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वृक्क अश्मरी

सूची वृक्क अश्मरी

विविध प्रकार की पथरियाँ, जिनमें से कुछ कैल्सियम आक्जेलेट से बनी हैं और कुछ यूरिक एसिड की किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी (वृक्कीय कैल्कली,रीनल कॅल्क्युली, नेफरोलिथियासिस) (अंग्रेजी:Kidney stones) गुर्दे एवं मूत्रनलिका की बीमारी है जिसमें, वृक्क (गुर्दे) के अन्दर छोटे-छोटे या बड़े पत्थर का निर्माण होता है। गुर्दें में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्यत: ये पथरियाँ अगर छोटी हो तो बिना किसी तकलीफ मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं, किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं (२-३ मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो एवं कमर और पेट के आसपास असहनीय पीड़ा होती है जिसे रीनल कोलिक कहा जाता है । यह स्थिति आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि वयस्को में अधिकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है। आज भारत के प्रत्येक सौ परिवारों में से दस परिवार इस पीड़ादायक स्थिति से पीड़ित है, लेकिन सबसे दु:खद बात यह है कि इनमें से कुछ प्रतिशत रोगी ही इसका इलाज करवाते हैं और लोग इस असहनीय पीड़ा से गुज़रते है। एवम् अश्मरी से पीड़ित रोगी को काफ़ी मात्रा में पानी पीना चाहिए। जिन मरीजों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें गुर्दे की बीमारी होने की काफी संभावनाएं रहती हैं। अगर किसी मरीज को रक्तचाप की बीमारी है तो उसे नियमित दवा से रक्तचाप को नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब हो सकते हैं। .

14 संबंधों: एंथनी हॉपकिंस, पथरचटा, मेगाडेथ, रेकी चिकित्सा, सिस्टोस्कॉपी, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, सुश्रुत संहिता, हिपोक्रीत्ज़ की शपथ, वात रोग, खीरा, गुर्दा, ऑस्टियोपोरोसिस, कलौंजी, अरण्यतुलसी

एंथनी हॉपकिंस

सर फिलिप एंथनी हॉपकिंस, CBE (जन्म 31 दिसम्बर 1937) सिनेमा, रंगमंच और टेलीविजन के एक वेल्श अभिनेता हैं। इन्हें फिल्मी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में से एक माना जाता है, द साइलेंस ऑफ द लैंब्स, इसके दूसरे भाग हैनीबुल और इसके पहले वाले भाग रेड ड्रैगन में इनके कैनिबलिस्टिक सीरीयल किलर हैनीबुल लेक्टर का किरदार निभाने के लिए संभवतः इन्हें मुख्य रूप से पहचाना जाता है। अन्य प्रमुख फिल्मों जिसमें इनकी काफी सराहना की गई है उनमें मैजिक, द एलिफेंट मैन, 84 चेरिंग क्रॉस रोड, ड्रेकुला, लेजेंड्स ऑफ द फॉल, द रिमेंस ऑफ द डे, एमिस्टेड, निक्सोन और फ्रैक्चर शामिल हैं। हॉपकिंस का जन्म और बचपन वेल्स में बीता है। ब्रिटिश नागरिकता के साथ-साथ 12 अप्रैल 2000 को उन्हें अमेरिकी नागरिकता भी प्राप्त हुई। 2003 में हॉलीवुड वॉल्क ऑफ फेम में उन्हें स्टार दिया गया और 2008 में ब्रिटिश अकादमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन के वे सदस्य बने। .

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पथरचटा

पथरचटा का पौधा पथरचटा या पथरचट्टा (वानस्पतिक नाम - Kalanchoe pinnata या Bryophyllum calycinum या Bryophyllum pinnatum) यह एक सपुष्पक पादप है जो भारत के सभी राज्यों में पाया जाता है। माडागास्कर को इसका उत्पत्तिस्थल बताया जाता है। इसके पत्तों के किनारों से से नया पौधा निकलता है। यह पथरी तथा अन्य रोगों में उपयोगी है। .

