लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

शारदा लिपि

सूची शारदा लिपि

शारदा लिपि में लिखी एक पाण्डुलिपि शारदा लिपि का उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी-पश्चिमी भाग में सीमित था। यह लिपि पश्चिमी ब्राह्मी लिपि से नौवीं शताब्दी में उत्पन्न हुई। आज इसका उपयोग बहुत ही कम होता है (कुछ पुराने पण्डित इसका उपयोग करते हैं)। हिमाचल प्रदेश में यह लिपि तेरहवीं शती तक प्रयोग में आती थी और फल-फूल रही थी। अल बरुनी ने अपने भारत यात्रा वर्णन में इसे "सिद्ध मात्रिक" नाम से उल्लेख किया है इसका कारण यह है कि शारदा वर्णमाला "ओम् स्वस्ति सिद्धम्" से आरम्भ की जाती है। कश्मीर देश की अधिष्ठात्री देवी 'शारदा' मानी जाती हैं दिससे वह देश 'शारदादेश' या 'शारदमंडल' कहलाता है और इसी से वहाँ की लिपि को 'शारदालिपि' कहते हैं। पीछे से उसको (कश्मीर को) 'देवदेश' भी कहते थे। मूल शारदालिपि ईस्वी सन् की दसवीं शताब्दी के आस पास कुटिल लिपि से निकली है और उसका प्रचार कश्मीर तथा पंजाब में रहा। उस में परिवर्तन होकर वर्तमान शारदा लिपि बनी जिसका प्रचार अब कश्मीर में बहुत कम रह गया है। उसका स्थान बहुधा नागरी, गुरुमुखी या टाकरी ने ले लिया है। .

8 संबंधों: देवनागरी का इतिहास, बख्शाली पाण्डुलिपि, ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ, बैजनाथ मंदिर, शारदा (नगर), सरस्वती भवन पुस्तकालय, कश्मीरी भाषा, अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत लिप्यन्तरण वर्णमाला

देवनागरी का इतिहास

देवनागरी लिपि की जड़ें प्राचीन ब्राह्मी परिवार में हैं। गुजरात के कुछ शिलालेखों की लिपि, जो प्रथम शताब्दी से चौथी शताब्दी के बीच के हैं, नागरी लिपि से बहुत मेल खाती है। ७वीं शताब्दी और उसके बाद नागरी का प्रयोग लगातार देखा जा सकता है। .

नई!!: शारदा लिपि और देवनागरी का इतिहास · और देखें »

बख्शाली पाण्डुलिपि

बख्शाली पाण्डुलिपि में प्रयोग किये गये अंक बक्षाली पाण्डुलिपि या बख्शाली पाण्डुलिपि (Bakhshali Manuscript) प्राचीन भारत की गणित से सम्बन्धित पाण्डुलिपि है। यह भोजपत्र पर लिखी है। यह सन् १८८१ में बख्शाली गाँव (तत्कालीन पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त; अब पाकिस्तान में, तक्षशिला से लगभग ७० किमी दूर) में मिली थी। यह शारदा लिपि में है एवं गाथा बोली (संस्कृत एवं प्राकृत का मिलाजुला रूप) में है। यह पाण्डुलिपि अपूर्ण है। इसमें केवल ७० 'पन्ने' (या पत्तियाँ) ही हैं जिनमें से बहुत ही बेकार हो चुकी हैं। बहुत से पन्ने अप्राप्य हैं। .

नई!!: शारदा लिपि और बख्शाली पाण्डुलिपि · और देखें »

ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ

ब्राह्मी परिवार उन लिपियों का परिवार हैं जिनकी पूर्वज ब्राह्मी लिपि है। इनका प्रयोग दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया में होता है, तथा मध्य व पूर्व एशिया के कुछ भागों में भी होता है। इस परिवार की किसी लेखन प्रणाली को ब्राह्मी-आधारित लिपि या भारतीय लिपि कहा जा सकता है। इन लिपियों का प्रयोग कई भाषा परिवारों में होता था, उदाहरणार्थ इंडो-यूरोपियाई, चीनी-तिब्बती, मंगोलियाई, द्रविडीय, ऑस्ट्रो-एशियाई, ऑस्ट्रोनेशियाई, ताई और संभवतः कोरियाई में। इनका प्रभाव आधुनिक जापानी भाषा में प्रयुक्त अक्षर क्रमांकन पर भी दिखता है। .

नई!!: शारदा लिपि और ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ · और देखें »

बैजनाथ मंदिर

बैजनाथ मंदिर बैजनाथ में स्थित नागर शैली में बना हिंदू मंदिर है। यह 1204 ईस्वी में अहुका और मन्युका नामक दो स्थानीय व्यापारियों ने बनवाया था। यह वैद्यनाथ (चिकित्सकों के प्रभु) के रूप में भगवान शिव को समर्पित है।  शिलालेखों के अनुसार वर्तमान बैजनाथ मंदिर के निर्माण से पूर्व भगवान शिव के मंदिर का अस्तित्व था। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग है। बाहरली दीवारों में अनेकों चित्रों की नक्काशी हुई है। .

