लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

संस्मरण

सूची संस्मरण

स्मृति के आधार पर किसी विषय पर अथवा किसी व्यक्ति पर लिखित आलेख संस्मरण कहलाता है। यात्रा साहित्य भी इसके अन्तर्गत आता है। संस्मरण को साहित्यिक निबन्ध की एक प्रवृत्ति भी माना जा सकता है। ऐसी रचनाओं को 'संस्मरणात्मक निबंध' कहा जा सकता है। व्यापक रूप से संस्मरण आत्मचरित के अन्तर्गत लिया जा सकता है। किन्तु संस्मरण और आत्मचरित के दृष्टिकोण में मौलिक अन्तर है। आत्मचरित के लेखक का मुख्य उद्देश्य अपनी जीवनकथा का वर्णन करना होता है। इसमें कथा का प्रमुख पात्र स्वयं लेखक होता है। संस्मरण लेखक का दृष्टिकोण भिन्न रहता है। संस्मरण में लेखक जो कुछ स्वयं देखता है और स्वयं अनुभव करता है उसी का चित्रण करता है। लेखक की स्वयं की अनुभूतियाँ तथा संवेदनायें संस्मरण में अन्तर्निहित रहती हैं। इस दृष्टि से संस्मरण का लेखक निबन्धकार के अधिक निकट है। वह अपने चारों ओर के जीवन का वर्णन करता है। इतिहासकार के समान वह केवल यथातथ्य विवरण प्रस्तुत नहीं करता है। पाश्चात्य साहित्य में साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक राजनेताओं तथा सेनानायकों ने भी अपने संस्मरण लिखे हैं, जिनका साहित्यिक महत्त्व स्वीकारा गया है। .

39 संबंधों: चित्रगळु पत्रगळु, चिन्तानदी, चंद्रकांत टी. शेठ, टोमास ट्रांसट्रोमर, ए. एन. मूर्तिराव, द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर, द रीडर (फिल्म), दामोदर स्वरूप 'विद्रोही', धूलमणि पगलियो, नरेन्द्र कोहली, नेमनारायण जोशी, पद्मसिंह शर्मा, पॉल न्युमैन, बसोपिएर फ्रांस्वाद, महात्मार परा रुपकोनारलोइ, महादेव भाईनी डायरी, महादेवी वर्मा, महादेवी वर्मा की रचनाएँ, मंत्रेश्वर झा, रचना अग्रवाल, राम पंजवाणी, रामचन्द्र शुक्ल, रामदरश मिश्र, ला. स. रामामृतम्, लक्ष्मीनाथ फूकन, शैलेश मटियानी, हिन्दी पुस्तकों की सूची/श, जॉर्डन बेलफोर्ट, विधा, गिरीन्द्रमोहन मिश्र, ओळूंरी अखियातां, आशारानी व्होरा, कतेक डारिपर, कमला सुरय्या, कांग्रचर कांचियालिरदात, किछु देखल किछु सुनल, अनोखा अज़मूदा, अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर, उपेन्द्रनाथ अश्क

चित्रगळु पत्रगळु

चित्रगळु पत्रगळु कन्नड़ भाषा के विख्यात साहित्यकार ए. एन. मूर्तिराव द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में कन्नड़ भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और चित्रगळु पत्रगळु · और देखें »

चिन्तानदी

चिन्तानदी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार ला. स. रामामृतम् द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और चिन्तानदी · और देखें »

चंद्रकांत टी. शेठ

चंद्रकांत टी.

नई!!: संस्मरण और चंद्रकांत टी. शेठ · और देखें »

टोमास ट्रांसट्रोमर

टोमास ट्रांसट्रोमर टोमास ट्रांसट्रोमर स्वीडन के कवि थे। इन्हें 2011 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

नई!!: संस्मरण और टोमास ट्रांसट्रोमर · और देखें »

ए. एन. मूर्तिराव

ए. एन.

