50 संबंधों: ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक, चिरसम्मत भौतिकी, चिरसम्मत यांत्रिकी, चुम्बक, चुम्बकन, चुम्बकीय क्षेत्र, चुंबकत्व, एन्टेना, एम्पियर, दुर्बल अन्योन्य क्रिया, द्विध्रुवी चुम्बक, धातु संसूचक, निकोला टेस्ला, परमाणु, पश्चिमी संस्कृति, पारगम्यता, प्रतिन्यूट्रॉन, प्रतिप्रोटोन, प्रबल अन्योन्य क्रिया, प्रेरकत्व, फैराडे का विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का नियम, बल (भौतिकी), बायो-सेवर्ट का नियम, मैक्सवेल के समीकरण, मीटर-किलोग्राम-सेकेण्ड पद्धति, यूनाइटेड किंगडम, रिले, शास्त्रीय विद्युत्चुम्बकत्व, शैक्षणिक विषयों की सूची, हरकिमर हीरा, हैड्रॉन, विचित्रता, विद्युत धारा, विद्युत आवेश, विद्युत इंजीनियरी का इतिहास, विद्युत-चुम्बकीय-दुर्बल अन्योन्य क्रिया, विद्युतशीलता, विस्थापन धारा, वैद्युत प्रवृत्ति, गणित, गणितीय भौतिकी, आन्द्रे मैरी एम्पीयर, आवेश घनत्व, कणों की सूची, काल्पनिक संख्या, क्वार्क, कूलॉम-नियम, अनुप्रयुक्त विज्ञान, अभिवाह, अंतरिक्ष विज्ञान।
ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक
ऊष्मा के यांत्रिक तुल्यांक के मापन के लिए जूल द्वारा प्रयुक्त उपकरण ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक (तुल्यांक .
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चिरसम्मत भौतिकी
आधुनिक भौतिकी के चार प्रमुख क्षेत्र चिरसम्मत भौतिकी (क्लासिकल फिजिक्स) भौतिक विज्ञान की वह शाखा है जिसमें द्रव्य और ऊर्जा दो अलग अवधारणाएं हैं। प्रारम्भिक रूप से यह न्यूटन के गति के नियम व मैक्सवेल के विद्युतचुम्बकीय विकिरण सिद्धान्त पर आधारित है। चिरसम्मत भौतिकी को सामान्यतः विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है। इनमें यांत्रिकी (इसमें पदार्थ की गति तथा उस पर आरोपित बलों का अध्ययन किया जाता है।), गतिकी, स्थैतिकी, प्रकाशिकी, उष्मागतिकी (ऊर्जा और उष्मा का अध्ययन) और ध्वनिकी शामिल हैं तथा इसी प्रकार विद्युत व चुम्बकत्व के परिसर में दृष्टिगोचर अध्ययन। द्रव्यमान संरक्षण का नियम, ऊर्जा संरक्षण का नियम और संवेग संरक्षण का नियम भी चिरसम्मत भौतिकी में महत्वपूर्ण हैं। इसके अनुसार द्रव्यमान और ऊर्जा को ना ही तो बनाया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता और केवल बाह्य असन्तुलित बल आरोपित करके ही संवेग को परिवर्तित किया जा सकता है। .
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चिरसम्मत यांत्रिकी
भौतिक विज्ञान में चिरसम्मत यांत्रिकी, यांत्रिकी के दो विशाल क्षेत्रों में से एक है, जो बलों के प्रभाव में वस्तुओं की गति से सम्बंधित भौतिकी के नियमो के समुच्चय की विवेचना करता है। वस्तुओं की गति का अध्ययन बहुत प्राचीन है, जो चिरसम्मत यांत्रिकी को विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी सबसे प्राचीन विषयों में से एक और विशाल विषय बनाता है। .
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चुम्बक
एक छड़ चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित हुई लौह-धुरि (iron-filings) एक परिनालिका (सॉलिनॉयड) द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय बल रेखाएँ फेराइट चुम्बक चुम्बक (मैग्नेट्) वह पदार्थ या वस्तु है जो चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। चुम्बकीय क्षेत्र अदृश्य होता है और चुम्बक का प्रमुख गुण - आस-पास की चुम्बकीय पदार्थों को अपनी ओर खींचने एवं दूसरे चुम्बकों को आकर्षित या प्रतिकर्षित करने का गुण, इसी के कारण होता है। .
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चुम्बकन
विद्युतचुम्बकत्व के सन्दर्भ में, किसी चुम्बकीय पदार्थ में मौजूद स्थायी चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण अथवा प्रेरित चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण को चुम्बकन (magnetisation) अथवा 'चुम्बकीय ध्रुवण' (magnetic polarization) कहते हैं। श्रेणी:चुम्बकत्व.
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चुम्बकीय क्षेत्र
किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा '''I''', उस चालक के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र '''B''' उत्पन्न करती है। चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धाराओं और चुंबकीय सामग्री का चुंबकीय प्रभाव है। किसी भी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र दोनों, दिशा और परिमाण (या शक्ति) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है; इसलिये यह एक सदिश क्षेत्र है। चुंबकीय क्षेत्र घूमते विद्युत आवेश और मूलकण के आंतरिक चुंबकीय क्षणों द्वारा उत्पादित होता हैं जो एक प्रमात्रा गुण के साथ जुड़ा होता है। 'चुम्बकीय क्षेत्र' शब्द का प्रयोग दो क्षेत्रों के लिये किया जाता है जिनका आपस में निकट सम्बन्ध है, किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। इन दो क्षेत्रों को तथा, द्वारा निरूपित किया जाता है। की ईकाई अम्पीयर प्रति मीटर (संकेत: A·m−1 or A/m) है और की ईकाई टेस्ला (प्रतीक: T) है। चुम्बकीय क्षेत्र दो प्रकार से उत्पन्न (स्थापित) किया जा सकता है- (१) गतिमान आवेशों के द्वारा (अर्थात, विद्युत धारा के द्वारा) तथा (२) मूलभूत कणों में निहित चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा विशिष्ट आपेक्षिकता में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र दो रूपों में देखने को मिलता है, (१) स्थायी चुम्बकों द्वारा लोहा, कोबाल्ट आदि से निर्मित वस्तुओं पर लगने वाला बल, तथा (२) मोटर आदि में उत्पन्न बलाघूर्ण जिससे मोटर घूमती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों का बहुतायत में उपयोग होता है (विशेषतः वैद्युत इंजीनियरी तथा विद्युतचुम्बकत्व में)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, चुम्बकीय सुई के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र में चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग होता है। .
