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विश्व स्वास्थ्य संगठन

सूची विश्व स्वास्थ्य संगठन

विश्व स्वास्थ्य संगठन का ध्वज विश्व स्वास्थ्य संगठन (वि॰ स्वा॰ सं॰) (WHO) विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के १९३ सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है। इस संस्था की स्थापना ७ अप्रैल १९४८ को की गयी थी। इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है। डब्‍ल्‍यूएचओ का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है। इथियोपिया के डॉक्टर टैड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नए महानिदेशक निर्वाचित हुए हैं। वो डॉक्टर मार्गरेट चैन का स्थान लेंगे जो पाँच-पाँच साल के दो कार्यकाल यानी दस वर्षों तक काम करने के बाद इस पद से रिटायर हो रही हैं।। भारत भी विश्व स्वास्थ्‍य संगठन का एक सदस्य देश है और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। .

113 संबंधों: ऍचआइवी परीक्षण, एचआईवी (HIV), एड्स, एस्कारियासिस, एक्यूपंक्चर, एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन, डायजे़पाम, डेंगू बुख़ार, डीपीटी टीका, तपेदिक उपचार, तम्बाकू धूम्रपान, ताड़ का तेल, थैलासीमिया, दंत-क्षरण, नशीली दवा का सेवन, नाभिकीय ऊर्जा, न्यूमोनिया, नैदानिक निगरानी, पारिस्थितिक पदचिह्न, प्रोबायोटिक, पोलियोमेलाइटिस, फुफ्फुस कैन्सर, फ्रांस की रूपरेखा, बानू जहाँगीर कोयाजी, बाल यौन शोषण (पीडोफीलिया), बेंजिलबेंजोएट, बीमारी, भारत सारावली, भारत की स्वास्थ्य समस्याएँ (2009), भारत की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग, भुखमरी, भूटान के वैदेशिक सम्बन्ध, भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव, मद्यव्यसनिता, मधुमेह टाइप 2, मध्यकर्णशोथ, मनोविदलता, मलेरिया, महिला जननांग कर्तन, मानसिक स्वास्थ्य, मानवतावाद, मृत्यु, मूत्र मार्ग संक्रमण, यक्ष्मा, युक्रेन, यौन हिंसा, येल्लप्रगड सुब्बाराव, राष्ट्र संघ, रक्तदान, रोग, ..., ली जोंग वुक, शराबीपन, शरीर द्रव्यमान सूचकांक (Body mass index), शल्य प्रसव, शाकाहार, शिंजिनी भटनागर, शुक्राणुनाशक, सड़क यातायात सुरक्षा, सरला ग्रेवाल, सर्वाइकल कैंसर, सामान्य दवा, सिस्टोसोमियासिस, सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम, संततिनिरोध, संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र संस्थाएं, संक्रामक रोग, सक्रियित कार्बन, सुई पदच्युत, स्टेविया, स्वस्थ आहार, स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सेवा, सूजाक, हर्बलिज्म (जड़ी-बूटी चिकित्सा), हाइड्रॉक्सीकार्बामाइड, हिंसा, हैजा का टीका, हैंड्स फ्री, जठरांत्र शोथ, जन्म दोष, ई-सिगरेट, वायु प्रदूषण, विश्व रक्तदाता दिवस, विश्वमारी, व्यावसायिक संरक्षा एवं स्वास्थ्य, व्यक्तित्व विकार, वैश्विक स्वास्थ्य, वीर्य, खतना, खसरा, खसरे का टीका, खुड्डी शौचालय, ऑस्टियोपोरोसिस, ऑंकोसर्कॉय्सिस, औषधनिर्माण, आहारीय लौह, आईसीडी-१०, आवश्यक औषधि, इंडिया मार्क द्वितीय, कमलानाथ, किरण कार्निक, कुष्ठरोग, कोफ़ी अन्नान, कोकेन, अतिवसारक्तता (हाइपरलिपीडेमिया), अनुपालन (दवा), अप्रैल 2015 नेपाल भूकम्प, अफ्लोरीकरण, अमेरिकी महाद्वीप जिका विषाणु प्रकोप (2015-वर्तमान), उच्च रक्तचाप, १३ नवम्बर, 2016-17 यमन हैजा प्रकोप सूचकांक विस्तार (63 अधिक) »

ऍचआइवी परीक्षण

रैंडाल एल. तोबियास, पू्र्व यूएस ग्लोबल एड्स कोआर्डिनेटर, इथियोपिया में परीक्षण के कलंक को कम करने के प्रयास में जनता के सामने एचआईवी का एड्स का जोखिम है। 16 फ़रवरी 2010 को प्राप्त. एचआईवी (HIV) जांच या परीक्षण सीरम, थूक या पेशाब में मानवी इम्यून डेफिशियेंसी वाइरस की मौजूदगी का पता लगाने के लिये किया जाता हैं। ऐसे परीक्षण एचआईवी (HIV) एंटीबॉडियों, एंटीजनों या आरएनए (RNA) का पता लगा सकते हैं। .

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एचआईवी (HIV)

ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (Human immunodeficiency virus) (एचआईवी) (HIV) एक लेंटिवायरस (रेट्रोवायरस परिवार का एक सदस्य) है, जो अक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (acquired immunodeficiency syndrome) (एड्स) (AIDS) का कारण बनता है, जो कि मनुष्यों में एक अवस्था है, जिसमें प्रतिरक्षा तंत्र विफल होने लगता है और इसके परिणामस्वरूप ऐसे अवसरवादी संक्रमण हो जाते हैं, जिनसे मृत्यु का खतरा होता है। एचआईवी (HIV) का संक्रमण रक्त के अंतरण, वीर्य, योनिक-द्रव, स्खलन-पूर्व द्रव या मां के दूध से होता है। इन शारीरिक द्रवों में, एचआईवी (HIV) मुक्त जीवाणु कणों और प्रतिरक्षा कोशिकाओं के भीतर उपस्थित जीवाणु, दोनों के रूप में उपस्थित होता है। इसके संचरण के चार मुख्य मार्ग असुरक्षित यौन-संबंध, संक्रमित सुई, मां का दूध और किसी संक्रमित मां से उसके बच्चे को जन्म के समय होने वाला संचरण (ऊर्ध्व संचरण) हैं। एचआईवी (HIV) की उपस्थिति का पता लगाने के लिये रक्त-उत्पादों की जांच करने के कारण रक्ताधान अथवा संक्रमित रक्त-उत्पादों के माध्यम से होने वाला संचरण विकसित विश्व में बड़े पैमाने पर कम हो गया है। मनुष्यों में होने वाले एचआईवी (HIV) संक्रमण को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) (डब्ल्यूएचओ)(WHO) द्वारा महामारी माना गया है। इसके बावजूद, एचआईवी (HIV) के बारे में व्याप्त परितोष एचआईवी (HIV) के जोखिम में एक मुख्य भूमिका निभा सकता है। 1981 में इसकी खोज से लेकर 2006 तक, एड्स (AIDS) 25 मिलियन से अधिक लोगों की जान ले चुका है। विश्व की लगभग 0.6% जनसंख्या एचआईवी (HIV) से संक्रमित है। एक अनुमान के मुताबिक केवल 2005 में ही, एड्स (AIDS) ने लगभग 2.4–3.3 मिलियन लोगों की जान ले ली, जिनमें 570,000 से अधिक बच्चे थे। इनमें से एक-तिहाई मौतें उप-सहाराई अफ्रीका में हुईं, जिससे आर्थिक विकास की गति धीमी पड़ गई और गरीबी में वृद्धि हुई। वर्तमान अनुमानों के अनुसार, एचआईवी (HIV) अफ्रीका में 90 मिलियन लोगों को संक्रमित करने को तैयार है, जिसके चलते अनुमानित रूप से कम से कम 18 मिलियन लोग अनाथ हो जाएंगे.

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एड्स

उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण या एड्स (अंग्रेज़ी:एड्स) मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (एच.आई.वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स स्वयं कोई बीमारी नही है पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। एड्स पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं। एच.आई.वी.

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एस्कारियासिस

एस्कारियासिस गोल कृमिएस्कारिस लम्ब्रीकॉइड्स परजीवी के कारण होने वाली बीमारी है। 85% से अधिक मामलों में संक्रमण के कोई लक्षण नहीं होते हैं, विशेष रूप से यदि कृमि का आकार छोटा हो। कृमियों की संख्या के साथ ही लक्षण भी बढ़ जाते हैं और बीमारी की शुरुआत में सांस की तकलीफ तथा बुखार हो सकता है। इनके पश्चात पेट की सूजन, पेट दर्द तथा डायरिया के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। बच्चे इनसे सर्वाधिक प्रभावित हो जाते हैं, तथा इस आयुवर्ग में संक्रमण के कारण उचित रूप से वज़न न बढ़ना, कुपोषण तथा सीखने की क्षमता में कमी आ जाती है। संक्रमण ‘'एस्केरिस'’ के 'अंडे', जो मल द्वारा आते हैं, से दूषित भोजन या पेय खाने से होता है। अण्डों से कृमि आँतों में निकलते हैं, पेट की दीवार के माध्यम से छिद्र करके निकलते हैं, तथा रक्त के माध्यम से फेफड़ों की और बढ़ जाते हैं। वहाँ वे ऐल्वेली में प्रविष्ट हो कर ट्रेकीआ की और बढ़ जाते हैं, जहाँ से खांसने के कारण वे मुंह में आकर पुनः निगल लिए जाते हैं। इसके पश्चात लार्वा पेट से होते हुए पुनः आँतों में पहुँच जाते हैं, जहाँ वे वयस्क कृमि बन जाते हैं। रोकथाम के लिए स्वच्छता के स्तर को बढ़ाना आवश्यक है, जिसमें शौचालयों की संख्या तथा उन तक पहुँच को बढ़ाना तथा मल का उचित निस्तारण शामिल है। साबुन से हाथ धोना भी सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसे क्षेत्रों में जहाँ 20% से अधिक जनसँख्या प्रभावित है, प्रत्येक व्यक्ति को निश्चित अवधि पर उपचारित करने की संस्तुति की जाती है। संक्रमण की पुनरावृत्ति सामान्य है। इसके लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाई गयी दवाएं हैं एल्बेन्डोज़ोल, मीबेंडाज़ोल, लेवामीसोल अथवा पाईरैन्टेल पैमोट.

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एक्यूपंक्चर

हुआ शउ से एक्यूपंक्चर चार्ट (fl. 1340 दशक, मिंग राजवंश). शि सी जिंग फ़ा हुई की छवि (चौदह मेरिडियन की अभिव्यक्ति). (टोक्यो: सुहाराया हेइसुके कंको, क्योहो गन 1716). एक्यूपंक्चर (Accupuncture) दर्द से राहत दिलाने या चिकित्सा प्रयोजनों के लिए शरीर के विभिन्न बिंदुओं में सुई चुभाने और हस्तकौशल की प्रक्रिया है।एक्यूपंक्चर: दर्द से राहत दिलाने, शल्यक बेहोशी और उपचारात्मक उद्देश्यों के लिए परिसरीय नसों के समानांतर शरीर के विशिष्ट भागों में बारीक सुईयां चुभाने का चीना अभ्यास.

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एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन

फसलों के नाशीजीवों के प्राकृतिक शत्रुओं (parasitoid) का उपयोग यह कीट दूसरे कीटों और कवकों को चाट जाता है जिससे पौधे की रक्षा होती है। एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (Integrated pest management (IPM), या Integrated Pest Control (IPC)) नाशीजीवों के नियंत्रण की सस्ती और वृहद आधार वाली विधि है जो नाशीजीवों के नियंत्रण की सभी विधियों के समुचित तालमेल पर आधारित है। इसका लक्ष्य नाशीजीवों की संख्या एक सीमा के नीचे बनाये रखना है। इस सीमा को 'आर्थिक क्षति सीमा' (economic injury level (EIL)) कहते हैं। एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें फसलों को हानिकारक कीड़ों तथा बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को एक से अधिक तरीकों को जैसे व्यवहारिक, यांत्रिक, जैविक तथा रासायनिक नियंत्रण इस तरह से क्रमानुसार प्रयोग में लाना चाहिए ताकि फसलों को हानि पहुंचाने वालें की संख्या आर्थिक हानिस्तर से नीचे रहे और रासायनिक दवाईयों का प्रयोग तभी किया जाए जब अन्य अपनाए गये तरिके से सफल न हों।; आई.

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डायजे़पाम

डायज़ेपाम, जिसे सबसे पहले हाफमैन-ला रोश द्वारा वैलियम नाम से बाजार में उतारा गया था, एक बेंजोडायजापाइन अमौलिक दवा है। इसे सामान्यतः बेचैनी, अनिद्रा, अधिग्रहण स्टैटस एपिलेप्टिकस सहित मिरगी के दौरों, मांसपेशियों की अकड़न, बेचैन पैरों के रोगसमूह, अल्कोहल का सेवन और बोंजोडायजेपाइनों का सेवन बंद करने से उत्पन्न लक्षणों और मेनियर्स रोग के उपचार के काम में लाया जाता है। इसे कतिपय चिकित्सकीय प्रक्रियाओं (जैसे एंडोस्कोपी के समय) के पहले तनाव व चिंता को दूर करने के लिये और कुछ शल्यक्रियाओं में स्मृतिलोप उत्पन्न करने के लिये भी प्रयोग किया जाता है। इसमें चिंतानाशक, मिर्गी निरोधक, हिप्नोटिक, निद्राकारक, मांसपेशियों में शिथिलता लाने और स्मृतिलोपक गुण होते हैं। डायज़ेपाम की औषधिक क्रिया GABAA ग्राहक पर बेंजोडायजेपाइन साइट पर जुड़ कर न्यूरोट्रांसमिटर गाबा के प्रभाव को बढ़ा कर केन्द्रीय नाड़ी तंत्र को डिप्रेस करती है। डायज़ेपाम को मौज-मस्ती की दवा के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। डायज़ेपाम के दुष्प्रभावों में घटनोत्तर स्मृतिलोप (खास तौर पर अधिक मात्राओं पर) और निद्रा व अनपेक्षित प्रभाव जैसे उत्तेजना, क्रोध या मिर्गी के रोगियों में दौरों को और बढ़ा देना शामिल हैं। बेंजोडायजापाइनों से अवसाद हो या बिगड़ भी सकता है। डायज़ेपाम जैसे बेजोडायजेपाइनों के लंबे अर्से के प्रभावों में सहिष्णुता, बेंजोडायजेपाइन पर निर्भरता व मात्रा में कमी करने पर बेजोडायजेपाइन विदड्राल सिंड्रोम शामिल हैं। इसके अलावा बेजोडायजेपाइनों को रोकने पर ज्ञान में विकार कम से कम 6 महीनों तक रह सकते हैं और पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाते.

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डेंगू बुख़ार

डेंगू बुख़ार एक संक्रमण है जो डेंगू वायरस के कारण होता है। समय पर करना बहुत जरुरी होता हैं. मच्छर डेंगू वायरस को संचरित करते (या फैलाते) हैं। डेंगू बुख़ार को "हड्डीतोड़ बुख़ार" के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इससे पीड़ित लोगों को इतना अधिक दर्द हो सकता है कि जैसे उनकी हड्डियां टूट गयी हों। डेंगू बुख़ार के कुछ लक्षणों में बुखार; सिरदर्द; त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते तथा मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। कुछ लोगों में, डेंगू बुख़ार एक या दो ऐसे रूपों में हो सकता है जो जीवन के लिये खतरा हो सकते हैं। पहला, डेंगू रक्तस्रावी बुख़ार है, जिसके कारण रक्त वाहिकाओं (रक्त ले जाने वाली नलिकाएं), में रक्तस्राव या रिसाव होता है तथा रक्त प्लेटलेट्स  (जिनके कारण रक्त जमता है) का स्तर कम होता है। दूसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम है, जिससे खतरनाक रूप से निम्न रक्तचाप होता है। डेंगू वायरस चार भिन्न-भिन्न प्रकारों के होते हैं। यदि किसी व्यक्ति को इनमें से किसी एक प्रकार के वायरस का संक्रमण हो जाये तो आमतौर पर उसके पूरे जीवन में वह उस प्रकार के डेंगू वायरस से सुरक्षित रहता है। हलांकि बाकी के तीन प्रकारों से वह कुछ समय के लिये ही सुरक्षित रहता है। यदि उसको इन तीन में से किसी एक प्रकार के वायरस से संक्रमण हो तो उसे गंभीर समस्याएं होने की संभावना काफी अधिक होती है।  लोगों को डेंगू वायरस से बचाने के लिये कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। डेंगू बुख़ार से लोगों को बचाने के लिये कुछ उपाय हैं, जो किये जाने चाहिये। लोग अपने को मच्छरों से बचा सकते हैं तथा उनसे काटे जाने की संख्या को सीमित कर सकते हैं। वैज्ञानिक मच्छरों के पनपने की जगहों को छोटा तथा कम करने को कहते हैं। यदि किसी को डेंगू बुख़ार हो जाय तो वह आमतौर पर अपनी बीमारी के कम या सीमित होने तक पर्याप्त तरल पीकर ठीक हो सकता है। यदि व्यक्ति की स्थिति अधिक गंभीर है तो, उसे अंतः शिरा द्रव्य (सुई या नलिका का उपयोग करते हुये शिराओं में दिया जाने वाला द्रव्य) या रक्त आधान (किसी अन्य व्यक्ति द्वारा रक्त देना) की जरूरत हो सकती है। 1960 से, काफी लोग डेंगू बुख़ार से पीड़ित हो रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यह बीमारी एक विश्वव्यापी समस्या हो गयी है। यह 110 देशों में आम है। प्रत्येक वर्ष लगभग 50-100 मिलियन लोग डेंगू बुख़ार से पीड़ित होते हैं। वायरस का प्रत्यक्ष उपचार करने के लिये लोग वैक्सीन तथा दवाओं पर काम कर रहे हैं। मच्छरों से मुक्ति पाने के लिये लोग, कई सारे अलग-अलग उपाय भी करते हैं।  डेंगू बुख़ार का पहला वर्णन 1779 में लिखा गया था। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में वैज्ञानिकों ने यह जाना कि बीमारी डेंगू वायरस के कारण होती है तथा यह मच्छरों के माध्यम से संचरित होती (या फैलती) है। .

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डीपीटी टीका

डीपीटी (डीटीपी और DTwP भी) संयोजित टीकों की एक श्रेणी को संदर्भित करता है जो मनुष्यों को होने वाले तीन संक्रामक रोगों से बचाव के लिए दिए जाते हैं: डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी) और टेटनस.

