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शिलारस

सूची शिलारस

बिना साफ़ किया शिलारस (कच्चा शिलारस) शिलारस (पेट्रोलियम) एक अत्यधिक उपयोगी पदार्थ हैं, जिसका उपयोग देनिक जीवन में बहुत अधिक होता हैं। शिलारस वास्तव में उदप्रांगारों का मिश्रण होता है। इसका निर्माण भी कोयले की तरह वनस्पतियों के पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालांतर में उनके ऊपर उच्च दाब तथा ताप के आपतन के कारण हुआ। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले शिलारस को अपरिष्कृत तेल (Crude Oil) कहते हैं जो काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है। इसके प्रभाजी आसवन (फ्रैक्शनल डिस्टिलेशन) से केरोसिन, पेट्रोल, डीज़ल, प्राकृतिक गैस, वेसलीन,तारकोल ल्यूब्रिकेंट तेल इत्यादि प्राप्त होते हैं। दरअसल जब तेल के भंडार पृथ्वी पर कहीं ढूंढे जाते हैं, तब यह गाढ़े काले रंग का होता है। जिसे क्रूड ऑयल कहा जाता है और इसमें उदप्रांगारों की बहुलता होती है। उदप्रांगारों की खासियत यह होती है कि इनमें मौजूद हाइड्रोजन और प्रांगार के अणु एक दूसरे से विभिन्न श्रृंखलाओं में बंधे होते हैं। ये श्रृंखलाएं तरह-तरह की होती हैं। यही श्रृंखलाएं विभिन्न प्रकार के तेल उत्पादों का स्रोत होती हैं। इनकी सबसे छोटी श्रृंखला मिथेन नामक प्रोडक्ट का आधार बनती है। इनमें लंबी श्रृंखलाओं वाले उदप्रांगारों ठोस जैसे कि मोम या टार नामक उत्पाद का निर्माण करते हैं। सछिद्र चट्टान (4) में शिलारस स्थित है। जब पृथ्वी से तेल खोद कर निकाला जाता है उस वक्त अपरिष्कृत तेल (क्रूड ऑयल) ठोस रूप में होता है। इससे तेल के विभिन्न रूप पाने के लिए अपरिष्कृत तेल में मौजूद उदप्रांगार के विभिन्न चेन को अलग करना पड़ता है। उदप्रांगार के विभिन्न चेनों को अलग करने की प्रक्रिया रासायनिक क्रांस जोड़ने उदप्रांगार कहलाती है। जिसे हम शोधन प्रक्रिया के नाम से जानते हैं। यह शोधन प्रक्रिया शोधन कारखानें (रिफाइनरीज) में होती है। एक तरह से यह शोधन बेहद आसान भी होता है और मुश्किल भी। यह सरल तब होता है जब क्रूड ऑयल में पाए जाने वाले उदप्रांगारों के बारे में पता हो और मुश्किल तब जब इसकी जानकारी नहीं होती है। दरअसल हर प्रकार के उदप्रांगारों का क्वथनांक के, अलग-अलग होता है इस तरह आसवन की प्रक्रिया से उन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है। तेल शोधक कारखाना की पूरी प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है। दरअसल अपरिष्कृत तेल को अलग-अलग तापमान पर गर्म करके वाष्प एकत्रित करके तथा उसे दोबारा संघनित करके उदप्रांगार की अलग-अलग चेन निकाल ली जाती हैं। तेल शोधक कारखाना (ऑयल रिफाइनरी) में शोधन का यह सबसे सामान्य और पुराना तरीका है। उबलते तापमान का उपयोग करने वाली इस विधि को प्रभाजी आसवन कहते हैं। आसवन का एक तरीका यह भी होता है कि उदप्रांगार की एक लंबी चेन को जैसे का तैसा निकाल लेने के बजाए उसे छोटी-छोटी चेन्स में तोड़कर निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया को रासायनिक प्रसंस्करण कहते हैं। तो बच्चे अब आप समझ गए होंगे कि पेट्रोल और कैरोसिन के अलावा दूसरे ईंधन कैसे बनते हैं। इस सारी प्रक्रिया में तेल शोधक कारखाना की अहम भूमिका हो .

95 संबंधों: ऊफ़ा, ऊर्जा, चीन-पाक आर्थिक गलियारा, टैंकर (जहाज), एथिलीन ग्लाइकोल, एबरडीन, एबरडीन का पेट्रोलियम उद्योग, एबरडीन की अर्थव्यवस्था, ऐस्फाल्ट, डीज़ल, तुर्की, तैल शेल, तेल रिसाव, तेल शोधनागार, दक्षिण अमेरिका, द्रवघनत्वमापी, परिवहन की विधि, पायस (इमल्शन), पाकिस्तान में परिवहन, प्रांगार चक्र, प्लास्टिक पुनर्चक्रण, पृथ्वी, पैराफिन, पेट्रोल, पेट्रोलियम निष्कर्षण, पेट्रोलियम उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पादक देशों की सूची, फोरामिनिफेरा, बचाव (वित्त), बायेल्सा राज्य, बैरल (इकाई), बेल्जियम, बेंजीन, बोलिविया, भारत, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भारत में कोयला-खनन, भारत २०१०, भारतीय अर्थव्यवस्था, भूधाराएँ, भूकम्पमापी, मध्य पूर्व, मिनीकॉनामी, मुंबई बंदरगाह, मैरीलैंड, मोटरवाहन, रसायन विज्ञान, राष्ट्र संघ, रासायनिक इंजीनियरी, रियाउ, ..., रिलायन्स इण्डस्ट्रीज, लीबिया, शैल, शैल-रसायन, शेवरॉन कॉर्पोरेशन, संधारणीय ऊर्जा, संपीडित वायु कार, संघनित्र (उष्मा स्थानान्तरण), स्टेटऑयल, स्नेहक, सू नहर, सीरिया, हाइड्रोकार्बन, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, हिलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, जल संसाधन, जैवभार, जैवोपचारण, ईन्धन, वस्तु बाजार, वानूआतू, वाष्पशील तेल, वेधन (पृथ्वी), खनिज तेल, खनिजों का बनना, गन्धकाम्ल, गल्फ ऑयल, ग्रीनहाउस गैस, ऑफ़शोरिंग, ऑयल इंडिया, ऑक्सीजन, ओपेक, ओखा बन्दरगाह, औद्योगिक क्रांति, आर्थिक भौमिकी, आसवन, इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कारा सागर, केरोसीन, कोयला, अनुप्रयुक्त भूभौतिकी, अंतरराष्ट्रीय तापनाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र, अंतरंगी लेनदेन, उत्प्रेरण सूचकांक विस्तार (45 अधिक) »

ऊफ़ा

ऊफ़ा गणतंत्र बाश्ख़ोर्तोस्तान, रूस की राजधानी है। गणतंत्र बाश्ख़ोर्तोस्तान के प्रधान शासक पावेल काच्कायेव है। .

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ऊर्जा

दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .

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चीन-पाक आर्थिक गलियारा

नक़्शा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा या उर्दू में पाकिस्तान-चीन इक़तिसादी राहदारी (चीनी: 中国 - 巴基斯坦 经济 走廊) एक बहुत बड़ी वाणिज्यिक परियोजना है, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान से चीन के उत्तर-पश्चिमी स्वायत्त क्षेत्र शिंजियांग तक ग्वादर बंदरगाह, रेलवे और हाइवे के माध्यम से तेल और गैस की कम समय में वितरण करना है। आर्थिक गलियारा चीन-पाक संबंधों में केंद्रीय महत्व रखता है, गलियारा ग्वादर से काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लंबा है। यह योजना को सम्पूर्ण होने में काफी समय लगेगा। इस योजना पर 46 बिलियन डॉलर लागत का अनुमान किया गया है। यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान होते हुए जायेगा। विविध सूचनाओं के अनुसार ग्वादर बंदरगाह को इस तरह से विकसित किया जा रहा है, ताकि वह 19 मिलियन टन कच्चे तेल को चीन तक सीधे भेजने में सक्षम होगा। .

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टैंकर (जहाज)

वाणिज्यिक कच्चे तेल सुपरटैंकर अबकैक. एक टैंकर (या टैंक शिप या टैंकशिप) एक जहाज होता है जो विशाल मात्रा में तरल पदार्थों के परिवहन करने की दृष्टि से बनया जाता है। टैंक शिप के प्रमुख प्रकारों के अंतर्गत तेल के टैंकर, रसायन टैंकर और द्रवित प्राकृतिक गैस संवाहक आते हैं। .

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एथिलीन ग्लाइकोल

एथलीन ग्लाइकोल एथलीन ग्लाइकोल (Ethylene glycol; IUPAC नाम: इथेन-1,2-डायोल) एक कार्बनिक यौगिक है जो मोटरगाड़ियों में प्रतिहिमकारी (antifreeze) के रूप में उपयोग में आता है। इसे 'ग्लाइकोल' भी कहते हैं। इसका रासायनिक सूत्र (HO-CH2-CH2-OH) है। यह बहुलकों का पूर्वरूप था। शुद्ध एथलीन ग्लाइकोल गंधहीन, रंगहीन, सिरप जैसा और स्वाद में मीठा द्रव है। यह विषैला होता है तथा इसे ग्रहण करने पर मृत्यु हो सकती है। यह सुंगधित तैलीय द्रव है, जिसका क्वथनांक १९७.५° सें.

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एबरडीन

एबरडीन (स्कॉटलैंड का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर, स्कॉटलैंड के 32 स्थानीय सरकार परिषद क्षेत्रों में से एक और ब्रिटेन का 29वां सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। इसकी आधिकारिक आबादी गणना है। इसके उपनामों में शामिल हैं ग्रेनाईट सिटी, ग्रे सिटी और सिल्वर सिटी विथ द गोल्डेन सैंड्स. मध्य 18वीं और मध्य 20वीं सदियों के दौरान, एबरडीन की इमारतों में स्थानीय रूप से उत्खनित ग्रे ग्रेनाइट का समावेश हुआ करता था, जिसके अभ्रक चांदी की तरह चमका करते हैं। शहर में एक लंबा रेतीला समुद्र तट है। 1970 के दशक में उत्तरी सागर तेल की खोज के बाद से, इसका एक अन्य उपनाम ऑयल कैपिटल ऑफ़ यूरोप या एनर्जी कैपिटल ऑफ़ यूरोप रखा गया। कम से कम 8000 साल पहले एबरडीन के आसपास के क्षेत्र बसने लगे, जब डी और डोन नदियों के मुहानों के आसपास प्रागैतिहासिक गांव स्थापित हुए। 1319 में, रॉबर्ट द ब्रूस द्वारा एबरडीन को राजकीय नगर का दर्जा प्राप्त होने से आर्थिक रूप से शहर पूरी तरह बदल गया। 1495 में स्थापित एबरडीन विश्वविद्यालय और 1992 में विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त करने वाले रॉबर्ट गोर्डन विश्वविद्यालय, शहर के इन दो विश्वविद्यालयों के कारण एबरडीन उत्तर-पूर्व का शैक्षणिक केंद्र बना। मछली पकड़ने, कागज़ बनाने, जहाज निर्माण और वस्त्र जैसे उद्योगों से तेल उद्योग तथा एबरडीन बंदरगाह आगे निकल गये। एबरडीन हेलीपोर्ट दुनिया के सबसे व्यस्ततम वाणिज्यिक हेलीपोर्ट में से एक है और वहां का बंदरगाह स्कॉटलैंड के उत्तर-पूर्व में सबसे बड़ा है। एबरडीन ने ब्रिटेन इन ब्लूम प्रतियोगिता में दस बार रिकार्ड-तोड़ जीत हासिल की है, और एबरडीन अंतर्राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन किया है, जो एक बड़ा अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसमे लगभग 1000 सबसे प्रतिभाशाली युवा प्रदर्शनकारी कला कंपनियां भाग लेती हैं। .

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एबरडीन का पेट्रोलियम उद्योग

तेल और गैस ड्रिलिंग रिग एबरडीन कोस्ट एबरडीन में, परंपरागत रूप से, मछली पकड़ने, कपड़ा मिलों, जहाज निर्माण और कागज बनाने के काम होते रहे हैं। इन उद्योगों का बड़े पैमाने पर प्रतिस्थापन किया जा चुका है। पिछले तीन दशकों से एबरडीन के आर्थिक विकास में आयी जबर्दस्त तेजी के लिए काफी हद तक यहाँ के इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन और विकास उद्योग में उच्च प्रौद्योगिकी विकास, व अन्य उद्योगों के साथ विशेष रूप से यहाँ के तेल उद्योग जिम्मेदार है। पेट्रोलियम उद्योग अब एबरडीन की अर्थव्यवस्था के प्रमुख हिस्सा बन चुके हैं। बीसवीं सदी के अंतिम चरण में उत्तरी सागर में महत्वपूर्ण तेल भंडार की खोज के बाद से एबरडीन यूरोप के पेट्रोलियम उद्योग का केंद्र बन गया। विश्व में दूसरे सबसे बड़े हेलीपोर्ट और समुद्र में तेल निकालने के लिए एक महत्वपूर्ण जहाज बंदरगाह सेवा के कारण एबरडीन को अक्सर ऑयल कैपिटल ऑफ़ यूरोप भी कहा जाता है। आने वाले वर्षों में तेल आपूर्ति के कम होते जाने की संभावना को देखते हुए एबरडीन को.

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एबरडीन की अर्थव्यवस्था

एबरडीन, स्काॅटलैंड का सबसे विशाल नगर एवं इस नाते से यह स्काॅटलैंड की अर्थव्यवस्था का एक अती महत्वपूर्ण अंग है। परंपरागत रूप से, एबरडीन में मछली पकड़ने, कपड़ा मिलों, जहाज निर्माण और कागज बनाने के काम होते रहे हैं। इन उद्योगों का बड़े पैमाने पर प्रतिस्थापन किया जा चुका है। पिछले तीन दशकों से एबरडीन के आर्थिक विकास में आयी जबर्दस्त तेजी के लिए काफी हद तक जिम्मेदार इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन और विकास उद्योग में उच्च प्रौद्योगिकी विकास, कृषि व मछली पकड़ने के क्षेत्र में अनुसंधान तथा तेल उद्योग अब एबरडीन की अर्थव्यवस्था के प्रमुख हिस्सा बन चुके हैं। बीसवीं सदी के अंतिम चरण में उत्तरी सागर में महत्वपूर्ण तेल भंडार की खोज के बाद से एबरडीन यूरोप के पेट्रोलियम उद्योग का केंद्र बन गया। यहाँ का पेट्रोलियम उद्योग शहर की अर्थव्यवस्था का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। खरीदारी के मामले में स्कॉटलैंड में यह शहर तीसरे स्थान पर है। यूनियन स्ट्रीट और जॉर्ज स्ट्रीट पारंपरिक खरीदारी के इलाके हैं, अब अन्य शॉपिंग केंद्र भी बनाये गये हैं, इनमें सेंट निकोलस एंड बॉन एकॉर्ड तथा ट्रिनिटी शॉपिंग सेंटर उल्लेखनीय हैं। यूनियन स्क्वायर नामक का एक नया खुदरा केंद्र अक्टूबर 2009 के सितंबर के अंतिम चरण तथा अक्टूबर के प्रारंभ में पूरा हो गया। प्रमुख खुदरा पार्क शहर से दूर हैं, जिनमे बेरीडेन रिटेल पार्क, किटीब्र्युस्टर रिटेल पार्क और बीच बुलवार्ड रिटेल पार्क शामिल हैं। मार्च 2004 में, एबरडीन को फेयरट्रेड फाउंडेशन की ओर से फेयरट्रेड नगर का अवार्ड मिला। ड्यूंडी के साथ, यह अवार्ड पाने वाला स्कॉटलैंड का पहला शहर बना। गतिशील और तेजी से बढ़ रहा इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन और विकास उद्योग भी है। .

