9 संबंधों: चूरू जिला, बीकानेर के दर्शनीय स्थल, भारत में विश्वविद्यालयों की सूची, भंवर लाल शर्मा, मदनलाल लक्ष्मणदास टहलियानी, महाश्रमण, गाँधी विद्या मंदिर सरदारशहर, आचार्य महाप्रज्ञ, अणुव्रत।
चूरू जिला
चुरू जिला भारत गणराज्य के उत्तर-पश्चिमी राज्य राजस्थान का एक ज़िला है जिसका मुख्यालय चुरू है। जयपुर से २०० km उतर में स्थित हे ! .
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बीकानेर के दर्शनीय स्थल
नगर के मध्य में एक जैन मंदिर है जिसके मध्य से पाँच मार्ग निकले हैं, जो अन्य सड़कों से मिलते हुए शहरपनाह के किसी एक दरवाजे से जा मिलते हैं। कोट दरवाजे के बाहर अलखगिरि मतानुयायी लच्छीराम का बनवाया हुआ 'अलखसागर' नाम का प्रसिद्ध कुआं है, जो बीकानेर के सबसे अच्छे कुओं में से एक माना जाता हैं। अन्य कुओं की संख्या १४ है, जो बहुधा बहुत गहरे हैं। इन कुओं में अधिकांश जल सुस्वादु तथा पीने योग्य है। महाराजा अनूपसिंह का बनवाया हुआ 'अनोपसागर' कुआं भी उल्लेखनीय है। नगर के बाहर के तालाबों में महाराजा सूरसिंह का बनवाया हुआ 'सूरसागर' सबसे अच्छा माना जाता है। .
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भारत में विश्वविद्यालयों की सूची
यहाँ भारत में विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है। भारत में सार्वजनिक और निजी, दोनों विश्वविद्यालय हैं जिनमें से कई भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं, जो विभिन्न निकायों और समितियों द्वारा समर्थित हैं। शीर्ष दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के तहत सूचीबद्ध विश्वविद्यालयों में से अधिकांश भारत में स्थित हैं। .
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भंवर लाल शर्मा
पं.
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मदनलाल लक्ष्मणदास टहलियानी
न्यायमूर्ति मदनलाल लक्ष्मणदास टहलियानी (जन्म: 23 दिसंबर 1953), महाराष्ट्र के लोकायुक्त हैं। इससे पूर्व वे मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं। वर्तमान पद के लिए उन्होने सेवानिवृत्त न्यायाधीश पी.बी.
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महाश्रमण
आचार्य महाश्रमण (जन्म 13 मई 1962) जैन श्वेतांबर तेरापंथ के ग्याहरवें संत अथवा आचार्य हैं। महाश्रमण पुज्य संत, योगी, आध्यात्मिक नेता, दार्शनिक, लेखक, वक्ता और कवि हैं। .
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गाँधी विद्या मंदिर सरदारशहर
गाँधी विद्या मंदिर राजस्थान के सरदारशहर में स्थित एक विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना सन् 1953 में राजस्थान के एक दानी और शिक्षाप्रेमी व्यक्ति श्री कन्हैयालाल दूगड़ ने की थी। इस संस्था की स्थापना की प्रेरणा उन्हें महात्मा गांधी के शिक्षा सम्बन्धी विचारों से मिली। महात्मा गांधी के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य था - 'बालक और मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा का उत्तमोत्तम विकास करना। इन्हीं विचारों के अनुरूप गांधी विद्या मन्दिर में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित चरित्रवान नागरिक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी दृष्टि से यहां एक ओर शारीरिक विकास के लिए व्यायाम, श्रमदान, स्वास्थ्य शिक्षा, आदि की व्यवस्था है, दूसरी ओर पूर्व प्राथमिक से लेकर स्नातकोत्तर व शोध स्तर की शिक्षा प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त गांधीजी की प्रार्थना पद्धति के आधार पर सब धर्मों की मिश्रित प्रार्थनाओं को लेकर ईश्वर प्रार्थना व सत्संग का नियमित कार्यक्रम चलता है। यहां शिक्षा संस्था के भवनों तथा विद्यार्थियों और शिक्षकों के निवास स्थलों ने मिलकर एक छोटे नगर का रूप धारण कर लिया है। .
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आचार्य महाप्रज्ञ
आचार्य श्री महाप्रज्ञ (14 जून 1920 – 9 मई 2010) जैन धर्म के श्वेतांबर तेरापंथ के दसवें संत थे। महाप्रज्ञ एक संत, योगी, आध्यात्मिक, दार्शनिक, अधिनायक, लेखक, वक्ता और कवि थे। उनकी बहुत पुस्तकें और लेख उनके पूर्व नाम मुनि नथमल के नाम से प्रकाशित हुई। उन्होंने दस वर्ष की आयु में जैन संन्यासी के रूप में विकास और धार्मिक प्रतिबिंब का जीवन आरम्भ किया। महाप्रज्ञ ने अनुव्रत आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई जो गुरु आचार्य तुलसी ने 1949 में आरम्भ किया था और 1995 के आंदोलन में स्वीकृत अधिनायक बन गए। आचार्य महाप्रज्ञ ने 1970 के दशक में अच्छी तरह से नियमबद्ध प्रेक्षा ध्यान तैयार किया और शिक्षा प्रणाली में "जीवन विज्ञान" का विकास किया जो छात्रों के संतुलित विकास और उसका चरित्र निर्माण के लिए प्रयोगिक पहुँच है। .
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अणुव्रत
अणुव्रत का अर्थ है लघुव्रत। जैन धर्म के अनुसार श्रावक, अणुव्रतों का पालन करते हैं। 'महाव्रत' साधुओं के लिए बनाए जाते हैं। यही अणुव्रत और महाव्रत में अंतर है, अन्यथा दोनों समान हैं। अणुव्रत इसलिए कहे जाते हैं कि साधुओं के महाव्रतों की अपेक्षा वे लघु होते हैं। महाव्रतों में सर्वत्याग की अपेक्षा रखते हुए सूक्ष्मता के साथ व्रतों का पालन होता है, जबकि अणु व्रतों का स्थूलता से पालन किया जाता है। अणुव्रत पाँच होते हैं- (1) अहिंसा, (2) सत्य, (3) अस्तेय, (4) ब्रह्मचर्य और (5) अपरिग्रह।.
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