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तपेदिक उपचार

विभिन्न फार्मास्युटिकल तपेदिक उपचार उनकी क्रिया तपेदिक उपचार शब्द का उपयोग संक्रामक रोग तपेदिक (क्षय या टीबी) के चिकित्सकीय उपचार के लिए किया जाता है। अगर सक्रिय तपेदिक का उपचार न किया जाये, हर तीन में से लगभग दो रोगियों की मृत्यु हो जाती है। तपेदिक के जिन रोगियों का उपयुक्त उपचार किया जाता है, उनमें मृत्यु दर केवल 5 प्रतिशत होती है। टीबी के लिए मानक उपचार में आइसोनियाज़िड, रिफाम्पिसिन (इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में रिफाम्पिन के नाम से भी जाना जाता है), पायराज़ीनामाईड और एथेमब्युटोल का उपयोग दो महीने के लिए किया जाता है, इसके बाद केवल आइसोनियाज़िड और रिफाम्पिसिन का उपयोग चार महीने के लिए किया जाता है। छह महीने बाद ऐसा माना जाता है कि रोगी का उपचार पूरा हो गया है। (हालांकि अभी भी 2 से 3 प्रतिशत मामलों में रोग के फिर से होने की संभावना होती है).

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तम्बाकू धूम्रपान

तम्बाकू धूम्रपान एक ऐसा अभ्यास है जिसमें तम्बाकू को जलाया जाता है और उसका धुआं या तो चखा जाता है या फिर उसे सांस में खींचा जाता है। इसका चलन 5000-3000 ई.पू.के प्रारम्भिक काल में शुरू हुआ। कई सभ्यताओं में धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान इसे सुगंध के तौर पर जलाया गया, जिसे बाद में आनंद प्राप्त करने के लिए या फिर एक सामाजिक उपकरण के रूप में अपनाया गया। पुरानी दुनिया में तम्बाकू 1500 के दशक के अंतिम दौर में प्रचलित हुआ जहां इसने साझा व्यापारिक मार्ग का अनुसरण किया। हालांकि यह पदार्थ अक्सर आलोचना का शिकार बनता रहा है, लेकिन इसके बावज़ूद वह लोकप्रिय हो गया। जर्मन वैज्ञानिकों ने औपचारिक रूप से देर से 1920 के दशक के अन्त में धूम्रपान और फेफड़े के कैंसर के बीच के संबंधों की पहचान की जिससे आधुनिक इतिहास में पहले धूम्रपान विरोधी अभियान की शुरुआत हुई। आंदोलन तथापि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुश्मनों की सीमा में पहुंचने में नाकाम रहा और उसके बाद जल्द ही अलोकप्रिय हो गया। 1950 में स्वास्थ्य अधिकारियों ने फिर से धूम्रपान और कैंसर के बीच के सम्बंध पर चर्चा शुरू की। वैज्ञानिक प्रमाण 1980 के दशक में प्राप्त हुए, जिसने इस अभ्यास के खिलाफ राजनीतिक कार्रवाई पर जोर दिया। 1965 से विकसित देशों में खपत या तो क्षीण हुई या फिर उसमें गिरावट आयी। हालांकि, विकासशील दुनिया में बढ़त जारी है। तम्बाकू के सेवन का सबसे आम तरीका धूम्रपान है और तम्बाकू धूम्रपान किया जाने वाला सबसे आम पदार्थ है। कृषि उत्पाद को अक्सर दूसरे योगज के साथ मिलाया जाता है और फिर सुलगाया जाता है। परिणामस्वरूप भाप को सांस के जरिये अंदर खींचा जाता है फिर सक्रिय पदार्थ को फेफड़ों के माध्यम से कोशिकाओं से अवशोषित कर लिया जाता है। सक्रिय पदार्थ तंत्रिका अंत में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को शुरू करती है जिससे हृदय गति, स्मृति और सतर्कता और प्रतिक्रिया की अवधि बढ़ जाती है। डोपामाइन (Dopamine) और बाद में एंडोर्फिन(endorphin) का रिसाव होता है जो अक्सर आनंद से जुड़े हुए हैं। 2000 में धूम्रपान का सेवन कुछ 1.22 बिलियन लोग करते थे। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती हैं तथापि छोटे आयु वर्ग में इस लैंगिक अंतर में गिरावट आती है। गरीबों में अमीरों की तुलना में और विकसित देशों के लोगों में अमीर देशों की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती है। धूम्रपान करने वाले कई किशोरावस्था में या आरम्भिक युवावस्था के दौरान शुरू करते हैं। आम तौर पर प्रारंभिक अवस्था में धूम्रपान सुखद अनुभूतियां प्रदान करता है, सकारात्मक सुदृढीकरण के एक स्रोत के रूप में कार्य करता है। एक व्यक्ति में कई वर्षों के धूम्रपान के बाद परिहार के लक्षण और नकारात्मक सुदृढीकरण उसे जारी रखने का प्रमुख उत्प्रेरक बन जाता है। .

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ताड़ का तेल

उबाल के परिणाम स्वरूप ताड़ के तेल का ब्लॉक हल्के रंग दिखा रहा है। ताड़ का तेल, नारियल तेल और ताड़ की गरी का तेल ताड़ के पेड़ों के फल से निकाले गये खाने योग्य वनस्पति तेल हैं। ताड़ का तेल आयल पाम एलएईस गुइनीन्सिस के फल की लुगदी से निकाला जाता है; ताड़ की गरी का तेल आयल पाम के फल की गरी (बीज) से निकाला जाता है और नारियल का तेल नारियल (कोकोस नुसिफेरा) की गरी से प्राप्त किया जाता है। ताड़ के तेल का रंग स्वाभाविक रूप से लाल होता है, क्योंकि इसमें बीटा कैरोटीन का एक उच्च परिमाण शामिल रहता है। ताड़ का तेल, ताड़ की गरी का तेल और नारियल तेल कुछ अत्यधिक संतृप्त वनस्पति वसाओं में से तीन हैं। ताड़ का तेल कमरे के तापमान पर अर्ध ठोस रहता है। ताड़ के तेल में कई संतृप्त और असंतृप्त वसाएं ग्लिसरिल ल्यूरेट (0.1%, संतृप्त), मिरिस्टेट (1%, संतृप्त), पामिटेट (44%, संतृप्त), स्टीयरेट (5%, संतृप्त), ओलेट (39%, एकलअसंतृप्त) लीनोलियेट (10%, बहुलअसंतृप्त और लिनोलेनेट (0.3%, बहुलअसंतृप्त) के रूप में शामिल हैं। ताड़ की गरी का तेल और नारियल तेल, ताड़ के तेल से अधिक उच्च संतृप्त तेल हैं। सभी वनस्पति तेलों की तरह ताड़ के तेल में कोलेस्ट्रॉल (अपरिष्कृत पशु वसा में पाया जाने वाला) नहीं होता, हालांकि संतृप्त वसा के सेवन से एलडीएल और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल दोनों बढ़ जाते हैं। ताड़ का तेल अफ्रीका, दक्षिणपूर्व एशिया और ब्राजील के कुछ भागों की उष्णकटिबंधीय पट्टी में खाना पकाने का एक आम उपादान है। इसकी कम लागत और तलने में उपयोग के समय परिष्कृत उत्पाद की उच्च जारणकारी स्थिरता (संतृप्ति) दुनिया के अन्य भागों में व्यावसायिक भोजन उद्योग में इसके बढ़ते उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है। .

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थैलासीमिया

थेलेसीमिया (अंग्रेज़ी:Thalassemia) बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त-रोग है। इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है जिसके कारण रक्तक्षीणता के लक्षण प्रकट होते हैं। इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है। इसमें रोगी बच्चे के शरीर में रक्त की भारी कमी होने लगती है जिसके कारण उसे बार-बार बाहरी खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है। .

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दंत-क्षरण

दंत क्षरण, जिसे दंत-अस्थिक्षय या छिद्र भी कहा जाता है, एक बीमारी है जिसमें जीवाण्विक प्रक्रियाएं दांत की सख्त संरचना (दन्तबल्क, दन्त-ऊतक और दंतमूल) को क्षतिग्रस्त कर देती हैं। ये ऊतक क्रमशः टूटने लगते हैं, जिससे दन्त-क्षय (छिद्र, दातों में छिद्र) उत्पन्न हो जाते हैं। दन्त-क्षय दो जीवाणुओं के कारण प्रारंभ होता है: स्ट्रेप्टोकॉकस म्युटान्स (Streptococcus mutans) और लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus).

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नशीली दवा का सेवन

मादक द्रव्य का सेवन, जिसे नशीली दवा के सेवन के रूप में भी जाना जाता है, उस पदार्थ के उपयोग के एक दोषपूर्ण अनुकूलनीय पद्धति को सूचित करता है जिसे निर्भर नहीं माना जाता है। "नशीली दवा का सेवन" शब्द, निर्भरता को अलग नहीं करता है, लेकिन अन्यथा गैर-चिकित्सा संदर्भों में इसका प्रयोग समान तरीके से किया जाता है। मस्तिष्क या व्यवहार को प्रभावित करने वाली कोई औषधि या एक गैर- चिकित्सीय या गैर-चिकित्सा प्रभाव के लिए कार्य-निष्पादन में वृद्धि करने वाली औषधि तक इन शब्दों के परिभाषाओं की एक विशाल श्रेणी है। ये सभी परिभाषाएं विवादास्पद औषधि उपयोग के प्रति एक नकारात्मक निर्णय देते हैं (वैकल्पिक विचारों के लिए उत्तरदायी औषधि उपयोग नामक शब्द से तुलना करें. इस शब्द के साथ अक्सर संबंधित कुछ औषधियों में अल्कोहल, ऐम्फिटामाइन्स, बार्बिचुरेट्स, बेन्ज़ोडायजिपाइन्स, कोकीन, मिथैक्वैलोन्स, एवं ओपिऑयड्स शामिल हैं। इन औषधियों का उपयोग करने से स्थानीय न्याय अधिकार पर निर्भर करते हुए संभावित शारीरिक, सामाजिक, एवं मनोवैज्ञानिक क्षति के अलावा आपराधिक दंड दोनों हो सकता है।(2002). मॉसबी'स मेडिकल, नर्सिंग एण्ड एलाइड हेल्थ डिक्शनरी. छठा संस्करण. नशीली दवाओं का परिभाषा, पृष्ठ 552. नर्सिंग डायाग्नोसेस, पृष्ठ 2109. ISBN 0-323-01430-5. नशीली दवा के दुरुपयोग की अन्य परिभाषाएं चार मुख्य श्रेणियों में आती हैं: जन स्वास्थ्य संबंधी परिभाषाएं, जन संचार और स्थानीय भाषा के उपयोग, चिकित्सा संबंधी परिभाषाएं और राजनैतिक तथा आपराधिक न्याय संबंधी परिभाषाएं. दुनिया भर में, संयुक्त राष्ट्र संघ का अनुमान है कि हेरोइन, कोकीन और कृत्रिम औषधियों के के 50 लाख से अधिक नियमित उपयोगकर्ता हैं। मादक द्रव्यों का सेवन मादक द्रव्य सेवन संबंधी विकार का एक रूप है। .

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नाभिकीय ऊर्जा

इकाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र, एक दबावयुक्त जल रिएक्टर जो समुद्र के साथ माध्यमिक शीतलक विनिमय द्वारा ठंडा करता है। सुसक्युहाना वाष्प विद्युत् केंद्र, एक उबलता जल रिएक्टर. रिएक्टर, शीतलक टावरों के सामने की ओर आयताकार रोकथाम इमारतों के अंदर स्थित हैं। परमाणु ऊर्जा चालित तीन जहाज, (ऊपर से नीचे) परमाणु क्रूजर USS बेनब्रिज और USS लोंग ब्रिज, USS इंटरप्राइज़ के साथ जो 1964 में पहला परमाणु संचालित विमान वाहक. चालक दल के सदस्य, उड़ान डेक पर आइंस्टीन के द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता सूत्र को लिख रहे हैं E.

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न्यूमोनिया

फुफ्फुसशोथ या फुफ्फुस प्रदाह (निमोनिया) फेफड़े में सूजन वाली एक परिस्थिति है—जो प्राथमिक रूप से अल्वियोली(कूपिका) कहे जाने वाले बेहद सूक्ष्म (माइक्रोस्कोपिक) वायु कूपों को प्रभावित करती है। यह मुख्य रूप से विषाणु या जीवाणु और कम आम तौर पर सूक्ष्मजीव, कुछ दवाओं और अन्य परिस्थितियों जैसे स्वप्रतिरक्षित रोगों द्वारा संक्रमण द्वारा होती है। आम लक्षणों में खांसी, सीने का दर्द, बुखार और सांस लेने में कठिनाई शामिल है। नैदानिक उपकरणों में, एक्स-रे और बलगम का कल्चर शामिल है। कुछ प्रकार के निमोनिया की रोकथाम के लिये टीके उपलब्ध हैं। उपचार, अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करते हैं। प्रकल्पित बैक्टीरिया जनित निमोनिया का उपचार प्रतिजैविक द्वारा किया जाता है। यदि निमोनिया गंभीर हो तो प्रभावित व्यक्ति को आम तौर पर अस्पताल में भर्ती किया जाता है। वार्षिक रूप से, निमोनिया लगभग 450 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है जो कि विश्व की जनसंख्या का सात प्रतिशत है और इसके कारण लगभग 4 मिलियन मृत्यु होती हैं। 19वीं शताब्दी में विलियम ओस्लर द्वारा निमोनिया को "मौत बांटने वाले पुरुषों का मुखिया" कहा गया था, लेकिन 20वीं शताब्दी में एंटीबायोटिक उपचार और टीकों के आने से बचने वाले लोगों की संख्या बेहतर हुई है।बावजूद इसके, विकासशील देशों में, बहुत बुज़ुर्गों, बहुत युवा उम्र के लोगों और जटिल रोगियों में निमोनिया अभी मृत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है। .

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नैदानिक निगरानी

नैदानिक निगरानी (या रोगलक्षणिक निगरानी) विश्लेषण का संदर्भ देता है और व्याख्या शिक्षा स्वास्थ्य नीति और स्वास्थ्य के बारे में निर्णय करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। ये अभी की निगरानी से अलग है, जो सभी के लिए लागू होता है। .

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पारिस्थितिक पदचिह्न

पारिस्थितिक पदचिह्न, पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्रों पर मानवीय माँग का एक मापक है। यह इंसान की मांग की तुलना, पृथ्वी की पारिस्थितिकी के पुनरुत्पादन करने की क्षमता से करता है। यह मानव आबादी द्वारा उपभोग किए जाने वाले संसाधनों के पुनरुत्पादन और उससे उत्पन्न अपशिष्ट के अवशोषण और उसे हानिरहित बनाकर लौटाने के लिए ज़रूरी जैविक उत्पादक भूमि और समुद्री क्षेत्र की मात्रा को दर्शाता है। इसका प्रयोग करते हुए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अगर प्रत्येक व्यक्ति एक निश्चित जीवन शैली अपनाए, तो मानवता की सहायता के लिए पृथ्वी के कितने हिस्से (या कितने पृथ्वी ग्रह) की ज़रूरत होगी। 2006 के लिए मनुष्य जाति के कुल पारिस्थितिक पदचिन्ह को 1.4 पृथ्वी ग्रह अनुमानित किया गया था, अर्थात मानव जाति पारिस्थितिक सेवाओं का उपयोग पृथ्वी द्वारा उनके पुनर्सृजन की तुलना में 1.4 गुना तेज़ी से करती है। प्रति वर्ष इस संख्या की पुनर्गणना की जाती है – संयुक्त राष्ट्र को आधारभूत आंकड़े इकट्ठा करने और प्रकाशित करने में समय लगने के कारण यह तीन साल पीछे चलती है। जहां पारिस्थितिक पदचिह्न शब्द का व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है, वहीं इसके मापन के तरीके भिन्न होते हैं। हालांकि गणना के मानक अब ज्यादा तुलनात्मक और संगत परिणाम देने वाले बन कर उभर रहे हैं। .

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प्रोबायोटिक

लैक्टोबैसिलस जीवाणु प्रोबायोटिक जीवाणु है, जो दूध को दही में बदलता है। प्रोबायोटिक एक प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं, जिसमें जीवित जीवाणु या सूक्ष्मजीव शामिल होते हैं। प्रोबायोटिक विधि रूसी वैज्ञानिक एली मैस्निकोफ ने २०वीं शताब्दी में प्रस्तुत की थी। इसके लिए उन्हें बाद में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।। हिन्दुस्तान लाइव। १ दिसम्बर २००९ विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रोबायोटिक वे जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं जिसका सेवन करने पर मानव शरीर में जरूरी तत्व सुनिश्चित हो जाते हैं।। बिज़नेस भास्कर। २४ मई २००९। डॉ॰ रतन सागर खन्ना ये शरीर में अच्छे जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि कर पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं।। बिज्नेस स्टैण्डर्ड। नेहा भारद्वाज। १८ सितंबर २००८ इस विधि के अनुसार शरीर में दो तरह के जीवाणु होते हैं, एक मित्र और एक शत्रु। भोजन के द्वारा यदि मित्र जीवाणुओं को भीतर लें तो वे धीरे-धीरे शरीर में उपलब्ध शत्रु जीवाणुओं को नष्ट करने में कारगर सिद्ध होते हैं। मित्र जीवाणु प्राकृतिक स्रोतों और भोजन से प्राप्त होते हैं, जैसे दूध, दही और कुछ पौंधों से भी मिलते हैं। अभी तक मात्र तीन-चार ही ऐसे जीवाणु ज्ञात हैं जिनका प्रयोग प्रोबायोटिक रूप में किया जाता है। इनमें लैक्टोबेसिलस, बिफीडो, यीस्ट और बेसिल्ली हैं। इन्हें एकत्र करके प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ में डाला जाता है। वैज्ञानिकों के अब तक के अध्ययन के अनुसार इस तरह से शरीर में पहुंचने वाले जीवाणु किसी प्रकार की हानि भी नहीं पहुंचाते हैं। शोधों में रोगों के रोकथाम में इनकी भूमिका सकारात्मक पाई गई है तथा इनके कोई दुष्प्रभाव भी ज्ञात नहीं हैं। .

