2 संबंधों: भाई परमानन्द, सूफी अंबा प्रसाद भटनागर।
भाई परमानन्द
भाई परमानन्द का एक दुर्लभ चित्र भाई परमानन्द (जन्म: ४ नवम्बर १८७६ - मृत्यु: ८ दिसम्बर १९४७) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। भाई जी बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे। वे जहाँ आर्यसमाज और वैदिक धर्म के अनन्य प्रचारक थे, वहीं इतिहासकार, साहित्यमनीषी और शिक्षाविद् के रूप में भी उन्होंने ख्याति अर्जित की थी। सरदार भगत सिंह, सुखदेव, पं॰ राम प्रसाद 'बिस्मिल', करतार सिंह सराबा जैसे असंख्य राष्ट्रभक्त युवक उनसे प्रेरणा प्राप्त कर बलि-पथ के राही बने थे। देशभक्ति, राजनीतिक दृढ़ता तथा स्वतन्त्र विचारक के रूप में भाई जी का नाम सदैव स्मरणीय रहेगा। आपने कठिन तथा संकटपूर्ण स्थितियों का डटकर सामना किया और कभी विचलित नहीं हुए। आपने हिंदी में भारत का इतिहास लिखा है। इतिहास-लेखन में आप राजाओं, युद्धों तथा महापुरुषों के जीवनवृत्तों को ही प्रधानता देने के पक्ष में न थे। आपका स्पष्ट मत था कि इतिहास में जाति की भावनाओं, इच्छाओं, आकांक्षाओं, संस्कृति एवं सभ्यता को भी महत्व दिया जाना चाहिए। आपने अपने जीवन के संस्मरण भी लिखे हैं जो युवकों के लिये आज भी प्रेरणा देने में सक्षम हैं। .
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सूफी अंबा प्रसाद भटनागर
सूफ़ी अंबा प्रसाद भटनागर (१८५८ - २१ जनवरी, १९१७) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रांतिकारी थे। इनका जन्म १८५८ में मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके जन्म से ही दायां हाथ नहीं था। इन्होंने १९०९ में पंजाब से 'पेशवा' अखबार निकाला। बाद में अंग्रेज़ों से बचने हेतु नाम बदल कर सूफ़ी मुहम्मद हुसैन रखा। इस कारण ये सूफ़ी अंबा प्रसाद भटनागर के नाम से प्रसिद्ध हुए। इन्हें १८९७ और फिर १९०७ में दूसरी बार फांसी की सजा ब्रिटिश सरकार ने सुनायी थी। इससे बचने के लिए ये नाम बदल कर ईरान भाग गये। वहां ये गदर पार्टी के अग्रणी नेता भी रहे।। जसपाल सिंह इनका मकबरा ईरान के शीराज़ शहर में स्थित है। जालस्थल पर .
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