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विसर्ग

सूची विसर्ग

यह जानकारी HEMANG VERMA द्वारा पुष्ट है। गायत्री मंत्र में तीन बार विसर्ग आया है। 'विसर्ग (ः) महाप्राण सूचक एक स्वर है। ब्राह्मी से उत्पन्न अधिकांश लिपियों में इसके लिये संकेत हैं। उदाहरण के लिये, रामः, प्रातः, अतः, सम्भवतः, आदि में अन्त में विसर्ग आया है। जैसे आगे बताया गया है, विसर्ग यह अपने आप में कोई अलग वर्ण नहीं है; वह केवल स्वराश्रित है। विसर्ग का उच्चार विशिष्ट होने से उसे पूर्णतया शुद्ध लिखा नहीं जा सकता, क्यों कि विसर्ग अपने आप में हि किसी उच्चार का प्रतिक मात्र है ! किसी भाषातज्ज्ञ के द्वारा उसे प्रत्यक्ष सीख लेना ही जादा उपयुक्त होगा।   सामान्यतः  विसर्ग के पहले हृस्व स्वर/व्यंजन हो तो उसका उच्चार त्वरित ‘ह’ जैसा करना चाहिए; और यदि विसर्ग के पहले दीर्घ स्वर/व्यंजन हो तो विसर्ग का उच्चार त्वरित ‘हा’ जैसा करना चाहिए। विसर्ग के पूर्व ‘अ’कार हो तो विसर्ग का उच्चार ‘ह’ जैसा; ‘आ’ हो तो ‘हा’ जैसा; ‘ओ’ हो तो ‘हो’ जैसा, ‘इ’ हो तो ‘हि’ जैसा...

8 संबंधों: चन्द्रबिन्दु, बर्मी लिपि, बाली लिपि, बंगाली लिपि, सन्धि, हिन्दी व्याकरण, अनुस्वार, अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत लिप्यन्तरण वर्णमाला

चन्द्रबिन्दु

चंद्रबिन्दु एक विशेषक चिह्न है जो देवनागरी, गुजराती, बांग्ला, ओडिया, तेलुगु तथा जावा की लिपि आदि में प्रयुक्त होता है। इसका आकार चन्द्रमा जैसा होने से इसे 'चन्द्रबिन्दु' कहा जाता है। यह अनुनासिक को व्यक्त करता है। उदाहरण: चाँद (देवनागरी), দাঁত (बांग्ला)। .

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बर्मी लिपि

बर्मी लिपि के अक्षर म्यांमार लिपि या बर्मी लिपि (बर्मी भाषा: ဗမာအက္ခရာ / बमाअक्खरा या မြန်မာအက္ခရာ / म्रन्माअक्खरा), बर्मी भाषा लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। यह ब्राह्मी परिवार की लिपि है। इसके अक्षर गोल होते हैं जो ताड़पत्र पर लेखन में सुविधा प्रदान करते थे क्योंकि सीधी रेखाएँ लिखने से पत्तों के फटने का डर रहता है। .

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बाली लिपि

अक्षर बाली बाली लिपि इण्डोनेशिया के बाली द्वीप की आस्ट्रोनेशियन बाली भाषा, पुरानी बाली भाषा, तथा संस्कृत लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। कभी-कभी यह समीप के द्वीप लोम्बोक की शशक भाषा (Sasak) लिखने के लिये भी प्रयुक्त होती है। बाली में इसे 'अक्षर बाली' या 'हनचरक' कहते हैं। इसमेंमें ३३ व्यंजन, १८ स्वर तथा २ विसर्ग हैं। बाली लिपि, ब्राह्मी से व्युत्पन्न है। यह लिपि दक्षिण एशिया तथा दक्षिणपूर्व एशिया की अनेकानेक लिपियों से अत्यधिक समानता रखती है। .

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बंगाली लिपि

'कॉ' पर मात्राएं लगाने पर स्वरूप बांग्ला लिपि (বাংলা লিপি) पूर्वी नागरी लिपि का एक परिमार्जित रूप है जिसे बांग्ला भाषा, असमिया या विष्णुप्रिया मणिपुरी लिखने के लिए प्रयोग किया जाता है। पूर्वी नागरी लिपि का संबंध ब्राम्ही लिपि के साथ है। आधुनिक बांग्ला लिपि को चार्ल्स विल्किंस द्वारा 1778 में आधार दिया गया जब उन्होंने इस लिपि के लिए पहली बार टाइपसेट का प्रयोग किया। असमिया एवं मणिपुरी लिखते समय कमोबेश इसी लिपि का प्रयोग थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, र अक्षर (बांग्ला/मणिपुरी: র; असमिया: ৰ) एवं व (बांग्ला: अनुपलब्ध; असमिया/मणिपुरी: ৱ) में भाषानुसार अंतर दिखते हैं। .

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सन्धि

यह पृष्ठ संस्कृत व्याकरण में प्रयुक्त सन्धि के बारे में है। अन्तरराष्ट्रीय विधि के सन्दर्भ में सन्धि अलग पृष्ठ पर देखें। ---- सन्धि का अर्थ होता है जोड़ (Addition या Joint)। संस्कृत, हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में जब दो शब्दों के मेल से एक नया शब्द बनता है तो इसे सन्धि कहते हैं। सन्धि के नियम केवल भारोपीय भाषाओं में ही नहीं हैं बल्कि कोरियायी जैसी यूराल-आल्टिक परिवार की भाषाओं में भी हैं। जिस प्रकार नीला और लाल मिलकर बैगनी रंग बन जाता है उसी प्रकार सन्धि एक "प्राकृतिक" या सहज क्रिया है। .

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हिन्दी व्याकरण

हिंदी व्याकरण, हिंदी भाषा को शुद्ध रूप में लिखने और बोलने संबंधी नियमों का बोध करानेवाला शास्त्र है। यह हिंदी भाषा के अध्ययन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें हिंदी के सभी स्वरूपों का चार खंडों के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है; यथा- वर्ण विचार के अंतर्गत ध्वनि और वर्ण तथा शब्द विचार के अंतर्गत शब्द के विविध पक्षों संबंधी नियमों और वाक्य विचार के अंतर्गत वाक्य संबंधी विभिन्न स्थितियों एवं छंद विचार में साहित्यिक रचनाओं के शिल्पगत पक्षों पर विचार किया गया है। .

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अनुस्वार

अनुस्वार एक उच्चारण की मात्रा है जो अधिकांश भारतीय लिपियों में प्रयुक्त होती है। इससे अक्सर ं जैसी ध्वनि नाक के द्वारा निकाली जाती है, अतः इसे नसिक या अनुनासिक कहते हैं। इसको कभी-कभी म (और अन्य) अक्षरों द्वारा भी लिखते हैं। जैसे: कंबल ~ कम्बल; इंफाल ~ इम्फाल इत्यादि। देवनागरी में इसे, उदाहरण-स्वरूप क पर लगाने से कं लिखा जाता है। .

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अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत लिप्यन्तरण वर्णमाला

अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत लिप्यन्तरण वर्णमाला (अंग्रेजी: IAST - International Alphabet of Sanskrit Transliteration) एक लोकप्रिय लिप्यन्तरण स्कीम है जो कि इण्डिक लिपियों के हानिरहित (लॉसलॅस) रोमनकरण हेतु प्रयोग की जाती है। इसमें गैर-आस्की वर्णों का भी प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा छोटे-वर्ण (small letters) और बड़े-वर्ण दोनो का प्रयोग किया गया है। .

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