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शाह शुजा

सूची शाह शुजा

शाह शुजा दुर्रानी अफ़ग़ानिस्तान का अमीर था(1803-9, 1839-42) जो दोस्त मुहम्मद ख़ान से हारकर कश्मीर में रहा था। प्रथम आंग्ल अफ़ग़ान युद्ध के बाद अंग्रेज़ों ने उसे अफ़ग़ानिस्तान का शासक फिर से बनाया लेकिन २ साल के भीतर उसकी काबुल में हत्या कर दी गई। इसके बाद दुर्रानी वंश का पतन हो गया था। उसे सिख महाराजा रणजीत सिंह ने एक आक्रमण में कश्मीर से छुड़वाया था और अपनी रिहाई के बदले में उसने रणजीत सिंह को प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा दिया था। श्रेणी:अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास.

3 संबंधों: दोस्त मुहम्मद ख़ान, प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध, मुमताज़ महल

दोस्त मुहम्मद ख़ान

दोस्त मोहम्मद खान (पश्तो: दोस्त मोहम्मद खान, 23 दिसंबर 1793 - 1863) 9 जून प्रथम आंग्ल-अफगान दौरान बारक़ज़ई वंश का संस्थापक और अफगानिस्तान के प्रमुख शासकों में से एक था।826-1839 अफगानिस्तान के अमीर बन गया और दुर्रानी वंश के पतन के साथ, वह 1845 से 1863 तक अफ़ग़ानिस्तान पर शासन किया। वह सरदार पाइंदा खान (बरक़ज़ई जनजाति के प्रमुख) का 11 वां बेटा था जो जमान शाह दुर्रानी से 1799 में मारा गया था। दोस्त मोहम्मद के दादा हाजी जमाल खान था। अफ़ग़ानों और अंग्रेजों की पहली लड़ाई के बाद उसे कलकत्ता निर्वासित कर दिया गया था लेकिन शाह शुजा की हत्या के बाद, 1842 में ब्रिटिश उसे अफ़ग़ानिस्तान का अमीर बना गए। उसने पंजाब के रणजीत सिंह से भी लोहा लिया। .

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प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध

एलिजाबेथ बटलर द्वारा बनाया गया चित्र जिसमें जनवरी १८४२ में जलालाबाद के अंग्रेज़ सैन्य अड्डे पर पहुँचने वाले एक मात्र ब्रिटिश विलियम ब्राइडन को दिखाया गया है। काबुल से वापसी की शुरुआत क़रीब १६५०० ब्रिटिश तथा भारतीय सैनिकों और कर्मचारियों ने की थी। प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध जिसे प्रथम अफ़ग़ान युद्ध के नाम से भी जाना जाता है, 1839 से 1842 के बीच अफ़ग़ानिस्तान में अंग्रेजों और अफ़ग़ानिस्तान के सैनिकों के बीच लड़ा गया था। इसकी प्रमुख वजह अंग्रज़ों के रूसी साम्राज्य विस्तार की नीति से डर था। आरंभिक जीत के बाद अंग्रेज़ो को भारी क्षति हुई, बाद में सामग्री और सैनिकों के प्रवेश के बाद वे जीत तो गए पर टिक नहीं सके। .

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मुमताज़ महल

ताज महल मुमताज़ महल (फ़ारसी: ممتاز محل; उच्चारण /, अर्थ: महल का प्यारा हिस्सा) अर्जुमंद बानो बेगम का अधिक प्रचलित नाम है। इनका जन्म अप्रैल 1593 में आगरा में हुआ था। इनके पिता अब्दुल हसन असफ़ ख़ान एक फारसी सज्जन थे जो नूरजहाँ के भाई थे। नूरजहाँ बाद में सम्राट जहाँगीर की बेगम बनीं। १९ वर्ष की उम्र में अर्जुमंद का निकाह शाहजहाँ से 10 मई, 1612 को हुआ। अर्जुमंद शाहजहाँ की तीसरी पत्नी थी पर शीघ्र ही वह उनकी सबसे पसंदीदा पत्नी बन गईं। उनका निधन बुरहानपुर में 17 जून, 1631 को १४वीं संतान, बेटी गौहरारा बेगम को जन्म देते वक्त हुआ। उनको आगरा में ताज महल में दफनाया गया। .

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