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विद्युत अभियान्त्रिकी

सूची विद्युत अभियान्त्रिकी

विद्युत अभियन्ता, वैद्युत-शक्ति-तन्त्र का डिजाइन करते हैं; और … … जटिल एलेक्ट्रानिक तन्त्रों का डिजाइन भी करते हैं। नियंत्रण तंत्र आधुनिक सभ्यता का अभिन्न अंग है। यह विद्युत अभियान्त्रिकी का भी प्रमुख विषय है। विद्युत अभियान्त्रिकी विद्युत और विद्युतीय तरंग, उनके उपयोग और उनसे जुड़ी तमाम तकनीकी और विज्ञान का अध्ययन और कार्य है। प्रायः इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स भी शामिल रहता है। इसमे मुख्य रूप से विद्युत मशीनों की कार्य विधि एवं डिजाइन; विद्युत उर्जा का उत्पादन, संचरण, वितरण, उपयोग; पावर एलेक्ट्रानिक्स; नियन्त्रण तन्त्र; तथा एलेक्ट्रानिक्स का अध्ययन किया जाता है। एक अलग व्यवसाय के रूप में वैद्युत अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम भाग में हुआ जब विद्युत शक्ति का व्यावसायिक उपयोग होना आरम्भ हुआ। आजकल वैद्युत अभियांत्रिकी के अनेकों उपक्षेत्र हो गये हैं। .

53 संबंधों: चुम्बकीय क्षेत्र, एकीकृत परिपथ, डिमॉर्गन नियम, डैनिस गैबर, ताम्र ह्रास, तुल्यकालिक कलापरिवर्तित्र, त्रिकोणमिति के उपयोग, धारा परिणामित्र, नितीश कुमार, निक होलोनिक, नैनोप्रौद्योगिकी, परिपथ आरेख, प्रशांत भूषण, प्रौद्योगिकी, प्रौद्योगिकी स्नातक, प्रेरण, पृथक्कारी स्विच, फ़ूर्ये श्रेणी, फ्यूज, बिमल कुमार बोस, बैलून, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पालक्काड, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़, भूसम्पर्कन, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर, मुजफ्फरपुर तकनीकी संस्थान, मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल, यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दुर्गापुर, श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, शैक्षिक विशिष्टीकरण, सम्मिश्र विश्लेषण, संरचना इंजीनियरी, संगणक अभियान्त्रिकी, हैवलेट-पैकर्ड, वर्ग माध्य मूल, विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक अभियांत्रिकी की समयरेखा, विद्युत कोष, विद्युतचुम्बकीय सिद्धान्त का इतिहास, विद्युतरोधी, विद्युतीय प्रतीक, ओम का नियम, आर्मेचर, इलैक्ट्रॉनिक्स, किरचॉफ के परिपथ के नियम, क्षणिक अनुक्रिया, कैलाश सत्यार्थी, केबल, ..., अधिकतम शक्ति का प्रमेय, अभय भूषण, अभियान्त्रिकी सूचकांक विस्तार (3 अधिक) »

चुम्बकीय क्षेत्र

किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा '''I''', उस चालक के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र '''B''' उत्पन्न करती है। चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धाराओं और चुंबकीय सामग्री का चुंबकीय प्रभाव है। किसी भी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र दोनों, दिशा और परिमाण (या शक्ति) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है; इसलिये यह एक सदिश क्षेत्र है। चुंबकीय क्षेत्र घूमते विद्युत आवेश और मूलकण के आंतरिक चुंबकीय क्षणों द्वारा उत्पादित होता हैं जो एक प्रमात्रा गुण के साथ जुड़ा होता है। 'चुम्बकीय क्षेत्र' शब्द का प्रयोग दो क्षेत्रों के लिये किया जाता है जिनका आपस में निकट सम्बन्ध है, किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। इन दो क्षेत्रों को तथा, द्वारा निरूपित किया जाता है। की ईकाई अम्पीयर प्रति मीटर (संकेत: A·m−1 or A/m) है और की ईकाई टेस्ला (प्रतीक: T) है। चुम्बकीय क्षेत्र दो प्रकार से उत्पन्न (स्थापित) किया जा सकता है- (१) गतिमान आवेशों के द्वारा (अर्थात, विद्युत धारा के द्वारा) तथा (२) मूलभूत कणों में निहित चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा विशिष्ट आपेक्षिकता में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र दो रूपों में देखने को मिलता है, (१) स्थायी चुम्बकों द्वारा लोहा, कोबाल्ट आदि से निर्मित वस्तुओं पर लगने वाला बल, तथा (२) मोटर आदि में उत्पन्न बलाघूर्ण जिससे मोटर घूमती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों का बहुतायत में उपयोग होता है (विशेषतः वैद्युत इंजीनियरी तथा विद्युतचुम्बकत्व में)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, चुम्बकीय सुई के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र में चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग होता है। .

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एकीकृत परिपथ

माइक्रोचिप कम्पनी की इप्रोम (EPROM) स्मृति के एकीकृत परिपथ आधुनिक सरफेस माउण्ट आईसी ऐटमेल (Atmel) की एक आईसी, जिसके अन्दर स्मृति ब्लॉक, निवेश निर्गम (इन्पुट-ऑउटपुट) एवं तर्क के ब्लॉक देखे जा सकते हैं। यह एक ही चिप में पूरा तन्त्र (System on Chip) है। एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC)) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति की जरूरत बहुत कम हो गयी है। संकर एकीकृत परिपथ भी लघु आकार के एकीपरि (एकीकृत परिपथ) होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये मोनोलिथिक आई सी से भिन्न हैं। .

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डिमॉर्गन नियम

प्रतिज्ञप्तिक कलन (propositional calculus) तथा बूलीय बीजगणित में निम्नलिखित दो नियमों को डिमॉर्गन नियम (De Morgan's laws) कहते हैं। "(A और B) नहीं" एवं "(A नहीं) या (B नहीं)" समान हैं। इसी प्रकार, "(A या B) नहीं" एवं "(A नहीं) और (B नहीं)" समान हैं। अंग्रेजी में, "not (A and B) '" is the same as "(not A) or (not B)" also, "not (A or B)" is the same as "(not A) and (not B)".

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डैनिस गैबर

डेनिस गैबर CBE, FRS (मूल हंगेरियाई नाम: Gábor Dénes; ५ जून १९००– ८ फ़रवरी १९७९) एक हंगेरियाई-ब्रिटिश विद्युत अभियांत्रिक एवं अन्वेषक थे। इनकी सर्वाधिक उल्लेखनीय खोज होलोग्राफी थी, जिसके लिये इन्हें बाद में १९७१ का भौतिकी का नोबल पुरस्कार मिला। .

