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सत्यभूषण वर्मा

सूची सत्यभूषण वर्मा

डॉ॰ सत्यभूषण वर्मा (जन्म: 4 दिसम्बर 1932 रावलपिंडी मृत्यु:13 जनवरी 2005 दिल्ली), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में जापानी भाषा के पहले प्रोफेसर थे। हिन्दी हाइकु का भारत में प्रचार-प्रसार करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। .

4 संबंधों: मानयोशू, मासाओका शिकी अंतर्राष्ट्रीय हाइकु पुरस्कार, हाइकु, हाइकु दर्पण

मानयोशू

Nukata no Ōkimi, a replica from vol.1 मानयोशू, जापान का सबसे पुराना काव्य संकलन है, जिसको ७५९ ईसा पूर्व में नारा काल में संग्रहीत किया गया था। इस ग्रन्थ में जापान के कई महान कवियों की रचनाओं का समावेश है।.

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मासाओका शिकी अंतर्राष्ट्रीय हाइकु पुरस्कार

japanese मासाओका शिकी अंतर्राष्ट्रीय हाइकु पुरस्कार (अँग्रेजी:Masaoka Shiki International Haiku Awards), मात्सुयामा (जापान) में "शिमनामी कैडो 99 इन्टरनेशनल हाइकू कन्वेन्शन" में सितंबर 1999 में आधुनिक जापानी हाइकू के संस्थापक के नाम पर यह घोषणा की गयी। हाइकू एक जापानी काव्य विधा है, जिसका प्रचलन १६ वीं शताब्दी में प्रारम्भ हो गया था। एक जापानी कवि बाशो को हाइकू का जनक माना जाता है। एक शताब्दी पूर्व सन् 1900 ई0 के लगभग जापानी साहित्यकार मासाओका शिकि (1867-1902) ने विशिष्ट जापानी छंद “होक्कु” को एक नया नाम हाइकु (Haiku) दिया जिसने लोकप्रियता के बड़े मानकों को प्राप्त किया। यह पुरस्कार जापानी कविता हाइकू को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठापित करने और दुनिया का ध्यान आकर्षित करने वाले व्यक्तित्व को दिया जाता है। .

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हाइकु

हाइकु मूल रूप से जापानी कविता है। "हाइकु का जन्म जापानी संस्कृति की परम्परा, जापानी जनमानस और सौन्दर्य चेतना में हुआ और वहीं पला है। हाइकु में अनेक विचार-धाराएँ मिलती हैं- जैसे बौद्ध-धर्म (आदि रूप, उसका चीनी और जापानी परिवर्तित रूप, विशेष रूप से जेन सम्प्रदाय) चीनी दर्शन और प्राच्य-संस्कृति। यह भी कहा जा सकता है कि एक "हाइकु" में इन सब विचार-धाराओं की झाँकी मिल जाती है या "हाइकु" इन सबका दर्पण है।" हाइकु को काव्य विधा के रूप में बाशो (१६४४-१६९४) ने प्रतिष्ठा प्रदान की। हाइकु मात्सुओ बाशो के हाथों सँबरकर १७ वीं शताब्दी में जीवन के दर्शन से जुड़ कर जापानी कविता की युगधारा के रूप में प्रस्फुटित हुआ। आज हाइकु जापानी साहित्य की सीमाओं को लाँघकर विश्व साहित्य की निधि बन चुका है।.

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हाइकु दर्पण

हाइकु दर्पण पत्रिका वर्तमान में हिन्दी हाइकु कविता की सम्पूर्ण पत्रिका है। रवीन्द्रनाथ टैगोर और उनके बाद अज्ञेय जी ने अपनी जापान यात्रा से वापस आते समय जापानी हाइकु कविताओं से प्रभावित होकर उनके अनुवाद किए जिनके माध्यम से भारतीय हिन्दी पाठक 'हाइकु` के नाम से परिचित हुए। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में जापानी भाषा के पहले प्रोफेसर डॉ॰ सत्यभूषण वर्मा(०४-१२-१९३२....... १३-१२-२००५) ने जापानी हाइकु कविताओं का सीधा हिन्दी में अनुवाद करके भारत में उनका प्रचार-प्रसार किया। इससे पूर्व हाइकु कविताओं के जो अनुवाद आ रहे थे वे अंग्रेजी के माध्यम से हिन्दी में आ रहे थे प्रो॰ वर्मा ने जापानी हाइकु से सीधा हिन्दी अनुवाद करके भारत मे उसका प्रचार-प्रसार किया। परिणामत: आज भारत में हिन्दी हाइकु कविता लोकप्रिय होती जा रही है। हाइकु कविताओं के लगभग चार सौ संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। हाइकु दर्पण पत्रिका का अंक-11 जनवरी 2013 में प्रकाशित हुआ है। .

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