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मेगाडेथ

मेगाडेथ, सन् 1983 में गठित कैलिफ़ोर्निया के लॉस एंजिलिस स्थित एक अमेरिकी हेवी मेटल बैंड है। गिटारवादक/गायक डेव मुस्टेन और बासवादक डेविड एलेफ़सन द्वारा इसकी स्थापना की गई और मेटालिका से मुस्टेन की विदाई के बाद से इस बैंड ने बारह स्टूडियो एल्बम, छः लाइव एल्बम, दो EPs, छब्बीस एकल, बत्तीस संगीत वीडियो और तीन संकलन रिलीज़ किए हैं। अमेरिकी थ्रैश मेटल के चलन के अग्रणी के रूप में, मेगाडेथ ने सन् 1980 के दशक में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की और मेटालिका, स्लेयर और एंथ्रेक्स के साथ इसे भी एक "बिग फ़ोर ऑफ़ थ्रैश" के रूप में श्रेणीत किया गया जो थ्रैश मेटल की उप-शैली को निर्मित करने, विकसित करने और उन्हें लोकप्रिय बनाने के लिए विख्यात थे। मेगाडेथ की सदस्य-मंडली में कई बार परिवर्तन हुआ है जिसका कारण कुछ हद तक बैंड के कुछ सदस्यों द्वारा नशीले पदार्थों के सेवन करने की बुरी लत भी थी। सन् 1983 से 2002 तक मुस्टेन और एलेफ़सन इस बैंड के एकमात्र अनवरत सदस्य थे। संयम प्राप्त करने और एक स्थायी सदस्य-मंडली की स्थापना होने के बाद मेगाडेथ, एक-के-बाद-एक प्लैटिनम और स्वर्ण एल्बमों को रिलीज़ करता चला गया जिनमें सन् 1990 की प्लैटिनम-बिक्री के लैंडमार्क वाला रस्ट इन पीस और सन् 1992 का ग्रेमी मनोनीत बहु-प्लैटिनम काउंटडाउन टु एक्सटिंक्शन भी शामिल था। मुस्टेन के बाएं हाथ की नस में बहुत गंभीर चोट लगने के बाद मेगाडेथ सन् 2002 में तितर-बितर हो गया। हालांकि, व्यापक भौतिक चिकित्सा के बाद मुस्टेन ने सन् 2004 में बैंड का पुनर्गठन किया और द सिस्टम हैज़ फेल्ड रिलीज़ किया और उसके बाद सन् 2007 में युनाइटेड ऐबोमिनेशंस को रिलीज़ किया; इन एल्बमों ने ''बिलबोर्ड'' टॉप 200 के चार्ट पर क्रमशः #18 और #8 पर शुरुआत की.

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रेकी चिकित्सा

100px रेकी चिकित्सा प्रगति पर 2-ch'i4 |j.

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सिस्टोस्कॉपी

शल्य चिकित्सा कक्ष में रोगाणुमुक्त किया हुआ फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कोप सिस्टोस्कॉपी (Cystoscopy) (si-ˈstäs-kə-pē) मूत्रमार्ग (urethra) के माध्यम से की जाने वाली, मूत्राशय (urinary bladder) की एंडोस्कोपी है। यह सिस्टोस्कोप की सहायता से की जाती है। नैदानिक सिस्टोस्कॉपी स्थानीय एनेस्थेसिया (local anaesthesia) के साथ की जाती है। शल्य-क्रियात्मक सिस्टोस्कॉपी प्रक्रिया के लिए कभी-कभी व्यापक एनेस्थेसिया (general anaesthesia) भी दिया जाता है। मूत्रमार्ग वह नली है जो मूत्र को मूत्राशय से शरीर के बाहर ले जाती है। सिस्टोस्कोप में दूरदर्शी (telescope) अथवा सूक्ष्मदर्शी (microscope) की तरह ही लेंस लगे होते हैं। ये लेंस चिकित्सक को मूत्रमार्ग की आतंरिक सतहों पर फोकस (संकेंद्रित) करने की सुविधा प्रदान करते हैं। कुछ सिस्टोस्कोप ऑप्टिकल फ़ाइबर (कांच का लचीला तार) का प्रयोग करते हैं जो उपकरण के अग्रभाग से छवि को दूसरे सिरे पर लगे व्यूइंग पीस (अवलोकन पीस) पर प्रदर्शित करते हैं। सिस्टोस्कोप एक पेन्सिल की मोटाई से लेकर 9 मिली मीटर तक मोटे होते हैं तथा इनके अग्रभाग पर प्रकाश स्रोत होता है। कई सिस्टोस्कोप में कुछ अतिरिक्त नलियां भी लगी होती हैं जो मूत्र सम्बन्धी समस्याओं के उपचार हेतु शल्य-क्रियात्मक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक उपकरणों का मार्ग-प्रदर्शन करती हैं। सिस्टोस्कॉपी दो प्रकार की होती हैं - फ्लेक्सिबल तथा रिजिड - यह सिस्टोस्कोप के लचीलेपन के अंतर पर आधारित होती है। फ्लेक्सिबल सिस्टोस्कॉपी दोनों लिंगों में स्थानीय एनेस्थेसिया की सहायता से की जाती है। आमतौर पर, एनेस्थेटिक के रूप में ज़ाईलोकेन जेल (xylocaine gel) (उदाहरण के लिए ब्रांड नाम इन्सटिलाजेल) का प्रयोग किया जाता है, इसे मूत्रमार्ग में डाला जाता है। रिजिड सिस्टोस्कॉपी भी सामान परिस्थितियों में की जा सकती है, परन्तु सामान्य रूप से यह व्यापक एनेस्थेसिया देकर, विशेष रूप से पुरुष मरीजों में प्रोब से होने वाले कष्ट के कारण, की जाती है। एक डॉक्टर निम्नलिखित स्थितियों में सिस्टोस्कॉपी की सलाह दे सकता है.

