सामग्री की तालिका
48 संबंधों: ऊर्जा, चुम्बक, चुम्बकीय क्रोड, चुम्बकीय क्षेत्र, टोयोटा प्रियस, एबीबी एसिया ब्राउन बॉवेरी, डायनेमो, डीजल रेल-इंजन, तुल्यकालिक मोटर, तीन फेज विद्युत शक्ति, पराश्रव्य मोटर, पर्यावरण प्रौद्योगिकी, पश्चिमी संस्कृति, प्रत्यावर्ती धारा मोटर, प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर, पेंचकस, ब्रेक, भँवर धारा, माइकल फैराडे, यूनाइटेड किंगडम, रोटर (विद्युत), रोबॉटिक्स, लघु परिपथ, लौहचुम्बकत्व, शक्ति इंजीनियरी, शक्तिचालित औजार, सिलिकन इस्पात, हावरक्राफ्ट, हाइब्रिड वाहन, जेनरेटर, विद्युत मशीन, विद्युत शक्ति प्रणाली, विद्युत कर्षण, विद्युत अभियान्त्रिकी, विद्युत-मापी, विद्युतचालित सायकिल, वैक्युम क्लीनर, आरएमएस क्वीन मैरी 2, आविष्कार और आविष्कारक, इलेक्ट्रिक कार (विद्युत् कार), इलेक्ट्रॉनिक अवयव, इंजन, इंजन स्टार्टर, कर्षण मोटर, कार्ट रेसिंग, अन्तर्वाह धारा, अश्व शक्ति, उत्थापक।
ऊर्जा
दीप्तिमान (प्रकाश) ऊर्जा छोड़ता हैं। भौतिकी में, ऊर्जा वस्तुओं का एक गुण है, जो अन्य वस्तुओं को स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में रूपांतरित किया जा सकता हैं। किसी भी कार्यकर्ता के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा (Energy) कहते हैं। ऊँचाई से गिरते हुए जल में ऊर्जा है क्योंकि उससे एक पहिये को घुमाया जा सकता है जिससे बिजली पैदा की जा सकती है। ऊर्जा की सरल परिभाषा देना कठिन है। ऊर्जा वस्तु नहीं है। इसको हम देख नहीं सकते, यह कोई जगह नहीं घेरती, न इसकी कोई छाया ही पड़ती है। संक्षेप में, अन्य वस्तुओं की भाँति यह द्रव्य नहीं है, यद्यापि बहुधा द्रव्य से इसका घनिष्ठ संबंध रहता है। फिर भी इसका अस्तित्व उतना ही वास्तविक है जितना किसी अन्य वस्तु का और इस कारण कि किसी पिंड समुदाय में, जिसके ऊपर किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं रहता, इसकी मात्रा में कमी बेशी नहीं होती। .
देखें विद्युत मोटर और ऊर्जा
चुम्बक
एक छड़ चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित हुई लौह-धुरि (iron-filings) एक परिनालिका (सॉलिनॉयड) द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय बल रेखाएँ फेराइट चुम्बक चुम्बक (मैग्नेट्) वह पदार्थ या वस्तु है जो चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। चुम्बकीय क्षेत्र अदृश्य होता है और चुम्बक का प्रमुख गुण - आस-पास की चुम्बकीय पदार्थों को अपनी ओर खींचने एवं दूसरे चुम्बकों को आकर्षित या प्रतिकर्षित करने का गुण, इसी के कारण होता है। .
देखें विद्युत मोटर और चुम्बक
चुम्बकीय क्रोड
चुम्बकीय क्रोड (magnetic core) उच्च पारगम्यता वाले पदार्थ होते हैं जिनका उपयोग चुम्बकीय क्षेत्र को परिरुद्ध (confine) करने एवं उसका मार्ग निर्धारित करने के लिये किया जाता है। चुम्बकीय क्रोड का उपयोग विद्युतचुम्बक, ट्रान्सफॉर्मर, विद्युत मोटर, विद्युत जनित्र, प्रेरक (इण्डक्टर), उपकरणों आदि में होता है। .
देखें विद्युत मोटर और चुम्बकीय क्रोड
चुम्बकीय क्षेत्र
किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा '''I''', उस चालक के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र '''B''' उत्पन्न करती है। चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धाराओं और चुंबकीय सामग्री का चुंबकीय प्रभाव है। किसी भी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र दोनों, दिशा और परिमाण (या शक्ति) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है; इसलिये यह एक सदिश क्षेत्र है। चुंबकीय क्षेत्र घूमते विद्युत आवेश और मूलकण के आंतरिक चुंबकीय क्षणों द्वारा उत्पादित होता हैं जो एक प्रमात्रा गुण के साथ जुड़ा होता है। 'चुम्बकीय क्षेत्र' शब्द का प्रयोग दो क्षेत्रों के लिये किया जाता है जिनका आपस में निकट सम्बन्ध है, किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। इन दो क्षेत्रों को तथा, द्वारा निरूपित किया जाता है। की ईकाई अम्पीयर प्रति मीटर (संकेत: A·m−1 or A/m) है और की ईकाई टेस्ला (प्रतीक: T) है। चुम्बकीय क्षेत्र दो प्रकार से उत्पन्न (स्थापित) किया जा सकता है- (१) गतिमान आवेशों के द्वारा (अर्थात, विद्युत धारा के द्वारा) तथा (२) मूलभूत कणों में निहित चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा विशिष्ट आपेक्षिकता में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र दो रूपों में देखने को मिलता है, (१) स्थायी चुम्बकों द्वारा लोहा, कोबाल्ट आदि से निर्मित वस्तुओं पर लगने वाला बल, तथा (२) मोटर आदि में उत्पन्न बलाघूर्ण जिससे मोटर घूमती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों का बहुतायत में उपयोग होता है (विशेषतः वैद्युत इंजीनियरी तथा विद्युतचुम्बकत्व में)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, चुम्बकीय सुई के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र में चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग होता है। .
देखें विद्युत मोटर और चुम्बकीय क्षेत्र
टोयोटा प्रियस
टोयोटा प्रियस (टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन द्वारा विकसित और विनिर्मित एक पूर्ण संकर बिजली (हाइब्रिड इलेक्ट्रिक) से चलने वाली मध्यम आकार की कार है। संयुक्त राज्य अमेरिका पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के अनुसार प्रियस वर्तमान समय में संयुक्त राज्य अमेरिका में बेंची जाने वाली सबसे अधिक ईंधन किफायती पेट्रोल कार है। ईपीए (EPA) और कैलिफोर्निया वायु संसाधन बोर्ड (सीएआरबी) (CARB) ने भी धुंध बनाने और विषाक्त उत्सर्जन के आधार पर प्रियस को संयुक्त राज्य अमेरिका में बेंचे जाने वाले सबसे साफ वाहनों में स्थान दिया है। प्रियस सबसे पहले 1997 में जापान में बेंची गई, जिसने इसे पहली बार बड़े पैमाने पर उत्पादित संकर (हाइब्रिड) वाहन बना दिया। बाद में इसे 2001 में दुनिया भर में प्रस्तुत किया गया था। जापान और उत्तर अमेरिका के अपने सबसे बड़े बाजारों के साथ, प्रियस 70 से अधिक देशों और क्षेत्रों में बेची जाती है। मई 2008 में, दुनिया भर में प्रियस की कुल बिक्री 1000000 वाहन के निशान तक पहुंच गई, और सितम्बर 2010 में, दुनिया भर में प्रियस की कुल बिक्री 2.0 मिलियन इकाइयों तक पहुंच गई। दिसंबर 2009 तक दर्ज 814,173 इकाइयों के साथ अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है।कुल दिसंबर 2009 तक अमेरिका में पंजीकृत बिजली के संकर वाहनों की संख्या 1,614,761 है, जिनमें से 122755 को फोर्ड द्वारा निर्मित किया गया वर्ष द्वारा एक मॉडल के लिए विस्तृत विवरण के लिए एक्सेल फ़ाइल को (क्लिक करें और खोलें)' .
