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श्वासनली

सूची श्वासनली

श्वासनली (trachea) और उस से सम्बंधित अंग मनुष्य, पशुओं और पक्षियों के शरीर में श्वासनली या साँस की नली वह नली होती है जो गले की स्वरग्रंथि (लैरिंक्स) को फेफड़ों से जोड़ती है और मुंह से फेफड़ों तक हवा पहुँचाने के रास्ते का एक महत्वपूर्ण भाग है। श्वासनली की आन्तरिक सतह पर कुछ विशेष कोशिकाओं की परत होती है जिन से श्लेष्मा रिसता रहता है। साँस के साथ शरीर में प्रवेश हुए अधिकतर कीटाणु, धूल व अन्य हानिकारक कण इस श्लेष्मा से चिपक कर फँस जाते हैं और फेफड़ों तक नहीं पहुँच पाते। अशुद्धताओं से मिश्रित यह श्लेष्मा या तो अनायास ही पी लिया जाता है, जिस से ये पेट में पहुँच कर वहां पर हाज़में के रसायनों द्वारा नष्ट कर दिया जाता है, या फिर बलग़म बन कर मुंह में उभर आता है जहाँ से इसे थूका या निग़ला जा सकता है। मछलियों के शरीर में श्वासनली नहीं होती। .

9 संबंधों: चीता, तम्बाकू धूम्रपान, ब्रोंकोस्कोपी, मानव स्वर, श्वसनीशोथ, श्वासनली के निचले हिस्से का संक्रमण, स्वरग्रंथि, गला, अंग तंत्र

चीता

बिल्ली के कुल (विडाल) में आने वाला चीता (एसीनोनिक्स जुबेटस) अपनी अदभुत फूर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाता है। यह एसीनोनिक्स प्रजाति के अंतर्गत रहने वाला एकमात्र जीवित सदस्य है, जो कि अपने पंजों की बनावट के रूपांतरण के कारण पहचाने जाते हैं। इसी कारण, यह इकलौता विडाल वंशी है जिसके पंजे बंद नहीं होते हैं और जिसकी वजह से इसकी पकड़ कमज़ोर रहती है (अतः वृक्षों में नहीं चढ़ सकता है हालांकि अपनी फुर्ती के कारण नीची टहनियों में चला जाता है)। ज़मीन पर रहने वाला ये सबसे तेज़ जानवर है जो एक छोटी सी छलांग में १२० कि॰मी॰ प्रति घंटे ऑलदो एकोर्डिंग टू चीता, ल्यूक हंटर और डेव हम्मन (स्ट्रुइक प्रकाशक, 2003), pp.

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तम्बाकू धूम्रपान

तम्बाकू धूम्रपान एक ऐसा अभ्यास है जिसमें तम्बाकू को जलाया जाता है और उसका धुआं या तो चखा जाता है या फिर उसे सांस में खींचा जाता है। इसका चलन 5000-3000 ई.पू.के प्रारम्भिक काल में शुरू हुआ। कई सभ्यताओं में धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान इसे सुगंध के तौर पर जलाया गया, जिसे बाद में आनंद प्राप्त करने के लिए या फिर एक सामाजिक उपकरण के रूप में अपनाया गया। पुरानी दुनिया में तम्बाकू 1500 के दशक के अंतिम दौर में प्रचलित हुआ जहां इसने साझा व्यापारिक मार्ग का अनुसरण किया। हालांकि यह पदार्थ अक्सर आलोचना का शिकार बनता रहा है, लेकिन इसके बावज़ूद वह लोकप्रिय हो गया। जर्मन वैज्ञानिकों ने औपचारिक रूप से देर से 1920 के दशक के अन्त में धूम्रपान और फेफड़े के कैंसर के बीच के संबंधों की पहचान की जिससे आधुनिक इतिहास में पहले धूम्रपान विरोधी अभियान की शुरुआत हुई। आंदोलन तथापि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुश्मनों की सीमा में पहुंचने में नाकाम रहा और उसके बाद जल्द ही अलोकप्रिय हो गया। 1950 में स्वास्थ्य अधिकारियों ने फिर से धूम्रपान और कैंसर के बीच के सम्बंध पर चर्चा शुरू की। वैज्ञानिक प्रमाण 1980 के दशक में प्राप्त हुए, जिसने इस अभ्यास के खिलाफ राजनीतिक कार्रवाई पर जोर दिया। 1965 से विकसित देशों में खपत या तो क्षीण हुई या फिर उसमें गिरावट आयी। हालांकि, विकासशील दुनिया में बढ़त जारी है। तम्बाकू के सेवन का सबसे आम तरीका धूम्रपान है और तम्बाकू धूम्रपान किया जाने वाला सबसे आम पदार्थ है। कृषि उत्पाद को अक्सर दूसरे योगज के साथ मिलाया जाता है और फिर सुलगाया जाता है। परिणामस्वरूप भाप को सांस के जरिये अंदर खींचा जाता है फिर सक्रिय पदार्थ को फेफड़ों के माध्यम से कोशिकाओं से अवशोषित कर लिया जाता है। सक्रिय पदार्थ तंत्रिका अंत में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को शुरू करती है जिससे हृदय गति, स्मृति और सतर्कता और प्रतिक्रिया की अवधि बढ़ जाती है। डोपामाइन (Dopamine) और बाद में एंडोर्फिन(endorphin) का रिसाव होता है जो अक्सर आनंद से जुड़े हुए हैं। 2000 में धूम्रपान का सेवन कुछ 1.22 बिलियन लोग करते थे। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती हैं तथापि छोटे आयु वर्ग में इस लैंगिक अंतर में गिरावट आती है। गरीबों में अमीरों की तुलना में और विकसित देशों के लोगों में अमीर देशों की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती है। धूम्रपान करने वाले कई किशोरावस्था में या आरम्भिक युवावस्था के दौरान शुरू करते हैं। आम तौर पर प्रारंभिक अवस्था में धूम्रपान सुखद अनुभूतियां प्रदान करता है, सकारात्मक सुदृढीकरण के एक स्रोत के रूप में कार्य करता है। एक व्यक्ति में कई वर्षों के धूम्रपान के बाद परिहार के लक्षण और नकारात्मक सुदृढीकरण उसे जारी रखने का प्रमुख उत्प्रेरक बन जाता है। .