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चुंबकत्व
चुंबकत्व प्रायोगिक चुंबकीय क्षेत्र के परमाणु या उप-परमाणु स्तर पर प्रतिक्रिया करने वाले तत्वों का गुण है। उदाहरण के लिए, चुंबकत्व का ज्ञात रूप है जो की लौह चुंबकत्व है, जहां कुछ लौह-चुंबकीय तत्व स्वयं अपना निरंतर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते रहते हैं। हालांकि, सभी तत्व चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति से कम या अधिक स्तर तक प्रभावित होते हैं। कुछ चुंबकीय क्षेत्र (अणुचंबकत्व) के प्रति आकर्षित होते हैं; अन्य चुंबकीय क्षेत्र (प्रति-चुंबकत्व) से विकर्षित होते हैं; जब कि दूसरों का प्रायोगिक चुंबकीय क्षेत्र के साथ और अधिक जटिल संबंध होता है। पदार्थ है कि चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा नगण्य रूप से प्रभावित पदार्थ ग़ैर-चुंबकीय पदार्थ के रूप में जाने जाते हैं। इनमें शामिल हैं तांबा, एल्यूमिनियम, गैस और प्लास्टिक.
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एन्टेना
शॉर्ट वेव की "कर्टेन" एन्टेना तकनीकी रूप से, एन्टेना (antenna) एक प्रकार का ट्रान्सड्यूसर है जो विद्युतचुम्बकीय तरंगों को प्रसारित करने या ग्रहण करने के काम आता है। दूसरे शब्दों में, एन्टेना विद्युतचुम्बकीय संकेतों को विद्युत संकेतों में बदल देता है। एन्टेना रेडियो, दूरदर्शन, राडार एवं अन्य संचार कार्य-प्रणालियों का प्रथम या अन्तिम अवयव होता है। एन्टेना प्राय: हवा में या अंतरिक्ष में काम करने के लिये बनाये जाते हैं किन्तु इन्हें पानी के भीतर या जमीन के भीतर काम करने के निमित्त भी बनाया जा सकता है। (प्राय: कम दूरी के लिये) बनावट की दृष्टि से, एन्टेना चालकों का विशिष्ट विन्यास (अरेंजमेन्ट) होता है जिन पर प्रत्यावर्ती विभव लगाने से वे विद्युतचुम्बकीय तरंगे पैदा करता है। .
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एम्पियर
विद्युत धारा को गैल्वैनोमीटर के द्वारा मापा जा सकता है। वैसे इसको मापने का सही उपकरण है एम्मीटर एम्पीयर, लघु रूप में amp, (चिन्ह: A) विद्युत धारा, या विद्युत आवेश की मात्रा प्रति सैकण्ड; की इकाई है। एम्पीयर SI मूल इकाई है और इसका नाम विद्युतचुम्बकत्व को खोजने वाले वैज्ञानिक आंद्रे-मैरी एम्पीयर के नाम पर्रखा गया है। .
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दुर्बल अन्योन्य क्रिया
दुर्बल अन्योन्य क्रिया (अक्सर दुर्बल बल व दुर्बल नाभिकीय बल के नाम से भी जाना जाता है) प्रकृति की चार मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं में से एक है, अन्य चार अन्योन्य क्रियाएं गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया और प्रबल अन्योन्य क्रिया हैं। यह अन्योन्य क्रिया, उप-परमाणविक कणों के रेडियोधर्मी क्षय और नाभिकीय संलयन के लिए उत्तरदायी है। सभी ज्ञात फर्मिऑन (वे कण जिनका स्पिन अर्द्ध-पूर्ण संख्या होती है) यह अन्योन्य क्रिया करते हैं। कण भौतिकी मेंमानक प्रतिमान के अनुसार दुर्बल अन्योन्य क्रिया Z अथवा W बोसॉन के विनिमय (उत्सर्जन अथवा अवशोषण) से होती है और अन्य तीन बलों की भांती यह भी अस्पृशी बल माना जाता है। बीटा क्षय रेडियोधर्मिता का एक उदाहरण इस क्रिया का सबसे ज्ञात उदाहरण है। W व Z बोसॉनों का द्रव्यमान प्रोटोन व न्यूट्रोन की तुलना में बहुत अधीक होता है और यह भारीपन ही दुर्बल बल की परास कम होने का मुख्य कारण है। इसे दुर्बल बल कहने का कारण इस बल का अन्य दो बलों विद्युत चुम्बकीय व प्रबल की तुलना में इसका मान का परिमाण की कोटि कई गुणा कम होना है। अधिकतर कण समय के साथ दुर्बल बल के अधीन क्षय होते हैं। क्वार्क फ्लेवर परिवर्तन भी केवल इस बल के अधीन ही होता है। .
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द्विध्रुवी चुम्बक
द्विध्रुवी चुम्बक (ऐडवांस फोटॉन सोर्स, यूएसए) द्विध्रुवी चुम्बक का योजनामूलक चित्र: '''पीला''': धारीवाही कुण्डली, '''आसमानी''': लोहे की कोर द्विध्रुवी चुम्बक कण त्वरकों में काम में आने वाला एक विद्युतचुम्बक है जो कुछ दूर तक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करता है। इसका उपयोग गतिमान आवेशित कणों को अपने मार्ग से मोड़ने के लिए किया जाता है। एक के बाद एक करके कई द्विध्रुवी चुम्बकों का प्रयोग करके आवेशित कणपुंज (particle beam) को मोड़कर एक 'वृत्तीय पथ' पर बनाए रखा जा सकता है। .
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धातु संसूचक
अमरीकी सैनिक ईराक में धातु संसूचक के प्रयोग से हथियार आदि ढूंढते हुए धातु संसूचक से जमीन पर खोज करते हुए धातु संसूचक (अंग्रेज़ी:मेटल डिटेक्टर) का प्रयोग धातु से जुड़े सामानों का पता लगाने में किया जाता है। इसके अलावा लैंड माइंस का पता लगाने, हथियारों, बम, विस्फोटक आदि का पता लगाने जैसे कई कामों में भी किया जाता है।। हिन्दुस्तान लाइव।१६ नवंबर, २००९ एक सरलतम धातु संसूचक में एक विद्युत दोलक होता है जो प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न करता है। यह धारा एक तार की कुंडली में से प्रवाहित होकर अलग चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है। इसमें एक कुंडली का प्रयोग चुंबकीय क्षेत्र को मापने के लिए किया जाता है। चुंबकीय पदार्थ के होने पर चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन के आधार पर इसको मापा जाता है। इसमें लगे माइक्रोप्रोसेसर धातु की प्रकार का पता लगाते हैं। धातु संसूचक वैद्युत चुंबकत्व के सिद्धांत पर काम करते हैं। अलग-अलग कार्यो के प्रयोग के अनुसार धातु संसूचकों की संवेदनशीलता अलग होती है। उन्नीसवीं शताब्दी में वैज्ञानिक ऐसे यंत्र की खोज करने में लगे थे जिससे धातुओं को खोजा जा सके। आरंभ में धातुओं की खोज के लिए जो उपकरण बनाए गए, उनकी क्षमता सीमित थी और वह ऊर्जा का प्रयोग अधिक करते थे। ऐसे में वे हर जगह कारगर नहीं होते थे। १८८१ में ग्राहम बेल ने इस प्रकार के यंत्र की मूल खोज की थी।। समय लाइव। २ मार्च २००९। रमेश चंद्र १९३७ में जेरार्ड फिशर ने इस प्रकार की युक्ति का विकास कर धातु वेक्षक या संसूचक का अन्वेषण किया जिसमें यदि रेडियो किसी धातु को खोजने में खराब हो जाए तो उसे उसकी रेडियो आवृत्ति के आधार पर खोज सकने की क्षमता थी। वह सफल हुए और उन्होंने इसका पेटेंट करवा लिया। .
