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वैश्वीकरण

सूची वैश्वीकरण

Puxi) शंघाई के बगल में, चीन. टाटा समूहहै। वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है।वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के सन्दर्भ में किया जाता है, अर्थात, व्यापार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पूंजी प्रवाह, प्रवास और प्रौद्योगिकी के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण.

46 संबंधों: ऐतिहासिक भूगोल, दि इकॉनॉमिस्ट, नयी आर्थिक नीति १९९१, नागरिक समाज, पश्चिमी संस्कृति, पृथ्वी का इतिहास, पूर्व की ओर देखो (नीति), फ़ॉरेन पॉलिसी, बर्गर किंग, बी पी ओ, भारत में संचार, भारतीय मीडिया, भारतीय जनता पार्टी, भ्रष्टाचार (आचरण), मानविकी, मैकडॉनल्ड्स, समाजशास्त्र, समकालीन, सामाजिक परिवर्तन, सामाजिक वर्ग, साम्राज्यवाद, संरक्षणवाद, सुनहला चावल, स्वीडन, हेमा उपाध्याय, जावा मोटरसाइकिल, जगदीश एन. भगवती, जूडो, वनोन्मूलन, विदेश नीति, विश्व शांति, विश्व सामाजिक मंच, व्यावसायिक पर्यावरण, व्यवसाय-नीति, औद्योगिक क्रांति, आधुनिकता, आपसी सहायता, आर्थिक राष्ट्रवाद, आर्थिक सुधार, कामगार वर्ग, अनुसंधान, अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध, अमेरिकीकरण, अशासकीय संस्था, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, 2000 के दशक के उत्तरार्द्ध की आर्थिक मंदी

ऐतिहासिक भूगोल

ऐतिहासिक भूगोल किसी स्थान अथवा क्षेत्र की भूतकालीन भौगोलिक दशाओं का या फिर समय के साथ वहाँ के बदलते भूगोल का अध्ययन है। यह अपने अध्ययन क्षेत्र के सभी मानवीय और भौतिक पहलुओं का अध्ययन किसी पिछली काल-अवाधि के सन्दर्भ में करता है या फिर समय के साथ उस क्षेत्र के भौगोलिक दशाओं में परिवर्तन का अध्ययन करता है। बहुत सारे भूगोलवेत्ता किसी स्थान का इस सन्दर्भ में अध्ययन करते हैं कि कैसे वहाँ के लोगों ने अपने पर्यावरण के साथ अंतर्क्रियायें कीं और किस प्रकार इन क्रियाओं के परिणामस्वरूप उस स्थान के भूदृश्यों का उद्भव और विकास हुआ। आज के परिप्रेक्ष्य में भूगोल की इस शाखा का जो रूप दिखाई पड़ता है उसका सर्वप्रथम प्रतिनिधित्व करने वाली रचनाओं में हेरोडोटस के उन वर्णनों को माना जा सकता है जिनमें उन्होंने नील नदी के डेल्टाई क्षेत्रों के विकास का वर्णन किया है, हालाँकि तब ऐतिहासिक भूगोल जैसी कोई शब्दावली नहीं बनी थी। आधुनिक रूप में इसका विकास जर्मनी में फिलिप क्लूवर के साथ शुरू माना जाता है जिन्होंने जर्मनी का ऐतिहासिक भूगोल लिखकर इस शाखा का प्रतिपादक बनने का श्रेय हासिल किया। १९७५ में जर्नल ऑफ हिस्टोरिकल ज्याग्रफी के पहले अंक के साथ ही इसके विषय क्षेत्र और अध्ययनकर्ताओं के समूह जो एक व्यापक विस्तार मिला। अमेरिका में इस शाखा को सबसे अधिक बल कार्ल सॉअर के सांस्कृतिक भूगोल के अध्ययन से मिला जिसके द्वारा उन्होंने सांस्कृतिक भूदृश्यों के ऐतिहासिक विकास के अध्ययन को प्रेरित किया। हालाँकि अब वर्तमान समय में इसमें कई अन्य थीम शामिल हो चुकी हैं जिनमें पर्यावरण का ऐतिहासिक अध्ययन और पर्यावरणीय ज्ञान के ऐतिहासिक अध्ययन को भी शामिल किया जाता है। अब ऐतिहासिक भूगोल रुपी भूगोल की यह शाखा इतिहास, पर्यावरणीय इतिहास और ऐतिहासिक पारिस्थितिकी इत्यादि शाखाओं से काफ़ी करीब मानी जा सकती है। .

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दि इकॉनॉमिस्ट

दि इकॉनॉमिस्ट​ (The Economist) ब्रिटेन में लंदन से छपने वाली एक साप्ताहिक पत्रिका है। इसमें आर्थिक, राजनैतिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर लेख सम्मिलित होते हैं। सितम्बर १८४३ में इसका प्रकाशन शुरू हुआ और तब से यह लगातार छपती आ रही है।, Mark Skousen, pp.

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नयी आर्थिक नीति १९९१

१९९० के दशक में भारत सरकार ने आर्थिक संकट से बाहर आने के क्रम में अपने पिछले आर्थिक नीतियों से विचलित और निजीकरण की दिशा में सीखने का फैसला किया और अपनी नई आर्थिक नीतियों को एक के बाद एक घोषित करना शुरू कर दिया। आगे चलकर इन नीतियों के अच्छे परिणाम देखने को मिले और भारत के आर्थिक इतिहास में ये नीतियाँ मील के पत्थर सिद्ध हुईं। उस समय पी वी नरसिंह राव भारत के प्रधानमंत्री थे और मनमोहन सिंह वित्तमंत्री थे। इससे पहले देश एक गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा था और इसी संकट ने भारत के नीति निर्माताओं को नयी आर्थिक नीति को लागू के लिए मजबूर कर दिया था । संकट से उत्पन्न हुई स्थिति ने सरकार को मूल्य स्थिरीकरण और संरचनात्मक सुधार लाने के उद्देश्य से नीतियों का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया। स्थिरीकरण की नीतियों का उद्देश्य कमजोरियों को ठीक करना था, जिससे राजकोषीय घाटा और विपरीत भुगतान संतुलन को ठीक किया सके। नई आर्थिक नीति के ३ प्रमुख घटक या तत्व थे- उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण । .

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नागरिक समाज

नागरिक समाज, सरकार द्वारा समर्थित संरचनाओं (राज्य की राजनीतिक प्रणाली का लिहाज़ किए बिना) और बाज़ार के वाणिज्यिक संस्थानों से बिलकुल अलग, क्रियात्मक समाज के आधार को रूप देने वाले स्वैच्छिक नागरिक और सामाजिक संगठनों और संस्थाओं की समग्रता से बना है। क़ानूनी राज्य का सिद्धांत (Rechtsstaat, यानी क़ानून के नियमांतर्गत राज्य) राज्य और नागरिक समाज की समानता को अपनी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता मानता है। उदाहरण के लिए, लिथुआनिया गणराज्य का संविधान लिथुआनियाई राष्ट्र को "क़ानून के शासन के तहत एक मुक्त, न्यायोचित और सामंजस्यपूर्ण नागरिक समाज और सरकार के लिए प्रयासरतस" के रूप में परिभाषित करता है। .

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पश्चिमी संस्कृति

पश्चिमी संस्कृति (जिसे कभी-कभी पश्चिमी सभ्यता या यूरोपीय सभ्यता के समान माना जाता है), यूरोपीय मूल की संस्कृतियों को सन्दर्भित करती है। यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर यूरोपीय साम्राज्यों द्वारा इसका वैश्वीकरण हुआ। दर्शन, मध्ययुगीन मतवाद एवं रहस्यवाद, ईसाई एवं धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद की एक जटिल श्रृंखला के साथ यूरोपीय संस्कृति का विकास हुआ। ज्ञानोदय, प्रकृतिवाद, स्वच्छंदतावाद (रोमेन्टिसिज्म), विज्ञान, लोकतंत्र और समाजवाद के प्रयोगों के साथ परिवर्तन एवं निर्माण के एक लंबे युग के माध्यम से तर्कसंगत विचारधारा विकसित हुई.

