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समष्टि अर्थशास्त्र

सूची समष्टि अर्थशास्त्र

समष्टि अर्थशास्त्र में चक्रण (सर्कुलेशन) समष्टि अर्थशास्त्र (मैक्रो इकनॉमिक्स) आर्थिक विश्लेषण की वह शाखा है जिसमें समुच्चय का विश्लेषण सम्पूर्ण अर्थशास्त्र के सन्दर्भ में किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में समस्त आर्थिक क्रियाओं का संपूर्ण रूप से अध्ययन किया जाता है। राष्ट्रीय आय, उत्पादन, रोजगार/बेरोजगारी, व्यापार चक्र, सामान्य कीमत स्तर, मुद्रा संकुचन, आर्थिक विकास, अंतरराष्ट्रीय व्यापार, आदि इसकी आर्थिक क्रियाएँ हैं जिनका विश्लेषण इसके अंतर्गत किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र, विश्लेषण प्रकृति में योगात्मक है। यह एक व्यक्तिगत इकाई के रूप में राष्ट्र के व्यवहार का अध्ययन करता है। सबसे महत्वपूर्ण मैक्रोइकॉनॉमिक्स चर हैं राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय निवेशमुद्रा की क्रय शक्ति में बदल, मुद्रास्फीति और संकुचन, अर्थव्यवस्था में रोजगार का स्तर, बजटीय सरकार की नीति और देश के भुगतान संतुलन और विदेशी मुद्रा। मैक्रोइकॉनॉमिक्स अर्थव्यवस्था एक पूरे रूप में संचालन का विश्लेषण करती है। यह अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार करने के लिए नीतियों की सिफारिश करती है। .

5 संबंधों: प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र, आय का परिपत्र प्रवाह, क्रिस्टोफर ए॰ सिम्स, अपस्फीति, अर्थशास्त्र

प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र

प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र (Managerial economics) अर्थशास्त्र की एक विशिष्ट शाखा है विवेकपूर्ण प्रबन्धकीय निर्णयों में सहायक होता है। यह आर्थिक सिद्धान्तों एवं व्यावसायिक व्यवहारों का ऐसा एकीकरण है जो प्रबन्धकों को निर्णय लेने और भावी योजनाऐं बनाने में सुविधा प्रदान करता है। इसे 'व्यावसायिक अर्थशास्त्र' या 'फर्मों का अर्थशास्त्र' भी कहा जाता है। प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र उन आर्थिक सिद्धान्तों, प्रविधियों एवं तर्कों का अध्ययन है जिनका उपयोग व्यवसाय की व्यावहारिक समस्याओं के हल के लिए किया जाता है। अतः प्रबंधकीय अर्थशास्त्र, आर्थिक विज्ञान का वह भाग है जिसका व्यवसाय-जगत की समस्याओं के विश्लेषण तथा विवेकपूर्ण व्यावसायिक निर्णय लेने में उपयोग किया जाता है। R आधुनिक विश्व की बढ़ती जटिलताओं और विषम आर्थिक समस्याओं के समाधान में अर्थशास्त्र के निरपेक्ष सिद्धान्तों का व्यावहारिक प्रयोग निरन्तर लोकप्रिय होता जा रहा है। जहां पहले व्यावसायिक क्षेत्रों में प्रबन्धकीय समस्याओं के विश्लेषण और समाधान में आर्थिक सिद्धान्तों का प्रयोग सीमित था वहां अब अर्थशास्त्र की नवीन अवधारणाओं, वैज्ञानिक विधियों और आर्थिक विश्लेषण की गणितीय पद्धतियों के विकास से प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र का जन्म हुआ है। प्रबन्धकों को व्यावसायिक जटिल समस्याओं के समाधान का व्यावहारिक हल प्रदान कर उनकी आशाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति करता है। आर्थिक सिद्धान्त दो या दो से अधिक आर्थिक चरों के फलनात्मक सम्बन्ध व्यक्त करतें है, जो कुछ दी हुई शर्तों पर आधारित होते हैं। व्यवसाय की समस्याओं में व्यावसायिक निर्णयन में सम्बन्धित आर्थिक सिद्धान्तों का उपयोग तीन प्रकार से सहायता करते हैं -.