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निकोला टेस्ला
निकोला टेस्ला (अंग्रेजी: Nikola Tesla; सर्बियाई सिरिलिक: Никола Тесла, 10 जुलाई 1856 - 7 जनवरी 1943) एक सर्बियाई अमेरिकी आविष्कारक, भौतिक विज्ञानी, यांत्रिक अभियन्ता, विद्युत अभियन्ता और भविष्यवादी थे। टेस्ला की प्रसिद्धि उनके आधुनिक प्रत्यावर्ती धारा (एसी) विद्युत आपूर्ति प्रणाली के क्षेत्र में दिये गये अभूतपूर्व योगदान के कारण है। टेस्ला के विभिन्न पेटेंट और सैद्धांतिक कार्य, बेतार संचार और रेडियो के विकास का आधार साबित हुये हैं। वैद्युत चुंबकत्व के क्षेत्र में किये गये उनके कई क्रांतिकारी विकास कार्य, माइकल फैराडे के विद्युत प्रौद्योगिकी के सिद्धांतों पर आधारित थे। .
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परमाणु
एक परमाणु किसी भी साधारण से पदार्थ की सबसे छोटी घटक इकाई है जिसमे एक रासायनिक तत्व के गुण होते हैं। हर ठोस, तरल, गैस, और प्लाज्मा तटस्थ या आयनन परमाणुओं से बना है। परमाणुओं बहुत छोटे हैं; विशिष्ट आकार लगभग 100 pm (एक मीटर का एक दस अरबवें) हैं। हालांकि, परमाणुओं में अच्छी तरह परिभाषित सीमा नहीं होते है, और उनके आकार को परिभाषित करने के लिए अलग अलग तरीके होते हैं जोकि अलग लेकिन काफी करीब मूल्य देते हैं। परमाणुओं इतने छोटे है कि शास्त्रीय भौतिकी इसका काफ़ी गलत परिणाम देते हैं। हर परमाणु नाभिक से बना है और नाभिक एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन्स से सीमित है। नाभिक आम तौर पर एक या एक से अधिक न्यूट्रॉन और प्रोटॉन की एक समान संख्या से बना है। प्रोटान और न्यूट्रान न्यूक्लिऑन कहलाता है। परमाणु के द्रव्यमान का 99.94% से अधिक भाग नाभिक में होता है। प्रोटॉन पर सकारात्मक विद्युत आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन्स पर नकारात्मक विद्युत आवेश होता है और न्यूट्रान पर कोई भी विद्युत आवेश नहीं होता है। एक परमाणु के इलेक्ट्रॉन्स इस विद्युत चुम्बकीय बल द्वारा एक परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन की ओर आकर्षित होता है। नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन एक अलग बल, यानि परमाणु बल के द्वारा एक दूसरे को आकर्षित करते है, जोकि विद्युत चुम्बकीय बल जिसमे सकारात्मक आवेशित प्रोटॉन एक दूसरे से पीछे हट रहे हैं, की तुलना में आम तौर पर शक्तिशाली है। परमाणु के केन्द्र में नाभिक (न्यूक्लिअस) होता है जिसका घनत्व बहुत अधिक होता है। नाभिक के चारो ओर ऋणात्मक आवेश वाले एलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते हैं जिसको एलेक्ट्रान घन (एलेक्ट्रान क्लाउड) कहते हैं। नाभिक, धनात्मक आवेश वाले प्रोटानों एवं अनावेशित (न्यूट्रल) न्यूट्रानों से बना होता है। जब किसी परमाणु में एलेक्ट्रानों की संख्या उसके नाभिक में स्थित प्रोटानों की संख्या के समान होती है तब परमाणु वैद्युकीय दृष्टि से अनावेशित होता है; अन्यथा परमाणु धनावेशित या ऋणावेशित ऑयन के रूप में होता है। आधुनिक रसायनशास्त्र में शताधिक मूल भूत माने गए हैं, जिनमें से कुछ तो धातुएँ हैं जैसे ताँबा, सोना, लोहा, सीसा, चाँदी, राँगा, जस्ता; कुछ और खनिज हैं, जैसे, गंधक, फासफरस, पोटासियम, अंजन, पारा, हड़ताल, तथा कुछ गैस हैं, जैसे, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि। इन्हीं मूल भूतों के अनुसार परमाणु आधुनिक रसायन में माने जाते हैं। पहले समझा जाता था कि ये अविभाज्य हैं। अब इनके भी टुकड़े कर दिए गए हैं। नाभिक में प्रोटॉन की संख्या किसी रासायनिक तत्व को परिभाषित करता है: जैसे सभी तांबा के परमाणु में 29 प्रोटॉन होते हैं। न्यूट्रॉन की संख्या तत्व के समस्थानिक को परिभाषित करता है। इलेक्ट्रॉनों की संख्या एक परमाणु के चुंबकीय गुण को प्रभावित करता है। परमाणु अणु के रूप में रासायनिक यौगिक बनाने के लिए रासायनिक आबंध द्वारा एक या अधिक अन्य परमाणुओं को संलग्न कर सकते हैं। परमाणु की संघटित और असंघटित करने की क्षमता प्रकृति में हुए बहुत से भौतिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है, और रसायन शास्त्र के अनुशासन का विषय है। .
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पश्चिमी संस्कृति
पश्चिमी संस्कृति (जिसे कभी-कभी पश्चिमी सभ्यता या यूरोपीय सभ्यता के समान माना जाता है), यूरोपीय मूल की संस्कृतियों को सन्दर्भित करती है। यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर यूरोपीय साम्राज्यों द्वारा इसका वैश्वीकरण हुआ। दर्शन, मध्ययुगीन मतवाद एवं रहस्यवाद, ईसाई एवं धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद की एक जटिल श्रृंखला के साथ यूरोपीय संस्कृति का विकास हुआ। ज्ञानोदय, प्रकृतिवाद, स्वच्छंदतावाद (रोमेन्टिसिज्म), विज्ञान, लोकतंत्र और समाजवाद के प्रयोगों के साथ परिवर्तन एवं निर्माण के एक लंबे युग के माध्यम से तर्कसंगत विचारधारा विकसित हुई.