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पृथ्वी का इतिहास

पृथ्वी के इतिहास के युगों की सापेक्ष लंबाइयां प्रदर्शित करने वाले, भूगर्भीय घड़ी नामक एक चित्र में डाला गया भूवैज्ञानिक समय. पृथ्वी का इतिहास 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी ग्रह के निर्माण से लेकर आज तक के इसके विकास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं और बुनियादी चरणों का वर्णन करता है। प्राकृतिक विज्ञान की लगभग सभी शाखाओं ने पृथ्वी के इतिहास की प्रमुख घटनाओं को स्पष्ट करने में अपना योगदान दिया है। पृथ्वी की आयु ब्रह्माण्ड की आयु की लगभग एक-तिहाई है। उस काल-खण्ड के दौरान व्यापक भूगर्भीय तथा जैविक परिवर्तन हुए हैं। .

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पूर्व की ओर देखो (नीति)

पूर्व की ओर देखो नीति भारत द्वारा द॰ पू॰ एशिया के देशों के साथ बड़े पैमाने पर आर्थिक और सामरिक संबंधों को विस्तार देने, भारत को एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करने और इस इलाके में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के उद्देश्यों से बनाई गई नीति है।अरोड़ा - (गूगल पुस्तक) वर्ष १९९१ में नरसिंह राव सरकार द्वारा शुरू की गयी इस नीति के साथ ही भारत के विदेश नीति के परिप्रेक्ष्यों में एक नई दिशा और नए अवसरों के रूप में देखा गया और वाजपेयी सरकार तथा मनमोहन सरकार ने भी इसे अपने कार्यकाल में लागू किया। वस्तुतः यह नीति शीत युद्ध की समाप्ति के बाद उभरे नए वैश्विक और क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्यों, शक्ति संतुलन और भारत की नई आर्थिक नीतियों के साथ विदेश नीति के समन्वय की अवधारणा का परिणाम है जिसके मूल रूपरेखाकार के रूप में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह जी को देखा जाता है।- रेडियो जर्मनी, जून ०६, २०१३ (अभिगमन तिथि २६.०६.२०१४) यह इन क्षेत्रों के साथ नए रिश्ते बनाने की शुरुआत नहीं थी बल्कि प्राचीन काल के, किन्तु एक दीर्घअवधि से उपेक्षित, रिश्तों को पुनर्जीवित करने की कोशिश थी। हाल के नतीजों को देखा जाय तो इस बात को स्वीकार करने के कई कारण हैं कि भारत को इस नीति से लाभ हुआ है और वह इस नीति के द्वारा अपने संबंध इन पूर्वी देशों से मजबूत करने में सफल रहा है। जिस तरह भारत "पूर्व की ओर देखो" की नीति अपनाए हुए हैं उसी तरह थाईलैंड “पश्चिम की ओर देखो” की नीति अपनाए हुए हैं और ये दोनों नीतियां एक ही बिन्दु पर मिलती हैं। भारत ने चीन को भी बार-बार यह समझाने की कोशिश की है कि यह नीति चीन के कंटेंनमेंट के लिये नहीं है जैसा कि चीन इसे मानता है। .

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फ़ॉरेन पॉलिसी

फ़ॉरेन पॉलिसी (Foreign Policy) एक अमेरिकी समाचार पत्रिका है जो वैश्विक विषयों, वर्तमान घटनाओं, देशीय व विदेशीय नीतियों पर केन्द्रित है। इसकी स्थापना सन् १९७० में हुई थी। यह अपने जालस्थल पर दैनिक रूप से और छपी प्रतियों में वर्ष में छह अंकों में सामग्री प्रकाशित करती है। .

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बर्गर किंग

बर्गर किंग, जिसे अक्सर संक्षेप में बीके कहा जाता है, हैमबर्गर फास्ट फूड रेस्तरां की एक वैश्विक श्रृंखला है जिसका मुख्यालय अनिगमित मियामी-डेड काउंटी, फ्लोरिडा, अमेरिका में है। इस कंपनी की शुरुआत 1953 में एक जैक्सनविल, फ्लोरिडा आधारित रेस्तरां श्रृंखला के रूप में हुई थी जिसे मूलतः इंस्टा-बर्गर किंग के नाम से जाना जाता था। 1955 में वित्तीय कठिनाइयों से गुजरने के बाद इस कंपनी की दो मियामी आधारित फ्रेंचाइजी डेविड एडगरटन और जेम्स मैकलामोर ने कंपनी को खरीद लिया और इसका नाम बर्गर किंग रखा। अगली आधी शताब्दी में इस कंपनी के स्वामित्व में चार बार बदलाव हुआ; और इसके मालिकों के तीसरे समूह अर्थात् टीपीजी कैपिटल, बेन कैपिटल और गोल्डमैन साक्स कैपिटल पार्टनर्स की एक भागीदारी ने 2002 में इस कंपनी को सार्वजनिक कर दिया गया। वर्तमान में इसका स्वामित्व ब्राजील के 3जी कैपिटल के पास है जिसने 2010 के अंतिम दौर में मूल्य के एक सौदे में कंपनी के ज्यादातर शेयरों को हासिल कर लिया। 1954 में बर्गर किंग के मेनू में बर्गर, फ्राई, सोडा और मिल्कशेक जैसी बुनियादी चीजें ही शामिल थीं, लेकिन आज यहां विविध चीजों का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। मेनू में पहली बार 1957 में व्हौपर (Whopper) को शामिल किया गया; जो उसके बाद से बर्गर किंग का प्रमुख उत्पाद बन गया है। लेकिन साथ ही, बीके द्वारा पेश किये गए कई उत्पाद बाजार में अपनी पकड़ बनाने में असफल भी रहे हैं। अमेरिका में इनमें से कुछ विफलताओं ने विदेशी बाजारों में सफलता का मुंह भी देखा है जहां बीके ने अपने मेनू को क्षेत्रीय स्वाद के अनुरूप बनाया है। 2002 में कंपनी को ख़रीदे जाने के बाद बर्गर किंग ने आक्रामक रूप से ज्यादा उत्पादों के साथ 18 से 34 साल के पुरुषों को अपना लक्ष्य बनाना शुरू कर दिया जिन्होंने परिणामस्वरूप अक्सर बहुत बड़े पैमाने पर अस्वस्थ्यकर वसा और पार-वसा का इस्तेमाल किया। इस कार्यनीति के परिणामस्वरूप अंत में कंपनी के वित्तीय आधार को गहरा झटका लगा और इसका इसकी आमदनी पर नकारात्मक असर पड़ा.

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बी पी ओ

बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) एक प्रकार की आउटसोर्सिंग (Outsourcing) प्रकिया है जिसमेंंं कि एक तीसरे पक्ष सेवा प्रदाता को संचालन और एक विशिष्ट व्यवसाय प्रक्रिया (या कार्य) की ज़िम्मेदारियों का करार दिया जाता है | मूलतः, इस प्रक्रिया का प्रयोग उत्पादन करने वाली कंपनियां जैसे कोका कोला (Coca Cola) करती थी जो की आउटसोर्सिंग (Outsourcing) का प्रयोग अपनी आपूर्ति श्रृंखला के बड़े वर्ग के लिए करती थी |. समकालीन संदर्भ में, यह प्रकिया मुख्य रूप से सेवाओं की आउटसोर्सिंग (outsourcing) के लिए प्रयोग की जाती है | बीपीओ (BPO) आमतौर पर बैक ऑफिस (Back Office) में वर्गीकृत आउटसोर्सिंग है - जिसमेंं आंतरिक व्यापार कार्य जैसे मानव संसाधन या वित्त और लेखांकन शामिल है और फ्रंट ऑफिस (front office) आउटसोर्सिंग (outsourcing) जिसमेंं ग्राहक सम्बंधित सेवा जैसे संपर्क सेवा केंद्र शामिल है | बीपीओ (BPO) जिसमेंं किसी कंपनी को देश के बाहर अनुबंधित किया उसे अपतटीय आउटसोर्सिंग (Offshore Outsourcing) कहते है | बीपीओ जिसमेंं किसी पड़ोसी देश (या आसपास) की कंपनी को अनुबंधित किया जाता है उसको नेअर्शोर आउटसोर्सिंग (Nearshore Outsourcing) कहते है | सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग और बीपीओ की निकटता को देखते हुए इसे सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवा या आईटीईएस (ITES) के रूप में वर्गीकृत किया गया है | नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग (Knowledge Process Outsourcing - KPO) औरलीगल प्रोसेस आउटसोर्सिंग (Legal Process Outsourcing - LPO) बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) उद्योग के उपभाग है | .