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ऐस्फाल्ट

मृत सागर से प्राप्त प्राकृतिक ऐसफाल्ट सड़क निर्माण में अस्फाल्ट कंक्रीट की मूल पर्त ऐस्फाल्ट (अंग्रेजी: Asphalt) एक चिपचिपा, काला और गाढ़ा तरल या अर्ध-तरल पदार्थ होता है, जिसे कच्चे पैट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से भी मिलता है। पहले इसे अस्फाल्टम भी कहा जाता है। इसका प्रयोग सड़क निर्माण, उड़ान पट्टी निर्माण इत्यादि में होता है। 'अस्फाल्ट' शब्द एक यूनानी शब्द से निकला है जिसका अर्थ है दृढ़, अचल तथा सुरक्षित। पुरातन काल में अस्फाल्ट का प्रथम उपयोग विभिन्न प्रकार के दो पदार्थो को आपस में जोड़ने में, जैसे हाथीदाँत, सीप या रत्नों से बनी आँखों को मूर्तियों के चक्षु गह्वरों में बैठाने के लिए, किया जाता था। ज्ञात हुआ है कि संभवत: भारत में अस्फाल्ट का सर्वप्रथम उपयोग लगभग 3,000 वर्ष ई.पू.

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डीज़ल

डीज़ल एक प्रकार का उदप्रांगार ईंधन है जो पेट्रोलियम को कई चरणों में ठंडा करने से एक चरण (२००-३५० C) में बनता है। इसका उपयोग वाहनों, मशीनों, संयत्रों आदि को चलाने के लिए ईंधन के रूप मे किया जाता है। इसका प्रयोग भारी वाहनों तथा तापज्वलित यानि संपीडित वायु में उड़ेलने से हुए स्वतः दहन इंजनों में इस्तेमाल होता है। प्रति लीटर इसमें पेट्रोल के बराबर रासायनिक ऊर्जा होती है। इसके द्वारा चालित इंजनों में नाट्रोजन आक्साईड तथा कालिख के कण अधिक होते हैं, जिसकी वजह से प्रदूषण को नियंत्रित करना मुश्किल होता है। इसलिए इसके स्थान पर जैविक पदार्थों से बने तेल, जिन्हें जैव डीज़ल कहा जाता है, का इस्तेमाल शुरु हुआ है। डीज़ल शब्द का इस्तेमाल इस विस्थापित तेल के लिए भी होता है। भारत में इस पर पेट्रोल के मुकाबले कम कर लिया जाता है जिसकी वजह से ये पेट्रोल से सस्ता होता है। इसके विपरीत कई देशों में इसके इस्तेमाल को कम करने के उद्देश्य से अधिक कर लगाया जाता है। .

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तुर्की

तुर्की (तुर्क भाषा: Türkiye उच्चारण: तुर्किया) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये दुनिया का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है। ये एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसके एशियाई हिस्से को अनातोलिया और यूरोपीय हिस्से को थ्रेस कहते हैं। स्थिति: 39 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 36 डिग्री पूर्वी देशान्तर। इसका कुछ भाग यूरोप में तथा अधिकांश भाग एशिया में पड़ता है अत: इसे यूरोप एवं एशिया के बीच का 'पुल' कहा जाता है। इजीयन सागर (Aegean sea) के पतले जलखंड के बीच में आ जाने से इस पुल के दो भाग हो जाते हैं, जिन्हें साधारणतया यूरोपीय टर्की तथा एशियाई टर्की कहते हैं। टर्की के ये दोनों भाग बॉसपोरस के जलडमरूमध्य, मारमारा सागर तथा डारडनेल्ज द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं। टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बुल्गारिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं। यूरोपीय टर्की - त्रिभुजाकर प्रायद्वीपी प्रदेश है जिसका शीर्षक पूर्व में बॉसपोरस के मुहाने पर है। उसके उत्तर तथा दक्षिण दोनों ओर पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई हैं। मध्य में निचला मैदान मिलता है जिसमें होकर मारीत्सा और इरजिन नदियाँ बहती हैं। इसी भाग से होकर इस्तैस्म्यूल का संबंध पश्चिमी देशों से है। एशियाई टर्की - इसको हम तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं: 1.

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तैल शेल

उत्तरी एस्टोनिया में तैल शेल तैल-शेल या तेलमय शेल (Oil shale या kerogen shale) एक प्रकार की अवसादी शैल है जिससे शेल तैल नामक द्रव हाइड्रोकार्बन निकाली जाती है। तैल शेल जैव तत्त्वों से भरपूर, महीन दाने वाली अवसादी शैलें होतीं हैं। ध्यातव्य है कि शेल तैल परम्परागत क्रूड तेल (पेट्रोलियम) का विकल्प है। किन्तु इसका उत्पादन अभी भी अपेक्षाकृत बहुत महंगा पड़ता है। तैल शेल विश्व के विभिन्न भागों में पाये जाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में इसके भारी भण्डार हैं। श्रेणी:अवसादी शैल.

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तेल रिसाव

तेल रिसाव के बाद एक समुद्र तट तिमोर सागर में मोंटारा तेल रिसाव से ऑइल स्लिक, सितंबर, 2009. तेल रिसाव मानवीय गतिविधियों के कारण तरल पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन का पर्यावरण में मुक्त होना है तथा यह एक प्रकार का प्रदूषण है। इस शब्द का उपयोग अक्सर समुद्री तेल रिसाव के लिए किया जाता है, जहां तेल समुद्र में अथवा तटीय जल में मुक्त होता है। तेल रिसाव में कच्चे तेल का टैंकर से, अपतटीय प्लेटफार्म से, खुदाई उपकरणों से तथा कुओं से रिसाव, इसके साथ ही परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों (जैसे गैलोलिन, डीजल) तथा उनके उप-उत्पादों का रिसाव और बड़े जहाजों में प्रयुक्त होने वाले भारी ईंधन जैसे बंकर ईंधन का रिसाव या किसी तैलीय अवशिष्ट का या अपशिष्ट तेल का रिसाव शामिल है। रिसाव को साफ करने में महीनों या सालों लग सकते हैं। प्राकृतिक तेल रिसाव से भी तेल समुद्री पर्यावरण में प्रवेश करता है। सार्वजनिक ध्यान और विनियमन की वजह से गहरे समुद्र में तेल टैंकरों की ओर तेजी से ध्यान केंद्रित हो रहा है। .

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तेल शोधनागार

तेल शोधनागार या तेल रिफाइनरी एक औद्योगिक कारख़ाना है जहां शिलारस (कच्चा तेल) को बदल दिया जाता है और पेट्रोलियम नेफ्था, पेट्रोल, डीज़ल, केरोसीन, द्रवित पेट्रोलियम गैस, जेट ईंधन और ईंधन तेल जैसे अधिक उपयोगी उत्पादों में परिष्कृत किया जाता है। कुल क्षमता के अनुसार, जामनगर, गुजरात स्थित जामनगर तेल शोधनागार दुनिया का सबसे बड़ा शोधनागार है। .

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दक्षिण अमेरिका

दक्षिण अमेरिका (स्पेनी: América del Sur; पुर्तगाली: América do Sul) उत्तर अमेरिका के दक्षिण पूर्व में स्थित पश्चिमी गोलार्द्ध का एक महाद्वीप है। दक्षिणी अमेरिका उत्तर में १३० उत्तरी अक्षांश (गैलिनस अन्तरीप) से दक्षिण में ५६० दक्षिणी अक्षांश (हार्न अन्तरीप) तक एवं पूर्व में ३५० पश्चिमी देशान्तर (रेशिको अन्तरीप) से पश्चिम में ८१० पश्चिमी देशान्तर (पारिना अन्तरीप) तक विस्तृत है। इसके उत्तर में कैरीबियन सागर तथा पनामा नहर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व में अन्ध महासागर, पश्चिम में प्रशान्त महासागर तथा दक्षिण में अण्टार्कटिक महासागर स्थित हैं। भूमध्य रेखा इस महाद्वीप के उत्तरी भाग से एवं मकर रेखा मध्य से गुजरती है जिसके कारण इसका अधिकांश भाग उष्ण कटिबन्ध में पड़ता है। दक्षिणी अमेरिका की उत्तर से दक्षिण लम्बाई लगभग ७,२०० किलोमीटर तथा पश्चिम से पूर्व चौड़ाई ५,१२० किलोमीटर है। विश्व का यह चौथा बड़ा महाद्वीप है, जो आकार में भारत से लगभग ६ गुना बड़ा है। पनामा नहर इसे पनामा भूडमरुमध्य पर उत्तरी अमरीका महाद्वीप से अलग करती है। किंतु पनामा देश उत्तरी अमरीका में आता है। ३२,००० किलोमीटर लम्बे समुद्रतट वाले इस महाद्वीप का समुद्री किनारा सीधा एवं सपाट है, तट पर द्वीप, प्रायद्वीप तथा खाड़ियाँ कम हैं जिससे अच्छे बन्दरगाहों का अभाव है। खनिज तथा प्राकृतिक सम्पदा में धनी यह महाद्वीप गर्म एवं नम जलवायु, पर्वतों, पठारों घने जंगलों तथा मरुस्थलों की उपस्थिति के कारण विकसित नहीं हो सका है। यहाँ विश्व की सबसे लम्बी पर्वत-श्रेणी एण्डीज पर्वतमाला एवं सबसे ऊँची टीटीकाका झील हैं। भूमध्यरेखा के समीप पेरू देश में चिम्बोरेजो तथा कोटोपैक्सी नामक विश्व के सबसे ऊँचे ज्वालामुखी पर्वत हैं जो लगभग ६,०९६ मीटर ऊँचे हैं। अमेजन, ओरीनिको, रियो डि ला प्लाटा यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। दक्षिण अमेरिका की अन्य नदियाँ ब्राज़ील की साओ फ्रांसिस्को, कोलम्बिया की मैगडालेना तथा अर्जेण्टाइना की रायो कोलोरेडो हैं। इस महाद्वीप में ब्राज़ील, अर्जेंटीना, चिली, उरुग्वे, पैराग्वे, बोलिविया, पेरू, ईक्वाडोर, कोलोंबिया, वेनेज़ुएला, गुयाना (ब्रिटिश, डच, फ्रेंच) और फ़ाकलैंड द्वीप-समूह आदि देश हैं। .

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द्रवघनत्वमापी

उत्पल-घनत्वमापी द्रवघनत्वमापी या उत्प्लव-घनत्वमापी या हाइड्रोमीटर (Hydrometer) वह यंत्र है जिससे बिना किसी गणना के, द्रवों के घनत्व पढ़े जा सकते हैं। इन यंत्रों की ओर वैज्ञानिकों का ध्यान अत्यंत प्राचीन समय से था और इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि आर्किमीडीज़ (१८७- २१२ ई.पू.) को इनकी जानकारी थी। .

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परिवहन की विधि

परिवहन की विधि (या परिवहन के साधन या परिवहन प्रणाली या परिवहन का तरीका या परिवहन के रूप) वह शब्द हैं जो वस्तुत: परिवहन के अलग-अलग तरीकों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। सबसे प्रमुख परिवहन के साधन हैं हवाई परिवहन, रेल परिवहन सड़क परिवहन और जल परिवहन, लेकिन अन्य तरीके भी उपलब्ध हैं जिनमें पाइप लाइन, केबल परिवहन, अंतरिक्ष परिवहन और ऑफ-रोड परिवहन भी शामिल हैं। मानव संचालित परिवहन और पशु चालित परिवहन अपने तरीके का परिवहन है, लेकिन यह सामान्य रूप से अन्य श्रेणियों में आते हैं। सभी परिवहन में कुछ माल परिवहन के लिए उपयुक्त हैं और कुछ लोगों के परिवहन के लिए उपयुक्त हैं। प्रत्येक परिवहन की विधि को मौलिक रूप से विभिन्न तकनीकी समाधान और कुछ अलग वातावरण की आवश्यकता होती है। प्रत्येक विधी की अपनी बुनियादी सुविधाएं, वाहन, कार्य और अक्सर विभिन्न विनियमन हैं। जो परिवहन एक से अधिक मोड का उपयोग करते हैं उन्हें इंटरमोडल के रूप में वर्णित किया जा सकता है। .

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पायस (इमल्शन)

A. दो अमिश्रणीय तरल जिनका अभी पायसन नहीं बना है; B. प्रावस्था II, प्रावस्था I मे परिक्षेपित होने से बना पायसन; C. एक अस्थिर पायसन समय के साथ अलग होता है; D. पृष्ठसक्रियकारक (सरफैक्टेंट) (बैंगनी रेखा) खुद को प्रावस्था II और प्रावस्था I के मध्य लाकर पायसन को स्थायित्व प्रदान करता है। पायस (emulsion) दो या इससे अधिक अमिश्रणीय तरल पदार्थों से बना एक मिश्रण है। एक तरल (परिक्षेपण प्रावस्था) अन्य तरल (सतत प्रावस्था) में परिक्षेपित (फैलता) होता है। कई पायसन तेल/पानी के पायसन होते हैं, जिनमे आहार वसा प्रतिदिन प्रयोग मे आने वाले तेल का एक सामान्य उदाहरण है। पायसन के उदाहरण में शामिल हैं, मक्खन और मार्जरीन, दूध और क्रीम, फोटो फिल्म का प्रकाश संवेदी पक्ष, मैग्मा और धातु काटने मे काम आने वाले तरल। मक्खन और मार्जरीन, मे वसा पानी की बूंदों को चारो ओर से ढक लेता है (एक पानी में तेल पायसन)। दूध और क्रीम, मे पानी, वसा की बूंदों के चारों ओर रहता है (एक तेल में पानी पायसन)। मैग्मा के कुछ प्रकार में, तरल की गोलिकायें NiFe तरल सिलिकेट की एक सतत प्रावस्था के भीतर परिक्षेपित हो सकती हैं। पायसीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पायसन का निर्माण होता है। पायसन शब्द को तेल क्षेत्र में भी इस्तेमाल किया जाता है जैसे अपरिशोधित कच्चा तेल, तेल और पानी का मिश्रण होता है। श्रेणी:रासायनिक मिश्रण श्रेणी:कलिल श्रेणी:नरम पदार्थ.

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पाकिस्तान में परिवहन

पाकिस्तान परिवहन नेटवर्क कराची में एक व्यस्त चौराहा, अन्य प्रकार के परिवहन दिखाते हुए पाकिस्तान में परिवहन विस्तृत और विविध प्रकार के हैं लेकिन यह अभी भी विकास की प्रक्रिया में है और 170 मिलियन से भी अधिक व्यक्तियों को सेवा प्रदान कर रहा है।پاکِستان نقل و حمل नए हवाई अड्डों, सड़कों और रेलवे मार्गों के निर्माण के फलस्वरूप देश में रोजगारों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। पाकिस्तान का अधिकांश मार्ग तंत्र (राष्ट्रीय राजमार्ग) और रेलवे मार्ग तंत्र 1947 के पहले के बने हुए हैं, मुख्यतया ब्रिटिश राज के दौरान.

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प्रांगार चक्र

कार्बन चक्र आरेख. काली संख्याएं बिलियन टनों में सूचित करती हैं कि विभिन्न जलाशयों में कितना कार्बन संग्रहीत है ("GtC" से तात्पर्य कार्बन गिगाटन और आंकडे लगभग 2004 के हैं). गहरी नीली संख्याएं सूचित करती हैं कि प्रत्येक वर्ष कितना कार्बन जलाशयों के बीच संचालित होता है। इस चित्र में वर्णित रूप से अवसादों में कार्बोनेट चट्टान और किरोजेन के ~70 मिलियन GtC शामिल नहीं हैं। कार्बन चक्र जैव-भूरासायनिक चक्र है जिसके द्वारा कार्बन का जीवमंडल, मृदामंडल, भूमंडल, जलमंडल और पृथ्वी के वायुमंडल के साथ विनिमय होता है। यह पृथ्वी के सबसे महत्वपूर्ण चक्रों में एक है और जीवमंडल तथा उसके समस्त जीवों के साथ कार्बन के पुनर्नवीनीकरण और पुनरुपयोग को अनुमत करता है.

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प्लास्टिक पुनर्चक्रण

प्लास्टिक रीसाइक्लिंग रद्दी या बेकार प्लास्टिक उत्पादों को पुनः प्राप्त करने तथा इस सामग्री को फिर से ऐसे उपयोगी उत्पादों में बदलने की प्रक्रिया है, जो कई बार अपनी मूल अवस्था से बिलकुल अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, शीतल पेय पदार्थ की प्लास्टिक की बोतलों को पिघला कर उन्हें प्लास्टिक की कुर्सियों या मेजों के रूप में ढाला जा सकता है। आमतौर पर एक प्लास्टिक का पुनर्नवीनीकरण (रीसाइक्लिंग) समान प्रकार के प्लास्टिक में नहीं किया जाता और पुनर्नवीनीकरण (रीसाइक्लिंग) प्रक्रिया से प्राप्त प्लास्टिक से बने उत्पाद फिर से रीसाइक्लिंग के योग्य नहीं होते.