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आय का परिपत्र प्रवाह

आय का परिपत्र प्रवाह अर्थशास्त्र का एक मॉडल है। यह मॉडल अर्थव्यवस्था के प्रमुख बाजारों मे होने वाले लेन-देन को आर्थिक एजेंटों के बीच के पैसे एव्ं माल और सेवाओं के प्रवाह के रूप में दार्शाता है। एक क्लोज सर्किट में पैसे और माल के आदान-प्रदान का प्रवाह दिखाया जाता है जिसमे यह दो आर्थिक चरो का प्रवाह विपरीत दिशा में चलता हैं। परिपत्र प्रवाह विश्लेषण राष्ट्रीय खातों की, और इसलिए, मैक्रोइकॉनॉमिक्स का आधार है। परिपत्र प्रवाह का विचार पहले से ही रिचर्ड कैंटिलोन के कर्यो में मौजुद थे। फ़्राँस्वा क्युसने ने यह मॉडल विकसित किया जिसकी झांकी "économique" में मौजूद था। कार्ल मार्क्स के "प्रजनन योजनाओं" के दुसरे भाग मे क्युसने के विचारो को और विक्सित रूप में बताया गया है। इसके अभिन्न भाग है - राजनीतिक अर्थव्यवस्था की आलोचना, जॉन मेनार्ड कीन्स की "जनरल थ्योरी", ब्याज और पैसा, आदि। .

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क्रिस्टोफर ए॰ सिम्स

क्रिस्टोफर अल्बर्ट "क्रिस" सिम्स (जन्म: अक्टूबर २१, १९४२) अमेरिकी अर्थमितिज्ञ और समष्टि अर्थशास्त्री हैं। वर्तमान में वो प्रिंसटन विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर पद पर कार्यरत हैं। थॉमस सार्जेंट के साथ उन्होंने २०११ का अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। "समष्टि अर्थशास्त्र में कारण और प्रभाव पर आनुभाविक शोध" के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया। .

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अपस्फीति

अर्थशास्त्र में, अपस्फीति वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य के स्तर में गिरावट है। अपस्फीति तभी होती है जब वार्षिक मुद्रास्फीति की दर शून्य प्रतिशत की दर से भी नीची गिर जाती है (नकारात्मक मुद्रास्फीति दर), जिसके फलस्वरूप मुद्रा के असली मूल्य में वृद्धि हो जाती है - इससे एक क्रेता उसी राशि से अधिक माल खरीदने की सुविधा पा जाता है। इसे अवस्फीति, मुद्रास्फीति के दर में कमी (अर्थात मुद्रास्फीति की दर घट तो जाती है, लेकिन फिर भी सकारात्मक ही बनी रहती है), समझने की भूल नहीं की जानी चाहिए। समय के साथ-साथ जैसे-जैसे मुद्रास्फीति मुद्रा के असली मूल्य में गिरावट लाती है, इसके ठीक विपरीत, अपस्फीति मुद्रा के वास्तविक मूल्य में- कार्यात्मक मुद्रा (एवं लेखा की मौद्रिक इकाई में) राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि लाती है। वर्तमान समय में, मुख्यधारा के अर्थशास्त्रियों का आमतौर पर मानना है कि अपस्फीतिकारी जटिलताओं के खतरे ((नीचे वर्णित)) के कारण आधुनिक अर्थव्यवस्था में अपस्फीति एक समस्या है। अपस्फीति को आर्थिक मंदी और विश्वव्यापी मंदी से भी जोड़ा जाता है, जैसे कि बैंक जमाकर्ताओं की अदायगी में चूक जाते हैं। इसके अतिरिक्त, अर्थव्यवस्था के स्थिरीकरण में अपस्फीति मौद्रिक नीति निर्धारण में एक ऐसी प्रक्रिया के तहत रूकावट पैदा करती है जिसे लिक्विडिटी ट्रैप कहते हैं। हालांकि, ऐतिहासिक रूप से अपस्फीति की सभी घटनाएं, कमजोर आर्थिक विकास के दौरे से जुड़ी नहीं हैं। .

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अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

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