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भारत में संचार

भारतीय दूरसंचार उद्योग दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता दूरसंचार उद्योग है, जिसके पास अगस्त 2010http://www.trai.gov.in/WriteReadData/trai/upload/PressReleases/767/August_Press_release.pdf तक 706.37 मिलियन टेलीफोन (लैंडलाइन्स और मोबाइल) ग्राहक तथा 670.60 मिलियन मोबाइल फोन कनेक्शन्स हैं। वायरलेस कनेक्शन्स की संख्या के आधार पर यह दूरसंचार नेटवर्क मुहैया करने वाले देशों में चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारतीय मोबाइल ग्राहक आधार आकार में कारक के रूप में एक सौ से अधिक बढ़ी है, 2001 में देश में ग्राहकों की संख्या लगभग 5 मिलियन थी, जो अगस्त 2010 में बढ़कर 670.60 मिलियन हो गयी है। चूंकि दूरसंचार उद्योग दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2013 तक भारत में 1.159 बिलियन मोबाइल उपभोक्ता हो जायेंगे.

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भारतीय मीडिया

भारत के संचार माध्यम (मीडिया) के अन्तर्गत टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, तथा अन्तरजालीय पृष्ट आदि हैं। अधिकांश मीडिया निजी हाथों में है और बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा नियंत्रित है। भारत में 70,000 से अधिक समाचार पत्र हैं, 690 उपग्रह चैनेल हैं (जिनमें से 80 समाचार चैनेल हैं)। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा समाचार पत्र का बाजार है। प्रतिदिन १० करोड़ प्रतियाँ बिकतीं हैं। .

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भारतीय जनता पार्टी

भारतीय जनता पार्टी (संक्षेप में, भाजपा) भारत के दो प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक हैं, जिसमें दूसरा दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है। यह राष्ट्रीय संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के मामले में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और प्राथमिक सदस्यता के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा दल है।.

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भ्रष्टाचार (आचरण)

ट्रान्सपैरेन्सी इण्टरनेशनल द्वारा निर्मित सन २०१४ का भ्रष्टाचार आंशंका सूचकांक सार्वजनिक जीवन में स्वीकृत मूल्यों के विरुद्ध आचरण को भ्रष्ट आचरण समझा जाता है (भ्रष्टाचार .

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मानविकी

सिलानिओं द्वारा दार्शनिक प्लेटो का चित्र मानविकी वे शैक्षणिक विषय हैं जिनमें प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों के मुख्यतः अनुभवजन्य दृष्टिकोणों के विपरीत, मुख्य रूप से विश्लेषणात्मक, आलोचनात्मक या काल्पनिक विधियों का इस्तेमाल कर मानवीय स्थिति का अध्ययन किया जाता है। प्राचीन और आधुनिक भाषाएं, साहित्य, कानून, इतिहास, दर्शन, धर्म और दृश्य एवं अभिनय कला (संगीत सहित) मानविकी संबंधी विषयों के उदाहरण हैं। मानविकी में कभी-कभी शामिल किये जाने वाले अतिरिक्त विषय हैं प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी), मानव-शास्त्र (एन्थ्रोपोलॉजी), क्षेत्र अध्ययन (एरिया स्टडीज), संचार अध्ययन (कम्युनिकेशन स्टडीज), सांस्कृतिक अध्ययन (कल्चरल स्टडीज) और भाषा विज्ञान (लिंग्विस्टिक्स), हालांकि इन्हें अक्सर सामाजिक विज्ञान (सोशल साइंस) के रूप में माना जाता है। मानविकी पर काम कर रहे विद्वानों का उल्लेख कभी-कभी "मानवतावादी (ह्यूमनिस्ट)" के रूप में भी किया जाता है। हालांकि यह शब्द मानवतावाद की दार्शनिक स्थिति का भी वर्णन करता है जिसे मानविकी के कुछ "मानवतावाद विरोधी" विद्वान अस्वीकार करते हैं। .

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मैकडॉनल्ड्स

मैकडॉनल्ड्स कार्पोरेशन (McDonald's Corporation), हैमबर्गर फास्ट फ़ूड रेस्तरां की विश्व की सबसे बड़ी श्रृंखला है, जो प्रतिदिन 58 मिलियन से ज्यादा ग्राहकों की सेवा करती है। खुद की प्रमुख रेस्तरां श्रृंखला के अतिरिक्त, मैकडॉनल्ड्स कार्पोरेशन के पास 2008 तक प्रेट ए मैनेजर में अल्पसंख्यक हिस्सेदारी थी, यह 2006 तक चिपोटल मेक्सिकन ग्रिल में प्रमुख निवेशक रही थी, और 2007 तक बोस्टन मार्केट रेस्तरां श्रृंखला का स्वामित्व भी इसके अधीन था। एक मैकडॉनल्ड्स रेस्तरां को फ्रेंचाइजी, सहबद्ध या स्वयं कार्पोरेशन द्वारा संचालित किया जाता है। कार्पोरेशन की आय किराये, रॉयल्टी और फ्रेंचाइजी द्वारा दी गयी फीस, साथ ही कंपनी द्वारा संचालित रेस्तरां में होने वाली बिक्री से भी होती है।२०१५ में, कंपनी के एक ब्रांड के ८१ बिलियन यू.एस.डॉलर के एक से अधिक अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, स्टारबक्स दोगुना से अधिक मूल्य था। मैकडॉनल्ड्स इतनी भूमंडलीकृत कि बिग मैक सूचकांक के पैमाने है कि एक बिग मैक बर्गर की कीमत का उपयोग कर दोनों देशों के बीच क्रय शक्ति अब एक समानता के उपाय का वैश्विक सूचक है।कीमत के बावजूद, बिग एमएसीएस दुनिया भर में २०१५ में मैकडॉनल्ड्स २५.४१ बिलियन यू.एस.

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समाजशास्त्र

समाजशास्त्र मानव समाज का अध्ययन है। यह सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है, जो मानवीय सामाजिक संरचना और गतिविधियों से संबंधित जानकारी को परिष्कृत करने और उनका विकास करने के लिए, अनुभवजन्य विवेचनगिडेंस, एंथोनी, डनेर, मिशेल, एप्पल बाम, रिचर्ड.

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समकालीन

समकालीन इतिहास के उस अवधि के बारे में बताता है जो आज के लिए एकदम प्रासंगिक है तथा आधुनिक इतिहास के कुछ निश्चित परिप्रेक्ष्य से संबंधित है। हाल के समकालीन इतिहास की कमजोर परिभाषा विश्व युद्ध-II जैसी घटनाओं को शामिल करती है, लेकिन उन घटनाओं को शामिल नहीं करती जिनके प्रभाव को समाप्त किया जा चुका है। .

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सामाजिक परिवर्तन

संस्कृतियों के परस्पर सम्पर्क आने से सामाजिक परिवर्तन; इस चित्र में एरिजोना के एक जनजाति के तीन पुरुष दिखाये गये हैं। बायें वाला पुरुष परम्परागत पोशाक में है, बीच वाला मिश्रित शैली में है तथा दाहिने वाला १९वीं शदी के अन्तिम दिनों की अमेरिकी शैली में है। सामाजिक परिवर्तन, समाज के आधारभूत परिवर्तनों पर प्रकाश डालने वाला एक विस्तृत एवं कठिन विषय है। इस प्रक्रिया में समाज की संरचना एवं कार्यप्रणाली का एक नया जन्म होता है। इसके अन्तर्गत मूलतः प्रस्थिति, वर्ग, स्तर तथा व्यवहार के अनेकानेक प्रतिमान बनते एवं बिगड़ते हैं। समाज गतिशील है और समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है। आधुनिक संसार में प्रत्येक क्षेत्र में विकास हुआ है तथा विभिन्न समाजों ने अपने तरीके से इन विकासों को समाहित किया है, उनका उत्तर दिया है, जो कि सामाजिक परिवर्तनों में परिलक्षित होता है। इन परिवर्तनों की गति कभी तीव्र रही है कभी मन्द। कभी-कभी ये परिवर्तन अति महत्वपूर्ण रहे हैं तो कभी बिल्कुल महत्वहीन। कुछ परिवर्तन आकस्मिक होते हैं, हमारी कल्पना से परे और कुछ ऐसे होते हैं जिसकी भविष्यवाणी संभव थी। कुछ से तालमेल बिठाना सरल है जब कि कुछ को सहज ही स्वीकारना कठिन है। कुछ सामाजिक परिवर्तन स्पष्ट है एवं दृष्टिगत हैं जब कि कुछ देखे नहीं जा सकते, उनका केवल अनुभव किया जा सकता है। हम अधिकतर परिवर्तनों की प्रक्रिया और परिणामों को जाने समझे बिना अवचेतन रूप से इनमें शामिल रहे हैं। जब कि कई बार इन परिवर्तनों को हमारी इच्छा के विरुद्ध हम पर थोपा गया है। कई बार हम परिवर्तनों के मूक साक्षी भी बने हैं। व्यवस्था के प्रति लगाव के कारण मानव मस्तिष्क इन परिवर्तनों के प्रति प्रारंभ में शंकालु रहता है परन्तु शनैः उन्हें स्वीकार कर लेता है। वध दल .