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पोलियोमेलाइटिस

बहुतृषा, जिसे अक्सर पोलियो या 'पोलियोमेलाइटिस' भी कहा जाता है एक विषाणु जनित भीषण संक्रामक रोग है जो आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति मे संक्रमित विष्ठा या खाने के माध्यम से फैलता है। इसे 'बालसंस्तंभ' (Infantile Paralysis), 'बालपक्षाघात', बहुतृषा (Poliomyelitis) तथा 'बहुतृषा एंसेफ़लाइटिस' (Polioencephalitis) भी कहते हैं। यह एक उग्र स्वरूप का बच्चों में होनेवाला रोग है, जिसमें मेरुरज्जु (spinal cord) के अष्टश्रृंग (anterior horn) तथा उसके अंदर स्थित धूसर वस्तु में अपभ्रंशन (degenaration) हो जाता है और इसके कारण चालकपक्षाघात (motor paralysis) हो जाता है। पोलियो शब्द यूनानी भाषा के पोलियो (πολίός) और मीलोन (μυελός) से व्युत्पन्न है जिनका अर्थ क्रमश: स्लेटी (ग्रे) और "मेरुरज्जु" होता है साथ मे जुड़ा आइटिस का अर्थ शोथ होता है तीनो को मिला देने से बहुतृषा या पोलियोमेरुरज्जुशोथ बनता है। बहुतृषा संक्रमण के लगभग 90% मामलों में कोई लक्षण नहीं होते यद्यपि, अगर यह विषाणु व्यक्ति के रक्त प्रवाह में प्रवेश कर ले तो संक्रमित व्यक्ति मे लक्षणों की एक पूरी श्रृंखला दिख सकती है। 1% से भी कम मामलों में विषाणु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में प्रवेश कर जाता है और सबसे पहले मोटर स्नायु (न्यूरॉन्स) को संक्रमित और नष्ट करता है जिसके कारण मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और व्यक्ति को तीव्र पक्षाघात हो जाता है। पक्षाघात के विभिन्न प्रकार इस पर निर्भर करते हैं कि इसमे कौन सी तंत्रिकायें शामिल हैं। मेरुरज्जु का बहुतृषा का सबसे आम रूप है, जिसकी विशेषता असममित पक्षाघात होता है जिसमे अक्सर पैर प्रभावित होते हैं। बुलबर बहुतृषा से कपालीय तंत्रिकाओं (cranial nerves) द्वारा स्फूर्तित मांसपेशियों मे कमजोरी आ जाती है। बुलबोस्पाइनल बहुतृषा बुलबर और स्पाइनल (मेरुरज्जु) के पक्षाघात का सम्मिलित रूप है। बहुतृषा को सबसे पहले 1840 में जैकब हाइन ने एक विशिष्ट परिस्थिति के रूप में पहचाना, पर 1908 में कार्ल लैंडस्टीनर द्वारा इसके कारणात्मक एजेंट, पोलियोविषाणु की पहचान की गई थी। हालांकि 19 वीं सदी से पहले लोग बहुतृषा के एक प्रमुख महामारी के रूप से अनजान थे, लेकिन 20 वीं सदी मे बहुतृषा बचपन की सबसे भयावह बीमारी बन के उभरा। बहुतृषा की महामारी ने हजारों लोगों को अपंग कर दिया जिनमे अधिकतर छोटे बच्चे थे और यह रोग मानव इतिहास मे घटित सबसे अधिक पक्षाघात और मृत्युओं का कारण बना। बहुतृषा हजारों वर्षों से चुपचाप एक स्थानिकमारी वाले रोगज़नक़ के रूप में मौजूद था, पर 1880 के दशक मे यह एक बड़ी महामारी के रूप मे यूरोप में उदित हुआ और इसके के तुरंत बाद, यह एक व्यापक महामारी के रूप मे अमेरिका में भी फैल गया। 1910 तक, ज्यादातर दुनिया के हिस्से इसकी चपेट मे आ गये थे और दुनिया भर मे इसके शिकारों मे एक नाटकीय वृद्धि दर्ज की गयी थी; विशेषकर शहरों में गर्मी के महीनों के दौरान यह एक नियमित घटना बन गया। यह महामारी, जिसने हज़ारों बच्चों और बड़ों को अपाहिज बना दिया था, इसके टीके के विकास की दिशा में प्रेरणास्रोत बनी। जोनास सॉल्क के 1952 और अल्बर्ट साबिन के 1962 मे विकसित बहुतृषा के टीकों के कारण विश्व में बहुतृषा के मरीजों मे बड़ी कमी दर्ज की गयी। विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और रोटरी इंटरनेशनल के नेतृत्व मे बढ़े टीकाकरण प्रयासों से इस रोग का वैश्विक उन्मूलन अब निकट ही है। .

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फुफ्फुस कैन्सर

फुफ्फुस के दुर्दम अर्बुद (malignant tumor) को फुफ्फुस कैन्सर या 'फेफड़ों का कैन्सर' (Lung cancer या lung carcinoma) कहते हैं। इस रोग में फेफड़ों के ऊतकों में अनियंत्रित वृद्धि होने लगती है। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाय तो यह वृद्धि विक्षेप कही जाने वाली प्रक्रिया से, फेफड़े से आगे नज़दीकी कोशिकाओं या शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। अधिकांश कैंसर जो फेफड़े में शुरु होते हैं और जिनको फेफड़े का प्राथमिक कैंसर कहा जाता है कार्सिनोमस होते हैं जो उपकलीय कोशिकाओं से निकलते हैं। मुख्य प्रकार के फेफड़े के कैंसर छोटी-कोशिका फेफड़ा कार्सिनोमा (एससीएलसी) हैं, जिनको ओट कोशिका कैंसर तथा गैर-छोटी-कोशिका फेफड़ा कार्सिनोमा भी कहा जाता है। सबसे आम लक्षणों में खांसी (खूनी खांसी शामिल), वज़न में कमी तथा सांस का फूंलना शामिल हैं। फेफड़े के कैंसर का सबसे आम कारण तंबाकू के धुंए से अनावरण है, जिसके कारण 80–90% फेफड़े के कैंसर होता है। धूम्रपान न करने वाले 10–15% फेफड़े के कैंसर के शिकार होते हैं, और ये मामले अक्सर आनुवांशिक कारक, रैडॉन गैस, ऐसबेस्टस, और वायु प्रदूषण के संयोजन तथा अप्रत्यक्ष धूम्रपान से होते हैं। सीने के रेडियोग्राफ तथा अभिकलन टोमोग्राफी (सीटी स्कैन) द्वारा फेफड़े के कैंसर को देखा जा सकता है। निदान की पुष्टि बायप्सी से होती है जिसे ब्रांकोस्कोपी द्वारा किया जाता है या सीटी- मार्गदर्शन में किया जाता है। उपचार तथा दीर्घ अवधि परिणाम कैंसर के प्रकार, चरण (फैलाव के स्तर) तथा प्रदर्शन स्थितिसे मापे गए, व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। आम उपचारों में शल्यक्रिया, कीमोथेरेपी तथा रेडियोथेरेपी शामिल है। एनएससीएलसी का उपचार कभी-कभार शल्यक्रिया से किया जाता है जबकि एससीएलसी का उपचार कीमोथेरेपी तथा रेडियोथेरेपी से किया जाता है। समग्र रूप से, अमरीका के लगभग 15 प्रतिशत लोग फेफड़े के कैंसर के निदान के बाद 5 वर्ष तक बचते हैं। पूरी दुनिया में पुरुषों व महिलाओं में फेफड़े का कैंसर, कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे आम कारण है और यह 2008 में वार्षिक रूप से 1.38 मिलियन मौतों का कारण था। .

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फ्रांस की रूपरेखा

निम्नलिखित रूपरेखा, फ्रांस का एक अवलोकन और सामयिक गाइड के रूप में है: फ़्रांस – पश्चिमी यूरोप में कई विदेशी क्षेत्रों और क्षेत्रों के साथ एक देश है। मेट्रोपॉलिटन फ्रांस भूमध्य सागर से अंग्रेजी चैनल और उत्तरी सागर तक और राइन से अटलांटिक महासागर तक फैला हुआ है। इसके आकार से, इसे अक्सर फ्रेंच में 'षट्कोण' ("द हेक्सागोन") के रूप में जाना जाता है। .

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बानू जहाँगीर कोयाजी

बानू जहाँगीर कोयाजी (22 अगस्त 1918 – 15 जुलाई 2004) भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिक थीं। इन्होंने परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। वह किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल, पुणे की निर्देशिका थीं। उन्होंने समुदाय के स्वास्थकर्मियों के माध्यम से महाराष्ट्र के देही इलाक़ों के लिये कई कार्यक्रम प्रारंभ किये थे। वह अपनी कार्यकुशलता की वजह से केन्द्र सरकार की स्वास्थ सलाकार बन गईं थीं और विश्वस्तर पर अपने कार्यक्षेत्र में प्रसिद्ध थीं। कोयाजी को कई पुरस्कार प्राप्त हुए थे जिनमें १९८९ में पद्मभूषण और सार्वजनिक सेवा के लिये १९९३ में रेमन मैगसेसे पुरस्कार मुख्य रूप से शामिल हैं। .

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बाल यौन शोषण (पीडोफीलिया)

एक चिकित्सा निदान के रूप में, बाल यौन शोषण पीडोफिलिया (या पेडोफिलिया), को आमतौर पर वयस्कों या बड़े उम्र के किशोरों (16 या उससे अधिक उम्र) में मानसिक विकार के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो गैर-किशोर बच्चों (आमतौर पर 13 साल या उससे कम उम्र, हालांकि किशोरवय का समय भिन्न हो सकता है) के प्रति प्राथमिक या विशेष यौन रूचि द्वारा चरितार्थ होता है। 16 या उससे अधिक उम्र के किशोर शोषकों के मामले में बच्चे को कम से कम पांच साल छोटा होना चाहिए.

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बेंजिलबेंजोएट

बेंजिल बेंजोएत (Benzyl benzoate) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र C6H5CH2O2CC6H5 है। यह बेंजिल अल्कोहल और बेंजोइक अम्ल का एस्टर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आधारभूत स्वास्थ्य के लिये अत्यावश्यक महत्वपूर्ण दवाओं की सूची में इसका भी नाम है। .

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बीमारी

बीमारी (कभी-कभी रुग्ण-स्वास्थ्य या व्याधि के रूप में भी जाना जाता है) स्वास्थ्य की ख़राब अवस्था होती है। बीमारी को कभी-कभी रोग के पर्याय के रूप में भी देखा जाता है। दूसरे वक्तवयों में भेद है। कुछ लोग बीमारी को व्यक्तिपरक रूप से परिभाषित रोग के रोगी की स्वानुभूत धारणा के रूप में वर्णित करते हैं। .

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भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

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भारत की स्वास्थ्य समस्याएँ (2009)

वर्ष 2009 में भारत के लोगों को पोलियो, एचआईवी और मलेरिया जैसी चिरपरिचित बिमारियों के साथ ही स्वाइन फ्लू नामक नई बीमारी का भी सामना करना पडा। इस वर्ष की दस प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं- .

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भारत की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग

निम्नलिखित भारत की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग हैं: .

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भुखमरी

भूख से पीड़ित वियतनामी व्यक्ति, जिसे कि वहाँ के वियत कांग्रेस शिविर में भोजन से वंचित रखा गया था। विटामिन, पोषक तत्वों और ऊर्जा अंतर्ग्रहण की गंभीर कमी को भुखमरी कहते हैं। यह कुपोषण का सबसे चरम रूप है। अधिक समय तक भुखमरी के कारण शरीर के कुछ अंग स्थायी रूप से नष्ट हो सकते हैं और अंततः मृत्यु भी हो सकती है। अपक्षय शब्द भुखमरी के लक्षणों और प्रभाव की ओर संकेत करता है। विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार, विश्व के संपूर्ण स्वास्थ के लिए भूख स्वयं में ही एक गंभीर समस्या है। भुखमरा डब्लूएचओ (WHO) यह भी कहता है कि अब तक शिशु मृत्यु के कुल में से आधे मामलों के लिए कुपोषण ही उत्तरदायी है। एफएओ (FAO) के अनुसार, वर्तमान में 1 बिलियन से भी ज्यादा लोग, या इस ग्रह पर प्रति छः में से एक व्यक्ति, भुखमरी से प्रभावित है। .

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भूटान के वैदेशिक सम्बन्ध

भूटान के यूरोपीय संघ के ५२ देशों के साथ राजनयिक सम्बन्ध हैं। १९७१ में भारत के सहयोग से भूटान ने अपना वैदेशिक संबंध सुधारना आरम्भ किया और संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना। किन्तु संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के किसी भी स्थायी सदस्य देश के साथ इसके राजनयिक संबंध नहीं हैं। १९८१ में भूटान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की सदस्यता ली। इसके बाद १९८२ में विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा यूनेस्को की सदस्यता ली। भूटान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) का सक्रिय सदस्य है। सम्प्रति भूटान ४५ अंतराराष्ट्रीय संगठनों का सदस्य है। .

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भूमंडलीय ऊष्मीकरण का प्रभाव

extreme weather). (Third Assessment Report) इस के अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change)। इस भविष्यवाणी की प्रभावों के ग्लोबल वार्मिंग इस पर पर्यावरण (environment) और के लिए मानव जीवन (human life) कई हैं और विविध.यह आम तौर पर लंबे समय तक कारणों के लिए विशिष्ट प्राकृतिक घटनाएं विशेषता है, लेकिन मुश्किल है के कुछ प्रभावों का हाल जलवायु परिवर्तन (climate change) पहले से ही होने जा सकता है।Raising sea levels (Raising sea levels), glacier retreat (glacier retreat), Arctic shrinkage (Arctic shrinkage), and altered patterns of agriculture (agriculture) are cited as direct consequences, but predictions for secondary and regional effects include extreme weather (extreme weather) events, an expansion of tropical diseases (tropical diseases), changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems (changes in the timing of seasonal patterns in ecosystems), and drastic economic impact (economic impact)। चिंताओं का नेतृत्व करने के लिए हैं राजनीतिक (political) सक्रियता प्रस्तावों की वकालत करने के लिए कम (mitigate), समाप्त (eliminate), या अनुकूलित (adapt) यह करने के लिए। 2007 चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट (Fourth Assessment Report) के द्वारा अंतर पैनल तौर पर जलवायु परिवर्तन (Intergovernmental Panel on Climate Change) (आईपीसीसी) ने उम्मीद प्रभावों का सार भी शामिल है। .

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मद्यव्यसनिता

मद्यव्यसनिता को मद्य निर्भरता के रूप में भी जाना जाता है, जो निर्योग्यकारी व्यसनकारी विकार है। शराब अर्थात अल्कोहल पीनेवाले की सेहत, संबंधों और सामाजिक हैसियत पर इसके नकारात्मक प्रभाव के बावजूद जबरदस्त और अनियंत्रित शराब सेवन द्वारा इसकी चारित्रिक विशेषता बतायी गयी है। अन्य मादक पदार्थों की लत की तरह, चिकित्साशास्त्र में मद्यव्यसनिता को चिकित्सा योग्य बीमारी के रूप परिभाषित किया गया है। "मद्यव्यसनिता" शब्द का प्रयोग व्यापक रूप से 1849 में मैग्नस हस द्वारा किया गया है, लेकिन औषधिशास्त्र में 1960 के दशक में डीएसएम III (DSM III) में इस शब्द की जगह "शराब का अपप्रयोग" और शराब पर निर्भरता" जैसी शब्दावली का प्रयोग किया गया है। इसी प्रकार 1979 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक विशेषज्ञ समिति ने इसकी नैदानिक स्थिति को देखते हुए मद्यव्यसनिता शब्द के उपयोग को पसंद नहीं किया और इसे "शराब निर्भरता सिंड्रोम" की श्रेणी में रखे जाने को वरीयता दी.

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मधुमेह टाइप 2

मधुमेह मेलिटस टाइप 2जिसे पहले "गैर-इंसुलिन-निर्भर मधुमेह मेलिटस (NIDDM)" या "वयस्कता में शुरु होने वाला मधुमेह"कहा जाता था, एक चपापचय विकार है, जिसे इंसुलिन प्रतिरोध और सापेक्ष इंसुलिन कमी के संदर्भ में उच्च रक्त ग्लूकोस द्वारा पहचाना जाता है।यह मधुमेह मेलिटस टाइप 1 के विपरीत होता है जिसमें अग्नाशय में आइलेट कोशिकाओं के विघटन के कारण पूर्ण इंसुलिन की कमी होती है। अधिक प्यास लगना, बार-बार मूत्र लगना और लगातार भूख लगना कुछ चितपरिचित लक्षण हैं। मधुमेह टाइप 2 का आरंभिक प्रबंधन व्यायाम और आहार संबंधी सुधारको बढ़ा कर किया जाता है। यदि इन उपायों से रक्त ग्लूकोस स्तर पर्याप्त रूप से कम नहीं होते हैं तो मेटफॉर्मिनया इंसुलीन जैसी दवाओं की जरूरत हो सकती है। वे लोग जो इंसुलिन पर हैं, उनमें रक्त शर्करास्तरों की नियमित जांच की आवश्यकता होती है। मधुमेह की दर, मोटापे की दर के सामान पिछले 50 वर्षों में समांतर रूप से बढ़ी है। 2010 में लगभग 285 मिलियन लोग इस रोग से पीड़ित हैं, जबकि 1985 में इनकी संख्या लगभग 30 मिलियन थी। उच्च रक्त शर्करा से दीर्घावधि में होने वाली जटिलताओं में हृदय रोग, दौरे, मधुमेह रैटिनोपैथी जिसमें आंखो की देखने की क्षमता प्रभावित होती है, गुर्दे की विफलता जिसमें डायलिसिसकी जरूरत पड़ सकती है और अंगों में खराब संचरण के कारण अंग विच्छेदनशामिल हो सकता है। हलांकि मधुमेह टाइप 1 का गुण जो कि कीटोन बॉडी की अधिकताकी गंभीर जटिलता है, असमान्य है। हलांकि, नॉनएकेटोटिक हाइप्रोस्मोलर कोमाहो सकता है। .

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मध्यकर्णशोथ

मध्यकर्णशोथ (लैटिन), कान के मध्य में होने वाली सूजन या मध्य कान के संक्रमण को कहते हैं। यह समस्या यूस्टेचियन ट्यूब नामक नलिका के साथ-साथ कर्णपटही झिल्ली और भीतरी कान के बीच के हिस्से में होती है। यह कान में होने वाली दो प्रकार की सूजनों में से एक है, जिसे आम भाषा में कान के दर्द के नाम से जाना जाता है; कान में होने वाली दूसरी सूजन बाह्यकर्णशोथ है। वैसे कान के संक्रमण के अलावा किसी दूसरी बीमारी की वजह से भी कान में दर्द हो सकता है, जैसे कोई भी कैंसर संरचना जिसका संबंध कान तक पहुंचने वाली किसी तंत्रिका से हो और एक ऐसी दाद जो कि हर्प्स जॉस्टर ओटिकस (herpes zoster oticus) में तब्दील हो सकती है। काफी दर्द होने के बावजूद मध्यकर्णशोथ ज्यादा खतरनाक नहीं है और आमतौर पर दो से छह सप्ताह में खुद ही ठीक हो जाता है। .

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मनोविदलता

मनोविदलता (Schizophrenia/स्किज़ोफ्रेनिया) एक मानसिक विकार है। इसकी विशेषताएँ हैं- असामान्य सामाजिक व्यवहार तथा वास्तविक को पहचान पाने में असमर्थता। लगभग 1% लोगो में यह विकार पाया जाता है। इस रोग में रोगी के विचार, संवेग तथा व्यवहार में आसामान्य बदलाव आ जाते हैं जिनके कारण वह कुछ समय लिए अपनी जिम्मेदारियों तथा अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है। 'मनोविदलता' और 'स्किज़ोफ्रेनिया' दोनों का शाब्दिक अर्थ है - 'मन का टूटना'। .