नई!!: संस्मरण और ए. एन. मूर्तिराव · और देखें »

द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर

द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर: द मैकिंग एंड अनमैकिंग ऑफ मनमोहन सिंह भारतीय नीति विश्लेषक संजय बारू का एक संस्मरण है। वे 2004 से अगस्त 2008 तक तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार थे। पेंगुइन इंडिया द्वारा प्रकाशित इस किताब में आरोप लगाया गया कि अपने कैबिनेट या यहां तक कि प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक सिंह के नियंत्रण में भी नहीं थे। बजाय उनके कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी के पास अत्याधिक शक्ति थी, सिंह उनके सहायक थे। "सत्ता के दो केंद्र नहीं हो सकते", बारू याद करते है, सिंह ने उन्हें समझाते हुए कहा था, "इससे भ्रम पैदा होता है"। द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर के जारी होने के दिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक वक्तव्य जारी कर संस्मरण के दावों को नकार दिया, "पूर्व मीडिया सलाहकार द्वारा लिखी गई किताब एक विशेषाधिकृत पद का दुरुपयोग और विश्वसनीयता प्राप्त उच्च कार्यालय तक पहुंच का जाहिरा तौर पर व्यावसायिक लाभ उठाने का प्रयास है।" बारू का पीएमओ के आरोपों पर जवाब था "मैं खुश हूं।"बारू ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "अधिकांश किताब सकारात्मक है "और उनके लिखने का मुख्या कारण ही सिंह का "उपहास का विषय बन जाना है, प्रशंसा का नहीं। मैं उन्हें एक इंसान के रूप में दिखा रहा हूं, मैं चाहता हूँ कि उसके लिए सहानुभूति हो।" द गार्जियन के मुताबिक, "शिथिलता का इस तरह का अंतरंग चित्रण निश्चित रूप से राजनीतिक असर करेगा" खासकर तब, जब भारत में आम चुनाव होने है.  मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने पुस्तक में लगे आरोपों के के आधार पर सवालों की झड़ी लगा दी...

नई!!: संस्मरण और द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर · और देखें »

द रीडर (फिल्म)

द रीडर, 2008 की एक ड्रामा फिल्म है जो बर्नार्ड श्लिंक के 1995 में जर्मन में इसी नाम से प्रकाशित उपन्यास पर आधारित है। इस फिल्म के रूपांतरण का लेखन डेविड हेअर ने और निर्देशन स्टीफन डॉल्ड्री ने किया। रॉल्फ फिएंस और केट विंस्लेट के साथ-साथ युवा अभिनेता डेविड क्रॉस ने भी इस में अभिनय किया। निर्माता एंथॉनी मिंग़ेला और सिडनी पॉलैक की यह अंतिम फिल्म थी जिन दोनों की मृत्यु इसके रिलीज़ होने से पहले हो गई। फिल्म का निर्माण सितम्बर 2007 को जर्मनी में शुरू हुआ और 10 दिसम्बर 2008 को इस फिल्म को सीमित तौर पर रिलीज़ किया गया। यह फिल्म एक जर्मन वकील, माइकल बर्ग की कहानी है जिसका 1950 के दशक के उत्तरार्ध में अपने किशोरावस्था में हैना श्मित्ज़ नाम की एक उम्रदराज़ (उम्र में बड़ी) महिला के साथ प्रेमसंबंध था जो बाद में गायब हो जाती है और कुछ वर्षों के बाद एक अभियुक्त के रूप में सामने आती है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के वर्षों में नाज़ी बंदी शिविर के एक गार्ड के रूप में कार्यरत होने की वजह से होने वाले युद्ध अपराध के एक मुक़दमे में उसे एक अभियुक्त के रूप में पेश किया गया था। माइकल को पता चल जाता है कि हैना एक ऐसा व्यक्तिगत रहस्य उससे छिपा रही है जिसे वह नाज़ी अतीत से भी बदतर मानती है लेकिन वह एक ऐसा रहस्य था जिसके खुलने पर उसके मुक़दमे में कुछ मदद मिल सकती थी। अपने कला-प्रदर्शन के लिए विंस्लेट की और युवा माइकल का किरदार निभाने वाले डेविड क्रॉस की बड़ी तारीफ की गई। विंस्लेट की तारीफ़ की गई और उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए गोल्डेन ग्लोब अवार्ड, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए BAFTA अवार्ड, उत्कृष्ट सहायक अभिनेत्री के लिए स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवार्ड और इस फिल्म में अपनी भूमिका के लिए 81वें अकेडमी अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए अकेडमी अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस फिल्म को कई अन्य प्रमुख पुरस्कारों के लिए भी नामांकित किया गया है। .

