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समान्तर अक्ष का प्रमेय

सूची समान्तर अक्ष का प्रमेय

thumb गति विज्ञान में समान्तर अक्ष का प्रमेय (parallel axis theorem) या स्टीनर का प्रमेय (Steiner's theorem) जड़त्वाघूर्ण से सम्बन्धित एक प्रमेय है। यदि किसी पिण्ड के द्रव्यमान केन्द्र से जाने वाली किसी अक्ष के सापेक्ष उस पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण ज्ञात हो तो इस प्रमेय की सहायता से इस अक्ष के समान्तर किसी भी अक्ष के सापेक्ष उस पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण निकाला जा सकता है। माना कि: Icm पिण्ड के द्रव्यमान केन्द्र से जाने वाली किसी अक्ष के सापेक्ष जड़त्वाघूर्ण है, M पिण्ड का द्रव्यमान है तथा d नये एवं पुराने (दिये हुए) अक्षों के बीच की लम्बवत दूरी है तो नये अक्ष z के परित: पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण निम्नलिखित समीकरण की सहायता से पाया जा सकता है-: इस समीकरण का उपयोग स्ट्रेच नियम (stretch rule) तथा लम्बवत अक्ष का प्रमेय (perpendicular axis theorem) के साथ करके अनेकानेक स्थितियों में जड़त्वाघूर्ण की गणना की जा सकती है। क्षेत्राघूर्ण (area moment of inertia) के परिकलन के लिये समान्तर अक्षों के प्रमेय का उपयोग समान्तर अक्ष के प्रमेय का प्रयोग किसी समतल क्षेत्र D का क्षेत्राघूर्ण निकालने के लिये भी किया जा सकता है।: .

3 संबंधों: लम्बवत अक्ष का प्रमेय, जड़त्वाघूर्ण, जड़त्वाघूर्णों की सूची

लम्बवत अक्ष का प्रमेय

यांत्रिकी में लम्बवत अक्ष का प्रमेय (perpendicular axis theorem) जड़त्वाघूर्ण निकालने का एक समीकरण है। यदि किसी पिण्ड का सम्पूर्ण द्रव्यमान केवल किसी एक समतल में स्थित हो तथा इस समतल में स्थित किन्ही दो परस्पर लम्बवत अक्षों के परित: उस पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण ज्ञात हो तो इस प्रमेय का उपयोग करके इस समतल के लम्बवत किसी अक्ष के परित: उस पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण निकाला जा सकता है। ये तीनों अक्ष उस तल में एकबिन्दुगामी भी होने चाहिये। thumb माना कि X, Y, एवं Z तीन परस्पर लम्बवत अक्ष हैं और बिन्दु O पर मिलते हैं; तथा-.

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जड़त्वाघूर्ण

रस्सी पर करतब दिखाने वाला नट रस्सी पर संतुलन बनाये रखने के लिए एक लम्बी लाठी (रॉड) का प्रयोग करता है। इसके कारण लाठी सहित उसका जडत्वाघूर्ण बहुत अधिक हो जाता है और चलते समय उत्पन्न थोड़े-थोड़े असंतुलित बलों को आसानी से संतुलित कर लेता है। किसी पिण्ड की घूर्णन की दर के परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध की माप उस पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण (Moment of inertia) कहलाता है। किसी पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण उसके आकार-प्रकार एवं उसके अन्दर द्रव्यमान के वितरण की प्रकृति पर निर्भर करता है। स्थानान्तरण गति में जो कार्य द्रव्यमान का है वही कार्य घूर्णन गति में जड़त्वाघूर्ण का होता है। जड़त्वाघूर्ण के प्रतीक के लिये I या कभी-कभी J का प्रयोग किया जाता है। जड़त्वाघूर्ण की अवधारणा का उल्लेख सबसे पहले यूलर (Euler) ने सन् १७३० में अपनी पुस्तक ' Theoria motus corporum solidorum seu rigidorum ' में किया था। .

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जड़त्वाघूर्णों की सूची

यहाँ पर विभिन्न आकार-प्रकार के पिण्डों के जड़त्वाघूर्ण दिये गये हैं। ज। दत्वाघूर्ण की इकाई की विमा द्रव्यमान × लम्बाई2 होती है। नीचे दिये गये व्यंजकों की गणना में यह माना गया है कि घनत्व सर्वत्र समान है। टिप्पणी: जहाँ कहीं भी अलग से न कहा गया हो, यह माना गया है कि घूर्णन-अक्ष द्रव्यमान केन्द्र से जाता है। .

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