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ताम्र ह्रास

विद्युत इंजीनियरी में ताम्र ह्रास (Copper loss) उस शक्ति क्षय को कहते हैं जो ट्रांसफॉर्मर एवं अन्य विद्युत मशीनों के चालकों में धारा के बहने के कारण उष्मा के रूप में क्षय होती रहती है। यह अवांछनीय है। .

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तुल्यकालिक कलापरिवर्तित्र

एक तुल्यकालिक कलापरिवर्तित्र तुल्यकालिक मोटर का '''V'''-वक्र: अपने इसी वैशिष्ट्य के कारण ओवर-इक्साइट करने पर यह मोटर लीडिंग धारा लेता है। विद्युत इंजीनियरी में तुल्यकालिक कलापरिवर्तित्र (synchronous condenser या synchronous capacitor या synchronous compensator), तुल्यकालिक मोटर जैसी युक्ति है जो मोटर' जैसे काम करने के बजाय शक्ति गुणक में सुधार करने के लिये प्रयुक्त होती है। अतः इसके शाफ्ट पर कोई लोड नहीं जोड़ा जाता। .

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त्रिकोणमिति के उपयोग

त्रिकोणमिति के हजारों उपयोग होते हैं। पाठ्यपुस्तकों में भूमि सर्वेक्षण, जहाजरानी, भवन आदि का ही प्राय: उल्लेख किया गया होता है। इसके अलावा यह गणित, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आदि शैक्षिक क्षेत्रों में भी प्रयुक्त होता है। .

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धारा परिणामित्र

११० किलोवोल्ट पर काम करने वाला धारा परिणामित्र (CT) CT का कार्य सिद्धान्त विद्युत इंजीनियरी में धारा परिणामित्र या 'करेंट ट्रांस्फॉर्मर' (current transformer (CT)) विद्युत धारा को मापने के काम आता है। धारा परिणामित्र और विभव परिणामित्र (voltage transformers (VT) या (potential transformers (PT)) को सम्मिलित रूप से 'इंस्ट्रूमेन्त ट्रांस्फॉर्मर' कहा जाता है। अन्य ट्रांसफॉर्मरों की तरह धारा ट्रान्सफॉर्मर में दो वाइंडिंग होती हैं। - प्राथमिक (प्राइमरी) और द्वितीयक (सेकेंडरी)। प्रायः प्राइमरी एक टर्न की होती है। यदि प्राइमरी में केवल एक टर्न हो और सेकेंडरी में N टर्न तो सेकेंडरी में धारा का मान प्राइमरी की धारा के मान का 1/N होता है। जहाँ कहीँ धारा का मान बहुत अधिक होने से उसे सीधे मापक यंत्रों (जैसे अमीटर) द्वारा मापना अव्यवहारिक हो, वहाँ सी टी का प्रयोग किया जाता है। धारा परिणामित्र अधिक परिणाम की धारा के समानुपाती कम परिणाम की धारा देता है जिसे किसी अमीटर में जोड़कर सीधे धारा का मान पढ़ा जा सकता है। सेकेंडरी में कोई छोटे मान का प्रतिरोध जोड़कर धारा को वोल्टेज में बदल लिया जाता है जिसे किसी कन्ट्रोल परिपथ में नियंत्रण या सुरक्षा (प्रोटेक्शन) के लिये दिया जा सकता है। सी टी लगाने का एक और लाभ यह है कि यह उच्च वोल्टता वाली लाइन से आइसोलेशन प्रदान करता है जिससे इसके सेकेंडरी साइड में कोई उपकरण आदि लगाने में कोई खतरा नहीं रहता। .

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नितीश कुमार

नीतीश कुमार (जन्म १ मार्च १९५१, बख्तियारपुर, बिहार, भारत) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो बिहार के मुख्य मंत्री हैं, 2017 के बाद से पूर्वी भारत में एक राज्य है। इससे पहले उन्होंने 2005 से 2014 तक बिहार के मुख्यमंत्री और 2015 से 2017; उन्होंने भारत सरकार के एक मंत्री के रूप में भी सेवा की। वह जनता दल यू राजनीतिक दल के प्रमुख नेताओं में से हैं। उन्होंने खुद को बिहारीओं के साथ मिलकर पिछली सरकारों से कम उम्मीदों का सामना किया, जब मुख्यमंत्री के रूप में, उनकी समाजवादी नीतियों ने 100,000 से अधिक स्कूल शिक्षकों को नियुक्त करने में लाभांश दिया, यह सुनिश्चित करना कि डॉक्टर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में काम करते हैं, गांवों के विद्युतीकरण, सड़कों पर, आधे से मादा निरक्षरता को काटने, अपराधियों पर टूटकर और औसत बिहारी की आय को दोगुना करके एक अराजक अवस्था में बदल दिया। उस अवधि के लिए अन्य राज्यों की तुलना में मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान बिहार के जीडीपी का संचयी विकास दर सर्वोच्च है। 17 मई 2014 को उन्होंने भारतीय आम चुनाव, 2014 में अपने पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी संभालने से इस्तीफा दे दिया और वह जीतन राम मांझी के पद पर रहे। हालांकि, वह बिहार में राजनीतिक संकट से फरवरी 2015 में कार्यालय में लौट आया और नवंबर 2015 की बिहार विधान सभा चुनाव,२०१५ जीता। वह 10 अप्रैल 2016 को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए। 2019 के आगामी चुनाव में सहित कई राजनेताओं लालू यादव, तेजसवी यादव और अन्य ने भारत में प्रधान मंत्री पद के लिए उन्हें प्रस्तावित किया हालांकि उन्होंने ऐसी आकांक्षाओं से इनकार किया है उन्होंने 26 जुलाई, 2017 को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में गठबंधन सहयोगी आरजेडी के बीच मतभेद के साथ फिर से इस्तीफा दे दिया था, सीबीआई द्वारा एफआईआर में उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव के नामकरण के कारण। कुछ घंटे बाद, वह एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए, जो इस प्रकार अब तक विरोध कर रहे थे, और विधानसभा में बहुमत हासिल कर लेते थे, अगले दिन ही मुख्यमंत्री पद का त्याग कर रहे थे। .