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ब्रोंकोस्कोपी

ब्रोंकोस्कोपी सांस की नली के लिए चिकित्सा परीक्षण जांच प्रक्रिया है। श्रेणी:चिकित्सकीय परीक्षण.

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मानव स्वर

संगीत से सम्बन्धित 'स्वर' के लिए देखें - स्वर ---- स्वर (Voice) या कंठध्वनि की उत्पत्ति उसी प्रकार के कंपनों से होती है जिस प्रकार वाद्ययंत्र से ध्वनि की उत्पत्ति होती है। अत: स्वरयंत्र और वाद्ययंत्र की रचना में भी कुछ समानता है। वायु के वेग से बजनेवाले वाद्ययंत्र के समकक्ष मनुष्य तथा अन्य स्तनधारी प्राणियों में निम्नलिखित अंग होते हैं: 1.

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श्वसनीशोथ

तीव्र ब्रोंकाइटिस से ग्रस्त रोगी के फेफड़े की दशा फेफड़ों के अंदर स्थित श्वसनी के श्लेष्मकला के प्रदाह (inflammation) को श्वसनीशोथ या ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) कहते है। श्वासनली (Trachea) से फेफड़ों में वायु ले जाने वाली नलियों को श्वसनी (Bronchi / bronchus का बहुबचन) कहते हैं। इसमें श्वसनी की दीवारें इन्फेक्शन व सूजन की वजह से अनावश्यक रूप से कमजोर हो जाती हैं जिसकी वजह से इनका आकार नलीनुमा न रहकर गुब्बारेनुमा या फिर सिलेंडरनुमा हो जाता है। सूजन के कारण सामान्य से अधिक बलगम बनता है। साथ ही ये दीवारें इकट्ठा हुए बलगम को बाहर ढकेलने में असमर्थ हो जाती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि श्वास की नलियों में गाढ़े बलगम का भयंकर जमाव हो जाता है, जो नलियों में रुकावट पैदा कर देता है। इस रुकावट की वजह से नलियों से जुड़ा हुआ फेफड़े का अंग बुरी तरह क्षतिग्रस्त व नष्ट होकर सिकुड़ जाता है या गुब्बारेनुमा होकर फूल जाता है। क्षतिग्रस्त भाग में स्थित फेफड़े को सप्लाई करने वाली धमनी व गिल्टी भी आकार में बड़ी हो जाती है। इन सबका मिला-जुला परिणाम यह होता है कि क्षतिग्रस्त फेफड़ा व श्वास नली अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पाते और मरीज के शरीर में तरह-तरह की जटिलताएँ पैदा हो जाती हैं। .