देखें विद्युत मोटर और टोयोटा प्रियस
एबीबी एसिया ब्राउन बॉवेरी
ए॰बी॰बी, पूरा नाम ए॰एस॰ई॰ए ब्राउन बॉवेरी, मुख्यतः ऊर्जा और स्वचालन के क्षेत्रों में काम करने वाला एक स्विस-स्वीडिश बहुराष्ट्रीय निगम है। इसका मुख्यालय ज़्यूरिख़, स्विटज़रलैंड में है। एबीबी दुनिया की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग कंपनियों तथा सबसे बड़ी सामूहिक कंपनियों में से एक है। एबीबी विश्व के लगभग 100 देशों में कार्यरत है और इसमें तकरीबन 117,000 कर्मचारियों काम करते हैं। एबीबी ज़्यूरिक के सिक्स स्विस एक्सचेंज में, स्वीडेन के स्टॉकहोम स्टॉक एक्सचेंज में, तथा अमेरिका के न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है। .
देखें विद्युत मोटर और एबीबी एसिया ब्राउन बॉवेरी
डायनेमो
"डायनेमो इलेक्ट्रिक मशीन" (अंतिम दृश्य, आंशिक रूप से भाग, 1) एक डायनेमो (ग्रीक शब्द डायनामिस से व्युत्पन्न हुआ है; इसका अर्थ है पावर या शक्ति), मूल रूप से विद्युत जनरेटर का दूसरा नाम है। आमतौर पर इसका तात्पर्य एक जनरेटर या जनित्र से होता है जो कम्यूटेटर के उपयोग से दिष्ट धारा (direct current) उत्पन्न करता है। डायनेमो पहले विद्युत जनरेटर थे जो उद्योग के लिए विद्युत शक्ति के उत्पादन में सक्षम थे। डायनेमो के सिद्धांत के आधार पर ही बाद में कई अन्य विद्युत उत्पादन करने वाले रूपांतरक उपकरणों का विकास हुआ, जिसमें विद्युत मोटर, प्रत्यावर्ती धारा जनित्र और रोटरी कन्वर्टर शामिल हैं। वर्तमान समय में विद्युत उत्पादन के लिए इनका उपयोग कभी कभी ही किया जाता है, क्योंकि आज प्रत्यावर्ती धारा का प्रभुत्व बढ़ गया है, कम्यूटेटर उतना लाभकारी नहीं रहा और ठोस अवस्था विधियों का उपयोग करके प्रत्यावर्ती धारा (alternating current) को आसानी से दिष्ट धारा में रूपान्तरित किया जा सकता है। आज भी किसी-किसी स्थिति में 'डायनेमो' शब्द का उपयोग जनरेटर के लिए कई स्थानों पर किया जाता है। एक छोटा विद्युत जनरेटर, जिसे रोशनी पैदा करने के लिए साइकल के पहिये के हब में बनाया जाता है, 'हब डायनेमो' कहलाता है, हालांकि ये हमेशा प्रत्यावर्ती धारा उपकरण होते हैं। .
देखें विद्युत मोटर और डायनेमो
डीजल रेल-इंजन
जर्मनी का एक डीजल रेल-इंजन डीजल रेल-इंजन (diesel locomotive) का मुख्य गतिकारक (मूवर), डीजल इंजन होता है। अनेक प्रकार के डीजल रेल-इंजन विकसित किए गये हैं, जिनमें आपस में मुख्य अन्तर यह होता है कि अन्ततः इअंजन मे पहियों को यांत्रिक शक्ति किस विधि से दी जाती है। उदाहरण के लिए आजकल के डिजल रेल-इंजनों में जो डीजल-इंजन होता है उससे एक विद्युत जनित्र चलाया जाता है जिससे प्राप्त विद्युत एक विद्युत मोटर को चलाती है और उससे पहिए घुमाए जाते हैं। .
देखें विद्युत मोटर और डीजल रेल-इंजन
तुल्यकालिक मोटर
त्रिफेजी तुल्यकालिक मोटर के रोटर का घूमना: स्टेटर में एक घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र बनता है जो तीनों वाइण्डिग्स के द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के योग के बराबर होता है। त्रिफेजी तुल्यकालिक मोटर का टॉर्क-स्पीड वक्र त्रिफेजी तुल्यकालिक मोटर के रोटर का घूमना: स्टेटर में एक घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र बनता है जो तीनों वाइण्डिग्स के द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के योग के बराबर होता है। त्रिफेजी तुल्यकालिक मोटर का टॉर्क-स्पीड वक्र तुल्यकालिक मोटर या सिन्क्रोनस मोटर प्रत्यावर्ती धारा से चलने वाली विद्युत मोटर है। इसका नाम तुल्याकालिका मोटर या सिन्क्रोनस मोटर इस कारण है क्योंकि इसके रोटर की घूर्णन गति ठीक-ठीक उतनी ही होती है जितनी स्टेटर में निर्मित घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र (rotating magnetic field) की गति होती है। इस मोटर का उपयोग प्रायः किसी लोड को घुमाने में नहीं किया जाता बल्कि शक्ति गुणांक को सुधारने में किया जाता है। विशेष स्थितियों में इसका उपयोग लोड चलाने में भी किया जाता है। सिन्क्रोनस चाल, जहाँ.
देखें विद्युत मोटर और तुल्यकालिक मोटर
तीन फेज विद्युत शक्ति
सामान आवृत्ति तथा सामान आयाम वाले तीन प्रत्यावर्ती वोल्टताओं का समय के साथ परिवर्तन का आरेख एक सरल तीन-फेजी जनित्र का व्यवस्था चित्र तीन फेजी विद्युत शक्ति (Three-phase electric power) वर्तमान समय में प्रत्यावर्ती धारा के उत्पादन, संचारण तथा वितरण एवं उपयोग की सबसे लोकप्रिय विधि है। यह एक प्रकार की बहुफेजी प्रणाली (polyphase system) है। तीन फेजी शक्ति के अनेक लाभ हैं। इसका प्रचलन और पैटेन्ट सर्वप्रथम निकोला टेसला द्वारा सन १८८७-१८८८ में किया गया था। .
देखें विद्युत मोटर और तीन फेज विद्युत शक्ति
पराश्रव्य मोटर
पराश्रव्य मोटर की कार्यविधि पराश्रव्य मोटर (ultrasonic motor) एक प्रकार की विद्युत मोटर है जो इसके एक अवयव के पराश्रव्य कंपन से शक्ति प्राप्त करके चलती है। .
देखें विद्युत मोटर और पराश्रव्य मोटर
पर्यावरण प्रौद्योगिकी
पर्यावरण प्रौद्योगिकी (ऍनवायरोटेक के रूप में संक्षेपित) या हरित प्रौद्योगिकी (ग्रीनटेक के रूप में संक्षेपित) या स्वच्छ प्रौद्योगिकी (क्लीनटेक के रूप में संक्षेपित) प्राकृतिक पर्यावरण और संसधानों के संरक्षण और मानव हस्तक्षेप के फलस्वरूप हुए नकारात्मक प्रभावों को रोकने हेतु पर्यावरणीय विज्ञान का एक अनुप्रयोग है। सतत विकास ही पर्यावरणीय प्रौद्योगिकी का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। .