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सामाजिक वर्ग

सामाजिक वर्ग समाज में आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्थाओं का समूह है। समाजशास्त्रियों के लिये विश्लेषण, राजनीतिक वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों, मानवविज्ञानियों और सामाजिक इतिहासकारों आदि के लिये वर्ग एक आवश्यक वस्तु है। सामाजिक विज्ञान में, सामाजिक वर्ग की अक्सर 'सामाजिक स्तरीकरण' के संदर्भ में चर्चा की जाती है। आधुनिक पश्चिमी संदर्भ में, स्तरीकरण आमतौर पर तीन परतों: उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग से बना है। प्रत्येक वर्ग और आगे छोटे वर्गों (जैसे वृत्तिक) में उपविभाजित हो सकता है। शक्तिशाली और शक्तिहीन के बीच ही सबसे बुनियादी वर्ग भेद है। महान शक्तियों वाले सामाजिक वर्गों को अक्सर अपने समाजों के अंदर ही कुलीन वर्ग के रूप में देखा जाता है। विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक सिद्धांतों का कहना है कि भारी शक्तियों वाला सामाजिक वर्ग कुल मिलाकर समाज को नुकसान पहुंचाने के लिये अपने स्वयं के स्थान को अनुक्रम में निम्न वर्गों के ऊपर मज़बूत बनाने का प्रयास करता है। इसके विपरीत, परंपरावादियों और संरचनात्मक व्यावहारिकतावादियों ने वर्ग भेद को किसी भी समाज की संरचना के लिए स्वाभाविक तथा उस हद तक अनुन्मूलनीय रूप में प्रस्तुत किया है। मार्क्सवाधी सिद्धांत में, दो मूलभूत वर्ग विभाजन कार्य और संपत्ति की बुनियादी आर्थिक संरचना की देन हैं: बुर्जुआ और सर्वहारा.

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साम्राज्यवाद

सन १४९२ से अब तक के उपनिवेशी साम्राज्य विश्व के वे क्षेत्र जो किसी न किसी समय ब्रितानी साम्राज्य के भाग थे। साम्राज्यवाद (Imperialism) वह दृष्टिकोण है जिसके अनुसार कोई महत्त्वाकांक्षी राष्ट्र अपनी शक्ति और गौरव को बढ़ाने के लिए अन्य देशों के प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेता है। यह हस्तक्षेप राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है। इसका सबसे प्रत्यक्ष रूप किसी क्षेत्र को अपने राजनीतिक अधिकार में ले लेना एवं उस क्षेत्र के निवासियों को विविध अधिकारों से वंचित करना है। देश के नियंत्रित क्षेत्रों को साम्राज्य कहा जाता है। साम्राज्यवादी नीति के अन्तर्गत एक राष्ट्र-राज्य (Nation State) अपनी सीमाओं के बाहर जाकर दूसरे देशों और राज्यों में हस्तक्षेप करता है। साम्राज्यवाद का विज्ञानसम्मत सिद्धांत लेनिन ने विकसित किया था। लेनिन ने 1916 में अपनी पुस्तक "साम्राज्यवाद पूंजीवाद का अंतिम चरण" में लिखा कि साम्राज्यवाद एक निश्चित आर्थिक अवस्था है जो पूंजीवाद के चरम विकास के समय उत्पन्न होती है। जिन राष्ट्रों में पूंजीवाद का चरमविकास नहीं हुआ वहाँ साम्राज्यवाद को ही लेनिन ने समाजवादी क्रांति की पूर्ववेला माना है। चार्ल्स ए-बेयर्ड के अनुसार "सभ्य राष्ट्रों की कमजोर एवं पिछड़े लोगों पर शासन करने की इच्छा व नीति ही साम्राज्यवाद कहलाती है।" .

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संरक्षणवाद

संरक्षणवाद (Protectionism) वह आर्थिक नीति है जिसका अर्थ है विभिन्न देशों के बीच व्यापार निरोधक लगाना। व्यापार निरोधक विभिन्न प्रकार से लगाये जा सकते है जैसे:- आयातित वस्तुओं पर शुल्क लगाना, प्रतिबंधक आरक्षण और अन्य बहुत से सरकारी प्रतिबंधक नियम जिनका उद्देश्य आयात को हतोत्साहित करना और विदेशी समवायों (कंपनियों) द्वारा स्थानीय बाजारों और समवायों के अधिग्रहण को रोकना है। यह नीति अवैश्विकरण से सम्बंधित है और वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार के बिलकुल विपरीत है, जिसमें सरकारी प्रतिबंधक बाधाओं अतिन्युन्य रखा जाता है ताकि विभिन्न देशों के बीच व्यापार सुगमता से चलता रहे। इस शब्द का उपयोग अधिकतर अर्थशास्त्र में किया जाता है जहाँ संरक्षणवाद का अर्थ ऐसी नीतियों का अपनाया जाना है जिससे उस देश के व्यापार और कर्मचारियों की विदेशी अधिग्रहण रक्षा की जा सके। इसके लिए उस देश की सरकार द्वारा दूसरे देशों के साथ किये जाने वाले व्यापार का विनियमन या प्रतिबंधन किया जाता है। २००८ से २०१३ के बीच संरक्षणवादी नीतियाँ लागू करने वाले प्रमुख देश (ग्लोबल ट्रेड एलर्ट के अनुसार) .

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सुनहला चावल

सुनहला चावल (गोल्डन चावल) औरिजा सैटिवा चावल का एक किस्म है जिसे बेटा-कैरोटिन, जो खाने वाले चावल में प्रो-विटामिन ए का अगुआ है, के जैवसंश्लेषण के लिए जेनेटिक इंजिनियरिंग के द्वारा बनाया जाता है।ये एट अल.

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स्वीडन

स्वीडन (स्वीडिश: Konungariket Sverige कूनुङारीकेत् स्वेरिये) यूरोपीय महाद्वीप में उत्तर में स्केंडिनेविया प्रायद्वीप में स्थित एक देश है। स्टॉकहोल्म इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। स्वीडिश भाषा इसकी मुख्य और राजभाषा है। यहाँ एक संवैधानिक और लोकतान्त्रिक राजतन्त्र है। स्वीडन के पश्चिम एवं उत्तर में नॉर्वे, पूर्व में फ़िनलैंड तथा दक्षिण में डेनमार्क स्थित हैं। स्वीडन का पूरा क्षेत्रफल 528447 वर्ग किलोमीटर का है, जिसमे से 407340 वर्ग किलोमीटर थल क्षेत्र, 40080 वर्ग किलोमीटर में नदियाँ और झील तथा 81027 वर्ग किलोमीटर समुद्र क्षेत्र है। इस तरह यह यूरोपियन यूनियन में तीसरा सबसे बड़ा देश है। यहाँ की जनसँख्या वर्तमान में लगभग एक करोड़ दस लाख है। .

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हेमा उपाध्याय

हेमा उपाध्याय एक भारतीय कलाकार थीं.