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पारगम्यता
निर्वात की पारगम्यता (लाल) की तुलना में लौहचुम्बकीय (भूरा), अनुचुम्बकीय (नीला) एवं प्रतिचुम्बकीय (हरा) पदार्थों की पारगम्यता का सरलीकृत चित्रण लौहचुम्बकीय पदार्थों की पारगम्यता उनमें उपस्थित फ्लक्स घनत्व का फलन होती है। विद्युतचुम्बकत्व के सन्दर्भ में पारगम्यता (permeability) किसी पदार्थ का वह गुण है जो उस पदार्थ में चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किये जाने में उस पदार्थ द्वारा प्रदर्शित 'सहायता' की मात्रा की माप बताता है। इसे ग्रीक वर्ण μ (म्यू) से प्रदर्शित किया जाता है.। .
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प्रतिन्यूट्रॉन
प्रतिन्यूट्रॉन (Antineutron) न्यूट्रॉन का प्रतिकण है जिसका प्रतीक है। यह न्यूट्रॉन से केवल कुछ ही गुणों में मान समान एवं विपरित चिह्न के साथ रखता है। इसका द्रव्यमान न्यूट्रॉन के समान है और आवेश शून्य होने के कारण यह भी उदासीन होता है लेकिन बेरिऑन संख्या (न्यूट्रॉन के लिए +1, प्रतिन्यूट्रॉन के लिए −1) विपरीत होती है। इसका कारण प्रतिन्यूट्रॉन का प्रतिक्वार्क कणों से मिलकर बना होना है। विशेष रूप से यह एक अप प्रतिक्वार्क और दो डाउन प्रतिक्वार्कों से मिलकर बना कण है। चूँकि प्रतिनूट्रॉन विद्युतीय अनावेशित कण है, अतः इसे सीधे ही प्रेक्षित करना मुश्किल है। इसे प्रेक्षित करने के लिए इसका साधारण द्रव्य के साथ परिशून्यन करवाकर प्रेक्षित किया जाता है। सैद्धान्तिक भौतिकी के अनुसार एक प्रतिन्यूट्रॉन का क्षय प्रतिप्रोटोन, पोजीट्रॉन और न्यूट्रिनो में होता है जो मुक्त न्यूट्रॉन के बीटा क्षय के समान है। कुछ सैद्धान्तिक मतो के अनुसार न्यूट्रॉन-प्रतिन्यूट्रॉन दोलन भी पाये जते हैं जो केवल तब ही सम्भव है जब एक अज्ञात भौतिक प्रक्रिया (जिसका अभी तक आविष्कार नहीं हुआ और किसी भी प्रयोग में पायी नहीं गयी है) घटित हो जिसमें बेरिऑन संख्या संरक्षण के नियम का उल्लंघन हो। प्रतिन्यूट्रॉन का आविष्कार प्रतिप्रोटोन की खोज के एक वर्ष बाद 1956 में ब्रूस कॉर्क ने बेवाट्रॉन (लावरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेट्री) में प्रोटॉन.
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प्रतिप्रोटोन
प्रतिप्रोटोन, प्रोटॉन का प्रतिकण है। जिसे कभी-कभी (उच्चारण पी-बार) प्रोटॉन के प्रतिकण के रूप में जाना जाता है। प्रतिप्रोटोन स्थयी कण है लेकिन आम तौर पर किसी प्रोटॉन के साथ इसका विलोपन हो जाता है और निर्गत रूप में ऊर्जा प्राप्त होती है। .
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प्रबल अन्योन्य क्रिया
प्रबल अन्योन्य क्रिया (अक्सर प्रबल बल, प्रबल नाभिकीय बल और कलर अन्योन्य क्रिया के नाम से भी जाना जाता है) (Strong Interaction.) प्रकृति की चार मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं में से एक है, अन्य तीन अन्योन्य क्रियाएं गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया और दुर्बल अन्योन्य क्रिया हैं। नाभिकीय स्तर पर यह अन्योन्य क्रिया विद्यत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया से १०० गुना प्रबल है अतः दुर्बल व गुरुत्वीय अन्योन्य क्रियाओं से यह बहुत ज्यादा प्रबल है। इस अन्योन्य क्रिया को प्रोटोनों व न्यूट्रोनों के बन्धन बल के रूप में भी पहचाना जाता है। .
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प्रेरकत्व
विद्युतचुम्बकत्व एवं इलेक्ट्रॉनिक्स में, प्रेरकत्व (inductance) किसी विद्युत चालक का वह गुण है जिसके कारण इससे होकर प्रवाहित धारा के परिवर्तित होने पर इसके स्वयं सिरों पर तथा दूसरे चालकों के सिरों पर विद्युतवाहक बल उत्पन्न होता है। .
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फैराडे का विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का नियम
फैराडे का प्रयोग - तार की दो कुंडलियाँ देखिये। फैराडे का विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का नियम या अधिक प्रचलित नाम फैराडे का प्रेरण का नियम, विद्युतचुम्बकत्व का एक मौलिक नियम है। ट्रान्सफार्मरों, विद्युत जनित्रों आदि की कार्यप्रणाली इसी सिद्धान्त पर आधारित है। इस नियम के अनुसार, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त की खोज माइकल फैराडे ने सन् १८३१ में की, और जोसेफ हेनरी ने भी उसी वर्ष स्वतन्त्र रूप से इस सिद्धान्त की खोज की। फैराडे ने इस नियम को गणितीय रूप में निम्नवत् प्रस्तुत किया - जहाँ उत्पन्न विद्युतवाहक बल की दिशा के लिये लेंज का नियम लागू होता है। संक्षेप में लेंज का नियम यही कहता है कि उत्पन्न विद्युतवाहक बल की दिशा ऐसी होती है जो उत्पन्न करने वाले कारण का विरोध कर सके। उपरोक्त सूत्र में ऋण चिन्ह इसी बात का द्योतक है। .