देखें विद्युत मोटर और पर्यावरण प्रौद्योगिकी
पश्चिमी संस्कृति
पश्चिमी संस्कृति (जिसे कभी-कभी पश्चिमी सभ्यता या यूरोपीय सभ्यता के समान माना जाता है), यूरोपीय मूल की संस्कृतियों को सन्दर्भित करती है। यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर यूरोपीय साम्राज्यों द्वारा इसका वैश्वीकरण हुआ। दर्शन, मध्ययुगीन मतवाद एवं रहस्यवाद, ईसाई एवं धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद की एक जटिल श्रृंखला के साथ यूरोपीय संस्कृति का विकास हुआ। ज्ञानोदय, प्रकृतिवाद, स्वच्छंदतावाद (रोमेन्टिसिज्म), विज्ञान, लोकतंत्र और समाजवाद के प्रयोगों के साथ परिवर्तन एवं निर्माण के एक लंबे युग के माध्यम से तर्कसंगत विचारधारा विकसित हुई.
देखें विद्युत मोटर और पश्चिमी संस्कृति
प्रत्यावर्ती धारा मोटर
प्रत्यावर्ती धारा से चलने वाली मोटरों को प्रत्यावर्ती धारा मोतर (AC motor) कहते हैं। प्रेरण मोटर और तुल्यकालिक मोटर आदि प्रमुख ए सी मोटरें हैं। .
देखें विद्युत मोटर और प्रत्यावर्ती धारा मोटर
प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर
PLC और निवेश/निर्गम व्यवस्था प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर (PLC) या प्रोग्राम कंट्रोलर एक डिजिटल कंप्यूटर है जो विद्युत-यांत्रिक प्रक्रिया को स्वचालित बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह फैक्टरी समायोजन लाइन पर मशीनरी के नियंत्रण, मनोरंजन सवारीयों, या प्रकाश स्थिरता आदि विद्युतयांत्रिक प्रक्रमों के स्वचालन में काम मेंलिया जा सकता है। PLC कई उद्योगों और मशीनों में इस्तेमाल किया जाता है। सामान्य कंप्यूटर के विपरीत, PLC एकाधिक निवेश और निर्गम व्यवस्था, विस्तृत तापमान श्रृंखला, बिजली के शोर से उन्मुक्ति के लिए और कम्पन और प्रभाव के प्रतिरोध के लिए डिजाइन किया गया होता है। मशीन ऑपरेशन नियंत्रित करने वाले प्रोग्राम आमतौर पर बैटरी-समर्थित या स्थिर मैमोरी में जमा किये जाते हैं। एक PLC वास्तविक समयसिस्टम का एक उदहारण है क्यूंकि निर्गम परिणाम निवेश शर्तों के जवाब में एक समय सीमा में प्रस्तुत किये जाने चाहिए अन्यथा परिणाम अनियमित ऑपरेशन होगा। .
देखें विद्युत मोटर और प्रोग्रैमेबल लाजिक कंट्रोलर
पेंचकस
एक साधारण पेंचकस विभिन्न प्रकर के पेंचकस पेंचकस की 'सेक्योर' नोंकें पेंचकस (screwdriver) वह औजार है जिसकी सहायता से पेंच (स्क्रू) घुसाये या कसे (टाइट किये) जाते हैं। पेंचकस में एक शीर्ष या अग्र होता है जो बलाघूर्ण लगा कर पेंच को घुमाता या कसता है | आमतौर पर एक हस्त पेंचकस का एक बेलनाकार हत्था होता है, जिसका आकार और माप हाथ से पकड़ने हेतु उपयुक्त हो | साथ ही एक अक्षीय कूपक (shaft) हत्थे से जुड़ा होता है, जिसका शीर्ष किसी विशेष पेंच के ही उपयुक्त होता है | हत्था और कूपक पेंचकस को सहारा देते हैं और घुमाते समय बलाघूर्ण प्रदान करते हैं | पेंचकस विभिन्न आकारों में बनाये जाते हैं एवं इसके शीर्ष को हाथ से, विद्युत मोटर से या किसी अन्य मोटर की सहायता से घुमाया जा सकता है | .
देखें विद्युत मोटर और पेंचकस
ब्रेक
मोटरसायकिल के अगले पहिये में लगा '''डिस्क ब्रेक''' गति और त्वरण का अवरोध करने के लिए मुख्य यंत्र के साथ जो उपयंत्र लगाया जाता है, उसे ही रोधक या ब्रेक (Brake) कहते हैं। यंत्रविद्या में प्राकृतिक शक्तियों को नियोजित कर, इच्छित प्रकार की गति और त्वरण प्राप्त कर, उससे उपयोगी काम लेने से भी अधिक महत्व का काम इच्छित समय पर उचित प्रकार से उनकी गति और त्वरण का अवरोध करना है। सही काम करने की दृष्टि से और राजकीय नियमों के अनुसार सुरक्षा की दृष्टि से भी, प्रत्येक चलनेवाले यंत्र के साथ ब्रेक का होना आवश्यक है। .
देखें विद्युत मोटर और ब्रेक
भँवर धारा
ट्रान्सफार्मर के कोर में फ्ल्क्स और भँवर धारा; भँवरधारा के कारण ऊर्जा-ह्रास को रोकने के लिए कोर को पतली-पतली पट्टियों से बनाया जाता है। किसी चालक के भीतर परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र होने पर उसमें विद्युत धारा उत्पन्न होती है उसे भँवर धारा (Eddy current) कहते हैं। धारा की ये भवरें चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करती हैं और यह चुम्बकीय बाहर से आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन का विरोध करता है। भँवर धाराओं से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र आकर्षण, प्रतिकर्षण, ऊष्मन आदि प्रभाव उत्पन्न करता है। बाहर से आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र जितना ही तीव्र होगा और उसके परिवर्तन की गति जितनी अधिक होगी और पदार्थ की विद्युत चालकता जितनी अधिक होगी, उतनी ही अधिक मात्रा में भँवर धाराएँ उत्पन्न होंगी तथा उनके कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान भी उतना ही अधिक होगा। परिणामित्र (ट्रांसफॉर्मर), विद्युत जनित्र एवं विद्युत मोटरों के कोर में भँवर धाराओं के कारण ऊर्जा की हानि होती है और इसके कारण क्रोड गर्म होती है। कोर में भँवरधारा हानि कम करने के लिए क्रोड को पट्टयित (लैमिनेटेड) बनाया जाता है, अर्थात पतली-पतली पट्टियों को मिलाकर कोर बनाई जाती है, न कि एक ठोस कोर (सॉलिड कोर) से। .
देखें विद्युत मोटर और भँवर धारा
माइकल फैराडे
माइकल फैराडे माइकेल फैराडे, अंग्रेज भौतिक विज्ञानी एवं रसायनज्ञ थे। उन्होने विद्युत-धारा के चुम्बकीय प्रभाव का आविष्कार किया। उसने विद्युतचुम्बकीय प्रेरण का अध्ययन करके उसको नियमवद्ध किया। इससे डायनेमों तथा विद्युत मोटर का निर्माण हुआ। बाद में मैक्सवेल Maxwell के विद्युतचुम्बकत्व के चार समीकरणों में फैराडे का यह नियम भी सम्मिलित हुआ। फैराडे ने विद्युत रसायन पर भी बहुत काम किया और इससे सम्बन्धित अपने दो नियम दिये। उन्होंने रुडोल्फ डिजल सहित डिजल-चलित बिजली उत्पादक का आविष्कार किया था। .