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जावा मोटरसाइकिल

जावा मोटरसाइकिल (अंग्रेजी में Ideal Jawa) स्वतन्त्र भारत में बनी 250 सीसी क्षमता वाली टू स्ट्रोक रेसिंग मोटरसाइकिल थी। सन् 1960 में मैसूर शहर (वर्तमान कर्नाटक प्रान्त) में फारूक ईरानी द्वारा स्थापित आइडियल जावा (इण्डिया) लिमिटेड ने इसे चेकोस्लोवाकिया की कम्पनी जावा मोटर्स से लाइसेंस लेकर बनाया था। उस समय 250 सीसी मॉडल में ईंधन की खपत के लिहाज से यह सर्वोत्तम मोटरसाइकिल थी जो 3 लीटर पेट्रोल में 100 किलोमीटर की दूरी तय करती थी। 1970 से लेकर 1990 के दशक तक पूरे 30 साल रेसिंग मोटरसाइकिलों में इसका कोई मुकाबला नहीं था। दो स्ट्रोक और दो साइलेंसर वाली यह अनूठी मोटरसाइकिल थी जिसके सभी कलपुर्जे कवर्ड हुआ करते थे। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसके किक स्टार्टर से ही गीयर बदलने का काम हो जाता था। इसके अलावा इसका रखरखाव भी बहुत ही सस्ता और आसान था। अमूमन इसे किसी मोटर मकेनिक के पास ले जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। 1960 से 1974 तक पूरे पन्द्रह साल जावा ब्राण्ड से यह भारत में बनायी गयी बाद में ब्राण्ड और मॉडल बदल कर येज़दी हो गया। परन्तु भारतीय बाजार में ग्लोबलाइजेशन एवं विश्व व्यापार संगठन के कठोर मापदण्डों के कारण सन् 1996 में इसकी निर्माता कम्पनी को इसका उत्पादन बन्द करने के लिये बाध्य होना पड़ा। यद्यपि जावा मोटरसाइकिल बनाने वाली कम्पनी को बन्द हुए बरसों हो चुके हैं फिर भी मैसूरवासियों के लिये आज भी जावा मोटर साइकिल सिर्फ़ एक बाइक ही नहीं बल्कि बहुत कुछ है। जावा शब्द इसके चेकोस्लोवाकियन संस्थापक जानीक फ्रांटिसेक और वांडरर के नाम के पहले दो-दो अक्षरों जा और वा को मिलाकर बनाया गया था। आज भी कर्नाटक प्रान्त में रहने वालों को इस मोटर साइकिल के नाम में मैसूर के एक प्रतापी राजा जायचमाराजेन्द्र वाडियार की स्मृति झलकती है। मैसूर राज्य में आज भी प्रति वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय जावा येज़दी दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें सन् 1945 के चेक जावा मॉडल से लेकर येज़दी 350 तक की सैकड़ों विण्टेज मोटरसाइकिलें सड़कों पर दौड़ती नज़र आती हैं। .

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जगदीश एन. भगवती

जगदीश नटवरलाल भगवती (जन्म 26 जुलाई 1934) एक भारतीय अर्थशास्त्री हैं और कोलम्बिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और कानून के प्रोफ़ेसर हैं। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनुसंधान के लिए जाना जाता है। वे मुक्त व्यापार के समर्थक के रूप में भी विख्यात हैं। वे न्यूयॉर्क में विदेश सम्बन्ध परिषद् में एक आवासी सदस्य (रेज़िडेंट फेलो) भी हैं। .

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जूडो

(柔道) | aka .

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वनोन्मूलन

वनोन्मूलन का अर्थ है वनों के क्षेत्रों में पेडों को जलाना या काटना ऐसा करने के लिए कई कारण हैं; पेडों और उनसे व्युत्पन्न चारकोल को एक वस्तु के रूप में बेचा जा सकता है और मनुष्य के द्वारा उपयोग में लिया जा सकता है जबकि साफ़ की गयी भूमि को चरागाह (pasture) या मानव आवास के रूप में काम में लिया जा सकता है। पेडों को इस प्रकार से काटने और उन्हें पुनः न लगाने के परिणाम स्वरुप आवास (habitat) को क्षति पहुंची है, जैव विविधता (biodiversity) को नुकसान पहुंचा है और वातावरण में शुष्कता (aridity) बढ़ गयी है। साथ ही अक्सर जिन क्षेत्रों से पेडों को हटा दिया जाता है वे बंजर भूमि में बदल जाते हैं। आंतरिक मूल्यों के लिए जागरूकता का अभाव या उनकी उपेक्षा, उत्तरदायी मूल्यों की कमी, ढीला वन प्रबन्धन और पर्यावरण के कानून, इतने बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन की अनुमति देते हैं। कई देशों में वनोन्मूलन निरंतर की जाती है जिसके परिणामस्वरूप विलोपन (extinction), जलवायु में परिवर्तन, मरुस्थलीकरण (desertification) और स्वदेशी लोगों के विस्थापन जैसी प्रक्रियाएं देखने में आती हैं। .

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विदेश नीति

किसी देश की विदेश नीति, जिसे विदेशी संबंधों की नीति भी कहा जाता है, अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के वातावरण में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्य द्वारा चुनी गई स्वहितकारी रणनीतियों का समूह होती है। किसी देश की विदेश नीति दूसरे देशों के साथ आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक तथा सैनिक विषयों पर पालन की जाने वाली नीतियों का एक समुच्चय है। वैश्वीकरण और अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में बढ़ते गहन स्तर की वजह से अब राज्यों को गैर-राज्य अभिनेताओं के साथ भी सहभागिता करनी पड़ेगी। .

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विश्व शांति

विश्व शांति सभी देशों और/या लोगों के बीच और उनके भीतर स्वतंत्रता, शांति और खुशी का एक आदर्श है। विश्व शांति पूरी पृथ्वी में अहिंसा स्थापित करने का एक माध्यम है, जिसके तहत देश या तो स्वेच्छा से या शासन की एक प्रणाली के जरिये इच्छा से सहयोग करते हैं, ताकि युद्ध को रोका जा सके। हालांकि कभी-कभी इस शब्द का प्रयोग विश्व शांति के लिए सभी व्यक्तियों के बीच सभी तरह की दुश्मनी के खात्मे के सन्दर्भ में किया जाता है। .

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विश्व सामाजिक मंच

विश्व सामाजिक मंच एक नागरिक समाज संगठनों की एक वार्षिक बैठक है, जिसे पहली बार ब्राजील में आयोजित किया गया था। यह मंच वैश्वीकरण के समकालीन नज़रिए को चुनौती देकर एक वैकल्पिक भविष्य के विकास के लिए आत्म-सचेत प्रयास करता है। श्रेणी:सामाजिक मंच.

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व्यावसायिक पर्यावरण

मार्केट एन्वायरमेंट विपणन से जुड़ी एक शब्दावली है और यह विपणन के बाहर की उन सभी शक्तियों को संदर्भित करती है जो लक्षित ग्राहकों के साथ सफल संबंध बनाने और उन्हें निभाने की विपणन प्रबंधन की क्षमता को प्रभावित करती है। मार्केट एन्वायरमेंट में मैक्रोएन्वायरमेंट और माइक्रोएन्वायरमेंट, दोनों शामिल होते हैं। माइक्रोएन्वायरमेंट उन शक्तियों को संदर्भित करता है जो कम्पनी की करीबी होती हैं और उसके ग्राहकों की सेवा करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं। इसमें स्वयं कम्पनी, उसके आपूर्तिकर्ता, विपणन बिचौलिये, उपभोक्ता बाजार, प्रतिद्वंद्वी और जनता शामिल है। माइक्रोएन्वायरमेंट का कम्पनी पहलू कम्पनी के आंतरिक वातावरण को दर्शाता है। इसमें सभी विभाग जैसे प्रबंधन वित्त, अनुसंधान और विकास, खरीद, संचालन और लेखांकन शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक विभाग का प्रभाव विपणन निर्णय पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, अनुसंधान और विकास ने यह दर्शाया है कि एक उत्पाद कितनी विशेषताओं को प्रदर्शित कर सकता है और लेखांकन, विपणन योजना और बजट के वित्तीय पक्ष को मंजूरी देता है। एक कम्पनी के आपूर्तिकर्ता भी माइक्रोएन्वायरमेंट के एक महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि आपूर्ति प्राप्त करने में थोड़ी सी भी देरी उपभोगता के असंतोष को परिणामित कर सकता है। विपणन प्रबंधक को आपूर्तिकर्ताओं के साथ आपूर्ति उपलब्धता और लेनदेन के अन्य तरीकों पर नजर रखना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक मजबूत ग्राहक संबंध बनाने के लिए ग्राहकों को उत्पाद आवश्यक समय सीमा के अंदर वितरित किया जा सके.

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व्यवसाय-नीति

व्यावसाय-नीति (बिजनेस एथिक्स या कारपोरेट एथिक्स) नैतिकता का वह रूप है, जो कारोबारी माहौल में पैदा हए नैतिक सिद्धांतों और नैतिक समस्याओं की जांच करता रहता है और उनके सन्दर्भ में कुछ मानदण्डों की स्थापना करता है। यह व्यवसाय के आचरण से जुड़े सभी पहलुओं पर लागू होता है और यह व्यक्तियों और व्यापार संगठनों के आचरण पर समग्र रूप से प्रासंगिक है। व्यावहारिक आचार नीति एक ऐसा क्षेत्र है जिसका सम्बंध कई क्षेत्रों में पैदा हुए नैतिक सवालों से है जैसे चिकित्सीय, तकनीकी, कानूनी और व्यावसायिक नैतिकता। २१वीं सदी में तेजी से अंतरात्मा केंद्रित बाजारों के बढ़ने के बाद और अधिक नैतिक व्यवसाय प्रक्रिया और कार्रवाई (जिसे नैतिकतावाद कहते हैं) की मांग बढ़ी.