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मलेरिया

मलेरिया या दुर्वात एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है। प्रत्येक वर्ष यह ५१.५ करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा १० से ३० लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है जिनमें से अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका के युवा बच्चे होते हैं। मलेरिया को आमतौर पर गरीबी से जोड़ कर देखा जाता है किंतु यह खुद अपने आप में गरीबी का कारण है तथा आर्थिक विकास का प्रमुख अवरोधक है। मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। यह रोग प्लास्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है। केवल चार प्रकार के प्लास्मोडियम (Plasmodium) परजीवी मनुष्य को प्रभावित करते है जिनमें से सर्वाधिक खतरनाक प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) माने जाते हैं, साथ ही प्लास्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) तथा प्लास्मोडियम मलेरिये (Plasmodium malariae) भी मानव को प्रभावित करते हैं। इस सारे समूह को 'मलेरिया परजीवी' कहते हैं। मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्तहीनता (एनीमिया) के लक्षण उभरते हैं (चक्कर आना, साँस फूलना, द्रुतनाड़ी इत्यादि)। इसके अलावा अविशिष्ट लक्षण जैसे कि बुखार, सर्दी, उबकाई और जुखाम जैसी अनुभूति भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। मलेरिया के फैलाव को रोकने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाएं मच्छर काटने से बचाती हैं, तो कीटनाशक दवा के छिडकाव तथा स्थिर जल (जिस पर मच्छर अण्डे देते हैं) की निकासी से मच्छरों का नियंत्रण किया जा सकता है। मलेरिया की रोकथाम के लिये यद्यपि टीके/वैक्सीन पर शोध जारी है, लेकिन अभी तक कोई उपलब्ध नहीं हो सका है। मलेरिया से बचने के लिए निरोधक दवाएं लम्बे समय तक लेनी पडती हैं और इतनी महंगी होती हैं कि मलेरिया प्रभावित लोगों की पहुँच से अक्सर बाहर होती है। मलेरिया प्रभावी इलाके के ज्यादातर वयस्क लोगों मे बार-बार मलेरिया होने की प्रवृत्ति होती है साथ ही उनमें इस के विरूद्ध आंशिक प्रतिरोधक क्षमता भी आ जाती है, किंतु यह प्रतिरोधक क्षमता उस समय कम हो जाती है जब वे ऐसे क्षेत्र मे चले जाते है जो मलेरिया से प्रभावित नहीं हो। यदि वे प्रभावित क्षेत्र मे वापस लौटते हैं तो उन्हे फिर से पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए। मलेरिया संक्रमण का इलाज कुनैन या आर्टिमीसिनिन जैसी मलेरियारोधी दवाओं से किया जाता है यद्यपि दवा प्रतिरोधकता के मामले तेजी से सामान्य होते जा रहे हैं। .

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महिला जननांग कर्तन

अफ्रीका के वे भाग जहाँ स्त्रियों का खतना अब भी किया जाता है। '''महिला जननांग कर्तन''' के प्रकार विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा परिभाषित महिला जननांग कर्तन की परिभाषा निम्न प्रकार है: "वो सभी प्रक्रियाएँ जिनमें महिला जननांग (गुप्तांग) के बाहरी भाग को आंशिक अथवा पूर्ण रूप से हटा दिया जाता है अथवा किसी गैर चिकित्सकीय कारण से महिला यौन अंगों को होने वाली क्षति को कहा जाता है।" .

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मानसिक स्वास्थ्य

मानसिक स्वास्थ्य या तो संज्ञानात्मक अथवा भावनात्मक सलामती के स्तर का वर्णन करता है या फिर किसी मानसिक विकार की अनुपस्थिति को दर्शाता है।About.com (2006, जुलाई 25).

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मानवतावाद

मानवतावाद मानव मूल्यों और चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने वाला अध्ययन, दर्शन या अभ्यास का एक दृष्टिकोण है। इस शब्द के कई मायने हो सकते हैं, उदाहरण के लिए.

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मृत्यु

मानव खोपड़ी मौत के लिए एक सार्वभौमिक प्रतीक है। किसी प्राणी के जीवन के अन्त को मृत्यु कहते हैं। मृत्यु सामान्यतः दुर्घटना, चोट, बीमारी, कुपोषण के परिणामस्वरूप होती है। आँख "अनन्त जीवन के लिए प्राचीन मिस्र के प्रतीक है।" वे और कई अन्य संस्कृतियों के बाद से एक पोर्टल के रूप में एक जीवन के बाद में जैविक मौत देखी है। .

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मूत्र मार्ग संक्रमण

मूत्र पथ का संक्रमण (यूटीआई) एक बैक्टीरिया जनित संक्रमण है जो मूत्रपथ के एक हिस्से को संक्रमित करता है। जब यह मूत्र पथ निचले हिस्से को प्रभावित करता है तो इसे सामान्य मूत्राशयशोध (मूत्राशय का संक्रमण) कहा जाता है और जब यह ऊपरी मूत्र पथ को प्रभावित करता है तो इसे वृक्कगोणिकाशोध (गुर्दे का संक्रमण) कहा जाता है। --> निचले मूत्र के लक्षणों में दर्द सहित मूत्र त्याग और बार-बार मूत्र त्याग या मूत्र त्याग की इच्छा (या दोनो) शामिल हैं जबकि वृक्कगोणिकाशोध में निचले यूटीआई के लक्षणों के साथ बुखार और कमर में तेज दर्द भी शामिल होते हैं। बुजुर्ग व बहुत युवा लोगों में लक्षण अस्पष्ट या गैर विशिष्ट हो सकते हैं। दोनो प्रकार के संक्रमणों के मुख्य कारक एजेंट एस्केरीशिया कॉली हैं, हलांकि अन्य दूसरे बैक्टीरिया, वायरस या फफूंद भी कभी कभार इसके कारण हो सकते हैं। मूत्र पथ के संक्रमण, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम हैं, आधी महिलाओं को उनके जीवन में कम से कम एक बार संक्रमण होता है। संक्रमण का बार-बार होना आम बात है। जोखिम कारकों में महिला शरीर रचना विज्ञान, शारीरिक संबंध और परिवार का इतिहास शामिल है। यदि वृक्कगोणिकाशोध होता है तो इसके बाद मूत्राशय संक्रमण होता है जो कि रक्त जनित संक्रमण के परिणामस्वरूप हो सकता है। स्वस्थ युवा महिलाओं में निदान का आधार मात्र लक्षण भी हो सकते हैं। वे जिनमें अस्पष्ट लक्षण होते हैं, निदान कठिन हो सकता है क्योंकि बैक्टीरिया बिना संक्रमण हुये भी उपस्थित हो सकते हैं। जटिल मामलों में या उपचार के विफल होने पर, एक मूत्र कल्चर उपयोगी हो सकता है। नियमित संक्रमण वाले लोगों में, एंटीबायोटिक की हल्की खुराक को निवारक उपाय के रूप में उपयोग किया जा सकता है। गैर जटिल मामलों में, एंटीबायोटिक की हल्की खुराक से, मूत्र पथ संक्रमणों का उपचार आसानी से हो जाता है, हलांकि इस स्थिति में उपचार के लिये उपयोग किये जाने वाले कई एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोध बढ़ रहा है। जटिल मामलों में, लंबी अवधि तक या अंतः शिरा एंटीबायोटिक के उपयोग की जरूरत पड़ सकती है और यदि लक्षण दो या तीन दिन में बेहतर नहीं होते हैं तो अतिरिक्त निदान परीक्षणों की जरूरत हो सकती है। महिलाओं में बैक्टीरिया जनित संक्रमणों के सबसे आम उदाहरण मूत्र पथ संक्रमण हैं, क्योंकि 10% महिलाओं में वार्षिक रूप से मूत्र पथ संक्रमण विकसित होते हैं। .

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यक्ष्मा

यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी (tubercle bacillus का लघु रूप) एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया, आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों की वजह से होती है। क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे लोग जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं। ज्यादातर संक्रमण स्पर्शोन्मुख और भीतरी होते हैं, लेकिन दस में से एक भीतरी संक्रमण, अंततः सक्रिय रोग में बदल जाते हैं, जिनको अगर बिना उपचार किये छोड़ दिया जाये तो ऐसे संक्रमित लोगों में से 50% से अधिक की मृत्यु हो जाती है। सक्रिय टीबी संक्रमण के आदर्श लक्षण खून-वाली थूक के साथ पुरानी खांसी, बुखार, रात को पसीना आना और वजन घटना हैं (बाद का यह शब्द ही पहले इसे "खा जाने वाला/यक्ष्मा" कहा जाने के लिये जिम्मेदार है)। अन्य अंगों का संक्रमण, लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत करता है। सक्रिय टीबी का निदान रेडियोलोजी, (आम तौर पर छाती का एक्स-रे) के साथ-साथ माइक्रोस्कोपिक जांच तथा शरीर के तरलों की माइक्रोबायोलॉजिकल कल्चर पर निर्भर करता है। भीतरी या छिपी टीबी का निदान ट्यूबरक्यूलाइन त्वचा परीक्षण (TST) और/या रक्त परीक्षणों पर निर्भर करता है। उपचार मुश्किल है और इसके लिये, समय की एक लंबी अवधि में कई एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से उपचार की आवश्यकता पड़ती है। यदि आवश्यक हो तो सामाजिक संपर्कों की भी जांच और उपचार किया जाता है। दवाओं के प्रतिरोधी तपेदिक (MDR-TB) संक्रमणों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बढ़ती हुई समस्या है। रोकथाम जांच कार्यक्रमों और बेसिलस काल्मेट-गुएरिन बैक्सीन द्वारा टीकाकरण पर निर्भर करती है। ऐसा माना जाता है कि दुनिया की आबादी का एक तिहाई एम.तपेदिक, से संक्रमित है, नये संक्रमण प्रति सेकंड एक व्यक्ति की दर से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, 2007 में विश्व में, 13.7 मिलियन जटिल सक्रिय मामले थे, जबकि 2010 में लगभग 8.8 मिलियन नये मामले और 1.5 मिलियन संबंधित मौतें हुई जो कि अधिकतर विकासशील देशों में हुई थीं। 2006 के बाद से तपेदिक मामलों की कुल संख्या कम हुई है और 2002 के बाद से नये मामलों में कमी आई है। तपेदिक का वितरण दुनिया भर में एक समान नहीं है; कई एशियाई और अफ्रीकी देशों में जनसंख्या का 80% ट्यूबरक्यूलाइन परीक्षणों में सकारात्मक पायी गयी, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी का 5-10% परीक्षणों के प्रति सकारात्मक रहा है। प्रतिरक्षा में समझौते के कारण, विकासशील दुनिया के अधिक लोग तपेदिक से पीड़ित होते हैं, जो कि मुख्य रूप से HIV संक्रमण की उच्च दर और उसके एड्स में विकास के कारण होता है। .

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युक्रेन

युक्रेन पूर्वी यूरोप में स्थित एक देश है। इसकी सीमा पूर्व में रूस, उत्तर में बेलारूस, पोलैंड, स्लोवाकिया, पश्चिम में हंगरी, दक्षिणपश्चिम में रोमानिया और माल्दोवा और दक्षिण में काला सागर और अजोव सागर से मिलती है। देश की राजधानी होने के साथ-साथ सबसे बड़ा शहर भी कीव है। युक्रेन का आधुनिक इतिहास 9वीं शताब्दी से शुरू होता है, जब कीवियन रुस के नाम से एक बड़ा और शक्तिशाली राज्य बनकर यह खड़ा हुआ, लेकिन 12 वीं शताब्दी में यह महान उत्तरी लड़ाई के बाद क्षेत्रीय शक्तियों में विभाजित हो गया। 19वीं शताब्दी में इसका बड़ा हिस्सा रूसी साम्राज्य का और बाकी का हिस्सा आस्ट्रो-हंगेरियन नियंत्रण में आ गया। बीच के कुछ सालों के उथल-पुथल के बाद 1922 में सोवियत संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक बना। 1945 में यूक्रेनियाई एसएसआर संयुक्त राष्ट्रसंघ का सह-संस्थापक सदस्य बना। सोवियत संघ के विघटन के बाद युक्रेन फिर से स्वतंत्र देश बना। .

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यौन हिंसा

यौन हिंसा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। साथ ही साथ यह शारीरिक चोट का भी कारण बन रही है, इसमें यौन और प्रजनन स्वास्थ्य की समस्याओं के तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के परिणामों के जोखिम भी जुड़े हुए हैं। यौन हिंसा, दुनिया भर में होता है, हालांकि अधिकांश देशों में इस समस्या पर थोड़ा बहुत अनुसंधान आयोजित किया गया है। .

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येल्लप्रगड सुब्बाराव

येल्लप्रगड सुब्बाराव (యెల్లప్రగడ సుబ్బారావు) (12 जनवरी 1895–9 अगस्त 1948) एक भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपने कैरियर का अधिकतर भाग इन्होने अमेरिका में बिताया था लेकिन इसके बावजूद भी ये वहाँ एक विदेशी ही बने रहे और ग्रीन कार्ड नहीं लिया, हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका के कुछ सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा अनुसंधानों का इन्होने नेतृत्व किया था। एडीनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ए.टी.पी.) के अलगाव के बावजूद इन्हें हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक पद नहीं दिया गया।.

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राष्ट्र संघ

राष्ट्र संघ (लंदन) पेरिस शांति सम्मेलन के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्ववर्ती के रूप में गठित एक अंतर्शासकीय संगठन था। 28 सितम्बर 1934 से 23 फ़रवरी 1935 तक अपने सबसे बड़े प्रसार के समय इसके सदस्यों की संख्या 58 थी। इसके प्रतिज्ञा-पत्र में जैसा कहा गया है, इसके प्राथमिक लक्ष्यों में सामूहिक सुरक्षा द्वारा युद्ध को रोकना, निःशस्त्रीकरण, तथा अंतर्राष्ट्रीय विवादों का बातचीत एवं मध्यस्थता द्वारा समाधान करना शामिल थे। इस तथा अन्य संबंधित संधियों में शामिल अन्य लक्ष्यों में श्रम दशाएं, मूल निवासियों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार, मानव एवं दवाओं का अवैध व्यापार, शस्त्र व्यपार, वैश्विक स्वास्थ्य, युद्धबंदी तथा यूरोप में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा थे। संघ के पीछे कूटनीतिक दर्शन ने पूर्ववर्ती सौ साल के विचारों में एक बुनियादी बदलाव का प्रतिनिधित्व किया। चूंकि संघ के पास अपना कोई बल नहीं था, इसलिए इसे अपने किसी संकल्प का प्रवर्तन करने, संघ द्वारा आदेशित आर्थिक प्रतिबंध लगाने या आवश्यकता पड़ने पर संघ के उपयोग के लिए सेना प्रदान करने के लिए महाशक्तियों पर निर्भर रहना पड़ता था। हालांकि, वे अक्सर ऐसा करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। प्रतिबंधों से संघ के सदस्यों को हानि हो सकती थी, अतः वे उनका पालन करने के लिए अनिच्छुक रहते थे। जब द्वित्तीय इटली-अबीसीनिया युद्ध के दौरान संघ ने इटली के सैनिकों पर रेडक्रॉस के मेडिकल तंबू को लक्ष्य बनाने का आरोप लगाया था, तो बेनिटो मुसोलिनी ने पलट कर जवाब दिया था कि “संघ तभी तक अच्छा है जब गोरैया चिल्लाती हैं, लेकिन जब चीलें झगड़ती हैं तो संघ बिलकुल भी अच्छा नहीं है”.

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रक्तदान

रक्तदान का चित्रीय आरेख रक्तदान तब होता है जब एक स्वस्थ व्यक्ति स्वेच्छा से अपना रक्त देता है और रक्त-आधान (ट्रांसफ्यूजन) के लिए उसका उपयोग होता है या फ्रैकशेनेशन नामक प्रक्रिया के जरिये दवा बनायी जाती है। विकसित देशों में, अधिकांश रक्तदाता अवैतनिक स्वयंसेवक होते हैं, जो सामुदायिक आपूर्ति के लिए रक्त दान करते हैं। गरीब देशों में, स्थापित आपूर्ति सीमित हैं और आमतौर पर परिवार या मित्रों के लिए आधान की जरूरत होने पर ही रक्तदाता रक्त दिया करते हैं। अनेक दाता दान के रूप में रक्त देते हैं, लेकिन कुछ लोगों को भुगतान किया जाता है और कुछ मामलों में पैसे के बजाय काम के समय में सवैतनिक छुट्टी के रूप में प्रोत्साहन दिए जाते हैं। कोई दाता अपने भविष्य के उपयोग के लिए रक्त दान कर सकता है। रक्त दान अपेक्षाकृत सुरक्षित है, लेकिन कुछ दाताओं को उस जगह खरोंच आ जाती है जहां सूई डाली जाती है या कुछ लोग मूर्छा महसूस कर सकते है। संभावित दाताओं का मूल्यांकन किया जाता है ताकि उनके खून का उपयोग असुरक्षित न रहे। जांच में एचआईवी और वायरल हैपेटाइटिस जैसी बिमारियों के परीक्षण शामिल हैं जो रक्त-आधान के जरिये संक्रमित हो सकते हैं। दाता से उसके चिकित्सा इतिहास के बारे में भी पूछा जाता है और दाता के स्वास्थ्य पर दान से कोई क्षतिकारक प्रभाव नहीं पड़े, यह सुनिश्चित करने के लिए उसकी एक संक्षिप्त शारीरिक जांच की जाती है। कितनी बार एक दाता दान कर सकता है यह दिनों और महीनों में भिन्न हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर है कि वह क्या दान कर रहा या कर रही है और किस देश में दान दिया-लिया जा रहा है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में एक दाता को पूर्ण रक्त दानों के बीच 8 हफ्ते (56 दिन) का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन प्लेटलेटफेरेसिस दानों के लिए सिर्फ तीन दिनों का। दिए जाने वाले रक्त की मात्रा और तरीके अलग-अलग हो सकते है, लेकिन एक आदर्श दान पूरे खून का 450 मिलीलीटर (या लगभग एक यूएस पिंट) होता है। इसे मैनुअली या स्वचालित उपकरण से संग्रहित किया जा सकता है जो कि केवल खून के विशिष्ट भाग को लेता है। आधान के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले खून के अधिकांश घटक का छोटा अचल जीवन होता है और लगातार आपूर्ति बनाये रखना एक स्थायी समस्या है। .