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निक होलोनिक

निक होलोनिक जूनियर (जन्म: ज़ेइग्लर, इलिनोयस, ३ नवंबर, १९२८) ने प्रथम प्रकाश उत्सर्जक डायोड का आविष्कार किया था। ये आवेष्कार १९६२ में जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी की प्रयोगशाला में वैज्ञानिक के पद पर कार्य करते हुए किया था। इन्हें एल.ई.डी का जनक कहा जाता है। .

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नैनोप्रौद्योगिकी

नैनोतकनीक या नैनोप्रौद्योगिकी, व्यावहारिक विज्ञान के क्षेत्र में, १ से १०० नैनो (अर्थात 10−9 m) स्केल में प्रयुक्त और अध्ययन की जाने वाली सभी तकनीकों और सम्बन्धित विज्ञान का समूह है। नैनोतकनीक में इस सीमा के अन्दर जालसाजी के लिये विस्तृत रूप में अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों, जैसे व्यावहारिक भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, अर्धचालक भौतिकी, विशाल अणुकणिका रसायन शास्त्र (जो रासायन शास्त्र के क्षेत्र में अणुओं के गैर कोवलेन्त प्रभाव पर केन्द्रित है), स्वयमानुलिपिक मशीनएं और रोबोटिक्स, रसायनिक अभियांत्रिकी, याँत्रिक अभियाँत्रिकी और वैद्युत अभियाँत्रिकी.

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परिपथ आरेख

चित्रात्मक (पिक्टोरियल) एवं योजनामूलक (स्कीमैटिक) परिपथ आरेखों की तुलना ४-बिट का टीटीएल काउन्टर का परिपथ आरेख किसी विद्युत परिपथ के सरलीकृत आरेख को परिपथ आरेख (circuit diagram), या विद्युत आरेख (electrical diagram) या एलेक्ट्रानिक स्कीमैटिक (electronic schematic) कहते हैं। विद्युत परिपथ में प्रयुक्त अवयवों को आरेख में उनके सरलीकृत मानक प्रतीकों के माध्यम से दर्शाया जाता है। यह जरूरी नहीं है कि आरेख में चित्रित अवयव उस विन्यास दिखाये गये हों जिस तरह से वे अन्तिम परिपथ में लगे होते हैं। परिपथ आरेख, ब्लाक आरेख (block diagram) तथा विन्यास-आरेख (layout diagram) से इस मामले में भिन्न होते हैं कि परिपथ आरेख में सभी अवयव एवं उनकी परस्पर जोड़ (connections) को विस्तारपूर्वक दर्शाया जाता है। जिस रेखाचित्र (drawing) में सभी अवयव एवं उनके आपसी जोड़ को सही आकार एवं स्थान पर दिखाया जाता है उसे आर्टवर्क (artwork) विन्यास-आरेख या भौतिक-डिजाइन (physical design) कहते हैं विद्युत प्रौद्योगिकी एवं एलेक्ट्रानिकी में परिपथ आरेखों का बहुत महत्व है। इनका उपयोग परिपथों की डिजाइन, सिमुलेशन, पीसीबी ले-आउट बनाने एवं उपकरणों को सुधारने में होता है। डिजाइन की प्रक्रिया प्राय: निम्नलिखित क्रम में चलती है- .

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प्रशांत भूषण

प्रशांत भूषण (जन्म: १९५६) भारत के उच्चतम न्यायालय में एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। उन्हे भ्रष्टाचार, विशेष रूप से न्यायपालिका के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन के लिए जाना जाता हैं। अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ किए गए संघर्ष में वे उनकी टीम के प्रमुख सहयोगी रहे हैं। अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी के साथ उन्होंने सरकार से हुई वार्ताओं में नागरिक समाज का पक्ष रखा था। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला सुप्रीम कोर्ट मे सुब्रह्मण्यम स्वामी और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से वकील प्रशांत भूषण दोनो मिलकर लड़ रहे है। १५ साल की वकालत के दौरान वे ५०० से अधिक जनहित याचिकाओं पर जनता की तरफ से केस लड़ चुके हैं। प्रशांत भूषण कानून व्यवस्था में निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था की पैरवी करते हैं। उनका मानना है कि देश की कानूनी संरचना को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी होना चाहिए। .

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प्रौद्योगिकी

२०वीं सदी के मध्य तक मनुष्य ने तकनीक के प्रयोग से पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलना सीख लिया था। एकीकृत परिपथ (IC) के आविष्कार ने कम्प्यूटर क्रान्ति को जन्म दिया । प्रौद्योगिकी, व्यावहारिक और औद्योगिक कलाओं और प्रयुक्त विज्ञानों से संबंधित अध्ययन या विज्ञान का समूह है। कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है। आदिकाल से मानव तकनीक का प्रयोग करता आ रहा है। आधुनिक सभ्यता के विकास में तकनीकी का बहुत बड़ा योगदान है। जो समाज या राष्ट्र तकनीकी रूप से सक्षम हैं वे सामरिक रूप से भी सबल होते हैं और देर-सबेर आर्थिक रूप से भी सबल बन जाते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि अभियांत्रिकी का आरम्भ सैनिक अभियांत्रिकी से ही हुआ। इसके बाद सडकें, घर, दुर्ग, पुल आदि के निर्माण सम्बन्धी आवश्यकताओं और समस्याओं को हल करने के लिये सिविल अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव हुआ। औद्योगिक क्रान्ति के साथ-साथ यांत्रिक तकनीकी आयी। इसके बाद वैद्युत अभियांत्रिकी, रासायनिक प्रौद्योगिकी तथा अन्य प्रौद्योगिकियाँ आयीं। वर्तमान समय कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी का है। .

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प्रौद्योगिकी स्नातक

बैचलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी (जिसे आम तौर पर संक्षेप में बी.टेक. या बी.टेक. (ऑनर्स) कहा जाता है) एक पूर्वस्नातक अकादमिक डिग्री है जिसे एक मान्यता प्राप्त विश्विद्यालय या मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय स्तरीय संस्थान में तीन या चार वर्षों के एक अध्ययन कार्यक्रम को पूरा करने के बाद प्रदान किया जाता है। यह डिग्री कॉमनवेल्थ ऑफ नेशंस, आयरलैंड गणराज्य, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया और अन्य देशों में प्रदान की जाती है। आम तौर पर यह डिग्री बैचलर ऑफ साइंस डिग्री कार्यक्रम में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को प्रदान की जाती है जिन्होंने एक लिया है जिसे अतिरिक्त रूप से या तो व्यावसायिक प्लेसमेंट्स (जैसे पर्यवेक्षित प्रैक्टिका या इंटर्नशिप) या अभ्यास आधारित क्लासरूम कार्यक्रमों द्वारा पूरा किया जाता है। इन आवश्यकताओं के कारण इस डिग्री में आम तौर पर कम से कम चार साल का समय लगता है। कुछ देशों में एक पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद यह डिग्री प्रदान की जाती है जो करियर उन्मुखी होता है जहां सिद्धांत के विपरीत अभ्यास पर जोर दिया जाता है। यहाँ, इसके विपरीत, व्यवसायिक प्लेसमेंट्स और अभ्यास आधारित कार्यक्रमों को इस कार्यक्रम के तहत बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है (सहकारी शिक्षा देखें).

