5 संबंधों: टुण्ड्रा, दाँत, ध्रुवीय भालू, फ़्रांज़ योसेफ़ द्वीपसमूह, खाँग।
टुण्ड्रा
भौतिक भूगोल में, टुण्ड्रा एक बायोम है जहां वृक्षों की वृद्धि कम तापमान और बढ़ने के अपेक्षाकृत छोटे मौसम के कारण प्रभावित होती है। टुंड्रा शब्द फिनिश भाषा से आया है जिसका अर्थ “ऊँची भूमि”, “वृक्षविहीन पर्वतीय रास्ता” होता है। टुंड्रा प्रदेशों के तीन प्रकार हैं: आर्कटिक टुंड्रा, अल्पाइन टुंड्रा और अंटार्कटिक टुंड्रा। टुंड्रा प्रदेशों की वनस्पति मुख्यत: बौनी झाड़ियां, दलदली पौधे, घास, काई और लाइकेन से मिलकर बनती है। कुछ टुंड्रा प्रदेशों में छितरे हुये वृक्ष उगते हैं। किसी टुंड्रा प्रदेश और जंगल के बीच की पारिस्थितिक सीमा वृक्ष रेखा कहलाती है। .
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दाँत
दाँत (tooth) मुख की श्लेष्मिक कला के रूपांतरित अंकुर या उभार हैं, जो चूने के लवण से संसिक्त होते हैं। दाँत का काम है पकड़ना, काटना, फाड़ना और चबाना। कुछ जानवरों में ये कुतरने (चूहे), खोदने (शूकर), सँवारने (लीमर) और लड़ने (कुत्ते) के काम में भी आते हैं। दांत, आहार को काट-पीसकर गले से उतरने योग्य बनाते हैं। दाँत की दो पंक्तियाँ होती हैं,.
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ध्रुवीय भालू
ध्रुवीय भालू (उर्सूस मारीटिमस) एक ऐसा भालू है जो आर्कटिक महासागर, उसके आस-पास के समुद्र और आस-पास के भू क्षेत्रों को आवृत किये, मुख्यतः आर्कटिक मंडल के भीतर का मूल वासी है। यह दुनिया का सबसे बड़ा मांसभक्षी है और सर्वाहारी कोडिअक भालू के लगभग समान आकार के साथ, यह सबसे बड़ा भालू भी है। एक वयस्क नर का वज़न लगभग होता है, जबकि एक वयस्क मादा उसके करीब आधे आकार की होती है। हालांकि यह भूरे भालू से नज़दीकी रूप से संबंधित है, लेकिन इसने विकास करते हुए संकीर्ण पारिस्थितिकीय स्थान हासिल किया है, जिसके तहत ठंडे तापमान के लिए, बर्फ, हिम और खुले पानी पर चलने के लिए और सील के शिकार के लिए, जो उसके आहार का मुख्य स्रोत है, अनुकूलित कई शारीरिक विशेषताएं हैं। यद्यपि अधिकांश ध्रुवीय भालू भूमि पर जन्म लेते हैं, वे अपना अधिकांश समय समुद्र पर बिताते हैं (अतः उनके वैज्ञानिक नाम का अर्थ है "समुद्री भालू") और केवल समुद्री बर्फ से लगातार शिकार कर सकते हैं, जिसके लिए वे वर्ष का अधिकांश समय जमे हुए समुद्र पर बिताते हैं। ध्रुवीय भालू को एक नाज़ुक प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसकी 19 में से 8 उप-जनसंख्या में गिरावट देखी गई है।IUCN ध्रुवीय भालू विशेषज्ञ समूह, 2009.
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फ़्रांज़ योसेफ़ द्वीपसमूह
फ़्रांज़ योसेफ़ भूमि या फ़्रांज़ योसेफ़ द्वीपसमूह (रूसी: Земля Франца-Иосифа, ज़ेमल्या फ़्रांत्स्का-योसिफ़ा), रूस के सुदूर उत्तर में स्थित एक द्वीपसमूह है। यह आर्कटिक महासागर में नोवाया ज़ेमल्या के उत्तर और स्वालबार्ड के पूर्व में स्थित है और अर्खांगेल्स्क ओब्लास्ट के प्रशासन के अधीन आता है। फ़्रांज़ योसेफ़ भूमि के 191 बर्फ से ढके द्वीपों का कुल क्षेत्रफल 16134 किमी² (6,229 मील²) है। यहां की कोई मूल निवासी जनसंख्या नहीं है, लेकिन रूसियों द्वारा कई बस्तियों का निर्माण किया गया है। इन बस्तियों के नागरिक भोजन के लिए पूरी तरह से वालरस और सील के मांस पर निर्भर हैं। 80.0° और 81.9° अक्षांशों के बीच स्थित यह यूरेशिया का सबसे उत्तरी द्वीपसमूह है और इसका भी सबसे उत्तरी बिंदु रुडोल्फ द्वीप पर स्थित फ्लिजेली अंतरीप है। द्वीपसमूह की उत्तरी ध्रुव से दूरी केवल 900 से 1110 किमी (560-690 क़ानूनी मील) है और इसका सबसे उत्तरी द्वीप कनाडा के एलिसमेयर द्वीप और ग्रीनलैंड को छोड़कर विश्व के अन्य किसी भी द्वीप की तुलना में उत्तरी ध्रुव के सबसे नज़दीक हैं। संभवतः यह द्वीपसमूह सबसे पहले नार्वे के सील शिकारियों निल्स फ्रेडरिक रॉनबेक और ऐडीयार्वी द्वारा 1865 में खोजा गया था और प्राप्त अभिलेखों के अनुसार, वो स्वालबार्ड से पूर्व की ओर रवाना हुए और अंतत: एक नयी भूमि तक पहुँच गये। इसका कोई दर्ज इतिहास नहीं है कि वो इन टापुओं पर उतरे थे या नहीं, जल्दी ही लोग इन नए द्वीपों को भूल गए। इन द्वीपों की आधिकारिक खोज 1873 में ध्रुवीय अंवेषक, जूलियस वॉन पेयर और कार्ल वेप्रेक्ट के नेतृत्व वाले ऑस्ट्रिया-हंगरी उत्तरी ध्रुव अभियान द्वारा की गयी। ऑस्ट्रिया–हंगरी के सम्राट फ़्रांज़ योसेफ़ प्रथम के सम्मान में इस द्वीपसमूह को उनके नाम पर ही फ़्रांज़ योसेफ़ नाम दिया गया। चूँकि इस अभियान के प्रायोजक आधिकारिक ना होकर निजी थे, इसलिए यह द्वीपसमूह कभी भी ऑस्ट्रिया का हिस्सा नहीं बन सके। 1926 में इस द्वीपसमूह का नियंत्रण सोवियत संघ ने अपने हाथों में ले लिया और कुछ व्यक्तियों को अनुसंधान और सैन्य उद्देश्यों के लिए यहाँ पर बसाया गया। सिर्फ गर्मी के कुछ हफ्तों में ही यहां जहाज से पहुंचा जा सकता है। .
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खाँग
वालरस जंगली सुअर हाथी खाँग या नेस आमतौर पर कुछ स्तनधारी जीवों मुंह बाहर निकले हुए असामान्य रूप से लंबे दांत होते हैं। वालरस और जंगली सुअर जैसे प्राणियों में यह बढ़े हुए रदनक दंत और, हाथी और नारव्हाल के मामले में यह बढ़े हुए कृंतक दंत होते हैं। खाँग आम तौर पर और घुमावदार हैं ओर नुकीले होते है, हालांकि नारव्हाल का एकमात्र खाँग सीधा होता है और इसकी संरचना सर्पिल होती है। हाथियों के मामले में खाँग को हाथी दाँत या गजदंत कहा जाता है और यह दूसरा कृंतक होते हैं। .
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