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बल (भौतिकी)
बल अनेक प्रकार के होते हैं जैसे- गुरुत्वीय बल, विद्युत बल, चुम्बकीय बल, पेशीय बल (धकेलना/खींचना) आदि। भौतिकी में, बल एक सदिश राशि है जिससे किसी पिण्ड का वेग बदल सकता है। न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार, बल संवेग परिवर्तन की दर के अनुपाती है। बल से त्रिविम पिण्ड का विरूपण या घूर्णन भी हो सकता है, या दाब में बदलाव हो सकता है। जब बल से कोणीय वेग में बदलाव होता है, उसे बल आघूर्ण कहा जाता है। प्राचीन काल से लोग बल का अध्ययन कर रहे हैं। आर्किमिडीज़ और अरस्तू की कुछ धारणाएँ थीं जो न्यूटन ने सत्रहवी सदी में ग़लत साबित की। बीसवी सदी में अल्बर्ट आइंस्टीन ने उनके सापेक्षता सिद्धांत द्वारा बल की आधुनिक अवधारणा दी। प्रकृति में चार मूल बल ज्ञात हैं: गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत चुम्बकीय बल, प्रबल नाभकीय बल और दुर्बल नाभकीय बल। बल की गणितीय परिभाषा है: जहाँ \vec बल, \vec संवेग और t समय हैं। एक ज़्यादा सरल परिभाषा है: जहाँ m द्रव्यमान है और \vec त्वरण है। .
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बायो-सेवर्ट का नियम
बायो-सेवर का नियम (Biot–Savart law) विद्युतचुम्बकत्व के अन्तर्गत एक समीकरण है जो किसी विद्युतधारा द्वारा किसी बिन्दु पर उत्पादित चुम्बकीय क्षेत्र B का मान बताता है। सदिश राशि B धारा के परिमाण, दिशा, लम्बाई, एवं बिन्दू से दूरी पर निर्भर करती है। यह नियम स्थिरचुम्बकीय स्थिति में ही वैध है और इससे प्राप्त B का मान एम्पीयर का नियम तथा गाउस का नियम से प्राप्त चुम्बकीय क्षेत्र से मेल खाते हैं। यह नियम सन १८२० में प्रतिपादित किया गया था। .
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मैक्सवेल के समीकरण
जेम्स क्लार्क मैक्सवेल्ल् विद्युत्चुम्बकत्व के क्षेत्र में मैक्सवेल के समीकरण चार समीकरणों का एक समूह है जो वैद्युत क्षेत्र, चुम्बकीय क्षेत्र, वैद्युत आवेश, एवं विद्युत धारा के अन्तर्सम्बधों की गणितीय व्याख्या करते हैं। ये समीकरण सन १८६१ में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल के शोधपत्र में छपे थे, जिसका शीर्षक था - ऑन फिजिकल लाइन्स ऑफ फोर्स। मैक्सवेल के समीकरणों का आधुनिक स्वरूप निम्नवत है: उपरोक्त समीकरणों में लारेंज बल का नियम भी सम्मिलित कर लेने पर शास्त्रीय विद्युतचुम्बकत्व की सम्पूर्ण व्याख्या हो पाती है। .
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मीटर-किलोग्राम-सेकेण्ड पद्धति
मीटर-किलोग्राम-सेकेण्ड पद्धति (The MKS system) भौतिक इकाइयों की वह प्रणाली है जिसमें जिसमें किसी मापन को मीटर, किलोग्राम या/और सेकेण्ड का मूल मात्रकों के रूप में उपयोग करते हुए अभिव्यत किया जाता है। सन १९०१ में गिओवानि गिओर्गी (Giovanni Giorgi) ने एसोशिएशन एलेक्त्रोतेक्निका इटैलिआना (Associazione elettrotecnica italiana (AEI)) के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि इस प्रणाली को, विद्युतचुम्बकत्व से एक चौथी इकाई मिलाकर, अन्तरराष्ट्रीय प्रणाली के रूप में प्रयोग किया जाय। .
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यूनाइटेड किंगडम
वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैं: इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स. यह एक संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है जिसकी राजधानी लंदन में सरकार बैठती है, लेकिन इसमें तीन न्यागत राष्ट्रीय प्रशासन हैं, बेलफ़ास्ट, कार्डिफ़ और एडिनबर्ग, क्रमशः उत्तरी आयरलैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड की राजधानी.जर्सी और ग्वेर्नसे द्वीप समूह, जिन्हें सामूहिक रूप से चैनल द्वीप कहा जाता है और मैन द्वीप (आईल ऑफ मान), यू के की राजत्व निर्भरता हैं और UK का हिस्सा नहीं हैं। इसके इलावा, UK के चौदह समुद्रपार निर्भर क्षेत्र हैं, ब्रिटिश साम्राज्य, जो १९२२ में अपने चरम पर था, दुनिया के तकरीबन एक चौथाई क्षेत्रफ़ल को घेरता था और इतिहास का सबसे बड़ा साम्रज्य था। इसके पूर्व उपनिवेशों की भाषा, संस्कृति और कानूनी प्रणाली में ब्रिटिश प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है। प्रतीकत्मक सकल घरेलू उत्पाद द्वारा दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समानता के हिसाब से सातवाँ बड़ा देश होने के साथ ही, यूके एक विकसित देश है। यह दुनिया का पहला औद्योगिक देश था और 19वीं और 20वीं शताब्दियों के दौरान विश्व की अग्रणी शक्ति था, लेकिन दो विश्व युद्धों की आर्थिक लागत और 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में साम्राज्य के पतन ने वैश्विक मामलों में उसकी अग्रणी भूमिका को कम कर दिया फिर भी यूके अपने सुदृढ़ आर्थिक, सांस्कृतिक, सैन्य, वैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभाव के कारण एक प्रमुख शक्ति बना हुआ है। यह एक परमाणु शक्ति है और दुनिया में चौथी सर्वाधिक रक्षा खर्चा करने वाला देश है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट धारण करता है और राष्ट्र के राष्ट्रमंडल, जी8, OECD, नाटो और विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है। .
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रिले
relay maximam and minimum volts kitne ka hota ha चार अलग-अलग प्रकार के रिले रिले एक विद्युत स्विच या कुंजी है जो एक दूसरे विद्युत परिपथ के द्वारा खोली या बंद की जाती है जो कि मुख्य परिपथ से असम्बद्ध (आइसोलेटेड) होती है। रिले की एक या एक से अधिक कुंजियाँ एक विद्युत चुम्बक की सहायता से बंद या चालू होती हैं। रिले को भी एक सामान्यीकृत विद्युत प्रवर्धक (अम्प्लिफ़ायर) माना जा सकता है क्योंकि कम शक्ति वाले परिपथ की सहायता से एक अपेक्षाकृत अधिक शक्ति वाले परिपथ को नियंत्रित किया जाता है। कान्टैक्टर भी रिले के सिद्धांत पर ही काम करता है किन्तु प्राय: १५ अम्पीयर से अधिक धारा वाले कान्टेक्ट को बंद/चालू करने के लिए प्रयुक्त होता है। .