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संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGIMS) भारत का एक उत्कृष्ट आयुर्विज्ञान संस्थान है। यह लखनऊ, उत्तर प्रदेश में स्थित है। इसकी स्थापना १९८३ में हुई थी। यह संस्थान रायबरेली मार्ग पर मुख्य शहर से १५ किमी की दूरी पर स्थित है। यह संस्थान तथा इसका आवासीय प्रांगण ५५० एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यह संस्थान तृतियक चिकित्सा सुविधा प्रदान करता है तथा अति-विशेषज्ञता शिक्षण, प्रशिशण और अनुसंधान सुविधा प्रदान करता है। यह DM, MCh, MD, Ph.D., पोस्टडॉक्टोरल फेलोशिप (PDF) तथा पोस्टडॉक्टोरल सर्टिफिकेट कोर्स (PDCC) और सीनियर रेजिडेंसी प्रदान करता है। .

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सुश्रुत संहिता

सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद एवं शल्यचिकित्सा का प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ है। सुश्रुतसंहिता आयुर्वेद के तीन मूलभूत ग्रन्थों में से एक है। आठवीं शताब्दी में इस ग्रन्थ का अरबी भाषा में 'किताब-ए-सुस्रुद' नाम से अनुवाद हुआ था। सुश्रुतसंहिता में १८४ अध्याय हैं जिनमें ११२० रोगों, ७०० औषधीय पौधों, खनिज-स्रोतों पर आधारित ६४ प्रक्रियाओं, जन्तु-स्रोतों पर आधारित ५७ प्रक्रियाओं, तथा आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का उल्लेख है। इसके रचयिता सुश्रुत हैं जो छठी शताब्दी ईसापूर्व काशी में जन्मे थे। सुश्रुतसंहिता बृहद्त्रयी का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह संहिता आयुर्वेद साहित्य में शल्यतन्त्र की वृहद साहित्य मानी जाती है। सुश्रुतसंहिता के उपदेशक काशिराज धन्वन्तरि हैं, एवं श्रोता रूप में उनके शिष्य आचार्य सुश्रुत सम्पूर्ण संहिता की रचना की है। इस सम्पूर्ण ग्रंथ में रोगों की शल्यचिकित्सा एवं शालाक्य चिकित्सा ही मुख्य उद्देश्य है। शल्यशास्त्र को आचार्य धन्वन्तरि पृथ्वी पर लाने वाले पहले व्यक्ति थे। बाद में आचार्य सुश्रुत ने गुरू उपदेश को तंत्र रूप में लिपिबद्ध किया, एवं वृहद ग्रन्थ लिखा जो सुश्रुत संहिता के नाम से वर्तमान जगत में रवि की तरह प्रकाशमान है। आचार्य सुश्रुत त्वचा रोपण तन्त्र (Plastic-Surgery) में भी पारंगत थे। आंखों के मोतियाबिन्दु निकालने की सरल कला के विशेषज्ञ थे। सुश्रुत संहिता शल्यतंत्र का आदि ग्रंथ है। .