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पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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पैराफिन

पैराफिन में रखा हुआ सोडियम रसायन विज्ञान में, पैराफिन शब्द का प्रयोग एल्केन के पर्याय के रूप में कर सकते हैं। वस्तुत: ये CnH2n+2 सामान्य सूत्र वाले हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण है। पैराफिन मोम से मतलब एल्केनों के ऐसे मिश्रण से है जिसमें 20 ≤ n ≤ 40 होता है तथा ये कमरे के ताप पर ठोस अवस्था में होते हैं किन्तु लगभग 37 °C के उपर जाने पर द्रवित होने लगते हैं। .

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पेट्रोल

जार में गैसोलीन गैसोलीन या पेट्रोल एक पेट्रोलियम से प्राप्त/व्युत्पन्न तरल-मिश्रण है। इसे प्राथमिकता से अन्तर्दहन इंजन में ईंधन के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसे एसीटोन की तरह एक शक्तिशाली घुलनशील द्रव्य की तरह भी प्रयोग किया जाता है। इसमें कई एलिफैटिक हाइड्रोकार्बन होते हैं, जिसके संग आइसो-आक्टेन या एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसे टॉलुईन और बेन्ज़ीन भी मिलाये जाते हैं, जिससे इसकी ऑक्टेन क्षमता (ऊर्जा) बढ़ जाये। इसका वाष्पदहन तापमान शून्य से 62 डिग्री (सेल्सियस) कम होता है, यानि सामान्य तापमान पर इसका वाष्प दहनशील होता है। इसी वजह से इसे अत्यंत दहनशील पदार्थों की श्रेणी में रखा जाता है। भारत में इसपर डीज़ल के मुकाबले अधिक कर लगाया जाता है जिससे यह थोड़ा महंगा होता है। कई ठंडे देशों में इसको प्राथमिकता से प्रयोग में लाया जाता है क्योंकि बहुत कम तापमान में इसकी ज्वलनशीलता बाक़ी ईंधनों के मुकाबले अधिक होती है। .

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पेट्रोलियम निष्कर्षण

धरती पर स्थित पेट्रोलियम कुओं की योजना (1) प्लेटफॉर्म (2) ऊपरी चट्टान (3) पेट्रोलियम कूप (4) शैल पेट्रोलागार पेट्रोलियम निष्कर्षण (extraction of petroleum) से तात्पर्य धरती के अन्दर से उपयोगी पेट्रोलियम निकालने की प्रक्रिया से है। .

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पेट्रोलियम उत्पाद

ग्रेंगमोउथ, स्कॉटलैंड में एक पेट्रोकेमिकल्स रिफाइनरी. पेट्रोलियम उत्पाद, तेल रिफाइनरियों में संसाधित कच्चे तेल (पेट्रोलियम) से प्राप्त होने वाली उपयोगी सामग्रियों को कहते हैं। कच्चे तेल की संरचना और मांग के अनुसार रिफाइनरियां पेट्रोलियम उत्पादों को विभिन्न मात्राओं में उत्पादित कर सकती हैं। तेल उत्पादों का सबसे अधिक मात्रा में उर्जा वाहकों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि इंधन तेल तथा गैसोलीन (पेट्रोल) के विभिन्न प्रकार.

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पेट्रोलियम उत्पादक देशों की सूची

तेल उत्पादक देश इस सूची में उन देशों एवं उनके प्रान्तों/राज्यों की सूची दी गयी है जो तेल के कुओं से कच्चा तेल (crude oil) निकालते हैं। .

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फोरामिनिफेरा

जीवित अमोनियाटेपिडा फोरामिनिफेरा (Foraminifera; /fəˌræməˈnɪfərə/ लैटिन अर्थ- hole bearers, informally called "forams")) अथवा पेट्रोलियम उद्योग का तेल मत्कुण (oil bug), प्रोटोज़ोआ संघ के वर्ग सार्कोडिन के उपवर्ग राइज़ोपोडा का एक गण है। इस गण के अधिकांश प्राणी प्राय: सभी महासागरों और समुद्र में सभी गहराइयों में पाए जाते हैं। इस गण की कुछ जातियाँ अलवण जल में और बहुत कम जातियाँ नम मिट्टी में पाई जाती हैं। अधिकांश फ़ोरैमिनाफ़ेरा के शरीर पर एक आवरण होता है, जिसे चोल या कवच (test or shell) कहते हैं। ये कवच कैल्सीभूत, सिलिकामय, जिलेटिनी अथवा काइटिनी (chitinous) होते हैं, या बालू के कणों, स्पंज कंटिकाओं (spongespicules), त्यक्त कवचों, या अन्य मलवों (debris) के बने होते हैं। कवच का व्यास.०१ मिमी. से लेकर १९० मिमी. तक होता है तथा वे गेंदाकार, अंडाकार, शंक्वाकार, नलीदार, सर्पिल (spiral), या अन्य आकार के होते हैं। कवच के अंदर जीवद्रव्यी पिंड (protoplasmic mass) होता है, जिसमें एक या अनेक केंद्रक होते हैं। कवच एककोष्ठी (unilocular or monothalamus), अथवा श्रेणीबद्ध बहुकोष्ठी (multilocular or polythalmus) और किसी किसी में द्विरूपी (dimorphic) होते हैं। कवच में अनेक सक्षम रध्रों के अतिरिक्त बड़े रंध्र, जिन्हें फ़ोरैमिना (Foramina) कहते हैं, पाए जाते हैं। इन्हीं फोरैमिना के कारण इस गण का नाम फ़ोरैमिनीफ़ेरा (Foraminifera) पड़ा है। फ़ोरैमिनीफ़ेरा प्राणी की जीवित अवस्था में फ़ोरैमिना से होकर लंबे धागे के सदृश पतले और बहुत ही कोमल पादाभ (pseudopoda), जो कभी कभी शाखावत और प्राय: जाल या झिल्ली (web) के समान उलझे होते हैं, बाहर निकलते हैं। वेलापवर्ती (pelagic) फ़ोरैमिनीफ़ेरा के कवच समुद्रतल में जाकर एकत्र हो जाते हैं और हरितकीचड़ की परत, जिसे सिंधुपंक (ooze) कहते हैं, बन जाती है। वर्तमान समुद्री तल का ४,८०,००,००० वर्ग मील क्षेत्र सिंधुपंक से आच्छादित है। बाली द्वीप के सानोर (Sanoer) नामक स्थान में बड़े किस्म के फ़ोरैमिनीफ़ेरा के कवच पगडंडियों और सड़कों पर बिछाने के काम आते हैं। .

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बचाव (वित्त)

वित्त में बचाव, किसी व्यक्ति के ऋण जोखिम को कम करने के उद्देश्य से बाज़ार में स्थापित एक ऐसी स्थिति है, जो अवांछित जोखिम के प्रति, अन्य बाज़ार की किसी प्रतिकूल स्थिति में मूल्यों के उतार-चढ़ाव के मामले में, ऋण जोखिम के प्रति-संतुलन का प्रयास है। इसे हासिल करने के लिए बीमा पॉलिसी, वायदा संविदा, विनिमय, विकल्प संविदा, काउंटर पर कई तरह से शेयरों की ख़रीद-बिक्री और व्युत्पन्न उत्पाद और संभवतः सबसे लोकप्रिय भावी संविदाएं जैसे कई विशिष्ट वित्तीय साधन मौजूद हैं। 1800 के दशक में कृषि पण्य क़ीमतों में पारदर्शी, मानक और कुशल बचाव-व्यवस्था को अनुमत करने के लिए सार्वजनिक वायदा सट्टा बाज़ार स्थापित किए गए; अब इनमें ऊर्जा, बहुमूल्य धातु, विदेशी-मुद्रा के मूल्यों, तथा ब्याज दर उतार-चढ़ाव के लिए बचाव-व्यवस्था हेतु भावी संविदाओं को शामिल करने के लिए, इन्हें विस्तृत किया गया। .

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बायेल्सा राज्य

बायेल्सा (Bayelsa) पश्चिमी अफ़्रीका में स्थित नाइजीरिया देश का एक राज्य है। यह देश के दक्षिणी भाग में स्थित है। राज्य में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के खनिज भारी मात्रा में मौजूद हैं। अधिकांश लोग ईसाई हैं। .

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बैरल (इकाई)

बैरल मात्रा (वॉल्यूम) की कई इकाइयों में से एक है जिसमें ड्राई बैरल, फ्लूइड बैरल (यूके बीयर बैरल, यू.एस. बीयर बैरल), ऑयल बैरल आदि शामिल हैं। कुछ बैरल इकाइयों की मात्रा दूसरों से दुगनी होती है और कई मात्राएँ लगभग की रेंज में होती हैं। .

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बेल्जियम

किंगडम ऑफ़ बेल्जियम उत्तर-पश्चिमी यूरोप में एक देश है। यह यूरोपीय संघ का संस्थापक सदस्य है और उसके मुख्यालय का मेज़बान है, साथ ही, अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों का, जिसमें NATO भी शामिल है। 10.7 मीलियन की जनसंख्या वाले बेल्जियम का क्षेत्रफल है। जर्मनिक और लैटिन यूरोप के मध्य अपनी सांस्कृतिक सीमा को विस्तृत किये हुए बेल्जियम, दो मुख्य भाषाई समूहों, फ्लेमिश और फ्रेंच-भाषी, मुख्यतः वलून्स सहित जर्मन भाषियों के एक छोटे समूह का आवास है। बेल्जियम के दो सबसे बड़े क्षेत्र हैं, उत्तर में 59% जनसंख्या सहित फ्लेंडर्स का डच भाषी क्षेत्र और वालोनिया का फ्रेंच भाषी दक्षिणी क्षेत्र, जहाँ 31% लोग बसे हैं। ब्रुसेल्स-राजधानी क्षेत्र, जो आधिकारिक तौर पर द्विभाषी है, मुख्यतः फ्लेमिश क्षेत्र के अंतर्गत एक फ्रेंच भाषी एन्क्लेव है और यहाँ 10% जनसंख्या बसी है। * * * * पूर्वी वालोनिया में एक छोटा जर्मन भाषी समुदाय मौजूद है। मूल (पहले ही) 71,500 निवासियों के बजाय 73,000 का उल्लेख करता है। बेल्जियम की भाषाई विविधता और संबंधित राजनीतिक तथा सांस्कृतिक संघर्ष, राजनीतिक इतिहास और एक जटिल शासन प्रणाली में प्रतिबिंबित होता है। बेल्जियम नाम, गॉल के उत्तरी भाग में एक रोमन प्रान्त, गैलिया बेल्जिका से लिया गया है, जो केल्टिक और जर्मन लोगों के एक मिश्रण बेल्जी का निवास स्थान था। ऐतिहासिक रूप से, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्ज़मबर्ग, निचले देश के रूप में जाने जाते थे, जो राज्यों के मौजूदा बेनेलक्स समूह की तुलना में अपेक्षाकृत कुछ बड़े क्षेत्र को आवृत किया करते थे। मध्य युग की समाप्ति से लेकर 17 वीं सदी तक, यह वाणिज्य और संस्कृति का एक समृद्ध केन्द्र था। 16वीं शताब्दी से लेकर 1830 में बेल्जियम की क्रांति तक, यूरोपीय शक्तियों के बीच बेल्जियम के क्षेत्र में कई लड़ाइयाँ लड़ी गईं, जिससे इसे यूरोप के युद्ध मैदान का तमगा मिला - एक छवि जिसे दोनों विश्व युद्ध ने और पुष्ट किया। अपनी स्वतंत्रता पर, बेल्जियम ने उत्सुकता के साथ औद्योगिक क्रांति में भाग लिया और उन्नीसवीं सदी के अंत में, अफ्रीका में कई उपनिवेशों पर अधिकार जमाया। 20वीं सदी के उत्तरार्ध को फ्लेमिंग्स और फ्रैंकोफ़ोन के बीच साँप्रदायिक संघर्ष की वृद्धि के लिए जाना जाता है, जिसे एक तरफ तो सांस्कृतिक मतभेद ने भड़काया, तो दूसरी तरफ फ्लेनडर्स और वालोनिया के विषम आर्थिक विकास ने. अब भी सक्रिय इन संघर्षों ने पूर्व में एक एकात्मक राज्य बेल्जियम को संघीय राज्य बनाने के दूरगामी सुधारों को प्रेरित किया। .

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बेंजीन

बेंजीन के विभिन्न प्रकार के निरूपण बेंज़ीन या धूपेन्य एक हाइड्रोकार्बन है जिसका अणुसूत्र C6H6 है। बेंजीन का अणु ६ कार्बन परमाणुओं से बना होता है जो एक छल्ले की तरह जुड़े होते हैं तथा प्रत्येक कार्बन परमाणु से एक हाइड्रोजन परमाणु जुड़ा होता है। बेंजीन, पेट्रोलियम (क्रूड ऑयल) में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। कोयले के शुष्क आसवन से अलकतरा तथा अलकतरे के प्रभाजी आसवन (fractional distillation) से बेंजीन बड़ी मात्रा में तैयार होता है। प्रदीपन गैस से प्राप्त तेल से फैराडे ने 1825 ई. में सर्वप्रथम इसे प्राप्त किया था। मिटशरले ने 1834 ई. में बेंज़ोइक अम्ल से इसे प्राप्त किया और इसका नाम बेंजीन रखा। अलकतरे में इसकी उपस्थिति का पता पहले पहल 1845 ई. में हॉफमैन (Hoffmann) ने लगाया था। जर्मनी में बेंजीन को 'बेंज़ोल' कहते हैं। बेंजीन रंगहीन, मीठी गन्थ वाला, अत्यन्त ज्वलनशील द्रव है। इसका उपयोग एथिलबेंजीन्न और क्यूमीन (cumene) आदि भारी मात्रा में उत्पादित रसायनों के निर्माण में होता है। चूँकि बेंजीन का ऑक्टेन संख्या अधिक होती है, इसलिये पेट्रोल में कुछ प्रतिशत तक यह मिलाया गया होता है। यह कैंसरजन है जिसके कारण इसका गैर-औद्योगिक उपयोग कम ही होता है। .