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शास्त्रीय विद्युत्चुम्बकत्व
शास्त्रीय विद्युत्चुम्बकत्व (Classical electromagnetism) सैद्धान्तिक भौतिकी की वह शाखा है जिसमें न्यूटनवादी भौतिकी के आधार पर विद्युत आवेशों (चार्ज) और विद्युत धाराओं (करंट) के एक-दूसरे के ऊपर हुए प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। यह आधुनिक विद्युत्चुम्बकत्व से ज़रा भिन्न है क्योंकि शास्त्रीय विद्युत्चुम्बकत्व में केवल क्वान्टम भौतिकी को पूरी तरह से नज़र-अंदाज़ किया जाता है। क्वान्टम प्रभावों को उपेक्षित करने के कारण शास्त्रीय विद्युत्चुम्बकत्व केवल बड़ी वस्तुओं और विद्युत धाराओं को ही समझने में सक्षम है। ऐसे बड़े पैमानों पर शास्त्रीय विद्युत्चुम्बकत्व से बहुत लाभ उठाया जा सकता है। .
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शैक्षणिक विषयों की सूची
यहाँ शैक्षणिक विषय (academic discipline) से मतलब ज्ञान की किसी शाखा से है जिसका अध्ययन महाविद्यालय स्तर या विश्वविद्यालय स्तर पर किया जाता है या जिन पर शोध कार्य किया जाता है। .
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हरकिमर हीरा
२X३.१ सें.मी. का हरकिमर हीरा हरकिमर हीरे दोहरे टर्माइटेड क्वार्ट्ज क्रिस्टलों को कहते हैं, जो देखने में एकदम असली हीरे जैसे लगते हैं। इनकी खोज सर्वप्रथम न्यू यॉर्क के हरकिमर काउण्टी स्थित लिटिल प्रपात एवं मोहॉक नदी घाटी से प्राप्त डोलोमाइट से हुई थी। १७०० के दशक के अंत में मोहॉक घाटी में इनकी बड़ी मात्रा प्राप्त हुई और तब ये बहुत प्रचलित हुए थे। भूगर्भशास्त्रियों ने हरकिमर काउंटी में इन्हें खुले में ही पाया और वहीं खोज व खनन आरंभ किया। यही से सबसे खास क्लीपर क्वार्ट्ज़ स्टोन भी सबसे पहले मिला था, वहीं से इनको अपना वर्तमान नाम भी मिला। ये खूबसूरत नगीने हूबहू हीरों की तरह लगते हैं, लेकिन असल में हैं ये क्वाट्र्ज ही। इसीलिए ‘ड्रीम स्टोन’ भी कहलाते हैं। कहीं-कहीं स्मोकी हरकिमर का प्रयोग इमारतों की बाहरी शोभा बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। मात्र सजावट के लिए नहीं, बल्कि विद्युतचुम्बकत्व या भौगोलिक प्रदूषण की मार से बचाने के लिए भी ये प्रयोग किया जाता है।|हिन्दुस्तान लाइव। १२ जनवरी २०१०। अमिताभ सिंह फेंग्शुई में भी हरकिमर का बखान आता है। इसके अनुसार हरकिमर को आसपास रखने से ऊर्जा को आवश्यकता की जगहों पर लगाने की समझ आती है। अपने शयन-कक्ष, अध्ययन कक्ष या कार्यालय के उत्तर पूर्व दिशा में हरकिमर रखने से ज्ञान और समझ ग्रहण करने हेतु ऊर्जा ग्रहण करने की गति तेज होती जाती है। मिडविले, न्यू यॉर्क से प्राप्त हरकिमर डायमंड, सिलिकॉन डाईऑक्साइड लोगों की मान्यता अनुसार इसके द्वारा सोच-विचार, ऊर्जा और संतुष्टि की गहरी भावना बढ़ने और फिर समाने लगती है। हरकिमर बेहतरीन हीलिंग स्टोन के रूप में भी प्रसिद्ध हुआ है। यह दैनिक जीवन की समस्याओं, दबाव यानी स्ट्रेस और तनाव को नियंत्रण में रखते हुए इनसे जुड़े रोगों से प्रतिरक्षा करता है। शारीरिक हानि होने से पूर्व ही लक्षणों को भांप कर, हरकिमर पहनने या संग-अंग रखने वाला सचेत होने लगता है। किसी भी राशि वालों को इसे पहनने की मनाही नहीं है। यह वृश्चिक, कर्क और सिंह राशियों का जन्म-रत्न है। गोल्डन हरकिमर लिंग बदलने वालों के लिए जबरदस्त सहायक स्टोन है। .
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हैड्रॉन
कण भौतिकी में, हैड्रॉन (hadron) एक मिश्रित कण है जो क्वार्कों से मिलकर बनता है। हैड्रॉन में क्वार्क तीव्र बलों द्वारा संयुक्त किये गये रहते हैं, वैसे ही जैसे अणु परस्पर विद्युतचुम्बकीय बलों के कारण आपस में जुड़े रहते हैं। .
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विचित्रता
कण भौतिकी में विचित्रता S कण का गुणधर्म है जिसे क्वान्टम संख्या के रूप उल्लिखित किया जाता है, जो प्रबल और वुद्युत चुम्बकीय अभिक्रियाओं, जो अतिअल्प कालावधि में घटित हो जाती हैं, में कणों के क्षय का वर्णन करने लिए काम में लिया जाता है। एक कण की विचित्रता निम्न प्रकार परिभाषित की जाती है: जहाँ n विचित्र क्वार्कों की संख्या को तथा n विचित्र प्रतिक्वार्कों की संख्या को निरूपित करता हि। पद विचित्र और विचित्रता क्वार्क के आविष्कार से पहले प्रेक्षित की गयी। .
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विद्युत धारा
आवेशों के प्रवाह की दिशा से धारा की दिशा निर्धारित होती है। विद्युत आवेश के गति या प्रवाह में होने पर उसे विद्युत धारा (इलेक्ट्रिक करेण्ट) कहते हैं। इसकी SI इकाई एम्पीयर है। एक कूलांम प्रति सेकेण्ड की दर से प्रवाहित विद्युत आवेश को एक एम्पीयर धारा कहेंगे। .
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विद्युत आवेश
विद्युत आवेश कुछ उपपरमाणवीय कणों में एक मूल गुण है जो विद्युतचुम्बकत्व का महत्व है। आवेशित पदार्थ को विद्युत क्षेत्र का असर पड़ता है और वह ख़ुद एक विद्युत क्षेत्र का स्रोत हो सकता है। आवेश पदार्थ का एक गुण है! पदार्थो को आपस में रगड़ दिया जाये तो उनमें परस्पर इलेक्ट्रोनों के आदान प्रदान के फलस्वरूप आकर्षण का गुण आ जाता है। .
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विद्युत इंजीनियरी का इतिहास
Blathy wattmeter विद्युत के संबन्ध में प्राचीन काल से ही कुछ काम हुए थे किन्तु इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास उन्नीसवीं शदी में ही आरम्भ हुआ। .