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प्रेरण

वस्तुत: किसी वस्तु के भाव तथा गुण द्वारा उत्पन्न होनेवाले प्रभाव को प्रेरण (Induction) कहते हैं, जब कि दोनों वस्तुओं का संस्पर्श न हो। इस प्रकार जब कोई वस्तु दूसरी वस्तु से अलग होते हुए भी उसपर अपना प्रभाव आरोपित करती है, तब उसे प्रेरण कहा जाता है। विद्युत् इंजीनियरी में तीन प्रकार के प्रेरण प्रभाव होते हैं: 1.

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पृथक्कारी स्विच

उच्च वोल्टता का पृथक्कारी स्विच विद्युत अभियांत्रिकी में पृथक्कारी स्विच (disconnector या disconnect switch या isolator switch) ऐसी युक्ति है जिसका उपयोग शक्ति-प्रणाली के किसी भाग को पूर्णतः पृथक (वोल्टेज रहित) करने के लिये किया जाता है ताकि उस भाग में सुधार (मरम्मत) आदि कार्य किया जा सके। अन्य स्थितियों में परिपथ को बन्द करने के लिये इस स्विच का उपयोग नहीं किया जाता बल्कि ब्रेकर आदि का उपयोग किया जाता है। ये स्विच हाथ से बन्द/चालू किये जाने वाले या स्वचालित, दोनों ही तरह के हो सकते हैं। श्रेणी:विद्युतशक्ति प्रणाली.

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फ़ूर्ये श्रेणी

फूर्ये श्रेणी के आरम्भिक एक, दो, तीन या चार पदों द्वारा वर्ग तरंग फलन (square wave function) का सन्निकटीकरण (approximation)। अधिक पद जोड़ने पर प्राप्त ग्राफ, वर्ग-तरंग के ग्राफ के अधिकाधिक निकट दिखने लगता है। गणित में फूर्ये श्रेणी (Fourier series) एक ऐसी अनन्त श्रेणी है जो f आवृत्ति वाले किसी आवर्ती फलन (periodic function) को f, 2f, 3f, आदि आवृत्तियों वाले ज्या और कोज्या फलनों के योग के रूप में प्रस्तुत करती है। इसका प्रयोगे सबसे पहले जोसेफ फ़ूर्ये (१७६८ - १८३०) ने धातु की प्लेटों में उष्मा प्रवाह एवं तापमान की गणना के लिये किया था। किन्तु बाद में इसका उपयोग अनेकानेक क्षेत्रों में हुआ और यह विश्लेषण का एक क्रान्तिकारी औजार साबित हुआ। इसकी सहायता से कठिन से कठिन फलन भी ज्या और कोज्या फलनों के योग के रूप में प्रकट किये जाते हैं जिससे इनसे सम्बन्धित गणितीय विश्लेषण अत्यन्त सरल हो जाते हैं। .

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फ्यूज

80 kA ब्रेकिंग क्षमता वाला कोई औद्योगिक फ्यूज वैद्युत प्रौद्योगिकी एवं एलेक्ट्रॉनिकी फ्यूज (fuse), परिपथ का एक संरक्षात्मक (प्रोटेक्टिव) अवयव है जो एक नियत मात्रा से अधिक धारा बहने पर परिपथ को तोड देता है। इस प्रकार परिपथ में स्थित अन्य मूल्यवान अवयव अत्यधिक धारा के कारण खराब होने से बच जाते हैं। फ्यूज शब्द फ्यूजिबल लिंक का लघु रूप है। मोटे तौर पर एक धातु की तार या पट्टी इसका मुख्य भाग है जो अधिक धारा बहने की दशा में पिघल जाती है और इस प्रकार परिपथ टूट जाता है। एक सरल परिपथ में फ्यूज की स्थिति कुछ अलग-अलग प्रकार के फ्यूज मोटरगाड़ियों में लगाये जाने वाले फ्यूज विभिन्न प्रकार के फ्यूज-होल्डर .

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बिमल कुमार बोस

बिमल कुमार बसु (बांग्ला भाषा: বিমল কুমার বসু; जन्म 1932), एक विद्युत अभियन्ता, कृत्रिम बुद्धि अनुसंधानकर्ता, शिक्षक और प्रोफेसर हैं। सम्प्रति वे नॉक्सविल्ली के तेनीसी विश्वविद्यालय में विद्युत इंजीनियरी और संगणक विज्ञान के प्रोफेसर हैं। .

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बैलून

६० ओम / २४० ओम बैलून जो ५० मेगा हर्ट्ज से २५० मेगाहर्ट्ज तक की आवृत्तियों के लिये उपयुक्त है। विद्युत इंजीनियरी और रेडियो इंजीनियरी के सन्दर्भ में बैलून (Balun .

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी भारत का विज्ञान एवं अभियान्त्रिकी में शोध तथा स्नातक शिक्षा पर केंद्रित संस्थान है। संक्षिप्त में, यह 'आई.आई.टी.

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पालक्काड

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पालक्काड (आईआईटी पालक्काड) केरल के पलक्कड़ में स्थित एक सार्वजनिक स्वायत्त  अभियांत्रिकी और अनुसंधान संस्थान है। यह भारत के २०१४ के केंद्रीय बजट में प्रस्तावित पांच नए आईआईटी में से एक है। इसके परिसर का उद्घाटन ३ अगस्त २०१५ को पलक्कड़ में स्थित अस्थायी परिसर स्थान, अहिल्या एकीकृत परिसर पर हुआ था। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा आईआईटी पलक्कड़ के प्रोफेसर-इन-इंचार्ज पी बी सुनील कुमार को निदेशक के रूप में नियुक्त किये जाने तक, आईआईटी मद्रास के निदेशक डॉ भास्कर राममूर्ति को मैनेटर निदेशक बनाया गया था। शिक्षण के स्तर को आईआईटी के अनुकूल रखने के लिए, आईआईटी मद्रास ने हाल ही में सेवानिवृत्त, पूर्व अध्यक्ष और विभिन्न विभागों के प्रमुख  एवं अनुभवी प्रोफेसरों के एक समूह को नए परिसर में स्थायी और अस्थायी प्रोफेसरों दोनों के रूप में नियुक्त किया है। .

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (Indian Institute of Technology Kanpur), जो कि आईआईटी कानपुर अथवा आईआईटीके के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक है। इसकी स्थापना सन् १९५९ में उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में हुई। आईआईटी कानपुर मुख्य रूप से विज्ञान एवं अभियान्त्रिकी में शोध तथा स्नातक शिक्षा पर केंद्रित एक प्रमुख भारतीय तकनीकी संस्थान बनकर उभरा है। .

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़ मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित संस्थान है। संस्थान का पहला सत्र सन २००८ में शरू हुआ। संस्थान पंजाब के रूपनगर जिले में स्थित है। संस्थान अभी अस्थाई कैम्पस में चल रहा है। सन २०१३ तक संस्थान अपने स्थाई कैम्पस में स्थानांतरित हो जाएगा। संस्थान निम्नलिखित शिक्षण क्षेत्र में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बी.टेक्) पाठ्यक्रम प्रदान करता हैः.

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भूसम्पर्कन

भुसम्पर्कन के लिये लगाया गया एक सामान्य एलेक्ट्रोड (भूरा रंग) विद्युत इंजीनियरी में भूमि (ground या earth) के सन्दर्भ में ही वोल्टेज मापे जाते हैं, भूमि ही से होकर विद्युत धारा वापस लौटती है। विद्युत शक्ति वितरण तन्त्र में सुरक्षात्मक भूसम्पर्कन चालक (protective ground conductor), सुरक्षा की दृष्टि से परम आवश्यक है। विद्युत परिपथों को धरती से जोड़ना, भूसम्पर्कन (ग्राउण्डिंग) कहलाता है। विद्युत परिपथों को धरती से विद्युत सम्पर्क बनाने के कई कारण हैं। जैसे-.

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मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वद्यालय, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित एक प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना १९६२ में हुई थी और १ दिसम्बर २०१३ के पहले इसका नाम 'मदन मोहन मालवीय इंजिनियरिंग कॉलेज' था। .

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मुजफ्फरपुर तकनीकी संस्थान

कोई विवरण नहीं।

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मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल

---- मौलाना आजाद राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, भोपाल की स्थापना १९६० में की गई थी और २६ जून २००२ को इसे राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दर्जा दिया गया। इस संस्थान में 8 विभाग हैं। यह संस्थान सिविल इंजीनियरी, अभियांत्रिकी इंजीनियरी, विद्युत इंजीनियरी, इलैक्टोनिकी तथा संचार इंजीनियरी, कम्प्यूटर विज्ञान तथा इंजीनियरी, सूचना प्रौद्योगिकी में चार वर्षीय बी.टेक कार्यक्रम और एक पांच वर्षीय बी.आर्क.

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यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (UIET) उत्तम तकनीकी शिक्षा देने और अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान के एक "उत्कृष्टता केंद्र" के रूप में विकसित करने के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा २००४ में स्थापित किया गया था। यह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय परिसर में स्थित एक सरकारी महाविद्यालय है.

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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दुर्गापुर

राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, दुर्गापुर राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल की स्थापना १९६० में की गई थी और ३ जुलाई २००३ को इसे राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में परिवर्तित किया गया था। इस संस्थान में १५ विभाग हैं। यह संस्थान सिविल इंजीनियरी, विद्युत इंजीनियरी, अभियांत्रिकी इंजीनियरी, रसायन इंजीनियरी, धातुकर्मीय इंजीनियरी, इलैक्ट्रॉनिकी तथा संचार इंजीनियरी, कम्प्यूटर विज्ञान तथा इंजीनियरी, जैब प्रौद्योगिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विषयों मे चार-वर्षीय अवर-स्नातक पाठयक्रम चलाता है। यह संस्थान एमबीए तथा एमसीए सहित नौ विषयों में एम.टेक पाठयक्रमों का भी संचालन करता है। यह संस्थान विदेशी विद्यार्थियों के लिए १२० विद्यार्थी क्षमता वाला एक पुरूष छात्रावास, तीन १२० बिस्तर वाले लेक्चरर दीर्घाएं, कम्प्यूटर केन्द्र विस्तार, विद्युत यंत्र प्रयोगशाला, हाई पावर प्रयोगशाला का निर्माण करेगा। .

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श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान

श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (Shri Govindram Seksaria Institute of Technology and Science (SGSITS)), इन्दौर ही नहीं वरन् मध्य प्रदेश का प्रमुख अभियांत्रिकी महाविद्यालय है। इसकी स्थापना सन् १९५२ में हुई थी। यह स्वशासी संस्थान है और विश्वविद्यालय की उपाधि की प्राप्ति के लिये प्रयासरत है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), नई दिल्ली और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), नई दिल्ली ने १९८९ में एक स्वायत्त संस्थान का दर्जा दिया था। इस स्थिति के तहत, संस्थान यूजी और पीजी स्तर दोनों में अपनी परीक्षाएं आयोजित करता है तथा एसजीएसआईटीएस एक शासक मंडल के प्रशासन के तहत परिचालित हो गया। सम्प्रति इस संस्थान में ९ स्नातकस्तरीय एवं १७ परास्नातक-स्तरीय पाठ्यक्रम चल रहे हैं जिनमें क्रमश: ६५० एवं १५० छात्र लिये जाते हैं। इसके अतिरिक्त यह संस्थान अंशकालिक स्नातक पाठयक्रम भी चलाता है। .

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शैक्षिक विशिष्टीकरण

शिक्षा के सन्दर्भ में, विशिष्टीकरण (specialization) के मतलब किसी शिक्षण-संस्थान में उस विषय के अध्ययन से है जिसमें विस्तार बहुत कम हो किन्तु गहराई बहुत अधिक। उदाहरण के लिये वैद्युत अभियाँत्रिकी के अन्तर्गत उच्च विभव इंजीनियरी (हाई वोल्टेज इंजीनियरिंग) एक विशिष्टीकरण है। श्रेणी:शिक्षा.

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सम्मिश्र विश्लेषण

सम्मिश्र विश्‍लेषण (Complex analysis) जिसे सामान्यतः सम्मिश्र चरों के फलनों का सिद्धान्त भी कहा जाता है गणितीय विश्लेषण की एक शाखा है जिसमें सम्मिश्र संख्याओं के फलनों का अध्ययन किया जाता है। यह बीजीय ज्यामिति, संख्या सिद्धान्त, व्यावहारिक गणित सहित गणित की विभिन्न शाखाओं में उपयोगी है तथा इसी प्रकार तरल गतिकी, उष्मागतिकी, यांत्रिक अभियान्त्रिकी और विद्युत अभियान्त्रिकी सहित भौतिक विज्ञान में भी उपयोगी है। .

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संरचना इंजीनियरी

विश्व की सबसे बड़ी इमारत - '''बुर्ज दुबई''' संरचना इंजीनियरी, इंजीनियरी की वह शाखा है जो लोड (बल) सहन करने या बल का प्रतिरोध करने के के लिये बनायी जाने वाली संरचनाओं (structures) के विश्लेषण एवं डिजाइन से सम्बन्ध रखती है। इसे प्रायः सिविल इंजीनियरी के अन्दर एक विशेषज्ञता का क्षेत्र समझा जाता है। संरचना इंजीनियर का काम प्रायः भवनों तथा विशाल गैर-भवन संरचनाओं की डिजाइन करना होता है किन्तु वे मशीनरी, चिकित्सा उपकरण, वाहनों आदि के डिजाइन से भी जुड़े हो सकते हैं। संरचना इंजीनियरी का सिद्धान्त भौतिक नियमों तथा विभिन्न पदार्थों/ज्यामितियों के गुणधर्म से सम्बन्धित अनुभवजन्य ज्ञान पर आधारित है। अनेकों छोटे छोटे संरचनात्मक अवयवों के योग से जटिल संरचनाएँ निर्मित की जातीं हैं। संरचना इंजीनियर को लोहे और इस्पात का ही नहीं, बल्कि लकड़ी, ईंट, पत्थर, चूना और सीमेंट का भी आधुनिकतम ज्ञान तथा यांत्रिक एवं विद्युत् इंजीनियरी के कामों में भी दक्ष होना चाहिए, क्योंकि इन्हें अपने ढाँचे यांत्रिकी तथा भौतिकी के सिद्धांतों के अनुसार निरापद ढंग से बनाने पड़ते हैं। भूमि, जल और वायु की प्रकृति का भी पूर्ण ज्ञान सिविल इंजीनियर के समान ही होना चाहिए। .

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संगणक अभियान्त्रिकी

एक एफपीजीए बोर्ड संगणक अभियांत्रिकी या कम्प्यूटर अभियान्त्रिकी अभियांत्रिकी कि वह शाखा है जिसमे संगणक के सभी हार्डवेयर, साफ्टवेयर एवं प्रचालन तंत्र की डिजाइन, रचना, निर्माण, परीक्षण, रखरखाव आदि का अध्ययन किया जाता है। पहले यह वैद्युत प्रौद्योगिकी की एक शाखा मात्र थी। .

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हैवलेट-पैकर्ड

हैवलेट-पैकार्ड निगमित कंपनी (HP Inc.) जो कि मुख्त्य: एच-पी (HP) के नाम से जानी ‌जाती है, सूचना तकनीकी‌ की‌ एक अमेरिकी कंपनी है। यह कंपनी व्यक्तिगत कंप्यूटर (PC), प्रिंटर और संबंधित आपूर्ति, और तीन आयामी मुद्रण (3D प्रिंटिंग) समाधान विकसित करती है। .

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वर्ग माध्य मूल

गणित में वर्ग माध्य मूल (root mean square / RMS or rms), किसी चर राशि के परिमाण (magnitude) को व्यक्त करने का एक प्रकार का सांख्यिकीय तरीका है। इसे द्विघाती माध्य (quadratic mean) भी कहते हैं। यह उस स्थिति में विशेष रूप से उपयोगी है जब चर राशि धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों मान ग्रहण कर रही हो। जैसे ज्यावक्रीय (sinusoids) का आरएमएस एक उपयोगी राशि है। 'वर्ग माध्य मूल' का शाब्दिक अर्थ है - दिये हुए आंकड़ों के "वर्गों के माध्य का वर्गमूल (root)".

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विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक अभियांत्रिकी की समयरेखा

नीचे विद्युत तथा इलेक्ट्रॉनिक अभियांत्रिकी के इतिहास में हुए अनुसंधानों की सूची नीचे दी गयी है। .

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विद्युत कोष

विभिन्न प्रकार की विद्युत कोष (बांयी तरफ् नीचे से दक्षिणावर्त): दो 9-वोल्ट; दो AA; दो AAA; एक D विद्युत कोष; एक C विद्युत कोष; एक हैम-रेडियो की विद्युत कोष; कार्डलेस फोन की विद्युत कोष; और एक कैमराकार्डर विद्युत कोष (लेटी हुई) विद्युत कोष (Battery) विद्युत ऊर्जा का स्रोत है जिसे रासायनिक उर्जा से प्राप्त किया जाता है। वैद्युत अभियांत्रिकी एवं एलेक्ट्रानिक्स में दो या दो से अधिक विद्युतरासायनिक सेलों के संयोजन को विद्युत कोष कहते हैं। ये रासायनिक उर्जा भण्डारित करते हैं एवं इस उर्जा को विद्युत उर्जा के रूप में उपलब्ध करते हैं। सन १८०० में अलेसान्द्रो वोल्टा द्वारा sabse पहले बैटरी का आविष्कार हुआ। आजकल अधिकांश घरेलू एवं औद्योगिक उपयोगों के लिये विद्युत कोष ही विद्युत उर्जा का प्रमुख साधन है। सन २००५ के एक अनुमान के अनुसार विश्व भर में विद्युत कोष की बिक्री लगभग ४८ बिलियन अमेरिकी डालर के बराबर होता है। .

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विद्युतचुम्बकीय सिद्धान्त का इतिहास

एफिल टॉवर पर बिजली (१९०२) विद्युतचुम्बकीय सिद्धान्त का इतिहास उसी समय से शुरू माना जा सकता है जबसे प्राचीन काल में लोगों ने वायुमण्डलीय विद्युत (विशेषतः तड़ित) को समझना शुरू किया। .

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विद्युतरोधी

११० किलोवोल्ट का एक सिरैमिक कुचालक विद्युतरोधी (Insulator) वे पदार्थ होते हैं जो तुलनात्मक रूप से विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करते हैं या जिनमें से होकर समान स्थितियों में बहुत कम धारा प्रवाहित होती है। लकड़ी (सूखी हुई), बैकेलाइट, एस्बेस्टस, चीनी मिट्टी, कागज, पीवीसी आदि कुचालकों के कुछ उदाहरण हैं। वैद्युत प्रौद्योगिकी में जिस तरह सुचालकों, अर्धचालकों एवं अतिचालकों के विविध उपयोग हैं, उसी प्रकार कुचालकों के भी विविध प्रकार से उपयोग किये जाते हैं। ये सुचालक तारों के ऊपर चढ़ाये जाते हैं; विद्युत मशीनों के वाइंडिंग में तारों की परतों के बीच उपयोग किये जाते हैं; उच्च वोल्टता की लाइनों को खम्भों या तावरों से आश्रय देने (लटकाने/झुलाने) आदि विविध कामों में प्रयुक्त होते हैं। .

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विद्युतीय प्रतीक

बहुधा प्रयुक्त विद्युतीय प्रतीक विद्युत अभियांत्रिकी तथा इलेक्ट्रॉनिकी में किसी परिपथ के चित्रमय प्रदर्शन के लिये उस परिपथ में प्रयुक्त विभिन्न अवयवों (जैसे तार, बैटरी, डायोड, प्रतिरोध आदि के लिये मानक प्रतीक उपयोग किये जाते हैं। आजकल लगभग सभी देशों में लगभग एक समान प्रतीक प्रयोग किये जा रहे हैं। किसी अवयव का प्रतीक काफी सीमा तक उस अवयव के किसी प्रमुख गुणधर्म को चित्रित करता है। .

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ओम का नियम

जॉर्ज साइमन ओम प्रतिरोध ''R'', के साथ ''V'' विभवान्तर का स्रोत लगाने पर उसमें विद्युत धारा, ''I '' प्रवाहित होती है। ये तीनों राशियाँ ओम के नियम का पालन करती हैं, अर्थात ''V .

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आर्मेचर

डी सी मोटर की आर्मेचर (कम्युटेतर सहित) विद्युत इंजीनियरी में आर्मेचर (armature), विद्युत मशीनों का मुख्य भाग है। विद्युत-यांत्रिक मशीनों या विद्युत-मशीनों के दो मुख्य भागों में से एक को आर्मेचर कहते हैं। किन्तु स्थायी चुम्बक या विद्युत चुम्बक के पोल पीस (pole piece) को भी आर्मेचर कहा जाता है। इसी प्रकार परिनालिका या रिले के लोहे से निर्मित चलायमान भाग को भी आर्मेचर कहते हैं। श्रेणी:विद्युत मशीनें.

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इलैक्ट्रॉनिक्स

तल पर जुड़ने वाले (सरफेस माउंट) एलेक्ट्रानिक अवयव विज्ञान के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रॉनिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार के माध्यमों (निर्वात, गैस, धातु, अर्धचालक, नैनो-संरचना आदि) से होकर आवेश (मुख्यतः इलेक्ट्रॉन) के प्रवाह एवं उन पर आधारित युक्तिओं का अध्ययन करता है। प्रौद्योगिकी के रूप में इलेक्ट्रॉनिकी वह क्षेत्र है जो विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों (प्रतिरोध, संधारित्र, इन्डक्टर, इलेक्ट्रॉन ट्यूब, डायोड, ट्रान्जिस्टर, एकीकृत परिपथ (IC) आदि) का प्रयोग करके उपयुक्त विद्युत परिपथ का निर्माण करने एवं उनके द्वारा विद्युत संकेतों को वांछित तरीके से बदलने (manipulation) से संबंधित है। इसमें तरह-तरह की युक्तियों का अध्ययन, उनमें सुधार तथा नयी युक्तियों का निर्माण आदि भी शामिल है। ऐतिहासिक रूप से इलेक्ट्रॉनिकी एवं वैद्युत प्रौद्योगिकी का क्षेत्र समान रहा है और दोनो को एक दूसरे से अलग नही माना जाता था। किन्तु अब नयी-नयी युक्तियों, परिपथों एवं उनके द्वारा सम्पादित कार्यों में अत्यधिक विस्तार हो जाने से एलेक्ट्रानिक्स को वैद्युत प्रौद्योगिकी से अलग शाखा के रूप में पढाया जाने लगा है। इस दृष्टि से अधिक विद्युत-शक्ति से सम्बन्धित क्षेत्रों (पावर सिस्टम, विद्युत मशीनरी, पावर इलेक्ट्रॉनिकी आदि) को विद्युत प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत माना जाता है जबकि कम विद्युत शक्ति एवं विद्युत संकेतों के भांति-भातिं के परिवर्तनों (प्रवर्धन, फिल्टरिंग, मॉड्युलेश, एनालाग से डिजिटल कन्वर्शन आदि) से सम्बन्धित क्षेत्र को इलेक्ट्रॉनिकी कहा जाता है। .

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किरचॉफ के परिपथ के नियम

गुस्टाव किरचॉफ सन् १८४५ में गुस्ताव किरचॉफ (या, गुस्ताव किरखॉफ) ने विद्युत परिपथों में वोल्टता एवं धारा सम्बन्धी दो नियम प्रतिपादित किये। ये दोनो नियम संयुक्त रूप से किरचॉफ के परिपथ के नियम कहलाते हैं। ये नियम विद्युत परिपथों के लिये वस्तुत: आवेश संरक्षण एवं उर्जा संरक्षण के नियमों के भिन्न रूप हैं। ये नियम वैद्युत इंजीनियरी से सम्बन्धित गणनाओं के आधार हैं और बहुतायत में प्रयोग होते हैं। ये दोनो नियम मैक्सवेल के समीकरणों से सीधे व्युत्पन्न किये जा सकते हैं किन्तु इतिहास यह है कि किरचॉफ ने इन्हें मैक्सवेल से पहले प्रतिपादित कर दिया था। .