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बोलिविया

बोलीविया (/bəlɪviə/; स्पेनिश:बोलीविया; अंग्रेजी: Bolivia), जिसे आधिकारिक तौर पर बोलीविया बहुराष्ट्रीय देश के रूप में जाना जाता है, पश्चिमी-मध्य दक्षिण अमेरिका में स्थित एक स्थलरुद्ध देश है। इसकी राजधानी सूक्रे है जबकि सरकारी परिसर ला पाज में स्थित है। सबसे बड़ा शहर और प्रमुख आर्थिक और वित्तीय केंद्र सांता क्रूज़ डी ला सिएरा है, जो ल्लोनोस ओरिएंटलस (उष्णकटिबंधीय निचले इलाकों) पर स्थित है, जो बोलीविया के पूर्व में स्थित अधिकांश सपाट क्षेत्र है। यह संवैधानिक रूप से एकतापूर्ण राज्य है, जो नौ प्रांतों में विभाजित है। इसकी भूगोल पश्चिम में एंडीज़ की चोटी से, पूर्वी निचले इलाके में, अमेज़ॅन बेसिन के भीतर स्थित है। यह उत्तर और पूर्व में ब्राजील द्वारा, दक्षिण-पूर्व में पैराग्वे द्वारा, दक्षिण में अर्जेंटीना द्वारा, दक्षिण-पश्चिम में चिली द्वारा और उत्तर-पश्चिम में पेरू द्वारा सीमाबद्ध है। देश का एक-तिहाई हिस्सा एंडीज़ पर्वत श्रृंखला पर स्थित है।1,098,581 किमी2 (424,164 वर्ग मील) के क्षेत्रफल के साथ, बोलीविया दक्षिण अमेरिका का 5वाँ सबसे बड़ा देश और दुनिया का 27वाँ सबसे बड़ा देश है। 1.1 करोड़ की अनुमानित देश की आबादी, बहु जातिय है, जिसमें इंडियन, मेस्टिज़ो, युरोपीयन, एशियाई और अफ्रीकी शामिल हैं। स्पेनिश उपनिवेशवाद से उत्पन्न नस्लीय और सामाजिक अलगाव आधुनिक युग तक जारी है। स्पेनिश आधिकारिक और प्रमुख भाषा है, हालांकि 36 स्वदेशी भाषाओं को भी आधिकारिक स्थिति प्राप्त है, जिनमें से सबसे अधिक बोली जाने वाली गुआरानी, ​​आयमारा और क्वेचुआ भाषाएं हैं। स्पेनिश उपनिवेशीकरण से पहले, बोलीविया का पर्वतीय क्षेत्र इंका साम्राज्य का हिस्सा था, जबकि उत्तरी और पूर्वी निचले इलाकों में स्वतंत्र जनजातियों का निवास था। कुज़्को और असुन्सियोन से आये स्पेनिश विजयविदों ने 16वीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया। स्पेनिश औपनिवेशिक काल के दौरान बोलीविया को चार्कास के शाही दरबार द्वारा प्रशासित किया जाता था। स्पेन ने बोलीविया की खानों से निकाले गए चांदी पर अपने साम्राज्य का एक बड़ा हिस्सा बनाया। 1809 में आजादी के लिए पहली बार आवाहन के बाद, 16 साल तक चले युद्ध के बाद गणतंत्र की स्थापना की गई, और इसे सिमोन बोलिवर नाम दिया गया। 19वीं और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में बोलिविया ने पड़ोसी देशों को कई परिधीय क्षेत्रों पर नियंत्रण खो दिया, जिसमें 1879 में चिली द्वारा अपनी तटरेखा का कब्जा शामिल है। 1971 तक बोलिविया अपेक्षाकृत राजनीतिक रूप से स्थिर रहा, इसके बाद ह्यूगो बेंजर ने तख्ता पलट कर जुआन जोसे टोरेस की अस्थिर सरकार को गिरा कर सैन्य तानाशाही स्थापित की; 1976 में अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में टॉरेस की हत्या कर दी गई थी। राष्ट्रपति बेंजर ने देश की तेजी से आर्थिक विकास की अगुवाई की, जिसने देश को स्थिर करने का काम किया, हालांकि उनका शासन वामपंथी और समाजवादी विपक्षी और असंतोष के अन्य रूपों पर टूट गया, जिसके परिणामस्वरूप कई बोलीवियन नागरिकों को यातना और मौत के घाट उतरना पड़ा। 1978 में बेंजर को हटा दिया गया और बाद में 1997 से 2001 तक बोलिविया में लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित राष्ट्रपति का शासन लौट आया। 2006 से एवो मोरालेस देश के राष्ट्रपति है। आधुनिक बोलीविया संयुक्त राष्ट्र, आईएमएफ, एनएएम, ओएएस, एक्टो, बैंक ऑफ द साउथ, एएलबीए और यूएसएएन का प्रमुख सदस्य है। एक दशक से अधिक तक बोलीविया लैटिन अमेरिका में सबसे तेजी से आर्थिक विकास करने वाले देशों में से एक था, हालांकि यह दक्षिण अमेरिका के सबसे गरीब देशों में से एक बना हुआ है। यह एक विकासशील देश है, जिसकी मानव विकास सूचकांक में मध्यम श्रेणी है। यहाँ गरीबी का स्तर 38.6 प्रतिशत है, और यह लैटिन अमेरिका में सबसे कम अपराध दरों में से एक है। इसकी मुख्य आर्थिक गतिविधियों में कृषि, वानिकी, मछली पकड़ना, खनन, और कपड़ा, कपड़े, परिष्कृत धातुओं और परिष्कृत पेट्रोलियम जैसे विनिर्माण सामान शामिल हैं। बोलीविया खनिज, विशेष रूप से टिन में बहुत समृद्ध है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड एक फॉर्च्यून 500 कंपनी (२००८ में २८७ वें स्थान पर) है, जो भारत सरकार की तीसरी सबसे बडी़ एकीकृत तेल शोधन और विपणन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है। भारत पेट्रोलियम को सरकार द्वारा नवरत्न का दर्जा प्राप्त है। भारत मे इसका पेट्रोलियम उत्पादों के विपणन मे कुल हिस्सा --- % और तेल शोधन मे ---% है। .

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भारत में कोयला-खनन

भारत में कोयले का उत्पादन भारत में कोयले के खनन का इतिहास बहुत पुराना है। ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने १७७४ में दामोदर नदी के पश्चिमी किनारे पर रानीगंज में कोयले का वाणिज्यिक खनन आरम्भ किया। इसके बाद लगभग एक शताब्दी तक खनन का कार्य अपेक्षाकृत धीमी गति से चलता रहा क्योंकि कोयले की मांग बहुत कम थी। किन्तु १८५३ में भाप से चलने वाली गाड़ियों के आरम्भ होने से कोयले की मांग बढ़ गयी और खनन को प्रोत्साहन मिला। इसके बाद कोयले का उत्पादन लगभग १ मिलियन मेट्रिक टन प्रति वर्ष हो गया। १९वीं शताब्दी के अन्त तक भारत में उत्पादन 6.12 मिलियन टन वार्षिक हो गया। और १९२० तक १८ मिलियन मेट्रिक टन वार्षिक। प्रथम विश्वयुद्ध के समय उत्पादन में सहसा वृद्धि हुई किन्तु १९३० के आरम्भिक दशक में फिर से उत्पादन में कमी आ गयी। १९४२ तक उत्पादन २९ मिलियन मेट्रिक टन प्रतिवर्ष तथा १९४६ तक ३० मिलियन मेट्रिक टन हो गया। .

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भारत २०१०

इन्हें भी देखें 2014 भारत 2014 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2014 साहित्य संगीत कला 2014 खेल जगत 2014 .

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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवें स्थान पर है, जनसंख्या में इसका दूसरा स्थान है और केवल २.४% क्षेत्रफल के साथ भारत विश्व की जनसंख्या के १७% भाग को शरण प्रदान करता है। १९९१ से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जब से उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू की गयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया है। सुधारों से पूर्व मुख्य रूप से भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सरकारी नियंत्रण का बोलबाला था और सुधार लागू करने से पूर्व इसका जोरदार विरोध भी हुआ परंतु आर्थिक सुधारों के अच्छे परिणाम सामने आने से विरोध काफी हद तक कम हुआ है। हंलाकि मूलभूत ढाँचे में तेज प्रगति न होने से एक बड़ा तबका अब भी नाखुश है और एक बड़ा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहीं हुये हैं। .

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भूधाराएँ

भूपर्पटी में प्रवाहित विद्युत धाराओं को भू-धाराएँ (Earth Currents) कहते हैं। यह वह धारा है जो भूमि के अन्दर से या समुद्र से होकर बहती है। ये बहुत ही कम आवृत्ति की विद्युत-धाराएँ हैं जो धरती के तल या उसके आसपास बहुत बड़े क्षेत्रफल में प्रवाहित होतीं हैं। इनकी उत्पत्ति का कारण प्राकृतिक भी है और मानवीय क्रियाकलाप भी। भू-धाराओं को भूभौतिकीविद् स्थलमंडलीय धाराएँ (telluric currents) कहते हैं और हाल ही में पेट्रोलियम खोजने के क्षेत्र में इससे बहुत लाभ उठाया गया है। पेट्रोलियम तैलाशय की उच्च प्रतिरोधकता चट्टानों में इन धारानिकायों से उत्पन्न विभव प्रवणता के अध्ययन से, भूभौतिकीय अन्वेषण के लिये अत्यंत उपयोगी सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। अनुमानत: इसका प्रेरण उपरली धारा पद्धति (overhead current system) से होता है। सर्वप्रथम 1847 ई0 में इंग्लैंड में, सुविकसित तार प्रणाली (telegraphy) की सहायता से पर्पटी में परिवर्तनशील विद्युद्धाराओं का प्रेक्षण किया गया था। इससे अनेक अनुसंधानकर्ताओं को भू-धाराओं के अध्ययन की प्रेरणा मिली। .

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भूकम्पमापी

भूकम्पमापी के आन्तरिक भाग एक सरल भूकम्पमापी भूकंपमापी (Seismometer) भूगति के एक घटक को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विधि से अधिक यथार्थतापूर्वक अभिलिखित करने वाला उपकरण है। सुपरिचित प्राकृतिक भूकंपों, भूमिगत परमाणु परीक्षण एवं पेट्रोलियम अन्वेषण आदि में मनुष्यकृत विस्फोटों तथा तेज हवा, समुद्री तरंग, तेज मानसून एवं समुद्री क्षेत्र में तूफान या अवनमन आदि से उत्पन्न सूक्ष्मकंपों (microseism) के कारण भूगति उत्पन्न हो सकती है। उचित रीति से अनुस्थापित (oriented), क्षैतिज भूकंपमापी भूगति के पूर्व पश्चिम या उत्तर दक्षिण के घटक को अभिलिखित करता है और ऊर्ध्वाधर भूकंपमापी ऊर्ध्वाधर गति, अर्थात भूगति के ऊर्ध्वाधर घटक को अभिलिखित करता है। .

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मध्य पूर्व

मध्य पूर्व का राजनीतिक नक्शा मध्य पूर्व (या पूर्व में ज्यादा प्रचलित पूर्व के करीब (Near East)) दक्षिण पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्वी यूरोप और उत्तरी पूर्वी अफ़्रीका में विस्तारित क्षेत्र है। इसकी कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं है, अक्सर इस शब्द का प्रयोग पूर्व के पास (Near East) के एक पर्याय के रूप में प्रयोग किया जाता, ठीक सुदूर पूर्व (Far East) के विपरित। मध्य पूर्व शब्द का प्रचलन १९०० के आसपास के यूनाइटेड किंगडम में शुरू हुआ। .

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मिनीकॉनामी

मिनीकॉनामी (शाब्दिक अर्थ लघु अर्थव्यवस्था) (जिसे खिलाडियों द्वारा MC भी कहा जाता है), एक वेब ब्राउज़र आधारित, बहु-खिलाड़ी ऑनलाइन खेल है। मिनीकॉनामी एक व्यापार/अर्थव्यवस्था अनुकारक खेल जिस का उद्धगम और विकास नीदरलैंड में हुआ। खेल में 121 विभिन्न देशों के 60000 खिलाड़ी पंजिकृत हैं, जो इस खेल को अंग्रेज़ी और डच भाषाओं में खेलते हैं। मिनीकॉनामी अपने 64वें चक्र में है जो 2 मई 2009 को आरंभ हुआ। मिनीकॉनामी एक शुल्क मुक्त खेल है, परंतु कोई भी खिलाड़ी नाम मात्र का शुल्क दे कर विशिष्ट प्रीमियम सदस्य बन सकता है। यह प्रीमियम सदस्यता खिलाड़ीयों को कुछ अतिरिक्त सुविधायें देती है। प्रीमियम सदस्य कंपनीयों और निगमों की स्थापना कर सकते हैं। यह कंपनीयां बैंक, बंदरगाह, जहाज़रानी, वाहन निर्माण और टैक्सी जैसे क्षेत्रों में व्यापार कर सकती हैं। प्रीमियम सदस्य राजनैतिक संगठन बना सकते हैं, भावों को प्रगट करने के लिए स्माईली का प्रयोग कर सकते हैं। प्रीमियम सदस्य साधारण सदस्यों की तुलना में दोगुणा उत्पादन कर सकते हैं। जब प्रीमियम सदस्य घर बनाते हैं तो उन को घर में मिनीकॉनामी कंप्यूटर निशुल्क प्राप्त होता है। .

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मुंबई बंदरगाह

शहर के पूर्व बंदरगाह मुंबई बंदरगाह (मराठी: मुंबई बंदर), या फ्रंट बे, उल्हास नदी के दक्षिणी भाग का मुहाना है, जिसके उत्तरी (और संकरे) हिस्से को ठाणे कोल कहा जाता है। एलिफेंटा का ऐतिहासिक द्वीप इस बंदरगाह के अंतर्गत आने वाले छह द्वीपों में से एक है। यह मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (मुंबई पत्तन न्यास) का आवास-स्थल है, जो बंदरगाह के पश्चिमी छोर के दक्षिणी भाग में अवस्थित है। बंदरगाह का आधिकारिक नाम Front Bay (फ्रंट बे) है, यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि मुंबई, बंदरगाह की ओर मुंह किये एक छोटी-सी बस्ती के रूप में विकसित हुई थी। मूल व्यवस्थापन के पीछे का जलाधार, कोलाबा के द्वीप और बंबई द्वीप के बीच मालाबार हिल के उच्च अंतरीप या प्रायद्वीप तक एक वृत्त-खंड बनाता है, जिसे इसी तरह बैक बे कहा जाता है। जवाहर लाल नेहरू पोर्ट और नवी मुंबई (नई मुंबई) मुख्य भूमि के पूर्व में अवस्थित है और मुंबई शहर (पहले बम्बई) साल्सेट द्वीप के पश्चिम में बसी है। बंदरगाह अरब सागर के दक्षिण की ओर खुलता है। एलीफेंटा जाने के लिए अपनी जेट्टी (घाट) के साथ गेटवे ऑफ़ इंडिया, साथ ही साथ जिसके मार्ग में भारतीय नौसेना पोत विक्रांत का समुद्री संग्रहालय भी है, एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है। मुंबई उपनगरीय रेलवे प्रणाली की हार्बर लाइन बंदरगाह के पश्चिमी किनारे से होकर गुजरती है। .

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मैरीलैंड

मैरीलैंड राज्य एक अमेरिकी राज्य है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य अटलांटिक क्षेत्र में स्थि‍त है, यह वर्जीनिया, पश्चिम वर्जीनिया की सीमा से लगा है और इसके दक्षिण और पश्चिम में कोलंबिया जिला, इसके उत्तर में पेंसिल्वेनिया और पूर्व में डेलावेयर है। कुल क्षेत्र के मामले में मैरीलैंड यूरोप के बेल्जियम देश के समकक्ष है। अमेरिकी सेंसस ब्यूरो के अनुसार अन्य राज्यों की तुलना में मैरीलैंड की घरेलू औसत आय सबसे अधिक है, 2006 में इसने नई जर्सी को पीछे छोड़ दिया; मैरीलैंड की औसत घरेलू आय 2007 में 68,080 डॉलर थी। 2009 में, मैरीलैंड ने 2008 के अपने 70,545 डॉलर की सबसे अधिक औसत आय के कारण अमेरिकी राज्यों में तीसरी बार लगातार प्रथम स्थान प्राप्त किया। मैरीलैंड ऐसा सातवां राज्य है जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान को अंगीकार किया और इसके तीन उपनाम पड़े, ओल्ड लाइन स्टेट, फ्री स्टेट और चेसापिक बे स्टेट नाम का भी कभी-कभी इस्तेमाल होता है। मैरीलैंड जीवन विज्ञान अनुसंधान और विकास का एक गठजोड़ है, जहां 350 से अधिक जैव प्रौद्योगिकी कंपनियां स्थित हैं, जो संयुक्त राज्य में इस क्षेत्र में मैरीलैंड को तीसरा सबसे बड़ा गठजोड़ बनाती हैं। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, जॉन्स हॉपकिन्स एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी, यूनिवर्सिटी सिस्टम ऑफ मैरीलैंड एक से अधिक परिसर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी(NIST), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (NIMH), फेडरल फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA), हावर्ड हजेज मेडिकल इंस्टीट्यूट, केलेरा जीनोमिक्स कंपनी, ह्यूमन जीनोम साइंसेस (HGS), जे. क्रेग वेंटर इंस्टीट्यूट और हाल ही में अस्ट्रज़ेनेका द्वारा खरीदी गयी मेडीम्यून सहित अनुसंधान और विकास में दिलचस्पी रखने वाले संस्थान और एजेंसियां मैरीलैंड में स्थित हैं। .

