7 संबंधों: पुष्पक विमान, प्रणववाद, प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, शिवकर बापूजी तलपदे, समराङ्गणसूत्रधार, विमान, उड्डयन का इतिहास।
पुष्पक विमान
पुष्पकविमान हिन्दू पौराणिक महाकाव्य रामायण में वर्णित वायु-वाहन था। इसमें लंका का राजा रावण आवागमन किया करता था। इसी विमान का उल्लेख सीता हरण प्रकरण में भी मिलता है। रामायण के अनुसार राम-रावण युद्ध के बाद श्रीराम, सीता, लक्ष्मण तथा लंका के नवघोषित राजा विभीषण तथा अन्य बहुत लोगों सहित लंका से अयोध्या आये थे। यह विमान मूलतः धन के देवता, कुबेर के पास हुआ करता था, किन्तु रावण ने अपने इस छोटे भ्राता कुबेर से बलपूर्वक उसकी नगरी सुवर्णमण्डित लंकापुरी तथा इसे छीन लिया था। अन्य ग्रन्थों में उल्लेख अनुसार पुष्पक विमान का प्रारुप एवं निर्माण विधि अंगिरा ऋषि द्वारा एवं इसका निर्माण एवं साज-सज्जा देव-शिल्पी विश्वकर्मा द्वारा की गयी थी। भारत के प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों में लगभग दस हजार वर्ष पूर्व विमानों एवं युद्धों में तथा उनके प्रयोग का विस्तृत वर्णन दिया है। इसमें बहुतायत में रावन के पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा अन्य सैनिक क्षमताओं वाले विमानों, उनके प्रयोग, विमानों की आपस में भिडंत, अदृश्य होना और पीछा करना, ऐसा उल्लेख मिलता है। यहां प्राचीन विमानों की मुख्यतः दो श्रेणियाँ बताई गई हैं- प्रथम मानव निर्मित विमान, जो आधुनिक विमानों की भांति ही पंखों के सहायता से उडान भरते थे, एवं द्वितीय आश्चर्य जनक विमान, जो मानव द्वारा निर्मित नहीं थे किन्तु उन का आकार प्रकार आधुनिक उडन तशतरियों के अनुरूप हुआ करता था। .
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प्रणववाद
गार्ग्यायण का प्रणववाद (अर्थ: प्रणव का उच्चारण) भगवान दास द्वारा १०१०-१३ के बीच तीन भागों में प्रकाशित एक ग्रन्थ है। इसमें भगवान दास का कहना है कि यह ग्रन्थ एक महर्षि गार्ग्यायण द्वारा रचित एक अल्पज्ञात प्राचीन ग्रन्थ का सारांश है। भगवान दास का यह भी कहना है कि यह पुस्तक उनको पण्डित धनराज ने अपनी स्मृति से उन्हें सुनाया और उन्होने इसे लिखा है। पण्डित धनराज उनके थियोसोफिकल सोसायटी के मित्र थे और आँख से अन्धे थे। पुस्तक के प्रकाशन के पूर्व ही पण्डित धनराज की मृत्यु हो गई थी। .
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प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी
प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा तकनीक को जानने के लिये पुरातत्व और प्राचीन साहित्य का सहारा लेना पडता है। प्राचीन भारत का साहित्य अत्यन्त विपुल एवं विविधतासम्पन्न है। इसमें धर्म, दर्शन, भाषा, व्याकरण आदि के अतिरिक्त गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, रसायन, धातुकर्म, सैन्य विज्ञान आदि भी वर्ण्यविषय रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में प्राचीन भारत के कुछ योगदान निम्नलिखित हैं-.
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शिवकर बापूजी तलपदे
शिवकर बापूजी तलपदे (१८६४ - १७ सितम्बर १९१७) कला एवं संस्कृत के विद्वान तथा आधुनिक समय के विमान के प्रथम आविष्कर्ता थे। .
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समराङ्गणसूत्रधार
समरांगणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी। .
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विमान
विमान शब्द भारतीय साहित्य (मुख्यतः वेद, रामायण, महाभारत एवं जैन साहित्य में) में एक उड़ाने वाली युक्ति को इंगित करता है। कहीं-कहीं पर यह 'मंदिर', 'स्थान' आदि का भी अर्थ रखता है। समरांगणसूत्रधार तथा वैमानिक शास्त्र आदि कई ग्रन्थों में इनका विशद तकनीकी वर्णन भी मिलता है। .
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उड्डयन का इतिहास
उड्ड्यन का इतिहास (Aviation history) उड्डयन संबंधी यांत्रिक युक्तियों के विकास का इतिहास है। यह पतंगों, ग्लाइडर आदि से शुरू होकर सुपरसॉनिक विमानों एवं अंतरिक्ष यानों तक जाता है। 1250 रोजर बैकन यांत्रिक उड़ान के बारे में लिखा 1485-1500 लिओनार्डो डा विंची ने उड़ने वाली मशीन व पैराशूट की डिजाइन की। 1783 - मंटगाल्फियर बंधुओं ने प्रथम हवा से हल्की (lighter-than-air) यान बनाया (colwidth.
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