देखें विद्युत मोटर और माइकल फैराडे
यूनाइटेड किंगडम
वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैं: इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स.
देखें विद्युत मोटर और यूनाइटेड किंगडम
रोटर (विद्युत)
विद्युत मोटर, विद्युत जनित्र, अल्टरनेटर आदि विद्युतचुम्बकीय मशीनों के घुर्णन करने (घूमने) वाले भाग को रोटर (rotor) कहते हैं। Staff.
देखें विद्युत मोटर और रोटर (विद्युत)
रोबॉटिक्स
बल्ब पकडे हुऐ रोबॉटी 'शैडो हैंड'रोबॉटिक्स रोबॉट की अभिकल्पना, निर्माण और अभिप्रयोग के विज्ञान और तकनीकों को कहते हैं। इस क्षेत्र में कार्य करने के लिये इलेक्ट्रॉनिकी, यान्त्रिकी और सॉफ्टवेयर के सिवाय कई अन्य क्षेत्रों में व्यावहारिक ज्ञान की आवश्यकता होती है। हालाँकि रोबॉट के स्वरूप और क्षमताओं में काफी विविधता हैं पर इन सभी में कई समानताएँ भी हैं। उदाहरण के लिए यांत्रिक चलनशील ढाँचा और स्वनियंत्रण सभी में होता है। रोबॉट के ढाँचे की उपमा मानव अस्थिपंजर है और उसे शुद्ध-गति माला कहा जा सकता है। यह माला है इसकी हड्डियाँ, प्रवर्तक इसकी माँस पेशियाँ और जोड़, जो इसे एक या एक से अधिक स्वातंत्र्य परिमाण देते हैं। अधिकांश रोबॉट क्रमिक माला रूपी होते हैं, जिसमें एक कड़ी दूसरी से जुड़ती है - इन्हें क्रमिक रोबॉट कहते हैं और ये मानव हाथ के समान हैं। अन्य रोबॉट सामानांतर शुद्ध-गति मालाओं का प्रयोग करते हैं। जीव-यांत्रिकी के अंतर्गत मानव या अन्य जीवों की नकल कर ढाचों को बनाने पर अनुसन्धान चल रहा है। माला की अंतिम कड़ी किसी तरह की प्रवर्तक हो सकती है, जैसे एक यांत्रिक हाथ या वेल्डिंग मशीन। .
देखें विद्युत मोटर और रोबॉटिक्स
लघु परिपथ
तूफान के दौरान पेड़ की शाखाओं द्वारा हुआ शॉर्ट सर्किट का दृष्य वैद्युत परिपथ में लघु परिपथ (शॉर्ट सर्किट) (कभी-कभी संक्षेप में शॉर्ट भी कहते है) उसे कहते हैं जो विद्युत्प्रवाह को उस मार्ग से जाने की अनुमति देता है जिसमे प्रतिबाधा शून्य या बहुत कम होती है। "खुला सर्किट" (ओपन सर्किट), लघु परिपथ का वैद्युतिक विलोम है जिसमें विद्युत परिपथ के किन्ही दो बिन्दुओं के बीच प्रतिबाधा का मान अनन्त होता है। .
देखें विद्युत मोटर और लघु परिपथ
लौहचुम्बकत्व
लौहचुंबकत्व (Ferromagnetism) (फेरीचुंबकत्व को मिलाकर) ही वह मूलभूत तरीका है जिससे कुछ पदार्थ (जैसे लोहा) स्थायी चुम्बक बनाते हैं या दूसरे चुम्बकों की ओर आकृष्ट होते हैं। वैसे प्रतिचुम्बकीय (डायामैग्नेटिक) और अनुचुम्बकीय (पैरामैग्नेटिक) पदार्थ भी चुम्बकीय क्षेत्र में आकर्षित या प्रतिकर्षित होते हैं किन्तु इन पर लगने वाला बल इतना कम होता है कि उसे प्रयोगशालाओं के अत्यन्त सुग्राही (सेंस्टिव) उपकरणों द्वारा ही पता लगाया जा सकता है। प्रतिचुम्बकीय और अनुचुम्बकीय पदार्थ स्थायी चुम्बकत्व नहीं दे सकते। कुछ ही पदार्थ लौहचुम्बकत्व का गुण प्रदर्शित करते हैं जिनमें से मुख्य हैं - लोहा, निकल, कोबाल्ट तथा इनकी मिश्रधातुएँ, कुछ रेअर-अर्थ धातुएँ, तथा कुछ सहज रूप में प्राप्त खनिज (जैसे लोडस्टोन / lodestone) आदि। उद्योग एवं आधुनिक प्रौद्योगिकी में लौहचुमबकत्व का बहुत महत्व है। लौहचुम्बकत्व ही अनेकों (लगभग सभी) विद्युत और विद्युतयांत्रिक युक्तियों का आधार है। विद्युतचुम्बक (electromagnets), विद्युत मोटर, विद्युत जनित्र (generators), ट्रांसफॉर्मर, टेप रिकॉर्डर, हार्ड डिस्क आदि सभी का आधार विद्युतचुम्बकीय पदार्थ ही हैं। लौहचुम्बकीय (तथा फेरीचुम्बकीय) पदार्थों का बी-एच वक्र (B-H Curve) एक सीधी रेखा नहीं होती बल्कि एक अरैखिक वक्र होता है जिसकी प्रवणता (स्लोप) चुम्बकीय फ्लक्स के अनुसार अलग-अलग होती है। इसके अलावा इनकी बी-एच वक्र में हिस्टेरिसिस होती है जिसके बिना ये स्थायी चुम्बकत्व का गुण प्रदर्शित नहीं कर सकते थे। इसके अलावा लौहचुम्बकीय पदार्थ एक और विशेष गुण प्रदर्शित करते हैं - उनका ताप एक निश्चित ताप के उपर ले जाने पर उनका लौहचुम्बकीय गुण लुप्त हो जाता है। इस ताप को क्यूरी ताप कहते हैं। .
देखें विद्युत मोटर और लौहचुम्बकत्व
शक्ति इंजीनियरी
विद्युत उत्पादन करने वाली विद्युत जनित्र को घुमाने के लिये प्रयुक्त '''वाष्प टरबाइन''' शक्ति इंजीनियरी (Power engineering) इंजीनियरी की वह उपक्षेत्र है जो विद्युत शक्ति के उत्पादन (जनन /generation), पारेषण (transmission), वितरण (distribution), उपभोग (utilization) तथा इनमें प्रयुक्त जनित्रों, ट्रांसफार्मरों, पारेषण लाइनों एवं मोतरों से सम्बन्ध रखता है। इस विधा को विद्युत प्रणाली इंजीनियरी (power systems engineering) भी कहते हैं। .
देखें विद्युत मोटर और शक्ति इंजीनियरी
शक्तिचालित औजार
स्क्रोल आरी जो औजार किसी विद्युत मोटर, संपीडित वायु मोटर (compressed air motor) या आन्तरिक दहन इंजन से शक्ति प्राप्त करके अपना काम करते हैं उन्हें शक्तिचालित औजार या पॉवर टूल (power tool) कहते हैं। शक्तिचालित मशीन अचल (stationary) हो सकते हैं या सचल (portable)। यहाँ सचल का अर्थ हाथ में उठाकर/लेकर काम किये जाने वाले औजार। .