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रोग

पहले मोटापा को 'बड़प्पन' का सूचक माना जाता था। आजकल प्राय: इसे रोग माना जाता है। रोग अर्थात अस्वस्थ होना। यह चिकित्साविज्ञान का मूलभूत संकल्पना है। प्रायः शरीर के पूर्णरूपेण कार्य करने में में किसी प्रकार की कमी होना 'रोग' कहलाता है। किन्तु रोग की परिभाषा करना उतना ही कठिन है जितना 'स्वास्थ्य' को परिभाषित करना। .

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ली जोंग वुक

दक्षिण कोरिया के श्री ली जोंग वुक विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशक थे, 2003 से 2006 तक। श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन.

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शराबीपन

शराबीपन, जिसे शराब निर्भरता भी कहते हैं, एक निष्क्रिय कर देने वाला नशीला विकार है जिसे बाध्यकारी और अनियंत्रित शराब की लत के रूप में निरूपित किया जाता है जबकि पीन वाले के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उसके जीवन में नकारात्मक सामाजिक परिणाम देखने को मिलते हैं। अन्य नशीली दवाओं की लत की तरह शराबीपन को चिकित्सा की दृष्टि से एक इलाज़ योग्य बीमारी के रूप में परिभाषित किया गया है। 19वीं सदी और 20वीं सदी की शुरुआत में, शराब पर निर्भरता को शराबीपन शब्द के द्वारा प्रतिस्थापित किये जाने से पूर्व इसे मदिरापान कहा जाता था। शराबीपन को सहारा देने वाले जैविक तंत्र अनिश्चित हैं, लेकिन फिर भी, जोखिम के कारकों में सामाजिक वातावरण, तनाव, मानसिक स्वास्थ्य, अनुवांशिक पूर्ववृत्ति, आयु, जातीय समूह और लिंग शामिल हैं। लम्बे समय तक चलने वाली शराब पीने की लत मस्तिष्क में शारीरिक बदलाव, जैसे - सहनशीलता और शारीरिक निर्भरता, लाती है, जिससे पीना बंद होने पर शराब वापसी सिंड्रोम का परिणाम सामने आता है। ऐसा मस्तिष्क प्रक्रिया बदलाव पीना बंद करने के लिए शराबी की बाध्यकारी अक्षमता को बनाए रखता है। शराब प्रायः शरीर के प्रत्येक अंग को क्षतिग्रस्त कर देती है जिसमें मस्तिष्क भी शामिल है; लम्बे समय से शराब पीने की लत के संचयी विषाक्त प्रभावों के कारण शराबी को चिकित्सा और मनोरोग सम्बन्धी कई विकारों का सामना करने का जोखिम उठाना पड़ता है। शराबीपन की वजह से शराबियों और उनके जीवन से जुड़े लोगों को गंभीर सामाजिक परिणामों का सामना करना पड़ता है। शराबीपन सहनशीलता, वापसी और अत्यधिक शराब के सेवन की चक्रीय उपस्थिति है; अपने स्वास्थ्य को शराब से होने वाली क्षति की जानकारी होने के बावजूद ऐसी बाध्यकारी पियक्कड़ी को नियंत्रित करने में पियक्कड़ की अक्षमता इस बात का संकेत देती है कि व्यक्ति एक शराबी हो सकता है। प्रश्नावली पर आधारित जांच शराबीपन सहित नुकसानदायक पीने के तरीकों का पता लगाने की एक विधि है। वापसी के लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए आम तौर पर सहनशीलता-विरोधी दवाओं, जैसे - बेंज़ोडायज़ेपींस, के साथ शराब पीने से शराबी व्यक्ति को उबारने के लिए शराब विषहरण की व्यवस्था की जाती है। शराब से संयम करने के लिए आम तौर पर चिकित्सा के बाद की जानी वाली देखभाल, जैसे - समूह चिकित्सा, या स्व-सहायक समूह, की आवश्यकता है। शराबी अक्सर अन्य नशों, खास तौर पर बेंज़ोडायज़ेपींस, के भी आदि होते हैं, जिसके लिए अतिरिक्त चिकित्सीय इलाज की आवश्यकता हो सकती है। एक शराबी होने के नाते पुरुषों की अपेक्षा शराब पीने वाली महिलाएं शराब के हानिकारक शारीरिक, दिमागी और मानसिक प्रभावों और वर्धित सामाजिक कलंक के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में शराबियों की संख्या 140 मिलियन है। .

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शरीर द्रव्यमान सूचकांक (Body mass index)

शरीर द्रव्यमान सूचकांक (Body mass index) (BMI), या क्वेटलेट सूचकांक, एक विवादास्पद सांख्यिकीय माप है जो एक व्यक्ति के भार और उंचाई की तुलना करता है। हालांकि यह वास्तव में शरीर की वसा की प्रतिशतता का मापन नहीं करता है, फिर भी यह व्यक्ति की लम्बाई के आधार पर उसके स्वस्थ शरीर के भार का अनुमान लगाता है। इसकी मापन और गणना की आसान पद्धति के कारण, यह एक आबादी में भार की समस्याओं को पता लगाने का सबसे व्यापक रूप से प्रयोग किया जाने वाला नैदानिक उपकरण है, आमतौर पर यह पता लगाने का कि व्यक्तियों का भार जरुरत से कम है (underweight), जरुरत से अधिक है (overweight), या वे मोटापे (obese) के शिकार हैं। इसकी खोज 1830 और 1850 के बीच बेल्जियन पोलिमेथ एडोल्फ क्वेटलेट ने "सामाजिक भौतिकी" के विकास के दौरान की.

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शल्य प्रसव

एक आधुनिक अस्पताल में एक दल द्वारा सीज़ेरियन अनुभाग का प्रदर्शन. शल्य प्रसव परिच्छेद (अमेरिका: सीज़ेरियन सेक्शन), जिसे सी-सेक्शन (C-section), सीज़ेरियन सेक्शन (Caesarian section), सीज़ेरियन सेक्शन (Cesarian section), सीज़र (Caesar), इत्यादि भी कहते हैं, एक ऐसी शल्यक्रिया है, जिसमें एक या एक से अधिक शिशुओं के जन्म के लिए या कभी-कभी मृत भ्रूण को बाहर निकालने के लिए मां के पेट (लैप्रोटोमी) और गर्भाशय में (हिस्टेरोटॉमी) एक या एक से अधिक चीरे लगाए जाते हैं। सीज़ेरियन सेक्शन प्रक्रिया के प्रयोग द्वारा देर से की जाने वाले गर्भपात को हिस्टेरोटॉमी गर्भपात कहते हैं तथा यह विरले ही प्रयोग में लाया जाता है। सीज़ेरियन सेक्शन (शल्य प्रसव परिच्छेद) का प्रयोग प्रायः योनिमार्ग द्वारा शिशु जन्म की प्रक्रिया में मां या शिशु की जान या स्वास्थ के खतरे में पड़ने पर किया जाता है, हालांकि इन दिनों प्राकृतिक विधि से शिशु जन्म होने की स्थिति में भी मांग किए जाने पर इसका प्रयोग किया जा रहा है। हाल के वर्षों में इसकी दर काफी तेजी से बढ़ी है, जिसमें चीन 46% तथा अन्य एशियाई, लेटिन अमेरिकी देशों तथा अमेरिका में 25% के स्तर पर हैं। .

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शाकाहार

दुग्ध उत्पाद, फल, सब्जी, अनाज, बादाम आदि बीज सहित वनस्पति-आधारित भोजन को शाकाहार (शाक + आहार) कहते हैं। शाकाहारी व्यक्ति मांस नहीं खाता है, इसमें रेड मीट अर्थात पशुओं के मांस, शिकार मांस, मुर्गे-मुर्गियां, मछली, क्रस्टेशिया या कठिनी अर्थात केंकड़ा-झींगा आदि और घोंघा आदि सीपदार प्राणी शामिल हैं; और शाकाहारी चीज़ (पाश्चात्य पनीर), पनीर और जिलेटिन में पाए जाने वाले प्राणी-व्युत्पन्न जामन जैसे मारे गये पशुओं के उपोत्पाद से बने खाद्य से भी दूर रह सकते हैं। हालाँकि, इन्हें या अन्य अपरिचित पशु सामग्रियों का उपभोग अनजाने में कर सकते हैं। शाकाहार की एक अत्यंत तार्किक परिभाषा ये है कि शाकाहार में वे सभी चीजें शामिल हैं जो वनस्पति आधारित हैं, पेड़ पौधों से मिलती हैं एवं पशुओं से मिलने वाली चीजें जिनमें कोई प्राणी जन्म नहीं ले सकता। इसके अतिरिक्त शाकाहार में और कोई चीज़ शामिल नहीं है। इस परिभाषा की मदद से शाकाहार का निर्धारण किया जा सकता है। उदाहरण के लिये दूध, शहद आदि से बच्चे नहीं होते जबकि अंडे जिसे कुछ तथाकथित बुद्धजीवी शाकाहारी कहते है, उनसे बच्चे जन्म लेते हैं। अतः अंडे मांसाहार है। प्याज़ और लहसुन शाकाहार हैं किन्तु ये बदबू करते हैं अतः इन्हें खुशी के अवसरों पर प्रयोग नहीं किया जाता। यदि कोई मनुष्य अनजाने में, भूलवश, गलती से या किसी के दबाव में आकर मांसाहार कर लेता है तो भी उसे शाकाहारी ही माना जाता है। पूरी दुनिया का सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म भी शाकाहार पर आधारित है। इसके अतिरिक्त जैन धर्म भी शाकाहार का समर्थन करता है। सनातन धर्म के अनुयायी जिन्हें हिन्दू भी कहा जाता है वे शाकाहारी होते हैं। यदि कोई व्यक्ति खुद को हिन्दू बताता है किंतु मांसाहार करता है तो वह धार्मिक तथ्यों से हिन्दू नहीं रह जाता। अपना पेट भरने के लिए या महज़ जीभ के स्वाद के लिए किसी प्राणी की हत्या करना मनुष्यता कदापि नहीं हो सकती। इसके अतिरिक्त एक अवधारणा यदि भी है कि शाकाहारियों में मासूमियत और बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज़्यादा होती है। नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जा सकता है; और अनेक शाकाहारी आहार हैं। एक लैक्टो-शाकाहारी आहार में दुग्ध उत्पाद शामिल हैं लेकिन अंडे नहीं, एक ओवो-शाकाहारी के आहार में अंडे शामिल होते हैं लेकिन गोशाला उत्पाद नहीं और एक ओवो-लैक्टो शाकाहारी के आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं। एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी आहार में कोई भी प्राणी उत्पाद शामिल नहीं हैं, जैसे कि दुग्ध उत्पाद, अंडे और सामान्यतः शहद। अनेक वेगन प्राणी-व्युत्पन्न किसी अन्य उत्पादों से भी दूर रहने की चेष्टा करते हैं, जैसे कि कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन। अर्द्ध-शाकाहारी भोजन में बड़े पैमाने पर शाकाहारी खाद्य पदार्थ हुआ करते हैं, लेकिन उनमें मछली या अंडे शामिल हो सकते हैं, या यदा-कदा कोई अन्य मांस भी हो सकता है। एक पेसेटेरियन आहार में मछली होती है, मगर मांस नहीं। जिनके भोजन में मछली और अंडे-मुर्गे होते हैं वे "मांस" को स्तनपायी के गोश्त के रूप में परिभाषित कर सकते हैं और खुद की पहचान शाकाहार के रूप में कर सकते हैं। हालाँकि, शाकाहारी सोसाइटी जैसे शाकाहारी समूह का कहना है कि जिस भोजन में मछली और पोल्ट्री उत्पाद शामिल हों, वो शाकाहारी नहीं है, क्योंकि मछली और पक्षी भी प्राणी हैं।शाकाहारी मछली नहीं खाते हैं, शाकाहारी सोसाइटी, 2 मई 2010 को पुनःप्राप्त.

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शिंजिनी भटनागर

शिंजिनी भटनागर एक भारतीय बाल चकित्सा गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की विशेषज्ञ हैं। उन्हें नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में शोधकर्ता नियुक्त किया गया है। उनके अनुसंधान के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और बाल चिकित्सा गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, हेप्टोलोजी और पोषण के द्वितीय विश्व कांग्रेस से मान्यता प्राप्त है। उन्हें बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में अनुसंधान के लिए डॉ एस टी आचार स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था, और बाल चिकित्सा गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में संशोधन करने के लिए होतम तोमर स्वर्ण पदक से नवाज़ा गया था। .

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शुक्राणुनाशक

शुक्राणुनाशक गर्भ निरोधक पदार्थ है, जो संभोग से पूर्व, योनी में डालने से, शुक्राणु, को नाश करता है और इस तरह, यह गर्भावस्था को रोकता है। गर्भ निरोधक के प्रयोजन में, शुक्राणुनाशक अकेले भी इस्तेमाल किये जा सकते है। लेकिन, केवल शुक्रनुनाशक इस्तेमाल करने से, जोड़ों द्वारा गर्भावस्था की दर अधिक रहता है - अन्य विधियों की तुलना में.

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सड़क यातायात सुरक्षा

सड़क यातायात सुरक्षा एक प्रकार का विधि या उपाय है जिससे सड़क दुर्घटना में लोगों को चोट लगने और उससे मौत होने आदि घटनाओं को कम करने का प्रयास किया जाता है। सड़क का उपयोग करने वाले सभी लोग जिसमें पैदल चलने वाले, साइकल, गाड़ी चालक या सार्वजनिक यातायात साधनों का उपयोग करने वाले शामिल हैं। सड़क यातायात सुरक्षा हेतु घटनाओं को देख कर रणनीति बनाई जाती है। वर्तमान में सड़क के आस पास के माहौल को देख कर वाहन की गति आदि तय किया जाता है। .

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सरला ग्रेवाल

सरला ग्रेवाल (4 अक्टूबर 1927 - 29 जनवरी 2002) 1952 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी थी। वे 1989-1990 में मध्य प्रदेश की राज्यपाल भी रहीं। साथ ही वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की प्रधान सचिव भी रही हैं। .

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सर्वाइकल कैंसर

इस बड़े घातक नासूर ने (चित्र का निचला भाग) ग्रीवा को काट दिया है और निचले गर्भाशय खंड में घुस गया है। गर्भाशय में ऊपर एक गोल आरेखीपेशी-अर्बुद भी है। गर्भाशय-ग्रीवा कर्कटरोग (कैंसर), गर्भाशय ग्रीवा या गर्भाशय ग्रीवा क्षेत्र की घातक रसौली है। यह योनि रक्त-स्राव के साथ मौजूद हो सकती है, लेकिन इसके लक्षण, कैंसर के उन्नत चरण पर होने तक अनुपस्थित हो सकते हैं। इसके उपचार में शामिल हैं, प्रारंभिक चरण में शल्य-चिकित्सा (स्थानीय उच्छेदन सहित) तथा रसायन-चिकित्सा व रोग के उन्नत चरणों में विकिरण चिकित्सा.

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सामान्य दवा

ब्राजील और फ्रांस आदि कुछ देशों में तो कुल दवाओं के २० प्रतिशत से भी अधिक दवाएँ, सामान्य दवाएँ ही बिकतीं हैं। सामान्य दवा या जेनेरिक दवा (generic drug) वह दवा है जो बिना किसी पेटेंट के बनायी और वितरित की जाती है। जेनेरिक दवा के फॉर्मुलेशन पर पेटेंट हो सकता है किन्तु उसके सक्रिय घटक (active ingradient) पर पेटेंट नहीं होता। जैनरिक दवाईयां गुणवत्ता में किसी भी प्रकार के ब्राण्डेड दवाईयों से कम नहीं होतीं तथा ये उतनी ही असरकारक है, जितनी की ब्राण्डेड दवाईयाँ। यहाँ तक कि उनकी मात्रा (डोज), साइड-इफेक्ट, सक्रिय तत्व आदि सभी ब्रांडेड दवाओं के जैसे ही होते हैं। जैनरिक दवाईयों को बाजार में उतारने का लाईसेंस मिलने से पहले गुणवत्ता मानकों की सभी सख्त प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। किसी रोग विशेष की चिकित्सा के लिए तमाम शोधों के बाद एक रासायनिक तत्‍व/यौगिक विशेष दवा के रूप में देने की संस्तुति की जाती है। इस तत्‍व को अलग-अलग कम्पनियाँ अलग-अलग नामों बेचतीं है। जैनरिक दवाईयों का नाम उस औषधि में उपस्थित सक्रिय घटक के नाम के आधार पर एक विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है। किसी दवा का जेनेरिक नाम पूरे विश्व में एक ही होता है। उदाहरण के लिए, उच्छ्रायी दुष्क्रिया (शिश्न को खड़ा न कर पाना / erectile dysfunction) की चिकित्सा के लिए सिल्डेन्फिल (sildenafil) नाम की जेनेरिक दवा है। यही दवा फिजर (Pfizer) नामक कम्पनी वियाग्रा (Viagra) नाम से बेचती है। अधिकांश बड़े शहरों में जेनेरिक मेडिकल स्टोर होते हैं जहाँ केवल जेनेरिक दवाएँ ही मिलतीं हैं। किन्तु इनका व्यापक प्रचार नहीं होने से लोगों को इनका लाभ नहीं मिलता। किसी भी बीमारी के लिए डॉक्टर जो दवा लिखता है, ठीक उसी दवा के सॉल्ट वाली जेनेरिक दवाएं उससे काफी कम कीमत पर आपको मिल सकती हैं। कीमत का यह अंतर पांच से दस गुना तक हो सकता है। बात सिर्फ आपके जागरूक होने की है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि देश में लगभग सभी नामी दवा कम्पनियां ब्रांडेड के साथ-साथ कम कीमत वाली जेनेरिक दवाएं भी बनाती हैं लेकिन ज्यादा लाभ के चक्कर में डॉक्टर और कंपनियां लोगों को इस बारे में कुछ बताते नहीं हैं और जानकारी के अभाव में गरीब भी केमिस्ट से महंगी दवाएं खरीदने को विवश हैं। गौरतलब है कि किसी एक बीमारी के लिए तमाम शोधों के बाद एक रासायनिक यौगिक को विशेष दवा के रूप में देने की संस्तुति की जाती है। इस यौगिक को अलग-अलग कम्पनियां अलग-अलग नामों से बेचती हैं। जेनेरिक दवाइयों का नाम उसमें उपस्थित सक्रिय यौगिक के नाम के आधार पर एक विशेषज्ञ समिति निर्धारित करती है। किसी भी दवा का जेनेरिक नाम पूरे विश्व में एक ही होता है। जेनेरिक दवा बिना किसी पेटेंट के बनाई और वितरित की जाती हैं यानी जेनेरिक दवा के फॉर्मुलेशन पर पेटेंट हो सकता है किन्तु उसकी सामग्री पर पेटेंट नहीं हो सकता। अंतरराष्ट्रीय मानकों से बनी जेनेरिक दवाइयों की गुणवत्ता ब्रांडेड दवाइयों से कम नहीं होती, जिनकी आपूर्ति दुनियाभर में भी की जाती है और यह भी उतना ही असर करती हैं जितना ब्रांडेड दवाएं करती हैं। उनकी डोज, साइड- इफेक्ट, सामग्री आदि सभी ब्रांडेड दवाओं के एकदम समान होती हैं। उदाहरण के लिए पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के इलाज के लिए सिल्डेन्फिल नाम की जेनेरिक दवा होती है जिसे फाइजर कम्पनी वियाग्रा नाम से बेचती है। जेनेरिक दवाइयों को भी बाजार में लाने का लाइसेंस मिलने से पहले गुणवत्ता मानकों की सभी सख्त प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। इन दवाओं के प्रचार-प्रसार पर कंपनियां कुछ खर्च नहीं करती। जेनेरिक दवाओं के मूल्य निर्धारण पर सरकारी अंकुश होता है, इसलिए वे सस्ती होती हैं, जबकि पेटेंट दवाओं की कीमत कंपनियां खुद तय करती हैं, इसलिए वे महंगी होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यदि डॉक्टर मरीज को जेनेरिक दवाइयों की सलाह देने लगें तो केवल धनी देशों में चिकित्सा व्यय पर 70 प्रतिशत तक कमी आ जायेगी तथा गरीब देशों के चिकित्सा व्यय में यह कमी और भी ज्यादा होगी। कई बार तो ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं की कीमतों में नब्बे प्रतिशत तक का फर्क होता है। जैसे यदि ब्रांडेड दवाई की 14 गोलियों का एक पत्ता 786 रुपये का है, तो एक गोली की कीमत करीब 55 रुपये हुई। इसी सॉल्ट की जेनेरिक दवा की 10 गोलियों का पत्ता सिर्फ 59 रुपये में ही उपलब्ध है, यानी इसकी एक गोली करीब 6 रुपये में ही पड़ेगी। खास बात यह है कि किडनी, यूरिन, बर्न, दिल संबंधी रोग, न्यूरोलोजी, डायबिटीज जैसी बीमारियों में तो ब्रांडेड व जेनेरिक दवा की कीमत में बहुत ही ज्यादा अंतर देखने को मिलता है। दवा कम्पनियां ब्रांडेड दवा से बड़ा मुनाफा कमाती हैं। दवाओं की कंपनियां अपने मेडिकल रिप्रजेंटेटिव्ज के जरिए डॉक्टरों को अपनी ब्रांडेड दवा लिखने के लिए खासे लाभ देती हैं। इसी आधार पर डॉक्टरों के नजदीकी मेडिकल स्टोर को दवा की आपूर्ति होती है। यही वजह है कि ब्रांडेड दवाओं का कारोबार दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि डॉक्टर जेनेरिक दवा लिखते ही नहीं हैं। जानकारी होने पर कोई व्यक्ति अगर केमिस्ट की दुकान से जेनेरिक दवा मांग भी ले तो दवा विक्रेता इनकी उपलब्धता से इंकार कर देते हैं। देश के ज्यादातर बड़े शहरों में एक्सक्लुसिव जेनेरिक मेडिकल स्टोर होते हैं, लेकिन इनका व्यापक प्रचार नहीं होने से लोगों को इनका फायदा नहीं मिलता आजकल हर प्रकार की जानकारी इंटरनेट के जरिये आसानी से हासिल की जा सकती है। ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं की कीमत में अंतर का पता लगाने के लिए एक मोबाइल एप 'समाधान और हैल्थकार्ट भी बाजार में उपलब्ध है। दरकार है कि आज लोग जेनेरिक दवाओं के बारे में जानें और खासतौर पर गरीबों को इस ओर जागरूक करें ताकि वे दवा कंपनियों के मकडज़ाल में न फंसें। .