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विद्युत-चुम्बकीय-दुर्बल अन्योन्य क्रिया
कण भौतिकी में विद्युत-चुम्बकीय-दुर्बल अन्योन्य क्रिया प्रकृति की चार मूलभूत अन्योन्य क्रियाओं में से दो विद्युत-चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया और दुर्बल अन्योन्य क्रिया का एकीकृत रूप है। यद्यपि ये दोनों बल निम्न ऊर्जा क्षेत्र में बहुत अलग दिखाई देते हैं, सैद्धान्तिक रूप से इन भिन्न छवि के दो बलों की एक बल के रूप में प्रतिकृती करते हैं। एकीकरण पैमाने से उपर, 100 GeV कोटि पर, वो एक बल में परिणीत हो जाते हैं। मूलभूत कणों में विद्युत-चुम्बकीय व दुर्बल अन्योन्य क्रियाओं के एकीकरण में सहयोग के लिए सन् १९७९ में अब्दुस सलाम, शेल्डन ग्लास्हौ और स्टीवन वाईनबर्ग को भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विद्युत-चुम्बकीय-दुर्बल अन्योन्य क्रिया के अस्तित्व को प्रायोगिक रूप से दो स्तरों में प्रमाणित किया गया, प्रथम ई.सन् १९७३ में Gargamelle सहयोग द्वारा न्यूट्रिनो प्रकिर्णन द्वारा उदासीन धारा की खोज और द्वितीय १९८३ में यूए१ व यूए२ प्रयोगो ने सुपर प्रोटॉन सिंक्रोट्रॉन से प्राप्त प्रोटॉन प्रति-प्रोटॉन कीरण पूँज की टक्कर में W और Z आमान बोसोनों की का आविष्कार। .
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विद्युतशीलता
विद्युतचुम्बकत्व के सन्दर्भ में विद्युतशीलता (permittivity) किसी पदार्थ का वह गुण है जो उस पदार्थ में विद्युत क्षेत्र उत्पन्न किये जाने पर उस पदार्थ द्वारा प्रदर्शित 'विरोध' की माप बताता है। किसी पदार्थ की विद्युतशीलता को निर्वात की विद्युतशीलता से भाग करने पर जो संख्या प्राप्त होती है उसे आपेक्षिक विद्युतशीलता (relative permittivity) या परावैद्युतांक (dielectric constant) कहते हैं। .
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विस्थापन धारा
संधारित्र में धारा का सातत्य: संधारित्र के बाहर वास्तविक धारा बहती है और उसके प्लेटों के बीच विस्थापन धारा विद्युतचुम्बकत्व में विद्युत विस्थापन क्षेत्र (D) के परिवर्तन की दर को विस्थापन धारा (displacement current) के रूप में परिभाषित किया गया है। विस्थापन धारा, मैक्सवेल के समीकरणों में आती है। विस्थापन धारा और विद्युत धारा घनत्व का मात्रक समान है। जिस प्रकार विद्युत धारा के संगत एक चुम्बकीय क्षेत्र मौजूद होता है, उसी प्रकार विस्थापन धारा के संगत भी एक चुम्बकीय क्षेत्र का अस्तित्व होता है। किन्तु विस्थापन धारा, गतिमान आवेशों की धारा नहीं है बल्कि समय के साथ परिवर्तनशील विद्युत क्षेत्र के कारण उत्पन्न होती है। श्रेणी:विद्युत चुम्बकत्व.
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वैद्युत प्रवृत्ति
विद्युतचुम्बकत्व के सन्दर्भ में, किसी परवैद्युत पदार्थ की वैद्युत प्रवृत्ति (electric susceptibility / संकेत \chi_) एक विमारहित राशि है जो यह दर्शाती है कि किसी वाह्य वैद्युत क्षेत्र में रखने पर वह पदार्थ कितना अधिक ध्रुवित होगा। वैद्युत प्रवृत्ति जितनी अधिक होगी, वाह्य विद्युत क्षेत्र लगाने पर वह पदार्थ उतना अधिक ध्रुवित होगा तथा वह्य विद्युत क्षेत्र और उस पदार्थ के अन्दर के वैद्युत क्षेत्र का अन्तर उतना ही कम होगा। निर्वात की वैद्युत प्रवृत्ति शून्य (0) होती है। .
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गणित
पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .
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गणितीय भौतिकी
गणितीय भौतिकी (Mathematical physics) भौतिकी की समस्याओं के समाधान के लिये गणितीय विधियों के विकास से संबन्धित है। 'गणितीय भौतिकी पत्रिका' (Journal of Mathematical Physics) इस विषय इस तरह परिभाषित करती है- .
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आन्द्रे मैरी एम्पीयर
आन्द्रे मैरी एम्पीयर आन्द्रे मैरी एम्पीयर (२० जनवरी १७७५ - १० जून १८३६) फ्रांस के भौतिकशास्त्री थे। उन्होने विद्युतचुंबकत्व से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम का प्रतिपादन किया जिसे 'एम्पीयर का नियम' कहते हैं। विद्युत धारा की इकाई एम्पीयर उनके ही नाम पर है। श्रेणी:1775 में जन्मे लोग श्रेणी:भौतिक विज्ञानी श्रेणी:१८३६ में निधन.
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आवेश घनत्व
विद्युतचुम्बकत्व में,.
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कणों की सूची
यह सूची भिन्न प्रकार के उन सभी कणों की है जो ज्ञात हैं अथवा उनकी उपस्थिति सैद्धान्तिक रूप से दी गई है और यह माना जाता है कि पूरा ब्रह्माण्ड इन्हीं कणों से बना हुआ है। विभिन्न प्रकार के विशिष्ट कणों की सूची के लिए नीचे दिये गए विभिन्न पृष्ठों को देखें। .
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काल्पनिक संख्या
एक काल्पनिक संख्या एक संख्या है जिसे वास्तविक संख्या को काल्पनिक इकाई i गुणा के रूप में लिखा जाता है, जो इसके गुण्धर्म i^2.
