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विज्ञान का इतिहास

सूची विज्ञान का इतिहास

Letter to Robert Hooke (15 फ़रवरी 1676 by Gregorian reckonings with January 1st as New Years Day. equivalent to 5 फ़रवरी 1675 using the Julian calendar with March 25th as New Years Day--> विज्ञान का इतिहास से तात्पर्य विज्ञान व वैज्ञानिक ज्ञान के ऐतिहासिक विकास के अध्ययन से है। यहाँ 'विज्ञान' के अन्तर्गत प्राकृतिक विज्ञान व सामाजिक विज्ञान दोनों सम्मिलित हैं। .

10 संबंधों: चन्द्रकान्त राजू, ऐतिहासिक भूगोल, प्रौद्योगिकी का इतिहास, सातत्य सिद्धान्त, जिओवानी स्क्यापारेल्ली, ज्ञान प्रकाश, विचारों का इतिहास, विज्ञान, आइज़क न्यूटन, अरुण बाला

चन्द्रकान्त राजू

चन्द्रकान्त राजू (जन्म 7 मार्च 1954) भारत के कम्प्यूटर विज्ञानी, गणितज्ञ, भौतिकशास्त्री, शिक्षाशास्त्री, दार्शनिक एवं बहुज्ञ अनुसंधानकर्ता हैं। सम्प्रति वे नयी दिल्ली के सभ्यता अध्ययन केन्द्र (Centre for Studies in Civilizations) से जुड़े हुए हैं। भारत के प्रथम सुपरकम्प्यूटर 'परम' (1988-91) में उनका उल्लेखनीय एवं प्रमुख योगदान रहा। .

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ऐतिहासिक भूगोल

ऐतिहासिक भूगोल किसी स्थान अथवा क्षेत्र की भूतकालीन भौगोलिक दशाओं का या फिर समय के साथ वहाँ के बदलते भूगोल का अध्ययन है। यह अपने अध्ययन क्षेत्र के सभी मानवीय और भौतिक पहलुओं का अध्ययन किसी पिछली काल-अवाधि के सन्दर्भ में करता है या फिर समय के साथ उस क्षेत्र के भौगोलिक दशाओं में परिवर्तन का अध्ययन करता है। बहुत सारे भूगोलवेत्ता किसी स्थान का इस सन्दर्भ में अध्ययन करते हैं कि कैसे वहाँ के लोगों ने अपने पर्यावरण के साथ अंतर्क्रियायें कीं और किस प्रकार इन क्रियाओं के परिणामस्वरूप उस स्थान के भूदृश्यों का उद्भव और विकास हुआ। आज के परिप्रेक्ष्य में भूगोल की इस शाखा का जो रूप दिखाई पड़ता है उसका सर्वप्रथम प्रतिनिधित्व करने वाली रचनाओं में हेरोडोटस के उन वर्णनों को माना जा सकता है जिनमें उन्होंने नील नदी के डेल्टाई क्षेत्रों के विकास का वर्णन किया है, हालाँकि तब ऐतिहासिक भूगोल जैसी कोई शब्दावली नहीं बनी थी। आधुनिक रूप में इसका विकास जर्मनी में फिलिप क्लूवर के साथ शुरू माना जाता है जिन्होंने जर्मनी का ऐतिहासिक भूगोल लिखकर इस शाखा का प्रतिपादक बनने का श्रेय हासिल किया। १९७५ में जर्नल ऑफ हिस्टोरिकल ज्याग्रफी के पहले अंक के साथ ही इसके विषय क्षेत्र और अध्ययनकर्ताओं के समूह जो एक व्यापक विस्तार मिला। अमेरिका में इस शाखा को सबसे अधिक बल कार्ल सॉअर के सांस्कृतिक भूगोल के अध्ययन से मिला जिसके द्वारा उन्होंने सांस्कृतिक भूदृश्यों के ऐतिहासिक विकास के अध्ययन को प्रेरित किया। हालाँकि अब वर्तमान समय में इसमें कई अन्य थीम शामिल हो चुकी हैं जिनमें पर्यावरण का ऐतिहासिक अध्ययन और पर्यावरणीय ज्ञान के ऐतिहासिक अध्ययन को भी शामिल किया जाता है। अब ऐतिहासिक भूगोल रुपी भूगोल की यह शाखा इतिहास, पर्यावरणीय इतिहास और ऐतिहासिक पारिस्थितिकी इत्यादि शाखाओं से काफ़ी करीब मानी जा सकती है। .