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सिस्टोसोमियासिस

सिस्टोसोमियासिस (जिसे बिलहर्ज़िया, स्नेल फीवर और कत्यामा फीवरभी कहते हैं) एक रोग है जो सिस्टोसोमा प्रकार के परजीवी कीड़ों के कारण होता है। --> यह मूत्र मार्ग या आंतोंको संक्रमित कर सकता है। --> लक्षणों में पेट दर्द, डायरिया, खूनी पेचिश या मूत्रमें रक्त जाना शामिल है। --> वे लोग जो लंबे समय से संक्रमित है उनमें लीवर की क्षति, किडनी की विफलता, बांझपन या ब्लैडर का कैंसर हो सकता है। --> बच्चों में इसके कारण वृद्धि व सीखने की क्षमता का हास हो सकता है। .

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सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम

सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम अथवा सार्स (अति तीव्र श्वसन परिलक्षण) सार्स कोरोनावाइरस द्वारा जनित श्वसन से संबंधित रोग है। नवम्बर २००२ और जुलाई २००३ के बीच, दक्षिणी चीन में सार्स रोग प्रकोप आरम्भ हुआ जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न देशों में 8273 लोग संक्रमित हुए एवं 775 लोगों की मृत्यु हो गयी थी, इसमें सबसे अधिक संख्या हाँगकांग की रही। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार (9.6% मृत्यु)। २००३ के पूर्वार्द्ध में कुछ ही सप्ताह में सार्स विभिन्न ३७ देशों के व्यक्तियों में फैल गया। .

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संततिनिरोध

जन्म नियंत्रण को गर्भनिरोध और प्रजनन क्षमता नियंत्रण के नाम से भी जाना है ये गर्भधारण को रोकने के लिए विधियां या उपकरण हैं। जन्म नियंत्रण की योजना, प्रावधान और उपयोग को परिवार नियोजन कहा जाता है। सुरक्षित यौन संबंध, जैसे पुरुष या महिला निरोध का उपयोग भीयौन संचरित संक्रमण को रोकने में भी मदद कर सकता है। जन्म नियंत्रण विधियों का इस्तेमाल प्राचीन काल से किया जा रहा है, लेकिन प्रभावी और सुरक्षित तरीके केवल 20 वीं शताब्दी में उपलब्ध हुए। कुछ संस्कृतियां जान-बूझकर गर्भनिरोधक का उपयोग सीमित कर देती हैं क्योंकि वे इसे नैतिक या राजनीतिक रूप से अनुपयुक्त मानती हैं। जन्म नियंत्रण की प्रभावशाली विधियां पुरूषों मेंपुरूष नसबंदी के माध्यम से नसबंदी और महिलाओं में ट्यूबल लिंगेशन, अंतर्गर्भाशयी युक्ति (आईयूडी) और प्रत्यारोपण योग्य गर्भ निरोधकहैं। -->इसे मौखिक गोलियों, पैचों, योनिक रिंग और इंजेक्शनों सहित अनेकोंहार्मोनल गर्भनिरोधकोंद्वारा इसे अपनाया जाता है। --> कम प्रभावी विधियों में बाधा जैसे कि निरोध, डायाफ्रामऔर गर्भनिरोधक स्पंज और प्रजनन जागरूकता विधियां शामिल हैं। --> बहुत कम प्रभावी विधियां स्पर्मीसाइडऔर स्खलन से पहले निकासी। --> नसबंदी के अत्यधिक प्रभावी होने पर भी यह आम तौर पर प्रतिवर्ती नहीं है; बाकी सभी तरीके प्रतिवर्ती हैं, उन्हें जल्दी से रोका जा सकता हैं। आपातकालीन जन्म नियंत्रण असुरक्षित यौन संबंधों के कुछ दिन बाद की गर्भावस्था से बचा सकता है। नए मामलों में जन्म नियंत्रण के रूप में यौन संबंध से परहेज लेकिन जब इसे गर्भनिरोध शिक्षा के बिना दिया जाता है तो यहकेवल-परहेज़ यौन शिक्षा किशोरियों में गर्भावस्थाएँ बढ़ा सकती है। किशोरोंमें गर्भावस्था में खराब नतीजों के खतरे होते हैं। --> व्यापक यौन शिक्षा और जन्म नियंत्रण विधियों का प्रयोग इस आयु समूह में अनचाही गर्भावस्थाओं को कम करता है। जबकि जन्म नियंत्रण के सभी रूपों युवा लोगों द्वारा प्रयोग किया जा सकता है, दीर्घकालीन क्रियाशील प्रतिवर्ती जन्म नियंत्रण जैसे प्रत्यारोपण, आईयूडी, या योनि रिंग्स का किशोर गर्भावस्था की दरों को कम करने में विशेष रूप से फायदा मिलता हैं। प्रसव के बाद, एक औरत जो विशेष रूप से स्तनपान नहीं करवा रही है, वह चार से छह सप्ताह के भीतर दोबारा गर्भवती हो सकती है।--> जन्म नियंत्रण की कुछ विधियों को जन्म के तुरंत बाद शुरू किया जा सकता है, जबकि अन्य के लिए छह महीनों तक की देरी जरूरी होती है।--> केवल स्तनपान करवाने वाली प्रोजैस्टिन महिलाओं में ही संयुक्त मौखिक गर्भनिरोधकों के प्रयोग को ज्यादा पसंद किया जाता हैं।--> वे सहिलाएं जिन्हे रजोनिवृत्ति हो गई है, उन्हे अंतिम मासिक धर्म से लगातार एक साल तक जन्म नियंत्रण विधियां अपनाने की सिफारिश की जाती है। विकासशील देशों में लगभग 222 मिलियन महिलाएं ऐसी हैं जो गर्भावस्था से बचना चाहती हैं लेकिन आधुनिक जन्म नियंत्रण विधि का प्रयोग नहीं कर रही हैं। विकासशील देशों में गर्भनिरोध के प्रयोग से मातृत्व मृत्यु में 40% (2008 में लगभग 270,000 लोगों को मौत से बचाया गया) की कमी आयी है और यदि गर्भनिरोध की मांग को पूरा किया जाए तो 70% तक मौतों को रोका जा सकता है। गर्भधारण के बीच लम्बी अवधि से जन्म नियंत्रण व्यस्क महिलाओं के प्रसव के परिणामों और उनके बच्चों उत्तरजीविता में सुधार करेगा। जन्म नियंत्रण के ज्यादा से ज्यादा उपयोग से विकासशील देशों में महिलाओं की आय, संपत्तियों, वजन और उनके बच्चों की स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य सभी में सुधार होगा। कम आश्रित बच्चों, कार्य में महिलाओं की ज्यादा भागीदारी और दुर्लभ संसाधनों की कम खपत के कारण जन्म नियंत्रण, आर्थिक विकास को बढ़ाता है। .

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संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र (United Nations) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसके उद्देश्य में उल्लेख है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाने के सहयोग, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार और विश्व शांति के लिए कार्यरत है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना २४ अक्टूबर १९४५ को संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई। द्वितीय विश्वयुद्ध के विजेता देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र को अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से स्थापित किया था। वे चाहते थे कि भविष्य में फ़िर कभी द्वितीय विश्वयुद्ध की तरह के युद्ध न उभर आए। संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुरक्षा परिषद वाले सबसे शक्तिशाली देश (संयुक्त राज्य अमेरिका, फ़्रांस, रूस और संयुक्त राजशाही) द्वितीय विश्वयुद्ध में बहुत अहम देश थे। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र में १९३ देश है, विश्व के लगभग सारे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त देश। इस संस्था की संरचन में आम सभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय सम्मिलित है। .

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संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र संस्थाएं

संयुक्त राष्ट्र संघ के अपने कई कार्यक्रमों और संस्थाओं के अलावा १४ स्वतंत्र संस्थाओं से इसकी व्यवस्था गठित होती है। स्वतंत्र संस्थाओं में विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व स्वास्थ्य संगठन शामिल हैं। इनका संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ सहयोग समझौता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की अपनी कुछ प्रमुख संस्थाएं और कार्यक्रम हैं। .

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संक्रामक रोग

संक्रामक रोग, रोग जो किसी ना किसी रोगजनित कारको (रोगाणुओं) जैसे प्रोटोज़ोआ, कवक, जीवाणु, वाइरस इत्यादि के कारण होते है। संक्रामक रोगों में एक शरीर से अन्य शरीर में फैलने की क्षमता होती है। मलेरिया, टायफायड, चेचक, इन्फ्लुएन्जा इत्यादि संक्रामक रोगों के उदाहरण हैं। .

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सक्रियित कार्बन

सक्रियित कार्बन सक्रियित कार्बन या सक्रियित काठकोयला (Activated carbon या activated charcoal या activated coal या carbo activatus) कार्बन का वह रूप है जिसमें छोटे-छोटे कम आयतन के खाली स्थान होते हैं। बहुत अधिक मात्रा में सूक्ष्म रन्ध्रों की उपस्थिति के कारण सक्रिय कार्बन के किसी टुकड़े का पृष्त क्षेत्रफल अपेक्षाकृत बहुत अधिक होता है। उदाहरण के लिये, केवल १ ग्राम सक्रियित कार्बन का पृष्ठ क्षेत्रफल ५०० वर्ग मी से भी अधिक हो सकता है। इस कारण कुछ रासायनिक क्रियाओं के लिये सक्रियित कोयला बहुत ही उपयुक्त होता है। सक्रियित कार्बन प्रायः चारकोल से प्राप्त किया जाता है किन्तु अब अधिकर उच्च-रन्ध्रता युक्त बायोचार से प्राप्त किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की अत्यावश्यक दवाओं की सूची में सक्रियित कार्बन भी सम्मिलित है। .

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सुई पदच्युत

एक दीवार घुड़सवार शार्प्स कंटेनर सुई पदच्युत सिरिंज से एक सुई को शारीरिक रूप से हटाने का उपकरण है। विकासशील देशों में, अभी भी अस्पताल सेटिंग्स में सुई सुरक्षा को सुधारने की जरूरत है क्योंकि अधिकांशतः सुई को हटाने की प्रक्रिया मैन्युअल रूप से की जाती है और गंभीर जोखिम के तहत त्वचा में छिद्र करती सुई और संक्रमण से अनुमति देता है। ये देश सुई के साथ व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के साथ संलग्न सुई नहीं खरीद पाते हैं, तो सिरिंज से सुई निकालने के लिए सुई-पदच्युत का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह सिरिंजों के पुन: उपयोग के द्वारा प्रसार होते रोगज़नक़ को कम करता हैं, सुई, छड़ी से आकस्मिक घटनाएं कम संभव होती हैं और सिरिंज निपटान की सुविधा हो सकती हैं। .

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स्टेविया

स्टेविया' माने मीठी तुलसी, सूरजमुखी परिवार (एस्टरेसिया) के झाड़ी और जड़ी बूटी के लगभग 240 प्रजातियों में पाया जाने वाला एक जीनस है, जो पश्चमी उत्तर अमेरिका से लेकर दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। स्टेविया रेबउडियाना प्रजातियां, जिन्हें आमतौर पर स्वीटलीफ, स्वीट लीफ, सुगरलीफ या सिर्फ स्टेविया के नाम से जाना जाता है, मीठी पत्तियों के लिए वृहत मात्रा में उगाया जाता है। स्वीटनर और चीनी स्थानापन्न के रूप में स्टेविया, चीनी की तुलना में धीरे-धीरे मिठास उत्पन्न करता है और ज्यादा देर तक रहता है, हालांकि उच्च सांद्रता में इसके कुछ सार का स्वाद कड़वापन या खाने के बाद मुलैठी के समान हो सकता है। इसके सार की मिठास चीनी की मिठास से 300 गुणा अधिक मीठी होती है, न्यून-कार्बोहाइड्रेट, न्यून-शर्करा के लिए एक विकल्प के रूप में बढ़ती मांग के साथ स्टेविया का संग्रह किया जा रहा है। चिकित्सा अनुसंधान ने भी मोटापे और उच्च रक्त चाप के इलाज में स्टेविया के संभव लाभ को दिखाया है। क्योंकि रक्त ग्लूकोज में स्टेविया का प्रभाव बहुत कम होता है, यह कार्बोहाइड्रेट-आहार नियंत्रण में लोगों को स्वाभाविक स्वीटनर के रूप में स्वाद प्रदान करता है। स्टेविया की उपलब्धता एक देश से दूसरे देश में भिन्न होती है। कुछ देशों में, यह दशकों या सदियों तक एक स्वीटनर के रूप में उपलब्ध रहा, उदाहरण के लिए, जापान में वृहद मात्रा में स्वीटनर के रूप में स्टेविया का प्रयोग किया जाता है और यहां यह दशकों से उपलब्ध है। कुछ देशों में, स्टेविया प्रतिबंधित या वर्जित है। अन्य देशों में, स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और राजनीतिक विवादों के कारण इसकी उपलब्धता को सीमित कर दिया गया है, उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य में 1990 के दशक के प्रारंभ में स्टेविया को प्रतिबंधित कर दिया गया था, जब तक उसे एक पूरक के रूप में चिह्नित न किया गया हो, लेकिन 2008 में खाद्य योज्य के रूप में रिबाउडायोसाइड-A को मंजूरी दे दी गई है। कई वर्षों के दौरान, ऐसे देशों की संख्या में वृद्धि हुई है जहां स्टेविया स्वीटनर के रूप में उपलब्ध है। .

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स्वस्थ आहार

ताजा सब्जियां स्वस्थ आहार की महत्वपूर्ण घटक हैं। प्रमुख रंगीन फल स्वस्थ आहार वह है जोकि स्वास्थ्य को बनाए रखने या उसे सुधारने में मदद करता है। यह कई चिरकालिक स्वास्थ्य जोखिम जैसे कि: मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है। एक स्वस्थ आहार में समुचित मात्रा में सभी पोषक तत्वों और पानी का सेवन शामिल है। पोषक तत्व कई अलग खाद्य पदार्थों से प्राप्त किए जा सकते हैं, अतः विस्तृत विविध आहार मौजूद हैं जिन्हें स्वस्थ आहार माना जा सकता है। स्वस्थ्य आहार हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। .

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स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) ने सन् १९४८ में स्वास्थ्य या आरोग्य की निम्नलिखित परिभाषा दी: स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है। हमें सर्वांगीण स्वास्थ्य के बारे में अवश्य जानकारी होनी चाहिए। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों। वैसे तो अपने आपको स्वस्थ रखने के ढेर सारी आधुनिक तकनीक मौजूद हैं, लेकिन ये सारी उतनी अधिक कारगर नहीं हैं। .

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स्वास्थ्य सेवा

स्वास्थ्य सेवा या हेल्थकेयर का अर्थ बीमारी की रोकथाम और उपचार करना है। स्वास्थ्य सेवा चिकित्सा, दन्त चिकित्सा, नर्सिंग और स्वास्थ्य से सम्बंधित पेशेवरों द्वारा प्रदान की जाती है। स्वास्थय सेवा तक पहुँच देशों, समूहों और व्यक्तियों के अनुसार बदलती रहती है। इसपर उस जगह की स्वास्थय नीतियों, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों का गहरा प्रभाव पडता है। हर देश में जनता को स्वास्थय लाभ पहुँचाने हेतु विभिन्न नीतियों का निर्माण किया जाता है। .