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औद्योगिक क्रांति

'''वाष्प इंजन''' औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था। अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। यह सिलसिला ब्रिटेन से आरम्भ होकर पूरे विश्व में फैल गया। "औद्योगिक क्रांति" शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक "लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड" में सन् 1844 में किया। औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। कोयले को जलाकर बने वाष्प की शक्ति का उपयोग होने लगा। शक्ति-चालित मशीनों (विशेषकर वस्त्र उद्योग में) के आने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्नीसवी सदी के प्रथम् दो दशकों में पूरी तरह से धातु से बने औजारों का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप दूसरे उद्योगों में काम आने वाली मशीनों के निर्माण को गति मिली। उन्नीसवी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में फैल गयी। अलग-अलग इतिहासकार औद्योगिक क्रान्ति की समयावधि अलग-अलग मानते नजर आते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे क्रान्ति मानने को ही तैयार नहीं हैं। अनेक विचारकों का मत है कि गुलाम देशों के स्रोतों के शोषण और लूट के बिना औद्योगिक क्रान्ति सम्भव नही हुई होती, क्योंकि औद्योगिक विकास के लिये पूंजी अति आवश्यक चीज है और वह उस समय भारत आदि गुलाम देशों के संसाधनों के शोषण से प्राप्त की गयी थी। .

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आधुनिकता

आधुनिकता शब्द आमतौर पर उत्तर-पारंपरिक, उत्तर-मध्ययुगीन ऐतिहासिक अवधि को संदर्भित करता है, जो सामंतवाद (भू-वितरणवाद) से पूंजीवाद, औद्योगीकरण धर्मनिरपेक्षवाद, युक्तिकरण, राष्ट्र-राज्य और उसकी घटक संस्थाओं तथा निगरानी के प्रकारों की ओर कदम बढ़ाने से चिह्नित होता है (बार्कर 2005, 444).

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आपसी सहायता

आपसी सहायता के अन्तर्गत वह व्यवहार आते हैं जो एक दूसरे के जीने में योगदान देते हैं। परन्तु ऐसे व्यवहार जो दूसरों के जीने में सहायक हैं, और प्राणी के अपने जीने की क्षमता कम करते हैं, डार्विन के उद्विकास के सिद्धांत को चुनौती देने वाले माने गए। विल्सन और विल्सन के अनुसार, वैज्ञानिक पिछले ५० वर्षों से खोज रहे हैं कि आपसी सहायता, जिसमें पर्यायवाद, सहयोग, सहोपकारिता, आदि भी आते हैं, का प्राणियों में कैसे विकास हुआ। जीव वैज्ञानिक विल्सन ने १९७५ में एक नयी शाखा समाजजीवविज्ञान शुरू की, जिसमें आपसी सहायता एक महत्वपूर्ण समस्या के रूप में उभरी। किन्तु विल्सन ने भी आनुवंशिक इकाई या जीन की प्रकृति को स्वार्थी माना, और कहा की जीन अपनी अधिक से अधिक प्रतिलिपियाँ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। सहायता देने वाले और लेने वाले को होने वाले लाभ या हानि को क्रमशः जीन में बढ़ोतरी या कमी से आँका गया। जिसके लिए अर्थशास्त्र से खेल सिद्धान्त को आयत किया गया। मनोवैज्ञानिक फेल्ड्मान सहायता को मानव प्रकृति का उजला पक्ष बताते हैं। उन्होंने १९८० के दशक के लेटाने और अन्य लोगों के प्रयोगों का वर्णन करते हुए लिखा कि मदद देने वाला इस व्यवहार पर होने वाले लाभ और हानि का जाएज़ा लेकर ही इस कार्य में अग्रसर होता है। फेल्ड्मान का मानना है कि हालाँकि परोपकार या पर्यायवाद भी सहायता का ही एक छोर है, किन्तु इसमें आत्मोत्सर्ग पर जोर है, जैसे, किसी व्यक्ति का एक आग से जलते घर में किसी अजनवी के बच्चे को बचाने के लिए कूदना। इस बारे में हाल्डेन का तर्क है कि किसी व्यक्ति को इस तरह का कार्य करना तभी लाभदायक रहेगा, यदि वह अपने सगे सम्बन्धी को बचा सके। हाल्डेन का तर्क नीचे दिए गए आपसी सहायता के पांच वैकल्पिक रास्तों का प्राक्कथन है। इस लेख में एक कोशिका प्राणी अमीबा के भुखमरी में बहुकोशिका समूह में परिवर्तन से लेकर मनुष्य में पराप्राकृतिक विश्वास से जुड़ने वाले विशाल जन समूह तक, आपसी सहायता के कुछ प्रारूप हैं, जिन्हें प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक चयन के वैकल्पिक रास्तों से समझने का प्रयास हो रहा है। .

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आर्थिक राष्ट्रवाद

किसी देश की आर्थिक विचारधारा तब आर्थिक राष्ट्रवाद (Economic nationalism) कहलाती है जब वह अपने अर्थतंत्र, श्रमशक्ति और पूंजी-निर्माण पर घरेलू नियंत्रण पर बल देता है और आवश्यक होने पर कर (टैरिफ) तथा अन्य पाबन्दियाँ लगाने से नहीं हिचकता। कई दृष्टियों से आर्थिक राष्ट्रवाद और वैश्वीकरण एक-दूसरे के विरोधी हैं। आर्थिक राष्ट्रवाद के अन्तर्गत आने वाले प्रमुख सिद्धान्त ये हैं - संरक्षणवाद, वणिकवाद (mercantilism) तथा आयात प्रतिस्थापन (import substitution)। श्रेणी:आर्थिक विचारधाराएँ श्रेणी:विकास अर्थशास्त्र.

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आर्थिक सुधार

आर्थिक सुधार एक वृहद अर्थ वाला शब्द है। प्रायः इसका उपयोग अल्पतर सरकारी नियंत्रण, अल्पतर सरकारी निषेध, निजी कम्पनियों की अधिक भागीदारी, करों की अल्पतर दर आदि के सन्दर्भ में किया जाता है। उदारीकरण के पक्ष में मुख्य तर्क यह दिया जाता है कि इससे दक्षता आती है और हरेक को कुछ अधिक प्राप्त होता है। भारत मे आर्थिक सुधारों की शुरूआत सन 1990 से हुई। 1990 के पहले भारत मे आर्थिक विकास बहुत ही धीमी गति से हो रहा था। भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास काफी धीमा था। .

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कामगार वर्ग

कामगार वर्ग (या श्रमिक वर्ग) एक ऐसा शब्द है, जिसका उपयोग सामाजिक विज्ञानों और साधारण बातचीत में वैसे लोगों के वर्णन के लिए होता है, जो निम्न स्तरीय कार्यों (दक्षता, शिक्षा और निम्न आय द्वारा मापदंड पर) में लगे होते हैं और अक्सर इस अर्थ का विस्तार बेरोजगारी या औसत से नीचे आय वाले लोगों तक भी होता है। कामगार वर्ग मुख्यत: औद्योगीकृत अर्थव्यवस्थाओं और गैर-औद्योगीकृत अर्थव्यवस्थाओं वाले शहरी क्षेत्रों में पाये जाते हैं। 1973 में वोल्फसबर्ग, पश्चिमी जर्मनी में वोक्सवैगन विधानसभा लाइन में श्रमिक सामाजिक वर्ग के वर्णन में कई तरह के शब्दों का उपयोग किया जाता है, मगर कामगार वर्ग को विभिन्न तरीकों से परिभाषित और प्रयुक्त किया जाता है। जब इसका प्रयोग गैर-अकादमिक रूप में होता है तो यह आमतौर पर समाज के एक खंड को संदर्भित करने के लिए होता है, जो शारीरिक श्रम पर आश्रित है, खासतौर पर जिन्हें घंटे के आधार पर मजदूरी दी जाती है। शैक्षिक वार्तालाप में इसका प्रयोग विवादास्पद रहा है, विशेष रूप से उत्तर-औद्योगीकृत समाजों में मानव श्रम में गिरावट के बाद.

