व्यक्तिपन (personhood) किसी जीव को व्यक्ति होने का दर्जा प्राप्त होने की स्थिति को कहते हैं। इसकी परिभाषा दर्शनशास्त्र और कानून में बहुत विवादास्पद रही है और न्याय व राजनीति में नागरिकता, न्याय की दृष्टि में हर मानव की समानता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों से सम्बन्धित रही है। व्यक्तिपन का दर्जा प्राप्त होने का अर्थ है कि वह जीव अपने भला-बुरा सोचने में सक्षम, भविष्य-भूत की समझ रखने वाला और मूल्यों के आधार पर निर्णय करने वाला समझा जाता है, और उसे कानूनी रूप से कई अधिकार दिये जाते हैं। दासप्रथा की समाप्ति में व्यक्तिपन के सिद्धांतों का गहरा प्रयोग करा गया था। .
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