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मोटरवाहन

कार्ल बेन्ज़'स "वेलो"मॉडल (1894) -सबसे पहले गाड़ियों के होड़ में आई right विश्व मानचित्र प्रति 1000 लोग गाड़ी, मोटरवाहन, कार, मोटरकार या ऑटोमोबाइल एक पहियों वाला वाहन है, जो यात्रियों के परिवहन के काम आता है; और जो अपना इंजन या मोटर भी स्वयं उठाता है। इस शब्द की अधिकांश परिभाषाओं के अनुसार मोटरवाहन मुख्य रूप से सड़कों पर चलाने के लिए हैं, एक से आठ लोगों कों बैठाने के लिए हैं, आमतौर पर जिनके चार पहिये होते हैं, जिनका निर्माण मुख्य रूप से सामान के उपेक्षा लोगों के परिवहन के लिए किया जाता है। मोटरकार शब्द का प्रयोग विद्युतिकृत रेल प्रणाली के सन्दर्भ में, एक ऐसी कार के लिए प्रयुक्त होता है, जो एक छोटा लोकोमोटिव होने के साथ ही, इसमे लोगों और सामान के लिए जगह भी होती है। ये लोकोमोटिव कार उपनगरीय मार्गों में अंतर्नगरीय रेल प्रणालियों में इस्तेमाल की जाती हैं। 2002 तक, 590 मिलियन यात्री करें दुनिया भर में थी (मोटे तौर पर एक कार प्रति ग्यारह लोग).

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रसायन विज्ञान

300pxरसायनशास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। इसका शाब्दिक विन्यास रस+अयन है जिसका शाब्दिक अर्थ रसों (द्रवों) का अध्ययन है। यह एक भौतिक विज्ञान है जिसमें पदार्थों के परमाणुओं, अणुओं, क्रिस्टलों (रवों) और रासायनिक प्रक्रिया के दौरान मुक्त हुए या प्रयुक्त हुए ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में रसायन विज्ञान रासायनिक पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन है। पदार्थों का संघटन परमाणु या उप-परमाण्विक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से हुआ है। रसायन विज्ञान को केंद्रीय विज्ञान या आधारभूत विज्ञान भी कहा जाता है क्योंकि यह दूसरे विज्ञानों जैसे, खगोलविज्ञान, भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, जीवविज्ञान और भूविज्ञान को जोड़ता है। .

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राष्ट्र संघ

राष्ट्र संघ (लंदन) पेरिस शांति सम्मेलन के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्ववर्ती के रूप में गठित एक अंतर्शासकीय संगठन था। 28 सितम्बर 1934 से 23 फ़रवरी 1935 तक अपने सबसे बड़े प्रसार के समय इसके सदस्यों की संख्या 58 थी। इसके प्रतिज्ञा-पत्र में जैसा कहा गया है, इसके प्राथमिक लक्ष्यों में सामूहिक सुरक्षा द्वारा युद्ध को रोकना, निःशस्त्रीकरण, तथा अंतर्राष्ट्रीय विवादों का बातचीत एवं मध्यस्थता द्वारा समाधान करना शामिल थे। इस तथा अन्य संबंधित संधियों में शामिल अन्य लक्ष्यों में श्रम दशाएं, मूल निवासियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार, मानव एवं दवाओं का अवैध व्यापार, शस्त्र व्यपार, वैश्विक स्वास्थ्य, युद्धबंदी तथा यूरोप में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा थे। संघ के पीछे कूटनीतिक दर्शन ने पूर्ववर्ती सौ साल के विचारों में एक बुनियादी बदलाव का प्रतिनिधित्व किया। चूंकि संघ के पास अपना कोई बल नहीं था, इसलिए इसे अपने किसी संकल्प का प्रवर्तन करने, संघ द्वारा आदेशित आर्थिक प्रतिबंध लगाने या आवश्यकता पड़ने पर संघ के उपयोग के लिए सेना प्रदान करने के लिए महाशक्तियों पर निर्भर रहना पड़ता था। हालांकि, वे अक्सर ऐसा करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। प्रतिबंधों से संघ के सदस्यों को हानि हो सकती थी, अतः वे उनका पालन करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। जब द्वित्तीय इटली-अबीसीनिया युद्ध के दौरान संघ ने इटली के सैनिकों पर रेडक्रॉस के मेडिकल तंबू को लक्ष्य बनाने का आरोप लगाया था, तो बेनिटो मुसोलिनी ने पलट कर जवाब दिया था कि “संघ तभी तक अच्छा है जब गोरैया चिल्लाती हैं, लेकिन जब चीलें झगड़ती हैं तो संघ बिलकुल भी अच्छा नहीं है”.

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रासायनिक इंजीनियरी

प्रक्रम अभियन्ता (Process engineers) संयंत्रों की डिजाइन करते हैं, निर्माण करते हैं और इन्हें चलाते हैं। रासायनिक अभियान्त्रिकी (en:Chemical Engineering) रसायन शास्त्र, भौतिकी, अर्थशास्त्र वगैरह और उनके सिद्धान्तों को औद्योगिक उपयोगों में प्रयुक्त कराने वाला विज्ञान या व्यवसाय है। इसका मुख्य हिस्सा प्रक्रम अभियान्त्रिकी कहलाता है, जिसमें भारी मात्रा में निर्मित रसायनों को औद्योगिक स्तर पर सहज तरीके से बनाने का अध्ययन किया जाता है। लेकिन आज रासायनिक अभियान्त्रिकी सिर्फ़ इसी तक सीमित नहीं है। आज रासायनिक अभियन्ता जैवप्रौद्योगिकी (जेनेटिक्स, ख़मीरीकरण आदि) विषयों पर काम और शोध करते हैं और विमान, अन्तरिक्ष यान, खाद्य पदार्थ, जैवमेडिकल संयन्त्र, सिलिकॉन तकनीकी.

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रियाउ

रियाउ दक्षिणपूर्व एशिया के इण्डोनेशिया देश के सुमात्रा द्वीप पर स्थित एक प्रान्त है। यह सुमात्रा के मध्य-पूर्वी तट पर स्थित है। रियाउ पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, रबड़ और अन्य सम्पदाओं से भरपूर होने के कारण देश के सबसे समृद्ध प्रान्तों में से एक है। .

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रिलायन्स इण्डस्ट्रीज

रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड.

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लीबिया

लीबिया (ليبيا.), आधिकारिक तौर पर 'महान समाजवादी जनवादी लिबियाई अरब जम्हूरिया' (الجماهيرية العربية الليبية الشعبية الإشتراكية العظمى.‎ Al-Jamāhīriyyah al-ʿArabiyyah al-Lībiyyah aš-Šaʿbiyyah al-Ištirākiyyah al-ʿUẓmā), उत्तरी अफ़्रीका में स्थित एक देश है। इसकी सीमाएं उत्तर में भूमध्य सागर, पूर्व में मिस्र, उत्तरपूर्व में सूडान, दक्षिण में चाड व नाइजर और पश्चिम में अल्जीरिया और ट्यूनीशिया से मिलती है। करीबन १,८००,०० वर्ग किमी (६९४,९८४ वर्ग मील) क्षेत्रफल वाला यह देश, जिसका ९० प्रतिशत हिस्सा मरुस्थल है, अफ़्रीका का चौथा और दुनिया का १७ वां बड़ा देश है। देश की ५७ लाख की आबादी में से १७ लाख राजधानी त्रिपोली में निवास करती है। सकल घरेलू उत्पाद के लिहाज से यह इक्वीटोरियल गिनी के बाद अफ्रीका का दूसरा समृद्ध देश है। इसके पीछे मुख्य कारण विपुल तेल भंडार और कम जनसंख्या है। लीबिया १९५१ मे आजाद हुआ था एवं इस्क नाम 'युनाइटेड लीबियन किंगडम' (United Libyan Kingdom) रखा गया। जिसका नाम १९६३ मे 'किंगडम ऑफ लीबिया' (Kingdom of Libya) हो गया। १९६९ के तख्ता-पलट के बाद इस देश का नाम 'लिबियन अरब रिपब्लिक' रखा गया। १९७७ में इसका नाम बदलकर 'महान समाजवादी जनवादी लिबियाई अरब जम्हूरिया' रख दिया गया। .

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शैल

कलराडो स्प्रिंग्स कंपनी का गार्डेन ऑफ् गॉड्स में स्थित ''संतुलित शैल'' कोस्टा रिका के ओरोसी के निकट की चट्टानें पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों का सम्मिश्रण हैं। चट्टान कई बार केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है, किन्तु सामान्यतः यह दो या अधिक खनिजों का योग होती हैं। पृथ्वी की पपड़ी या भू-पृष्ठ का निर्माण लगभग २,००० खनिजों से हुआ है, परन्तु मुख्य रूप से केवल २० खनिज ही भू-पटल निर्माण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भू-पटल की संरचना में ऑक्सीजन ४६.६%, सिलिकन २७.७%, एल्यूमिनियम ८.१ %, लोहा ५%, कैल्सियम ३.६%, सोडियम २.८%, पौटैशियम २.६% तथा मैग्नेशियम २.१% भाग का निर्माण करते हैं। .

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शैल-रसायन

सउदी अरब का एक शैल-रसायन कारखाना पेट्रोलियम से व्युत्पन्न रासायनिक उत्पादों को शैल-रसायन (Petrochemicals या petroleum distillates) कहते हैं। कुछ ऐसे भी पदार्थ हैं जो पेट्रोलियम से भी व्युत्पन्न किये जा सकते है तथा कोयला, प्राकृतिक गैस, मक्का, गन्ना आदि से भी। शैल रसायन के दो मुख्य प्रकार हैं-.

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शेवरॉन कॉर्पोरेशन

"बिग ऑइल" नाम से मशहूर प्रमुख ऊर्जा कंपनियों के चार्ट, नवीनतम प्रकाशित राजस्व के अनुसार अनुक्रमित कैलिफोर्निया के सैन रेमोन स्थित शेवरॉन मुख्यालय परिसर का प्रवेश द्वार विशाल शेवरॉन मुख्यालय परिसर का एक दृश्य शेवरॉन के पूर्व ट्रेडमार्क की रक्षा के शेवरॉन के "स्टेंडर्ड" नामक ब्रांड नाम से मशहूर 16 शेवरॉन के स्टेशनों में से एक; यह लास वेगास, नेवादा में स्थित है शेवरॉन कॉरपोरेशन एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय ऊर्जा निगम है। इसका मुख्यालय कैलिफोर्निया के सैन रमोन में है और यह 180 से अधिक देशों में सक्रिय है। यह तेल, गैस और भूतापीय ऊर्जा उद्योगों के प्रत्येक पहलू में कार्यरत है जिसमें अन्वेषण और उत्पादन; शोधन, विपणन और परिवहन; रसायन निर्माण एवं बिक्री; और शक्ति उत्पादन भी शामिल है। शेवरॉन दुनिया की छह "सुपरमेजर (अति विशाल)" तेल कंपनियों में से एक है। पिछले पांच साल से शेवरॉन को लगातार फॉर्च्यून 500 द्वारा अमेरिका की 5 सबसे बड़ी कंपनियों में से एक के रूप में श्रेणित किया जाता रहा है। .

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संधारणीय ऊर्जा

संधारणीय ऊर्जा (सस्टेनेबल इनर्जी), ऊर्जा के उस प्रावधान को कहते हैं जो भावी पीढ़ियों की ऊर्जा आवश्यकताओं से समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करती है। अक्षय ऊर्जा स्रोतों में अक्सर सभी नवीकरणीय स्रोत शामिल होते हैं, जैसे वनस्पति पदार्थ, सौर शक्ति, पवन शक्ति, भू-ऊष्मा शक्ति, तरंग शक्ति और ज्वार द्वारा उत्पन्न शक्ति.

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संपीडित वायु कार

टटा/एमडीआई की वनकैट (OneCAT) संपीडित वायु से चलने वाली कार है। संपीडित वायु कार (कम्प्रेस्ड एयर कार) वह कार है जिसका इंजन पेट्रोलियम के बाजाय संपीडित वायु से चलता है। ऐसी कारें केवल संपीडित वायु से चलने वाली हो सकतीं हैं या उनमें इसके अलावा पेट्रोलियम इंजन या विद्युत मोटर भी हो सकती है। .

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संघनित्र (उष्मा स्थानान्तरण)

फ्रिज की संघनन कुण्डली संघनित्र (condenser) एक यांत्रिक युक्ति है जो गैस या वाष्प को ठण्डा करके द्रव में बदल देती है। संघनित्र कई जगह प्रयोग किये जाते हैं। उर्जा संयत्रों में इनका प्रयोग टर्बाइन से निकलने वाले भाप को संघनित करने के लिये किया जाता है। शीतलन संयंत्रों (refrigeration plants) में अमोनिया एवं फ्लोरीनेटड हाइड्रोकार्बनों जैसे शीतलक वाष्पों को संघनित करने के काम आता है। पेट्रोलियम एवं अन्य रासायनिक उद्योगों में हाइड्रोकार्बनों एवं अन्य रसायनों के वाष्पों को संघनित करने के लिये काम में लिया जाता है। .

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स्टेटऑयल

स्टेटऑयल एएसए (अंग्रेजी: Statoil ASA) जो अपना व्यापार स्टेटऑयल के नाम से करती है और जिसे पहले स्टेटऑयलहाइड्रो (StatoilHydro) के नाम से जाना जाता था, 1972 में स्थापित नॉर्वे की एक तेल कंपनी है। यह अपने 30340 कर्मचारियों के साथ नॉर्वे की सबसे बड़ी कंपनी है। स्टेटऑयल ओस्लो और न्यूयार्क के शेयर बाज़ारों पर सूचीबद्ध है, तथापि, कंपनी के शेयरों का अधिकांश यानि कि लगभग 67%, नार्वे सरकार के स्वामित्व के आधीन है जिसका हित प्रबंधन नॉर्वे का तेल और गैस मंत्रालय करता है। स्टेटऑयल का मुख्यालय नार्वे की राजधानी स्टवान्गर में स्थित है। स्टेटऑयल का नाम स्टेट यानि कि राष्ट्र (या राज्य) और ऑइल यानि कि तेल, को आपस में मिलाकर प्राप्त किया गया है। स्टेटऑयल एक पूर्ण एकीकृत पेट्रोलियम कंपनी है, जिसका प्रचालन उत्पादन के क्षेत्र में 13 देशों और विपणन के क्षेत्र में 8 देशों में होता है। राजस्व के आधार पर फोर्ब्स पत्रिका ने स्टेटऑयल को विश्व की 13 सबसे बड़ी तेल और गैस कंपनियों में शुमार किया गया है और राजस्व, मुनाफे और बाजार पूंजीकरण के हिसाब से पूरे नॉर्डिक क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है। .

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स्नेहक

लूब्रिकेंट (जिसे कभी-कभी "लूब" के रूप में संदर्भित किया जाता है) एक ऐसा पदार्थ है (अक्सर तरल) जो दो गतिशील सतहों के बीच लगाया जाता है ताकि उनके बीच घर्षण कम हो, कार्यकुशलता में सुधार हो और जल्दी घिस ना जाए.

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सू नहर

सू नहर का आकाशीय दृश्य सू नहर उत्तरी अमरीका में सुपीरियर झील को ह्यूरन झील से मिलाती है। इन झीलों के बीच में सेंटमेरी प्रपात है। इसकी बाधा हटाने को ही इस नहर का निर्माण किया गया है। यह वास्तव में दो नहरें हैं जिनमें से एक संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकार में है और दुसरी कनाडा के। ये दोनो नहरें 6 मीटर गहरी और 1.5 किलोमीटर लम्बी हैं। इन दोनों नहरों में एक-एक द्वार है। ये नहरें केवल 8 महीनें खुली रहती हैं तो भी इनसे 10,000 से भी अधिक जलयान गुजरते हैं। संयुक्त राज्य के आन्तरिक व्यापार में इस नहर का अधिक उपयोग किया जाता है। झील-मार्ग से गुजरने वाले व्यापार के माल में मुख्यतः लौह अयस्क, खाद्दान्न, चुना-पत्थर, सीमेंट, लकड़ी और लुगदी, अखबारी कागज, कोयला और पेट्रोलियम होता है। .

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सीरिया

सीरिया ('''سوريّة'''. or), आधिकारिक रूप से सीरियाई अरब गणराज्य (अरबी: الجمهورية العربية السورية), दक्षिण-पश्चिम एशिया का एक राष्ट्र है। इसके पश्चिम में लेबनॉन तथा भूमध्यसागर, दक्षिण-पश्चिम में इजराइल, दक्षिण में ज़ॉर्डन, पूरब में इराक़ तथा उत्तर में तुर्की है। इसराइल तथा इराक़ के बीच स्थित होने के कारण यह मध्य-पूर्व का एक महत्वपूर्ण देश है। इसकी राजधानी दमास्कस है जो उमय्यद ख़िलाफ़त तथा मामलुक साम्राज्य की राजधानी रह चुका है। अप्रैल 1946 में फ्रांस से स्वाधीनता मिलने के बाद यहाँ के शासन में बाथ पार्टी का प्रभुत्व रहा है। 1963 से यहाँ आपातकाल लागू है जिसके कारण 1970 के बाद से यहाँ के शासक असद परिवार के लोग होते हैं। .