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अनुसंधान

जर्मनी का 'सोन' (Sonne) नामक अनुसन्धान-जलयान व्यापक अर्थ में अनुसंधान (Research) किसी भी क्षेत्र में 'ज्ञान की खोज करना' या 'विधिवत गवेषणा' करना होता है। वैज्ञानिक अनुसंधान में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की जाती है। नवीन वस्तुओं कि खोज और पुराने वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुन: परीक्षण करना, जिससे की नए तथ्य प्राप्त हो सके, उसे शोध कहते हैं। गुणात्मक तथा मात्रात्मक शोध इसके प्रमुख प्रकारों में से एक है। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा की सहज उपलब्धता और उच्च शिक्षा संस्थानों को शोध से अनिवार्य रूप से जोड़ने की नीति ने शोध की महत्ता को बढ़ा दिया है। आज शैक्षिक शोध का क्षेत्र विस्तृत और सघन हुआ है। .

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अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध

राष्ट्र महल (Palace of Nations): जेनेवा स्थित इस भवन में २०१२ में ही दस हाजार से अधिक अन्तरसरकारी बैठकें हुईं। जेनेवा में विश्व की सर्वाधिक अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान हैं। अंतरराष्ट्रीय संबंध (IR) विभिन्न देशों के बीच संबंधों का अध्ययन है, साथ ही साथ सम्प्रभु राज्यों, अंतर-सरकारी संगठनों (IGOs), अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों (INGOs), गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) की भूमिका का भी अध्ययन है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध को कभी-कभी 'अन्तरराष्ट्रीय अध्ययन' (इंटरनेशनल स्टडीज (IS)) के रूप में भी जाना जाता है, हालांकि दोनों शब्द पूरी तरह से पर्याय नहीं हैं। .

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अमेरिकीकरण

चीन के एक सुपरमार्केट में कोका कोला संयुक्त राज्य अमेरिका से इतर देशों में अमेरिकीकरण (Americanization) का मतलब अमेरिकी संस्कृति का अन्य देशों की संस्कृति पर प्रभाव से है। यह शब्द कम से कम १९०७ से प्रयोग किया जा रहा है। 'अमेरिकीकरण' के विचार का प्रचलित अर्थ अमेरिकी मीडिया कम्पनियों के विश्व-प्रभुत्व की आलोचना की देन है। मोटे तौर पर इसे संस्कृति-उद्योग और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के पर्याय की तरह भी देखा जाता है। लेकिन ऐसे भी कुछ पहलू हैं जो अमेरिकीकरण को इन दोनों से अलग करते हैं। इनमें प्रमुख है अमेरिकीकरण की अभिव्यक्ति का युरोपीय संस्कृतियों द्वारा प्रयोग। पश्चिमी युरोप के अमीर देश वैसे तो राजनीति, अर्थनीति और समरनीति में अमेरिका के अभिन्न सहयोगी हैं, पर संस्कृति के संदर्भ में वे इसके द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका की संस्कृति के प्रसारवादी चरित्र पर आपत्ति करते हैं। इस दृष्टि से अमेरिकीकरण पूँजीवादी सांस्कृतिक शिविर के अंतर्विरोधों का परिचायक भी है। फ़्रांस, जर्मनी और इटली जैसे जी-सात देशों की मान्यता है कि टेलिविज़न कार्यक्रमों, हॉलीवुड की फ़िल्मों, पॉप म्यूज़िक और खान-पान के माध्यम से अमेरिकी विचारधारा, जीवन-शैली और प्रवृत्तियाँ उनके अपने सांस्कृतिक मूल्यों और परम्पराओं को पृष्ठभूमि में धकेले दे रही हैं। उदाहरण के लिये इटली के आलोचक यह देख कर चिंतित हैं कि उनकी जनता पास्ता की जगह हैमबर्गर तथा ऑपेरा की जगह माइकल जैक्सन सरीखी संगीत-नृत्य परम्परा को उत्तरोत्तर अपनाती जा रही है। इसी तरह अपनी भाषा को सबसे श्रेष्ठ मानने की खुराक पर पले फ़्रांसीसियों और जर्मनों को यह देखकर सांस्कृतिक डर सताने लगे हैं कि अमेरिकी रुतबे के कारण अंग्रेजी का बौद्धिक और सांस्कृतिक प्रभाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकीकरण का यही अर्थ धीरे-धीरे एशियाई संस्कृतियों के पैरोकारों द्वारा भी भूमण्डलीकरण की आलोचना के एक अहम मुहावरे की तरह अपनाया जाने लगा है। भूमण्डलीकरण के आलोचकों के बीच 'कोकाकोलाइज़ेशन' या 'मैकडनलाइज़ेशन' जैसे मुहावरों का अक्सर इस्तेमाल होता है। अमेरिकी संस्कृति के संक्रामक चरित्र के प्रति भय भूमण्डलीकरण की विश्वव्यापी प्रक्रिया शुरू होने के काफी पहले से व्यक्त किये जा रहे हैं। मजदूर वर्ग की संस्कृति के दृष्टिकोण से ब्रिटिश समाजशास्त्री और 'बरमिंघम सेंटर फ़ॉर द कल्चरल स्टडीज़' के संस्थापक रिचर्ड होगार्ट की 1957 में प्रकाशित रचना 'द यूज़िज़ ऑफ़ लिटरेसी' ने अमेरिकीकरण की विस्तृत आलोचना पेश की थी। होगार्ट ने अमेरिकी और ब्रिटिश लोकप्रिय उपन्यासों की तुलना करते हुए आरोप लगाया था कि अमेरिकी उपन्यासों में सेक्स और हिंसा का संदर्भच्युत इस्तेमाल किया जाता है। पचास के दशक के ब्रिटिश ‘मिल्क बारों’ के विश्लेषण के ज़रिये होगार्ट ने अंग्रेज युवकों पर अमेरिका के असर की शिनाख्त करते हुए दिखाया कि उनके बीच अमेरिकी शैली में ‘मॉडर्न’ और ‘कूल’ होना किस तरह तरह प्रचलित होता चला गया। होगार्ट को इस बात में कोई संदेह नहीं था कि अमेरिका से आ रही ये सांस्कृतिक हवाएँ ‘जीवन-विरोधी’ हैं। यह एक रोचक तथ्य है कि अमेरिकीकरण की जिस प्रक्रिया पर युरोपीय देश आज आपत्ति कर रहे हैं, उसने अपना आधार द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद और शीत युद्ध के दौरान प्राप्त किया था। एक तरह से यह अमेरिकीकरण विश्वयुद्ध से जर्जर हो चुके युरोप की आवश्यकता था। यही वह दौर था जब अमेरिकी बिजनेस मॉडल ने युरो के स्थानीय व्यापारिक प्रारूपों को अपनी सफलता के कारण पीछे धकेल दिया। व्यवसाय प्रबंधन के लिए एमबीए की डिग्री मुख्यतःपहले केवल अमेरिका में दी जाती थी, लेकिन आज यह डिग्री युरोप समेत दुनिया भर में कुशल व्यवसाय-प्रबंधन का पर्याय मानी जाती है। अमेरिका द्वारा प्रवर्तित ‘दक्षता आंदोलन’ युरोपीय देशों की आर्थिक और बौद्धिक संस्कृति (जिसमें उद्योगपति, सामाजिक जनवादी, इंजीनियर, वास्तुशिल्पी, शिक्षाविद्, अकादमीशियन, मध्यवर्ग, नारीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं) द्वारा कम से कम साठ-सत्तर साल पहले ही आत्मसात कर लिया गया था। इस आंदोलन के तहत हुए सुसंगतीकरण के दौरान युरोप में न केवल मशीनों और कारख़ानों के माध्यम से बढ़ी हुई उत्पादकता हासिल की गयी, बल्कि इससे मध्यवर्गीय और श्रमिकवर्गीय जनता के जीवन-स्तर में भी काफ़ी सुधार आया। इस आंदोलन को जर्मनी में नाज़ियों और युरोप के अन्य हिस्सों में कम्युनिस्टों द्वारा आक्रमण का निशाना बनाया गया, लेकिन उसकी सामाजिक स्वीकृति एक असंदिग्ध तथ्य बन चुकी है। अमेरिका से व्यापारिक संस्कृति का प्रवाह किस तरह एकतरफ़ा रहा है, यह निवेश के आँकड़ों से स्पष्ट हो सकता है। 1950 से 1965 के बीच युरोप में अमेरिकी निवेश आठ सौ प्रतिशत बढ़ा, जबकि इसी दौरान युरोप का अमेरिका में निवेश केवल 15 से 28 फ़ीसदी तक ही बढ़ सका। अमेरिकी निवेश में हुई ज़बरदस्त वृद्धि के पीछे अमेरिकी प्रौद्योगिकीय श्रेष्ठता की भूमिका भी रही है। शीत-युद्ध की समाप्ति के बाद अब पश्चिमी युरोप को सोवियत खेमे की तरफ से किसी प्रकार का सैनिक खतरा नहीं रह गया है। अर्थात् अपने रक्षक के रूप में अब उसे अमेरिका की जरूरत पहले की तरह नहीं है। युरोपीय संघ की रचना भी हो चुकी है, और युरोप एकीकृत आर्थिक संरचना के रूप में अमेरिका से होड़ कर रहा है। इस नयी स्थिति के परिणामस्वरूप आज अमेरिकी निवेश, अमेरिकी विज्ञापनों, व्यापारिक तौर-तरीकों, कर्मचारी संबंधी नीतियों और अमेरिकी कम्पनियों द्वारा अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल पर आपत्तियाँ होने लगी हैं। इसकी शुुरुआत फ़्रांस से हुई थी जिसका प्रसार अब सारे गैर-अंग्रेजी भाषी युरोप में हो चुका है। युरोपीय आलोचकों को यह देख-सुन कर काफी उलझन होती है कि अमेरिका ख़ुद को युरोपीय समाजों के राजनीतिक अभिजनवाद के मुकाबले कहीं अधिक लोकतांत्रिक, वर्गेतर और आधुनिक संस्कृति के रूप में पेश करता है। इसके जवाब में इन आलोचकों का दावा है कि अमेरिकी प्रभाव राजनीतिक और सांस्कृतिक दायरों में युरोपीय समाजों की अभिरुचियों को भ्रष्ट कर रहा है। लेकिन, अमेरिकीकरण का मतलब हमेशा से ही नकारात्मक नहीं था। इसके सकारात्मक पहलुओं की पहचान बीसवीं सदी के पहले दशक से की जा सकती है। 1907 से ही अमेरिका के भीतर इसका हवाला दुनिया की दूसरी संस्कृतियों से वहाँ रहने आये समुदायों द्वारा अमेरिकी रीति-रिवाज़ों और प्रवृत्तियों को अपनाने की प्रक्रिया के रूप में दिया जाता रहा है। इस सिलसिले को ‘मेल्टिंग पॉट’ (melting pot) की परिघटना के तौर पर भी देखा जाता है। 1893 में इतिहासकार फ़्रेड्रिक जैक्सन टर्नर ने एक लेख के द्वारा पहली बार इस अवधारणा का प्रयोग यह दिखाने के लिए किया कि अमेरिकी संस्कृति और अन्य संस्थाएँ केवल एंग्लो-सेक्सन लोगों की देन नहीं हैं। उन्हें रचने में युरोप से अमेरिका में बसने आयी तरह-तरह की संस्कृतियों का योगदान है। इसके बाद धीरे-धीरे मेल्टिंग पॉट का मुहावरा सांस्कृतिक आत्मसातीकरण के पर्याय के तौर पर लोकप्रिय होता चला गया। यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि बौद्धिक क्षेत्रों में भी अमेरिकी संस्कृति के प्रभावों को सभी पक्षों द्वारा नकारात्मक दृष्टि से नहीं देखा जाता। संस्कृति-अध्ययन के क्षेत्र में सक्रिय कुछ विद्वानों का मत है कि बाजारू संस्कृति को नीची निगाह से देखने के बजाय साधारण जनों द्वारा उसे आत्मसात करने के यथार्थ की सकारात्मक समीक्षा की जानी चाहिए। इनका दावा है कि अमेरिकी सांस्कृतिक उत्पादों से जन-मानस की मुठभेड़ एकांगी नहीं बल्कि विभेदीकृत और विविधतामूलक है। हेबडिगी ने अपनी 1979 में प्रकाशित रचना में दिखाया है कि किस प्रकार ब्रिटिश श्रमिकवर्गीय युवकों ने अमेरिकी फ़ैशन और म्यूजिक की मदद से अपनी अपेक्षाकृत शक्तिहीन और अधीनस्थ वर्गीय हैसियत में प्रतिरोध का समावेश किया है। अमेरिका ब्रिटिश युवकों के लिए एक आधुनिक, उन्मुक्त और रोमानी संस्कृति का आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करता है। संस्कृति-अध्ययन से निकले इस तरह के विद्वानों ने ‘डलास’ और ‘डायनेस्टी’ जैसे अमेरिकी टीवी सीरियलों का विश्लेषण करके पाया कि उन्हें देखते हुए लोग जिन निष्कर्षों पर पहुँचते हैं, उन पर स्थानीय परिवेश का गहरा असर होता है। उदाहरणार्थ, ‘डलास’ देखने वाला अरब दर्शक उसे पश्चिमी पतनशीलता के उदाहरण के रूप में ग्रहण करता है, जबकि एक रूसी यहूदी उसे पूँजीवाद की आत्मालोचना मान कर चलता है। इन विद्वानों के अनुसार अमेरिका को एक प्रभुत्वशाली शक्ति मानने का मतलब यह नहीं है कि उसे दुनिया की सांस्कृतिक अस्मिता के ऊपर अपना अंतिम निर्णय थोपने वाली ताकत भी मान लिया जाए। ये लोग सांस्कृतिक प्रवाहों को एकतरफा नहीं मानते, बल्कि अमेरिकी हवाओं के मुकाबले भारत के बॉलीवुडीय मनोरंजन, लातीनी अमेरिका के ‘टेलिनॉवेल’ और जापानी टीवी उत्पादों का जिक्र करते हैं। इन विद्वानों ने यह तर्क भी दिया है कि सेटेलाइट लाइसेंसों के सस्ती दर पर उपलब्ध होने से टीवी कार्यक्रम बनाने की अंतर्निहित राजनीति में काफी विविधता आयी है। पहले खाड़ी युद्ध के समय मीडिया जगत में ‘गल्फ़ वार टीवी प्रोजेक्ट’ ने सफलतापूर्वक युद्धविरोधी झंडा बुलंद किया था। .