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सूजाक

सूजाक एक संक्रामक यौन रोग (यौन संचारित बीमारी (एसटीडी)) है। सूजाक नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु से होता है जो महिला तथा पुरुषों में प्रजनन मार्ग के गर्म तथा गीले क्षेत्र में आसानी और बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसके जीवाणु मुंह, गला, आंख तथा गुदा में भी बढ़ते हैं। उपदंश की तरह यह भी एक संक्रामक रोग है अतः उन्ही स्त्री-पुरुषों को होता है जो इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति से यौन संपर्क करते हैं। सूजाक रोग में चूँकि लिंगेन्द्रिय के अंदर घाव हो जाता है और इससे पस निकलता है अतः इसे हिंदी में 'पूयमेह ', औपसर्गिक पूयमेह और ' परमा ' कहते हैं और अंग्रेजी भाषा में गोनोरिया (gonorrhoea) कहते हैं.

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हर्बलिज्म (जड़ी-बूटी चिकित्सा)

हर्बलिज्म अर्थात जड़ी-बूटी संबंधी सिद्धांत, वनस्पतियों और वनस्पति सारों के उपयोग पर आधारित एक पारंपरिक औषधीय या लोक दवा का अभ्यास है। हर्बलिज्म को वनस्पतिक दवा, चिकित्सकीय वैद्यकी, जड़ी-बूटी औषध, वनस्पति शास्त्र और पादपोपचार के रूप में भी जाना जाता है। जड़ी-बूटी या वानस्पतिक दवा में कभी-कभी फफुंदीय या कवकीय तथा मधुमक्खी उत्पादों, साथ ही खनिज, शंख-सीप और कुछ प्राणी अंगों को भी शामिल कर लिया जाता है। प्राकृतिक स्रोतों से व्युत्पन्न दवाओं के अध्ययन को भेषज-अभिज्ञान (Pharmacognosy) कहते हैं। दवाओं के पारंपरिक उपयोग को संभावित भावी दवाओं के बारे में सीखने के एक मार्ग के रूप में मान्यता मिली हुई है। 2001 में, शोधकर्ताओं ने मुख्यधारा की दवा के रूप में उपयोग किये जाने वाले ऐसे 122 यौगिकों की पहचान की जिनकी व्युत्पत्ति "एथनोमेडिकल" (नृजाति-चिकित्सा) वनस्पति स्रोतों से हुआ था; इन यौगिकों का 80% उसी या संबंधित तरीके से पारंपरिक नृजाति-चिकित्सा के रूप में उपयोग होता रहा था। अनेक वनस्पतियां ऐसे सार तत्वों का संश्लेषण करती हैं जो मनुष्य तथा अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य के रखरखाव के लिए उपयोगी होते हैं। इनमें सुरभित सार शामिल हैं, जिनके अधिकांश फिनोल (कार्बोनिक एसिड) या उनके ऑक्सीजन-स्थानापन्न व्युत्पादित, जैसे कि टैनिन (वृक्ष की छाल का क्षार), होते हैं। अनेक गौण चयापचयी होते हैं, जिनमे से कम से कम 12,000 अलग-थलग कर दिए गये हैं - अनुमान के अनुसार यह संख्या कुल का 10% से भी कम है। कई मामलों में, एल्कालोइड्स जैसे सार पदार्थ सूक्ष्म जीवों, कीड़े-मकोड़ों और शाकाहारी प्राणियों की लूट-खसोट से पेड़-पौधे के सुरक्षा तंत्र के रूप में काम करते हैं। भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए मनुष्य द्वारा उपयोग में लाये जाने वाली अनेक जड़ी-बूटी और मसालों में उपयोगी औषधीय यौगिक हुआ करते हैं। डॉक्टर के नुस्खे की दवा की ही तरह, अनेक जड़ी-बूटियों के प्रतिकूल प्रभाव की संभावना रहती है।तलालय पी.

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हाइड्रॉक्सीकार्बामाइड

हाइड्रॉक्सीकार्बामाइड (Hydroxycarbamide) एक दवा है जो सिकल-सेल रोग, क्रोनिक माइलोजेनस ल्यूकेमिया, सर्विकल कैंसर और पीवी (PV) के उपचार में प्रयुक्त होती है। यह मुँह के रास्ते ली जाती है। इसे हाइड्रॉक्सीयूरिया (hydroxyurea) भी कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे आवश्यक दवाओं की श्रेणी में रखा है। श्रेणी:विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आवश्यक घोषित दवाएँ.

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हिंसा

विश्व स्वास्थ्य संगठन की परिभाषा के अनुसार, हिंसा "स्वयं के विरुद्ध, किसी अन्य व्यक्ति या किसी समूह या समुदाय के विरुद्ध शारीरिक बल या शक्ति का साभिप्राय उपयोग है, चाहे धमकीस्वरूप या वास्तविक, जिसका परिणाम या उच्च संभावना है कि जिसका परिणाम चोट, मृत्यु, मनोवैज्ञानिक नुकसान, दुर्बलता, या कुविकास के रूप में होता हैं", हालांकि संगठन यह स्वीकार करता है कि इसकी परिभाषा में "शक्ति का उपयोग" शामिल करना शब्द की पारंपरिक समझ को बढ़ाता है।Krug et al.,, विश्व स्वास्थ्य संगठन, २००२.

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हैजा का टीका

हैजा के टीके वे टीके हैं जो हैजा की रोकथाम में प्रभावी हैं। वे पहले छः माह में लगभग 85% और पहले वर्ष के दौरान लगभग 50-60% प्रभावी होते हैं। दो वर्षों के बाद प्रभावशीलता 50% से कम हो जाती है। जब आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से का टीकाकरण हो जाता है तो टीकाकरण न पाए लोगों में सामूहिक प्रतिरक्षा का लाभ पैदा हो सकता है। उच्च जोखिम वालों में विश्व स्वास्थ्य संगठन इनको अन्य उपायों के साथ संयोजन में उपयोग किए जाने की सिफारिश करता है। आम तौर पर मुंह से लिए जाने वाले प्रारूप की दो या तीन खुराक की सिफारिश की जाती है। दुनिया के कुछ क्षेत्रों में कुछ मामलों में इंजेक्शन वाले प्रारूप उपलब्ध है,लेकिन इसकी उपलब्धता कम है। दोनों प्रकार के उपलब्ध मौखिक टीके आम तौर पर सुरक्षित हैं। हल्का पेट दर्द या दस्त हो सकता है। वे गर्भावस्था तथा कमजोर प्रतिरक्षा क्षमता की स्थितियों में सुरक्षित हैं। ये 60 से अधिक देशों उपयोग के लिए अधिकृत हैं। ये उन देशों में लागत प्रभावी होता है जहां पर यह रोग आम है। हैजा के विरुद्ध पहला टीका 19 वीं सदी के अंत में विकसित किया गया था। प्रयोगशाला में बनाएं गए वे पहले ऐसे टीके थे जिनको व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया था। मौखिक टीके, पहली बार 1990 के दशक में शुरु किए गए थे। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल है जो कि बुनियादी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए जरूरी सबसे महत्वपूर्ण दवाओं की सूची है। हैजा के विरुद्ध प्रतिरक्षा (टीकाकरण) की लागत, 0.1 और 4.0 अमरीकी डॉलर के बीच है।  .

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हैंड्स फ्री

सैब ९-५ कार में लगी हैंड्स फ्री मोबाइल किट हैंड्स फ्री युक्तियाँ, ऐसे उपकरण होते हैं, जो उपभोक्ता को बिना मोबाइल फोन को हाथ में लिए बात कर पाने में सक्षम कर पाती हैं। ये युक्तियाँ, हैंडबैंड की तरह होती है, जिसमें मुंह के पास एक माइक्रोफोन लगा होता है, जिससे उपभोक्ता अपनी बात कह सकते है और कान के पास लगे दूसरे हैडबैंड से बात सुन सकते है। ये युक्तियाँ आकार, क्षमता, परास (रेंज), कनेक्शन, फोन और फीचर के अनुसार कई प्रकार की होती हैं। फोन के अनुरूप ढला होना इनका प्रमुखतम कारक होता है।|हिन्दुस्तान लाइव। १० मार्च २०१० यही इसका मोबाइल फोन के संग प्रयोग होना या न होना निश्चित करता है। साधारण हैंड्सफ्री युक्तियों में हैंडसेट होता है, लेकिन बाजार में मिलने वाली हैंड्सफ्री युक्तियों में स्पीकर फोन लगे होते हैं। हैंड्स फ्री युक्ति की सहायता से फोन से बात करते समय अन्य काम भी कर सकते हैं। बात करते समय कंप्यूटर पर लिख सकते हैं या कागज पर अंकित भी सकते हैं। खासकर गाड़ी ड्राइविंग करते समय भी हैंड्सफ्री युक्ति की सहायता से बात कर सकते हैं। ये युक्तियाँ इन्फ्रा-रेड या ब्लूटूथ द्वारा मोबाइल फोन से जुड़ी रहती हैं। .

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जठरांत्र शोथ

जठरांत्र शोथ (गैस्ट्रोएन्टराइटिस) एक ऐसी चिकित्सीय स्थिति है जिसे जठरांत्र संबंधी मार्ग ("-इटिस") की सूजन द्वारा पहचाना जाता है जिसमें पेट ("गैस्ट्रो"-) तथा छोटी आंत ("इन्टरो"-) दोनो शामिल हैं, जिसके परिणास्वरूप कुछ लोगों को दस्त, उल्टी तथा पेट में दर्द और ऐंठन की सामूहिक समस्या होती है। जठरांत्र शोथ को आंत्रशोथ, स्टमक बग तथा पेट के वायरस के रूप में भी संदर्भित किया जाता है। हलांकि यह इन्फ्लूएंजा से संबंधित नहीं है फिर भी इसे पेट का फ्लू और गैस्ट्रिक फ्लू भी कहा जाता है। वैश्विक स्तर पर, बच्चों में ज्यादातर मामलों में रोटावायरस ही इसका मुख्य कारण हैं। वयस्कों में नोरोवायरस और कंपाइलोबैक्टर अधिक आम है। कम आम कारणों में अन्य बैक्टीरिया (या उनके जहर) और परजीवी शामिल हैं। इसका संचारण अनुचित तरीके से तैयार खाद्य पदार्थों या दूषित पानी की खपत या संक्रामक व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क के कारण से हो सकता है। प्रबंधन का आधार पर्याप्त जलयोजन है। हल्के या मध्यम मामलों के लिए, इसे आम तौर पर मौखिक पुनर्जलीकरण घोल के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। अधिक गंभीर मामलों के लिए, नसों के माध्यम से दिये जाने वाले तरल पदार्थ की जरूरत हो सकती है। जठरांत्र शोथ प्राथमिक रूप से बच्चों और विकासशील दुनिया के लोगों को प्रभावित करता है। .

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जन्म दोष

जन्म दोष या जन्म के दोष किसी बच्चे के जन्म के समय मौजूद संरचनात्मक या कार्यात्मक असामान्यताएँ हैं जो शारीरिक विकलांगता, बौद्धिक और विकासशील विकलांगता (आईडीडी), और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हो सकते हैं। कुछ घातक हो सकते हैं, खासकर अगर पता लगाकर जल्दी से इलाज नहीं किया जाता है तो। .

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ई-सिगरेट

दो इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के मॉडल.नीचे से ऊपर: आरएन4072 "कलम-शैली" और सीटी-M401.हरेक मॉडल के नीचे एक अतिरिक्त पृथक बैटरी भी दिखाई गयी है। एक डीएसए-901 इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के एक अन्य आम डिजाइन का प्रदर्शन: यह एक साधारण सिगरेट है। एक इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट, ई सिगरेट या वाष्पीकृत सिगरेट एक बैटरी चालित उपकरण है जो निकोटीन या गैर-निकोटीन के वाष्पीकृत होने वाले घोल की सांस के साथ सेवन की जाने वाली खुराक प्रदान करता है। यह सिगरेट, सिगार या पाइप जैसे धुम्रपान वाले तम्बाकू उत्पादों का एक विकल्प है। तथाकथित निकोटीन वितरण के अलावा यह वाष्प पिये जाने वाले तम्बाकू के धुंएं के समान स्वाद और शारीरिक संवेदन भी प्रदान करती है जबकि इस क्रिया में दरअसल कोई धुंआ या दहन नहीं होता है। इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट किसी हद तक लम्बी ट्यूब के रूप का होती है, जबकि इनका बाहरी आकार-प्रकार वास्तविक धुम्रपान उत्पादों जैसे सिगरेट, सिगार और पाइप जैसा डिजाइन किया जाता है। "कलम-शैली" की एक अन्य आम डिजाइन है, किसी बॉल प्वाइंट कलम जैसा दिखने के कारण इसका ऐसा नाम पड़ा.

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वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ, या जैविक पदार्थ के वातावरण में, मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। वायु प्रदूषण के कारण मौतें और श्वास रोग.

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विश्व रक्तदाता दिवस

विश्व रक्तदान दिवस हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिन को रक्तदान दिवस के रूप में घोषित किया गया है। वर्ष 2004 में स्थापित इस कार्यक्रम का उद्देश्य सुरक्षित रक्त रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और रक्तदाताओं के सुरक्षित जीवन रक्षक रक्त के दान करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हुए आभार व्यक्त करना है। रक्तदाता .

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विश्वमारी

विश्वमारी (यूनानी (ग्रीक) शब्द πᾶν पैन "सब" + δῆμος डेमोस "लोग" से), संक्रामक रोगों की एक महामारी है जो मानव आबादी के माध्यम से एक विशाल क्षेत्र, उदाहरण के लिए, एक महाद्वीप, या यहां तक कि दुनिया भर में भी फ़ैल रहा है। एक व्यापक स्थानिक रोग जो इस दृष्टि से स्थिर होता है कि इससे कितने लोग बीमार हो रहे हैं, एक विश्वमारी नहीं है। इसके अलावा, फ्लू विश्वमारियों में मौसमी फ्लू को तब तक शामिल नहीं किया जाता है जब तक मौसम का फ्लू एक विश्वमारी न हो। सम्पूर्ण इतिहास में चेचक और तपेदिक जैसी असंख्य विश्वमारियों का विवरण मिलता है। अधिक हाल की विश्वमारियों में एचआईवी (HIV) विश्वमारी और 2009 की फ्लू विश्वमारी शामिल है। .

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व्यावसायिक संरक्षा एवं स्वास्थ्य

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय १९४३ में लेथ पर कार्य करती हुई एक ब्रिटेन की लड़की अपने कार्य का निरीक्षण कर रही है, किन्तु उसकी आंखों पर सुरक्षा के लिये कुछ नहीं है। वर्तमान समय में इस तरह कार्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती व्यावसायिक संरक्षा एवं स्वास्थ्य (Occupational safety and health (OSH)) के अन्तर्गत किसी व्यवसाय या रोजगार में लगे हुए लोगों की संरक्षा, स्वास्थ्य एवं कल्याण पर विचार किया जाता है। .

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व्यक्तित्व विकार

व्यक्तित्व विकार भिन्न प्रकार के व्यक्तित्वों और व्यवहारों का एक वर्ग है जिसे अमेरिकन साइकियेट्रिक एसोसियेशन (APA) निम्न प्रकार से परिभाषित करता है, इंटरनेश्नल स्टेटिस्टिकल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज़ एंड रिलेटेड हेल्थ प्रॉब्लम्स (ICD-10), ने भी व्यक्तित्व विकार को परिभाषित किया है। जिसे विश्व स्वास्थ संगठन (वर्ल्ड हेल्थ और्गनाईज़ेशन) द्वारा प्रकाशित किया गया है। व्यक्तित्व विकार ICD-10 Chapter V: Mental and behavioural disorders के अंतर्गत वर्गीकृत किये गए हैं, विशेषकर मानसिक और व्यवहारिक विकारों के अंतर्गत: 28F60-F69.29 वयस्क व्यक्तित्व और व्यवहार के विकार.

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वैश्विक स्वास्थ्य

वैश्विक स्वास्थ्य वैश्विक संदर्भ में लोगों का स्वास्थ्य से संबंधित मामला है और यह किसी व्यक्ति के राष्ट्र की चिंताओं और दृष्टिकोण से परे मामला है। स्वास्थ्य समस्याएं, जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर जाती हैं या जिनका वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव पड़ता है, पर हमेशा जोर दिया जाता है। इसे कुछ इस तरह से परिभाषित किया गया है, 'यह अध्ययन, शोध और अभ्यास का वह क्षेत्र है जिसमें दुनिया के लोगों के स्वास्थ्य सुधार और स्वास्थ्य में समानता प्राप्त करने को प्राथमिकता दी जाती है'.

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वीर्य

ऑल्ट.

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खतना

मध्य एशिया (तुर्कमेनिस्तान की अधिकांश सम्भावना) में खतना किया जा रहा है, लगभग1865-1872.अंडे की सफ़ेदी के निशान को बहाल रखा गया। खतना खतना पुरूषों का खतना उनके शिश्न की अग्र-त्वचा(खाल) को पूरी तरह या आंशिक रूप से हटा देने की प्रक्रिया है। “खतना (circumcision)" लैटिन भाषा का शब्द है circum (अर्थात “आस-पास”) और cædere (अर्थात “काटना”).

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खसरा

---- खसरा श्वसन प्रणाली में वायरस, विशेष रूप से मोर्बिलीवायरस के जीन्स पैरामिक्सोवायरस के संक्रमण से होता है। मोर्बिलीवायरस भी अन्य पैरामिक्सोवायरसों की तरह ही एकल असहाय, नकारात्मक भावना वाले आरएनए वायरसों द्वारा घिरे होते हैं। इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, बहती हुई नाक, लाल आंखें और एक सामान्यीकृत मेकुलोपापुलर एरीथेमाटस चकते भी शामिल है। खसरा (कभी-कभी यह अंग्रेज़ी नाम मीज़ल्स से भी जाना जाता है) श्वसन के माध्यम से फैलता है (संक्रमित व्यक्ति के मुंह और नाक से बहते द्रव के सीधे या वायुविलय के माध्यम से संपर्क में आने से) और बहुत संक्रामक है तथा 90% लोग जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं है और जो संक्रमित व्यक्ति के साथ एक ही घर में रहते हैं, वे इसके शिकार हो सकते हैं। यह संक्रमण औसतन 14 दिनों (6-19 दिनों तक) तक प्रभावी रहता है और 2-4 दिन पहले से दाने निकलने की शुरुआत हो जाती है, अगले 2-5 दिनों तक संक्रमित रहता है (अर्थात् कुल मिलाकर 4-9 दिनों तक संक्रमण रहता है).