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क्षणिक अनुक्रिया

'''अवमंदित कम्पन''': बहुत से तंत्रों की क्षणिक अनुक्रिया इससे मिलती-जुलती है। किन्तु कुछ तंत्रों की क्षणिक अनुक्रिया बिना किसी कम्पन के अपने स्थाई मान की ओर अग्रसर होती है, जिसे अति-अवमंदित अनुक्रिया (ओवरडैम्प्ड रिस्पॉन्स) कहते हैं। वैद्युत इंजीनियरी एवं यांत्रिक इंजीनीयरी के सन्दर्भ में किसी तंत्र की साम्यावस्था के बाद उसमें किसी प्रकार का परिवर्तन करने के तुरन्त बाद तंत्र की अनुक्रिया (रिस्पांस) को उसकी क्षणिक अनुक्रिया (transient response) कहते हैं। इसे 'अस्थाई अनुक्रिया' या 'प्राकृतिक अनुक्रिया' (natural response) भी कहते हैं। क्षणिक अनुक्रिया केवल 'बन्द/चालू' (आन/आफ) करने पर ही नहीं होती, यह साम्य को प्रभावित करने वाली किसी भी क्रिया से बाद हो सकती है। उदाहरण के लिए, श्रेणीक्रम में जुड़े किसी अनावेशित संधारित तथा प्रतिरोध को एक १२ वोल्ट की बैटरी से जोड़ने पर संधारित्र की वोल्टता शून्य से बढ़ते हुए इक्सपोनेंशियल तरीके से १२ वोल्ट की तरफ जाती है। इसे इस परिपथ की क्षणिक अनुक्रिया कहेंगे। वास्तव में क्षणिक अनुक्रिया किसी भी तंत्र में होती देखी जा सकती है। उदाहरण के लिए किसी देश की कराधान व्यवस्था में कोई बड़ा परिवर्तन करने पर उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है। क्षणिक अनुक्रियाओं के कुछ समय बाद तंत्र पुनः साम्यावस्था को प्राप्त हो जाता है जिसे 'स्थाई अवस्था' कहते हैं। किसी तंत्र में क्षणिक अनुक्रिया से आरम्भ करके 'अस्थाई अवस्था' में आने का समय उस तंत्र के 'कालांक' (time constant) को बताने का एक तरीका है। उदाहरण के लिए किसी तंत्र का कालांक २ सेकेण्ड है तो इसका मतलब है कि किसी परिवर्तन के बाद वह तंत्र लगभग ५ x २ सेकेण्ड .

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कैलाश सत्यार्थी

कैलाश सत्यार्थी (जन्म: 11 जनवरी 1954) एक भारतीय बाल अधिकार कार्यकर्ता और बाल-श्रम के विरुद्ध पक्षधर हैं। उन्होंने १९८० में बचपन बचाओ आन्दोलन की स्थापना की जिसके बाद से वे विश्व भर के १४४ देशों के ८३,००० से अधिक बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य कर चुके हैं। सत्यार्थी के कार्यों के कारण ही वर्ष १९९९ में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ द्वारा बाल श्रम की निकृष्टतम श्रेणियों पर संधि सं॰ १८२ को अंगीकृत किया गया, जो अब दुनियाभर की सरकारों के लिए इस क्षेत्र में एक प्रमुख मार्गनिर्देशक है। उनके कार्यों को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों व पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया है। इन पुरस्कारों में वर्ष २०१४ का नोबेल शान्ति पुरस्कार भी शामिल है जो उन्हें पाकिस्तान की नारी शिक्षा कार्यकर्ता मलाला युसुफ़ज़ई के साथ सम्मिलित रूप से प्रदान किया गया है। .

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केबल

पीवीसी इंसुलेटेड '''केबल''' केबल या मोटा तार दो या दो से अधिक तारों को लम्बाई में साथ साथ जोड़कर, मरोड़कर या गूंथकर तैयार की गयी एक, एकल रचना होती है। यांत्रिकी में, केबलों जिन्हें हिन्दी में रज्जु कहा जाता है (हिन्दी में इसके लिए आमतौर पर रस्सा या 'धातु का रस्सा' शब्द भी प्रयोग किया जाता है पर आजकल अंग्रेजी प्रभाव के चलते केबल शब्द भी प्रयोग किया जाने लगा है। हिन्दी में केबल का प्रयोग मुख्यत: बिजली के तार के संबंध में होता है।) का प्रयोग तनाव के माध्यम से उठाने, ढोने, खींचने और प्रवहण के लिए किया जाता है। वैद्युत अभियांत्रिकी (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) में केबल का उपयोग विद्युत धारा के प्रवाह के लिए किया जाता है। प्रकाशीय केबल में एक सुरक्षात्मक आवरण के अंदर एक या एक से अधिक तंतु उपस्थित होते हैं। लोहे की कड़ियों से बनी जंजोरों को भी केबल कहते हैं। यह जहाजों के लंगर डालने के काम आता है। जमीन के नीचे या समुद्र के पानी में डाले हुए तार के उन रस्सों को भी केबल कहते हैं जिनके द्वारा तार या टेलीफोन का संचार होता है। .

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अधिकतम शक्ति का प्रमेय

विद्युत प्रौद्योगिकी में विद्युत परिपथ सम्बन्धी यह महत्त्वपूर्ण प्रमेय है। इसके अनुसार यदि स्रोत का इम्पीडेन्स (प्रतिबाधा) नियत हो और लोड की प्रतिबाधा बदलने की स्वतन्त्रता हो तो स्रोत से लोड को अधिकतम शक्ति उस दशा में हस्तानान्तरित होगी जब लोड का इम्पीडेन्स स्रोत के इम्पीडेन्स का समिश्र युगल (complex conjugate) के बराबर हो। इसे ही अधिकतम शक्ति (हस्तानान्तरण) प्रमेय (maximum power (transfer) theorem) कहते हैं। ऐसा दावा किया जाता है कि जैकोबी (Moritz von Jacobi) ने सबसे पहले इसका आविष्कार किया।; विशेष.

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अभय भूषण

अभय भूषण इंटरनेट टीसीपी/आईपी संरचना के विकास में शामिल एक प्रमुख योगदानकर्ता तथा संचिका स्थानांतरण प्रोटोकॉल और ईमेल प्रोटोकॉल के प्रारंभिक संस्करणों के लेखक रहे है। वह वर्तमान में आईआईटी कानपुर फाउंडेशन के अध्यक्ष है। .

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अभियान्त्रिकी

लोहे का 'कड़ा' (O-ring): कनाडा के इंजिनियरों का परिचय व गौरव-चिह्न सन् 1904 में निर्मित एक इंजन की डिजाइन १२ जून १९९८ को अंतरिक्ष स्टेशन '''मीर''' अभियान्त्रिकी (Engineering) वह विज्ञान तथा व्यवसाय है जो मानव की विविध जरूरतों की पूर्ति करने में आने वाली समस्याओं का व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करता है। इसके लिये वह गणितीय, भौतिक व प्राकृतिक विज्ञानों के ज्ञानराशि का उपयोग करती है। इंजीनियरी भौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती है; औद्योगिक प्रक्रमों का विकास एवं नियंत्रण करती है। इसके लिये वह तकनीकी मानकों का प्रयोग करते हुए विधियाँ, डिजाइन और विनिर्देश (specifications) प्रदान करती है। .

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