व्यक्तिपरकता (Subjectivity) चेतना, वास्तविकता और सत्य के बोध से सम्बन्धित वह दार्शनिक अवधारणा है जिसमें किसी व्यक्ति या अन्य बोध करने वाले जीव को वास्तविकता वसी प्रतीत होती है जैसे उसके अपने स्वयं के गुणों द्वारा प्रभावित हो। यह वस्तुनिष्ठता के विपरीत होती है जिसमें तथ्य वैश्विक-रूप से सत्य होते हैं और बोध करने वाले व्यक्ति या जीव के भीतरी गुणों पर निर्भर नहीं होते। उदाहरण के लिये कोई व्यक्ति क्रोधित हो तो उसे व्यक्तिपरक रूप से कोई अन्य व्यक्ति शत्रु प्रतीत हो सकता है जबकी वस्तुनिष्ठ सत्य में यह अन्य व्यक्ति मित्र हो। .
1 संबंध: उत्तर आधुनिकतावाद।
उत्तर आधुनिकतावाद (Postmodernism) २०वीं शताब्दी के दूसरे भाग में दर्शनशास्त्र, कला, वास्तुशास्त्र और आलोचना के क्षेत्रों में फैला एक सांस्कृतिक आंदोलन था जिसने अपने से पहले प्रचलित आधुनिकतावाद को चुनौती दी और सांस्कृतिक वातावरण बदल डाला। इस नई विचारशैली में विचारधाराओं, एक निर्धारित दिशा वाले सामाजिक विकास और वस्तुनिष्ठावाद के विरुद्ध, और संशयवाद, व्यक्तिपरकता (subjectivity) और व्यंगोक्ति की ओर रुझान प्रचलित हो गया। .
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