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हिपोक्रीत्ज़ की शपथ

हिपोक्रीत्ज़ की शपथ (Hippocratic Oath) ऐतिहासिक रूप से चिकित्सकों एवं चिकित्सा व्यसायियों द्वारा ली जाने वाली शपथ है। माना जाता है कि यह हिपोक्रीत्ज़ द्वारा लिखी गयी है। यह आयोनिक ग्रीक में लिखा गया है। इस शपथ का हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है- .

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वात रोग

वात रोग (जिसे पोडाग्रा के रूप में भी जाना जाता है जब इसमें पैर का अंगूठा शामिल हो) एक चिकित्सिकीय स्थिति है आमतौर पर तीव्र प्रदाहक गठिया—लाल, संवेदनशील, गर्म, सूजे हुए जोड़ के आवर्तक हमलों के द्वारा पहचाना जाता है। पैर के अंगूठे के आधार पर टखने और अंगूठे के बीच का जोड़ सबसे ज़्यादा प्रभावित होता है (लगभग 50% मामलों में)। लेकिन, यह टोफी, गुर्दे की पथरी, या यूरेट अपवृक्कता में भी मौजूद हो सकता है। यह खून में यूरिक एसिड के ऊंचे स्तर के कारण होता है। यूरिक एसिड क्रिस्टलीकृत हो जाता है और क्रिस्टल जोड़ों, स्नायुओं और आस-पास के ऊतकों में जमा हो जाता है। चिकित्सीय निदान की पुष्टि संयुक्त द्रव में विशेष क्रिस्टलों को देखकर की जाती है। स्टेरॉयड-रहित सूजन-रोधी दवाइयों (NSAIDs), स्टेरॉयड या कॉलचिसिन लक्षणों में सुधार करते हैं। तीव्र हमले के थम जाने पर, आमतौर पर यूरिक एसिड के स्तरों को जीवन शैली में परिवर्तन के माध्यम से कम किया जाता है और जिन लोगों में लगातार हमले होते हैं उनमें, एलोप्यूरिनॉल या प्रोबेनेसिड दीर्घकालिक रोकथाम प्रदान करते हैं। हाल के दशकों में वात रोक की आवृत्ति में वृद्धि हुई है और यह लगभग 1-2% पश्चिमी आबादी को उनके जीवन के किसी न किसी बिंदु पर प्रभावित करता है। माना जाता है कि यह वृद्धि जनसंख्या बढ़ते हुए जोखिम के कारकों की वजह से है, जैसे कि चपापचयी सिंड्रोम, अधिक लंबे जीवन की प्रत्याशा और आहार में परिवर्तन। ऐतिहासिक रूप से वात रोग को "राजाओं की बीमारी" या "अमीर आदमी की बीमारी" के रूप में जाना जाता था। .

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खीरा

खीरे की लता, पुष्प एवं फल खीरा (cucumber; वैज्ञानिक नाम: Cucumis sativus) ज़ायद की एक प्रमुख फसल है। सलाद के रूप में सम्पूर्ण विश्व में खीरा का विशेष महत्त्व है। खीरा को सलाद के अतिरिक्त उपवास के समय फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा विभिन्न प्राकर की मिठाइयाँ भी तैयार की जाती है। पेट की गड़बडी तथा कब्ज में भी खीरा को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। खीरा कब्ज़ दूर करता है। पीलिया, प्यास, ज्वर, शरीर की जलन, गर्मी के सारे दोष, चर्म रोग में लाभदायक है। खीरे का रस पथरी में लाभदायक है। पेशाब में जलन, रुकावट और मधुमेह में भी लाभदायक है। घुटनों में दर्द को दूर करने के लिये भोजन में खीरा अधिक खायें। .