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क्वार्क
प्रोटॉन क्वार्क एक प्राथमिक कण है तथा यह पदार्थ का मूल घटक है। क्वार्क एकजुट होकर सम्मिश्र कण हेड्रॉन बनाते है, परमाणु नाभिक के मुख्य अवयव प्रोटॉन व न्यूट्रॉन इनमें से सर्वाधिक स्थिर हैं। नैसर्गिक घटना रंग बंधन के कारण, क्वार्क ना कभी सीधे प्रेक्षित हुआ या एकांत में पाया गया; वे केवल हेड्रॉनों के भीतर पाये जा सकते है, जैसे कि बेरिऑनों (उदाहरणार्थ: प्रोटान और न्यूट्रान) और मेसॉनों के रूप में। क्वार्क के अनेक आंतरिक गुण है, जिनमे विद्युत आवेश, द्रव्यमान, रंग आवेश और स्पिन सम्मिलित है। कण भौतिकी के मानक मॉडल में क्वार्क एकमात्र प्राथमिक कण है जो सभी चार मूलभूत अंतःक्रिया या मौलिक बलों (विद्युत चुंबकत्व, गुरुत्वाकर्षण, प्रबल अंतःक्रिया और दुर्बल अंतःक्रिया) को महसूस करता है, साथ ही यह मात्र ज्ञात कण है जिसका विद्युत आवेश प्राथमिक आवेश का पूर्णांक गुणनफल नहीं है। क्वार्क के छह प्रकार है, जो जाने जाते है फ्लेवर से: अप, डाउन, स्ट्रेन्ज, चार्म, टॉप और बॉटम। अप व डाउन क्वार्क के द्रव्यमान सभी क्वार्को में सबसे कम है। अपेक्षाकृत भारी क्वार्क कणिका क्षय की प्रक्रिया के माध्यम से तीव्रता से अप व डाउन क्वार्क में बदल जाते हैं। कणिका क्षय, एक उच्च द्रव्य अवस्था का एक निम्न द्रव्य अवस्था में परिवर्तन है। इस वजह से, अप व डाउन क्वार्क आम तौर पर स्थिर होते है और ब्रह्मांड में सबसे आम हैं, वहीं स्ट्रेन्ज, चार्म, बॉटम और टॉप क्वार्क केवल उच्च ऊर्जा टक्करों में उत्पन्न किए जा सकते है। हर क्वार्क फ्लेवर के प्रतिकण होते है जिनके परिमाण तो क्वार्क के बराबर होते है परंतु चिन्ह विपरीत रखते है तथा यह एंटीक्वार्क के रूप में जाने जाते है। क्वार्क मॉडल स्वतंत्र रूप से भौतिकविदों मरे गेल-मन और जॉर्ज वाइग द्वारा 1964 में प्रस्तावित किया गया था। क्वार्क हेड्रॉनों के अंग के रूप में पेश किए गए थे। 1968 में स्टैनफोर्ड रैखिक त्वरक केंद्र पर प्रयोग होने तक उनके भौतिक अस्तित्व के बहुत कम प्रमाण थे। त्वरक प्रयोगों ने सभी छह फ्लेवरों के लिए प्रमाण प्रदान किए। टॉप क्वार्क सबसे अंत में फर्मीलैब पर 1995 में खोजा गया। .
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कूलॉम-नियम
कूलॉम्ब के नियम की मूल संकल्पना को समझाने वाला चित्र कूलॉम-नियम (Coulomb's law) विद्युत आवेशों के बीच लगने वाले स्थिरविद्युत बल के बारे में एक नियम है जिसे कूलम्ब नामक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने १७८० के दशक में प्रतिपादित किया था। यह नियम विद्युतचुम्बकत्व के सिद्धान्त के विकास के लिये आधार का काम किया। यह नियम अदिश रूप में या सदिश रूप में व्यक्त किया जा सकता है। अदिश रूप में यह नियम निम्नलिखित रूप में है- .
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अनुप्रयुक्त विज्ञान
विज्ञान की वे शाखायें जो पहले से विद्यमान वैज्ञानिक ज्ञान का का उपयोग और अधिक व्यावहारिक कार्यों (जैसे प्रौद्योगिकी, अनुसंधान आदि) के सम्पादन के लिये करतीं हैं, उन्हें अनुप्रयुक्त विज्ञान (applied science) कहते हैं। 'शुद्ध विज्ञान', अनुप्रयुक्त विज्ञान का उल्टा है जो प्रकृति की परिघटनाओं की व्याख्या करने एवं उनका पूर्वानुमान लगाने आदि का कार्य करता इंजीनीयरिंग (अभियांत्रिकी) की विद्या अनुप्रयुक्त विज्ञान है। अनुप्रयुक्त विज्ञान टेक्नोलोजी विकास के लिये महत्वपूर्ण्ण है। औद्योगिक क्षेत्र में इसे 'अनुसंधान और विकास' (R&D) कहते हैं। .
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अभिवाह
अभिवाह या फ्लक्स (flux) की अवधारणा का भौतिकी व व्यावहारिक गणित में कई तरह से उपयोग होता है। मोटे तौर पर, किसी स्थान, सतह या अन्य पदार्थ को पार करने वाली किसी पदार्थ, क्षेत्र (फिल्ड) आदि की मात्रा को अभिवाह कहते हैं। विद्युतचुम्बकत्व में विद्युत अभिवाह और चुम्बकीय अभिवह बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी संकल्पनाएँ हैं। किसी क्षेत्र A के प्रत्येक बिन्दु पर क्षेत्र का मान F (नियत) हो तो उस क्षेत्र A से निकलने वाला अभिवाह ध्यान रहे कि यह प्रवाह से सम्बन्धित लेकिन भिन्न होता है - फ्लक्स वह मात्रा है जो किसी सतह को भेद रही है और इसमें बहाव आवश्यक नहीं है (यानि परिवहन परिघटना के विपरीत कोई चुम्बकत्व जैसी स्थाई परिघटना भी हो सकती है), जबकि प्रवाह में किसी प्रकार के भौतिक बहाव का होना आवश्यक है। .
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अंतरिक्ष विज्ञान
गैलेक्सी के एक भाग को प्रदर्शित करता हुआ एक तस्वीर अंतरिक्ष विज्ञान एक व्यापक शब्द है जो ब्रह्मांड के अध्ययन से जुड़े विभिन्न विज्ञान क्षेत्रों का वर्णन करता है तथा सामान्य तौर पर इसका अर्थ "पृथ्वी के अतिरिक्त" तथा "पृथ्वी के वातावरण से बाहर" भी है। मूलतः, इन सभी क्षेत्रों को खगोल विज्ञान का हिस्सा माना गया था। हालांकि, हाल के वर्षों में खगोल के कुछ क्षेत्रों, जैसे कि खगोल भौतिकी, का इतना विस्तार हुआ है कि अब इन्हें अपनी तरह का एक अलग क्षेत्र माना जाता है। कुल मिला कर आठ श्रेणियाँ हैं, जिनका वर्णन अलग से किया जा सकता है; खगोल भौतिकी, गैलेक्सी विज्ञान, तारकीय विज्ञान, पृथ्वी से असंबंधित ग्रह विज्ञान, अन्य ग्रहों का जीव विज्ञान, एस्ट्रोनॉटिक्स/ अंतरिक्ष यात्रा, अंतरिक्ष औपनिवेशीकरण और अंतरिक्ष रक्षा.
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यहां पुनर्निर्देश करता है:
विद्युत तथा चुम्बकत्व, विद्युत चुम्बकीय बल, विद्युतचुम्बकत्व, विद्युतचुम्बकीय बल, विद्युतचुंबकत्व, वैद्युत चुंबकत्व, वैद्युतचुम्बकत्व।