8 संबंधों: परिकलक, प्राथमिक सेल, बैटरी का इतिहास, लेक्लांची सेल, विद्युत्-रसायन, विभिन्न आकार की बैटरियाँ, वैद्युत-रासायनिक सेल, वोल्ट।
परिकलक
कैसियो कम्पनी का '''वैज्ञानिक परिकलक''' परिकलक (अंग्रेजी: कैलकुलेटर), अन्य हिन्दी पर्याय, गणक या गणित्र), गणितीय गणनाएं (परिकलन) करने का एक उपकरण होता है। यद्यपि आधुनिक परिकलकों में प्रायः सामान्य उपयोग का एक संगणक (कंप्यूटर) होता है, फिर भी परिकलक, कंप्यूटर से इस मामले में भिन्न है कि परिकलक की अभिकल्पना अपेक्षाकृत छोटी गणनाएं करने के लिये होता है। इसके उपयोग के लिये प्रोग्रामिंग की आवश्यकता नही होती और यह बहुत सस्ता और आकार में छोटा होता है। इसके पहले गणनाएं करने के लिये स्लाइड रूल, गणितीय सारणियाँ, अबाकस आदि प्रयोग में लाये जाते थे। इन सबका प्रयोग परिकलक की तुलना में अपेक्षाकृत बहुत असुविधाजनक होता था। आधुनिक परिकलक विद्युत शक्ति (छोटे शुष्क सेल आदि) से चलते हैं; सस्ते, छोटे, अनेक जटिल गणनाओं की क्षमता वाले, सरलता से काम करने वाले तथा तेज गणना में दक्ष होते हैं। .
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प्राथमिक सेल
प्राथमिक सेल (primary cell) वे सेल हैं जिनकी डिजाइन ऐसी होती है कि उन्हें प्रयोग करने के बाद पुनः आवेशित नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिये शुष्क सेल एक प्रकार का प्राथमिक सेल है। मानक आकार वाले विभिन्न प्राथमिक सेल; बायें से:4.5V बहुसेल बैटरी, D, C, AA, AAA, AAAA, A23, 9V बहुसेल बैटरी, (ऊपर) LR44, (नीचे) CR2032 .
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बैटरी का इतिहास
काँच के लिंकित संधारित्रों की 'बैटरी' बैटरी का इतिहास विद्युतरासायनिक सेलों के विकास का इतिहास है। बैटरियों के विकास से ही विद्युत का औद्योगिक उपयोग आरभ हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम दिनों तक बैटरियाँ ही विद्युत ऊर्जा के मुख्य स्रोत थीं क्योंकि तब तक विद्युत जनित्र का आविष्कार नहीं हुआ था। बैटरी की प्रौद्योगिकी में लगातार विकास हुआ जिनके बिना टेलीग्राफ, टेलीफोन, पोर्टेबल कम्प्यूटर, मोबाइल फोन, विद्युत कारों आदि का विकास नहीं हो सकता था। सन् 1749 बेंजामिन फ्रैंकलिन ने 'बैटरी' शब्द का इस्तेमाल किया था। अपने विद्युत-सम्बन्धी प्रयोगों के लिये वे जिन 'लिंक्ड कैपेसिटर्स' का प्रयोग करते थे, उनको उन्होने 'बैटरी' की संज्ञा दी। .
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लेक्लांची सेल
लेक्लान्ची सेल (Leclanché cell) एक सेल (Cell) है जिसका आविष्कार और पेटेन्ट फ्रान्स के वैज्ञानिक जॉर्जेस लेक्लान्ची (Georges Leclanché) ने १८६६ में किया था। इसमें विद्युत अपघट्य के रूप में अलुमिनियम क्लोराइड और कार्बन का धनाग्र (कैथोड) एवं जस्ते का ऋणाग्र (एनोड) प्रयुक्त होता था। इसमें विध्रुवकारक (depolarizer) के रूप में मैंगनीज डाईऑक्साइड का प्रयोग किया जाता था। इसी के आधार पर आगे शुष्क सेल का विकास हुआ। .
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विद्युत्-रसायन
जॉन डेनियल और माइकल फैराडे (दायें तरफ), जिन्हे विद्युतरसायन का जनक माना जाता है विद्युतरसायन (eletro-chemistry), भौतिक रसायन की वह शाखा है जिसमें उन रासायनिक अभिक्रियों का अध्ययन किया जाता है जो किसी विलयन (सलूशन्) के अन्दर एक एलेक्ट्रान चालक और एक ऑयनिक चालक (विद्युत अपघट्य) के मिलन-तल (इन्टरफेस) पर होती है। इसमें इलेक्ट्रान चालक कोई धातु या अर्धचालक हो सकता है। यदि रासायनिक अभिक्रिया किसी बाहर से आरोपित विभवान्तर (वोल्टेज्) के कारण घटित होती है (जैसे विद्युत अपघटन में); या रासायनिकभिक्रिया के परिणामस्वरूप विभवान्तर पैदा होता है (जैसे बैटरी में) तो ऐसी रासायनिक अभिक्रियों को विद्युत्त्-रासायनिक अभिक्रिया (electrochemical reaction) कहते हैं। सामान्य रूप से देखें तो पाते हैं कि विद्युत रासायनिक अभिक्रियाओं में ऑक्सीकरण एवं अपचयन क्रियाएं निहित होती हैं जो समय या स्थान (स्पेस और टाइम) में अलग होती हैं और किसी बाहरी परिपथ से जुड़ी होती हैं। .
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विभिन्न आकार की बैटरियाँ
left इस लेख में घरों और छोटे उद्योगों में प्रायः उपयोग में आने वालीं कुछ प्रमुख बैटरियों के आकार एवं स्वरूप (shape) के बारे में जानकारी दी गयी है। शुष्क सेल का इतिहास बहुत पुराना है। इसी कारण इनके आकार आदि से सम्बन्धित अन्तरराष्ट्रीय मानक आने के पूर्व ही निर्माता और देश के अनुसार अनेकों प्रकार के मानक चल पड़े थे। .
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वैद्युत-रासायनिक सेल
डेनियल सेल से मिलता-जुलता एक प्रदर्शन विद्युतरासायनिक सेल। इसमें दो अर्ध-सेल हैं जो एक लवण-सेतु से जुड़े हैं जिससे होकर एक अर्श सेल से दूसरे में आयन आते-जाते हैं। इसके द्वारा वाह्य परिपथ में इलेक्ट्रान बहाये जाते हैं। उन सभी युक्तियों को वैद्युत-रासायनिक सेल (electrochemical cell) कहते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया के माध्यम से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करते हैं या जिनमें विद्युत ऊर्जा देने से उनके अन्दर रासायनिक अभिक्रिया होने लगती है या उसकी गति बढ़ जाती है। 1.5-वोल्ट का शुष्क सेल इसका एक सर्वसामान्य उदाहरण है। कई सेलों को श्रेणीक्रम या समान्तर क्रम में जोड़ने से बैटरी बनती है। वाहनों की १२ वोल्ट की बैटरी इसका आम उदाहरण है। .
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वोल्ट
वोल्टा पाइल वोल्ट (प्रतीक: V), विद्युत विभव, विभवान्तर और विद्युतवाहक बल की व्युत्पन्न इकाई है। इस ईकाई का नाम (वोल्ट) इतालवी भौतिकविज्ञानी वोल्टा (1745-1827) के सम्मान में रखा गया है जिसने वोल्टेइक पाइल का आविष्कार किया, जिसे पहली रासायनिक बैटरी कह सकते हैं। जहाँ.
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