यदी एक-दूसरे से दूर स्थित उपभाषाओं की तुलना की जाये तो वे काफ़ी भिन्न प्रतीत होती हैं और बहुत दूर स्थित उपभाषाओं को बोलने वालो को एक-दूसरे को समझने में कठिनाई हो सकती है। भारतीय उपमहाद्वीप में यह कई स्थानों पर देखा जाता है। मसलन ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा की हिन्दको भाषा से दक्षिण चलकर पोठोहारी भाषा, पंजाबी भाषा, सराइकी भाषा, सिन्धी भाषा, कच्छी भाषा, गुजराती भाषा, अहिराणी भाषा, और फिर मुम्बई क्षेत्र में मराठी भाषा तक एक विशाल उपभाषा सतति है, जिसमें एक बस्ती से पड़ोस की बस्ती तक कहीं भी लोगों को आपस में बोलचाल में कठिनाई नहीं होती लेकिन यदी हिन्दको की मराठी से सीधी तुलना की जाये तो वे बहुत भिन्न हैं। यूरोप, उत्तर अफ़्रीका के मग़रेब क्षेत्र और विश्व के अन्य भागों में यह बहुत देखा जाता है। पिछले १०० वर्षों में कई देशों में भाषाओं के मानकीकरण से कई उपभाषाएँ विलुप्त हो गई हैं, जिस से ऐसे कई उपभाषा सतति क्षेत्रों का भी अन्त हो गया है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

सराईकी भाषा, सराइकी भाषा, सिराइकी

निवर्तमानआने वाली
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