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हाइड्रोकार्बन

मिथेन एक प्रमुख हाइड्रोकार्बन है। इसके अणु का त्रि-बिमीय 'बाल ऐण्ड स्टिक मॉडल' हाइड्रोकार्बन कार्बनिक यौगिक होते हैं जो हाइड्रोजन और कार्बन के परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं। इनका मुख्य स्रोत भूतैल है। प्राकृतिक गैस में भी केवल हाइड्रोकार्बन पाए जाते हैं। हाइड्रोकार्बन संतृप्त तथा असंतृप्त दो प्रकार के होते हैं। .

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हाइड्रोक्लोरिक अम्ल

३०% सान्द्रता वाला हाइड्रोक्लोरिक अम्ल हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक प्रमुख अकार्बनिक अम्ल है। वस्तुतः हाइड्रोजन क्लोराइड गैस के जलीय विलयन को ही हाइड्रोक्लोरिक अम्ल कहते हैं। इस अम्ल का उल्लेख ग्लौबर ने १६४८ ई. में पहले पहल किया था। जोसेफ़ प्रीस्टली ने १७७२ में पहले पहल तैयार किया और सर हंफ्री डेवी ने १८१० ई. में सिद्ध किया कि हाइड्रोजन और क्लोरीन का यौगिक है। इससे पहले लोगों की गलत धारणा थी कि इसमें ऑक्सीजन भी रहता है। तब इसका नाम 'म्यूरिएटिक अम्ल' पड़ा या जो आज भी कहीं कहीं प्रयोग में आता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ज्वालामुखी गैसों में पाया जाता है। मानव जठर में इसकी अल्प मात्रा रहती है और आहार पाचन में सहायक होती है। .

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हिलियम

तरलीकृत हीलियम शुद्ध हीलियम से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हिलियम (Helium) एक रासायनिक तत्त्व है जो प्रायः गैसीय अवस्था में रहता है। यह एक निष्क्रिय गैस या नोबेल गैस (Noble gas) है तथा रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, विष-हीन (नॉन-टॉक्सिक) भी है। इसका परमाणु क्रमांक २ है। सभी तत्वों में इसका क्वथनांक (boiling point) एवं गलनांक (melting point) सबसे कम है। द्रव हिलियम का प्रयोग पदार्थों को अत्यन्त कम ताप तक ठण्डा करने के लिये किया जाता है; जैसे अतिचालक तारों को १.९ डिग्री केल्विन तक ठण्डा करने के लिये। हीलियम अक्रिय गैसों का एक प्रमुख सदस्य है। इसका संकेत He, परमाणुभार ४, परमाणुसंख्या २, घनत्व ०.१७८५, क्रांतिक ताप -२६७.९०० और क्रांतिक दबाव २ २६ वायुमंडल, क्वथनांक -२६८.९० सें.

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हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड एक फॉर्च्यून 500 कंपनी (2012 में 267 वें स्थान पर) है, जो भारत सरकार की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत तेल शोधन और विपणन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम को सरकार द्वारा नवरत्न श्रेणी में रखा गया है। भारत में इसका पेट्रोलियम उत्पादों के विपणन मे कुल योगदान 20.9% और तेल शोधन मे 10.3% है। इसके स्वामित्व मे दो तटीय तेल परिशोधन कारखाने (ऑयल रिफाईनरी) हैं। इन परिशोधिकाओं (रिफाईनरी) मे कई प्रकार के पेट्रोलियम उत्पाद जैसे इंधन तेल (फ्यूल ऑयल) और स्नेहक (ल्युब्रीकेंट) का निर्माण होता है। पश्चिमी तट पर स्थित मुंबई रिफाईनरी की क्षमता 5.5 एम.एम.टी.पी.ए तथा पूर्वी तट पर स्थित विशाखापत्तनम रिफाईनरी की क्षमता 7.5 एम.एम.टी.पी.ए है। कंपनी की मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकैमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) की अत्याधुनिक मंगलौर रिफाइनरी जिसकी क्षमता 9 एम.एम.टी.पी.ए है, मे कुल इक्विटी भागीदारी 16.95% है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने मित्तल एनर्जी समूह के साथ संयुक्त उद्यम एच एम ई एल में एक नयी तेल परिशोधिका गुरु गोबिंद सिंह रिफाइनरी को पंजाब के भटिंडा मे स्थापित किया है, जिसका लोकार्पण भारत के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने 28 अप्रैल 2012 को किया। .

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जल संसाधन

जल संसाधन पानी के वह स्रोत हैं जो मानव के लिए उपयोगी हों या जिनके उपयोग की संभावना हो। पानी के उपयोगों में शामिल हैं कृषि, औद्योगिक, घरेलू, मनोरंजन हेतु और पर्यावरणीय गतिविधियों में। वस्तुतः इन सभी मानवीय उपयोगों में से ज्यादातर में ताजे जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर पानी की कुल उपलब्ध मात्रा अथवा भण्डार को जलमण्डल कहते हैं। पृथ्वी के इस जलमण्डल का ९७.५% भाग समुद्रों में खारे जल के रूप में है और केवल २.५% ही मीठा पानी है, उसका भी दो तिहाई हिस्सा हिमनद और ध्रुवीय क्षेत्रों में हिम चादरों और हिम टोपियों के रूप में जमा है। शेष पिघला हुआ मीठा पानी मुख्यतः जल के रूप में पाया जाता है, जिस का केवल एक छोटा सा भाग भूमि के ऊपर धरातलीय जल के रूप में या हवा में वायुमण्डलीय जल के रूप में है। मीठा पानी एक नवीकरणीय संसाधन है क्योंकि जल चक्र में प्राकृतिक रूप से इसका शुद्धीकरण होता रहता है, फिर भी विश्व के स्वच्छ पानी की पर्याप्तता लगातार गिर रही है दुनिया के कई हिस्सों में पानी की मांग पहले से ही आपूर्ति से अधिक है और जैसे-जैसे विश्व में जनसंख्या में अभूतपूर्व दर से वृद्धि हो रही हैं, निकट भविष्य मैं इस असंतुलन का अनुभव बढ़ने की उम्मीद है। पानी के प्रयोक्ताओं के लिए जल संसाधनों के आवंटन के लिए फ्रेमवर्क (जहाँ इस तरह की एक फ्रेमवर्क मौजूद है) जल अधिकार के रूप में जाना जाता है। आज जल संसाधन की कमी, इसके अवनयन और इससे संबंधित तनाव और संघर्ष विश्वराजनीति और राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। जल विवाद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण विषय बन चुके हैं। .

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जैवभार

पुआल के गट्ठर बायोमास बानाने के काम आते हैं। धान की भूसी को जलाकर ऊर्जा (ऊष्मा) प्राप्त की जा सकती है। Panicum virgatum का उपयोग जैव मात्रा के रूप में किया जाता है। जीवित जीवों अथवा हाल ही में मरे हुए जीवों से प्राप्त पदार्थ जैव मात्रा या जैव संहति या 'बायोमास' (Biomass) कहलाता है। प्रायः यहाँ 'जीव' से आशय 'पौधों' से है। बायोमास ऊर्जा के स्रोत हैं। इन्हें सीधे जलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है या इनको विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन में परिवर्तित करने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण- गन्ने की खोई, धान की भूसी, अनुपयोगी लकड़ी आदि बायोमास को जैव ईंधन के रूप में कई प्रकार से बदला जा सकता है, जिन्हें मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है- ऊष्मीय विधियाँ, रासायनिक विधियाँ तथा जैवरासायनिक विधियाँ। .

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जैवोपचारण

तेल रिसावजैवोपचारण (जीव+उपचार+ण .

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ईन्धन

जलती हुई प्राकृतिक गैस ईधंन (Fuel) ऐसे पदार्थ हैं, जो आक्सीजन के साथ संयोग कर काफी ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। 'ईंधन' संस्कृत की इन्ध्‌ धातु से निकला है जिसका अर्थ है - 'जलाना'। ठोस ईंधनों में काष्ठ (लकड़ी), पीट, लिग्नाइट एवं कोयला प्रमुख हैं। पेट्रोलियम, मिट्टी का तेल तथा गैसोलीन द्रव ईधंन हैं। कोलगैस, भाप-अंगार-गैस, द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस और प्राकृतिक गैस आदि गैसीय ईंधनों में प्रमुख हैं। आजकल परमाणु ऊर्जा भी शक्ति के स्रोत के रूप में उपयोग की जाती है, इसलिए विखंडनीय पदार्थों (fissile materials) को भी अब ईंधन माना जाता है। वैज्ञानिक और सैनिक कार्यों के लिए उपयोग में लाए जानेवाले राकेटों में, एल्कोहाल, अमोनिया एवं हाइड्रोजन जैसे अनेक रासायनिक यौगिक भी ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। इन पदार्थों से ऊर्जा की प्राप्ति तीव्र गति से होती है। विद्युत्‌ ऊर्जा का प्रयोग भी ऊष्मा की प्राप्ति के लिए किया जाता है इसलिए इसे भी कभी-कभी ईंधनों में सम्मिलित कर लिया जाता है। .

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वस्तु बाजार

वस्तु बाजार (commodity market) उस बाजार को कहते हैं जिसमें प्राथमिक अर्थव्यवस्था की वस्तुएँ खरीदी-बेची जाती हैं न कि निर्मित वस्तुएँ। इसके अन्तर्गत कृषि उत्पाद (गेहूँ, धान, कॉफी, चीनी आदि) तथा खनन से प्राप्त वस्तुएँ जैसे सोना, कच्चा तेल आदि का व्यापार होता है। .

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वानूआतू

वानूआतू (बिस्लामा में; अंग्रेजी में या), आधिकारिक तौर पर वानूआतू गणराज्य (République de Vanuatu, बिस्लामा रिपब्लिक ब्लोंग वानूआतू), दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीप राष्ट्र है। ज्वालामुखी मूल का यह द्वीपसमूह उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के लगभग पूर्व, न्यू कैलेडोनिया के पूर्वोत्तर, फिजी के पश्चिम और न्यू गिनी के निकट सोलोमन द्वीपों के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। वानूआतू में मेलानेशियाई लोग सबसे पहले आकर बसे थे। यूरोप के लोगों ने 1605 में क्यूरॉस के नेतृत्व में स्पेनिश अभियान के एस्पिरिटू सैंटो में आने पर इन द्वीपों का पता लगाया था। 1880 के दशक में फ्रांस और युनाइटेड किंगडम ने देश के कुछ हिस्सों पर अपना दावा किया और 1906 में वे एक ब्रिटिश-फ्रांसीसी सहस्वामित्व के जरिये न्यू हेब्रिड्स के रूप में इस द्वीपसमूह के संयुक्त प्रबंधन के एक ढाँचे पर सहमत हुए.

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वाष्पशील तेल

चन्दन का तेल तेल या तैल बहुत व्यापक शब्द है। इसके अंतर्गत अवाष्पशील वानस्पतिक तैल, जो वसाम्लों के ग्लिसराइड होते हैं; तथा वाष्पशील पेट्रोलियम तैल भी, जो हाइड्रोकार्बन वर्ग के यौगिक होते हैं, आते हैं। यहाँ वाष्पशील तैल का तात्पर्य उन वाष्पशील तैलों से है, जो वनस्पतिजगत्‌ से प्राप्त होते हैं या प्रयोगशालाओं में कृत्रिम रीति से तैयार होते हैं। इन वाष्पशील तैलों को गंधतैल (essential oils) भी कहते हैं। अनेक पादपों में यह वाष्पशील तैल बड़ी अल्प मात्रा में पाया जाता है। .

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वेधन (पृथ्वी)

धरती वेधक यंत्र किसी भी वस्तु या जगह पर यंत्रो द्वारा छेद करने की क्रिया को वेधन (Boring) कहते हैं। कारखानों की यंत्रशाला (machine shop) में यंत्र के कलपुर्जों के निर्माण के लिए लोहा, पीतल आदि में छेद करने की कभी कभी आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए वेधन अपनाया जाता है। वेधन का उपयोग भूविज्ञानियों द्वारा अधिक होता है। वे लोग इस क्रिया का प्रयोग भू वैज्ञानिक एवं अन्य वैज्ञानिक खोजों के लिए करते हैं। किसी नई जगह में जमीन के नीचे खनिज पदार्थ के भंडार का पता वेधन द्वारा चल सकता है। सिविल इंजीनियरों को भी वेधन का प्रोग करना पड़ता है। किसी विशाल मकान को बनाने के पहले यह जानना आवश्यक हो जाता है कि जिस जमीन पर मकान बनाना है उसकी सतह के नीचे कितनी दूरी पर पत्थर का स्तर है। यही नहीं, ऊपरी जमीन की सतह और नीचे पत्थर के स्तर के बीच की मिट्टी का विश्लेषण करना भी आवश्यक हो जाता है। अत: यह देखा जाता है कि वेधन यांत्रिक इंजीनियर, सिविल इंजीनियर, खनिइंजीनियर एव भूविज्ञानियों के लिए उपयोगी ही नहीं, आवश्यक भी है। कोयला, लोहा आदि की खानों में भी, जिनसे खनिज पदार्थ निकाला जा रहा हो, वेधन उपयोगी है, क्योंकि यह जानना आवश्य होता है कि जिस जगह से खनिज निकल रहे हैं, उसके आगे भी खनिज का भंडार है, या नहीं। खानों में कभी-कभी संकटप्रद स्थान भी सामने आ जाता है, जिससे उन खानों में कार्य करनेवाले श्रमिकों की मृत्यु तक हो सकती है। इस तरह के स्थानों का पता वेधन द्वारा पहले ही कर लिया जाता है, ताकि दु:खद घटनाएँ न घटें। पेट्रोलियम आदि खनिज तेलों के भंडार का पता वेधन द्वारा किया जाता है एवं इसी क्रिया की सहायता से खनिज तेल खान से बाहर निकाला जा सकता है। इसके बाद परिष्करण इत्यादि के लिए वह दूसरी जगह भेद दिया जाता है। कभी कभी जमीन की सतह के नीचे सेंधा नमक मिलता है। इसको निकालने के लिए वेधन द्वारा छेद बना लिया जाता है। उन छेदों के द्वारा ऊपर से पानी डाला जाता है। उसके बाद लवणजल (brine) को पंप द्वारा ऊपर निकाला जाता है। .

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खनिज तेल

खनिज तेल की शीशी खनिज तेल (mineral oil) शब्द का प्रयोग दो अलग-अलग अर्थों में किया जाता है.