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अशासकीय संस्था

गैर सरकारी संगठन (NGO) एक ऐसा शब्द है जो बिना किसी सरकारी भागीदारी या प्रतिनिधित्व के साथ प्राकृतिक या कानूनी व्यक्तियों के द्वारा बनाए गए विधिवत संगठित गैर सरकारी संगठनों को संदर्भित करने के लिए व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। उन मामले में जिनमें गैर सरकारी संगठन पूरी तरह से या आंशिक रूप से सरकारों द्वारा निधिबद्ध होते हैं, NGO अपना गैर-सरकारी ओहदा बनाए रखता है और सरकारी प्रतिनिधिओं को संगठन में सदस्यता से बाहर रखता है। शब्द इंटरगवर्नमेंटल ओर्गेनाइज़ेशन के विपरीत, "गैर सरकारी संगठन" एक आम उपयोग का शब्द है, लेकिन एक कानूनी परिभाषा नहीं है। कई न्यायालयों में इस प्रकार के संगठनों को "नागरिक समाज संगठन" के रूप में परिभाषित किया जाता है या अन्य नामों से निर्दिष्ट किया जाता है। अनुमान है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय गैर सरकारी संगठनों की संख्या 40,000 है। राष्ट्रीय संख्या और भी अधिक है: रूस में 277,000 गैर सरकारी संगठन हैं। भारत में 1 मिलियन और 2 मिलियन के बीच गैर सरकारी संगठन होने का अनुमान है। .

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अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

सम्पूर्ण यूरेशिया में प्राचीन सिल्क रोड व्यापार मार्ग. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं या क्षेत्रों के आर-पार पूंजी, माल और सेवाओं का आदान-प्रदान है।.

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2000 के दशक के उत्तरार्द्ध की आर्थिक मंदी

2009 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर को दिखाते हुए दुनिया का नक्शा. 2000 के दशक के उत्तरार्द्ध की आर्थिक मंदी (या ग्रेट रिसेशन (भयंकर मंदी)) एक गंभीर आर्थिक मंदी थी जो संयुक्त राज्य अमेरिका में दिसंबर 2007 में शुरू हुई और जून 2009 में समाप्त हुई (यू.एस. नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनोमिक रिसर्च के अनुसार)। यह औद्योगिक दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में फैला जिसकी वजह से आर्थिक गतिविधियों स्पष्ट रूप से कमी आई। यह वैश्विक आर्थिक मंदी एक ऐसे आर्थिक माहौल में अपने पाँव पसारती रही है जिसकी पहचान विभिन्न प्रकार के असंतुलनों से होती है और 2007-2010 के वित्तीय संकट के प्रकोप से एकदम भड़क उठी.

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