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शान्ति स्वरूप भटनागर

सूची शान्ति स्वरूप भटनागर

सर शांति स्वरूप भटनागर, OBE, FRS (२१ फरवरी १८९४ – १ जनवरी १९५५) जाने माने भारतीय वैज्ञानिक थे। इनका जन्म शाहपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। इनके पिता परमेश्वरी सहाय भटनागर की मृत्यु तब हो गयी थी, जब ये केवल आठ महीने के ही थे। इनका बचपन अपने ननिहाल में ही बीता। इनके नाना एक इंजीनियर थे, जिनसे इन्हें विज्ञान और अभियांत्रिकी में रुचि जागी। इन्हें यांत्रिक खिलौने, इलेक्ट्रानिक बैटरियां और तारयुक्त टेलीफोन बनाने का शौक रहा। इन्हें अपने ननिहाल से कविता का शौक भी मिला और इनका उर्दु एकांकी करामाती प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया था। भारत में स्नातकोत्तर डिग्री पूर्ण करने के उपरांत, शोध फ़ैलोशिप पर, ये इंगलैंड गये। इन्होंने युनिवर्सिटी कालेज, लंदन से १९२१ में, रसायन शास्त्र के प्रोफ़ैसर फ़्रेड्रिक जी डोन्नान की देख रेख में, विज्ञान में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। भारत लौटने के बाद, उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रोफ़ैसर पद हेतु आमंत्रण मिला। सन १९४१ में ब्रिटिश सरकार द्वारा इनकी शोध के लिये, इन्हें नाइटहुड से सम्मानित किया गया। १८ मार्च १९४३ को इन्हें फ़ैलो आफ़ रायल सोसायटी चुना गया। इनके शोध विषय में एमल्ज़न, कोलाय्ड्स और औद्योगिक रसायन शास्त्र थे। परन्तु इनके मूल योगदान चुम्बकीय-रासायनिकी के क्षेत्र में थे। इन्होंने चुम्बकत्व को रासायनिक क्रियाओं को अधिक जानने के लिये औजार के रूप में प्रयोग किया था। इन्होंने प्रो॰ आर.एन.माथुर के साथ भटनागर-माथुर इन्टरफ़ेयरेन्स संतुलन का प्रतिपादन किया था, जिसे बाद में एक ब्रिटिश कम्पनी द्वारा उत्पादन में प्रयोग भी किया गया। इन्होंने एक सुन्दर कुलगीत नामक विश्वविद्यालय गीत की रचना भी की थी। इसका प्रयोग विश्वविद्यालय में कार्यक्रमों के पहले होता आया है। भारत के प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू वैज्ञानिक प्रसार के प्रबल समर्थक थे। १९४७ में, भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना, श्री भटनागर की अध्यक्षता में की गयी। इन्हें सी.एस.आई.आर का प्रथम महा-निदेशक बनाया गया। इन्हें शोध प्रयोगशालाओं का जनक कहा जाता है व भारत में अनेकों बड़ी रासायनिक प्रयोगशालाओं के स्थापन हेतु स्मरण किया जाता है। इन्होंने भारत में कुल बारह राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित कीं, जिनमें प्रमुख इस प्रकार से हैं.

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भटनागर

महाराज चित्रगुप्त के परिवार में भटनागरों का स्थान भटनागर उत्तर भारत में प्रयुक्त होने वाला एक जातिनाम है, जो कि हिन्दुओं की कायस्थ जाति में आते है। इनका प्रादुर्भाव यमराज, मृत्यु के देवता, के पप पुण्य के अभिलेखक, श्री चित्रगुप्त जी की प्रथम पत्नी दक्षिणा नंदिनी के द्वितीय पुत्र विभानु के वंश से हुआ है। विभानु को चित्राक्ष नाम से भी जाना जाता है। महाराज चित्रगुप्त ने इन्हें भट्ट देश में मालवा क्षेत्र में भट नदी के पास भेजा था। इन्होंने वहां चित्तौर और चित्रकूट बसाये। ये वहीं बस गये और इनका वंश भटनागर कहलाया। .