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खनिजों का बनना

खनिजों का बनना (formation) अनेक प्रकार से होता है। बनने में उष्मा, दाब तथा जल मुख्य रूप से भाग लेते हैं। निम्नलिखित विभिन्न प्रकारों से खनिज बनते हैं: (१) मैग्मा का मणिभीकरण (Crystallization from magma) - पृथ्वी के आभ्यंतर में मैग्मा में अनेक तत्व आक्साइड एवं सिलिकेट के रूपों में विद्यमान हैं। जब मैग्मा ठंडा होता है तब अनेक यौगिक खनिज के रूप में मणिभ (क्रिस्टलीय) हो जाते है और इस प्रकार खनिज निक्षेपों (deposit) को जन्म देते हैं। इस प्रकार के मुख्य उदाहरण हीरा, क्रोमाइट तथा मोनेटाइट हैं। (२) ऊर्ध्वपातन (Sublimation)- पृथ्वी के आभ्यंतर में उष्मा की अधिकता के कारण अनेक वाष्पशील यौगिक गैस में परिवर्तित हो जाते हैं। जब यह गैस शीतल भागों में पहुँचती है तब द्रव दशा में गए बिना ही ठोस बन जाती है। इस प्रकार के खनिज ज्वालामुखी द्वारों के समीप, अथवा धरातल के समीप, शीतल आग्नेय पुंजों (igneous masses) में प्राप्त होते हैं। गंधक का बनना उर्ध्वपातन क्रिया द्वारा ही हुआ है। (३) आसवन (Distillation) - ऐसा समझा जाता है कि समुद्र की तलछटों (sediments) में अंतर्भूत (imebdded) छोटे जीवों के कायविच्छेदन के पश्चात्‌ तैल उत्पन्न होता है, जो आसुत होता है और इस प्रकार आसवन द्वारा निर्मित वाष्प पेट्रोलियम में परिवर्तित हो जाता है अथवा कभी-कभी प्राकृतिक गैसों को उत्पन्न करता है। (४) वाष्पायन एवं अतिसंतृप्तीकरण (Vaporisation and Supersaturation) - अनेक लवण जल में घुल जाते हैं और इस प्रकार लवण जल के झरनों तथा झीलों को जन्म देते हैं। लवण जल का वाष्पायन द्वारा लवणों का अवशोषण (precipitation) होता है। इस प्रकार लवण निक्षेप अस्तित्व में आते हैं। इसके अतिरिक्त कभी कभी वाष्पायन द्वारा संतृप्त स्थिति आ जाने पर घुले हुए पदार्थों मणिभ पृथक हो जाते हैं। (५) 'गैसों, द्रवों एवं ठोसों की पारस्परिक अभिक्रियाएँ - जब दो विभिन्न गैसें पृथ्वी के आभ्यंतर से निकलकर धरातल तक पहुँचती हैं तथा परस्पर अभिक्रिया करती हैं तो अनेक यौगिक उत्पन्न होते है उदाहरणार्थ: इसी प्रकार गैसें कुछ विलयनों पर अभिक्रिया करती हैं। फलस्वरूप कुछ खनिज अवक्षिप्त हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, जब हाइड्रोजन सल्फाइड गैस ताम्र-सल्फेट-विलयन से पारित होती है तब ताम्र सल्फाइड अवक्षिप्त हो जाता है। कभी ये गैसें ठोस पदार्थ से अभिक्रिया कर खनिजों को उत्पन्न करती हैं। यह क्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अनेक खनिज सिलिकेट, आक्साइड तथा सल्फाइड के रूप में इसी क्रिया द्वारा निर्मित होते हैं। किसी समय ऐसा होता है कि पृथ्वी के आभ्यंतर का उष्ण आग्नेय शिलाओं से पारित होता है एवं विशाल संख्या में अयस्क कार्यों (ore bodies) को अपने में विलीन कर लेता है। यह विलयन पृथ्वी तल के समीप पहुँच कर अनेक धातुओं को अवक्षिप्त कर देता है। स्वर्ण के अनेक निक्षेप इसी प्रकार उत्पन्न हुए हैं। कुछ अवस्थाओं में इस प्रकार के विलयन पृथ्वीतल के समीप विभिन्न शिलाओं के संपर्क में आते हैं तथा एक एक करके कणों का प्रतिस्थापन (replacement) होता है, अर्थात्‌ जब शिला के एक कण का निष्कासन होता है तो उस निष्कासित कण के स्थान पर धात्विक विलयन के एक कण का प्रतिस्थापन हो जाता है। इस प्रकार शिलाओं के स्थान पर नितांत नवीन धातुएँ मिलती हैं, जिनका आकार और परिमाण प्राचीन प्रतिस्थापित शिलाओं का ही होता है। अनेक दिशाओं में यदि शिलाओं में कुछ विदार (cracks) या शून्य स्थान (void or void spaces) होते हैं तो पारच्यवित विलयन (percolating solution) उन शून्य स्थानों में खनिज निक्षेपों को जन्म देते हैं। यह क्रिया अत्यंत सामान्य है, जिसने अनेक धात्विक निक्षेपों को उत्पन्न किया है। (६) जीवाणुओं (bacteria) द्वारा अवक्षेपण - यह भली प्रकार से ज्ञात है कि कुछ विशेष प्रकार के जीवाणुओं में विलयनों से खनिज अवक्षिप्त करने की क्षमता होती है। उदाहरणार्थ, कुछ जीवाणु लौह को अवक्षिप्त करते हैं। ये जीवाणु विभिन्न प्रकार के होते हैं तथा विभिन्न प्रकार के निक्षेपों का निर्माण करते हैं। (७) कलिलीय निक्षेपण (Collodial Deposition) - वे खनिज, जो जल में अविलेय हैं, विशाल परिमाण में कलिलीय विलयनों में परिवर्तित हो जाते हैं तथा जब इनसे कोई विद्युद्विश्लेष्य (electroyte) मिलता है तब ये विलयन अवक्षेप देते हैं। इस प्रकार कोई भी धातु अवक्षिप्त हो सकती है। कभी कभी अवक्षेपण के पश्चात्‌ अवक्षिप्त खनिज मणिभीय हो जाते हैं, किंतु अन्य दशाओं में ऐसा नहीं होता। (८) ऋतुक्षारण प्रक्रम (Weathering Process) - यह ऋतुक्षारण शिलाओं के अपक्षय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है उसी प्रकार जो विलयन बनते हैं उनमें लौह, मैंगनीज तथा दूसरे यौगिक हो सकते हैं। ये यौगिक, विलयनों द्वारा सागर में ले जाए जाते हैं और वहीं वे अवक्षिप्त हो जाते हैं। लौह तथा मैगनीज के निक्षेप इसी प्रकार उत्पन्न हुए। ऋतुक्षारण या तो पूर्ववर्ती (pre-existing) शिलाओं से अथवा पूर्ववर्ती खनिज निक्षेपों से हो सकता है। कुछ दशाओं में किसी शिला में कुछ अधोवर्ग (low grade) के विकिरित खनिज (disseminated minerals) होते हैं। तलीय जल शिलाओं के साधारण अवयवों को विलीन कर लेता है और अवशिष्ट भाग को मूल विकीरित खनिजों से समृद्ध करता है। अनेक अयस्क निक्षेप, अवशिष्ट उत्पाद के रूप में पाए जाते हैं, जैसे बाक्साइट। कुछ शिलाएँ, जैसे ग्रैनाइट (कणाश्म), वियोजन (disintegration) के पश्चात्‌ काइनाइट जैसे खनिजों को उत्पन्न करती हैं। (९) उपरूपांतरण (Metamorphism)-कुछ निक्षेप पूर्ववर्ती तलछटों के उपरूपांतरणों द्वारा निर्मित होते हैं। उदाहरण के लिए, चूना पत्थर संगमरमर को तथा कुछ मृत्तिकाएँ और सिलिका निक्षेप सिलोमनाइट को उत्पन्न करते हैं। .

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गन्धकाम्ल

गन्धकाम्ल (सल्फ्युरिक एसिड) एक तीव्र अकार्बनिक अम्ल है। प्राय: सभी आधुनिक उद्योगों में गन्धकाम्ल अत्यावश्यक होता है। अत: ऐसा माना जाता है कि किसी देश द्वारा गन्धकाम्ल का उपभोग उस देश के औद्योगीकरण का सूचक है। गन्धकाम्ल के विपुल उपभोगवाले देश अधिक समृद्ध माने जाते हैं। शुद्ध गन्धकाम्ल रंगहीन, गंधहीन, तेल जैसा भारी तरल पदार्थ है जो जल में हर परिमाण में विलेय है। इसका उपयोग प्रयोगशाला में प्रतिकारक के रूप में तथा अनेक रासायनिक उद्योगों में विभिन्न रासायनिक पदार्थों के संश्लेषण में होता है। बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करने के लिए सम्पर्क विधि का प्रयोग किया जाता है जिसमें गन्धक को वायु की उपस्थिति में जलाकर विभिन्न प्रतिकारकों से क्रिया कराई जाती है। खनिज अम्लों में सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला यह महत्त्वपूर्ण अम्ल है। प्राचीन काल में हराकसीस (फेरस सल्फेट) के द्वारा तैयार गन्धक द्विजारकिक गैस को जल में घोलकर इसे तैयार किया गया। यह तेल जैसा चिपचिपा होता है। इन्ही कारणों से प्राचीन काल में इसका नाम 'आयँल ऑफ विट्रिआँल' रखा गया था। हाइड्रोजन, गन्धक तथा जारक तीन तत्वों के परमाणुओं द्वारा गन्धकाम्ल के अणु का संश्लेषण होता है। आक्सीजन युक्ति होने के कारण इस अम्ल को 'आक्सी अम्ल' कहा जाता है। इसका अणुसूत्र H2SO4 है तथा अणु भार ९८ है। गन्धकाम्ल प्राचीनकाल के कीमियागर एवं रसविद् आचार्यों को गन्धकाम्ल के संबंध में बहुत समय से पता था। उस समय हरे कसीस को गरम करने से यह अम्ल प्राप्त होता था। बाद में फिटकरी को तेज आँच पर गरम करने से भी यह अम्ल प्राप्त होने लगा। प्रारंभ में गन्धकाम्ल चूँकि हरे कसीस से प्राप्त होता था, अत: इसे "कसीस का तेल' कहा जाता था। तेल शब्द का प्रयोग इसलिए हुआ कि इस अम्ल का प्रकृत स्वरूप तेल सा है। .

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गल्फ ऑयल

गल्फ ऑयल 1900 से 1980 तक एक प्रमुख वैश्विक तेल कंपनी थी। 1941 में आठवीं सबसे बड़ी अमेरिकी विनिर्माण कंपनी और 1979 में नौवीं सबसे बड़ी, गल्फ ऑयल तथाकथित सेवन सिस्टर्स तेल कंपनियों में से एक थी। कैलिफोर्निया की स्टैंडर्ड ऑयल के साथ अपने विलय से पूर्व गल्फ प्रसिद्ध मेलन परिवार के भाग्य के प्रमुख उपकरणों में से एक थी; गल्फ और मेलन फाइनेंशियल दोनों के मुख्यालय पिट्सबर्ग, पेन्सिल्वेनिया में स्थित थे। गल्फ का पूर्व मुख्यालय, मूल रूप में जिसे, "द गल्फ बिल्डिंग" (अब गल्फ टॉवर कार्यालय भवन) कहा जाता था, एक कलात्मक गगनचुंबी इमारत है। 1970 में यू एस स्टील टॉवर के बनने ले पहले तक यह पिट्सबर्ग की सबसे ऊंची इमारत थी, इसके ऊपर कई मंजिल ऊंची संरचना है। 1970 के दशक के अंत तक इसका संपूर्ण शीर्ष प्रकाशित रहता था, वायुमंडलीय दबाव में परिवर्तन के साथ इसके रंग बदलते थे जो मौसम परिवर्तन के सूचक थे और इसे कई मील दूर से देखा जा सकता था। गल्फ ऑयल निगम (जीओसी (GOC)) का एक स्वतंत्र कंपनी के रूप में अस्तित्व 1985 में समाप्त हो गया जब उसने एसओसीएएल (SOCAL) के साथ विलय कर लिया और दोनों का नया ब्रांड शेवरोन रखा गया। हालांकि, ब्रांड नाम गल्फ और जीओसी के कई घटक व्यापारिक प्रभाग बने रहे। साझेदारियों फ्रेंचाइजी और एजेंसियों पर आधारित व्यापारिक हितों से संबद्ध एक लचीले नेटवर्क के रूप में उभर कर गल्फ ने 1990 से एक महत्वपूर्ण पुनरुत्थान का अनुभव किया है। गल्फ, अपने वर्तमान अवतार में एक "नया आर्थिक" व्यवसाय है। यह बहुत कम लोगों को सीधे रोजगार देती है और इसकी संपत्ति मुख्य रूप से बौद्धिक संपत्ति: ब्रांड, उत्पाद विनिर्देशों और वैज्ञानिक विशेषज्ञता के रूप में है। संयुक्त राज्य अमेरिका में ब्रांड के अधिकार कंबरलैंड फार्म्स के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी गल्फ ऑयल लिमिटेड पार्टनरशिप (GOLC) के पास हैं और यह 2,100 से अधिक सर्विस स्टेशनों और अनेक पेट्रोल टर्मिनलों का संचालन करती है, इसका मुख्यालय फ्रैमिंघम, मैसाचुसेट्स में स्थित है। अमेरिका, स्पेन और पुर्तगाल के बाहर गल्फ नेटवर्क के केंद्र में कॉर्पोरेट वाहक हिंदूजा समूह के स्वामित्व वाली कंपनी जीओआई (GOI) है। कंपनी का ध्यान मुख्यतः संयुक्त उद्यमों, लाइसेंस अनुबंधों और वितरण व्यवस्थाओं के माध्यम से एक व्यापक बाजार में अपने अनुप्रवाह उत्पादों और सेवाओं को उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। गल्फ ऑयल इंटरनेशनल का प्रधान कार्यालय लंदन के वेस्टमिंस्टर सिटी में स्थित है। .

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ग्रीनहाउस गैस

वैश्विक एन्थ्रोपोजेनिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन आठ विभिन्न क्षेत्रों से, वर्ष २००० में ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं।। दैनिक भास्कर।।६ दिसंबर, २००७। एनएन सच्चिदानंद। श्रेणी:कार्बन श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना eo:Forceja efika gazo.

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ऑफ़शोरिंग

ऑफ़शोरिंग, एक कंपनी द्वारा व्यापारिक प्रक्रिया को एक देश से दूसरे देश में स्थानान्तरित करने को वर्णित करता है - आम तौर पर परिचलनात्मक प्रक्रिया को, जैसे विनिर्माण, या सहयोगी प्रक्रियाओं को, जैसे लेखांकन.

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ऑयल इंडिया

ऑयल इंडिया (ओआईएल (OIL)) भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन सरकारी स्वामित्व वाली भारत की एक बड़ी तेल एवं गैस कंपनी है। ओआईएल (OIL) कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस की खोज, विकास तथा उत्पादन, कच्चे तेल के परिवहन और तरल पेट्रोलियम गैस के उत्पादन के व्यवसाय में लगा हुआ है। ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल (OIL)) की कहानी भारतीय पेट्रोलियम उद्योग की पहचान और उसके विकास तथा उन्नति का प्रतीक है। 1889 में भारत के सुदूर पूर्व डिगबोई, आसाम में कच्चे तेल की खोज से लेकर इसकी पूर्णतः एकीकृत उजान पेट्रोलियम कंपनी की वर्तमान स्थिति तक, कई मील के पत्थरों को पार करता हुआ आया है ओआईएल (OIL).

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ऑक्सीजन

ऑक्सीजन या प्राणवायु या जारक (Oxygen) रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधरहित गैस है। इसकी खोज, प्राप्ति अथवा प्रारंभिक अध्ययन में जे.

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ओपेक

ओपेक (Organization of the Petroleum Exporting Countries (OPEC)) पेट्रोलियम उत्पादक 14 देशों का संगठन है। इसक्र सदस्य हैं: अल्जीरिया, अंगोला, ईक्वाडोर, इरान, ईराक, कुवैत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, नाइजीरिया, लीबिया तथा वेनेजुएला,Gabon, Equatorial Guinea। सन 1960 से ही इस संगठन का मुख्यालय विएना में है जहाँ सदस्य देशों के तेल मंत्रियों की समय-समय पर बैठक हुआ करती है। .

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ओखा बन्दरगाह

ओखा बन्दरगाह गुजरात का मुख्य बन्दरगाह है। यह सौराष्ट्र की उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर स्थित है। इसका मार्ग टेड़ा-मेड़ा है। यहां से तिलहन, नमक तथा सीमेंट निर्यात किया जाता है तथा विदेशों से कोयला, पेट्रोलियम, रासायनिक पदार्थ, मशीनें आयात किये जाते हैं। श्रेणी:बन्दरगाह.

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औद्योगिक क्रांति

'''वाष्प इंजन''' औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था। अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। यह सिलसिला ब्रिटेन से आरम्भ होकर पूरे विश्व में फैल गया। "औद्योगिक क्रांति" शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक "लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड" में सन् 1844 में किया। औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। कोयले को जलाकर बने वाष्प की शक्ति का उपयोग होने लगा। शक्ति-चालित मशीनों (विशेषकर वस्त्र उद्योग में) के आने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्नीसवी सदी के प्रथम् दो दशकों में पूरी तरह से धातु से बने औजारों का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप दूसरे उद्योगों में काम आने वाली मशीनों के निर्माण को गति मिली। उन्नीसवी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में फैल गयी। अलग-अलग इतिहासकार औद्योगिक क्रान्ति की समयावधि अलग-अलग मानते नजर आते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे क्रान्ति मानने को ही तैयार नहीं हैं। अनेक विचारकों का मत है कि गुलाम देशों के स्रोतों के शोषण और लूट के बिना औद्योगिक क्रान्ति सम्भव नही हुई होती, क्योंकि औद्योगिक विकास के लिये पूंजी अति आवश्यक चीज है और वह उस समय भारत आदि गुलाम देशों के संसाधनों के शोषण से प्राप्त की गयी थी। .