नई!!: संस्मरण और द रीडर (फिल्म) · और देखें »

दामोदर स्वरूप 'विद्रोही'

दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' (जन्म:2 अक्टूबर 1928 - मृत्यु: 11 मई 2008) अमर शहीदों की धरती के लिये विख्यात शाहजहाँपुर जनपद के चहेते कवियों में थे। यहाँ के बच्चे-बच्चे की जुबान पर विद्रोही जी का नाम आज भी उतना ही है जितना कि तब था जब वे जीवित थे। विद्रोही की अग्निधर्मा कविताओं ने उन्हें कवि सम्मेलन के अखिल भारतीय मंचों पर स्थापित ही नहीं किया अपितु अपार लोकप्रियता भी प्रदान की। उनका एक मुक्तक तो सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ: सम्पूर्ण हिन्दुस्तान में उनकी पहचान वीर रस के सिद्धहस्त कवि के रूप में भले ही हुई हो परन्तु यह भी एक सच्चाई है कि उनके हृदय में एक सुमधुर गीतकार भी छुपा हुआ था। गीत, गजल, मुक्तक और छन्द के विधान पर उनकी जबर्दस्त पकड़ थी। भ्रष्टाचार, शोषण, अत्याचार, छल और प्रवचन के समूल नाश के लिये वे ओजस्वी कविताओं का निरन्तर शंखनाद करते रहे। उन्होंने चीन व पाकिस्तान युद्ध और आपातकाल के दिनों में अपनी आग्नेय कविताओं की मेघ गर्जना से देशवासियों में अदम्य साहस का संचार किया। हिन्दी साहित्य के आकाश में स्वयं को सूर्य-पुत्र घोषित करने वाले यशस्वी वाणी के धनी विद्रोही जी भौतिक रूप से भले ही इस नश्वर संसार को छोड़ गये हों परन्तु अपनी कालजयी कविताओं के लिये उन्हें सदैव याद किया जायेगा। .

नई!!: संस्मरण और दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' · और देखें »

धूलमणि पगलियो

धूलमणि पगलियो गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार चंद्रकांत टी. शेठ द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1986 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और धूलमणि पगलियो · और देखें »

नरेन्द्र कोहली

डॉ॰ नरेन्द्र कोहली (जन्म ६ जनवरी १९४०) प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार हैं। कोहली जी ने साहित्य के सभी प्रमुख विधाओं (यथा उपन्यास, व्यंग्य, नाटक, कहानी) एवं गौण विधाओं (यथा संस्मरण, निबंध, पत्र आदि) और आलोचनात्मक साहित्य में अपनी लेखनी चलाई है। उन्होंने शताधिक श्रेष्ठ ग्रंथों का सृजन किया है। हिन्दी साहित्य में 'महाकाव्यात्मक उपन्यास' की विधा को प्रारंभ करने का श्रेय नरेंद्र कोहली को ही जाता है। पौराणिक एवं ऐतिहासिक चरित्रों की गुत्थियों को सुलझाते हुए उनके माध्यम से आधुनिक सामाज की समस्याओं एवं उनके समाधान को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना कोहली की अन्यतम विशेषता है। कोहलीजी सांस्कृतिक राष्ट्रवादी साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जीवन-शैली एवं दर्शन का सम्यक् परिचय करवाया है। जनवरी, २०१७ में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और नरेन्द्र कोहली · और देखें »

नेमनारायण जोशी

नेमनारायण जोशी राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक संस्मरण ओळूंरी अखियातां के लिये उन्हें सन् 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और नेमनारायण जोशी · और देखें »

पद्मसिंह शर्मा

पं.