नई!!: शारदा लिपि और बैजनाथ मंदिर · और देखें »

शारदा (नगर)

शारदा, जिसे स्थानीय भाषा में शारदी भी कहते हैं, आज़ाद कश्मीर के नीलम ज़िले में स्थित एक बस्ती है। यह नीलम ज़िले की दो तहसीलों में से एक है और किशनगंगा घाटी (जिसका नाम पाकिस्तान ने बदलकर नीलम घाटी रख दिया है) की सबसे सुंदर जगह माना जाता है। यह किशनगंगा नदी के किनारे १९८१ मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है और पाक-अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद से १३६ किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित है। .

नई!!: शारदा लिपि और शारदा (नगर) · और देखें »

सरस्वती भवन पुस्तकालय

सरस्वती भवन पुस्तकालय वाराणसी में स्थित भारत का एक प्रसिद्ध पुस्तकालय है। यह सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के परिसर में है। यहाँ दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ रखी हैं। इस समय यहाँ एक लाख से ज्यादा पांडुलिपियाँ हैं। भारतीय ज्ञान-विज्ञान का अनमोल खजाना संजोने वाली दुर्लभ प्राचीनतम पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए ही सरस्वती भवन की स्थापना की गई थी। .

नई!!: शारदा लिपि और सरस्वती भवन पुस्तकालय · और देखें »

कश्मीरी भाषा

कश्मीरी भाषा एक भारतीय-आर्य भाषा है जो मुख्यतः कश्मीर घाटी तथा चेनाब घाटी में बोली जाती है। वर्ष २००१ की जनगणना के अनुसार भारत में इसके बोलने वालों की संख्या लगभग ५६ लाख है। पाक-अधिकृत कश्मीर में १९९८ की जनगणना के अनुसार लगभग १ लाख कश्मीरी भाषा बोलने वाले हैं। कश्मीर की वितस्ता घाटी के अतिरिक्त उत्तर में ज़ोजीला और बर्ज़ल तक तथा दक्षिण में बानहाल से परे किश्तवाड़ (जम्मू प्रांत) की छोटी उपत्यका तक इस भाषा के बोलने वाले हैं। कश्मीरी, जम्मू प्रांत के बानहाल, रामबन तथा भद्रवाह में भी बोली जाती है। प्रधान उपभाषा किश्तवाड़ की "कश्तवाडी" है। कश्मीर की भाषा कश्मीरी (कोशुर) है ये कश्मीर में वर्तमान समय में बोली जाने वाली भाषा है। कश्मीरी भाषा के लिए विभिन्न लिपियों का उपयोग किया गया है, जिसमें मुख्य लिपियां हैं- शारदा, देवनागरी, रोमन और परशो-अरबी है। कश्मीर वादी के उत्तर और पश्चिम में बोली जाने वाली भाषाएं - दर्ददी, श्रीन्या, कोहवाड़ कश्मीरी भाषा के उलट थीं। यह भाषा इंडो-आर्यन और हिंदुस्तानी-ईरानी भाषा के समान है। भाषाविदों का मानना ​​है कि कश्मीर के पहाड़ों में रहने वाले पूर्व नागावासी जैसे गंधर्व, यक्ष और किन्नर आदि,बहुत पहले ही मूल आर्यन से अलग हो गए। इसी तरह कश्मीरी भाषा को आर्य भाषा जैसा बनने में बहुत समय लगा। नागा भाषा स्वतः ही विकसित हुई है इस सब के बावजूद, कश्मीरी भाषा ने अपनी विशिष्ट स्वर शैली को बनाए रखा और 8 वीं-9 वीं शताब्दी में अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं की तरह, कई चरणों से गुजरना पड़ा। .

नई!!: शारदा लिपि और कश्मीरी भाषा · और देखें »

अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत लिप्यन्तरण वर्णमाला

अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत लिप्यन्तरण वर्णमाला (अंग्रेजी: IAST - International Alphabet of Sanskrit Transliteration) एक लोकप्रिय लिप्यन्तरण स्कीम है जो कि इण्डिक लिपियों के हानिरहित (लॉसलॅस) रोमनकरण हेतु प्रयोग की जाती है। इसमें गैर-आस्की वर्णों का भी प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा छोटे-वर्ण (small letters) और बड़े-वर्ण दोनो का प्रयोग किया गया है। .

नई!!: शारदा लिपि और अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत लिप्यन्तरण वर्णमाला · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »