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विज्ञान

सूची विज्ञान

संक्षेप में, प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान (Science) कहते हैं। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। .

395 संबंधों: ऊतक माइक्रोएरे, ऊष्मागतिकी का इतिहास, चारुसीता चक्रवर्ती, चिरसम्मत यांत्रिकी, चेतना, चीन में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का इतिहास, टाटा समूह, टामस कार्लायल, ट्रक्टेटुस लॉजिको-फिलोसोफिक्स, टेलर संग्रहालय, टोक्यो विश्वविद्यालय, एम बी एम अभियान्त्रिकी महाविद्यालय, एम॰एससी॰, एकलव्य फ़ाउंडेशन, ऐन्डर्स सेल्सियस, डाटाबेस फोरेंसिक, ड्रीम 2047, डेविड लिविंग्स्टन, डोनाल्ड ए ग्लेसर, तथ्यवाद, तन्त्र, तर्क, तर्कशास्त्र, तंत्र (सिस्टम), तुलनात्मक राजनीति, त्रिकोणमिति के उपयोग, तीन मूर्ति भवन, दर्शन परिषद, दर्शनशास्त्र, दहन, दिल्ली, दुर्गाप्रसाद खत्री, दृष्टिमिति, धर्ममीमांसा, नारायण गोपाल डोंगरे, नासा, नागपुर विश्वविद्यालय, न्यायालयिक नृविज्ञान, न्यायालयिक भूकम्प विज्ञान, न्यायालयिक विज्ञान के सिद्धांत, न्यायिक विज्ञान, न्यायिक खगोल विज्ञान, नैनोकण, नैश्नल जिओग्रैफ़िक​ मैगज़ीन, नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी इनहैंस्ड लर्निंग, नोआम चाम्सकी, पटना के पर्यटन स्थल, पत्रकारिता की शैलियाँ, पदार्थ, पदार्थ (भारतीय दर्शन), ..., पद्म श्री, पद्म विभूषण धारकों की सूची, परियोजना, पर्ड्यू विश्वविद्यालय, 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ऊतक माइक्रोएरे

ऊतक माइक्रोएरे विकृति विज्ञान के क्षेत्र में हाल ही में एक नवीनता है। ऊतक माइक्रोएरे १००० पैराफिन ब्लॉकों से मिलकर बना है, अलग ऊतक कोर सरणी फैशन में इकट्ठा कर रहे हैं मल्टीप्लेक्स ऊतकीय विश्लेषण के लिए।0 .

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ऊष्मागतिकी का इतिहास

सावरी का इंजन - सन १६९८ में थॉमस सावरी द्वारा निर्मित वाणिज्यिक रूप से उपयोगी विश्व का प्रथम वाष्प इंजन ऊष्मागतिकी, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और व्यापक रूप में विज्ञान का ही महत्वपूर्ण और मूलभूत विषय रहा है। ऊष्मागतिकी विज्ञान की वह शाखा है जिसमें यान्त्रिक कार्य तथा ऊष्मा में परस्पर सम्बन्ध का वर्णन किया जाता है, यह प्रमुख रूप से यान्त्रिक कार्य तथा ऊष्मा के परस्पर रुपान्तरण से सम्बन्धित है। ऊष्मागतिकी के मुख्यतः दो नियम है-.

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चारुसीता चक्रवर्ती

चारुसीता चक्रवर्ती एक भारतीय शैक्षिक और वैज्ञानिक थी। १९९९ से वह दिल्ली में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर थी। २००९ में उन्हें रसायन विज्ञान के क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। १९९९ में, उन्हें बी एम बिड़ला विज्ञान पुरस्कार प्राप्त हुआ। वह एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बंगलौर कम्प्यूटेशनल सामग्री विज्ञान, जवाहर लाल नेहरू सेंटर के केंद्र में एक एसोसिएट सदस्य थी। .

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चिरसम्मत यांत्रिकी

भौतिक विज्ञान में चिरसम्मत यांत्रिकी, यांत्रिकी के दो विशाल क्षेत्रों में से एक है, जो बलों के प्रभाव में वस्तुओं की गति से सम्बंधित भौतिकी के नियमो के समुच्चय की विवेचना करता है। वस्तुओं की गति का अध्ययन बहुत प्राचीन है, जो चिरसम्मत यांत्रिकी को विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी सबसे प्राचीन विषयों में से एक और विशाल विषय बनाता है। .

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चेतना

१७वीं सदी से चेतना का एक चित्रण चेतना कुछ जीवधारियों में स्वयं के और अपने आसपास के वातावरण के तत्वों का बोध होने, उन्हें समझने तथा उनकी बातों का मूल्यांकन करने की शक्ति का नाम है। विज्ञान के अनुसार चेतना वह अनुभूति है जो मस्तिष्क में पहुँचनेवाले अभिगामी आवेगों से उत्पन्न होती है। इन आवेगों का अर्थ तुरंत अथवा बाद में लगाया जाता है। .

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चीन में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का इतिहास

चीन में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का इतिहास बहुत पुराना एवं समृद्ध है। पुराने काल से ही विश्व के अन्य देशों एवं सभ्यताओं से स्वतंत्र रूप से चीन के दार्शनिकों ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, गणित, खगोल आदि में उल्लेखनीय प्रगति की थी। पारम्परिक चीनी औषधि, एक्युपंचर तथा आयुर्वेदिक औषधियों का चीन में प्राचीन काल से प्रचलन है। चीनियों द्वारा विश्व के अन्य लोगों से पूर्व कॉमेट, सूर्य ग्रहण एवं सुपरनोवा रेकार्ड किये गये थे। .

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टाटा समूह

टाटा समूह एक निजी व्यवसायिक समूह है जिसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। वर्तमान में इसके अध्यक्ष रतन टाटा हैं टाटा समूह के चेयरमेन रतन टाटा ने 28 दिसम्बर 2012 को सायरस मिस्त्री को टाटा समूह का उत्तराधिकारी नियुक्त किया। रतन टाटा पिछले 50 सालों से टाटा समूह से जुड़े हैं वे 21 सालों तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे। रतन टाटा ने जे आर डी टाटा के बाद 1991 में कार्यभार संभाला। टाटा परिवार का एक सदस्य ही हमेशा टाटा समूह का अध्यक्ष रहा है। इसका कार्यक्षेत्र अनेक व्यवसायों व व्यवसाय से सम्बंधित सेवाओं के क्षेत्र में फैला हुआ है - जैसे इंजिनियरंग, सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, वाहन, रासायनिक उद्योग, ऊर्जा, साफ्टवेयर, होटल, इस्पात एवं उपभोक्ता सामग्री। टाटा समूह की सफलता को इसके आंकडे बखूबी बयां करते हैं। 2005-06 में इसकी कुल आय $967229 मिलियन थी। ये समस्त भारत कि GDP के 2.8 % के बराबर है। 2004 के आंकड़ों के अनुसार टाटा समूह में करीब 2 लाख 46 हज़ार लोग काम करते हैं। market capitalization का आंकड़ा $57.6 बिलियन को छूता है। टाटा समूह कि कुल 96 कम्पनियां 7 अलग अलग व्यवसायिक क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इन 96 में से केवल 28 publicly listed कम्पनियाँ हैं। टाटा समूह ६ महाद्वीपों के 40 से भी अधिक देशों में सक्रिय है। टाटा समूह दुनिया के 140 से भी अधिक देशों को उत्पाद व सेवाएँ निर्यात करता है। इसके करीब 65.8% भाग पर टाटा के Charitable Trust का मालिकाना हक है। टिस्को (TISCO), जिसे अब टाटा स्टील (Tata steel) के नाम से जाना जाता है, की स्थापना 1907 में भारत के पहले लोहा व इस्पात कारखाने के तौर पर हुई थी। इसकी स्थापना जमशेदपुर में हुई थी जिसे लोग टाटा नगर भी पुकारते हैं। इस्पात (steel) व लोहे का असल उत्पादन 1912 में शुरू हुआ। यह दुनिया में सबसे किफायती दरों पर इस्पात का निर्माण करता है। इसका मुख्य कारण है कि समूह की ही एक अन्य कंपनी इसे कच्चा माल, जैसे कोयला और लोहा आदि, उपलब्ध कराती है। 1910 में टाटा जलविद्युत शक्ति आपूर्ति कम्पनी (Tata Hydro-Electric Power Supply Company) की स्थापना हुई। 1917 में टाटा आयल मिल्स (Tata Oil Mill) की स्थापना के साथ ही समूह ने घरेलू वस्तुयों के क्षेत्र में कदम रखा और साबुन, कपडे धोने के साबुन, डिटर्जेंट्स (detergents), खाना पकाने के तेल आदि का निर्माण शुरू किया। 1932 में टाटा एयरलाइन्स (Tata Airlines) की शुरुआत हुई। टाटा केमिकल्स (Tata Chemicals) का आगमन 1939 में हुआ। टेल्को (TELCO), जिसे अब टाटा मोटर्स (TataMotors) के नाम से जाना जाता है, ने 1945 में रेल इंजनों और अन्य मशीनी उत्पादों का निर्माण शुरू किया। जनवरी 2007 का महीना टाटा समूह के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया जाएगा। टाटा स्टील ने यूनाइटेड किंगडम (UK) में स्थित कोरस समूह (Corus Group) की सफल बोली लगा कर उसे हासिल किया। कोरस समूह दुनिया की सबसे बड़ी लोहा व इस्पात निर्माण कंपनी है। बोली के अप्रत्याशित 9 दौर चले जिसके अंत में टाटा समूह ने कोरस का 100 प्रति शत हिस्सा 608 पाउंड प्रति शेयर (नकद) के हिसाब से कुल 12.

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टामस कार्लायल

टॉमस कार्लाइल टामस कार्लायल (Thomas Carlyle; १७९५ - १८८१) स्कॉटलैण्ड के विक्टोरियन युग के लब्धप्रतिष्ठ दार्शनिक, इतिहासकार, व्यंगकार, निबन्धकार तथा समालोचक थे।। उन्होने अर्थशास्त्र (इकनॉमिक्स) को 'ड डिस्मल साइंस' (the dismal science) कहते थे। उन्होने एडिनबर्ग इनसाइक्लोपीडिया में लेख लिखा और एक विवादास्पद सामाजिक टीकाकार के रूप में उभरे। .

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ट्रक्टेटुस लॉजिको-फिलोसोफिक्स

ट्रक्टेटुस लॉजिको-फिलोसोफिक्स (Tractatus Logico-Philosophicus) लुडविग विट्गेंश्टाइन की महान दार्शनिक कृति है। पुस्तक का नाम लैटिन भाषा में है जिसका अर्थ है - 'तार्किक-दार्शनिक प्रबन्ध' (Logical-Philosophical Treatise)। यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना थी जिसका लक्ष्य भाषा और वास्तविकता के अन्तः संबन्ध का पता लगाना तथा विज्ञान की सीमा को परिभाषित करना था। यह बीसवीं शती की सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में गिनी जाती है। विट्गेंस्टीन ने यह प्रबन्ध उस समय लिखा जब वह प्रथम विश्वयुद्ध का सैनिक एवं युद्धबंदी था। यह सर्वप्रथम सन १९२१ में जर्मन भाषा "Logisch-Philosophische Abhandlung" नाम से प्रकाशित हुई। यह प्रबन्ध विएना मण्डल (विएना सर्कल) के 'लॉजिकल पॉजिटिविस्ट्स' के बीच मुख्य रूप से लोकप्रिय थी। .

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टेलर संग्रहालय

हारलेम का '''टेलर म्यूजियम''' टेलर संग्रहालय (Teylers Museum; डच उच्चारण)नीदरलैण्ड के हारलेम नगर में स्थित कला, प्राकृतिक इतिहास तथा विज्ञान का संग्रहालय है। इसकी स्थापना १७७८ में हुई थी। मूलतः यह कला और विज्ञान के समसामयिक केन्द्र के रूप में स्थापित हुआ था। श्रेणी:नीदरलैण्ड श्रेणी:संग्रहालय.

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टोक्यो विश्वविद्यालय

तोकियो विश्वविद्यालय चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्र में जापान का एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय है। .

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एम बी एम अभियान्त्रिकी महाविद्यालय

एम॰बी॰एम॰ अभियांत्रिकी महाविद्यालय (MBM Engineering College; मगनीराम बांगड़ मैमोरियल इंजीनियरिंग कॉलेज; एमबीएम), जोधपुर भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित अभियान्त्रिकी महाविद्यालयों में से एक है। इस कॉलेज की स्थापना राजस्थान सरकार द्वारा 15 अगस्त 1951 को की गई थी। यह महाविद्यालय अभियांत्रिकी के क्षेत्र में अपने उच्च शैक्षिक स्तर के कारण न केवल राजस्थान राज्य में ही, बल्कि पूरे देश में अग्रणी तकनीकी संस्थान के रूप में प्रतिष्ठित है। इस महाविद्यालय में अनेक तकनीकी विषयों में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा प्रदान की जाती है। शोधार्थी यहाँ स्नातकोत्तर शिक्षा के बाद पी.एचडी. डिग्री तथा स्नातकोत्तर डिप्लोमा के लिए भी अध्ययन करते हैं। सम्प्रति यह महाविद्यालय जुलाई 1962 से जोधपुर, राजस्थान के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के अंतर्गत अभियांत्रिकी तथा स्थापत्यकला संकाय के रूप में मान्यता प्राप्त है। .

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एम॰एससी॰

एम॰एससी॰, विज्ञान के विभिन्न विषयों जैसे भौतिकी, रसायन अथवा गणित सहित सामाजिक विज्ञान जैसे राजनीति विज्ञान आदि में १६वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरान्त दी जाने वाली एक स्नातकोत्तर (परास्नातक) उपाधि या मास्टर्स डिग्री का नाम है। en:M.Sc. श्रेणी:शैक्षणिक उपाधियाँ.

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एकलव्य फ़ाउंडेशन

एकलव्य फाउण्डेशन भारत के मध्य प्रदेश राज्य में कार्यरत एक अशासकीय संस्था (NGO) है। यह बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत कार्य कर रही है। यह सन् १९८२ में एक अखिल भारतीय संस्था के रूप में पंजीकृत हुई थी। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक पद्धति एंव बाल-शिक्षा में तकनीकी विकास पर एकलव्य फाउण्डेशन द्वारा क्रियान्वन कराया जा रहा है। भोपाल स्थित संस्था के कार्यालय द्वारा विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। महाभारत के पात्र एकलव्य के जीवन चरित्र से प्रभावित इस संस्था का दर्शन शिक्षा के उन्न्यन में समाज में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। .

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ऐन्डर्स सेल्सियस

उप्साला, स्वीडन (२७ नवंबर १७०१ – २५ अप्रैल १७४४) एक स्वीडिश खगोलज्ञ थे। ये उप्साला विश्वविद्यालय, स्वीडन में १७३०-१७४४ तक प्रोफेसर रहे और १७३२ से १७३५ तक जर्मनी, इटली एवं फ्रांस की उल्लेखानीय वेधशालाओं की यात्राएं कीं। इन्होंने ही १७४१ में उप्साला विश्वविद्यालय वेधशाला की स्थापना की। १७४२ में इन्होंने सेल्सियस तापमान स्केल प्रस्तावित किया। इस स्केल को बाद में कार्ल लीनियस ने १७४५ में इसे बदल दिया। .

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डाटाबेस फोरेंसिक

डाटाबेस फोरेंसिक डिजिटल फोरेंसिक विज्ञान की एक शाखा है जो संबंधित है फोरेंसिक अध्ययन डेटाबेस और उनके मेटाडाटा से संबंधित। डाटाबेस फोरेंसिक कंप्यूटर फोरेंसिक के समान है, फोरेंसिक प्रक्रिया और डेटाबेस सामग्री और मेटाडाटा की जांच तकनीके भी एक सामान ही है। कैश्ड जानकारी भी मौजूद हो सकती है सर्वर रैम मे जो लाइव विश्लेषण तकनीक की आवश्यकता होती है। एक फॉरेंसिक जांच इस तरह की धोखाधड़ी के रूप में एक डेटाबेस प्रणाली या आवेदन के भीतर लेनदेन है कि अधर्म का सबूत संकेत मिलता है, की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते है। सॉफ्टवेयर उपकरण में हेरफेर और डेटा का विश्लेषण करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ये उपकरण भी ऑडिट लॉगिंग क्षमताए कार्य या विश्लेषण एक फोरेंसिक परीक्षक डेटाबेस पर प्रदर्शन के दस्तावेज सबूत प्रदान करते है। कई डेटाबेस सॉफ्टवेयर उपकरण सामान्य विश्वसनीय और काफी सटीक में नही हैं और कई रूप में पहला पेपर डेटाबेस फोरेंसिक पर प्रकाशित में प्रदर्शन फोरेंसिक काम के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। वर्तमान में इस क्षेत्र में प्रकाशित एक पुस्तक ही है, हालांकि अधिक आगे हो सकती है। संबंधपरक डेटाबेस की फोरेंसिक अध्ययन कंप्यूटर डिस्क पर डेटा सांकेतिक शब्दों में बदलना करने के लिए इस्तेमाल मानक का ज्ञान की आवश्यकता है। क्योंकि एक डेटाबेस के फोरेंसिक विश्लेषण अलगाव में निष्पादित नहीं है, तकनीकी रूपरेखा के भीतर जो एक विषय डेटाबेस से बाहर निकालता समझ और डेटा प्रामाणिकता और अखंडता के सवालों खासकर के रूप में यह डेटाबेस उपयोगकर्ताओं के लिए संबंधित को हल करने के लिए महत्वपूर्ण है। .

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ड्रीम 2047

ड्रीम 2047.

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डेविड लिविंग्स्टन

डेविड लिविंग्स्टन डेविड लिविंग्स्टन (David Livingstone; १८१३-१८७३) स्कॉटलैण्ड का चिकित्सा-मिशनरी तथा अफ्रीका महाद्वीप की साहसी यात्रा करने वाला था। .

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डोनाल्ड ए ग्लेसर

डोनाल्ड ए ग्लेसर एक विख्यात वैज्ञानिक थे। .

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तथ्यवाद

प्रत्यक्षवाद या तथ्यवाद (positivism) के दर्शन के अनुसार केवल वही ज्ञान प्रामाणिक ज्ञान (authentic knowledge) है जो ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त अनुभव पर आधारित हो। .

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तन्त्र

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित तंत्र या प्रणाली या सिस्टम के बारे में तंत्र (सिस्टम) देखें। ---- तन्त्र कलाएं (ऊपर से, दक्षिणावर्त): हिन्दू तांत्रिक देवता, बौद्ध तान्त्रिक देवता, जैन तान्त्रिक चित्र, कुण्डलिनी चक्र, एक यंत्र एवं ११वीं शताब्दी का सैछो (तेन्दाई तंत्र परम्परा का संस्थापक तन्त्र, परम्परा से जुड़े हुए आगम ग्रन्थ हैं। तन्त्र शब्द के अर्थ बहुत विस्तृत है। तन्त्र-परम्परा एक हिन्दू एवं बौद्ध परम्परा तो है ही, जैन धर्म, सिख धर्म, तिब्बत की बोन परम्परा, दाओ-परम्परा तथा जापान की शिन्तो परम्परा में पायी जाती है। भारतीय परम्परा में किसी भी व्यवस्थित ग्रन्थ, सिद्धान्त, विधि, उपकरण, तकनीक या कार्यप्रणाली को भी तन्त्र कहते हैं। हिन्दू परम्परा में तन्त्र मुख्यतः शाक्त सम्प्रदाय से जुड़ा हुआ है, उसके बाद शैव सम्प्रदाय से, और कुछ सीमा तक वैष्णव परम्परा से भी। शैव परम्परा में तन्त्र ग्रन्थों के वक्ता साधारणतयः शिवजी होते हैं। बौद्ध धर्म का वज्रयान सम्प्रदाय अपने तन्त्र-सम्बन्धी विचारों, कर्मकाण्डों और साहित्य के लिये प्रसिद्ध है। तन्त्र का शाब्दिक उद्भव इस प्रकार माना जाता है - “तनोति त्रायति तन्त्र”। जिससे अभिप्राय है – तनना, विस्तार, फैलाव इस प्रकार इससे त्राण होना तन्त्र है। हिन्दू, बौद्ध तथा जैन दर्शनों में तन्त्र परम्परायें मिलती हैं। यहाँ पर तन्त्र साधना से अभिप्राय "गुह्य या गूढ़ साधनाओं" से किया जाता रहा है। तन्त्रों को वेदों के काल के बाद की रचना माना जाता है जिसका विकास प्रथम सहस्राब्दी के मध्य के आसपास हुआ। साहित्यक रूप में जिस प्रकार पुराण ग्रन्थ मध्ययुग की दार्शनिक-धार्मिक रचनायें माने जाते हैं उसी प्रकार तन्त्रों में प्राचीन-अख्यान, कथानक आदि का समावेश होता है। अपनी विषयवस्तु की दृष्टि से ये धर्म, दर्शन, सृष्टिरचना शास्त्र, प्राचीन विज्ञान आदि के इनसाक्लोपीडिया भी कहे जा सकते हैं। यूरोपीय विद्वानों ने अपने उपनिवीशवादी लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए तन्त्र को 'गूढ़ साधना' (esoteric practice) या 'साम्प्रदायिक कर्मकाण्ड' बताकर भटकाने की कोशिश की है। वैसे तो तन्त्र ग्रन्थों की संख्या हजारों में है, किन्तु मुख्य-मुख्य तन्त्र 64 कहे गये हैं। तन्त्र का प्रभाव विश्व स्तर पर है। इसका प्रमाण हिन्दू, बौद्ध, जैन, तिब्बती आदि धर्मों की तन्त्र-साधना के ग्रन्थ हैं। भारत में प्राचीन काल से ही बंगाल, बिहार और राजस्थान तन्त्र के गढ़ रहे हैं। .

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तर्क

दर्शनशास्त्र में तर्क‍ (argument) कथनों की ऐसी शृंखला होती है जिसके द्वरा किसी व्यक्ति या समुदाय को किसी बात के लिये राज़ी किया जाता है या उन्हें किसी व्यक्तव्य को सत्य मानने के लिये कारण दिये जाते हैं। आम तौर पर किसी तर्क के बिन्दु साधारण भाषा में प्रस्तुत किये जाते हैं और उनके आधार पर निष्कर्ष मनवाया जाता है। लेकिन गणित, विज्ञान और तर्कशास्त्र में यह बिन्दु और अंत के निष्कर्ष औपचारिक वैज्ञानिक भाषा में भी लिखे जा सकते हैं। .

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तर्कशास्त्र

तर्कशास्त्र शब्द अंग्रेजी 'लॉजिक' का अनुवाद है। प्राचीन भारतीय दर्शन में इस प्रकार के नामवाला कोई शास्त्र प्रसिद्ध नहीं है। भारतीय दर्शन में तर्कशास्त्र का जन्म स्वतंत्र शास्त्र के रूप में नहीं हुआ। अक्षपाद! गौतम या गौतम (३०० ई०) का न्यायसूत्र पहला ग्रंथ है, जिसमें तथाकथित तर्कशास्त्र की समस्याओं पर व्यवस्थित ढंग से विचार किया गया है। उक्त सूत्रों का एक बड़ा भाग इन समस्याओं पर विचार करता है, फिर भी उक्त ग्रंथ में यह विषय दर्शनपद्धति के अंग के रूप में निरूपित हुआ है। न्यायदर्शन में सोलह परीक्षणीय पदार्थों का उल्लेख है। इनमें सर्वप्रथम प्रमाण नाम का विषय या पदार्थ है। वस्तुतः भारतीय दर्शन में आज के तर्कशास्त्र का स्थानापन्न 'प्रमाणशास्त्र' कहा जा सकता है। किंतु प्रमाणशास्त्र की विषयवस्तु तर्कशास्त्र की अपेक्षा अधिक विस्तृत है। .

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तंत्र (सिस्टम)

यह लेख विज्ञान एवं तकनीकी में प्रयुक्त तंत्र या सिस्टम के सम्बन्ध में है। अध्यात्म से संबन्धित तन्त्र अन्यत्र दिया गया है। ---- बन्द संकाय का योजनात्मक प्रदर्शन परस्पर आश्रित या आपस में संक्रिया करने वाली चीजों का समूह, जो मिलकर सम्पूर्ण बनती हैं, निकाय, तंत्र, प्रणाली या सिस्टम (System) कहलातीं हैं। .

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तुलनात्मक राजनीति

तुलनात्मक राजनीति (Comparative politics) राजनीति विज्ञान की एक शाखा एवं विधि है जो तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित है। तुलनात्मक राजनीति में दो या अधिक देशों की राजनीति की तुलना की जाती है या एक ही देश की अलग-अलग समय की राजनीति की तुलना की जाती है और देखा जाता है कि इनमें समानता क्या है और अन्तर क्या है।; परिभाषा एडवर्ड फ्रीमैन के अनुसार, तुलनात्मक राजनीति राजनीतिक संस्थाओं एवं सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन एवं विश्लेषण है। 'रॉल्फ ब्राइबन्टी' के अनुसार "तुलनात्मक राजनीति संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था में उन तत्वों की व्याख्या है जो राजनीतिक कार्यों एवं उनके संस्थागत प्रकाशन को प्रभावित करते हैं।" एस कर्टिस के शब्दों में, राजनीतिक संस्थाओं और राजनीतिक व्यवहार की कार्यप्रणाली मे महत्वपूर्ण नियमितताओं, समानताओं और असमानताओं का तुलनात्मक राजनीति से सम्बन्ध है।; तुलनात्मक राजनीति की विशेषताएँ.

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त्रिकोणमिति के उपयोग

त्रिकोणमिति के हजारों उपयोग होते हैं। पाठ्यपुस्तकों में भूमि सर्वेक्षण, जहाजरानी, भवन आदि का ही प्राय: उल्लेख किया गया होता है। इसके अलावा यह गणित, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आदि शैक्षिक क्षेत्रों में भी प्रयुक्त होता है। .

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तीन मूर्ति भवन

तीन मूर्ति भवन में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं.

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दर्शन परिषद

दर्शन परिषद् भारत हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के माध्यम से मौलिक चिन्तन को बढ़ावा देने वाली एक संस्था है। इसका आरम्भ १९५४ में हुआ। इसका पूर्व नाम 'अखिल भारतीय दर्शन परिषद्' था। साहित्य के अतिरिक्त किसी अन्य विधा या विज्ञान के क्षेत्र में, हिन्दी या किसी अन्य भारतीय भाषा को माध्यम बनाने वाली यह अप्रतिम संस्था है। यह 'दार्शनिक' नामक एक त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन भी करती है। परिषद् का पंजीयन 23 अगस्त 1956 को लखनऊ में स्टॉक कंपनीज़ के संयुक्त-पंजीयक ने किया। इसका पंजीयन क्रमांक हैः 1194/17304/ 211/1956। कालक्रम में उसका नवीनीकरण नहीं हो सका। अतः पंजीयन की नई नियमावली के अनुसार परिषद् का पंजीयन जबलपुर में दिनांक 12.07.2010 को ‘‘दर्शन-परिषद्’’ के नाम से सम्पन्न हुआ। इसका पंजीयनक्रमांक 04/14/01/12087/10 है। अद्यावधि परिषद् में 1500 से अधिक आजीवन सदस्य हैं तथा वर्तमान में यह देश में दर्शनशास्त्र के सर्वाधिक आजीवन सदस्यों की संस्था है। परिषद् को प्रारंभिक दिनों में प्रेरणा तथा सहयोग देने वालों में आचार्य नरेन्द्र देव, सुप्रसिद्ध साहित्यकार तथा तत्कालीन साहित्य अकादमी के उपसचिव श्री प्रभाकर माचवे तथा राजनयिक मनीषी डॉ॰ संपूर्णानन्द के नाम उल्लेखनीय हैं। परिषद् प्रारंभ से ही जनाधार एवं राष्ट्रभाषा में दार्शनिक चिंतन के उत्कर्ष को महत्वपूर्ण मानती रही है तथा शासकीय या अर्धशासकीय आलंबनों को अनावश्यक महत्व नहीं दिया गया। आज परिषद् को आर्थिक दृष्टि से सर्वाधिक सहयोग भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् प्रदान करती है। परिषद् आज विश्व स्तर पर दर्शनशास्त्र के अंतर्राष्ट्रिय संगठन फिस्प (Federation of International Societies of Philosophy) से नवंबर, 1993 से संबद्ध है। इसके पंचवार्षिक अंतर्राष्ट्रिय अधिवेशनों में परिषद् की भागीदारी होती है। परिषद् से क्षेत्रीय दर्शनशास्त्र की कुछ संस्थायें भी सम्बद्ध हैं, यथा- बिहार दर्शन-परिषद्, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ दर्शन-परिषद् तथा झारखण्ड दर्शन-परिषद्। .

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दर्शनशास्त्र

दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, अर्थात प्रकृति तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। दर्शनशास्त्र सामाजिक चेतना के रूपों में से एक है। दर्शन उस विद्या का नाम है जो सत्य एवं ज्ञान की खोज करता है। व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है। इसका जन्म अनुभव एवं परिस्थिति के अनुसार होता है। यही कारण है कि संसार के भिन्न-भिन्न व्यक्तियों ने समय-समय पर अपने-अपने अनुभवों एवं परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के जीवन-दर्शन को अपनाया। भारतीय दर्शन का इतिहास अत्यन्त पुराना है किन्तु फिलॉसफ़ी (Philosophy) के अर्थों में दर्शनशास्त्र पद का प्रयोग सर्वप्रथम पाइथागोरस ने किया था। विशिष्ट अनुशासन और विज्ञान के रूप में दर्शन को प्लेटो ने विकसित किया था। उसकी उत्पत्ति दास-स्वामी समाज में एक ऐसे विज्ञान के रूप में हुई जिसने वस्तुगत जगत तथा स्वयं अपने विषय में मनुष्य के ज्ञान के सकल योग को ऐक्यबद्ध किया था। यह मानव इतिहास के आरंभिक सोपानों में ज्ञान के विकास के निम्न स्तर के कारण सर्वथा स्वाभाविक था। सामाजिक उत्पादन के विकास और वैज्ञानिक ज्ञान के संचय की प्रक्रिया में भिन्न भिन्न विज्ञान दर्शनशास्त्र से पृथक होते गये और दर्शनशास्त्र एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में विकसित होने लगा। जगत के विषय में सामान्य दृष्टिकोण का विस्तार करने तथा सामान्य आधारों व नियमों का करने, यथार्थ के विषय में चिंतन की तर्कबुद्धिपरक, तर्क तथा संज्ञान के सिद्धांत विकसित करने की आवश्यकता से दर्शनशास्त्र का एक विशिष्ट अनुशासन के रूप में जन्म हुआ। पृथक विज्ञान के रूप में दर्शन का आधारभूत प्रश्न स्वत्व के साथ चिंतन के, भूतद्रव्य के साथ चेतना के संबंध की समस्या है। .

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दहन

आक्सीजन की उपस्थिति में लकड़ी का दहन किसी जलने वाले पदार्थ के वायु या आक्सीकारक द्वारा जल जाने की क्रिया को दहन या जलना (Combustion) कहते हैं। दहन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (exothermic reaction) है। इस क्रिया में आँखों से ज्वाला दिख भी सकती है और नहीं भी। इस प्रक्रिया में ऊष्मा तथा अन्य विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे प्रकाश) भी उत्पन्न होते हैं। आम दहन के उत्पाद गैसों के द्वारा प्रदूषण भी फैलता है। विज्ञान के इतिहास में अग्नि वा ज्वाला सबंधी सिद्धांतों का विशेष महत्व रहा है। उदाहरण के लिए किसी हाइड्रोकार्बन के दहन का सामान्य रासायनिक समीकरण निम्नलिखित है- मिथेन के लिए इस समीकरण का स्वरूप निम्नवत हो जाएगा- .

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दिल्ली

दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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दुर्गाप्रसाद खत्री

दुर्गाप्रसाद खत्री दुर्गाप्रसाद खत्री (1895 - 1974) हिंदी के प्रख्यात उपन्यासकार। ये देवकीनंदन खत्री के ज्येष्ठ पुत्र थे। इनका जन्म 1895 में काशी में हुआ था। 1912 ई. में विज्ञान और गणित में विशेष योग्यता के साथ स्कूल लीविंग परीक्षा पास की। तदनंतर उन्होंने लिखना आरंभ किया और डेढ़ दर्जन से अधिक उपन्यास लिखे। .

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दृष्टिमिति

प्रकाशीय अपवर्तक उपयोग किया जा रहा है। दृष्टिमिति (Optometry) दृष्टि की परिचर्या का विज्ञान है। वर्तन दोष मापने की सभी विधियों में अँधेरे कमरेवाली परीक्षण विधि, जिसे रेटिनादर्शिकी (Retinoscopy) कहते हैं, सर्वोत्तम है। सुविधा की दृष्टि से जाँच की जानेवाली आँख से एक मीटर की दूरी पर ऐसी शक्ति का लेंस रखते हैं कि आँख एक डायोप्टर (dioptre) निकटदृष्टि से (myopia) प्रेरित (induced) हो जाए। कम से कम आधे मीटर की दूरी पर समतल दर्पण का उपयोग करते हुए रेटिनादर्शी का प्रयोग किया जा सकता है, यद्यपि कुछ नेत्र चिकित्सक अब भी ३ मिमी.

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धर्ममीमांसा

किसी धार्मिक संप्रदाय के द्वारा स्वीकृत विश्वासों का क्रमबद्ध संग्रह उस संप्रदाय की धर्ममीमांसा है। धर्ममीमांसा में विज्ञान और दर्शन के दृष्टिकोण की सार्वभौमता नहीं होती, इसकी पद्धति भी उनकी पद्धति से भिन्न होती है। विज्ञान प्रत्यक्ष पर आधारित है, दर्शन में बुद्धि की प्रमुखता है और धर्ममीमांसा में, आप्त वचन की प्रधानता स्वीकृत होती है। जब तक विश्वास का अधिकार प्रश्नरहित था, धर्ममीमांसकों को इस बात की चिंता न थी कि उनके मंतव्य विज्ञान के आविष्कारों और दर्शन के निष्कर्षों के अनुकूल हैं या नहीं। परंतु अब स्थिति बदल गई है और धर्ममीमांसा को विज्ञान तथा दर्शन के मेल में रहना होता है। धर्ममीमांसा किसी धार्मिक संप्रदाय के स्वीकृत सिद्धांतों का संग्रह है। इस प्रकार की सामग्री का स्रोत कहाँ है? इन सिद्धांतों का सर्वोपरि स्रोत तो ऐसी पुस्तक है, जिसे उस संप्रदाय में ईश्वरीय ज्ञान समझा जाता है। इससे उतरकर उन विशेष पुरुषों का स्थान है जिन्हें ईश्वर की ओर से धर्म के संबंध में निर्भ्रांत ज्ञान प्राप्त हुआ है। रोमन कैथोलिक चर्च में पोप को ऐसा पद प्राप्त है। विवाद के विषयों पर आचार्यों की परिषदों के निश्चय भी प्रामाणिक सिद्धांत समझे जाते हैं। धर्ममीमांसा के विचार विषयों में ईश्वर की सत्ता और स्वरूप प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त जगत्‌ और जीवात्मा के स्वरूप पर भी विचार होता है। ईश्वर के संबंध में प्रमुख प्रश्न यह है कि वह जगत्‌ में अंतरात्मा के रूप में विद्यमान है, या इससे परे, ऊपर भी है। जगत्‌ के विषय मं पूछा जाता है कि यह ईश्वर का उत्पादन है, उसका उद्गार है, या निर्माण मात्र है। उत्पादनवाद, उद्गारवाद और निर्माणवाद की जाँच की जाती है। जीवात्मा के संबंध में, स्वाधीनता और मोक्षसाधन चिरकाल के विवाद के विषय बने रहे हैं। संत आगस्तिन ने पूर्व निर्धारणवाद का समर्थन किया और कहा कि कोई मनुष्य अपने कर्मों से दोषमुक्त नहीं हो सकता, दोषमुक्ति ईश्वरीय करुणा पर निर्भर है। इसके विपरीत भारत की विचारधारा में जीवात्मा स्वतंत्र है और मनुष्य का भाग्य उसके कर्मों से निर्णीत होता है। .

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नारायण गोपाल डोंगरे

डॉ० नारायण गोपाल डोंगरे (जन्म: १ जुलाई, १९३९) भारत के एक वैज्ञानिक हैं। उन्होंने प्राचीन भारतीय अभिलेखों में स्थित विज्ञान ज्ञान को गणितीय सिद्धान्त व गणना के आधार आधुनिक विज्ञान के समकक्ष सिद्ध किया है। वैशेषिक दर्शन एवं अंशुबोधिनी पर इन्हें विशिष्टता प्राप्त है। .

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नासा

नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (हिन्दी अनुवाद:राष्ट्रीय वैमानिकी और अन्तरिक्ष प्रबंधन; National Aeronautics and Space Administration) या जिसे संक्षेप में नासा (NASA) कहते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की शाखा है जो देश के सार्वजनिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों व एरोनॉटिक्स व एरोस्पेस संशोधन के लिए जिम्मेदार है। फ़रवरी 2006 से नासा का लक्ष्य वाक्य "भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण, वैज्ञानिक खोज और एरोनॉटिक्स संशोधन को बढ़ाना" है। 14 सितंबर 2011 में नासा ने घोषणा की कि उन्होंने एक नए स्पेस लॉन्च सिस्टम के डिज़ाइन का चुनाव किया है जिसके चलते संस्था के अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में और दूर तक सफर करने में सक्षम होंगे और अमेरिका द्वारा मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया कदम साबित होंगे। नासा का गठन नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम के अंतर्गत 19 जुलाई 1948 में इसके पूर्वाधिकारी संस्था नैशनल एडवाइज़री कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (एनसीए) के स्थान पर किया गया था। इस संस्था ने 1 अक्टूबर 1948 से कार्य करना शुरू किया। तब से आज तक अमेरिकी अंतरिक्ष अन्वेषण के सारे कार्यक्रम नासा द्वारा संचालित किए गए हैं जिनमे अपोलो चन्द्रमा अभियान, स्कायलैब अंतरिक्ष स्टेशन और बाद में अंतरिक्ष शटल शामिल है। वर्तमान में नासा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को समर्थन दे रही है और ओरायन बहु-उपयोगी कर्मीदल वाहन व व्यापारिक कर्मीदल वाहन के निर्माण व विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। संस्था लॉन्च सेवा कार्यक्रम (एलएसपी) के लिए भी जिम्मेदार है जो लॉन्च कार्यों व नासा के मानवरहित लॉन्चों कि उलटी गिनती पर ध्यान रखता है। .

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नागपुर विश्वविद्यालय

राष्ट्रसन्त तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (RTMNU), महाराष्ट्र के नागपुर में स्थित एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है जिसका नाम पहले 'नागपुर विश्वविद्यालय' था। इसकी स्थापना ४ अगस्त, १९२३ को हुई थी। यह भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। इसका नाम तुकडोजी महाराज के नाम पर रखा गया है। इस विश्वविद्यालय का मुख्य लक्ष्य संस्कृत, मराठी, हिन्दी, उर्दू आदि भाषाओं तथा आयुर्विज्ञान, विज्ञान, मानविकी, वाणिज्य एवं इंजीनियरी आदि की शिक्षा देना है। सन १९४७ से ही यह विश्वविद्यालय मेडिकल की डिग्री प्रदान कर रहा है। १ मई १९८३ को इस विश्वविद्यालय को विभाजित करके इसके कुछ संसाधनों द्वारा अमरावती विश्वविद्यालय बनाया गया था। श्रेणी:नागपुर श्रेणी:महाराष्ट्र के विश्वविद्यालय.

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न्यायालयिक नृविज्ञान

फॉरेंसिक नृविज्ञान एक विज्ञान का विषय है जिस में मनुष्य जाती के बारे में अध्ययन किया जाता है। न्यायालयिक नृविज्ञान के साथ ही न्यायालयिक पुरातत्व और न्यायालयिक ताफोनोमी भी आते हैं। नृविज्ञान का अर्थ है मनुष्य जाति का विज्ञान। न्यायालयिक मानवविज्ञानी मानव अवशेष की पहचान करने में सहायता करता है। किसी अपराधिक जगह या किसी भी जगह कोई अनजान मानव अवशेष मिलता है तो उसकी जाँच की जाती है कि वो कोण है और कहा से आया है। बस इतना ही नहीं मानव अवशेष का विश्लेषण कर के यह भी पता लगया जा सकता है कि उसकी मत्यु कब, कहा और केसे हुए होगी। मानवविज्ञानी का कम है उस अनजान व्यक्ति की पहचान करना प्राप्त हुए मानव अवशेष से। अनजान मानव अवशेष जेसे हड्डियों या कंकाल की पहचान करने के लिए कई विधि का उपयुग किया जाता है। .

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न्यायालयिक भूकम्प विज्ञान

फोरेंसिक भूकम्प विज्ञान एक न्यायालयिक विज्ञान की साखा है जो इस्तेमाल होती है भूकम्प विज्ञान की तकनीक का पता लगाने के लिए और दूर घटनाओं का अध्ययन करने के लिए, विशेष रूप से विस्फोट और परमाणु हथियारों का अध्ययन करने के लिए भी। दक्षता के साथ जो भूकंपीय तरंगों पृथ्वी और विस्फोट दसगुणा उनकी भूकंपीय विकिरण को कम करने की तकनीकी कठिनाइयों के माध्यम से प्रचार की वजह से, फोरेंसिक भूकम्प विज्ञान भूमिगत परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध को लागू करने में एक महत्वपूर्ण तकनीक है। परमाणु विस्फोट के अलावा, विस्फोट के कई अन्य प्रकार के हस्ताक्षर भी पता चला है और न्यायालयिक भूकम्प विज्ञान से विश्लेषण किया जा सकता है। जैसे सागर की लहरों के रूप में भी अन्य घटना, या पनडुब्बियों के भीतर विस्फोट। न्यायालयिक भूकम्प विज्ञान में विशेषज्ञता के साथ संगठन एडब्ल्यूई ब्लैकनेस्ट, लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी, सन्डिया राष्ट्रीय प्रयोगशाला, और लॉरेंस लिवरमोर राष्ट्रीय प्रयोगशाला में शामिल हैं। .

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न्यायालयिक विज्ञान के सिद्धांत

न्यायालयिक विज्ञान (फॉरेंसिक साइंस) वह वैज्ञानिक अनुशासन है जिसमे भौतिक साक्ष्य की जांच, मान्यता, निश्चयीकरण और मूल्यांकन किया जाता है। यह सामान्य विज्ञान के नियम एवम सिधांत को कानून के प्रयोग के उपयुक्त बनाने का विज्ञान है। अपराध अनुसंधान के क्षेत्र में इसका बहुत महत्व है। .

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न्यायिक विज्ञान

अमेरिकी सेना के सीआईडी विभाग के लोग एक अपराध के घटना-स्थल की छानबीन करते हुए न्यायिक विज्ञान या न्यायालयिक विज्ञान (Forensic science) भिन्न-भिन्न प्रकार के विज्ञानों का उपयोग करके न्यायिक प्रक्रिया की सहायता करने वाले प्रश्नों का उत्तर देने वाला विज्ञान है। ये न्यायिक प्रश्न किसी अपराध से सम्बन्धित हो सकते हैं या किसी दीवानी (civil) मामले से जुड़े हो सकते हैं। न्यायालयीय विज्ञान मुख्यतः अपराध की जांच के लिए वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुप्रयोग से संबंधित है। फॉरेंसिक वैज्ञानिक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से अपराध स्थल से एकत्र किए गए सुरागों को अदालत में प्रस्तुत करने के वास्ते स्वीकार्य सबूत के तौर पर इन्हें परिवर्तित करते हैं। यह प्रक्रिया अदालतों या कानूनी कार्यवाहियों में विज्ञान का प्रयोग या अनुप्रयोग है। फ़ॉरेंसिक वैज्ञानिक अपराध स्थल से एकत्र किए जाने वाले प्रभावित व्यक्ति के शारीरिक सबूतों का, विश्लेषण करते हैं तथा संदिग्ध व्यक्ति से संबंधित सबूतों से उसकी तुलना करते हैं और न्यायालय में विशेषज्ञ प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। इन सबूतों में रक्त के चिह्न, लार, शरीर का अन्य कोई तरल पदार्थ, बाल, उंगलियों के निशान, जूते तथा टायरों के निशान, विस्फोटक, जहर, रक्त और पेशाब के ऊतक आदि सम्मिलित हो सकते हैं। उनकी विशेषज्ञता इन सबूतों के प्रयोग से तथ्य निर्धारण करने में ही निहित होती है। उन्हें अपनी जांच की रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है तथा सबूत देने के लिए अदालत में पेश होना पड़ता है। वे अदालत में स्वीकार्य वैज्ञानिक सबूत उपलब्ध कराने के लिए पुलिस के साथ निकटता से काम करते हैं। .

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न्यायिक खगोल विज्ञान

फोरेंसिक खगोल विज्ञान खगोल विज्ञान के उपयोग, आकाशीय पिंडों के वैज्ञानिक अध्ययन, पिछले आकाशीय नक्षत्रों का निर्धारण करने के लिए है। यह न्यायालयिक विज्ञान के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है जैसे की ऐतिहासिक समस्याय कला के इतिहास में अधिक आम तौर पर मुद्दों को हल करने और विशेष रूप से। .

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नैनोकण

नैनोकण (nanoparticles) १ से १०० नैनोमीटर तक का आकार रखने वाले कण होते हैं। नैनोप्रौद्योगिकी में कण की परिभाषा में उसके एक ईकाई के रूप में दिखने, यात्रा करने और अन्य गुण व व्यवहार प्रदर्शित करने को अनिवार्य ठहराया जाता है। नैनोकणों का रसायनिकी, जीवविज्ञान, चिकित्सा, इलेक्ट्रोनिकी और अन्य प्रौद्योगिकी व विज्ञान की शाखाओं में बहुत महत्व है। .

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नैश्नल जिओग्रैफ़िक​ मैगज़ीन

नैश्नल जिओग्रैफ़िक​ मैगज़ीन​ (National Geographic Magazine), जिसका अर्थ राष्ट्रीय भौगोलिक पत्रिका है, संयुक्त राज्य अमेरिका में छपने वाली एक मासिक पत्रिका है। इसका सर्वप्रथम अंक सन् १८८८ में प्रकशित हुआ और यह तब से इसमें भूगोल, लोक-दिलचस्पी के विज्ञान, इतिहास और संस्कृति के विषयों पर लेख छपे जा रहे हैं। इसका प्रकाशन-गृह 'नैश्नल जिओग्रैफ़िक सोसाइटी' (National Geographic Society, राष्ट्रीय भौगोलिक मंडली) नामक एक संसथान है जो ख़ुद भी विश्व के विभिन्न भागों में अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों के दस्ते भेजती है। यह पत्रिका अपने रंगीन और आकर्षक फ़ोटो के लिए जानी जाती है।, Michael R. Peres, pp.

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नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी इनहैंस्ड लर्निंग

नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी इनहैंस्ड लर्निंग (एनपीटेल) भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित एक परियोजना है जो अभियांत्रिकी, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और मानविकी में वेब और वीडियो कोर्स प्रदान करती है। .

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नोआम चाम्सकी

एवरम नोम चोम्स्की (हीब्रू: אברם נועם חומסקי) (जन्म 7 दिसंबर, 1928) एक प्रमुख भाषावैज्ञानिक, दार्शनिक, by Zoltán Gendler Szabó, in Dictionary of Modern American Philosophers, 1860–1960, ed.

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पटना के पर्यटन स्थल

वर्तमान बिहार राज्य की राजधानी पटना को ३००० वर्ष से लेकर अबतक भारत का गौरवशाली शहर होने का दर्जा प्राप्त है। यह प्राचीन नगर पवित्र गंगानदी के किनारे सोन और गंडक के संगम पर लंबी पट्टी के रूप में बसा हुआ है। इस शहर को ऐतिहासिक इमारतों के लिए भी जाना जाता है। पटना का इतिहास पाटलीपुत्र के नाम से छठी सदी ईसापूर्व में शुरू होता है। तीसरी सदी ईसापूर्व में पटना शक्तिशाली मगध राज्य की राजधानी बना। अजातशत्रु, चन्द्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त द्वितीय, समुद्रगुप्त यहाँ के महान शासक हुए। सम्राट अशोक के शासनकाल को भारत के इतिहास में अद्वितीय स्‍थान प्राप्‍त है। पटना एक ओर जहाँ शक्तिशाली राजवंशों के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर ज्ञान और अध्‍यात्‍म के कारण भी यह काफी लोकप्रिय रहा है। यह शहर कई प्रबुद्ध यात्रियों जैसे मेगास्थनिज, फाह्यान, ह्वेनसांग के आगमन का भी साक्षी है। महानतम कूटनीतिज्ञ कौटिल्‍यने अर्थशास्‍त्र तथा विष्णुशर्मा ने पंचतंत्र की यहीं पर रचना की थी। वाणिज्यिक रूप से भी यह मौर्य-गुप्तकाल, मुगलों तथा अंग्रेजों के समय बिहार का एक प्रमुख शहर रहा है। बंगाल विभाजन के बाद 1912 में पटना संयुक्त बिहार-उड़ीसा तथा आजादी मिलने के बाद बिहार राज्‍य की राजधानी बना। शहर का बसाव को ऐतिहासिक क्रम के अनुसार तीन खंडों में बाँटा जा सकता है- मध्य-पूर्व भाग में कुम्रहार के आसपास मौर्य-गुप्त सम्राटाँ का महल, पूर्वी भाग में पटना सिटी के आसपास शेरशाह तथा मुगलों के काल का नगरक्षेत्र तथा बाँकीपुर और उसके पश्चिम में ब्रतानी हुकूमत के दौरान बसायी गयी नई राजधानी। पटना का भारतीय पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्‍थान है। महात्‍मा गाँधी सेतु पटना को उत्तर बिहार तथा नेपाल के अन्‍य पर्यटन स्‍थल को सड़क माध्‍यम से जोड़ता है। पटना से चूँकि वैशाली, राजगीर, नालंदा, बोधगया, पावापुरी और वाराणसी के लिए मार्ग जाता है, इसलिए यह शहर हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए पर्यटन गेटवे' के रूप में भी जाना जाता है। ईसाई धर्मावलंबियों के लिए भी पटना अतिमहत्वपूर्ण है। पटना सिटी में हरमंदिर, पादरी की हवेली, शेरशाह की मस्जिद, जलान म्यूजियम, अगमकुँआ, पटनदेवी; मध्यभाग में कुम्‍हरार परिसर, पत्थर की मस्जिद, गोलघर, पटना संग्रहालय तथा पश्चिमी भाग में जैविक उद्यान, सदाकत आश्रम आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल हैं। मुख्य पर्यटन स्थलों इस प्रकार हैं: .

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पत्रकारिता की शैलियाँ

पत्रकारिता में घटनाओं का लिखित रूप में वर्णन करने के लिये बहुत सी शैलियों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें "पत्रकारिता शैलियाँ" कहते हैं।समाचार पत्रों और पत्र-पत्रिकाओं में प्रायः विशेषज्ञ पत्रकारों द्वारा लिखे गए विचारशील लेख प्रकाशित होते है जिसे "फीचर कहानी" (रूपक) का नाम दिया गया है। फीचर लेख ज़्यादातर लम्बे प्रकार के लेख होते है जहाँ सीधे समाचार सूचना से अधिक शैली पर ध्यान दिया जाता है। अधिकतर लेख तस्वीर, चित्र या अन्य प्रकार के "कला" के साथ संयुक्त किये जाते हैं। कभी-कभी ये मुद्रण प्रभाव या रंगो से भी प्रकशित किये जाते है। के अंतर्संबंधों ने पत्रकारिता की शैली को भी प्रमुखता से प्रभावित किया है। एक पत्रकार के लिए रूपक (फीचर स्टोरी) की लिखाई अन्य सीधे समाचार सूचना की लिखाई से कई ज़्यादा श्रमसाध्य हो सकती है। एक तरफ जहां उन पर कहानी के तथ्यों को सही रूप से इकट्ठा और प्रस्तुत करने का भार हैं वही दूसरी तरफ कहानी को पेश करने के लिये एक रचनात्मक और दिलचस्प तरीका खोजने का दबाव है। लीड (या कहानी के पहले दो अनुछेद) पाठक का ध्यान खींचने और लेख के विचारो को यथार्थ रूप से प्रकट करने में सक्षम होना चाहिए। २० वी सदी के अंतिम छमाही से सीधे समाचार रिपोर्टिंग और फीचर लेखन के बीच की रेखा धुंधली हो गई हैं। पत्रकारों और प्रकाशनों आज अलग-अलग दृष्टिकोण के साथ लेखन पर प्रयोजन कर रहे हैं। टॉम वोल्फ, गे टलेस, हंटर एस.

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पदार्थ

रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान में पदार्थ (matter) उसे कहते हैं जो स्थान घेरता है व जिसमे द्रव्यमान (mass) होता है। पदार्थ और ऊर्जा दो अलग-अलग वस्तुएं हैं। विज्ञान के आरम्भिक विकास के दिनों में ऐसा माना जाता था कि पदार्थ न तो उत्पन्न किया जा सकता है, न नष्ट ही किया जा सकता है, अर्थात् पदार्थ अविनाशी है। इसे पदार्थ की अविनाशिता का नियम कहा जाता था। किन्तु अब यह स्थापित हो गया है कि पदार्थ और ऊर्जा का परस्पर परिवर्तन सम्भव है। यह परिवर्तन आइन्स्टीन के प्रसिद्ध समीकरण E.

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पदार्थ (भारतीय दर्शन)

मनुष्य सर्वदा से ही विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वस्तुओं द्वारा चारों तरफ से घिरा हुआ है। सृष्टि के आविर्भाव से ही वह स्वयं की अन्त:प्रेरणा से परिवर्तनों का अध्ययन करता रहा है- परिवर्तन जो गुण व्यवहार की रीति इत्यादि में आये हैं- जो प्राकृतिक विज्ञान के विकास का कारक बना। सम्भवत: इसी अन्त: प्रेरणा के कारण महर्षि कणाद ने 'वैशेषिक दर्शन' का आविर्भाव किया। महर्षि कणाद ने भौतिक राशियों (अमूर्त) को द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष और समवाय के रूप में नामांकित किया है। यहाँ 'द्रव्य' के अन्तर्गत ठोस (पृथ्वी), द्रव (अप्), ऊर्जा (तेजस्), गैस (वायु), प्लाज्मा (आकाश), समय (काल) एवं मुख्यतया सदिश लम्बाई के सन्दर्भ में दिक्, 'आत्मा' और 'मन' सम्मिलित हैं। प्रकृत प्रसंग में वैशेषिक दर्शन का अधिकारपूर्वक कथन है कि उपर्युक्त द्रव्यों में प्रथम चार सृष्टि के प्रत्यक्ष कारक हैं, और आकाश, दिक् और काल, सनातन और सर्वव्याप्त हैं। वैशेषिक दर्शन 'आत्मा' और 'मन' को क्रमश: इन्द्रिय ज्ञान और अनुभव का कारक मानता है, अर्थात् 'आत्मा' प्रेक्षक है और 'मन' अनुभव प्राप्त करने का उसका उपकरण। इस हेतु पदार्थमय संसार की भौतिक राशियों की सीमा से बहिष्कृत रहने पर भी, वैशेषिक दर्शन द्वारा 'आत्मा' और 'मन' को भौतिक राशियों में सम्मिलित करना न्याय संगत प्रतीत होता है, क्योंकि ये तत्व प्रेक्षण और अनुभव के लिये नितान्त आवश्यक हैं। तथापि आधुनिक भौतिकी के अनुसार 'आत्मा' और 'मन' के व्यतिरिक्त, प्रस्तुत प्रबन्ध में 'पृथ्वी' से 'दिक्' पर्यन्त वैशेषिकों के प्रथम सात द्रव्यों की विवेचना करते हुए भौतिकी में उल्लिखित उनके प्रतिरूपों के साथ तुलनात्मक अघ्ययन किया जायेगा। .

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पद्म श्री

पद्म श्री या पद्मश्री, भारत सरकार द्वारा आम तौर पर सिर्फ भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला सम्मान है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि, कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन आदि में उनके विशिष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करने के लिए दिया जाता है। भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में यह चौथा पुरस्कार है इससे पहले क्रमश: भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्म भूषण का स्थान है। इसके अग्रभाग पर, "पद्म" और "श्री" शब्द देवनागरी लिपि में अंकित रहते हैं। 2010 (आजतक) तक, 2336 व्यक्ति इस पुरस्कार को प्राप्त कर चुके हैं। .

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पद्म विभूषण धारकों की सूची

यह भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से अलंकृत किए गए लोगों की सूची है: .

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परियोजना

किसी व्यापार, विज्ञान या इंजीनियरिंग में किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जो विस्तृत कार्य-योजना बनायी और कार्यान्वित की जाती है उसे परियोजना (project) कहते हैं। इसके अन्तर्गत पूरे कार्य को छोटे-छोटे कार्यों के रूप में विभक्त करके उनका समयबद्ध क्रम प्रस्तुत किया जाता है। कौन सा काम कब आरम्भ होगा; कब समाप्त हो जायेगा; कितना धन और अन्य संसाधन लगेगा; समाप्ति पर मिलने वाला परिणाम क्या है; आदि का उल्लेख किया जाता है। परियोजना में कार्य की समयसीमा (डेडलाइन) तय करना जरूरी है। इसके साथ ही हर परियोजना के लिये एक निश्चित राशि (बजट) निर्धारित होता है। .

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पर्ड्यू विश्वविद्यालय

पर्ड्यू विश्वविद्यालय (Purdue University) इंडियाना, अमेरिका के पश्चिम लाफियेट में स्थित पर्ड्यू विश्वविद्यालय प्रणाली के छह परिसरों में सबसे प्रमुख विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना ६ मई १८६९ को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और कृषि में अध्ययन एवं शोध हेतु लाफियेट व्यापारी जॉन पर्ड्यू से दानस्वरूप प्राप्त भूमि और राशि से उन्हीं के नाम पर एक भूमि अनुदान विश्वविद्यालय के रूप में इंडियाना महासभा द्वारा मोर्रिल्ल अधिनियम के अंतर्गत की गई। छह प्रशिक्षकों और ३९ छात्रों के साथ १६ सितंबर १८७४ को कक्षाएँ शुरू हुई। वर्तमान में, पर्ड्यू छात्र-नामांकन के मामले में इंडियाना के सभी विश्वविद्यालयों में दूसरे पायदान पर है। इसके अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका के सभी सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में से अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों की दूसरी सबसे बडी आबादी पर्ड्यू में है। पर्ड्यू २१० से भी अधिक अध्ययन क्षेत्रों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर डिग्रियाँ प्रदान करता है। अमेरिकी उड्डयन के इतिहास में यह विश्वविद्यालय एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सर्वप्रथम उड़ान प्रशिक्षण में शैक्षिक आकलन, वैमानिकी में प्रथम चतुर्वर्षीय स्नातक डिग्री व प्रथम विश्वविद्यालय विमानक्षेत्र (पर्ड्यू विश्वविद्यालय विमानक्षेत्र) यहीं पर स्थापित हुए। २०वीं शताब्दी के मध्य में विमानन कार्यक्रम का विस्तार करते हुए इसमें अंतरिक्ष उड़ानों को भी समाविष्ट कर लिया गया, जिसके चलते पर्ड्यू को उसका उपनाम मिला - क्रेडल ऑफ़ अस्त्रोनौट्स अर्थात् "अंतरिक्ष यात्रियों का पालना।" अब तक बाईस पर्ड्यू स्नातक अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके हैं, जिनमें नील आर्मस्ट्रांग (चन्द्रमा पर चलने वाले पहले व्यक्ति), गस ग्रिस्सोम (मूल मेर्चुरी सेवेन अंतरिक्ष यात्री) व यूजीन सरनन (सबसे हाल में चंद्रमा पर चलने व्यक्ति) शामिल है। .

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पर्यावरण डाइजेस्‍ट

पर्यावरण डाइजेस्‍ट.

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पर्यावरण रसायन विज्ञान

पर्यावरण रसायन शास्त्र में इस तरह के जीव विज्ञान, विष विज्ञान, जैव रसायन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी विज्ञान के रूप में जैविक रसायन शास्त्र, विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान, भौतिक रसायन और अकार्बनिक रसायन विज्ञान के पहलुओं, साथ ही और अधिक विविध क्षेत्रों से युक्त, रसायन शास्त्र की एक बहुत ही ध्यान केंद्रित शाखा है। पर्यावरण दवा की दुकानों सार्वजनिक, निजी और सरकारी प्रयोगशालाओं की एक किस्म में काम करते हैं। यह पर्यावरण के प्रदूषण का प्रभाव पर्यावरण, प्रदूषण में कमी और प्रबंधन के साथ संबंधित है, क्योंकि पर्यावरण रसायन शास्त्र सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पर्यावरण chemists प्रदूषण और हवा, पानी और मिट्टी के वातावरण पर उनके पर्यावरणीय प्रभाव के व्यवहार, साथ ही मानव स्वास्थ्य और प्राकृतिक पर्यावरण पर अपने प्रभाव का अध्ययन। .

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पर्यावरण शिक्षा

मोरोक्को के छात्र गतिविधियों के दौरान मोरोक्को के वर्ल्ड वेटलैंड्स डे एसईओ/बर्ड लाइफ द्वारा आयोजित नाडोर लागून पर चिड़िया देखते हुए पर्यारण शिक्षा (EE), यह सिखाने के सुनियोजित प्रयास की ओर संकेत करती है कि किस प्रकार मनुष्य चिरस्थायी अस्तित्व के लिए स्वाभाविक वातावरण की क्रियाओं और, विशेषतः अपने व्यवहार और पारिस्थितिक तंत्र में सामंजस्य स्थापित कर सकता है। इस शब्द का प्रयोग प्रायः विद्यालय प्रणाली के अंतर्गत, प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा के बाद तक दी जाने वाली शिक्षा की ओर संकेत करने के लिए किया जाता है। हालांकि, कभी कभी अधिक व्यापक रूप में इसका प्रयोग आम जनता और अन्य दर्शकों को शिक्षित करने के समस्त प्रयासों के लिए किया जाता है, जिसमे मुद्रित सामग्री, वेबसाइट्स, मीडिया अभियान आदि शामिल होते हैं। इससे सम्बंधित क्षेत्रों में बाह्य शिक्षा और अनुभवात्मक शिक्षा शामिल हैं। पर्यावरण शिक्षा अधिगम की एक प्रक्रिया है जो पर्यावरण व इससे जुड़ी चुनौतियों के सम्बन्ध में लोगों की जानकारी और जागरूकता को बढ़ाती हैं, चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक कुशलताओं व प्रवीणता को विकसित करती हैं और सुविज्ञ निर्णय तथा ज़िम्मेदारी पूर्ण कदम बढ़ाने के लिए इस ओर प्रवृत्ति, प्रेरणा व प्रतिबद्धता का प्रोत्साहन करती हैं (UNESCO, टाबिलिसी घोषणा, 1978).

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पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना है। 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय परिवेश है। दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण अर्थात वनस्पतियों,प्राणियों,और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहतें हैं वास्तव में पर्यावरण में वायु,जल,भूमि,पेड़-पौधे, जीव-जन्तु,मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं। .

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पर्यावरण अभियांत्रिकी

औद्योगिक वायु प्रदूषण के स्रोत पर्यावरण इंजीनियरिंग पर्यावरण (हवा, पानी और/या भूमि संसाधनों) में सुधार करने, मानव निवास और अन्य जीवों के लिए स्वच्छ जल, वायु और ज़मीन प्रदान करने और प्रदूषित स्थानों को सुधारने के लिए विज्ञान और इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का अनुप्रयोग है। पर्यावरण इंजीनियरिंग में शामिल हैं जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण, पुनरावर्तन, अपशिष्ट निपटान और सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे और साथ ही साथ पर्यावरण इंजीनियरिंग कानून से संबंधित ज्ञान.

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पर्यावरणीय जैव-प्रौद्योगिकी

जब जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग प्राकृतिक पर्यावरण के अध्ययन के लिए या में किया जाता है, तो उसे पर्यावरणीय जैव-प्रौद्योगिकी कहते हैं। व्यावसायिक उपयोग और इस्तेमाल हेतु जैव प्रौद्योगिकी के प्रयोग को भी पर्यावरणीय जैव-प्रौद्योगिकी समझा जा सकता है। ने पर्यावरणीय जैव-प्रौद्योगिकी की व्याख्या इस प्रकार की है, "दूषित वातावरण (जमीन, हवा, पानी) को ठीक करने और पर्यावरण-अनुकूल प्रक्रियाओं (हरित विनिर्माण प्रौद्योगिकी और स्थायी विकास) के लिए जैविक तंत्रों का विकास, उपयोग तथा विनियमन".

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पश्चिमी संस्कृति

पश्चिमी संस्कृति (जिसे कभी-कभी पश्चिमी सभ्यता या यूरोपीय सभ्यता के समान माना जाता है), यूरोपीय मूल की संस्कृतियों को सन्दर्भित करती है। यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर यूरोपीय साम्राज्यों द्वारा इसका वैश्वीकरण हुआ। दर्शन, मध्ययुगीन मतवाद एवं रहस्यवाद, ईसाई एवं धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद की एक जटिल श्रृंखला के साथ यूरोपीय संस्कृति का विकास हुआ। ज्ञानोदय, प्रकृतिवाद, स्वच्छंदतावाद (रोमेन्टिसिज्म), विज्ञान, लोकतंत्र और समाजवाद के प्रयोगों के साथ परिवर्तन एवं निर्माण के एक लंबे युग के माध्यम से तर्कसंगत विचारधारा विकसित हुई.

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पाई

ग्रीक अक्षर '''पाई''' यदि किसी वृत्त का व्यास '''१''' हो तो उसकी परिधि '''पाई''' के बराबर होगी. पाई या π एक गणितीय नियतांक है जिसका संख्यात्मक मान किसी वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात के बराबर होता है। इस अनुपात के लिये π संकेत का प्रयोग सर्वप्रथम सन् १७०६ में विलियम जोन्स ने सुझाया। इसका मान लगभग 3.14159 के बराबर होता है। यह एक अपरिमेय राशि है। पाई सबसे महत्वपूर्ण गणितीय एवं भौतिक नियतांकों में से एक है। गणित, विज्ञान एवं इंजीनियरी के बहुत से सूत्रों में π आता है। .

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पाइथागोरस

सामोस के पाईथोगोरस (Ὁ Πυθαγόρας ὁ Σάμιος, ओ पुथागोरस ओ समिओस, "पाईथोगोरस दी समियन (Samian)," या साधारण रूप से; उनका जन्म 580 और 572 ई॰पू॰ के बीच हुआ और मृत्यु 500 और 490 ई॰पू॰ के बीच हुई), या फ़ीसाग़ोरस, एक अयोनिओयन (Ionian) ग्रीक (Greek)गणितज्ञ (mathematician) और दार्शनिक थे और पाईथोगोरियनवाद (Pythagoreanism) नामक धार्मिक आन्दोलन के संस्थापक थे। उन्हें अक्सर एक महान गणितज्ञ, रहस्यवादी (mystic) और वैज्ञानिक (scientist) के रूप में सम्मान दिया जाता है; हालाँकि कुछ लोग गणित और प्राकृतिक दर्शन में उनके योगदान की संभावनाओं पर सवाल उठाते हैं। हीरोडोट्स उन्हें "यूनानियों के बीच सबसे अधिक सक्षम दार्शनिक" मानते हैं। उनका नाम उन्हें पाइथिआ (Pythia) और अपोलो से जोड़ता है; एरिस्तिपस (Aristippus) ने उनके नाम को यह कह कर स्पष्ट किया कि "वे पाइथियन (पाइथ-) से कम सच (एगोर-) नहीं बोलते थे," और लम्ब्लिकास (Iamblichus) एक कहानी बताते हैं कि पाइथिआ ने भविष्यवाणी की कि उनकी गर्भवती माँ एक बहुत ही सुन्दर, बुद्धिमान बच्चे को जन्म देगी जो मानव जाती के लिए बहुत ही लाभकारी होगा। (The Savisier-) उन्हें मुख्यतः पाईथोगोरस की प्रमेय (Pythagorean theorem) के लिए जाना जाता है, जिसका नाम उनके नाम पर दिया गया है। पाइथोगोरस को "संख्या के जनक" के रूप में जाना जाता है, छठी शताब्दी ईसा पूर्व में धार्मिक शिक्षण और दर्शनमें उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। पूर्व सुकराती (pre-Socratic) काल के अन्य लोगों की तुलना में उनके कार्य ने कथा कहानियों को अधिक प्रभावित किया, उनके जीवन और शिक्षाओं के बारे में अधिक विश्वास के साथ कहा जा सकता है। हम जानते हैं कि पाइथोगोरस और उनके शिष्य मानते थे कि सब कुछ गणित से सम्बंधित है और संख्याओं में ही अंततः वास्तविकता है और गणित के माध्यम से हर चीज के बारे में भविष्यवाणी की जा सकती है तथा हर चीज को एक ताल बद्ध प्रतिरूप या चक्र के रूप में मापा जा सकता है। लम्बलीकस (Iamblichus) के अनुसार, पाइथोगोरस ने कहा कि "संख्या ही विचारों और रूपों का शासक है और देवताओं और राक्षसों का कारण है।" वो पहले आदमी थे जो अपने आप को एक दार्शनिक, या बुद्धि का प्रेमी कहते थे, और पाइथोगोरस के विचारों ने प्लेटो पर एक बहुत गहरा प्रभाव डाला। दुर्भाग्य से, पाइथोगोरस के बारे में बहुत कम तथ्य ज्ञात हैं, क्योंकि उन के लेखन में से बहुत कम ही बचे हैं। पाइथोगोरस की कई उपलब्धियां वास्तव में उनके सहयोगियों और उत्तराधिकारियों की उपलब्धियां हैं। पाईथोगोरस का जन्म सामोस (Samos) में हुआ, जो एशिया माइनर (Asia Minor) के किनारे पर, पूर्वी ईजियन में एक यूनानी द्वीप है। उनकी माँ पायथायस (समोस की निवासी) और पिता मनेसार्चस (टायर (Tyre) के एक फोनिसियन (Phoenicia) व्यापारी) थे। जब वे जवान थे तभी उन्होंने, अपने जन्म स्थान को छोड़ दिया और पोलिक्रेट्स (Polycrates) की अत्याचारी (tyrannical) सरकार से बच कर दक्षिणी इटलीमें क्रोटोन (Croton) केलेब्रिया (Calabria) में चले गए। लम्ब्लिकस (Iamblichus) के अनुसार थेल्स (Thales) उनकी क्षमताओं से बहुत अधिक प्रभावित था, उसने पाइथोगोरस को इजिप्त में मेम्फिस (Memphis) को चलने और वहाँ के पुजारियों के साथ अध्ययन करने की सलाह दी जो अपनी बुद्धि के लिए जाने जाते थे। वे फोनेशिया में टायर और बैब्लोस में शिष्य बन कर भी रहे। इजिप्ट में उन्होंने कुछ ज्यामितीय सिद्धांतों को सिखा जिससे प्रेरित होकर उन्होंने अंततः प्रमेय दी जो अब उनके नाम से जानी जाती है। यह संभव प्रेरणा बर्लिन पेपाइरस (Berlin Papyrus) में एक असाधारण समस्या के रूप में प्रस्तुत है। समोस से क्रोटोन (Croton), केलेब्रिया (Calabria), इटली, आने पर उन्होंने एक गुप्त धार्मिक समाज की स्थापना की जो प्रारंभिक ओर्फिक कल्ट (Orphic cult) से बहुत अधिक मिलती जुलती थी और संभवतः उससे प्रभावित भी थी। Vatican) पाइथोगोरस ने क्रोटन के सांस्कृतिक जीवन में सुधर लाने की कोशिश की, नागरिकों को सदाचार का पालन करने के लिए प्रेरित किया और अपने चारों और एक अनुयायियों का समूह स्थापित कर लिया जो पाइथोइगोरियन कहलाते हैं। इस सांस्कृतिक केन्द्र के संचालन के नियम बहुत ही सख्त थे। उसने लड़कों और लड़कियों दोनों के liye सामान रूप से अपना विद्यालय खोला.जिन लोगों ने पाइथोगोरस के सामाज के अंदरूनी हिस्से में भाग लिए वे अपने आप को मेथमेटकोई कहते थे। वे स्कूल में ही रहते थे, उनकी अपनी कोई निजी संपत्ति नहीं थी, उन्हें मुख्य रूप से शाकाहारी भोजन खाना होता था, (बलि दिया जाने वाला मांस खाने की अनुमति थी) अन्य विद्यार्थी जो आस पास के क्षेत्रों में रहते थे उन्हें भी पाइथोगोरस के स्कूल में भाग लेने की अनुमति थी। उन्हें अकउसमेटीकोई के नाम से जाना जाता था और उन्हें मांस खाने और अपनी निजी सम्पति रखने की अनुमति थी। रिचर्ड ब्लेक्मोर ने अपनी पुस्तक दी ले मोनेस्ट्री (१७१४) में पाइथोगोरियनो के धार्मिक प्रेक्षणों को बताया, "यह इतिहास में दर्ज संन्यासी जीवन का पहला उदाहरण था। लम्ब्लिकास (Iamblichus) के अनुसार, पाइथोगोरस ने धार्मिक शिक्षण, सामान्य भोजन, व्यायाम, पठन और दार्शनिक अध्ययन से युक्त जीवन का अनुसरण किया। संगीत इस जीवन का एक आवश्यक आयोजन कारक था: शिष्य अपोलो के लिए नियमित रूप से मिल जुल कर भजन गाते थे; वे आत्मा या शरीर की बीमारी का इलाज करने के लिए वीणा (lyre) का उपयोग करते थे; याद्दाश्त को बढ़ाने के लिए सोने से पहले और बाद में कविता पठन किया जाता था। फ्लेवियस जोजेफस (Flavius Josephus), एपियन के विरुद्ध (Against Apion), यहूदी धर्म की रक्षा में ग्रीक दर्शनशास्त्र (Greek philosophy) के खिलाफ कहा कि समयरना के हर्मिपस (Hermippus of Smyrna) के अनुसार पाइथोगोरस यहूदी विश्वासों से परिचित था, उसने उनमें से कुछ को अपने दर्शन में शामिल किया। जिंदगी के अंतिम चरण में उसके और उसके अनुयायियों के खिलाफ क्रोतों के एक कुलीन सैलों (Cylon) द्वारा रचित शाजिश की वजह से वह मेतापोंतुम (Metapontum) भाग गया। वह अज्ञात कारणों से मेटापोंटम म में ९० साल की उम्र में मर गया। बर्ट्रेंड रसेल, ने पश्चिमी दर्शन के इतिहास (History of Western Philosophy), में बताया कि पाइथोगोरस का प्लेटो और अन्य लोगों पर इतना अधिक प्रभाव था कि वह सभी पश्चिमी दार्शनिकों में सबसे ज्यादा प्रभावी माना जाता था। .

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पियारा सिंह गिल

पियारा सिंह गिल एक महान भारतीय नाभिकीय भौतिकशास्त्री थे जो ब्रह्मांडीय किरण नाभिकीय भौतिकी में अग्रणी थे। इन्होने अमेरिका की मैनहट्टन परियोजना में काम किया था। इसी परियोजना ने विश्व के प्रथम परमाणु बम और इसकी तकनीक की खोज की थी। वह केंद्रीय वैज्ञानिक - यंत्र संगठन (भारत) मे पहले निद्रेशक रहे। उनिवरसीटि औफ छिकागो (1940) मे अध्येता रहे। वह टाटा इन्सटिठ्युट औफ फंड्म्नतल रिस्र्च (1947) मे अनुसंधान प्रोफेसरशिप के साथी रहे और् परमाणु ऊर्जा आयोग नई दिल्ली के साथ काम किया। उन्होने अपनें वैज्ञानिक जीवन में विभिन्न स्ंस्थानों में कायृ करके भारत के वैज्ञानिक कायृक्रमों को गति प्रदान की। १९५०-१९६० मे गिल, भारत की परमाणु हथियार रणनीति मे नेहरु जी के सल्हाकार रह चुके है। रॉबर्ट ओप्पेन्हेइमेर गिल के सहयोगी और दोस्त थे, मेनहेतन प्रोज्ट मे साथ काम किया। .

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पंजाबी विश्वविद्यालय

पंजाबी विश्वविद्यालय, (पंजाबी:ਪੰਜਾਬੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ, अंग्रेजी:Punjabi University) भारत के पंजाब राज्य के शहर पटियाला में स्थित एक विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 30 अप्रैल 1962 को हुई थी। इस विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य पंजाबी भाषा के विकास और पंजाबी संस्कृति के प्रसार को प्रोत्साहित करना था। यह विश्व का दूसरा ऐसा विश्वविद्यालय है जिसका नाम किसी भाषा के नाम पर रखा गया है, पहला विश्वविद्यालय, इब्रानी (हिब्रू) विश्वविद्यालय, इस्राइल है। पंजाबी विश्वविद्यालय का परिसर 316 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला है और बागों के शहर पटियाला से ७ किलोमीटर दूर चंडीगढ़ रोड पर स्थित है। विश्वविद्यालय में 55 विभाग कार्यरत हैं। विश्वविद्यालय में मानविकी और विज्ञान के क्षेत्र में, ललित कला, कम्प्यूटर विज्ञान और व्यवसायिक प्रबंधन जैसे विषयों के अध्ययन की व्यवस्था है। यहाँ लगभग 15000 छात्र शिक्षा प्राप्त करते हैं। शिवराज पाटिल विश्वविद्यालय के कुलपति और डाक्टर जसपाल सिंह उपकुलपति हैं। .

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पक्षपात

पक्षपात (bias) किसी व्यक्ति, संस्थान, प्रकाशन या संगठन के दृष्टिकोण के ऐसे रुझान को कहते हैं जिसमें किसी विषय को लेकर अधूरा परिप्रेक्ष्य रखा जाये या प्रस्तुत करा जाये और अन्य दृष्टिकोणों की सम्भावनाओं या उपयुक्तता से बिना उचित आधार के इनकार करा जाये। अक्सर पक्षपाती व्यवहार किसी सांस्कृतिक वातावरण में सीखा जाता है। व्यक्तियों में किसी अन्य व्यक्ति, जातीय समूह, राष्ट्र, धर्म, समाजिक वर्ग, राजनैतिक दल, अवधारणा, लिंग, समाजिक व्यवस्था, विचारधारा या जीववैज्ञानिक जाति के समर्थन में या उसके विरुद्ध पक्षपात विकसित हो सकता है। पक्षपात कई रूपों में प्रकट होता है। विज्ञान और अभियांत्रिकी में पक्षपात एक व्यवस्थित त्रुटिओं (systematic errors) का स्रोत होता है। उदाहरण के लिये मानव अक्सर किसी परिघटना को समझने के लिये उसमें अक्सर कोई व्यवस्थित चीज़ या पैटर्न ढूंढते हैं और उसकी अनुपस्थिति में भी उन्हें ऐसी व्यवस्था प्रतीत हो सकती है, क्योंकि मानवीय सोच में किसी परिघटना के निरर्थक होने के विरुद्ध पक्षपात निहित है। .

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पक्षिपटबंधन

एलुमिनियम का क्रमांकित छल्ला लगी एक पक्षी पक्षिपटबंधन या पक्षी पट्टन (Bird Banding) विज्ञान का वह साधन है जिसके द्वारा जंगली पक्षियों को चिह्नित करके उनकी गतिविधियों, वितरण, प्रावजन (migration) आदि का अध्ययन किया जाता है। .

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पुद्गल

जैन दर्शन के अनुसार स्थूल भौतिक पदार्थ पुद्गल कहलाता है क्योंकि यह अणुओं के संयोग और वियोग का खेल है। बौद्ध धर्मदर्शन में आत्मा को पुद्गल कहते हैं। यह पाँच स्कंधों- रूप, वेदना, संस्कार, संज्ञा और विज्ञान का ऐसा समूह है जो निर्वाण की अवस्था में विशीर्ष हो जाता है। .

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पुरातत्वशास्त्र

पुरातत्वशास्त्र (archeology) वह विज्ञान है जो पुरानी चीज़ों का अध्ययन व विश्लेषण करके मानव-संस्कृति के विकासक्रम को समझने एवं उसकी व्याख्या करने का कार्य करता है। यह विज्ञान प्राचीन काल के अवशेषों और सामग्री के उत्खनन के विश्लेषण के आधार पर अतीत के मानव-समाज का सांस्कृतिक-वैज्ञानिक अध्ययन करता है। इसके लिये पूर्वजों द्वारा छोड़े गये पुराने वास्तुशिल्प, औज़ारों, युक्तियों, जैविक-तथ्यों और भू-रूपों आदि का अध्ययन किया जाता है। संस्कृत के शब्द' पुरातन' से बना 'पुरातत्व' यूनानी शब्द 'अर्कियोलोजिया'(ἀρχαιολογία), से निर्मित 'आर्कियोलोजी' शब्द का हिन्दी तर्जुमा और पर्याय है। पुरातत्व विज्ञान मुख्य रूप से मनुष्यों द्वारा छोड़े गए पर्यावरण डेटा एवं भौतिक संस्कृति जैसे कि कलाकृतियां, वास्तुकला एवं सांस्कृतिक परिदृश्य आदि कि पुनप्राप्ति एवं विश्लेषण द्वारा अतीतकालीन मानव गतिविधि का अध्ययन है। चूंकि पुरातत्व विज्ञान विभिन्न प्रक्रियाओं का प्रयोग करता है, इसे विज्ञान और विज्ञानेतर विषय, दोनों माना जा सकता है। अमेरिका में इसे मानवशास्त्र का भाग माना जाता है यद्यपि यूरोप में इसे एक भिन्न अनुशासन का दर्जा प्राप्त है। पुरातत्व विज्ञान चार लाख साल पहले पूर्वी अफ्रीका में पत्थर के औज़ारों के विकास से लेकर हाल के दशकों तक (पुरततक जीवाश्म विज्ञान नहीं है) का अध्ययन करता है। पुरातत्व विज्ञान सबसे उपयोगी है प्रागैतिहासिक समाज के बारे में जानने के लिए, जब इतिहासकारों द्वारा अध्ययन के लिए कोई भी लिखित अभिलेख न हो। यह मनुष्यों के कुल इतिहास का ९९% है, पाषाण काल से किसी भी समाज में अक्षरज्ञान के आगमन तक। पुरातत्व विज्ञान के कई लक्ष्य हैं मानक विकास से लेकर सांस्कृतिक विकास और सांस्कृतिक इतिहास तक। पुरातत्त्व विज्ञान में अतीत के बारे में जानने के लिए सर्वेक्षण, उत्खनन और अंततः एकत्र किये गए आंकड़ों का विश्लेषण शामिल है। व्यापक दायरे में पुरातत्व विज्ञान पार अनुशासनिक शोध जैसे यह मानव विज्ञान, इतिहास, कला इतिहास, क्लासिक्स, मानव जाति विज्ञान, भूगोल, भूविज्ञान, भाषा विज्ञान, लाक्षणिकता, भौतिक विज्ञान, सूचना विज्ञान, रसायन विज्ञान, सांख्यिकी, paleoecology, जीवाश्म विज्ञान, paleozoology, paleoethnobotany और paleobotany पर निर्भर करता है। .

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प्रतापगढ़, राजस्थान

प्रतापगढ़, क्षेत्रफल में भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के ३३वें जिले प्रतापगढ़ जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक संपदा का धनी कभी इसे 'कान्ठल प्रदेश' कहा गया। यह नया जिला अपने कुछ प्राचीन और पौराणिक सन्दर्भों से जुड़े स्थानों के लिए दर्शनीय है, यद्यपि इसके सुविचारित विकास के लिए वन विभाग और पर्यटन विभाग ने कोई बहुत उल्लेखनीय योगदान अब तक नहीं किया है। .

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प्रतिलोम समस्या

right विज्ञान में ऐसी समस्याओं को प्रतिलोम समस्या (inverse problem) कहते हैं जो कुछ प्रेक्षणों की सहायता से उनको (उन आकड़ों को) उत्पन्न करने वाले कारणों की गणना करतीं हैं। उदाहरण के लिये धरती के गुरुत्वीय क्षेत्र के आंकडों के आधार पर धरती के अन्दर विभिन्न बिन्दुओं पर घनत्व निकालना एक प्रतिलोम समस्या है। इनकों प्रतिलोम समस्या इसलिये कहते हैं कि यह परिणामों से शुरू होतीं हैं और 'उल्टा' चलकर उपयुक्त कारण की खोज करतीं हैं जिनसे ऐसे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। अतः यह अनुलोम समस्या (forward problem) का उल्टा है जो कारण से शुरू होकर परिणाम की गणना करती है। प्रतिलोम समस्या की गणना, गणित और विज्ञान की कुछ सर्वाधिक महत्वपूर्ण समस्याओं में होती है। ये इसलिये महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे उन प्राचलों (पैरामीटर) के बारे में बताने का प्रयास करतीं हैं जिनको सीधे मापा नहीं जा सकता। इनका उपयोग प्रकाशिकी, राडार, ध्वनिकी, संचार सिद्धान्त, संकेत प्रसंस्करण, मेडिकल इमेजिंग, कम्प्यूटर दृष्टि, भूभौतिकी, समुद्रविज्ञान, खगोलिकी, सुदूर संवेदन, मशीन लर्निंग, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण, अविनाशी परीक्षण (nondestructive testing) तथा अन्य अनेकानेक क्षेत्रों में किया जाता है। श्रेणी:गणित.

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प्रबंधन परामर्श (मैनेजमेंट कंसल्टिंग)

प्रबंधन परामर्श प्राथमिक रूप से मौजूदा व्यावसायिक समस्याओं के विश्लेषण के माध्यम से संगठनो को अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने और सुधार के लिए योजनाओं के विकास में मदद करने की प्रथा और उद्योग दोनों को संकेत करता है। संगठन कई कारणों से प्रबंधन सलाहकारों की सेवाओं को हासिल करते हैं जिसमें बाहरी (और शायद निष्पक्ष) सलाह हासिल करना और सलाहकारों की विशिष्ट विशेषज्ञता का उपयोग करना भी शामिल है। कई संगठनों के साथ सम्बन्ध होने और जोखिम होने की वजह से, परामर्श कंपनियों को कथित तौर पर उद्योग की "बेहतरीन प्रथाओं" से सचेत रहना पड़ता है हालांकि एक संगठन से दूसरे संगठन में ऐसी प्रथाओं के स्थानांतरण की योग्यता विचाराधीन परिस्थितियों के आधार पर समस्याग्रस्त हो सकती है.

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प्रभा चटर्जी

प्रभा आर.

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प्रायिकता

किसी घटना के होने की सम्भावना (likelihood or chance) को प्रायिकता या संभाव्यता (Probability) कहते हैं। सांख्यिकी, गणित, विज्ञान, दर्शनशास्त्र आदि क्षेत्रों में इसका बहुतायत से प्रयोग होता है। .

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प्रिंसिपिया

प्रिंसिपिया के सन् १६८७ के प्रथम संस्करण का शीर्षपृष्ठ प्रिन्सिपिया या 'फिलासफी नेचुरालिस् प्रिंसिपिया मैथेमैटिका' (Philosophiæ Naturalis Principia Mathematica / प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धान्त) महान वैज्ञानिक आइजक न्यूटन द्वारा रचित ग्रन्थ है। यह लैटिन भाषा में है और तीन भागों में है। इसका सर्वप्रथम प्रकाशन ५ जुलाई १६८७ को हुआ था। इसी ग्रन्थ में न्यूटन के गति के नियम, न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम और केप्लर के ग्रहीय गति के नियमों की उपपत्ति दी गयी थी। प्रिंसपिया को विज्ञान के इतिहास के सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थों में गिना जाता है। श्रेणी:विश्व के प्रमुख ग्रन्थ.

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प्रकाश परिमल

प्रकाश परिमल (जन्म- २८ नवम्बर १९३६, बीकानेर) एक हिन्दी-राजस्थानी लेखक, कला-समीक्षक, चित्रकार और अनुवादक हैं। इनके साहित्य, दर्शन, वैदिक-ज्ञान, कला विषयक कई ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं। .

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प्रकृति अभिप्रेरित निर्माण

'''कमल का फूल जिसकी पत्तियां पानी में रह कर भी नहीं भीगती''' '''कमल की पत्तियों पर पानी नहीं चिपकता, इसके आधार पर एक नये तरह का पेंट तैयार किया गया है जो पानी से खराब नहीं होता''' प्रकृति अभिप्रेरित निर्माण (Biomimicry) विज्ञान की एक ऐसी नवीन विधा है, जो कि पूरी तरह से प्राकृतिक रचनाओं द्वारा प्रेरित होती है। इसे एक नवीन विधा कहने के बजाए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण कहना अधिक उचित होगा। अभियांत्रिकी, आधुनिक प्रौद्योगिकी और दैनिक जीवन में इस अवधारणा का व्यापक उपयोग होता है। .

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प्रकृतिवाद (दर्शन)

प्रकृतिवाद (Naturalism) पाश्चात्य दार्शनिक चिन्तन की वह विचारधारा है जो प्रकृति को मूल तत्त्व मानती है, इसी को इस बरह्माण्ड का कर्ता एवं उपादान (कारण) मानती है। यह वह 'विचार' या 'मान्यता' है कि विश्व में केवल प्राकृतिक नियम (या बल) ही कार्य करते हैं न कि कोई अतिप्राकृतिक या आध्यातिम नियम। अर्थात् प्राक्रितिक संसार के परे कुछ भी नहीं है। प्रकृतिवादी आत्मा-परमात्मा, स्पष्ट प्रयोजन आदि की सत्ता में विश्वास नहीं करते। यूनानी दार्शनिक थेल्स (६४० ईसापूर्व-५५० इसापूर्व) का नाम सबसे पहले प्रकृतिवादियों में आता है जिसने इस सृष्टि की रचना जल से सिद्ध करने का प्रयास किया था। किन्तु स्वतन्त्र दर्शन के रूप में इसका बीजारोपण डिमोक्रीटस (४६०-३७० ईसापूर्व) ने किया। प्रकृतिवादी विचारक बुद्धि को विशेष महत्व देते हैं परन्तु उनका विचार है कि बुद्धि का कार्य केवल वाह्य परिस्थितियों तथा विचारों को काबू में लाना है जो उसकी शक्ति से बाहर जन्म लेते हैं। इस प्रकार प्रकृतिवादी आत्मा-परमात्मा, स्पष्ट प्रयोजन इत्यादि की सत्ता में विश्वास नहीं करते हैं। प्रो.

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प्रेम चौधरी

प्रेम चौधरी एक भारतीय सामाजिक वैज्ञानिका, इतिहासकार, और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली में वरिष्ठ शैक्षणिक फेलो हैं। She is a feminist वह एक नारीवादी है और शादीशुदा विवाह से इनकार करते हुए जोड़ों के खिलाफ हिंसा की आलोचक करती है। वह लैंगिक अध्ययनों के एक प्रसिद्ध विद्वान, राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर अधिकार और भारत में हरियाणा राज्य के सामाजिक इतिहास और हरिद्वारी के लिए संसद के प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य हैं। चौधरी महिला अध्ययन केंद्र के एक जीवन सदस्य है। उन्होंने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, समकालीन अध्ययन, नई दिल्ली के लिए समर्थित केंद्र में भी काम किया है; नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय की एक उन्नत अध्ययन इकाई की है। चौधरी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का एक हिस्सा है, और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्राध्यापक साथी भी। .

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प्रेसिडेन्सी विश्वविद्यालय, कोलकाता

प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता (Presidency College; প্রেসিডেন্সি কলেজ) कोलकाता, पश्चिम बंगाल में कला, विज्ञान और मानविकी के क्षेत्रों में स्नातक तथा स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए एक श्रेष्ठ भारतीय शिक्षा प्रतिष्ठान है। इस प्रतिष्ठान ने अनेक प्रसिद्ध भारतीय कलाकार, लेखक, वैज्ञानिक, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक इत्यादि दिए है। .

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प्रोटिओमिक्स

एम.ए.एल.डी.आई मास स्पेक्ट्रोमेट्री नमूनों की प्रतिरूप कैरियर पर रोबोटिक तैयारी प्रोटिओमिक्स (Proteomics) जीव-शरीरों की कोशिकाओं में पाए जाने वाले प्रोटीनों के अध्ययन से सम्बन्धी विज्ञान है। इसमें प्रोटीनों का विभिन्न अवस्थाओं में, एक ही समय में, तथातीव्र गति से विश्लेषण करा जाता है। इससे कोशिकाओं में प्रोटीनों की अंतःस्थिओति का मानचित्र तैयार कर सकते हैं। जीव शरीर में अनेक प्रकार के प्रोटीन होते हैं। प्रोटीनों में अमीनो अम्लों की लम्बी शृंखलाएं होतीं हैं, तथा वे २० विभिन्न अमीनो अम्लों द्वारा निर्मित होतीं हैं। प्रत्येक अमीनो अम्ल के रासायनिक गुण भिन्न होते हैं, तथा उनका विभिन्न प्रोटीनों में होने वाला अनुक्रम भी भिन्न होता है। इसके कारण प्रत्येक प्रोटीन एक विशेष रूप से संरचित होता है और यह संरचना उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य के लिए हर प्रकार से उपयुक्त होती है। प्रोटीण किसी जीव की जीवन क्षमता और कोशिकीय क्रियाविधि के लिए सीधे सीधे उत्तरदायी होते हैं। .

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पृथ्वी का इतिहास

पृथ्वी के इतिहास के युगों की सापेक्ष लंबाइयां प्रदर्शित करने वाले, भूगर्भीय घड़ी नामक एक चित्र में डाला गया भूवैज्ञानिक समय. पृथ्वी का इतिहास 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी ग्रह के निर्माण से लेकर आज तक के इसके विकास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं और बुनियादी चरणों का वर्णन करता है। प्राकृतिक विज्ञान की लगभग सभी शाखाओं ने पृथ्वी के इतिहास की प्रमुख घटनाओं को स्पष्ट करने में अपना योगदान दिया है। पृथ्वी की आयु ब्रह्माण्ड की आयु की लगभग एक-तिहाई है। उस काल-खण्ड के दौरान व्यापक भूगर्भीय तथा जैविक परिवर्तन हुए हैं। .

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पैदावार

पैदावार.

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पूर्वानुमान

अज्ञात स्थितियों में तर्कपूर्ण आकलन (estimation) करने को पूर्वानुमान करना (Forecasting) कहते हैं। जैसे दो दिन बाद किसी स्थान के मौसम के बारे में अनुमान लगाना, एक वर्ष बाद किसी देश की आर्थिक स्थिति के बारे में कहना आदि पूर्वानुमान हैं। पूर्वानुमान के साथ अनिश्चितता और खतरा (Risk) का घनिष्ट सम्बन्ध है। आधुनिक युग में पूर्वानुमान के अनेकानेक उपयोग हैं; जैसे - ग्राहक की मांग की योजना बनाना। .

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पेस्टिवाइरस

पेस्टिवाइरस रोग पेस्टिवाइरस फ्लेविविरिदे परिवार में विषाणुओं का एक जीनस है। जो विषाणुऐं पेस्टिवाइरस के जीनस में हैं वह स्तनधारियों, बोविदे परिवार के सदस्य (पशु, भेड़, बकरियाँ शामिल हैं पर उन तक सीमित नहीं) और सुइदे परिवार(सुअर के कई जाति शामिल हैं) को संक्रमित करते हैं। वर्तमान में इस जिनस में चार जाति हैं बोवईन वायरल दस्त वाइरस १ के प्रकार जाति को समेत। इस जीनस से संबंधित रोग: रक्तस्रावी सिंड्रोम, गर्भपात, घातक श्लैष्मिक रोग। .

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फलित ज्योतिष

फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का भी बोध होता है, तथापि साधारण लोग ज्योतिष विद्या से फलित विद्या का अर्थ ही लेते हैं। ग्रहों तथा तारों के रंग भिन्न-भिन्न प्रकार के दिखलाई पड़ते हैं, अतएव उनसे निकलनेवाली किरणों के भी भिन्न भिन्न प्रभाव हैं। इन्हीं किरणों के प्रभाव का भारत, बैबीलोनिया, खल्डिया, यूनान, मिस्र तथा चीन आदि देशों के विद्वानों ने प्राचीन काल से अध्ययन करके ग्रहों तथा तारों का स्वभाव ज्ञात किया। पृथ्वी सौर मंडल का एक ग्रह है। अतएव इसपर तथा इसके निवासियों पर मुख्यतया सूर्य तथा सौर मंडल के ग्रहों और चंद्रमा का ही विशेष प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी विशेष कक्षा में चलती है जिसे क्रांतिवृत्त कहते हैं। पृथ्वी फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह तथा नक्षत्रों से संबंध रखनेवाली विद्या है। इस शब्द से यद्यपि गणित (सिद्धांत) ज्योतिष का निवासियों को सूर्य इसी में चलता दिखलाई पड़ता है। इस कक्षा के इर्द गिर्द कुछ तारामंडल हैं, जिन्हें राशियाँ कहते हैं। इनकी संख्या है। मेष राशि का प्रारंभ विषुवत् तथा क्रांतिवृत्त के संपातबिंदु से होता है। अयन की गति के कारण यह बिंदु स्थिर नहीं है। पाश्चात्य ज्योतिष में विषुवत् तथा क्रातिवृत्त के वर्तमान संपात को आरंभबिंदु मानकर, 30-30 अंश की 12 राशियों की कल्पना की जाती है। भारतीय ज्योतिष में सूर्यसिद्धांत आदि ग्रंथों से आनेवाले संपात बिंदु ही मेष आदि की गणना की जाती है। इस प्रकार पाश्चात्य गणनाप्रणाली तथा भारतीय गणनाप्रणाली में लगभग 23 अंशों का अंतर पड़ जाता है। भारतीय प्रणाली निरयण प्रणाली है। फलित के विद्वानों का मत है कि इससे फलित में अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि इस विद्या के लिये विभिन्न देशों के विद्वानों ने ग्रहों तथा तारों के प्रभावों का अध्ययन अपनी अपनी गणनाप्रणाली से किया है। भारत में 12 राशियों के 27 विभाग किए गए हैं, जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। ये हैं अश्विनी, भरणी आदि। फल के विचार के लिये चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है। .

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फुरिअर विश्लेषण

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में किसी फलन (फंक्शन) को छोटे-छोटे सरल फलनों के योग के रूप में व्यक्त करने को विश्लेषण कहा जाता है एवं इसकी उल्टी प्रक्रिया को संश्लेषण कहते हैं। हमें ज्ञात है कि फुरिअर श्रेणी के प्रयोग से किसी भी आवर्ती फलन को उचित आयाम, आवृत्ति एवं कला की साइन तरंगो (sine waves) के योग के रूप मे व्यक्त करना सम्भव है। इसके सामान्यीकरण के रूप में यह भी कह सकते हैं किं किसी भी समय के साथ परिवर्तनशील संकेत को उचित आयाम, आवृत्ति एवं कला की साइन तरंगो (sine waves) के योग के रूप में व्यक्त करना सम्भव है। फुरिअर विश्लेषण (Fourier analysis) वह तकनीक है जिसका प्रयोग करके बताया जा सकता है कि कोई संकेत (सिग्नल) किन साइन तरंगों से मिलकर बना हुआ है। फलनों (या अन्य वस्तुओं) को सरल टुकड़ों में तोडकर समझने का प्रयास फुरिअर विश्लेषण का सार है। आजकल फुरिअर विश्लेषण का विस्तार होकर यह एक अधिक सामान्य हार्मोनिक विश्लेषण के अंग के रूप में जाना जाने लगा है। .

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फ्रांसिस बेकन

फ्रांसिस बेकन (1561-1626) अंग्रेज राजनीतिज्ञ, दार्शनिक और लेखक था। रानी एलिज़बेथ के राज्य में उसके परिवार का बड़ा प्रभाव था। कैंब्रिज और ग्रेज़ इन में शिक्षा प्राप्त की। 1577 में वह फ्रांस स्थित अंग्रेजी दूतावास में नियुक्त हुआ, किंतु पिता सर निकोलस बेकन की मृत्यु के पश्चात् 1579 में वापस लौट आया। उसने वकालत का पेशा अपनाने के लिए कानून का अध्ययन किया। प्रारंभ से ही उसकी रुचि सक्रिय राजनीतिक जीवन में थी। 1584 में वह ब्रिटिश लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हुआ। संसद की, जिसमें वह 1614 तक रहा, कार्यप्रणाली में उसका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। समय समय पर वह महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रश्नों पर एलिज़बेथ को निष्पक्ष सम्मतियाँ देता रहा। कहते हैं, अगर उसकी सम्मतियाँ उस समय मान ली गई होतीं तो बाद में शाही और संसदीय अधिकारों के बीच होनेवाले विवाद उठे ही न होते। सब कुछ होते हुए भी उसकी योग्यता का ठीक ठीक मूल्यांकन नहीं हुआ। लार्ड बर्ले ने उसे अपने पुत्र के मार्ग में बाधक मानकर सदा उसका विरोध किया। रानी एलिज़ाबेथ ने भी उसका समर्थन नहीं किया क्योंकि उसने शाही आवश्यकता के लिए संसदीय धनानुदान का विरोध किया था। 1592 के लगभग वह अपने भाई एंथोनी के साथ अर्ल ऑव एसेक्स का राजनीतिक सलाहकार नियुक्त हुआ। किंतु 1601 में, जब एसेक्स ने लंदन की जनता को विद्रोह के लिए भड़काया तो बेकन ने रानी के वकील की हैसियत से एसेक्स को राजद्रोह के अपराध में दंड दिलाया। .

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फॉरेंसिक कीटविज्ञान

फॉरेंसिक कीटविज्ञान (अंग्रेज़ी भाषा: Forensic entomology) विज्ञान का क्षेत्र है जिसमें हम कीट और अन्य संधिपाद प्राणियों के जीवन के बारे में आपराधिक मामलों की जाँच की जाती है। इस शेत्र में कीट, संधिपाद प्राणी, अर्चिंड, गोजर, सहस्त्रपाद, क्रस्टेशिया के भी जीवन के विज्ञान को शामिल किया गया है। आपराधिक मामलों को सुलझाने के लिए यह क्षेत्र मुख्य रूप से मौत की जाँच से जुड़े मामले सुलझाने के लिए है परंतु इसके द्वारा हम कई और मामलों की जाँच भी कर सकते हैं जैसे- ज़ेहर और दवाइयों की जाँच, किसी घटना के होने की जगह और किसी भी घाव के होने के समय का भी जाँच भी की जा सकती है। फॉरेंसिक कीटविज्ञान ३ उप-क्षेत्रों में बाँटा गया है: शहरी, संग्रीहित उत्पाद और मेडिकोलेगल (चिकित्या एवं न्याय प्रणाली) .

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फोरेंसिक सामाजिक कार्य

फोरेंसिक सामाजिक कार्य के सवाल और कानून और कानूनी व्यवस्था से संबंधित मुद्दों के लिए सामाजिक कार्य के लिए आवेदन है। सामाजिक कार्य पेशे की यह विशेषता दूर से परे क्लीनिक और आपराधिक बचाव पक्ष के लिए मनोरोग अस्पतालों और मूल्यांकन योग्यता और जिम्मेदारी के मुद्दों पर इलाज किया जा रहा है। एक व्यापक परिभाषा जिसमे शामिल है सामाजिक कार्य अभ्यास जो किसी भी तरह से कानूनी मुद्दों और मुकदमेबाजी, दोनों आपराधिक और दीवानी से संबंधित है। बच्चे को हिरासत मुद्दों, जुदाई, तलाक, उपेक्षा, माता पिता के अधिकारों की समाप्ति से जुड़े, बच्चे और पति या पत्नी के सेवन, किशोर और वयस्क न्याय सेवाओं, सुधार, और अनिवार्य उपचार के निहितार्थ सभी इस परिभाषा के अंतर्गत आते हैं। फोरेंसिक सामाजिक कार्यकर्ता भी नीति या विधायी विकास और सामाजिक न्याय में सुधार करने का इरादा में शामिल किया जा सकता है। .

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बहुपद समीकरणों के सिद्धान्त

x के किसी n घातीय व्यंजक (इक्सप्रेशन) को शून्य के बराबर रखने पर प्राप्त समीकरण को n घात का बहुपद समीकरण (polynomial equation) कहते हैं। एक से अधिक राशियों में भी बहुपद समीकरण हो सकते हैं। जैसे - गणित के परम्परागत बीजगणित का एक बड़ा भाग समीकरण सिद्धान्त (Theory of equations) के रूप में अध्ययन किया/कराया जाता है। इसके अन्तर्गत बहुपद समीकरण के मूलों की प्रकृति का अध्ययन किया जाता है एवं इन मूलों को प्राप्त करने की विधियों एवं उससे सम्बन्धित समस्याओं का विवेचन किया जाता है। दूसरे शब्दों में, बहुपद, बीजीय समीकरण, मूल निकालना एवं मैट्रिक्स एवं सारणिक का प्रयोग करके समीकरणों का हल निकालना शामिल हैं। विज्ञान एवं गणित की सभी शाखाओं में समीकरण सिद्धान्त का बहुत उपयोग होता है। .

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बही-खाता

बही-खाता या पुस्तपालन या बुककीपिंग एक ऐसी पद्धति है जिसमें किसी कम्पनी, गैर–लाभकारी संगठन या किसी व्यक्ति के वित्तीय लेनदेन के आंकड़ों का प्रतिदिन के आधार पर भंडारण, रिकॉर्डिंग और पुनर्प्राप्त करना, विश्लेषण और व्याख्या करने की प्रक्रिया शामिल होती है। इस प्रक्रिया में बिक्री, प्राप्तियां, लेनदेन में खरीद, और किसी व्यक्ति/निगम/संगठन द्वारा भुगतान आदि सम्मिलित किए जाते हैं। बुककीपिंग, एक बुककीपर द्वारा किया जाता है जो किसी व्यवसाय के प्रतिदिन के वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड करता है। प्रक्रिया के लिए शुद्धता इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्तिगत वित्तीय लेनदेन के रिकॉर्ड सही, व्यापक और अद्यतन (अप–टू–डेट) हैं। प्रत्येक लेनदेन, चाहे वह बिक्री हो या खरीद हो, दर्ज किया जाना चाहिए। बुक कीपिंग के लिए स्थापित संरचनाएं होती हैं जिन्हें ‘गुणवत्ता नियंत्रण‘ कहा जाता है। ये संरचनाएँ समय–समय पर वित्तीय लेनदेन के भंडारण, रिकॉर्डिंग और पुनर्प्राप्ति और सटीक रिकॉर्ड सुनिश्चित करने में सहायता करतीं हैं। 'बही-खाता' दो प्रविष्टियों वाली (डबल इंट्री) पुस्तपालन (बुककीपिंग) की भारतीय पद्धति है। प्रायः १४९४ में लिखित पिकौलीज समर (Pacioli's Summar) को अंकेक्षण का प्राचीनतम ग्रंथ माना जाता है किन्तु बही खाता का प्रचलन भारत में उससे भी पूर्व कई शताब्दियों से है। बही-खाता की पद्धति भारत में यूनानी एवं रोमन साम्राज्यों के पहले भी विद्यमान थी। इससे यही अनुमान लगाया जा सकता है कि भारतीय व्यवसायी अपने बही-खाता अपने साथ इटली ले गये और वहीं से द्विप्रविष्टि प्रणाली पूरे यूरोप में फैली। .

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बाबा कर्तारसिंह

बाबा कर्तारसिंह (सन् 1886-1961) भारतीय रसायनज्ञ थे। विज्ञान के अतिरिक्त सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्र में भी आपने महत्व की सेवाएँ कीं। सन् 1936 से 41 तक आप सिख धर्म संस्थान, तख्त, हरमंदिर जी, पटना, की निरीक्षक समिति के अध्यक्ष रहे। .

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बायोमेट्रिक्स

वॉल्ट डिज़नी वर्ल्ड में बॉयोमेट्रिक माप मेहमानों की उंगलियों से यह सुनिश्चित करने के लिए लिये जाते हैं कि व्यक्ति की टिकट का इस्तेमाल दिन-प्रतिदिन एक ही व्यक्ति द्वारा किया जाता रहे. जैवमिति या बायोमैट्रिक्स जैविक आंकड़ों एंव तथ्यों की माप और विश्लेषण के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को कहते हैं। अंग्रेज़ी शब्द बायोमैट्रिक्स दो यूनानी शब्दों बायोस (जीवन) और मैट्रोन (मापन) से मिलकर बना है।। हिन्दुस्तान लाइव। २८ मार्च २०१० नेटवर्किंग, संचार और गत्यात्मकता में आई तेजी से किसी व्यक्ति की पहचान की जांच पड़ताल करने के विश्वसनीय तरीकों की आवश्यकता बढ़ गई है। पहले व्यक्तियों की पहचान उनके चित्र, हस्ताक्षर, हाथ के अंगूठे और अंगुलियों के निशानों से की जाती रही है, किन्तु इनमें हेरा-फेरी होने लगी। इसे देखते हुए वैज्ञानिकों ने जैविक विधि से इस समस्या का समाधान करने का तरीका खोजा है। इसका परिणाम ही बायोमैट्रिक्स है। वेनेजुएला में आम चुनावों के दौरान दोहरे मतदान को रोकने के लिए बायोमैट्रिक कार्ड का प्रयोग किया जाता है। .

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बार्सिलोना

बार्सिलोना स्पेन का एक खुबसूरत शहर है। यह स्पेन में कॅटालोनिया के स्वायत्त समुदाय की राजधानी है और स्पेन का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है, प्रशासनिक सीमाओं के भीतर जिसकी आबादी 1.6 मिलियन है। बार्सिलोना दुनिया की के अग्रणी पर्यटन, आर्थिक, व्यापार मेला और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है, और वाणिज्य, शिक्षा, मनोरंजन, मीडिया, फैशन, विज्ञान, कला में इसका प्रभाव व योगदान इसे दुनिया के प्रमुख वैश्विक शहरों में से एक बनाता है। .

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बाल गोविन्द द्विवेदी

काव्य.

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बाहुबली: द बिगनिंग (2015)

बाहुबली तेलुगू और तमिल भाषाओं में बनी एक भारतीय फ़िल्म है। यह हिन्दी, मलयालम व कुछ विदेशी भाषाओं में भी बनी है तथा इसे 10 जुलाई 2015 को सिनेमाघरों में दिखाया गया। इसे एस॰एस॰ राजामौली ने निर्देशित किया है। प्रभास, राणा डग्गुबती, अनुष्का शेट्टी और तमन्ना ने मुख्य किरदार निभाए हैं। इसमे रम्या कृष्णन, सत्यराज, नासर, आदिवि सेश, तनिकेल्ल भरनी और सुदीप ने भी कार्य किया है। फ़िल्म की कुछ खास बातों में से एक रही इस फिल्म में चित्रित कालकेय कबीले द्वारा बोली जाने वाली किलिकिलि नामक एक कृत्रिम भाषा जिसका निर्माण मधन कर्की ने लगभग 750 शब्दों और 40 व्याकरण के नियमों द्वारा किया। भारतीय फ़िल्म के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किसी फ़िल्म के लिए एक नई भाषा का निर्माण किया गया हो। .

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बिहार विधान परिषद्

बिहार विधान परिषद बिहार राज्य में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। बिहार विधान परिषद विधानमंडल का अंग है। .

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बंगलौर विश्वविद्यालय

बैंगलोर विश्वविद्यालय (BU) एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है, जो कर्नाटक राज्य, भारत के बैंगलोर शहर में स्थित है। यह विश्वविद्यालय भारत के पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है जिसकी स्थापना सन 1886 में हुई थी तथा यह भारत के अग्रणी बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है। विश्वविद्यालय, भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ (AIU) का एक भाग है तथा 'उत्कृष्टता के लिये संभावित' (Potential for Excellence) की प्रतिष्ठा के नजदीक है जो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के दिशा निर्देशों के अनुसार भारत के 10 शीर्ष विश्वविद्यालयों के लिये आरक्षित है। विश्वविद्यालय, प्रतिष्ठित विदेशी तथा स्थानीय विश्वविद्यालयों, संगठनों तथा संस्थाओं के साथ एमओयू के द्वारा शोध कार्य में संलग्न है। इसके कई विभाग उत्कृष्टता के केन्द्र के रूप में UGC द्वारा चिन्हित किये गये हैं। .

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ब्रह्माण्ड (हिन्दू धर्म)

ब्रह्माण्ड शब्द का अर्थ खगोल से लिया जाता है। अगर हम‌ भौतिक रूप से ब्रह्माण्ड को समझना चाहें तो हम ब्रह्माण्ड को सरल भाषा में ऐसे परिभाषित कर सकते हैं कि ब्रह्माण्ड वो है जिसके क्षेत्र में सम्पूर्ण ग्रह, उपग्रह्, तारे आदि स्थित हैं और इस क्षेत्र के अस्तित्व का मूल आधार वो सारे तत्व हैं, जिनके द्वारा ब्रह्माण्ड में स्थित सम्पूर्ण ग्रह, उपग्रह्, तारे आदि निर्मित हैं। ब्रह्माण्डीय क्षेत्र और सम्पूर्ण ग्रह, उपग्रह्, तारों आदि के मध्य मात्र इतना सा अन्तर है कि ब्रह्माडीय क्षेत्र, तत्वों के "मूल" रूप से निर्मित है जोकि स्वतन्त्र हैं, जबकि सम्पूर्ण ग्रह, उपग्रह्, तारे आदि इन्हीं तत्वों के किसी कारणवश आपस में जुडने और जुड़ कर टुटने से निर्मित हैं। .

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ब्रह्माण्ड (जैन धर्म)

जैन धर्म सृष्टि को अनादिनिधन बताता है यानी जो कभी नष्ट नहीं होगी। जैन दर्शन के अनुसार ब्रह्मांड हमेशा से अस्तित्व में है और हमेशा रहेगा। यह ब्रह्मांड प्राकृतिक कानूनों द्वारा नियंत्रित है और अपनी ही ऊर्जा प्रक्रियाओं द्वारा रखा जा रहा है। जैन दर्शन के अनुसार ब्रह्मांड शाश्वत है और ईश्वर या किसी अन्य शक्ति ने इसे नहीं बनाया। आधुनिक विज्ञान के अनुसार ब्रह्माण्ड हमेशा से अस्तित्व में नहीं था, इसकी उत्पत्ति बिग बैंग से हुई थी। .

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बॉयोमीट्रिक अंक

एक व्यक्ति की पहचान करने के लिए, एक सुरक्षा प्रणाली एक डाटाबेस के साथ व्यक्तिगत विशेषताओं की तुलना करने के लिए है। बॉयोमीट्रिक्स जीवित प्राणियों के भौतिक गुणों को मापने का विज्ञान है और इंजीनियर के लिए यह उनके व्यवहार और जैविक विशेषताओं के आधार पर व्यक्तियों के स्वचालित मान्यता है। एक मान्यता जांच में एक व्यक्ति की उपयुक्त व्यवहार और जैविक विशेषताओं को मापने और बायोमेट्रिक संदर्भ डेटा है, जो एक सीखने की प्रक्रिया के दौरान संग्रहीत किया गया था के साथ इन आंकड़ों की तुलना करके, एक विशिष्ट उपयोगकर्ता की पहचान चुना गया है। .

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बी के थेल्मा

बी के थ्लमा जेनेटिक्स विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली में मानव आनुवंशिकी और चिकित्सा जीनोमिक्स पर काम करती है। उन्होंने मानव जैनेटिक्स, मानव और चिकित्सा जैव प्रौद्योगिकी, साइटोजनेटिक्स, रिकाम्बेनेंत डीएनए प्रौद्योगिकी, प्रोकार्यियोटिक और यूकेरियोटिक जीन अभिव्यक्ति, आणविक प्रणालीगत और विकास और सेल जीव विज्ञान जैसे विषयों को पढ़ाया है। .

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बीमा विज्ञान

बीमा विज्ञान (Insurance and Actuarial Science) केवल बीमे का साधारण ज्ञान नहीं है, अपितु यह गणित, रसायन आदि अन्य विज्ञानों की तरह ही एक विशेष प्रकार का विज्ञान है, जिसकी उन्नति विशेष रूप से बीमे के संबन्ध में हुई है। इसका समुचित उपयोग जीवन बीमा में ही होता है, यद्यपि कुछ न कुछ उपयोग अन्य स्थलों में भी हो सकता है। .

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बीजगणित

बीजगणित (संस्कृत ग्रन्थ) भी देखें। ---- आर्यभट बीजगणित (algebra) गणित की वह शाखा जिसमें संख्याओं के स्थान पर चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। बीजगणित चर तथा अचर राशियों के समीकरण को हल करने तथा चर राशियों के मान निकालने पर आधारित है। बीजगणित के विकास के फलस्वरूप निर्देशांक ज्यामिति व कैलकुलस का विकास हुआ जिससे गणित की उपयोगिता बहुत बढ़ गयी। इससे विज्ञान और तकनीकी के विकास को गति मिली। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने कहा है - अर्थात् मंदबुद्धि के लोग व्यक्ति गणित (अंकगणित) की सहायता से जो प्रश्न हल नहीं कर पाते हैं, वे प्रश्न अव्यक्त गणित (बीजगणित) की सहायता से हल कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, बीजगणित से अंकगणित की कठिन समस्याओं का हल सरल हो जाता है। बीजगणित से साधारणतः तात्पर्य उस विज्ञान से होता है, जिसमें संख्याओं को अक्षरों द्वारा निरूपित किया जाता है। परंतु संक्रिया चिह्न वही रहते हैं, जिनका प्रयोग अंकगणित में होता है। मान लें कि हमें लिखना है कि किसी आयत का क्षेत्रफल उसकी लंबाई तथा चौड़ाई के गुणनफल के समान होता है तो हम इस तथ्य को निमन प्रकार निरूपित करेंगे— बीजगणिति के आधुनिक संकेतवाद का विकास कुछ शताब्दी पूर्व ही प्रारंभ हुआ है; परंतु समीकरणों के साधन की समस्या बहुत पुरानी है। ईसा से 2000 वर्ष पूर्व लोग अटकल लगाकर समीकरणों को हल करते थे। ईसा से 300 वर्ष पूर्व तक हमारे पूर्वज समीकरणों को शब्दों में लिखने लगे थे और ज्यामिति विधि द्वारा उनके हल ज्ञात कर लेते थे। .

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बी॰एफ॰ स्किनर

बुर्ह फ्रेडरिक स्किनर बुर्ह फ्रेडरिक स्किनर जो आमतौर पर बि एफ स्किनर के नाम से जाने जाते है, एक अमरिकी मनोवैज्ञानी, व्यवहारवादी, लेखक, आविष्कारक और सामाजिक दर्शनिक थे। सऩ १९५८ से १९७४ में सेवानिवृत होने तक हार्वर्ड विश्वविध्यालय में मनोविज्ञन के एडगर पियर्स प्रोफेसर थे। स्किनर स्वतंत्र इच्छा को भ्रम मानते थे। उन के अनुसार मानव कारवाई अपने पिछले कार्यों के परिणामों पर निर्भर है। अगर परिणाम खराब है तो ज्यादातर वो कारवाई दोहराई नही जाएगी और अगर परिणाम् अच्छा है तो कार्य और संभावित बन जाएगा। स्किनर इस सुदृढ़ीकरण सिद्धांत कहते थे। स्किनर ने व्यवहार को मज़बूत करने को सुदृढीकरण के उपयोग को स्फूर्त अनुकूलन कहा है और प्रतिक्रिया ताकत को मापने के लिए प्रतिक्रिय दर को सबसे कारगार उपाय माना जाता है। स्फूर्त अनुकूलन चेंबर का अविष्कार किया, जिसे'स्किनर बाक्स' के नाम से जाना जाता है। दर को मापने के लिए उन्होने संचयी रिकार्डर का अविष्कार किया। इन उपकरणों का इस्तमाल कर वे और सी बी फेरस्टर ने अपनी सबसे प्रभावशाली प्रयोगात्मक कार्य का उत्पादन किया जो सुदृढीकरण की अनुसूचियाँ नामक किताब में छपी। स्किनर ने विज्ञान के दर्शन का विकसित किया जिसे वे कट्टरपंथी व्यवहारवाद कहते थे। उन्होने प्रयोगिक अनुसंधान मनोविज्ञान- व्यवहार का प्रयोगात्मक विश्लेश का एक स्कूल की स्थापना की। अपने उथोपियन उपन्यास 'वालडन टू' में मानव समुदाय को डिज़ाईन करने के लिये अपने विचारों के आवेदन कि कलपना की और मान्व व्यवहार का उनका विश्लेषण उनके मौखिक व्यवहार में समापन हुआ। २२७ स्किनर एक विपुल लेखक थे जिनकी २१ पुस्तकें और १८० लेख प्रकाशित हुई। समकालीन शिक्षा जान बी वाटसन और इवान पावलोव के साथ साथ स्किनर २०वीं सदी की सबसे प्रभावशाली मनोचिकित्सक के रूप मे सूचिबद्ध हैं। .

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भट्टिकाव्य

भट्टिकाव्य महाकवि भट्टि द्वारा रचित महाकाव्य है। इसका वास्तविक नाम 'रावणवध' है। इसमें भगवान रामचंद्र की कथा जन्म से लगाकर लंकेश्वर रावण के संहार तक उपवर्णित है। यह महाकाव्य संस्कृत साहित्य के दो महान परम्पराओं - रामायण एवं पाणिनीय व्याकरण का मिश्रण होने के नाते कला और विज्ञान का समिश्रण जैसा है। अत: इसे साहित्य में एक नया और साहसपूर्ण प्रयोग माना जाता है। भट्टि ने स्वयं अपनी रचना का गौरव प्रकट करते हुए कहा है कि यह मेरी रचना व्याकरण के ज्ञान से हीन पाठकों के लिए नहीं है। यह काव्य टीका के सहारे ही समझा जा सकता है। यह मेधावी विद्वान के मनोविनोद के लिए रचा गया है, तथा सुबोध छात्र को प्रायोगिक पद्धति से व्याकरण के दुरूह नियमों से अवगत कराने के लिए। भट्टिकाव्य की प्रौढ़ता ने उसे कठिन होते हुए भी जनप्रिय एवं मान्य बनाया है। प्राचीन पठनपाठन की परिपाटी में भट्टिकाव्य को सुप्रसिद्ध पंचमहाकाव्य (रघुवंश, कुमारसंभव, किरातार्जुनीय, शिशुपालवध, नैषधचरित) के समान स्थान दिया गया है। लगभग 14 टीकाएँ जयमंगला, मल्लिनाथ की सर्वपथीन एवं जीवानंद कृत हैं। माधवीयधातुवृत्ति में आदि शंकराचार्य द्वारा भट्टिकाव्य पर प्रणीत टीका का उल्लेख मिलता है। .

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भारत और यूरोप के सांस्कृतिक सम्पर्क

वैज्ञानिक समाज अब भारतीय तथा यूरोपीय संस्कृतियों के बहुत से समान या समरूप अवयवों को स्वीकार करने लगा है। इसकी शुरुआत वैयाकरणों ने की जब उन्हें भारतीय एवं यूरोपीय भाषाओं में बहुत कुछ साम्य के दर्शन हुए। इसके उपरान्त भारतविद्या के अध्येताओं (इण्डोलोजिस्ट) ने पाया कि यह साम्य दर्शन, मिथक और विज्ञान सहित अनेकानेक क्षेत्रों में है। इसके पूर्व यह माना जाता था कि भारत और यूरोप के बीच सम्पर्क बहुत नया (भारत के उपनिवेशीकरण से शुरू होकर) है। किन्तु पुरातत्व और मानविकी में नये अनुसंधानों ने यह साबित कर दिया है कि भारत और यूरोप के सम्पर्क अनादिकाल से आरम्भ होकर मध्ययुग होते हुए आधुनिक युग में भी रहा है। .

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भारत का योजना आयोग

भारत का योजना आयोग, भारत सरकार की एक संस्था थी जिसका प्रमुख कार्य पंचवर्षीय योजनायें बनाना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने पहले स्वतंत्र दिवस के भाषण में यह कहा कि उनका इरादा योजना कमीशन को भंग करना है। 2014 में इस संस्था का नाम बदलकर नीति आयोग (राष्‍ट्रीय भारत परिवर्तन संस्‍थान) किया गया। भारत में योजना आयोग के संबंध में कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। 15 मार्च 1950 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित प्रस्ताव के द्वारा योजना की स्थापना की गई थी। योजना आयोग का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। 17 अगस्त 2014 को योजना आयोग खत्म कर दिया गया और इसके जगह पर नीति आयोग का गठन हुआ। नीति आयोग भारत सरकार की एक थिंक टैंक है। योजना आयोग का हेड क्वार्टर योजना भवन के नाम से जाना जाता था। यह नई दिल्ली में है। इसके अतिरिक्त इसके अन्य कार्य हैं: -.

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भारत का लैंगिक इतिहास

खजुराहो में अप्सराओं का चित्रण सनातन धर्म में काम को चार पुरुषार्थों में स्थान प्राप्त है। सेक्स के इतिहास में भारत की भूमिका अति महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में ही पहले ऐसे ग्रन्थ (कामसूत्र) की रचना हुई जिसमें संभोग को विज्ञान के रूप में देखा गया। यह भी कहा जा सकता है कि कला और साहित्य के माध्यम से यौन शिक्षा का अग्रदूत भारत ही था। इसी प्रकार, .

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भारत की संस्कृति

कृष्णा के रूप में नृत्य करते है भारत उपमहाद्वीप की क्षेत्रीय सांस्कृतिक सीमाओं और क्षेत्रों की स्थिरता और ऐतिहासिक स्थायित्व को प्रदर्शित करता हुआ मानचित्र भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है। .

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भारतीय दर्शन में परमाणु

भारतीय दर्शन में परमाणु का उल्लेख पाश्चात्य विज्ञान से कई सदी पहले ही हो गया था। परमाणु और अणु, कई मतों के अनुसार एक ही तत्व से दो नाम हैं। भिन्न भिन्न दर्शन के अनुसार परमाणुओं का अपने तरीके से वर्णन किया गया हैं। परंतु इसका सारांश यह ही निकलता हैं कि परमाणु पदार्थ का सबसे सूक्ष्म अंग हैं, जिसका अधिक विभाजन साध्य नहीं। .

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी भारत का विज्ञान एवं अभियान्त्रिकी में शोध तथा स्नातक शिक्षा पर केंद्रित संस्थान है। संक्षिप्त में, यह 'आई.आई.टी.

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की का मुख्य (प्रशासनिक) भवन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की भारत का एक सार्वजनिक इंजीनियरी विश्वविद्यालय है। यह उत्तराखण्ड राज्य के रुड़की में स्थित है। पहले इसका नाम 'रूड़की विश्वविद्यालय' तथा इससे भी पहले इसका नाम 'थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग' (Thomason College of Civil Engineering) था। इसकी स्थापना मूलतः १८४७ में हुई थी। सन् १९४९ में इसको विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। सन् २००१ में इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। .

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भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (अंग्रेज़ी:इण्डियन नेशनल साइंस अकादमी (आई.एन.एस.ए)), नई दिल्ली स्थित भारतीय वैज्ञानिकों की सर्वोच्च संस्था है, जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सभी शाखाओं का प्रतिनिधित्व करती है। इसका उद्देश्य भारत में विज्ञान व उसके प्रयोग को बढ़ावा देना है। इसके मूल रूप की स्थापना १९३५ में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज़ ऑफ इण्डिया नाम से हुई थी, जिसे बाद में १९७० में वर्तमान स्वरूप दिया गया है। भारत सरकार ने इसे १९४५ में भारत में विज्ञान की सभी शाखाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था के रूप में दी थी। १९६८ में इसे भारत सरकार की ओर से अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान परिषद में भेजा गया था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। .

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भारतीय राजनय का इतिहास

यद्यपि भारत का यह दुर्भाग्य रहा है कि वह एक छत्र शासक के अन्तर्गत न रहकर विभिन्न छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित रहा था तथापि राजनय के उद्भव और विकास की दृष्टि से यह स्थिति अपना विशिष्ट मूल्य रखती है। यह दुर्भाग्य उस समय और भी बढ़ा जब इन राज्यों में मित्रता और एकता न रहकर आपसी कलह और मतभेद बढ़ते रहे। बाद में कुछ बड़े साम्राज्य भी अस्तित्व में आये। इनके बीच पारस्परिक सम्बन्ध थे। एक-दूसरे के साथ शांति, व्यापार, सम्मेलन और सूचना लाने ले जाने आदि कार्यों की पूर्ति के लिये राजा दूतों का उपयोग करते थे। साम, दान, भेद और दण्ड की नीति, षाडगुण्य नीति और मण्डल सिद्धान्त आदि इस बात के प्रमाण हैं कि इस समय तक राज्यों के बाह्य सम्बन्ध विकसित हो चुके थे। दूत इस समय राजा को युद्ध और संधियों की सहायता से अपने प्रभाव की वृद्धि करने में सहायता देते थे। भारत में राजनय का प्रयोग अति प्राचीन काल से चलता चला आ रहा है। वैदिक काल के राज्यों के पारस्परिक सम्बन्धों के बारे में हमारा ज्ञान सीमित है। महाकाव्य तथा पौराणिक गाथाओं में राजनयिक गतिविधियों के अनेकों उदाहरण मिलते हैं। प्राचीन भारतीय राजनयिक विचार का केन्द्र बिन्दु राजा होता था, अतः प्रायः सभी राजनीतिक विचारकों- कौटिल्य, मनु, अश्वघोष, बृहस्पति, भीष्म, विशाखदत्त आदि ने राजाओं के कर्तव्यों का वर्णन किया है। स्मृति में तो राजा के जीवन तथा उसका दिनचर्या के नियमों तक का भी वर्णन मिलता है। राजशास्त्र, नृपशास्त्र, राजविद्या, क्षत्रिय विद्या, दंड नीति, नीति शास्त्र तथा राजधर्म आदि शास्त्र, राज्य तथा राजा के सम्बन्ध में बोध कराते हैं। वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, कामन्दक नीति शास्त्र, शुक्रनीति, आदि में राजनय से सम्बन्धित उपलब्ध विशेष विवरण आज के राजनीतिक सन्दर्भ में भी उपयोगी हैं। ऋग्वेद तथा अथर्ववेद राजा को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये जासूसी, चालाकी, छल-कपट और धोखा आदि के प्रयोग का परामर्श देते हैं। ऋग्वेद में सरमा, इन्द्र की दूती बनकर, पाणियों के पास जाती है। पौराणिक गाथाओं में नारद का दूत के रूप में कार्य करने का वर्णन है। यूनानी पृथ्वी के देवता 'हर्मेस' की भांति नारद वाक चाटुकारिता व चातुर्य के लिये प्रसिद्ध थे। वे स्वर्ग और पृथ्वी के मध्य एक-दूसरे राजाओं को सूचना लेने व देने का कार्य करते थे। वे एक चतुर राजदूत थे। इस प्रकार पुरातन काल से ही भारतीय राजनय का विशिष्ट स्थान रहा है। .

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भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास

भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विकास-यात्रा प्रागैतिहासिक काल से आरम्भ होती है। भारत का अतीत ज्ञान से परिपूर्ण था और भारतीय संसार का नेतृत्व करते थे। सबसे प्राचीन वैज्ञानिक एवं तकनीकी मानवीय क्रियाकलाप मेहरगढ़ में पाये गये हैं जो अब पाकिस्तान में है। सिन्धु घाटी की सभ्यता से होते हुए यह यात्रा राज्यों एवं साम्राज्यों तक आती है। यह यात्रा मध्यकालीन भारत में भी आगे बढ़ती रही; ब्रिटिश राज में भी भारत में विज्ञान एवं तकनीकी की पर्याप्त प्रगति हुई तथा स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। सन् २००९ में चन्द्रमा पर यान भेजकर एवं वहाँ पानी की प्राप्ति का नया खोज करके इस क्षेत्र में भारत ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। चार शताब्दियों पूर्व प्रारंभ हुई पश्चिमी विज्ञान व प्रौद्योगिकी संबंधी क्रांति में भारत क्यों शामिल नहीं हो पाया ? इसके अनेक कारणों में मौखिक शिक्षा पद्धति, लिखित पांडुलिपियों का अभाव आदि हैं। .

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भारतीय विज्ञान संस्थान

भारतीय विज्ञान संस्थान का प्रशासकीय भवन भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) भारत का वैज्ञानिक अनुसंधान और उच्च शिक्षा के लिये अग्रगण्य शिक्षा संस्थान है। यह बंगलुरु में स्थित है। इस संस्थान की गणना भारत के इस तरह के उष्कृष्टतम संस्थानों में होती है। संस्थान ने प्रगत संगणन, अंतरिक्ष, तथा नाभिकीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है।  2016 तक यह संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 250 संस्थानों में से एक था .

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भारतीय विज्ञान कांग्रेस

भारतीय विज्ञान कांग्रेस या 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ' (Indian Science Congress Association / ISCA) भारतीय वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था है। इसकी स्थापना सन् १९१४ में हुई थी। प्रतिवर्ष जनवरी के प्रथम सप्ताह में इसका सम्मेलन होता है। इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिये किया गया था। .

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भारतीय गणित

गणितीय गवेषणा का महत्वपूर्ण भाग भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न हुआ है। संख्या, शून्य, स्थानीय मान, अंकगणित, ज्यामिति, बीजगणित, कैलकुलस आदि का प्रारम्भिक कार्य भारत में सम्पन्न हुआ। गणित-विज्ञान न केवल औद्योगिक क्रांति का बल्कि परवर्ती काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति का भी केंद्र बिन्दु रहा है। बिना गणित के विज्ञान की कोई भी शाखा पूर्ण नहीं हो सकती। भारत ने औद्योगिक क्रांति के लिए न केवल आर्थिक पूँजी प्रदान की वरन् विज्ञान की नींव के जीवंत तत्व भी प्रदान किये जिसके बिना मानवता विज्ञान और उच्च तकनीकी के इस आधुनिक दौर में प्रवेश नहीं कर पाती। विदेशी विद्वानों ने भी गणित के क्षेत्र में भारत के योगदान की मुक्तकंठ से सराहना की है। .

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भारतीय अभियांत्रिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान

बंभारतीय अभियांत्रिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Engineering Science and Technology, Shibpur (IIEST Shibpur)) पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के शिवपुर में स्थित भारत का एक राष्ट्रीय इंजीनियरी एवं अनुसंधान संस्थान है। यह 'राष्ट्रीय महत्व का संस्थान' घोषित है। यह संस्थान बहुत पुराना है और १८५६ में आरम्भ हुआ था। इस संस्थान में इंजीनियरी तथा आर्किटेक्चर में स्नातक, परास्नातक, तथा डॉक्टरेट डिग्रियाँ प्रदान की जातीं हैं। इसके अलावा विज्ञान तथा प्रबन्धन में परास्नातक तथा डॉक्टरेट की डिग्रियाँ दी जातीं हैं। श्रेणी:पश्चिम बंगाल के विश्वविद्यालय.

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भ्रमणोन्माद

सैमुएल कार्टराइट भ्रमणोन्माद (Drapetomania) अमेरिकी चिकित्सक सैमुएल कार्टराइट द्वारा १८५१ में एक 'मानसिक रोग' के रूप में वर्णित लक्षण है। सैमुएल का मत था कि अश्वेत गुलामों द्वारा घेरा तोड़ कर भागने का कारण यही 'रोग' है। आज भ्रमणोन्माद को 'छद्मविज्ञान' का एक प्रमुख उदाहरण तथा वैज्ञानिक प्रजातिवाद (साइंटिफिक रेसिज्म) का एक औजार माना जाता है। श्रेणी:गुलामी.

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भौतिक नियतांक

भौतिक नियतांक (physical constant) उस भौतिक राशि (physical quantity) को कहते हैं जिसके बारे में ऐसा विश्वास किया जाता है कि वह राशि प्रकृति में सार्वत्रिक (universal) है तथा समय के साथ अपरिवर्तनशील या नियत है। भौतिक नियतांक, गणितीय नियतांक से इस मामले में भिन्न हैं कि गणितीय नियतांक संख्यात्मक दृष्टि से तो नियत होते हैं किन्तु उनका किसी मापन से सम्बन्ध नहीं होता। विज्ञान में बहुत से भौतिक नियतांक हैं जिनमें से प्रमुख हैं - शून्य में प्रकाश का वेग c, गुरुत्वाकर्षण नियतांक G, प्लांक नियतांक h, निर्वात का विद्युत नियतांक ε0, तथा एलेक्ट्रान का आवेश e. .

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भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

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भौतिक विज्ञान का इतिहास

भौतिकी (Physics), विज्ञान की मूलभूत शाखा है जिसका विकास प्रकृति एवं दर्शन के अध्ययन से हुआ था। १९वीं शताब्दी के अन्त तक इसे 'प्राकृतिक दर्शन' ("natural philosophy") कहा जाता था। वर्तमान समय में पदार्थ, उर्जा तथा इसके पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन भौतिकी कहलाता है। श्रेणी:विज्ञान का इतिहास.

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भौमिकी

भौमिकी (Earth science या geoscience) धरती से सम्बन्धित सभी विज्ञानों को समेटने वाला शब्द है। इसे ग्रह विज्ञान (planetary science) की शाखा माना जा सकता है किन्तु इसका इतिहास ग्रह विज्ञान से भी पुराना है। भौमिकी के अन्तर्गत भूविज्ञान (geology), स्थलमंडल (lithosphere), तथा पृथ्वी के अन्दर की वृहत-स्तरीय संरचना के साथ-साथ वायुमण्डल, जलमंडल (hydrosphere) तथा जैवमंडल (biosphere) आदि सब आ जाते हैं। भौमिकी के वैज्ञानिक भूगोल, भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान, कालानुक्रमिकी (क्रोनोलोजी) तथा गणित आदि के औजारों (और विधियों) का उपयोग करते हैं। .

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भूभौतिकी

भूभौतिकी (Geophysics) पृथ्वी की भौतिकी है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी सारी समस्याओं की छानबीन होती है। साथ ही यह एक प्रयुक्त विज्ञान भी है, क्योंकि इसमें भूमि समस्याओं और प्राकृतिक रूपों में उपलब्ध पदार्थों के व्यवहार की व्याख्या मूल विज्ञानों की सहायता से की जाती है। इसका विकास भौतिकी और भौमिकी से हुआ है। भूविज्ञानियों की आवश्यकता के फलस्वरूप नए साधनों के रूप में इसका जन्म हुआ। विज्ञान की शाखाओं या उपविभागों के रूप में भौतिकी, रसायन, भूविज्ञान और जीवविज्ञान को मान्यता मिले एक अरसा बीत चुका है। ज्यों-ज्यों विज्ञान का विकास हुआ, उसकी शाखाओं के मध्यवर्ती क्षेत्र उत्पन्न होते गए, जिनमें से एक भूभौतिकी है। उपर्युक्त विज्ञानों को चतुष्फलकी के शीर्ष पर निरूपित करें तो चतुष्फलक की भुजाएँ (कोर) नए विज्ञानों को निरूपित करती हैं। भूभौतिकी का जन्म भौमिकी एवं भौतिकी से हुआ है। .

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भूरसायन

१८वीं शताब्दी से २०वीं शताब्दी तह समुद्र की सतह के pH मेम परिवर्तन का मानचित्र भूरासायनिक चक्र का योजनामूलक निरूपण भूरसायन (Geochemistry) पृथ्वी तथा उसके अवयवों के रसायन से संबंधित विज्ञान है। भू-रसायन पृथ्वी में रासायनिक तत्वों के आकाश तथा काल (time and space) में वितरण तथा अभिगमन के कार्य से संबद्ध है। नवीन खोजों की ओर अग्रसर होते हुए कुछ भू-विज्ञानियों तथा रसायनज्ञों ने नूतन विज्ञान भू-रसायन को जन्म दिया। .

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भूगोल

पृथ्वी का मानचित्र भूगोल (Geography) वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है। भूगोल शब्द दो शब्दों भू यानि पृथ्वी और गोल से मिलकर बना है। भूगोल एक ओर अन्य शृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक व्युत्पत्तिक धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी व्युत्पत्तिक धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है: सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज़ ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्टविज्ञान के रूप में मान्यता दी। इसके बाद हिरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिइतिहासश्चित स्वरुप प्रदान किया। इस प्रकार भूगोल में 'कहाँ' 'कैसे 'कब' 'क्यों' व 'कितनें' प्रश्नों की उचित वयाख्या की जाती हैं। .

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भूगोल की रूपरेखा

ज्ञान के फलक का तात्पर्य एक ऐसे त्रिविमीय विन्यास है जिसे पूर्णरूपेण समझने के लिए हमें तीन दृष्टि बिन्दुओं से निरीक्षण करना चाहिए। इनमें से किसी भी एक बिन्दु वाला निरीक्षण एक पक्षीय ही होगा और वह संपूर्ण को प्रदर्शित नहीं करेगा। एक बिन्दु से हम सदृश वस्तुओं के संबंध देखते हैं। दूसरे से काल के संदर्भ में उसके विकास का और तीसरे से क्षेत्रीय संदर्भ में उनके क्रम और वर्गीकरण का निरीक्षण करते हैं। इस प्रकार प्रथम वर्ग के अंतर्गत वर्गीकृत विज्ञान (classified science), द्वितीय वर्ग में ऐतिहासिक विज्ञान (historial sciences), और तृतीय वर्ग में क्षेत्रीय या स्थान-संबंधी विज्ञान (spatial sciences) आते हैं। वर्गीकृत विज्ञान पदार्थो या तत्वों की व्याख्या करते हैं अतः इन्हें पदार्थ विज्ञान (material sciences) भी कहा जाता है। ऐतिहासिक विज्ञान काल (time) के संदर्भ में तत्वों या घटनाओं के विकासक्रम का अध्ययन करते हैं। क्षेत्रीय विज्ञान तत्वों या घटनाओं का विश्लेषण स्थान या क्षेत्र के संदर्भ में करते हैं। पदार्थ विज्ञानों के अध्ययन का केन्द्र बिन्दु ‘क्यों ’, ‘क्या’ और ‘कैसे’ है। ऐतिहासिक विज्ञानों का केन्द्र बिन्दु ‘कब’ है तथा क्षेत्रीय विज्ञानों का केन्द्र बिन्दु ‘कहां ’ है। स्थानिक विज्ञानों (Spatial sciences) को दो प्रधान वर्गों में विभक्त किया जाता है-.

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भूकालानुक्रम

धरती के इतिहास की प्रमुख घटनाओं का योजनामूलक चित्रण शैलों, जीवाश्मों, तथा अवसादों की आयु निर्धारित करने वाला विज्ञान भूकालानुक्रम (Geochronology) कहलाता है। .

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भीमराव आम्बेडकर

भीमराव रामजी आम्बेडकर (१४ अप्रैल, १८९१ – ६ दिसंबर, १९५६) बाबासाहब आम्बेडकर के नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की। जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता; वह भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। .

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मनोविज्ञान

मनोविज्ञान (Psychology) वह शैक्षिक व अनुप्रयोगात्मक विद्या है जो प्राणी (मनुष्य, पशु आदि) के मानसिक प्रक्रियाओं (mental processes), अनुभवों तथा व्यक्त व अव्यक्त दाेनाें प्रकार के व्यवहाराें का एक क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक अध्ययन करती है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो क्रमबद्ध रूप से (systematically) प्रेक्षणीय व्यवहार (observable behaviour) का अध्ययन करता है तथा प्राणी के भीतर के मानसिक एवं दैहिक प्रक्रियाओं जैसे - चिन्तन, भाव आदि तथा वातावरण की घटनाओं के साथ उनका संबंध जोड़कर अध्ययन करता है। इस परिप्रेक्ष्य में मनोविज्ञान को व्यवहार एवं मानसिक प्रक्रियाओं के अध्ययन का विज्ञान कहा गया है। 'व्यवहार' में मानव व्यवहार तथा पशु व्यवहार दोनों ही सम्मिलित होते हैं। मानसिक प्रक्रियाओं के अन्तर्गत संवेदन (Sensation), अवधान (attention), प्रत्यक्षण (Perception), सीखना (अधिगम), स्मृति, चिन्तन आदि आते हैं। मनोविज्ञान अनुभव का विज्ञान है, इसका उद्देश्य चेतनावस्था की प्रक्रिया के तत्त्वों का विश्लेषण, उनके परस्पर संबंधों का स्वरूप तथा उन्हें निर्धारित करनेवाले नियमों का पता लगाना है। .

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मर्सेलीन बर्टलो

प्रसिद्ध रसायनज्ञ '''पीईएम बर्टेलो''' बर्टलो, पी.ई.एम.

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महर्षि अरविन्द का शिक्षा दर्शन

श्री अरविन्द ने भारतीय शिक्षा चिन्तन में महत्त्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने सर्वप्रथम घोषणा की कि मानव सांसारिक जीवन में भी दैवी शक्ति प्राप्त कर सकता है। वे मानते थे कि मानव भौतिक जीवन व्यतीत करते हुए तथा अन्य मानवों की सेवा करते हुए अपने मानस को `अति मानस' (supermind) तथा स्वयं को `अति मानव' (Superman) में परिवर्तित कर सकता है। शिक्षा द्वारा यह संभव है। आज की परिस्थितियों में जब हम अपनी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति एवं परम्परा को भूल कर भौतिकवादी सभ्यता का अंधानुकरण कर रहे हैं, अरविन्द का शिक्षा दर्शन हमें सही दिशा का निर्देश करता हैं। आज धार्मिक एवं अध्यात्मिक जागृति की नितान्त आवश्यकता है। श्री वी आर तनेजा के शब्दों में- .

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महारानी चक्रवर्ती

महाराणी चक्रवर्ती एक भारतीय आणविक जीवविज्ञानी है। उन्होंने १९८१ में एशिया और सुदूर पूर्व में पुनः संयोजक डीएनए तकनीक पर पहली प्रयोगशाला पाठ्यक्रम का आयोजन किया। .

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महावीर प्रसाद द्विवेदी

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (1864–1938) हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। उन्होने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' (1900–1920) के नाम से जाना जाता है। उन्होने सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का सम्पादन किया। हिन्दी नवजागरण में उनकी महान भूमिका रही। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति व दिशा देने में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। .

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महेन्द्रा कुमारी

महेन्द्रा कुमारी लोकसभा की सदस्य थी। वह भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में राजस्थान में अलवर से लोकसभा के लिए चुनी गयी। उनका जन्म 1942 में बूंदी में एक शाही परिवार में हुआ था और ग्वालियर के सिंधिया गर्ल्स कॉलेज में उनकी शिक्षा हुई। वह अलवर के शासक प्रताप सिंह की पत्नी हैं। महेन्द्रा कुमारी 1991 से 1996 तक राजस्थान के अलवर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए दसवीं लोकसभा की सदस्य थी। महेन्द्रा कुमारी 1993 से 1996 तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन पर समिति के सदस्य थे और 1993 से 1 995 तक हाउस कमेटी। एक गहन खेल उत्साही, महेन्द्रा कुमारी महिलाओं की पिस्टल शूटिंग की एक पूर्व चैंपियन थी और टेनिस, तैराकी और सवारी में विशेष रुचि थी। एक व्यापक रूप से यात्रा करने वाली, महेंद्र कुमारी 1995 में बीजिंग, चीन में महिलाओं की चौथी विश्व सम्मेलन के भारतीय संसदीय समूह के सदस्य थी। 27 जून 2002 को नई दिल्ली में एक संक्षिप्त बीमारी के बाद 60 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। .

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माधव विट्ठल कामत

माधव विट्ठल कामत माधव विट्ठल कामत (7 सितम्बर 1921 - 9 अक्टूबर 2014) भारत के पत्रकार थे। वे प्रसार भारती के पूर्व अध्यक्ष भी थे। १९६७-६९ के बीच वे सण्डे टाइम्स के सम्पादक भी रहे तथा १९६९-७८ के बीच टाइम्स ऑफ इण्डिया के वाशिंगटन सम्वाददाता रहे। वे इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इण्डिया के सम्पादक भी रहे। वे मणिपाल संचार संस्थान (Manipal Institute of Communication) के मानद निदेशक भी थे। उन्होने लगभग ५० पुस्तकों की रचना भी की है जिनमें 'रिपोर्ट एट लार्ज' और नरेन्द्र मोदी के ऊपर लिखी गई 'नरेंद्र मोदी-द आर्किटेक्ट ऑफ मॉडर्न स्टेट' काफी प्रसिद्ध रहीं। २००४ में उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। .

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मानचित्रकला

विश्व का मध्यकालीन (१४८२) निरूपण मानचित्र तथा विभिन्न संबंधित उपकरणों की रचना, इनके सिद्धांतों और विधियों का ज्ञान एवं अध्ययन मानचित्रकला (Cartography) कहलाता है। मानचित्र के अतिरिक्त तथ्य प्रदर्शन के लिये विविध प्रकार के अन्य उपकरण, जैसे उच्चावचन मॉडल, गोलक, मानारेख (cartograms) आदि भी बनाए जाते हैं। मानचित्रकला में विज्ञान, सौंदर्यमीमांसा तथा तकनीक का मिश्रण है। 'कार्टोग्राफी' शब्द ग्रीक Χάρτης, chartes or charax .

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मानस शास्त्र

साइकोलोजी या मनोविज्ञान (ग्रीक: Ψυχολογία, लिट."मस्तिष्क का अध्ययन",ψυχήसाइके"शवसन, आत्मा, जीव" और -λογία-लोजिया (-logia) "का अध्ययन ") एक अकादमिक (academic) और प्रयुक्त अनुशासन है जिसमें मानव के मानसिक कार्यों और व्यवहार (mental function) का वैज्ञानिक अध्ययन (behavior) शामिल है कभी कभी यह प्रतीकात्मक (symbol) व्याख्या (interpretation) और जटिल विश्लेषण (critical analysis) पर भी निर्भर करता है, हालाँकि ये परम्पराएँ अन्य सामाजिक विज्ञान (social science) जैसे समाजशास्त्र (sociology) की तुलना में कम स्पष्ट हैं। मनोवैज्ञानिक ऐसी घटनाओं को धारणा (perception), अनुभूति (cognition), भावना (emotion), व्यक्तित्व (personality), व्यवहार (behavior) और पारस्परिक संबंध (interpersonal relationships) के रूप में अध्ययन करते हैं। कुछ विशेष रूप से गहरे मनोवैज्ञानिक (depth psychologists) अचेत मस्तिष्क (unconscious mind) का भी अध्ययन करते हैं। मनोवैज्ञानिक ज्ञान मानव क्रिया (human activity) के भिन्न क्षेत्रों पर लागू होता है, जिसमें दैनिक जीवन के मुद्दे शामिल हैं और -; जैसे परिवार, शिक्षा (education) और रोजगार और - और मानसिक स्वास्थ्य (treatment) समस्याओं का उपचार (mental health).

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मानव मस्तिष्क

मानव मस्तिष्क को प्रदर्शित करता चित्र मानव मस्तिष्क के एम.आर.आई. प्रतिबिंब को प्रदर्शित करता चित्र मानव मस्तिष्क शरीर का एक आवश्यक अंग होने के साथ-साथ प्रकृति की एक उत्कृष्ट रचना भी है। देखने में यह एक जैविक रचना से अधिक नहीं प्रतीत होता। परन्तु यह हमारी इच्छाओं, संवेगों, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, चेतना, ज्ञान, अनुभव, व्यक्तित्व इत्यादि का केन्द्र भी होता है। मानव मस्तिष्क कैसे काम करता है यह एक ज्वलंत प्रश्न के रूप में जीवविज्ञान, भौतिक विज्ञान, गणित और दर्शनशास्त्र में स्थान रखता है। प्रस्तुत आलेख में मस्तिष्क के विभिन्न संरचनात्मक एवं क्रियात्मक पहलुओं पर चर्चा की गई है। 200px .

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मानक विचलन

एक डाटा सेट जिसका मध्यमान 50 (नीले रंग में प्रदर्शित) और मानक विचलन (σ) 20 है। एक सामान्य वितरण (या घंटी वक्र) का एक भूखंडप्रत्येक रंग की पट्टी की चौड़ाई एक मानक विचलन है। प्रायिकता सिद्धांत और सांख्यिकी में, किसी सांख्यिकीय जनसंख्या, डाटा सेट या प्रायिकता वितरण के प्रसरण के वर्गमूल को मानक विचलन (स्टैण्डर्ड देविएशन) कहते हैं। मानक विचलन, व्यापक रूप से प्रयोग होने वाला एक मापदंड है प्रकीर्णन की माप करता है कि आंकड़े कितने 'फैले हुए' हैं। मानक विचलन बीजगणित की दृष्टि से अधिक सुविधाजनक है यद्यपि व्यावहारिक रूप से प्रत्याशित विचलन या औसत निरपेक्ष विचलन की तुलना में यह कम सुदृढ़ होता है। इससे पता चलता है कि यहां "औसत" (मध्यमान) से कितनी भिन्नता है। इसे वितरण के मध्यमान से अंकों के औसत अंतर के रूप में माना जा सकता है कि वे मध्यमान से कितनी दूर हैं। एक निम्न मानक विचलन इंगित करता है कि डाटा के अंक मध्यमान के बहुत समीप होते हैं जबकि उच्च मानक विचलन इंगित करता है कि डाटा, मानों की एक बहुत बड़ी श्रेणी पर फैला हुआ है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में वयस्क पुरुषों की औसत ऊंचाई है और इसके साथ ही साथ इनका मानक विचलन लगभग है। इसका मतलब है कि अधिकांश पुरुषों (एक सामान्य वितरण की कल्पना के आधार पर लगभग 68 प्रतिशत) की ऊंचाई मध्यमान के के भीतर – एक मानक विचलन है जबकि लगभग सभी पुरुषों (लगभग 95%) की ऊंचाई मध्यमान के के भीतर – 2 मानक विचलन है। यदि मानक विचलन शून्य होता, तो सभी पुरुष वास्तव में ऊंचे होते.

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मापन

मापन के चार उपकरण किसी भौतिक राशि का परिमाण संख्याओं में व्यक्त करने को मापन कहा जाता है। मापन मूलतः तुलना करने की एक प्रक्रिया है। इसमें किसी भौतिक राशि की मात्रा की तुलना एक पूर्वनिर्धारित मात्रा से की जाती है। इस पूर्वनिर्धारित मात्रा को उस राशि-विशेष के लिये मात्रक कहा जाता है। उदाहरण के लिये जब हम कहते हैं कि किसी पेड़ की उँचाई १० मीटर है तो हम उस पेड़ की उचाई की तुलना एक मीटर से कर रहे होते हैं। यहाँ मीटर एक मानक मात्रक है जो भौतिक राशि लम्बाई या दूरी के लिये प्रयुक्त होता है। इसी प्रकार समय का मात्रक सेकण्ड, द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम आदि हैं। .

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मापन उपकरण

विशिष्ट उपकरणों के लिये 'मापक उपकरणों की सूची' देखें। ---- जलतल (वाटर लेवेल) भौतिक विज्ञानों, इंजीनियरी, नियंत्रण, स्वचालन (आटोमेशन) तथा गुणवत्ता सुनिश्चित करने आदि के लिये उपयुक्त भौतिक राशियों के मापन की आवश्यकता होती है जो मापन उपकरणों के द्वारा किया जाता है। बिना मापन उपकरणों के आधुनिक सभ्यता का अस्तित्व ही नहीं होता। दूसरे शब्दों में मापन एवं मापन उपकरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मूल हैं। वर्नियर कैलीपर्स इलेक्ट्रॉनिक रक्तदाबमापी एनालॉग वोल्टमीतर .

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मार्शल आर्ट

मार्शल आर्ट या लड़ाई की कलाएं विधिबद्ध अभ्यास की प्रणाली और बचाव के लिए प्रशिक्षण की परंपराएं हैं। सभी मार्शल आर्ट्स का एक समान उद्देश्य है: ख़ुद की या दूसरों की किसी शारीरिक ख़तरे से रक्षा । मार्शल आर्ट को विज्ञान और कला दोनों माना जाता है। इनमें से कई कलाओं का प्रतिस्पर्धात्मक अभ्यास भी किया जाता है, ज़्यादातर लड़ाई के खेल में, लेकिन ये नृत्य का रूप भी ले सकती हैं। मार्शल आर्ट्स का मतलब युद्ध की कला से है और ये लड़ाई की कला से जुड़ा पंद्रहवीं शताब्दी का यूरोपीय शब्द है जिसे आज एतिहासिक यूरोपीय मार्शल आर्ट्स के रूप में जाना जाता है। मार्शल आर्ट के एक कलाकार को मार्शल कलाकार के रूप में संदर्भित किया जाता है। मूल रूप से 1920 के दशक में रचा गया ये शब्द मार्शल आर्ट्स मुख्य तौर पर एशिया के युद्ध के तरीके के संदर्भ में था, विशेष तौर पर पूर्वी एशिया में जन्मे लड़ाई के तरीके के.

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मिरांडा हाउस

मिराण्डा हाउस (महाविद्यालय और उसके सामने का मैदान) मिरांडा हाउस दिल्ली विश्वविद्यालय का एक प्रतिष्ठित महिला महाविद्यालय है। इसकी स्थापना सन् 1948 में की गई थी। इस महाविद्यालय से निकलीं अनेकों महिलाएं देश-विदेश में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रही हैं। यह महाविद्यालय 2500 से अधिक छात्राओं को कला (आर्ट्स) और विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा प्रदान करता है। इसकी शिक्षक भी भी अपनी प्रतिभा और समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं। इंडिया टुडे-नीलसन भारत के बेस्‍ट कॉलेज सर्वे 2016 में मिरांडा हाउस को टॉप आर्ट्स कॉलेज की सूची में पांचवां स्‍थान दिया गया था। सुविधाएँ: मिरांडा हाउस में मिलने वाली सुविधाएं इस प्रकार है:- पुस्तकालय, छात्रावास, कैफेटेरिया, खेलकूद, प्लेसमेंट सेल। .

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मिशेल फूको

मिशेल फूको मिशेल फूको (Michel Foucault; 15 अक्टूबर 1926 - 25 जून 1984) फ्रांस के प्रमुख विचारक और दार्शनिक थे। फूको की गिनती 20 वीं सदी के सबसे प्रमुख विचारकों में से की जाती हैं। यह फूको के लेखों का ही प्रभाव था कि आधुनिक विज्ञान के बहुत से क्षेत्रों में और खासकर इतिहास लेखन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुये। .

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मिखाइल लोमोनोसोव

मिखाइल वैसेल्यवीच लोमोनोसोव (Mikhail Vasilyevich Lomonosov), (p;(19 नवम्बर 1711-15 अप्रैल 1765), एक रूसी बहुश्रुत, वैज्ञानिक और लेखक थे। उन्होने साहित्य, शिक्षा और विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी खोजों में से एक शुक्र का वायुमंडल था। उनके विज्ञान के क्षेत्र प्राकृतिक विज्ञान, रसायनशास्त्र, भौतिकी, खनिज विज्ञान, इतिहास, भाषाशास्त्र, प्रकाशिकी उपकरण एवं अन्य थे। लोमोनोसोव एक कवि थे और उन्होने आधुनिक रूसी साहित्यिक भाषा के गठन को प्रभावित भी किया था। .

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मंगल हो (फ़िल्म)

मंगल हो एक आगामी भारतीय विज्ञान-फाई कॉमेडी फिल्म है। यह प्रीतिश चक्रवर्ती के लेखक के रूप में दूसरी हिन्दी फीचर फिल्म है जिसे उन्होंने ही निर्देशित व निर्मित किया है। इस हिंदी फिल्म में एक अभिनेता के रूप में प्रीतिश चक्रवर्ती की पहली बार अभिनय करेंगे। फिल्म एसेंट प्राइवेट लिमिटेड और अभिनेता अनु कपूर द्वारा निर्मित है। जबकि बहुमुखी संजय मिश्रा एक दुख बंगाली व्यवसायी की भूमिका में है जो इस फ़िल्म में एक सनकी प्रतिभा वैज्ञानिक की भूमिका निभा रहे है। मंगल ग्रह पर प्रचलित भारतीय सभ्यता के बारे में एक पूरा हंसी-दंगा हो जाएगा और यही से कहानी आगे बढ़ती बढ़ती है। एक एनसेंबल कलाकारों के साथ फिल्म वर्तमान में उत्पादन के अंतर्गत है और फिल्मों की 'मंगल हो' श्रृंखला के पहले है। फिल्म के संगीत संगीत लेबल टी-सीरीज़ द्वारा अधिग्रहीत है। .

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मंगलौर विश्वविद्यालय

मंगलौर विश्वविद्यालय (कन्नड: ಮಂಗಳೂರು ವಿಶ್ವವಿದ್ಯಾಲಯ) (MU) कर्नाटक राज्य के मंगलौर शहर से १८ कि.मी दूर कोनाजे में स्थित एक सार्वजनिक विश्वविद्यालय है। यह विश्वविद्यालय कला, वाणिज्य, विज्ञान, विधि, और प्रबन्धन के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्रदान करता है। .

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मुद्राशास्त्र

मुद्राशास्त्र (Numismatics) सिक्कों, कागजी मुद्रा आदि के संग्रह एवं उसके अध्ययन का विज्ञान है। द्राशास्त्र इतिहास और संस्कृति को जानने का सर्वाधिक विश्वनीय और दिलचस्प माध्यम है। मुद्राओं की धातु, शिल्प और प्रतीकों के माध्यम से उनका काल और मूल्य निर्धारण किया जाता है तथा उनके सूक्ष्म अध्ययन से उस समय के समाज की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अवस्था को जाना जा सकता है। .

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मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयर पैकेजों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान

मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (मैसाचुसेट्स इन्स्टिट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी - एमआईटी) (Massachusetts Institute of Technology) कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स में स्थित एक निजी शोध विश्वविद्यालय है। एमआईटी में 32 शैक्षणिक विभागों से युक्त पांच विद्यालय और एक महाविद्यालय है, जिसमें वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी अनुसंधान पर विशेष जोर दिया जाता है। एमआईटी दो निजी भूमि अनुदान विश्वविद्यालयों में से एक है और वह समुद्री-अनुदान और अंतरिक्ष-अनुदान विश्वविद्यालय भी है। विलियम बार्टन रोजर्स द्वारा 1861 में संयुक्त राज्य अमेरिका के औद्योगिकीकरण की जरुरतो को ध्यान में रख कर स्थापित किए गए इस विश्वविद्यालय ने यूरोपीय विश्वविद्यालय प्रतिमान को अपनाया और इसमें प्रारंभ से ही प्रयोगशाला शिक्षा पर जोर दिया गया। इसका मौजूदा परिसर 1916 में खुला, जो चार्ल्स नदी घाटी के उत्तरी किनारे पर फैला हुआ है। एमआईटी शोधकर्ता द्वितीय विश्वयुद्ध और शीतयुद्ध के दौरान सुरक्षा अनुसंधान के संबंध में कम्प्यूटर, रडार और इनर्टिअल (inertial) मार्गदर्शन रचने के प्रयत्नो में जुड़े हुए थे। पिछले 60 वर्षों में, एमआईटी के शिक्षात्मक कार्यक्रम भौतिक विज्ञान और अभियांत्रिकी से परे अर्थशास्त्र, दर्शन, भाषा विज्ञान, राजनीति विज्ञान और प्रबंधन जैसे सामाजिक विज्ञान तक भी विस्तरीत हुए है। एमआईटी में वर्ष 2009-2010 के पतझड़ के सत्र के लिए अवरस्नातक स्तर पर 4,232 और स्नातक स्तर पर 6,152 छात्रों को प्रवेश दिया गया है। इसमें करीबन 1,009 संकाय सदस्यों को रोजगार प्रदान किया है। इसकी बंदोबस्ती और अनुसंधान पर वार्षिक व्यय अन्य किसी भी अमेरिकी विश्वविद्यालयो में से सबसे अधिक है। अब तक 75 नोबल पुरस्कार विजेता, 47 राष्ट्रीय विज्ञान पदक प्रापक और 31 मैकआर्थर अध्येता इस विश्वविद्यालय के साथ वर्तमान या भूतपूर्व समय में सम्बद्ध रहे है। एमआईटी के पूर्व छात्रों द्वारा स्थापित कंपनियों का एकत्रित राजस्व विश्व की सबसे बड़ी सत्तरहवीं अर्थव्यवस्था है। इंजिनीयर्स द्वारा 33 खेल प्रायोजित है, जिनमें से ज्यादातर NCAA श्रेणी III के न्यू इंग्लैंड महिला और पुरुषों के व्यायामी सम्मेलन में भाग लेते है, श्रेणी I के नौकायन कार्यक्रम EARC और EAWRC प्रतिस्पर्धा के भाग है। .

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मेडिकल न्यायशास्त्र

मेडिकल न्यायशास्त्र विज्ञान और चिकित्सा का एक शेत्र है जिसमें इन दोनों के इस्तेमाल से कानूननी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया जाता है। इस शेत्र में कार्यरत मुख्यतः डॉक्टर एवम मेडिकल शिक्षा से जुड़े वैज्ञानिक होते हैं, जिनका दायित्व मृत्यु का कारण एवम उससे सम्बन्धित अन्य प्रश्नों के बारे में मरणोत्तर परीक्षा (पोस्टमार्टम) के बाद राय देने का होता है। .

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मेघनाद साहा

मेघनाद साहा (६ अक्टूबर १८९३ - १६ फरवरी, १९५६) सुप्रसिद्ध भारतीय खगोलविज्ञानी (एस्ट्रोफिजिसिस्ट्) थे। वे साहा समीकरण के प्रतिपादन के लिये प्रसिद्ध हैं। यह समीकरण तारों में भौतिक एवं रासायनिक स्थिति की व्याख्या करता है। उनकी अध्यक्षता में गठित विद्वानों की एक समिति ने भारत के राष्ट्रीय शक पंचांग का भी संशोधन किया, जो २२ मार्च १९५७ (१ चैत्र १८७९ शक) से लागू किया गया। इन्होंने साहा नाभिकीय भौतिकी संस्थान तथा इण्डियन एसोसियेशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साईन्स नामक दो महत्त्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना की। .

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यशपाल (वैज्ञानिक)

प्रोफेसर यशपाल (जन्म: २६ नवंबर १९२६, मृत्यु: २४ जुलाई २०१७) भारतीय शिक्षाविद व वैज्ञानिक थे। .

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यादृच्छिकता

यादृच्छिकता (रैण्डमनेस) के अनेक अर्थ हैं। सामान्यतया, इसका अर्थ है बेतरतीब होना। किसी घटना के होने अथवा ना होने की यदि कोई दिशा निर्धारित नहीं है तथा वह अनजाने कारणों से किसी नयी स्थिति की ओर बढ़ी चली जा रही है तो ऐसी क्रिया को यादृच्छिक कहते हैं। यह एक गैर-संयोजित तरीके के साथ बढ़ता हुआ क्रियाओं का क्रम है जिसका कोई प्रयोजन नहीं होता। उदाहरण के तौर पर एक साधारण चौसर का पासा किस दिशा में गिरेगा तथा उसके मुख-पृष्ठ पर कौन सा अंक ऊपर आएगा, इसका निर्धारण करना असंभव है जब तक पासों के साथ छेड़खानी ना की गयी हो। उसी तरह एक सामान्य सिक्के के उछलने पर यह पूरे विश्वास से कह पाना असंभव है कि चिट् आएगा या पट। गणित एवं सांख्यिकी की भाषा में ऐसी घटनाओं के होना अथवा ना होने को प्रायिकता के आधार पर आँका जाता है जिसका मान शून्य और एक के बीच में रहता है। यादृच्छिकता अक्सर आँकड़ों में प्रयोग की जाती है। यह अच्छी तरह से परिभाषित सांख्यिकीय गुणों, जैसे पूर्वाग्रह या सहसंबंध की कमी को दर्शाता है। कम्प्यूटेशनल विज्ञान में किसी क्रमरहित या यादृच्छिक संख्या प्राप्त करने के लिए कुछ जाने माने एल्गोरिद्म प्रयोग किये जाते हैं। *.

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युन्नान विश्वविद्यालय

युन्नान विश्वविद्यालय चीन के युन्नान प्रान्त का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। इसका मुख्य हिस्सा इस प्रान्त के कुनमिंग नामक शहर में है। यह इस प्रान्त का एक मात्र ऐसा विश्वविद्यालय है, जहाँ 17,000 विशेषज्ञ अलग अलग क्षेत्र में लोगों को सिखाते हैं। यह "परियोजना 211" में से ही एक चीन का विश्वविद्यालय है, जिसे केन्द्र सरकार द्वारा विशेष रूप से बनाया गया है। यह विश्वविद्यालय चीन के उत्तर भाग के निर्माण सूची में भी शामिल है। .

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यूटोपिया

लेफ्ट पेनल (द अर्थली पैराडाइज, गार्डन ऑफ ईडन), हिरोनमस बॉश के द गार्डेन ऑफ अर्थली डिलाइट्स. यूटोपिया एक आदर्श समुदाय या समाज के लिए एक नाम है जो कि 1516 में सर थॉमस मोर द्वारा लिखी गयी पुस्तक ऑफ द बैस्ट स्टेट ऑफ ए रिपब्लिक एण्ड ऑफ द न्यू आइलैण्ड यूटोपिए से लिया गया है जिसमें अटलांटिक महासागर के एक काल्पनिक टापू के एक बिल्कुल उत्कृष्ट लगने वाले सामाजिक-राजनीतिक-कानूनी तंत्र का वर्णन किया गया है। इस पद को सुविचारित समुदायों जिन्होने एक आदर्श समाज बनाने की कोशिश की और साहित्य में चित्रित काल्पनिक समाज दोनों का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इसने दूसरी अवधारणाओं को जन्म दिया, जिसमें सबसे प्रमुख है आतंक राज्य.

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यूरोपीय ज्ञानोदय

''जो कुछ आप जानते हैं उसका प्रसार कीजिये। आप जो नहीं जानते उसकी खोज कीजिये।'' - Encyclopédie के १७७२ के संस्करण में आंकित यूरोप में १६५० के दशक से लेकर १७८० के दशक तक की अवधि को प्रबोधन युग या ज्ञानोदय युग (Age of Enlightenment) कहते हैं। इस अवधि में पश्चिमी यूरोप के सांस्कृतिक एवं बौद्धिक वर्ग ने परम्परा से हटकर तर्क, विश्लेषण तथा वैयक्तिक स्वातंत्र्य पर जोर दिया। ज्ञानोदय ने कैथोलिक चर्च एवं समाज में गहरी पैठ बना चुकी अन्य संस्थाओं को चुनौती दी। .

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योहान वुल्फगांग फान गेटे

गेटे योहान वुल्फगांग फान गेटे (Johann Wolfgang von Goethe) (२८ अगस्त १७४९ - २२ मार्च १८३२) जर्मनी के लेखक, दार्शनिक‎ और विचारक थे। उन्होने कविता, नाटक, धर्म, मानवता और विज्ञान जैसे विविध क्षेत्रों में कार्य किया। उनका लिखा नाटक फ़ाउस्ट (Faust) विश्व साहित्य में उच्च स्थान रखता है। गोथे की दूसरी रचनाओं में "सोरॉ ऑफ यंग वर्टर" शामिल है। गोथे जर्मनी के महानतम साहित्यिक हस्तियों में से एक माने जाते हैं, जिन्होंने अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में विमर क्लासिसिज्म (Weimar Classicism) नाम से विख्यात आंदोलन की शुरुआत की। वेमर आंदोलन बोध, संवेदना और रोमांटिज्म का मिलाजुला रूप है। जोहान वुल्फगांग गेटे उन्होने कालिदास के अभिज्ञान शाकुन्तलम् का जर्मन भाषा में अनुवाद किया। गेटे ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् के बारे में कहा था- .

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रमण प्रभाव

रमण प्रकीर्णन या रमण प्रभाव फोटोन कणों के लचीले वितरण के बारे में है। इसकी खोज प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक श्री सी वी रमन ने की थी। रमन प्रभाव के अनुसार, जब कोई एकवर्णी प्रकाश द्रवों और ठोसों से होकर गुजरता है तो उसमें आपतित प्रकाश के साथ अत्यल्प तीव्रता का कुछ अन्य वर्णों का प्रकाश देखने में आता है। 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार चन्द्रशेखर वेंकटरमन को उनके इस खोज के लिए प्रदान किया गया था। रमन की पूरी शिक्षा-दीक्षा भारत में ही हुई। स्वयं २०० रु.

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रसरत्नसमुच्चय

रसरत्नसमुच्चय रस चिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है। इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है। यह वाग्भट की रचना है। रसशास्त्र के मौलिक रसग्रन्थों में रसरत्नसमुच्चय का स्थान सर्वोच्च है। इसमें पाये जाने वाले स्वर्ण, रजत आदि का निर्माण तथा विविध रोगों को दूर करने के लिये उत्तमोत्तम रस तथा कल्प अपनी सादृश्यता नहीं रखते। यह ग्रन्थ जितना उच्च है उतना ही गूढ़ और व्यावहारिकता में कठिन भी है। .

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रसायन विज्ञान

300pxरसायनशास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। इसका शाब्दिक विन्यास रस+अयन है जिसका शाब्दिक अर्थ रसों (द्रवों) का अध्ययन है। यह एक भौतिक विज्ञान है जिसमें पदार्थों के परमाणुओं, अणुओं, क्रिस्टलों (रवों) और रासायनिक प्रक्रिया के दौरान मुक्त हुए या प्रयुक्त हुए ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में रसायन विज्ञान रासायनिक पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन है। पदार्थों का संघटन परमाणु या उप-परमाण्विक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से हुआ है। रसायन विज्ञान को केंद्रीय विज्ञान या आधारभूत विज्ञान भी कहा जाता है क्योंकि यह दूसरे विज्ञानों जैसे, खगोलविज्ञान, भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, जीवविज्ञान और भूविज्ञान को जोड़ता है। .

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रा.वन

रा.वन (Ra.One) एक २०११ कि भारतीय विज्ञान कथा सुपरहीरो फ़िल्म है, जो अनुभव सिन्हा द्वारा लिखी और निर्देशित की गयी है। फ़िल्म में शाहरुख खान दोहरी भूमिकाओं में नज़र आते हैं, एक कंप्यूटर खेल विकासकर्ता और जी॰वन सुपर हीरो के रूप में। फ़िल्म में रा॰वन के रूप में अर्जुन रामपाल हैं। फ़िल्म में करीना कपूर और अरमान वर्मा भी हैं। शहना गोस्वामी, दलीप तहिल और चीनी अमेरिकी अभिनेता टॉम वू समर्थन भूमिका में दिखाई देते हैं। रजनीकांत, संजय दत्त और प्रियंका चोपड़ा अतिथि भूमिका में दिखाई देते हैं। .

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राम चौधरी

डॉ॰ रामदास चौधरी (८ अगस्त १९२७ – २० जून २०१५) भौतिकी के प्राध्यापक एवं हिन्दी सेवी थे। उन्होने अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति और बाद में विश्व हिंदी न्यास गठित कर संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को पहुंचाने की कोशिशें कीं। वे अमेरिका में 'हिन्दी की छत्रछाया' समझे जाते थे। वह अक्सर कहा करते थे कि हमें सदियों पहले मॉरिशस, फिजी, ट्रिनिडाड पहुंचे गिरमिटिया मजदूरों से सबक लेना चाहिए, जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी भाषा व संस्कृति को बचाकर रखा। .

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राम कृष्ण महाविद्यालय, मधुबनी

राम कृष्ण महाविद्यालय (आर के कोलेज), बिहार के मिथिलांचल की हृदयस्थली मधुबनी में स्थित एक महाविद्यालय है। १९४० को स्थापित यह महाविद्यालय मिथिला में ही नहीं अपितु बिहार से दूर पूरे भारत सही नेपाल में भी अपनी शिक्षा और प्रसाशन के लिए एक पहचान रखता है। चाहे विज्ञान कि पढाई हो या कॉमर्स की; चाहे स्नातकोत्तर की; ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में यह अपनी वर्चस्वता और श्रेष्ठता रखने वाला महाविद्यालय है। श्रेणी:बिहार के महाविद्यालय en:Ram Krishna College.

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राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र

राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (National Informatics Centre अथवा NIC) भारत सरकार का सूचना प्रौद्योगिकी में प्रमुख विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान है। इसकी स्थापना 1976 में सरकारी क्षेत्र में बेहतर पद्धतियों, एकीकृत सेवाओं तथा विश्वव्यापी समाधानों को अपनाने वाली ई-सरकार/ई-शासन संबंधी समाधानों को प्रदान करने के लिए स्थापना की गयी थी। रा.सू.वि.केन्द्र, भारत सरकार में सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) समाधानों के कार्यान्वयन तथा उनके सक्रिय संवर्धन में सबसे आगे है। रा.सू.वि.केन्द्र ने पिछले तीन दशकों से देश-भर में ई-शासन अभियान चलाने के लिए सरकार के प्रयासों में सहायता करने तथा बेहतर व अत्‍यधिक पारदर्शी शासन प्रदान करने हेतु मजबूत नींव बनाने के लिए नेतृत्‍व किया है। .

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में हर साल 28 फ़रवरी को भारत में मनाया जाता है। 28 फ़रवरी सन् 1928 को सर सी वी रमन ने अपनी खोज की घोषणा की थी। इसी खोज के लिये उन्हे 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य तरुण विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित व प्रेरित करना तथा जनसाधारण को विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है। इस दिन सभी विज्ञान संस्थानों, जैसे राष्ट्रीय एवं अन्य विज्ञान प्रयोगशालाएं, विज्ञान अकादमियों, स्कूल और कॉलेज तथा प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं। महत्त्वपूर्ण आयोजनों में वैज्ञानिकों के भाषण, निबंध, लेखन, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान प्रदर्शनी, सेमिनार तथा संगोष्ठी इत्यादि सम्मिलित हैं। विज्ञान के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए राष्ट्रीय एवं दूसरे पुरस्कारों की घोषणा भी की जाती है। विज्ञान की लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए विशेष पुरस्कार भी रखे गए हैं। .

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राजस्थान विश्वविद्यालय

राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। यह मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, वाणिज्य, एवं विधि अध्ययन आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न भारत के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में से है। .

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राजीव मल्होत्रा

राजीव मल्होत्रा (जन्म: सितम्बर, 1950) भारतीय मूल के अमेरिकी लेखक, विचारक तथा प्रखर वक्ता हैं। वे 'इनफिनिटी फाउण्डेशन' के संस्थापक हैं। मल्होत्रा के ‘इनफिंटी फाउंडेशन’ ने पिछले कई वर्षों में बहुत-से विद्वानों और परियोजनाओं को आर्थिक सहायता देकर विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परंपरा को स्थापित करने का प्रयास किया है। .

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रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव

डॉ॰ रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव (9 जुलाई 1936 - 3 अक्‍तूबर, 1992) हिन्दी के भाषाचिन्तक एवं मनीषी थे। .

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रुदाल्फ हरमन लात्से

रुदाल्फ हरमन लात्से (Rudolf Hermann Lotze; १८१७-१८८१ ई.) जर्मनी का सुप्रसिद्ध दार्शनिक एवं तर्कशास्त्री था। उसने चिकित्सा विज्ञान में भी डिग्री प्राप्त की थी तथा जीवविज्ञान में अत्यन्त पारंगत था। हेगल के बाद जर्मनी के दार्शनिकों में हरमन लात्से का नाम बहुत प्रसिद्ध है। उसके चिकित्सकीय अध्ययन वैज्ञानिक मनोविज्ञान के क्षेत्र में अग्रगण्य थे। .

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रेणुका रविंद्रन

रेणुका रवींद्रन (पूर्वराज्य राजगोपालन) भारतीय विज्ञान संस्थान के डीन होने वाली पहली महिला थीं। .

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रेलवे संकेतक

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रॉयल सोसायटी

लन्दन में रायल सोसायटी का भवन रायल सोसायटी (इसका पूरा नाम, "Royal Society of London for the Improvement of Natural Knowledge" है) विज्ञान के विकास को गति देने के लिये स्थापित विद्वानों की संस्था (learned society) है। इसकी स्थापना सन् १६६० में हुई थी और अधिकांश लोग इसे अपने तरह की संसार की सबसे पुरानी संस्था मानते हैं जो अब भी काम कर रही है। .

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रॉसलिंड एल्सी फ्रेंकलिन

अंगूठाकार रॉसलिंड एल्सी फ्रेंकलिन (25 जुलाई 1920 - 16 अप्रैल 1958) डीएनए (डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड), आरएनए (रैबोनुक्लियक एसिड), वायरस, कोयले की आणविक संरचना को समझने के लिए योगदान दिया है जो एक अंग्रेजी केमिस्ट और एक्स-रे स्फटिक था और ग्रेफाइट। कोयला और वायरस पर उसके काम करता है उसके जीवन में सराहा गया है हालांकि, डीएनए की खोज करने के लिए उनके योगदान को काफी हद तक मरणोपरांत पहचाना गया। एक प्रमुख ब्रिटिश यहूदी परिवार में जन्मे, फ्रेंकलिन पश्चिम लंदन, ससेक्स में युवा महिलाओं के लिए लिन्डोस स्कूल, और सेंट पॉल गर्ल्स स्कूल में नोरलान्ट प्लेस में एक निजी दिन स्कूल में शिक्षित किया गया। वह सभी प्रमुख विषयों और खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वह अठारह वर्ष की आयु में उसे मैट्रिक पास है, और तीन साल के लिए £ 30 एक साल की प्रदर्शनी स्कूल छोड़ने जीता। उसके पिता ने कहा कि वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शरणार्थी छात्रों के लिए अर्जित धन दान करने को कहा। फिर वह न्युहाम कॉलेज, कैम्ब्रिज में प्राकृतिक विज्ञान ट्र्यिपोस का अध्ययन किया है, वह एक शोध फैलोशिप कमाई 1941 में स्नातक की उपाधि प्राप्त है, जहां से वह उत्साह की कमी के लिए उसे निराश करने वाले रोनाल्ड जॉर्ज रेफोरड नोरिष, के तहत कैंब्रिज भौतिक रसायन विज्ञान प्रयोगशाला के विश्वविद्यालय में शामिल हो गए। सौभाग्य से, ब्रिटिश कोयला उपयोगिता रिसर्च एसोसिएशन (बिसियुरए) 1942 में उसे एक शोध पद की पेशकश की है, और अंगारों पर उसके काम शुरू कर दिया। यह उसका वह एक निपुण एक्स-रे स्फटिक बन गया है जहां लाबोरटरि सेंट्रल डेस सेवा चिमिक्युस डे ल Etat, पर जैक्स मेरिंग के तहत वह एक चेरचेयुर(पोस्ट डॉक्टरेट शोधकर्ता) के रूप में 1947 में पेरिस के लिए गया था 1945 में पीएचडी की डिग्री कमाने में मदद की। वह 1951 में, किंग्स कॉलेज लंदन में एक शोध सहयोगी बन गया है, लेकिन उसके निदेशक जॉन रान्डेल और तो और अधिक उसके सहयोगी मौरिस विल्किंस के साथ साथ अप्रिय झड़पों के कारण दो साल बाद बिरक्कबेक कॉलेज को स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया गया था। बर्कबेक में, चेयर भौतिकी विभाग के जेडी बरनाल उसे एक अलग शोध टीम की पेशकश की। वह या गर्भाशय के कैंसर का 37 वर्ष की उम्र में 1958 में निधन हो गया। फ्रेंकलिन सबसे अच्छा डीएनए के एक्स-रे विवर्तन छवियों पर अपने काम के लिए जाना जाता है, जबकि डीएनए डबल हेलिक्स की खोज हुई जो किंग्स कॉलेज, लंदन, पर। डीएनए के लिए एक पेचदार संरचना में निहित है और उसके कुछ महत्वपूर्ण विवरण के विषय में अनुमान सक्षम है, जो फ्रेंकलिन की एक्स-रे विवर्तन छवियों, विल्किंस द्वारा जेम्स वाटसन को दिखाया गया है। फ्रांसिस क्रिक के अनुसार, उसके डेटा वाटसन और क्रिक द्वारा 1953 में मॉडल निर्धारित करने में महत्वपूर्ण थे डीएनए के पेचदार संरचना का सही विवरण। वाटसन भी 2000 में किंग्स कॉलेज लंदन फ्रेंकलिन-विल्किंस इमारत के उद्घाटन के अवसर पर अपने ही बयान में इस राय की पुष्टि। उसकी कुंजी निष्कर्षों में डीएनए डबल हेलिक्स की रचना हाइड्रेशन के स्तर पर निर्भर करता है कि था। वह खोज और नामकरण क्रमश: निम्न और उच्च हाइड्रेशन पर रूपों रहे हैं जो एक-डीएनए और बी-डीएनए के लिए जिम्मेदार है। वाटसन और क्रिक मॉडल सेल में आम रूप है, जो बी फार्म, के लिए था। यह एक डीएनए किसी भी जैविक कार्यों के लिए किया था या नहीं, पता नहीं चल पाया है, लेकिन कई अब जाना जाता है। उसका काम वाटसन और क्रिक की कागज के नेतृत्व में तीन डीएनए प्रकृति लेखों की श्रृंखला में तीसरे प्रकाशित किया गया था। वाटसन, क्रिक और विल्किंस वाटसन फ्रेंकलिन आदर्श होता है कि सुझाव 1962 में फिजियोलॉजी या चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार साझा विल्किंस के साथ रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, लेकिन नोबेल समिति मरणोपरांत पुरस्कार नहीं कर सकता है। बर्कबेक कॉलेज में अपने स्वयं के अनुसंधान दल के साथ, डीएनए पर काम करने के उसके हिस्से खत्म करने के बाद, फ्रेंकलिन तंबाकू मोज़ेक वायरस और पोलियो वायरस सहित वायरस की आणविक संरचना, पर अग्रणी काम का नेतृत्व किया। उसकी टीम के सदस्य है, और बाद में उसे लाभार्थी हारून क्लग वह बहुत संभावना के रूप में अच्छी तरह से है कि पुरस्कार साझा किया जाएगा, उसके शोध जारी रखा और वह जिंदा हो गया था 1982 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीतने पर चला गया। डीएनए संरचना.

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रोहिणी बालाकृष्णन

रोहिणी बालाकृष्णन भारतीय विज्ञान संस्थान में एक वरिष्ठ प्रोफेसर और पारिस्थिकी वैज्ञानिक हैं। वह पशु संचार और बायोएकॉस्टिक के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं। प्रसिद्ध शोधकर्ताओं द्वारा प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित उनके शोध को भारतीय समाचार पत्रों में भी सभी का ध्यान केन्द्रित किया गया। .

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रोहिणी गोडबोले

रोहिणी गोडबोले एक भारतीय भौतिक विज्ञानी और अकादमिक है। वह उच्च ऊर्जा भौतिकी, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के केंद्र में प्रोफेसर हैं। वह भारत के विज्ञान के तीनों अकादमियों और विकासशील विश्व के विज्ञान अकादमी (टीयूएएस) के निर्वाचित साथी हैं। रोहिणी गोडबोले ने अपनी बीएससी सर परशुरामभाऊ कॉलेज, पुणे विश्वविद्यालय से प्राप्त कि और एमएससी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई से की। स्टॉनी ब्रुक में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के सैद्धांतिक कण भौतिकी में पीएचडी की उन्होंने। .

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लघुगणक

अलग-अलग आधार के लिये लघुगणकीय फलन का आरेखण: लाल रंग वाला ''e'', हरा रंग वाला 10, तथाबैगनी वाला 1.7. सभी आधारों के लघुगणक बिन्दु (1, 0) से होकर गुजरते हैं क्योंकि किसी भी संख्या पर शून्य घातांक का मान 1 होता है। स्कॉटलैंड निवासी जाॅन नेपियर द्वारा प्रतिपादित लघुगणक (Logarithm / लॉगेरिद्म) एक ऐसी गणितीय युक्ति है जिसके प्रयोग से गणनाओं को छोटा किया जा सकता है। इसके प्रयोग से गुणा और भाग जैसी जटिल प्रक्रियाओं को जोड़ और घटाने जैसी अपेक्षाकृत सरल क्रियाओं में बदल दिया जाता है। कम्प्यूटर और कैलकुलेटर के आने के पहले जटिल गणितीय गननाएँ लघुगणक के सहारे ही की जातीं थीं। .

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लखनऊ विश्वविद्यालय

लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख शैक्षिक-संस्थानों में से एक है। यह लखनऊ के समृद्ध इतिहास को तो प्रकट करता ही है नगर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से भी एक है। इसका प्राचीन भवन मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य का सुंदर उदाहरण है। इसमें पढ़ने और पढाने वाले अनेक शिक्षक और विद्यार्थी देश और विदेश में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं। .

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लक्ष्मण नारायण गर्दे

लक्ष्मण नारायण गर्दे (1889-1960) प्रख्यात संपादक तथा साहित्यकार थे। हिंदी पत्रकारिता को आधुनिक उच्चस्तर तथा उन्नत स्वरूप तक पहुँचाने का श्रेय जिन आद्य संपादकाचार्यों को है, उनमें गर्दे जी का नाम प्रमुख है। 50 वर्षों तक आपने भारतीय साहित्य और संस्कृति का पत्रकारिता के माध्यम से जो संवर्धन किया है, वह सदा स्मरणीय रहेगा। हिंदी पत्रकारिता के विकासकाल में आपने उसे ऐसे साँचे में ढालने का सफल कार्य किया, जो राष्ट्रीयता से तो ओतप्रोत था ही, आध्यात्मिकता, नैतिकता और सांस्कृतिक भावना से भी युक्त था। .

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लुई द ब्रॉई

लुई द ब्रॉई लुई द ब्रॉई (फ़्रांसिसी: Louis de Broglie, जन्म: १५ अगस्त १८९२, देहांत: १९ मार्च १९८७) एक फ़्रांसिसी भौतिकी वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता थे। उन्होंने १९२४ में सारे पदार्थों के तरंग-कण द्विरूप होने का दावा किया था और उसके लिए गणित विकसित किया था। यह भविष्यवाणी आगे चलकर प्रयोगों में सिद्ध हो गयी। इनके नाम को भारतीय उपमहाद्वीप में अक्सर "लुई दि ब्रॉग्ली" उच्चारित किया जाता है, जो वास्तव में सही उच्चारण नहीं है। .

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लेसर विज्ञान

लेसर विज्ञान U.S. Air Force)). लेजर (विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रकाश प्रवर्धन) एक ऐसा यंत्र है जो प्रेरित उत्‍सर्जन (stimulated emission) एक प्रक्रिया के माध्‍यम से प्रकाश (light) (चुंबकीय विकिरण) उत्‍सर्जित करता है। लेजर शब्द प्रकाश प्रवर्धन का प्रेरित उत्सर्जन के द्वारा विकीरण का संक्षिप्‍त (acronym) शब्‍द है। लेजर प्रकाश आमतौर पर आकाशिक रूप से सशक्त (coherent), होते हैं, जिसका अर्थ है कि प्रकाश या तो एक संकरे, निम्‍न प्रवाहित किरण (low-divergence beam) के रूप में निकलेगी, या उसे देखने वाले यंत्रों जैसे लैंस (lens) लैंसों की मदद से एक कर दिया जाएगा। आमतौर पर, लेजर का अर्थ संकरे तरंगदैर्ध्य (wavelength) प्रकाशपुंज से निकलने वाले प्रकाश (मोनोक्रोमेटिक प्रकाश) से लगाया जाता है। यह अर्थ सभी लेजरों के लिए सही नहीं है, हालांकि कुछ लेजर व्‍यापक प्रकाशपुंज की तरह प्रकाश उत्‍सर्जित करते हैं, जबकि कुछ कई प्रकार के विशिष्‍ट तरंगदैर्घ्य पर साथ साथ प्रकाश उत्‍सर्जित करते हैं। पारंपिरक लेसर के उत्‍सर्जन में विशिष्‍ट सामन्‍जस्‍य होता है। प्रकाश के अधिकतर अन्‍य स्रोत असंगत प्रकाश उत्‍सर्जित करते हैं जिनमें विभिन्‍न चरण (phase) होते हैं और जो समय और स्‍थान के साथ निरंतर बदलता रहता है। .

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लोक प्रशासन

लोक प्रशासन (Public administration) मोटे तौर पर शासकीय नीति (government policy) के विभिन्न पहलुओं का विकास, उन पर अमल एवं उनका अध्ययन है। प्रशासन का वह भाग जो सामान्य जनता के लाभ के लिये होता है, लोकप्रशासन कहलाता है। लोकप्रशासन का संबंध सामान्य नीतियों अथवा सार्वजनिक नीतियों से होता है। एक अनुशासन के रूप में इसका अर्थ वह जनसेवा है जिसे 'सरकार' कहे जाने वाले व्यक्तियों का एक संगठन करता है। इसका प्रमुख उद्देश्य और अस्तित्व का आधार 'सेवा' है। इस प्रकार की सेवा उठाने के लिए सरकार को जन का वित्तीय बोझ करों और महसूलों के रूप में राजस्व वसूल कर संसाधन जुटाने पड़ते हैं। जिनकी कुछ आय है उनसे कुछ लेकर सेवाओं के माध्यम से उसका समतापूर्ण वितरण करना इसका उद्देश्य है। किसी भी देश में लोक प्रशासन के उद्देश्य वहां की संस्थाओं, प्रक्रियाओं, कार्मिक-राजनीतिक व्यवस्था की संरचनाओं तथा उस देश के संविधान में व्यक्त शासन के सिद्धातों पर निर्भर होते हैं। प्रतिनिधित्व, उत्तरदायित्व, औचित्य और समता की दृष्टि से शासन का स्वरूप महत्व रखता है, लेकिन सरकार एक अच्छे प्रशासन के माध्यम से इन्हें साकार करने का प्रयास करती है। .

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लोक प्रशासन का इतिहास

एक व्यवस्थित अध्ययन के रूप में लोक-प्रशासन का विकास अभी नया ही है। लोक-प्रशासन के शैक्षिक अध्ययन का प्रारम्भ करने का श्रेय वुडरो विल्सन को जाता है जिसने १८८७ में प्रकाशित अपने लेख ‘द स्टडी ऑफ ऐडमिनिस्ट्रेशन' में इस शास्त्र के वैज्ञानिक आधार को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस लेख में राजनीति तथा प्रशासन के बीच स्पष्ट भिन्नता दिखाई गई और घोषित किया गया कि प्रशासन की राजनीति से दूर रहना चाहिए। इसी को तथाकथित ‘राजनीति-प्रशासन-द्विभाजन’ कहते हैं। लोक प्रशासन का इतिहास निम्नलिखित 5 चरणों में विभाज्य है- .

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लोक प्रशासन की प्रकृति

जिस प्रकार लोक प्रशासन की परिभाषा में कई दृष्टिकोण दिखाई देते हैं, उसी प्रकार इसकी प्रकृति के विषय में भी दो तरह के दृष्टिकोण हैं। प्रथम, व्यापक दृष्टिकोण जिसे 'पूर्ण विचार' अथवा 'एकीकृत विचार' कहा जाता है और दूसरा संकुचित दृष्टिकोण जिसे 'प्रबन्धकीय विचार' कहा जाता है। .

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लोकप्रिय विज्ञान

लोकप्रिय विज्ञान (popular science) विज्ञान और वैज्ञानिक जानकारी की ऐसी प्रस्तुति होती है जो साधारण (ग़ैर-वैज्ञानिक) लोगों को समझ आये और उन्हें रोचक लगे। जहाँ वैज्ञानिक पत्रकारिता नये वैज्ञानिक विकास और गतिविधियों पर केन्द्रित होती है, वहाँ लोकप्रिय विज्ञान के विषय अधिक विस्तृत होते हैं। इसे पुस्तक, पत्रिकाएँ, फ़िल्में व टेलीविज़न वृत्तचित्र (डॉक्युमेंटरी) द्वारा लोगों तक पहुँचाया जाता है। .

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लोकविज्ञान

लोकविज्ञान (Ethnoscience) की परिभाषा इस प्रकार की गयी है- दूसरों के लिए विज्ञान करने की संस्कृति विकसित करना - अर्थात दूसरे लोगों द्वारा अपनी और अपने शरीर देखभाल करना, उनके वानस्पतिक ज्ञान, उनके वर्गीकरण की विधियों आदि का ज्ञान प्राप्त करना 'लोकविज्ञान' है। (Augé, 1999: 118).

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शब्दकोश

शब्दकोश (अन्य वर्तनी:शब्दकोष) एक बडी सूची या ऐसा ग्रंथ जिसमें शब्दों की वर्तनी, उनकी व्युत्पत्ति, व्याकरणनिर्देश, अर्थ, परिभाषा, प्रयोग और पदार्थ आदि का सन्निवेश हो। शब्दकोश एकभाषीय हो सकते हैं, द्विभाषिक हो सकते हैं या बहुभाषिक हो सकते हैं। अधिकतर शब्दकोशों में शब्दों के उच्चारण के लिये भी व्यवस्था होती है, जैसे - अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि में, देवनागरी में या आडियो संचिका के रूप में। कुछ शब्दकोशों में चित्रों का सहारा भी लिया जाता है। अलग-अलग कार्य-क्षेत्रों के लिये अलग-अलग शब्दकोश हो सकते हैं; जैसे - विज्ञान शब्दकोश, चिकित्सा शब्दकोश, विधिक (कानूनी) शब्दकोश, गणित का शब्दकोश आदि। सभ्यता और संस्कृति के उदय से ही मानव जान गया था कि भाव के सही संप्रेषण के लिए सही अभिव्यक्ति आवश्यक है। सही अभिव्यक्ति के लिए सही शब्द का चयन आवश्यक है। सही शब्द के चयन के लिए शब्दों के संकलन आवश्यक हैं। शब्दों और भाषा के मानकीकरण की आवश्यकता समझ कर आरंभिक लिपियों के उदय से बहुत पहले ही आदमी ने शब्दों का लेखाजोखा रखना शुरू कर दिया था। इस के लिए उस ने कोश बनाना शुरू किया। कोश में शब्दों को इकट्ठा किया जाता है। .

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शान्ति स्वरूप भटनागर

सर शांति स्वरूप भटनागर, OBE, FRS (२१ फरवरी १८९४ – १ जनवरी १९५५) जाने माने भारतीय वैज्ञानिक थे। इनका जन्म शाहपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। इनके पिता परमेश्वरी सहाय भटनागर की मृत्यु तब हो गयी थी, जब ये केवल आठ महीने के ही थे। इनका बचपन अपने ननिहाल में ही बीता। इनके नाना एक इंजीनियर थे, जिनसे इन्हें विज्ञान और अभियांत्रिकी में रुचि जागी। इन्हें यांत्रिक खिलौने, इलेक्ट्रानिक बैटरियां और तारयुक्त टेलीफोन बनाने का शौक रहा। इन्हें अपने ननिहाल से कविता का शौक भी मिला और इनका उर्दु एकांकी करामाती प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया था। भारत में स्नातकोत्तर डिग्री पूर्ण करने के उपरांत, शोध फ़ैलोशिप पर, ये इंगलैंड गये। इन्होंने युनिवर्सिटी कालेज, लंदन से १९२१ में, रसायन शास्त्र के प्रोफ़ैसर फ़्रेड्रिक जी डोन्नान की देख रेख में, विज्ञान में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। भारत लौटने के बाद, उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रोफ़ैसर पद हेतु आमंत्रण मिला। सन १९४१ में ब्रिटिश सरकार द्वारा इनकी शोध के लिये, इन्हें नाइटहुड से सम्मानित किया गया। १८ मार्च १९४३ को इन्हें फ़ैलो आफ़ रायल सोसायटी चुना गया। इनके शोध विषय में एमल्ज़न, कोलाय्ड्स और औद्योगिक रसायन शास्त्र थे। परन्तु इनके मूल योगदान चुम्बकीय-रासायनिकी के क्षेत्र में थे। इन्होंने चुम्बकत्व को रासायनिक क्रियाओं को अधिक जानने के लिये औजार के रूप में प्रयोग किया था। इन्होंने प्रो॰ आर.एन.माथुर के साथ भटनागर-माथुर इन्टरफ़ेयरेन्स संतुलन का प्रतिपादन किया था, जिसे बाद में एक ब्रिटिश कम्पनी द्वारा उत्पादन में प्रयोग भी किया गया। इन्होंने एक सुन्दर कुलगीत नामक विश्वविद्यालय गीत की रचना भी की थी। इसका प्रयोग विश्वविद्यालय में कार्यक्रमों के पहले होता आया है। भारत के प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू वैज्ञानिक प्रसार के प्रबल समर्थक थे। १९४७ में, भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना, श्री भटनागर की अध्यक्षता में की गयी। इन्हें सी.एस.आई.आर का प्रथम महा-निदेशक बनाया गया। इन्हें शोध प्रयोगशालाओं का जनक कहा जाता है व भारत में अनेकों बड़ी रासायनिक प्रयोगशालाओं के स्थापन हेतु स्मरण किया जाता है। इन्होंने भारत में कुल बारह राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित कीं, जिनमें प्रमुख इस प्रकार से हैं.

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शास्त्र

व्यापक अर्थों में किसी विशिष्ट विषय या पदार्थसमूह से सम्बन्धित वह समस्त ज्ञान जो ठीक क्रम से संग्रह करके रखा गया हो, शास्त्र कहलाता है। जैसे, भौतिकशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, प्राणिशास्त्र, अर्थशास्त्र, विद्युत्शास्त्र, वनस्पतिशास्त्र आदि। इस अर्थ में यह 'विज्ञान' का पर्याय है। 'शास्त्र' शब्द 'शासु अनुशिष्टौ' से निष्पन्न है जिसका अर्थ 'अनुशासन या उपदेश करना' है। किसी भी विषय, विद्या अथवा कला के मौलिक सिद्धान्तों से लेकर विषय-वस्तु के सभी आयामों का सुनियोजित, सूत्रबद्ध निरूपण शास्त्र है। हमारे यहाँ शास्त्र की परिभाषा इस प्रकार की गई है- अर्थात् जो शिक्षा अनुशासन प्रदान कर हमारी रक्षा करती है, मार्गदर्शन करती है, कभी-कभी हमारी उँगली पकड़कर हमें चलाती है, उसे ‘शास्त्र’ कहा गया है। इस प्रकार यदि हम शास्त्र व ग्रन्थ की तरफ देखें तो शास्त्र बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। किन्तु धर्म के सन्दर्भ में, 'शास्त्र' ऋषियों और मुनियों आदि के बनाए हुए वे प्राचीन ग्रंथों को कहते हैं जिनमें लोगों के हित के लिये अनेक प्रकार के कर्तव्य बतलाए गए हैं और अनुचित कृत्यों का निषेध किया गया है। दूसरे शब्दों में शास्त्र वे धार्मिक ग्रंथ हैं जो लोगों के हित और अनुशासन के लिये बनाए गए हैं। हिन्दुओं में वे ही ग्रंथ 'शास्त्र' माने गए हैं जो वेदमूलक हैं। इनकी संख्या १८ कही गई है और नाम इस प्रकार दिए गए हैं—शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष, छंद, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, मीमांसा, न्याय, धर्मशास्त्र, पुराण, आयुर्वेद, धनुर्वेद, गांधर्ववेद और अर्थशास्त्र। इन अठारहों शास्त्रों को 'अठारह विद्याएँ' भी कहते हैं। इस प्रकार हिंदुओं की प्रायः सभी धार्मिक पुस्तकें 'शास्त्र' की कोटि में आ जाती हैं। साधारणतः शास्त्र में बतलाए हुए काम विधेय माने जाते है और जो बातें शास्त्रों में वर्जित हैं, वे निषिद्ध और त्याज्य समझी जाती हैं। .

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शास्त्रीय नृत्य

भारत में नृत्‍य की जड़ें प्राचीन परंपराओं में है। इस विशाल उपमहाद्वीप में नृत्‍यों की विभिन्‍न विधाओं ने जन्‍म लिया है। प्रत्‍येक विधा ने विशिष्‍ट समय व वातावरण के प्रभाव से आकार लिया है। राष्‍ट्र शास्‍त्रीय नृत्‍य की कई विधाओं को पेश करता है, जिनमें से प्रत्‍येक का संबंध देश के विभिन्‍न भागों से है। प्रत्‍येक विधा किसी विशिष्‍ट क्षेत्र अथवा व्‍यक्तियों के समूह के लोकाचार का प्रतिनिधित्‍व करती है। भारत के कुछ प्रसिद्ध शास्‍त्रीय नृत्‍य हैं - .

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शाही स्वीडिश विज्ञान अकादमी

शाही स्वीडिश विज्ञान अकादमी का मुख्य भवन शाही स्वीडिश विज्ञान अकादमी (Royal Swedish Academy of Sciences (RSAS)) या Kungliga Vetenskapsakademien ("KVA") स्वीडेन की शाही अकादमियों में से एक है। यह एक स्वतंत्र, अशासकीय, वैज्ञानिक संस्थान है। यह विज्ञान (मुख्यतः प्राकृतिक विज्ञान तथा गणित) को प्रोत्साहन देने का कार्य करती है। इस अकादमी की स्थापना २ जून १७३९ को हुई थी। श्रेणी:राष्ट्रीय अकादमी.

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शांता सिन्हा

प्रो.

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शाकीय विज्ञान

फूल गोभी की खेती शाकीय विज्ञान (Olericulture) सब्जियों के उत्पादन से सम्बन्धित विज्ञान है। इसमें भोजन के लिये अकाष्ठीय पौधों की खेती से सम्बन्धित मुद्दों का अध्ययन होता है। शाकीय फसलों को निम्नलिखित ९ वर्गों में बाँटा जा सकता है-.

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शिक्षण विधियाँ

जिस ढंग से शिक्षक शिक्षार्थी को ज्ञान प्रदान करता है उसे शिक्षण विधि कहते हैं। "शिक्षण विधि" पद का प्रयोग बड़े व्यापक अर्थ में होता है। एक ओर तो इसके अंतर्गत अनेक प्रणालियाँ एवं योजनाएँ सम्मिलित की जाती हैं, दूसरी ओर शिक्षण की बहुत सी प्रक्रियाएँ भी सम्मिलित कर ली जाती हैं। कभी-कभी लोग युक्तियों को भी विधि मान लेते हैं; परंतु ऐसा करना भूल है। युक्तियाँ किसी विधि का अंग हो सकती हैं, संपूर्ण विधि नहीं। एक ही युक्ति अनेक विधियों में प्रयुक्त हो सकती है। .

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शिक्षा दर्शन

गाँधीजी महान शिक्षा-दार्शनिक भी थे। शिक्षा और दर्शन में गहरा सम्बन्ध है। अनेकों महान शिक्षाशास्त्री स्वयं महान दार्शनिक भी रहे हैं। इस सह-सम्बन्ध से दर्शन और शिक्षा दोनों का हित सम्पादित हुआ है। शैक्षिक समस्या के प्रत्येक क्षेत्र में उस विषय के दार्शनिक आधार की आवश्यकता अनुभव की जाती है। फिहते अपनी पुस्तक "एड्रेसेज टु दि जर्मन नेशन" में शिक्षा तथा दर्शन के अन्योन्याश्रय का समर्थन करते हुए लिखते हैं - "दर्शन के अभाव में ‘शिक्षण-कला’ कभी भी पूर्ण स्पष्टता नहीं प्राप्त कर सकती। दोनों के बीच एक अन्योन्य क्रिया चलती रहती है और एक के बिना दूसरा अपूर्ण तथा अनुपयोगी है।" डिवी शिक्षा तथा दर्शन के संबंध को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि दर्शन की जो सबसे गहन परिभाषा हो सकती है, यह है कि "दर्शन शिक्षा-विषयक सिद्धान्त का अत्यधिक सामान्यीकृत रूप है।" दर्शन जीवन का लक्ष्य निर्धारित करता है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षा उपाय प्रस्तुत करती है। दर्शन पर शिक्षा की निर्भरता इतनी स्पष्ट और कहीं नहीं दिखाई देती जितनी कि पाठ्यक्रम संबंधी समस्याओं के संबंध में। विशिष्ट पाठ्यक्रमीय समस्याओं के समाधान के लिए दर्शन की आवश्यकता होती है। पाठ्यक्रम से घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ प्रश्न उपयुक्त पाठ्यपुस्तकों के चुनाव का है और इसमें भी दर्शन सन्निहित है। जो बात पाठ्यक्रम के संबंध में है, वही बात शिक्षण-विधि के संबंध में कही जा सकती है। लक्ष्य विधि का निर्धारण करते हैं, जबकि मानवीय लक्ष्य दर्शन का विषय हैं। शिक्षा के अन्य अंगों की तरह अनुशासन के विषय में भी दर्शन की महत्वपूर्ण भूमिका है। विद्यालय के अनुशासन निर्धारण में राजनीतिक कारणों से भी कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण कारण मनुष्य की प्रकृति के संबंध में हमारी अवधारणा होती है। प्रकृतिवादी दार्शनिक नैतिक सहज प्रवृत्तियों की वैधता को अस्वीकार करता है। अतः बालक की जन्मजात सहज प्रवृत्तियों को स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्ति के लिए छोड़ देता है; प्रयोजनवादी भी इस प्रकार के मापदण्ड को अस्वीकार करके बालक व्यवहार को सामाजिक मान्यता के आधार पर नियंत्रित करने में विश्वास करता है; दूसरी ओर आदर्शवादी नैतिक आदर्शों के सर्वोपरि प्रभाव को स्वीकार किए बिना मानव व्यवहार की व्याख्या अपूर्ण मानता है, इसलिए वह इसे अपना कर्त्तव्य मानता है कि बालक द्वारा इन नैतिक आधारों को मान्यता दिलवाई जाये तथा इस प्रकार प्रशिक्षित किया जाए कि वह शनैःशनैः इन्हें अपने आचरण में उतार सके। शिक्षा का क्या प्रयोजन है और मानव जीवन के मूल उद्देश्य से इसका क्या संबंध है, यही शिक्षा दर्शन का विजिज्ञास्य प्रश्न है। चीन के दार्शनिक मानव को नीतिशास्त्र में दीक्षित कर उसे राज्य का विश्वासपात्र सेवक बनाना ही शिक्षा का उद्देश्य मानते थे। प्राचीन भारत में सांसारिक अभ्युदय और पारलौकिक कर्मकांड तथा लौकिक विषयों का बोध होता था और परा विद्या से नि:श्रेयस की प्राप्ति ही विद्या के उद्देश्य थे। अपरा विद्या से अध्यात्म तथा रात्पर तत्व का ज्ञान होता था। परा विद्या मानव की विमुक्ति का साधन मान जाती थी। गुरुकुलों और आचार्यकुलों में अंतेवासियों के लिये ब्रह्मचर्य, तप, सत्य व्रत आदि श्रेयों की प्राप्ति परमाभीष्ट थी और तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला आदि विश्वविद्यालय प्राकृतिक विषयों के सम्यक् ज्ञान के अतिरिक्त नैष्ठिक शीलपूर्ण जीवन के महान उपस्तंभक थे। भारतीय शिक्षा दर्शन का आध्यात्मिक धरातल विनय, नियम, आश्रममर्यादा आदि पर सदियों तक अवलंबित रहा। .

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शुद्ध विधि का सिद्धान्त

शुद्ध विधि का सिद्धान्त (जर्मन: Reine Rechtslehre; अंग्रेजी: Pure Theory of Law) विधि-सिद्धान्तकार हैंस केल्सन द्वारा रचित एक पुस्तक है जो सर्वप्रथम १९३४ में प्रकाशित हुई थी। इसका द्वितीय संस्करण १९६० में आया। इस पुस्तक में कानून का जो सिद्धान्त प्रतिपादित किया गया है वह सम्भवतः २०वीं शदी का सबसे प्रभावशाली विधि-सिद्धान्त है। .

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श्री कल्याण महाविद्यालय, सीकर

श्री कल्याण महाविद्यालय, (Shri Kalyan Government PG College) संक्षेप में एस.

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शैक्षिक सॉफ्टवेयर

शैक्षिक साँफ्टवेयर शैक्षिक सॉफ्टवेयर एक प्रकार का कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर होता है जिसका उपयोग लोगों को पढ़ाने के लिए और स्वयं उससे शिक्षा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसका विकास 20वीं सदी में देखने को मिलता है। विज्ञान के विकास के साथ इसका भी विकास एक सतत् प्रक्रिया का परिणाम है। .

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सत्यप्रकाश सरस्वती

डॉ सत्यप्रकाश सरस्वती (२४ सितम्बर १९०५ - १८ जनवरी १९९५) भारत के रसायनविद्, आध्यात्मिक-धार्मिक चिन्तक तथा लेखक और वक्ता थे। उन्होने जीवन का अधिकांश भाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रसायन-विभाग के अध्यक्ष के रूप में बिताया। जीवन के उत्तरार्ध को उन्होने रघुवंशी राजाओं की भांति सामाजिक जागरण, लोकोपकार तथा ग्रन्थ-लेखन में व्यतीत किया। स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती का व्यक्तित्व अनेक अद्भुत विशिष्टताओं से संपन्न था। उन्हें 'विज्ञान, धर्म और साहित्य की त्रिवेणी' ठीक ही कहा गया है। सभी विशेषताएं एक साथ एक ही व्यक्ति में बहुत कम देखने में आती हैं। स्वामी जी विविध विषयों पर प्रभावी ढंग से सारगर्भित व्याख्यान देने में अपने समय में अद्भुत थे। चारों वेदों के अंग्रेजी भाष्य की रचना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। .

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सनातन धर्म

सनातन धर्म: (हिन्दू धर्म, वैदिक धर्म) अपने मूल रूप हिन्दू धर्म के वैकल्पिक नाम से जाना जाता है।वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये 'सनातन धर्म' नाम मिलता है। 'सनातन' का अर्थ है - शाश्वत या 'हमेशा बना रहने वाला', अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त।सनातन धर्म मूलत: भारतीय धर्म है, जो किसी ज़माने में पूरे वृहत्तर भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) तक व्याप्त रहा है। विभिन्न कारणों से हुए भारी धर्मान्तरण के बाद भी विश्व के इस क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी इसी धर्म में आस्था रखती है। सिन्धु नदी के पार के वासियो को ईरानवासी हिन्दू कहते, जो 'स' का उच्चारण 'ह' करते थे। उनकी देखा-देखी अरब हमलावर भी तत्कालीन भारतवासियों को हिन्दू और उनके धर्म को हिन्दू धर्म कहने लगे। भारत के अपने साहित्य में हिन्दू शब्द कोई १००० वर्ष पूर्व ही मिलता है, उसके पहले नहीं। हिन्दुत्व सनातन धर्म के रूप में सभी धर्मों का मूलाधार है क्योंकि सभी धर्म-सिद्धान्तों के सार्वभौम आध्यात्मिक सत्य के विभिन्न पहलुओं का इसमें पहले से ही समावेश कर लिया गया था। .

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समय मापन का इतिहास

'इस्केप मेकैनिज्म' से युक्त एक घड़ी अति प्राचीन काल में मनुष्य ने सूर्य की विभिन्न अवस्थाओं के आधार प्रात:, दोपहर, संध्या एवं रात्रि की कल्पना की। ये समय स्थूल रूप से प्रत्यक्ष हैं। तत्पश्चात् घटी पल की कल्पना की होगी। इसी प्रकार उसने सूर्य की कक्षागतियों से पक्षों, महीनों, ऋतुओं तथा वर्षों की कल्पना की होगी। समय को सूक्ष्म रूप से नापने के लिए पहले शंकुयंत्र तथा धूपघड़ियों का प्रयोग हुआ। रात्रि के समय का ज्ञान नक्षत्रों से किया जाता था। तत्पश्चात् पानी तथा बालू के घटीयंत्र बनाए गए। ये भारत में अति प्राचीन काल से प्रचलित थे। इनका वर्णन ज्योतिष की अति प्राचीन पुस्तकों में जैसे पंचसिद्धांतिका तथा सूर्यसिद्धांत में मिलता है। पानी का घटीयंत्र बनाने के लिए किसी पात्र में छोटा सा छेद कर दिया जाता था, जिससे पात्र एक घंटी में पानी में डूब जाता था। उसके बाहरी भाग पर पल अंकित कर दिए जाते थे। इसलिए पलों को पानीय पल भी कहते हैं। बालू का घटीयंत्र भी पानी के घटीयंत्र सरीखा था, जिसमें छिद्र से बालू के गिरने से समय ज्ञात होता था। किंतु ये सभी घटीयंत्र सूक्ष्म न थे तथा इनमें व्यावहारिक कठिनाइयाँ भी थीं। विज्ञान के प्रादुर्भाव के साथ लोलक घड़ियाँ तथा तत्पश्चात् नई घड़ियाँ, जिनका हम आज प्रयोग करते हैं, अविष्कृत हुई। जैसा पहले बता दिया गया है, समय का ज्ञान सूर्य की दृश्य स्थितियों से किया जाता है। सामान्यत: सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन तथा सूर्यास्त से पुन: सूर्योदय तक रात्रि होती हैं, किंतु तिथिगणना के लिए दिन-रात मिलकर दिन कहलाते हैं। किसी स्थान पर सूर्य द्वारा याम्योत्तर वृत्त के अधोबिंदु की एक परिक्रमा को एक दृश्य दिन कहते हैं, तथा सूर्य की किसी स्थिर नक्षत्र के सापेक्ष एक परिक्रमा को नाक्षत्र दिन कहते हैं। यह नक्षत्र रूढ़ि के अनुसार माप का आदि बिंदु (first point of Aries i. e. g), अर्थात् क्रांतिवृत्त तथा विषुवत् वृत्त का वसंत संपात बिंदु लिया जाता है। यद्यपि नाक्षत्र दिन स्थिर है, तथापि यह हमारे व्यवहार के लिए उपयोगी नहीं है, क्योंकि यह दृश्य दिन से 3 मिनट 53 सेकंड कम है। दृश्य दिन का मान सदा एक सा नहीं रहता। अत: किसी घड़ी से दृश्य सूर्य के समय का बताया जाना कठिन है। इसके दो कारण हैं: एक तो सूर्य की स्पष्ट गति सदा एक सी नहीं रहती, दूसरे स्पष्ट सूर्य क्रांतिवृत्त में चलता दिखाई देता है। हमें समयसूचक यंत्र बनाने के लिए ऐसे सूर्य की आवश्यकता होती है, जो मध्यम गति से सदा विषुवत्वृत्त में चले। ऐसे सूर्य को ज्योतिषी लोग ज्योतिष-माध्य-सूर्य (mean Astronomical Sun) अथवा केवल माध्य सूर्य कहते हैं। विषुवत्वृत्त के मध्यम सूर्य तथा क्रांतिवृत्त के मध्यम सूर्य के अंतर को भास्कराचार्य ने उदयांतर तथा क्रांतिवृत्तीय मध्यम सूर्य तथा स्पष्ट सूर्य के अंतर को भुजांतर कहा है। यदि ज्योतिष-माध्य सूर्य में उदयांतर तथा भुजांतर संस्कार कर दें, तो वह दृश्य सूर्य हो जाएगा। आधुनिक शब्दावली में उदयांतर तथा भुजांतर के एक साथ संस्कार को समय समीकार (Equation of time) कहते हैं। यह हमारी घड़ियों के समय (माध्य-सूर्य-समय) तथा दृश्य सूर्य के समय के अंतर के तुल्य होता है। समय समीकार का प्रति दिन का मात्र गणित द्वारा निकाला जा सकता है। आजकल प्रकाशित होनेवाले नाविक पंचांग (nautical almanac) में, इसका प्रतिदिन का मान दिया रहता है। इस प्रकार हम अपनी घड़ियों से जब चाहें दृश्य सूर्य का समय ज्ञात कर सकते हैं। इसका ज्योतिष में बहुत उपयोग होता है। विलोमत: हम सूर्य के ऊध्र्व याम्योत्तर बिंदु के लंघन का वेध करके, उसमें समय समीकार को जोड़ या घटाकर, वास्तविक माध्य-सूर्य का समय ज्ञात करके अपनी घड़ियों के समय को ठीक कर सकते हैं। .

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समाजशास्त्र

समाजशास्त्र मानव समाज का अध्ययन है। यह सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है, जो मानवीय सामाजिक संरचना और गतिविधियों से संबंधित जानकारी को परिष्कृत करने और उनका विकास करने के लिए, अनुभवजन्य विवेचनगिडेंस, एंथोनी, डनेर, मिशेल, एप्पल बाम, रिचर्ड.

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समुद्र विज्ञानी

समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले समुद्र विज्ञानी (ओशनोग्राफर) कहलाते हैं। .

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सम्मोहन

सम्मोहन (Hypnosis) वह कला है जिसके द्वारा मनुष्य उस अर्धचेतनावस्था में लाया जा सकता है जो समाधि, या स्वप्नावस्था, से मिलती-जुलती होती है, किंतु सम्मोहित अवस्था में मनुष्य की कुछ या सब इंद्रियाँ उसके वश में रहती हैं। वह बोल, चल और लिख सकता है; हिसाब लगा सकता है तथा जाग्रतावस्था में उसके लिए जो कुछ संभव है, वह सब कुछ कर सकता है, किंतु यह सब कार्य वह सम्मोहनकर्ता के सुझाव पर करता है।कभी कभी यह सम्मोहन बिना किसी सुझाव के भी काम करता है और केवल लिखाई और पढ़ाई में भी काम करता है जैसे के फलाने मर्ज की दवा यहाँ मिलती है इस प्रकार के हिप्नोसिस का प्रयोग भारत में ज्यादा होता है .

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सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सूरत

सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सूरत जिसे 'एन आई टी सूरत' के नाम से भी जाना जाता है, प्रौद्योगिकी एवम अभियांत्रिकी का राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। यह भारत के लगभग तीस राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एन आई टी) में से एक है। इसे भारत सरकार ने १९६१ में स्थापित किया था। इसकी संगठनात्मक संरचना एवम स्नातक प्रवेश प्रक्रिया शेष सभी एन आई टी की तरह ही है। संस्थान में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, विज्ञान मानविकी और प्रबंधन में स्नातक, पूर्व स्नातक एवम डॉक्टरेट के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। .

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सायबॉर्ग

सायबॉर्ग ऐसे काल्पनिक मशीनी मानव होते हैं, जिनका आधा शरीर मानव और आधा मशीन का बना होता है। ऐसे मानव विज्ञान के क्षेत्र और विज्ञान गल्प में दिखाये जाते हैं, व फिल्म प्रेमियों द्वारा हॉलीवुड की स्टार ट्रेक और अन्य विज्ञान फंतासी फिल्मों इनका प्रदर्शन किया जाता रहा है। इस शब्द का पहली बार प्रयोग १९६० में मैन्फ्रेड क्लिंस और नैथन क्लाइन ने बाहरी अंतरिक्ष में मानव-मशीनी प्रणाली के प्रयोग के संदर्भ के एक आलेख में किया था। इसके बाद १९६५ में डी.एस.

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सारा आउटन

सारा डिलिज आउटन एमबीई एफारजीएस (जन्म-२६ मई१९८५), एक ब्रिटिश एथलिट तथा एडवेंचरर है। वह यू.के व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रेरक प्रवक्ता भी है। आउटन पहली महिला और सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे, जो कि अकेले हिंद महासागर और प्रशांत महासागर जापान से अलास्का तक गयी थी। ३ नवंबर, २०१५ को उन्होंने अपने दम पर, नौकायन नाव, साइकिल और कयाक के द्वारा अपनी पूरी शक्ति के तहत एक दौर-द वर्ल्ड यात्रा पूरी की। .

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सार्वत्रिक गैस नियतांक

सार्वत्रिक गैस नियतांक (या गैस नियतांक, या मोलर गैस नियतांक, या आदर्श गैस नियतांक; gas constant / molar, universal, or ideal gas constant) एक भौतिक नियतांक है जो विज्ञान के कई मूलभूत समीकरणों में सम्मिलित है (जैसे, आदर्श गैस समीकरण में)।इसे R से निरूपित करते हैं। .

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सालिग्राम भार्गव

प्रोफेसर सालिग्राम भार्गव (12 दिसम्बर 1888 - 16 सितम्बर 1953) इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं हिन्दीसेवी थे। आपने डॉ गंगानाथ झा, रामदास गौड़ तथा प्रो.

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सांख्यिकी की रूपरेखा

सांख्यिकी के अवलोकन और सामयिक दिशानिर्देश हेतु निम्न रूपरेखा प्रदान की गई हैं - सांख्यिकी – डाटा का संग्रह, विश्लेषण, विवेचन और प्रदर्शन। यह अकादमिक विषयों की व्यापक विविधता में, भौतिक और सामाजिक विज्ञान से लेकर मानविकी तक में, अनुप्रयुक्त होती हैं। व्यवसाय और सरकार के सारे क्षेत्रों में सूचित निर्णय बनाने के लिए भी इसका उपयोग और दुरुपयोग होता हैं। .

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साइंस (पत्रिका)

साइन्स (Science) एक सहकर्मी-समीक्षित शैक्षिक पत्रिका (जर्नल) है। इसे प्रायः 'साइन्स मैग्जीन' कहते हैं। यह 'अमेरिकन एसोसिएशन फॉर ऐडवान्समेन्ट ऑफ़ साइन्स' (एएएएस) का जर्नल है और विश्व के सर्वश्रेष्ठ जर्नलों में से एक है। यह पहली बार १८८० में प्रकाशित हुआ था। वर्तमान में यह साप्ताहिक रूप में परिचालित किया जाता है और उनके पास लगभग १३०,००० प्रिंट ग्राहक हैं। इनकी अनुमानित पाठक संख्या लगभग ५७०,४०० है क्योंकि यह बहुत सारे लोगों तक संस्थागत सदस्यता और ऑनलाइन पहुंच के माध्यम से जाता है। पत्रिका का मुख्य केंद्र महत्वपूर्ण मूल वैज्ञानिक अनुसंधान और अनुसंधान समीक्षा को प्रकाशित करना है, लेकिन विज्ञान, विज्ञान संबंधी समाचार, विज्ञान नीति पर राय और वैज्ञानिकों और अन्य लोगों के लिए रूचि के अन्य पत्रिकाएं भी प्रकाशित करता है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रभाव से संबंधित हैं। अधिकांश वैज्ञानिक पत्रिकाओं के विपरीत, जो एक विशिष्ट क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते है। इसके अलावा विज्ञान इसके प्रतिद्वंद्वी प्रकृति और वैज्ञानिक विषयों की पूरी श्रृंखला को कवर करती है। जर्नल उद्धरण रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञान का २०१५ प्रभाव कारक ३४.६६१ रहा था। हालांकि यह एएएएस का जर्नल है, लेकिन एएएएस में सदस्यता विज्ञान में प्रकाशित करने के लिए आवश्यक नहीं है। पत्रों को दुनिया भर के लेखकों से स्वीकार किया जाता है। विज्ञान में प्रकाशित होने की प्रतिस्पर्धा बहुत कड़ी है, क्योंकि इस पत्रिका के लिए बहुत सारे लेखक अपने लेख भेजते है। इस प्रकार प्रस्तुत लेखों में से सिर्फ ७% से कम लेख ही प्रकाशन के लिए स्वीकार किए जाते हैं। .

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सिद्धांत (थिअरी)

सिद्धांत, सिद्धि का अंत है। यह वह धारणा है जिसे सिद्ध करने के लिए, जो कुछ हमें करना था वह हो चुका है और अब स्थिर मत अपनाने का समय आ गया है। धर्म, विज्ञान, दर्शन, नीति, राजनीति सभी सिद्धांत की अपेक्षा करते हैं। .

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संपा दास

संपा दास एक भारतीय जैव प्रौद्योगिकीविद्, वैज्ञानिक और सार्वजनिक क्षेत्र के कृषि जैव प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ हैं।  वह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (एफ एन ए) और नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत (एफ एन ए एससी) से जुड़ी हैं। वर्तमान में, वह कोलकाता में बोस इंस्टीट्यूट में सीनियर प्रोफेसर और प्लांट बायोलॉजी विभागीय अध्यक्षा हैं, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित वाली एक बहु-अनुशासनिक अनुसंधान संस्थान है।  .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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संस्कृत साहित्य

बिहार या नेपाल से प्राप्त देवीमाहात्म्य की यह पाण्डुलिपि संस्कृत की सबसे प्राचीन सुरक्षित बची पाण्डुलिपि है। (११वीं शताब्दी की) ऋग्वेदकाल से लेकर आज तक संस्कृत भाषा के माध्यम से सभी प्रकार के वाङ्मय का निर्माण होता आ रहा है। हिमालय से लेकर कन्याकुमारी के छोर तक किसी न किसी रूप में संस्कृत का अध्ययन अध्यापन अब तक होता चल रहा है। भारतीय संस्कृति और विचारधारा का माध्यम होकर भी यह भाषा अनेक दृष्टियों से धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) रही है। इस भाषा में धार्मिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक और मानविकी (ह्यूमैनिटी) आदि प्राय: समस्त प्रकार के वाङ्मय की रचना हुई। संस्कृत भाषा का साहित्य अनेक अमूल्य ग्रंथरत्नों का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। अति प्राचीन होने पर भी इस भाषा की सृजन-शक्ति कुण्ठित नहीं हुई, इसका धातुपाठ नित्य नये शब्दों को गढ़ने में समर्थ रहा है। संस्कृत साहित्य इतना विशाल और scientific है तो भारत से संस्कृत भाषा विलुप्तप्राय कैसे हो गया? .

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संस्कृति

संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र रूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने, खाने-पीने, बोलने, नृत्य, गायन, साहित्य, कला, वास्तु आदि में परिलक्षित होती है। संस्कृति का वर्तमान रूप किसी समाज के दीर्घ काल तक अपनायी गयी पद्धतियों का परिणाम होता है। ‘संस्कृति’ शब्द संस्कृत भाषा की धातु ‘कृ’ (करना) से बना है। इस धातु से तीन शब्द बनते हैं ‘प्रकृति’ (मूल स्थिति), ‘संस्कृति’ (परिष्कृत स्थिति) और ‘विकृति’ (अवनति स्थिति)। जब ‘प्रकृत’ या कच्चा माल परिष्कृत किया जाता है तो यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो ‘विकृत’ हो जाता है। अंग्रेजी में संस्कृति के लिये 'कल्चर' शब्द प्रयोग किया जाता है जो लैटिन भाषा के ‘कल्ट या कल्टस’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है जोतना, विकसित करना या परिष्कृत करना और पूजा करना। संक्षेप में, किसी वस्तु को यहाँ तक संस्कारित और परिष्कृत करना कि इसका अंतिम उत्पाद हमारी प्रशंसा और सम्मान प्राप्त कर सके। यह ठीक उसी तरह है जैसे संस्कृत भाषा का शब्द ‘संस्कृति’। संस्कृति का शब्दार्थ है - उत्तम या सुधरी हुई स्थिति। मनुष्य स्वभावतः प्रगतिशील प्राणी है। यह बुद्धि के प्रयोग से अपने चारों ओर की प्राकृतिक परिस्थिति को निरन्तर सुधारता और उन्नत करता रहता है। ऐसी प्रत्येक जीवन-पद्धति, रीति-रिवाज रहन-सहन आचार-विचार नवीन अनुसन्धान और आविष्कार, जिससे मनुष्य पशुओं और जंगलियों के दर्जे से ऊँचा उठता है तथा सभ्य बनता है, सभ्यता और संस्कृति का अंग है। सभ्यता (Civilization) से मनुष्य के भौतिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है जबकि संस्कृति (Culture) से मानसिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है। मनुष्य केवल भौतिक परिस्थितियों में सुधार करके ही सन्तुष्ट नहीं हो जाता। वह भोजन से ही नहीं जीता, शरीर के साथ मन और आत्मा भी है। भौतिक उन्नति से शरीर की भूख मिट सकती है, किन्तु इसके बावजूद मन और आत्मा तो अतृप्त ही बने रहते हैं। इन्हें सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य अपना जो विकास और उन्नति करता है, उसे संस्कृति कहते हैं। मनुष्य की जिज्ञासा का परिणाम धर्म और दर्शन होते हैं। सौन्दर्य की खोज करते हुए वह संगीत, साहित्य, मूर्ति, चित्र और वास्तु आदि अनेक कलाओं को उन्नत करता है। सुखपूर्वक निवास के लिए सामाजिक और राजनीतिक संघटनों का निर्माण करता है। इस प्रकार मानसिक क्षेत्र में उन्नति की सूचक उसकी प्रत्येक सम्यक् कृति संस्कृति का अंग बनती है। इनमें प्रधान रूप से धर्म, दर्शन, सभी ज्ञान-विज्ञानों और कलाओं, सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थाओं और प्रथाओं का समावेश होता है। .

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संगणक अभियान्त्रिकी

एक एफपीजीए बोर्ड संगणक अभियांत्रिकी या कम्प्यूटर अभियान्त्रिकी अभियांत्रिकी कि वह शाखा है जिसमे संगणक के सभी हार्डवेयर, साफ्टवेयर एवं प्रचालन तंत्र की डिजाइन, रचना, निर्माण, परीक्षण, रखरखाव आदि का अध्ययन किया जाता है। पहले यह वैद्युत प्रौद्योगिकी की एक शाखा मात्र थी। .

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सुधा भट्टाचार्य

सुधा भट्टाचार्य (जन्म ७ मार्च १९५२) एक भारतीय अकादमिक, वैज्ञानिका और लेखिका हैं। डॉ। भट्टाचार्य की प्रयोगशाला ने पहले परिपत्र डीएनए पर रिबोसोमल आरएनए जीन पाया, परजीवी का अध्ययन करते समय। भट्टाचार्य पर्यावरण विज्ञान स्कूल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में प्रोफेसर हैं। वह नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज भारत, भारतीय एकेडमी ऑफ साइंसेज और इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी (२०१४) में एक सयोगी है। .

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सुनहला चावल

सुनहला चावल (गोल्डन चावल) औरिजा सैटिवा चावल का एक किस्म है जिसे बेटा-कैरोटिन, जो खाने वाले चावल में प्रो-विटामिन ए का अगुआ है, के जैवसंश्लेषण के लिए जेनेटिक इंजिनियरिंग के द्वारा बनाया जाता है।ये एट अल.

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स्पन्दित शक्ति

स्पन्दित शक्ति (Pulsed power) किसी अवयव में अपेक्षाकृत लम्बे समय में ऊर्जा एकत्र करके इस ऊर्जा को अल्प समय में निर्मुक्त करने का विज्ञान और प्रौद्योगिकी है। इससे हमें अल्प समय के लिये अत्यधिक तात्क्षणिक शक्ति (instantaneous power) प्राप्त हो जाती है। उदाहरण के लिये, किसी संधारित्र में धीरे-धीरे करके १ जूल ऊर्जा एकत्र की जाय और इस ऊर्जा को केवल १ माइक्रोसेकेण्ड में ही किसी लोड में निर्मुक्त कर दिया जाय तो एक माइक्रोसेकेण्ड की अवधि के लिये उस लोड को १ मेगावाट तात्क्षणिक शक्ति मिलेगी। किन्तु इसी १ जूल ऊर्जा को किसी लोड में १ सेकेण्ड में निर्मुक्त किया जाय तो उस लोड को केवल १ वाट तात्क्षणिक ऊर्जा मिलेगी। स्पन्दित शक्ति का उपयोग अनेक क्षेत्रों में होता है, जैसे- राडार, कण त्वरक, अति उच्च चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिये, फ्यूजन अनुसंधान, विद्युतचुम्बकीय स्पन्द (पल्सेस), तथा उच्च शक्ति वाले स्पन्दित लेजर आदि। .

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स्वामी चिन्मयानंद

स्वामी चिन्मयानन्द स्वामी चिन्मयानन्द (8 मई 1916 - 3 अगस्त 1993) हिन्दू धर्म और संस्कृति के मूलभूत सिद्धान्त वेदान्त दर्शन के एक महान प्रवक्ता थे। उन्होंने सारे भारत में भ्रमण करते हुए देखा कि देश में धर्म संबंधी अनेक भ्रांतियां फैली हैं। उनका निवारण कर शुद्ध धर्म की स्थापना करने के लिए उन्होंने गीता ज्ञान-यज्ञ प्रारम्भ किया और 1953 ई में चिन्मय मिशन की स्थापना की। स्वामी जी के प्रवचन बड़े ही तर्कसंगत और प्रेरणादायी होते थे। उनको सुनने के लिए हजारों लोग आने लगे। उन्होंने सैकड़ों संन्यासी और ब्रह्मचारी प्रशिक्षित किये। हजारों स्वाध्याय मंडल स्थापित किये। बहुत से सामाजिक सेवा के कार्य प्रारम्भ किये, जैसे विद्यालय, अस्पताल आदि। स्वामी जी ने उपनिषद्, गीता और आदि शंकराचार्य के 35 से अधिक ग्रंथों पर व्याख्यायें लिखीं। गीता पर लिखा उनका भाष्य सर्वोत्तम माना जाता है। .

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स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ

स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज स्वामी भारती कृष्णतीर्थ जी महाराज (14 मार्च 1884 - 2 फ़रवरी 1960) जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य थे। शास्त्रोक्त अष्टादश विद्याओं के ज्ञाता, अनेक भाषाओं के प्रकांड पंडित तथा दर्शन के अध्येता पुरी के शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्णतीर्थ जी महाराज ने वैदिक गणित की खोज कर समस्त विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया था। वे एक ऐसे अनूठे धर्माचार्य थे जिन्होंने शिक्षा के प्रसार से लेकर स्वदेशी, स्वाधीनता तथा सामाजिक क्रांति में अनूठा योगदान कर पूरे संसार में ख्याति अर्जित की थी। .

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सौर ऊर्जा

विश्व के विभिन्न भागों का औसत सौर विकिरण (आतपन, सूर्यातप)। इस चित्र में जो छोटे-छोटे काले बिन्दु दिखाये गये हैं, यदि उनके ऊपर गिरने वाले सम्पूर्ण सौर विकिरण का उपयोग कर लिया जाय तो विश्व में उपयोग की जा रही सम्पूर्ण ऊर्जा (लगभग 18 टेरावाट) की आपूर्ति इससे ही हो जायेगी। यूएसए के कैलिफोर्निया के सान बर्नार्डिनो में 354 MW वाला SEGS सौर कम्प्लेक्स सौर ऊर्जा वह उर्जा है जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जाती है। सौर ऊर्जा ही मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती है। यहीं धरती पर सभी प्रकार के जीवन (पेड़-पौधे और जीव-जन्तु) का सहारा है। वैसे तो सौर उर्जा के विविध प्रकार से प्रयोग किया जाता है, किन्तु सूर्य की उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर उर्जा के रूप में जाना जाता है। सूर्य की उर्जा को दो प्रकार से विदुत उर्जा में बदला जा सकता है। पहला प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरल पदार्थ को सूर्य की उष्मा से गर्म करने के बाद इससे विद्युत जनित्र चलाकर। .

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सैन्य नीति

अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा तथा सेना से सम्बन्धित सार्वजनिक नीति को सैन्य नीति (Military policy या defence policy) कहते हैं। सैन्य नीति यह सुनिश्चित करने के लिये बनायी जाती है कि शत्रुओं द्वारा पैदा की गयी कठिनाइयों को दूर करते हुए स्वतन्त्र बने रहें और विकास करते रहें। 'शत्रु' के अन्तर्गत राज्य, अर्ध-राज्य (quasi-state) समूह, गैर-राज्य समूह आदि सभी आते हैं। सैन्य नीति में शान्ति बनाये रखने से लेकर, विवादों के निपटान के लिये, संकट के परबन्धन, और शत्रुओं से युद्ध आदि से सम्बन्धित सभी नीतियों का समावेश होता है। सैन्य नीति के अन्तर्गत वे सभी उच्चस्तरीय विकल्प और सिद्धान्त आते हैं जो सरकारें अपनी रक्षा के लिये अपनातीं हैं-.

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सैन्य प्रौद्योगिकी का इतिहास

बीसवीं शताब्दी में सेना द्वारा विज्ञान के वित्तपोषण ने वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में अनेकों प्रभाव देखने को मिले। विशेष रूप से प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात से यह माना जाने लगा है कि सफल सेना के लिए विज्ञान पर आधारित उन्नत प्रौद्योगिकी अत्यावश्यक है। प्रथम विश्वयुद्ध को प्रायः 'रसायनज्ञों का युद्ध' (chemists’ war) कहा गया है क्योंकि इसमें विषाक्त गैसों का बहुतायत में प्रयोग हुआ तथा नाइट्रेट व अन्य उन्नत विस्फोटकों का विशेष महत्व रहा। .

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सैन्य विज्ञान

सैन्य विज्ञान (Military Science) के अन्तर्गत युद्ध एवं सशस्त्र संघर्ष से सम्बन्धित तकनीकों, मनोविज्ञान एवं कार्य-विधि (practice) आदि का अध्ययन किया जाता है। भारत सहित दुनिया के कई प्रमुख देश जैसे अमेरिका, इजराइल, जर्मनी, पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, रूस, इंगलैंड, चीन, फ्रांस, कनाडा, जापान, सिंगापुर, मलेशिया में सैन्य विज्ञान विषय को सुरक्षा अध्ययन (Security Studies), रक्षा एवं सुरक्षा अध्ययन (Defence and Security Studies), रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन (Defence and Strategic studies), सुरक्षा एवं युद्ध अध्ययन नाम से भी अध्ययन-अध्यापन किया जाता है। सैन्य विज्ञान ज्ञान की वह शाखा है जिसमें सैनिक विचारधारा, संगठन सामग्री और कौशल का सामाजिक संदर्भ में अध्ययन किया जाता है। आदिकाल से ही युद्ध की परम्परा चली आ रही है। मानव जाति का इतिहास युद्ध के अध्ययन के बिना अधूरा है और युद्ध का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी मानव जाति की कहानी। युद्ध मानव सभ्यता के विकास के प्रमुख कारणों में से एक हैं। अनेक सभ्यताओं का अभ्युदय एवं विनाश हुआ, परन्तु युद्ध कभी भी समाप्त नहीं हुआ। जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हुआ वैसे-वैसे नवीन हथियारों के निर्माण के फलस्वरूप युद्ध के स्वरूप में परिवर्तन अवश्य आया है। सैन्य विज्ञान के अन्तर्गत युद्ध एवं सशस्त्र संघर्ष से सम्बन्धित तकनीकों, मनोविज्ञान एवं कार्य-विधि आदि का अध्ययन किया जाता है। सैन्य विज्ञान के निम्नलिखित छः मुख्य शाखायें हैं.

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सूत्र (फॉर्मूला)

यह लेख गणित, विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि में प्रयुक्त सूत्र या फॉर्मूला के विषय में हैं। संस्कृत साहित्य में सूत्र ग्रन्थों के लिये सम्बन्धित लेख देखें। ---- गणित में प्रतीकों एवं किसी तर्क-भाषा के रचना के नियमों का प्रयोग करते हुए बनायी गयी वस्तु को सूत्र (formula) कहते हैं। विज्ञान में किसी सूचना या विभिन्न राशियों के बीच गणितीय सम्बन्ध को संक्षिप्त तरीके से दिखाने को सूत्र कहते हैं। रासायनिक सूत्र भी किसी तत्व या यौगिक को प्रतीकात्मक रूप से संक्षेप में दिखाने का तरीका मात्र है। उदाहरण के लिये किसी गोले का आयतन का सूत्र निम्नलिखित है-; अन्य सूत्र -.

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सूरजमुखी

पूरा बीज (दाएं) और कर्नेल बिना छिलके के (बाएं) सूरजमुखी या 'सूर्यमुखी' (वानस्पतिक नाम: हेलियनथस एनस) अमेरिका के देशज वार्षिक पौधे हैं। यह अनेक देशों के बागों में उगाया जाता है। यह कंपोजिटी (Compositae) कुल के हेलिएंथस (Helianthus) गण का एक सदस्य है। इस गण में लगभग साठ जातियाँ पाई गई हैं जिनमें हेलिएंथस ऐमूस (Helianthus annuus), हेलिएंथस डिकैपेटलेस (Helianthus decapetalus), हेलिएंथिस मल्टिफ्लोरस (Helianthus multiflorus), हे.

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सूक्ष्मदर्शन

परागकणों का स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्राप्त चित्र सूक्ष्मदर्शिकी या सूक्ष्मदर्शन (अंग्रेज़ी:माइक्रोस्कोपी) विज्ञान की एक शाखा होती है, जिसमें सूक्ष्म व अतिसूक्ष्म जीवों को बड़ा कर देखने में सक्षम होते हैं, जिन्हें साधारण आंखों से देखना संभव नहीं होता है। इसका मुख्य उद्देश्य सूक्ष्मजीव संसार का अध्ययन करना होता है। इसमें प्रकाश के परावर्तन, अपवर्तन, विवर्तन और विद्युतचुम्बकीय विकिरण का प्रयोग होता है। विज्ञान की इस शाखा मुख्य प्रयोग जीव विज्ञान में किया जाता है। विश्व भर में रोगों के नियंत्रण और नई औषधियों की खोज के लिए माइक्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता है।|हिन्दुस्तान लाइव। ९ जून २०१० सूक्ष्मदर्शन की तीन प्रचलित शाखाओं में ऑप्टिकल, इलेक्ट्रॉन एवं स्कैनिंग प्रोब सूक्ष्मदर्शन आते हैं। ---- एक स्टीरियो सूक्ष्मदर्शी माइक्रोस्कोपी विषय का आरंभ १७वीं शताब्दी के आरंभ में हुआ माना जाता है। इसी समय जब वैज्ञानिकों और अभियांत्रिकों ने भौतिकी में लेंस की खोज की थी। लेंस के आविष्कार के बाद वस्तुओं को उनके मूल आकार से बड़ा कर देखना संभव हो पाया। इससे पानी में पाए जाने वाले छोटे और अन्य अति सूक्ष्म जंतुओं की गतिविधियों के दर्शन सुलभ हुए और वैज्ञानिकों को उनके बारे में नये तथ्यों का ज्ञान हुआ। इसके बाद ही वैज्ञानिकों को यह भी ज्ञात हुआ कि प्राणी जगत के बारे में अपार संसार उनकी प्रतीक्षा में है व उनका ज्ञान अब तक कितना कम था। माइक्रोस्कोपी की शाखा के रूप में दृष्टि संबंधी सूक्ष्मदर्शन (ऑप्टिकल माइक्रोस्कोपी) का जन्म सबसे पहले माना जाता है। इसे प्रकाश सूक्ष्मदर्शन (लाइट माइक्रोस्कोपी) भी कहा जाता है। जीव-जंतुओं के अंगों को देखने के लिए इसका प्रयोग होता है। प्रकाश सूक्ष्मदर्शी (ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप) अपेक्षाकृत महंगे किन्तु बेहतर उपकरण होते हैं। सूक्ष्मदर्शन के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज अत्यंत महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है क्योंकि इसकी खोज के बाद वस्तुओं को उनके वास्तविक आकार से कई हजार गुना बड़ा करके देखना संभव हुआ था। इसकी खोज बीसवीं शताब्दी में हुई थी। हालांकि इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप अन्य सूक्ष्मदर्शियों से महंगा होता है और प्रयोगशाला में इसका प्रयोग करना छात्रों के लिए संभव नहीं होता, लेकिन इसके परिणाम काफी बेहतर होते हैं। इससे प्राप्त चित्र एकदम स्पष्ट होते हैं। सूक्ष्मदर्शन में एक अन्य तकनीक का प्रयोग होता है, जो इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शन से भी बेहतर मानी जाती है। इसमें हाथ और सलाई के प्रयोग से वस्तु का कई कोणों से परीक्षण होता है। ग्राहम स्टेन ने इसी प्रक्रिया में सबसे पहले जीवाणु को देखा था। .

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सेठ ज्ञानीराम बंसीधर पोदार महाविद्यालय, नवलगढ़

सेठ ज्ञानीराम बंसीधर पोदार महाविद्यालय मुख्य परिसर का भवन सेठ ज्ञानीराम बंसीधर पोदार महाविद्यालय, (Seth Gyaniram Bansidhar Podar College) संक्षेप में पोदार कॉलेज, नवलगढ़, झुँझुनू में स्थित निजी महाविद्यालय है। यह मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, वाणिज्य आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा कार्य में संलग्न राजस्थान के अग्रणी संस्थानों में से है। .

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सेंट स्टीफ़न कॉलेज

सेंट स्टीफ़न कॉलेज (उर्दू: سینٹ سٹیفنس کالج دلھ, अंग्रेज़ी:St. Stephen's College) दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीनस्थ दिल्ली में स्थित एक कॉलेज है। यह भारत के प्रसिद्ध शैक्षिक संस्थानों में से एक है, जहां कला एवं विज्ञान की उपाधियां दी जाती हैं।इस कॉलेज के कई पुराछात्र काफ़ी प्रसिद्द रहे हैं और कॉलेज के छात्रों को स्टेफेनियन कहा जाता है। .

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सेंट जेवियर्स हाई स्कूल, लोयोला हॉल, अहमदाबाद

सेंट जेवियर्स हाई स्कूल, लोयोला हॉल, अहमदाबाद, भारत की स्थापना 1956 में सोसाइटी ऑफ जीसस ने की थी। इसमें बारहवीं कक्षा के माध्यम से किंडरगार्टन शामिल है और 2006 में सह-शैक्षिक बन गया.

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हिन्दू धर्म का विश्वकोश

हिन्दू धर्म का विश्वकोश या इंसाइक्लोपीडिया ऑफ हिन्दुइज्म (Encyclopedia of Hinduism) हिन्दू धर्म एवं इससे सम्बन्धित अनेकानेक विषयों का विश्वकोश है। इसका प्रथम संस्करण २०१२ में निकला। यह ग्यारह भागों में है और अंग्रेजी भाषा में है। यह विश्वकोश ७१८४ पृष्टों में है जिसमें मन्दिरों, स्थानों, विचारकों, कर्मकाण्डों एवं त्यौहारों का विवरण रंगीन चित्रों के साथ दिया हुआ है। यह परियोजना परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानन्द सरस्वती की प्रेरणा से चली एवं फलीभूत हुई। २५ वर्षों के निरन्तर प्रयास तथा २००० से अधिक विद्वानों के योगदान से यह विश्वकोश निर्मित हुआ है। इसके सम्पादक डॉ कपिल कपूर हैं। यह विश्वकोश केवल हिन्दू धर्म तक ही सीमीति नहीं है बल्कि कला, इतिहास, भाषा, साहित्य, दर्शन, राजनीति, विज्ञान तथा नारी विषयों को भी इसमें स्थान दिया गया है। .

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हिन्दी से सम्बन्धित प्रथम

यहाँ पर हिन्दी से सम्बन्धित सबसे पहले साहित्यकारों, पुस्तकों, स्थानों आदि के नाम दिये गये हैं।.

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होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केन्द्र

होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केन्द्र (HBCSE; एचबीसीएसई) मुम्बई स्थित टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान का एक राष्ट्रीय केन्द्र है। देश में विज्ञान ‍‌और गणित शिक्षा में समता और उत्कृष्टता को ब‌ढावा देना, तथा जनमानस में वैज्ञानिक प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना इस केन्द्र के ध्येय हैं। .

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होलकर विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर

इन्दौर का होलकर विज्ञान महाविद्यालय होलकर विज्ञान महाविद्यालय इन्दौर का एक महाविद्यालय है जिसमें विज्ञान विषयों की शिक्षा की अच्छी व्यवस्था है। यह महाविद्यालय इन्दौर में आगरा-बम्बई मार्ग पर भवंरकुँआ चौराहे के पास है। 10 जून 1891 में होलकर वंश के महाराजा शिवाजीराव होलकर ने इसकी आधारशिला रखी।यह 36 एकड के भू भाग में फैला हुआ है एवं वर्तमान में गणित एवं जीवविज्ञान संकाय के 10 से अधिक विभाग संचालित है।यशवंत हाल, रेड बिल्डिंग,एकेडमिक हाल यहां के प्रमुख शिक्षण और साहित्यिक केंद्र है।वर्तमान में यहां पर स्नातक और स्ातकोत्तर के 30 से अधिक पाठयक्रम संचालित हो रहे हैं। 1985 में इस महाविद्यालय को आदर्श(माॅडल) का जबकि 1988 में यह स्वशासी(आटोनामस) का दर्जा दिया गया। वर्ष 2015-2016 में इसे नेक NACC द्वारा 'ए' ग्रेड प्रदान किया गया है। वर्तमान में लगभग 4000 विद्यार्थी यहाँ अध्ययनरत है। श्रेणी:शिक्षण संस्थान.

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जनक पाल्टा मैकगिलिगन

श्रेणी:सामाजिक कार्यकर्ता.

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जयन्त विष्णु नार्लीकर

जयन्त विष्णु नार्लीकर जयन्त विष्णु नार्लीकर (मराठी: जयन्त विष्णु नारळीकर; जन्म 19 जुलाई 1938) प्रसिद्ध भारतीय भौतिकीय वैज्ञानिक हैं जिन्होंने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए अंग्रेजी, हिन्दी और मराठी में अनेक पुस्तकें लिखी हैं। ये ब्रह्माण्ड के स्थिर अवस्था सिद्धान्त के विशेषज्ञ हैं और फ्रेड हॉयल के साथ भौतिकी के हॉयल-नार्लीकर सिद्धान्त के प्रतिपादक हैं। .

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जयश्री रामदास

जयश्री श्री रामदास (उर्फ़ तस्कर) वर्तमान में मुंबई में भारत में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के एक राष्ट्रीय केंद्र, विज्ञान शिक्षा के लिए होमी भाभा केंद्र के केंद्र निदेशक हैं (एचबीसीएसई)।  प्रोफेसर के रूप में उनकी क्षमता में वह अनुभूति और विज्ञान की शिक्षा से संबंधित स्नातक पाठ्यक्रमों को पढ़ाते हैं। वह इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड फिजिक्स  और इंटरनेशनल कमीटी ऑन फिजिक्स एजुकेशन के सदस्य के है। नवंबर 2008 में रामदास को डीन, एचबीसीएसई नियुक्त किया गया, और जून 2011 से, केंद्र निदेशक रहे। .

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जल चेतना

जल चेतना.

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जलविज्ञान

जलविज्ञान (Hydrology) विज्ञान की वह शाखा है जो जल के उत्पादन, आदान-प्रदान, स्त्रोत, सरिता, विलीनता, वाष्पता, हिमपात, उतारचढ़ाव, प्रपात, बाँध, संभरण तथा मापन आदि से संबंधित है। जो जल वृष्टि द्वारा पृथ्वी पर गिरता है, वह प्रथम तो भूमि के प्राकृतिक गुरुत्व के कारण या तो भूमि के अंतस्तल में प्रविष्ट हो जाता है, या नाली और नालिकाओं द्वारा नदियों में जा गिरता है और वहाँ से पुन: सागरों में प्रवेश करता है। कुछ जल वाष्प रूप में वायुमंडल में मिश्रित हो जाता है, कुछ वनस्पतियों द्वारा भूगर्भ से खिंचकर वायु के संपर्क से वाष्प रूप में परिवर्तित हो जाता है। पृथ्वी के अंतस्तल में प्रविष्ट जल का कुछ अंश स्त्रोतों द्वारा प्रकट होकर नदी, नालों या अन्य नीचे स्थलों पर प्रवाहित या संकलित होने लगता है। जब जल की मात्रा किसी कारण बहुत बढ़ जाती है, तो नदी, नाले बाढ़ अथवा बढ़ोत्तरी के रूप में बह निकलते हैं और यदाकदा बड़ी क्षति पहुँचाते हैं। वैसे तो पानी का बहाव प्रकृति के अकाट्य नियमों के अंतर्गत होता है, किंतु प्रत्येक स्थल की भूमि की रूपरेखा, वनस्पति, आबहवा और मनुष्य द्वारा बनाए हुए साधनों के कारण, पानी के बहाव में बहुत परिवर्तन हो जाता है। यदि किसी जगह कोई रोक हो तो उस रोक के कारण, पानी के बहाव का वेग बढ़ना आवश्यक है। इसीलिये पानी की वेगवती धारा के संपर्क में बड़ी बड़ी चट्टानें भी धीरे धीरे घुल जाती हैं। इसी कारण नदियों के मुहानों पर नदियों द्वारा लाई हुई रेत से नई भूमि बनती जाती है, जिसको डेल्टा (delta) कहते हैं। वास्तव में पृथ्वी पर बड़े बड़े मैदान, जैसे उत्तरी भारत में गंगा और सिंधु के विशाल मैदान, हिमालय से लाई हुई रेत के बने हुए हैं। इस बनावट में सहस्त्रों क्या करोड़ों वर्ष लगे होंगे। अब भी गंगा के मुहाने पर सुंदरवन आदि के क्षेत्र प्राकृतिक जलागमन द्वारा ही बढ़ते चले जा रहे हैं। पृथ्वी के अंतस्तल में भी जल की अनेक परतें स्थित हैं। कहीं कहीं जल पृथ्वी तल के समीप मिलता है और कहीं पर अधिक गहराई में। इस क्षेत्र में जलविज्ञान का संबंध भूगर्भ विद्या से हो जाता है। जलोत्पादन के निमित्त जहाँ बड़े बड़े कूप खोदे जाते हैं या कृत्रिम नलकूप बनाए जाते हैं, वहाँ यह प्रकट हाता है कि रेत की परतों में जो जल विद्यमान है, वह अवसर मिलने पर साधारण जलस्त्रोत के तल तक आ जाता है। कभी कभी जल पृथ्वी के गर्भ में प्रविष्ट होकर वहाँ उसी दशा में सहस्त्रों वर्ष पड़ा रहता है। कुछ जलराशि धीरे धीरे समुद्र की ओर भूगर्भ में प्रवाहित होती रहती है। इस दिशा में जलविज्ञान की प्रगति अभी बहुत सीमित है। प्रवाहित जल का मापन भी जलविज्ञान का एक विशेष अंग है। इसका प्रयोग विशेषत: भूमिसिंचन के साधनों में जलविद्युत्, पनचक्की आदि में होता है। आजकल के युग में तो बहुत से कारखानों में भी जल का प्रयोग ठंडक पहुँचाने अथवा जल द्वारा चालित मशीनों को चलाने के लिये होता है। अत: भिन्न भिन्न प्रकार की जलमापन की विधियों का होना अनिवार्य है। बड़ी नदियों में जब बाढ़ आती है, उस समय जलमापन एक समस्या बन जाता है, क्योंकि नदियों के तल में रेत और मिट्टी भी जल के साथ बहती चलती है। वैसे जलमापन के निमित्त बहुत से यंत्र बन चुके हैं, जैसे धारावेगमापी (Current meter) आदि वर्षा द्वारा प्राप्त जल के मापन के लिये जगह जगह यंत्र लगाए जाते हैं, जिससे इस बात का अनुमान हो सके कि कितना जल वर्षा द्वारा प्राप्त होता है, कितना नदियों द्वारा समुद्र में चला जाता हे, कितना भूगर्भ में प्रविष्ट हो जाता हे और कित वाष्प में परिवर्तित होता है। जल के आवागमन का यही ज्ञान साधारणतया जलविज्ञान कहलाता है। .

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जिन्न

'जिन्न' एक काल्पनिक रूप में जादूई शक्तियो से पूर्ण इंसानो का नाम है। यह कभी उन इंसानों (पुरुष) के लिए प्रयोग होता है जो मात्र अपनी इच्छा से अपने जीवन के सभी जरूरी कार्ये कर सकते है। वह गायब हो सकते है, उड़ सकते हैं, किसी भी जीव या वस्तु का रूप धारण कर सकते है, किसी भी स्थान तक मात्र अपनी इच्छा से पहुच सकते है, और किसी भी वस्तु को मात्र अपनी इच्छा से पा सकते हैं। वह उन सभी कार्यों को जिसे एक इंसान कई सालों की मेहनत से कर पाता है वह मात्र अपनी इच्छा से कर सकते हैं। इस तरह के जादूई शक्तियो से पूर्ण इंसानो का धार्मिक किताबों व कहानियों में तो जिक्र है पर इनकी सच्चाई का कोई पुख्ता सबूत ना होने की वजह से विज्ञान इन्हे अंधविस्वास मानता है। श्रेणी:काल्पनिक जीव रूप.

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, (Jawaharlal Nehru University) संक्षेप में जे॰एन॰यू॰, नई दिल्ली के दक्षिणी भाग में स्थित केन्द्रीय विश्‍वविद्यालय है। यह मानविकी, समाज विज्ञान, विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न भारत के अग्रणी संस्थानों में से है। जेएनयू को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NACC) ने जुलाई 2012 में किये गए सर्वे में भारत का सबसे अच्छा विश्वविद्यालय माना है। NACC ने विश्वविद्यालय को 4 में से 3.9 ग्रेड दिया है, जो कि देश में किसी भी शैक्षिक संस्थान को प्रदत उच्चतम ग्रेड है .

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ज्ञान (भारतीय)

भारतीय धर्मों में ज्ञान का अर्थ इसके सामान्य अर्थ से कुछ भिन्न है। उदाहरण के लिए जब हम कहते हैं कि 'महात्मा बुद्ध को बड़ी तपस्या के बाद ज्ञान की प्राप्ति हुई' तो इसका अर्थ 'विशेष ज्ञान' से है। .

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ज्यामिति

ब्रह्मगुप्त ब्रह्मगुप्त का प्रमेय, इसके अनुसार ''AF'' .

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जैव संरक्षण

जैव संरक्षण, प्रजातियां, उनके प्राकृतिक वास और पारिस्थितिक तंत्र को विलोपन से बचाने के उद्देश्य से प्रकृति और पृथ्वी की जैव विविधता के स्तरों का वैज्ञानिक अध्ययन है। यह विज्ञान, अर्थशास्त्र और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के व्यवहार से आहरित अंतरनियंत्रित विषय है। शब्द कन्सर्वेशन बॉयोलोजी को जीव-विज्ञानी ब्रूस विलकॉक्स और माइकल सूले द्वारा 1978 में ला जोला, कैलिफ़ोर्निया स्थित कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय में आयोजित सम्मेलन में शीर्षक के तौर पर प्रवर्तित किया गया। बैठक वैज्ञानिकों के बीच उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई, लुप्त होने वाली प्रजातियों और प्रजातियों के भीतर क्षतिग्रस्त आनुवंशिक विविधता पर चिंता से उभरी.

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जेफ्री सी॰ हॉल

जेफ्री कॉनर हॉल (जन्म; ०३ मई १९४५) एक अमेरिकी आनुवंशिक और क्रोनोबोलॉजिस्ट है। हॉल ब्रैंडिस विश्वविद्यालय में जीव विज्ञान के प्रोफेसर एमेरिटस हैं और वर्तमान में कैम्ब्रिज, मैन में रहते हैं। हॉल ने अपने कैरियर में फ्लाई प्रलय और तंत्रिका तंत्र के न्यूरोलॉजिकल घटक की जांच की है। ड्रोसोफिला मेलानोगस्टर के न्यूरोलॉजी और व्यवहार पर अपने शोध के माध्यम से, हॉल ने जैविक घड़ियों के आवश्यक तंत्रों पर काफी कार्य किया और नर्वस सिस्टम में यौन भेदभाव की नींव पर प्रकाश डाला। ये क्रानुविज्ञान के क्षेत्र में क्रांतिकारी कार्य के लिए नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के लिए चुने गए थे। इसके अलावा माइकल डब्लू और यंग और माइकल रोजबाश के साथ, उन्हें सर्जिकडियन लय को नियंत्रित करने वाले आणविक तंत्र की अपनी खोजों के लिए फिजियोलॉजी या मेडिसिन में २०१७ में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जोनिथा गाँधी

जोनिथा गाँधी (जन्म-२३ अक्तूबर,१९८९), एक इंडो-कैनेडियन गायक है। वह अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, बंगाली, तेलुगू और कन्नड़ में प्रमुखता से गाती है। .

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जीव विज्ञान

जीवविज्ञान भांति-भांति के जीवों का अध्ययन करता है। जीवविज्ञान प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। इस विज्ञान में हम जीवों की संरचना, कार्यों, विकास, उद्भव, पहचान, वितरण एवं उनके वर्गीकरण के बारे में पढ़ते हैं। आधुनिक जीव विज्ञान एक बहुत विस्तृत विज्ञान है, जिसकी कई शाखाएँ हैं। 'बायलोजी' (जीवविज्ञान) शब्द का प्रयोग सबसे पहले लैमार्क और ट्रविरेनस नाम के वैज्ञानिको ने १८०२ ई० में किया। जिन वस्तुओं की उत्पत्ति किसी विशेष अकृत्रिम जातीय प्रक्रिया के फलस्वरूप होती है, जीव कहलाती हैं। इनका एक परिमित जीवनचक्र होता है। हम सभी जीव हैं। जीवों में कुछ मौलिक प्रक्रियाऐं होती हैं.

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वानिकी

आस्ट्रिया में वानिकी वनों का सृजन, प्रबन्धन, उपयोग एवं संरक्षण की विधा को वानिकी (Forestry) कहा जाता है। यह विज्ञान, कला और कारीगरी (क्राफ्ट) का मिश्रण है। .

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विद्या अर्नाकले

विद्या अविनाश अर्नाकुल (जन्म 1 9 52) एक भारतीय वाइरसविज्ञानी हैं। .

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विद्युत अभियान्त्रिकी

विद्युत अभियन्ता, वैद्युत-शक्ति-तन्त्र का डिजाइन करते हैं; और … … जटिल एलेक्ट्रानिक तन्त्रों का डिजाइन भी करते हैं। नियंत्रण तंत्र आधुनिक सभ्यता का अभिन्न अंग है। यह विद्युत अभियान्त्रिकी का भी प्रमुख विषय है। विद्युत अभियान्त्रिकी विद्युत और विद्युतीय तरंग, उनके उपयोग और उनसे जुड़ी तमाम तकनीकी और विज्ञान का अध्ययन और कार्य है। प्रायः इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स भी शामिल रहता है। इसमे मुख्य रूप से विद्युत मशीनों की कार्य विधि एवं डिजाइन; विद्युत उर्जा का उत्पादन, संचरण, वितरण, उपयोग; पावर एलेक्ट्रानिक्स; नियन्त्रण तन्त्र; तथा एलेक्ट्रानिक्स का अध्ययन किया जाता है। एक अलग व्यवसाय के रूप में वैद्युत अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम भाग में हुआ जब विद्युत शक्ति का व्यावसायिक उपयोग होना आरम्भ हुआ। आजकल वैद्युत अभियांत्रिकी के अनेकों उपक्षेत्र हो गये हैं। .

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विधान परिषद

विधान परिषद कुछ भारतीय राज्यों में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। विधान परिषद विधानमंडल का अंग है। आंध्र प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के रूप में, (उन्तीस में से) सात राज्यों में विधान परिषद है। इसके अलावा, राजस्थान और असम को भारत की संसद ने अपने स्वयं के विधान परिषद बनाने की मंजूरी दे दी है। .

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विधिशास्त्र

न्यायशास्त्र के दार्शनिक स्वयं से ही प्रश्न करते रहते हैं - "नियम क्या है?"; "क्या नियम होना चाहिये?" विधिशास्त्र या न्यायशास्त्र (Jurisprudence), विधि का सिद्धान्त, अध्ययन व दर्शन हैं। इसमें समस्त विधिक सिद्धान्त सम्मिलित हैं, जो क़ानून बनाते हैं। विधिशास्त्र के विद्वान, जिन्हें जूरिस्ट या विधिक सिद्धान्तवादी (विधिक दार्शनिक और विधि के सामाजिक सिद्धान्तवादी, समेत) भी कहा जाता हैं, विधि, विधिक कारणन, विधिक प्रणाली और विधिक संस्थाओं के प्रकृति की गहरी समझ प्राप्त कर पाने की आशा रखते हैं। विधि के विज्ञान के रूप में विधिशास्त्र विधि के बारे में एक विशेष तरह की खोजबीन है। विधिशास्त्र "जूरिसप्रूडेंस" अर्थात् Juris .

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विनिता बल

  विनीता बल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी में एक वैज्ञानिक हैं और वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत विज्ञान में महिलाओं के लिए प्रधान मंत्री की टास्क फोर्स का सदस्य थी।  .

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विलगित तंत्र

प्राकृतिक विज्ञानों के अन्तर्गत विलगित तंत्र अथवा विलगित निकाय (isolated system) वह तंत्र है जो अपने परिवेश से कोई संक्रिया नहीं करता है। यह खुले तंत्र (open system) के विपरीत है। इस प्रकार का तंत्र कई संरक्षण नियमों (conservation laws) का पालन करता है। इसकी कुल उर्जा एवं द्रव्यमान अपरिवर्तित (constant) रहता है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ही इसका आदर्श उदाहरण है। .

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विल्हेम वुण्ट

विल्हेम मैक्समिलियन वुण्ट (Wilhelm Maximilian Wundt; 16 अगस्त, 1832 – 31 अगस्त, 1920) जर्मनी के चिकित्सक, दार्शनिक, प्राध्यापक थे जिन्हें आधुनिक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है। वुण्ट ने मनोविज्ञान को विज्ञान माना और उन्होने ही सबसे पहले अपने आप को मनोवैज्ञानिक कहा।Carlson, Neil and Heth, C. Donald (2010) Psychology the Science of Behaviour.

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विशुद्धानन्द परमहंस

स्वामी विशुद्धानन्द परमहंसदेव एक आदर्श योगी, ज्ञानी, भक्त तथा सत्य संकल्प महात्मा थे। परमपथ के इस प्रदर्शक ने योग तथा विज्ञान दोनों ही विषयों में परमोच्च स्थिति प्राप्त कर ली थी। श्रेणी:योगी.

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विश्व के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और उनके अविष्कारों का संक्षिप्त वर्णन

अंग्रेज भौतिकविद विलियम हेनरी ब्रेग (१८६२-१९४२) और उनके पुत्र विलियम लॉरेन्स ब्रेग ने खोज की कि जब क्ष-किरण क्रिस्टल में से होकर गुजरती है तो वो फोटोग्रफिक फिल्म पर बिन्दुओ की विशिष्ट प्रतिकृति बनाती है। यह प्रतिकृति क्रिस्टल के भीतर मौजुद परमाणुओ कि विशिष्ट व्यवस्था को दर्शाती है। श्रेणी:वैज्ञानिक.

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विश्वज्ञानकोश

विश्वज्ञानकोश, विश्वकोश या ज्ञानकोश (Encyclopedia) ऐसी पुस्तक को कहते हैं जिसमें विश्वभर की तरह तरह की जानने लायक बातों को समावेश होता है। विश्वकोश का अर्थ है विश्व के समस्त ज्ञान का भंडार। अत: विश्वकोश वह कृति है जिसमें ज्ञान की सभी शाखाओं का सन्निवेश होता है। इसमें वर्णानुक्रमिक रूप में व्यवस्थित अन्यान्य विषयों पर संक्षिप्त किंतु तथ्यपूर्ण निबंधों का संकलन रहता है। यह संसार के समस्त सिद्धांतों की पाठ्यसामग्री है। विश्वकोश अंग्रेजी शब्द "इनसाइक्लोपीडिया" का समानार्थी है, जो ग्रीक शब्द इनसाइक्लियॉस (एन .

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विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) वह संस्था है जिसमें सभी प्रकार की विद्याओं की उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती हो, परीक्षा ली जाती हो तथा लोगों को विद्या संबंधी उपाधियाँ आदि प्रदान की जाती हों। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के मैदान, भवन, प्रभाग, तथा विद्यार्थियों का संगठन आदि भी सम्मिलित हैं। .

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विसर्पी गणक

एक छात्रोपयोगी दस-इंची स्लाइड रूल विसर्पी गणक या स्लाइड रूल (slide rule) एक यांत्रिक एनालॉग कम्प्यूटर है। यह एक यांत्रिक युक्ति है जिसका उपयोग मुख्य रूप से गुणा और भाग करने के लिये किया जाता था/है। इसके अधिक विकसित रूपों में अनेक "वैज्ञानिक फलनों" जैसे वर्गमूल, लघुगणक एवं त्रिकोणमित्तीय फलनों की गणना करने की सुविधा भी प्रदत्त होती थी, किन्तु इसका उपयोग प्राय: जोड़ने और घटाने के लिये नहीं किया जाता था/है क्योंकि ये बहुत आसान क्रियाएँ समझी जातीं हैं। जेब-गणकों (पॉकेट कैलकुलेटरों) के आने के पहले स्लाइड रूल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सर्वाधिक उपयोग में आने वाला उपकरण था। इसका उपयोग १९५० और १९६० के दशक तक वृद्धि पर था। किन्तु सन् १९७४ के आसपास इलेक्ट्रानिक "वैज्ञानिक परिकलकों" के आने से स्लाइड रूल का उपयोग एकाएक बन्द हो गया। स्लाइड रूल विविध प्रकार के आकार-प्रकार और रंग रूप के बनाये जाते हैं और इनमें एक-दो या बहुत प्रकार की गणना करने की सुविधा दी होती है। किन्तु मोटे तौर पर ये रेखीय या वृत्तीय आकार के होते हैं जिस पर गणना करने में सहायक मानक चिह्न बने होते हैं। .

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विजमान विज्ञान संस्थान

200px विजमान विज्ञान संस्थान (हिब्रू: מכון ויצמן למדע Machon Weizmann LeMada), इजराइल के रेहोवोत (Rehovot) नगर में स्थित विश्वविद्यालय एवं शोध संस्थान है। यह संस्थान इजराइल के अन्य संस्थानों से इस मामले में भिन्न है कि यहाँ केवल विज्ञान की स्नातक एवं परास्नातक स्तर की शिक्षा दी जाती है। यह विश्व के अग्रणी शोध केन्द्रों में से एक है जहाँ २५०० वैज्ञानिक, पोस्टडॉक्टोरल फेलो, पीएचडी एवं एम्एससी छात्र एवं अन्य कर्मचारी हैं। सन् २०११ में न्यू साइंटिस्ट नामक पत्रिका ने इस संस्थान को विश्व के गैर-अमेरिकी संस्थानों में सर्वश्रेष्ठ काम करने लायक संस्था बताया है। .

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत्त कार्यरत्त एक विभाग है। यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ाने के लिए है। श्रेणी:भारत सरकार श्रेणी:विज्ञान श्रेणी:प्रौद्योगिकी.

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विज्ञान नगरी, कोलकाता

कोलकाता की विज्ञान नगरी विज्ञान से सम्बन्धित एक प्रदर्शनी एवं संग्रहालय है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में अपने तरह का सबसे बड़ा विज्ञान केन्द्र है। यह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अन्तर्गत आता है। इसमें दो सुविधाएँ हैं– विज्ञान केन्द्र एवं सम्मेलन केन्द्र। विज्ञान नगरी परिसर में स्पेस ओडीसी, डायनामोशन, क्रम-विकास पार्क, समुद्रवर्ती केन्द्र और एक विज्ञान पार्क है। स्पेस ओडीसी में प्रथम दीर्घाकार फार्मेट चलचित्र प्रेक्षागृह, समय यंत्र, 3-विमीय दृश्य प्रेक्षागृह, दर्पण का जादू और अंतरिक्ष विज्ञान, गतिविद्युत एवं कल्पित सत्य पर प्रदर्श (मॉडल) हैं। दर्शकों की शिक्षा तथा उनके मनोरंजन दोनों के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कोना, जल जीवशाला, भीमकाय रोबोटिक कीड़ों पर एक प्रदर्शनी तथा अनेक अन्त:क्रियात्मक प्रदर्श हैं। सम्मेलन केन्द्र परिसर में एक बड़ा प्रेक्षागृह (2232 आसन क्षमता वाला), एक छोटा प्रेक्षागृह (392 आसन क्षमता) और एक संगोष्ठी कक्ष है जिसमें 15 से लेकर 100 की आसन क्षमता, अन्त: गृह (270 वर्ग मीटर) और मुक्त प्रांगन प्रदर्शनी स्थल (20000 वर्ग मीटर) है। प्रेक्षागृह एवं संगोष्ठी कक्ष पूर्णत: वातानुकुलित हैं। कम्पनी की वार्षिक आम सभाओं तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए विज्ञान नगरी का सम्मेलन केन्द्र सर्वाधिक पसंदीदा स्थल है। .

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विज्ञान परियोजना

विज्ञान परियोजना में सौरमण्डल का प्रतिरूप प्रदर्शित करता छात्र। विज्ञान की किसि विधा (जैसे भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान आदि) में मॉडल बनाना या कोई वैज्ञानिक प्रयोग करना विज्ञान परियोजना (science project) कहलाती है। यह छात्रों के लिये शैक्षिक गतिविधि है जिसमें वे कुछ अपने-आप करने की कोशिश करते हुए सीखते हैं। कभी-कभी विद्यार्थी अपने इन विज्ञान-परियोजनाओं को विज्ञान मेलों में प्रदर्शित करते हैं। आजकल पूरे विश्व में छात्रों को विज्ञान परियोजनाएं करी और करायी जातीं हैं। .

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विज्ञान प्रगति

विज्ञान प्रगति हिन्दी की एक विज्ञान पत्रिका है। विज्ञान प्रगति ने हिन्दी विज्ञान पत्रकारिता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। .

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विज्ञान भारती

विज्ञान भारती, (या, 'विभा') भारत की एक अशासकीय संस्था है जो भारत में स्वदेशी विज्ञान के विकास के लिए एक जीवंत आंदोलन के रूप में परिकल्पित है। इसकी संस्थापना सन् १९९२ में जबलपुर में हुई थी। इसका ध्येयवाक्य (मोट्टो) है - 'अविद्यया मृत्युं तीर्वा विद्ययामृतमश्नुते'। (अर्थ: अविद्या द्वारा मृत्यु को पार करते हुए विद्या द्वारा अमरता को प्राप्त होता है।) .

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विज्ञान मेला

विज्ञान मेले में प्रदर्शित कुछ मॉडल विज्ञान मेला (Science fair) एक स्पर्धा है जिसमें प्रतिस्पर्धी अपनी-अपनी विज्ञान परियोजना प्रस्तुत करते हैं। विज्ञान मेले माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर के छात्रों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अभिरुचि पैदा करने एवं अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करते हैं। चात्र अपने प्रोजेक्ट के परिणामों को रिपोर्ट के रूप में, डिस्प्ले बोर्ड के रूप में या मॉडल के रूप में प्रस्तुत करते हैं। .

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विज्ञान संचार

विज्ञान संचार (Science communication) का सामान्य अर्थ संचार-माध्यमों के द्वारा गैर-वैज्ञानिक समाज को विज्ञान के विविध पहलुओं एवं विषयों के बारे में सूचना देना है। कभी-कभी यह काम व्यावसायिक वैज्ञानिकों द्वारा भी किया जाता है। (तब इसे 'विज्ञान का लोकीकरण' कहा जाता है।)। विज्ञान संचार अपने-आप में एक पेशेवर क्षेत्र बन चुका है। .

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विज्ञान स्नातक

पाँच वर्ष विज्ञान स्नातक विज्ञान क्षेत्र में स्नातक उपाधि होती है। श्रेणी:स्नातक उपाधियाँ.

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विज्ञान स्नातकोत्तर

विज्ञान स्नातकोत्तर (अंग्रेज़ी:मास्टर्स इन साइंस, लघु:एम.एससी) विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि होती है। श्रेणी:शैक्षणिक उपाधियाँ श्रेणी:स्नातकोत्तर उपाधि श्रेणी:विज्ञान की उपाधि.

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विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (भारत)

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (जिसे लघु रूप में डीएसटी भी कहते हैं) भारत सरकार का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों को बढ़ावा देने के उद्देश्य उन विषयों से सम्बन्धित गतिविधियों के आयोजन एवं समन्वय के लिए स्थापित किया गया एक विभाग है। इसकी स्थापना मई १९७१ में की गई थी। यह भारत में एक नोडल विभाग की भूमिका निभाने का कार्य करता है। यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन आता है। .

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विज्ञान कथा साहित्य

विज्ञान कथा, काल्पनिक साहित्य की ही वह विधा है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संभावित परिवर्तनों को लेकर उपजी मानवीय प्रतिक्रिया को कथात्मक अभिव्यक्ति देती है। मेरी शेली की 'द फ्रन्केनस्टआईन' पहली विज्ञान कथात्मक कृति मानी जाती है। अमेरिका और ब्रिटेन में विगत सदी में बेह्तरीन विज्ञान कथाएं लिखी गयी है- आइजक आजीमोव, आर्थर सी क्लार्क, रोबर्ट हेनलीन प्रसिद्ध विज्ञान कथा लेखक रहे हैं। अब तीनों दिवंगत हैं। .

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विज्ञान का दर्शन

विज्ञान के दर्शन के अन्तर्गत विज्ञान (जिसमे प्राकृतिक विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान शामिल हैं) के दार्शनिक तथा तार्किक पूर्वधारणाओं, नींव तथा उनसे निकलने वाले परिणामों का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार, विज्ञान के दर्शन में निम्नलिखित विषयों पर ध्यान दिया जाता है: अभिधारणाओं का चरित्र एवं विकास, परिकल्पनाएं, तर्क एवं निष्कर्ष, जिस प्रकार विज्ञान में इन्का उपयोग होता है; किस प्रकार से विज्ञान में प्राकृतिक घटनाओं की व्याख्या तथा भविष्यवाणी होती है; वैज्ञानिक निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए किस प्रकार के तर्क का प्रयोग होता है; वैज्ञानिक विधि का सूत्रीकरण, कार्यक्षेत्र और उसकी सीमाएँ; वे साधन जिनके द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि कब किसी वैज्ञानिक तथ्य को समुचित वस्तुनिष्ठ समर्थन प्राप्त है; तथा वैज्ञानिक विधि और नमूनों के प्रयोग के परिणाम। .

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विज्ञान का राजनीतीकरण

राजनैतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विज्ञान में हेरफेर करना विज्ञान का राजनीतीकरण कहलाता है। जब कोई सरकार, व्यापारिक संगठन, या ऐडवोकेसी समूह कानूनी या आर्थिक दबाव का उपयोग करके किसी वैज्ञानिक अनुसंधान के निष्कर्षों को प्रभावित करता है या निष्कर्षों को तोड़मड़ोरकर प्रस्तुत करता है, तो यह विज्ञान का राजनीतीकरण है। विज्ञान के राजनीतीकरण का शैक्षणिक एवं वैज्ञानिक स्वतातंत्रता पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐतिहासिक रूप से देखा जा सकता है कि कुछ समूहों ने अपने निजी हितों की पूर्ति के लिए वैज्ञानिक तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा है जिससे अन्ततः सार्वजनिक नीतियों को अपने हित में मोड़ने में सफल हुए। श्रेणी:विज्ञान.

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विज्ञान का इतिहास

Letter to Robert Hooke (15 फ़रवरी 1676 by Gregorian reckonings with January 1st as New Years Day. equivalent to 5 फ़रवरी 1675 using the Julian calendar with March 25th as New Years Day--> विज्ञान का इतिहास से तात्पर्य विज्ञान व वैज्ञानिक ज्ञान के ऐतिहासिक विकास के अध्ययन से है। यहाँ 'विज्ञान' के अन्तर्गत प्राकृतिक विज्ञान व सामाजिक विज्ञान दोनों सम्मिलित हैं। .

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विज्ञान के नियम

उन भौतिक नियमों को विज्ञान के नियम कहा जाता है जो सार्वत्रिक (universal) समझे जाते हैं तथा जो भौतिक जगत के अपरिवर्तनशील तथ्य हैं। किन्तु फिर भी, यदि कोई नया तथ्य या साक्ष्य मिलता है जो इस नियम के विरुद्ध हो तो विज्ञान के नियम असत्य सिद्ध हो सकते हैं। "नियम", परिकल्पना (hypotheses), सिद्धान्त (theories), अभिगृहीत (postulates), प्रिंसिपल (principle) आदि से इस मामले में अलग है कि नियम विश्लेषणात्मक कथन (analytic statement) होता है जिसमें प्राय: प्रयोग द्वारा कोई नियतांक प्राप्त किया गया होता है। किसी सिद्धान्त में कई नियम हो सकते हैं या वह सिद्धान्त किसी नियम से इंगित होता हो सकता है। .

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विकिरण सुरक्षा

परिरक्षण (शिल्डिंग) के लिये प्रयोग किये गये सीसा के ब्लॉक आयनकारी विकिरण के हानिकारक प्रभावों से व्यक्तियों एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखने वाले विज्ञान एवं व्यवहार का नाम विकिरण संरक्षा या विकिरण सुरक्षा (Radiation protection या radiological protection) है। उद्योग एवं चिकित्सा में आयनकारी विकिरण का बहुतायत से उपयोग होता है। इस कारण यह स्वास्थ्य के लिये बहुत बड़ा खतरा पैदा कर सकता है यदि इससे बचने एवं इसकी मात्रा को सीमित रखने से समुचित प्रबन्ध न किये जाँय। आयनकारी विकिरण जीवित ऊतकों का सूक्ष्मस्तरीय नुकसान पहुँचाता है जिससे त्वचा जल सकती है। इसके अलावा इस विकिरण के उच्च मात्रा में सम्पर्क में आने से 'विकिरण बिमारी' (radiation sickness) हो सकती है। कम मात्रा में लेने पर भी कैंसर होने की सम्भावना बढ जाती है। विकिरण से सुरक्षा का मूलभूत तरीका है कि विकिरण के प्रभाव में कम से कम आयें (reduction of expected dose) तथा मानव द्वारा लिये गये विकिरण डोज का सतत मापन करते रहना। .

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व्यावहारिकतावाद

प्रयोजनवाद या फलानुमेयप्रामाण्यवाद या व्यवहारवाद अंगरेजी के "प्रैगमैटिज़्म" (Pragmatism) का समानार्थवाची शब्द है और प्रैगमैटिज़्म शब्द यूनानी भाषा के 'Pragma' शब्द से बना है, जिसका अर्थ "क्रिया" या "कर्म" होता है। तदनुसार "फलानुमेयप्रामाण्यवाद" एक ऐसी विचारधारा है जो ज्ञान के सभी क्षेत्रों में उसके क्रियात्मक प्रभाव या फल को एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान देती है। इसके अनुसार हमारी सभी वस्तुविषयक धारणाएँ उनके संभव व्यावहारिक परिणामों की ही धारणाएँ होती हैं। अत: किसी भी बात या विचार को सही सही समझने के लिए उसके व्यावहारिक परिणामों की परीक्षा करना आवश्यक है। प्रयोजनवाद एक नवीनतम् दार्शनिक विचारधारा है। वर्तमान युग में दर्शन एवं शिक्षा के विभिन्न विचारधाराओं में इस विचारधारा को सबसे अधिक मान्यता प्राप्त है। यथार्थवाद ही एक ऐसी विचारधारा है जिसका बीजारोपण मानव-मस्तिष्क में अति प्राचीन काल में ही हो गया था। यथार्थवाद किसी एक सुगठित दार्शनिक विचारधारा का नाम न होकर उन सभी विचारों का प्रतिनिधित्व करता है जो यह मानते हैं कि वस्तु का अस्तित्व स्वतंत्र रूप से है। आदर्शवादी यह मानता है कि ‘वस्तु’ का अस्तित्व हमारे ज्ञान पर निर्भर करता है। यदि यह विचार सही है तो वस्तु की कोई स्थिति नहीं है। इसके ठीक विपरीत यथार्थवादी मानते हैं कि वस्तु का स्वतंत्र अस्तित्व है चाहे वह हमारे विचारों में हो अथवा नहीं। वस्तु तथा उससे सम्बन्धित ज्ञान दोनों पृथक-पृथक सत्तायें है। संसार में अनेक ऐसी वस्तुयें हैं जिनके सम्बन्ध में हमें जानकारी नहीं है परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि वे अस्तित्व में है ही नहीं। कहने का तात्पर्य यह है कि वस्तु की स्वतंत्र स्थिति है। हमारा ज्ञान हमको उसकी स्थिति से अवगत कराता है परन्तु उसके बारे में हमारा ज्ञान न होने से उसका अस्तित्व नष्ट नहीं हो जाता। वैसे ज्ञान प्राप्ति के साधन के विषय में यथार्थवादी, प्रयोजनवाद के समान वैज्ञानिक विधि को ही सर्वोत्तम विधि मानता है और निगमन विधि का आश्रय लेता है। .

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व्याकरण (वेदांग)

वेदांग (वेद के अंग) छ: हैं, जिसमें से व्याकरण एक है। संस्कृत भाषा को शुद्ध रूप में जानने के लिए व्याकरण शास्त्र का अधययन किया जाता है। अपनी इस विशेषता के कारण ही यह वेद का सर्वप्रमुख अंग माना जाता है। इसके मूलतः पाँच प्रयोजन हैं - रक्षा, ऊह, आगम, लघु और असंदेह। व्याकरण की जड़ें वैदिकयुगीन भारत तक जाती हैं। व्याकरण की परिपाटी अत्यन्त समृद्ध है जिसमें पाणिनि का अष्टाध्यायी नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ भी शामिल है। 'व्याकरण' से मात्र 'ग्रामर' का अभिप्राय नहीं होता बल्कि यह भाषाविज्ञान के अधिक निकट है। साथ ही इसका दार्शनिक पक्ष भी है। संस्कृत व्याकरण वैदिक काल में ही स्वतंत्र विषय बन चुका था। नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात - ये चार आधारभूत तथ्य यास्क (ई. पू. लगभग 700) के पूर्व ही व्याकरण में स्थान पा चुके थे। पाणिनि (ई. पू. लगभग 550) के पहले कई व्याकरण लिखे जा चुके थे जिनमें केवल आपिशलि और काशकृत्स्न के कुछ सूत्र आज उपलब्ध हैं। किंतु संस्कृत व्याकरण का क्रमबद्ध इतिहास पाणिनि से आरंभ होता है। संस्कृत व्याकरण का इतिहास पिछले ढाई हजार वर्ष से टीका-टिप्पणी के माध्यम से अविच्छिन्न रूप में अग्रसर होता रहा है। इसे सजीव रखने में उन ज्ञात अज्ञात सहस्रों विद्वानों का सहयोग रहा है जिन्होंने कोई ग्रंथ तो नहीं लिखा, किंतु अपना जीवन व्याकरण के अध्यापन में बिताया। .

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व्यवहारवादी नीतिशास्त्र

व्यवहारवादी नीतिशास्त्र मानदण्डक दार्शनिक नीतिशास्त्र का एक सिद्धान्त हैं। नीतिशास्त्रीय व्यवहारवादी, जैसे कि जॉन डूई मानते हैं कि, कुछ समाज ने उसी तरह नैतिक रूप से प्रगति की हैं, जैसे उन्होंने विज्ञान में प्रगति प्राप्त की हैं। .

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व्यूहों की सूची

मैट्रिक्स का संगठन इस पृष्ठ पर इंजीनियरिंग, विज्ञान और गणित में प्रयुक्त प्रमुख व्यूहों की सूची दी गयी है। व्यूहों का अध्ययन एवं अनुप्रयोग का लम्बा इतिहास है। इसलिये उन्हें तरह-तरह से वर्गीकृत किया जाता रहा है। वर्गीकरण का एक तरीका यह है कि व्यूहों को उनके अवयवों के आधार पर वर्गीकृत किया जाय। उदाहरण के लिये नीचे आइडेंटिटी मैट्रिक्स दी गयी है- वर्गीकरण का दूसरा आधार मैट्रिक्स का आगेनवैल्यू है। इसके अलावा गणित, रसायन शास्त्र और भौतिक विज्ञान, तथा अन्य विज्ञानों में कुछ विशेष तरह के मैट्रिक उपयोग में आते हैं। .

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वैज्ञानिक

रूस शोधकर्ता नई पृथ्वी की खाड़ी में प्रयोगशाला अनुसंधान के लिए सामग्री इकट्ठा। कोई भी व्यक्ति जो ज्ञान प्राप्ति के लिये विधिवत (systematic) रूप से कार्यरत हो उसे वैज्ञानिक (scientist) कहते हैं। किन्तु एक सीमित परिभाषा के अनुसार वैज्ञानिक विधि का अनुसरण करते हुए किसी क्षेत्र में ज्ञानार्जन करने वाले व्यक्ति को वैज्ञानिक कहते हैं। .

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वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद भारत का सबसे बड़ा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान एवं विकास संबंधी संस्थान है। इसकी स्थापना १९४२ में हुई थी। इसकी ३९ प्रयोगशालाएं एवं ५० फील्ड स्टेशन भारत पर्यन्त फैले हुए हैं। इसमें १७,००० से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। आधिकारिक जालस्थल हालांकि इसकी वित्त प्रबंध भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा होता है, फिर भी ये एक स्वायत्त संस्था है। इसका पंजीकरण भारतीय सोसायटी पंजीकरण धारा १८६० के अंतर्गत हुआ है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं/संस्थानों का एक बहुस्थानिक नेटवर्क है जिसका मैंडेट विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयुक्त अनुसंधान तथा उसके परिणामों के उपयोग पर बल देते हुए अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं प्रारंभ करना है। वतर्मान में ३९ अनुसंधान संस्थान हैं जिनमें पाँच क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाएं शामिल हैं। इनमें से कुछेक संस्थानों ने अपने अनुसंधान क्रियाकलापों को और गति प्रदान करने के लिए प्रायोगिक, सर्वेक्षण क्षेत्रीय केन्द्रों की भी स्थापना की है तथा वतर्मान में 16 प्रयोगशालाओं से सम्बद्ध ऐसे 39 केन्द्र कायर्रत हैं। सीएसआईआर की गिनती विश्‍व में इस प्रकार के 2740 संस्‍थानों में 81वें स्‍थान पर होती है।(सितंबर २०१४) .

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वैज्ञानिक परिकलित्र

कैशियो कम्पनी का FX-77 कैल्कुलेटर: सौर-ऊर्जा से चलने वाला, एक लाइन डिस्प्ले वाला यह वैज्ञानिक परिकलित्र १९८० के दशक में प्रचलित हुआ था। टेक्सास इंस्ट्रुमेण्ट्स (TI) का ग्राफीय परिकलित्र उन इलेक्ट्रॉनिक परिकलित्रों को वैज्ञानिक परिकलित्र (scientific calculator) कहते हैं जो विज्ञान, इंजीनियरी तथा गणित की गणनाओं के लिए प्रयुक्त होते हैं। साधारण परिकलित्रों में केवल जोड़, घटाना, गुणा, भाग आदि साधारण गणितीय कार्य की सुविधा होती है जबकि वैज्ञानिक परिकलित्रों में इनके अतिरिक्त त्रिकोणमितीय, लघुगणकीय, घात, संख्याओं का वैज्ञानिक निरूपण, आदि की क्रियाएँ भी की जा सकतीं हैं। वैज्ञानिक परिकलित्रों के आने से स्लाइड रूल का प्रयोग लगभग पूरी तरह समाप्त हो गया। अब उच्च शिक्षा तथा अन्य उच्च कार्यों में वैज्ञानिक परिकलित्र का स्थान ग्राफीय परिकलित्रों (graphing calculators) ने ले लिया है। ये परिकलित्र वैज्ञानिक परिकलित्र का सारा काम करते ही हैं, ये आंकड़ों या किसी फलन को ग्राफ के रूप में भी प्रदर्शित कर सकते हैं। इनमें प्रोग्राम करने तथा प्रोग्रामों को भण्डारित करने की भी सुविधा आ गयी है। .

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वैज्ञानिक यथार्थवाद

अपने सबसे सामान्य रूप में, वैज्ञानिक यथार्थवाद (Scientific realism) वह विचारधारा है जो मानती है कि विज्ञान के द्वारा वर्णित 'संसार', यथार्थ (real) संसार है। वैज्ञानिक यथार्थवाद, यथार्थवाद का नवीन रूप है जिसे आज 'यथार्थवाद' के नाम से ही जाना जाता है। वैज्ञानिक यथार्थवादियों ने दर्शन की समस्याओं को सुलझाने में विशेष रूचि प्रदर्शित नहीं की। उनके अनुसार यथार्थ प्रवाहमय है। यह परिवर्तनशील है और इसके किसी निश्चित रूप को जानना असंभव है। अतः वह यह परिकल्पित करता है कि यथार्थ मानव मन की उपज नहीं है। सत्य मानव मस्तिष्क की देन है। यथार्थ मानव-मस्तिष्क से परे की वस्तु है। उस यथार्थ के प्रति दृष्टिकोण विकसित करना सत्य कहा जायेगा। जो सत्य यथार्थ के जितना निकट होगा वह उतना ही यथार्थ सत्य होगा। .

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वैज्ञानिक लेखन

वैज्ञानिक लेखन (Scientific writing) से अभिप्राय 'विज्ञान के लिये लिखना' है। विज्ञान लेखन का अर्थ है, विज्ञान, आयुर्विज्ञान, प्रौद्योगिकी के बारे में सामान्य जनता के पढ़ने के लिये लिखना। वैज्ञानिक लेखन पत्रिकाओं, समाचारपत्रों, लोकप्रिय पुस्तकों, संग्रहालय की दीवारों, टीवी और रेडियो कार्यक्रमों तथा इन्टरनेट आदि माध्यमों पर प्रकाशित हो सकता है। .

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वैज्ञानिक विधि

वैज्ञानिक विधि (चित्र में टेक्स्ट फ्रेंच भाषा में है) विज्ञान, प्रकृति का विशेष ज्ञान है। यद्यपि मनुष्य प्राचीन समय से ही प्रकृति संबंधी ज्ञान प्राप्त करता रहा है, फिर भी विज्ञान अर्वाचीन काल की ही देन है। इसी युग में इसका आरंभ हुआ और थोड़े समय के भीतर ही इसने बड़ी उन्नति कर ली है। इस प्रकार संसार में एक बहुत बड़ी क्रांति हुई और एक नई सभ्यता का, जो विज्ञान पर आधारित है, निर्माण हुआ। ब्रह्माण्ड के परीक्षण का सम्यक् तरीका भी धीरे-धीरे विकसित हुआ। किसी भी चीज के बारे में यों ही कुछ बोलने व तर्क-वितर्क करने के बजाय बेहतर है कि उस पर कुछ प्रयोग किये जांय और उसका सावधानी पूर्वक निरीक्षण किया जाय। इस विधि के परिणाम इस अर्थ में सार्वत्रिक हैं कि कोई भी उन प्रयोगों को पुनः दोहरा कर प्राप्त आंकडों की जांच कर सकता है। सत्य को असत्य व भ्रम से अलग करने के लिये अब तक आविष्कृत तरीकों में वैज्ञानिक विधि सर्वश्रेष्ठ है। संक्षेप में वैज्ञानिक विधि निम्न प्रकार से कार्य करती है.

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वैज्ञानिक क्रांति

न्यूटन के दूरदर्शी की प्रतिकृति। वैज्ञानिक क्रान्ति के समय प्रेक्षण और आंकड़ों पर आधारित विज्ञान पर बल दिया गया। प्रेक्षणों के लिये नयी तकनीकें विकसित की गयीं। दूरदर्शी, ऐसी ही एक तकनीक थी। वैज्ञानिक क्रांति उस अमयावधि को इंगित करती है जब भौतिकी, खगोलशास्त्र, जीवविज्ञान, मानव शरीररचना, रसायन विज्ञान एवं अन्य विज्ञानों की प्रगति ने पुराने सिद्धन्तों को अस्वीकर कर दिया। इस प्रकार आधुनिक विज्ञान की नींव पड़ी। वैज्ञानिक क्रान्ति की धारणा को मानने वालों का विचार है कि यूरोप के पुनर्जागरण का अन्तिम काल से वैज्ञानिक क्रांति आरम्भ हुई और १८वीं शताब्दी के अन्तिम चरण तक चली। इस प्रकार वैज्ञानिक क्रान्ति ने यूरोपीय ज्ञानोदय को प्रभावित किया। किन्तु सातत्य सिद्धान्त में विश्वास करने वाले बहुत से लोगों का विश्वास है कि इस प्रकार की कोई क्रान्ति नहीं हुई बल्कि प्राचीन और मध्य काल से वैज्ञानिक विकास की जो धारा चली थी वही अपनी सहज गति से आगे बढती रही। .

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वैज्ञानिक उपकरण

वैज्ञानिक उपकरण से हमारे काम आसानी से हो जाते हैं। वैज्ञानिक उपकरण किसी विज्ञान के कार्य को करने में सुविधा या सरलता या आसानी प्रदान करते हैं। यह उन वैज्ञानिक कार्यों को भी सहज से कर सकते हैं जो उनके बिना सम्भव ही नहीं होता। .

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खनन इंजीनियरी

प्राकृतिक रूप से विद्यमान परिस्थितियों में स्थित खनिजों को बाहर निकालने एवं उनका प्रसंस्करण करने से सम्बन्धित सिद्धान्त, विज्ञान, तकनीकी को खनन इंजीनियरी (Mining engineering) कहते हैं। .

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खनिज विज्ञान

खनिज विज्ञान (अंग्रेज़ी:मिनरलॉजी) भूविज्ञान की एक शाखा होती है। इसमें खनिजों के भौतिक और रासायनिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। विज्ञान की इस शाखा के अंतर्गत खनिजों के निर्माण, बनावट, वर्गीकरण, उनके पाए जाने के भौगोलिक स्थानों और उनके गुणों को भी शामिल किया गया है। इसके माध्यम से ही खनिजों के प्रयोग और उपयोग का भी अध्ययन इसी में किया जाता है। विज्ञान की अन्य शाखाओं की भांति ही इसकी उत्पत्ति भी कई हजार वर्ष पूर्व हुई थी। वर्तमान खनिज विज्ञान का क्षेत्र, कई दूसरी शाखाओं जैसे, जीव विज्ञान और रासायनिकी तक विस्तृत हो गया है। यूनानी दार्शनिक सुकरात ने सबसे पहले खनिजों की उत्पत्ति और उनके गुणों को सिद्धांत रूप में प्रतुत किया था, हालांकि सुकरात और उनके समकालीन विचारक बाद में गलत सिद्ध हुए लेकिन उस समय के अनुसार उनके सिद्धांत नए और आधुनिक थे। किन्तु ये कहना भी अतिश्योक्ति न होगा कि उनकी अवधारणाओं के कारण ही खनिज विकास की जटिलताओं को सुलझाने में सहयोग मिला, जिस कारण आज उसके आधुनिक रूप से विज्ञान समृद्ध है। १६वीं शताब्दी के बाद जर्मन वैज्ञानिक जॉर्जियस एग्रिकोला के अथक प्रयासों के चलते खनिज विज्ञान ने आधुनिक रूप लेना शुरू किया। .

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खेमसिंह गिल

खेमसिंह गिल भारत सरकार ने १९९२ में विज्ञान के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये पंजाब से हैं। श्रेणी:१९९२ पद्म भूषण.

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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गणितज्ञ

लियोनार्ड यूलर को हमेशा से एक प्रसिद्ध गणितज्ञ माना गया है एक गणितज्ञ वह व्यक्ति होता है जिसके अध्ययन और अनुसंधान का प्राथमिक क्षेत्र गणित ही रहता है। .

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गणितीय सारणी

साधारण लघुगणक (common logarithm) की सारणी का एक भाग गणितीय सारणी, गणित की किसी गणना में उपयोग में आने वाली सूची होती है जिसमें किसी चर (arguments) के अलग-अलग मानों के संगत एक या अधिक संख्याएं दी गयी होती हैं। ये संख्याएं किसी गणना (जैसे कोणों के ज्या फलन का मान) के परिणाम होती हैं। इनके उपयोग से गणना आसानी से और तेजी से हो जाती थी। किन्तु १९७० के दशक के बाद एलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर के आने के बाद इनका प्रयोग बहुत ही कम और सीमित हो गया है। पहाड़ा, गणितीय सारणी का सबसे सरल उदाहरण है। लघुगणकीय सारणी, त्रिकोणमित्तीय फलनों की सारणियाँ, गामा फलन की सारणियाँ आदि अन्य उदाहरण हैं। .

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गणितीय उपकरणिकाएँ

विज्ञान और उद्योग की समस्याओं को प्रकट करने और उन्हें हल करने के लिये गणित के उत्तरोतर बढ़ते हुए प्रयोग ने ऐसे तीव्र और मितव्ययी साधनों का विकास किया है जिनसे इन समस्याओं से प्रस्तुत गणितीय प्रश्नों के उत्तर सरलता से मिलते हैं। स्थूल रूप से ऐसे उत्तरों को देनेवाला कोई भी उपकरण गणितीय उपकरणिका (मथमेटिकल इंस्ट्रुमेन्ट) कहलाता है। इनके अन्तर्गत संख्यात्मक प्रश्नों का हल गणनात्मक और अंकीय (digital) विधि से करने वाले गणनायंत्र भी सम्मिलित है। गणितीय उपकरणिकाओं में गणितीय राशियों को मापनीय भौतिक राशियों, जैसे रेखनी पर अंकित दो बिंदुओं के बीच की दूरी, तारों में विद्युद्वारा, इत्यादि द्वारा निरूपित किया जाता है। और इस उपकरणिका से भौतिकी के जो नियम लगते हैं वे उन गणितीय संबंधों के प्रतिरूप हैं जिन्हें हल करना अभीष्ट है। .

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गार्गी महाविद्यालय दिल्ली

गार्गी महाविद्यालय दिल्ली स्थित एक महिला महाविद्यालय है। यह दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है। इसकी स्थापना 967 में हुई थी। गार्गी महाविद्यालय कला, मानविकी, वाणिज्य, विज्ञान तथा शिक्षा में शिक्षा प्रदान करता है। .

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गगनदीप कांग

गगनदीप कांग (चेरी) दक्षिण भारत के वेल्लोर कृत्रिम चिकित्सा महाविद्यालय में स्थित एक क्लीनियन वैज्ञानिक है। वह दस्त रोगों पर एक प्रमुख शोधकर्ता है, जो बच्चों में रोटाविरल संक्रमणों पर एक प्रमुख शोध के साथ, और रोटावायरल टीके के परीक्षण पर केंद्रित है। .

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गुणाकर मुले

गुणाकर मुले गुणाकर मुले (मराठी:गुणाकर मुळे) (३ जनवरी, १९३५ - १६ अक्टूबर, २००९) हिन्दी और अंग्रेजी में विज्ञान-लेखन को लोकप्रिय बनाने वाले जाने माने लेखक थे। .

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गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार स्थित एक विश्वविद्यालय है जिसकी स्थापना १९९५ में हुई थी। यह विश्वविद्यालय, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, फार्मेसी तथा प्रबन्धन के पाठ्यक्रम चलाता है। .

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गुरुकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर

गुरुकुल महाविद्यालय, उत्तराखण्ड के हरिद्वार जनपद के ज्वालापुर में स्थित एक महाविद्यालय है। इसकी स्थापना १९०७ में हुई थी। गुरुकुल महाविद्यलय ज्वालापुर, उत्तराचंल प्रदेश में अवस्थित जनपद हरिद्वार के ज्वालापुर नामक उपनगर से आधा किमी दूरी पर भागीरथी की नहर के दक्षिणी तट पर रेलवे लाइन से बिल्कुल सटा हुआ, लोहे के पुल के दक्षिण की ओर सुविस्तृत एवं परम रमणीक भूमि में स्थित है। इसकी स्थापना वैशाख शुक्ला 3 (अक्षय तृतीया) सम्वत 1964 वि0 (तदनुसार 30 जून सन् 1907 ई0) को दानवीर स्वर्गीय बाबू सीताराम जी, इंसपेक्टर ऑफ पुलिस ज्वालापुर, के सुरम्य उद्यान में संस्कृत-शिक्षा के प्रचार एवं विलुप्त 'ब्रह्मचर्याश्रम’ प्रणाली के पुनरुद्धार के विशेष उद्देश्य को लेकर शास्त्रार्थ-महारथी, उद्भट विद्वान् प्रसिद्धवाग्मी स्वनामधन्य तार्किकशिरोमणि वीतराग श्री 108 स्वामी दर्शनानन्द जी सरस्वती के करकमलों द्वारा केवल तीन बीघा भूमि में बारह आने के स्थिर कोष से हुई थी। इस महाविद्यालय की विशेषता है कि यह प्राचीन ब्रह्मचर्याश्रम प्रणाली के आधार पर आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा निर्दिष्ट पद्धति के अनुसार निर्धन एवं धनवान् छात्रो को सर्वथा समान भाव से वैदिक वाङ्मय की उच्चतम निःशुल्क शिक्षा देता है। शिक्षा का माध्यम आर्य-भाषा हिन्दी है। इस संस्था में वेद, वेदांग, उपनिषद्, दर्शनशास्त्र, संस्कृत साहित्य, धर्मशास्त्र आदि प्राच्य विषयों के अतिरिक्त हिन्दी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान (भूगोल, इतिहास, नागरिक शास्त्र), कम्प्यूटर और अंग्रेजी भाषा की भी यथोचित शिक्षा दी जाती है। यहाँ से शिक्षा प्राप्त करके सहस्राधिक छात्र स्नातक बनकर देश के धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक, साहित्यिक आदि विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी तत्परता और कुशलता के साथ कार्य कर रहे हैं। यह संस्था संस्कृत साहित्य के ज्ञान और उसके ठोस पाण्डित्य में अपना विशेष स्थान और प्रभाव रखती है। यहाँ का जीवन सरल और रहन-सहन सादा है। स्नातकों तथा छात्रों मे शास्त्रीय विषयों के प्रौढ़ पाण्डित्य के साथ-साथ ग्रन्थ-लेखन, पत्रकारिता, कवित्व-शक्ति, कुशल अध्यापकत्व, व्याख्यान-कला आदि में विशेष प्रगतिशीलता है। इसके पास 300 बीघा भूमि है, जिससे कृषि और वाटिका आदि के द्वारा पर्याप्त सहायता प्राप्त होती है। संस्था में बड़े-बड़े विशाल भवन हैं, जो यहाँ के सौन्दर्य में अपना विशेष स्थान रखते हैं। यहाँ के कार्यकर्ता एवं आचार्य सदा से त्यागी, तपस्वी, सरस्वती के सच्चे उपासक एवं अनन्य भक्त रहे हैं, जो सांसारिक प्रलोभनों से भी उदासीन हैं। इसी का यह सपरिणाम है कि आज की विषम परिस्थितियों में भी सह संस्था किसी न किसी रूप में दुःख-सुख भोगकर दपना अस्तित्व सुरक्षित रखो हुए है। इसे पूर्णरूपेण न राज्याश्रय प्राप्त है और न ही अपेक्षित रूप से जनता का आश्रय ही प्राप्त हुआ है। केवल भगवान् के भरोसे पर उसी दीनबन्धु के विश्वास और आदर्श-संन्यासी श्री स्वामी दर्शानानन्द जी सरस्वती के एकमात्र भोगवाद के दृढ़ सिद्धान्त पर इसका संचालन निर्बाध रूप से हो रहा है। .

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गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय भारत के उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार शहर में स्थित है। इसकी स्थापना सन् १९०२ में स्वामी श्रद्धानन्द ने की थी। भारत में लार्ड मैकाले द्वारा प्रतिपादित अंग्रेजी माध्यम की पाश्चात्य शिक्षा नीति के स्थान पर राष्ट्रीय विकल्प के रूप में राष्ट्रभाषा हिन्दी के माध्यम से भारतीय साहित्य, भारतीय दर्शन, भारतीय संस्कृति एवं साहित्य के साथ-साथ आधुनिक विषयों की उच्च शिक्षा के अध्ययन-अध्यापन तथा अनुसंधान के लिए यह विश्वविद्यालय स्थापित किया गया था। इस विश्वविद्यालय का प्रमुख उद्देश्य जाति और छुआ-छूत के भेदभाव के बिना गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत् अध्यापकों एवं विद्यार्थियों के मध्य निरन्तर घनिष्ट सम्बन्ध स्थापित कर छात्र-छात्राओं को प्राचीन एवं आधुनिक विषयों की शिक्षा देकर उनका मानसिक और शारीरिक विकास कर चरित्रवान आदर्श नागरिक बनाना है। विश्वविद्यालय हरिद्वार रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। जून 1962 में भारत सरकार ने इस शिक्षण संस्था के राष्ट्रीय स्वरूप तथा शिक्षा के क्षेत्र में इसके अप्रतिम् योगदान को दृष्टि में रखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के एक्ट 1956 की धारा 3 के अन्तर्गत् समविश्वविद्यालय (डीम्ड यूनिवर्सिटी) की मान्यता प्रदान की और वैदिक साहित्य, संस्कृत साहित्य, दर्शन, हिन्दी साहित्य, अंग्रेजी, मनोविज्ञान, गणित तथा प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्त्व विषयों में स्नातकोत्तर अध्ययन की व्यवस्था की गई। उपरोक्त विषयों के अतिरिक्त वर्तमान में विश्वविद्यालय में भौतिकी, रसायन विज्ञान, कम्प्यूटर विज्ञान, अभियांत्रिकी, आयुर्विज्ञान व प्रबन्धन के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा स्थापित स्वायत्तशासी संस्थान ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद्’ (NACC) द्वारा मई 2002 में विश्वविद्यालय को चार सितारों (****) से अलंकृत किया गया था। परिषद् के सदस्यों ने विश्वविद्यालय की संस्तुति यहां के परिवेश, शैक्षिक वातावरण, शुद्ध पर्यावरण, बृहत् पुस्तकालय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय आदि से प्रभावित होकर की थी। विश्वविद्यालय की सभी उपाधियां भारत सरकार/विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्य हैं। यह विश्वविद्यालय भारतीय विश्वविद्यालय संघ (A.I.U.) तथा कामनवैल्थ विश्वविद्यालय संघ का सदस्य है। .

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गूगल टूलबार

गूगल टूलबार एक इन्टरनेट ब्राउज़र टूलबार है जो इन्टरनेट एक्सप्लोरर तथा मोज़िला फायरफॉक्स के लिए उपलब्ध है। .

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गोलीय खगोलशास्त्र

गोलीय खगोलशास्त्र (spherical astronomy) या स्थितीय खगोलशास्त्र (positional astronomy) खगोलशास्त्र की वह शाखा है जिसमें खगोलीय वस्तुओं का किसी विशेष समय, तिथि या पृथ्वी पर स्थित स्थान पर खगोलीय गोले में स्थान अनुमानित करा जाता है। यह अध्ययन की शाखा गोलीय ज्यामिति के सिद्धांतों व विधियों और खगोलमिति की मापन-कलाओं पर निर्भर है। ऐतिहासिक दृष्टि से गोलीय खगोलशास्त्र को पूरे खगोलशास्त्र की प्राचीनतम शाखा माना जा सकता है क्योंकि धार्मिक, ज्योतिष, समयानुमान और दिक्चालन (नैविगेशन) कार्यों के लिये मानव आकाश में तारों, तारामंडलों, ग्रहों, सूर्य व चंद्रमा की स्थिति को ग़ौर से जाँचता-समझता रहा है। अकाश में खगोलीय वस्तुओं के स्थानों को गणितीय रूप से समझने के विज्ञान को खगोलमिति (astronomy) कहते हैं। .

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गोकुलानन्द महापात्र

गोकुलानन्द महापात्र (24 मई 1922 - 10 जुलाई 2013) एक भारतीय वैज्ञानिक व विज्ञान-गल्प लेखक थे। उन्होने ओडिया भाषा में विज्ञान के लोकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होने लगभग 95 विज्ञान-गल्प एवं बच्चों की विज्ञान की पुस्तकों की रचना की है। उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ हैं- कृत्रिम उपग्रह, पृथिबिबाहरे मानिश, चन्द्रर मृत्यु, निशब्द गोधुलि, मेडम क्यूरी, तथा नील चक्र बाल सपारे। वे ओडिशा विज्ञान प्रचार समिति के संस्थापक सदस्य थे। इस समिति का उद्देश्य ओडिशा में विज्ञान को लोकप्रिय करना है। अपनी पुस्तक 'ई-युग र श्रेष्ठ आविष्कार' पर उन्हें ओडिसा साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। .

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गोकोंग्वेई अभियांत्रिकी महाविद्यालय

गोकोंगवी अभियांत्रिकी महाविद्यालय, ला ला सले विश्वविद्यालय के छह महाविद्यालयों में से एक है। यह १९४७ में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद फिलीपींस का पुनर्वास करने में मदद करने के लिए, युवा लोगों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।De La Salle University-Manila.

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ओजोन थेरेपी

एक चिकित्सकीय ओज़ोन जनरेटर।सौजन्य: http://www.medpolinar.com/eng_version/ozon.htm www.medpolinar.com ओजोन थेरेपी में ओजोन और ऑक्सीजन के मिश्रण को मनुष्य के शरीर के लाभ हेतु प्रयोग किया जाता है। ओजोन एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में सक्षम है, इसलिए यह ऑक्सीडेटिव मानसिक तनाव को कम कर सकता है। ओजोन का यह एंटीऑक्सीडेंट प्रतिरोधक तंत्र विकिरण और कीमोथेरेपी के दौरान पैदा होने वाले रेडिकल्स को संतुलित करता है।। हिन्दुस्तान लाइव। ९ मई २०१० चाहे शरीर में शीघ्र थकान होने की शिकायत हो, सुस्ती अनुभव होती हो, छाती में दर्द की समस्या हो या उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्राल वृद्धि, मधुमेह आदि की चिंता हो, या कैंसर से लेकर एचआईवी जैसे घातक रोगों में, ओजोन थेरेपी इन सभी में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में समान रूप से सहायक हो सकती है। यह अल्पजीवी गैस शरीर के अंदर जाकर ऑक्सीकरण प्रक्रिया को तेज करने के साथ-साथ ऑक्सीजन को फेफड़ों से लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक ले जाने की क्षमता बढ़ा देती है। इससे शरीर द्वारा बनाये गए अफल विषैले तत्वों को बाहर निकालने एवं क्षय हो रही ऊर्जा के पुनर्संचय में मदद मिलती है। .

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औषधनिर्माण

चिकित्सा में प्रयुक्त द्रव्यों के ज्ञान को औषधनिर्माण अथवा भेषज विज्ञान या 'भेषजी' या 'फार्मेसी' (Pharmacy) कहते हैं। इसके अंतर्गत औषधों का ज्ञान तथा उनका संयोजन ही नहीं वरन् उनकी पहचान, संरक्षण, निर्माण, विश्लेषण तथा प्रमापण भी हैं। नई औषधों का आविष्कार तथा संश्लेषण भेषज (फ़ार्मेसी) के प्रमुख कार्य हैं। फार्मेसी उस स्थान को भी कहते हैं जहाँ औषधयोजन तथा विक्रय होता है। जब तक भेषजीय प्रविधियाँ सुगम थीं तब तक भेषज विज्ञान चिकित्सा का ही अंग था। परंतु औषधों की संख्या तथा प्रकारों के बढ़ने तथा उनकी निर्माणविधियों के क्रमश: जटिल होते जाने से भेषज विज्ञान के अलग विशेषज्ञों की आवश्यकता पड़ी। .

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आचार्य रामदेव

आचार्य रामदेव (जन्म: ३१ जुलाई १८८१ - मृत्यु: ९ दिसम्बर १९३९) आर्यसमाज के नेता, शिक्षाशास्त्री, इतिहासकार, स्वतन्त्रता-संग्राम सेनानी एवं महान वक्ता थे। उन्होने भारतीय इतिहास के सम्बन्ध में मौलिक अनुसन्धान कर हिन्दी में अपना प्रसिद्ध ग्रन्थ भारतवर्ष का इतिहास प्रकाशित किया। आचार्य रामदेव जी ने १९२३ में देहरादून में कन्या गुरुकुल की स्थापना की जो 'कन्या गुरुकुल महाविद्यालय' नाम से जाना जाता है तथा गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय का भाग है। .

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आनन्‍द केंटिश कुमारस्‍वामी

आनन्द कुमारस्वामी आनन्‍द कुमारस्‍वामी (तमिल:ஆனந்த குமாரசுவாமி; १८७७-१९४७) श्री लंका के सुविख्यात कलामर्मज्ञ एवं भारत-चिन्तक तमिल थे। .

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आन्रि बर्गसां

हेनरी बर्गसाँ (१९२७ में) हेनरी वर्गसाँ (१८५९ - १९४१) फ्रांस के प्रतिभावान् यहूदी दार्शनिक, अध्यापक, लेखक तथा वक्ता थे। उन्हें १९२७ का साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। १९३० में फ्रांस ने उन्हें अपना सर्वोच्च पुरस्कार (Grand-Croix de la Legion d'honneur) प्रदान किया। .

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आपेक्षिकता सिद्धांत

सामान्य आपेक्षिकता में वर्णित त्रिविमीय स्पेस-समय कर्वेचर की एनालॉजी के का द्विविमीयप्रक्षेपण। आपेक्षिकता सिद्धांत अथवा सापेक्षिकता का सिद्धांत (अंग्रेज़ी: थ़िओरी ऑफ़ रॅलेटिविटि), या केवल आपेक्षिकता, आधुनिक भौतिकी का एक बुनियादी सिद्धांत है जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने विकसित किया और जिसके दो बड़े अंग हैं - विशिष्ट आपेक्षिकता (स्पॅशल रॅलॅटिविटि) और सामान्य आपेक्षिकता (जॅनॅरल रॅलॅटिविटि)। फिर भी कई बार आपेक्षिकता या रिलेटिविटी शब्द को गैलीलियन इन्वैरियन्स के संदर्भ में भी प्रयोग किया जाता है। थ्योरी ऑफ् रिलेटिविटी नामक इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले सन १९०६ में मैक्स प्लैंक ने किया था। यह अंग्रेज़ी शब्द समूह "रिलेटिव थ्योरी" (Relativtheorie) से लिया गया था जिसमें यह बताया गया है कि कैसे यह सिद्धांत प्रिंसिपल ऑफ रिलेटिविटी का प्रयोग करता है। इसी पेपर के चर्चा संभाग में अल्फ्रेड बुकरर ने प्रथम बार "थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी" (Relativitätstheorie) का प्रयोग किया था। .

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आयुर्विज्ञान

आधुनिक गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।आयुर्विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है, जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका निदान करने तथा आयु बढ़ाने से है। भारत आयुर्विज्ञान का जन्मदाता है। अपने प्रारम्भिक समय में आयुर्विज्ञान का अध्ययन जीव विज्ञान की एक शाखा के समान ही किया गया था। बाद में 'शरीर रचना' तथा 'शरीर क्रिया विज्ञान' आदि को इसका आधार बनाया गया। .

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आयुर्विज्ञान शिक्षा

आयुर्विज्ञान शिक्षा (मेडिकल एजूकेशन) से तात्पर्य उस किसी भी शिक्षा से है जो चिकित्सा कार्य करने वालों के लिए आवश्यक है। इसमें आरम्भिक शिक्षा और उसके बाद ली जाने वाली अतिरिक्त शिक्षा और प्रशिक्षण भी सम्मिलित है। ऐब्रैहम फ्लेक्सनर का कथन है कि प्राचीन काल से आयुर्विज्ञान में अंधविश्वास, प्रयोग तथा उस प्रकार के निरीक्षण का, जिसके अंत में विज्ञान का निर्माण होता है, विचित्र मिश्रण रहा है। ये तीनों सिद्धांत आज भी कार्य कर रहे हैं, यद्यपि उनका अनुपात अब बदल गया है। .

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आयुर्वेद

आयुर्वेद के देवता '''भगवान धन्वन्तरि''' आयुर्वेद (आयुः + वेद .

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आर्य वंश

आर्य वंश ऐतिहासिक रूप से 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के आरम्भ में पश्चिमी सभ्यता में आर्यवंशी काफी प्रभावशाली लोग हुआ करते थे। माना जाता है कि इस विचार से यह व्यूत्पन्न है कि हिंद युरोपीय भाषा के बोलने वाले मूल लोगों और उनके वंशजों ने विशिष्ट जाति या वृहद श्वेत नस्ल की स्थापना की। ऐसा माना जाता है कि कभी-कभी आर्यन जाति से ही आर्यवाद अस्तित्व में आया। आरम्भ में इसे मात्र भाषाई आधार पर जाना जाता था लेकिन नाज़ी और नव-नाज़ी में जातिवाद की उत्पत्ति के बाद सैधांतिक रूप से इसका प्रयोग जादू-टोना और श्वेत प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लिए किया जाने लगा। .

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आशिमा आनंद

डॉ.

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आज़रबाइजान का संविधान

अज़रबाइजान का संविधान, आज़रबाइजान की सर्वोच्च वैधिक दस्तावेज़ है। इसे १२ नवम्बर १९९५ को, जनमत संग्रह द्वारा अपनाया गया था। इसके अनुच्छेद १४७ के अनुसार, यह आलेख, आज़रबाइजान की भूमि पर "सर्वोच्च न्यायिक बल" का धारक है। यह संविधान एक लोकतांत्रिक, विधि शासित, धर्मनिरपेक्ष ऐकिक गणराज्य की स्थापना करता है, जिसमें राज्य, शक्तियों के पृथक्करण (अनुच्छेद 7) के सिद्धांत पर आधारित हैं। राज्य के मौलिक कानून के रूप में, संविधान, सरकार की संरचना तथा न्यायपालिका, विधानपालिका तथा कार्यपालिका की शक्तियों को परिभाषित करता है, एवं नागरिकिओं के मौलिक अधिकार, स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों को भी अधिसूचित करता है। इस संविधान को अगस्त २००२ और मार्च २००९ में संशोधित किया गया था, तथा सबसे हाल ही में २६ सितम्बर २०१६ में संवैधानिक जनमत द्वारा एक और संशोधन को अपनाया गया था। २००२ में २२ अनुच्छेदों में ३१ संशोधन; २००९ में २९ अनुच्छेदों में ४१ संशोधन; तथा २०१६ में २३ अनुच्छेदों को संशोधित कर ६ नए अनुच्छेद जोड़े गए थे। प्रतिवर्ष १२ नवम्बर को संविधान परावर्तन के उपलक्ष में, अज़रबाइजान में संविधान दिवस मनाया जाता है, जोकि एक राष्ट्रीय पर्व है। .

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आई.सी.एम.आर.

आई। सी.एम.आर.

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आविष्कार (पत्रिका)

आविष्कार हिंदी की एक विज्ञान पत्रिका है। यह नेशनल रिसर्च डेवलेपमेंट कार्पोरेशन, नई दिल्‍ली द्वारा प्रकाशित होती है। इसका मुख्य उद्देश्य सूचना का प्रसार करना और नई प्रौद्योगिकी, खोज, नवीनताओं, बौद्धिक संपदा अधिकारसे जुड़े मुद्दों आदि के बारे में आम जनता के बीच जागरूकता पैदा करना है और छात्रों, वैज्ञानिकों, तकनीशियनों, उभरते उद्यमियों आदि के बीच खोज, नवीनता तथा उद्यमिता की भावना का विकास करना है। हिन्दी में विज्ञान पत्रिका आविष्कार का प्रकाशन 1971 में शुरू हुआ था। आविष्कार जनहित के चालू मुद्दों के साथ विज्ञान, प्रौद्योगिकी, खोज, नवाचारों और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्दों पर केंद्रित रहता है। संपूर्ण प्रासंगिक आलेखों के अलावा पत्रिका में भिन्न नियमित कॉलम भी रहते हैं – विविधा, वैज्ञानिकों का बचपन, कुछ रोचक कुछ प्रेरक प्रसंग, विज्ञान साहित्य चर्चा, बौद्धिक संपदा की बातें, आविष्कार और नवाचार, खेल-खेल में विज्ञान, समाचारिकी और एनआरडीसी की प्रौद्योगिकी – आपके लिए। विविधा कॉलम में भिन्न एसएंडटी विषयों पर छोटे फीचर प्रकाशित होते हैं। वैज्ञानिकों का बचपन में वैज्ञानिकों, आविष्कारकों, नया करने वालो आदि के बचपन पर आलेख होते हैं ताकि उन परिस्थितियों के बारे में बताया जा सके जहां से वे आगे बढ़े और अपनी सफलता तक पहुंचे। इस पत्रिका में वैज्ञानिकों, आविष्कारकों, नया करने वालो आदि की जीवनी भी प्रकाशित की गई है। कुछ रोचक, कुछ प्रेरक में दिलचस्प और प्रेरक कथाएं कही गई हैं। यह भी वैज्ञानिकों, आविष्कारकों, नया करने वालो आदि पर केंद्रित है। विज्ञान सहित्य चर्चा कॉलम में विज्ञान व तकनालाजी पर आई नई पुस्तक की समीक्षा छपती है। बौद्धिक संपदा की बातें में बौद्धिक संपदा अधिकारों पर विभिन्न विषयों पर चर्चा होती है। 'खेल खेल में विज्ञान' स्कूली बच्चों का एक कॉलम है। इसमें विज्ञान के बुनियादी सिद्धांत समझाए जाते हैं। 'समाचारिकी' में विज्ञान व तकनालाजी के क्षेत्र में प्रगति से संबंधतित खबरे प्रकाशित होती हैं। एनआरडीसी की 'प्रौद्योगिकी आपके लिए' उद्यमियों को प्रौद्योगिकी के बारे में अद्यतन जानकारी देती है जो एनआरडीसी के पास व्यापारीकरण के लिए उपलब्ध है। .

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आविष्‍कार

आविष्‍कार.

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इतालवी एकीकरण

इतालवी एकीकरण को दर्शाता हुआ नक़्शा, जिसमें विभिन्न राज्यों के संगठित इतालवी साम्राज्य में सम्मिलित होने के वर्ष दिए गए हैं इतालवी एकीकरण, जिसे इतालवी भाषा में इल रिसोरजिमेंतो (Il Risorgimento, अर्थ: पुनरुत्थान) कहते हैं, १९वीं सदी में इटली में एक राजनैतिक और सामाजिक अभियान था जिसने इतालवी प्रायद्वीप के विभिन्न राज्यों को संगठित करके एक इतालवी राष्ट्र बना दिया। इस अभियान की शुरुआत और अंत की तिथियों पर इतिहासकारों में विवाद है लेकिन अधिकतर के मत में यह सन् १८१५ में इटली पर नेपोलियन बोनापार्ट के राज के अंत पर होने वाले वियना सम्मलेन के साथ आरम्भ हुआ और १८७० में राजा वित्तोरियो इमानुएले की सेनाओं द्वारा रोम पर क़ब्ज़ा होने तक चला।, Jeffrey Thompson Schnapp, Olivia E. Sears, Maria G. Stampino, pp.

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इन्सपायर योजना (भारत)

इन्सपायर योजना (भारत) इन्सपायर (Innovation in Science Pursuit for Inspired Research (INSPIRE)) भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया इंस्‍पायर कार्यक्रम एक अनोखा कार्यक्रम है, जिसके तहत विज्ञान में बेहतरीन प्रतिभावान छात्रों को आकर्षित करने का प्रयास किया जायेगा, इसके साथ ही विज्ञान संबंधी रोजगार चुनने के लिए आवश्‍यक अवसरों के साथ उन्‍हें विज्ञान संबंधी रोजगारपरक शोध कार्यों के लिए वित्‍तीय सहायता भी प्रदान की जायेगी। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 30 लाख युवाओं में विज्ञान के प्रति कार्य, वैज्ञानिक शोध और विज्ञान सीखने में मनोरंजन जैसी विधाओं का विकास कराया जायेगा। भारत सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत 2 हजार करोड़ की लागत से नवम्‍बर 2008 में इंस्‍पायर योजना को अनुमति प्रदान की और प्रधानमंत्री ने 13 दिसम्‍बर, 2008 को इस योजना की शुरूआत की। .

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इलैक्ट्रॉनिक्स

तल पर जुड़ने वाले (सरफेस माउंट) एलेक्ट्रानिक अवयव विज्ञान के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रॉनिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार के माध्यमों (निर्वात, गैस, धातु, अर्धचालक, नैनो-संरचना आदि) से होकर आवेश (मुख्यतः इलेक्ट्रॉन) के प्रवाह एवं उन पर आधारित युक्तिओं का अध्ययन करता है। प्रौद्योगिकी के रूप में इलेक्ट्रॉनिकी वह क्षेत्र है जो विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों (प्रतिरोध, संधारित्र, इन्डक्टर, इलेक्ट्रॉन ट्यूब, डायोड, ट्रान्जिस्टर, एकीकृत परिपथ (IC) आदि) का प्रयोग करके उपयुक्त विद्युत परिपथ का निर्माण करने एवं उनके द्वारा विद्युत संकेतों को वांछित तरीके से बदलने (manipulation) से संबंधित है। इसमें तरह-तरह की युक्तियों का अध्ययन, उनमें सुधार तथा नयी युक्तियों का निर्माण आदि भी शामिल है। ऐतिहासिक रूप से इलेक्ट्रॉनिकी एवं वैद्युत प्रौद्योगिकी का क्षेत्र समान रहा है और दोनो को एक दूसरे से अलग नही माना जाता था। किन्तु अब नयी-नयी युक्तियों, परिपथों एवं उनके द्वारा सम्पादित कार्यों में अत्यधिक विस्तार हो जाने से एलेक्ट्रानिक्स को वैद्युत प्रौद्योगिकी से अलग शाखा के रूप में पढाया जाने लगा है। इस दृष्टि से अधिक विद्युत-शक्ति से सम्बन्धित क्षेत्रों (पावर सिस्टम, विद्युत मशीनरी, पावर इलेक्ट्रॉनिकी आदि) को विद्युत प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत माना जाता है जबकि कम विद्युत शक्ति एवं विद्युत संकेतों के भांति-भातिं के परिवर्तनों (प्रवर्धन, फिल्टरिंग, मॉड्युलेश, एनालाग से डिजिटल कन्वर्शन आदि) से सम्बन्धित क्षेत्र को इलेक्ट्रॉनिकी कहा जाता है। .

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इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए

इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए.

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इस्लाम और विज्ञान

विज्ञान पर इस्लाम के संदर्भ में मुस्लिम विद्वानों ने दृष्टिकोण की स्पेक्ट्रम (पहुँच) का विकास किया है ।Seyyid Hossein Nasr.

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इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार

इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार प्रतिवर्ष 19 नवंबर को भारत की पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी के जन्मदिन पर उनकी स्मृति में दिया जाता है। यह पुरस्कार "अखिल भारतीय राष्ट्रीय एकता सम्मेलन" द्वारा स्थापित किया गया है और राष्ट्रीय एकता, अखंडता और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत व्यक्तियों को, इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। .

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इंस्टिट्यूशन ऑव इंजीनियर्स (इंडिया)

इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) भारत के अभियन्ताओं का राष्ट्रीय संगठन है। इसके ९९ केन्द्रों में १५ इंजीनियरी शाखाओं के लगभग ५ लाख सदस्य हैं। यह विश्व की सबसे बड़ी बहुविषयी इंजीनियरी व्यावसायिक सोसायटी है। वर्तमान समय में इसका मुख्यालय कोलकाता में है। .

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कपिल सिब्बल

कपिल सिब्बल श्री कपिल सिब्बल को भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में मानव संसाधन मंत्रालय में मंत्री बनाया गया। कपिल सिब्बल दिल्ली के चाँदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, एवं चौदहवीं लोकसभा के गठन के बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल में विज्ञान एवं तकनीकी मामलों के साथा साथ भू वैज्ञानिक मामलों के कैबिनेट मंत्री रहे। कपिल सिब्बल ने 2016 हिंदी फिल्म शोरगुल के लिए गीत "तेरे बिना" और "मस्त हवा" के गीतों को लिखा है। .

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कलन

कलन (Calculus) गणित का प्रमुख क्षेत्र है जिसमें राशियों के परिवर्तन का गणितीय अध्ययन किया जाता है। इसकी दो मुख्य शाखाएँ हैं- अवकल गणित (डिफरेंशियल कैल्कुलस) तथा समाकलन गणित (इटीग्रल कैलकुलस)। कैलकुलस के ये दोनों शाखाएँ कलन के मूलभूत प्रमेय द्वारा परस्पर सम्बन्धित हैं। वर्तमान समय में विज्ञान, इंजीनियरी, अर्थशास्त्र आदि के क्षेत्र में कैल्कुलस का उपयोग किया जाता है। भारत में कैल्कुलस से सम्बन्धित कई कॉन्सेप्ट १४वीं शताब्दी में ही विकसित हो गये थे। किन्तु परम्परागत रूप से यही मान्यता है कि कैलकुलस का प्रयोग 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आरंभ हुआ तथा आइजक न्यूटन तथा लैब्नीज इसके जनक थे। .

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कला

राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित 'गोपिका' कला (आर्ट) शब्द इतना व्यापक है कि विभिन्न विद्वानों की परिभाषाएँ केवल एक विशेष पक्ष को छूकर रह जाती हैं। कला का अर्थ अभी तक निश्चित नहीं हो पाया है, यद्यपि इसकी हजारों परिभाषाएँ की गयी हैं। भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित हो। यूरोपीय शास्त्रियों ने भी कला में कौशल को महत्त्वपूर्ण माना है। कला एक प्रकार का कृत्रिम निर्माण है जिसमे शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है। .

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कला स्नातक

बैचलर ऑफ आर्ट, बी.ए. (baccalaureus artium, B.A.,BA,A.B., या AB) कला में एक शैक्षणिक उपाधि है।बैचलर ऑफ आर्ट एक स्नातक का विषय जो तीन या चार सालों में पूर्ण किया जाता है। इसमें कई विषय होते हैं - अंग्रेजी,विज्ञान,सामाजिक तथा इतिहास इत्यादि। इन देशों में 3 सालों का पाठ्यक्रम उपलब्ध है - यूरोपियन यूनियन, ऑस्ट्रेलिया, अल्बानिया, हर्जगोविनीया, बोसिना,भारत, न्यूज़ीलैण्ड, ईजराइल,आईलैण्ड,नार्वे,सिंगापुर,दक्षिण अफ्रिका, वेस्ट इंडिज़, स्विटर्जलैण्ड तथा कनाडा। इन देशों में 4 सालों का कोर्स उपलब्ध है - अफ़ग़ानिस्तान, लेबनान, अरमेनिया, यूनान, बांग्लादेश, अज़रबैजान, इजिप्ट, ईरान, जापान, नाईजीरिया, सर्बिया, पाकिस्तान, फ़िलीपिंस, थाईलैण्ड, रूस,आयरलैण्ड, ईराक,दक्षिण कोरिया, तुनुसिया, कुवैत तथा तुर्की। .

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कलिंग पुरस्कार

कलिंग पुरस्कार विज्ञान संचार के क्षेत्र में किसी बड़े योगदान के लिए दिया जाता है। ऐसा काम जो आम लोगों की समझ में विज्ञान को आसान कर सके, विज्ञान-संचार के अन्तर्गत आता है। विजेता को दस हजार स्टर्लिंग पाउंड और यूनेस्को का अलबर्ट आईनस्टीन रजत-पदक प्रदान किया जाता है। अब विजेता को रूचि राम साहनी चेयर भी प्रदान की जाती है जिसे भारत सरकार ने कलिंग पुरस्कार की पचासवीं जयंती पर संकल्पित किया है। यह पुरस्कार द्विवार्षिक है और विश्व विज्ञान दिवस पर १० नवम्बर को प्रदान किया जाता है। उड़ीसा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक ने एक युगद्रष्टा की भूमिका अपनाते हुए इस पुरस्कार के लिए यूनेस्को को मुक्त हस्त से १९५२ मे ही एक बड़ी धनराशि दान कर दी थी। वे भारत के कलिंग फाउण्डेशन ट्रस्ट के संस्थापक थे। इसी से यह पुरस्कार आरम्भ हुआ। भारत से अभी तक इस सम्मान से सम्मानित लोगों की सूची निम्नवत है - 1963 - जगजीत सिंह 1991 - नरेंद्र के सहगल 1996 - जयंत नार्लीकर 1997 - डी बाला सुब्रमन्यियन 2009 - प्रोफेसर यशपाल .

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काठमाण्डौ विश्वविद्यालय

काठमाण्डौ विश्वविद्यालय का प्रशासनिक भवन काठमाण्डौ विश्वविद्यालय, नेपाल का स्वायत्त, निजी विश्वविद्यालय है। यह नेपाल का तीसरा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है और नेपाल के काभ्रेपलांचोक जिला के धुलिखेल में स्थित है। धुलिखेल, काठमाण्डौ से ३० किमी पूर्व में स्थित है। इसकी स्थापना १९९१ में हुई थी। इस विश्वविद्यालय के प्रांगण (कैम्पस) धुलिखेल, पाटन, और भक्तपुर में हैं। इसमें मानविकी, व्यवस्थापन, वाणिज्य, विज्ञान, चिकित्साशास्त्र, इन्जिनियरिङ आदि की शिक्षण होता है। सम्प्रति काठमांडौ विश्वविद्यालय में १५,००० विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। .

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कालक्रम विज्ञान

कालानुक्रमिकी या कालक्रम विज्ञान (Chronology) वह विज्ञान है जिसके द्वारा हम ऐतिहासिक घटनाओं का कालनिर्माण कर सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि सब घटनाओं को किसी एक ही संवत्सर में प्रदर्शित किया जाए। केवल ऐसा करने पर ही सब घटनाओं का क्रम और उनके बीच का व्यतीत काल हम ज्ञात कर सकते हैं। यह संवत्सर कोई भी हो सकता है—प्राचीन या अर्वाचीन। इस काम के लिए आजकल अधिकतर ईसवी सन्‌ का उपयोग किया जाता है। हमारे यहाँ इस काम के लिए गतकलि वर्ष प्रयुक्त होता था और यूरोप में, प्राचीन काल में और कभी-कभी आजकल भी, जूलियन पीरिअड व्यवहृत होता है। जगत्‌ के विविध देशों और विविध कालों में अलग-अलग संवत्‌ (era) प्रचलित थे। इतना ही नहीं, भारत जैसे विशाल देश में आजकल और भूतकाल में भी बहुत से संवत्‌ प्रचलित थे। इन सब संवतों के प्रचार का आरंभ भिन्न-भिन्न काल में हुआ और उनके वर्षों का आरंभ भी विभिन्न ऋतुओं में होता था। इसके अतिरिक्त वर्ष, मास और दिनों की गणना का प्रकार भी भिन्न था। सामान्यत: वर्ष का मान ऋतुचक्र के तुल्य रखने का प्रयत्न किया जाता था, परंतु इस्लामी संवत्‌ हिज़री के अनुसार वह केवल बारह चांद्र मासों, अर्थात्‌ ३५४ दिनों का, वर्ष होता था, जो ऋतुचक्र के तुल्य नहीं है। कुछ वर्ष चांद्र और सौर के मिश्रण होते थे, जैसा आजकल भारत के अनेक प्रांतों में प्रचलित है। इसमें १२ चांद्र मासों (३५४ दिनों) का एक वर्ष होता है, परंतु दो या तीन वर्षों में एक अधिमास बढ़ाकर वर्ष के मध्य (औसत) मान को ऋतुचक्र के तुल्य बनाया जाता है। प्रत्येक ऋतु-चक्र-तुल्य वर्ष को सौर वर्ष भी कहते हैं, क्योंकि उसका मान सूर्य से संबद्ध होता है। ऊपर हमने चांद्रमास का जो उल्लेख किया है उसको वस्तुत: सौर चांद्रमास कहना चाहिए, क्योंकि उसका आधार सूर्य और चंद्रमा के साथ मिश्र रूप में है। पूर्णिमा तक अथवा अमावस्या से अमावास्या तक इस चांद्रमास का मान होता है। जैसे वर्षमान की कल्पना ऋतुओं पर और मास की कल्पना चंद्रमा की कलाओं पर आश्रित है, उसी प्रकार दिन की गणना की कल्पना सूर्योदय, सूर्यास्त, मध्याह्न अथवा मध्यरात्रि से हुई। सामान्यत: एक मध्याह्न से आगामी मध्याह्न के माध्य (औसत) काल को एक दिन कहते हैं। जहाँ चांद्र मास प्रचलित है, जैसे भारत के विभिन्न प्रदेशों में, तिथियों से गणना की जाती है, जिनका संबंध प्रधानत: चंद्रमा की कलाओं के साथ है। इस प्रकार हम देखते हैं कि जगत्‌ के विविध प्रदेशों में अलग-अलग संवतों से गणना होती है, वर्ष का प्रारंभ भी भिन्न-भिन्न ऋतुओं में होता है और मासगणना तथा दिनगणना भी विविध प्रकार की होती है। अब यदि किसी प्राचीन शिलालेख में हमने पढ़ा कि वह दिन अमुक संवत्‌ के अमुक मास का अमुक दिन था तो प्रश्न उठता है कि वह ठीक कौन सा दिन था। बहुधा इसका उत्तर पाना कठिन होता है, क्योंकि उस संवत्‌ का आरंभ कब हुआ, उसका वर्षमान क्या था और उसके मास तथा दिन किस प्रकार गिने जाते थे, इन सब बातों का ज्ञान प्राप्त किए बिना हम उस दिन का कालनिर्णय नहीं कर सकते। इसलिए पहले यह आवश्यक है कि जगत्‌ के भिन्न-भिन्न संवतों का प्रारंभ, अर्थात्‌ उनके प्रथम वर्ष का आरंभ किसी एक ही प्रमाणित किए हुए संवतों में बताया जाए। जगत्‌ में प्राचीन काल से आज तक बहुत से संवत्सर चलते आए हैं। उन सबका निर्देश एक विस्तृत लेख का विषय है। अत: परिशिष्ट में भारत के प्राचीन एवं अर्वाचीन कुछेक मुख्य संवतों के प्रारंभ का काल ही देंगे। आजकल अधिकांश घटनाओं का काल ईसवी सन्‌ में देने की प्रणाली है। ईसवी सन्‌ के पूर्व की घटनाओं का निर्देश करने के लिए हम "ई.पू.' (ईसा पूर्व) अक्षरों का व्यवहार करते हैं। इतिहासवेत्ताओं की परिपाटी है कि १ ई. सन्‌ के पूर्व के वर्ष को १ ई.पू.

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काव्य

काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है। इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है। कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है। काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो। अर्थात् वहजिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। रसगंगाधर में 'रमणीय' अर्थ के प्रतिपादक शब्द को 'काव्य' कहा है। 'अर्थ की रमणीयता' के अंतर्गत शब्द की रमणीयता (शब्दलंकार) भी समझकर लोग इस लक्षण को स्वीकार करते हैं। पर 'अर्थ' की 'रमणीयता' कई प्रकार की हो सकती है। इससे यह लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं है। साहित्य दर्पणाकार विश्वनाथ का लक्षण ही सबसे ठीक जँचता है। उसके अनुसार 'रसात्मक वाक्य ही काव्य है'। रस अर्थात् मनोवेगों का सुखद संचार की काव्य की आत्मा है। काव्यप्रकाश में काव्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र। ध्वनि वह है जिस, में शब्दों से निकले हुए अर्थ (वाच्य) की अपेक्षा छिपा हुआ अभिप्राय (व्यंग्य) प्रधान हो। गुणीभूत ब्यंग्य वह है जिसमें गौण हो। चित्र या अलंकार वह है जिसमें बिना ब्यंग्य के चमत्कार हो। इन तीनों को क्रमशः उत्तम, मध्यम और अधम भी कहते हैं। काव्यप्रकाशकार का जोर छिपे हुए भाव पर अधिक जान पड़ता है, रस के उद्रेक पर नहीं। काव्य के दो और भेद किए गए हैं, महाकाव्य और खंड काव्य। महाकाव्य सर्गबद्ध और उसका नायक कोई देवता, राजा या धीरोदात्त गुंण संपन्न क्षत्रिय होना चाहिए। उसमें शृंगार, वीर या शांत रसों में से कोई रस प्रधान होना चाहिए। बीच बीच में करुणा; हास्य इत्यादि और रस तथा और और लोगों के प्रसंग भी आने चाहिए। कम से कम आठ सर्ग होने चाहिए। महाकाव्य में संध्या, सूर्य, चंद्र, रात्रि, प्रभात, मृगया, पर्वत, वन, ऋतु, सागर, संयोग, विप्रलम्भ, मुनि, पुर, यज्ञ, रणप्रयाण, विवाह आदि का यथास्थान सन्निवेश होना चाहिए। काव्य दो प्रकार का माना गया है, दृश्य और श्रव्य। दृश्य काव्य वह है जो अभिनय द्वारा दिखलाया जाय, जैसे, नाटक, प्रहसन, आदि जो पढ़ने और सुनेन योग्य हो, वह श्रव्य है। श्रव्य काव्य दो प्रकार का होता है, गद्य और पद्य। पद्य काव्य के महाकाव्य और खंडकाव्य दो भेद कहे जा चुके हैं। गद्य काव्य के भी दो भेद किए गए हैं- कथा और आख्यायिका। चंपू, विरुद और कारंभक तीन प्रकार के काव्य और माने गए है। .

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काव्यशास्त्र

काव्यशास्त्र काव्य और साहित्य का दर्शन तथा विज्ञान है। यह काव्यकृतियों के विश्लेषण के आधार पर समय-समय पर उद्भावित सिद्धांतों की ज्ञानराशि है। युगानुरूप परिस्थितियों के अनुसार काव्य और साहित्य का कथ्य और शिल्प बदलता रहता है; फलत: काव्यशास्त्रीय सिद्धांतों में भी निरंतर परिवर्तन होता रहा है। भारत में भरत के सिद्धांतों से लेकर आज तक और पश्चिम में सुकरात और उसके शिष्य प्लेटो से लेकर अद्यतन "नवआलोचना' (नियो-क्रिटिसिज्म़) तक के सिद्धांतों के ऐतिहासिक अनुशीलन से यह बात साफ हो जाती है। भारत में काव्य नाटकादि कृतियों को 'लक्ष्य ग्रंथ' तथा सैद्धांतिक ग्रंथों को 'लक्षण ग्रंथ' कहा जाता है। ये लक्षण ग्रंथ सदा लक्ष्य ग्रंथ के पश्चाद्भावनी तथा अनुगामी है और महान्‌ कवि इनकी लीक को चुनौती देते देखे जाते हैं। काव्यशास्त्र के लिए पुराने नाम 'साहित्यशास्त्र' तथा 'अलंकारशास्त्र' हैं और साहित्य के व्यापक रचनात्मक वाङमय को समेटने पर इसे 'समीक्षाशास्त्र' भी कहा जाने लगा। मूलत: काव्यशास्त्रीय चिंतन शब्दकाव्य (महाकाव्य एवं मुक्तक) तथा दृश्यकाव्य (नाटक) के ही सम्बंध में सिद्धांत स्थिर करता देखा जाता है। अरस्तू के "पोयटिक्स" में कामेडी, ट्रैजेडी, तथा एपिक की समीक्षात्मक कसौटी का आकलन है और भरत का नाट्यशास्त्र केवल रूपक या दृश्यकाव्य की ही समीक्षा के सिद्धांत प्रस्तुत करता है। भारत और पश्चिम में यह चिंतन ई.पू.

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कांच

स्वच्छ पारदर्शी कांच का बना प्रकाश बल्ब काच, काँच या कांच (glass) एक अक्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है। कांच आमतौर भंगुर और अक्सर प्रकाशीय रूप से पारदर्शी होते हैं। काच अथव शीशा अकार्बनिक पदार्थों से बना हुआ वह पारदर्शक अथवा अपारदर्शक पदार्थ है जिससे शीशी बोतल आदि बनती हैं। काच का आविष्कार संसार के लिए बहुत बड़ी घटना थी और आज की वैज्ञानिक उन्नति में काच का बहुत अधिक महत्व है। किन्तु विज्ञान की दृष्टि से 'कांच' की परिभाषा बहुत व्यापक है। इस दृष्टि से उन सभी ठोसों को कांच कहते हैं जो द्रव अवस्था से ठण्डा होकर ठोस अवस्था में आने पर क्रिस्टलीय संरचना नहीं प्राप्त करते। सबसे आम काच सोडा-लाइम काच है जो शताब्दियों से खिड़कियाँ और गिलास आदि बनाने के काम में आ रहा है। सोडा-लाइम कांच में लगभग 75% सिलिका (SiO2), सोडियम आक्साइड (Na2O) और चूना (CaO) और अनेकों अन्य चीजें कम मात्रा में मिली होती हैं। काँच यानी SiO2 जो कि रेत का अभिन्न अंग है। रेत और कुछ अन्य सामग्री को एक भट्टी में लगभग 1500 डिग्री सैल्सियस पर पिघलाया जाता है और फिर इस पिघले काँच को उन खाँचों में बूंद-बूंद करके उंडेला जाता है जिससे मनचाही चीज़ बनाई जा सके। मान लीजिए, बोतल बनाई जा रही है तो खाँचे में पिघला काँच डालने के बाद बोतल की सतह पर और काम किया जाता है और उसे फिर एक भट्टी से गुज़ारा जाता है। .

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कुँवर नारायण

कुँवर नारायण का जन्म १९ सितंबर १९२७ को हुआ। नई कविता आंदोलन के सशक्त हस्ताक्षर कुँवर नारायण अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक (१९५९) के प्रमुख कवियों में रहे हैं। कुँवर नारायण को अपनी रचनाशीलता में इतिहास और मिथक के जरिये वर्तमान को देखने के लिए जाना जाता है। कुंवर नारायण का रचना संसार इतना व्यापक एवं जटिल है कि उसको कोई एक नाम देना सम्भव नहीं। यद्यपि कुंवर नारायण की मूल विधा कविता रही है पर इसके अलावा उन्होंने कहानी, लेख व समीक्षाओं के साथ-साथ सिनेमा, रंगमंच एवं अन्य कलाओं पर भी बखूबी लेखनी चलायी है। इसके चलते जहाँ उनके लेखन में सहज संप्रेषणीयता आई वहीं वे प्रयोगधर्मी भी बने रहे। उनकी कविताओं-कहानियों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। ‘तनाव‘ पत्रिका के लिए उन्होंने कवाफी तथा ब्रोर्खेस की कविताओं का भी अनुवाद किया है। 2009 में कुँवर नारायण को वर्ष 2005 के लिए देश के साहित्य जगत के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कुतुब परिसर

कुतुब इमारत समूह का नक्शा कुतुब इमारत समूह एक स्मारक इमारतों एवं अवशेषों का समूह है, जो महरौली, दिल्ली, भारत में स्थित है। इसकी सर्वाधिक प्रसिद्ध इमारत कुतुब मीनार है। .

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कुरुक्षेत्र युद्ध

कुरुक्षेत्र युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य कुरु साम्राज्य के सिंहासन की प्राप्ति के लिए लड़ा गया था। महाभारत के अनुसार इस युद्ध में भारत के प्रायः सभी जनपदों ने भाग लिया था। महाभारत व अन्य वैदिक साहित्यों के अनुसार यह प्राचीन भारत में वैदिक काल के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था। महाभारत-गीताप्रेस गोरखपुर,सौप्तिकपर्व इस युद्ध में लाखों क्षत्रिय योद्धा मारे गये जिसके परिणामस्वरूप वैदिक संस्कृति तथा सभ्यता का पतन हो गया था। इस युद्ध में सम्पूर्ण भारतवर्ष के राजाओं के अतिरिक्त बहुत से अन्य देशों के क्षत्रिय वीरों ने भी भाग लिया और सब के सब वीर गति को प्राप्त हो गये। महाभारत-गीताप्रेस गोरखपुर,भीष्मपर्व इस युद्ध के परिणामस्वरुप भारत में ज्ञान और विज्ञान दोनों के साथ-साथ वीर क्षत्रियों का अभाव हो गया। एक तरह से वैदिक संस्कृति और सभ्यता जो विकास के चरम पर थी उसका एकाएक विनाश हो गया। प्राचीन भारत की स्वर्णिम वैदिक सभ्यता इस युद्ध की समाप्ति के साथ ही समाप्त हो गयी। इस महान युद्ध का उस समय के महान ऋषि और दार्शनिक भगवान वेदव्यास ने अपने महाकाव्य महाभारत में वर्णन किया, जिसे सहस्राब्दियों तक सम्पूर्ण भारतवर्ष में गाकर एवं सुनकर याद रखा गया। महाभारत में मुख्यतः चंद्रवंशियों के दो परिवार कौरव और पाण्डव के बीच हुए युद्ध का वृत्तांत है। १०० कौरवों और पाँच पाण्डवों के बीच कुरु साम्राज्य की भूमि के लिए जो संघर्ष चला उससे अंतत: महाभारत युद्ध का सृजन हुआ। उक्त युद्ध को हरियाणा में स्थित कुरुक्षेत्र के आसपास हुआ माना जाता है। इस युद्ध में पाण्डव विजयी हुए थे। महाभारत में इस युद्ध को धर्मयुद्ध कहा गया है, क्योंकि यह सत्य और न्याय के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध था। महाभारत काल से जुड़े कई अवशेष दिल्ली में पुराना किला में मिले हैं। पुराना किला को पाण्डवों का किला भी कहा जाता है। कुरुक्षेत्र में भी भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा महाभारत काल के बाण और भाले प्राप्त हुए हैं। गुजरात के पश्चिमी तट पर समुद्र में डूबे ७०००-३५०० वर्ष पुराने शहर खोजे गये हैं, जिनको महाभारत में वर्णित द्वारका के सन्दर्भों से जोड़ा गया, इसके अलावा बरनावा में भी लाक्षागृह के अवशेष मिले हैं, ये सभी प्रमाण महाभारत की वास्तविकता को सिद्ध करते हैं। .

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कुशल पाल सिंह

कुशाल पाल सिंह या के.पी.सिंह, भारत की सबसे बडी रियल्टी कंपनी डी. एल. एफ. लिमिटेड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी है। .

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कुसल राजेंद्रन

कुसल राजेंद्रन एक भारतीय भूकंपविज्ञानी हैं और वर्तमान में पृथ्वी विज्ञान केंद्र, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु, भारत में प्रोफेसर हैं। वह खुद को पृथ्वी वैज्ञानिक कहती है। उन्होंने मुख्य रूप से पृथ्वी के भूकंपों और उनके स्रोत तंत्र पर काम किया है। उन्होंने भारत में पृथ्वी के भूकंप पैटर्न पर बड़े पैमाने पर काम किया है और इस क्षेत्र में अग्रणी लोगों में से एक माना जाता है। .

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क्रम-विकास

आनुवांशिकता का आधार डीएनए, जिसमें परिवर्तन होने पर नई जातियाँ उत्पन्न होती हैं। क्रम-विकास या इवोलुशन (English: Evolution) जैविक आबादी के आनुवंशिक लक्षणों के पीढ़ी दर पीढ़ी परिवर्तन को कहते हैं। क्रम-विकास की प्रक्रियायों के फलस्वरूप जैविक संगठन के हर स्तर (जाति, सजीव या कोशिका) पर विविधता बढ़ती है। पृथ्वी के सभी जीवों का एक साझा पूर्वज है, जो ३.५–३.८ अरब वर्ष पूर्व रहता था। इसे अंतिम सार्वजानिक पूर्वज कहते हैं। जीवन के क्रम-विकासिक इतिहास में बार-बार नयी जातियों का बनना (प्रजातिकरण), जातियों के अंतर्गत परिवर्तन (अनागेनेसिस), और जातियों का विलुप्त होना (विलुप्ति) साझे रूपात्मक और जैव रासायनिक लक्षणों (जिसमें डीएनए भी शामिल है) से साबित होता है। जिन जातियों का हाल ही में कोई साझा पूर्वज था, उन जातियों में ये साझे लक्षण ज्यादा समान हैं। मौजूदा जातियों और जीवाश्मों के इन लक्षणों के बीच क्रम-विकासिक रिश्ते (वर्गानुवंशिकी) देख कर हम जीवन का वंश वृक्ष बना सकते हैं। सबसे पुराने बने जीवाश्म जैविक प्रक्रियाओं से बने ग्रेफाइट के हैं, उसके बाद बने जीवाश्म सूक्ष्मजीवी चटाई के हैं, जबकि बहुकोशिकीय जीवों के जीवाश्म बहुत ताजा हैं। इस से हमें पता चलता है कि जीवन सरल से जटिल की तरफ विकसित हुआ है। आज की जैव विविधता को प्रजातिकरण और विलुप्ति, दोनों द्वारा आकार दिया गया है। पृथ्वी पर रही ९९ प्रतिशत से अधिक जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं। पृथ्वी पर जातियों की संख्या १ से १.४ करोड़ अनुमानित है। इन में से १२ लाख प्रलेखित हैं। १९ वीं सदी के मध्य में चार्ल्स डार्विन ने प्राकृतिक वरण द्वारा क्रम-विकास का वैज्ञानिक सिद्धांत दिया। उन्होंने इसे अपनी किताब जीवजाति का उद्भव (१८५९) में प्रकाशित किया। प्राकृतिक चयन द्वारा क्रम-विकास की प्रक्रिया को निम्नलिखित अवलोकनों से साबित किया जा सकता है: १) जितनी संतानें संभवतः जीवित रह सकती हैं, उस से अधिक पैदा होती हैं, २) आबादी में रूपात्मक, शारीरिक और व्यवहारिक लक्षणों में विविधता होती है, ३) अलग-अलग लक्षण उत्तर-जीवन और प्रजनन की अलग-अलग संभावना प्रदान करते हैं, और ४) लक्षण एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी को दिए जाते हैं। इस प्रकार, पीढ़ी दर पीढ़ी आबादी उन शख़्सों की संतानों द्वारा प्रतिस्थापित हो जाती है जो उस बाईओफीसिकल परिवेश (जिसमें प्राकृतिक चयन हुआ था) के बेहतर अनुकूलित हों। प्राकृतिक वरण की प्रक्रिया इस आभासी उद्देश्यपूर्णता से उन लक्षणों को बनती और बरकरार रखती है जो अपनी कार्यात्मक भूमिका के अनुकूल हों। अनुकूलन का प्राकृतिक वरण ही एक ज्ञात कारण है, लेकिन क्रम-विकास के और भी ज्ञात कारण हैं। माइक्रो-क्रम-विकास के अन्य गैर-अनुकूली कारण उत्परिवर्तन और जैनेटिक ड्रिफ्ट हैं। .

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क्रांतिकारी बदलाव

क्रांतिकारी बदलाव या रूपांतरण (या क्रांतिकारी विज्ञान) थामस कुह्न द्वारा उनकी प्रभावशाली पुस्तक द स्ट्रक्चर ऑफ साइंटिफिक रिवोलुशनस (1962) में प्रयुक्त (पर उनके द्वारा बनाया गया नहीं) पद है जो उन्होंने विज्ञान के प्रभावी सिद्धांत के भीतर मूल मान्यताओं में परिवर्तन को व्यक्त करने के लिये प्रयुक्त किया था। यह सामान्य विज्ञान के बारे में उनके विचार से भिन्न है। तब से क्रांतिकारी बदलाव शब्द घटनाओं के मूल आदर्श के रूप में परिवर्तन के रूप में मानवीय अनुभव के अन्य कई भागों में भी व्यापक रूप से प्रयोग किया जाने लगा है, हालांकि स्वयं कुह्न ने इस पद के प्रयोग को कठिन विज्ञानों तक ही सीमित रखा है। कुह्न के अनुसार, "क्रांति वह चीज है जिसका केवल वैज्ञानिक समाज के सदस्य ही साझा करते हैं।" (द एसेंसियल टेंशन, 1977).

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क्षेत्र (गणित)

गणित में क्षेत्र (field) ऐसा समुच्चय होता है जिसमें जोड़, घटाना, गुणा और विभाजन परिभाषित हों और वहीं अर्थ रखें जो वे परिमेय संख्याओं और वास्तविक संख्याओं के लिए रखते हैं। क्षेत्रों का बीजगणित, संख्या सिद्धान्त और गणित की कई शाखाओं में महत्व है। परिमेय संख्याओं का क्षेत्र और वास्तविक संख्याओं का क्षेत्र सबसे अधिक प्रयोग होने वाले क्षेत्र हैं, हालांकि सम्मिश्र संख्याओं का क्षेत्र गणित के अलावा विज्ञान व अभियान्त्रिकी में भी प्रयोग होता है। .

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क्विज़

क्विज़ एक प्रकार का खेल अथवा दिमागी कसरत है जिसमें खिलाड़ी (अकेले या टीम में) सवालों के सही उत्तर देने का प्रयास करते हैं। क्विज़ एक प्रकार के संक्षिप्त मूल्यांकन को भी कहते हैं जिसका प्रयोग शिक्षा या इसी प्रकार के अन्य क्षेत्रों में ज्ञान, योग्यता और/या कौशल में वृद्धि को मापने के लिए किया जाता है। आमतौर पर प्रश्नोत्तारियों में उत्तरों के लिए अंक दिए जाते हैं और कई प्रश्नोत्तरियों का उद्देश्य प्रतिभागियों के एक समूह में से सबसे ज्यादा अंक पाने वाले विजेता का चुनाव करना होता है। .

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कृति शर्मा

कृति शर्मा, (अप्रैल १९८८) एक कृत्रिम बुद्धि प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ और मोबाइल उत्पाद आविष्कारक है। २०१७ में, शर्मा को फोर्ब्स पत्रिका के ३० अंडर ३० में नामित किया गया था। वह एक वक्ता भी है जो वित्तीय प्रौद्योगिकी, बड़े डेटा, उत्पाद प्रबंधन और सहस्राब्दी उद्यमिता पर चर्चा करती है। वह वर्तमान में बॉट्स के उपाध्यक्ष और सेज ग्रुप की एआई है, ब्रिटेन की सबसे बड़ी तकनीक कंपनियों में से एक। उन्होंने "अदृश्य लेखा" का आविष्कार किया पेग के साथ मिल कर। .

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कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन

कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन राज्यसभा के सांसद एवं प्रसिद्ध भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं। इन्हें भारत सरकार ने १९९२ में विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये कर्नाटक से हैं एवं वर्तमान में भारतीय योजना आयोग के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। .

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के वी शर्म

के वी वेंकटेश्वर शर्म (1919–2005) भारत के विज्ञान-इतिहासकार थे। उन्होने केरल गणित सम्प्रदाय एवं ज्योतिष के इतिहास पर विशेष कार्य किया। केरल गणित सम्रदाय के अनेकों उप्लब्धियों को प्रकाश में लाने का श्रेय के वी शर्म को जाता है। उन्होने पंजाब विश्वविद्यालय से १९७७ में पीएचडी की। .

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कोठारी आयोग

सन् १९६४ में भारत की केन्द्रीय सरकार ने डॉ दौलतसिंह कोठारी की अध्यक्षता में स्कूली शिक्षा प्रणाली को नया आकार व नयी दिशा देने के उद्देश्य से एक आयोग का गठन किया। इसे कोठारी आयोग के नाम से जाना जाता है। डॉ कोठारी उस समय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष थे। आयोग ने भारतीय स्कूली शिक्षा की गहन समीक्षा प्रस्तुत की जो भारत के शिक्षा के इतिहास में आज भी सर्वाधिक गहन अध्ययन माना जाता है। कोठारी आयोग (1964-66) या राष्ट्रीय शिक्षा आयोग, भारत का ऐसा पहला शिक्षा आयोग था जिसने अपनी रिपार्ट में सामाजिक बदलावों को ध्यान में रखते हुए कुछ ठोस सुझाव दिए l .

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कोजो (प्रोग्रामन भाषा)

कोजो (Kojo) एक प्रोग्रामन तथा अधिगम (learning) का मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयर है। इसमें ऐसी सुविधाएं हैं जिससे खेलने, खोजने, सृजन करने और सीखने में मदद मिलती है। इससे कम्प्यूटर प्रोग्रामन, मानसिक कौशल, गणित, ग्राफिक्स, कला, संगीत, विज्ञान, एनिमेशन, खेल और इलेक्ट्रॉनिकी सीखने में मदद मिलती है। कोजो भाषा ने लोगो (Logo) और प्रोसेसिंग (Processing) भाषाओं से कई विचार ग्रहण किये हैं। कोजो मुक्तस्रोत सॉफ्टवेयर है। इसका विकास देहरादून के कम्प्यूटर प्रोग्रामर तथा अध्यापक ललित पन्त ने किया है। कोजो एक आईडीई (IDE) भी है। .

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अच्युत गोडबोले

अच्युत गोडबोले प्रौद्योगिकीविद, समाजसेवी, मराठी लेखक एवं वक्ता हैं। उन्होने विज्ञान, संगणक विज्ञान तथा व्यवसाय आदि पर प्रमुखता से लेखन किया है। उनका बचपन प्रमुखतया सोलापुर शहर में बीता। .

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अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय

अटल बि‍हारी वाजपेयी हि‍न्‍दी वि‍श्‍ववि‍द्यालय भोपाल में स्थित एक विश्वविद्यालय है। 6 जून 2013 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने इसकी की आधारशि‍ला रखी। यह विश्वविद्यालय तकनीकी, चिकित्सा, कला और वाणिज्य से जुड़े विषयों की शिक्षा प्रदान करेगा। मध्यप्रदेश और भारतवासियों के स्वभाषा और सुभाषा के माध्यम से ज्ञान की परम्परागत और आधुनिक विधाओं में शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्था और हिन्दी को गौरवपूर्ण स्थान दिलाने के लिये मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इसकी स्थापना 19 दिसम्बर 2011 को की गयी। भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रबल पक्षधर रहे हैं। इसीलिये इस विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा गया। भोपाल चूँकि भारतवर्ष के केन्द्र में स्थित है अत: इस विश्वविद्यालय को वहाँ स्थापित किया गया। इस विश्वविद्यालय का प्रमुख उद्देश्य हिन्दी भाषा को अध्यापन, प्रशिक्षण, ज्ञान की वृद्धि और प्रसार के लिये तथा विज्ञान, साहित्य, कला और अन्य विधाओं में उच्चस्तरीय गवेषणा हेतु शिक्षण का माध्यम बनाना है। यह विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश में हिन्दी माध्यम से ज्ञान के सभी अनुशासनों में अध्ययन, अध्यापन एवं शोध कराने वाला प्रथम विश्वविद्यालय है। यहाँ विद्यार्थियों के लिये प्रशिक्षण, प्रमाण‍-‍‍पत्र, पत्रोपाधि, स्नातक, स्नातकोत्तर, एम॰फिल॰, पीएच॰डी॰, डी॰लिट॰ व डी॰एससी॰ जैसे अनेक उपाधि कार्यक्रम प्रस्तावित हैं। 30 जून 2012 को प्रो॰ मोहनलाल छीपा इस विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति नियुक्त किये गये। इससे पूर्व वे महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के कुलपति थे। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 6 जून 2013 को भोपाल के ग्राम मुगालिया कोट में विश्वविद्यालय भवन का शिलान्यास किया। विश्वविद्यालय का भवन 50 एकड़ में बनेगा। अगस्त 2013 से विश्वविद्यालय ने शिक्षण कार्य प्रारम्भ भी कर दिया है। वर्तमान में प्रो.रामदेव भारद्वाज इस विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति हैं दिनांक 8/03/2017 को अंतरराष्ट्रिय महिला दिवस के मौके पर विकिपीडिया की टीम के द्वारा कार्य शाला का आयोजन किया गया। .

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अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान

जिस प्रकार सामान्य विज्ञान का व्यावहारिक पक्ष 'अनुप्रयुक्त विज्ञान' है, उसी प्रकार भाषाविज्ञान का व्यावहारिक पक्ष अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान (Applied linguistics) है। भाषासंबंधी मौलिक नियमों के विचार की नींव पर ही अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान की इमारत खड़ी होती है। संक्षेप में, इसका संबंध व्यावहारिक क्षेत्रों में भाषाविज्ञान के अध्ययन के उपयोग से है। .

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अनुप्रयुक्त भौतिकी

भौतिकी के तकनीकी और व्यावहारिक अनुप्रयोगों से सम्बंधित विषयों के विज्ञान को अनुप्रयुक्त भौतिकी (अप्लायड फिजिक्स) कहते हैं। सैद्धांतिक भौतिकी और अनुप्रयुक्त भौतिकी के बीच की सीमाओं को किसी वैज्ञानिक की अभिप्रेरणा और अभिप्राय जैसे तत्त्वों से लेकर किसी अनुसन्धान के प्रोधयोगिकी और विज्ञान पर अंततः पड़ने वाले असर तक जा सकता है। अभियाँत्रिकी से इसमें अन्तर केवल इतना है कि, जहाँ अभियाँत्रिकी में विद्यमान तकनीकों पर आधारित ठोस अंत परिणाम की अपेक्षा की जाती है, व्यावहारिक भौतिकी मे नये तकनीकों पर, या विद्यमान तकनीकों पर, अनुसंधान होता है। काफी हद तक यह अनुप्रयुक्त गणित के समान है। भौतिक विज्ञानी भौतिकी के सिद्धांतों का प्रयोग सैद्धांतिक भौतिकी के विकास हेतु यंत्रों को बनाने के लिये भी करते हैं। इसका उदाहरण है त्वरक भौतिकी। .

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अनुप्रयुक्त विज्ञान

विज्ञान की वे शाखायें जो पहले से विद्यमान वैज्ञानिक ज्ञान का का उपयोग और अधिक व्यावहारिक कार्यों (जैसे प्रौद्योगिकी, अनुसंधान आदि) के सम्पादन के लिये करतीं हैं, उन्हें अनुप्रयुक्त विज्ञान (applied science) कहते हैं। 'शुद्ध विज्ञान', अनुप्रयुक्त विज्ञान का उल्टा है जो प्रकृति की परिघटनाओं की व्याख्या करने एवं उनका पूर्वानुमान लगाने आदि का कार्य करता इंजीनीयरिंग (अभियांत्रिकी) की विद्या अनुप्रयुक्त विज्ञान है। अनुप्रयुक्त विज्ञान टेक्नोलोजी विकास के लिये महत्वपूर्ण्ण है। औद्योगिक क्षेत्र में इसे 'अनुसंधान और विकास' (R&D) कहते हैं। .

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अनुराधा टी॰ के॰

अनुराधा टी.के. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में एक भारतीय वैज्ञानिक और परियोजना निदेशक हैं। वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में वरिष्ठ महिला वैज्ञानिक हैं, जो १९८२ में अंतरिक्ष एजेंसी में शामिल हो गए थे। वह एक उपग्रह प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनने वाली पहली महिला है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की। .

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अनुवाद

किसी भाषा में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। अनुवाद का कार्य बहुत पुराने समय से होता आया है। संस्कृत में 'अनुवाद' शब्द का उपयोग शिष्य द्वारा गुरु की बात के दुहराए जाने, पुनः कथन, समर्थन के लिए प्रयुक्त कथन, आवृत्ति जैसे कई संदर्भों में किया गया है। संस्कृत के ’वद्‘ धातु से ’अनुवाद‘ शब्द का निर्माण हुआ है। ’वद्‘ का अर्थ है बोलना। ’वद्‘ धातु में 'अ' प्रत्यय जोड़ देने पर भाववाचक संज्ञा में इसका परिवर्तित रूप है 'वाद' जिसका अर्थ है- 'कहने की क्रिया' या 'कही हुई बात'। 'वाद' में 'अनु' उपसर्ग उपसर्ग जोड़कर 'अनुवाद' शब्द बना है, जिसका अर्थ है, प्राप्त कथन को पुनः कहना। इसका प्रयोग पहली बार मोनियर विलियम्स ने अँग्रेजी शब्द टांंसलेशन (translation) के पर्याय के रूप में किया। इसके बाद ही 'अनुवाद' शब्द का प्रयोग एक भाषा में किसी के द्वारा प्रस्तुत की गई सामग्री की दूसरी भाषा में पुनः प्रस्तुति के संदर्भ में किया गया। वास्तव में अनुवाद भाषा के इन्द्रधनुषी रूप की पहचान का समर्थतम मार्ग है। अनुवाद की अनिवार्यता को किसी भाषा की समृद्धि का शोर मचा कर टाला नहीं जा सकता और न अनुवाद की बहुकोणीय उपयोगिता से इन्कार किया जा सकता है। ज्त्।छैस्।ज्प्व्छ के पर्यायस्वरूप ’अनुवाद‘ शब्द का स्वीकृत अर्थ है, एक भाषा की विचार सामग्री को दूसरी भाषा में पहुँचना। अनुवाद के लिए हिंदी में 'उल्था' का प्रचलन भी है।अँग्रेजी में TRANSLATION के साथ ही TRANSCRIPTION का प्रचलन भी है, जिसे हिंदी में 'लिप्यन्तरण' कहा जाता है। अनुवाद और लिप्यंतरण का अंतर इस उदाहरण से स्पष्ट है- इससे स्पष्ट है कि 'अनुवाद' में हिंदी वाक्य को अँग्रेजी में प्रस्तुत किया गया है जबकि लिप्यंतरण में नागरी लिपि में लिखी गयी बात को मात्र रोमन लिपि में रख दिया गया है। अनुवाद के लिए 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग भी किया जाता रहा है। लेकिन अब इन दोनों ही शब्दों के नए अर्थ और उपयोग प्रचलित हैं। 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग अँग्रेजी के INTERPRETATION शब्द के पर्याय-स्वरूप होता है, जिसका अर्थ है दो व्यक्तियों के बीच भाषिक संपर्क स्थापित करना। कन्नडभाषी व्यक्ति और असमियाभाषी व्यक्ति के बीच की भाषिक दूरी को भाषांतरण के द्वारा ही दूर किया जाता है। 'रूपांतर' शब्द इन दिनों प्रायः किसी एक विधा की रचना की अन्य विधा में प्रस्तुति के लिए प्रयुक्त है। जैस, प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' का रूपांतरण 'होरी' नाटक के रूप में किया गया है। किसी भाषा में अभिव्यक्त विचारों को दूसरी भाषा में यथावत् प्रस्तुत करना अनुवाद है। इस विशेष अर्थ में ही 'अनुवाद' शब्द का अभिप्राय सुनिश्चित है। जिस भाषा से अनुवाद किया जाता है, वह मूलभाषा या स्रोतभाषा है। उससे जिस नई भाषा में अनुवाद करना है, वह 'प्रस्तुत भाषा' या 'लक्ष्य भाषा' है। इस तरह, स्रोत भाषा में प्रस्तुत भाव या विचार को बिना किसी परिवर्तन के लक्ष्यभाषा में प्रस्तुत करना ही अनुवाद है।ज .

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अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली

अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली (संक्षेप में SI; फ्रेंच Le Système International d'unités का संक्षिप्त रूप), मीटरी पद्धति का आधुनिक रूप है। इसे सामान्य रूप में दशमलव एवं दस के गुणांकों में बनाया गया है। यह विज्ञान एवं वाणिज्य के क्षेत्र में विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली प्रणाली है। पुरानी मेट्रिक प्रणाली में कई इकाइयों के समूह प्रयोग किए जाते थे। SI को 1960 में पुरानी मीटर-किलोग्राम-सैकण्ड यानी (MKS) प्रणाली से विकसित किया गया था, बजाय सेंटीमीटर-ग्राम-सैकण्ड प्रणाली की, जिसमें कई कठिनाइयाँ थीं। SI प्रणाली स्थिर नहीं रहती, वरन इसमें निरंतर विकास होते रहते हैं, परंतु इकाइयां अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के द्वारा ही बनाई और बदली जाती हैं। यह प्रणाली लगभग विश्वव्यापक स्तर पर लागू है और अधिकांश देश इसके अलावा अन्य इकाइयों की आधिकारिक परिभाषाएं भी नहीं समझते हैं। परंतु इसके अपवाद संयुक्त राज्य अमरीका और ब्रिटेन हैं, जहाँ अभी भी गैर-SI इकाइयों उनकी पुरानी प्रणालियाँ लागू हैं।भारत मॆं यह प्रणाली 1 अप्रैल, 1957 मॆं लागू हुई। इसके साथ ही यहां नया पैसा भी लागू हुआ, जो कि स्वयं दशमलव प्रणाली पर आधारित था। इस प्रणाली में कई नई नामकरण की गई इकाइयाँ लागू हुई। इस प्रणाली में सात मूल इकाइयाँ (मीटर, किलोग्राम, सैकण्ड, एम्पीयर, कैल्विन, मोल, कैन्डेला, कूलम्ब) और अन्य कई व्युत्पन्न इकाइयाँ हैं। कुछ वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में एस आई प्रणाली के साथ अन्य इकाइयाँ भी प्रयोग में लाई जाती हैं। SI उपसर्गों के माध्यम से बहुत छोटी और बहुत बड़ी मात्राओं को व्यक्त करने में सरलता होती है। तीन राष्ट्रों ने आधिकारिक रूप से इस प्रणाली को अपनी पूर्ण या प्राथमिक मापन प्रणाली स्वीकार्य नहीं किया है। ये राष्ट्र हैं: लाइबेरिया, म्याँमार और संयुक्त राज्य अमरीका। .

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अन्तरराष्ट्रीय विज्ञान ओलम्पियाड

अन्तरराष्ट्रीय विज्ञान ओलम्पियाड (The International Science Olympiads) विज्ञान के विविध विषयों में होने वाले विश्वस्तरीय प्रतियोगिताएँ हैं। .

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अन्तरिक्ष

अन्तरिक्ष (स्पेस) असीम, तीन-आयामी विस्तार है जिसमें वस्तुएं और घटनाएं होती है और उनकी सापेक्ष स्थिति और दिशा होती है। भौतिक अन्तरिक्ष अक्सर तीन रैखिक आयाम की तरह समझा जाता है, हालांकि आधुनिक भौतिकविद आमतौर पर इसे, समय के साथ, असीम चार-आयामी सातत्यक जिसे स्पेस टाइम कहते है, का एक भाग समझते हैं। गणित में 'अन्तरिक्ष' को विभिन्न आधारभूत संरचनाओं और आयामों की विभिन्न संख्या के साथ समझा जाता है। भौतिक ब्रह्मांड को समझने के लिए अन्तरिक्ष की अवधारणा को बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है हालांकि दार्शनिकों के मध्य इस तथ्य को लेकर असहमति जारी है कि यह स्वयं एक इकाई है, या इकाइयों के मध्य एक सम्बन्ध है, या वैचारिक ढांचे का एक हिस्सा है। पारम्परिक यांत्रिकी के प्रारंभिक विकास के दौरान, 17 वीं शताब्दी में कई दार्शनिक प्रश्न उजागर हुए थे। इसाक न्यूटन के अनुसार, अन्तरिक्ष निरपेक्ष था - अर्थात् यह स्थायी रूप से अस्तित्व में है और इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि क्या अन्तरिक्ष में कोई विषयवस्तु थी या नहीं। अन्य प्राकृतिक दार्शनिक, विशेष रूप से गोटफ्राइड लेबनिज़, ने इसके बजाय सोचा कि अन्तरिक्ष वस्तुओं के बीच संबंधों का एक संग्रह था, जो एक दूसरे से उनकी दूरी और दिशा के द्वारा दिया जाता है। 18वीं सदी में, इम्मानुएल काण्ट ने अन्तरिक्ष और समय को संरचनात्मक ढांचे के तत्वों के रूप में वर्णित किया है जिसको मनुष्य अपने अनुभव के निर्माण हेतु उपयोग करते है। 19वीं और 20वीं सदी में गणितज्ञों ने गैर इयूक्लिडियन रेखागणित का परीक्षण करना शुरू कर दिया था जिसमें अन्तरिक्ष को समतल के बजाय वक्रित कह सकते है। अल्बर्ट आइंस्टाइन का सामान्य सापेक्षता सिद्धांत के अनुसार गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के आसपास का अन्तरिक्ष इयूक्लिडियन अन्तरिक्ष से विसामान्य होता है। सामान्य सापेक्षता के प्रायोगिक परीक्षण ने यह पुष्टि की है कि गैर इयूक्लिडियन अन्तरिक्ष प्रकाशिकी और यांत्रिकी के और मौजूदा सिद्धांतो की व्याख्या हेतु एक बेहतर मॉडल उपलब्ध कराता है। .

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अन्नापुर्नी सुब्रमण्यम

अन्नापुर्नी सुब्रमण्यम भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में एक वैज्ञानिक है। तारों समूहों, तारकीय विकास और आकाशगंगाओं में जनसंख्या और मैगेलैनिक बादलों जैसे क्षेत्रों पर जुड़े हुए काम करती है। .

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अन्जेल्स एंड डेमन्स (देवदूत और शैतान)

अन्ज्लेस एंड डेमोंस 2000सबसे ज्यादा बिकने वाला एक रहस्यमय रोमांचकारी उपन्यास है; जो अमेरिकी लेखक डैन ब्राउन द्वारा लिखा गया है और पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है। यह काल्पनिक हार्वर्ड यूंनिवेर्सिटी (विश्वविद्यालय) के सिम्बोलोजिस्ट रोबेर्ट लैंगडन की ilumi(illuminati) नामक गुप्त समाज के रहस्यों को उजागर करने और विनाशकारी इलुमिनटी एंटीमीटर का प्रयोग करके वेटिकन सिटी का विनाश करने वाली साजिश का पर्दाफाश करने की इच्छा के चारों और घूमता हैl यह उपन्यास विशेष रूप से धर्म और विज्ञान के बीच ऐतिहासिक संघर्ष को प्रकट करता हैl यह सघर्ष इलुमीनटी और रोमन कैथोलिक चर्च के बीच मे हैl यह उपन्यास राबर्ट लैंगडन (रोबेर्ट लैंगडन) नामक पात्र का परिचय देता हैl रॉबर्ट लैंगडन (Robert langdan) ब्राउन के बाद में आने वाले उपन्यास 2003 काविन्ची कोड और 2009 का उपन्यास लोस्ट सिम्बल के नायकभी हैl इसमें बहुत सारे शेलीगत तत्व हैं - जैसे गुप्त समाज की साजिशें, एक दिन की समय सीमा और केथोलिक चर्च प्राचीन इतिहास, वास्तुकला और प्रतीकों का भी भारी प्रयोग इस पुस्तक में हैंl एक फिल्म अनुकूलन 15 मई 2009 को जारी किया गया था; हालांकि यह दा विंची कोड (The Vinci Code) फिल्म की घटनाओं के बाद किया गया था;जो 2006 मैं दिखाई गयी थीl .

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अन्विता अब्बी

अन्विता अब्बी (जन्म ९ जनवरी १९४९) एक भारतीय भाषाविद और अल्पसंख्यक भाषाओं की विद्वान हैं। भाषा विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें २०१३ में, पद्म श्री को चौथी उच्चतम नागरिक पुरस्कार प्रदान करके उन्हें सम्मानित किया था। अन्विता अब्बी का जन्म ९ जनवरी १९४९ को आगरा में हुआ था। १९६८ में उन्होंने ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र (बीए ऑनर्स) में स्नातक प्राप्त की। उन्होंने १९७० में पहले डिवीजन और प्रथम रैंक के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय से ही भाषाविज्ञान में मास्टर डिग्री (एमए) हासिल की। और १९७५ में कॉर्नेल विश्वविद्यालय, इथाका, यूएसए, से पीएचडी की। उन्होंने ने कैनसस स्टेट यूनिवर्सिटी में फ़रवरी १९७५ में दक्षिण एशिया मीडिया केंद्र के निदेशक के रूप में अपना करियर शुरू किया और वाहा एक साल तक काम किया। .

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अपराध शास्त्र

अपराध, अपराधी, आपराधिक स्वभाव तथा अपराधियों के सुधार का वैज्ञानिक अध्ययन अपराध शास्त्र (Criminology) के अन्तर्गत किया जाता है। इसके अन्तर्गत अपराध के प्रति समाज के रवैया, अपराध के कारण, अपराध के परिणाम, अपराध के प्रकार एवं अपराध की रोकथाम का भी अध्ययन किया जाता है। .

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अभियान्त्रिकी

लोहे का 'कड़ा' (O-ring): कनाडा के इंजिनियरों का परिचय व गौरव-चिह्न सन् 1904 में निर्मित एक इंजन की डिजाइन १२ जून १९९८ को अंतरिक्ष स्टेशन '''मीर''' अभियान्त्रिकी (Engineering) वह विज्ञान तथा व्यवसाय है जो मानव की विविध जरूरतों की पूर्ति करने में आने वाली समस्याओं का व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करता है। इसके लिये वह गणितीय, भौतिक व प्राकृतिक विज्ञानों के ज्ञानराशि का उपयोग करती है। इंजीनियरी भौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती है; औद्योगिक प्रक्रमों का विकास एवं नियंत्रण करती है। इसके लिये वह तकनीकी मानकों का प्रयोग करते हुए विधियाँ, डिजाइन और विनिर्देश (specifications) प्रदान करती है। .

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अभियांत्रिकीय भौतिकी

डिटेक्टर का प्रयोग रंजक लेजर (डाई लेजर) का अध्ययन करते हुए अभियांत्रिक भौतिकी का एक छात्र अभियांत्रिकीय भौतिकी या अभियांत्रिकीय विज्ञान भौतिकी, गणित और अभियांत्रिकी के संयुक्त अध्ययन से सम्बद्ध है। यह विशेष रूप से संगणक, परमाणु, विद्युतीय एवं यांत्रिक अभियांत्रिकी से सम्बंधित है। मूल रूप से वैज्ञानिक तरीकों को दृष्टिकोण में रखते हुए, यह शाखा अभियांत्रिकी में नए समाधानों की रचना एवं उनका विकास कर लागू करने का उद्देश्य रखती है। .

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अभिवाह

अभिवाह या फ्लक्स (flux) की अवधारणा का भौतिकी व व्यावहारिक गणित में कई तरह से उपयोग होता है। मोटे तौर पर, किसी स्थान, सतह या अन्य पदार्थ को पार करने वाली किसी पदार्थ, क्षेत्र (फिल्ड) आदि की मात्रा को अभिवाह कहते हैं। विद्युतचुम्बकत्व में विद्युत अभिवाह और चुम्बकीय अभिवह बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी संकल्पनाएँ हैं। किसी क्षेत्र A के प्रत्येक बिन्दु पर क्षेत्र का मान F (नियत) हो तो उस क्षेत्र A से निकलने वाला अभिवाह ध्यान रहे कि यह प्रवाह से सम्बन्धित लेकिन भिन्न होता है - फ्लक्स वह मात्रा है जो किसी सतह को भेद रही है और इसमें बहाव आवश्यक नहीं है (यानि परिवहन परिघटना के विपरीत कोई चुम्बकत्व जैसी स्थाई परिघटना भी हो सकती है), जबकि प्रवाह में किसी प्रकार के भौतिक बहाव का होना आवश्यक है। .

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अभिकलित्र अनुकार

सन् २००४ की सुनामी का एनिमेशन फाइनाइट-एलिमेण्ट विधि द्वारा मोटरकार के टक्कर के कम्प्यूटर सिमुलेशन का परिणाम (आउटपुट) किसी कम्प्यूटर प्रोग्राम की सहायता से या कम्प्यूटरों के एक नेटवर्क की सहायता से किसी तन्त्र या उसके किसी भाग के व्यवहार की जानकारी की गणना करना अभिकलित्र अनुकार या 'कम्प्यूटरी सिमुलेशन' (computer simulation) कहलाता है। वर्तमान समय में प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक विज्ञानों, सामाजिक विज्ञानों एवं अन्यान्य क्षेत्रों में कम्प्यूटरी सिमुलेशन महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। सिद्धान्त एवं प्रयोग के अलावा कम्प्यूटरी सिमुलेशन भी विज्ञान में शोध की एक अपरिहार्य विधि बन गयी है। कम्प्यूटरी सिमुलेशन, कुछ मिनट में पूर्ण होने वाले एक छोटे कम्प्यूतर प्रोग्राम से लेकर घण्टों चलने वाले नेटवर्कित कम्प्यूतर और उससे भी बढकर कई दिनों तक चलने वाले सिमुलेशन के अनेक रूपों में देखे जा सकते हैं। आज का सिमुलेशन इतना विशालकाय हो गया है जिस जो कागज-पेंसिल की सहायता से सम्भव ही नहीं हो सकता था। कागज-पेंसिल से सिमुलेशन के दौर में जिस सिमुलेशन की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी वह आज आसानी से किया जाने लगा है। .

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अमिता सहगल

अमिता सहगल पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में तंत्रिका विज्ञान विभाग में एक आणविक जीवविज्ञानी और क्रोनबायोलॉजिस्ट है। उन्होंने अपनी बीएससी दिल्ली विश्वविद्यालय और एमएससी जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, से की। उन्होंने १९८३ में कार्नेल विश्वविद्यालय में सेल बायोलॉजी और जेनेटिक्स से पीएचडी की। .

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अम्बाला

अम्बाला शहर भारत के हरियाणा राज्य का एक मुख्य एवं ऐतिहासिक शहर है। यह भारत की राजधानी दिल्ली से दो सौ किलोमीटर उत्तर की ओर शेरशाह सूरी मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर १) पर स्थित है। अम्बाला छावनी, भारत का एक प्रमुख सैनिक आगार तथा प्रमुख रेलवे जंक्शन है। अंबाला जिला हरियाणा एंव पंजाब (भारत) राज्यों की सीमा पर स्थित है। भौगोलिक स्थिति के कारण पर्यटन कें क्षेत्र में भी अंबाला का महत्वपूर्ण स्थान है। अम्बाला नाम की उत्पत्ति शायद महाभारत की अम्बालिका के नाम से हुई होगी। आज के जमाने में अम्बाला अपने विज्ञान सामग्री उत्पादन व मिक्सी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। अम्‍बाला को विज्ञान नगरी कह कर भी पुकारा जाता है कयोंकि यहां वैज्ञानिक उपकरण उद्योग केंद्रित है। भारत के वैज्ञानिक उपकरणों का लगभग चालीस प्रतिशत उत्‍पादन अम्‍बाला में ही होता है। एक अन्‍य मत यह भी है कि यहां पर आमों के बाग बगीचे बहुत थे, जिससे इस का नाम अम्‍बा वाला अर्थात अम्‍बाला पड़ गया। .

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अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

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अल-मुस्तसिरीया विश्वविद्यालय

अल-मुस्तसिरीया विश्वविद्यालय (अरबी: الجامعة المستنصرية) इराक के बगदाद में एक विश्वविद्यालय है। मूल मस्तानिरिया मदरसा, 1227 ईस्वी में स्थापित किया गया था जिसे अब्बासिद खलीफ अल-मुस्तसिरं ने बनबाया था ये दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। .

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अशोक गहलोत

अशोक गहलोत का जन्‍म 3 मई 1951 को जोधपुर राजस्‍थान में हुआ। स्‍व॰ श्री लक्ष्‍मण सिंह गहलोत के घर जन्‍मे अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्‍नातक डिग्री प्राप्‍त की तथा अर्थशास्‍त्र विषय लेकर स्‍नातकोत्‍तर डिग्री प्राप्‍त की। गहलोत का विवाह 27 नवम्‍बर, 1977 को श्रीमती सुनीता गहलोत के साथ हुआ। गहलोत के एक पुत्र वैभव गहलोत और एक पुत्री सोनिया गहलोत हैं। श्री गहलोत को जादू तथा घूमना-फिरना पसन्‍द हैं। .

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अस्पृश्यता

भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र 'मानव-जाति से प्यार' ऊँच-नीच की भावना रूपी हवा के झोंके से यत्र-तत्र बिखर गया। ऊँच-नीच का भाव यह रोग है, जो समाज में धीरे धीरे पनपता है और सुसभ्य एवं सुसंस्कृत समाज की नींव को हिला देता है। परिणामस्वरूप मानव-समाज के समूल नष्ट होने की आशंका रहती है। अतः अस्पृश्यता मानव-समाज के लिए एक भीषण कलंक है। आज संसार के प्रत्येक क्षेत्र में चाहे वह राजनीतिक हो अथवा आर्थिक, धार्मिक हो या सामाजिक, सर्वत्र अस्पृश्यता के दर्शन किए जा सकते हैं। अमेरिका, इंग्लैंड, जापान आदि यद्यपि वैज्ञानिक दृष्तिकोण से विकसित और संपन्न देश हैं किंतु अस्पृश्यता के रोग में वे भी ग्रसित हैं। अमेरिका जैसे महान राष्ट्र में काले एवं गोरें लोगों का भेदभाव आज भी बना हुआ है। अस्पृश्यता .

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अवाप्ति

विज्ञान की प्रगति से शिक्षाप्रणाली में भी नवीन विचारधाराओं का जन्म हुआ है। इसमें परीक्षा संबंधी परिवर्तन उल्लेखनीय है। वैज्ञानिकों की धारणा रही है कि लिखितपरीक्षा द्वारा हम परीक्षार्थी के उन गुणों को नापते हैं जिन्हें नापना हमारा ध्येय होता है। इसके अतिरिक्त इस परीक्षा में परीक्षक की निजी भावनाएँ अंग प्रदान करने में विशेष कार्य करती हैं। इन दोनों से रक्षा करने के लिए यह उचित समझा गया कि विषयनिष्ठ परीक्षा ही परीक्षार्थी के मूल्यांकन में सहायक हो सकेगी। इस विचारधारा के फलस्वरूप अमरीका में ई. एल. थार्नडाइक (Edward Lee Thorndike) ने सर्वप्रथम अवाप्ति-परीक्षा (अटेनमेंट टेस्ट) के पक्ष में 1904 में एक पुस्तक लिखी। उसके पश्चात् भिन्न-भिन्न देशों के शिक्षाविदों ने भी अपने देश का प्रचार किया। उन लोगों का विचार है कि प्रमाणित परीक्षा के लिए अवाप्तिपरीक्षा एक मुख्य साधन है। इस प्रकार की कुछ परीक्षाएँ अध्याय के द्वारा अपने विषय के ज्ञान को नापने के लिए बनाई जाती हैं तथा कुछ विषयनिष्ठ परीक्षाएँ प्रमाणीकृत की जाती हैं और उनके द्वारा एक क्षेत्र के परीक्षार्थियों की योग्यता तुलनात्मक रूप से आसानी से नापी जा सकती है। अवाप्तिपरीक्षा बनाने के पहले परीक्षक को यह स्वयं समझ लेना चाहिए कि वह किस वस्तु को नापना चाहता है। उसे यह भी जान लेना है कि अवाप्तिपरीक्षा परीक्षार्थी के अर्जित ज्ञान को ही नापती है। अवाप्तिपरीक्षा बनाने में आइटम के चुनाव में विशेष ध्यान देना चाहिए। इन्हीं के ऊपर उस परीक्षा की मान्यता निर्भर करती है। किस तरह के आइटम होने चाहिए, इसका ज्ञान "शैक्षिक संख्याशास्त्र" (एजुकेशनल स्टैटिस्टिक्स) से पूर्ण परिचय होने पर ही हो सकता है। आजकल हमारे देश में इस दिशा में कार्य हो रहा है और ऑल इंडिया कौंसिल फॉर सेकंडरी एजुकेशन ने विदेशी विशेषज्ञों द्वारा अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए सुविधाएँ दी हैं। अवाप्ति.

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अविनाशी परीक्षण

विज्ञान और उद्योगजगत में बिना नष्ट किये ही किसी पदार्थ, अवयव या प्रणाली के के गुणधर्म जानने के लिये जो विधियाँ अपनायी जाती हैं, उन्हें अविनाशी परीक्षण (Nondestructive testing) कहते हैं। इसका महत्व इस लिये है कि यह समय और पैसा दोनों बचाती है क्योंकि जिस चीज का परीक्षण किया जा रहा है उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचता। कुछ प्रमुख अविनाशी परीक्षण विधियाँ ये हैं- अल्ट्रासोनिक, चुम्बकीय-कण, द्रव वेधन (लिक्विड पेनिट्रेशन), रेडियोग्राफिक, रिमोट विजुअल इन्सपेक्शन, भंवर-धारा परीक्षण, तथा लो कोहेरेन्स इन्टरफेरोमेट्री आदि। श्रेणी:परीक्षण विधि.

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अंधविश्वास

आदिम मनुष्य अनेक क्रियाओं और घटनाओं के कारणों को नहीं जान पाता था। वह अज्ञानवश समझता था कि इनके पीछे कोई अदृश्य शक्ति है। वर्षा, बिजली, रोग, भूकंप, वृक्षपात, विपत्ति आदि अज्ञात तथा अज्ञेय देव, भूत, प्रेत और पिशाचों के प्रकोप के परिणाम माने जाते थे। ज्ञान का प्रकाश हो जाने पर भी ऐसे विचार विलीन नहीं हुए, प्रत्युत ये अंधविश्वास माने जाने लगे। आदिकाल में मनुष्य का क्रिया क्षेत्र संकुचित था इसलिए अंधविश्वासों की संख्या भी अल्प थी। ज्यों ज्यों मनुष्य की क्रियाओं का विस्तार हुआ त्यों-त्यों अंधविश्वासों का जाल भी फैलता गया और इनके अनेक भेद-प्रभेद हो गए। अंधविश्वास सार्वदेशिक और सार्वकालिक हैं। विज्ञान के प्रकाश में भी ये छिपे रहते हैं। अभी तक इनका सर्वथा उच्द्वेद नहीं हुआ है। भारत में अंध विश्वास की जड़े बहुत गहरी हो चुकी हैं, ब्राह्मण साहित्य का इसमें प्रमुख योगदान है ll .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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अकशेरुकी भ्रूणविज्ञान

जिन प्राणियों में रीढ़ नहीं होती उन्हें अकशेरुकी या अपृष्ठवंशी (invertebrate) कहते हैं। विज्ञान का वह विभाग अकशेरुकी भ्रूणविज्ञान (invertebrate embryology) कहलाता है जिसमें ऐसे प्राणियों में बच्चों के जन्म के आरंभ पर विचार होता है। अपृष्ठवंशी प्राणियों को 15-16 श्रेणियों में बाँटा गया है, तथापि इनके भ्रूणविज्ञान से यही सिद्ध होता है कि यह विभाग केवल बाह्यिक है और प्राणियों में, विशेषकर भ्रूणों में, एक अंतर्निहित परस्पर संबंध है जिसके द्वारा विकासवाद की पुष्टि होती है। प्राणियों की विभन्नता उनके वातावरण और तदनुसार उनकी जीवनपद्धति के कारण होती है। इस सिद्धांत के अनुसार सभी प्राणियों को केवल दो विभागों में बाँटा जा सकता है। एक तो आद्यमुखी और दूसरा द्वितीयमुखी। इन दोनों शाखाओं को शरकृमिवर्ग संबंधित करता है। इससे यही सिद्ध होता है कि प्राणियों के विकास में आद्यमुखी पहले बने और उसके पश्चात्‌ द्वितीयमुखी। द्वितीयमुखी से सभी पृष्ठवंशियों (वर्टेब्रेटा) का विकास हुआ। .

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उड़नेवाला स्पघेटी दानव

उड़नेवाला स्पघेटी दानव पास्ताफ़ारी धर्म (पास्ता और रस्ताफ़ारी शब्दों का जोड़) का ईश्वर है। इसे अमेरिका के सरकारी विद्यालयों में इंटेलिजेंट डिज़ाइन और क्रिएशनिस्म पढ़ाने का विरोध करने के लिए सन् 2005 में बनाया गया था। इसके माध्यम से ये दर्शाया जाता है कि दर्शनशास्त्रिय सबूत का बोझ उस व्यक्ति पर है जो वैज्ञानिक दृष्टि से झूठाया न जा सकने वाला दावा कर रहा हो, बजाय उस व्यक्ति के जो उस दावे को अस्वीकार कर रहा हो। हालांकि इस धर्म के अनुयायी इसे एक असली धर्म बताते हैं, पर मीडिया में इसे एक व्यंग्य धर्म की तरह देखा जाता है। .

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उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ का भवन उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिये कार्यरत प्रमुख संस्था है। यह उत्तर प्रदेश शासन के भाषा विभाग के अधीन है। अन्य कार्यक्रमों के अलावा हिन्दी के प्रचार प्रसार हेतु विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिये साहित्यकारों को यह कई पुरस्कार भी प्रदान करती है। प्रदेश का मुख्य मन्त्री इसका पदेन अध्यक्ष होता है। वही कार्यकारी अध्यक्ष व निदेशक की नियुक्ति करता है। .

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उदय प्रताप कॉलिज

उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी शहर में स्थित यूजीसी का एक स्वायत्त महाविद्यालय है। इस कॉलेज की स्थापना १९०९ में राजर्षि उदय प्रताप सिंह ने की थी। आरंभ में इसे एक हाई स्कूल के रूप में चलाया गया था, किन्तु १९४९ से इसे स्नातकोत्तर महाविद्यालय बनाया ग्या और कॉलिज डिग्रियाँ भी देने लगा। यहाँ कला, मानविकी, विज्ञान एवं प्रबंधन से संबंधित विषय और पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। .

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उल्का

आकाश के एक भाग में उल्का गिरने का दृष्य; यह दृष्य एक्स्ोजर समय कबढ़ाकर लिया गया है आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में 'टूटते हुए तारे' अथवा 'लूका' कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं। प्रायः प्रत्येक रात्रि को उल्काएँ अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, किंतु इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या अत्यंत अल्प होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना (स्ट्रक्चर) के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं। इनके अध्ययन से हमें यह भी बोध होता है कि भूमंडलीय वातावरण में आकाश से आए हुए पदार्थ पर क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ होती हैं। इस प्रकार ये पिंड ब्रह्माण्डविद्या और भूविज्ञान के बीच संपर्क स्थापित करते हैं। .

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उष्णकटिबंधीय चक्रवात

इसाबेल तूफान (2003) के रूप में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के 7 अभियान के दौरान कक्षा से देखा. आंख, आईव़ोल और आसपास के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विशेषता rainbands स्पष्ट रूप से कर रहे हैं अंतरिक्ष से इस दृश्य में दिखाई देता है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तूफान प्रणाली है जो एक विशाल निम्न दबाव केंद्र और भारी तड़ित-झंझावातों द्वारा चरितार्थ होती है और जो तीव्र हवाओं और घनघोर वर्षा को उत्पन्न करती है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति तब होती है जब नम हवा के ऊपर उठने से गर्मी पैदा होती है, जिसके फलस्वरूप नम हवा में निहित जलवाष्प का संघनन होता है। वे अन्य चक्रवात आंधियों जैसे नोर'ईस्टर, यूरोपीय आंधियों और ध्रुवीय निम्न की तुलना में विभिन्न ताप तंत्रों द्वारा उत्पादित होते है, अपने "गर्म केंद्र" आंधी प्रणाली के वर्गीकरण की ओर अग्रसर होते हुए.

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छद्म विज्ञान

छद्म विज्ञान एक ऐसे दावे, आस्था या प्रथा को कहते हैं जिसे विज्ञान की तरह प्रस्तुत किया जाता है, पर जो वैज्ञानिक विधि का पालन नहीं करता है। अध्ययन के किसी विषय को अगर वैज्ञानिक विधि के मानदण्डों के संगत प्रस्तुत किया जाए, पर वो इन मानदण्डों का पालन नहीं करे तो उसे छद्म विज्ञान कहा जा सकता है। छद्म विज्ञान के ये लक्षण हैं: अस्पष्ट, असंगत, अतिरंजित या अप्रमाण्‍य दावों का प्रयोग; दावे का खंडन करने के कठोर प्रयास की जगह पुष्टि पूर्वाग्रह रखना, विषय के विशेषज्ञों द्वारा जांच का विरोध; और सिद्धांत विकसित करते समय व्यवस्थित कार्यविधि का अभाव। छद्म विज्ञान शब्द को अपमानजनक माना जाता है, क्योंकि ये सुझाव देता है किसी चीज को गलत या भ्रामक ढ़ंग से विज्ञान दर्शाया जा रहा है। इसलिए, जिन्हें छद्म विज्ञान का प्रचार या वकालत करते चित्रित किया जाता है, वे इस चित्रण का विरोध करते हैं। विज्ञान एम्पिरिकल अनुसन्धान से प्राकृतिक जगत में अंतर्दृष्टि देता है। इसलिए ये देव श्रुति, धर्मशास्त्र और अध्यात्म से बिलकुल अलग है। श्रेणी:विज्ञान.

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१९५४ में पद्म भूषण धारक

श्रेणी:पद्म भूषण.

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४चैन

४चैन ४चैन एक अंतरजाल-स्थित विचार-विमर्श मंच, जो विश्व के सबसे लोकप्रिय जालस्थलों से एक है। यहाँ पर चर्चा आंग्ल भाषा में होती है, हालांकि विश्वभर के बुद्धिजीवी यहाँ एकत्रित होते हैं। कर्मचारियों के सिवाय यहाँ कोई पंजीकृत सदस्य नहीं है - ४चैन पर बुद्धिजीवी प्रायः अज्ञात नाम से अपने विचार व्यक्त करते हैं। यह विश्व के सबसे अधिक अराजकतावादी और प्रभावशाली जालस्थलों में से एक है। ४चैन की स्थापना वि.

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