नई!!: संस्मरण और पद्मसिंह शर्मा · और देखें »

पॉल न्युमैन

पॉल लियोनार्ड न्युमैन (26 जनवरी 1925 - 26 सितंबर 2008) एक अमेरिकी अभिनेता, फिल्म निर्देशक, उद्यमी, मानवतावादी और ऑटो रेसिंग के शौक़ीन व्यक्ति थे। उन्होंने कई पुरस्कार जीते, जिनमें 1986 की मार्टिन स्कौर्सेसे की फिल्म द कलर ऑफ मनी में उनके अभिनय के लिए दिया गया सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अकादमी पुरस्कार और आठ अन्य नामांकन, तीन गोल्डन ग्लोब पुरस्कार, एक बाफ्टा (BAFTA) पुरस्कार, एक स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड पुरस्कार, एक कान फिल्म समारोह पुरस्कार, एक एमी पुरस्कार और कई मानद पुरस्कार शामिल थे। उन्होंने स्पोर्ट्स कार क्लब ऑफ अमेरिका की रोड रेसिंग में एक ड्राइवर के रूप में कई राष्ट्रीय चैंपियनशिप भी जीते और उनकी रेसिंग टीमों ने ओपन व्हील इंडीकार रेसिंग में कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की। न्युमैन अपनी खुद की एक फ़ूड कंपनी के सह-संस्थापक भी थे, जहां से उन्होंने अपने समस्त कर पश्चात लाभ एवं रॉयल्टी चैरिटी को दान कर दिया। Newman's Own.com.

नई!!: संस्मरण और पॉल न्युमैन · और देखें »

बसोपिएर फ्रांस्वाद

300px बसोपिएर फ्रांस्वाद (François de Bassompierre; १५७९-१६४६) फ्रांस के राजा हेनरी चतुर्थ का यह एक दरबारी और अंतरंग मित्र था। यह बहुत जल्दी राजदरबार की विलासिता में निमग्न हो गया। १६०० में सेवाँय के तथा १६०३ में तुर्कों के विरुद्ध हंगरी में इसने युद्ध में भाग लिया। ह्यूगोनोट के विप्लव में उनके दमनकार्य में इसने विशेष शौर्य का परिचय दिया। लंदन, स्पेन, स्विटजरलैंड आदि में यह दूत बना कर भेजा गया था परंतु सभी जगह यह असफल राजदूत घोषित हुआ। रिशलू की शक्ति के संहार के लिए एक षड्यंत्र फ्रांस में रचा गया था। उसमें बसोपिएर अकारण ही फँस गया। अत: रिशलू के द्वारा यह बैस्टील के किले में (१६३१-१६४३) बंद रहा। वहाँ पर इसने अपनी आत्मकथा और संस्मरण लिखे। यह उस काल के इतिहास के लिए अमूल्य स्रोत है। श्रेणी:फ्रांसीसी राजनयिक.

नई!!: संस्मरण और बसोपिएर फ्रांस्वाद · और देखें »

महात्मार परा रुपकोनारलोइ

महात्मार परा रुपकोनारलोइ असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार लक्ष्मीनाथ फूकन द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और महात्मार परा रुपकोनारलोइ · और देखें »

महादेव भाईनी डायरी

महादेव भाईनी डायरी गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार *महादेव देसाई द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1955 में गुजराती भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और महादेव भाईनी डायरी · और देखें »

महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा (२६ मार्च १९०७ — ११ सितंबर १९८७) हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। कवि निराला ने उन्हें “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा है। महादेवी ने स्वतंत्रता के पहले का भारत भी देखा और उसके बाद का भी। वे उन कवियों में से एक हैं जिन्होंने व्यापक समाज में काम करते हुए भारत के भीतर विद्यमान हाहाकार, रुदन को देखा, परखा और करुण होकर अन्धकार को दूर करने वाली दृष्टि देने की कोशिश की। न केवल उनका काव्य बल्कि उनके सामाजसुधार के कार्य और महिलाओं के प्रति चेतना भावना भी इस दृष्टि से प्रभावित रहे। उन्होंने मन की पीड़ा को इतने स्नेह और शृंगार से सजाया कि दीपशिखा में वह जन-जन की पीड़ा के रूप में स्थापित हुई और उसने केवल पाठकों को ही नहीं समीक्षकों को भी गहराई तक प्रभावित किया। उन्होंने खड़ी बोली हिन्दी की कविता में उस कोमल शब्दावली का विकास किया जो अभी तक केवल बृजभाषा में ही संभव मानी जाती थी। इसके लिए उन्होंने अपने समय के अनुकूल संस्कृत और बांग्ला के कोमल शब्दों को चुनकर हिन्दी का जामा पहनाया। संगीत की जानकार होने के कारण उनके गीतों का नाद-सौंदर्य और पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली अन्यत्र दुर्लभ है। उन्होंने अध्यापन से अपने कार्यजीवन की शुरूआत की और अंतिम समय तक वे प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या बनी रहीं। उनका बाल-विवाह हुआ परंतु उन्होंने अविवाहित की भांति जीवन-यापन किया। प्रतिभावान कवयित्री और गद्य लेखिका महादेवी वर्मा साहित्य और संगीत में निपुण होने के साथ-साथ कुशल चित्रकार और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं। उन्हें हिन्दी साहित्य के सभी महत्त्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव प्राप्त है। भारत के साहित्य आकाश में महादेवी वर्मा का नाम ध्रुव तारे की भांति प्रकाशमान है। गत शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय महिला साहित्यकार के रूप में वे जीवन भर पूजनीय बनी रहीं। वर्ष २००७ उनकी जन्म शताब्दी के रूप में मनाया गया।२७ अप्रैल १९८२ को भारतीय साहित्य में अतुलनीय योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से इन्हें सम्मानित किया गया था। गूगल ने इस दिवस की याद में वर्ष २०१८ में गूगल डूडल के माध्यम से मनाया । .

नई!!: संस्मरण और महादेवी वर्मा · और देखें »

महादेवी वर्मा की रचनाएँ

महीयसी-महादेवीआजकल के मुखपृष्ठ से महादेवी वर्मा का रचना संसार अत्यंत व्यापक है। जिसमें गद्य, पद्य, चित्रकला और बाल साहित्य सभी समाए हुए हैं। उनका रचनाकाल भी 50 से अधिक वर्षों तक फैला हुआ है और वे अपने अंतिम समय तक कुछ न कुछ रचती ही रहीं। इस लेख में उनकी लगभग समस्त रचनाओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है। .

नई!!: संस्मरण और महादेवी वर्मा की रचनाएँ · और देखें »

मंत्रेश्वर झा

मंत्रेश्वर झा मैथिली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक संस्मरण कतेक डारिपर के लिये उन्हें सन् 2008 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और मंत्रेश्वर झा · और देखें »

रचना अग्रवाल

रचना अग्रवाल हिंदी की एक कवियत्री और लेखिका हैँ तथा कविता, कहानी, गीत, संस्मरण, यात्रावत आदि सभी विधाओँ मेँ हस्तक्षेप रखती हैँ। सामाजिक अन्याय के प्रति आक्रोश तथा सरल सहज भाषा शैली इनकी रचनाओँ की प्रमुख विशेषता है। कार्यक्षेत्र कवियत्री, लेखिका राष्ट्रीयता भारतीय भाषा हिंदी शिक्षा एम॰ए बी॰एड विधा गद्य और पद्य .