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गुर्दा

वृक्क या गुर्दे का जोड़ा एक मानव अंग हैं, जिनका प्रधान कार्य मूत्र उत्पादन (रक्त शोधन कर) करना है। गुर्दे बहुत से वर्टिब्रेट पशुओं में मिलते हैं। ये मूत्र-प्रणाली के अंग हैं। इनके द्वारा इलेक्त्रोलाइट, क्षार-अम्ल संतुलन और रक्तचाप का नियामन होता है। इनका मल स्वरुप मूत्र कहलाता है। इसमें मुख्यतः यूरिया और अमोनिया होते हैं। गुर्दे युग्मित अंग होते हैं, जो कई कार्य करते हैं। ये अनेक प्रकार के पशुओं में पाये जाते हैं, जिनमें कशेरुकी व कुछ अकशेरुकी जीव शामिल हैं। ये हमारी मूत्र-प्रणाली का एक आवश्यक भाग हैं और ये इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण, अम्ल-क्षार संतुलन, व रक्तचाप नियंत्रण आदि जैसे समस्थिति (homeostatic) कार्य भी करते है। ये शरीर में रक्त के प्राकृतिक शोधक के रूप में कार्य करते हैं और अपशिष्ट को हटाते हैं, जिसे मूत्राशय की ओर भेज दिया जाता है। मूत्र का उत्पादन करते समय, गुर्दे यूरिया और अमोनियम जैसे अपशिष्ट पदार्थ उत्सर्जित करते हैं; गुर्दे जल, ग्लूकोज़ और अमिनो अम्लों के पुनरवशोषण के लिये भी ज़िम्मेदार होते हैं। गुर्दे हार्मोन भी उत्पन्न करते हैं, जिनमें कैल्सिट्रिओल (calcitriol), रेनिन (renin) और एरिथ्रोपिटिन (erythropoietin) शामिल हैं। औदरिक गुहा के पिछले भाग में रेट्रोपेरिटोनियम (retroperitoneum) में स्थित गुर्दे वृक्कीय धमनियों के युग्म से रक्त प्राप्त करते हैं और इसे वृक्कीय शिराओं के एक जोड़े में प्रवाहित कर देते हैं। प्रत्येक गुर्दा मूत्र को एक मूत्रवाहिनी में उत्सर्जित करता है, जो कि स्वयं भी मूत्राशय में रिक्त होने वाली एक युग्मित संरचना होती है। गुर्दे की कार्यप्रणाली के अध्ययन को वृक्कीय शरीर विज्ञान कहा जाता है, जबकि गुर्दे की बीमारियों से संबंधित चिकित्सीय विधा मेघविज्ञान (nephrology) कहलाती है। गुर्दे की बीमारियां विविध प्रकार की हैं, लेकिन गुर्दे से जुड़ी बीमारियों के रोगियों में अक्सर विशिष्ट चिकित्सीय लक्षण दिखाई देते हैं। गुर्दे से जुड़ी आम चिकित्सीय स्थितियों में नेफ्राइटिक और नेफ्रोटिक सिण्ड्रोम, वृक्कीय पुटी, गुर्दे में तीक्ष्ण घाव, गुर्दे की दीर्घकालिक बीमारियां, मूत्रवाहिनी में संक्रमण, वृक्कअश्मरी और मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न होना शामिल हैं। गुर्दे के कैंसर के अनेक प्रकार भी मौजूद हैं; सबसे आम वयस्क वृक्क कैंसर वृक्क कोशिका कर्कट (renal cell carcinoma) है। कैंसर, पुटी और गुर्दे की कुछ अन्य अवस्थाओं का प्रबंधन गुर्दे को निकाल देने, या वृक्कुच्छेदन (nephrectomy) के द्वारा किया जा सकता है। जब गुर्दे का कार्य, जिसे केशिकागुच्छीय शुद्धिकरण दर (glomerular filtration rate) के द्वारा नापा जाता है, लगातार बुरी हो, तो डायालिसिस और गुर्दे का प्रत्यारोपण इसके उपचार के विकल्प हो सकते हैं। हालांकि, पथरी बहुत अधिक हानिकारक नहीं होती, लेकिन यह भी दर्द और समस्या का कारण बन सकती है। पथरी को हटाने की प्रक्रिया में ध्वनि तरंगों द्वारा उपचार शामिल है, जिससे पत्थर को छोटे टुकड़ों में तोड़कर मूत्राशय के रास्ते बाहर निकाल दिया जाता है। कमर के पिछले भाग के मध्यवर्ती/पार्श्विक खण्डों में तीक्ष्ण दर्द पथरी का एक आम लक्षण है। .