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प्रौद्योगिकी का इतिहास

चक्र (पहिया) का आविष्कार ४००० ईसा पूर्व हुआ। यह संसार का सबसे अधिक उपयोगी प्रौद्योगिकी सिद्ध हुई है प्रौद्योगिकी का इतिहास वस्तुत: उपयोगी वस्तुतों का निर्माण करने में प्रयुक्त उपकरणों एवं तकनीकों (tools and techniques) के खोज का इतिहास है। यह मानवता के इतिहास से कई अर्थों में समान है। प्रौद्योगिकी के इतिहास और विज्ञान के इतिहास में घनिष्ट सम्बन्ध है। प्रौद्योगिकी ने वैज्ञानिक शोधों (विशेषकर आधुनिक युग में) के लिये मार्ग बनाया है तो वैज्ञानिक जानकारियों ने नयी प्रौद्योगिकी के विकास का रास्ता साफ किया है। एक तरफ प्रौद्योगिकीय वस्तुएँ (Technological artifacts) अर्थव्यवस्था की उपज हैं तो दूसरी तरफ वे आर्थिक प्रगति के साधन (कारक) भी हैं। प्रौद्योगिक नवाचार समाज के सांस्कृतिक परम्पराओं से प्रभावित होता है और इसे प्रभावित भी करता है। वैज्ञानिक नवाचार से सैनिक शक्ति के विकास में मदद मिलती है। .

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सातत्य सिद्धान्त

विचारों के इतिहास के सन्दर्भ में, सातत्य सिद्धान्त (continuity thesis) की परिकल्पना है कि मध्यकाल, पुनर्जागरण काल तथा आधुनिक काल के आरम्भिक चरणों के बीच बौद्धिक दृष्टि से कोई मूलभूत असातत्य नहीं है। इस प्रकार यह सिद्धान्त पुनर्जागरण के बाद किसी वैज्ञानिक क्रान्ति होने की बात को एक मिथक मानता है। सातत्य सिद्धान्त के समर्थकों में दुहेम (Pierre Duhem), सार्तों (George Sarton), जोहान हिंगिजा (Johan Huizinga), फ्रैंकलिन (James Franklin), पस्नौ (Robert Pasnau), ग्राहम (Angus Charles Graham), सलिबा (George Saliba), ग्राण्ट (Edward Grant), हैटफिल्ड (Gary Hatfield) और अरुण बाला आदि प्रमुख हैं। .

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जिओवानी स्क्यापारेल्ली

जिओवानी विर्गिनियो स्क्यापारेल्ली (14 मार्च 1835 - 4 जुलाई 1910) एक इतालवी खगोलज्ञ और वैज्ञानिक इतिहासकार थे। उन्होंने टुरिन विश्वविद्यालय और बर्लिन वेधशाला में अध्ययन किया था। 1859-1860 में उन्होंने पुलकोवो वेधशाला में काम किया और बाद में ब्रेरा वेधशाला में चालीस वर्षों से ऊपर काम किया। वे इटली साम्राज्य के सभासद भी थे, आकादेमिया दी लिंसी, द अकादेमिया डेल्ले स्सिएंज़े दी तोरिनो और द रेगियो इस्तिठुठो लोम्बर्दो के भी सदस्य थे और विशेष रूप से मंगल ग्रह के अपने अध्ययन के लिए जाने जाते हैं। उनकी भतीजी, एल्सा स्क्यापारेल्ली, एक प्रसिद्ध फ़ैशनेबल वस्त्र-निर्माता बनी। .

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ज्ञान प्रकाश

ज्ञान प्रकाश आधुनिक भारत के एक इतिहासकार और प्रिंसटन विश्वविद्यालय में इतिहास के डेटन-स्टॉकटन प्राध्यापक है। प्रकाश सबाल्टर्न अध्ययन सामूहिक के एक सदस्य है। वर्ष १९७३ में दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में बी.ए. की डिग्री प्राप्त की, १९७५ में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. की उपाधि और १९८४ में पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से इतिहास में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। ज्ञान प्रकाश आधुनिक दक्षिण एशियाई इतिहास, तुलनात्मक उपनिवेशवाद और उत्तर औपनिवेशिक सिद्धांत, शहरी इतिहास, विश्व इतिहास, और विज्ञान के इतिहास पर लिखते है। .

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विचारों का इतिहास

विचारों का इतिहास, इतिहास में अनुसंधान का एक क्षेत्र है जो समय के साथ मानव के विचारों में परिवर्तन, विचारों की अभिव्यक्ति एवं उनकी संरक्षण आदि का अध्ययन करता है। इस प्रकार यह बौद्धिक इतिहास (intellectual history) का एक उपभाग कहा जा सकता है। विचारों का इतिहास के सम्यक अध्ययन में दर्शन का इतिहास, विज्ञान का इतिहास और साहित्य का इतिहास बहुत उपयोगी हैं। स्वीडेन में तो १९३० के दशक से ही यह विश्वविद्यालयों में एक विषय के रूप मे पढ़ाया जाता रहा है। आजकल विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों में यह स्नातक स्तर पपढ़ाया जाता है। .

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विज्ञान

संक्षेप में, प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान (Science) कहते हैं। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। .

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आइज़क न्यूटन

सर आइज़ैक न्यूटन इंग्लैंड के एक वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की। वे एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे। इनका शोध प्रपत्र "प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांतों "" सन् १६८७ में प्रकाशित हुआ, जिसमें सार्वत्रिक गुर्त्वाकर्षण एवं गति के नियमों की व्याख्या की गई थी और इस प्रकार चिरसम्मत भौतिकी (क्लासिकल भौतिकी) की नींव रखी। उनकी फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका, 1687 में प्रकाशित हुई, यह विज्ञान के इतिहास में अपने आप में सबसे प्रभावशाली पुस्तक है, जो अधिकांश साहित्यिक यांत्रिकी के लिए आधारभूत कार्य की भूमिका निभाती है। इस कार्य में, न्यूटन ने सार्वत्रिक गुरुत्व और गति के तीन नियमों का वर्णन किया जिसने अगली तीन शताब्दियों के लिए भौतिक ब्रह्मांड के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। न्यूटन ने दर्शाया कि पृथ्वी पर वस्तुओं की गति और आकाशीय पिंडों की गति का नियंत्रण प्राकृतिक नियमों के समान समुच्चय के द्वारा होता है, इसे दर्शाने के लिए उन्होंने ग्रहीय गति के केपलर के नियमों तथा अपने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बीच निरंतरता स्थापित की, इस प्रकार से सूर्य केन्द्रीयता और वैज्ञानिक क्रांति के आधुनिकीकरण के बारे में पिछले संदेह को दूर किया। यांत्रिकी में, न्यूटन ने संवेग तथा कोणीय संवेग दोनों के संरक्षण के सिद्धांतों को स्थापित किया। प्रकाशिकी में, उन्होंने पहला व्यवहारिक परावर्ती दूरदर्शी बनाया और इस आधार पर रंग का सिद्धांत विकसित किया कि एक प्रिज्म श्वेत प्रकाश को कई रंगों में अपघटित कर देता है जो दृश्य स्पेक्ट्रम बनाते हैं। उन्होंने शीतलन का नियम दिया और ध्वनि की गति का अध्ययन किया। गणित में, अवकलन और समाकलन कलन के विकास का श्रेय गोटफ्राइड लीबनीज के साथ न्यूटन को जाता है। उन्होंने सामान्यीकृत द्विपद प्रमेय का भी प्रदर्शन किया और एक फलन के शून्यों के सन्निकटन के लिए तथाकथित "न्यूटन की विधि" का विकास किया और घात श्रृंखला के अध्ययन में योगदान दिया। वैज्ञानिकों के बीच न्यूटन की स्थिति बहुत शीर्ष पद पर है, ऐसा ब्रिटेन की रोयल सोसाइटी में 2005 में हुए वैज्ञानिकों के एक सर्वेक्षण के द्वारा प्रदर्शित होता है, जिसमें पूछा गया कि विज्ञान के इतिहास पर किसका प्रभाव अधिक गहरा है, न्यूटन का या एल्बर्ट आइंस्टीन का। इस सर्वेक्षण में न्यूटन को अधिक प्रभावी पाया गया।.

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अरुण बाला

डॉ अरुण बाला एक शिक्षाविद एवं दार्शनिक हैं। विज्ञान दर्शन एवं विज्ञान का इतिहास उनके विचारों के केन्द्रबिन्दु हैं। वैज्ञानिक क्रांति के विचार को वे अस्वीकार करते हैं। अरुण बाला ने सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में कई वर्षों तक दर्शनशास्त्र का शिक्षण किया। सम्प्रति वे कनाडा के टोरन्टो विश्वविद्यालय में अभ्यागत आचार्य (visiting professor) हैं। उन्होने कई अन्तरराष्ट्रीय संस्थानों में काम किया है। अपनी पुस्तक आधुनिक विज्ञान के जन्म में सभ्यताओं का संवाद (The Dialogue of Civilizations in the Birth of Modern Science) में इतिहास के यूरोकेन्द्रित संकल्पनाओं को चुनौती देते हैं और यह दर्शाते हैं कि दर्शन, गणित, ब्रह्माण्डशास्त्र, तथा भौतिकी के क्षेत्र में चीनी, भारतीय, अरबी और प्राचीन इजिप्ट आदि देशों में उपजे विचारों ने आधुनिक विज्ञान को जन्म दिया। .

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