नई!!: संस्मरण और रचना अग्रवाल · और देखें »

राम पंजवाणी

राम पंजवाणी सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक संस्मरण अनोखा अज़मूदा के लिये उन्हें सन् 1964 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और राम पंजवाणी · और देखें »

रामचन्द्र शुक्ल

आचार्य रामचंद्र शुक्ल (४ अक्टूबर, १८८४- २ फरवरी, १९४१) हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे। उनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्वपूर्ण पुस्तक है हिन्दी साहित्य का इतिहास, जिसके द्वारा आज भी काल निर्धारण एवं पाठ्यक्रम निर्माण में सहायता ली जाती है। हिंदी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात उन्हीं के द्वारा हुआ। हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्वपूर्ण योगदान है। भाव, मनोविकार संबंधित मनोविश्लेषणात्मक निबंध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं। शुक्ल जी ने इतिहास लेखन में रचनाकार के जीवन और पाठ को समान महत्व दिया। उन्होंने प्रासंगिकता के दृष्टिकोण से साहित्यिक प्रत्ययों एवं रस आदि की पुनर्व्याख्या की। .

नई!!: संस्मरण और रामचन्द्र शुक्ल · और देखें »

रामदरश मिश्र

डॉ॰ रामदरश मिश्र (जन्म: १५ अगस्त, १९२४) हिन्दी के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। ये जितने समर्थ कवि हैं उतने ही समर्थ उपन्यासकार और कहानीकार भी। इनकी लंबी साहित्य-यात्रा समय के कई मोड़ों से गुजरी है और नित्य नूतनता की छवि को प्राप्त होती गई है। ये किसी वाद के कृत्रिम दबाव में नहीं आये बल्कि उन्होंने अपनी वस्तु और शिल्प दोनों को सहज ही परिवर्तित होने दिया। अपने परिवेशगत अनुभवों एवं सोच को सृजन में उतारते हुए, उन्होंने गाँव की मिट्टी, सादगी और मूल्यधर्मिता अपनी रचनाओं में व्याप्त होने दिया जो उनके व्यक्तित्व की पहचान भी है। गीत, नई कविता, छोटी कविता, लंबी कविता यानी कि कविता की कई शैलियों में उनकी सर्जनात्मक प्रतिभा ने अपनी प्रभावशाली अभिव्यक्ति के साथ-साथ गजल में भी उन्होंने अपनी सार्थक उपस्थिति रेखांकित की। इसके अतिरक्त उपन्यास, कहानी, संस्मरण, यात्रावृत्तांत, डायरी, निबंध आदि सभी विधाओं में उनका साहित्यिक योगदान बहुमूल्य है। .

नई!!: संस्मरण और रामदरश मिश्र · और देखें »

ला. स. रामामृतम्

ला.

नई!!: संस्मरण और ला. स. रामामृतम् · और देखें »

लक्ष्मीनाथ फूकन

लक्ष्मीनाथ फूकन असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक संस्मरण महात्मार परा रुपकोनारलोइ के लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और लक्ष्मीनाथ फूकन · और देखें »

शैलेश मटियानी

शैलेश मटियानी (१४ अक्टूबर १९३१ - २४ अप्रैल २००१) आधुनिक हिन्दी साहित्य-जगत् में नयी कहानी आन्दोलन के दौर के कहानीकार एवं प्रसिद्ध गद्यकार थे। उन्होंने 'बोरीवली से बोरीबन्दर' तथा 'मुठभेड़', जैसे उपन्यास, चील, अर्धांगिनी जैसी कहानियों के साथ ही अनेक निबंध तथा प्रेरणादायक संस्मरण भी लिखे हैं। उनके हिन्दी साहित्य के प्रति प्रेरणादायक समर्पण व उत्कृष्ट रचनाओं के फलस्वरूप आज भी उत्तराखण्ड सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में पुरस्कार का वितरण होता है। .

नई!!: संस्मरण और शैलेश मटियानी · और देखें »

हिन्दी पुस्तकों की सूची/श

संवाद शीर्षक से कविता संग्रह-ईश्वर दयाल गोस्वाामी.