देखें विद्युत मोटर और शक्तिचालित औजार
सिलिकन इस्पात
'ई' और 'आई' आकार वाली पतली पत्तियों (लैमिनेशन्स) से बना ट्रांसफार्मर क्रोड (कुंडली नहीं दिखाई गयी है) सिलिकन इस्पात (silicon steel) एक विशेष प्रकार का इस्पात है जिसमें कुछ ऐसे चुम्बकीय गुण होते हैं जिससे यह मोटर, जनित्र, ट्रांसफॉर्मर, कॉन्टैक्टर आदि वैद्युत युक्तियों के निर्माण के लिये बहुत उपयुक्त है। इसे 'वैद्युत इस्पात' (Electrical steel) और 'ट्रांस्फॉर्मर इस्पात' (transformer steel) आदि नामों से भी जाना जाता है। इसके मुख्य चुम्बकीय गुण हैं - उच्च परमिएबिलिटी (high permeability.) तथा कम हिस्टेरिसिस क्षय (small hysteresis loss)। भंवर धारा क्षति (eddy current loss) को कम करने के लिये ठोस इस्पात के बजाय इसके पतले-पतले लैमिनेशन प्रयोग किये जाते हैं। सिलिकन स्टील में अधिकांश (९३% से अधिक) लोहा होता है। सिलिकन इसका दूसरा घटक है जो इस इस्पात की प्रतिरोधकता को बढ़ा देता है तथा बहु-क्रिस्टलों के एकदिशीकरण (ओरिएंटेशन) में सहायक होता है। .
देखें विद्युत मोटर और सिलिकन इस्पात
हावरक्राफ्ट
लिथुआनिया का तटरक्षक हॉवरक्राफ्ट; इसका इंजन चालू है तथा 'स्कर्ट' फुलाया हुआ है। हॉवरक्राफ्ट का योजना-चित्र 1. प्रोपेलर 2.
देखें विद्युत मोटर और हावरक्राफ्ट
हाइब्रिड वाहन
होंडा इनसाइट हाइब्रिड NYPD आवागमन प्रवर्तन द्वारा उपयोग किया जाने वाला प्रियूस एक हाइब्रिड वाहन एक ऐसा वाहन है, जो वाहन को चलाने के लिए दो या दो से अधिक भिन्न ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करता है। यह शब्द सबसे अधिक हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व़ीइकल्स अर्थात् संकर विद्युत वाहन (HEVs), के रूप में जाना जाता है, जिसमें एक आंतरिक दहन इंजन और एक या एक से अधिक विद्युत मोटर होते हैं। .
देखें विद्युत मोटर और हाइब्रिड वाहन
जेनरेटर
बीसवीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों का अल्टरनेटर, जो बुडापेस्ट में बना हुआ है। विद्युत जनित्र (एलेक्ट्रिक जनरेटर) एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने के काम आती है। इसके लिये यह प्रायः माईकल फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण (electromagnetic induction) के सिद्धान्त का प्रयोग करती है। विद्युत मोटर इसके विपरीत विद्युत उर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलने का कार्य करती है। विद्युत मोटर एवं विद्युत जनित्र में बौत कुछ समान होता है और कई बार एक ही मशीन बिना किसी परिवर्तन के दोनो की तरह कार्य कर सकती है। विद्युत जनित्र, विद्युत आवेश को एक वाह्य परिपथ से होकर प्रवाहित होने के लिये वाध्य करता है। लेकिन यह आवेश का सृजन नहीं करता। यह जल-पम्प की तरह है जो केवल जल-को प्रवाहित करने का कार्य करती है, जल पैदा नहीं करती। विद्युत जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन के लिये आवश्यक है कि जनित्र के रोटर को किसी बाहरी शक्ति-स्रित की सहायता से घुमाया जाय। इसके लिये रेसिप्रोकेटिंग इंजन, टर्बाइन, वाष्प इंजन, किसी टर्बाइन या जल-चक्र (वाटर्-ह्वील) पर गिरते हुए जल, किसी अन्तर्दहन इंजन, पवन टर्बाइन या आदमी या जानवर की शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है। किसी भी स्रोत से की गई यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करना संभव है। यह ऊर्जा, जलप्रपात के गिरते हुए पानी से अथवा कोयला जलाकर उत्पन्न की गई ऊष्मा द्वारा भाव से, या किसी पेट्रोल अथवा डीज़ल इंजन से प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा के नए नए स्रोत उपयोग में लाए जा रहे हैं। मुख्यत:, पिछले कुछ वर्षों में परमाणुशक्ति का प्रयोग भी विद्युत्शक्ति के लिए बड़े पैमाने पर किया गया है और बहुत से देशों में परमाणुशक्ति द्वारा संचालित बिजलीघर बनाए गए हैं। ज्वार भाटों एवं ज्वालामुखियों में निहित असीम ऊर्जा का उपयोग भी विद्युत्शक्ति के जनन के लिए किया गया है। विद्युत्शक्ति के उत्पादन के लिए इन सब शक्ति साधनों का उपयोग, विशालकाय विद्युत् जनित्रों द्वारा ही हाता है, जो मूलत: फैराडे के 'चुंबकीय क्षेत्र में घूमते हुए चालक पर वेल्टता प्रेरण सिद्धांत पर आधारित है। .
देखें विद्युत मोटर और जेनरेटर
विद्युत मशीन
वैद्युत अभियांत्रिकी मे, विद्युत मशीन, विद्युत मोटर और विद्युत उत्पाद्क तथा अन्य विद्युतचुंबकीय उपकरणों के लिये एक व्यापक शब्द हे। यह सब वैध्युतयांत्रिक उर्जा परीवर्तक हे। विद्युत मोटर विद्युत उर्जा को यांत्रिक उर्जा मे, जब की विद्युत उत्पाद्क यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा मे परीवर्तीत करता हे। यंत्र के गतिशील भाग घूर्णन या रैखिक गती रख सकते हे। मोटर और उत्पाद्क के अतिरिक्त, बहुधा ट्रांसफार्मर (परिणतक) का तीसरी श्रेणी की तरह समावेश किया जाता हे, हालाँकि इन मे कोइ गतिशील खंड नही होते, फ़िर भी प्रत्यावर्ती उर्जा का विद्युत दाब परीवर्तीत करता हे। विद्युत यंत्र, परीवर्तक के स्वरूप मे, वस्तुतः संसार की समस्त वैध्युत शक्ति का उत्पादन करते हे, तथा विद्युत मोटर के स्वरूप मे, समस्त उत्पादित वैध्युत शक्ति लगभग ६० प्रतिशत उपभोग करते हे। विद्युत यंत्र १९ वी शताब्दी की शुरुआत मे विकसित कीये गए थे, उस समय से आधारिक संरचना का सर्वव्यापी घटक बन गए हे। हरित ऊर्जा या वैकल्पिक ऊर्जा, अधिक कार्यक्षम विद्युत यंत्र विकसित करना वैश्विक संरक्षण के लिये महत्वपूर्ण हे। ट्रांसफॉर्मर, विद्युत मोटर, विद्युत जनित्र आदि को विद्युत मशीन (electrical machine) कहते हैं। विद्युत मशीने तीन प्रकार से ऊर्जा का परिवर्तन करतीं है.
देखें विद्युत मोटर और विद्युत मशीन
विद्युत शक्ति प्रणाली
विद्युत पैदा करने के लिये प्रयुक्त एक वाष्प टरबाइन विद्युत शक्ति प्रणाली (electric power system) से आशय विद्युत युक्तियों के नेटवर्क से है जो विद्युत ऊर्जा के उत्पादन, सम्प्रेषण, वितरण तथा उपयोग के लिये लगाए जाते हैं। विद्युत ग्रिड का योजनामूलक चित्र .
देखें विद्युत मोटर और विद्युत शक्ति प्रणाली
विद्युत कर्षण
विद्युत गाड़ी रेलगाड़ी, ट्राम अथवा अन्य किसी प्रकार की गाड़ी को खींचने के लिए, विद्युत् शक्ति का उपयोग करने की विधि को विद्युत कर्षण (Electric Traction) कहते हैं। इस क्षेत्र में, वाष्प इंजन तथा अन्य दूसरे प्रकार के इंजन ही सामान्य रूप से प्रयोग किए जाते रहे हैं। विद्युत् शक्ति का कर्षण के लिए प्रयोग सापेक्षतया नवीन है परंतु अपनी विशेष सुविधाओं के कारण, इसका प्रयोग बढ़ता गया और धीरे-धीरे अन्य साधनों का स्थान यह अब लेता जा रहा है। विद्युत्कर्षण में नियंत्रण की सुविधा तथा गाड़ियों का अधिक वेग से संचालन हो सकने के कारण उतने ही समय में अधिक यातायात की उपलब्धि हो सकती है। साथ ही कोयला, धुआँ अथवा हानिकारक गैसों के न होने से अधिक स्वच्छता रहती है और नगर की घनी आबादीवाले भागों में भी इसका प्रयोग संभव है। विद्युत् कर्षण हमारे युग का एक अत्यंत महत्वपूर्ण साधन है, जिसका उपयोग अधिकाधिक बढ़ता जा रहा है। .
देखें विद्युत मोटर और विद्युत कर्षण
विद्युत अभियान्त्रिकी
विद्युत अभियन्ता, वैद्युत-शक्ति-तन्त्र का डिजाइन करते हैं; और … … जटिल एलेक्ट्रानिक तन्त्रों का डिजाइन भी करते हैं। नियंत्रण तंत्र आधुनिक सभ्यता का अभिन्न अंग है। यह विद्युत अभियान्त्रिकी का भी प्रमुख विषय है। विद्युत अभियान्त्रिकी विद्युत और विद्युतीय तरंग, उनके उपयोग और उनसे जुड़ी तमाम तकनीकी और विज्ञान का अध्ययन और कार्य है। प्रायः इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स भी शामिल रहता है। इसमे मुख्य रूप से विद्युत मशीनों की कार्य विधि एवं डिजाइन; विद्युत उर्जा का उत्पादन, संचरण, वितरण, उपयोग; पावर एलेक्ट्रानिक्स; नियन्त्रण तन्त्र; तथा एलेक्ट्रानिक्स का अध्ययन किया जाता है। एक अलग व्यवसाय के रूप में वैद्युत अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम भाग में हुआ जब विद्युत शक्ति का व्यावसायिक उपयोग होना आरम्भ हुआ। आजकल वैद्युत अभियांत्रिकी के अनेकों उपक्षेत्र हो गये हैं। .
देखें विद्युत मोटर और विद्युत अभियान्त्रिकी
विद्युत-मापी
विद्युत-मापी (Electricity meters) या 'ऊर्जामापी' सामान्यत: उन सभी उपकरणों को कहा जाता है विद्युत ऊर्जा का माप करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। विद्युत-मापी प्रायः किलोवाट-घण्टा (kWh) में अंशांकित (कैलिब्रेटेड) होते हैं। कुछ विद्युत् मापी विशेष कार्यों के लिए व्यवस्थित होते हैं, जैसे महत्तम माँग संसूचक (Maximum Demand indicator), जिसमें मीटर के साथ ऐसा काल अंशक होता है जो निश्चित अवधि में अधिकतम ऊर्जा का निर्देश करे। कुछ विद्युत-मापी ऐसे भी होते हैं जो महत्तम लोड (पीकलोड) के समय में स्वयं लोड को काट दें। .
देखें विद्युत मोटर और विद्युत-मापी
विद्युतचालित सायकिल
एक विद्युतचालित सायकिल विद्युतचालित सायकिल (electric bicycle या e-bike या booster bike) उस सायकिल को कहते हैं जिसमें एक विद्युत मोटर तथा बैटरी भी लगे होते हैं और यह इनके सहारे ही आगे बढ़ती है, पेडल नहीं लगाना पड़ता। श्रेणी:सायकिल प्रकार.
देखें विद्युत मोटर और विद्युतचालित सायकिल
वैक्युम क्लीनर
घर पर उपयोग के लिए कनस्तर वैक्युम क्लीनर. एक वैक्युम क्लीनर, जो हूवर (एक प्रजातिगत ट्रेडमार्क) या स्वीपर के भी नाम से जाना जाता है और आमतौर पर यह वैक्युम क्लीनर कहलाता है, एक ऐसा उपकरण है जो आमतौर पर फर्श से धूल और गंदगी खींचने के लिए आंशिक वैक्युम का निर्माण करता है और इसके लिए वायु पंप का इस्तेमाल होता है। बाद में निपटान के लिए गंदगी को या तो डस्टबैग द्वारा इकट्ठा किया जाता है या चक्रवात द्वारा.
देखें विद्युत मोटर और वैक्युम क्लीनर
आरएमएस क्वीन मैरी 2
आरएमएस क्वीन मैरी 2 एक ट्रांसअटलांटिक समुद्री लाइनर है। यह पहला प्रमुख समुद्री लाइनर था जिसे 1969 में के बाद से बनाया गया। कर्नाड लाइन के प्रमुख जहाज के रूप में इसने सफलता प्राप्त की। इस जहाज का नाम पहले के बाद 2004 में रानी एलिज़ाबेथ II के द्वारा दिया गया, यह 1936 में पूरा किया गया। क्वीन मैरी का नाम किंग जॉर्ज V की पत्नी मैरी ऑफ़ टेक के नाम पर दिया गया। 2008 में रानी एलिज़ाबेथ 2 की सेवानिवृति के बाद से, क्वीन मैरी 2 वर्तमान में एकमात्र ट्रांस अटलांटिक समुद्री लाइनर है, जो सक्रिय है। हालांकि जहाज का उपयोग अक्सर क्रूज़ (समुद्री यात्रा) के लिए किया जाता है, इसमें वार्षिक विश्व क्रूज़ शामिल है। 2003 में चेंटीयर्स डे एल' अटलांटिक के द्वारा इसके निर्माण के समय, क्वीन मैरी 2 तब तक का सबसे लम्बा, सबसे चौड़ा और सबसे ऊंचा यात्री जहाज था और अपने के साथ सबसे बड़ा जहाज भी था। अक्टूबर 2009 में इसी कम्पनी के द्वारा अप्रैल 2006 में रॉयल केरिबियन इंटरनेश्नल का निर्माण किया गया, इसके बाद यह सबसे बड़ा जहाज नहीं रहा। हालांकि, क्वीन मैरी 2 अब तक का सबसे बड़ा समुद्री लाइनर (क्रूज़ जहाज के की तरह) है। क्वीन मैरी 2 को प्राथमिक रूप से अटलांटिक महासागर को पार करने के लिए बनाया गया था, इसीलिए इसका डिजाइन अन्य यात्री जहाजों से हटकर बनाया गया। जहाज की अंतिम लगत लगभग $300,000 प्रति बर्थ आई, जो कई समकालीन क्रूज़ जहाजों से लगभग दोगुनी थी। इसका कारण था कि इसका आकार बड़ा था, इसमें उच्च गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया था और एक समुद्री (महासागरीय) लाइनर के रूप में डिजाइन किये जाने के कारण इसे बनाने के लिए एक मानक क्रूज़ जहाज की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक स्टील का उपयोग किया गया। इसकी अधिकतम गति है और क्रुज़िंग गति है, जो किसी भी अन्य समकालीन क्रूज़ जहाज की तुलना में अधिक है, जैसे ओएसिस ऑफ़ द सीज़, जिसकी क्रुज़िंग गति है। कई जहाजों पर प्रयुक्त किये जाने वाले डीज़ल-इलेक्ट्रिक विन्यास के बजाय, क्वीन मैरी 2 में अधिकतम गति को प्राप्त करने के लिए CODLAG विन्यास (संयुक्त डीज़ल-इलेक्ट्रिक और गैस) का उपयोग किया गया है। इसमें डीज़ल जनरेटर ऑनबोर्ड के द्वारा दी गयी पावर को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त गैस टरबाइन का उपयोग किया जाता है, जिससे जहाज अपनी अधिकतम गति को प्राप्त कर लेता है। क्वीन मैरी 2 की सुविधाओं में पंद्रह रेस्तरां और बार, पांच स्विमिंग पूल, एक कैसिनो, एक बॉलरूम, एक थियेटर और पहला समुद्री प्लेनेटोरियम (तारामंडल) शामिल हैं। इसमें ऑनबोर्ड कैनल और एक नर्सरी भी है। क्वीन मैरी 2 उन कुछ जहाज़ों में एक है जिसमें ऑनबोर्ड दर्जा प्रणाली (Claas system) का उपयोग किया जाता है, इसे सबसे मुख्य रूप से इसके भोजन विकल्प में देखा जा सकता है। .
देखें विद्युत मोटर और आरएमएस क्वीन मैरी 2
आविष्कार और आविष्कारक
आविष्कार और आविष्कारक नामक इस सूची में आविष्कार, आविष्कारक, वर्ष और देश का नाम दिए गए हैं। .
देखें विद्युत मोटर और आविष्कार और आविष्कारक
इलेक्ट्रिक कार (विद्युत् कार)
निसान लीफ अमेरिका और चुनें बाजारों में 2010 के अंत तक बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएगी तथा इसकी वैश्विक उपलब्धता 2012 में होगी। 1 मित्सुबिशी i MiEV की जनता के लिए बिक्री जापान में अप्रैल 2010 में, हांगकांग में मई 2010 में और ऑस्ट्रेलिया में जुलाई 2010 में प्रारंभ हुई.2 इलेक्ट्रिक कार बैटरी की शक्ति से चलने वाली विद्युत् मोटरों द्वारा संचालित वाहन है। हालांकि बिजली के कारों में सामान्यतः अच्छा त्वरण (शीघ्र गति पकड़ना) होता है तथा उनकी अधिकतम गति भी सर्व-स्वीकृत होती है, परन्तु 2010 में उपलब्ध बैटरियां कार्बन आधारित ईंधन की अपेक्षा कम विशिष्ट ऊर्जा वाली थीं जिसका अर्थ यह हुआ कि न सिर्फ वे वाहन के भार का एक बड़ा हिस्सा होंगी, बल्कि चार्ज होने के पश्चात् अधिक परास भी नहीं देंगी। रिचार्जिंग में भी लम्बा समय लग सकता है। छोटी परास की, रोजाना आवागमन की यात्राओं के लिए इलेक्ट्रिक कार यातायात का एक व्यावहारिक साधन है और इसे बहुत कम खर्च पर रात भर में चार्ज किया जा सकता है, परन्तु लम्बी यात्राओं के लिए यह व्यावहारिक नहीं है। लम्बी दूरी की यात्राओं के लिए विकल्पों के रूप में बैटरी बदलने के स्टेशन जैसी आधारभूत सुविधाओं के विकास का कार्य टोक्यो तथा कुछ अन्य शहरों में आज़माइश के तौर पर चल रहा है। इलेक्टिक कारों में शहरों में प्रदूषण को उल्लेखनीय रूप से कम कर सकने की क्षमता है क्योंकि इससे होने वाले उत्सर्जन शून्य होते हैं। वाहन से उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की कमी इसपर निर्भर करती है कि विद्युत् का उत्पादन कैसे किया जा रहा है। वर्तमान सं.रा.
देखें विद्युत मोटर और इलेक्ट्रिक कार (विद्युत् कार)
इलेक्ट्रॉनिक अवयव
कुछ प्रमुख '''इलेक्ट्रॉनिक अवयव''' जिन विभिन्न अवयवों का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक परिपथ (जैसे- आसिलेटर, प्रवर्धक, पॉवर सप्लाई आदि) बनाये जाते हैं उन्हें इलेक्ट्रॉनिक अवयव (electronic component) कहते हैं इलेक्ट्रॉनिक अवयव दो सिरे वाले, तीन सिरों वाले या इससे अधिक सिरों वाले होते हैं जिन्हें सोल्डर करके या किसी अन्य विधि से (जैसे स्क्रू से कसकर) परिपथ में जोड़ा जाता है। प्रतिरोधक, प्रेरकत्व, संधारित्र, डायोड, ट्रांजिस्टर (या बीजेटी), मॉसफेट, आईजीबीटी, एससीआर, प्रकाश उत्सर्जक डायोड, आपरेशनल एम्प्लिफायर एवं अन्य एकीकृत परिपथ आदि प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक अवयव हैं। प्रमुख एलेक्ट्रॉनिक अवयवों के प्रतीक .
देखें विद्युत मोटर और इलेक्ट्रॉनिक अवयव
इंजन
चार-स्ट्रोक वाला आन्तरिक दहन इंजन आजकल अधिकांश कामों में इस्तेमाल होता है इंजन या मोटर उस यंत्र या मशीन (या उसके भाग) को कहते हैं जिसकी सहायता से किसी भी प्रकार की ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरण होता है। इंजन की इस यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग, कार्य करने के लिए किया जाता है। अर्थात् इंजन रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, गतिज ऊर्जा या ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलने का कार्य करता है। वर्तमान युग में अंतर्दहन इंजन तथा विद्युत मोटरों का अत्यन्त महत्व है। .
देखें विद्युत मोटर और इंजन
इंजन स्टार्टर
गाड़ियों को स्टार्ट करने वाला मोटर सभी प्रकार के अन्तर्दहन इंजनों को स्टार्ट करने के लिये किसी वाह्य ऊर्जा-स्रोत का उपयोग करके उन्हें कुछ चक्कर घुमाना पड़ता है क्योंकि वे अचालित अवस्था में (अर्थात् शून्य RPM पर) अन्तर्दहन इंजन बलाघूर्ण नहीं पैदा करता।। इस कार्य के लिये प्रयुक्त होने वाली युक्ति को इंजन प्रवर्तक या इंजन स्टार्टर कहते हैं। मोटर स्टार्टर द्वारा कुछ चक्कर घुमाने के बाद इंजन स्वयं अपनी शक्ति से घूमने लगता है और स्टार्टर को तुरन्त बन्द कर दिया जाता है। इंजन स्टार्टर कई प्रकार के होते हैं जैसे - वैद्युत मोटर, वायुचालित मोटर (pneumatic motor), द्रवचालित मोटर (hydraulic motor) आदि। किन्तु आजकल अधिकांशतः बैटरी-चालित डीसी मोटर ही इस काम के लिए सबसे अधिक प्रयुक्त होता है। .