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आर्थिक भौमिकी

आर्थिक भौमिकी, भौमिकी की वह शाखा है जो पृथ्वी की खनिज संपत्ति के संबंध में बृहत्‌ ज्ञान कराती है। पृथ्वी से उत्पन्न समस्त धातुओं, पत्थर, कोयला, भूतैल (पेट्रोलियम) तथा अन्य अधातु खनिजों का अध्ययन तथा उनका आर्थिक विवेचन आर्थिक भौमिकी द्वारा ही होता है। प्रत्येक देश की समृद्धि वहाँ की खनिज संपत्ति पर बहुत कुछ निर्भर रहती है और इस दृष्टि से आर्थिकी भौतिकी का अध्ययन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यद्यपि भारतवर्ष प्राचीन समय से ही अपनी खनिज संपत्ति के लिए प्रसिद्ध रहा है, तथापि कुछ कारणों से यह देश अत्यंत समृद्ध नहीं कहा जा सकता। भारत में आर्थिक खनिज पाए जाते हैं जिनमें से लगभग १६ खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इनमें विशेष कर लौह अयस्क, मैंगनीज़, अभ्रक, बॉक्साइट, इल्मेनाइट, पत्थर के कोयले जिप्सम, चूना पत्थर (लाइम स्टोन), सिलीमेनाइट, कायनाइट, कुरबिंद (कोरंडम), मैग्नेसाइट, मत्तिकाओं आदि के विशाल भांडार हैं, किंतु साथ ही साथ सीसा, तांबा, जस्ता, रांगा, गंधक तथा मूतैल आदि अत्यंत न्यून मात्रा में हैं। भूतैल का उत्पादन तो इतना अल्प है कि देश की आंतरिक खपत का केवल सात प्रतिशत ही उससे पूरा हो पाता है। इस्पात उत्पादन के लिए सारे आवश्यक खनिज पर्याप्त किए जाते हैं उनमें इन धातुओं के अभाव के कारण कुछ हल्की धातुएं, जैसे ऐल्युमिनियम इत्यादि तथा उनकी मिश्र धातुएँ उपयोग में लाई जा सकती है। .

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आसवन

आसवन (Distillation) किसी मिश्रित द्रव के अवयवों को उनके वाष्पन-सक्रियताओं (volatilities) के अन्तर के आधर पर उन्हें अलग करने की विधि है। यह पृथक्करण की भौतिक विधि है न कि रासायनिक परिवर्तन अथवा रासायनिक अभिक्रिया। व्यावसायिक दृष्टि से आसवन के बहुत से उपयोग हैं। कच्चे तेल (क्रूड आयल) के विभिन्न अवयवों को पृथक करने के लिये इसका उपयोग किया जाता है। पानी का आसवन करने से उसकी अशुद्धियाँ (जैसे नमक) निकल जातीँ हैं और अधिक शुद्ध जल प्राप्त होता है। .

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इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (हिन्दी: भारतीय तेल निगम) एक फॉर्च्यून 500 कंपनी (2009 में 105 वें स्थान पर) है जो भारत सरकार की सबसे बडी़ एकीकृत तेल शोधन और विपणन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है। इंडियन ऑयल को सरकार द्वारा नवरत्न का दर्जा प्राप्त है। भारत मे इसका पेट्रोलियम उत्पादों के विपणन मे कुल हिस्सा 47 % और तेल शोधन मे 40 % है। भारत की कुल १९ तेल परिशोधिकाओं मे से १० इंडियन ऑयल के स्वामित्व के आधीन हैं। इंडियनऑयल भारत की अग्रणी राष्ट्रीय तेल कंपनी है और इसके व्यापारिक हित समस्त हाईड्रोकार्बन मूल्य श्रृंखला में व्याप्त हैं- जिसमें तेलशोधन, पाइपलाइन परिवहन और पेट्रोलियम उत्पादों के विपणन से लेकर कच्चे तेल और गैस की खोज तथा उत्पादन, प्राकृतिक गैस और पेट्रो रसायनों का विपणन शामिल है। फार्च्यून ‘ग्लोबल 500’ सूची में यह अग्रणी भारतीय निगमित कंपनी है जिसे वर्ष 2010 में 125वां स्थान दिया गया था। 34,000 से अधिक सुदृढ़ कार्यबल के साथ, इंडियनऑयल द्वारा भारत की ऊर्जा मांग को पिछले पचास वर्षों से अधिक समय से पूरा करने में सहायता की जा रही है। भारत की ऊर्जा के निगमित विज़न के साथ, इंडियनऑयल द्वारा वर्ष 2009-10 के दौरान 2,71,074 करोड़ रुपये की कुल बिक्री और 10,221 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया गया। इंडियनऑयल में, प्रचालनों को व्यवसाय आयामों अर्थात – तेलशोधन, पाइपलाइन, विपणन, अनुसंधान और विकास केंद्र तथा व्यवसाय विकास- ई एण्ड पी, पेट्रो रसायनों और प्राकृतिक गैस के साथ कार्यनीतिक रूप से संरचित किया जाता है। विकास के अगले चरण को प्राप्त करने के लिए, इंडियनऑयल वर्तमान में ऊर्ध्‍वाधर (वर्टिकल) एकीकरण के माध्यम से सुस्थापित मार्ग पर पूरे जोर शोर से आगे बढ़ रही है और अपने डाउनस्ट्रीम प्रचालनों के वैश्वीकरण के अलावा – तेल की खोज और उत्पादन (ई एण्ड पी) में अपस्ट्रीम तथा पेट्रो रसायनों में डाउनस्ट्रीम- और प्राकृतिक गैस विपणन और वैकल्पिक ऊर्जा में अपने सपनों को साकार करने में संलग्न है। श्री लंका, मारिशस तथा संयुक्त राज्य अमीरात (यूएई) में सहायक कंपनियों की स्थापना के बाद, साथ ही साथ इंडियनऑयल एशिया और अफ्रीका के ऊर्जा बाजारों में नए कारोबारी अवसरों की खोज भी कर रही है। .

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कारा सागर

कारा सागर की अवस्थिति दर्शाता मानचित्र आर्कटिक महासागर का एक भाग, कारा सागर (रूसी: море Карское) साइबेरिया के उत्तर में स्थित है। पश्चिम में इसे बेरिंट सागर से कारा जलडमरूमध्य और नोवाया ज़ेमल्या तथा पूर्व में, लाप्टेव सागर से इसे सेवेर्नाया ज़ेमल्या अलग करते हैं। कारा सागर की भौगोलिक उत्तरी सीमा का निर्धारण कोलसाट अंतरीप, ग्राहम बेल द्वीप, फ्रांज जोसेफ भूमि से लेकर आर्कटिक अंतरीप (आर्कटिक केप) जो कि सेवेर्नाया ज़ेमल्या का सबसे उत्तरी सिरा है, से गुजरती रेखा के द्वारा होता है। कारा सागर की लंबाई 1450 किलोमीटर, चौड़ाई लगभग 970 किलोमीटर, क्षेत्रफल 880000 किमी² तथा औसत गहराई लगभग 110 मीटर (360 फीट) है। कारा सागर, बेरिंट सागर जो कि अन्ध महासागर की अपेक्षाकृत गर्म जलधाराओं को ग्रहण करता है, की तुलना में अधिक ठंडा है और वर्ष में नौ महीने से अधिक समय तक जमा रहता है। कारा सागर में ओब, येनिसेय, प्यासिना और टैमिरा नदियां विसर्जित होती हैं और इनके मीठे पानी के कारण इसकी लवणता बदलती रहती है। इसके मुख्य बंदरगाह नोवी और डिकसोन हैं और यह मछली पकड़ने का प्रमुख स्थल है, बावजूद इसके की वर्ष के सिर्फ दो महीने ही इस गतिविधि के लिए उपयुक्त होते हैं, क्योंकि बाकी समय यह जमा रहता है। पश्चिम साइबेरियाई तेल बेसिन के विस्तार के तौर पर यहाँ पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडारों को खोजा गया है पर अभी तक इनका दोहन शुरु नहीं हुआ है। आर्किटिक महासागर को दुनिया का ‘एसी’ कहा जाता है, ये महासागर दुनिया की हिफाजत करता है। लेकिन आर्किटिक महासागर की बर्फ की मोटी चादर के नीचे दबी है एक न्‍यूक्लियर पनडुब्‍बी। इस पनडुब्‍बी में परमाणु बम के बराबर रेडियो एक्टिव पदार्थ है और ये पदार्थ समुद्र के पानी में घुलता जा रहा है। यकीन मानिए ये खतरा किसी एटम बम से कम नहीं है। .

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केरोसीन

केरोसीन (मिट्टी का तेल) एक तरल खनिज है जिसका मुख्य उपयोग दीप, स्टोव और ट्रैक्टरों में जलाने में होता है। इस काम के लिये तेल की श्यानता कम, दमकांक ऊँचा, रंग साफ और हल्का, जलने पर दुर्गंध और धुआँ देनेवाले पदार्थों का अभाव रहना चाहिए। औषधियों में विलायक के रूप में, उद्योग धंधों में, प्राकृतिक गैस से पैट्रोल निकालने में तथा अवशोषक तेल के रूप में भी इसका व्यवहार होता है। .

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कोयला

कोयला एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है जिसको ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में कोयला अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का ३५% से ४०% भाग कोयलें से पाप्त होता हैं। विभिन्न प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है। कोयले से अन्य दहनशील तथा उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किया जाता है। ऊर्जा के अन्य स्रोतों में पेट्रोलियम तथा उसके उत्पाद का नाम सर्वोपरि है। .

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अनुप्रयुक्त भूभौतिकी

अनुप्रयुक्त भूभौतिकी (Applied Geophysics), या भूभौतिक पूर्वेक्षण में पृथ्वी के पृष्ठ पर भौतिक मापों के द्वारा अधस्थल (subsurface) भूवैज्ञानिक जानकारियों का संग्रह किया जाता है। इसका उद्देश्य खनिज, पेट्रोलियम, जल, घात्विक निक्षेप, विखंडनीय पदार्थो (fissile material) का स्थान-निर्धारण और बाँध, रेलमार्ग, हवाई अड्डों, सैनिक और कृषि प्रायोजनाओं के निर्माणार्थ सतह के निकटस्थ स्तर के भूवैज्ञानिक लक्षणों से आँकड़ों का संग्रह है। .

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अंतरराष्ट्रीय तापनाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र

आई। टी.ई.आर निर्वात वैसल के प्रतिरूप का चित्र; जिसमें डाईवर्टर कैसेट्स की अंदरूनी सतहों पर ४४० ब्लैंकेट्स जुड़े दिख रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय तापनाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र (अंग्रेज़ी:इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर)) ऊर्जा की कमी की समस्या से निबटने के लिए भारत सहित विश्व के कई राष्ट्रों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के सहयोग से मिलकर बनाया जा रहा संलयन नाभिकीय प्रक्रिया पर आधारित ऐसा विशाल रिएक्टर है, जो कम ईंधन की सहायता से ही अपार ऊर्जा उत्पन्न करेगा। सस्ती, प्रदूषणविहीन और असीमित ऊर्जा पैदा करने की दिशा में हाइड्रोजन बम के सिद्धांत पर इस नाभिकीय महापरियोजना को प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है। इसमें संलयन से उसी प्रकार से ऊर्जा मिलेगी जैसे पृथ्वी को सूर्य या अन्य तारों से मिलती है। .

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अंतरंगी लेनदेन

अंतरंगी लेनदेन (Insider Trading) लोगों द्वारा निगम के शेयर अथवा अन्य प्रतिभूतियों (जैसे कि बॉण्ड या स्टॉक बेचने न बेचने के सम्भावित विकल्पों का व्यवहार करते हुए कारोबार करने को कहते हैं ताकि कंपनी के बारे में जानकारी को गैर-सार्वजनिक रहने दिया जाय. अधिकांश देशों में कंपनी के अंतरगियों जैसे कि अधिकारियों, महत्त्वपूर्ण कर्मचारियों, निदेशकों, एवं बड़े शेयरधारकों द्वारा लेनदेन कानूनी हो सकता हैं, अगर यह लेनदेन सूचना के गैर-सार्वजनिक होने का गलत फायदा नहीं उठाता है तभी. हालांकि इस शब्द का व्यवहार बहुधा एक ऎसी कार्यप्रणाली के लिए किया जाता है जिसमें कोई अंतरंगी (अंदरूनी सूत्र) अथवा संबंधित पार्टी (गैर-सार्वजनिक सूचना पर आधारित तथ्यों) कंपनी में कर्मरत अंतरंगियों के कार्य निष्पादन के दौरान प्राप्त गैर-सार्वजनिक सूचना पर आधारित तथ्यों), अथवा न्यासी के साथ-साथ विशवास और आस्था के अन्य संपर्क भंग हुए हों या जहां कंपनी से प्राप्त गैर-सार्वजनिक सूचना का आनुचित उपयोग किया गया हो। संयुक्त राज्य अमेरिका एवं कई अन्य न्यायालयों में कंपनी के अधिकारियों, महत्त्वपूर्ण कर्मचारियों, निदेशकों, या फिर महत्त्वपूर्ण शेयरधारकों (संयुक्त राज्य अमेरिका में, दस प्रतिशत अथवा कंपनी की अधिक इक्विटी प्रतिभूतियों के लाभकारी मालिकों के रूप में जो परिभाषित किए जाते हैं) की सूचना (रिपोर्ट) नियामक को अवश्य दी जानी चाहिए या लेनदेन के कुछ ही व्यावसायिक दिनों के अंदर ही सार्वजनिक रूप से खुलासा कर दिया जाना चाहिए। कई निवेशक इन अंतरंगी लेनदेनों के सारांश इस उम्मीद से पालन करते हैं कि इन व्यापारों का नक़ल उनके लिए लाभकारी ही होगा। जबकि "कानूनी" अंतरंगी लेनदेन गैर-सार्वजनिक सूचना पर आधारित तथ्य (सामग्री) पर नहीं हो सकता है, कुछ निवेशकों का कंपनी के स्वास्थ्य के बारे में यह मानना है कि कंपनी के अंतरंगियों के पास बेहतर सूझ-बूझ हो सकती हैं (विस्तार से अगर कहा जाय) और उनके लेनदेन से हो सकता है कि महत्त्वपूर्ण सूचना प्राप्त हो सकती है (यथा, प्रतिभूतियां को बेचने वाले ऐसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी के बारे में जिनकी सेवा-निवृति आसन्न हो, प्रतिभूतियों की खरीदारी करने वाले कंपनी के अधिकारियों की अधिक से अधिक प्रतिबद्धता, आदि के बारे में.) अवैध अंतरंगी लेनदेन के बारे में ऐसा मानना है कि इससे प्रतिभूतियों के निर्गमकर्ता की पूंजी की लागत बढ़ जाती है, अतः कुल आर्थिक वृद्धि में कमी आती है। .

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उत्प्रेरण

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया की गति किसी पदार्थ की उपस्थिति मात्र से बढ जाती है तो इसे उत्प्रेरण (Catalysis) कहते हैं। जिस पदार्थ की उपस्थिति से अभिक्रिया की गति बढ जाती है उसे उत्प्रेरक (catalyst) कहते हैं। उत्प्रेरक अभिक्रिया में भाग नहीं लेता, केवल क्रिया की गति को प्रभावित करता है। औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण रसायनों के निर्माण में उत्प्रेरकों की बहुत बड़ी भूमिका है, क्योंकि इनके प्रयोग से अभिक्रिया की गति बढ जाती है जिससे अनेक प्रकार से आर्थिक लाभ होता है और उत्पादन तेज होता है। इसलिये उत्प्रेरण के क्षेत्र में अनुसंधान के लिये बहुत सा धन एवं मानव श्रम लगा हुआ है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

पैट्रोलियम, पेट्रोलियम, भूतैल, कच्चा तेल

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