नई!!: संस्मरण और हिन्दी पुस्तकों की सूची/श · और देखें »

जॉर्डन बेलफोर्ट

जॉर्डन आर बेल्फाॅर्ट (Jordan Russo Belfort) (९ जुलाई १९६२) एक अमेरिकी प्रेरक वक्ता और पूर्व शेयर दलाल है। उन्हे शेयर बाजार में गड़बड़ी और एक पैसा शेयर बाॅयलर कक्ष चलाने के लिए संबंधित धोखाधड़ी अपराधों का दोषी पाया गया था, जिस कारण उन्हें 22 माह की कारावास दण्ड मिला। क्वींस, न्यूयॉर्क में पैदा हुआ, जॉर्डन बेल्फाॅर्ट १९८० के दशक में एक मांस और समुद्री भोजन व्यापार के संचालन थे। एक कम उम्र में एक विक्रेता के रूप में एक प्राकृतिक प्रतिभा थी। वित्तीय संकट के करण उस कंपनी के बन्द हो जाने के बाद बेल्फाॅर्ट ने १९८७ में शेयरों की बिक्री शुरू की। वे १९८९ से अपने ही निवेश आपरेशन, स्ट्रैटन ओक्मान्ट चला रहे थे। कंपनी ने अपने निवेशकों को चूना लगाया, अवैध रूप से लाखों डाॅलर बनाये। प्रतिभूति विनिमय आयोग ने १९९२ में कंपनी के गुमराह तरीके को रोकने के लिए प्रयास शुरू किया। १९९४ बेल्फोट को प्रतिभूतियों धोखाधड़ी और काले धन को वैध करने के लिए दोषी पाया गया। उन्हे २००३ मे ४ साल के लिये जेल कि सजा सुनाई, लेकिन केवल २२ महीने मे उन्हे रिहा कर दिया गया। बेल्फाॅर्ट ने २००८ में अपनी पहली संस्मरण "दी वुल्फ ओफ वॉल स्ट्रीट" प्रकाशित किया। अगले वर्ष, वह फ़िल्म "दी वोल्फ ओफ वॉल स्ट्रीट" का विमोचन किया। .

नई!!: संस्मरण और जॉर्डन बेलफोर्ट · और देखें »

विधा

विधा (फ्रेंच: जीनर / genre) का साधारण अर्थ प्रकार, किस्म, वर्ग या श्रेणी है। यह शब्द विविध प्रकार की रचनाओं को वर्ग या श्रेणी में बांटने से उस विधा के गुणधर्मो को समझने में सुविधा होती है। यह वैसे ही है जैसे जीवविज्ञान में जीवों का वर्गीकरण किया जाता है। साहित्य एवं भाषण में विधा शब्द का प्रयोग एक वर्गकारक (CATEGORIZER) के रूप में किया जाता है। किन्तु सामान्य रूप से यह किसी भी कला के लिये प्रयुक्त किया जा सकता है। विधाओं की उपविधाएँ भी होती हैं। उदाहरण के लिये हम कहते हैं कि निबन्ध, गद्य की एक विधा है।. विधाएँ अस्पष्ट (vague) श्रेणीयाँ हैं और इनकी कोई निश्चित सीमा-रेखा नहीं होती। ये समय के साथ कुछ मान्यताओं के आधार पर इनकिइ पहचान निर्मित हो जाती है। .

नई!!: संस्मरण और विधा · और देखें »

गिरीन्द्रमोहन मिश्र

गिरीन्द्रमोहन मिश्र मैथिली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक संस्मरण किछु देखल किछु सुनल के लिये उन्हें सन् 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और गिरीन्द्रमोहन मिश्र · और देखें »

ओळूंरी अखियातां

ओळूंरी अखियातां राजस्थानी भाषा के विख्यात साहित्यकार नेमनारायण जोशी द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में राजस्थानी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और ओळूंरी अखियातां · और देखें »

आशारानी व्होरा

आशारानी व्होरा (जन्म: ७ अप्रैल १९२१ - मृत्यु: २१ दिसम्बर २००९) ब्रिटिश भारत में झेलम जिले में जन्मी एक हिन्दी लेखिका थीं जिन्होंने सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की। जीवन की अन्तिम साँस तक वह निरन्तर लिखती रहीं। ८८ वर्ष की आयु में उनका निधन नई दिल्ली में अपने बेटे डॉ॰ शशि व्होरा के घर पर हुआ। आशारानी को अपने जीवन काल में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। उन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति एक ट्रस्ट बनाकर नोएडा स्थित सूर्या संस्थान को दान कर दी। .