देखें विद्युत मोटर और इंजन स्टार्टर
कर्षण मोटर
इस चित्र में PRR DD1 विद्युत रेलगाड़ी के कर्षण मोटर तथा उससे जुड़े अवयव दिखाए गये हैं। स्पष्टता के लिए शेष भाग नहीं दिखाये गये है। वह विद्युत मोटर जो किसी गाड़ी (जैसे रेलगाड़ी या विद्युत से सड़क पर चलने वाली कोई गाड़ी) को चलाने (propulsion) के लिए उपयोग की जाती है, उसे कर्षण मोटर (traction motor) कहते हैं। सबसे पहले कर्षण के लिए डीसी सीरीज मोटर का उपयोग किया गया क्योंकि इसकी विशेषता है कि यह कम चाल पर अधिक बलाघ्र्ण (टॉर्क) उत्पन्न करती है और अधिक चाल पर कम बलाघूर्ण। और यही चीज गाड़ियों के लिए बहुत उपयोगी है (उन्हें कम चाल पर अधिक बलाघुर्ण लगाना पड़ता है और अधिक चाल पर कम बलाघुर्ण)। बाद में एक फेजी प्रत्यावर्ती धारा से चलने वाला सीरीज मोटर का उपयोग किया गया। रचना की दृष्टि से यह डीसी सीरीज मोटर ही है जो डीसी के बजाय एक-फेजी एसी से चलायी जाती है। चूंकि डॅसी सीरीज मोटर एसी और डीसी दोनों से चलायी जा सकती है, इसलिए इसे 'यूनिवर्सल मोटर' भी कहते हैं। किन्तु प्रत्यावर्ती धारा से चलायी जाने वाली मोटरों की कोर ठोस लोहे की नहीं बनायी जाती बल्कि पट्टलित लोहे की बनायी जाती है ताकि भंवर धारा तथा हिस्टेरिसिस से होने वाली विद्युत-शक्ति का ह्रास कम किया जा सके। कर्षण के लिए पहले प्रेरण मोटर तथा तुल्यकालिक मोटर का उपयोग नहीं किया जाता था क्योंकि इनकी बलाघूर्ण-चाल वैशिष्ट्य इस कार्य के लिए उपयुक्त नहीं था। किन्तु उत्कृष्ट अर्धचालक युक्तियों के आ जाने से और डिजिटल इलेक्ट्रॉनिकी में अत्यन्त विकास के परिणामस्वरूप अब परिवर्तनशील चाल ड्राइव का विकास हो गया है जिसके साथ अब ये मोटरें भी कर्षण के काम में आने लगीं हैं। श्रेणी:विद्युत मोटर.
देखें विद्युत मोटर और कर्षण मोटर
कार्ट रेसिंग
कार्ट रेसिंग या कार्टिंग एक छोटी, खुली व चार पहिये के वाहनों के ओपन-व्हील मोटरस्पोर्ट का एक संस्करण है जिसे उसकी डिजाइन के आधार पर कार्ट, गो-कार्ट, गियरबॉक्स/ शिफ्टर कार्ट कहा जाता है। ये आम तौर पर छोटे-नीचे सर्किट पर दौड़ाई जाती हैं। कार्टिंग को सामान्यतः मोटर स्पोर्ट के उच्च और अधिक महंगे संस्करणों की शुरुआत के रूप में माना जाता है। कार्ट की गति व्यापक रूप से भिन्न होती है और कुछ कार्ट (जिन्हें सुपरकार्ट के रूप में जाना जाता है) से अधिक गति तक पहुँच सकती हैं, जबकि गोकार्ट को मुख्यतः मनोरंजन पार्क में आम जनता के लिए प्रयोग किया जाता है जिसकी गति को अधिकतम तक सीमित किया जा सकता है। 125 सीसी 2 स्ट्रोक इंजन और चालक सहित 150 किलोग्राम के एक समग्र वजन के साथ एक केएफ1 कार्ट की अधिकतम गति होती है। अपने 125सीसी शिफ्टर कार्ट (6गियर) एवं लंबे परिपथ पर की अधिकतम गति के साथ यह 0 से 60 मील प्रति घंटा की रफ्तार प्राप्त करने में 3 सेकेण्ड से कुछ ही अधिक समय लेती है। रोटेक्स वर्ल्ड फाइनल कार्ट रेसिंग .
देखें विद्युत मोटर और कार्ट रेसिंग
अन्तर्वाह धारा
२३०वोल्ट, ६० वोल्ट-अम्पीयर के एक ट्रान्सफॉर्मर की अन्तर्वाह धारा का ग्राफ: यह धारा दस-पन्द्रह सायकिल तक बनी रहती है तथा इसमें डीसी कम्पोनेन्ट भी होता है। ट्रान्सफॉर्मर, स्विच मोड पॉवर सप्लाई, विद्युत मोटर, प्रकाश बल्ब आदि विद्युत उपकरण चालू करते ही जो धारा लेते हैं वह उनके द्वारा सामान्य अवस्था में ली जाने वाली धारा से बहुत अधिक (दस-बीस गुना) हो सकती है। इस अत्यधिक धारा को अन्तर्वाह धारा (inrush current) कहते हैं। यह धारा कुछ मिलीसेकेण्ड से लेकर कुछ सेकेण्ड तक बहती है जो अलग अलग लोड के लिए अलग अलग होती है। इस धारा को रोकने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं। इसके अलावा फ्यूज और परिपथ विच्छेदक इस प्रकार की रेटिंग के चुने जाते हैं ताकि उनसे होकर कुछ देर (जैसे, १ सेकेण्ड तक) बहुत अधिक धारा भी बहे (और फिर कम हो जाय) तो भी वे ट्रिप न हों। .
देखें विद्युत मोटर और अन्तर्वाह धारा
अश्व शक्ति
अश्वशक्ति (अंग्रेज़ी:हॉर्स पावर / Horsepower (hp)) शक्ति की मापन इकाई है। यह एक गैर-SI इकाई है। अश्वशक्ति के कई मानक हैं और कई प्रकार भी हैं। 'हॉर्सपॉवर' शब्द का सबसे पहले उपयोग १८वीं शताब्दी के अन्तिम काल में स्कॉटलैण्ड के इंजीनियर जेम्स वाट ने किया। उसने वाष्प इंजनों से मिलने वाली शक्ति की तुलना अश्व (घोड़ों) की खींचने की शक्ति से की। बाद में हॉर्सपॉवर शब्द का उपयोग पिस्टनयुक्त अन्य इंजनों तथा टर्बाइन, विद्युत मोटरों, एवं अन्य मशीनों की शक्ति के लिये भी किया जाने लगा। किन्तु इस शब्द की परिभाषा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न थी। वर्तमान समय में अधिकांश देशों में शक्ति के मापन के लिये वाट नामक एस आई मात्रक का प्रयोग किया जाता है। .
देखें विद्युत मोटर और अश्व शक्ति
उत्थापक
उत्थापक या लिफ्ट उत्थापक, उच्चालित्र अथवा एलिवेटर (lift या elevator) एक युक्ति है वस्तुओं एवं व्यक्तिओं को उर्ध्व दिशा में चढ़ाने-उतारने के काम आती है। प्रायः किसी बहुमंजिला ऊँचे भवन, जलपोत एवं अन्य संरचनाओं में उत्थापक लगा होता है जो गोलों को या सामान आदि को एक मंजिल से दूसरी मंजिल या एक स्तर से दूसरे स्तर पर लाता और ले जाता है। उत्थापक प्रायः विद्युत मोटर द्वारा चलते हैं। .
देखें विद्युत मोटर और उत्थापक
इलेक्ट्रिक मोटर के रूप में भी जाना जाता है।