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भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान

लखनऊ संम्स्थान् भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईटीआरसी या आईआईटीआर) लखनऊ, उत्तर प्रदेश में स्थित विष विज्ञान से संबंधित अनुसंधान संस्थान है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की संघटक प्रयोगशाला है। यह पर घेरु गांव के निकट महात्मा गांधी मार्ग पर स्थित है। इसकी स्थापना १९६५ में हुई थी। इसके संस्थापक-निदेशक प्रो॰सिब्ते हुसैन ज़ैदी (१९६५-१९७४) मृत्यु-पर्यन्त थे। ये पद्मश्री एवं सर शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के धारक थे। संसथान विषविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में शोध संचालित करता है। इसमें औद्योगिक और पर्यावरण संबंधी रसायनों के मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव एवं वायु, जल एवं मिट्टी में प्रदूषकों के पर्यावरण संबंधी अनुवीक्षण सम्मिलित हैं। संस्थान नियामक निकायों को रसायनों/उत्पादों के सुरक्षित उपयोग हेतु दिशा-निर्देश बनाने/संशोधित करने में भी सहायता प्रदान करता है एवं यह सुनिश्चित करता है कि जनसामान्य को इसका लाभ मिले। आई.आई.टी.आर.

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भारतीय वैज्ञानिकों की सूची

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शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की सूची

शांति स्वरूप भटनागर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पुरस्कार भारत में सर्वोच्च बहुआयामी विज्ञान पुरस्कारों में से एक है। इसकी स्थापना १९५८ में इसके संस्थापक निदेशक शान्ति स्वरूप भटनागर के सम्मान में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा की गई थी। .

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शांति स्वरूप भटनागर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पुरस्कार

शांति स्वरूप भटनागर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पुरस्कार वार्षिक रूप से वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी.एस.आई.आर) द्वारा उल्लेखनीय एवं असाधारण अनुसंधान, अपलाइड या मूलभूत श्रेणी के जीववैज्ञानिक, रासायनिक, पार्थिव, पर्यावरणीय, सागरीय एवं ग्रहीय, अभियांत्रिक, गणितीय, चिकित्सा एवं भौतिक विज्ञान के क्षेत्रों में दिये जाते हैं। इस पुरस्कार का उद्देश्य विज्ञाण एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय एवं असाधारण भारतीय प्रतिभाके धनियों को उजागर करना है। यह पुरस्कार सी एस आई आर के प्रथम एवं संस्थापक निदेशक सर शांति स्वरूप भटनागर के सम्माण में दिया जाता है। .

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काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (आम तौर पर बी.एच.यू.) वाराणसी में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एक्ट, एक्ट क्रमांक १६, सन् १९१५) महामना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा सन् १९१६ में वसंत पंचमी के पुनीत दिवस पर की गई थी। दस्तावेजों के अनुसार इस विधालय की स्थापना मे मदन मोहन मालवीय जी का योगदान सिर्फ सामान्य संस्थापक सदस्य के रूप मे था,महाराजा दरभंगा रामेश्वर सिंह ने विश्वविद्यालय की स्थापना में आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था दान ले कर की ।इस विश्वविद्यालय के मूल में डॉ॰ एनी बेसेन्ट द्वारा स्थापित और संचालित सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज की प्रमुख भूमिका थी। विश्वविद्यालय को "राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान" का दर्ज़ा प्राप्त है। संप्रति इस विश्वविद्यालय के दो परिसर है। मुख्य परिसर (१३०० एकड़) वाराणसी में स्थित है जिसकी भूमि काशी नरेश ने दान की थी। मुख्य परिसर में ६ संस्थान्, १४ संकाय और लगभग १४० विभाग है। विश्वविद्यालय का दूसरा परिसर मिर्जापुर जनपद में बरकछा नामक जगह (२७०० एकड़) पर स्थित है। ७५ छात्रावासों के साथ यह एशिया का सबसे बड़ा रिहायशी विश्वविद्यालय है जिसमे ३०,००० से ज्यादा छात्र अध्यनरत हैं जिनमे लगभग ३४ देशों से आये हुए छात्र भी शामिल हैं। इसके प्रांगण में विश्वनाथ का एक विशाल मंदिर भी है। सर सुंदरलाल चिकित्सालय, गोशाला, प्रेस, बुक-डिपो एवं प्रकाशन, टाउन कमेटी (स्वास्थ्य), पी.डब्ल्यू.डी., स्टेट बैंक की शाखा, पर्वतारोहण केंद्र, एन.सी.सी.

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१९५४ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

एस. एस. भटनागर, डा.शांति स्वरूप भटनागर, डॉ.एस.एस. भटनागर, डॉ.शांति स्वरूप भटनागर, शान्तिस्वरूप भटनागर, शांति स्वरूप भटनागर, शांती स्वरूप भटनागर, सर शांति स्वरूप भटनागर

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