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ऑस्टियोपोरोसिस

अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) हड्डी का एक रोग है जिससे फ़्रैक्चर का ख़तरा बढ़ जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस में अस्थि खनिज घनत्व (BMD) कम हो जाता है, अस्थि सूक्ष्म-संरचना विघटित होती है और अस्थि में असंग्रहित प्रोटीन की राशि और विविधता परिवर्तित होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस को DXA के मापन अनुसार अधिकतम अस्थि पिंड (औसत 20 वर्षीय स्वस्थ महिला) से नीचे अस्थि खनिज घनत्व 2.5 मानक विचलन के रूप में परिभाषित किया है; शब्द "ऑस्टियोपोरोसिस की स्थापना" में नाज़ुक फ़्रैक्चर की उपस्थिति भी शामिल है। ऑस्टियोपोरोसिस, महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद सर्वाधिक सामान्य है, जब उसे रजोनिवृत्तोत्तर ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं, पर यह पुरुषों में भी विकसित हो सकता है और यह किसी में भी विशिष्ट हार्मोन संबंधी विकार तथा अन्य दीर्घकालिक बीमारियों के कारण या औषधियों, विशेष रूप से ग्लूकोकार्टिकॉइड के परिणामस्वरूप हो सकता है, जब इस बीमारी को स्टेरॉयड या ग्लूकोकार्टिकॉइड-प्रेरित ऑस्टियोपोरोसिस (SIOP या GIOP) कहा जाता है। उसके प्रभाव को देखते हुए नाज़ुक फ़्रैक्चर का ख़तरा रहता है, हड्डियों की कमज़ोरी उल्लेखनीय तौर पर जीवन प्रत्याशा और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। ऑस्टियोपोरोसिस को जीवन-शैली में परिवर्तन और कभी-कभी दवाइयों से रोका जा सकता है; हड्डियों की कमज़ोरी वाले लोगों के उपचार में दोनों शामिल हो सकती हैं। जीवन-शैली बदलने में व्यायाम और गिरने से रोकना शामिल हैं; दवाइयों में कैल्शियम, विटामिन डी, बिसफ़ॉसफ़ोनेट और कई अन्य शामिल हैं। गिरने से रोकथाम की सलाह में चहलक़दमी वाली मांसपेशियों को तानने के लिए व्यायाम, ऊतक-संवेदी-सुधार अभ्यास; संतुलन चिकित्सा शामिल की जा सकती हैं। व्यायाम, अपने उपचयी प्रभाव के साथ, ऑस्टियोपोरोसिस को उसी समय बंद या उलट सकता है। .

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कलौंजी

कलौंजी, (अंग्रेजी:Nigella) एक वार्षिक पादप है जिसके बीज औषधि एवं मसाले के रूप में प्रयुक्त होते हैं। कलौंजी और प्याज में फर्क .

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अरण्यतुलसी

अरण्यतुलसी (वानस्पतिक नाम: Ocimum americanum) का पौधा ऊँचाई में आठ फुट तक, सीधा और डालियों से भरा होता है। छाल खाकी, पत्ते चार इंच तक लंबे और दोनों ओर चिकने होते हैं। यह बंगाल, नेपाल, आसाम की पहाड़ियों, पूर्वी नेपाल और सिंध में मिलता है। इसके पत्तों को हाथ से मलने पर तेज सुगंध निकलती है। आयुर्वेद में इसके पत्तों को वात, कफ, नेत्ररोग, वमन, मूर्छा अग्निविसर्प (एरिसिपलस), प्रदाह (जलन) और पथरी रोग में लाभदायक कहा गया है। ये पत्ते सुखपूर्वक प्रसव कराने तथा हृदय को भी हितकारक माने गए हैं। इन्हें पेट के फूलने को दूर करनेवाला, उत्तेजक, शांतिदायक तथा मूत्रनिस्सारक समझा जाता है। रासायनिक विश्लेषण से इनमें थायमोल, यूगेनल तथा एक अन्य उड़नशील (एसेंशियल) तेल मिले हैं। श्रेणी:औषधीय पादप श्रेणी:चित्र जोड़ें .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

पथरी, पथरी रोग, गुर्दे की पथरी

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