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विषुव

सूची विषुव

सूर्य द्वारा पृथ्वी पर विषुव के दिन प्रकाश (संध्या छोड़कर) विषुव (अंग्रेज़ी:इक्विनॉक्स) ऐसा समय-बिंदु होता है, जिसमें दिवस और रात्रि लगभग बराबर होते हैं। इसका शब्दिक अर्थ होता है - समान। 'विषुव' शब्द संस्कृत से है और इसका अर्थ दिन और रात्रि के समान होने से है (दिनरात्र्योः साम्यं वाति वा) | इक्वीनॉक्स शब्द लैटिन भाषा के शब्द एक्वस (समान) और नॉक्स (रात्रि) से लिया गया है। किसी क्षेत्र में दिन और रात की लंबाई को प्रभावित करने वाले कई दूसरे कारक भी होते हैं। पृथ्वी अपनी धुरी पर २३½° झुके हुए सूर्य के चक्कर लगाती है, इस प्रकार वर्ष में एक बार पृथ्वी इस स्थिति में होती है, जब वह सूर्य की ओर झुकी रहती है, व एक बार सूर्य से दूसरी ओर झुकी रहती है।|हिन्दुस्तान लाइव। १७ मई २०१०। तैयारी डेस्क इसी प्रकार वर्ष में दो बार ऐसी स्थिति भी आती है, जब पृथ्वी का झुकाव न सूर्य की ओर ही होता है और न ही सूर्य से दूसरी ओर, बल्कि बीच में होता है। इस स्थिति को विषुव या इक्विनॉक्स कहा जाता है। इन दोनों तिथियों पर दिन और रात की बराबर लंबाई लगभग बराबर होती है। यदि दो लोग भूमध्य रेखा से समान दूरी पर खड़े हों तो उन्हें दिन और रात की लंबाई बराबर महसूस होगी। ग्रेगोरियन वर्ष के आरंभ होते समय (जनवरी माह में) सूरज दक्षिणी गोलार्ध में होता है और वहां से उत्तरी गोलार्ध को अग्रसर होता है। वर्ष के समाप्त होने (दिसम्बर माह) तक सूरज उत्तरी गोलार्द्ध से होकर पुनः दक्षिणी गोलार्द्ध पहुचं जाता है। इस तरह से सूर्य वर्ष में दो बार भू-मध्य रेखा के ऊपर से गुजरता है। हिन्दू नव वर्ष एवं भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर व विश्व में अन्य कई नव वर्ष इसी समय के निकट ही आरंभ हुआ करते हैं। .

16 संबंधों: टोक्यो स्टॉक एक्स्चेंज, नौरोज़, पहर, फलित ज्योतिष, मातृ दिवस, सूर्यपथ, जमशोद नौरोज़, विषुव (खगोलीय निर्देशांक), विषुव अयन, खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली, खगोलीय निर्देशांक पद्धति, कक्षीय ताख, अयनांत, अरुण (ग्रह), अल्फ़ा अरायटिस तारा, २०१२

टोक्यो स्टॉक एक्स्चेंज

 (東京証券取引所, Tōkyō Shōken Torihikijo?) संक्षेप में  (東証?) या टी एस ई/टी वाय ओ एक स्टॉक एक्सचेंज है जो टोक्यो, जापान में स्थित है। अपनी सूचीबद्ध कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण के आधार पर यह एशिया का सबसे बड़ा व दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। अप्रैल 2015 में 2,292 सूचीबद्ध कंपनियों के साथ इसका संयुक्त बाजार पूंजीकरण 4.09 खरब अमेरिकी डॉलर था। जुलाई 2012 में ओसाका सिक्योरिटीज एक्सचेंज के साथ विलय की योजना को जापान फेयर ट्रेड कमीशन द्वारा अनुमोदित किया गया जिसके परिणामस्वरूप इकाई, जापान एक्सचेंज समूह (JPX) (日本取引所グループ निहोन Torihikijo Gurūpu), 1 जनवरी, 2013 को अस्तित्व में आई।:ja:マザーズ?) श्रेणी:लेख जिनमें जापानी-भाषा के पाठ हैं (अंग्रेज़ी में) अनुभाग के लिए उच्च विकास स्टार्टअप कंपनियों. के रूप में अक्टूबर 31, 2010, वहाँ रहे हैं 1675 में प्रथम खंड की कंपनियों, 437 दूसरे खंड की कंपनियों और 182 माताओं कंपनियों. (अंग्रेज़ी में) मुख्य सूचकांक पर नज़र रखने के लिए यह कर रहे हैं के निक्केई 225 सूचकांक की कंपनियों द्वारा चयनित Nihon Keizai Shimbun (जापान का सबसे बड़ा व्यापार समाचार पत्र), TOPIX सूचकांक के आधार पर शेयर की कीमतों में पहले खंड कंपनियों, और J30 सूचकांक की बड़े औद्योगिक कंपनियों द्वारा बनाए रखा जापान की प्रमुख ब्रॉडशीट अखबारों. नब्बे-चार घरेलू और 10 विदेशी प्रतिभूतियों कंपनियों में भाग लेने टीएसई व्यापार. देखें: सदस्यों के टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज अन्य टीएसई-संबंधित संस्थाओं में शामिल हैं.

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नौरोज़

नौरोज़ या नवरोज़ (फारसी: نوروز‎‎ नौरूज़; शाब्दिक रूप से "नया दिन"), ईरानी नववर्ष का नाम है, जिसे फारसी नया साल भी कहा जाता है और मुख्यतः ईरानियों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। यह मूलत: प्रकृति प्रेम का उत्सव है। प्रकृति के उदय, प्रफुल्लता, ताज़गी, हरियाली और उत्साह का मनोरम दृश्य पेश करता है। प्राचीन परंपराओं व संस्कारों के साथ नौरोज़ का उत्सव न केवल ईरान ही में ही नहीं बल्कि कुछ पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है। इसके साथ ही कुछ अन्य नृजातीय-भाषाई समूह जैसे भारत में पारसी समुदाय भी इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं। पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में इसे 3,000 से भी अधिक वर्षों से मनाया जाता है। यह ईरानी कैलेंडर के पहले महीने (फारवर्दिन) का पहला दिन भी है। यह उत्सव, मनुष्य के पुनर्जीवन और उसके हृदय में परिवर्तन के साथ प्रकृति की स्वच्छ आत्मा में चेतना व निखार पर बल देता है। यह त्योहार समाज को विशेष वातावरण प्रदान करता है, क्योंकि नववर्ष की छुट्टियां आरंभ होने से लोगों में जो ख़ुशी व उत्साह दिखाता है वह पूरे वर्ष में नहीं दिखता। .

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पहर

सामय् पहर भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बंगलादेश में इस्तेमाल होने वाली समय की एक ईकाई है। भारत में यह उत्तर भारत के क्षेत्र में अधिक प्रयोग होती है।, Amir Khusro, W.H. Allen, 1882,...

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फलित ज्योतिष

फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का भी बोध होता है, तथापि साधारण लोग ज्योतिष विद्या से फलित विद्या का अर्थ ही लेते हैं। ग्रहों तथा तारों के रंग भिन्न-भिन्न प्रकार के दिखलाई पड़ते हैं, अतएव उनसे निकलनेवाली किरणों के भी भिन्न भिन्न प्रभाव हैं। इन्हीं किरणों के प्रभाव का भारत, बैबीलोनिया, खल्डिया, यूनान, मिस्र तथा चीन आदि देशों के विद्वानों ने प्राचीन काल से अध्ययन करके ग्रहों तथा तारों का स्वभाव ज्ञात किया। पृथ्वी सौर मंडल का एक ग्रह है। अतएव इसपर तथा इसके निवासियों पर मुख्यतया सूर्य तथा सौर मंडल के ग्रहों और चंद्रमा का ही विशेष प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी विशेष कक्षा में चलती है जिसे क्रांतिवृत्त कहते हैं। पृथ्वी फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का निवासियों को सूर्य इसी में चलता दिखलाई पड़ता है। इस कक्षा के इर्द गिर्द कुछ तारामंडल हैं, जिन्हें राशियाँ कहते हैं। इनकी संख्या है। मेष राशि का प्रारंभ विषुवत् तथा क्रांतिवृत्त के संपातबिंदु से होता है। अयन की गति के कारण यह बिंदु स्थिर नहीं है। पाश्चात्य ज्योतिष में विषुवत् तथा क्रातिवृत्त के वर्तमान संपात को आरंभबिंदु मानकर, 30-30 अंश की 12 राशियों की कल्पना की जाती है। भारतीय ज्योतिष में सूर्यसिद्धांत आदि ग्रंथों से आनेवाले संपात बिंदु ही मेष आदि की गणना की जाती है। इस प्रकार पाश्चात्य गणनाप्रणाली तथा भारतीय गणनाप्रणाली में लगभग 23 अंशों का अंतर पड़ जाता है। भारतीय प्रणाली निरयण प्रणाली है। फलित के विद्वानों का मत है कि इससे फलित में अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि इस विद्या के लिये विभिन्न देशों के विद्वानों ने ग्रहों तथा तारों के प्रभावों का अध्ययन अपनी अपनी गणनाप्रणाली से किया है। भारत में 12 राशियों के 27 विभाग किए गए हैं, जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। ये हैं अश्विनी, भरणी आदि। फल के विचार के लिये चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है। .

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मातृ दिवस

आधुनिक मातृ दिवस का अवकाश ग्राफटन वेस्ट वर्जिनिया में एना जार्विस के द्वारा समस्त माताओं तथा मातृत्व के लिए खास तौर पर पारिवारिक एवं उनके आपसी संबंधों को सम्मान देने के लिए आरम्भ किया गया था। यह दिवस अब दुनिया के हर कोने में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता हैं। जैसे कि पिताओं को सम्मान देने के लिए पितृ दिवस की छुट्टी मनाई जाती हैं। यह छुट्टी अंततः इतनी व्यवसायिक बन गई कि इसकी संस्थापक, एना जार्विस, तथा कई लोग इसे एक "होलमार्क होलीडे", अर्थात् एक प्रचुर वाणिज्यिक प्रयोजन के रूप में समझने लगे। एना ने जिस छुट्टी के निर्माण में सहयोग किया उसी का विरोध करते हुए इसे समाप्त करना चाहा। .

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सूर्यपथ

खगोलीय मध्य रेखा पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर है और क्रांतिवृत्त से २३.४ डिग्री के कोण पर है। २१ मार्च और २३ सितम्बर (विषुव/इक्विनोक्स के दिन) को क्रांतिवृत्त और खगोलीय मध्य रेखा एक दुसरे को काटती हैं। २१ जून और २१ दिसम्बर (संक्रांति/सॉल्सटिस के दिन) को क्रांतिवृत्त और खगोलीय मध्य रेखा एक दुसरे से चरम दूरी पर होते हैं। खगोलशास्त्र में क्रांतिवृत्त या सूर्यपथ या ऍक्लिप्टिक आकाश के खगोलीय गोले पर वह मार्ग है जिसे ज़मीन पर बैठे किसी दर्शक के दृष्टिकोण से सूरज वर्ष भर में लेता है। आम भाषा में अगर यह कल्पना की जाए के पृथ्वी एक काल्पनिक गोले से घिरी हुई है (जिसे खगोलीय गोला कहा जाता है) और सूरज उसपर स्थित एक रोशनी है, तो अगर सालभर के लिए कोई हर रोज़ दोपहर के बराह बजे सूरज खगोलीय गोले पर जहाँ स्थित है वहाँ एक काल्पनिक बिंदु बना दे और फिर इन ३६५ बिन्दुओं (वर्ष के हर दिन का एक बिंदु) को जोड़ दे और उस रेखा को दोनों तरफ़ बढ़ाकर क्षितिज की ओर ले जाए तो उसे क्रांतिवृत्त मिल जाएगा.

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जमशोद नौरोज़

जमशोद नौरोज़ पारसी धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है। यह पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में ३००० से अधिक वर्षों के लिए मनाया जाता है। यह ईरानी कैलेंडर में पहले महीने (फर्ववर्ड) के पहले दिन को चिह्नित करता है। नोरुज़, वासैनिक विषुव का दिन है, और उत्तरी गोलार्ध में वसंत की शुरुआत का प्रतीक है। यह आम तौर पर २१ मार्च या पिछले या अगले दिन होता है, इस पर निर्भर करता है कि इसे कहाँ देखा गया है। इस क्षण में सूर्य खगोलीय भूमध्य रेखा को पार करता है और रात और दिन के बराबर हर साल गणना करता है, और परिवारों को इस अनुष्ठान का पालन करने के लिए इकट्ठा होते हैं। यद्यपि ईरान और धार्मिक पारसी मूल होने के कारण, नाउरूज़ हजारों सालों से विभिन्न जातीय समाज के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह अधिकांश धर्मों के लिए एक धर्मनिरपेक्ष अवकाश है जो कई अलग-अलग धर्मों के लोगों द्वारा आनंद उठाया जाता है, लेकिन ज़ोरोत्रियों के लिए एक पवित्र दिन बना हुआ है। श्रेणी:संस्कृति श्रेणी:धर्म श्रेणी:पारसी त्यौहार श्रेणी:धार्मिक त्यौहार .

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विषुव (खगोलीय निर्देशांक)

Earth-lighting-equinox PL.png विषुव के दौरान पृथ्वी बिजली खगोलशास्त्र में विषुव (equinox) समय के उस क्षण को कहते हैं जिसके आधार पर किसी खगोलीय निर्देशांक प्रणाली (celestial coordinate system) के तत्वों की परिभाषा की जाती है। उदाहरण के लिए भूमध्यीय निर्देशांक प्रणाली ऐसी एक प्रकार की पद्धति है और इसमें खगोलीय मध्य रेखा, खगोलीय ध्रुव और बसंत विषुव की दिशा को पहले से तय करके किसी भी वस्तु का स्थान इनके हिसाब से लगाया जाता है। ध्यान रहे कि समय के साथ यह सभी बदलते रहते हैं इसलिए किसी खगोलीय निर्देशांक प्रणाली में एक समय को मानक मानकर उसी के आधार पर निर्देशांक बताये जाते हैं। 'विषुव' युग से अलग चीज़ है क्योंकि युग वह समय होता है कि जब किसी खगोलीय वस्तु की स्थिति मापी गई हो। .

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विषुव अयन

विषुव का समय भी बदल रहे है। इसको विषुव अयन (Precession of Equinox) कहा जाता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर २४ घन्टे में एक बार घूमती है। इस कारण दिन और रात होते हैं। पृथ्वी की धुरी भी घूम रही है और यह धुरी २५,७०० साल में एक बार घूमती है। यदि आप किसी लट्टू को नाचते हुये उस समय देखें जब वह धीमा हो रहा हो, तो आप देख सकते हैं कि वह अपनी धुरी पर भी घूम रहा है और उसकी धुरी भी घूम रही है। विषुव का समय धुरी के घूमने के कारण बदल रहा है। इसी लिये pole star भी बदल रहा है। आजकल ध्रुव तारा पृथ्वी की धुरी पर है और दूसरे तारों की तरह नहीं घूमता। इसी लिये pole star कहलाता है। समय के साथ यह बदल जायगा और तब कोई और तारा pole star बन जायगा। पृथ्वी अपनी धुरी पर लगभग २५,७०० साल में एक बार घूमती है। वह १/१२वें हिस्से को २१४१ या लगभग २१५० साल में तय करती है। वसंत विषुव के समय सूरज मेष राशि में ईसा से १६५० साल पहले (१६५०BC) से, ईसा के ५०० साल बाद (५०० AD) तक लगभग २१५० साल रहा। अलग अलग सभ्यताओं में, इसी समय खगोलशास्त्र या ज्योतिष का जन्म हुआ। इसी लिये राशिफल मेष से शुरु हुआ पर अब ऐसा नहीं है। इस समय वसंत विषुव के समय सूरज, पृथ्वी के सापेक्ष, मीन राशि में है। यह लगभग ईसा के ५०० साल बाद (५०० AD) से शुरु हुआ। ईसा के ५०० साल (५०० AD) के २१५० साल बाद तक यानि कि २७वीं शताब्दी (२६५० AD) तक, वसंत विषुव के समय सूरज, पृथ्वी के सापेक्ष, मीन राशि में रहेगा। उसके बाद वसंत विषुव के समय सूरज, पृथ्वी के सापेक्ष, कुम्भ राशि में चला जायगा। .

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खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली

यह पृष्ठ खगोलशास्त्र की शब्दावली है। खगोलशास्त्र वह वैज्ञानिक अध्ययन है जिसका सबंध पृथ्वी के वातावरण के बाहर उत्पन्न होने वाले खगोलीय पिंडों और घटनाओं से होता है। .

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खगोलीय निर्देशांक पद्धति

खगोलीय गोले पर एक तारे के तीन भिन्न खगोलीय निर्देशांक प्रणालियों में माप: भूमध्यीय प्रणाली (नीली), गैलेक्सीय प्रणाली (पीली) और क्रांतिवृत्तीय प्रणाली (लाल) खगोलीय निर्देशांक पद्धति (celestial coordinate system) ब्रह्माण्ड में किसी भी प्रकार की खगोलीय वस्तु (ग्रह, उपग्रह, तारा, गैलेक्सी, नीहारिका, वग़ैराह) का स्थान निर्धारित करने का एक तरीक़ा है। जहाँ तक मनुष्यों का अनुभव है पूरा ब्रह्माण्ड एक तीन आयामों (डायमेंशन) वाला दिक् (स्पेस) है। इसमें एक निर्देशांक पद्धति के ज़रिये किसी भी स्थान को अंकों के साथ बताया जा सकता है। .

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कक्षीय ताख

कक्षीय ताख (orbital node) वह दो बिन्दु होते हैं जहाँ किसी परिक्रमा करती हुई खगोलीय वस्तु की कक्षा (ऑरबिट) किसी सन्दर्भ समतल को भेदती है। ध्यान दें कि अगर परिक्रमा का समतल और सन्दर्भ समतल एक ही हो तो कक्षीय ताख होते ही नहीं, यानि उनके लिए इन कक्षीय समतल और सन्दर्भ समतल का एक-दूसरे से तिरछा होना आवश्यक है। .

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अयनांत

उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर अयनांत अयनांत (अंग्रेज़ी:सोलस्टिस) एक खगोलीय घटना है जो वर्ष में दो बार घटित होती है जब सूर्य खगोलीय गोले में खगोलीय मध्य रेखा के सापेक्ष अपनी उच्चतम अथवा निम्नतम अवस्था में भ्रमण करता है। विषुव और अयनांत मिलकर एक ऋतु का निर्माण करते हैं। विभिन्न सभ्यताओं में अयनांत को ग्रीष्मकाल और शीतकाल की शुरुआत अथवा मध्य बिन्दु माना जाता है। 21 जून को दोपहर को जब सूर्य कर्क रेखा पर सिर के ठीक ऊपर रहता है, इसे उत्तर अयनांत या कर्क संक्रांति कहते हैं। इस समय उत्तरी गोलार्ध में सर्वाधिक लम्बे दिन होते हैं और ग्रीष्म ऋतु होती है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में इसके विपरीत सर्वाधिक छोटे दिन होते हैं और शीत ऋतु का समय होता है। .

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अरुण (ग्रह)

अरुण (Uranus), या यूरेनस हमारे सौर मण्डल में सूर्य से सातवाँ ग्रह है। व्यास के आधार पर यह सौर मण्डल का तीसरा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर चौथा बड़ा ग्रह है। द्रव्यमान में यह पृथ्वी से १४.५ गुना अधिक भारी और अकार में पृथ्वी से ६३ गुना अधिक बड़ा है। औसत रूप में देखा जाए तो पृथ्वी से बहुत कम घना है - क्योंकि पृथ्वी पर पत्थर और अन्य भारी पदार्थ अधिक प्रतिशत में हैं जबकि अरुण पर गैस अधिक है। इसीलिए पृथ्वी से तिरेसठ गुना बड़ा अकार रखने के बाद भी यह पृथ्वी से केवल साढ़े चौदह गुना भारी है। हालांकि अरुण को बिना दूरबीन के आँख से भी देखा जा सकता है, यह इतना दूर है और इतनी माध्यम रोशनी का प्रतीत होता है के प्राचीन विद्वानों ने कभी भी इसे ग्रह का दर्जा नहीं दिया और इसे एक दूर टिमटिमाता तारा ही समझा। १३ मार्च १७८१ में विलियम हरशल ने इसकी खोज की घोषणा करी। अरुण दूरबीन द्वारा पाए जाने वाला पहला ग्रह था। हमारे सौर मण्डल में चार ग्रहों को गैस दानव कहा जाता है, क्योंकि इनमें मिटटी-पत्थर की बजाय अधिकतर गैस है और इनका आकार बहुत ही विशाल है। अरुण इनमे से एक है - बाकी तीन बृहस्पति, शनि और वरुण (नॅप्टयून) हैं। इनमें से अरुण की बनावट वरुण से बहुत मिलती-जुलती है। अरुण और वरुण के वातावरण में बृहस्पति और शनि के तुलना में बर्फ़ अधिक है - पानी की बर्फ़ के अतिरिक्त इनमें जमी हुई अमोनिया और मीथेन गैसों की बर्फ़ भी है। इसलिए कभी-कभी खगोलशास्त्री इन दोनों को "बर्फ़ीले गैस दानव" नाम की श्रेणी में डाल देते हैं। सौर मण्डल के सारे ग्रहों में से अरुण का वायुमण्डल सब से ठण्डा पाया गया है और उसका न्यूनतम तापमान -४९ कैल्विन (यानी -२२४° सेण्टीग्रेड) देखा गया है। इस ग्रह में बादलों की कई तहें देखी गई हैं। मानना है के सब से नीचे पानी के बादल हैं और सब से ऊपर मीथेन गैस के बादल हैं। यह भी माना जाता है कि यदि किसी प्रकार अरुण के बिलकुल बीच जाकर इसका केन्द्र देखा जा सकता तो वहाँ बर्फ़ और पत्थर पाए जाते। .

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अल्फ़ा अरायटिस तारा

मेष (एरीज़) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा अरायटिस, जिसका बायर नाम भी यही (α Ari, α Arietis) है, मेष तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४८वाँ सब से रोशन तारा है।, database entry, The Bright Star Catalogue, 5th Revised Ed.

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२०१२

२०१२ (MMXII) ग्रेगोरियन कैलेंडर के रविवार को शुरू होने वाला एक अधिवर्ष अथवा लीप ईयर होगा। इस वर्ष को गणितज्ञ ट्यूरिंग, कंप्यूटर के अग्र-दूत और कोड -भंजक, की याद में उनकी सौवीं वर्षगांठ पर एलन ट्यूरिंग वर्ष नामित किया गया है। .

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