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खसरे का टीका

खसरे का टीका एक ऐसा टीका है जो खसरे की रोकथाम में बहुत प्रभावी है। पहली खुराक के बाद नौ माह से अधिक की उम्र के 85% बच्चे तथा 12 माह से अधिक की उम्र वाले 95% बच्चे प्रतिरक्षित (सुरक्षित) हो जाते हैं।Control, Centers for Disease; Prevention (2014).

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खुड्डी शौचालय

 खुड्डी शौचालय या पिट टॉयलेट एक प्रकार का शौचालय है जो जमीन पर एक गड्ढे में मानव मल एकत्र करता है.

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ऑस्टियोपोरोसिस

अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) हड्डी का एक रोग है जिससे फ़्रैक्चर का ख़तरा बढ़ जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस में अस्थि खनिज घनत्व (BMD) कम हो जाता है, अस्थि सूक्ष्म-संरचना विघटित होती है और अस्थि में असंग्रहित प्रोटीन की राशि और विविधता परिवर्तित होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस को DXA के मापन अनुसार अधिकतम अस्थि पिंड (औसत 20 वर्षीय स्वस्थ महिला) से नीचे अस्थि खनिज घनत्व 2.5 मानक विचलन के रूप में परिभाषित किया है; शब्द "ऑस्टियोपोरोसिस की स्थापना" में नाज़ुक फ़्रैक्चर की उपस्थिति भी शामिल है। ऑस्टियोपोरोसिस, महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद सर्वाधिक सामान्य है, जब उसे रजोनिवृत्तोत्तर ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं, पर यह पुरुषों में भी विकसित हो सकता है और यह किसी में भी विशिष्ट हार्मोन संबंधी विकार तथा अन्य दीर्घकालिक बीमारियों के कारण या औषधियों, विशेष रूप से ग्लूकोकार्टिकॉइड के परिणामस्वरूप हो सकता है, जब इस बीमारी को स्टेरॉयड या ग्लूकोकार्टिकॉइड-प्रेरित ऑस्टियोपोरोसिस (SIOP या GIOP) कहा जाता है। उसके प्रभाव को देखते हुए नाज़ुक फ़्रैक्चर का ख़तरा रहता है, हड्डियों की कमज़ोरी उल्लेखनीय तौर पर जीवन प्रत्याशा और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। ऑस्टियोपोरोसिस को जीवन-शैली में परिवर्तन और कभी-कभी दवाइयों से रोका जा सकता है; हड्डियों की कमज़ोरी वाले लोगों के उपचार में दोनों शामिल हो सकती हैं। जीवन-शैली बदलने में व्यायाम और गिरने से रोकना शामिल हैं; दवाइयों में कैल्शियम, विटामिन डी, बिसफ़ॉसफ़ोनेट और कई अन्य शामिल हैं। गिरने से रोकथाम की सलाह में चहलक़दमी वाली मांसपेशियों को तानने के लिए व्यायाम, ऊतक-संवेदी-सुधार अभ्यास; संतुलन चिकित्सा शामिल की जा सकती हैं। व्यायाम, अपने उपचयी प्रभाव के साथ, ऑस्टियोपोरोसिस को उसी समय बंद या उलट सकता है। .

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ऑंकोसर्कॉय्सिस

ऑंकोसर्कॉय्सिस, जिसे रिवर ब्लाइंडनेस और रॉब्लेस व्याधि, के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रकार के परजीवी कृमि परजीवी कृमि ऑंकोसेरा वाल्वलस के संक्रमण से होने वाली बीमारी है.

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औषधनिर्माण

चिकित्सा में प्रयुक्त द्रव्यों के ज्ञान को औषधनिर्माण अथवा भेषज विज्ञान या 'भेषजी' या 'फार्मेसी' (Pharmacy) कहते हैं। इसके अंतर्गत औषधों का ज्ञान तथा उनका संयोजन ही नहीं वरन् उनकी पहचान, संरक्षण, निर्माण, विश्लेषण तथा प्रमापण भी हैं। नई औषधों का आविष्कार तथा संश्लेषण भेषज (फ़ार्मेसी) के प्रमुख कार्य हैं। फार्मेसी उस स्थान को भी कहते हैं जहाँ औषधयोजन तथा विक्रय होता है। जब तक भेषजीय प्रविधियाँ सुगम थीं तब तक भेषज विज्ञान चिकित्सा का ही अंग था। परंतु औषधों की संख्या तथा प्रकारों के बढ़ने तथा उनकी निर्माणविधियों के क्रमश: जटिल होते जाने से भेषज विज्ञान के अलग विशेषज्ञों की आवश्यकता पड़ी। .

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आहारीय लौह

आहारीय लौह की आवश्यकता लाल रक्त कोशिकाओं का हिमोग्लोबिन बनाने के लिए होती है। फ़ेफ़डों से शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाने के लियें भी यही सहायक होती है। शरीर का कुछ लौह तत्त्व यकृत में भंडार हो जाता है। विटामिन बी के चयापचय के लिए भी लौह आवश्यक होता है। लिंग और शरीर की क्रियात्मक स्थिति के अनुसार दैनिक आहार में केवल २-४ मि.ग्रा.

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आईसीडी-१०

रोग और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी वर्गीकरण के दसवें संस्करण को आईसीडी-१० (ICD-10) कहते हैं। यह चिकित्सीय वर्गीकरण की सूचियों का समूह है जिसमें रोगों की कोडिंग, लक्षणों, समस्याओं, तथा सामाजिक परिस्थितियों आदि की कोडिंग की गयी है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्मित है। इसमें 14,400 से भी अधिक कोड हैं। .

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आवश्यक औषधि

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आवश्यक औषधियों (Essential medicines) की निम्नलिखित परिभाषा की है: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आवश्यक दवाओं की एक मॉडल प्रादर्श सूची (मॉडल लिस्ट) भी प्रकाशित की है। इससे सहायता लेकर तथा अपनी स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हर देश को अपनी आवश्यक दवाओं की सूची बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस समय लगभग १५० देशों ने अपनी सूची तैयार कर ली है। .

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इंडिया मार्क द्वितीय

इंडिया मार्क द्वितीय (India Mark II, इंडिया मार्क टू) एक मानव संचालित हैंडपम्प है जिसे ५० मीटर या उससे कम गहराई से पानी उठाने के लिए बनाया गया है। यह पम्प दुनिया में सबसे व्यापक रूप से संचालित है। इस पम्प का निर्माण वर्ष १९७० में विकासशील देशों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पानी निकलने के लिए किया गया था। .

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कमलानाथ

कमलानाथ शर्मा (के.एन.शर्मा भी) जलविज्ञान, सिंचाई तथा जल-निकास, एवं जल-विद्युत अभियांत्रिकी के अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञ, वैदिक ग्रंथों में जलविज्ञान, पर्यावरण आदि विषयों के लेखक, साहित्यकार, तथा हिंदी के जानेमाने व्यंग्य लेखक और कहानीकार हैं। जलविज्ञान, जल-विद्युत अभियांत्रिकी व विश्व खाद्यान्न में उल्लेखनीय योगदान के अतिरिक्त के॰एन॰शर्मा ने वेदों, उपनिषदों आदि वैदिक वाङ्मय में जल, पर्यावरण, पारिस्थितिकी आदि पर भी शोध करके प्रचुरता से लिखा है। हिंदी साहित्य में साठ के दशक से कमलानाथ के नाम से उनके व्यंग्य तथा कहानियां भी देश की विभिन्न पत्रिकाओं में छपते रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान आपने विश्व के लगभग सभी देशों की यात्रा की, वहां के सिंचाई, जलनिकास, जलविज्ञान आदि के विकास में योगदान दिया तथा अनेक अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं से संबद्ध रहे। .

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किरण कार्निक

किरण कार्निक (जन्म: 16 मार्च 1947) भारतीय आउटसोर्सिंग उद्योग के एक प्रमुख व्यक्तित्व और महत्वपूर्ण मार्गदर्शक हैं। वे नैसकॉम (NASSCOM) (द नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेस कंपनिज) के भूतपूर्व अध्यक्ष हैं और वर्तमान में इसके एक ट्रस्टी हैं। गंभीर अनियमितताओं और लेखा में धोखाधड़ी करने के लिए भारत सरकार द्वारा सत्यम कम्प्यूटर के बोर्ड को भंग कर देने के बाद, हाल ही में श्री कार्निक को सत्यम कंप्यूटर सर्विसेस बोर्ड के तीन सदस्यों में से एक सदस्य चुना गया और साथ ही उन्हें चेयरमैन भी बनाया गया। वर्तमान में वे भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक भी हैं। .

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कुष्ठरोग

कुष्ठरोग (Leprosy) या हैन्सेन का रोग (Hansen’s Disease) (एचडी) (HD), चिकित्सक गेरहार्ड आर्मोर हैन्सेन (Gerhard Armauer Hansen) के नाम पर, माइकोबैक्टेरियम लेप्री (Mycobacterium leprae) और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस (Mycobacterium lepromatosis) जीवाणुओं के कारण होने वाली एक दीर्घकालिक बीमारी है। कुष्ठरोग मुख्यतः ऊपरी श्वसन तंत्र के श्लेष्म और बाह्य नसों की एक ग्रैन्युलोमा-संबंधी (granulomatous) बीमारी है; त्वचा पर घाव इसके प्राथमिक बाह्य संकेत हैं। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो कुष्ठरोग बढ़ सकता है, जिससे त्वचा, नसों, हाथ-पैरों और आंखों में स्थायी क्षति हो सकती है। लोककथाओं के विपरीत, कुष्ठरोग के कारण शरीर के अंग अलग होकर गिरते नहीं, हालांकि इस बीमारी के कारण वे सुन्न तथा/या रोगी बन सकते हैं। कुष्ठरोग ने 4,000 से भी अधिक वर्षों से मानवता को प्रभावित किया है, और प्राचीन चीन, मिस्र और भारत की सभ्यताओं में इसे बहुत अच्छी तरह पहचाना गया है। पुराने येरुशलम शहर के बाहर स्थित एक मकबरे में खोजे गये एक पुरुष के कफन में लिपटे शव के अवशेषों से लिया गया डीएनए (DNA) दर्शाता है कि वह पहला मनुष्य है, जिसमें कुष्ठरोग की पुष्टि हुई है। 1995 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन) (डब्ल्यूएचओ) (WHO) के अनुमान के अनुसार कुष्ठरोग के कारण स्थायी रूप से विकलांग हो चुके व्यक्तियों की संख्या 2 से 3 मिलियन के बीच थी। पिछले 20 वर्षों में, पूरे विश्व में 15 मिलियन लोगों को कुष्ठरोग से मुक्त किया जा चुका है। हालांकि, जहां पर्याप्त उपचार उपलब्ध हैं, उन स्थानों में मरीजों का बलपूर्वक संगरोध या पृथक्करण करना अनावश्यक है, लेकिन इसके बावजूद अभी भी पूरे विश्व में भारत (जहां आज भी 1,000 से अधिक कुष्ठ-बस्तियां हैं), चीन, रोमानिया, मिस्र, नेपाल, सोमालिया, लाइबेरिया, वियतनाम और जापान जैसे देशों में कुष्ठ-बस्तियां मौजूद हैं। एक समय था, जब कुष्ठरोग को अत्यधिक संक्रामक और यौन-संबंधों के द्वारा संचरित होने वाला माना जाता था और इसका उपचार पारे के द्वारा किया जाता था- जिनमें से सभी धारणाएं सिफिलिस (syphilis) पर लागू हुईं, जिसका पहली बार वर्णन 1530 में किया गया था। अब ऐसा माना जाता है कि कुष्ठरोग के शुरुआती मामलों से अनेक संभवतः सिफिलिस (syphilis) के मामले रहे होंगे.

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कोफ़ी अन्नान

कोफ़ी अन्नान(जन्म: 8 अप्रैल 1938) एक घानाई कूटनीतिज्ञ हैं। वे 1962 से 1974 तक और 1974 से 2006 तक संयुक्त राष्ट्र में कार्यरत रहे। वे 1 जनवरी 1997 से 31 दिसम्बर 2006 तक दो कार्यकालों के लिये संयुक्त राष्ट्र के महासचिव रहे। उन्हें संयुक्त राष्ट्र के साथ 2001 में नोबेल शांति पुरस्कार से सह-पुरस्कृत किया गया। .

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कोकेन

कोकेन (Benzoylmethylecgonine) एक क्रिस्टलीय ट्रोपेन उपक्षार है, जो कोका पौधे की पत्तियों से प्राप्त होता है।अग्रवाल, अनिल.

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अतिवसारक्तता (हाइपरलिपीडेमिया)

हाइपरलिपीडेमिया, हाइपरलिपोप्रोटीनेमिया, या हाइपरलिपीडाएमिया (ब्रिटिश अंग्रेजी) रक्त में लिपिड तथा/अथवा लाइपोप्रोटीन के किसी अथवा सभी स्तरों की असामान्य रूप से बढ़ी हुई स्थिति होती है। उल्लेख करता है.

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अनुपालन (दवा)

दवा में, अनुपालन (पालन या सामंजस्य भी) रोगियों उस अवस्था को वर्णित करता है, जब उसे चिकित्सा सलाह लेने की आवश्यकता होती है। अधिकांशतः, यह औषध या दवा अनुपालन का संदर्भ देता है, लेकिन इसका उपयोग चिकित्सा उपकरणों जैसे सम्पीडन स्टॉकिंग्स, पुराने घाव की देखभाल, स्व निर्देशित-भौतिक चिकित्सा अभ्यास, या परामर्श देने या अन्य उपचारों के लिए किया जा सकता है मरीज और स्वास्थ्य-सेवा प्रदाता दोनों के अनुपालन और एक सकारात्मक चिकित्सक रोगी रिश्ता को प्रभावित करते हैं, जो कि अनुपालन में सुधार का सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है, यद्यपि दवा के पर्चे का उच्च लागत भी प्रमुख निभाता है एक.

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अप्रैल 2015 नेपाल भूकम्प

2015 नेपाल भूकम्प क्षणिक परिमाण परिमाप पर 7.8 या 8.1 तीव्रता का भूकम्प था जो 25 अप्रैल 2015 सुबह 11:56 स्थानीय समय में घटित हुआ था। भूकम्प का अधिकेन्द्र लामजुंग, नेपाल से 38 कि॰मी॰ दूर था। भूकम्प के अधिकेन्द्र की गहराई लगभग 15 कि॰मी॰ नीचे थी। बचाव और राहत कार्य जारी हैं। भूकंप में कई महत्वपूर्ण प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर व अन्य इमारतें भी नष्ट हुईं हैं। 1934 के बाद पहली बार नेपाल में इतना प्रचंड तीव्रता वाला भूकम्प आया है जिससे 8000 से अधिक मौते हुई हैं और 2000 से अधिक घायल हुए हैं। भूकंप के झटके चीन, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी महसूस किये गये। नेपाल के साथ-साथ चीन, भारत और बांग्लादेश में भी लगभग 250 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। भूकम्प की वजह से एवरेस्ट पर्वत पर हिमस्खलन आ गया जिससे 17 पर्वतारोहियों के मृत्यु हो गई। काठमांडू घाटी में यूनेस्को विश्व धरोहर समेत कई प्राचीन एतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुचाँ है। 18वीं सदी में निर्मित धरहरा मीनार पूरी तरह से नष्ट हो गयी, अकेले इस मीनार के मलबे से 200 से ज्यादा शव निकाले गये। भूकम्प के बाद के झटके 12 मई 2015 तक भारत, नेपाल, चीन, अफगानिस्तान, पाकिस्तान व पडोसी देशों में महसूस किये जाते रहे। .

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अफ्लोरीकरण

अफ्लोरीकरण, जल में मौजूद जरूरत से ज्यादा फ्लोरीन को हटाने की क्रिया को अफ्लोरीकरण कहते हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रतिलीटर जल में आधा से एक मिलीग्राम फ्लोरीन होनी चाहिए। अगर जल में इससे कम फ्लोरीन है तो पीने के जल में फ्लोरीन मिलाई जाती है। .

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अमेरिकी महाद्वीप जिका विषाणु प्रकोप (2015-वर्तमान)

जनवरी 2016 में जिका विषाणु का आज तक का सबसे बड़े पैमाने का प्रकोप अमरीकी महाद्वीप में चल रहा है। जनवरी 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अमेरिका में यह विषाणु इस वर्ष के अंत तक बहुतायत से फैल सकता है। इस विषाणु के हर पाँच में से एक मामले में यह जिका बुखार या शरीर में दाने के रूप में दिखाई देता है। .

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उच्च रक्तचाप

(HTN) हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन (सिस्टोल) हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता (डायस्टोल) हो रही है। आराम के समय पर सामान्य रक्तचाप 100-140 mmHg सिस्टोलिक (उच्चतम-रीडिंग) और 60-90 mmHg डायस्टोलिक (निचली-रीडिंग) की सीमा के भीतर होता है। उच्च रक्तचाप तब उपस्थित होता है यदि यह 90/140 mmHg पर या इसके ऊपर लगातार बना रहता है। हाइपरटेंशन प्राथमिक (मूलभूत) उच्च रक्तचाप तथा द्वितीयक उच्च रक्तचाप के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 90-95% मामले "प्राथमिक उच्च रक्तचाप" के रूप में वर्गीकृत किये जाते हैं, जिसका अर्थ है स्पष्ट अंतर्निहित चिकित्सीय कारण के बिना उच्च रक्तचाप। अन्य परिस्थितियां जो गुर्दे, धमनियों, दिल, या अंतःस्रावी प्रणाली को प्रभावित करती हैं, शेष 5-10% मामलों (द्वितीयक उच्च रक्तचाप) का कारण होतीं हैं। हाइपरटेंशन स्ट्रोक, मायोकार्डियल रोधगलन (दिल के दौरे), दिल की विफलता, धमनियों की धमनी विस्फार (उदाहरण के लिए, महाधमनी धमनी विस्फार), परिधीय धमनी रोग जैसे जोखिमों का कारक है और पुराने किडनी रोग का एक कारण है। धमनियों से रक्त के दबाव में मध्यम दर्जे की वृद्धि भी जीवन प्रत्याशा में कमी के साथ जुड़ी हुई है। आहार और जीवन शैली में परिवर्तन रक्तचाप नियंत्रण में सुधार और संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं। हालांकि, दवा के माध्यम से उपचार अक्सर उन लोगों के लिये जरूरी हो जाता है जिनमें जीवन शैली में परिवर्तन अप्रभावी या अपर्याप्त हैं। .

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१३ नवम्बर

१३ नवंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ३१७वॉ (लीप वर्ष मे ३१८ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ४८ दिन बाकी है। .

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2016-17 यमन हैजा प्रकोप

यमन में हैजा का प्रकोप; अक्टूबर 2016 में, हैजा का प्रकोप यमन में शुरू हुआ और वर्ष 2017 में भी जारी है।.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

डब्ल्यु एच ओ, विश्व स्वास्थ्य संघ, विश्व-स्वास्थ्य संघ

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