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श्वासनली के निचले हिस्से का संक्रमण

निचली श्वासनली, स्वर ग्रंथि के नीचे स्थित श्वसन पथ का ही एक भाग है। इस शीर्षक, श्वसन पथ के निचले भाग का संक्रमण, का प्रयोग प्रायः निमोनिया के समानार्थक शब्द के रूप में किया जाता है, लेकिन इसका प्रयोग अन्य प्रकार के संक्रमणों के लिए भी किया जा सकता है जिसमे फेफड़ों में होने वाला फोड़ा और गंभीर श्वसन शोथ (फेफड़ों की सूजन) भी शामिल हैं। इसके लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई, कमजोरी, तेज़ बुखार खांसी और थकावट आते हैं। श्वसन पथ के निचले भाग का संक्रमण साधारणतया इसके ऊपरी भाग के संक्रमण से अधिक गंभीर होता है और इससे हमारे स्वास्थ्य बजट पर भी काफी दबाव पड़ता है। 1993 से श्वसन पथ के निचले भाग में होने वाले संक्रमण के कारण होने वाली मृत्युओं की संख्या में मामूली कमी आयी है। हालांकि फिर भी सन 2002 में इसका प्रतिशत संक्रमण के कारण होने वाली बिमारियों में सर्वधिक था और इस बीमारी के कारण उस वर्ष विश्व स्तर पर 3.9 मिलियन मृत्यु हुई थी और उस वर्ष हुई कुल मृत्युओं में से 6.9 प्रतिशत मौतें इसी के कारण हुई थीं। कई तरह के घातक और दीर्घकालिक संक्रमण श्वसन पथ के निचले हिस्से को प्रभावित करते हैं। दो सर्वाधिक प्रचलित संक्रमण निमोनिया और ब्रोंकाइटिस हैं। ज़ुकाम श्वसन पथ के निचले और ऊपरी दोनों हिस्सों को प्रभावित करता है। श्वसन पथ के निचले हिस्से के संक्रमणों में एंटीबॉयटिक को प्रायः प्राथमिक उपचार माना जाता है; हालांकि वायरल (विषाणुजनित) संक्रमणों में ऐसा नहीं होता है। संक्रमण फ़ैलाने वाले जीव के आधार पर उचित एंटीबॉयटिक का चुनाव आवश्यक है और इसके लिए इन संक्रमणों की विकास की प्रकृति तथा परम्परागत उपचारों के प्रति विकसित प्रतिरोधक क्षमता के साथ साथ उपचार का तरीका भी बदलना पड़ता है। एच.

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स्वरग्रंथि

स्वरग्रंथि (larynx) और उस के भीतरी अंग, जैसे स्वर-रज्जु (vocal cords) स्वरग्रंथि या स्वरयंत्र मनुष्यों और अन्य स्तनधारी जीवों के गले में मौजूद एक ग्रंथि (आर्गन) होती है जिस के प्रयोग से यह जीव भिन्न प्रकार की ध्वनियों में बोल पाते हैं। स्वरग्रंथि के अन्दर बहुत से स्वर-रज्जु (वोकल कार्ड) होते हैं। जब इन स्वर-रज्जुओं के ऊपर से हवा का तेज़ बहाव होता है तब इनकी कंपकंपी से अलग-अलग ध्वनियों की आवाज़ पैदा होती है, ठीक उसी तरह जैसे किसी सितार की तारों के कंपन से विभिन्न सुरों का संगीत पैदा होता है। .

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गला

गले के अंदरूनी अंगों का चित्र मनुष्यों व कुछ अन्य जीवों में गला गर्दन के आगे के हिस्से को कहते हैं। मनुष्यों के गले में कई अंग होते हैं, जैसे - स्वरग्रंथि, श्वासनली, ग्रासनाल और कंठच्छद। .

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अंग तंत्र

तंत्र का एक उदाहरण - तंत्रिका तंत्र; इस चित्र में दिखाया गया है कि यह तंत्र मूलत: चार अंगों से मिलकर बना है: मस्तिष्क, प्रमस्तिष्क (cerebellum), मेरुदण्ड (spinal cord) तथा तंत्रिकाएं (nerve) नाना प्रकार के ऊतक (tissue) मिलकर शरीर के विभिन्न अंगों (organs) का निर्माण करते हैं। इसी प्रकार, एक प्रकार के कार्य करनेवाले विभिन्न अंग मिलकर एक अंग तंत्र (organ system) का निर्माण करते हैं। कई अंग तंत्र मिलकर जीव (जैसे, मानव शरीर) की रचना करते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

श्वास्नाल, सांस की नली

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