नई!!: संस्मरण और आशारानी व्होरा · और देखें »

कतेक डारिपर

कतेक डारिपर मैथिली भाषा के विख्यात साहित्यकार मंत्रेश्वर झा द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में मैथिली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और कतेक डारिपर · और देखें »

कमला सुरय्या

कमला सुरय्या पूर्व नाम कमला दास (अँग्रेजी: Kamala Surayya, मलयालम: കമല സുറയ്യ, 31 मार्च 1934- 31 मई 2009) अँग्रेजी वो मलयालम भाषा की भारतीय लेखिका थीं। वे मलयालम भाषा में माधवी कुटटी के नाम से लिखती थीं। उन्हें उनकी आत्मकथा ‘माई स्टोरी’ से अत्यधिक प्रसिद्धि मिली। .

नई!!: संस्मरण और कमला सुरय्या · और देखें »

कांग्रचर कांचियालिरदात

कांग्रचर कांचियालिरदात असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार वेणुधर शर्मा द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1960 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और कांग्रचर कांचियालिरदात · और देखें »

किछु देखल किछु सुनल

किछु देखल किछु सुनल मैथिली भाषा के विख्यात साहित्यकार गिरीन्द्रमोहन मिश्र द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1975 में मैथिली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और किछु देखल किछु सुनल · और देखें »

अनोखा अज़मूदा

अनोखा अज़मूदा सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार राम पंजवाणी द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1964 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: संस्मरण और अनोखा अज़मूदा · और देखें »

अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर

अर्नोल्ड अलोइस श्वार्ज़नेगर (जन्म 30 जुलाई 1947) एक ऑस्ट्रियन अमेरिकी बॉडीबिल्डर, अभिनेता, मॉडेल, व्यवसायी और राजनेता, वर्तमान में कैलिफोर्निया राज्य के 38वें गवर्नर के रूप में सेवारत हैं। श्वार्ज़नेगर ने पंद्रह वर्ष की आयु में भारोत्तोलन का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। 22 साल की उम्र में उन्हें मि. यूनिवर्स (Mr. Universe) की उपाधि से सम्मानित किया गया और उन्होंने मि. ओलम्पिया (Mr. Olympia) प्रतियोगिता में कुल सात बार जीत हासिल की। अपनी सेवानिवृत्ति के बहुत समय बाद भी श्वार्जनेगर बॉडीबिल्डिंग के खेल में एक प्रमुख चेहरा बने हुए हैं और उन्होंने खेल पर कई पुस्तकें और अनेक लेख लिखे हैं। कॉनन द बर्बरियन (Conan the Barbarian) और द टर्मिनेटर (The Terminator) जैसी फ़िल्मों में अपनी उल्लेखनीय मुख्य भूमिका के कारण श्वार्जनेगर ने हॉलीवुड की एक्शन फि़ल्म के प्रतीक के रूप में दुनिया भर में ख्याति प्राप्त की। अपने बॉडीबिल्डिंग के दिनों में उन्हें "ऑस्ट्रियन ओक" और "स्टायरियन ओक" उपनाम दिया गया था, अपने अभिनय कॅरियर के दौरान "अर्नोल्ड बलिष्ठ" और "फौलादी" हैं और एकदम हाल ही में "गवर्नेटर" - गवर्नर बने हैं (गवर्नर और टर्मिनेटर-उनकी एक फिल्म की भूमिका, दोनों शब्दों को मिलाकर बना नया शब्द).

नई!!: संस्मरण और अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर · और देखें »

उपेन्द्रनाथ अश्क

उपेन्द्र नाथ अश्क (१९१०- १९ जनवरी १९९६) उर्दू एवं हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार तथा उपन्यासकार थे। ये अपनी पुस्तक स्वयं ही प्रकाशित करते थे। .

नई!!: संस्मरण और उपेन्द्रनाथ अश्क · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »